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Erotica अगड़ बम

Maddy78

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तीसरी रात भी मामी और मैं एक ही बिस्तर पर सोये और सुबह मैंने पाया मेरा लोअर और जोकी नीचे था और लण्ड कम्बल में तना हुआ फुदक रहा था, ये हरकत मामी ने ही की थी और अगली रात मैंने ठान लिया की मामी को रंगे हाथ पकड़ कर उनसे ऐसा करने का कारण पूछना ही था।

और अगली शाम मामा के जाते ही मैंने खाना खाया और बिस्तर लेकर ऊपर आगया, आज मामी बहुत देर बाद आयी। या वो मेरे सो जाने का इंतेज़ार कर रही थी।

आकर वो लेट गयी धीरे से मुझे पुकारा पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया, मैं चाहता था कि उनको यही लगे कि मैं सो गया हूँ। जब उनको ये यक़ीन हो गया कि मैं सो रहा हूँ तो वह भी मेरी तरफ़ मुँह करके लेट गयी।

वो थोड़ी देर बाद अपने आप में ही कुछ बुदबुदा रही थी, मैंने ध्यान लगाया कि वो क्या बोल रही हैं
“ माधो, तेरा कितना बड़ा और मोटा है। तेरे मामा का तो बहुत पतला और छोटा है, कुछ कर भी नहीं पाते दो चार धक्कों में ही झड़ जाते हैं। कितनी क़िस्मत वाली होगी जिसको ये मिलेगा।”


ये कहते हुए उन्होंने मेरे लिंग पर हाथ रख दिया और मेरे बदन में झुरझुरी उठ गयी, मेरे कम्पन को मामी ने भी महसूस किया उन्होंने मेरे मुँह की तरफ़ देखा तो उनको यही लगा कि मैं सो रहा हूँ।उन्होंने अपना हाथ धीरे धीरे ऊपर ही घुमाना शुरू किया और लिंग तन गया जैसे ही उन्होंने अपना हाथ मेरे लोअर में डाल कर लिंग को पकड़ा वैसे ही मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और,” मामी ये क्या कर रही हो आप?”

मामी ने लिंग को छोड़ा ही नहीं बोली,” माधो मैं बहुत तरस रही हूँ, बरसों से प्यासी हूँ ।”

“ये ग़लत है मामी।” मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं कर पायी थी की मामी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया

“क्या ग़लत है? तेरे मामा कुछ करने के लायक़ नहीं है और आज तक हमारे कोई औलाद नहीं हुई, एकाध महीने या साल में मेरा महीना भी बन्द हो जाएगा फिर कुछ नहीं होगा।” कहते हुए मामी उठकर बैठ गयी और रोने लगी

मैंने मामी की पीठ पर हाथ रखा तो वो और भी सिसकने लगी , एकाएक वो पलट कर मेरी आँखो में देख कर बोली,” माधो मुझे प्यार कर ले मुझे भी जानना है एक मर्द का सुख कैसा होता है? अगर बन पायी तो माँ कहलाऊँगी नहीं तो सारे गाँव की औरतें मुझे पीठ पीछे बाँझ बुलाती है।”

इसके बाद मामी सिर्फ़ रो रही थी और वो रोते रोते सो गयी, मैं यही सोच रहा था कि अगर मामा सच में उनको ख़ुश नहीं कर पा रहे माँ नहीं बना पा रहे तो इसमें मामी की क्या गलती है जो उनको सबकी बातें सुनना पड़ती है।

मामी रोते रोते सो चुकी थी, उनके कान के पास के बाल चाँदनी में चमक रहे थे सफ़ेदी छाने लगी थी, लेकिन बदन पर चर्बी का नामों निशान नहीं था, मैं मामी से लिपट कर लेट गया। मुझे उनकी हालत का अंदाज़ा हो रहा था, वो कैसा जीवन निकाल रही थी ये मैं जानता था। मैं उनसे दिन में इस बारे में बात करने का फ़ैसला लेकर सो गया

आगे.... नया सवेरा
 

ashish_1982_in

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तीसरी रात भी मामी और मैं एक ही बिस्तर पर सोये और सुबह मैंने पाया मेरा लोअर और जोकी नीचे था और लण्ड कम्बल में तना हुआ फुदक रहा था, ये हरकत मामी ने ही की थी और अगली रात मैंने ठान लिया की मामी को रंगे हाथ पकड़ कर उनसे ऐसा करने का कारण पूछना ही था।

और अगली शाम मामा के जाते ही मैंने खाना खाया और बिस्तर लेकर ऊपर आगया, आज मामी बहुत देर बाद आयी। या वो मेरे सो जाने का इंतेज़ार कर रही थी।

आकर वो लेट गयी धीरे से मुझे पुकारा पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया, मैं चाहता था कि उनको यही लगे कि मैं सो गया हूँ। जब उनको ये यक़ीन हो गया कि मैं सो रहा हूँ तो वह भी मेरी तरफ़ मुँह करके लेट गयी।

वो थोड़ी देर बाद अपने आप में ही कुछ बुदबुदा रही थी, मैंने ध्यान लगाया कि वो क्या बोल रही हैं
“ माधो, तेरा कितना बड़ा और मोटा है। तेरे मामा का तो बहुत पतला और छोटा है, कुछ कर भी नहीं पाते दो चार धक्कों में ही झड़ जाते हैं। कितनी क़िस्मत वाली होगी जिसको ये मिलेगा।”


ये कहते हुए उन्होंने मेरे लिंग पर हाथ रख दिया और मेरे बदन में झुरझुरी उठ गयी, मेरे कम्पन को मामी ने भी महसूस किया उन्होंने मेरे मुँह की तरफ़ देखा तो उनको यही लगा कि मैं सो रहा हूँ।उन्होंने अपना हाथ धीरे धीरे ऊपर ही घुमाना शुरू किया और लिंग तन गया जैसे ही उन्होंने अपना हाथ मेरे लोअर में डाल कर लिंग को पकड़ा वैसे ही मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और,” मामी ये क्या कर रही हो आप?”

मामी ने लिंग को छोड़ा ही नहीं बोली,” माधो मैं बहुत तरस रही हूँ, बरसों से प्यासी हूँ ।”

“ये ग़लत है मामी।” मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं कर पायी थी की मामी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया

“क्या ग़लत है? तेरे मामा कुछ करने के लायक़ नहीं है और आज तक हमारे कोई औलाद नहीं हुई, एकाध महीने या साल में मेरा महीना भी बन्द हो जाएगा फिर कुछ नहीं होगा।” कहते हुए मामी उठकर बैठ गयी और रोने लगी

मैंने मामी की पीठ पर हाथ रखा तो वो और भी सिसकने लगी , एकाएक वो पलट कर मेरी आँखो में देख कर बोली,” माधो मुझे प्यार कर ले मुझे भी जानना है एक मर्द का सुख कैसा होता है? अगर बन पायी तो माँ कहलाऊँगी नहीं तो सारे गाँव की औरतें मुझे पीठ पीछे बाँझ बुलाती है।”

इसके बाद मामी सिर्फ़ रो रही थी और वो रोते रोते सो गयी, मैं यही सोच रहा था कि अगर मामा सच में उनको ख़ुश नहीं कर पा रहे माँ नहीं बना पा रहे तो इसमें मामी की क्या गलती है जो उनको सबकी बातें सुनना पड़ती है।

मामी रोते रोते सो चुकी थी, उनके कान के पास के बाल चाँदनी में चमक रहे थे सफ़ेदी छाने लगी थी, लेकिन बदन पर चर्बी का नामों निशान नहीं था, मैं मामी से लिपट कर लेट गया। मुझे उनकी हालत का अंदाज़ा हो रहा था, वो कैसा जीवन निकाल रही थी ये मैं जानता था। मैं उनसे दिन में इस बारे में बात करने का फ़ैसला लेकर सो गया

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short but nice update bhai maza aa gya ab dekhte hai ki aage kya hota hai
 

Thander bolt

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तीसरी रात भी मामी और मैं एक ही बिस्तर पर सोये और सुबह मैंने पाया मेरा लोअर और जोकी नीचे था और लण्ड कम्बल में तना हुआ फुदक रहा था, ये हरकत मामी ने ही की थी और अगली रात मैंने ठान लिया की मामी को रंगे हाथ पकड़ कर उनसे ऐसा करने का कारण पूछना ही था।

और अगली शाम मामा के जाते ही मैंने खाना खाया और बिस्तर लेकर ऊपर आगया, आज मामी बहुत देर बाद आयी। या वो मेरे सो जाने का इंतेज़ार कर रही थी।

आकर वो लेट गयी धीरे से मुझे पुकारा पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया, मैं चाहता था कि उनको यही लगे कि मैं सो गया हूँ। जब उनको ये यक़ीन हो गया कि मैं सो रहा हूँ तो वह भी मेरी तरफ़ मुँह करके लेट गयी।

वो थोड़ी देर बाद अपने आप में ही कुछ बुदबुदा रही थी, मैंने ध्यान लगाया कि वो क्या बोल रही हैं
“ माधो, तेरा कितना बड़ा और मोटा है। तेरे मामा का तो बहुत पतला और छोटा है, कुछ कर भी नहीं पाते दो चार धक्कों में ही झड़ जाते हैं। कितनी क़िस्मत वाली होगी जिसको ये मिलेगा।”


ये कहते हुए उन्होंने मेरे लिंग पर हाथ रख दिया और मेरे बदन में झुरझुरी उठ गयी, मेरे कम्पन को मामी ने भी महसूस किया उन्होंने मेरे मुँह की तरफ़ देखा तो उनको यही लगा कि मैं सो रहा हूँ।उन्होंने अपना हाथ धीरे धीरे ऊपर ही घुमाना शुरू किया और लिंग तन गया जैसे ही उन्होंने अपना हाथ मेरे लोअर में डाल कर लिंग को पकड़ा वैसे ही मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और,” मामी ये क्या कर रही हो आप?”

मामी ने लिंग को छोड़ा ही नहीं बोली,” माधो मैं बहुत तरस रही हूँ, बरसों से प्यासी हूँ ।”

“ये ग़लत है मामी।” मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं कर पायी थी की मामी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया

“क्या ग़लत है? तेरे मामा कुछ करने के लायक़ नहीं है और आज तक हमारे कोई औलाद नहीं हुई, एकाध महीने या साल में मेरा महीना भी बन्द हो जाएगा फिर कुछ नहीं होगा।” कहते हुए मामी उठकर बैठ गयी और रोने लगी

मैंने मामी की पीठ पर हाथ रखा तो वो और भी सिसकने लगी , एकाएक वो पलट कर मेरी आँखो में देख कर बोली,” माधो मुझे प्यार कर ले मुझे भी जानना है एक मर्द का सुख कैसा होता है? अगर बन पायी तो माँ कहलाऊँगी नहीं तो सारे गाँव की औरतें मुझे पीठ पीछे बाँझ बुलाती है।”

इसके बाद मामी सिर्फ़ रो रही थी और वो रोते रोते सो गयी, मैं यही सोच रहा था कि अगर मामा सच में उनको ख़ुश नहीं कर पा रहे माँ नहीं बना पा रहे तो इसमें मामी की क्या गलती है जो उनको सबकी बातें सुनना पड़ती है।

मामी रोते रोते सो चुकी थी, उनके कान के पास के बाल चाँदनी में चमक रहे थे सफ़ेदी छाने लगी थी, लेकिन बदन पर चर्बी का नामों निशान नहीं था, मैं मामी से लिपट कर लेट गया। मुझे उनकी हालत का अंदाज़ा हो रहा था, वो कैसा जीवन निकाल रही थी ये मैं जानता था। मैं उनसे दिन में इस बारे में बात करने का फ़ैसला लेकर सो गया

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Nice update man
 

Maddy78

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अगली सुबह मैंने मामी से कहा,”मामी क्या मामा सच में ऐसे है?”

“तो तुझको झूठ लग रहा है।” मामी ने हैरत से मुझे देखते हुए कहा

मैं नाश्ता कर रहा था और मामा जानवर को पानी पिला रहे थे, मैं और मामी चुप थे। मामी कुछ सोच रही थी, मैं चुपचाप नाश्ता करने में मगन था।

“तू अपनी आँखो से देखेगा तब तो मानेगा”मामी ने मुझसे कहा

“क्या आप ऐसा चाहती है?” मैंने कहा

“तुझको यक़ीन दिलाने का कोई और रास्ता है क्या?” मामी सवालिया निगाहो से देखते हुए बोली

थोड़ी देर कोई कुछ भी नहीं बोला, फिर मामी ने चुप्पी तोड़ी,” ऐसा कर तू मामा को नदी जाने का बोल कर पीछे से आकर अनाज घर में छुप जा, मैं दिखलाती हूँ तुझको कि तेरे मामा क्या हैं!!” ये व्यंग था शायद या उनका दर्द

पर मैं भी अब देखना चाहता था की मामी सच बोल रहीं हैं या झूठ, मैंने जैसा मामी ने कहा था वैसा ही किया।

मामी मामा के पास जाकर बोली,” सुनिए आज मेरा गर्भकाल का आख़िरी दिन है, अगर आप......”

“ मुझसे नहीं होता तुझको पता तो है फिर क्यों हर महीने....” मामा मामी की बात पूरी होने से पहले ही भड़क कर बोले

“ एक प्रयास तो कर ही सकते है, पता नहीं कब मासिक बंद हो जाये अब मेरा। “ मामी ने आँखो में आँसू भरते हुए कहा, ये झूठे आँसू नहीं थे ये मैं भी समझ रहा था

मामा ने मामी को इशारा किया और मामी ने अनाज घर के सामने ही ज़मीन पर ऐसे चारपायी लगायी की मैं सब देख सकूँ, मामी लेट गयी और मामा धोती के ऊपर से ही लिंग मसलते हुए आए और धोती निकालकर रख दी , जिसके नीचे कच्छा नहीं था तो उनका २ इंच का पतला मरियल सा लटका हुआ दिखाई दिया ।

मामा ने थोड़ा और मसला और उनकी लुल्ली फूल गयी फूल कर एकाध इंच और लम्बाई बढ़ गयी वो मामी के पैरो के बीच में लेते और अपने हाथ से टटोल कर डाला और मामी ने अनाज घर की तरफ़ देखा मानो कह रही हो कि उनकी बातों की सच्चाई देख ले।

और ये क्या हुआ मामा ने एक दो और तीन बस वो तो उठे और धोती लपेट कर निकल गये, ये हुआ क्या समझ ही नहीं आया ना प्यार ना सहलाया ना कपड़े निकले बस मामी की सारी ऊपर की और एक मिनट भी नहीं लगा।

मामी भी नहाने चली गयी और मैं मुरझाया हुआ लण्ड लेकर नदी की ओर निकल गया।
 

SKYESH

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fantastic....................

waiting for more ..........................
 

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Maddy78

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मामी के लिए मुझे बहुत दुःख हो रहा था और मामा के लिए क्या कहूँ बस मन में एक ही विचार कि अगर उनको ये सब पहले से पता था तो शादी करके मामी की ज़िन्दगी ख़राब नहीं करना थी।

इतने में दो औरतें वहाँ आयी और नदी की तरफ़ कपड़े धोने लगी, मैं एक पेड़ की ओट में ही था । उनमें से एक बोली इतना उदास क्यों है बहन

दूसरी,” कुछ नहीं आज उस कलमुही कजरी को देखा तो सुबह से खाना भी नसीब नहीं हुआ!”

पहली,” हाय क्या तगड़ा मर्द है उसका! मेरा ऐसा मर्द होता तो इतना चुदवाती कि एक दर्जन बच्चों की लाइन लगा देती।”

खी.....खी......खी.... खो.... खो.... दोनो खीसें निपोर कर हसने लगी।

मुझे उनकी बातों पर बहुत ग़ुस्सा आरहा था, इसके कारण मुझे वहाँ बैठे कितना समय हो गया पता ही नहीं चला। इस उधेड़ बुन में मैं बहुत देर नदी के किनारे बैठा रहा कि मामा मुझे खोजते हुए वहाँ आ गये।

“अरे माधो यहाँ क्यों बैठा है? खाना भी नहीं खाया तूने दिन में, साँझ होने आगयी, चल घर।” मामा ने अपनी भारी भरकम आवाज़ में कहा, लेकिन आज उनका क़द बहुत छोटा लग रहा था।

मैं चुपचाप उनके साथ घर वापिस आगया, मन बहुत अशांत था। पर मामी को दुःख ना हो इसलिए खा लिया।

शाम हुई और मामा निकल गए, मैंने भी बिस्तर उठाया और ऊपर चला गया, मामी का इंतेज़ार करने लगा। जब दिमाग़ में द्वन्द हो और मन उदास तो कुछ समझ नहीं आता क्या करना चाहिए। वही मुझे समझ नहीं आरहा था।

मामी आकर मेरे बगल में लेट गयी, कोई भी बात नहीं कर रहा था। मैंने देखा वो अपने दाहिने हाथ को मोड़ कर अपनी आँखो पर रखे हुए थी, उनके अविकसित स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे ( जिन स्तन पर किसी पुरुष का हाथ ही ना लगा हो, मर्दन ना किया हो किसी मर्द ने,उनको यही तो कहेंगे)

सपाट गोरा पेट धीरे धीरे ऊपर नीचे हो रहा था, सूती सारी में गुलाबी और हरा बॉर्डर, कहीं कहीं बने हुए सफ़ेद फूल, वापिस पेट पर नज़र की तो नाभी ना उभरी और ना ही गहरी, मेरा हाथ उनकी नाभी की ओर अपने आप ही बढ़ गया और मेरा हाथ काँप रहा था मैंने अपना हाथ मामी के पेट पर रख दिया, मामी सिहर गयी पर उन्होंने अपना हाथ आँखो पर से नहीं उठाया।

मैंने अपना हाथ मामी के चिकने पेट पर घुमाना शुरू कर दिया, नाभि के नीचे रोम की लकीर उनकी साडी में जा रही थी। उन रोम से खेलने लगा, ऊपर नीचे उँगली की तो मामी के सारे रोम खिल कर सारे पेट पर उभर आए। मैं अधलेटा हो गया और हाथ फेरते हुए मामी के पेट पर उनके मखमली बदन का स्पर्श आनन्द लेने लगा, मामी की हल्की सिसकियाँ मैं सुन पा रहा था जिनको वो दबा रही थी, ये मेरा पहला स्त्री संसर्ग नहीं था वो मैं आपको बाद में बताऊँगा। इसलिए मैं जानता था कि उनके साथ क्या और कैसे करना है।

मैंने अपना हाथ ऊपर की ओर जाने दिया और उनका मुलायम ब्लाउस के कपड़े का सुखद एहसास मेरा लण्ड लोअर में तन गया था मैं उनके और पास को हुआ तो मेरा लण्ड भी उनकी झाँघो से सट गया। मैंने अपना हाथ उनके बायें स्तन पर रख दिया, उनका निप्पल बिलकुल तना हुआ था जिसको मैंने कपड़े पर साफ़ महसूस किया, रात तो ज़्यादा नहीं हुई थी पर घना अन्धेरा था हम सिर्फ़ महसूस ही कर सकते थे देख नहीं।

मैंने बारी बारी से मामी के दोनो स्तनो को मसलना शुरू किया और मामी अपनी जाँझे आपस में रगड़ने लगी, मामी का बदन सुलगना शुरू हो रहा था, मैं अपना हाथ नीचे लाया और मैंने ब्लाउस का सबसे नीचे वाला हुक खोल दिया, फिर दूसरा उसके बाद एक एक कर सारे हुक खोल दिए और ब्लाउस दोनो तरफ़ ढलका दिया।

मामी दूसरी ओर घूम गयी, मैं और सरक कर मामी के पीछे आकर उनका ब्लाउस निकालने लगा, मामी ने भी मुझे उनका ब्लाउस निकालने दिया, पीछे से हाथ लपेट कर स्तन को पकड़ कर चूचुक के साथ खेलते हुए मामी की गर्दन और पीठ पर चूमने लगा और मामी की सिसकारियाँ बढ़ने लगी और मेरा हाथ मामी के स्तनो पर चल रहा था।

मैंने एक हाथ का सहारा लेकर मामी को सीधा किया और उनके होंठो पर होंठ रख दिए, मामी के होंठो को चूसते हुए मैंने उनको अपनी बाहों में लिपटा लिया। मामी ने भी अपना हाथ मेरे बालों में फेरना शुरू किया और अब वो और मैं बारी बारी से एक दूसरे के होंठो को चबा और चूस रहे थे, फिर मैंने उनकी गर्दन से होते हुए स्तनो पर आगया और मैंने एक स्तन को मुँह में भर लिया,

“आह... माधो मैं आ रही हूँ!” मामी का बदन काँप उठा वो इतने से ही झड़ने लगी थी और ये पहले शब्द थे जो उन्होंने मुझसे पूरे दिन में बोला था

मैं रुका नाही दोनो स्तनो को बारी बारी चूम रहा था, अब मैं अपने हाथ नीचे ले गया और उनकी साड़ी खींच कर निकालने लगा थोड़ी ही देर में मामी की साड़ी भी उनके बदन से अलग होकर पड़ी थी, मैंने टटोल कर पेटिकोट का नाड़ा भी खींच दिया और उनका पेटिकोट नीचे सरका दिया अब मामी अंधेरे में पूरी तरह से निर्वस्त्र थी मैंने अपना हाथ नीचे मामी की पीठ से सरकाते हुए उनके नितम्ब को थाम लिया और उनको अपने ऊपर खींच लिया मामी के दोनो नितम्ब थाम कर मैं बैठ गया और मामी मेरी गोद में थी।

मैंने उनको अलग किया और अपने कपड़े निकाल दिए अपने सारे कपड़े निकाल कर मामी से वापिस लिपट गया।

“ओह मामी कितना गरम है तुम्हारा बदन!” मैंने कहा

“बरसो से जल रही है आग।”मामी सिसक कर बोली

“आज ठण्डी हो जायेगी।” मैं बोला

मैंने अब मामी के पेट से हाथ नीचे लेजाना शुरू किया घने बाल उन्होंने शायद ये कभी साफ़ ही नहीं किए थे, अब बहुत देर हो गयी और मैं अब मामी में समा जाना चाहता था। मैं मामी के पैरों के बीच में आ गया और अब वो घड़ी आगयी थी....
 
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