जोरू का गुलाम भाग २५६ पृष्ठ १६०७
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Reenu hi yek kaam kr skti hजोरू का गुलाम भाग २२५
गोल दरवाजे का जादू
२६,९१,७९५
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मेरी ननद ने अपने भइया के सुनहली शराब से भीगे होंठों से होठ हटा कर सीधे , अपनी भाभी के , मेरे होंठों पर ,... और जबरदस्त लिप लाक किया हम ननद भौजाई ने,
लेकिन दूसरी भौजाई , गुड्डी की मीठी भाभी इशारा कर कर के अपनी ननद को बुला रही , और फिर मेरी बहन ,और इनकी बहन ने इनके तन्नाए , बौराये लंड को बाँट लिया , सुपाड़ा इनकी बहन के हवाले और रसगुल्ले मेरी बहन के ,... लेकिन थोड़ी देर मे रोल बदल गया , अब गुड्डी इनके बॉल्स चूस रही थी और रीनू लंड।
कभी अपने जीभ से बस इनके पेशाब के छेद को सुरसुरा देती तो कभी अपने होंठों से मांसल सुपाड़े को कस के भींच लेती , और कभी गप्पाक से उनके लंड को आधा से ज्यादा एक बार में घोंट लेती।
चूत चाटने में अगर रीनू के जीजू ने पी एच डी कर रखी थी ,
तो लंड चाटने में उनकी साली ने भी पी एच डी की हुयी थी ,
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मेरी बहन और उनकी बहन के दुहरे हमले से , बेचारे की हालत ख़राब , वो सिसक रहे थे , चूतड़ पटक रहे थे।
कौन साली अपने जीजू की ये हालत देख सकती थी , रीनू तो कतई नहीं। वो उठकर इनके सर के पास गयी , कुछ उनके कान में फुसफुसाया ,...
सच में अगर त्रेता युग में रीनू होती न, तो मंथरा होती
दुनिया में किसी जीजू की हिम्मत नहीं साली की बात टाल दें , और ये रीनू के पक्के गुलाम , रीनू कुछ देर तक इनके कान में फुसुर करती रही ,
इनकी छोटी बहन मस्ती से,जोर जोर से लॉलीपॉप चूस रही थी , इनका।
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रीनू ने आने से पहले मेरे पिछवाड़े के बारे में पूछा,
" बुद्धू राम ने तेरे पिछवाड़े का हाल चाल पूछा ? "
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और मेरे नहीं बोलने पर बहुत जोर से गुस्सा हुयी, मुझ पर नहीं, इनपर, अपने जीजू पर।
मैंने बताया भी की अपनी भौजाई की गांड तो खूब हचक के मारी थी लेकिन, भरतपुर का तो कोई दिन नागा नहीं होता, न मेरा न उनकी बहिनिया का , लेकिन पिछवाड़े के मामले में, "
" थोड़ा फिसड्डी है, चल मैं आ रही हूँ न करती हूँ कुछ " रीनू ने बोल दिया, लेकिन कल जब उसने इन्हे गुड्डी की गांड मारते देखा, टाइम भी मेरे दोनों जीजू से रीनू के जीजू ने ज्यादा लिया और प्यार से हौले हौले अपनी बहिनिया को पागल कर, रीनू मान गयी
" यार अगर तेरे जीजू, कमल जीजू गांड मारने में पी एच डी हैं तो मेरा जीजू डी लिट्ट क्या मस्त गांड मार रहा है स्साली छिनार को पागल कर दिया , खुद धक्के मार रही है। "
और औरतों के बात करने के लिए सबसे प्राइवेट जगह जो होती है, किचेन, मर्दों का कोई दखल नहीं, तो मैं और रीनू जब किचेन में थे तो रीनू ने फैसला सुना दिया,
" मुझे रोग भी मालूम हो गया और इलाज भी, इस स्साले मेरे बहनचोद जीजू का न औजार बीस है न मारने के तरीके में कम है, जानती है स्साली तेरे मरद की असली परेशानी क्या है ये भी पता चल गया। "
मैं आटा गूंथते हुए चुप रही, मैं जानती थी मेरी बहन खुद बताएगी, और रीनू ने बोल दिया,
" असली बात है अच्छा बच्चा, ये स्साला बचपन से अच्छा बच्चा बनने के चक्कर में, काफी कुछ तो स्साली तूने सुधार दिया, लेकिन अभी भी अच्छा बच्चा वाले कुछ कीटाणु बचे हैं। बचपन से उसे मालूम है ये सब काम गंदे बच्चे करते हैं, बस मन के अंदर कही गाँठ है, लेकिन अब उसकी साली आ गयी है न उसका इलाज करने के लिए, और गाली देने में भी स्साले की गांड फटती है, "
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" क्या इलाज करेगी तू " हँसते हुए मैंने रीनू से पूछा।
जिसका इलाज कोई नहीं कर सकता उसे उसकी स्साली ठीक कर सकती है और रीनू ऐसी स्साली हो तो फिर तो शर्तिया।
" ऐसी लहक लगाउंगी, देखना तू, तेरे अगवाड़े के पहले पिछवाड़े वाला छेद ढूंढेगा स्साला, तेरा भी, तेरी ननदिया का भी। जाने के पहले, अगले दो दिन में दर्जन बार से ज्यादा गांड मारेगा वो, और आधा दर्जन से ज्यादा उस कन्या सुकुमारी के, वो भी प्यार मोहब्बत वाले नहीं, जो रफ ऐनल टीन वाली फ़िल्में बनती हैं, उनसे भी दो हाथ आगे, और देखना फिर कैसे उसे में कैसे पिछवाड़े का शौक लगवाती हूँ, "
रोटी सेकंते वो बोली,
" यार तेरे मुंह में घी शक्कर, बल्कि तेरे जीजू और मेरे मरद का मोटा मोटा लौंड़ा, लेकिन, " कुछ सोच के मैं रुक गयी फिर खिलखिलाने लगी।
" क्या हुआ " मेरी बहिनिया से नहीं रहा गया
" आइडिया तो तेरा सही है और सिर्फ तेरे बस का है, लेकिन पिछवाड़े के चक्कर में कहीं उन्हें भी कमल जीजू की तरह,... " और फिर मेरी हंसी चालू हो गयी।
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" स्साली साफ़ क्यों नहीं बोलती, की कही तेरे मरद को भी लौंडेबाजी का शौक तो नहीं लग जाएगा, वैसे आइडिया अच्छा है लग जाए तो लग जाए, ...मेरा वाली भी कमल जीजू इतना तो नहीं, लेकिन महीने में दो तीन चिकनों की नेकर सरका ही देता है. अच्छा है फिर तीनो मरद एकदम एक जैसे, तुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है?" "
रीनू सच में सीरियस हो गयी थी, लौंडेबाजी के नाम पे।
" अरे यार मुझे क्यों फरक पडेगा, छेद तो छेद चाहे लौंडे का हो या लौंडिया का, छेद तो छेद,बस एक बार तेरे जीजू को गोल दरवाजे का नशा लग जाए "
हँसते हुए मैंने अपना काम ख़तम किया . और अपनी ओर से, रीनू और रीनू के जीजू को ग्रीन सिग्नल दे दिया, रीनू जाने उसके जीजू जाने, हाँ लेकिन अगर रीनू उन्हें गोल दरवाजे का आशिक बना देती है तो उससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता।
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तबतक गुड्डी किचेन में आ गयी और हम लोगो ने बात बदल दी।
लेकिन एक स्वीट सिक्सटीन टाइप ननद दो दो भौजाइयों के बीच हो और भौजाइयां उसे रगड़ने से छोड़ दें, ये हो नहीं सकता, तो बस रीनू ने पूछा
" क्यों रंडी रानी ( वो गुड्डी को रंडी ही बोलती थी ) अपने भैया की गोदी में बैठी थी का जो इतना पतुरिया अस मुस्करा रही हो ? "
गुड्डी कौन कम, वो भी इठला कर बोली, " और क्या हमारे भैया हैं गोदी में बैठाएंगे, दुलार करेंगे, चुम्मी लेंगे"
उसकी बात काट के मैंने पूछा, " अच्छा ये बता साफ़ साफ और सच सच, पिछवाड़े खूंटा धंस रहा था, खड़ा था न तनतना के "
गुड्डी कुछ देर खिलखिलाती रही फिर बोली," एकदम, हमारे भैया का खूंटा है ही बित्ते भर का तो गड़ेगा तो है ही "
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" एक तरीका बताती हूँ, खूंटे का अपने भैया का मजा भी लो और गड़े भी नहीं इस मुलायम मुलायम चूतड़ में "
रीनू गुड्डी की छोटी सी स्कर्ट उठा के चूतड़ सहलाती बोली,
" बताइये न मीठी भाभी, आप कहेंगी तो जरूर ट्राई करुँगी " रीनू को दुलराते, गुड्डी चिपक गयी।
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" बहुत आसान है चल तू बोल रही है तो सिखा भी दूंगी, अपना पिछवाड़े का छेद थोड़ा चौड़ा कर स्साली, हर बार तेरे भैया ही मेहनत करें, अरे तू भी तो, बस अपना गोल दरवाजा अपने दोनों हाथ से चौड़ा कर, और फैला के सीधे अपने भैया एक खूंटे पे बैठ जा, बस छेद खुला, खूंटा अंदर और तेरा छेद चौड़ा करने की ट्रिक सब तुझे सिखा दूंगी मैं, बस जैसे जैसे कहूं वैसे ही, "
" एकदम मीठी भौजी, आप जैसा कहेंगी एकदम वैसे ही " गुड्डी मान गयी।
तो रीनू का आपरेशन ' गोल दरवाजा' शुरू हो गया था जिसके दो टारगेट थे, एक तो ये, उसके जीजू , उन्हें पक्का पिछवाड़े का रसिया बनाना
Thanks so much for reminding me, just did it. There was a serious issue with page numbering. Part 225 was posted on page 1293. But there was a sticky post and as i removed the sticky post (sticky part), the first part went to the previous page. and now it is 1292. I have updated the index and even mentioned the post number for Part 225.Index update karo komal ji is story ka