Ab to niraj ko bhi black and blue kardo usse vi kuch mile.par hai to mohra hi kisika.very sensetional update
Unique Star Bhai bahut hi jabardast update diya hai.Shanta Urf Jyoti ka Raaj bhi khul gaya hai ab Shahil kya karega jisse sab theek ho jaye ?अगले दिन सुबह रूबी जल्दी ही उठ गई और साहिल के गाल पर किस किया तो वो भी उठ गया।
रूबी:" उठ जाओ साहिल चलो जल्दी से, आज बहुत कुछ काम होगा तेरे लिए।
साहिल:" हान मम्मी, प्रिया को बचाना होगा सबसे पहले तो, अच्छा मेरे पास एक प्लान हैं, मैं आपको बताता हूं लेकिन ध्यान रखना कि ये बात सिर्फ आपके और मेरे बीच रहनी चाहिए।
रूबी ने सहमति में अपनी गर्दन हिला दी और साहिल ने उसे अपना प्लान समझाना शुरू किया। रूबी हैरान होती चली गई और बोली:"
" ठीक हैं साहिल, मैं इस पर हूं काम करूंगी।
रूबी इसके बाद में बाथरूम में घुस गई और नहा धोकर घर के काम में लग गई। शांता भी अा गई थी और घर में सफाई कर रही थी।
रूबी को लग रहा था जैसे उसके घर में कोई औरत नहीं बल्कि ज़हरीली नहीं घूम रही थी। रात साहिल ने उसे एक प्लान बताया था इसलिए वो शांत थी।
जल्दी ही नाश्ता बन गया और साहिल खाना खाकर कंपनी की तरफ चल दिया।
रूबी ने शांता को देखा और कहा:"
" मम्मी देखो ना कितने दिन हो गए आपने नए कपड़े नहीं लिए, चलिए आज मैं आज आपको नए कपड़े दिलवा देती हूं।
शांता:" अरे नहीं बेटी, रूबी उसकी कोई जरूरत नहीं हैं, अब इस उम्र में कपडे का क्या काम। जो हैं फटे पुराने उनसे ही काम चल रहा है।
रूबी:" मैंने आपको मा कहा हैं और मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता कि मेरी मा ऐसे कपडे पहने। आप जल्दी से खाना खाओ फिर चलते हैं।
शांता ने काफी ना नुकुर करी लेकिन आखिर में आकर वो रूबी की जिद के आगे झुक गई और चलने को तैयार हो गई।
शांता:" अच्छा ठीक हैं बेटी , मैं तब तक अपने कमरे से होकर आती हूं, तुम तैयार हो जाओ।
इतना कहकर शांता निकल गई। शांता समझ गई थी कि आज इतने सालो के बाद नए कपड़े कहीं उसके खिलाफ कोई प्लान तो नहीं हो रहा हैं। इसलिए वो अपने कमरे में अाई और उसने गेट के साथ पूरे फर्श पर एक महीन चूर्ण बिछा दिया ताकि उसे ये पता चल जाए कि उसके कमरे में कोई घुसा तो नहीं हैं उसके पीछे। उसके बाद शांता ने कमरे को बंद किया और अच्छे से ताला लगाया और बाहर की तरफ निकल गई।
रूबी गाड़ी निकाल चुकी थी और शांता उसके साथ थी। जल्दी ही दोनो एक बहुत अच्छे शोरूम के सामने थे। रूबी ने मौका देखकर साहिल को मेसेज कर दिया और शांता के साथ कपडे देखने लगी।
वहीं दूसरी तरफ साहिल रूबी के योगा सेंटर के सामने खड़ा था और बेहोश हुई लीमा उसकी गाड़ी में पड़ी हुई थी। रूबी की तरफ से सिग्नल मिलते ही वो घर की तरफ दौड़ पड़ा।
जल्दी ही उसकी गाड़ी घर के अंदर घुस गई। उसने लीमा को कंधे पर उठाया और एक कमरे में बंद कर दिया। उसके बाद वो सीधे शांता के कमरे की तरफ आया ताकि उसे कुछ सबूत मिल सके।
साहिल ने देखा कि उसका दरवाजा बंद हैं जो आमतौर पर नहीं होता था। साहिल की अजीब सा लगा लेकिन उसे अंदर घुसना रहा था वो भी बिना दरवाजा खोले। अब सिर्फ खिड़की ही एक मात्र रास्ता थी इसलिए साहिल धीरे से खिड़की के सहारे अंदर दाखिल होने की कोशिश करने लगा लेकिन पूरी कोशिश के बाद भी खिड़की नहीं खुल पाई।
साहिल पसीने पसीने हो गया। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि क्या किया जाए। तभी उसने एक प्लान किया और वो जानता था कि ये बहुत मुश्किल होगा लेकिन उसके पास कोई और रास्ता नहीं था।
साहिल अंदर से सामान लेकर आया और उसने अपना पुर दम लगाते हुए कमरे के गेट को उखाड़ना शुरू कर दिया। जल्दी ही गेट दूसरी तरफ रखा हुआ था। साहिल जैसे ही अंदर घुस रहा था तो उसे एक तेज गंध का एहसास हुआ और वो जानता था कि ये एक केमिकल पाउडर हैं जो फर्श पर बिछाया दिया जाता है ताकि कमरे में चींटी ना घुसे। लेकिन हमारे घर में तो चींटी हैं ही नहीं तो फिर शांता ने क्यों ये पाउडर बिछाया हैं।
साहिल ने अपना मोबाइल निकाला और यू ट्यूब में उस पाउडर के बारे में देखा कि आज कल उसका इस्तेमाल कहां कहां और क्यों हो रहा हैं तो साहिल समझ गया कि ये शांता ने जाल बिछा दिया है ताकि अगर उसके पीछे कोई आए तो पता चल जाए।
साहिल समझ गया कि ये शांता जरूर कोई बहुत ज्यादा चालू चीज है। अब समस्या ये थी कि अंदर कैसे घुसा जाए। साहिल ने थोड़ी देर के लिए सोचा और अगले ही उसके दिमाग में एक विचार अाया और वो एक लकड़ी का मोटा टुकड़ा लेकर आया और उसे कमरे के बाहर रखते हुए अंदर की तरफ झुक गया।
साहिल की किस्मत आज उसके साथ थी इसलिए वो सीधे बेड पर गिरा और डंडे को उसने वापिस अंदर खींच लिया।
अब साहिल ने अपना काम शुरू किया और उसे शांता के तकिए के नीचे कुछ कंडोम के पैकेट और सेक्स पॉवर की टैबलेट मिली। साहिल ने वो सब वहीं दिया और एक बैग की तरफ देखा जिसमें कुछ सामान था। कपडे और दूसरा कुछ सामान।
साहिल ने देखा कि बैग दूर था इसलिए वो खिड़की पर अंदर की तरफ खड़ा हुआ और पूरा नीचे झुकते हुए बैग को उठा लिया और फिर से बेड पर अा गया।
साहिल ने नग्यको खोल दिया और देखा उसमे कपडे थे। साहिल ने सबसे पहले कपड़ों की कुछ फोटो ली ताकि उन्हें फिर से उसी तरह सजा सके।
उसके बाद साहिल ने एक के बाद एक सभी कपड़े देखने शुरु किए और उसे कुछ खास नहीं मिला।जैसे ही उसने आखिरी कपड़ा हटाया तो उसकी नजर एक पिस्टल पर पड़ी।
साहिल को पसीना अा गया क्योकी शांता के पास पिस्टल होगी उसे ये उम्मीद नहीं थी। साहिल ने धीरे से उसे हाथ में उठा लिया और देखा कि उसकी मैगज़ीन में बहुत छोटी छोटी गोलियां भरी हुई थी। साथ ही साथ साहिल को कुछ तेज धार कटर, हाथ में पहने जाने वाले नुकीले ब्लेड, इसके साथ ही कुछ ज़हर की गोलियां मिली।
है भगवान ये तो जब चाहे हमे सबको मार सकती हैं, इसका जरूर कुछ ना कुछ सोचना पड़ेगा।
साहिल ने पिस्टल की कुछ फोटो खींच ली और फिर से बैग को बंद करके कपडे लगा दिए। साहिल ने बैग की साइड की चैन को खोल दिया और देखा कि उसमे एक डायरी पड़ी हुई थी।
साहिल ने डायरी को खोला तो उसे सबसे पहले शांता का असली रूप देखने को मिला। बेहद ही खूबसूरत, बिल्ली सी आंखो वाली, जितनी खूबसूरत उससे कहीं ज्यादा खतरनाक। हान बिल्कुल यहीं रूप उसने शांता का कल देखा था।
साहिल ने डायरी को खोला तो उसमें उसे कुछ और फोटो मिली जो शायद शांता के बाप भाई और मा की थी। भाई बहुत छोटा सा शायद 8 साल का बस। देखने से बेचारे बहुत ही सीधे और सज्जन लोग लग रहे थे और कपडे इस बात की साफ गवाही दे रहे थे कि वो एक बहुत ही अच्छे और संपन्न परिवार से ताल्लुक रखते थे।
शांता की मा के गले में पड़ा हुआ हीरो का हार, फोटो में देखने पर भी चमक कर अपनी शोभा बिखेर रहा था। साहिल ने डायरी को आगे खोला लेकिन उसमे सिर्फ एक ही लाइन लिखी हुई थी"
" पापा मैं आपके दुश्मन के घर में हूं, मैं जानती हूं कि आपने ज़िन्दगी भर अपनी मेहनत से जो इज्जत और मुकाम हासिल किया था वो सब आपसे छीन लिया गया। एक मामूली सा नौकर जिसे आपने मान सम्मान और इज्जत दिया उसने ही आपको सड़क पर लाकर छोड़ दिया गया, महल जैसे घरों ने रहने वाली मेरी मा को दर दर की ठोकरें खाने पड़ी। जब इतने से भी कहर सिंह का मन नहीं भरा तो आपके उपर गाड़ी चढ़वा कर आपको मार दिया। पापा मैं विदेश में थी और आपने मुझे बताया तक नहीं कि आपके साथ ये सब हुआ। आपके एक वफादार साथी ने हर साल मेरी पढ़ाई का खर्च उठाया और अंत में जब में इंडिया वापिस अाई तो कहीं जाकर मुझे सच्चाई का पता चला और उसने मुझे आपके द्वारा लिखी गई उस चिट्ठी को दिया जिसमे आपने अपनी बर्बादी की कहानी लिखी थी। पापा मैं उसी दिन से केहर के को बर्बाद करने पर लगी हुई हूं। केहर सिंह और उसकी पत्नी को तो मैंने उनके अंजाम तक पहुंचा दिया और अभी कुछ और लोग बाकी हैं पापा। मैं हर एक आदमी को बर्बाद कर दूंगी, तबाह कर दूंगी। ज्योति नाम हैं मेरा मतलब आग , मैं उनकी सारी दुनिया में आग लगा दुगी बाबा।
मुझे आशीर्वाद दीजिए पापा।
आपकी अभागी बेटी
ज्योति
एक के बाद हर एक पेज पर तारीख के साथ यही लिखा हुआ था। मतलब शांता का असली नाम ज्योति हैं और वो हर रोज ये बात डायरी में लिखती है ताकि भूल ना जाए।
साहिल ने डायरी के कुछ फोटो लिए और तभी उसके रूबी का मेसेज मिला कि बेटा हम निकल रहे हैं। करीब एक घण्टे में वापिस अा जाएंगे।
साहिल के पास अब समय बहुत कम बचा हुआ था। उसने सारी चीज़ें को फिर से पहले की तरह लगाया और अंत में अपने लकड़ी के डंडे के सहारे बाहर आ गया।
साहिल ने दरवाजा खोल तो दिया था लेकिन दरवाजा वापिस लागाना इतना आसान काम नहीं था। लेकिन फिर भी वो अपने काम में जुट गया। कभी इधर पेंच लगाता तो कभी उधर। उससे दरवाजा नहीं लग पा रहा था, उसकी सांस फूल गई और सारा जिस्म पसीने से भीग गया लेकिन दरवाजा नहीं लग पा रहा था।
लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और कहते हैं कि कोशिश करने वाली की कभी हार नहीं होती। अंत में उसकी मेहनत रंग लाई और दरवाजा लग गया था बस अभी कुछ पेंच लगने बाकी थे।
सिर्फ दो मिनट बच गए थे और रूबी किसी भी समय घर के अंदर अा सकती थी। साहिल ने पेंच को लगाया लेकिन उसकी चूड़ी खराब हो गई थी और जब कुछ समझ नहीं आया तो उसने जोर से एक घुसा मारा जिससे पेंच अंदर चला गया लेकिन साथ ही साथ वो साहिल के हाथ में भी घुसता चला गया।
साहिल के मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ी और खून निकलना शुरू हो गया। साहिल ने फुर्ती से अपने दूसरे हाथ से खून निकलने वाली जगह को दबा दिया और एक नजर दरवाजे पर मारते हुए अंदर की तरफ घुस गया।
जैसे ही घर के अंदर घुसा तभी रूबी की गाड़ी मैन गेट से अंदर घुस गई। साहिल ने सुकून की सांस ली लेकिन अब खून बहना शुरु हो गया था और साहिल ने उस पर एक कपड़ा बांध लिया। धीरे धीरे खून का बहना कम हुआ लेकिन दर्द की लकीरें उसके चेहरे पर उभरकर उसके दर्द को बयान कर रही थी।
रूबी ने गाड़ी पार्क करी और शांता बाहर ही उतर गई और अपने कमरे में जाने लगी। रूबी को फिकर थी कि पता नहीं क्या हुआ होगा। लेकिन आज जिस रफ्तार से शांता अपने कमरे में जा रही थी रूबी समझ गई कि साहिल अपनी जगह गलत नहीं था, एक 70 साल की बुढ़िया इतनी तेज रफ्तार से नहीं चल सकती।
शांता ने अपना कमरा खोला और देखा कि अंदर घर में फर्श पर कोई निशान नहीं था इसका मतलब उसके पीछे घर में कोई नहीं घुसा। शांता ने कपडे एक साइड में रख दिए और अपने कमरे को ध्यान से देखने लगी लेकिन उसे कहीं कोई निशान या ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे वो परेशान होती।
दूसरी तरफ रूबी अपनी गाड़ी से निकली और घर के अंदर घुस गई। उसकी हालत खराब थी और वो तेजी से साहिल को देखते ही उससे लिपट गई। साहिल ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और दोनो एक दूसरे की धड़कन सुनने लगे।
रूबी:" क्या हुआ साहिल ? कुछ मिला क्या ?
साहिल:" मम्मी वो लीमा अंदर कमरे में पड़ी हुई है, और शांता के कमरे की तलाशी ले ली हैं मैने। मम्मी शांता को हम जितना खतरनाक सोच रहे थे ये तो उससे कहीं ज्यादा निकली।
रूबी साहिल के पास ही सोफे पर बैठ गई और बोली :"
" क्या हुआ ? क्या मिला मुझे सब बताओ ?
साहिल के हाथ में बंधा हुआ कपड़ा खून के कारण पूरी तरह से लाल हो गया था लेकिन उसने अपने हाथ को साइड में करके छुपा लिया था। साहिल बिल्कुल नॉर्मल होने की कोशिश कर रहा था लेकिन ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर रही थी।
साहिल:" मम्मी केहर सिंह तो मेरे दादा जी का नाम हैं ना ?
रूबी चौंकते हुए:" हान बेटा, लेकिन क्या हुआ ? उन्हें मरे हुए तो बहुत साल हो गए।
साहिल:" मम्मी कहानी ये है कि दादा केहर सिंह की वजह से हुआ। कभी शांता यानी ज्योति के परिवार को केहर सिंह ने बर्बाद कर दिया था और उनकी सब दौलत पैसा लूट लिया। केहर सिंह ज्योति के पापा के यहां नौकर थे और मौका देखकर उसने उन्हें बर्बाद कर दिया और अंत में मरवा भी दिया।
ये ज्योति उस समय छोटी थी और विदेश में भी, लेकिन जब वापिस अाई इसे सब बातो का पता चला। अब उसने हमारे घर से लेकर ऑफिस हर जगह अपने आदमी भरे हुए हैं।
रूबी को जैसे लकवा सा मार गया, उसकी पलके तक नहीं झपक रही थी। मानो उसे साहिल की बताई हुई किसी बात पर विश्वास नहीं हो रहा था।
साहिल:" मम्मी ये ही सच्चाई हैं। अब वो हमे बर्बाद करने अाई हैं। मुझे लगता हैं कि लीमा, प्रिया, दुबे और नीरज सब उसके ही मोहरे हैं। जिन्हे वो अपनी मर्जी से नचा रही है।
रूबी ने बड़ी मुश्किल से अपना मुंह खोला और बोली:"
लेकिन बेटा नीरज और शांता का क्या संबंध, वो तो मेरे पीछे पड़ा हुआ है, फिर शांता कहां गई ? और ये रवि मिश्रा कौन हैं ?
साहिल:" मम्मी ये ही सब तो अब पता करना होगा।
साहिल के हाथ में फिर से तेज दर्द हुआ और इस बार जैसे ही उसके चेहरे के भाव बदले तो रूबी ने उसके चेहरे को ध्यान से देखा और बोली:"
" क्या हुआ साहिल ? तुम ठीक तो हो ?
साहिल:" हान मम्मी मैं बिल्कुल ठीक हूं।
रूबी उसके पास अा गई और उसका चेहरा अपने हाथों में भरते हुए बोली:"
" नहीं तुम झूठ बोल रहे हो, तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो ? सच बताओ
साहिल:" नहीं मम्मी, कुछ नहीं हुआ, सब ठीक तो है।
रूबी ने ध्यान दिया तो देखा कि बड़ी देर से साहिल का एक हाथ अपनी जगह से नहीं हिला हैं तो उसे शक हुआ और वो खड़ी हो गई। साहिल शायद समझ गया और वो बोला:"
" मम्मी मैं बाथरूम होकर आता हूं।
इतना कहकर उसने हाथ को फिर से पीछे किया और चलने लगा तो रूबी किसी शेरनी की तरह उसकी तरफ झपटी और उसे पकड़ लिया और उसका हाथ देखते ही रूबी तड़प उठी
" है भगवान, साहिल ये क्या हो गया तुम्हे, दिखाओ मुझे क्या हुआ हैं ?
साहिल:" कुछ नहीं मम्मी, मैं ठीक हूं, आप परेशान मत हो, मामूली सी चोट हैं।
रूबी की आंखो से आंसू निकल आए और वो लगभग रोते हुए बोली:" पागल तो नहीं हो तुम, लाओ मुझे दिखाओ।
इतना कहकर उसने साहिल के हाथ में बंधा हुआ कपड़ा खोल दिया और उसका जख्म देखते ही उसका दिल रो पड़ा।
रूबी:" उफ्फ, कितना बड़ा जख्म हैं, कैसे हुआ ये सब ? रुक मैं पट्टी कर देती हूं तुझे।
इतना कहकर रूबी अपने कमरे की तरफ दौड़ी और पट्टी लेकर बाहर अाई लेकिन तभी बैल बज गई। रूबी समझ गई कि शांता अा गई है इसलिए वो वापिस आने को मजबूर थी।
रूबी:" लगता हैं कुतिया अा गई फिर से, बेटा लीमा कहां है ?
साहिल:" मम्मी वो सामने वाले कमरे में बंद हैं।
रूबी:" तुम ये पट्टी लो और लीमा को उठाकर अपने बाप के पास तहखाने में ही बंद कर दो। ये कमीनी इस समय पूरे घर की सफाई करती हैं। बंद कमरा देखकर शक ना कर ले और तुम्हे भी इस समय घर नहीं होना चाहिए।
साहिल को अपनी मा की बात ठीक लगी और उसने जल्दी से कमरा खोला और लीमा को उठाकर तहखाने में घुस गया।
अंदर लीमा को देखते ही अनूप गुस्से से पागल हो गया और उसने एक जोरदार थप्पड़ उसे जड़ दिया तो दर्द के मारे लीमा की आंख खुल गई और वो अपने सामने अनूप को देखकर कांप उठी।
अनूप:" साली रण्डी, मुझे बर्बाद कर दिया तूने, मार डालूंगा तुझे। मुझे नामर्द बना दिया।
अनूप गुस्से से चिल्लाते हुए लीमा को पीटने लगा तो साहिल ने उसे अलग किया और बोला:"
" बस कर अनूप, नहीं तो तेरा मुंह तोड़ दूंगा।
अनूप की सिट्टी पित्ती गुम हो गई वहीं लीमा ये देखकर हैरान हो गई कि साहिल अपने बाप से किस तरह बात करता है। उसकी बिल्कुल इज्जत नहीं करता इसका मतलब साफ है कि अनूप अपने परिवार की नजरो में गिर चुका है।
अनूप :" लेकिन बेटा तू ही पूछ इससे मैने क्या बिगाड़ा था इसका ?क्यों इसने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी।
साहिल:' बकवास बंद करो तुम, तुम खुद ही अपनी बर्बादी के लिए जिम्मेदार हो।
अनूप चुप हो गया और साहिल दे हाथ में लगे हुए जख्म को देख कर बोला:"
" ये तुम्हे क्या हो गया बेटा ? कैसे चोट लग गई ?
साहिल:" तुम्हारे ही कर्मो कि सज़ा भुगत रहा हूं मैं। चुपचाप आराम से रहो तुम। नहीं तो तुम्हारा वो हाल करूंगा कि आवाज नहीं निकल पाएगी।
साहिल ने अपनी जेब से पट्टी निकाली और अपने हाथ पर लपेटने लगा लेकिन उससे ठीक से नहीं हो पा रही थी तो लीमा आगे आते हुए बोली:"
" मुझे दो, मैं बांध देती हूं। तुमसे खुद नहीं बंध पाएगी।
साहिल ने कुछ नहीं बोला और लीमा ने उसके हाथ से पट्टी ली और उसके जख्म पर करनी शुरू कर दी। साहिल ध्यान से लीमा के चेहरे को देख रहा था और सोच रहा था कि इस औरत को मैंने पिछले तीन दिनों से बंद करके रखा हुआ था और आज उसके बाद भी ये मुझे पट्टी कर रही हैं जरूर कहीं ना कहीं उसके अंदर इंसानियत बाकी हैं।
जल्दी ही लीमा ने उसके हाथ में पट्टी बंद दी और साहिल थोड़ी देर के लिए वही पड़ी हुई कुर्सी पर बैठ गया।
साहिल:" अच्छा लीमा एक बताओ, मुझे लगता हैं कि तुम एक बुरी लड़की नहीं हो, फिर तुमने ये सब क्यों किया ?
लीमा का चेहरा बिल्कुल भावहीन हो गया और छत की तरफ देखने लगी। साहिल ने फिर से कहा:"
" लीमा बताओ तुमने ये सब क्यों किया? अपनी मर्जी से तुम ये सब नहीं कर सकती, पैसा का तुम्हे लालच है क्या या फिर कोई और बात हैं ?
लीमा फिर से उसी तरह खामोश रही मानो उसने कुछ सुना ही नहीं था। साहिल ने एक बार उसकी आंखो के आगे अपना हाथ घुमाया और बोला:"
" मैं तुमसे ही बात कर रहा हूं। कुछ तो बोलो तुम लीमा
लीमा के अपनी नजरे उपर उठाई तो देखा कि उसकी आंखे भीगी हुई थी। और देखते ही देखते उसकी रुलाई फूट पड़ी और उसके चेहरे पर दर्द साफ उभर आया।
साहिल:: रोना बंद करो तुम प्लीज़, मुझे बताओ क्या बात हैं? क्यों तुम ये सब कर रही हो ? किसके कहने पर तुमने ये सब किया ?
साहिल ने रोते रोते अपने दोनो हाथों को साहिल के आगे जोड़ दिया और बोली:"
" मैं बहुत मजबूर हूं, आपको कुछ नहीं बता सकती। लेकिन अपने ये सब अपनी खुशी या पैसे के लिए नहीं बल्कि मजबूरी में किया हैं।
साहिल ने उसे ज्यादा जोर देना सही नहीं समझा और चुप बैठ गया। उसकी समझ में नहीं अा रहा था कि इसकी आखिर ऐसी क्या मजबूरी रही होगी जिसके चलते ये इतना सब कुछ कर गई।
चुप बैठा हुआ अनूप अचानक से फट पड़ा और बोला:"
" कमीनी तेरी कोई मज़बूरी नहीं हो सकती, तूने ये सब सिर्फ पैसे और मस्ती के लिए किया हैं।
साहिल ने एक जोरदार थप्पड़ अनूप को जड़ दिया और बोला:"
" तुझसे किसने बोलने को कहा ? साले तेरे वजह से इतना बड़ा ड्रामा हुआ हैं। कुछ पता हैं तुझे चल क्या हैं तेरे परिवार के साथ ?
अनूप पूरी तरह से बे इज्जत हो गया था इसलिए कुछ नहीं बोला और आराम से बैठा हुआ अपना गाल सहलाता रहा। लीमा एक बात साफ समझ गई थी साहिल अपने बाप को पसंद नहीं करता और उसे भी यहां बंद किया गया हैं।
साहिल सोच में डूब गया और रूबी के फोन का इंतजार करने लगा।
साहिल के जाते ही रूबी ने दरवाजा खोल दिया और शांता अंदर अा गई। रूबी उसे देखकर एक पल के लिए तो डर गई लेकिन अगले ही पल उसे एहसास हुआ कि साहिल घर के अंदर ही हैं और जरुरत पड़ने पर कभी भी अा सकता हैं।
शांता ने झाड़ू उठाई और काम शुरू कर दिया। सफाई करते हुए बोली:"
" बेटी रूबी तुम मेरे लिए अब इतना खर्च मत किया करो। मुझे अच्छा नहीं लगता ये सब।
रूबी:" कैसी बात करती है आप ? बेटी भी कहती हैं और ध्यान रखने से मना भी करती हो।
शांता:" ये बात नहीं हैं। मैं कैसे तुम लोगो का ये कर्ज उतार पाऊंगी। मैं गरीब इस लायक नही हूं बेटी। ।
रूबी का मन तो कर रहा था कि वो पत्थर उठा कर उसके सिर में मार दे लेकिन वो स्माइल करते हुए बोली:"
" मा और बेटी में कोई कर्ज नहीं होता। आपने अपनी सारी उम्र हमारे लिए ही कुर्बान कर दी तो हमारा भी तो कुछ फर्ज़ बनता हैं ना आपके लिए।
शांता ने इस बार ध्यान से रूबी के चेहरे को देखा तो उसे मासूमियत और भोलापन नजर आया और उसके दिमाग में कहीं ना धमाका सा हुआ कि ये सच में एक अच्छी और भली औरत हैं। क्या मै उसके साथ सही कर रही हूं ?
तभी उसका दिल नफरत से भर गया और सोचने लगी कि मेरे बाप , मा और भाई भी तो नेक इंसान थे, उनके साथ भी तो गलत हुआ। मुझे अपने बदला पूरा करना हैं और ये सब मेरे दुश्मन हैं और दुश्मन अच्छा या बुरा नहीं होता सिर्फ और सिर्फ दुश्मन होता हैं।
रूबी:" क्या हुआ मा? किस सोच में खो गई आप ?
शांता जैसे सपने से जागी और बोली:" कुछ नहीं मुझे अपनी बेटी की याद आ गई थी। वो होती तो बिल्कुल ऐसी तरह मेरा ध्यान रखती।
रूबी हिम्मत करके आगे बढ़ी और शांता का हाथ पकड़ते हुई बोली:"
" क्या मैं आपकी सगी बेटी नहीं हूं ? क्या मेरे प्यार में कोई कमी हैं क्या ?
शांता पूरी तरह से पिघल गई और उसकी आंखे भर आई तो रूबी ने उसके आंसू साफ किए और बोली:'
" बस मा बस। मैं जमीन आसमान एक कर दूंगी, आपकी बेटी को ढूंढने के लिए, दुनिया में किसी भी कोने में हो होगी मैं लेकर आऊंगी l।
दोनो ना चाहते हुए भी एक दूसरे के गले लग गई। दोनो जानती थी कि हम एक दूसरे की दुश्मन हैं और ऐसा उनके चेहरे पर आए गुस्से के भाव से साफ महसूस हो रहा था कि मानो दो ज़हरीली नागिन आपस में लिपटी हुई हो।
शांता जहां रूबी के अच्छे व्यवहार से प्रभावित थी वहीं दूसरी रूबी आज जान गई थी कि आज तक जिस दौलत और शोहरत की ज़िन्दगी वो जी रही है उसकी असली हकदार शांता यानी ज्योति थी। रूबी को कहीं ना कहीं अपने परिवार मतलब अपने ससुर के लिए पर पछतावा हो रहा था।
तभी शांता की आंखे लाल हो गई और चेहरा कठोर होता चला गया और वो एक झटके के साथ रूबी से अलग हो गई और झाड़ू लगाने लगी।
रूबी भी बिना कुछ बोले किचेन में घुस गई और खाना बनाने लगी। रूबी को साहिल की बहुत फिक्र हो रही थी। उसने खाना बनाया और शांता को अपने पास बिठाकर खिलाया।
शांता खाना खाकर फिर से अपने कमरे में चली गई। रूबी ने साहिल को फोन किया तो साहिल तहखाने से बाहर निकला और घर के अंदर अा गया।
साहिल के साथ अनूप भी बाहर अा गया था । ये देखकर रूबी गुस्से से भर उठी और बोली:"
" साहिल तुम इसे क्यों बाहर निकाल लाए ? इसे वहीं सड़ने दो अंदर ही।
अनूप आगे बढ़ा और रूबी के पैरो में गिर पड़ा और माफी मांगते हुए बोला:"
" बस मुझे माफ़ कर दे रूबी, मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा है, अब देखना मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा।
रूबी: दूर हटो मुझसे, तुम कुछ नहीं कर सकते, तुम फिर से मुझे उस नीरज के हाथ सोने के लिए मजबूर करोगे।
अनूप:" नहीं , अब ऐसा कुछ नहीं होगा। मेरी आंख पर पड़ी हुई पट्टी अब हट चुकी हैं और मुझे सब कुछ साफ़ साफ़ नजर आ रहा है।
रूबी कुछ बोलती उससे पहले ही साहिल ने उसे इशारे के कुछ समझाया और रूबी बोली:"
" ठीक हैं लेकिन सोच लेना ये तुम्हारे लिए आखिरी मौका होगा।
अनूप:" मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन तुझे कुछ नहीं होने दूंगा।
साहिल:" मम्मी बहुत तेज भूख लगी है। खाना खाया जाए ?
रूबी:" खाना तैयार हैं। तुम दोनो बैठो। मैं खाना लगा देती हूं।
थोड़ी देर बाद ही खाना लग गया और तीनो साथ ने बैठकर खाना खाने लगे।
gorgeous update dostआज साहिल के मन में रूबी के लिए बहुत ज्यादा नफरत हो गई थी। वो धीरे धीरे आगे बढ़ा और कमरे से बाहर निकलने लगा तभी उसकी नजर रूबी पर पड़ी जो कि गहरी नींद में सोई हुई थी। रूबी के मासूम से चेहरे के पीछे इतनी गन्दी औरत छुपी हुई हैं उसे आज पता चला। आज उसे अपनी मा का खुबसुरत चेहरा दुनिया का सबसे बदसूरत चेहरा लग रहा था।
साहिल रूबी को नफरत से देखते हुए घर से बाहर निकल गया और अनूप के ऑफिस में पहुंच गया और अनूप के पैर छुए तो लीमा इतना सुंदर गबरू जवान देखकर बहुत खुश हुई और बोली:"
" अनूप सर ये कौन हैं ?
अनूप:" ये मेरा इकलौता बेटा हैं साहिल, और साहिल ये मेरी पर्सनल सेक्रेट्री हैं लीमा।
साहिल:" बड़ी हुई आपसे मैडम मुझे, अच्छा पापा वो आप मुझे कार के लिए बोल रहे थे।
अनूप:" अरे हां बेटा, बस गाड़ी ले ली हैं मैंने, कुछ कागज कम हैं जो अगले आधे घंटे में अा जायेंगे।
साहिल खुश हो गया और बोला:"
" लीमा मैडम आपको पता हैं मेरे पापा दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं , लव यू पापा
साहिल अपने बाप के गले लग गया और अनूप ने भी उसे गले से लगा लिया।
अनूप:" तुम भी सबसे अच्छे बेटे हो साहिल, अच्छा मुझे काम हैं मैं चलता हूं एक घंटे बाद अा जाऊंगा। तुम गाड़ी लेकर घर चले जाना थोड़ी देर बाद।
साहिल:" ठीक हैं पापा, मैं यहीं रुक जाता हूं तब तक। गाड़ी के कागज आते ही मैैं भी निकल जाऊंगा।
अनूप:' अरे लीमा तुम साहिल का ध्यान रखना कि इसे कोई परेशानी ना हो।
लीमा खुश हो गई क्योंकि वो तो कब से चाह रही थी उसे साहिल से अकेले में बात करने का मौका मिले इसलिए बोली:"
" आप चिंता ना करे सर, मैं ध्यान रखेगी इनका।
अनूप ने अपना बैग उठाकर चला गया और प्रिया बाहर बैठी हुई ये सब बड़े ध्यान से देख रही थी। अनूप के जाते ही लीमा बोली:"
" कैसा लगा आपको ऑफिस साहिल जी ?
साहिल:" अरे मैडम आप मुझे जी कहकर मत बुलाए मैं तो आपसे उम्र में भी छोटा हूं।
लीमा उसकी आंखो में देखते हुए बोली:" अरे आप इस कंपनी के अगले मालिक हैं तो मुझे आपकी इज्जत करनी ही होगी क्योंकि अब आगे चलकर मुझे आपकी पर्सनल सेक्रेट्री बनना हैं।
साहिल के होंठो पर हल्की सी हंसी अा गई और बोला:"
" लीमा जी मुझे अगर इंप्रेस करना हट तो आपको स्माइल के साथ साथ काम पर ध्यान देना होगा क्योंकि काम मेरे लिए सबसे पहले हैं।
लीमा:" बिल्कुल सर, काम के लिए ही तो हम सब लोग यहां आते हैं, वो तो सबसे ज्यादा जरूरी है। अच्छा बताए क्या लेंगे आप ?
साहिल:" फिलहाल तो कुछ नहीं, अच्छा बताए आपके घर में कौन कौन हैं , कहां रहती हैं आप ?
लीमा को उसकी हालत एक पल के लिए पतली होती नजर आईं क्योंकि ये सवाल तो उससे आज तक अनूप ने भी नहीं पूछे थे। लीमा बोली:"
" जी मैं अकेली रहती हूं, पति ने मुझे छोड़कर दूसरी शादी कर ली तब से बस अकेली ही रहती हूं, अशोक नगर में।
साहिल:" ओह बड़ी दुख भरी कहानी हैं आपकी , आपके पति ने दूसरी शादी क्यों करी ?
लीमा ऐसे ही बहाना बनाते हुए बोली:" वो बहुत ज्यादा शराब पीते थे तो मैंने उन्हें मना करती थी एक दिन मैंने कहा मुझे छोड़ दो या शराब तो उहोंने मुझे छोड़ दिया बस।
साहिल:" ओह ये तो बहुत गलत हुआ, क्या नाम था आपके पति का ?
लीमा को कुछ समझ नहीं आया तो उसने एक नाम ऐसे ही ले दिया और बोली:"
" जी नीरज नाम था उनका, लेकिन वो एक नंबर के मतलबी हर नीच किस्म के इंसान हैं।
नीरज नाम सुनते ही साहिल के दिमाग में तेज धमाका हुआ और उसे कहानी वाला नीरज याद अा गया जिसका रूबी के साथ चक्कर चल रहा था। ये साला नीरज नाम के सारे ही आदमी खराब होते हैं।
तभी गेट पर नॉक हुआ तो प्रिया अंदर अाई और बोली:"
" साहिल सर आपका ही नाम हैं क्या ? वो आपके नाम से गाड़ी के कागज आए हैं।
प्रिया एक बेहद खूबसूरत लड़की थी जिसे साहिल अब पहले भी देख चुका था और उसकी खूबसूरती का कायल था इसलिए खुश होते हुए बोला::"
" जी मैडम मेरा ही नाम साहिल हैं, आप का नाम क्या हैं?
प्रिया:" मेरा नाम प्रिया हैं और यहां रिसेप्शन पर काम करती हूं।
साहिल:" जी बहुत खूबसूरत नाम हैं आपका बिल्कुल आपकी तरह, अच्छा दीजिए मुझे आप गाड़ी के कागज।
साहिल प्रिया के साथ बाहर अा गया तो लीमा को बहुत बुरा लगा क्योंकि वो साहिल को अपने जला में फंसाना चाहती थी इसलिए वो भी उसके साथ साथ ही बाहर अा गई। साहिल ने गाड़ी देखी तो उसके होंठो पर स्माइल अा गई कि अब उसके पास भी अपनी गाड़ी होगी।
साहिल ने गाड़ी का एक चक्कर अंदर ही पार्किंग में लगाया और फिर प्रिया से बोला:"
" आप कहां रहती हैं प्रिया जी ? छुट्टी का टाइम तो गया है चलिए मैं आपको छोड़ दूंगा।
लीमा ने एक बार नफरत से प्रिया की तरफ देखा और उसके कुछ बोलने से पहले ही बोल पड़ी :"
" वो प्रिया आज कुछ नए ऑर्डर आए हैं तुम एक काम करो आज उनकी फाइल बनाकर थोड़ी लेट निकल जाना, मुझे आज कुछ जरूरी काम हैं अगर आपको बुरा ना लगे तो आप मुझे छोड़ दीजिए प्लीज़।
प्रिया को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन लीमा की चाल के आगे उसकी एक न चली और अंदर ऑफिस में चली गई। लीमा गाड़ी के अंदर बैठ गई और साहिल चल पड़ा। रास्ते में लीमा बार बार उस पर डोरे डाल रही थी और अब साहिल भी उसकी तरफ स्माइल कर रहा था क्योंकि एक जानता था कि लीमा के सहारे ही वो नीरज तक पहुंच सकता था। लीमा उसे फसाना चाह रही थी जबकि उसे क्या पता कि साहिल उसे अपने जाल में फसा रहा हैं।
खैर जल्दी ही अशोक नगर के बाहर ही लीमा उतर गई और साहिल को एक कातिल मुस्कान दी तो साहिल ने भी स्माइल करते हुए गाड़ी हाईवे पर दौड़ा दी।
दूसरी तरफ ऑफिस में प्रिया ने जल्दी जल्दी काम खत्म किया और जैसे ही जाने लगी तो उसे देखा कि आज अनूप का ऑफिस खुला हुआ हैं क्योंकि लीमा गलती से ऑफिस खुला छोड़ गई थी तो वो ऑफिस बंद करने के लिए अंदर घुस गई। आमतौर पर वो अंदर नहीं आती थी और लीमा ही ऑफिस बंद करती थी लेकिन आज जलन के कारण लीमा से चूक हो गई। प्रिया ऑफिस को ध्यान से देख रही थी और ये जानने की कोशिश कर रही थी कि अनूप ऑफिस में आकर कहां गायब हो गया था।
प्रिया ऑफिस से अटेच बाथरूम में घुस गई और तभी उसकी नज़र एक शीशे पर पड़ी जो कुछ अजीब तरह का लग रहा था तो उसने शीशे को ध्यान से देखा तो उसके पीछे एक स्विच लगा हुआ था और प्रिया ने जैसी ही स्विच ऑन किया तो बाथरूम की दीवार अपने आप एक तरफ सरक गई उसे सामने एक शानदार बेडरूम नजर आया। प्रिया की आंखे चमक उठी, ओह तो इसका मतलब अनूप साहब सुबह यहां छुपे होंगे इसलिए रूबी मैडम को नजर नहीं आए होंगे। लेकिन ऑफिस में इतने बड़े और शानदार बेडरूम का क्या काम ? क्या आराम करने के लिए होगा, नहीं जरूर अनूप यहां पर रंगरेलिया मनाता होगा।
प्रिया ने अपना मोबाइल निकाला और रूबी का नंबर मिला दिया। फोन की आवाज़ सुनकर रूबी की आंखे खुली तो उसने देखा कि प्रिया का कॉल हैं तो वो समझ गई कि जरूर कोई जरूरी बात होगी इसलिए बोली:".
" हान प्रिया बोलो?
प्रिया:" मैडम मुझे सब पता चल गया हैं कि ऑफिस से अनूप साहब कहां गायब हुए थे ? वो वो मैडम ..
रूबी:" हा हा बोलो तुम जल्दी क्या हुआ ?
प्रिया:" मैडम मेरी नोकरी चली जाएगी अगर साहब को पता चला तो फिर मेरा क्या होगा ?
रूबी:" तुम बेफिक्र होकर बोलो, मैं तुम्हे कुछ नहीं होने दूंगी।
प्रिया को थोड़ा सुकून मिला और बोली:"
"वो मैडम यहां ऑफिस में एक बहुत बड़ा बेडरूम हैं, और मेक अप का सामान भी रखा हुआ हैं, आप खुद बाकी समझ सकती हैं।
रूबी समझ हुई कि घर की तरह अनूप ने ऑफिस में भी चुदाई घर बनाया हुआ हैं इसलिए वो उससे ठीक से बात नहीं करता।
रूबी:" प्रिया क्या वहां पर कोई कैमरा लग सकता है क्या ?
प्रिया:" लग तो जाएगा मैडम लेकिन फसने का खतरा होगा बहुत ज्यादा क्योंकि कैमरा पकड़ा जाएगा यहां आसानी से!
रूबी:" कोई बात नहीं, तुम उसकी चिंता मत करो,तुम अभी एक कैमरा लगा दो वहां पर और उसकी कंट्रोलिंग अपने पास रखना और मुझे भी सॉफ्टवेयर के द्वारा दे दो।
प्रिया ने अगले कुछ मिनट में ही एक कैमरा लगा दिया और उसे रिसेप्शन वाले पीसी से जोड़ दिया और और रूबी ने अपने मोबाइल में ऐप डाउनलोड किया सीसीटीवी कैमरा ऑन मोबाइल और बोली:"
" थैंक्स प्रिया तुम एक काम करो अब कुछ दिनों की छुट्टी ले लो और ऑफिस मत आना।
प्रिया:" लेकिन मैडम मेरी सैलरी का क्या होगा ?
रूबी:" प्रिया तुम उसकी चिंता मत करो, कल दोपहर के बाद मेरे घर अा जाना, मैं एड्रेस तुम्हे भेजती हूं।
इसके बाद रूबी ने फोन काट दिया और अपने घर का एड्रेस उसे भेज दिया। रूबी आज बहुत खुशी थी क्योंकि वो जानती थी कि कल से अनूप के उल्टे दिन शुरू हो जाएंगे।
रूबी घर के काम में लग गई और खाना बनाने लगी क्योंकि उसे अपने लिए तो खाना बनाना ही था। दूसरी तरफ साहिल खुशी से अपनी गाड़ी को घुमा रहा था और उसने अनूप को फोन किया :
" पापा कहां है आप ? मुझे बहुत भूख लगी हैं,
अनूप एक वक़्त नीरज के पास था और दोनो मिलकर रूबी को फसाने की कोशिश कर रहे थे। अनूप बोला:"
" बेटा मैं यहीं शहर मैं हू, तुम एक काम करो होटल मोहन आओ मैं भी पहुंच जाता हूं।
अनूप ने फोन काट दिया तो नीरज बोला:"
" अरे अनूप मुझे कब मिलवा रहे हो अपने बेटे से तुम?
अनूप:" सर जब आप कहे
नीरज:" तो आज ही बुला लीजिए आज वो हमारा मेहमान होगा।
अनूप ने साहिल को फोन करके नीरज का मकान नंबर दिया तो साहिल अपने बाप के दिए हुए पते पर जैसे ही आया तो नेम प्लेट देखकर उसे फिर से झटका लगा, उफ्फ यहां भी नीरज, है भगवान एक के बाद एक नीरज मिल रहे हैं मुझे आज।
साहिल ने गाड़ी खड़ी करी और अंदर घुस गया। घर क्या पूरा महल था, इतना बड़ा घर तो साहिल ने आज तक नहीं देखा था, टाइल्स इतने कीमती लगे हुए थे कि उनमें उसे अपना चेहरा साफ नजर आ रहा था।
साहिल को लगा कि पक्का ये ही वो नीरज होगा जिसके पैसे के चलते मम्मी इसकी तरफ झुक गई और ये पापा का दोस्त हैं तो पापा को कुछ पता ही नहीं चला। उफ्फ कितना नीच और गिरा हुआ दोस्त हैं ये नीरज?
तभी सामने से आते हुए नीरज और अनूप दिखाई दिए तो अनूप ने साहिल को नीरज के पैर छूने का इशारा किया तो साहिल ने मन ही मन उसे गाली निकालते हुए उसके पैर छू लिए।
साहिल ने नीरज को ध्यान से देखा कि उसके आधे सिर पर तो बाल ही नहीं थे, शक्ल भी कोई खास नहीं, काला रंग और सबसे बड़ी साहिल को उसका चरित्र इसके रंग से भी कहीं ज्यादा काला लगा।
नीरज:" आओ साहिल बेटा मेरे इस शानदार महल में आपका स्वागत है।
साहिल ने उसे एक फीकी सी स्माइल दी और बोला:
" सच में आपका घर किसी महल से कम नहीं है।
नीरज खुश हुआ कि साहिल पर उसकी दौलत का जादू चल रहा है और इससे उसके लिए आसानी होगी क्योंकि रूबी जल्दी टूट जाएगी।
नीरज:" वो तो हैं बेटा, लेकिन अब आज तुम मेरे मेहमान हो तो बताओ मैं क्या खिदमत करू तुम्हारी ?
साहिल:" जी कुछ नहीं बस आपसे बात करके अच्छा लगा मुझे। अब रात हो रही हैं तो मुझे लगता है कि मुझे अब घर चलना चाहिए। फिर कभी मैं आऊंगा आपके पास।
साहिल खड़ा हुआ तो अनूप भी ना चाहते हुए खड़ा गई गया और दोनो बाप बेटे घर की तरफ चल पड़े। अनूप ने ड्राइवर को बोला कि गाड़ी घर छोड़ दे और वो साहिल के साथ ही उसकी कार में बैठ गया। साहिल ने गाड़ी दौड़ा दी और एक होटल में दोनो बाप बेटे ने खाना खाया और उसके बाद घर की तरफ चल पड़े।
साहिल:" पापा आप नीरज साहब को कब से जानते हो?
अनूप को एक पल के लिए तो कुछ समझ नहीं आया लेकिन अगले ही पल बोला:"
" बेटा हम तो पिछले दस साल से साथ में ही काम कर रहे हैं। क्यों क्या हुआ ?
साहिल:" हुआ तो कुछ नहीं पापा, बस मुझे ये आदमी कुछ ठीक नहीं लगा।
अनूप ने गौर से साहिल की तरफ देखा तो साहिल के चेहरे पर एक गजब का आत्म विश्वास था और अनूप को लगा कि कहीं का कहीं कुछ तो गड़बड़ है या फिर उसका बेटा सचमुच बड़ा हो गया है।
अनूप:" मुझे तो कभी ऐसा नहीं लगा बेटा, लेकिन अगर फिर भी तुम कहते तो मैं ध्यान रखूंगा।
साहिल को कुछ सुकून मिला और बारी थी उस सवाल की जिसे सुनकर अनूप के कान में बम फट गया।
साहिल:" पापा मैंने देखा हैं कि हमारे घर के एक तरफ बड़ी बड़ी दीवारें हैं बाबा लेकिन वहां किसी का मकान नहीं बना हुआ और ना ही आज मैंने वहां किसी को आते जाते हुए देखा हैं।
अनूप के चेहरे पर परेशानी के भाव साफ उभर आए क्योंकि वो इतना तो समझ गया था कि कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ हैं जो साहिल ऐसे बात कर रहा है। क्या इसने चुदाई लोक देख लिया है या सिर्फ बड़ी बड़ी दीवारों की वजह से ऐसा पूछ रहा है।
शायद दीवारों कि वजह से ही क्योंकि उसके बारे में मेरे और रूबी के सिवा कोई और नहीं जानता, मैंने बताया नहीं और रूबी कभी भी अपने बेटे को ये सब नहीं बताएगी।
अनूप:" बेटा मुझे नहीं पता कि वो सब क्या हैं ? शायद पहले वहां कोई फैक्ट्री रही हो।
साहिल समझ हुआ कि अगर उसके बाप को नहीं पता तो जरूर उसकी मा वहां रंगरेलियां मनाती हैं जब अनूप बाहर होता हैं, और जरूर नीरज घर पर आता हैं।
साहिल:" अच्छा पापा एक बात और बताओ आप मुझे , जैसे नीरज आपके दोस्त हैं तो क्या वो हमारे घर नहीं आते हैं ?
अनूप:" बहुत कम आते हैं बेटा, क्योंकि तेरी मम्मी को पसंद नहीं कि बाहर का कोई भी आदमी घर के अंदर ज्यादा आए। लेकिन तू ये सब क्यों पूछ रहा हैं आज ?
साहिल: बस ऐसे ही पापा, मैं सोच रहा था कि आपके दोस्त हैं तो घर तो आते ही होंगे।
अनूप को आज हैरानी हो रही थी कि उसका बेटा अजीब अजीब बाते कर रहा है, पता नहीं क्या हो गया हैं इसको। दूसरी तरफ साहिल समझ गया था कि उसकी मम्मी जरूरत से ज्यादा तेज हैं, अपने पति के दोस्त पर ही कब्जा जमा लिया हैं और पति के सामने पाक साफ बनती हैं। सच में मम्मी जितनी खूबसूरत हैं उससे कहीं ज्यादा चालाक हैं। घर में पापा के जाने के बाद शांता बस रह जाती हैं तो मम्मी शायद इसलिए ही एक नौकरानी को इतनी इज्जत देती हैं ताकि वो उसके राज छुपा कर रख सके।
थोड़ी देर के बाद दोनो बाप बेटे घर पहुंच गए।