UPDATE 38
राजू – अरे यार ये राज कहा रह गया डेढ़ घंटे से इंतजार कर रहे है अभी तक आया क्यों नहीं ये....
लल्ला –(हस्ते हुए) मुझे तो लगता है रास्ते में जरूर हमारी चांदनी भाभी मिल गई होगी इसे वही अटक गया होगा बेचारा....
अभय –चल बे दीदी को कोई सपना थोड़ी आया होगा जो राज से मिलने आएगी रास्ते में...
राजू –(कुछ सोचते हुए) या फिर कही राज ने ही बुला लिया मिलने चांदनी भाभी को क्योंकि भाभी भी अकेली और राज भी अकेला और उसपे हसीन मौका भी है भाई....
अभय –(राजू की बात समझ के) सही बोला बे कुछ भी कर सकता है राज साला कॉलेज की छुट्टी के वक्त भी गायब हो जाता था दीदी के साथ चल बे चलते है रस्ते में मिल जाएगा पक्का....
बोल के तीनों बाइक में बैठ के निकल जाते हैं गांव की तरफ तेजी से जाते है काफी दूर आने पर....
अभय –(बाइक चलाते हुए सामने देख एक कार पेड़ से टकराई होती है) अबे ये किसकी कार है....
राजू और लल्ला –(कार को देख एक साथ) अबे ये तो ठकुराइन की कार है....
अभय तुरंत बाइक रोक उतर के तीनों पास जाते है सामने का नजारा देख....
अभय –(कार में राज और उसके कपड़े को खून से सना देख जोर से चिल्ला के) राज राज राज क्या हुआ तुझे...
राजू और लल्ला एक साथ – ये क्या हो गया राज को (राज को हिला के) उठ जा यार ये क्या हो गया तुझे....
तभी राजू की नजर सीट के पीछे चांदनी पर जाति है....
राजू –(चिला के) चांदनी भाभी....
अभय –(चांदनी का नाम सुन पीछे अपनी दीदी को देख रोते हुए) दीदी दीदी ये क्या हो गया आपको....
लल्ला – (घबराहट में) अभय राजू जल्दी से चलो अस्पताल चलो जल्दी से यार....
राजू जल्दी से राज को चांदनी के साथ पीछे बैठा देता है बीच में अभय दोनो को पकड़ के....
अभय –(रोते हुए) राज , दीदी , जल्दी चल राजू प्लीज जल्दी चल...
राजू –(जल्दी में) हा चलता हू (लल्ला से) तू बाइक लेके सीधा अस्पताल पहुंच वही मिलते है...
बोल के राजू कार को स्टार्ट कर तेजी से निकल जाता है अस्पताल पीछे से लल्ला बाइक स्टार्ट कर जैसे ही आगे चलने को होता है उसे रास्ते में एक मोबाइल पड़ा मिलता है उसे उठा के जैसे ही देखता है उसमे ठकुराइन और साथ में अभय को फोटो होती है बीना कुछ सोचे तुरंत अपनी जेब में रख के निकल जाता है लल्ला तेजी से अस्पताल की तरफ थोड़ी देर में अस्पताल में आते ही राज और चांदनी को अभय और राजू अपनी गोद में उठा के अस्पताल के अन्दर ले जाते है डॉक्टर राज को देखते पहचान के तुरंत इलाज करना शुरू कर देता है दोनो का राजू और अभय बाहर रुक के राज और चांदनी को देखते रहते है....
अभय –(रोते हुए) ये सब कैसे हो गया राजू ....
राजू –(अभय के कंधे पे हाथ रख के) घबरा मत मेरे भाई सब ठीक हो जाएगा थोड़ा रुक डाक्टर देख रहा है ना दोनो को....
ये दोनो बात कर रहे होते है तभी लल्ला आ जाता है....
लल्ला –(दोनों से) क्या हुआ कहा है दोनो....
राजू –डॉक्टर देख रहा है दोनो को कमरे में....
लल्ला –(राजू को एक साइड लाके मोबाइल दिखाते हुए) ये देख राजू राज और चांदनी भाभी अकेले नही थे मुझे लगता है शायद ठकुराइन भी थी साथ में....
राजू –(लल्ला की बात सुन चौक के) क्या...
लल्ला – हा बे वर्ना ठकुराइन की कार क्यों थी वहा पर और ये मोबाइल भी ठकुराइन का है देख इसमें ठकुराइन और अभय की तस्वीर है बचपन की....
राजू –(मोबाइल को देख) इसका मतलब ठकुराइन भी थी साथ में इनके लेकिन ठकुराइन कहा चली गई फिर....
लल्ला – पता नही यार मैं तुरंत निकल आया यहां....
राजू – (लल्ला की बात सुन) अबे तू साला सच में गधा का गधा ही रहेगा....
इससे पहले राजू कुछ बोलता डाक्टर कमरे से बाहर आया जिसे देख....
अभय –(डॉक्टर के पास जाके) डाक्टर अब कैसे है राज और दीदी....
डॉक्टर – आपकी दीदी तो बेहोश है लगता है किसी ने (chloroform) क्लोरोफॉर्म से बेहोश किया है और राज की आखों में मिट्टी डाल के काफी मार मारी है किसी ने उसे नर्स राज की आखों और जख्मों को साफ कर रही है डरने की जरूरत नहीं है बस थोड़ा इंतजार करे आप....
डॉक्टर की बात सुन अभय धम से जमीन में बैठ जाता है जिसे देख राजू और लल्ला संभालते है अभय को....
राजू – (अभय से) तू चिंता मत कर अभय सुना नही डॉक्टर ने क्या कहा डरने की जरूरत नहीं है...
अभय –(रोते हुए गुस्से में) जिसने भी ये किया है उसे मैं जिंदा नही छोड़ऊ गा एक बार पता चल जाए कौन है वो जिसने ये करके अपनी मौत को दावत दी है....
राजू –(अभय की बात सुन लल्ला को इशारा करके) तू यही रुक अभय के साथ मैं काका काकी को बता देता हू कौल पर....
लल्ला – लेकिन वो ठकुराइन का मोबाइल उसका...
राजू –(बीच में) काका काकी को बता के मैं जाता हू वही पर देखने क्या पता कुछ पता चल जाए ठकुराइन का तू बस यही रुक इंतजार कर मेरे आने का...
बोल के राजू निकल जाता है अभय की बाइक लेके रास्ते में राज के मां बाप को कॉल कर के अस्पताल में आने का बोल के उसी जगह जहा एक्सीडेंट हुआ था आते ही वहा पर चारो तरफ देखने लगता है राजू काफी देर तक देखने के बाद राजू को वहा पर कुछ नही मिलता है थक हार के राजू निकल जाता है वापस अस्पताल की तरफ इस तरफ राजू के निकलने के थोड़ी देर बाद गीता देवी आती है अस्पताल में....
गीता देवी –(अस्पताल में आते ही अभय जो जमीन में बैठ रो रहा था और लल्ला को देख) क्या हुआ अस्पताल में क्यों बुलाया राजू ने मुझे....
लल्ला –(गीता देवी को कुर्सी में बैठा के) आप बैठो पहले काकी और ध्यान से सुनो राज और चांदनी भाभी का एक्सीडेंट हुआ है डाक्टर देख रहे है दोनो को....
गीता देवी –(एक्सीडेंट की बात सुन घबरा के) क्या बकवास कर रहे हो तुम (खड़ी होके अभय के पास जाके कंधा पकड़ के) क्या हुआ कहा है राज....
अभय –(रोते हुए) वो अन्दर है बड़ी मां डॉक्टर देख रहा है...अभय से सुन के गीता देवी की आंख से आसू आने लगाते है जिसे देख....
अभय – (गीता देवी को संभालते हुए) बड़ी मां राज ठीक है अब डाक्टर ने बोला है वो ठीक है....
गीता देवी – और चांदनी.…
अभय – दीदी भी ठीक है....
तभी नर्स बाहर आती है....
गीता देवी –(नर्स से) अब कैसा है मेरा बेटा...
नर्स –अब ठीक है जख्मों की ड्रेसिंग कर दी है और आखों में पड़ी मिट्टी को साफ कर दिया है 24 घंटे तक आखों में पट्टी बंधी रहेगी उसके....
गीता देवी – हम मिल सकते है राज से...
नर्स –माफ करिए गा अभी होश नही आया है राज को जब तक होश नही आता आप बस देख सकते है उसे...
गीता देवी –(नर्स की बात सुन) होश नही आया का क्या मतलब है आपका....
नर्स –देखिए राज को काफी मार पड़ी है जिसकी वजह से खून भी काफी बहा उसका हमने खून दे दिया है उसे बस होश में आने का इंतजार कर रहे है....
अभय –(घबरा के) कब तक होश आएगा उसे....
नर्स – हो सकता है एक से दो घंटे लग जाय या शायद चौबीस घंटे भी लग सकते है....
अभय –और मेरी दीदी....
नर्स –वो ठीक है उन्हे इंजेक्शन दे दिया है कुछ ही समय में होश आ जाएगा आपकी दीदी को....
बोल के नर्स चली गई....
गीता देवी –(अभय से) ये सब हुआ कैसे अभय....
गीता देवी की बात सुन अभय ने कल से लेके राज का को प्लान था घूमने का और अभी तक सब बता दिया जिसे सुन...
गीता देवी – संध्या की कार वहा पर कैसे....
तभी लल्ला ने गीता देवी को इशारा किया जिसे समझ के गीता देवी ने अभय को बैठने को कह के लल्ला की तरफ साइड में आके....
गीता देवी –(लल्ला से) क्या बात है बेटा तूने इशारा क्यों किया....
फिर लल्ला ने एसिडेंट के बाद मोबाइल से लेके राजू की कही सब बात बता दी जिसे सुन....
गीता देवी – इसका मतलब संध्या भी साथ में थी लेकिन वो कहा गई फिर....
लल्ला – पता नही काकी लेकिन राजू गया है देखने वही पर वापस....
गीता देवी –जल्दी से कॉल मिला के पता कर राजू को कुछ पता चला संध्या का मिली उसे....
गीता देवी की बात सुन लल्ला तुरंत कौल करने लगा राजू को तभी सामने से राजू आता नजर आया जिसे देख....
गीता देवी –(राजू के पास जाके) क्या हुआ राजू कुछ पता चला क्या संध्या का....
राजू – नही काकी वहा कुछ नही मिला मुझे....
गीता देवी –(अपने सिर में हाथ रख के) हे भगवान ये सब क्या हो रहा है...
अभय –(बीच में आके) क्या हुआ बड़ी मां क्या हो रहा है....
लल्ला –(बीच में) कुछ नही अभय वो काकी राज के लिए परेशान हो रही है इसीलिए....
अभय –नही अभी राजू ने कुछ कहा तभी बड़ी मां घबरा के बोली है कुछ (गीता देवी से) बड़ी मां सच सच बताओ बात क्या है....
गीता देवी –अभय बेटा देख बात ये है की वो कार संध्या की थी लेकिन अजीब बात है लल्ला को संध्या का मोबाइल मिला वही पर लेकिन संध्या का कोई पता नही चला....
अभय –(संध्या के बारे में सुन के) वो वहा पर क्या कर रही थी इनके साथ....
किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था क्या हुआ कैसे हुआ ये सब और संध्या कहा है यही सब सोच लेके राज के कमरे के बाहर बैठे हुए थे सब की तभी नर्स ने आके बोला....
नर्स –(अभय से) आपकी दीदी को होश आ गया है....
दीदी के होश में आने की बात सुन अभय तुरंत भाग के गया चांदनी के पास जो बेड से उठ रही थी....
अभय –(चांदनी के पास आके कंधे पे हाथ रख के) दीदी आप बैठेरहो , अब कैसे हो आप....
चांदनी – (अभय को देख अपने आप को अस्पताल में पा के) मैं यहां पर कैसे और राज कहा है और मौसी कहा है....
गीता देवी –(चांदनी के पास आके सारी बात बता के) आखिर हुआ क्या था वहा पर और राज तुम लोग के साथ कैसे आया....
चांदनी –(गीता देवी की बात सुन तुरंत उठ के राज के पास जाके उसकी हालत देख रोते हू) ये कैसे हुआ किसने की इसकी ये हालत....
अभय –दीदी यही बात तो हमे भी समझ नही आ रही है....
चांदनी –(गीता देवी , अभय , राजू और लल्ला को सारी बात बता के) हम कार से निकले थे तभी किसी ने मेरे मू पे रुमाल लगा दिया उसके बाद का कुछ पता नही मुझे....
राजू – तो फिर ठकुराइन कहा गई मैंने उनको वहा पर हर जगह देखा लेकिन कही नही मिली मुझे....
अभय –शायद राज को पता हो सकता है....
लल्ला –(अभय को संध्या का मोबाइल देते हुए) ये मुझे मिला था वही रास्ते में....
संध्या का मोबाइल अपने हाथ में लेके अभय ने देखा जिसमे वॉलपेपर में संध्या के साथ अभय की बचपन की तस्वीर थी देख के अपनी जेब में रख दिया मोबाइल इस तरफ चांदनी ने तुरंत ही अपने मोबाइल से किसी को कौल कर के सारी जानकारी दी जिसके कुछ देर बाद 3 लोग चांदनी के पास आ गए अनिता , आरव और रहमान....
चांदनी –(तीनों को देख जो हुआ सब बता के) कैसे भी करके पता करो जिसपर शक आए पकड़ लो उसे भागने की कोशिश करे गोली मार दो पैर पर मुझे सारी जानकारी चाहिए किसी भी कीमत पर....
अनिता –और हवेली में....
चांदनी – क्या मतलब है हवेली से तुम्हारा....
अनिता – अभी आपने बताया हवेली में पता था सबको आप लोगो के जाने का....
चांदनी – नही उन्हें कुछ मत बोलना उनको सिर्फ इनफॉर्म कर दो इस हादसे के बारे में लेकिन किसी गांव वाले से कहलवाना खुद मत जाना समझे....
अनिता –ठीक है मैडम एक बात और है मैडम....
चांदनी – क्या बात है....
अनिता – परसो समुंदर के रास्ते माल आ रहा है रमन का और शालिनी मैडम को बात पता चल गई है इस बारे में.....
चांदनी –(चौक के) मां को ये बात कैसे पता चली....
अनिता –(अभय की तरफ देख धीरे से कान में) अभय ने शालिनी मैडम को कौल किया था और ये सारी जानकारी अभय ने दी है मैडम को....
चांदनी – CONFIRM....
अनिता – मेरे पास कौल के रिकॉर्ड है अभय के और उस दिन सरपंच शंकर के कहने पर अटैक हुआ था अभय पर इन सब के पीछे रमन का हाथ है उसी के कहने पर ये सब हुआ था और इन सब की जानकारी अभय को शंकर से मिली है....
चांदनी – (अनिता से बात सुन के) कहा है शंकर इस वक्त....
अनिता – अभय को पता है कहा है शंकर....
चांदनी –(बात समझ के) पहले पता करो संध्या मौसी के बारे में कहा है वो इस बारे में बाद में देखा जाएगा....
अनिता – ठीक है मैडम....
बोल के तीनों निकल गए....
चांदनी –(अभय को देख अपने मन में – मां सच बोल रही थी अभय खुद सच का पता लगा रहा है और मां को सब बता दिया लेकिन मुझे बताना जरूरी नहीं समझा सच में अलबेला है मेरा भाई)....
अभी कुछ ही देर हुई थी की हवेली से रमन , मालती , ललिता , शनाया और अमन अस्पताल में आ गए आते ही...
मालती – (चांदनी के पास जाके) कैसी हो चांदनी क्या हुआ है दीदी कहा है....
चांदनी – (सारी घटना बता के) पता नही कौन थे वो लोग कहा ले गए है मौसी को....
इनकी बात सुन के रमन का ध्यान अभय की तरफ गया और तभी....
रमन –(अभय के पास जाके उसका कॉलर पकड़ के) तेरी वजह से हो रहा है ये सब जब से गांव में आया है तब से ही अशांति आ गई है हवेली में....
ललिता –(बीच में आके रमन का हाथ हटा के अभय के कॉलर से) ये वक्त इन सब बातो का नही है दीदी के बारे में पता लगाना है कहा है किस हाल में है वो....
रमन –(अभय को घूरते हुए) तुझे तो मैं बाद में देख लूंगा पहले भाभी का पता लगा लू....
बोल के रमन अस्पताल से बाहर निकल गया साथ में अमन भी पीछे मालती और शनाया बात कर रही थी चांदनी से जबकि इस तरफ राज और चांदनी की हालत की वजह से अभय पहले गुस्से में था उपर रमन की हरकत की वजह से अभय के गुस्से का पारा बड़ गया और तभी रमन के पीछे जाने लगा अभय तभी किसी ने अभय का हाथ पकड़ के कमरे में खीच लिया.....
ललिता –(अभय को कमरे में खीच अपने गले लगा के) शांत होजा लल्ला शांत होजा....
अभय –(गुस्से में) छोड़ दो मुझे चाची मैं इसे (बोल के चुप हो गया)....
ललिता –(रोते हुए) मुझे पता था पहली मुलाकात में समझ गई थी मैं की तू ही हमारा अभय है मैं जानती हू मै माफी के लायक नही हूं....
अभय – (ललिता के आसू पोछ के) आप क्यों माफी मांग रहे हो आपने कुछ नहीं किया चाची....
ललिता – किया है लल्ला मैने भी बाकियों की तरह गलत किया तेरे साथ मेरे सामने सब कुछ हुआ तेरे साथ और जान के भी मैं चुप रही यही मेरी गलती थी लल्ला लेकिन क्या करती मजबूर थी मैं अपने बच्चो के कारण....
अभय –कोई बात नही चाची जो हो गया सो हो गया उसे बदला तो नही जा सकता है ना....
ललिता – और दीदी....
अभय – पता नही उनका कहा है वो.....
ललिता – अभय बचा ले दीदी को बचा ले वर्ना अनर्थ हो जाएगा....
अभय –(चौक के) अनर्थ क्या मतलब है आपका....
इससे पहले ललिता कुछ बोलती तभी शनाया की आवाज आई....
ललिता –(शनाया की आवाज सुन अभय से) मैं बाद में बताती हू तुझे....
बोल के ललिता बाहर निकल गई कमरे से....
शनाया –(ललिता से) रमन ने पुलिस को इनफॉर्म किया है यहां पर आई हुई है पुलिस पूछ ताछ के लिए सबसे....
बोल के शनाया , ललिता और मालती बाहर निकल दूसरी तरफ चले गए तब इंस्पेक्टर राजेश अस्पताल में आके पहले राज को देखा कमरे में जो बेहोश पड़ा हुआ था फिर डॉक्टर से बात की तभी डॉक्टर ने एक तरफ इशारा किया जहा पर राजू , लल्ला और अभय अकेले खड़े थे एक साथ तभी राजेश उनके बीच में आके....
राजेश –(बीच में आके) हादसे वाली जगह में कौन आया था पहले....
राजू – मैं आया था अपने दोस्तो के साथ वहा पर....
राजेश – तुम्हारे बाकी के दोस्त कहा पर है....
राजू –(लल्ला और अभय को बुला के) ये है मेरे दोस्त....
राजेश –(अभय को देख के) ओहो तो ये भी है यहां पे....
राजेश –(अभय के पास आके) तुम इनके दोस्त हो अजीब बात है ये तो....
अभय – इसमें अजीब क्या है इंस्पेक्टर ये इंसान नही है क्या....
राजेश – मुझे लगा तुम अपने बराबर वालो से दोस्ती रखते होगे....
अभय – दोस्ती और प्यार में बराबरी नही देखी जाती है इंस्पेक्टर जो ये करता है वो प्यार या दोस्ती नही सिर्फ सौदा करता है....
राजेश – अच्छा एक बात तो बताओ हादसे वाली जगह में सिर्फ तुम ही कैसे आए और भी तो लोग गुजरते होगे उस जगह से सिर्फ तुम तीनो ही क्यों....
चांदनी –(बिना किसी की नजर में आए एक कोने में खड़ी होके देख और सुन रही थी राजेश की बात तभी गुस्से में बीच में आके) अपनी हद में रहो इंस्पेक्टर राजेश जब से तू आया तब से ही तेरी घटिया हरकत देख रही हू मै....
राजेश – (चांदनी से ऐसी बात सुन गुस्से में) क्या बोली , तू मेरा नाम लेके बात कर रही है जानती है किस्से बात कर रही है तू....
चांदनी –(अपना आई कार्ड दिखा के) अब समझ आया तू किस्से बात कर रहा है....
राजेश –(चांदनी का आई कार्ड देख चौकते हुए डर से सैल्यूट करके) जय हिंद मैडम , मुझे माफ करिएगा मैडम....
चांदनी – अपनी फालतू की बकवास बाद में करना पहले जाके पता लगा ठकुराइन का और याद रहे उससे पहले तेरी शकल नही दिखनी चाहिए मुझे निकल....
राजेश –(डर से सैल्यूट करके) ठीक है मैडम....
बोल के तुरंत निकल गया अस्पताल से बहरा आते ही रमन से....
राजेश – (गुस्से में) ये क्या बेहूदगी है रमन इतना घटिया मजाक मेरे साथ....
रमन –ये क्या बकवास कर रहे हो तुम मैने कब मजाक किया तुम्हारे साथ....
राजेश –ये मजाक नही तो और क्या है C B I OFFICER तुम्हारे घर में बैठी है और तुमने मुझे बताया तक नही....
रमन –(राजेश की बात सुन चौक के) क्या मेरे घर में C B I OFFICER दिमाग तो सही है ना तुम्हारा....
राजेश –क्या मतलब है तुम्हारा तुम्हे नही पता चांदनी ही C B I OFFICER है....
बोल के राजेश तुरंत निकल गया पीछे रमन अपने आप से.....
रमन –(चांदनी का नाम सुन मन में – ये C B I OFFICER है लेकिन यहां गांव में क्यों कही इसे मेरे काम पर शक तो नही हो गया , शायद इसीलिए ये हवेली में आके रहने लगी है लेकिन इसे संध्या ने बुलाया था कही संध्या को पता नही चल गया मेरे काम के बारे में तभी C B I OFFICER को बुलाया हो यहां गांव में हा यही हो सकता है तभी मैं सोचू मेरी चिड़िया क्यों उड़ने लगी है इतना कोई बात नही संध्या रानी अब देख कैसे मैं खेल खेलता हू तेरे साथ)....
मन में सोचते हुए निकल गया रमन अस्पताल के बाहर लेकिन अस्पताल के अन्दर....
इन सब बातो से अंजान मालती , शनाया और ललिता तीनों गीता देवी के साथ बात कर रहे थे तभी चांदनी उनके पास आई....
मालती –राज को होश कब आएगा....
चांदनी – डॉक्टर का कहना है शायद 24 घंटे लग सकते है होश आने में राज को....
कुछ देर बात करने के बाद मालती , ललकिता और शनाया निकल गए हवेली की इनके जाने के बाद इस तरफ अभय , राजू , लल्ला और गीता देवी एक साथ बैठे हुए थे कमरे के बाहर तभी नर्स आके बोली....
नर्स – (गीता देवी से) काकी राज के लिए कुछ कपड़े ले आइए आप , खून से सने कपड़े उतार दिए है दूसरे पहनाने है उसे और ये (राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी को देते हू) इसे धुलवा दीजिए गा....
बोल के नर्स चली गई तभी....
अभय –(राज के खून से सनी शर्ट गीता देवी के हाथ से लेते हुए) मैं इसे रखता हू बड़ी मां आप राजू के साथ जाके ले आओ राज के लिए कपड़े....
गीता देवी – लेकिन बेटा ये खून वाली शर्ट मुझे दे दो मैं धोने को डाल दुगी....
अभय –नही बड़ी मां अभी नही अभी इसकी बहुत जरूरत पड़ने वाली है मुझे ये मेरे पास रहेगी....
अभय की बात सुन गीता देवी के साथ राजू और लल्ला को कुछ समझ नही आया तब....
गीता देवी –ठीक है मैं राज के लिए कपड़े लेके आती हू....
बोल के गीता देवी चली गई राजू के साथ घर की तरफ....
काफी देर तक चहल पहल चलती रही अस्पताल में कुछ समय बाद गीता देवी राज के कड़पो के साथ खाना भी लेके आई सभी के लिए मन किसी का नही था खाने का लेकिन गीता देवी को मना नही कर पाया कोई रात काफी हो गई थी गीता देवी , चांदनी एक साथ राज के कमरे में बगल में बिस्तर लगा के लेटे थे वही अभय राज के दूसरी तरफ कुर्सी में बैठा बस राज को देखे जा रहा था कुछ देर बैठता तो कुछ देर के लिए कमरे से बाहर निकल जाता कमरे के बाहर आते ही राजू और लल्ला बैठे हुए थे नीद किसी की आखों में नही थी सिर्फ इंतजार कर रहे थे राज के होश में आने का सब , बाहर कुछ देर दोस्तो के साथ बैठे बैठे कुर्सी में अभय को नीद आ गई जब की इस तरफ खंडर में जब संध्या को किडनैप कर के चुप चाप लाया गया बीना किसी की नजर में आए खंडर में आते ही संध्या को बेड में लेटा दिया काफी देर बाद संध्या को होश आया अपने आप को एक वीरान जगह पा के....
संध्या – ये मैं कहा आ गई कॉन लाया है मुझे यहां पर....
आदमी –(संध्या के सामने अंधेरे में) मैं लाया हू यहां पर आपको....
संध्या –(आवाज सुन के) ये जानी पहचानी आवाज लगती है कौन हो तुम और क्यों लाय हो मुझे यहां पे....
मुनीम –(हस्ते हुए अंधेरे से संध्या के सामने आके) अब पहचाना आपने मालकिन मैं कौन हू....
संध्या –मुनीम तुम कौन सी जगह है ये है और क्यों लाय हो यहां मुझे....
मुनीम बस एक छोटा सा काम है मालकिन आपसे वो कर दीजिए उसके बाद आप जहा चाहे वहा चले जाइएगा....
संध्या – क्या मतलब है तुम्हारा और कौन से काम की बात कर रहे हो तुम....
मुनीम – गौर से देखिए इस जगह को मालकिन जानी पहचानी सी नही लगती है आपको ये जगह....
संध्या – (गौर से जगह को देखत हुए) ये तो खंडर वाली हवेली है लेकिन तुम्हे यहां क्या काम मुझ (बोलते ही दिमाग में कोई बात आई जिसका मतलब समझ के) मुनीम के बच्चे समझ गई मैं तू क्यों यहां लाया है मुझे मैं मर जाऊंगी लेकिन तुझे कभी नही बताऊंगी....
मुनीम – (हस्ते हुए) मालकिन क्या आप जानती है मरना और मारने की बात बोलने में कितना फर्क होता है जब मौत आती है उसके दर्द से ही अच्छे से अच्छे इंसानों का गुरूर टूट जाता है बस चुप चाप बता दो मालकिन वो दरवाजा कहा है यहां पर....
संध्या – जो करना है कर ले लेकिन तू कभी नही जान पाएगा....
संध्या का इतना ही बोलना था तभी मुनीम ने अंधेरे में किसी को इशारा किया 3 लोग निकल के आए आते ही उन तीनो ने संध्या को चारो तरफ से पकड़ लिया मतलब एक आदमी ने संध्या के दोनो हाथ को पकड़ लिया आगे से बाकी के दो आदमियों ने संध्या का एक एक पैर पकड़ लिया जिसे देख मुनीम हस्ते हुए जलती आग में पड़ी 2 सरिया निकाल के संध्या के पास आके....
मुनीम – मालकिन क्यों तकलीफ देना चाहती है खुद को बता दो कहा है वो दरवाजा....
मुनीम की बात सुन संध्या ने सिर हिला के ना में इशारा किया जिसके बाद मुनीम ने दोनो जलती सरिया संध्या के पैर के पंजों में लगा दी जिसके बाद संध्या की दर्द भरी चीख खंडर में गूंज उठी....
अभय –(डर से चिला के नीद से जागते हुए) Maaaaaaaaa
.
.
जारी रहेगा
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
तो ढाबे पर राह देखकर घर की ओर निकले तिनों यारों को राज और चांदनी का दिखावे का ॲक्सीडंट दिखा तो उन्होंने राज और चांदनी को अस्पताल में भरती कर दिया पर वहा लल्ला को संध्या का फोन मिल गया
डॉक्टर से राज और चांदनी के कुशल होने की बात पता चली
चांदनी को होश आने के बाद उसने सारे सुत्र अपने हाथ में ले लिए हवेली से भी सभी लोग अस्पताल में पहुंच गये लेकीन रमन वहा भी अभय से अपनी खुन्नस निकालने से बाज नहीं आया साथ में पुलिस भी बुला ली वहा इन्स्पेक्टर राजेश के अभय के साथ के बर्ताव पर चांदनी भडक गयी और राजेश को वो कौन हैं ये बता दिया उसकी तो गांड फट गयी और संध्या के अपहरण की तहकिकात करने निकल गया बाहर रमन को उसने चांदनी की असलियत बता दी तो रमन की भी वाट लग गयी
इधर खंडहर में कैद संध्या के सामने मुनिम आ गया और उससे एक गुप्त दरवाजे के बारें में पुछने लगा तो संध्या के ना करने पर वो जुल्म करने पर उतर गया
उधर संध्या पर जुल्म का पहला वार हुआ इधर अभय को उसका अहसास होकर वो निंद से चिल्ला कर जाग गया
ये होता है माँ बेटे का प्रेम,भले ही आप कितना भी नकारों लेकीन वो संकट का अहसास करा ही देता है एक दुसरे को
खैर अब देखते हैं आगे अभय की भयावह प्रतिक्रिया क्या होती है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा