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Adultery अनुभूति

manu@84

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एक नई अनुभूति मासूस करेंगे आपस्त्री के मौन को पढ़ने वाला पुरुष हीं स्त्री के समर्पण के लिए योग्य होता है।और मौन को समझने वाला पुरुष हीं प्रेम की गहराइयों में जाकर आलिंगन को सफल कर सकता है, स्त्रियों के मन की गहराइयों मे उतर कर चरमसुख की अनुभूति करा सकता है। ऐसे पुरुष के साथ स्त्री हमेशा आनंदित महसूस करती है।वो स्त्री बहुत भाग्यशाली होती है जिसे मौन को पढ़ने वाला पुरुष मिल जाये। क्योंकि स्त्रियों में एक स्वभाव होती है, जो हर स्त्री में समान्य होती है की वो अपने अधिकतर दुख दर्द, अनुभूति, अपेक्षा, उपेक्षा, जरूरत आदि को शब्दों में नहीं करना चाहती। वो समझती है की इसे कोई बिन बोले हीं समझ जाये।जब स्त्री ऐसा पुरुष पा जाती है तो उसे जी भर ओरेम देती है, अपना सबकुछ समर्पित कर देती है। अपनी गहराइयों मे उसे समा लेती हैं।कमेंट करके जरूर बताइये कि कैसी लगी मेरी अनुभूति।

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बंसल साहब ये फिलॉशपि और facebok व्यंग्य, आलोचना, औपचतिकताए कम लिखिये, और जो कहानी लिखना चाहते हो उस पर ध्यान दीजियों।
हर दूसरे पैरा मे अभियक्ति नही गुसेड़ी जाती हैं, ।
 

Bulbul_Rani

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बचपन में जब मेरी दादी मुझे राजकुमार और राजकुमारी की कहानी सुनाती थी तो मेरे मन में हमेशा एक सवाल जरूर आता था कि दादी की कहानियों में राजकुमारी को हमेशा राजकुमार ही क्यों लेकर जाता है, कोई राजकुमारी क्यों नही, गुड़िया की शादी गुड्डे से ही क्यों कराई जाती है किसी गुड़िया से क्यों नही? और न जाने ऐसे ही कितने सवाल मेरे मन में उठते रहते थे। एक बार मैने अपनी माँ से पूछ ही लिया कि, क्या गुड़िया की शादी गुड़िया से नही कर सकते? इस पर माँ हस दीं और बोली नही ! गुड़िया की शादी सिर्फ गुड्डे से ही की जाती है।
लेकिन क्यों माँ? मैने पूँछा।
प्रकृति का यही नियम है औरत आदमी के लिए बनी है और आदमी औरत के लिए।
लेकिन अगर औरत औरत के साथ ही शादी करना चाहे तो ?
ऐसा नही होता जब तू बड़ी हो जायेगी तो समझ जायेगी। दिन गुजरते गये और मै अपने आप को और अपनी लैंगिकता को पहचानती गयी अब मै समझ चुकी हू की
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हम हमेशा अपने समाज में पता नही क्यों समलैंगिक लोगों को जगह नही देते? हमारी कहानियों में भी हमने उन्हें जगह नही दी, हमेसा एक लड़के और एक लड़की की ही प्रेम कहानी क्यों लिखी जाती है दो समलैंगिक लड़कियों क्यों नही; प्रेम तो वहाँ भी है?
जबाब है क्योकि हम डरते हैं समलैंगिक लोगों को स्वीकारने से, हम डरते है समलैंगिकता से, हम डरते है इस बात से कि कहीं लोग इन कहानियों को लिखने वाले या पड़ने वालों को ही समलैंगिक न समझने लगे और ऐ बात काफी बकबास है मेरा मानना है कि अगर कोई चीज है तो उसके बारे में लिखा जाना चाहिए आंखें बंद कर लेने से सच्चाई नही बदलती।

प्यार, प्यार होता है फिर चाहे वो लड़के और लड़की के बीच हो या दो लड़कियों के बीच में ।❤
 
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