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Erotica अगड़ बम

Lutgaya

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सुबह बहुत दी तक सोता रहा और आँख तब खुली जब मामी ने मेरा तगड़ा मोटा तना हुआ लण्ड अपने मुँह में भर लिया, वो सिर्फ़ एक पेटिकोट पहने हुए थी जिसको उन्होंने अपने स्तनो पर बांधा हुआ था वो नहाने जा रही थी।

मैंने उनका सर पर हाथ रख लिया और नीचे से धक्के मारने लगा , मामी ने भी लण्ड के नीचे लटकते हुए अंडकोश को खरोंचना शुरू कर दिया ये उनको कम्मो ने सिखाया था और कुछ ही पल में अंडकोशो में लावा उबलने लगा और अब किसी भी पल मैं वीर्य उगल सकता था, मैंने उनको चेताया भी पर वो नहीं मानी और पिचकारियाँ उनके मुँह में एक के बाद एक भरने लगीं।

उन्होंने सारा वीर्य अपने मुँह में भर लिया और मेरी आँखो में देखते हुए सारा का सारा निगल गयी। और उठ कर नहाने चली गयी। मुझे भी फ़्रेश होना था तो मैं भी अपना लोअर ऊपर करके निकल गया।

दोपहर को मामा खाना खाने नहीं आए तो मामी ने मुझसे ही कहा और मैं मामा को खाना देने जा रहा था, रास्ते में एक घर के बाहर बहुत भीड़ थी और एक शराबी किसी औरत को मारते हुए हंगामा कर रहा था।

“साली एक बच्चा तो पैदा कर नहीं सकती। घर का काम भी नहीं करवाना तुझसे निकल जा मेरे घर से।” वो शराबी एक लात उस औरत की कमर पर मारते हुए बोला

तब तक मैं उसके पास पहुँच चुका था, वो औरत और कोई नहीं रुक्मणी थी। तभी उस शराबी ने एक मोटा लकड़ी का टुकड़ा उठा लिया और मेरा हाथ घूम गया और तड़ाक की आवाज़ से वो शराबी लुढ़कता हुआ नाली में चला गया। तभी सामने से मामा ने ज़ोर से आवाज़ लगायी, “ सबास माधो, औरत पर हाथ उठाने वाले का यही अंजाम है। सही किया!” मामा को देख कर सब औरतें अपना अपना घूँघट डालने लगी, रुक्मणी ने भी यही किया लेकिन वो देख मुझे ही रही थी वो भी प्यार और ग़ुरूर भरी निगाह से। उसने मुझे चुन कर कोई गलती नहीं की थी इस बात पर उसकी मुस्कुराहट मैं अभी भी देख रहा था।

मामा ने उसके शराबी पति को बहुत डाँटा और हम दोनो खेतों की ओर चले गए।मामा ने मुझे शाम होने से पहले। ही घर जाकर उसका रात का खाना लेकर आने को कहा और मैं उसका खाना लेने घर वापिस आगया। मामी ने आज खीर पूरी और कद्दू की भुजिया सब्ज़ी बनायी थी। आकर मैंने कहा मामी खाना दे दो मामा ने जल्दी खाना लाने को बोला है, मैं खाना देकर जल्दी आता हूँ। मामी जब से पेट से हुई थी बहुत ख़ुश रहने लगी थी।

जल्दी आना मामी खाना देते हुए बोली और मैं हाँ में सिर हिलाते हुए निकल गया, खाना देकर मैं रुका नहीं बल्कि हल्का अंधेरा होने से पहले नदी के तट पर पहुँच गया, और शायद जितनी जल्दी मुझे थी उतनी ही रुक्मणी को भी वो सामने से अपने कूल्हे मटकाती हुई चली आरही थी।

आते ही मेरे होंठो पर टूट पड़ी और मेरे होंठो को चबा चबा कर लाल कर दिया,”उम्म्म्म्म आह मेरे राजा मैं तो आज दिल से भी तेरी हो गयी, सच्चा मर्द है तू।” बोलते हुए घुटनो पर होकर मेरा लोअर नीचे करते हुए दूसरे हाथ से झूलते हुए लण्ड को पकड़ कर खाल को पीछे करते हुए लण्ड पर झुक गयी और सुपाड़े को चाटने लगी और खुद ही अपने कपड़े निकालने लगी, लण्ड चूसते हुए रुक्मणी ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए लण्ड चूसते हुए खुद ही अपनी उँगलियाँ चूत में ठूँस दी।

पाँच मिनट में ही वो झड़ने वाली थी, इसलिए रुक गयी और खड़ी होकर अपनी शहद में सनी हुई उँगलियाँ मेरे मुँह में डाल दीं, मैंने भी अपना हाथ उसके मम्मो पर रख कर मसलते हुए उसकी योनिरस से सनी हुई उँगलियाँ चूसने लगा, कसैला सा स्वाद पर मैं रोक नहीं पाया खुद को, रुक्मणी को वही रेत पर पटक कर उसकी योनि में मुँह लगा दिया और उसका रस पान करने लगा, वो झड़ गयी पर मैं रुका नहीं। वो काँपने लगी उससे अब भगनस का चूसा जाना सहन नहीं हो रहा था।

सीईईई आहह्ह्ह उम्म्म्म्म बस आह नहीं करो...... रु....रुको नंन्न्न्नना....

पर मैंने उसकी एक ना सुनी, उसकी जाँघ पर हाथ रखा और दूसरे हाथ से अपना लण्ड चूत पर टिकाते हुए कमर आगे करते हुए सुपाड़े को गीली चिकनी मुनिया में उतार दिया।

आऽऽऽऽह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म हाय रे वो सिसकती रही और मैं उसकी चुदाई करते हुए दोनो स्तनो को चूसते हुए धक्के मारता रहा और वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ते हुए हम दोनो एक साथ झड़ गए। मैं थक गया था, उसके स्तनो को तकिया बना कर वही सो गया और लण्ड अभी भी रुक्मणी की चूत में ही था। थोड़ी देर बाद रुक्मणी बोली,” उठिए ये घर नहीं है कितनी देर हो गयी आप तो सो रहे हो।”

मैं उठा और उसने भी उठ कर एक ओर गयी और बैठ कर सुररर्र सूरर्र करते हुए मूतने लगी। सुरीली आवाज़ सुनते हुए मैं भी एक ओर खड़ा मूतने लगा।

फिर उसने अपने कपड़े पहन लिए और वो वहाँ से मुझे मेरे घर के रास्ते पर छोड़ती हुई चली गयी।

इसके बाद ये सिलसिला १०-१२ दिन चला और रुक्मणी का भी मासिक रुक गया और वहाँ सुमन का भी।

गाँव की तीन तीन औरतों को गर्भवती करके मैं अपने घर गर्मी की छुट्टी खतम करके वापिस आ गया और बैठे बैठे कम्प्यूटर पर एक साइट पर advertisement डाल दी कि असली चुदाई करवा कर बच्चा पैदा करवा लो।

उसके तीन दिन बाद मेरे इन्बाक्स में एक मेसिज आया , वो किसी नाजनीन ख़ातून का था उसने अपना WhatsApp नम्बर दिया था।
क्या भाई इतनी जल्दी गांव से कहानी शहर में ले आए जो मजा गांव की गदराई औरतो में हैं कहीं नही है प्लीज लौट चलो

जारी है....
 

Lutgaya

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क्या भाई इतनी जल्दी गांव से कहानी शहर में ले आए जो मजा गांव की गदराई औरतो में हैं कहीं नही है प्लीज लौट चलो
 

Killerpanditji(pandit)

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सुबह बहुत दी तक सोता रहा और आँख तब खुली जब मामी ने मेरा तगड़ा मोटा तना हुआ लण्ड अपने मुँह में भर लिया, वो सिर्फ़ एक पेटिकोट पहने हुए थी जिसको उन्होंने अपने स्तनो पर बांधा हुआ था वो नहाने जा रही थी।

मैंने उनका सर पर हाथ रख लिया और नीचे से धक्के मारने लगा , मामी ने भी लण्ड के नीचे लटकते हुए अंडकोश को खरोंचना शुरू कर दिया ये उनको कम्मो ने सिखाया था और कुछ ही पल में अंडकोशो में लावा उबलने लगा और अब किसी भी पल मैं वीर्य उगल सकता था, मैंने उनको चेताया भी पर वो नहीं मानी और पिचकारियाँ उनके मुँह में एक के बाद एक भरने लगीं।

उन्होंने सारा वीर्य अपने मुँह में भर लिया और मेरी आँखो में देखते हुए सारा का सारा निगल गयी। और उठ कर नहाने चली गयी। मुझे भी फ़्रेश होना था तो मैं भी अपना लोअर ऊपर करके निकल गया।

दोपहर को मामा खाना खाने नहीं आए तो मामी ने मुझसे ही कहा और मैं मामा को खाना देने जा रहा था, रास्ते में एक घर के बाहर बहुत भीड़ थी और एक शराबी किसी औरत को मारते हुए हंगामा कर रहा था।

“साली एक बच्चा तो पैदा कर नहीं सकती। घर का काम भी नहीं करवाना तुझसे निकल जा मेरे घर से।” वो शराबी एक लात उस औरत की कमर पर मारते हुए बोला

तब तक मैं उसके पास पहुँच चुका था, वो औरत और कोई नहीं रुक्मणी थी। तभी उस शराबी ने एक मोटा लकड़ी का टुकड़ा उठा लिया और मेरा हाथ घूम गया और तड़ाक की आवाज़ से वो शराबी लुढ़कता हुआ नाली में चला गया। तभी सामने से मामा ने ज़ोर से आवाज़ लगायी, “ सबास माधो, औरत पर हाथ उठाने वाले का यही अंजाम है। सही किया!” मामा को देख कर सब औरतें अपना अपना घूँघट डालने लगी, रुक्मणी ने भी यही किया लेकिन वो देख मुझे ही रही थी वो भी प्यार और ग़ुरूर भरी निगाह से। उसने मुझे चुन कर कोई गलती नहीं की थी इस बात पर उसकी मुस्कुराहट मैं अभी भी देख रहा था।

मामा ने उसके शराबी पति को बहुत डाँटा और हम दोनो खेतों की ओर चले गए।मामा ने मुझे शाम होने से पहले। ही घर जाकर उसका रात का खाना लेकर आने को कहा और मैं उसका खाना लेने घर वापिस आगया। मामी ने आज खीर पूरी और कद्दू की भुजिया सब्ज़ी बनायी थी। आकर मैंने कहा मामी खाना दे दो मामा ने जल्दी खाना लाने को बोला है, मैं खाना देकर जल्दी आता हूँ। मामी जब से पेट से हुई थी बहुत ख़ुश रहने लगी थी।

जल्दी आना मामी खाना देते हुए बोली और मैं हाँ में सिर हिलाते हुए निकल गया, खाना देकर मैं रुका नहीं बल्कि हल्का अंधेरा होने से पहले नदी के तट पर पहुँच गया, और शायद जितनी जल्दी मुझे थी उतनी ही रुक्मणी को भी वो सामने से अपने कूल्हे मटकाती हुई चली आरही थी।

आते ही मेरे होंठो पर टूट पड़ी और मेरे होंठो को चबा चबा कर लाल कर दिया,”उम्म्म्म्म आह मेरे राजा मैं तो आज दिल से भी तेरी हो गयी, सच्चा मर्द है तू।” बोलते हुए घुटनो पर होकर मेरा लोअर नीचे करते हुए दूसरे हाथ से झूलते हुए लण्ड को पकड़ कर खाल को पीछे करते हुए लण्ड पर झुक गयी और सुपाड़े को चाटने लगी और खुद ही अपने कपड़े निकालने लगी, लण्ड चूसते हुए रुक्मणी ने अपने सारे कपड़े निकाल दिए लण्ड चूसते हुए खुद ही अपनी उँगलियाँ चूत में ठूँस दी।

पाँच मिनट में ही वो झड़ने वाली थी, इसलिए रुक गयी और खड़ी होकर अपनी शहद में सनी हुई उँगलियाँ मेरे मुँह में डाल दीं, मैंने भी अपना हाथ उसके मम्मो पर रख कर मसलते हुए उसकी योनिरस से सनी हुई उँगलियाँ चूसने लगा, कसैला सा स्वाद पर मैं रोक नहीं पाया खुद को, रुक्मणी को वही रेत पर पटक कर उसकी योनि में मुँह लगा दिया और उसका रस पान करने लगा, वो झड़ गयी पर मैं रुका नहीं। वो काँपने लगी उससे अब भगनस का चूसा जाना सहन नहीं हो रहा था।

सीईईई आहह्ह्ह उम्म्म्म्म बस आह नहीं करो...... रु....रुको नंन्न्न्नना....

पर मैंने उसकी एक ना सुनी, उसकी जाँघ पर हाथ रखा और दूसरे हाथ से अपना लण्ड चूत पर टिकाते हुए कमर आगे करते हुए सुपाड़े को गीली चिकनी मुनिया में उतार दिया।

आऽऽऽऽह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म हाय रे वो सिसकती रही और मैं उसकी चुदाई करते हुए दोनो स्तनो को चूसते हुए धक्के मारता रहा और वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ते हुए हम दोनो एक साथ झड़ गए। मैं थक गया था, उसके स्तनो को तकिया बना कर वही सो गया और लण्ड अभी भी रुक्मणी की चूत में ही था। थोड़ी देर बाद रुक्मणी बोली,” उठिए ये घर नहीं है कितनी देर हो गयी आप तो सो रहे हो।”

मैं उठा और उसने भी उठ कर एक ओर गयी और बैठ कर सुररर्र सूरर्र करते हुए मूतने लगी। सुरीली आवाज़ सुनते हुए मैं भी एक ओर खड़ा मूतने लगा।

फिर उसने अपने कपड़े पहन लिए और वो वहाँ से मुझे मेरे घर के रास्ते पर छोड़ती हुई चली गयी।

इसके बाद ये सिलसिला १०-१२ दिन चला और रुक्मणी का भी मासिक रुक गया और वहाँ सुमन का भी।

गाँव की तीन तीन औरतों को गर्भवती करके मैं अपने घर गर्मी की छुट्टी खतम करके वापिस आ गया और बैठे बैठे कम्प्यूटर पर एक साइट पर advertisement डाल दी कि असली चुदाई करवा कर बच्चा पैदा करवा लो।

उसके तीन दिन बाद मेरे इन्बाक्स में एक मेसिज आया , वो किसी नाजनीन ख़ातून का था उसने अपना WhatsApp नम्बर दिया था।

जारी है....
Mast update bro
 

Maddy78

New Member
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Bhai logo kitna bhi likho mobile se post karne ke time par error aati hai aur sab delete ho jata hai... likhne ka koi aur tarika pata ho kisi ko to mujhe batao
 
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