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जोरू का गुलाम भाग २२६ -गेम टाइम
गुड्डी चढ़ी, भैया के भाले पर
२७,२७,७३६
और नाश्ते के बाद --गेम के सारे रूल्स रीनू ने ही तय किया ,
उन तीनो की बहन , गुड्डी , सिर्फ हाथ से मुठिया कर , झंडा खड़ा करेंगी , और उसके बाद गुड्डी बारी बारी से तीनों के खूंटे पर चार चार मिनट के लिए ,..... जो पहले झड़ेगा वो गेम से बाहर ,... और बचे दोनों लोगो के लिए रीनू आगे बताएगी।
तीनो लोग सोफे पर बैठे , ... और गुड्डी सबसे पहले अपने बचपन के यार के खूंटे पर ही चढ़ी ,... नीचे से ये उचका उचका कर ,...
रीनू तो टाइमकीपर थी लेकिन मैं तो खाली थी ,
मैं क्यों छोड़ देती मजा लेना अपने जीजू लोगों से और मैंने कमल जीजू को टारगेट किया ,... डंडा जब गुड्डी के बिल में होता तो रसगुल्ले मेरे मुंह में
और जो वो अजय या इनके खूंटे पर चढ़ी होती तो मैं पूरा लंड , ... जितना मैं चाटती थी उससे ज्यादा जोर से कमल जीजू मेरा मुंह चोदते थे , एकदम हलक तक ,...
तीन राउंड गुड्डी तीनो के खूंटे पर चार चार मिनट तक चढ़ी , चौथे राउंड में कमल जीजू ,...लेकिन मैंने फिर बेईमानी की ,
वही पिछवाड़े ऊँगली , प्रोस्ट्रेट मसाज ,... जो मम्मी ने शादी के पहले मुझे सिखाया था ,...
और कमल जीजू झड़ते नहीं तो गेम आगे कैसे बढ़ता , सारी मलाई गुड्डी रानी की बुर में ,
और अब जब वो अजय के खूंटे पर बैठने लगी तो रीनू ने थोड़ा सरका दिया , अबकी पिछला छेद
( ऑफ कोर्स बट प्लग निकल चुका था )
अजय ने जोर लगाकर पूरा गुड्डी की पतली कमर पकड़ कर नीचे की पर खींचा , रीनू ने जोर से कंधे दबाये , ...और गुड्डी ने भी ,.... तिल तिल करके
अब गांड मरौव्वल का समय छ मिनट का था , उसके बाद गुड्डी अपने बचपन के यार , मेरे सोना मोना के खूंटे पर ,...
मान गयी मैं गुड्डी को , दो तीन मिनट में इनका बालिश्त भर का खूंटा उसकी गांड के अंदर ,...
गुड्डी का चेहरा दर्द से डूबा हुआ था , वो पसीने पसीने हो रही थी , तब भी वो नयी लौंडिया , किशोरी , अपनी पूरी ताकत से दोनों हाथों से इनके खूंटे पर बैठने की अपने कैसे पिछवाड़े के छेद में इनके मोटे कड़े लंड को घोंटने की कोशिश कर रही थी , दोनों हाथों से उस बांकी छोरी ने सोफे को पकड़ कर पूरा जोर लगा कर नीचे की ओर अपनी देह को पुश कर रही थी। और उसके भैय्या भी उसकी पतली २४ इंच की कमरिया पकड़ कर , उचक उचक कर अपना चर्मदण्ड अपनी बहन की कसी गांड में पूरी ताकत से ठेल रहे थे ,
रीनू अलग हो गयी थी , अब सिर्फ भाई बहन ही ,... वो घुसेड़ रहे थे , वो घुसवा रही थी।
लाख कोशिश करने पर भी , दांतों से कस के होंठों को काटने पर भी गुड्डी के होंठों से चीख निकल जा रही थी।
दोनों लोगो की मेहनत , और चार पांच में पूरा ८ इंच , गुड्डी की गांड के अंदर ,... दर्द के बावजूद एक मुस्कान मेरी ननद के चेहरे पर बिखर गयी।
पर अभी तो चार आने का ही खेल हुआ था , गांड में घुस भले गया था पर अभी तूफानी गांड मरौव्वल शुरू नहीं हुयी थी ,
और वो भी शुरू हो गयी , ...
ये गुड्डी की कमर पकड़ कर धक्के पे धक्का , सटासट उस किशोरी की गांड में , अपनी ममेरी बहन के पिछवाड़े ये मस्ती से अपना खूंटा धकेल रहे थे ,
वो कभी सिसकती तो कभी चीखती लेकिन उनके हर धक्के का जवाब बराबर , और जब एक बार जड़ तक उसके भइया का औजार घुस जाता तो , धीमे धीमे कमर उठाकर बाहर भी निकाल लेती।
गुड्डी कभी उन्हें उकसाती कभी दर्द से चीखती,
" भैया पूरा डालो न, और कोई बहन भी नहीं है तेरी जिसके लिए बचा के रखे हो, और भौजी का चक्कर छोड़ दो उनके तो दो दो जीजा हरदम खूंटा खड़ा किये रहते हैं, अपनी साली के लिए "
और जब ये नीचे से ताकत लगा के ठेलते, फाड़ते दरेरते भैया का मोटा लौंड़ा बहिनिया की कसी कसी गांड़ में घुसता तो बेचारी गुड्डी चिल्ला पड़ती,
" उईईई भैया, लगता है, तेरा वो बहुत मोटा है नहीं जा पायेगा पूरा। "
" जाएगा, जाएगा, मेरी बहिनिया बहुत बहादुर है, बस थोड़ा सा और, हाँ ऐसे ही पुश कर नीचे, हाँ थोड़ा और जोर लगा, अंदर से ढीली कर "
ये बोलते और कुछ वो जोर लगाती, कुछ उसके भैया, तिल तिल करके मेरे मरद का मोटा मूसल मेरी ननदिया अपनी गांड़ में मेरे सामने लील रही थी।
लेकिन रीनू जोर से गरियाती गुड्डी को,
" स्साली छिनार, मस्त ले रही है गांड़ में और नाम लेने में सब चरित्तर, बोल साफ़ साफ़ वरना मैं मन कर दे रही हूँ, जीजू को "
लेकिन रीनू इन्हे मना करे उसके पहले गुड्डी बोल देती,
" नहीं नहीं मीठी भौजी, बोलती हूँ, वही बोलूंगी। भैया पेलो न अपना लंड पूरा जड़ तक ठेलो "
दर्द भूल के गुड्डी इन्हे उकसाती और एक दिन में ही ये गोल दरवाजे के इतने बड़े रसिया, दोनों हाथ से बहन के बस आ रहे जोबन पकड़ के वो करारा धक्का मारते, की गुड्डी की एक बार फिर से चीख निकल जाती।
कौन भौजाई नहीं होगी जिसे मजा नहीं आएगा ये देखने में की कैसे उसका मरद उसके सामने अपनी बहिनिया की गांड़ मार रहा है, बल्कि फाड़ रहा है।
ये देख कर अजय जीजू का भी खूंटा एक दम टनाटन ,
जैसे मेरे जीजू बीबी और साली में भेद नहीं करते थे , उसी तरह मैं भी ,आखिर वो दोनों लोग मेरे मेहमान थे , और अतिथि सेवा परमोधर्म ,
मैं भी अजय जीजू के खूंटे पर , अब मेरे जीजू मुझे और ये अपनी बहन को ,
हम दोनों के पिछवाड़े मोटे मोटे खूंटे , ... फिर तो तो जैसे बदकर , ननद भौजाई का शानदार जानदार मुकाबला ,
मैं और गुड्डी दोनों , अपने हाथों के बल पर नीचे दबाकर घोंटते , और फिर ऊपर निकालकर , साथ में ये लोग भी पूरी ताकत से ,
गुड्डी चढ़ी, भैया के भाले पर
२७,२७,७३६
और नाश्ते के बाद --गेम के सारे रूल्स रीनू ने ही तय किया ,
उन तीनो की बहन , गुड्डी , सिर्फ हाथ से मुठिया कर , झंडा खड़ा करेंगी , और उसके बाद गुड्डी बारी बारी से तीनों के खूंटे पर चार चार मिनट के लिए ,..... जो पहले झड़ेगा वो गेम से बाहर ,... और बचे दोनों लोगो के लिए रीनू आगे बताएगी।
तीनो लोग सोफे पर बैठे , ... और गुड्डी सबसे पहले अपने बचपन के यार के खूंटे पर ही चढ़ी ,... नीचे से ये उचका उचका कर ,...
रीनू तो टाइमकीपर थी लेकिन मैं तो खाली थी ,
मैं क्यों छोड़ देती मजा लेना अपने जीजू लोगों से और मैंने कमल जीजू को टारगेट किया ,... डंडा जब गुड्डी के बिल में होता तो रसगुल्ले मेरे मुंह में
और जो वो अजय या इनके खूंटे पर चढ़ी होती तो मैं पूरा लंड , ... जितना मैं चाटती थी उससे ज्यादा जोर से कमल जीजू मेरा मुंह चोदते थे , एकदम हलक तक ,...
तीन राउंड गुड्डी तीनो के खूंटे पर चार चार मिनट तक चढ़ी , चौथे राउंड में कमल जीजू ,...लेकिन मैंने फिर बेईमानी की ,
वही पिछवाड़े ऊँगली , प्रोस्ट्रेट मसाज ,... जो मम्मी ने शादी के पहले मुझे सिखाया था ,...
और कमल जीजू झड़ते नहीं तो गेम आगे कैसे बढ़ता , सारी मलाई गुड्डी रानी की बुर में ,
और अब जब वो अजय के खूंटे पर बैठने लगी तो रीनू ने थोड़ा सरका दिया , अबकी पिछला छेद
( ऑफ कोर्स बट प्लग निकल चुका था )
अजय ने जोर लगाकर पूरा गुड्डी की पतली कमर पकड़ कर नीचे की पर खींचा , रीनू ने जोर से कंधे दबाये , ...और गुड्डी ने भी ,.... तिल तिल करके
अब गांड मरौव्वल का समय छ मिनट का था , उसके बाद गुड्डी अपने बचपन के यार , मेरे सोना मोना के खूंटे पर ,...
मान गयी मैं गुड्डी को , दो तीन मिनट में इनका बालिश्त भर का खूंटा उसकी गांड के अंदर ,...
गुड्डी का चेहरा दर्द से डूबा हुआ था , वो पसीने पसीने हो रही थी , तब भी वो नयी लौंडिया , किशोरी , अपनी पूरी ताकत से दोनों हाथों से इनके खूंटे पर बैठने की अपने कैसे पिछवाड़े के छेद में इनके मोटे कड़े लंड को घोंटने की कोशिश कर रही थी , दोनों हाथों से उस बांकी छोरी ने सोफे को पकड़ कर पूरा जोर लगा कर नीचे की ओर अपनी देह को पुश कर रही थी। और उसके भैय्या भी उसकी पतली २४ इंच की कमरिया पकड़ कर , उचक उचक कर अपना चर्मदण्ड अपनी बहन की कसी गांड में पूरी ताकत से ठेल रहे थे ,
रीनू अलग हो गयी थी , अब सिर्फ भाई बहन ही ,... वो घुसेड़ रहे थे , वो घुसवा रही थी।
लाख कोशिश करने पर भी , दांतों से कस के होंठों को काटने पर भी गुड्डी के होंठों से चीख निकल जा रही थी।
दोनों लोगो की मेहनत , और चार पांच में पूरा ८ इंच , गुड्डी की गांड के अंदर ,... दर्द के बावजूद एक मुस्कान मेरी ननद के चेहरे पर बिखर गयी।
पर अभी तो चार आने का ही खेल हुआ था , गांड में घुस भले गया था पर अभी तूफानी गांड मरौव्वल शुरू नहीं हुयी थी ,
और वो भी शुरू हो गयी , ...
ये गुड्डी की कमर पकड़ कर धक्के पे धक्का , सटासट उस किशोरी की गांड में , अपनी ममेरी बहन के पिछवाड़े ये मस्ती से अपना खूंटा धकेल रहे थे ,
वो कभी सिसकती तो कभी चीखती लेकिन उनके हर धक्के का जवाब बराबर , और जब एक बार जड़ तक उसके भइया का औजार घुस जाता तो , धीमे धीमे कमर उठाकर बाहर भी निकाल लेती।
गुड्डी कभी उन्हें उकसाती कभी दर्द से चीखती,
" भैया पूरा डालो न, और कोई बहन भी नहीं है तेरी जिसके लिए बचा के रखे हो, और भौजी का चक्कर छोड़ दो उनके तो दो दो जीजा हरदम खूंटा खड़ा किये रहते हैं, अपनी साली के लिए "
और जब ये नीचे से ताकत लगा के ठेलते, फाड़ते दरेरते भैया का मोटा लौंड़ा बहिनिया की कसी कसी गांड़ में घुसता तो बेचारी गुड्डी चिल्ला पड़ती,
" उईईई भैया, लगता है, तेरा वो बहुत मोटा है नहीं जा पायेगा पूरा। "
" जाएगा, जाएगा, मेरी बहिनिया बहुत बहादुर है, बस थोड़ा सा और, हाँ ऐसे ही पुश कर नीचे, हाँ थोड़ा और जोर लगा, अंदर से ढीली कर "
ये बोलते और कुछ वो जोर लगाती, कुछ उसके भैया, तिल तिल करके मेरे मरद का मोटा मूसल मेरी ननदिया अपनी गांड़ में मेरे सामने लील रही थी।
लेकिन रीनू जोर से गरियाती गुड्डी को,
" स्साली छिनार, मस्त ले रही है गांड़ में और नाम लेने में सब चरित्तर, बोल साफ़ साफ़ वरना मैं मन कर दे रही हूँ, जीजू को "
लेकिन रीनू इन्हे मना करे उसके पहले गुड्डी बोल देती,
" नहीं नहीं मीठी भौजी, बोलती हूँ, वही बोलूंगी। भैया पेलो न अपना लंड पूरा जड़ तक ठेलो "
दर्द भूल के गुड्डी इन्हे उकसाती और एक दिन में ही ये गोल दरवाजे के इतने बड़े रसिया, दोनों हाथ से बहन के बस आ रहे जोबन पकड़ के वो करारा धक्का मारते, की गुड्डी की एक बार फिर से चीख निकल जाती।
कौन भौजाई नहीं होगी जिसे मजा नहीं आएगा ये देखने में की कैसे उसका मरद उसके सामने अपनी बहिनिया की गांड़ मार रहा है, बल्कि फाड़ रहा है।
ये देख कर अजय जीजू का भी खूंटा एक दम टनाटन ,
जैसे मेरे जीजू बीबी और साली में भेद नहीं करते थे , उसी तरह मैं भी ,आखिर वो दोनों लोग मेरे मेहमान थे , और अतिथि सेवा परमोधर्म ,
मैं भी अजय जीजू के खूंटे पर , अब मेरे जीजू मुझे और ये अपनी बहन को ,
हम दोनों के पिछवाड़े मोटे मोटे खूंटे , ... फिर तो तो जैसे बदकर , ननद भौजाई का शानदार जानदार मुकाबला ,
मैं और गुड्डी दोनों , अपने हाथों के बल पर नीचे दबाकर घोंटते , और फिर ऊपर निकालकर , साथ में ये लोग भी पूरी ताकत से ,
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