- 9,925
- 32,970
- 204

UPDATE 1 | UPDATE 2 | UPDATE 3 | UPDATE 4 | UPDATE 5 | UPDATE 6 | UPDATE 7 | UPDATE 8 | UPDATE 9 | UPDATE 10 |
UPDATE 11 | UPDATE 12 | UPDATE 13 | UPDATE 14 | UPDATE 15 | UPDATE 16 | UPDATE 20 |
Last edited:
UPDATE 1 | UPDATE 2 | UPDATE 3 | UPDATE 4 | UPDATE 5 | UPDATE 6 | UPDATE 7 | UPDATE 8 | UPDATE 9 | UPDATE 10 |
UPDATE 11 | UPDATE 12 | UPDATE 13 | UPDATE 14 | UPDATE 15 | UPDATE 16 | UPDATE 20 |
Gajab h hogyo bhayo ye to dekhte h ab sandhya ko kon bachata hUPDATE 38
राजू – अरे यार ये राज कहा रह गया डेढ़ घंटे से इंतजार कर रहे है अभी तक आया क्यों नहीं ये....
लल्ला –(हस्ते हुए) मुझे तो लगता है रास्ते में जरूर हमारी चांदनी भाभी मिल गई होगी इसे वही अटक गया होगा बेचारा....
अभय –चल बे दीदी को कोई सपना थोड़ी आया होगा जो राज से मिलने आएगी रास्ते में...
राजू –(कुछ सोचते हुए) या फिर कही राज ने ही बुला लिया मिलने चांदनी भाभी को क्योंकि भाभी भी अकेली और राज भी अकेला और उसपे हसीन मौका भी है भाई....
अभय –(राजू की बात समझ के) सही बोला बे कुछ भी कर सकता है राज साला कॉलेज की छुट्टी के वक्त भी गायब हो जाता था दीदी के साथ चल बे चलते है रस्ते में मिल जाएगा पक्का....
बोल के तीनों बाइक में बैठ के निकल जाते हैं गांव की तरफ तेजी से जाते है काफी दूर आने पर....
अभय –(बाइक चलाते हुए सामने देख एक कार पेड़ से टकराई होती है) अबे ये किसकी कार है....
राजू और लल्ला –(कार को देख एक साथ) अबे ये तो ठकुराइन की कार है....
अभय तुरंत बाइक रोक उतर के तीनों पास जाते है सामने का नजारा देख....
अभय –(कार में राज और उसके कपड़े को खून से सना देख जोर से चिल्ला के) राज राज राज क्या हुआ तुझे...
राजू और लल्ला एक साथ – ये क्या हो गया राज को (राज को हिला के) उठ जा यार ये क्या हो गया तुझे....
तभी राजू की नजर सीट के पीछे चांदनी पर जाति है....
राजू –(चिला के) चांदनी भाभी....
अभय –(चांदनी का नाम सुन पीछे अपनी दीदी को देख रोते हुए) दीदी दीदी ये क्या हो गया आपको....
लल्ला – (घबराहट में) अभय राजू जल्दी से चलो अस्पताल चलो जल्दी से यार....
राजू जल्दी से राज को चांदनी के साथ पीछे बैठा देता है बीच में अभय दोनो को पकड़ के....
अभय –(रोते हुए) राज , दीदी , जल्दी चल राजू प्लीज जल्दी चल...
राजू –(जल्दी में) हा चलता हू (लल्ला से) तू बाइक लेके सीधा अस्पताल पहुंच वही मिलते है...
बोल के राजू कार को स्टार्ट कर तेजी से निकल जाता है अस्पताल पीछे से लल्ला बाइक स्टार्ट कर जैसे ही आगे चलने को होता है उसे रास्ते में एक मोबाइल पड़ा मिलता है उसे उठा के जैसे ही देखता है उसमे ठकुराइन और साथ में अभय को फोटो होती है बीना कुछ सोचे तुरंत अपनी जेब में रख के निकल जाता है लल्ला तेजी से अस्पताल की तरफ थोड़ी देर में अस्पताल में आते ही राज और चांदनी को अभय और राजू अपनी गोद में उठा के अस्पताल के अन्दर ले जाते है डॉक्टर राज को देखते पहचान के तुरंत इलाज करना शुरू कर देता है दोनो का राजू और अभय बाहर रुक के राज और चांदनी को देखते रहते है....
अभय –(रोते हुए) ये सब कैसे हो गया राजू ....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) घबरा मत मेरे भाई सब ठीक हो जाएगा थोड़ा रुक डाक्टर देख रहा है ना दोनो को....
ये दोनो बात कर रहे होते है तभी लल्ला आ जाता है....
लल्ला –(दोनों से) क्या हुआ कहा है दोनो....
राजू –डॉक्टर देख रहा है दोनो को कमरे में....
लल्ला –(राजू को एक साइड लाके मोबाइल दिखाते हुए) ये देख राजू राज और चांदनी भाभी अकेले नही थे मुझे लगता है शायद ठकुराइन भी थी साथ में....
राजू –(लल्ला की बात सुन चौक के) क्या...
लल्ला – हा बे वर्ना ठकुराइन की कार क्यों थी वहा पर और ये मोबाइल भी ठकुराइन का है देख इसमें ठकुराइन और अभय की तस्वीर है बचपन की....
राजू –(मोबाइल को देख) इसका मतलब ठकुराइन भी थी साथ में इनके लेकिन ठकुराइन कहा चली गई फिर....
लल्ला – पता नही यार मैं तुरंत निकल आया यहां....
राजू – (लल्ला की बात सुन) अबे तू साला सच में गधा का गधा ही रहेगा....
इससे पहले राजू कुछ बोलता डाक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख....
अभय –(डॉक्टर के पास जाके) डाक्टर अब कैसे है राज और दीदी....
डॉक्टर – आपकी दीदी तो बेहोश है लगता है किसी ने (chloroform) क्लोरोफॉर्म से बेहोश किया है और राज की आखों में मिट्टी डाल के काफी मार मारी है किसी ने उसे नर्स राज की आखों और जख्मों को साफ कर रही है डरने की जरूरत नहीं है बस थोड़ा इंतजार करे आप....
डॉक्टर की बात सुन अभय धम से जमीन में बैठ जाता है जिसे देख राजू और लल्ला संभालते है अभय को....
राजू – (अभय से) तू चिंता मत कर अभय सुना नही डॉक्टर ने क्या कहा डरने की जरूरत नहीं है...
अभय –(रोते हुए गुस्से में) जिसने भी ये किया है उसे मैं जिंदा नही छोड़ऊ गा एक बार पता चल जाए कौन है वो जिसने ये करके अपनी मौत को दावत दी है....
राजू –(अभय की बात सुन लल्ला को इशारा करके) तू यही रुक अभय के साथ मैं काका काकी को बता देता हू कौल पर....
लल्ला – लेकिन वो ठकुराइन का मोबाइल उसका...
राजू –(बीच में) काका काकी को बता के मैं जाता हू वही पर देखने क्या पता कुछ पता चल जाए ठकुराइन का तू बस यही रुक इंतजार कर मेरे आने का...
बोल के राजू निकल जाता है अभय की बाइक लेके रास्ते में राज के मां बाप को कॉल कर के अस्पताल में आने का बोल के उसी जगह जहा एक्सीडेंट हुआ था आते ही वहा पर चारो तरफ देखने लगता है राजू काफी देर तक देखने के बाद राजू को वहा पर कुछ नही मिलता है थक हार के राजू निकल जाता है वापस अस्पताल की तरफ इस तरफ राजू के निकलने के थोड़ी देर बाद गीता देवी आती है अस्पताल में....
गीता देवी –(अस्पताल में आते ही अभय जो जमीन में बैठ रो रहा था और लल्ला को देख) क्या हुआ अस्पताल में क्यों बुलाया राजू ने मुझे....
लल्ला –(गीता देवी को कुर्सी में बैठा के) आप बैठो पहले काकी और ध्यान से सुनो राज और चांदनी भाभी का एक्सीडेंट हुआ है डाक्टर देख रहे है दोनो को....
गीता देवी –(एक्सीडेंट की बात सुन घबरा के) क्या बकवास कर रहे हो तुम (खड़ी होके अभय के पास जाके कंधा पकड़ के) क्या हुआ कहा है राज....
अभय –(रोते हुए) वो अन्दर है बड़ी मां डॉक्टर देख रहा है...अभय से सुन के गीता देवी की आंख से आसू आने लगाते है जिसे देख....
अभय – (गीता देवी को संभालते हुए) बड़ी मां राज ठीक है अब डाक्टर ने बोला है वो ठीक है....
गीता देवी – और चांदनी.…
अभय – दीदी भी ठीक है....
तभी नर्स बाहर आती है....
गीता देवी –(नर्स से) अब कैसा है मेरा बेटा...
नर्स –अब ठीक है जख्मों की ड्रेसिंग कर दी है और आखों में पड़ी मिट्टी को साफ कर दिया है 24 घंटे तक आखों में पट्टी बंधी रहेगी उसके....
गीता देवी – हम मिल सकते है राज से...
नर्स –माफ करिए गा अभी होश नही आया है राज को जब तक होश नही आता आप बस देख सकते है उसे...
गीता देवी –(नर्स की बात सुन) होश नही आया का क्या मतलब है आपका....
नर्स –देखिए राज को काफी मार पड़ी है जिसकी वजह से खून भी काफी बहा उसका हमने खून दे दिया है उसे बस होश में आने का इंतजार कर रहे है....
अभय –(घबरा के) कब तक होश आएगा उसे....
नर्स – हो सकता है एक से दो घंटे लग जाय या शायद चौबीस घंटे भी लग सकते है....
अभय –और मेरी दीदी....
नर्स –वो ठीक है उन्हे इंजेक्शन दे दिया है कुछ ही समय में होश आ जाएगा आपकी दीदी को....
बोल के नर्स चली गई....
गीता देवी –(अभय से) ये सब हुआ कैसे अभय....
गीता देवी की बात सुन अभय ने कल से लेके राज का को प्लान था घूमने का और अभी तक सब बता दिया जिसे सुन...
गीता देवी – संध्या की कार वहा पर कैसे....
तभी लल्ला ने गीता देवी को इशारा किया जिसे समझ के गीता देवी ने अभय को बैठने को कह के लल्ला की तरफ साइड में आके....
गीता देवी –(लल्ला से) क्या बात है बेटा तूने इशारा क्यों किया....
फिर लल्ला ने एसिडेंट के बाद मोबाइल से लेके राजू की कही सब बात बता दी जिसे सुन....
गीता देवी – इसका मतलब संध्या भी साथ में थी लेकिन वो कहा गई फिर....
लल्ला – पता नही काकी लेकिन राजू गया है देखने वही पर वापस....
गीता देवी –जल्दी से कॉल मिला के पता कर राजू को कुछ पता चला संध्या का मिली उसे....
गीता देवी की बात सुन लल्ला तुरंत कौल करने लगा राजू को तभी सामने से राजू आता नजर आया जिसे देख....
गीता देवी –(राजू के पास जाके) क्या हुआ राजू कुछ पता चला क्या संध्या का....
राजू – नही काकी वहा कुछ नही मिला मुझे....
गीता देवी –(अपने सिर में हाथ रख के) हे भगवान ये सब क्या हो रहा है...
अभय –(बीच में आके) क्या हुआ बड़ी मां क्या हो रहा है....
लल्ला –(बीच में) कुछ नही अभय वो काकी राज के लिए परेशान हो रही है इसीलिए....
अभय –नही अभी राजू ने कुछ कहा तभी बड़ी मां घबरा के बोली है कुछ (गीता देवी से) बड़ी मां सच सच बताओ बात क्या है....
गीता देवी –अभय बेटा देख बात ये है की वो कार संध्या की थी लेकिन अजीब बात है लल्ला को संध्या का मोबाइल मिला वही पर लेकिन संध्या का कोई पता नही चला....
अभय –(संध्या के बारे में सुन के) वो वहा पर क्या कर रही थी इनके साथ....
किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या हुआ कैसे हुआ ये सब और संध्या कहा है यही सब सोच लेके राज के कमरे के बाहर बैठे हुए थे सब की तभी नर्स ने आके बोला....
नर्स –(अभय से) आपकी दीदी को होश आ गया है....
दीदी के होश में आने की बात सुन अभय तुरंत भाग के गया चांदनी के पास जो बेड से उठ रही थी....
अभय –(चांदनी के पास आके कंधे पे हाथ रख के) दीदी आप बैठेरहो , अब कैसे हो आप....
चांदनी – (अभय को देख अपने आप को अस्पताल में पा के) मैं यहां पर कैसे और राज कहा है और मौसी कहा है....
गीता देवी –(चांदनी के पास आके सारी बात बता के) आखिर हुआ क्या था वहा पर और राज तुम लोग के साथ कैसे आया....
चांदनी –(गीता देवी की बात सुन तुरंत उठ के राज के पास जाके उसकी हालत देख रोते हू) ये कैसे हुआ किसने की इसकी ये हालत....
अभय –दीदी यही बात तो हमे भी समझ नही आ रही है....
चांदनी –(गीता देवी , अभय , राजू और लल्ला को सारी बात बता के) हम कार से निकले थे तभी किसी ने मेरे मू पे रुमाल लगा दिया उसके बाद का कुछ पता नही मुझे....
राजू – तो फिर ठकुराइन कहा गई मैंने उनको वहा पर हर जगह देखा लेकिन कही नही मिली मुझे....
अभय –शायद राज को पता हो सकता है....
लल्ला –(अभय को संध्या का मोबाइल देते हुए) ये मुझे मिला था वही रास्ते में....
संध्या का मोबाइल अपने हाथ में लेके अभय ने देखा जिसमे वॉलपेपर में संध्या के साथ अभय की बचपन की तस्वीर थी देख के अपनी जेब में रख दिया मोबाइल इस तरफ चांदनी ने तुरंत ही अपने मोबाइल से किसी को कौल कर के सारी जानकारी दी जिसके कुछ देर बाद 3 लोग चांदनी के पास आ गए अनिता , आरव और रहमान....
चांदनी –(तीनों को देख जो हुआ सब बता के) कैसे भी करके पता करो जिसपर शक आए पकड़ लो उसे भागने की कोशिश करे गोली मार दो पैर पर मुझे सारी जानकारी चाहिए किसी भी कीमत पर....
अनिता –और हवेली में....
चांदनी – क्या मतलब है हवेली से तुम्हारा....
अनिता – अभी आपने बताया हवेली में पता था सबको आप लोगो के जाने का....
चांदनी – नही उन्हें कुछ मत बोलना उनको सिर्फ इनफॉर्म कर दो इस हादसे के बारे में लेकिन किसी गांव वाले से कहलवाना खुद मत जाना समझे....
अनिता –ठीक है मैडम एक बात और है मैडम....
चांदनी – क्या बात है....
अनिता – परसो समुंदर के रास्ते माल आ रहा है रमन का और शालिनी मैडम को बात पता चल गई है इस बारे में.....
चांदनी –(चौक के) मां को ये बात कैसे पता चली....
अनिता –(अभय की तरफ देख धीरे से कान में) अभय ने शालिनी मैडम को कौल किया था और ये सारी जानकारी अभय ने दी है मैडम को....
चांदनी – CONFIRM....
अनिता – मेरे पास कौल के रिकॉर्ड है अभय के और उस दिन सरपंच शंकर के कहने पर अटैक हुआ था अभय पर इन सब के पीछे रमन का हाथ है उसी के कहने पर ये सब हुआ था और इन सब की जानकारी अभय को शंकर से मिली है....
चांदनी – (अनिता से बात सुन के) कहा है शंकर इस वक्त....
अनिता – अभय को पता है कहा है शंकर....
चांदनी –(बात समझ के) पहले पता करो संध्या मौसी के बारे में कहा है वो इस बारे में बाद में देखा जाएगा....
अनिता – ठीक है मैडम....
बोल के तीनों निकल गए....
चांदनी –(अभय को देख अपने मन में – मां सच बोल रही थी अभय खुद सच का पता लगा रहा है और मां को सब बता दिया लेकिन मुझे बताना जरूरी नहीं समझा सच में अलबेला है मेरा भाई)....
अभी कुछ ही देर हुई थी की हवेली से रमन , मालती , ललिता , शनाया और अमन अस्पताल में आ गए आते ही...
मालती – (चांदनी के पास जाके) कैसी हो चांदनी क्या हुआ है दीदी कहा है....
चांदनी – (सारी घटना बता के) पता नही कौन थे वो लोग कहा ले गए है मौसी को....
इनकी बात सुन के रमन का ध्यान अभय की तरफ गया और तभी....
रमन –(अभय के पास जाके उसका कॉलर पकड़ के) तेरी वजह से हो रहा है ये सब जब से गांव में आया है तब से ही अशांति आ गई है हवेली में....
ललिता –(बीच में आके रमन का हाथ हटा के अभय के कॉलर से) ये वक्त इन सब बातो का नही है दीदी के बारे में पता लगाना है कहा है किस हाल में है वो....
रमन –(अभय को घूरते हुए) तुझे तो मैं बाद में देख लूंगा पहले भाभी का पता लगा लू....
बोल के रमन अस्पताल से बाहर निकल गया साथ में अमन भी पीछे मालती और शनाया बात कर रही थी चांदनी से जबकि इस तरफ राज और चांदनी की हालत की वजह से अभय पहले गुस्से में था उपर रमन की हरकत की वजह से अभय के गुस्से का पारा बड़ गया और तभी रमन के पीछे जाने लगा अभय तभी किसी ने अभय का हाथ पकड़ के कमरे में खीच लिया.....
ललिता –(अभय को कमरे में खीच अपने गले लगा के) शांत होजा लल्ला शांत होजा....
अभय –(गुस्से में) छोड़ दो मुझे चाची मैं इसे (बोल के चुप हो गया)....
ललिता –(रोते हुए) मुझे पता था पहली मुलाकात में समझ गई थी मैं की तू ही हमारा अभय है मैं जानती हू मै माफी के लायक नही हूं....
अभय – (ललिता के आसू पोछ के) आप क्यों माफी मांग रहे हो आपने कुछ नहीं किया चाची....
ललिता – किया है लल्ला मैने भी बाकियों की तरह गलत किया तेरे साथ मेरे सामने सब कुछ हुआ तेरे साथ और जान के भी मैं चुप रही यही मेरी गलती थी लल्ला लेकिन क्या करती मजबूर थी मैं अपने बच्चो के कारण....
अभय –कोई बात नही चाची जो हो गया सो हो गया उसे बदला तो नही जा सकता है ना....
ललिता – और दीदी....
अभय – पता नही उनका कहा है वो.....
ललिता – अभय बचा ले दीदी को बचा ले वर्ना अनर्थ हो जाएगा....
अभय –(चौक के) अनर्थ क्या मतलब है आपका....
इससे पहले ललिता कुछ बोलती तभी शनाया की आवाज आई....
ललिता –(शनाया की आवाज सुन अभय से) मैं बाद में बताती हू तुझे....
बोल के ललिता बाहर निकल गई कमरे से....
शनाया –(ललिता से) रमन ने पुलिस को इनफॉर्म किया है यहां पर आई हुई है पुलिस पूछ ताछ के लिए सबसे....
बोल के शनाया , ललिता और मालती बाहर निकल दूसरी तरफ चले गए तब इंस्पेक्टर राजेश अस्पताल में आके पहले राज को देखा कमरे में जो बेहोश पड़ा हुआ था फिर डॉक्टर से बात की तभी डॉक्टर ने एक तरफ इशारा किया जहा पर राजू , लल्ला और अभय अकेले खड़े थे एक साथ तभी राजेश उनके बीच में आके....
राजेश –(बीच में आके) हादसे वाली जगह में कौन आया था पहले....
राजू – मैं आया था अपने दोस्तो के साथ वहा पर....
राजेश – तुम्हारे बाकी के दोस्त कहा पर है....
राजू –(लल्ला और अभय को बुला के) ये है मेरे दोस्त....
राजेश –(अभय को देख के) ओहो तो ये भी है यहां पे....
राजेश –(अभय के पास आके) तुम इनके दोस्त हो अजीब बात है ये तो....
अभय – इसमें अजीब क्या है इंस्पेक्टर ये इंसान नही है क्या....
राजेश – मुझे लगा तुम अपने बराबर वालो से दोस्ती रखते होगे....
अभय – दोस्ती और प्यार में बराबरी नही देखी जाती है इंस्पेक्टर जो ये करता है वो प्यार या दोस्ती नही सिर्फ सौदा करता है....
राजेश – अच्छा एक बात तो बताओ हादसे वाली जगह में सिर्फ तुम ही कैसे आए और भी तो लोग गुजरते होगे उस जगह से सिर्फ तुम तीनो ही क्यों....
चांदनी –(बिना किसी की नजर में आए एक कोने में खड़ी होके देख और सुन रही थी राजेश की बात तभी गुस्से में बीच में आके) अपनी हद में रहो इंस्पेक्टर राजेश जब से तू आया तब से ही तेरी घटिया हरकत देख रही हू मै....
राजेश – (चांदनी से ऐसी बात सुन गुस्से में) क्या बोली , तू मेरा नाम लेके बात कर रही है जानती है किस्से बात कर रही है तू....
चांदनी –(अपना आई कार्ड दिखा के) अब समझ आया तू किस्से बात कर रहा है....
राजेश –(चांदनी का आई कार्ड देख चौकते हुए डर से सैल्यूट करके) जय हिंद मैडम , मुझे माफ करिएगा मैडम....
चांदनी – अपनी फालतू की बकवास बाद में करना पहले जाके पता लगा ठकुराइन का और याद रहे उससे पहले तेरी शकल नही दिखनी चाहिए मुझे निकल....
राजेश –(डर से सैल्यूट करके) ठीक है मैडम....
बोल के तुरंत निकल गया अस्पताल से बहरा आते ही रमन से....
राजेश – (गुस्से में) ये क्या बेहूदगी है रमन इतना घटिया मजाक मेरे साथ....
रमन –ये क्या बकवास कर रहे हो तुम मैने कब मजाक किया तुम्हारे साथ....
राजेश –ये मजाक नही तो और क्या है C B I OFFICER तुम्हारे घर में बैठी है और तुमने मुझे बताया तक नही....
रमन –(राजेश की बात सुन चौक के) क्या मेरे घर में C B I OFFICER दिमाग तो सही है ना तुम्हारा....
राजेश –क्या मतलब है तुम्हारा तुम्हे नही पता चांदनी ही C B I OFFICER है....
बोल के राजेश तुरंत निकल गया पीछे रमन अपने आप से.....
रमन –(चांदनी का नाम सुन मन में – ये C B I OFFICER है लेकिन यहां गांव में क्यों कही इसे मेरे काम पर शक तो नही हो गया , शायद इसीलिए ये हवेली में आके रहने लगी है लेकिन इसे संध्या ने बुलाया था कही संध्या को पता नही चल गया मेरे काम के बारे में तभी C B I OFFICER को बुलाया हो यहां गांव में हा यही हो सकता है तभी मैं सोचू मेरी चिड़िया क्यों उड़ने लगी है इतना कोई बात नही संध्या रानी अब देख कैसे मैं खेल खेलता हू तेरे साथ)....
मन में सोचते हुए निकल गया रमन अस्पताल के बाहर लेकिन अस्पताल के अन्दर....
इन सब बातो से अंजान मालती , शनाया और ललिता तीनों गीता देवी के साथ बात कर रहे थे तभी चांदनी उनके पास आई....
मालती –राज को होश कब आएगा....
चांदनी – डॉक्टर का कहना है शायद 24 घंटे लग सकते है होश आने में राज को....
कुछ देर बात करने के बाद मालती , ललकिता और शनाया निकल गए हवेली की इनके जाने के बाद इस तरफ अभय , राजू , लल्ला और गीता देवी एक साथ बैठे हुए थे कमरे के बाहर तभी नर्स आके बोली....
नर्स – (गीता देवी से) काकी राज के लिए कुछ कपड़े ले आइए आप , खून से सने कपड़े उतार दिए है दूसरे पहनाने है उसे और ये (राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी को देते हू) इसे धुलवा दीजिए गा....
बोल के नर्स चली गई तभी....
अभय –(राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी के हाथ से लेते हुए) मैं इसे रखता हू बड़ी मां आप राजू के साथ जाके ले आओ राज के लिए कपड़े....
गीता देवी – लेकिन बेटा ये खून वाली शर्ट मुझे दे दो मैं धोने को डाल दुगी....
अभय –नही बड़ी मां अभी नही अभी इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है मुझे ये मेरे पास रहेगी....
अभय की बात सुन गीता देवी के साथ राजू और लल्ला को कुछ समझ नही आया तब....
गीता देवी –ठीक है मैं राज के लिए कपड़े लेके आती हू....
बोल के गीता देवी चली गई राजू के साथ घर की तरफ....
काफी देर तक चहल पहल चलती रही अस्पताल में कुछ समय बाद गीता देवी राज के कड़पो के साथ खाना भी लेके आई सभी के लिए मन किसी का नही था खाने का लेकिन गीता देवी को मना नही कर पाया कोई रात काफी हो गई थी गीता देवी , चांदनी एक साथ राज के कमरे में बगल में बिस्तर लगा के लेटे थे वही अभय राज के दूसरी तरफ कुर्सी में बैठा बस राज को देखे जा रहा था कुछ देर बैठता तो कुछ देर के लिए कमरे से बाहर निकल जाता कमरे के बाहर आते ही राजू और लल्ला बैठे हुए थे नीद किसी की आखों में नही थी सिर्फ इंतजार कर रहे थे राज के होश में आने का सब , बाहर कुछ देर दोस्तो के साथ बैठे बैठे कुर्सी में अभय को नीद आ गई जब की इस तरफ खंडर में जब संध्या को किडनैप कर के चुप चाप लाया गया बीना किसी की नजर में आए खंडर में आते ही संध्या को बेड में लेटा दिया काफी देर बाद संध्या को होश आया अपने आप को एक वीरान जगह पा के....
संध्या – ये मैं कहा आ गई कॉन लाया है मुझे यहां पर....
आदमी –(संध्या के सामने अंधेरे में) मैं लाया हू यहां पर आपको....
संध्या –(आवाज सुन के) ये जानी पहचानी आवाज लगती है कौन हो तुम और क्यों लाय हो मुझे यहां पे....
मुनीम –(हस्ते हुए अंधेरे से संध्या के सामने आके) अब पहचाना आपने मालकिन मैं कौन हू....
संध्या –मुनीम तुम कौन सी जगह है ये है और क्यों लाय हो यहां मुझे....
मुनीम बस एक छोटा सा काम है मालकिन आपसे वो कर दीजिए उसके बाद आप जहा चाहे वहा चले जाइएगा....
संध्या – क्या मतलब है तुम्हारा और कौन से काम की बात कर रहे हो तुम....
मुनीम – गौर से देखिए इस जगह को मालकिन जानी पहचानी सी नही लगती है आपको ये जगह....
संध्या – (गौर से जगह को देखत हुए) ये तो खंडर वाली हवेली है लेकिन तुम्हे यहां क्या काम मुझ (बोलते ही दिमाग में कोई बात आई जिसका मतलब समझ के) मुनीम के बच्चे समझ गई मैं तू क्यों यहां लाया है मुझे मैं मर जाऊंगी लेकिन तुझे कभी नही बताऊंगी....
मुनीम – (हस्ते हुए) मालकिन क्या आप जानती है मरना और मारने की बात बोलने में कितना फर्क होता है जब मौत आती है उसके दर्द से ही अच्छे से अच्छे इंसानों का गुरूर टूट जाता है बस चुप चाप बता दो मालकिन वो दरवाजा कहा है यहां पर....
संध्या – जो करना है कर ले लेकिन तू कभी नही जान पाएगा....
संध्या का इतना ही बोलना था तभी मुनीम ने अंधेरे में किसी को इशारा किया 3 लोग निकल के आए आते ही उन तीनो ने संध्या को चारो तरफ से पकड़ लिया मतलब एक आदमी ने संध्या के दोनो हाथ को पकड़ लिया आगे से बाकी के दो आदमियों ने संध्या का एक एक पैर पकड़ लिया जिसे देख मुनीम हस्ते हुए जलती आग में पड़ी 2 सरिया निकाल के संध्या के पास आके....
मुनीम – मालकिन क्यों तकलीफ देना चाहती है खुद को बता दो कहा है वो दरवाजा....
मुनीम की बात सुन संध्या ने सिर हिला के ना में इशारा किया जिसके बाद मुनीम ने दोनो जलती सरिया संध्या के पैर के पंजों में लगा दी जिसके बाद संध्या की दर्द भरी चीख खंडर में गूंज उठी....
अभय –(डर से चिला के नीद से जागते हुए) Maaaaaaaaa
.
.
जारी रहेगा![]()
Amazing updateUPDATE 38
राजू – अरे यार ये राज कहा रह गया डेढ़ घंटे से इंतजार कर रहे है अभी तक आया क्यों नहीं ये....
लल्ला –(हस्ते हुए) मुझे तो लगता है रास्ते में जरूर हमारी चांदनी भाभी मिल गई होगी इसे वही अटक गया होगा बेचारा....
अभय –चल बे दीदी को कोई सपना थोड़ी आया होगा जो राज से मिलने आएगी रास्ते में...
राजू –(कुछ सोचते हुए) या फिर कही राज ने ही बुला लिया मिलने चांदनी भाभी को क्योंकि भाभी भी अकेली और राज भी अकेला और उसपे हसीन मौका भी है भाई....
अभय –(राजू की बात समझ के) सही बोला बे कुछ भी कर सकता है राज साला कॉलेज की छुट्टी के वक्त भी गायब हो जाता था दीदी के साथ चल बे चलते है रस्ते में मिल जाएगा पक्का....
बोल के तीनों बाइक में बैठ के निकल जाते हैं गांव की तरफ तेजी से जाते है काफी दूर आने पर....
अभय –(बाइक चलाते हुए सामने देख एक कार पेड़ से टकराई होती है) अबे ये किसकी कार है....
राजू और लल्ला –(कार को देख एक साथ) अबे ये तो ठकुराइन की कार है....
अभय तुरंत बाइक रोक उतर के तीनों पास जाते है सामने का नजारा देख....
अभय –(कार में राज और उसके कपड़े को खून से सना देख जोर से चिल्ला के) राज राज राज क्या हुआ तुझे...
राजू और लल्ला एक साथ – ये क्या हो गया राज को (राज को हिला के) उठ जा यार ये क्या हो गया तुझे....
तभी राजू की नजर सीट के पीछे चांदनी पर जाति है....
राजू –(चिला के) चांदनी भाभी....
अभय –(चांदनी का नाम सुन पीछे अपनी दीदी को देख रोते हुए) दीदी दीदी ये क्या हो गया आपको....
लल्ला – (घबराहट में) अभय राजू जल्दी से चलो अस्पताल चलो जल्दी से यार....
राजू जल्दी से राज को चांदनी के साथ पीछे बैठा देता है बीच में अभय दोनो को पकड़ के....
अभय –(रोते हुए) राज , दीदी , जल्दी चल राजू प्लीज जल्दी चल...
राजू –(जल्दी में) हा चलता हू (लल्ला से) तू बाइक लेके सीधा अस्पताल पहुंच वही मिलते है...
बोल के राजू कार को स्टार्ट कर तेजी से निकल जाता है अस्पताल पीछे से लल्ला बाइक स्टार्ट कर जैसे ही आगे चलने को होता है उसे रास्ते में एक मोबाइल पड़ा मिलता है उसे उठा के जैसे ही देखता है उसमे ठकुराइन और साथ में अभय को फोटो होती है बीना कुछ सोचे तुरंत अपनी जेब में रख के निकल जाता है लल्ला तेजी से अस्पताल की तरफ थोड़ी देर में अस्पताल में आते ही राज और चांदनी को अभय और राजू अपनी गोद में उठा के अस्पताल के अन्दर ले जाते है डॉक्टर राज को देखते पहचान के तुरंत इलाज करना शुरू कर देता है दोनो का राजू और अभय बाहर रुक के राज और चांदनी को देखते रहते है....
अभय –(रोते हुए) ये सब कैसे हो गया राजू ....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) घबरा मत मेरे भाई सब ठीक हो जाएगा थोड़ा रुक डाक्टर देख रहा है ना दोनो को....
ये दोनो बात कर रहे होते है तभी लल्ला आ जाता है....
लल्ला –(दोनों से) क्या हुआ कहा है दोनो....
राजू –डॉक्टर देख रहा है दोनो को कमरे में....
लल्ला –(राजू को एक साइड लाके मोबाइल दिखाते हुए) ये देख राजू राज और चांदनी भाभी अकेले नही थे मुझे लगता है शायद ठकुराइन भी थी साथ में....
राजू –(लल्ला की बात सुन चौक के) क्या...
लल्ला – हा बे वर्ना ठकुराइन की कार क्यों थी वहा पर और ये मोबाइल भी ठकुराइन का है देख इसमें ठकुराइन और अभय की तस्वीर है बचपन की....
राजू –(मोबाइल को देख) इसका मतलब ठकुराइन भी थी साथ में इनके लेकिन ठकुराइन कहा चली गई फिर....
लल्ला – पता नही यार मैं तुरंत निकल आया यहां....
राजू – (लल्ला की बात सुन) अबे तू साला सच में गधा का गधा ही रहेगा....
इससे पहले राजू कुछ बोलता डाक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख....
अभय –(डॉक्टर के पास जाके) डाक्टर अब कैसे है राज और दीदी....
डॉक्टर – आपकी दीदी तो बेहोश है लगता है किसी ने (chloroform) क्लोरोफॉर्म से बेहोश किया है और राज की आखों में मिट्टी डाल के काफी मार मारी है किसी ने उसे नर्स राज की आखों और जख्मों को साफ कर रही है डरने की जरूरत नहीं है बस थोड़ा इंतजार करे आप....
डॉक्टर की बात सुन अभय धम से जमीन में बैठ जाता है जिसे देख राजू और लल्ला संभालते है अभय को....
राजू – (अभय से) तू चिंता मत कर अभय सुना नही डॉक्टर ने क्या कहा डरने की जरूरत नहीं है...
अभय –(रोते हुए गुस्से में) जिसने भी ये किया है उसे मैं जिंदा नही छोड़ऊ गा एक बार पता चल जाए कौन है वो जिसने ये करके अपनी मौत को दावत दी है....
राजू –(अभय की बात सुन लल्ला को इशारा करके) तू यही रुक अभय के साथ मैं काका काकी को बता देता हू कौल पर....
लल्ला – लेकिन वो ठकुराइन का मोबाइल उसका...
राजू –(बीच में) काका काकी को बता के मैं जाता हू वही पर देखने क्या पता कुछ पता चल जाए ठकुराइन का तू बस यही रुक इंतजार कर मेरे आने का...
बोल के राजू निकल जाता है अभय की बाइक लेके रास्ते में राज के मां बाप को कॉल कर के अस्पताल में आने का बोल के उसी जगह जहा एक्सीडेंट हुआ था आते ही वहा पर चारो तरफ देखने लगता है राजू काफी देर तक देखने के बाद राजू को वहा पर कुछ नही मिलता है थक हार के राजू निकल जाता है वापस अस्पताल की तरफ इस तरफ राजू के निकलने के थोड़ी देर बाद गीता देवी आती है अस्पताल में....
गीता देवी –(अस्पताल में आते ही अभय जो जमीन में बैठ रो रहा था और लल्ला को देख) क्या हुआ अस्पताल में क्यों बुलाया राजू ने मुझे....
लल्ला –(गीता देवी को कुर्सी में बैठा के) आप बैठो पहले काकी और ध्यान से सुनो राज और चांदनी भाभी का एक्सीडेंट हुआ है डाक्टर देख रहे है दोनो को....
गीता देवी –(एक्सीडेंट की बात सुन घबरा के) क्या बकवास कर रहे हो तुम (खड़ी होके अभय के पास जाके कंधा पकड़ के) क्या हुआ कहा है राज....
अभय –(रोते हुए) वो अन्दर है बड़ी मां डॉक्टर देख रहा है...अभय से सुन के गीता देवी की आंख से आसू आने लगाते है जिसे देख....
अभय – (गीता देवी को संभालते हुए) बड़ी मां राज ठीक है अब डाक्टर ने बोला है वो ठीक है....
गीता देवी – और चांदनी.…
अभय – दीदी भी ठीक है....
तभी नर्स बाहर आती है....
गीता देवी –(नर्स से) अब कैसा है मेरा बेटा...
नर्स –अब ठीक है जख्मों की ड्रेसिंग कर दी है और आखों में पड़ी मिट्टी को साफ कर दिया है 24 घंटे तक आखों में पट्टी बंधी रहेगी उसके....
गीता देवी – हम मिल सकते है राज से...
नर्स –माफ करिए गा अभी होश नही आया है राज को जब तक होश नही आता आप बस देख सकते है उसे...
गीता देवी –(नर्स की बात सुन) होश नही आया का क्या मतलब है आपका....
नर्स –देखिए राज को काफी मार पड़ी है जिसकी वजह से खून भी काफी बहा उसका हमने खून दे दिया है उसे बस होश में आने का इंतजार कर रहे है....
अभय –(घबरा के) कब तक होश आएगा उसे....
नर्स – हो सकता है एक से दो घंटे लग जाय या शायद चौबीस घंटे भी लग सकते है....
अभय –और मेरी दीदी....
नर्स –वो ठीक है उन्हे इंजेक्शन दे दिया है कुछ ही समय में होश आ जाएगा आपकी दीदी को....
बोल के नर्स चली गई....
गीता देवी –(अभय से) ये सब हुआ कैसे अभय....
गीता देवी की बात सुन अभय ने कल से लेके राज का को प्लान था घूमने का और अभी तक सब बता दिया जिसे सुन...
गीता देवी – संध्या की कार वहा पर कैसे....
तभी लल्ला ने गीता देवी को इशारा किया जिसे समझ के गीता देवी ने अभय को बैठने को कह के लल्ला की तरफ साइड में आके....
गीता देवी –(लल्ला से) क्या बात है बेटा तूने इशारा क्यों किया....
फिर लल्ला ने एसिडेंट के बाद मोबाइल से लेके राजू की कही सब बात बता दी जिसे सुन....
गीता देवी – इसका मतलब संध्या भी साथ में थी लेकिन वो कहा गई फिर....
लल्ला – पता नही काकी लेकिन राजू गया है देखने वही पर वापस....
गीता देवी –जल्दी से कॉल मिला के पता कर राजू को कुछ पता चला संध्या का मिली उसे....
गीता देवी की बात सुन लल्ला तुरंत कौल करने लगा राजू को तभी सामने से राजू आता नजर आया जिसे देख....
गीता देवी –(राजू के पास जाके) क्या हुआ राजू कुछ पता चला क्या संध्या का....
राजू – नही काकी वहा कुछ नही मिला मुझे....
गीता देवी –(अपने सिर में हाथ रख के) हे भगवान ये सब क्या हो रहा है...
अभय –(बीच में आके) क्या हुआ बड़ी मां क्या हो रहा है....
लल्ला –(बीच में) कुछ नही अभय वो काकी राज के लिए परेशान हो रही है इसीलिए....
अभय –नही अभी राजू ने कुछ कहा तभी बड़ी मां घबरा के बोली है कुछ (गीता देवी से) बड़ी मां सच सच बताओ बात क्या है....
गीता देवी –अभय बेटा देख बात ये है की वो कार संध्या की थी लेकिन अजीब बात है लल्ला को संध्या का मोबाइल मिला वही पर लेकिन संध्या का कोई पता नही चला....
अभय –(संध्या के बारे में सुन के) वो वहा पर क्या कर रही थी इनके साथ....
किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या हुआ कैसे हुआ ये सब और संध्या कहा है यही सब सोच लेके राज के कमरे के बाहर बैठे हुए थे सब की तभी नर्स ने आके बोला....
नर्स –(अभय से) आपकी दीदी को होश आ गया है....
दीदी के होश में आने की बात सुन अभय तुरंत भाग के गया चांदनी के पास जो बेड से उठ रही थी....
अभय –(चांदनी के पास आके कंधे पे हाथ रख के) दीदी आप बैठेरहो , अब कैसे हो आप....
चांदनी – (अभय को देख अपने आप को अस्पताल में पा के) मैं यहां पर कैसे और राज कहा है और मौसी कहा है....
गीता देवी –(चांदनी के पास आके सारी बात बता के) आखिर हुआ क्या था वहा पर और राज तुम लोग के साथ कैसे आया....
चांदनी –(गीता देवी की बात सुन तुरंत उठ के राज के पास जाके उसकी हालत देख रोते हू) ये कैसे हुआ किसने की इसकी ये हालत....
अभय –दीदी यही बात तो हमे भी समझ नही आ रही है....
चांदनी –(गीता देवी , अभय , राजू और लल्ला को सारी बात बता के) हम कार से निकले थे तभी किसी ने मेरे मू पे रुमाल लगा दिया उसके बाद का कुछ पता नही मुझे....
राजू – तो फिर ठकुराइन कहा गई मैंने उनको वहा पर हर जगह देखा लेकिन कही नही मिली मुझे....
अभय –शायद राज को पता हो सकता है....
लल्ला –(अभय को संध्या का मोबाइल देते हुए) ये मुझे मिला था वही रास्ते में....
संध्या का मोबाइल अपने हाथ में लेके अभय ने देखा जिसमे वॉलपेपर में संध्या के साथ अभय की बचपन की तस्वीर थी देख के अपनी जेब में रख दिया मोबाइल इस तरफ चांदनी ने तुरंत ही अपने मोबाइल से किसी को कौल कर के सारी जानकारी दी जिसके कुछ देर बाद 3 लोग चांदनी के पास आ गए अनिता , आरव और रहमान....
चांदनी –(तीनों को देख जो हुआ सब बता के) कैसे भी करके पता करो जिसपर शक आए पकड़ लो उसे भागने की कोशिश करे गोली मार दो पैर पर मुझे सारी जानकारी चाहिए किसी भी कीमत पर....
अनिता –और हवेली में....
चांदनी – क्या मतलब है हवेली से तुम्हारा....
अनिता – अभी आपने बताया हवेली में पता था सबको आप लोगो के जाने का....
चांदनी – नही उन्हें कुछ मत बोलना उनको सिर्फ इनफॉर्म कर दो इस हादसे के बारे में लेकिन किसी गांव वाले से कहलवाना खुद मत जाना समझे....
अनिता –ठीक है मैडम एक बात और है मैडम....
चांदनी – क्या बात है....
अनिता – परसो समुंदर के रास्ते माल आ रहा है रमन का और शालिनी मैडम को बात पता चल गई है इस बारे में.....
चांदनी –(चौक के) मां को ये बात कैसे पता चली....
अनिता –(अभय की तरफ देख धीरे से कान में) अभय ने शालिनी मैडम को कौल किया था और ये सारी जानकारी अभय ने दी है मैडम को....
चांदनी – CONFIRM....
अनिता – मेरे पास कौल के रिकॉर्ड है अभय के और उस दिन सरपंच शंकर के कहने पर अटैक हुआ था अभय पर इन सब के पीछे रमन का हाथ है उसी के कहने पर ये सब हुआ था और इन सब की जानकारी अभय को शंकर से मिली है....
चांदनी – (अनिता से बात सुन के) कहा है शंकर इस वक्त....
अनिता – अभय को पता है कहा है शंकर....
चांदनी –(बात समझ के) पहले पता करो संध्या मौसी के बारे में कहा है वो इस बारे में बाद में देखा जाएगा....
अनिता – ठीक है मैडम....
बोल के तीनों निकल गए....
चांदनी –(अभय को देख अपने मन में – मां सच बोल रही थी अभय खुद सच का पता लगा रहा है और मां को सब बता दिया लेकिन मुझे बताना जरूरी नहीं समझा सच में अलबेला है मेरा भाई)....
अभी कुछ ही देर हुई थी की हवेली से रमन , मालती , ललिता , शनाया और अमन अस्पताल में आ गए आते ही...
मालती – (चांदनी के पास जाके) कैसी हो चांदनी क्या हुआ है दीदी कहा है....
चांदनी – (सारी घटना बता के) पता नही कौन थे वो लोग कहा ले गए है मौसी को....
इनकी बात सुन के रमन का ध्यान अभय की तरफ गया और तभी....
रमन –(अभय के पास जाके उसका कॉलर पकड़ के) तेरी वजह से हो रहा है ये सब जब से गांव में आया है तब से ही अशांति आ गई है हवेली में....
ललिता –(बीच में आके रमन का हाथ हटा के अभय के कॉलर से) ये वक्त इन सब बातो का नही है दीदी के बारे में पता लगाना है कहा है किस हाल में है वो....
रमन –(अभय को घूरते हुए) तुझे तो मैं बाद में देख लूंगा पहले भाभी का पता लगा लू....
बोल के रमन अस्पताल से बाहर निकल गया साथ में अमन भी पीछे मालती और शनाया बात कर रही थी चांदनी से जबकि इस तरफ राज और चांदनी की हालत की वजह से अभय पहले गुस्से में था उपर रमन की हरकत की वजह से अभय के गुस्से का पारा बड़ गया और तभी रमन के पीछे जाने लगा अभय तभी किसी ने अभय का हाथ पकड़ के कमरे में खीच लिया.....
ललिता –(अभय को कमरे में खीच अपने गले लगा के) शांत होजा लल्ला शांत होजा....
अभय –(गुस्से में) छोड़ दो मुझे चाची मैं इसे (बोल के चुप हो गया)....
ललिता –(रोते हुए) मुझे पता था पहली मुलाकात में समझ गई थी मैं की तू ही हमारा अभय है मैं जानती हू मै माफी के लायक नही हूं....
अभय – (ललिता के आसू पोछ के) आप क्यों माफी मांग रहे हो आपने कुछ नहीं किया चाची....
ललिता – किया है लल्ला मैने भी बाकियों की तरह गलत किया तेरे साथ मेरे सामने सब कुछ हुआ तेरे साथ और जान के भी मैं चुप रही यही मेरी गलती थी लल्ला लेकिन क्या करती मजबूर थी मैं अपने बच्चो के कारण....
अभय –कोई बात नही चाची जो हो गया सो हो गया उसे बदला तो नही जा सकता है ना....
ललिता – और दीदी....
अभय – पता नही उनका कहा है वो.....
ललिता – अभय बचा ले दीदी को बचा ले वर्ना अनर्थ हो जाएगा....
अभय –(चौक के) अनर्थ क्या मतलब है आपका....
इससे पहले ललिता कुछ बोलती तभी शनाया की आवाज आई....
ललिता –(शनाया की आवाज सुन अभय से) मैं बाद में बताती हू तुझे....
बोल के ललिता बाहर निकल गई कमरे से....
शनाया –(ललिता से) रमन ने पुलिस को इनफॉर्म किया है यहां पर आई हुई है पुलिस पूछ ताछ के लिए सबसे....
बोल के शनाया , ललिता और मालती बाहर निकल दूसरी तरफ चले गए तब इंस्पेक्टर राजेश अस्पताल में आके पहले राज को देखा कमरे में जो बेहोश पड़ा हुआ था फिर डॉक्टर से बात की तभी डॉक्टर ने एक तरफ इशारा किया जहा पर राजू , लल्ला और अभय अकेले खड़े थे एक साथ तभी राजेश उनके बीच में आके....
राजेश –(बीच में आके) हादसे वाली जगह में कौन आया था पहले....
राजू – मैं आया था अपने दोस्तो के साथ वहा पर....
राजेश – तुम्हारे बाकी के दोस्त कहा पर है....
राजू –(लल्ला और अभय को बुला के) ये है मेरे दोस्त....
राजेश –(अभय को देख के) ओहो तो ये भी है यहां पे....
राजेश –(अभय के पास आके) तुम इनके दोस्त हो अजीब बात है ये तो....
अभय – इसमें अजीब क्या है इंस्पेक्टर ये इंसान नही है क्या....
राजेश – मुझे लगा तुम अपने बराबर वालो से दोस्ती रखते होगे....
अभय – दोस्ती और प्यार में बराबरी नही देखी जाती है इंस्पेक्टर जो ये करता है वो प्यार या दोस्ती नही सिर्फ सौदा करता है....
राजेश – अच्छा एक बात तो बताओ हादसे वाली जगह में सिर्फ तुम ही कैसे आए और भी तो लोग गुजरते होगे उस जगह से सिर्फ तुम तीनो ही क्यों....
चांदनी –(बिना किसी की नजर में आए एक कोने में खड़ी होके देख और सुन रही थी राजेश की बात तभी गुस्से में बीच में आके) अपनी हद में रहो इंस्पेक्टर राजेश जब से तू आया तब से ही तेरी घटिया हरकत देख रही हू मै....
राजेश – (चांदनी से ऐसी बात सुन गुस्से में) क्या बोली , तू मेरा नाम लेके बात कर रही है जानती है किस्से बात कर रही है तू....
चांदनी –(अपना आई कार्ड दिखा के) अब समझ आया तू किस्से बात कर रहा है....
राजेश –(चांदनी का आई कार्ड देख चौकते हुए डर से सैल्यूट करके) जय हिंद मैडम , मुझे माफ करिएगा मैडम....
चांदनी – अपनी फालतू की बकवास बाद में करना पहले जाके पता लगा ठकुराइन का और याद रहे उससे पहले तेरी शकल नही दिखनी चाहिए मुझे निकल....
राजेश –(डर से सैल्यूट करके) ठीक है मैडम....
बोल के तुरंत निकल गया अस्पताल से बहरा आते ही रमन से....
राजेश – (गुस्से में) ये क्या बेहूदगी है रमन इतना घटिया मजाक मेरे साथ....
रमन –ये क्या बकवास कर रहे हो तुम मैने कब मजाक किया तुम्हारे साथ....
राजेश –ये मजाक नही तो और क्या है C B I OFFICER तुम्हारे घर में बैठी है और तुमने मुझे बताया तक नही....
रमन –(राजेश की बात सुन चौक के) क्या मेरे घर में C B I OFFICER दिमाग तो सही है ना तुम्हारा....
राजेश –क्या मतलब है तुम्हारा तुम्हे नही पता चांदनी ही C B I OFFICER है....
बोल के राजेश तुरंत निकल गया पीछे रमन अपने आप से.....
रमन –(चांदनी का नाम सुन मन में – ये C B I OFFICER है लेकिन यहां गांव में क्यों कही इसे मेरे काम पर शक तो नही हो गया , शायद इसीलिए ये हवेली में आके रहने लगी है लेकिन इसे संध्या ने बुलाया था कही संध्या को पता नही चल गया मेरे काम के बारे में तभी C B I OFFICER को बुलाया हो यहां गांव में हा यही हो सकता है तभी मैं सोचू मेरी चिड़िया क्यों उड़ने लगी है इतना कोई बात नही संध्या रानी अब देख कैसे मैं खेल खेलता हू तेरे साथ)....
मन में सोचते हुए निकल गया रमन अस्पताल के बाहर लेकिन अस्पताल के अन्दर....
इन सब बातो से अंजान मालती , शनाया और ललिता तीनों गीता देवी के साथ बात कर रहे थे तभी चांदनी उनके पास आई....
मालती –राज को होश कब आएगा....
चांदनी – डॉक्टर का कहना है शायद 24 घंटे लग सकते है होश आने में राज को....
कुछ देर बात करने के बाद मालती , ललकिता और शनाया निकल गए हवेली की इनके जाने के बाद इस तरफ अभय , राजू , लल्ला और गीता देवी एक साथ बैठे हुए थे कमरे के बाहर तभी नर्स आके बोली....
नर्स – (गीता देवी से) काकी राज के लिए कुछ कपड़े ले आइए आप , खून से सने कपड़े उतार दिए है दूसरे पहनाने है उसे और ये (राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी को देते हू) इसे धुलवा दीजिए गा....
बोल के नर्स चली गई तभी....
अभय –(राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी के हाथ से लेते हुए) मैं इसे रखता हू बड़ी मां आप राजू के साथ जाके ले आओ राज के लिए कपड़े....
गीता देवी – लेकिन बेटा ये खून वाली शर्ट मुझे दे दो मैं धोने को डाल दुगी....
अभय –नही बड़ी मां अभी नही अभी इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है मुझे ये मेरे पास रहेगी....
अभय की बात सुन गीता देवी के साथ राजू और लल्ला को कुछ समझ नही आया तब....
गीता देवी –ठीक है मैं राज के लिए कपड़े लेके आती हू....
बोल के गीता देवी चली गई राजू के साथ घर की तरफ....
काफी देर तक चहल पहल चलती रही अस्पताल में कुछ समय बाद गीता देवी राज के कड़पो के साथ खाना भी लेके आई सभी के लिए मन किसी का नही था खाने का लेकिन गीता देवी को मना नही कर पाया कोई रात काफी हो गई थी गीता देवी , चांदनी एक साथ राज के कमरे में बगल में बिस्तर लगा के लेटे थे वही अभय राज के दूसरी तरफ कुर्सी में बैठा बस राज को देखे जा रहा था कुछ देर बैठता तो कुछ देर के लिए कमरे से बाहर निकल जाता कमरे के बाहर आते ही राजू और लल्ला बैठे हुए थे नीद किसी की आखों में नही थी सिर्फ इंतजार कर रहे थे राज के होश में आने का सब , बाहर कुछ देर दोस्तो के साथ बैठे बैठे कुर्सी में अभय को नीद आ गई जब की इस तरफ खंडर में जब संध्या को किडनैप कर के चुप चाप लाया गया बीना किसी की नजर में आए खंडर में आते ही संध्या को बेड में लेटा दिया काफी देर बाद संध्या को होश आया अपने आप को एक वीरान जगह पा के....
संध्या – ये मैं कहा आ गई कॉन लाया है मुझे यहां पर....
आदमी –(संध्या के सामने अंधेरे में) मैं लाया हू यहां पर आपको....
संध्या –(आवाज सुन के) ये जानी पहचानी आवाज लगती है कौन हो तुम और क्यों लाय हो मुझे यहां पे....
मुनीम –(हस्ते हुए अंधेरे से संध्या के सामने आके) अब पहचाना आपने मालकिन मैं कौन हू....
संध्या –मुनीम तुम कौन सी जगह है ये है और क्यों लाय हो यहां मुझे....
मुनीम बस एक छोटा सा काम है मालकिन आपसे वो कर दीजिए उसके बाद आप जहा चाहे वहा चले जाइएगा....
संध्या – क्या मतलब है तुम्हारा और कौन से काम की बात कर रहे हो तुम....
मुनीम – गौर से देखिए इस जगह को मालकिन जानी पहचानी सी नही लगती है आपको ये जगह....
संध्या – (गौर से जगह को देखत हुए) ये तो खंडर वाली हवेली है लेकिन तुम्हे यहां क्या काम मुझ (बोलते ही दिमाग में कोई बात आई जिसका मतलब समझ के) मुनीम के बच्चे समझ गई मैं तू क्यों यहां लाया है मुझे मैं मर जाऊंगी लेकिन तुझे कभी नही बताऊंगी....
मुनीम – (हस्ते हुए) मालकिन क्या आप जानती है मरना और मारने की बात बोलने में कितना फर्क होता है जब मौत आती है उसके दर्द से ही अच्छे से अच्छे इंसानों का गुरूर टूट जाता है बस चुप चाप बता दो मालकिन वो दरवाजा कहा है यहां पर....
संध्या – जो करना है कर ले लेकिन तू कभी नही जान पाएगा....
संध्या का इतना ही बोलना था तभी मुनीम ने अंधेरे में किसी को इशारा किया 3 लोग निकल के आए आते ही उन तीनो ने संध्या को चारो तरफ से पकड़ लिया मतलब एक आदमी ने संध्या के दोनो हाथ को पकड़ लिया आगे से बाकी के दो आदमियों ने संध्या का एक एक पैर पकड़ लिया जिसे देख मुनीम हस्ते हुए जलती आग में पड़ी 2 सरिया निकाल के संध्या के पास आके....
मुनीम – मालकिन क्यों तकलीफ देना चाहती है खुद को बता दो कहा है वो दरवाजा....
मुनीम की बात सुन संध्या ने सिर हिला के ना में इशारा किया जिसके बाद मुनीम ने दोनो जलती सरिया संध्या के पैर के पंजों में लगा दी जिसके बाद संध्या की दर्द भरी चीख खंडर में गूंज उठी....
अभय –(डर से चिला के नीद से जागते हुए) Maaaaaaaaa
.
.
जारी रहेगा![]()
Super update BhaiUPDATE 38
राजू – अरे यार ये राज कहा रह गया डेढ़ घंटे से इंतजार कर रहे है अभी तक आया क्यों नहीं ये....
लल्ला –(हस्ते हुए) मुझे तो लगता है रास्ते में जरूर हमारी चांदनी भाभी मिल गई होगी इसे वही अटक गया होगा बेचारा....
अभय –चल बे दीदी को कोई सपना थोड़ी आया होगा जो राज से मिलने आएगी रास्ते में...
राजू –(कुछ सोचते हुए) या फिर कही राज ने ही बुला लिया मिलने चांदनी भाभी को क्योंकि भाभी भी अकेली और राज भी अकेला और उसपे हसीन मौका भी है भाई....
अभय –(राजू की बात समझ के) सही बोला बे कुछ भी कर सकता है राज साला कॉलेज की छुट्टी के वक्त भी गायब हो जाता था दीदी के साथ चल बे चलते है रस्ते में मिल जाएगा पक्का....
बोल के तीनों बाइक में बैठ के निकल जाते हैं गांव की तरफ तेजी से जाते है काफी दूर आने पर....
अभय –(बाइक चलाते हुए सामने देख एक कार पेड़ से टकराई होती है) अबे ये किसकी कार है....
राजू और लल्ला –(कार को देख एक साथ) अबे ये तो ठकुराइन की कार है....
अभय तुरंत बाइक रोक उतर के तीनों पास जाते है सामने का नजारा देख....
अभय –(कार में राज और उसके कपड़े को खून से सना देख जोर से चिल्ला के) राज राज राज क्या हुआ तुझे...
राजू और लल्ला एक साथ – ये क्या हो गया राज को (राज को हिला के) उठ जा यार ये क्या हो गया तुझे....
तभी राजू की नजर सीट के पीछे चांदनी पर जाति है....
राजू –(चिला के) चांदनी भाभी....
अभय –(चांदनी का नाम सुन पीछे अपनी दीदी को देख रोते हुए) दीदी दीदी ये क्या हो गया आपको....
लल्ला – (घबराहट में) अभय राजू जल्दी से चलो अस्पताल चलो जल्दी से यार....
राजू जल्दी से राज को चांदनी के साथ पीछे बैठा देता है बीच में अभय दोनो को पकड़ के....
अभय –(रोते हुए) राज , दीदी , जल्दी चल राजू प्लीज जल्दी चल...
राजू –(जल्दी में) हा चलता हू (लल्ला से) तू बाइक लेके सीधा अस्पताल पहुंच वही मिलते है...
बोल के राजू कार को स्टार्ट कर तेजी से निकल जाता है अस्पताल पीछे से लल्ला बाइक स्टार्ट कर जैसे ही आगे चलने को होता है उसे रास्ते में एक मोबाइल पड़ा मिलता है उसे उठा के जैसे ही देखता है उसमे ठकुराइन और साथ में अभय को फोटो होती है बीना कुछ सोचे तुरंत अपनी जेब में रख के निकल जाता है लल्ला तेजी से अस्पताल की तरफ थोड़ी देर में अस्पताल में आते ही राज और चांदनी को अभय और राजू अपनी गोद में उठा के अस्पताल के अन्दर ले जाते है डॉक्टर राज को देखते पहचान के तुरंत इलाज करना शुरू कर देता है दोनो का राजू और अभय बाहर रुक के राज और चांदनी को देखते रहते है....
अभय –(रोते हुए) ये सब कैसे हो गया राजू ....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) घबरा मत मेरे भाई सब ठीक हो जाएगा थोड़ा रुक डाक्टर देख रहा है ना दोनो को....
ये दोनो बात कर रहे होते है तभी लल्ला आ जाता है....
लल्ला –(दोनों से) क्या हुआ कहा है दोनो....
राजू –डॉक्टर देख रहा है दोनो को कमरे में....
लल्ला –(राजू को एक साइड लाके मोबाइल दिखाते हुए) ये देख राजू राज और चांदनी भाभी अकेले नही थे मुझे लगता है शायद ठकुराइन भी थी साथ में....
राजू –(लल्ला की बात सुन चौक के) क्या...
लल्ला – हा बे वर्ना ठकुराइन की कार क्यों थी वहा पर और ये मोबाइल भी ठकुराइन का है देख इसमें ठकुराइन और अभय की तस्वीर है बचपन की....
राजू –(मोबाइल को देख) इसका मतलब ठकुराइन भी थी साथ में इनके लेकिन ठकुराइन कहा चली गई फिर....
लल्ला – पता नही यार मैं तुरंत निकल आया यहां....
राजू – (लल्ला की बात सुन) अबे तू साला सच में गधा का गधा ही रहेगा....
इससे पहले राजू कुछ बोलता डाक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख....
अभय –(डॉक्टर के पास जाके) डाक्टर अब कैसे है राज और दीदी....
डॉक्टर – आपकी दीदी तो बेहोश है लगता है किसी ने (chloroform) क्लोरोफॉर्म से बेहोश किया है और राज की आखों में मिट्टी डाल के काफी मार मारी है किसी ने उसे नर्स राज की आखों और जख्मों को साफ कर रही है डरने की जरूरत नहीं है बस थोड़ा इंतजार करे आप....
डॉक्टर की बात सुन अभय धम से जमीन में बैठ जाता है जिसे देख राजू और लल्ला संभालते है अभय को....
राजू – (अभय से) तू चिंता मत कर अभय सुना नही डॉक्टर ने क्या कहा डरने की जरूरत नहीं है...
अभय –(रोते हुए गुस्से में) जिसने भी ये किया है उसे मैं जिंदा नही छोड़ऊ गा एक बार पता चल जाए कौन है वो जिसने ये करके अपनी मौत को दावत दी है....
राजू –(अभय की बात सुन लल्ला को इशारा करके) तू यही रुक अभय के साथ मैं काका काकी को बता देता हू कौल पर....
लल्ला – लेकिन वो ठकुराइन का मोबाइल उसका...
राजू –(बीच में) काका काकी को बता के मैं जाता हू वही पर देखने क्या पता कुछ पता चल जाए ठकुराइन का तू बस यही रुक इंतजार कर मेरे आने का...
बोल के राजू निकल जाता है अभय की बाइक लेके रास्ते में राज के मां बाप को कॉल कर के अस्पताल में आने का बोल के उसी जगह जहा एक्सीडेंट हुआ था आते ही वहा पर चारो तरफ देखने लगता है राजू काफी देर तक देखने के बाद राजू को वहा पर कुछ नही मिलता है थक हार के राजू निकल जाता है वापस अस्पताल की तरफ इस तरफ राजू के निकलने के थोड़ी देर बाद गीता देवी आती है अस्पताल में....
गीता देवी –(अस्पताल में आते ही अभय जो जमीन में बैठ रो रहा था और लल्ला को देख) क्या हुआ अस्पताल में क्यों बुलाया राजू ने मुझे....
लल्ला –(गीता देवी को कुर्सी में बैठा के) आप बैठो पहले काकी और ध्यान से सुनो राज और चांदनी भाभी का एक्सीडेंट हुआ है डाक्टर देख रहे है दोनो को....
गीता देवी –(एक्सीडेंट की बात सुन घबरा के) क्या बकवास कर रहे हो तुम (खड़ी होके अभय के पास जाके कंधा पकड़ के) क्या हुआ कहा है राज....
अभय –(रोते हुए) वो अन्दर है बड़ी मां डॉक्टर देख रहा है...अभय से सुन के गीता देवी की आंख से आसू आने लगाते है जिसे देख....
अभय – (गीता देवी को संभालते हुए) बड़ी मां राज ठीक है अब डाक्टर ने बोला है वो ठीक है....
गीता देवी – और चांदनी.…
अभय – दीदी भी ठीक है....
तभी नर्स बाहर आती है....
गीता देवी –(नर्स से) अब कैसा है मेरा बेटा...
नर्स –अब ठीक है जख्मों की ड्रेसिंग कर दी है और आखों में पड़ी मिट्टी को साफ कर दिया है 24 घंटे तक आखों में पट्टी बंधी रहेगी उसके....
गीता देवी – हम मिल सकते है राज से...
नर्स –माफ करिए गा अभी होश नही आया है राज को जब तक होश नही आता आप बस देख सकते है उसे...
गीता देवी –(नर्स की बात सुन) होश नही आया का क्या मतलब है आपका....
नर्स –देखिए राज को काफी मार पड़ी है जिसकी वजह से खून भी काफी बहा उसका हमने खून दे दिया है उसे बस होश में आने का इंतजार कर रहे है....
अभय –(घबरा के) कब तक होश आएगा उसे....
नर्स – हो सकता है एक से दो घंटे लग जाय या शायद चौबीस घंटे भी लग सकते है....
अभय –और मेरी दीदी....
नर्स –वो ठीक है उन्हे इंजेक्शन दे दिया है कुछ ही समय में होश आ जाएगा आपकी दीदी को....
बोल के नर्स चली गई....
गीता देवी –(अभय से) ये सब हुआ कैसे अभय....
गीता देवी की बात सुन अभय ने कल से लेके राज का को प्लान था घूमने का और अभी तक सब बता दिया जिसे सुन...
गीता देवी – संध्या की कार वहा पर कैसे....
तभी लल्ला ने गीता देवी को इशारा किया जिसे समझ के गीता देवी ने अभय को बैठने को कह के लल्ला की तरफ साइड में आके....
गीता देवी –(लल्ला से) क्या बात है बेटा तूने इशारा क्यों किया....
फिर लल्ला ने एसिडेंट के बाद मोबाइल से लेके राजू की कही सब बात बता दी जिसे सुन....
गीता देवी – इसका मतलब संध्या भी साथ में थी लेकिन वो कहा गई फिर....
लल्ला – पता नही काकी लेकिन राजू गया है देखने वही पर वापस....
गीता देवी –जल्दी से कॉल मिला के पता कर राजू को कुछ पता चला संध्या का मिली उसे....
गीता देवी की बात सुन लल्ला तुरंत कौल करने लगा राजू को तभी सामने से राजू आता नजर आया जिसे देख....
गीता देवी –(राजू के पास जाके) क्या हुआ राजू कुछ पता चला क्या संध्या का....
राजू – नही काकी वहा कुछ नही मिला मुझे....
गीता देवी –(अपने सिर में हाथ रख के) हे भगवान ये सब क्या हो रहा है...
अभय –(बीच में आके) क्या हुआ बड़ी मां क्या हो रहा है....
लल्ला –(बीच में) कुछ नही अभय वो काकी राज के लिए परेशान हो रही है इसीलिए....
अभय –नही अभी राजू ने कुछ कहा तभी बड़ी मां घबरा के बोली है कुछ (गीता देवी से) बड़ी मां सच सच बताओ बात क्या है....
गीता देवी –अभय बेटा देख बात ये है की वो कार संध्या की थी लेकिन अजीब बात है लल्ला को संध्या का मोबाइल मिला वही पर लेकिन संध्या का कोई पता नही चला....
अभय –(संध्या के बारे में सुन के) वो वहा पर क्या कर रही थी इनके साथ....
किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या हुआ कैसे हुआ ये सब और संध्या कहा है यही सब सोच लेके राज के कमरे के बाहर बैठे हुए थे सब की तभी नर्स ने आके बोला....
नर्स –(अभय से) आपकी दीदी को होश आ गया है....
दीदी के होश में आने की बात सुन अभय तुरंत भाग के गया चांदनी के पास जो बेड से उठ रही थी....
अभय –(चांदनी के पास आके कंधे पे हाथ रख के) दीदी आप बैठेरहो , अब कैसे हो आप....
चांदनी – (अभय को देख अपने आप को अस्पताल में पा के) मैं यहां पर कैसे और राज कहा है और मौसी कहा है....
गीता देवी –(चांदनी के पास आके सारी बात बता के) आखिर हुआ क्या था वहा पर और राज तुम लोग के साथ कैसे आया....
चांदनी –(गीता देवी की बात सुन तुरंत उठ के राज के पास जाके उसकी हालत देख रोते हू) ये कैसे हुआ किसने की इसकी ये हालत....
अभय –दीदी यही बात तो हमे भी समझ नही आ रही है....
चांदनी –(गीता देवी , अभय , राजू और लल्ला को सारी बात बता के) हम कार से निकले थे तभी किसी ने मेरे मू पे रुमाल लगा दिया उसके बाद का कुछ पता नही मुझे....
राजू – तो फिर ठकुराइन कहा गई मैंने उनको वहा पर हर जगह देखा लेकिन कही नही मिली मुझे....
अभय –शायद राज को पता हो सकता है....
लल्ला –(अभय को संध्या का मोबाइल देते हुए) ये मुझे मिला था वही रास्ते में....
संध्या का मोबाइल अपने हाथ में लेके अभय ने देखा जिसमे वॉलपेपर में संध्या के साथ अभय की बचपन की तस्वीर थी देख के अपनी जेब में रख दिया मोबाइल इस तरफ चांदनी ने तुरंत ही अपने मोबाइल से किसी को कौल कर के सारी जानकारी दी जिसके कुछ देर बाद 3 लोग चांदनी के पास आ गए अनिता , आरव और रहमान....
चांदनी –(तीनों को देख जो हुआ सब बता के) कैसे भी करके पता करो जिसपर शक आए पकड़ लो उसे भागने की कोशिश करे गोली मार दो पैर पर मुझे सारी जानकारी चाहिए किसी भी कीमत पर....
अनिता –और हवेली में....
चांदनी – क्या मतलब है हवेली से तुम्हारा....
अनिता – अभी आपने बताया हवेली में पता था सबको आप लोगो के जाने का....
चांदनी – नही उन्हें कुछ मत बोलना उनको सिर्फ इनफॉर्म कर दो इस हादसे के बारे में लेकिन किसी गांव वाले से कहलवाना खुद मत जाना समझे....
अनिता –ठीक है मैडम एक बात और है मैडम....
चांदनी – क्या बात है....
अनिता – परसो समुंदर के रास्ते माल आ रहा है रमन का और शालिनी मैडम को बात पता चल गई है इस बारे में.....
चांदनी –(चौक के) मां को ये बात कैसे पता चली....
अनिता –(अभय की तरफ देख धीरे से कान में) अभय ने शालिनी मैडम को कौल किया था और ये सारी जानकारी अभय ने दी है मैडम को....
चांदनी – CONFIRM....
अनिता – मेरे पास कौल के रिकॉर्ड है अभय के और उस दिन सरपंच शंकर के कहने पर अटैक हुआ था अभय पर इन सब के पीछे रमन का हाथ है उसी के कहने पर ये सब हुआ था और इन सब की जानकारी अभय को शंकर से मिली है....
चांदनी – (अनिता से बात सुन के) कहा है शंकर इस वक्त....
अनिता – अभय को पता है कहा है शंकर....
चांदनी –(बात समझ के) पहले पता करो संध्या मौसी के बारे में कहा है वो इस बारे में बाद में देखा जाएगा....
अनिता – ठीक है मैडम....
बोल के तीनों निकल गए....
चांदनी –(अभय को देख अपने मन में – मां सच बोल रही थी अभय खुद सच का पता लगा रहा है और मां को सब बता दिया लेकिन मुझे बताना जरूरी नहीं समझा सच में अलबेला है मेरा भाई)....
अभी कुछ ही देर हुई थी की हवेली से रमन , मालती , ललिता , शनाया और अमन अस्पताल में आ गए आते ही...
मालती – (चांदनी के पास जाके) कैसी हो चांदनी क्या हुआ है दीदी कहा है....
चांदनी – (सारी घटना बता के) पता नही कौन थे वो लोग कहा ले गए है मौसी को....
इनकी बात सुन के रमन का ध्यान अभय की तरफ गया और तभी....
रमन –(अभय के पास जाके उसका कॉलर पकड़ के) तेरी वजह से हो रहा है ये सब जब से गांव में आया है तब से ही अशांति आ गई है हवेली में....
ललिता –(बीच में आके रमन का हाथ हटा के अभय के कॉलर से) ये वक्त इन सब बातो का नही है दीदी के बारे में पता लगाना है कहा है किस हाल में है वो....
रमन –(अभय को घूरते हुए) तुझे तो मैं बाद में देख लूंगा पहले भाभी का पता लगा लू....
बोल के रमन अस्पताल से बाहर निकल गया साथ में अमन भी पीछे मालती और शनाया बात कर रही थी चांदनी से जबकि इस तरफ राज और चांदनी की हालत की वजह से अभय पहले गुस्से में था उपर रमन की हरकत की वजह से अभय के गुस्से का पारा बड़ गया और तभी रमन के पीछे जाने लगा अभय तभी किसी ने अभय का हाथ पकड़ के कमरे में खीच लिया.....
ललिता –(अभय को कमरे में खीच अपने गले लगा के) शांत होजा लल्ला शांत होजा....
अभय –(गुस्से में) छोड़ दो मुझे चाची मैं इसे (बोल के चुप हो गया)....
ललिता –(रोते हुए) मुझे पता था पहली मुलाकात में समझ गई थी मैं की तू ही हमारा अभय है मैं जानती हू मै माफी के लायक नही हूं....
अभय – (ललिता के आसू पोछ के) आप क्यों माफी मांग रहे हो आपने कुछ नहीं किया चाची....
ललिता – किया है लल्ला मैने भी बाकियों की तरह गलत किया तेरे साथ मेरे सामने सब कुछ हुआ तेरे साथ और जान के भी मैं चुप रही यही मेरी गलती थी लल्ला लेकिन क्या करती मजबूर थी मैं अपने बच्चो के कारण....
अभय –कोई बात नही चाची जो हो गया सो हो गया उसे बदला तो नही जा सकता है ना....
ललिता – और दीदी....
अभय – पता नही उनका कहा है वो.....
ललिता – अभय बचा ले दीदी को बचा ले वर्ना अनर्थ हो जाएगा....
अभय –(चौक के) अनर्थ क्या मतलब है आपका....
इससे पहले ललिता कुछ बोलती तभी शनाया की आवाज आई....
ललिता –(शनाया की आवाज सुन अभय से) मैं बाद में बताती हू तुझे....
बोल के ललिता बाहर निकल गई कमरे से....
शनाया –(ललिता से) रमन ने पुलिस को इनफॉर्म किया है यहां पर आई हुई है पुलिस पूछ ताछ के लिए सबसे....
बोल के शनाया , ललिता और मालती बाहर निकल दूसरी तरफ चले गए तब इंस्पेक्टर राजेश अस्पताल में आके पहले राज को देखा कमरे में जो बेहोश पड़ा हुआ था फिर डॉक्टर से बात की तभी डॉक्टर ने एक तरफ इशारा किया जहा पर राजू , लल्ला और अभय अकेले खड़े थे एक साथ तभी राजेश उनके बीच में आके....
राजेश –(बीच में आके) हादसे वाली जगह में कौन आया था पहले....
राजू – मैं आया था अपने दोस्तो के साथ वहा पर....
राजेश – तुम्हारे बाकी के दोस्त कहा पर है....
राजू –(लल्ला और अभय को बुला के) ये है मेरे दोस्त....
राजेश –(अभय को देख के) ओहो तो ये भी है यहां पे....
राजेश –(अभय के पास आके) तुम इनके दोस्त हो अजीब बात है ये तो....
अभय – इसमें अजीब क्या है इंस्पेक्टर ये इंसान नही है क्या....
राजेश – मुझे लगा तुम अपने बराबर वालो से दोस्ती रखते होगे....
अभय – दोस्ती और प्यार में बराबरी नही देखी जाती है इंस्पेक्टर जो ये करता है वो प्यार या दोस्ती नही सिर्फ सौदा करता है....
राजेश – अच्छा एक बात तो बताओ हादसे वाली जगह में सिर्फ तुम ही कैसे आए और भी तो लोग गुजरते होगे उस जगह से सिर्फ तुम तीनो ही क्यों....
चांदनी –(बिना किसी की नजर में आए एक कोने में खड़ी होके देख और सुन रही थी राजेश की बात तभी गुस्से में बीच में आके) अपनी हद में रहो इंस्पेक्टर राजेश जब से तू आया तब से ही तेरी घटिया हरकत देख रही हू मै....
राजेश – (चांदनी से ऐसी बात सुन गुस्से में) क्या बोली , तू मेरा नाम लेके बात कर रही है जानती है किस्से बात कर रही है तू....
चांदनी –(अपना आई कार्ड दिखा के) अब समझ आया तू किस्से बात कर रहा है....
राजेश –(चांदनी का आई कार्ड देख चौकते हुए डर से सैल्यूट करके) जय हिंद मैडम , मुझे माफ करिएगा मैडम....
चांदनी – अपनी फालतू की बकवास बाद में करना पहले जाके पता लगा ठकुराइन का और याद रहे उससे पहले तेरी शकल नही दिखनी चाहिए मुझे निकल....
राजेश –(डर से सैल्यूट करके) ठीक है मैडम....
बोल के तुरंत निकल गया अस्पताल से बहरा आते ही रमन से....
राजेश – (गुस्से में) ये क्या बेहूदगी है रमन इतना घटिया मजाक मेरे साथ....
रमन –ये क्या बकवास कर रहे हो तुम मैने कब मजाक किया तुम्हारे साथ....
राजेश –ये मजाक नही तो और क्या है C B I OFFICER तुम्हारे घर में बैठी है और तुमने मुझे बताया तक नही....
रमन –(राजेश की बात सुन चौक के) क्या मेरे घर में C B I OFFICER दिमाग तो सही है ना तुम्हारा....
राजेश –क्या मतलब है तुम्हारा तुम्हे नही पता चांदनी ही C B I OFFICER है....
बोल के राजेश तुरंत निकल गया पीछे रमन अपने आप से.....
रमन –(चांदनी का नाम सुन मन में – ये C B I OFFICER है लेकिन यहां गांव में क्यों कही इसे मेरे काम पर शक तो नही हो गया , शायद इसीलिए ये हवेली में आके रहने लगी है लेकिन इसे संध्या ने बुलाया था कही संध्या को पता नही चल गया मेरे काम के बारे में तभी C B I OFFICER को बुलाया हो यहां गांव में हा यही हो सकता है तभी मैं सोचू मेरी चिड़िया क्यों उड़ने लगी है इतना कोई बात नही संध्या रानी अब देख कैसे मैं खेल खेलता हू तेरे साथ)....
मन में सोचते हुए निकल गया रमन अस्पताल के बाहर लेकिन अस्पताल के अन्दर....
इन सब बातो से अंजान मालती , शनाया और ललिता तीनों गीता देवी के साथ बात कर रहे थे तभी चांदनी उनके पास आई....
मालती –राज को होश कब आएगा....
चांदनी – डॉक्टर का कहना है शायद 24 घंटे लग सकते है होश आने में राज को....
कुछ देर बात करने के बाद मालती , ललकिता और शनाया निकल गए हवेली की इनके जाने के बाद इस तरफ अभय , राजू , लल्ला और गीता देवी एक साथ बैठे हुए थे कमरे के बाहर तभी नर्स आके बोली....
नर्स – (गीता देवी से) काकी राज के लिए कुछ कपड़े ले आइए आप , खून से सने कपड़े उतार दिए है दूसरे पहनाने है उसे और ये (राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी को देते हू) इसे धुलवा दीजिए गा....
बोल के नर्स चली गई तभी....
अभय –(राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी के हाथ से लेते हुए) मैं इसे रखता हू बड़ी मां आप राजू के साथ जाके ले आओ राज के लिए कपड़े....
गीता देवी – लेकिन बेटा ये खून वाली शर्ट मुझे दे दो मैं धोने को डाल दुगी....
अभय –नही बड़ी मां अभी नही अभी इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है मुझे ये मेरे पास रहेगी....
अभय की बात सुन गीता देवी के साथ राजू और लल्ला को कुछ समझ नही आया तब....
गीता देवी –ठीक है मैं राज के लिए कपड़े लेके आती हू....
बोल के गीता देवी चली गई राजू के साथ घर की तरफ....
काफी देर तक चहल पहल चलती रही अस्पताल में कुछ समय बाद गीता देवी राज के कड़पो के साथ खाना भी लेके आई सभी के लिए मन किसी का नही था खाने का लेकिन गीता देवी को मना नही कर पाया कोई रात काफी हो गई थी गीता देवी , चांदनी एक साथ राज के कमरे में बगल में बिस्तर लगा के लेटे थे वही अभय राज के दूसरी तरफ कुर्सी में बैठा बस राज को देखे जा रहा था कुछ देर बैठता तो कुछ देर के लिए कमरे से बाहर निकल जाता कमरे के बाहर आते ही राजू और लल्ला बैठे हुए थे नीद किसी की आखों में नही थी सिर्फ इंतजार कर रहे थे राज के होश में आने का सब , बाहर कुछ देर दोस्तो के साथ बैठे बैठे कुर्सी में अभय को नीद आ गई जब की इस तरफ खंडर में जब संध्या को किडनैप कर के चुप चाप लाया गया बीना किसी की नजर में आए खंडर में आते ही संध्या को बेड में लेटा दिया काफी देर बाद संध्या को होश आया अपने आप को एक वीरान जगह पा के....
संध्या – ये मैं कहा आ गई कॉन लाया है मुझे यहां पर....
आदमी –(संध्या के सामने अंधेरे में) मैं लाया हू यहां पर आपको....
संध्या –(आवाज सुन के) ये जानी पहचानी आवाज लगती है कौन हो तुम और क्यों लाय हो मुझे यहां पे....
मुनीम –(हस्ते हुए अंधेरे से संध्या के सामने आके) अब पहचाना आपने मालकिन मैं कौन हू....
संध्या –मुनीम तुम कौन सी जगह है ये है और क्यों लाय हो यहां मुझे....
मुनीम बस एक छोटा सा काम है मालकिन आपसे वो कर दीजिए उसके बाद आप जहा चाहे वहा चले जाइएगा....
संध्या – क्या मतलब है तुम्हारा और कौन से काम की बात कर रहे हो तुम....
मुनीम – गौर से देखिए इस जगह को मालकिन जानी पहचानी सी नही लगती है आपको ये जगह....
संध्या – (गौर से जगह को देखत हुए) ये तो खंडर वाली हवेली है लेकिन तुम्हे यहां क्या काम मुझ (बोलते ही दिमाग में कोई बात आई जिसका मतलब समझ के) मुनीम के बच्चे समझ गई मैं तू क्यों यहां लाया है मुझे मैं मर जाऊंगी लेकिन तुझे कभी नही बताऊंगी....
मुनीम – (हस्ते हुए) मालकिन क्या आप जानती है मरना और मारने की बात बोलने में कितना फर्क होता है जब मौत आती है उसके दर्द से ही अच्छे से अच्छे इंसानों का गुरूर टूट जाता है बस चुप चाप बता दो मालकिन वो दरवाजा कहा है यहां पर....
संध्या – जो करना है कर ले लेकिन तू कभी नही जान पाएगा....
संध्या का इतना ही बोलना था तभी मुनीम ने अंधेरे में किसी को इशारा किया 3 लोग निकल के आए आते ही उन तीनो ने संध्या को चारो तरफ से पकड़ लिया मतलब एक आदमी ने संध्या के दोनो हाथ को पकड़ लिया आगे से बाकी के दो आदमियों ने संध्या का एक एक पैर पकड़ लिया जिसे देख मुनीम हस्ते हुए जलती आग में पड़ी 2 सरिया निकाल के संध्या के पास आके....
मुनीम – मालकिन क्यों तकलीफ देना चाहती है खुद को बता दो कहा है वो दरवाजा....
मुनीम की बात सुन संध्या ने सिर हिला के ना में इशारा किया जिसके बाद मुनीम ने दोनो जलती सरिया संध्या के पैर के पंजों में लगा दी जिसके बाद संध्या की दर्द भरी चीख खंडर में गूंज उठी....
अभय –(डर से चिला के नीद से जागते हुए) Maaaaaaaaa
.
.
जारी रहेगा![]()
Shandar jabardast updateUPDATE 38
राजू – अरे यार ये राज कहा रह गया डेढ़ घंटे से इंतजार कर रहे है अभी तक आया क्यों नहीं ये....
लल्ला –(हस्ते हुए) मुझे तो लगता है रास्ते में जरूर हमारी चांदनी भाभी मिल गई होगी इसे वही अटक गया होगा बेचारा....
अभय –चल बे दीदी को कोई सपना थोड़ी आया होगा जो राज से मिलने आएगी रास्ते में...
राजू –(कुछ सोचते हुए) या फिर कही राज ने ही बुला लिया मिलने चांदनी भाभी को क्योंकि भाभी भी अकेली और राज भी अकेला और उसपे हसीन मौका भी है भाई....
अभय –(राजू की बात समझ के) सही बोला बे कुछ भी कर सकता है राज साला कॉलेज की छुट्टी के वक्त भी गायब हो जाता था दीदी के साथ चल बे चलते है रस्ते में मिल जाएगा पक्का....
बोल के तीनों बाइक में बैठ के निकल जाते हैं गांव की तरफ तेजी से जाते है काफी दूर आने पर....
अभय –(बाइक चलाते हुए सामने देख एक कार पेड़ से टकराई होती है) अबे ये किसकी कार है....
राजू और लल्ला –(कार को देख एक साथ) अबे ये तो ठकुराइन की कार है....
अभय तुरंत बाइक रोक उतर के तीनों पास जाते है सामने का नजारा देख....
अभय –(कार में राज और उसके कपड़े को खून से सना देख जोर से चिल्ला के) राज राज राज क्या हुआ तुझे...
राजू और लल्ला एक साथ – ये क्या हो गया राज को (राज को हिला के) उठ जा यार ये क्या हो गया तुझे....
तभी राजू की नजर सीट के पीछे चांदनी पर जाति है....
राजू –(चिला के) चांदनी भाभी....
अभय –(चांदनी का नाम सुन पीछे अपनी दीदी को देख रोते हुए) दीदी दीदी ये क्या हो गया आपको....
लल्ला – (घबराहट में) अभय राजू जल्दी से चलो अस्पताल चलो जल्दी से यार....
राजू जल्दी से राज को चांदनी के साथ पीछे बैठा देता है बीच में अभय दोनो को पकड़ के....
अभय –(रोते हुए) राज , दीदी , जल्दी चल राजू प्लीज जल्दी चल...
राजू –(जल्दी में) हा चलता हू (लल्ला से) तू बाइक लेके सीधा अस्पताल पहुंच वही मिलते है...
बोल के राजू कार को स्टार्ट कर तेजी से निकल जाता है अस्पताल पीछे से लल्ला बाइक स्टार्ट कर जैसे ही आगे चलने को होता है उसे रास्ते में एक मोबाइल पड़ा मिलता है उसे उठा के जैसे ही देखता है उसमे ठकुराइन और साथ में अभय को फोटो होती है बीना कुछ सोचे तुरंत अपनी जेब में रख के निकल जाता है लल्ला तेजी से अस्पताल की तरफ थोड़ी देर में अस्पताल में आते ही राज और चांदनी को अभय और राजू अपनी गोद में उठा के अस्पताल के अन्दर ले जाते है डॉक्टर राज को देखते पहचान के तुरंत इलाज करना शुरू कर देता है दोनो का राजू और अभय बाहर रुक के राज और चांदनी को देखते रहते है....
अभय –(रोते हुए) ये सब कैसे हो गया राजू ....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) घबरा मत मेरे भाई सब ठीक हो जाएगा थोड़ा रुक डाक्टर देख रहा है ना दोनो को....
ये दोनो बात कर रहे होते है तभी लल्ला आ जाता है....
लल्ला –(दोनों से) क्या हुआ कहा है दोनो....
राजू –डॉक्टर देख रहा है दोनो को कमरे में....
लल्ला –(राजू को एक साइड लाके मोबाइल दिखाते हुए) ये देख राजू राज और चांदनी भाभी अकेले नही थे मुझे लगता है शायद ठकुराइन भी थी साथ में....
राजू –(लल्ला की बात सुन चौक के) क्या...
लल्ला – हा बे वर्ना ठकुराइन की कार क्यों थी वहा पर और ये मोबाइल भी ठकुराइन का है देख इसमें ठकुराइन और अभय की तस्वीर है बचपन की....
राजू –(मोबाइल को देख) इसका मतलब ठकुराइन भी थी साथ में इनके लेकिन ठकुराइन कहा चली गई फिर....
लल्ला – पता नही यार मैं तुरंत निकल आया यहां....
राजू – (लल्ला की बात सुन) अबे तू साला सच में गधा का गधा ही रहेगा....
इससे पहले राजू कुछ बोलता डाक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख....
अभय –(डॉक्टर के पास जाके) डाक्टर अब कैसे है राज और दीदी....
डॉक्टर – आपकी दीदी तो बेहोश है लगता है किसी ने (chloroform) क्लोरोफॉर्म से बेहोश किया है और राज की आखों में मिट्टी डाल के काफी मार मारी है किसी ने उसे नर्स राज की आखों और जख्मों को साफ कर रही है डरने की जरूरत नहीं है बस थोड़ा इंतजार करे आप....
डॉक्टर की बात सुन अभय धम से जमीन में बैठ जाता है जिसे देख राजू और लल्ला संभालते है अभय को....
राजू – (अभय से) तू चिंता मत कर अभय सुना नही डॉक्टर ने क्या कहा डरने की जरूरत नहीं है...
अभय –(रोते हुए गुस्से में) जिसने भी ये किया है उसे मैं जिंदा नही छोड़ऊ गा एक बार पता चल जाए कौन है वो जिसने ये करके अपनी मौत को दावत दी है....
राजू –(अभय की बात सुन लल्ला को इशारा करके) तू यही रुक अभय के साथ मैं काका काकी को बता देता हू कौल पर....
लल्ला – लेकिन वो ठकुराइन का मोबाइल उसका...
राजू –(बीच में) काका काकी को बता के मैं जाता हू वही पर देखने क्या पता कुछ पता चल जाए ठकुराइन का तू बस यही रुक इंतजार कर मेरे आने का...
बोल के राजू निकल जाता है अभय की बाइक लेके रास्ते में राज के मां बाप को कॉल कर के अस्पताल में आने का बोल के उसी जगह जहा एक्सीडेंट हुआ था आते ही वहा पर चारो तरफ देखने लगता है राजू काफी देर तक देखने के बाद राजू को वहा पर कुछ नही मिलता है थक हार के राजू निकल जाता है वापस अस्पताल की तरफ इस तरफ राजू के निकलने के थोड़ी देर बाद गीता देवी आती है अस्पताल में....
गीता देवी –(अस्पताल में आते ही अभय जो जमीन में बैठ रो रहा था और लल्ला को देख) क्या हुआ अस्पताल में क्यों बुलाया राजू ने मुझे....
लल्ला –(गीता देवी को कुर्सी में बैठा के) आप बैठो पहले काकी और ध्यान से सुनो राज और चांदनी भाभी का एक्सीडेंट हुआ है डाक्टर देख रहे है दोनो को....
गीता देवी –(एक्सीडेंट की बात सुन घबरा के) क्या बकवास कर रहे हो तुम (खड़ी होके अभय के पास जाके कंधा पकड़ के) क्या हुआ कहा है राज....
अभय –(रोते हुए) वो अन्दर है बड़ी मां डॉक्टर देख रहा है...अभय से सुन के गीता देवी की आंख से आसू आने लगाते है जिसे देख....
अभय – (गीता देवी को संभालते हुए) बड़ी मां राज ठीक है अब डाक्टर ने बोला है वो ठीक है....
गीता देवी – और चांदनी.…
अभय – दीदी भी ठीक है....
तभी नर्स बाहर आती है....
गीता देवी –(नर्स से) अब कैसा है मेरा बेटा...
नर्स –अब ठीक है जख्मों की ड्रेसिंग कर दी है और आखों में पड़ी मिट्टी को साफ कर दिया है 24 घंटे तक आखों में पट्टी बंधी रहेगी उसके....
गीता देवी – हम मिल सकते है राज से...
नर्स –माफ करिए गा अभी होश नही आया है राज को जब तक होश नही आता आप बस देख सकते है उसे...
गीता देवी –(नर्स की बात सुन) होश नही आया का क्या मतलब है आपका....
नर्स –देखिए राज को काफी मार पड़ी है जिसकी वजह से खून भी काफी बहा उसका हमने खून दे दिया है उसे बस होश में आने का इंतजार कर रहे है....
अभय –(घबरा के) कब तक होश आएगा उसे....
नर्स – हो सकता है एक से दो घंटे लग जाय या शायद चौबीस घंटे भी लग सकते है....
अभय –और मेरी दीदी....
नर्स –वो ठीक है उन्हे इंजेक्शन दे दिया है कुछ ही समय में होश आ जाएगा आपकी दीदी को....
बोल के नर्स चली गई....
गीता देवी –(अभय से) ये सब हुआ कैसे अभय....
गीता देवी की बात सुन अभय ने कल से लेके राज का को प्लान था घूमने का और अभी तक सब बता दिया जिसे सुन...
गीता देवी – संध्या की कार वहा पर कैसे....
तभी लल्ला ने गीता देवी को इशारा किया जिसे समझ के गीता देवी ने अभय को बैठने को कह के लल्ला की तरफ साइड में आके....
गीता देवी –(लल्ला से) क्या बात है बेटा तूने इशारा क्यों किया....
फिर लल्ला ने एसिडेंट के बाद मोबाइल से लेके राजू की कही सब बात बता दी जिसे सुन....
गीता देवी – इसका मतलब संध्या भी साथ में थी लेकिन वो कहा गई फिर....
लल्ला – पता नही काकी लेकिन राजू गया है देखने वही पर वापस....
गीता देवी –जल्दी से कॉल मिला के पता कर राजू को कुछ पता चला संध्या का मिली उसे....
गीता देवी की बात सुन लल्ला तुरंत कौल करने लगा राजू को तभी सामने से राजू आता नजर आया जिसे देख....
गीता देवी –(राजू के पास जाके) क्या हुआ राजू कुछ पता चला क्या संध्या का....
राजू – नही काकी वहा कुछ नही मिला मुझे....
गीता देवी –(अपने सिर में हाथ रख के) हे भगवान ये सब क्या हो रहा है...
अभय –(बीच में आके) क्या हुआ बड़ी मां क्या हो रहा है....
लल्ला –(बीच में) कुछ नही अभय वो काकी राज के लिए परेशान हो रही है इसीलिए....
अभय –नही अभी राजू ने कुछ कहा तभी बड़ी मां घबरा के बोली है कुछ (गीता देवी से) बड़ी मां सच सच बताओ बात क्या है....
गीता देवी –अभय बेटा देख बात ये है की वो कार संध्या की थी लेकिन अजीब बात है लल्ला को संध्या का मोबाइल मिला वही पर लेकिन संध्या का कोई पता नही चला....
अभय –(संध्या के बारे में सुन के) वो वहा पर क्या कर रही थी इनके साथ....
किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या हुआ कैसे हुआ ये सब और संध्या कहा है यही सब सोच लेके राज के कमरे के बाहर बैठे हुए थे सब की तभी नर्स ने आके बोला....
नर्स –(अभय से) आपकी दीदी को होश आ गया है....
दीदी के होश में आने की बात सुन अभय तुरंत भाग के गया चांदनी के पास जो बेड से उठ रही थी....
अभय –(चांदनी के पास आके कंधे पे हाथ रख के) दीदी आप बैठेरहो , अब कैसे हो आप....
चांदनी – (अभय को देख अपने आप को अस्पताल में पा के) मैं यहां पर कैसे और राज कहा है और मौसी कहा है....
गीता देवी –(चांदनी के पास आके सारी बात बता के) आखिर हुआ क्या था वहा पर और राज तुम लोग के साथ कैसे आया....
चांदनी –(गीता देवी की बात सुन तुरंत उठ के राज के पास जाके उसकी हालत देख रोते हू) ये कैसे हुआ किसने की इसकी ये हालत....
अभय –दीदी यही बात तो हमे भी समझ नही आ रही है....
चांदनी –(गीता देवी , अभय , राजू और लल्ला को सारी बात बता के) हम कार से निकले थे तभी किसी ने मेरे मू पे रुमाल लगा दिया उसके बाद का कुछ पता नही मुझे....
राजू – तो फिर ठकुराइन कहा गई मैंने उनको वहा पर हर जगह देखा लेकिन कही नही मिली मुझे....
अभय –शायद राज को पता हो सकता है....
लल्ला –(अभय को संध्या का मोबाइल देते हुए) ये मुझे मिला था वही रास्ते में....
संध्या का मोबाइल अपने हाथ में लेके अभय ने देखा जिसमे वॉलपेपर में संध्या के साथ अभय की बचपन की तस्वीर थी देख के अपनी जेब में रख दिया मोबाइल इस तरफ चांदनी ने तुरंत ही अपने मोबाइल से किसी को कौल कर के सारी जानकारी दी जिसके कुछ देर बाद 3 लोग चांदनी के पास आ गए अनिता , आरव और रहमान....
चांदनी –(तीनों को देख जो हुआ सब बता के) कैसे भी करके पता करो जिसपर शक आए पकड़ लो उसे भागने की कोशिश करे गोली मार दो पैर पर मुझे सारी जानकारी चाहिए किसी भी कीमत पर....
अनिता –और हवेली में....
चांदनी – क्या मतलब है हवेली से तुम्हारा....
अनिता – अभी आपने बताया हवेली में पता था सबको आप लोगो के जाने का....
चांदनी – नही उन्हें कुछ मत बोलना उनको सिर्फ इनफॉर्म कर दो इस हादसे के बारे में लेकिन किसी गांव वाले से कहलवाना खुद मत जाना समझे....
अनिता –ठीक है मैडम एक बात और है मैडम....
चांदनी – क्या बात है....
अनिता – परसो समुंदर के रास्ते माल आ रहा है रमन का और शालिनी मैडम को बात पता चल गई है इस बारे में.....
चांदनी –(चौक के) मां को ये बात कैसे पता चली....
अनिता –(अभय की तरफ देख धीरे से कान में) अभय ने शालिनी मैडम को कौल किया था और ये सारी जानकारी अभय ने दी है मैडम को....
चांदनी – CONFIRM....
अनिता – मेरे पास कौल के रिकॉर्ड है अभय के और उस दिन सरपंच शंकर के कहने पर अटैक हुआ था अभय पर इन सब के पीछे रमन का हाथ है उसी के कहने पर ये सब हुआ था और इन सब की जानकारी अभय को शंकर से मिली है....
चांदनी – (अनिता से बात सुन के) कहा है शंकर इस वक्त....
अनिता – अभय को पता है कहा है शंकर....
चांदनी –(बात समझ के) पहले पता करो संध्या मौसी के बारे में कहा है वो इस बारे में बाद में देखा जाएगा....
अनिता – ठीक है मैडम....
बोल के तीनों निकल गए....
चांदनी –(अभय को देख अपने मन में – मां सच बोल रही थी अभय खुद सच का पता लगा रहा है और मां को सब बता दिया लेकिन मुझे बताना जरूरी नहीं समझा सच में अलबेला है मेरा भाई)....
अभी कुछ ही देर हुई थी की हवेली से रमन , मालती , ललिता , शनाया और अमन अस्पताल में आ गए आते ही...
मालती – (चांदनी के पास जाके) कैसी हो चांदनी क्या हुआ है दीदी कहा है....
चांदनी – (सारी घटना बता के) पता नही कौन थे वो लोग कहा ले गए है मौसी को....
इनकी बात सुन के रमन का ध्यान अभय की तरफ गया और तभी....
रमन –(अभय के पास जाके उसका कॉलर पकड़ के) तेरी वजह से हो रहा है ये सब जब से गांव में आया है तब से ही अशांति आ गई है हवेली में....
ललिता –(बीच में आके रमन का हाथ हटा के अभय के कॉलर से) ये वक्त इन सब बातो का नही है दीदी के बारे में पता लगाना है कहा है किस हाल में है वो....
रमन –(अभय को घूरते हुए) तुझे तो मैं बाद में देख लूंगा पहले भाभी का पता लगा लू....
बोल के रमन अस्पताल से बाहर निकल गया साथ में अमन भी पीछे मालती और शनाया बात कर रही थी चांदनी से जबकि इस तरफ राज और चांदनी की हालत की वजह से अभय पहले गुस्से में था उपर रमन की हरकत की वजह से अभय के गुस्से का पारा बड़ गया और तभी रमन के पीछे जाने लगा अभय तभी किसी ने अभय का हाथ पकड़ के कमरे में खीच लिया.....
ललिता –(अभय को कमरे में खीच अपने गले लगा के) शांत होजा लल्ला शांत होजा....
अभय –(गुस्से में) छोड़ दो मुझे चाची मैं इसे (बोल के चुप हो गया)....
ललिता –(रोते हुए) मुझे पता था पहली मुलाकात में समझ गई थी मैं की तू ही हमारा अभय है मैं जानती हू मै माफी के लायक नही हूं....
अभय – (ललिता के आसू पोछ के) आप क्यों माफी मांग रहे हो आपने कुछ नहीं किया चाची....
ललिता – किया है लल्ला मैने भी बाकियों की तरह गलत किया तेरे साथ मेरे सामने सब कुछ हुआ तेरे साथ और जान के भी मैं चुप रही यही मेरी गलती थी लल्ला लेकिन क्या करती मजबूर थी मैं अपने बच्चो के कारण....
अभय –कोई बात नही चाची जो हो गया सो हो गया उसे बदला तो नही जा सकता है ना....
ललिता – और दीदी....
अभय – पता नही उनका कहा है वो.....
ललिता – अभय बचा ले दीदी को बचा ले वर्ना अनर्थ हो जाएगा....
अभय –(चौक के) अनर्थ क्या मतलब है आपका....
इससे पहले ललिता कुछ बोलती तभी शनाया की आवाज आई....
ललिता –(शनाया की आवाज सुन अभय से) मैं बाद में बताती हू तुझे....
बोल के ललिता बाहर निकल गई कमरे से....
शनाया –(ललिता से) रमन ने पुलिस को इनफॉर्म किया है यहां पर आई हुई है पुलिस पूछ ताछ के लिए सबसे....
बोल के शनाया , ललिता और मालती बाहर निकल दूसरी तरफ चले गए तब इंस्पेक्टर राजेश अस्पताल में आके पहले राज को देखा कमरे में जो बेहोश पड़ा हुआ था फिर डॉक्टर से बात की तभी डॉक्टर ने एक तरफ इशारा किया जहा पर राजू , लल्ला और अभय अकेले खड़े थे एक साथ तभी राजेश उनके बीच में आके....
राजेश –(बीच में आके) हादसे वाली जगह में कौन आया था पहले....
राजू – मैं आया था अपने दोस्तो के साथ वहा पर....
राजेश – तुम्हारे बाकी के दोस्त कहा पर है....
राजू –(लल्ला और अभय को बुला के) ये है मेरे दोस्त....
राजेश –(अभय को देख के) ओहो तो ये भी है यहां पे....
राजेश –(अभय के पास आके) तुम इनके दोस्त हो अजीब बात है ये तो....
अभय – इसमें अजीब क्या है इंस्पेक्टर ये इंसान नही है क्या....
राजेश – मुझे लगा तुम अपने बराबर वालो से दोस्ती रखते होगे....
अभय – दोस्ती और प्यार में बराबरी नही देखी जाती है इंस्पेक्टर जो ये करता है वो प्यार या दोस्ती नही सिर्फ सौदा करता है....
राजेश – अच्छा एक बात तो बताओ हादसे वाली जगह में सिर्फ तुम ही कैसे आए और भी तो लोग गुजरते होगे उस जगह से सिर्फ तुम तीनो ही क्यों....
चांदनी –(बिना किसी की नजर में आए एक कोने में खड़ी होके देख और सुन रही थी राजेश की बात तभी गुस्से में बीच में आके) अपनी हद में रहो इंस्पेक्टर राजेश जब से तू आया तब से ही तेरी घटिया हरकत देख रही हू मै....
राजेश – (चांदनी से ऐसी बात सुन गुस्से में) क्या बोली , तू मेरा नाम लेके बात कर रही है जानती है किस्से बात कर रही है तू....
चांदनी –(अपना आई कार्ड दिखा के) अब समझ आया तू किस्से बात कर रहा है....
राजेश –(चांदनी का आई कार्ड देख चौकते हुए डर से सैल्यूट करके) जय हिंद मैडम , मुझे माफ करिएगा मैडम....
चांदनी – अपनी फालतू की बकवास बाद में करना पहले जाके पता लगा ठकुराइन का और याद रहे उससे पहले तेरी शकल नही दिखनी चाहिए मुझे निकल....
राजेश –(डर से सैल्यूट करके) ठीक है मैडम....
बोल के तुरंत निकल गया अस्पताल से बहरा आते ही रमन से....
राजेश – (गुस्से में) ये क्या बेहूदगी है रमन इतना घटिया मजाक मेरे साथ....
रमन –ये क्या बकवास कर रहे हो तुम मैने कब मजाक किया तुम्हारे साथ....
राजेश –ये मजाक नही तो और क्या है C B I OFFICER तुम्हारे घर में बैठी है और तुमने मुझे बताया तक नही....
रमन –(राजेश की बात सुन चौक के) क्या मेरे घर में C B I OFFICER दिमाग तो सही है ना तुम्हारा....
राजेश –क्या मतलब है तुम्हारा तुम्हे नही पता चांदनी ही C B I OFFICER है....
बोल के राजेश तुरंत निकल गया पीछे रमन अपने आप से.....
रमन –(चांदनी का नाम सुन मन में – ये C B I OFFICER है लेकिन यहां गांव में क्यों कही इसे मेरे काम पर शक तो नही हो गया , शायद इसीलिए ये हवेली में आके रहने लगी है लेकिन इसे संध्या ने बुलाया था कही संध्या को पता नही चल गया मेरे काम के बारे में तभी C B I OFFICER को बुलाया हो यहां गांव में हा यही हो सकता है तभी मैं सोचू मेरी चिड़िया क्यों उड़ने लगी है इतना कोई बात नही संध्या रानी अब देख कैसे मैं खेल खेलता हू तेरे साथ)....
मन में सोचते हुए निकल गया रमन अस्पताल के बाहर लेकिन अस्पताल के अन्दर....
इन सब बातो से अंजान मालती , शनाया और ललिता तीनों गीता देवी के साथ बात कर रहे थे तभी चांदनी उनके पास आई....
मालती –राज को होश कब आएगा....
चांदनी – डॉक्टर का कहना है शायद 24 घंटे लग सकते है होश आने में राज को....
कुछ देर बात करने के बाद मालती , ललकिता और शनाया निकल गए हवेली की इनके जाने के बाद इस तरफ अभय , राजू , लल्ला और गीता देवी एक साथ बैठे हुए थे कमरे के बाहर तभी नर्स आके बोली....
नर्स – (गीता देवी से) काकी राज के लिए कुछ कपड़े ले आइए आप , खून से सने कपड़े उतार दिए है दूसरे पहनाने है उसे और ये (राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी को देते हू) इसे धुलवा दीजिए गा....
बोल के नर्स चली गई तभी....
अभय –(राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी के हाथ से लेते हुए) मैं इसे रखता हू बड़ी मां आप राजू के साथ जाके ले आओ राज के लिए कपड़े....
गीता देवी – लेकिन बेटा ये खून वाली शर्ट मुझे दे दो मैं धोने को डाल दुगी....
अभय –नही बड़ी मां अभी नही अभी इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है मुझे ये मेरे पास रहेगी....
अभय की बात सुन गीता देवी के साथ राजू और लल्ला को कुछ समझ नही आया तब....
गीता देवी –ठीक है मैं राज के लिए कपड़े लेके आती हू....
बोल के गीता देवी चली गई राजू के साथ घर की तरफ....
काफी देर तक चहल पहल चलती रही अस्पताल में कुछ समय बाद गीता देवी राज के कड़पो के साथ खाना भी लेके आई सभी के लिए मन किसी का नही था खाने का लेकिन गीता देवी को मना नही कर पाया कोई रात काफी हो गई थी गीता देवी , चांदनी एक साथ राज के कमरे में बगल में बिस्तर लगा के लेटे थे वही अभय राज के दूसरी तरफ कुर्सी में बैठा बस राज को देखे जा रहा था कुछ देर बैठता तो कुछ देर के लिए कमरे से बाहर निकल जाता कमरे के बाहर आते ही राजू और लल्ला बैठे हुए थे नीद किसी की आखों में नही थी सिर्फ इंतजार कर रहे थे राज के होश में आने का सब , बाहर कुछ देर दोस्तो के साथ बैठे बैठे कुर्सी में अभय को नीद आ गई जब की इस तरफ खंडर में जब संध्या को किडनैप कर के चुप चाप लाया गया बीना किसी की नजर में आए खंडर में आते ही संध्या को बेड में लेटा दिया काफी देर बाद संध्या को होश आया अपने आप को एक वीरान जगह पा के....
संध्या – ये मैं कहा आ गई कॉन लाया है मुझे यहां पर....
आदमी –(संध्या के सामने अंधेरे में) मैं लाया हू यहां पर आपको....
संध्या –(आवाज सुन के) ये जानी पहचानी आवाज लगती है कौन हो तुम और क्यों लाय हो मुझे यहां पे....
मुनीम –(हस्ते हुए अंधेरे से संध्या के सामने आके) अब पहचाना आपने मालकिन मैं कौन हू....
संध्या –मुनीम तुम कौन सी जगह है ये है और क्यों लाय हो यहां मुझे....
मुनीम बस एक छोटा सा काम है मालकिन आपसे वो कर दीजिए उसके बाद आप जहा चाहे वहा चले जाइएगा....
संध्या – क्या मतलब है तुम्हारा और कौन से काम की बात कर रहे हो तुम....
मुनीम – गौर से देखिए इस जगह को मालकिन जानी पहचानी सी नही लगती है आपको ये जगह....
संध्या – (गौर से जगह को देखत हुए) ये तो खंडर वाली हवेली है लेकिन तुम्हे यहां क्या काम मुझ (बोलते ही दिमाग में कोई बात आई जिसका मतलब समझ के) मुनीम के बच्चे समझ गई मैं तू क्यों यहां लाया है मुझे मैं मर जाऊंगी लेकिन तुझे कभी नही बताऊंगी....
मुनीम – (हस्ते हुए) मालकिन क्या आप जानती है मरना और मारने की बात बोलने में कितना फर्क होता है जब मौत आती है उसके दर्द से ही अच्छे से अच्छे इंसानों का गुरूर टूट जाता है बस चुप चाप बता दो मालकिन वो दरवाजा कहा है यहां पर....
संध्या – जो करना है कर ले लेकिन तू कभी नही जान पाएगा....
संध्या का इतना ही बोलना था तभी मुनीम ने अंधेरे में किसी को इशारा किया 3 लोग निकल के आए आते ही उन तीनो ने संध्या को चारो तरफ से पकड़ लिया मतलब एक आदमी ने संध्या के दोनो हाथ को पकड़ लिया आगे से बाकी के दो आदमियों ने संध्या का एक एक पैर पकड़ लिया जिसे देख मुनीम हस्ते हुए जलती आग में पड़ी 2 सरिया निकाल के संध्या के पास आके....
मुनीम – मालकिन क्यों तकलीफ देना चाहती है खुद को बता दो कहा है वो दरवाजा....
मुनीम की बात सुन संध्या ने सिर हिला के ना में इशारा किया जिसके बाद मुनीम ने दोनो जलती सरिया संध्या के पैर के पंजों में लगा दी जिसके बाद संध्या की दर्द भरी चीख खंडर में गूंज उठी....
अभय –(डर से चिला के नीद से जागते हुए) Maaaaaaaaa
.
.
जारी रहेगा![]()
Keep GoingUPDATE 36
एक आदमी कमरे में बेड में बेहोशी हालत में पड़ा हुआ था की तभी उसे होश आया होश में आते ही उसकी आंख खुली अपने आप को कमरे में अकेला पाया बेड से धीरे से उठने लगा तभी उसकी एक दर्द भरी आह निकल गई...
आदमी –(दर्द में) आहहह आआआईयईई ये मैं कहा पर हू...
तभी कमरे का दरवाजा खोल एक आदमी अन्दर आया अपने सामने आदमी को होश में आया देख बोला....
आदमी –कैसे हो मुनीम जी अब हालत कैसी है तुम्हारी...
तो ये आदमी कोई और नहीं हवेली का मुनीम था जिसका पैर अभय ने तोड़ा था लेकिन बीच में ही 2 आदमी मुनीम को लेके निकल गए थे कार से उस वक्त खेर अब आगे देखते है...
मुनीम –(अपने सामने आदमी को गौर से देख) तुम यहां पर तुम तो...
आदमी –(बीच में हस्ते हुए) पहचान गया तू इतनी जल्दी...
मुनीम – तुम्हे कैसे भूल सकता हू मै रंजित सिन्हा....
आप सब तो जानते होगे रंजीत सिन्हा को अगर याद नही तो बता देता हू रंजित सिन्हा कोई और नहीं शालिनी सिन्हा के पति और चांदनी सिंह के पिता जी है....
रंजीत सिन्हा –(हस्ते हुए) बहुत खूब मुनीम जी अब कैसे हालात है तुम्हारी....
मुनीम – दर्द कम है अब पैर का लेकिन मुझे यहां पर लाया कॉन...
रंजीत सिन्हा – मेरे लोग लेके आए थे तुझे यहां पे तेरी हालत बड़ी खस्ता जैसे थी...
मुनीम – (गुस्से में) हा ये सब उस लौंडे का किया धरा है जानते हो वो कोई और नहीं बल्कि....
रंजित सिन्हा– (बीच में बात काटते हुए) ठाकुर अभय सिंह है संध्या ठाकुर का बेटा यही ना...
मुनीम – (हैरानी से) तुम्हे कैसे पता इस बात का...
रंजीत सिन्हा – (मुस्कुरा के) जब अभय यह से भागा था ना तब वो सीधा मेरी तरफ आया था अनजाने में मुलाकात हो गई हमारी फिर मुझे धीरे धीरे पता चल गया अभय की सच के बारे में तभी तो मैं यहां आता जाता रहता था इतने वक्त से....
मुनीम – (हैरानी से) अगर तुम जानते थे तो बताया क्यों नही तुमने पहले इस बारे में...
रंजित सिन्हा –तब मुझे नही पता था की अभय कभी वापस आएगा गांव में दोबारा सिर्फ अभय की वजह से ही मैं अपनी बेटी से दूर हो गया और अपनी बीवी से भी जाने कौन सा जादू कर दिया है उसने मुझे अपने ही घर से जलील होके निकलना पड़ा था....
मुनीम – वो वापस आगया है अब वो किसी को नहीं छोड़ेगा मैने देखा था उसकी आखों में नफरत और खून भरा पड़ा जाने मैं कैसे बच गया वरना मारने वाला था मुझे....
रंजित सिन्हा –(मुस्कुरा के) अब तुझे कुछ नही होगा डरने की जरूरत नहीं है तुझे...
मुनीम – लेकिन करूगा भी क्या अब हवेली से निकाल जो दिया उस ठकुराइन ने मुझे जाने कौन सी वो मनहूस घड़ी थी जो मैने रमन की बात मान लौंडे को मारने के लिए आदमी लेके गया कॉलेज में और ये हाला हो गई मेरी....
रंजीत सिन्हा –(बात सुन के) बदला लेना चाहता है तू संध्या से....
मुनीम – तो चाहिए मुझे संध्या से भी और उस लौंडे से भी लेकिन कैसे इस हालत में...
रंजित सिन्हा – ज्यादा मत सोच बस कुछ खा पी ले और चलने लग 2 से 3 दिन में ठीक हो जाएगा (लाठी देते हुए) ये ले इसके सहारे चल अभी अगले महीने से तुझे इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी...
मुनीम – उससे पहले उस लौंडे का इससे बुरा हाल करना चाहता हू मै...
रंजित सिन्हा –(मुस्कुरा के) अगर तू सच में ऐसा चाहता है तो एक काम करो होगा तुझे....
मुनीम – क्या काम करना होगा.....
रंजित सिन्हा –खंडर के बारे में क्या जनता है तू....
मुनीम –(चौक के) इस बात का खंडर से क्या मतलब है....
रंजित सिन्हा – मतलब तो बहुत बड़ा है मुनीम बस तुझे जो पता है वो बता दे बस....
मुनीम – (हस्ते हुए) अब समझ आया मुझे तुम क्या चाहते हो लेकिन उसके लिए संध्या ठाकुर की जरूरत पड़ेगी क्योंकि खंडर में जो कुछ भी है उसकी चाबी संध्या ठाकुर है उसके बिना कुछ भी नही होगा और मेरे बिना तुम तो क्या कोई भी जानकारी नहीं निकाल पाएगा संध्या ठाकुर से....
रंजित सिन्हा –अच्छा तो तू हमारा काम कर बदले में को मिलेगा आधा आधा बोल क्या बोलता है....
मुनीम – (खुश होके) मंजूर है मुझे लेकिन रमन का क्या....
रंजित सिन्हा – उसकी फिकर मत कर वो वैसे भी किसी काम का नही हमारे और ही हमारा कुछ बिगड़ पाएगा कुछ भी...
मुनीम –ठीक है अब ये बताओ ठकुराइन को कैसे लाओगे खंडर में...
रंजित सिन्हा –तू उसकी फिकर मत कर बस एक कॉल का इंतजार है मुझे उसके बाद जल्द ही संध्या हमारे पास होगी तब तक तू खा पी यहां पे सेहत सही होगी तो जल्दी ही ठीक होगा तू....
बोल के निकल गया रंजीत सिन्हा उसके जाते ही मुनीम खाने में टूट पड़ा खाते हुए मुनीम को देख...
रंजित सिन्हा –(मन में – एक बार काम हो जाय ये उसके बाद यही तेरी कब्र बना दुगा मुनीम कोई नही जान पाएगा तू यहां कभी आया भी था)....
इनसे कुछ दूर हवेली में संध्या आज बहुत खुश थी क्योंकि आज उसे उसकी बहन मिल गई थी साथ ही संध्या खाने की टेबल में शनाया के साथ आके खाने के वक्त हवेली में सबको ये बात बता दी जिसके बाद किसी ने कुछ भी जाड़ा नही बोला बस नॉर्मल बात हुई और चले गए कमरे में आराम करने शनाया आज संध्या के कमरे में बेड में लेती थी....
शनाया –(संध्या से) तू बिल्कुल पहले की तरह आज भी बहुत खूबसूरत है ऐसा लगता है उमर वही की वही रुक गई हो तेरी....
संध्या –(मुस्कुरा के) मेरी छोड़ तू अपनी देख पहले बिल्कुल हेल्थी थी और अब देख ऐसा लगता है आसमान से परी उतार आई हो , अभय तो तुझे फिट कर दिया पूरा...
अभय का नाम सुन शनाया के चेहरे की हसी जैसे थम सी गई....
शनाया – संध्या अभय तेरा बेटा है तो वो हॉस्टल में कैसे आया और उसने कभी बताया क्यों नहीं तेरे बारे में जब मैने पूछा था तो शालिनी सिन्हा का बताया मुझे आखिर ऐसा क्यों संध्या क्या बात है....
संध्या –(सवाल सुन बेड से उठ के बैठ सीरियस होके अपनी आप बीती सुनाने लगी जिसके बाद) और शायद उस रात उसने देखा था इसीलिए पहली मुलाकात में ही उसने बदचलन बोल दिया मुझे मैं समझ गई इसका मतलब जरूर उसने देखा है...
बोल के रोने लगी संध्या उसके कंधे पे हाथ रख....
शनाया –तो तूने बताया क्यों नहीं उसे सच....
संध्या – वो कुछ भी सुनने को तयार नही है शनाया जब भी मिलता तो अपने शब्दो की छूरी मुझे चला के निकल जाता लेकिन अभी ना जाने कैसे उसने तना देना बंद कर दिया अच्छे से बात करने लगा था लेकिन फिर उस रात को....
शनाया – (बात ध्यान में आते ही) हा संध्या उस रात खाने पे आया था तो क्या हुआ था उस रात में....
संध्या –(उस रात की बात बता के) उसके बाद वो भी चला गया मुझसे नाराज़ होके अब तू बता मैं क्या करू....
शनाया –(अपने मन में – मैं क्या बताऊं तुझे इस बारे में संध्या जाने किस्मत कहा ले आई मुझे जिससे प्यार किया वो धोखा दे के भाग गया प्यार ना करने की कसम खाई लेकिन प्यार हुआ भी उससे जिसने जीना सिखाया मुझे और आज पता चला वो मेरा ही भांजा है अब कैसे फेस करूगी अभय को क्या बोलूगी उसे)....
संध्या –(शनाया को सोच में डूबा देख उसके कंधे पे हाथ रख के) क्या हुआ तुझे किस सोच में डूबी है....
शनाया –(अपनी सोच से बाहर आके) कुछ नही सोच रही हू किस्मत भी कितने अजीब खेल खेलती है इंसान के साथ....
संध्या –हा जो किस्मत में लिखा होता है वही होता है अब न जाने मेरी किस्मत में क्या लिखा है....
सही भी है न जाने किसकी किस्मत में क्या लिखा है जैसे इस तरफ रमन है जो लगा हुआ है कौल पे कौल मिलाए जा रहा है शंकर को लेकिन हर बार मोबाइल बंद बता रहा है अब उसे क्या पता की शंकर तो गांव के बाहर निकल ही नही पाया है अभी तक....
रमन – (मन में –ये साला शंकर भी कहा मर गया है न खुद कौल कर रहा है ना ही पता साले का कही पुलिस ने पकड़ लिया ऐसा होता तो कब का मुझ तक पहुंच जाति पुलिस ना जाने कौन से बिल में छुपा बैठा है ये)....
जबकि हॉस्टल में जब अभय जानकारी ले रहा था शंकर से तभी सायरा ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा...
सायरा –(अभय के कंधे पे हाथ रख) इसे एक बार मेरे हवाले कर दो अभय उसके बाद तुम्हे हर बार टॉचर करने की जरूरत नही पड़ेगी एक बार में ही बोलने लगेगा सब कुछ....
सायरा के मू से अभय का नाम सुन शंकर की आंखे बड़ी हो गई तुरंत बोला....
शंकर –(हैरानी से) तुम अभय ठाकुर हो....
अभय –(मुस्कुरा के) हा मैं ही ठाकुर अभय सिंह हू जिसे तुम लोगो ने मारा हुआ साबित कर दिया था दस साल पहले....
शंकर – म...म...मुझे माफ कर दो अभय बाबू मैने सच में कुछ नही किया है सब रमन के कहने पर करता था मैं उसी ने मुझे गांव का सरपंच बनवाया था ताकि गांव में जो भी हो रमन के हिसाब से हो....
अभय –(शंकर की बात सुन) एक बात तो बता जब तक तू जानता नही था की मैं अभय हू तब टाउचर करने पे बताता था बात अब जान गया मैं अभय हू तो बिना टॉचर के बता रहा है बात मुझे क्यों भला...
शंकर – अभय बाबू भले मैं कैसा भी सही लेकिन मैं भी इंसान ही हू गांव वालो की परेशानी रोज सुनता लेकिन मैं क्या करता मै जानता था अगर ठकुराइन के पास गया तो रमन मुझे नही छोड़ेगा और नही गया तो गांव वाले परेशान हो जाएंगे इसीलिए रमन को गांव वालो का दुख दर्द बया करता था लेकिन वो उल्टा उनका ही बुरा करने में लगा रहता था और मैं चाह के भी कुछ नही कर पाता था आप खुद सोचो सरपंच मैं सिर्फ नाम का लेकिन हुकुम सिर्फ रमन का चलता था घर बीवी बच्चा मेरा सिर्फ नाम का लेकिन हक सिर्फ रमन का उनपर...
शंकर की बात सुन अभय और सायरा एक दूसरे को देखने लगे जिसके बाद अभय उठ के शंकर के पास जा के....
अभय –(जंजीर खोल के) तुम जाना चाहते हो ना यहां से ठीक है जाओ लेकिन तुम यहां से जिंदा नही जा पाओगे....
शंकर –(अभय को बात सुन हैरानी से) क्या मतलब....
अभय – मतलब ये सरपंच चाचा जितना तुमने बताया अगर वो सब सच है तो खुद सोचो जो इतने वक्त से हवेली में रह के अपनी ही भाभी से प्यार करके उसको ही फसाने में पीछे नहीं हटा गांव में नदी किनारे खुद ड्रग्स का काम करता है और चेक नाका पार करने के लिए कामरान का इस्तमाल किया जोकि मर चुका है और खंडर के पास अड्डा बना के माल को वही छुपाना लेकिन पहरेदारी तुमसे करवाना दोनो सुर्तो में रमन सामने नही आता है किसी के भी ऐसे में इस बात की क्या गारंटी है की वो तुम्हे भी ना फसाए क्योंकि मुझे मारने के लिए भी उसने तुम्हे कहा था खुद उसने कुछ नहीं किया तुम्ही ने कौल करके गुंडे से बात की थी ना अब तक तो पुलिस पता चल गया होगा गुंडों की डिटेल और उस डिटेल से पुलिस को तुम तक आने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा , खेर अब तुम आजाद हो चाचा जो भी हो बाहर देख लेना तुम खुद ही (सायरा से) चलो सायरा चलते है आराम करने हम....
अभय की बात सुन सायरा कुछ बोलती तभी अभय ने सायरा को आंख मार दी जिसे समझ सायरा और अभय निकल गए कमरे से बाहर लेकिन अभय कही इस बात से शंकर के दिमाग को हिला के रख दिया था....
शंकर –(मन में – क्या सोच रहा है शंकर इतना कुछ तेरे सामने होता आया है आज तक उसके बाद तुझे क्या लगता है रमन किसी का सगा हो सकता है क्या कभी नही अरे जो अपने बाप और भाई का सगा नही हुआ वो भला किसी और का क्या सगा होगा अपने आप को बचाने के लिए रमन किसी भी हद तक जा सकता है फिर चाहे तुझे पुलिस में फसाके हो या तुझे मरवा के लेकिन अब क्या करू मैं क्या अभय बाबू मदद करेंगे मेरी) अभय बाबू मुझे बचा लो बदले में जो बोलोगे मैं वही करूगा...
सायरा और अभय जो कमरे से जा रहे थे शंकर की बात सुन के रुक एक दूसरे को देख हल्का मुस्कुरा के पलट के....
अभय –(नाटक करते हुए) लेकिन चाचा अब मैं क्या कर सकता हू मुझपे हमाल हुआ था वहा पर मुझे मोबाइल मिला और उसमे तुम्हारा नंबर इसीलिए तुम्हे यहां ले आया पता करने लेकिन आज तुम्हारी बात सुन के लगा तुमने जो किया मजबूरी में किया इसीलिए मैंने तुम्हे छोड़ने का सोच के जंजीर खोल दी तुम्हारी...
शंकर – आप तो अभय ठाकुर हो आप कुछ भी कर सकते हो बस मुझे बचा लो इस झमेले से अभय बाबू बदले में जो बोलो मैं करने को तयार हू...
अभय – क्या करोगे मेरे लिए कुछ बचा है बताने को अब तुम्हारे पास....
अभय की बात सुन शंकर का मू उतर गया जिसे देख एक पल के लिए सायरा और अभय के चेहरे पे हल्की सी विजय मुस्कान आ गई जिसके बाद.....
अभय –ठीक है तुम्हे कुछ नही होगा लकी उसके लिए तुम्हे यही पर रहना होगा चुपचाप खाना पीना सब मिलेगा तुम्हे यहां पर बस जब तक मैं न बोलूं बाहर मत निकालना अगर निकले तो मेरी जिम्मेदारी उसी वक्त खत्म हो जाएगी...
शंकर – मुझे मंजूर है..…
अभय – ठीक है तुम आराम करो...
बोल के सायरा और अभय निकल गए कमरे से बाहर आते ही दोनो हसने लगे धीरे से....
सायरा – क्या तो उल्लू बनाया तुमने उसे बेचारे का चेहरा देखने लायक था उसका....
अभय –(बेड में लेट के)शक की सुई बार बार मुनीम पे आके रुक जा रही है आखिर कहा जा सकता है ये मुनीम....
सायरा –मुनीम या तो हवेली में होता या रमन के साथ लेकिन अभी उसका कोई पता नही जाने कहा चला गया होगा....
अभय –(कुछ सोचते हुए) टांग तोड़ी थी मैंने उसकी ओर टूटी टांग के साथ एक अकेला कहा जा सकता है कोई...
सायरा – अस्पताल के सिवा कहा जाएगा....
अभय –(बेड से उठ के) मैं पता करके आता हू अस्पताल में....
सायरा –(अभय को रोक के) रमन पता लगाने में लगा हुआ था उसे तक पता नही चला और तुम्हे लगता है तुम पता लगा लोगे उसका....
अभय –(सायरा की बात सुन कुछ सोच के किसी को कौल मिलता है) हेलो क्या कर रहा है....
राजू – घर में आराम और क्या...
अभय – एक काम है तेरे से....
राजू – हा बता भाई....
अभय – मुनीम का पता लगाना है कैसे पता लगाऊं कुछ मदद कर....
राजू – (कुछ सोच के) अच्छा थोड़ा वक्त दे शाम तक बताता हू जैसे कुछ पता चलता है मुझे....
अभय – ठीक है शाम को मिलता हू मै...
बोल के कौल कट कर दिया जिसे देख सायरा बोली...
सायरा – रमन ठाकुर जो ना कर पाया तुम्हारा दोस्त कर सकता है क्या ये सब....
अभय – (मुस्कुरा के) कुछ ना सही से कुछ सही कम से कम कोई तो बात पता चलेगी देखते है क्या पता चलता है राजू को....
शाम होते ही अभय हॉस्टल से निकल के टहलते हुए जा रहा था दोस्तो के पास तभी रास्ते में पुलिस जीप निकल रही थी जिसमे राजेश बैठा था और उसकी नज़र अभय पर पड़ी जीप को अभय के पास रोक के....
राजेश –कैसे हो अभी....
अभय –(राजेश को सामने देख) अच्छा हू....
राजेश –कही जा रहे हो तो छोड़ दू मैं....
अभय – नहीं शाम को अक्सर पैदल टहलने की आदत है मेरी....
राजेश –ओह मैने सोचा उस दिन तो सही से बात नही हो पाई थी तुम्हे देखा सोचा आज बात कर लेते है....
अभय –अब मुझसे क्या बात करनी है आपको वैसे भी हवेली में ठकुराइन आपकी दोस्त है ना की मैं....
राजेश –(मुस्कुरा के) अरे मैं सिर्फ नॉर्मल बात करना चाहता था तुमसे खेर (चारो तरफ नजर घुमा के जहा इन दोनो के सिवा कोई नही था) देखो अभी मैं जानता हूं तुम DIG के बेटे हो गांव में आते ही तुमने काफी कांड किए है यहां तक तुमने कई लोगो को मारा भी है लेकिन मेरा उनसे कोई मतलब नहीं है मैं ये भी जानता हू तुम्हे दौलत और पैसों से मतलब है इसीलिए तुमने उसदीन हवेली से वो गोल्ड फ्रेम चुराया था ना देखो इन छोटी मोटी चोरी से कुछ नही मिलने वाला है मेरा साथ दो तुम लंबा हाथ मारेगे मिल के हम....
अभय –(राजेश की बात गौर से सुन आंख सिकुड़ के) क्या मतलब है तुम्हारा....
राजेश –उस दिन संध्या ने तुम्हे जिस तरह से बचाया मैं तभी समझ गया था तुम उनलोगो के मेहमान जरूर हो लेकिन काफी खास हो तो अगर तुम संध्या तक पहुंचने में मदद कर दो मेरी बदले में मैं तुम्हे माला मॉल कर दुगा (हाथ मिलाने को अपना हाथ आगे बड़ा के) डील....
अभय –(मुस्कुरा के हाथ मिला के) ये दुनिया बड़ी हरामजादी है इंस्पेक्टर साहेब और तुम तो एक नंबर के मादरचोद....
बोल के राजेश को तुरंत पास की झाड़ियों में धक्का दे दिया जिससे राजेश डिसबैलेंस होके गिरा जहा झाड़ियों के साथ कीचड़ पड़ा हुआ था जिस कारण पूरे कड़पे कीचड़ में सन गए राजेश के जिसे देख अभय बोला....
अभय –जो तेरे दिमाग में है वही अब तेरे कपड़ों में दिख रहा है राजेश तुझ से पहले कामरान ने भी अपनी अकड़ दिखाई थी मुझे लॉकअप में बंद करके सिर्फ एक फोन आने से दुनिया पलट गई थी उसकी अच्छा रहेगा दोबारा मेरा रास्ता रोकने की सोचना भी मत समझा....
बोल के अभय निकल गया वहा से पीछे से राजेश गुस्से में....
राजेश –(गुस्से में) बहुत भारी पड़ेगा तुझे अभी गलत इंसान के गिरेबान में हाथ डाला है तूने....
गुस्से में राजेश तुरंत निकल गया थाने की तरफ वहा आते ही....
हवलदार –(थानेदार की हालत देख) साहेब ये क्या हो गया आपको....
राजेश –(गुस्से में हवलदार से) चुप चाप अपना काम कर समझा और जाके वो फाइल निकाल तूने बताया था ना गांव के बाहर कही पर कतल हुआ था कई लोगो का उसकी पूरी जानकारी चाहिए मुझे तब तक मैं कपड़े बदल के आता हू....
बोल के राजेश कमरे की तरफ निकल गया कपड़े बदलने पीछे से हवलदार अपने साथियों से....
हवलदार – लगता है थानेदार उसी लौंडे से भिड़ के आ रहे है...
दूसरा हवलदार – लगता है इसका भी वही हाल होगा जो कामरान का हुआ था तब समझ आएगा इसे भी....
बोल के फाइल डूडने लगे अलमारी से हवलदार राजेश के आते ही फाइल टेबल में रख दी हवलदार ने जिसे राजेश चेक करने लगा....
राजेश –(हवलदारों से) चलने की तयारी करो मुझे छानबीन करनी है उसी जगह...
बोल के राजेश जीप से निकल गया इस तरफ अभय की मुलाकात हुई राजू से जहा पे राज और लल्ला भी साथ बैठ बाते कर रहे थे अभय ने शंकर की बताई सारी बात दी...
राजू – मैंने पता लगाया मुनीम का जिस दिन टांग टूटी उसकी उसको अस्पताल ले जाया गया था उसके बाद से उसका कुछ पता नही है और जिनके साथ गया था अस्पताल वो गांव के नही थे कोई कार थी जिसमे गए थे वो लोग वो कार दिखी नही कही अभी तक....
अभय –(बात सुन के) यार ये हो क्या रहा है साला मेरा दिल बोल रहा है मैं सच के करीब हू लेकिन....
राज –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) परेशान मत हो मेरे भाई पता चल जाएगा मुनीम का भी जाएगा कहा वो आएगा तो गांव में ही....
अभय –चल छोड़ यार ये बता एग्जाम की तयारी कैसी चल रहे है सबकी....
लल्ला – मेरी तो मस्त चल रही है भाई....
राज –(बात सुन के) अच्छा तो जरा ये बता कब मिला रहा है निधि से...
लल्ला –यार अभी एग्जाम निपट जाय फिर अभी वो निकल नही रही है हा एली से एग्जाम के चक्कर में....
राजू –(हस्ते हुए) हा बेटा इसीलिए तू एग्जाम की तयारी पहले से कर के बैठा है ताकि फोन पे रोज बात होती रहे क्यों बे....
लल्ला – (बात सुन के) हा हा जैसे तू तो मोबाइल में सिर्फ COD खेलता रहता है....
राज –(दोनो की बात सुन के) तुम दोनो सालो और कोई काम धाम है नही दोनो के पास जब देखो मोबाइल में लगे रहते हो कभी गेम में कभी बात करने में सुधार जाओ बे....
अभय –(राज की बात सुन के) अबे हर किसी की किस्मत तेरे जैसी कहा होती है बे...
राज –क्या मतलब है बे....
अभय – तू अपना देख पहले रोज कॉलेज के बाद गायब ऐसे हो जाता है जैसे कॉलेज आया ही ना हो तुरंत निकल के चला जाता है दीदी के पास काम के बहाने और इन दोनो को बोल रहा है....
राज – वो इसीलिए क्योंकि ठकुराइन का हुकुम है चांदनी को कम सिखाने का समझा....
अभय – हा हा समझ गया बड़ा आया ठकुराइन का चमचा....
राज –(राजू और लल्ला से) लगता है कही जलने की बदबू आ रही है...
अभय –(राज की बात सुन के) क्या बोला बे तेरी तो...
बोल के राज भाग साथ में अभय भी भागा राज के पीछे साथ में राजू लल्ला भागने लगे हस्ते हुए मस्ती से भरी इनकी शाम गुजर गई सब अपने अपने घर निकल आए और अभय हॉस्टल में जबकि इस तरफ राजेश फॉर्महाउस में डूडने में लगा हुआ था कुछ जो उसे मिल नही रहा था रात होने को थी लेकिन राजेश पर जैसे एक जुनून सवार था थक हार कर गुस्से में....
राजेश –(हवलदारों से) सोचा था एक सबूत अगर मिल जाता तो उस लौंडे के लंका लगा देता मै लेकिन यहां तो जैसे कुछ है ही नही...
हवलदार –साहेब हमने और कामरान ने सबूत डुंडे थे लेकिन हम भी कुछ नही मिला था तब यहां पे ऐसे लगता था जैसे सारे सबूत साफ किया गए हो....
राजेश –आखिर कॉन हो सकता है जो इतनी चालाकी से सारे सबूत साफ कर सकता है....
हवलदार – साहेब पक्का तो नही लेकिन मुझे तो लगता है वो लौंडा जो खुद को DIG का बेटा बता रहा था जरूर उसी ने किया होगा क्योंकि उसी ने बोला था वो आया था यहां पे....
राजेश –(हवलदार की बात सुन के) एक काम करो चलो जरा हवेली मिले आते है संध्या से.....
बोल के राजेश जीप से निकल गया हवेली की तरफ जहा पर आज शाम से ही शनाया किसी गहरी सोच में डूबी थी जिसे वो अपनी बहन संध्या को भी दिखा नही रही थी और ना ही हवेली में किसी को जबकि संध्या बहुत खुश लग रही थी अपनी बहन के मिलने से बाकी हवेली में रोज की दिनचर्या जैसा चलती है वैसे ही चल रही थी इधर शाम के वक्त संध्या गार्डन में अपनी बहन के साथ टहलते हुए....
संध्या –(शनाया से) क्या बात है शनाया काफी देर से देख रही हू तू खोई खोई सी लग रही है क्या बात है बता मुझे....
शनाया –कुछ नही संध्या बस बार बार एक ही बात दिमाग में चल रही है मेरे अगर अभय के दिल में तेरे लिए क्या सच में नफरत है अगर है तो क्यों आया गांव में वो जबकि वो जनता था यहां आने पर तेरे से सामना होगा उसका फिर भी...
संध्या – (हल्का हस के) सामना तो हुआ था उसके आते ही तुरंत मेरे से पल भर में उसने मेरी जिदंगी को हिला डाला ये बोल के की उसका किया मजाक अक्सर सच हो जाता है....
शनाया – अच्छा ऐसा क्या बोल दिया उसने....
संध्या –(मुस्कुरा के) यही की मै नकल कर के पास हुई थी वो भी अपने पति की कॉपी से....
शनाया –(बात सुन हस्ते हुए) सच में उसे पता है ये बात कैसे....
संध्या – हा उसे पता है शनाया अक्सर ये (मनन ठाकुर) अभय के पास बैठ के बाते किया करते थे उसे बताते थे हमारे कॉलेज के बारे में अपने बचपन के बारे में कैसे उनके 12 साल की उमर में गांव में बाड़ आई फिर क्या किया था उन्होंने मेरी तारीफ करना बस इस तरह की बात अक्सर किया करते थे वो अभय से और फिर धीरे धीरे उनकी तबियत खराब होने लगी थी उस वक्त अभय और मैं ज्यादा तर साथ में रहते थे इनके (मनन ठाकुर) के पास धीरे धीरे तबियत बिगड़ती गई उनकी ओर फिर एक दिन मैं और अभय रात में इनके (मनन ठाकुर) के पास सोए थे लेकिन अगली सुबह जब अभय उठा रहा था इनको (मनन ठाकुर) बाबा पुकार ते हुए लेकिन ये (मनन ठाकुर) जागे ही नहीं सो गए गहरी नीद में जब ये (मनन ठाकुर) नही उठे तभी अभय इनके सीने पे सर रख रोता रहा....
बोलते बोलते संध्या के आखों से आसू निकल आए जिसे देख शनाया ने अपने हाथ से संध्या के आसू पोंछ....
शनाया – (आसू पोंछ के) चुप कर यू रो के अपने आप को तकलीफ मत दे और इस समय अभय के बारे में सोच कैसे उसकी नफरत कम की जाए....
संध्या –इसी कोशिश में लगी हू कैसे उसकी नफरत कम करू इसमें चांदनी ने भी बहुत कोशिश की लेकिन उसदीन के बाद से ऐसा लगता है सारे किए धरे में पानी फिर गया शनाया मैने उसकी आंख में आसू देखा था उस दिन उसके कैसे यकीन दिलाऊं मैं उसे वो सच नही था...
शनाया – तू फिकर मत कर मैं बात करूगी मैं बताऊंगी सच उसे...
संध्या –नही शनाया तू मत बताना उसे कुछ भी मैने ये सोचा भी नही अगर उसे पता चला तू मेरी बहन है तो कही वो इसका मतलब भी गलत ना निकाल ले तू प्लीज उसे कुछ मत बताना अपने बारे में....
शनाया – ठीक हू तू बोलती है तो मैं कुछ नही बोलूगी उसे...
चांदनी – (दोनोंकी बात सुन बीच में आके) क्या बात हो रही हुई मौसी किसे कुछ न बताने की बात हो रही है...
शनाया – अभय को मेरे बारे में कुछ न बताए जाय...
चांदनी –(बात सुन के) हा बात तो सही है फिलहाल तो एग्जाम नजदीक आ गए है सबके तब तक के लिए आप दोनो अभय की फिकर मत करिए उसके एग्जाम निपट जाए फिर बात करते है इस बारे में...
काफी देर तक बात चलती रही तीनों की चलते हुए हवेली में जाने लगे तीनों तभी हवेली के गेट से पुलिस जीप अन्दर आने लगी जिसे दिल तीनों रुक गए तभी जीप से राजेश निकल के तीनों के पास आने लगा...
राजेश –(तीनों के सामने आके संध्या से) मुझे तुमसे अकेले में कुछ बता करनी है संध्या...
संध्या –(बात सुन) कोई बात नही इनके सामने बोल सकते हो जो भी बात है...
राजेश – उस दिन जब मैं हवेली आया था तब वो लड़का अभी नाम का वो किस लिए आया था हवेली में...
संध्या –(राजेश के मू से अभय की बात सुन आंख सिकुड़ के) तुम कहना क्या चाहते हो आखिर....
राजेश – देखो संध्या मैं बात घूमा फिरा के नही बोलूगा कुछ भी लेकिन वो लड़का कुछ ठीक नहीं है....
अभय के लिए बात सुन संध्या और शनाया कुछ बोलने को हुई थी की चांदनी ने बीच में ही दोनो के कंधो में हाथ रख बीच में बोल पड़ी...
चांदनी –(बीच में) इंस्पेक्टर आपको जो बात बोलनी है खुल के बोलिए जरा समझ में आए आखिर कहना क्या चाहते है आप....
राजेश – देखो संध्या मेरी दोस्त है इसीलिए बता रहा हू वो लड़का DIG का बेटा है और यहां पर पड़ी करने आया है लेकिन मुझे जहा तक लगता है उसका मकसद पढ़ाई नही कुछ और है शायद आपको पता नही लेकिन उसके आने के बाद गांव के 16 km दूर जंगल के बीच एक फार्म हाउस में करीबन 60 से 70 लोगो की लाशे मिली थी और लॉकअप में उस लड़के ने ये बात कबूल की है कामरान और हवलदारों के सामने...
चांदनी – (इंस्पेक्टर की बात सुन) अच्छा बड़ी अजीब बात है एक अकेला लड़का 18 साल का जो यहां पढ़ाई करने आया है वो 60 से 70 लोगो को मारेगा अकेला काफी दिलचस्प बात कही है आपने वैसे आपने जो अभी बात बताई इसका कोई सबूत है क्या आपके पास...
राजेश –(चांदनी की सबूत वाली बात सुन आंख चुराते हुए) वो...वो....मेरे पास कोई सबूत नहीं है लेकिन कोशिश कर रहा हू सबूत डूडने की मिलते ही इस लड़के को जेल में बंद करके सब कुछ उगलवा लुगा मैं एक सबूत मिल जाय बस...
चांदनी – बिना सबूत के किसी पे इल्जाम लगाना आप जैसे पुलिस वालो को शोभा नहीं देता इंस्पेक्टर साहेब जब तक सबूत न हो आप किसी के भी मुजरिम नही बोल सकते है...
राजेश – हा जनता हू , मैं बस दोस्ती के नाते संध्या को सावधान करने आया था ताकि उस लड़के से दूर रहे कही ऐसा...
संध्या –(इतनी देर से राजेश की बकवास सुन गुस्से में) बस करो बहुत बोल दिया तुमने बिना जाने पहचाने किसी के बारे में जो मन में आया वो बोलते चले जाओगे तुम परेशानी क्या है तुम्हारी आखिर और मैने तुमसे एक मदद मांगी लेकिन तुम्हारा ध्यान कही और ही लगा हुआ है लगता है बहुत बड़ी गलती कर दी तुमसे मदद मांग के सोचा था दोस्त हो तुम तुम समझोगे मेरी तकलीफ को खेर जाने दो कोई जरूरत नहीं है मदद की मुझे तुम्हारी मैं खुद बात कर लूंगी इतनी पावर है मुझमें अभी भी तुम जाओ अपना काम करो...
बोल के संध्या , शनाया और चांदनी हवेली के अन्दर चले गए तभी पीछे से रमन चुप के इनकी सारी बाते सुन रहा था इन तीनों के जाने के बाद रमन अपनी जगह से निकल राजेश के पास आया...
रमन – (राजेश से) लगता है आज तुम्हे भी उस लौंडे की वजह से बात सुनने को मिली है संध्या से...
राजेश –(रमन को देख) हा ठाकुर साहब...
रमन –(मुस्कुरा के) ठाकुर साहब नही सिर्फ रमन बोलो मुझे...
राजेश – रमन आखिर उस लौंडे के लिए इतनी बाते क्यों सुना गई मुझे...
रमन – क्योंकि संध्या उस लौंडे को अपना बेटा अभय समझ रही ही...
राजेश –(बात सुन) क्या , ये क्या बकवास बोल रहे हो तुम मारा हुआ कैसे जिंदा हो सकता है...
रमन –यही बात संध्या को समझनी चाहिए लेकिन इसके दिमाग में कुछ बात जाय तो ना बस उस लौंडे के चक्कर में पगलाई हुई है हर और हर बार वो लौंडा इसके मू पर इसकी बेइज्जती कर के निकल जाता है और ये फिर से चली जाति है उसके पास समझ में नहीं आ रहा कैसे छुटकारा मिलेगा उस लौंडे से अगर तुम मदद कर सके छुटकारा दिलाने में तो मू मांगी कीमत दुगा मैं...
राजेश –(रमन की बात सुन के) अगर ऐसी बात है तो इस काम के लिए पैसा नही पार्टनर शिप चाहिए और काम होने के बाद संध्या चाहिए मुझे बस मंजूर है तुम्हे...
रमन –(मुस्कुरा के) ओह तो तुम संध्या के दीवाने हो और हो भी क्यों ना आइटम भी मस्त है ये फुरसत से बनाया है उपर वाले ने इसको...
राजेश – (मुस्कुरा के) सही समझे तुम...
रमन –ठीक है मुझे डील मंजूर है काम होने के बाद संध्या के साथ करते रहना मस्ती अपनी...
बोल के दोनो ने एक दूसरे से हाथ मिलाया और राजेश निकल गया जीप लेके पुलिस थाने पीछे से...
रमन –(मन में –बड़ा आया पार्टनर शिप करने वाला मुझसे साला हरामी एक बार मेरा काम हो जाय उसके बाद तुझे अपने रास्ते से हटा दुगा हमेशा के लिए)
.
.
.
जारी रहेगा![]()