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तीसरी रात भी मामी और मैं एक ही बिस्तर पर सोये और सुबह मैंने पाया मेरा लोअर और जोकी नीचे था और लण्ड कम्बल में तना हुआ फुदक रहा था, ये हरकत मामी ने ही की थी और अगली रात मैंने ठान लिया की मामी को रंगे हाथ पकड़ कर उनसे ऐसा करने का कारण पूछना ही था।
और अगली शाम मामा के जाते ही मैंने खाना खाया और बिस्तर लेकर ऊपर आगया, आज मामी बहुत देर बाद आयी। या वो मेरे सो जाने का इंतेज़ार कर रही थी।
आकर वो लेट गयी धीरे से मुझे पुकारा पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया, मैं चाहता था कि उनको यही लगे कि मैं सो गया हूँ। जब उनको ये यक़ीन हो गया कि मैं सो रहा हूँ तो वह भी मेरी तरफ़ मुँह करके लेट गयी।
वो थोड़ी देर बाद अपने आप में ही कुछ बुदबुदा रही थी, मैंने ध्यान लगाया कि वो क्या बोल रही हैं
“ माधो, तेरा कितना बड़ा और मोटा है। तेरे मामा का तो बहुत पतला और छोटा है, कुछ कर भी नहीं पाते दो चार धक्कों में ही झड़ जाते हैं। कितनी क़िस्मत वाली होगी जिसको ये मिलेगा।”
ये कहते हुए उन्होंने मेरे लिंग पर हाथ रख दिया और मेरे बदन में झुरझुरी उठ गयी, मेरे कम्पन को मामी ने भी महसूस किया उन्होंने मेरे मुँह की तरफ़ देखा तो उनको यही लगा कि मैं सो रहा हूँ।उन्होंने अपना हाथ धीरे धीरे ऊपर ही घुमाना शुरू किया और लिंग तन गया जैसे ही उन्होंने अपना हाथ मेरे लोअर में डाल कर लिंग को पकड़ा वैसे ही मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और,” मामी ये क्या कर रही हो आप?”
मामी ने लिंग को छोड़ा ही नहीं बोली,” माधो मैं बहुत तरस रही हूँ, बरसों से प्यासी हूँ ।”
“ये ग़लत है मामी।” मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं कर पायी थी की मामी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया
“क्या ग़लत है? तेरे मामा कुछ करने के लायक़ नहीं है और आज तक हमारे कोई औलाद नहीं हुई, एकाध महीने या साल में मेरा महीना भी बन्द हो जाएगा फिर कुछ नहीं होगा।” कहते हुए मामी उठकर बैठ गयी और रोने लगी
मैंने मामी की पीठ पर हाथ रखा तो वो और भी सिसकने लगी , एकाएक वो पलट कर मेरी आँखो में देख कर बोली,” माधो मुझे प्यार कर ले मुझे भी जानना है एक मर्द का सुख कैसा होता है? अगर बन पायी तो माँ कहलाऊँगी नहीं तो सारे गाँव की औरतें मुझे पीठ पीछे बाँझ बुलाती है।”
इसके बाद मामी सिर्फ़ रो रही थी और वो रोते रोते सो गयी, मैं यही सोच रहा था कि अगर मामा सच में उनको ख़ुश नहीं कर पा रहे माँ नहीं बना पा रहे तो इसमें मामी की क्या गलती है जो उनको सबकी बातें सुनना पड़ती है।
मामी रोते रोते सो चुकी थी, उनके कान के पास के बाल चाँदनी में चमक रहे थे सफ़ेदी छाने लगी थी, लेकिन बदन पर चर्बी का नामों निशान नहीं था, मैं मामी से लिपट कर लेट गया। मुझे उनकी हालत का अंदाज़ा हो रहा था, वो कैसा जीवन निकाल रही थी ये मैं जानता था। मैं उनसे दिन में इस बारे में बात करने का फ़ैसला लेकर सो गया
आगे.... नया सवेरा
और अगली शाम मामा के जाते ही मैंने खाना खाया और बिस्तर लेकर ऊपर आगया, आज मामी बहुत देर बाद आयी। या वो मेरे सो जाने का इंतेज़ार कर रही थी।
आकर वो लेट गयी धीरे से मुझे पुकारा पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया, मैं चाहता था कि उनको यही लगे कि मैं सो गया हूँ। जब उनको ये यक़ीन हो गया कि मैं सो रहा हूँ तो वह भी मेरी तरफ़ मुँह करके लेट गयी।
वो थोड़ी देर बाद अपने आप में ही कुछ बुदबुदा रही थी, मैंने ध्यान लगाया कि वो क्या बोल रही हैं
“ माधो, तेरा कितना बड़ा और मोटा है। तेरे मामा का तो बहुत पतला और छोटा है, कुछ कर भी नहीं पाते दो चार धक्कों में ही झड़ जाते हैं। कितनी क़िस्मत वाली होगी जिसको ये मिलेगा।”
ये कहते हुए उन्होंने मेरे लिंग पर हाथ रख दिया और मेरे बदन में झुरझुरी उठ गयी, मेरे कम्पन को मामी ने भी महसूस किया उन्होंने मेरे मुँह की तरफ़ देखा तो उनको यही लगा कि मैं सो रहा हूँ।उन्होंने अपना हाथ धीरे धीरे ऊपर ही घुमाना शुरू किया और लिंग तन गया जैसे ही उन्होंने अपना हाथ मेरे लोअर में डाल कर लिंग को पकड़ा वैसे ही मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और,” मामी ये क्या कर रही हो आप?”
मामी ने लिंग को छोड़ा ही नहीं बोली,” माधो मैं बहुत तरस रही हूँ, बरसों से प्यासी हूँ ।”
“ये ग़लत है मामी।” मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं कर पायी थी की मामी ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया
“क्या ग़लत है? तेरे मामा कुछ करने के लायक़ नहीं है और आज तक हमारे कोई औलाद नहीं हुई, एकाध महीने या साल में मेरा महीना भी बन्द हो जाएगा फिर कुछ नहीं होगा।” कहते हुए मामी उठकर बैठ गयी और रोने लगी
मैंने मामी की पीठ पर हाथ रखा तो वो और भी सिसकने लगी , एकाएक वो पलट कर मेरी आँखो में देख कर बोली,” माधो मुझे प्यार कर ले मुझे भी जानना है एक मर्द का सुख कैसा होता है? अगर बन पायी तो माँ कहलाऊँगी नहीं तो सारे गाँव की औरतें मुझे पीठ पीछे बाँझ बुलाती है।”
इसके बाद मामी सिर्फ़ रो रही थी और वो रोते रोते सो गयी, मैं यही सोच रहा था कि अगर मामा सच में उनको ख़ुश नहीं कर पा रहे माँ नहीं बना पा रहे तो इसमें मामी की क्या गलती है जो उनको सबकी बातें सुनना पड़ती है।
मामी रोते रोते सो चुकी थी, उनके कान के पास के बाल चाँदनी में चमक रहे थे सफ़ेदी छाने लगी थी, लेकिन बदन पर चर्बी का नामों निशान नहीं था, मैं मामी से लिपट कर लेट गया। मुझे उनकी हालत का अंदाज़ा हो रहा था, वो कैसा जीवन निकाल रही थी ये मैं जानता था। मैं उनसे दिन में इस बारे में बात करने का फ़ैसला लेकर सो गया
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