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खेदपूर्ण मुस्कान के साथ कस्टम ऑफिसर की ओर देखा, जो अपने आपको संयत करने की कोशिश कर रहा था। फिर मोहित भी अपना लगेज लेकर वहां से बाहर निकल गया। मोहित वेटिंग लाउंज में पहुंचा। वहां उसकी बड़ी बहन मानसी उसका इंतजार कर रही थी। मोहित को आते देख कर वो सीट पर से उठकर खड़ी हो गई। मोहित उसके पास पहुंचा तो...
होने वाली इस तरह की जांचों में संदिग्ध पाए जाने पर मरीज को क्वारंटाइन में रख दिया जाता है। इतने सालों बाद अपने देश वापस लौटने पर वो इस तरह का स्वागत नहीं चाहता था। उसने कस्टम ऑफिसर से ही पूछा। ‘‘डोंट वरी, सर।’’-ऑफिसर ने उसे तसल्ली दी-‘‘ये बस फॉर्मल जांच है। कोई मेडिकल जांच नहीं है। समझ लीजिए, एक...
मोहित इंटरनेशनल फ्लाइट से दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा। न्यूयॉर्क से दिल्ली के लम्बे सफर में ज्यादातर समय उसने सोते हुए ही बिताया था। काम की भागदौड़ के कारण पिछली कई रातों से वो पूरी नींद नहीं ले पा रहा था। वो न्यूयॉर्क में काम करता था लेकिन उसका काम ऐसा था कि उसे एक देश से दूसरे देश जाना पड़ता था।...
एडवोकेट गिरिराज वर्मा समाज में बेहद प्रतिष्ठित, सम्मानित व्यक्ति के रूप में जाना जाता था। लोग उसके आदर्श चरित्र की मिसालें देते नहीं थकते थे। लेकिन जब एक रात उसी के घर में, बेहद रहस्यमयी ढंग से उसकी हत्या हो गई तो ऐसे-ऐसे चौंकाने वाले राज सामने आए कि लोग हैरान रह गए। कौन थी सनाया गौतम, गिरिराज...
मशालें उसके जिस्म से टकरा रही हैं तो कुछ पीपल के तने से टकराकर जमीन पर गिर रही हैं। उसके जिस्म के साथ-साथ पीपल के जड़ों में भी आग लग गयी है। वह चीख रहा है, लेकिन उसकी चीख भीड़ पर बेअसर साबित हो रही है। आग धधक उठी है। वह जल रहा है। दर्दनाक चीखों के बीच कुछ बोल भी रहा है, लेकिन भीड़ के कोलाहल में मैं...
“आगे बोलो!” लड़की तुरंत कुछ नहीं बोली। पूर्व की भांति एक बार फिर उसके माथे पर पड़ने वाली सिलवटों ने बताया कि वह दृश्यों के स्पष्ट होने की प्रतीक्षा कर रही है। “पीपल के तने से कोई बंधा हुआ नजर आ रहा है। मशाल की रोशनी में मैं अनुमान के आधार पर कह सकती हूं कि वह शायद...शायद... आदमी है।....हां....वह...
आखिरकार जब दो मिनट तक लड़की के होठों का कम्पन वाक्य में तब्दील नहीं हुआ, तो युवक कह उठा- “ये.....क....कुछ बोल क्यों नहीं रही है डॉक्टर?” “कोशिश कर रही है। इसे परामनोविज्ञान में ‘जात-स्मरण’ अथवा ‘रिवर्स मेमोरी’ कहते हैं।” लड़की के होठों का कम्पन तीव्र हुआ। “क्या नजर आ रहा है?” डॉक्टर ने उसके चेहरे...
उस कमरे में एक लड़की समेत तीन लोग थे, जिसकी दीवारों से लेकर खिड़कियों के पर्दों तक का रंग नीला था। यहाँ तक कि सीलिंग को भी फ्लोरोसेण्ट ब्लू रंग के स्टीकर्स से ढका गया था। वहां व्याप्त खामोशी इस दर्जे की थी कि लोग एक-दूसरे की साँसों की ध्वनि को भी सुन सकते थे। लड़की की अवस्था इक्कीस साल थी। वह एक...
“मैं अधिक दूर नहीं जाऊंगा।” बड़ा बालक उसकी मनोदशा भांप कर बोला- “जल्द ही लौट आऊँगा। डरो मत, तुम्हें यहाँ अधिक देर तक अकेला नहीं छोडूंगा।” कहने के बाद उसने मशाल संभाला और जंगल की दिशा में बढ़ चला। छोटा बालक उसे तब तक देखता रहा, जब तक मशाल की रोशनी नजर आती रही। अंतत: अकेलेपन के भय से बचने के लिए...
उसमें दुष्ट कापालिक रहते हैं, जो पैशाचिक सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए शैतान को नरबली चढ़ाते हैं। “डरो मत! मैं जाकर देखता हूँ।” “नहीं!” छोटे ने डरे हुए लहजे में तीव्र विरोध किया- “माँ कहती थी कि रात को शंकरगढ़ के जंगल में एक पिशाच घूमता है।” छोटे भाई के भयभीत अंदाज को देखकर और माँ के सुनाए हुए...
कौतुहलता के भाव आ गये। उसने चीख की दिशा में गर्दन घुमायी। चीख उस दिशा से आयी थी, जिस दिशा में शंकरगढ़ का घना जंगल था। चीख दोबारा सुनने के प्रयास में उसने कान खड़े कर लिए, किन्तु चीख दोबारा नहीं सुनायी पड़ी। प्रतीत हुआ कि अचानक सुनाई पड़ी वह दर्दनाक चीख औरत के हलक से निकलने वाली आखिरी चीख थी। काफी...
छोटे बालक के चेहरे पर हर्ष के भाव आ गये। आराम करने के नाम पर मानो उसकी मृतप्राय: आशाएं पुनर्जीवित हो उठीं। साफ़-सुथरी जगह तलाशने के लिए बड़े बालक ने इधर-उधर गर्दन घुमाई। उसकी तलाश जल्द ही ख़त्म हो गयी। मिट्टी की उस पगडंडी, जिस पर वे आगे बढ़ रहे थे, से नीचे उतरकर थोड़ी दूर जाने पर एक पेड़ के नीचे...
“लेकिन कहां?” “शंकरगढ़।” “किन्तु हम वहां रहेंगे कहां? क्या वहां हमारा कोई दूसरा घर है?” “नहीं।” “तो फिर?” “वह सब मुझ पर छोड़ दो। तुम केवल चुपचाप मेरे साथ चलो।” छोटा बालक खामोश हो गया। आगे कुछ बोलने का हौसला न जुटा सका। काफी देर तक उनके बीच किसी भी किस्म की बात न हुई। केवल उनके पदचापों की ध्वनि ही...
इस बार इशारा ‘नहीं’ का था। दो कम्बलों की संयुक्त उष्णता पाकर छोटे बालक को राहत महसूस हुई थी। कम्बल उतारते ही सर्द हवा बड़े बालक के बदन में सुई की मानिंद चुभने लगी थी, किन्तु उसने अपने मुंह से ‘शी’ की आवाज तक नहीं निकलने दी, क्योंकि वह छोटे भाई के सामने खुद को कमजोर नहीं दिखाना चाहता था। “भूख भी...
उपरोक्त विषमताओं के साथ उन दोनों में केवल यही समानता थी कि वे नंगे पाँव थे, उनके दाँत ठण्ड के कारण बज रहे थे और वे खुद को मोटे किन्तु जगह-जगह से फटे हुए कम्बलों में लपेट रखे थे। छोटे वाले के पीछे होने की वजह ये थी कि वह कुछ समय के अंतराल पर ठहरकर पाँव के तलवे एक-एक करके ऊपर उठाकर धरातल की शीत से...
रात पूर्णिमा की थी। आसमान पर पूरे आकार का चाँद था, जिसकी दूधिया चाँदनी समूचे नीरव वातावरण में व्याप्त थी। पूस के महीने की सर्द हवा का वेग उग्र तो नहीं था, किन्तु उग्रता की सीमा से अधिक दूर भी नहीं था। पश्चिम दिशा में दृष्टि के आखिरी छोर पर गगन रक्तिम नजर आ रहा था। आसमान छूती आग की भयानक लपटें...
पड़ेगी...इस छोटे से एक्सीडेंट के पीछे फिर तेरी मम्मी कोई भयानक कहानी रच लेगी.” संग्राम सिंह ने चिढ़ते हुए कहा और वो कार की तरफ बढे और ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए उन्होंने कार को स्टार्ट करने की कोशिश की. आखिरकार कोई फौजी ऐसे छोटे-मोटे एक्सीडेंट से कैसे घबरा सकता था. कार चालू करने की भरसक कोशिश की...