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★ INDEX ★
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♡ Family Introduction ♡ |
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♡ Family Introduction ♡ |
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Koi baat nahi bhai, take your timeBhai abhi padhna shuru Kiya hai
Gazab ki story hai
Keep it up
Reviews bhi dunga lekin kuchh samay baad
Nice and superb update....# 18
"रोमेश सक्सेना।" जे.एन. मुट्ठियाँ भींचे अपने ड्राइंगरूम में चहलकदमी कर रहा था ।
"उसकी ये मजाल !" मायादास सामने हाथ बांधे खड़ा था।
"वैसे तो जो आप कहेंगे, वह हो जायेगा।" मायादास ने कहा,
"मगर हमें जल्दी बाजी में कुछ नहीं करना चाहिये, हमें हर काम का नकारात्मक रुख भी तो देखना चाहिये। अगर रोमेश सक्सेना सारे शहर में यह गाता फिर रहा है कि वह आपका कत्ल करेगा, तो यकीनन आपका कत्ल नहीं होने वाला।
हाँ, इससे वह आपको उत्तेजित करके कोई ऐसा कदम उठवा सकता है कि आप कानून के दायरे में आ जायें।"
"कानून ! कानून हमारे लिए है क्या? कानून तो हम बनाते हैं मायादास।"
"ठीक है, यह सब ठीक है। मगर जरा यह तो सोचिये कि सावंत के कत्ल का मामला गर्मी न पकड़े, इसलिये आपको थोड़े दिन के लिए चीफ मिनिस्टर की सीट छोड़नी पड़ी। अब अगर हम सब वकील के क़त्ल का बीड़ा उठाते हैं और किसी वजह से वह बच गया, तब क्या होगा ? पूरा कानून का जमावड़ा, अख़बार वाले हमारे पीछे पड़ जायेंगे, हालाँकि पकड़े तो आप तब भी नहीं जायेंगे, मगर मंत्री पद तो खतरे में पड़ ही सकता है।"
"देखिये, यह तो आप भी महसूस कर रहे होंगे कि कातिल का नाम जानने के बाद आप रिलैक्स महसूस कर रहे हैं। क्यों कि यह बात आप भी समझते हैं कि रोमेश जैसा व्यक्ति आपका कत्ल नहीं कर सकता, आपको तो क्या वह किसी को भी नहीं मार सकता, वह कानून का एक ईमानदार प्रतीक माना जाता है, ऐसा शख्स कत्ल कैसे कर सकता है ? वो भी इस तरह कि सारे शहर को बता कर चले। तारीख मुकर्रर कर दे।"
"हाँ, यह तो है, मगर धमकी देकर मुझे तो परेशान किया ही न उसने।"
"अब पुलिस को उससे निपटने दें और अगर ऐसी कोई आशंका होगी भी, तो हम साले को नौ जनवरी को ही ठिकाने लगा देंगे, मगर अभी उसको कुछ नहीं कहना।"
"बटाला से कहो कि वह उसके फ्लैट की घेरा बंदी हटा दे।"
"घेरा बन्दी तो चलने दे, अब हम भी तो उस पर कड़ी नजर रखेंगे। उसकी बीवी उसे छोड़कर चली गई है, इसी वजह से हो सकता है कि वह कुछ पगला गया हो।"
"उसकी बीवी कहाँ है ?"
"यह हमें भी नहीं मालूम, हमने जरूरत भी नहीं समझी, हम उसे सबक तो पढ़ाना चाहते थे पर सबक का मतलब यह तो नहीं कि उसे कत्ल कर डालें, कत्ल तो अंतिम स्टेज है। जब सारे फ़ॉर्मूले फेल हो जायें और पानी सर से ऊपर चला जाये, अभी तो पानी घुटनों में भी नहीं है।"
"मायादास तुम वाकई अक्लमंद आदमी हो, हम तो गुस्से में उसे मरवा ही देते।"
"अब आप माफिया किंग नहीं, एक लीडर हैं। सियासी लोग हर चाल सोच-समझकर चलते हैं।" जनार्दन नागा रेड्डी अब नॉर्मल था। वह रात के फोन का इन्तजार करने लगा। वह जानता था कि रोमेश का फोन फिर आयेगा, आज जे.एन. उसका जमकर उपहास उड़ाना चाहता था।
उधर माया देवी की नौकरानी ने फ्लैट का दरवाजा खोला।
"कहिये आपको किससे मिलना है?" रोमेश ने अपना विजिटिंग कार्ड देते हुए कहा :
"मैडम माया देवी से कहिये, मैं उनसे एक केस के सिलसिले में मिलना चाहता हूँ, उनके फायदे की बात है।"
नौकरानी द्वार बंद करके अन्दर चली गई। कुछ देर बाद वह आई और उसने रोमेश को अंदर आने का संकेत किया। रोमेश सिटिंग रूम में बैठ गया। थोड़ी देर बाद माया देवी प्रकट हुई, वह लम्बे छरहरे कद की खूबसूरत महिला थी। नीली बिल्लौरी आँखें, गोरा रंग, गदराया हुआ यौवन, सचमुच जे.एन की पसंद जोर की थी।
कुछ देर तक तो रोमेश उसे ठगा-सा देखता रह गया। "नौकरानी पानी लेकर आ गई।"
"लीजिये !" माया देवी ने कहा, "पानी।"
"हाँ ।" रोमेश ने गिलास लिया और फिर पानी पी गया,
"मुझे रोमेश कहते हैं।" पानी पीने के बाद उसने कहा।
"नाम सुना है अख़बारों में। कहिये कैसे आना हुआ मेरे यहाँ ?"
रोमेश सीधा हो गया। उसने नौकरानी की तरफ देखा। रोमेश का आशय समझ कर माया ने नौकरानी को किचन में भेज दिया।
"अब बोलिये।"
"मैं आपको एक मुकदमे में गवाह बनाने आया हूँ।"
"इंटरेस्टिंग, किस किस्म का मुकदमा है ?"
"मर्डर केस ! कोल्ड ब्लडेड मर्डर केस।"
"ओह माई गॉड ! मैं किसी मर्डर केस में गवाह..।"
"हाँ, चश्मदीद गवाह! यानि आई विटनेस !"
"आप कुछ पहेली बुझा रहे हैं, मैंने तो आज तक कोई मर्डर होते हुए नहीं देखा।"
"अब देख लेंगी।" रोमेश ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा,
"आप एक मर्डर की चश्मदीद गवाह बनेंगी, डेम श्योर ! आप घबराना मत।"
"आप तो पहेली बुझा रहे हैं ?"
"दस तारीख की रात यह पहेली खुद हल हो जायेगी, बस आप मुझे पहचानकर रखें।" रोमेश ने उठते हुए कहा !
"मेरा यह गेटअप पसंद आया आपको, इसी को पहन कर मैंने एक कत्ल करना है और उसी वक्त की आप चश्मदीद गवाह बनेंगी।
अदालत में मुलजिम के कटघरे में, मैं खड़ा होऊंगा और तब आप कहेंगी, योर ऑनर यही वह शख्स है, जो पांच जनवरी को मेरे पास आकर बोला कि मैं तुम्हारे सामने ही एक आदमी का कत्ल करूंगा और इसने कर दिया।"
"इंटरेस्टिंग स्टोरी, अब आप जाने का क्या लेंगे ?"
"मैं जा ही रहा हूँ, लेकिन मेरी बात याद रखना मैडम माया देवी ! आप जैसी हसीन बला को आई विटनेस बनाते हुए मुझे बड़ी ख़ुशी होगी , गुडलक। "
रोमेश ने मफलर चेहरे पर लपेटा और सीटी बजाता बाहर निकल गया। माया देवी ने फ्लैट की खिड़की से उसे मोटर साइकिल पर बैठकर जाते देखा और फिर बड़बड़ाई,
"शायद पागल हो गया है।" रात को रोमेश ने फिर जनार्दन को फोन किया। इस बार जनार्दन जैसे पहले से तैयार बैठा था।
"हैल्लो, जे.एन. स्पीकिंग।" जनार्दन ने बड़े संयत स्वर में कहा।
"मैं रोमेश बोल रहा हूँ।" रोमेश ने मुस्कुरा कर कहा,
"एडवोकेट रोमेश सक्से तुम्हारा…। "
"होने वाला कातिल।" बाकी जुमला जे.एन. ने पूरा किया।
"तो तुम्हें मालूम हो चुका है ?" रोमेश ने कहा।
"हाँ, मैं तो तुम्हारे फोन का ही इंतजार कर रहा था। मैं सोच रहा था कि इस बार हमारा पाला किसी खतरनाक आदमी से पड़ गया है, मगर यह तो वह कहावत हुई-खोदा पहाड़ निकली चुहिया।"
"इस बात का पता तो तुम्हें दस जनवरी को लगेगा जे.एन.।"
"अरे दस किसने देखी, तू अभी आजा ! जितने चाकू तूने हमें मारने के लिए खरीदे हैं, सब लेकर आजा। तेरे लिए तो मैं गार्ड भी हटा दूँगा।"
"हर काम शुभ मुहूर्त में अच्छा होता है। तुम्हारी जन्म कुंडली में दस जनवरी का दिन बड़ा मनहूस दिन है और मेरी जन्म कुंडली का सबसे खुशनसीब दिन, इस दिन मैं कातिल बन जाऊंगा और तुम दुनिया से कूच कर चुके होंगे।"
"खैर मना कि तू अभी तक जिन्दा है साले ! जे.एन. को गुस्सा आ गया होता, तो जहाँ तू है, वहीं गोली लग जाती और इतनी गोलियां लगतीं कि तेरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी धुआं उठता नजर आता।"
"मालूम है। चार आदमी अभी भी मेरी निगरानी कर रहे हैं। जाहिर है कि हथियारों से लैस होंगे। मेरी तरफ से पूरी छूट है, चाहे जितनी गोलियां चला सकते हो। ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा। तुम चूकना चाहो, तो चूक जाओ जे.एन. ! मगर मैं चूकने वाला नहीं।"
इतना कहकर रोमेश ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया। रोमेश ने वहीं से एक नंबर और मिलाया। दूसरी तरफ से कुछ देर बाद एक लड़की बोली।
"हाजी बशीर को लाइन दो मैडम !"
"कौन बोलता ?" मैडम ने पूछा।
"बोलो एडवोकेट रोमेश सक्सेना का फोन है। "
"होल्ड ऑन प्लीज।" रोमेश ने होल्ड किये रखा। कुछ देर बाद ही बशीर की आवाज फोन पर सुनाई दी
"कहो बिरादर, हम बशीर बोल रहे हैं।"
"हाजी बशीर, मैंने फैसला किया है कि आइन्दा आपके सभी केस लडूँगा।"
"वाह जी, वाह ! क्या बात है ? यह हुई न बात। अब तो हम दनादन ठिकाने लगायेंगे अपने दुश्मनों को। आ जाओ, दावत हो जाये इसी बात पर।"
"मेरे पी छे कुछ गुंडे लगे हैं।"
"गुण्डे, लानत है। साला मुम्बई में हमसे बड़ा गुंडा कौन है, कहाँ से बोल रहे हो?"
"माहिम स्टेशन के पास।"
"गुण्डों की पहचान बताओ और एक गाड़ी का नंबर नोट करो। MD 9972 ये हमारा गाड़ी है, अभी माहिम स्टेशन के लिए रवाना होगा।
तुम अभी स्टेशन से बाहर मत निकलना, हमारा गाड़ी देखकर निकलना, हमारा आदमी की पहचान नोट करो, वो कार से उतरकर स्टेशन पर टहलेगा। बस उसको बता देना कि गुंडा किधर है, उसका लम्बी-लम्बी मूंछें हैं, दाढ़ी रखता है, काले रंग का पहलवान, गले में लाल रुमाल होगा। वो तुमको जानता है, सीधा तुम्हारे पास पहुँचेगा और फिर जैसा वो कहे, वैसा करना।
ओ.के. ?"
"ओ.के.।"
"डोंट वरी यार, हाजी बशीर को यार बनाया है, तो देखो कैसा मज़ा आता है जिन्दगी का।" रोमेश ने फोन काट दिया। उसकी मोटर साइकिल पार्किंग पर खड़ी थी, एक गुंडा तो स्टेशन पर टहल रहा था, दो पार्किंग में अपनी कार में बैठे थे, चौथा एक रेस्टोरेंट के शेड में खड़ा था। रोमेश ने उस कार का नम्बर भी नोट कर लिया था। वो स्टेशन पर ही टहलता रहा। कुछ देर बाद ही बशीर द्वारा बताये नंबर की कार स्टेशन के बाहर रुकी। उससे काला भुजंग पहलवान सरीखा व्यक्ति बाहर निकला। उसने इधर-उधर देखा, फिर उसकी निगाह रोमेश पर ठहर गई।
वह स्टेशन में दाखिल हुआ, कार आगे बढ़ गई। रोमेश प्लेटफार्म नंबर एक पर आ गया। वह व्यक्ति भी रोमेश के पास आकर इस तरह खड़ा हो गया, जैसे गाड़ी की प्रतीक्षा में हो।
"हुलिया नोट करो।" रोमेश ने कहा, "एक बाहर ही खड़ा है दुबला-पतला, काली पतलून लाल कमीज पहने, देखो प्लेटफार्म पर इधर ही आ रहा है।"
"आगे बोलो।"
"बाकि तीन बाहर है, दो गाड़ी में, गाड़ी नंबर।" रोमेश ने नंबर बताया।
"अब हम जो बोलेगा , वो सुनो।"
"बोलो।"
"इधर से तुम होटल अमर पैलेस पहुँचो, उधर तुम डिस्को क्लब में चले जाना। उसके बाद सब हम पर छोड़ दो, वो होटल अपुन के बशीर भाई का है।"
रोमेश स्टेशन से बाहर निकला और फिर पार्किंग से अपनी मोटरसाइकिल उठा कर चलता बना। अब उसकी मंजिल होटल अमर पैलेस था। वरसोवा के एक चौक पर यह होटल था। रोमेश ने जैसे ही मोटरसाइकिल रोकी, उसे पीछे एक धमाका-सा सुनाई दिया, उसने पलटकर देखा, तो नाके पर दो गाड़ियाँ आपस में टकरा गई थी। उनमें से एक कार पलटा खा गई थी। पलटा खाने वाली वह कार थी, जिसमें उसका पीछा करने वाले सवार थे। उस कार में एक तो कार में फंसा रह गया। तीन बाहर निकले। उधर बशीर के आदमी भी बाहर निकल आए थे। दोनों पार्टियों में मारपीट शुरू हो गई। देखते-देखते वहाँ पुलिस भी आ गई, परन्तु तब तक बशीर के आदमियों ने पीछा करने वालों की अच्छी खासी मरम्मत कर दी थी। जाहिर था कि आगे का मामला पुलिस को निपटा ना था। आश्चर्यजनक रूप से पुलिस ने उन्हीं लोगों को पकड़ा, जो पिटे थे और पीछा कर रहे थे। बशीर के आदमी धूल झाड़ते हुए अपनी कार में सवार हुए और आगे बढ़ गये। लोग दूर से तमाशा जरुर देखते रहे, लेकिन कोई करीब नहीं आया। रोमेश अमर पैलेस में मजे से डिनर कर रहा था।
जारी रहेगा …..![]()
Romesh ko to nahi pata per kisi ko to pata hi hai, aage aane wale updates me pata lag jayega bhai,वाह कहानी को पूरा इंट्रेस्टिंग बना दिया है आपने और सस्पेंस तो हर अपडेट के साथ और बढ़ता जा रहा है । रोमेश का गेम भी बड़ा ग़ज़ब और बड़ा नज़र आ रहा है । जे एन के आदमियों से निपटने के लिए बशीर का भी इस्तेमाल कर लिया है ।
गवाह पर गवाह तैयार किए जा रहे है । और ये सीमा किस पाताल मैं छुपी हुई है ।
रमेश का पता नहीं मुझे तो उसी के बारे मैं जानना है
कब आएगी वो![]()
Thanks brotherNice and superb update....
Shankar ReddyRomesh ko to nahi pata per kisi ko to pata hi hai, aage aane wale updates me pata lag jayega bhai,
Thank you very much for your wonderful review despicable![]()
AgleyShankar Reddy
Aashu baby your review still pendingLemme unignore every those stupid ones to see their content![]()