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Erotica अगड़ बम

Maddy78

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“1”

51 साल की कज़री घोड़ी बनी हुईं थी और मोटा सब यही बुलाते थे उसको कज़री के छोटे छोटे नितंबो को पकड़ कर आगे पीछे धकियाते हुए उसको चोद रहा था।

“आह ऐसे ही आह! “ कज़री उसके पतले और छोटे से लण्ड लण्ड का अपमान ही होगा। लुल्ली को सिर्फ़ भगनासा पर टकराते ही बोली

पर वो भी जानती थी मोटा उसकी गर्मी शान्त ही नहीं कर पाएगा और हुआ भी यही, दस बारह धक्के ही लगा पाया और पिचकारियाँ मार कर लेट गया।

कजरी ने अपना पेटिकोट नीचे किया और ऐसे ही वीर्य से सनी हुई चूत लेकर आँगन में आकर पसर गयी। उसकी गर्मी कभी शान्त ही नहीं हुई थी। स्खलन कैसा होता है इसका स्वाद उसने चखा ही नहीं था। वो तो बस दूसरी औरतों से सिर्फ़ सुनती आयी थी।

मोटा ने ना ही कभी उसके कपड़े निकाल कर उसके बदन से खेला ना ही स्तन को छुआ और योनिरस का रसपान भी किया जाता होगा उसको पता ही नहीं था।

कज़री मन मार कर सो गयी

लेकिन अब इस उमर में कजरी की क़िस्मत बदलने वाली थी।

कज़री 51 साल की दुबली पतली गोरा रंग, सपाट पेट चर्बी का नाम निशान नहीं। ऊँचाई ५ फुट ४ इंच, सुडोल तने हुए स्तन गुलाबी निप्पल और उस पर रोम रहित चिकना बदन वही दूसरी तरफ़ मोटा थुलथुला शरीर, बेडोल काला भूसंद। किन हालात में इन दोनो की शादी हो गयी, खैर अब यही कजरी की क़िस्मत थी।

जो मेरे आने से बदलने वाली थी
 

ashish_1982_in

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51 साल की कज़री घोड़ी बनी हुईं थी और मोटा सब यही बुलाते थे उसको कज़री के छोटे छोटे नितंबो को पकड़ कर आगे पीछे धकियाते हुए उसको चोद रहा था।

“आह ऐसे ही आह! “ कज़री उसके पतले और छोटे से लण्ड लण्ड का अपमान ही होगा। लुल्ली को सिर्फ़ भगनासा पर टकराते ही बोली

पर वो भी जानती थी मोटा उसकी गर्मी शान्त ही नहीं कर पाएगा और हुआ भी यही, दस बारह धक्के ही लगा पाया और पिचकारियाँ मार कर लेट गया।

कजरी ने अपना पेटिकोट नीचे किया और ऐसे ही वीर्य से सनी हुई चूत लेकर आँगन में आकर पसर गयी। उसकी गर्मी कभी शान्त ही नहीं हुई थी। स्खलन कैसा होता है इसका स्वाद उसने चखा ही नहीं था। वो तो बस दूसरी औरतों से सिर्फ़ सुनती आयी थी।

मोटा ने ना ही कभी उसके कपड़े निकाल कर उसके बदन से खेला ना ही स्तन को छुआ और योनिरस का रसपान भी किया जाता होगा उसको पता ही नहीं था।

कज़री मन मार कर सो गयी

लेकिन अब इस उमर में कजरी की क़िस्मत बदलने वाली थी।

कज़री 51 साल की दुबली पतली गोरा रंग, सपाट पेट चर्बी का नाम निशान नहीं। ऊँचाई ५ फुट ४ इंच, सुडोल तने हुए स्तन गुलाबी निप्पल और उस पर रोम रहित चिकना बदन वही दूसरी तरफ़ मोटा थुलथुला शरीर, बेडोल काला भूसंद। किन हालात में इन दोनो की शादी हो गयी, खैर अब यही कजरी की क़िस्मत थी।

जो मेरे आने से बदलने वाली थी
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Maddy78

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गर्मी की छुट्टियाँ शुरू होते ही मैंने गाँव जाने का फ़ैसला कर लिया था और पूरी तैयारी से अपने काले भूसंद मामा रज्जन उर्फ़ मोटा के यहाँ जाने के लिए निकल चला। 15 घण्टे के थकान भरे सफ़र के बाद मैं जा पहुँचा, मोटा मामा और कजरी मामी दोनो ही मुझे बहुत प्यार करते थे । मेरी वहाँ ख़ूब आव भगत हुयी और मामा ने दिन भर यहाँ वहाँ ख़ूब घुमाया।

मामा आजकल घर पर नहीं सोता था, फसल तैयार थी तो वह अँधेरा होने से पहले ही खेत की ओर निकल गये। अब घर पर मैं और मामी ही रह गये थे, खाना जल्दी ही खाकर हम दोनो भी छत पर चले गये। बातें करते करते कब मामी और मैं कब सो गये पता भी नहीं चला।

सुबह मेरी आँख खुली तो देखा कि मामी मेरे लोअर में बने तम्बू को देख रही थी, उनको जैसे ही एहसास हुआ कि मैं जाग गया हूँ वो झेंप कर उठी और चली गयी।

मैं भी खेतों की ओर निकल गया दोपहर को भी मामी और मैं झेंप रहे थे एक अजीब सा रिश्ता जिसकी शुरुआत हो चुकी थी, मामी का बदन देख कर वो ३५ से ज़्यादा नहीं लगती थी उनको यहाँ कोई कमी नहीं थी बस कामसुख और एक बच्चा जो मामा उनको नहीं दे पाए थे।

खैर हमारी ज़्यादा बात नहीं नहीं हुई उस दिन पर खामोशी बात कर रही थी, मैंने और मामा ने खाना खाया और मामा खेतों पर निकल गये। थोड़ी देर में अँधेरा होने लगा तो मैं भी अपना बिस्तर लेकर ऊपर चला गया। आँख बंद करके लेटा था कि अचानक मामी ने आवाज़ दी,” माधो सो गया क्या?”

“नहीं मामी बस ऐसे ही लेटा हूँ।” मैंने उनको देख कर जवाब दिया

वो अपना बिस्तर नहीं लायी थी, मेरे बगल में ही बैठ गयी और साथ में लाया हुआ कम्बल मेरे पैरों के पास रखते हुए बैठ गयी।

“क्या आप आज ऊपर नहीं सो रही?” मैंने पूछा

“हाँ यहीं सो रही हूँ, ये गद्दा इतना बड़ा है तो हम इस पर ही सो सकते हैं।” कहते हुए मामी मेरे बगल में लेट गयी।

वो मेरी तरफ़ पीठ करके लेती थी और मैं आसमान को देखते हुए कुछ देर हमने इधर उधर की बातें की और मैं सो गया।

रात को मुझे अपने लिंग पर कुछ महसूस हुआ तो मैंने आँखें खोल दीं। कम्बल में मामी पूरा अंदर थी और अपना एक पैर उठाकर उन्होंने अपनी जाँघ मेरे ऊपर रखी हुई थी जिसके नीचे मेरा लिंग दब गया था, जैसे ही मुझे एहसास हुआ तो शरीर में रक्त प्रवाह ने मानो दिशा बदल ली और अब मेरा लिंग में मैं धड़कन महसूस कर रहा था और वो फूलने लगा और अपने असली आकार में आगया।

मामी ने अब अपना एक हाथ उठाया और मेरी कमर में डाल कर मुझसे लिपट गयी। उस रात इससे आगे बढ़ने की हिम्मत हम दोनो में ही नहीं थी। कब सो गया और सुबह मामी कब नीचे चली गयी नहीं पता । मैं भी सुबह नदी पर चला गया....
 

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गर्मी की छुट्टियाँ शुरू होते ही मैंने गाँव जाने का फ़ैसला कर लिया था और पूरी तैयारी से अपने काले भूसंद मामा रज्जन उर्फ़ मोटा के यहाँ जाने के लिए निकल चला। 15 घण्टे के थकान भरे सफ़र के बाद मैं जा पहुँचा, मोटा मामा और कजरी मामी दोनो ही मुझे बहुत प्यार करते थे । मेरी वहाँ ख़ूब आव भगत हुयी और मामा ने दिन भर यहाँ वहाँ ख़ूब घुमाया।

मामा आजकल घर पर नहीं सोता था, फसल तैयार थी तो वह अँधेरा होने से पहले ही खेत की ओर निकल गये। अब घर पर मैं और मामी ही रह गये थे, खाना जल्दी ही खाकर हम दोनो भी छत पर चले गये। बातें करते करते कब मामी और मैं कब सो गये पता भी नहीं चला।

सुबह मेरी आँख खुली तो देखा कि मामी मेरे लोअर में बने तम्बू को देख रही थी, उनको जैसे ही एहसास हुआ कि मैं जाग गया हूँ वो झेंप कर उठी और चली गयी।

मैं भी खेतों की ओर निकल गया दोपहर को भी मामी और मैं झेंप रहे थे एक अजीब सा रिश्ता जिसकी शुरुआत हो चुकी थी, मामी का बदन देख कर वो ३५ से ज़्यादा नहीं लगती थी उनको यहाँ कोई कमी नहीं थी बस कामसुख और एक बच्चा जो मामा उनको नहीं दे पाए थे।

खैर हमारी ज़्यादा बात नहीं नहीं हुई उस दिन पर खामोशी बात कर रही थी, मैंने और मामा ने खाना खाया और मामा खेतों पर निकल गये। थोड़ी देर में अँधेरा होने लगा तो मैं भी अपना बिस्तर लेकर ऊपर चला गया। आँख बंद करके लेटा था कि अचानक मामी ने आवाज़ दी,” माधो सो गया क्या?”

“नहीं मामी बस ऐसे ही लेटा हूँ।” मैंने उनको देख कर जवाब दिया

वो अपना बिस्तर नहीं लायी थी, मेरे बगल में ही बैठ गयी और साथ में लाया हुआ कम्बल मेरे पैरों के पास रखते हुए बैठ गयी।

“क्या आप आज ऊपर नहीं सो रही?” मैंने पूछा

“हाँ यहीं सो रही हूँ, ये गद्दा इतना बड़ा है तो हम इस पर ही सो सकते हैं।” कहते हुए मामी मेरे बगल में लेट गयी।

वो मेरी तरफ़ पीठ करके लेती थी और मैं आसमान को देखते हुए कुछ देर हमने इधर उधर की बातें की और मैं सो गया।

रात को मुझे अपने लिंग पर कुछ महसूस हुआ तो मैंने आँखें खोल दीं। कम्बल में मामी पूरा अंदर थी और अपना एक पैर उठाकर उन्होंने अपनी जाँघ मेरे ऊपर रखी हुई थी जिसके नीचे मेरा लिंग दब गया था, जैसे ही मुझे एहसास हुआ तो शरीर में रक्त प्रवाह ने मानो दिशा बदल ली और अब मेरा लिंग में मैं धड़कन महसूस कर रहा था और वो फूलने लगा और अपने असली आकार में आगया।

मामी ने अब अपना एक हाथ उठाया और मेरी कमर में डाल कर मुझसे लिपट गयी। उस रात इससे आगे बढ़ने की हिम्मत हम दोनो में ही नहीं थी। कब सो गया और सुबह मामी कब नीचे चली गयी नहीं पता । मैं भी सुबह नदी पर चला गया....
nice update bhai
 
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