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Erotica अजीब गांव की अजीब परंपरा

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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Part 1





"तुम्हे पता है आज कौनसा दिन है बहु? " सरलादेवी ने रात में भोजन करते समय अपनी बहु से पूछा ।


"हा माँ जी । पता है ।" सुजाता ने उत्तर दिया।


"बहुत सारा भोजन करो और पानी भी अच्छा पी लो।"


"आपने सुबह ही कहा था । मैने वैसे ही किया हैं आज दिन भर। "


"मैं सिर्फ देख रही थी कि तुम्हे याद है या नहीं। " सुजाता की सासूमाँ ने स्पष्ट किया।



सामने बैठे हुए उसके ससुरजी शरमाते हुए अपने पत्नी को मना रहे थे ,



"सुनती हो, जाने दोना वह पुरानी परंपरा। मुझे बहुत अजीब लग रहा है अब।"



हालाखी सरलादेवी एक बहुत ही सीधी सादी महिला थी पर गांव के कोई भी महत्वपूर्ण रीतिरिवाज के बारेमे वो बहुत ही सख्ती से पेश आती थी।


"नादान मत बनो आप ! आज आपको मै जो कहूंगी वहीं करना पड़ेगा । "



आखिर में उन्होंने सरलादेवी के आगे घुटने टेक दिए। सुजाता का पति महेश चुपचाप अपना खाना खा रहा था । उसे बचपन से ही अपने माता पिता के बीच नहीं पड़ने का सबक मिला था ।




भोजन के पश्चात जब दोनों महिलाओं ने सब काम निपटा लीए तब सरलादेवी अपने पति को रसोईघर में लेकर आयी। महेश मेन हॉलमें टीव्ही देखते हुए अपने दो वर्षीय बच्चे के ऊपर ध्यान रख रहा था।


सरलादेवी ने सुजाता को जमीनपर एक जगह पर बैठने को कहा। सुजाता ने उसे जो कहा गया वो किया और एक दीवार के सहारे बैठ गई । उसे रात में मैक्सी पहनने की आदत थी पर सासू माँ ने आज उसे साड़ी में ही रहने की सलाह दी थी। सरलादेवी ने अपने पति का हाथ पकड़कर उसे सुजाता की गोद में लीटा दिया ।


सुजाता ने उन्हें कहा,



"माफ करना ससुरजी, मुझे गांव की इस परंपरा का पालन करना ही पड़ेगा । "


सरलादेवी ने पहली बार मुस्कुराते हुए कहा ,

"अब सच में मेरी बहुरानी लगती हो तुम !"



फिर वो फिरसे गंभीरता से बोली,

"तो शुरू कर दो अब। मैं इधर सामने ही बैठती हूँ। " सरलादेवी जमीनपर बैठ गई।


सुजाता ने एक लंबी सांस ली और अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिए। उसने नीचे अपने शरमाते हुए ससुरजी की तरफ मुस्कुराते हुए उन्हें धीरज देने का प्रयास किया । वो थोड़े सँवर गए तब सुजाता ने उनके सर के ऊपर से पल्लू ओढ़ लिया और उनको वो दूध पिलाने लगी।



यह उनके गांव की एक परंपरा थी कि जब किसीभी बहु का बच्चा दो साल के बाद दूध पीना बंद कर देता है तब उसे बच्चे की जगह अपने ससुर को दूध पिलाना शुरू करना पड़ेगा ।


सरलादेवी सुजाता को बहुत खुश होकर देख रही थी। सुजाताने अब अपना पूरा ध्यान ससुरजी को स्तनपान करने में लगा दिया। शुरुवात में वो दूध पीने में हिचकिचा रहे थे । पर सुजाता ने एक हाथ से अपना स्तन उनके मुंह में जबरदस्ती पकड़ कर रख दिया था। थोड़ी देर बाद वो अपने आप किसी बच्चे की तरह ही पीने लगे । सुजाता को ससुरजी में हुए इस बदलाव से बहुत आश्चर्य हुआ । सरलादेवी को मात्र ये होने वाला है यह पहले से ही पता होगा क्योंकि वो अब सुजाता को देख मुस्कुराने लगी। पांच मिनिट बाद सुजाता का एक स्तन खाली हो गया । उसकी सासू माँ ने उसे उनको जल्दी से दूसरा स्तन देने को कहा और सुजाता ने उनकी बात मानी।


लगभग पूरे दस बारह मिनिट उसकी सासू माँ जगह से हिली नहीं थी । सुजाता का दूध पिलाके पूरा होने के बाद उसने ब्लाउज के बटन लगा लिए और अपना पल्लू ठीक कर लिया। अब उसके ससुरजी गहरी नींद की कगार पे थे।


सरलदेवी ने उसकी बड़ी तारीफ की ,




"बहुरानी तूने आज बहुत ही अच्छी शुरुवात की है । आज से उनको दूध पिलाना तुम्हारी जिम्मेदारी बन गई है । "


सुजाता उनकी बात सुनकर बहुत खुश हो गई ।



"सब आपके ही मार्गदर्शन से संभव हुआ सासु माँ। "
Badi ajeeb parampara hai ye to :lol:
 
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Good start..plz keep writing
 

Dharmendra Kumar Patel

Nude av or dp not allowed. Edited
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शानदार शुरुआत
 
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Reactions: Manju143

Manju143

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Part 1





"तुम्हे पता है आज कौनसा दिन है बहु? " सरलादेवी ने रात में भोजन करते समय अपनी बहु से पूछा ।


"हा माँ जी । पता है ।" सुजाता ने उत्तर दिया।


"बहुत सारा भोजन करो और पानी भी अच्छा पी लो।"


"आपने सुबह ही कहा था । मैने वैसे ही किया हैं आज दिन भर। "


"मैं सिर्फ देख रही थी कि तुम्हे याद है या नहीं। " सुजाता की सासूमाँ ने स्पष्ट किया।



सामने बैठे हुए उसके ससुरजी शरमाते हुए अपने पत्नी को मना रहे थे ,



"सुनती हो, जाने दोना वह पुरानी परंपरा। मुझे बहुत अजीब लग रहा है अब।"



हालाखी सरलादेवी एक बहुत ही सीधी सादी महिला थी पर गांव के कोई भी महत्वपूर्ण रीतिरिवाज के बारेमे वो बहुत ही सख्ती से पेश आती थी।


"नादान मत बनो आप ! आज आपको मै जो कहूंगी वहीं करना पड़ेगा । "



आखिर में उन्होंने सरलादेवी के आगे घुटने टेक दिए। सुजाता का पति महेश चुपचाप अपना खाना खा रहा था । उसे बचपन से ही अपने माता पिता के बीच नहीं पड़ने का सबक मिला था ।




भोजन के पश्चात जब दोनों महिलाओं ने सब काम निपटा लीए तब सरलादेवी अपने पति को रसोईघर में लेकर आयी। महेश मेन हॉलमें टीव्ही देखते हुए अपने दो वर्षीय बच्चे के ऊपर ध्यान रख रहा था।


सरलादेवी ने सुजाता को जमीनपर एक जगह पर बैठने को कहा। सुजाता ने उसे जो कहा गया वो किया और एक दीवार के सहारे बैठ गई । उसे रात में मैक्सी पहनने की आदत थी पर सासू माँ ने आज उसे साड़ी में ही रहने की सलाह दी थी। सरलादेवी ने अपने पति का हाथ पकड़कर उसे सुजाता की गोद में लीटा दिया ।


सुजाता ने उन्हें कहा,



"माफ करना ससुरजी, मुझे गांव की इस परंपरा का पालन करना ही पड़ेगा । "


सरलादेवी ने पहली बार मुस्कुराते हुए कहा ,

"अब सच में मेरी बहुरानी लगती हो तुम !"



फिर वो फिरसे गंभीरता से बोली,

"तो शुरू कर दो अब। मैं इधर सामने ही बैठती हूँ। " सरलादेवी जमीनपर बैठ गई।


सुजाता ने एक लंबी सांस ली और अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिए। उसने नीचे अपने शरमाते हुए ससुरजी की तरफ मुस्कुराते हुए उन्हें धीरज देने का प्रयास किया । वो थोड़े सँवर गए तब सुजाता ने उनके सर के ऊपर से पल्लू ओढ़ लिया और उनको वो दूध पिलाने लगी।



यह उनके गांव की एक परंपरा थी कि जब किसीभी बहु का बच्चा दो साल के बाद दूध पीना बंद कर देता है तब उसे बच्चे की जगह अपने ससुर को दूध पिलाना शुरू करना पड़ेगा ।


सरलादेवी सुजाता को बहुत खुश होकर देख रही थी। सुजाताने अब अपना पूरा ध्यान ससुरजी को स्तनपान करने में लगा दिया। शुरुवात में वो दूध पीने में हिचकिचा रहे थे । पर सुजाता ने एक हाथ से अपना स्तन उनके मुंह में जबरदस्ती पकड़ कर रख दिया था। थोड़ी देर बाद वो अपने आप किसी बच्चे की तरह ही पीने लगे । सुजाता को ससुरजी में हुए इस बदलाव से बहुत आश्चर्य हुआ । सरलादेवी को मात्र ये होने वाला है यह पहले से ही पता होगा क्योंकि वो अब सुजाता को देख मुस्कुराने लगी। पांच मिनिट बाद सुजाता का एक स्तन खाली हो गया । उसकी सासू माँ ने उसे उनको जल्दी से दूसरा स्तन देने को कहा और सुजाता ने उनकी बात मानी।


लगभग पूरे दस बारह मिनिट उसकी सासू माँ जगह से हिली नहीं थी । सुजाता का दूध पिलाके पूरा होने के बाद उसने ब्लाउज के बटन लगा लिए और अपना पल्लू ठीक कर लिया। अब उसके ससुरजी गहरी नींद की कगार पे थे।


सरलदेवी ने उसकी बड़ी तारीफ की ,




"बहुरानी तूने आज बहुत ही अच्छी शुरुवात की है । आज से उनको दूध पिलाना तुम्हारी जिम्मेदारी बन गई है । "


सुजाता उनकी बात सुनकर बहुत खुश हो गई ।



"सब आपके ही मार्गदर्शन से संभव हुआ सासु माँ। "
Nice update 👍
Please next update
 

Manju143

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Part 1





"तुम्हे पता है आज कौनसा दिन है बहु? " सरलादेवी ने रात में भोजन करते समय अपनी बहु से पूछा ।


"हा माँ जी । पता है ।" सुजाता ने उत्तर दिया।


"बहुत सारा भोजन करो और पानी भी अच्छा पी लो।"


"आपने सुबह ही कहा था । मैने वैसे ही किया हैं आज दिन भर। "


"मैं सिर्फ देख रही थी कि तुम्हे याद है या नहीं। " सुजाता की सासूमाँ ने स्पष्ट किया।



सामने बैठे हुए उसके ससुरजी शरमाते हुए अपने पत्नी को मना रहे थे ,



"सुनती हो, जाने दोना वह पुरानी परंपरा। मुझे बहुत अजीब लग रहा है अब।"



हालाखी सरलादेवी एक बहुत ही सीधी सादी महिला थी पर गांव के कोई भी महत्वपूर्ण रीतिरिवाज के बारेमे वो बहुत ही सख्ती से पेश आती थी।


"नादान मत बनो आप ! आज आपको मै जो कहूंगी वहीं करना पड़ेगा । "



आखिर में उन्होंने सरलादेवी के आगे घुटने टेक दिए। सुजाता का पति महेश चुपचाप अपना खाना खा रहा था । उसे बचपन से ही अपने माता पिता के बीच नहीं पड़ने का सबक मिला था ।




भोजन के पश्चात जब दोनों महिलाओं ने सब काम निपटा लीए तब सरलादेवी अपने पति को रसोईघर में लेकर आयी। महेश मेन हॉलमें टीव्ही देखते हुए अपने दो वर्षीय बच्चे के ऊपर ध्यान रख रहा था।


सरलादेवी ने सुजाता को जमीनपर एक जगह पर बैठने को कहा। सुजाता ने उसे जो कहा गया वो किया और एक दीवार के सहारे बैठ गई । उसे रात में मैक्सी पहनने की आदत थी पर सासू माँ ने आज उसे साड़ी में ही रहने की सलाह दी थी। सरलादेवी ने अपने पति का हाथ पकड़कर उसे सुजाता की गोद में लीटा दिया ।


सुजाता ने उन्हें कहा,



"माफ करना ससुरजी, मुझे गांव की इस परंपरा का पालन करना ही पड़ेगा । "


सरलादेवी ने पहली बार मुस्कुराते हुए कहा ,

"अब सच में मेरी बहुरानी लगती हो तुम !"



फिर वो फिरसे गंभीरता से बोली,

"तो शुरू कर दो अब। मैं इधर सामने ही बैठती हूँ। " सरलादेवी जमीनपर बैठ गई।


सुजाता ने एक लंबी सांस ली और अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाउज के कुछ बटन खोल दिए। उसने नीचे अपने शरमाते हुए ससुरजी की तरफ मुस्कुराते हुए उन्हें धीरज देने का प्रयास किया । वो थोड़े सँवर गए तब सुजाता ने उनके सर के ऊपर से पल्लू ओढ़ लिया और उनको वो दूध पिलाने लगी।



यह उनके गांव की एक परंपरा थी कि जब किसीभी बहु का बच्चा दो साल के बाद दूध पीना बंद कर देता है तब उसे बच्चे की जगह अपने ससुर को दूध पिलाना शुरू करना पड़ेगा ।


सरलादेवी सुजाता को बहुत खुश होकर देख रही थी। सुजाताने अब अपना पूरा ध्यान ससुरजी को स्तनपान करने में लगा दिया। शुरुवात में वो दूध पीने में हिचकिचा रहे थे । पर सुजाता ने एक हाथ से अपना स्तन उनके मुंह में जबरदस्ती पकड़ कर रख दिया था। थोड़ी देर बाद वो अपने आप किसी बच्चे की तरह ही पीने लगे । सुजाता को ससुरजी में हुए इस बदलाव से बहुत आश्चर्य हुआ । सरलादेवी को मात्र ये होने वाला है यह पहले से ही पता होगा क्योंकि वो अब सुजाता को देख मुस्कुराने लगी। पांच मिनिट बाद सुजाता का एक स्तन खाली हो गया । उसकी सासू माँ ने उसे उनको जल्दी से दूसरा स्तन देने को कहा और सुजाता ने उनकी बात मानी।


लगभग पूरे दस बारह मिनिट उसकी सासू माँ जगह से हिली नहीं थी । सुजाता का दूध पिलाके पूरा होने के बाद उसने ब्लाउज के बटन लगा लिए और अपना पल्लू ठीक कर लिया। अब उसके ससुरजी गहरी नींद की कगार पे थे।


सरलदेवी ने उसकी बड़ी तारीफ की ,




"बहुरानी तूने आज बहुत ही अच्छी शुरुवात की है । आज से उनको दूध पिलाना तुम्हारी जिम्मेदारी बन गई है । "


सुजाता उनकी बात सुनकर बहुत खुश हो गई ।



"सब आपके ही मार्गदर्शन से संभव हुआ सासु माँ। "
Mast hai story. Sujata din me 4 baar apne sasur ko stanpan karate huye dikha do.

Sujata ko Aur bhi ek-do bimar budhe aadmi ko stanpan karate huye dikha do
 
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