• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest अनोखा करवाचौथ

Abhi6009

New Member
1
0
1
" रूबी प्लीज़ मान जाओ ना मेरी बात समझने की कोशिश करो "

अनूप ने ये बात लगभग गिड़गिड़ाते हुए कही थीं।

रूबी का गुस्सा तो जैसे आज सातवे आसमान पर था इसलिए वो अनूप की तरह गुस्से से पलटी तो अनूप उसकी जलती हुई लाल आंखे देखकर एक पल के लिए तो बुरी तरह से डर गया और अपने आप दो कदम पीछे हट गया। अनूप को लग रहा था जैसे अभी भगवान शिव की तरह से रूबी की तीसरी आंख खुलेगी और जलाकर भस्म कर देगी।

रूबी गुस्से से अपने मुट्ठी भींचते हुए अपने शब्दो को चबाकर बोली:" तुझे शर्म नाम कि कोई चीज हैं या नहीं, तुम अपनी खुद की पत्नी को दूसरे के नीचे लेटने की सलाह दे रहे हो। दूर हो जाओ मेरी नजरो के सामने से तुम

रूबी का ऐसा खौफनाक रूप देखकर अनूप ने वहां से निकलने में भी अपनी भलाई समझी और चुपचाप अपना बैग उठाकर ऑफिस की तरफ चल पड़ा।

अनूप श्रीवास्तव :" ये हैं अनूप, शक्ल से ही चूतिया लगते हैं और काम भी चूतियो जैसे ही हैं। उम्र करीब 47 साल, एक स्पोर्ट्स कंपनी में डायरेक्टर के पद पर हैं। घमंड तो जैसे इन्हे विरासत में मिला हैं।


रूबी:" अनूप की पत्नी, उम्र 39 साल दोनो को देखते ही लंगूर के हाथ में अंगूर वाली कहावत याद आ जाती हैं, बेहद खूबसूरत, अंग अंग से काम वासना टपकती हैं मानो रति साक्षात स्वर्गलोक से उतर आयी हों
( बाकी सब बाद में पता चलेगा)

a752c45ea3a894aefe2cf494ed4992c6

साहिल:" दोनो का इकलौता लड़का, जो अभी 19 साल का हुआ हैं और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा हैं। कद 5 फीट 11 इंच , वजन, 78 किलो, सुन्दरता में बिल्कुल अपनी मा पर गया हैं। काफी मॉडर्न हैं और अपनी फिटनेस पर बहुत मेहनत करता हैं।

stock-photo-young-and-healthy-man-topless-show-his-muscles-male-fitness-model-muscular-fit-body-679751629
Gajab
 

Sahilsam

New Member
6
4
3
Mast h story next
जैसे ही अनूप गेट से बाहर निकला तो उसने एक बार रूबी की तरफ नफरत से देखा और गुस्से में जोर से दरवाजे को मारा मानो अपना सारा गुस्सा दरवाजे पर ही निकाल रहा हो। एक जोरदार आवाज के साथ दरवाजा बंद हो गया और अनूप भुनभुनाता हुआ बाहर निकल गया।

उसके जाते ही रूबी ने एक लम्बी आह भरी और उदास होती हुई बेड पर धम्म से गिर गई। वो अपनी यादों में डूब गई और पुराने दिनों को याद करने लगीं।

आज उसकी अनूप से शादी हुए 18 साल हो गए थे। रूबी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था लेकिन उसके बाप ने मेहनत मजदूरी करके उसे पढ़ाया। उसके ना कोई भाई था और ना ही बहन, अपने मा बाप की इकलौती संतान रूबी पढ़ने में तेज थी और खेल कूद में तो उसका कोई सानी नहीं था।

ज़िला स्तर पर कबड्डी प्रतियोगिता में वो अपनी टीम की कप्तान थी तो दौड़ में भी उसने काफी सारे मेडल अपने नाम किए थे। एक दिन खेल के मैदान में ही उसकी मुलाकात अनूप से हुई और अनूप उसकी खूबसूरती का दीवाना हो गया। अनूप एक बड़े बाप की औलाद था इसलिए उसने धीरे धीरे रूबी के बाप पर एहसान करने शुरू कर दिए और उसका बाप अनूप के एहसानो के तले दबता चला गया।

धीरे धीरे अनूप का रूबी के घर आना जाना शुरू हुआ और उसकी रूबी से एक के बाद एक कई मुलाकात हुई और जल्दी ही उनमें प्यार हो गया। अनूप रूबी के उपर दिलो जान से फिदा था इसलिए उसने अमीरी गरीबी की दीवार गिराते हुए रूबी के मा बाप से रिश्ता मांग लिया। रूबी के मा बाप के लिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती हैं इसलिए उन्होंने बिना किसी आना कानी के शादी के लिए हां कर दी और रूबी दुल्हन बनकर अनूप की ज़िन्दगी में अा गई।

रूबी ने दिल खिलाकर अनूप पर अपना प्यार लुटाया और दोनो की ज़िन्दगी खुशियों से भर गई। इस खुशी को उनके बेटे साहिल के पैदा होने से जैसे पंख लग गए और बस अब तो जैसे रूबी जिधर भी नजर उठाती उसे बस खुशियां ही खुशियां नजर आती।

धीरे धीरे उनका बेटा साहिल बड़ा होता गया। जैसे जैसे साहिल बड़ा होता गया रूबी की ज़िन्दगी से खुशियां भी दूर होती चली गई। अनूप को एक बिजनेस डील में बहुत बड़ा नुकसान हुआ और अनूप टूटता चला गया। रूबी ने उसे संभालने की पूरी कोशिश करी लेकिन अनूप को दारू की लत लग गई। धीरे धीरे अनूप ने फिर से अपना काम शुरू किया और जल्दी ही फिर से अपना खोया हुआ मुकाम और इज्जत हासिल कर ली लेकिन तब तक उसके दोस्त और साथ काम करने वाले काफी चेहरे बदल चुके थे और अनूप को दारू के साथ जुआ खेलना और लड़कियों के साथ रात बिताना जैसी कई गंदी आदते लग गई थी।

रूबी ने उसे समझाने की हर संभव कोशिश करी, अनूप ने बड़ी बड़ी कसमें खाई लेकिन सब की सब झूठ साबित हुई जिसका नतीजा ये हुआ कि अनूप रूबी की नजरो में गिरता चला गया। अनूप रोज दारू पीकर आता और रूबी की टांगे खोलता और उसके ऊपर चढ़ जाता, उसकी गलत आदतों का असर उसके जिस्म पर पड़ा और वो बस लंड घुसा कर दो चार धक्के बड़ी मुश्किल से मारता और ढेर हो जाता। रूबी को उसके मुंह से दारू की बदबू आती लेकिन वो ना चाहते हुए भी सब कुछ बर्दाश्त कर रही थी।

एक दिन तो जैसे हद ही हो गई। रूबी को अच्छे से याद हैं कि उस दिन रूबी का जन्म दिन था और अनूप ने अपने दोस्तो को एक होटल में पार्टी थी दी। नीरज ने उस दिन पहली बार रूबी को देखा और उसका दीवाना हो गया और उसने रूबी को हीरे की एक खुबसुरत अंगूठी गिफ्ट में दी थी। हमेशा की तरह अनूप ने उस दिन भी जी भर कर दारू पी और टन्न हो गया। नीरज नाम का दोस्त जो कि अनूप का बिजनेस पार्टनर भी था अनूप को उठाकर घर ले आया और उसके बेड पर लिटा दिया। रूबी अनूप के जूते निकाल रही थी जिससे उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया था और उसकी मस्त गोल गोल चूचियो का उभार नीरज की आंखो के सामने अा गया और उसने रूबी को एक कामुक स्माइल दी तो रूबी उसे आंखे दिखाती हुई कमरे से बाहर चली गई थी।

नीरज ने उस दिन के बाद अनूप पर एक के बाद काफी एहसान किए और अनूप उसके एहसानो के कर्स में डूबता चला गया और एक दिन उसने अनूप को अपने मन की बात बता दी कि वो उसकी बीवी रूबी का दीवाना हो गया हैं। एक रात के लिए वो रूबी को मेरे साथ सोने दे।

अनूप को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन जब नीरज ने उससे अपना कर्ज मांगा तो अनूप बगल झांकने लगा और चुप हो गया। नीरज ने उसे बहुत बड़ी बड़ी बिजनेस डील कराने का लालच दिया और अनूप लालच में अा गया। वो पिछले दो साल से रूबी को किसी भी तरह से नीरज के साथ सोने के लिए राज़ी करना चाह रहा था लेकिन रूबी को किसी भी सूरत में अपने चरित्र पर दाग लगाना मंजूर नहीं था।

आज सुबह भी उनकी इसी बात पर लड़ाई हुई और नतीजा वही हुआ जो पिछले दो साल से हो रहा है और अनूप अपनी बेइज्जती कराके चल गया।

ये सब याद करके रूबी की आंखे भर आई और उसकी आंखो से आंसू बह चले। तभी उसे अपने गालों पर हाथो का एहसास हुआ तो उसने देखा कि उसके घर की नौकरानी शांता उसके आंसू साफ कर रही थी।

शांता:" क्या हुआ बेटी? आज फिर से तेरी इन खूबसूरत आंखो में आंसू किसलिए ?

रूबी को लगा जैसे शांता ने उसके जख्मों को कुरेद दिया हो और उसकी जोर जोर से रुलाई फुट पड़ी और वो शांता के गले लगती हुई सुबक पड़ी।

शांता उसकी पीठ सहलाते हुए बोली:" आज भी नहीं बताएगी क्या बेटी ? देख रही हूं पिछले दो साल से तुझे कोई समस्या अंदर ही अंदर खाए जा रही है लेकिन तू अपना मुंह तक नहीं खोलती।

रूबी रोती रही और शांता उसे तसल्ली देती रही लेकिन रूबी के मुंह से एक शब्द तक नहीं निकला। थोड़ी देर के बाद रूबी के आंसू सूख गए तो वो घर के काम में लग गई।

शांता के दिल में रूबी के लिए बड़ी हमदर्दी थी। कहने के लिए तो वो इस घर की नौकरानी थी लेकिन अनूप की छोटी सी उम्र में मा गुजर जाने के बाद उसने है अनूप को पाल पोस कर बड़ा किया था इसलिए रूबी हमेशा उसे एक सासू जितनी इज्जत देती थी।

रूबी के लिए बस हफ्ते में दो दिन के लिए जैसे खुशियां लौट आती थी क्योंकि उसका बेटा साहिल दो दिन के लिए छुट्टी आता था और शनिवार और रविवार घर पर ही रहता था।

आज शुक्रवार था और रात में करीब 9 बजे तक साहिल घर अा जाता था। वैसे तो रोज घर का खाना शांता बनाती थी लेकिन रूबी अपने बेटे के लिए खुद अपने हाथ से आलू पूड़ी और रायता बनाया करती थी जो कि उसके बेटे की पसंदीदा डिश थी।

रूबी को घर के काम में लगे लगे दोपहर हो गई और शांता तब तक खाना बना चुकी थी। शांता ने खाना टेबल पर लगा दिया और रूबी को आवाज लगाई

" अरे रूबी बेटी अा जाओ खाना खा लो, खाना तैयार हो गया हैं।

रूबी का मन खाने का बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वो कमरे में से ही बोली:"

" ताई जी आप खा लीजिए मुझे भूख नहीं हैं, जब मन होगा मैं खा लुंगी।

शांता समझ गई कि रूबी अनूप का गुस्सा खाने पर निकाल रही हैं इसलिए उसने एक थाली में खाना रखा और रूबी के कमरे में पहुंच गई तो देखा कि रूबी उदास होकर आंखे बंद किए हुए लेटी हुई है और उसके चेहरे पर उभरी हुई दर्द भरी रेखाएं बिना बोले ही उसका सब दर्द बयान कर रही है।

रूबी अपने विचारो में ही इतना ज्यादा खो गई थी कि उसे शांता के अंदर आने का एहसास ही नहीं हुआ।
शांता ने थाली को टेबल पर रख दिया और रूबी का प्यार से गाल सहलाते हुए बोली:"

" चलो बेटी उठो और खाना खा लो देखो मैंने कितनी मेहनत से तुम्हारे लिए बनाया हैं।

शांता ताई के हाथो के स्पर्श से और उनकी आवाज़ से रूबी की आंखे खुल गई। रूबी जानती थी कि शांता बहुत जिद्दी हैं और आज मैं फिर से उसकी जिद के आगे हार जाऊंगी इसलिए वो अपने सारे दर्द और गम छुपाते हुए अपने चेहरे पर स्माइल ले आई और बोली:"

" ठीक हैं ताई जब आप इतना जिद कर रही हो तो थोड़ा सा तो खाना ही पड़ेगा मुझे।

शांता की इच्छा थी कि रूबी उसे मा कहकर पुकारें क्योंकि शांता की कोई संतान नहीं थी और वो रूबी को बिल्कुल अपनी बेटी की तरह मानती थी लेकिन कभी अपनी जुबान से नहीं कह पाई।

रूबी द्वारा ताई बुलाए जाने की पीड़ा शांता के चेहरे पर उभरी लेकिन हमेशा की तरह उसने आज भी अपनी पीड़ा को स्माइल के पीछे छुपा लिया और बोली:"

" थोड़ा सा क्यों पेट भर खिलाऊंगी तुझे, एक तू ही तो मेरी प्यारी बिटिया हैं रूबी।

शांता ने खाने का निवाला बनाया और रूबी की तरफ बढ़ा दिया तो रूबी ने अपना मुंह खोलते हुए निवाला खा लिया और खुशी के मारे उसकी आंखे भर आई और बोली:"

" शांता ताई आप मेरा इतना ध्यान क्यों रखती हैं? जरूर आपका और मेरा कोई पिछले जन्म का रिश्ता रहा होगा

शांता के होंठो पर मुस्कान अा गई और दूसरा निवाला बनाते हुए बोली:" बेटी मैं तो अपना फ़र्ज़ निभा रही हूं, अगर आज मेरी बेटी ज़िंदा होती तो मैं बिल्कुल इसी तरह उसका खयाल रखती।

ये बात कहते कहते शांता का गला भर्रा गया और उसने बड़ी मुश्किल से रूबी को निवाला खिलाया और रूबी खाना खाते हुए उसकी आंखे साफ करने लगी और बोली:

" आप अपनी बेटी को बहुत प्यार करती थी ना ताई ?

अपनी बेटी को याद करके शांता के हाथ कांपने लगे और उससे निवाला नहीं बन पा रहा था तो रूबी बोली:"

" ताई आप रहने दीजिए मैं खुद खा लूंगी और रोज आप मुझे खाना खिलाती हैं चलो आज मैं आपको खिलाती हूं।

इतना कहकर रूबी ने निवाला बनाया और शांता के मुंह से लगा दिया तो शांता ने रूबी की तरफ हैरत से देखते हुए अपना मुंह खोल दिया और शांता खाना खाने लगीं।

दोनो एक दूसरे को खाना खिलाने लगी तभी एक शैतान की तरह अनूप की घर में एंट्री हुई और गुस्से से बोला:"

" रूबी तुम जाहिल की जाहिल ही रहोगी तुम अपने मान सम्मान और प्रतिष्ठा की जरा भी कद्र नहीं है, एक नौकरानी के हाथ से खाना खाते हुए तुम्हे शर्म नहीं आती ?


शांता डर के मारे बेड से उतर गई और रोटी हुई धीरे धीरे कमरे से बाहर जाने लगी तो रूबी का खून खौल उठा और वो गुस्से से बोली:"

" अनूप जिसे आज तुम नौकरानी कह रहे हो मत भूलो कि तुम उसकी ही गोद में खेलकर बड़े हुए हो।

अनूप अपनी आधी अधूरी मुंछो पर ताव देते हुए बोला:"

" जब बच्चा छोटा होता हैं तो एक कुत्ते का पिल्ला भी उसका मुंह चूमकर भाग जाता हैं इसका मतलब ये नहीं कि बड़ा होने पर हम उसे सिर पर बिठाए।

रूबी शांता ताई की तुलना कुत्ते के पिल्ले से किया जाने पर एकदम से आग बबूला हो गई और बोली:"

" बस अपनी जुबान को लगाम दे अनूप, अगर एक बुरा शब्द शांता ताई के बारे में और बोला तो मैं ये घर हमेशा हमेशा के लिए छोड़कर चली जाऊंगी।

अनूप की सिटी पित्ती घूम हो गई और जुबान को जैसे लकवा मार गया क्योंकि वो जानता था मरते वक़्त उसकी मा की ये अंतिम इच्छा थी कि जो भी लड़की इस घर में बहू बनकर आए ये घर उसके नाम कर दिया जाए क्योंकि वो अपने पति के ज़ुल्म सह चुकी थी और जानती थी कि उसकी नस्ल उससे भी ज्यादा कमीनी होगी।

अनूप के मुंह धीरे से खुला और इस बार उसके शब्दो में शहद जैसी मिठास थी

" रूबी मेरा मकसद शांता ताई को नीचा दिखाना नहीं था, मैं तो बस ये चाह रहा था कि तुम अपने स्टैंडर्ड का ध्यान रखो।

रूबी:" मैं कोई दूध पीती बच्ची नहीं हूं अनूप, सब समझती हूं, तुम पहले अपना खुद का स्टैंडर्ड देखो और फिर मुझसे स्टैंडर्ड की बात करना।

अनूप रूबी से ज्यादा बहस नहीं करना चाहता था इसलिए वो फाइल ढूंढने लगा जिसे लेने के लिए आज वो अचानक से अा गया था। आमतौर पर वो रात को 8 बजे तक ही आता था। अनूप ने अपनी अलमारी से फाइल निकाली और एक तेज नजर रूबी पर डालते हुए चला गया। थोड़ी देर बाद ही उसकी गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज आईं और रूबी सीमा को ढूंढने में लग गई। शांता ऊपर छत पर जाने वाली सीढ़ियों के पास बैठ कर रो रही थी। ये देखकर रूबी का दिल भर आया और वो बोली:"

" अरे ताई आप यहां बैठी हुई है और मैं आपको सारे घर में ढूंढ रही थी, अा चलो।

शांता ने आंसुओ से भीगा हुआ अपना चेहरा उपर उठाया और बोली:" बस कर बेटी, मैं गरीब और कमजोर कहां तुम्हारे पति के स्टैंडर्ड के बराबर हूं , पता नहीं भगवान बुढ़ापे में मेरी और कितनी बेइज्जती कराएगा।

रूबी:" बस कीजिए ताई, आप उनकी बातो को दिल से मत लगाए, उनका तो काम हैं उल्टी सीधी बात करना।

शांता:" बेटी मैं जानती हूं कि तुम ये सब सिर्फ मुझे तसल्ली देने के लिए कह रही हो।

रूबी शांता की बाते सुनकर आहत हुई लेकिन बोली:"

" ताई आपने तो आज पहली बार ये सब झेला हैं और मुझे देखो मैं तो रोज इससे ज्यादा बर्दाश्त करती हूं, बस करो ताई आओ चलो खाना खाते हैं।

शांता को एहसास हुआ कि रूबी सच बोल रही है क्योंकि वो सच में अनूप से सबसे ज्यादा परेशान हैं इसलिए उसका गुस्सा कुछ कम हुआ और बोली:"

" बेटी अगर अनूप की मा को मैंने अपनी आखिरी सांसें तक इस घर में रहने का वचन ना दिया होता तो मैं कब का ये घर छोड़कर चली गई होती।

रूबी:" बस करो ताई, अगर आपकी सगी बेटी होती तो क्या आप उसे भी छोड़कर चली जाती?

शांता की आंखो के आगे अपनी बेटी का मासूम सा चेहरा याद अा गया और उसे रूबी में उसकी बेटी नजर आईं और शांता भावुक होते हुए बोली:"

" जरूर चली जाती अगर वो भी मुझे तेरी तरह ताई कहकर बुलाती!!

आखिर कार आज शांता का दर्द शब्द बनकर उसकी जुबान पर आ गया और रूबी शांता की बात सुनकर तेजी से दौड़ती हुई उसके गले लग गई और बोली:"

" मा मुझे माफ़ कर दो, मा मैं आज तक आपके प्यार को नहीं समझ पाई, आज के बाद मैं आपको कभी ताई कहकर नहीं बुलाऊंगी।

शांता ने रूबी को अपने गले लगा लिया और बोली:"

" बस कर मेरी बच्ची तू तो वैसे ही इतना रोटी हैं और कितना रोएगी, चल अा जा दोनो खाना खाते हैं।

उसके बाद दोनो कमरे में चली गई और एक दूसरे को खाना खिलाने लगी।

रूबी:"मा आप आज शाम से आराम करना क्योंकि आज साहिल अा जाएगा और आप तो जानती ही हैं कि उसे मेरे हाथ से बना खाना कितना पसंद हैं

शांता:" ठीक है बेटी जैसे तुझे ठीक लगे, लेकिन बेटी ध्यान रखना कि कहीं साहिल भी अपने बाप पर ना चला जाए क्योंकि उसकी रगो में भी उसका ही खून हैं रूबी।

रूबी को शांता की बाते सुनकर एक पल के लिए चिंता हुई लेकिन अगले ही पल वो आत्म विश्वास के साथ बोली:"

" मा बेशक उसकी रगो में अनूप का खून हैं लेकिन उसने मेरा दूध भी तो पिया हैं और मुझे यकीन हैं कि मेरा दूध उसके खून पर जरूर भारी पड़ेगा।

शांता :" भगवान करे ऐसा ही हो बेटी, तेरा बेटा तुझ पर ही जाए।

शांता ने रूबी का खूबसूरत चेहरा अपने हाथों में भर लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"

" अच्छा बेटी मैं चलती हूं अगर कोई जरूरत पड़े तो मुझे आवाज लगा देना मैं नीचे से अा जाऊंगी

रूबी :" ठीक हैं मा, आप आराम कीजिए।

शांता धीरे धीरे चलती हुई नीचे चली गई घर के सामने पड़ी हुई जगह में बने हुए सर्वेंट क्वार्टर में घुस गई।

अनूप का घर काफी अच्छा बना हुआ था और आस पास कॉलोनी में ऐसा घर नहीं था। बाहर एक बड़ा सा घास का मैदान जिसके एक तरफ से अंदर घर की तरह जाता हुआ रास्ता, रास्ते के दोनो ओर लगे हुए खुबसुरत फूल , घर के ठीक बाहर रखे हुए विदेशी गमले घर के अंदर की गरिमा को बाहर से ही बयान कर रहे थे।

एक बड़ा सा गेट जो 316 स्टेनलेस स्टील से बना हुआ, अंदर घुसते ही एक बड़ा सा हॉल जिसमे एक बेहतरीन डिजाइन का डबल बेड, सामने पड़े हुए सोफे और हॉल की खिड़कियों पर पड़े हुए सुंदर पर्दे मानो खींच खींच कर खुद ही अपनी उच्च गुणवत्ता की दास्तां कह रहे थे। हॉल में सामने लगी हुई एक 48 इंच की एलईडी, हॉल से जुड़े हुए अलग अलग तीन कमरे जो बहुत ही सुन्दर बने हुए थे। हॉल में उपर की तरफ जाती सीढ़ियां जो फर्स्ट फ्लोर पर जा रही थी। उपर बने हुए चार कमरे, जिनमें एक दोनो का बेडरूम और बीच में सुंदर सी गैलरी जिसके आखिर में अंतिम कमरा बना हुआ था जो साहिल के लिए था जिसके बाद बाथरूम बना हुआ था।

कमरों के सामने ही किचेन बना हुआ था। किचेन के पास से उपर सेकंड फ्लोर पर जाने के लिए सीढ़ियां और छत पर बना एक छोटा सा कमरा । छत के चारो तरफ ऊंची ऊंची दीवार।

कुल मिलाकर रहने के लिए जन्नत से कम नहीं लेकिन अनूप ने अपनी बेवकूफी की वजह से इसे किसी नरक में तब्दील कर दिया था
update
 

Sahilsam

New Member
6
4
3
Mast h story next
जैसे ही अनूप गेट से बाहर निकला तो उसने एक बार रूबी की तरफ नफरत से देखा और गुस्से में जोर से दरवाजे को मारा मानो अपना सारा गुस्सा दरवाजे पर ही निकाल रहा हो। एक जोरदार आवाज के साथ दरवाजा बंद हो गया और अनूप भुनभुनाता हुआ बाहर निकल गया।

उसके जाते ही रूबी ने एक लम्बी आह भरी और उदास होती हुई बेड पर धम्म से गिर गई। वो अपनी यादों में डूब गई और पुराने दिनों को याद करने लगीं।

आज उसकी अनूप से शादी हुए 18 साल हो गए थे। रूबी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था लेकिन उसके बाप ने मेहनत मजदूरी करके उसे पढ़ाया। उसके ना कोई भाई था और ना ही बहन, अपने मा बाप की इकलौती संतान रूबी पढ़ने में तेज थी और खेल कूद में तो उसका कोई सानी नहीं था।

ज़िला स्तर पर कबड्डी प्रतियोगिता में वो अपनी टीम की कप्तान थी तो दौड़ में भी उसने काफी सारे मेडल अपने नाम किए थे। एक दिन खेल के मैदान में ही उसकी मुलाकात अनूप से हुई और अनूप उसकी खूबसूरती का दीवाना हो गया। अनूप एक बड़े बाप की औलाद था इसलिए उसने धीरे धीरे रूबी के बाप पर एहसान करने शुरू कर दिए और उसका बाप अनूप के एहसानो के तले दबता चला गया।

धीरे धीरे अनूप का रूबी के घर आना जाना शुरू हुआ और उसकी रूबी से एक के बाद एक कई मुलाकात हुई और जल्दी ही उनमें प्यार हो गया। अनूप रूबी के उपर दिलो जान से फिदा था इसलिए उसने अमीरी गरीबी की दीवार गिराते हुए रूबी के मा बाप से रिश्ता मांग लिया। रूबी के मा बाप के लिए इससे अच्छी बात क्या हो सकती हैं इसलिए उन्होंने बिना किसी आना कानी के शादी के लिए हां कर दी और रूबी दुल्हन बनकर अनूप की ज़िन्दगी में अा गई।

रूबी ने दिल खिलाकर अनूप पर अपना प्यार लुटाया और दोनो की ज़िन्दगी खुशियों से भर गई। इस खुशी को उनके बेटे साहिल के पैदा होने से जैसे पंख लग गए और बस अब तो जैसे रूबी जिधर भी नजर उठाती उसे बस खुशियां ही खुशियां नजर आती।

धीरे धीरे उनका बेटा साहिल बड़ा होता गया। जैसे जैसे साहिल बड़ा होता गया रूबी की ज़िन्दगी से खुशियां भी दूर होती चली गई। अनूप को एक बिजनेस डील में बहुत बड़ा नुकसान हुआ और अनूप टूटता चला गया। रूबी ने उसे संभालने की पूरी कोशिश करी लेकिन अनूप को दारू की लत लग गई। धीरे धीरे अनूप ने फिर से अपना काम शुरू किया और जल्दी ही फिर से अपना खोया हुआ मुकाम और इज्जत हासिल कर ली लेकिन तब तक उसके दोस्त और साथ काम करने वाले काफी चेहरे बदल चुके थे और अनूप को दारू के साथ जुआ खेलना और लड़कियों के साथ रात बिताना जैसी कई गंदी आदते लग गई थी।

रूबी ने उसे समझाने की हर संभव कोशिश करी, अनूप ने बड़ी बड़ी कसमें खाई लेकिन सब की सब झूठ साबित हुई जिसका नतीजा ये हुआ कि अनूप रूबी की नजरो में गिरता चला गया। अनूप रोज दारू पीकर आता और रूबी की टांगे खोलता और उसके ऊपर चढ़ जाता, उसकी गलत आदतों का असर उसके जिस्म पर पड़ा और वो बस लंड घुसा कर दो चार धक्के बड़ी मुश्किल से मारता और ढेर हो जाता। रूबी को उसके मुंह से दारू की बदबू आती लेकिन वो ना चाहते हुए भी सब कुछ बर्दाश्त कर रही थी।

एक दिन तो जैसे हद ही हो गई। रूबी को अच्छे से याद हैं कि उस दिन रूबी का जन्म दिन था और अनूप ने अपने दोस्तो को एक होटल में पार्टी थी दी। नीरज ने उस दिन पहली बार रूबी को देखा और उसका दीवाना हो गया और उसने रूबी को हीरे की एक खुबसुरत अंगूठी गिफ्ट में दी थी। हमेशा की तरह अनूप ने उस दिन भी जी भर कर दारू पी और टन्न हो गया। नीरज नाम का दोस्त जो कि अनूप का बिजनेस पार्टनर भी था अनूप को उठाकर घर ले आया और उसके बेड पर लिटा दिया। रूबी अनूप के जूते निकाल रही थी जिससे उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया था और उसकी मस्त गोल गोल चूचियो का उभार नीरज की आंखो के सामने अा गया और उसने रूबी को एक कामुक स्माइल दी तो रूबी उसे आंखे दिखाती हुई कमरे से बाहर चली गई थी।

नीरज ने उस दिन के बाद अनूप पर एक के बाद काफी एहसान किए और अनूप उसके एहसानो के कर्स में डूबता चला गया और एक दिन उसने अनूप को अपने मन की बात बता दी कि वो उसकी बीवी रूबी का दीवाना हो गया हैं। एक रात के लिए वो रूबी को मेरे साथ सोने दे।

अनूप को गुस्सा तो बहुत आया लेकिन जब नीरज ने उससे अपना कर्ज मांगा तो अनूप बगल झांकने लगा और चुप हो गया। नीरज ने उसे बहुत बड़ी बड़ी बिजनेस डील कराने का लालच दिया और अनूप लालच में अा गया। वो पिछले दो साल से रूबी को किसी भी तरह से नीरज के साथ सोने के लिए राज़ी करना चाह रहा था लेकिन रूबी को किसी भी सूरत में अपने चरित्र पर दाग लगाना मंजूर नहीं था।

आज सुबह भी उनकी इसी बात पर लड़ाई हुई और नतीजा वही हुआ जो पिछले दो साल से हो रहा है और अनूप अपनी बेइज्जती कराके चल गया।

ये सब याद करके रूबी की आंखे भर आई और उसकी आंखो से आंसू बह चले। तभी उसे अपने गालों पर हाथो का एहसास हुआ तो उसने देखा कि उसके घर की नौकरानी शांता उसके आंसू साफ कर रही थी।

शांता:" क्या हुआ बेटी? आज फिर से तेरी इन खूबसूरत आंखो में आंसू किसलिए ?

रूबी को लगा जैसे शांता ने उसके जख्मों को कुरेद दिया हो और उसकी जोर जोर से रुलाई फुट पड़ी और वो शांता के गले लगती हुई सुबक पड़ी।

शांता उसकी पीठ सहलाते हुए बोली:" आज भी नहीं बताएगी क्या बेटी ? देख रही हूं पिछले दो साल से तुझे कोई समस्या अंदर ही अंदर खाए जा रही है लेकिन तू अपना मुंह तक नहीं खोलती।

रूबी रोती रही और शांता उसे तसल्ली देती रही लेकिन रूबी के मुंह से एक शब्द तक नहीं निकला। थोड़ी देर के बाद रूबी के आंसू सूख गए तो वो घर के काम में लग गई।

शांता के दिल में रूबी के लिए बड़ी हमदर्दी थी। कहने के लिए तो वो इस घर की नौकरानी थी लेकिन अनूप की छोटी सी उम्र में मा गुजर जाने के बाद उसने है अनूप को पाल पोस कर बड़ा किया था इसलिए रूबी हमेशा उसे एक सासू जितनी इज्जत देती थी।

रूबी के लिए बस हफ्ते में दो दिन के लिए जैसे खुशियां लौट आती थी क्योंकि उसका बेटा साहिल दो दिन के लिए छुट्टी आता था और शनिवार और रविवार घर पर ही रहता था।

आज शुक्रवार था और रात में करीब 9 बजे तक साहिल घर अा जाता था। वैसे तो रोज घर का खाना शांता बनाती थी लेकिन रूबी अपने बेटे के लिए खुद अपने हाथ से आलू पूड़ी और रायता बनाया करती थी जो कि उसके बेटे की पसंदीदा डिश थी।

रूबी को घर के काम में लगे लगे दोपहर हो गई और शांता तब तक खाना बना चुकी थी। शांता ने खाना टेबल पर लगा दिया और रूबी को आवाज लगाई

" अरे रूबी बेटी अा जाओ खाना खा लो, खाना तैयार हो गया हैं।

रूबी का मन खाने का बिल्कुल भी नहीं था इसलिए वो कमरे में से ही बोली:"

" ताई जी आप खा लीजिए मुझे भूख नहीं हैं, जब मन होगा मैं खा लुंगी।

शांता समझ गई कि रूबी अनूप का गुस्सा खाने पर निकाल रही हैं इसलिए उसने एक थाली में खाना रखा और रूबी के कमरे में पहुंच गई तो देखा कि रूबी उदास होकर आंखे बंद किए हुए लेटी हुई है और उसके चेहरे पर उभरी हुई दर्द भरी रेखाएं बिना बोले ही उसका सब दर्द बयान कर रही है।

रूबी अपने विचारो में ही इतना ज्यादा खो गई थी कि उसे शांता के अंदर आने का एहसास ही नहीं हुआ।
शांता ने थाली को टेबल पर रख दिया और रूबी का प्यार से गाल सहलाते हुए बोली:"

" चलो बेटी उठो और खाना खा लो देखो मैंने कितनी मेहनत से तुम्हारे लिए बनाया हैं।

शांता ताई के हाथो के स्पर्श से और उनकी आवाज़ से रूबी की आंखे खुल गई। रूबी जानती थी कि शांता बहुत जिद्दी हैं और आज मैं फिर से उसकी जिद के आगे हार जाऊंगी इसलिए वो अपने सारे दर्द और गम छुपाते हुए अपने चेहरे पर स्माइल ले आई और बोली:"

" ठीक हैं ताई जब आप इतना जिद कर रही हो तो थोड़ा सा तो खाना ही पड़ेगा मुझे।

शांता की इच्छा थी कि रूबी उसे मा कहकर पुकारें क्योंकि शांता की कोई संतान नहीं थी और वो रूबी को बिल्कुल अपनी बेटी की तरह मानती थी लेकिन कभी अपनी जुबान से नहीं कह पाई।

रूबी द्वारा ताई बुलाए जाने की पीड़ा शांता के चेहरे पर उभरी लेकिन हमेशा की तरह उसने आज भी अपनी पीड़ा को स्माइल के पीछे छुपा लिया और बोली:"

" थोड़ा सा क्यों पेट भर खिलाऊंगी तुझे, एक तू ही तो मेरी प्यारी बिटिया हैं रूबी।

शांता ने खाने का निवाला बनाया और रूबी की तरफ बढ़ा दिया तो रूबी ने अपना मुंह खोलते हुए निवाला खा लिया और खुशी के मारे उसकी आंखे भर आई और बोली:"

" शांता ताई आप मेरा इतना ध्यान क्यों रखती हैं? जरूर आपका और मेरा कोई पिछले जन्म का रिश्ता रहा होगा

शांता के होंठो पर मुस्कान अा गई और दूसरा निवाला बनाते हुए बोली:" बेटी मैं तो अपना फ़र्ज़ निभा रही हूं, अगर आज मेरी बेटी ज़िंदा होती तो मैं बिल्कुल इसी तरह उसका खयाल रखती।

ये बात कहते कहते शांता का गला भर्रा गया और उसने बड़ी मुश्किल से रूबी को निवाला खिलाया और रूबी खाना खाते हुए उसकी आंखे साफ करने लगी और बोली:

" आप अपनी बेटी को बहुत प्यार करती थी ना ताई ?

अपनी बेटी को याद करके शांता के हाथ कांपने लगे और उससे निवाला नहीं बन पा रहा था तो रूबी बोली:"

" ताई आप रहने दीजिए मैं खुद खा लूंगी और रोज आप मुझे खाना खिलाती हैं चलो आज मैं आपको खिलाती हूं।

इतना कहकर रूबी ने निवाला बनाया और शांता के मुंह से लगा दिया तो शांता ने रूबी की तरफ हैरत से देखते हुए अपना मुंह खोल दिया और शांता खाना खाने लगीं।

दोनो एक दूसरे को खाना खिलाने लगी तभी एक शैतान की तरह अनूप की घर में एंट्री हुई और गुस्से से बोला:"

" रूबी तुम जाहिल की जाहिल ही रहोगी तुम अपने मान सम्मान और प्रतिष्ठा की जरा भी कद्र नहीं है, एक नौकरानी के हाथ से खाना खाते हुए तुम्हे शर्म नहीं आती ?


शांता डर के मारे बेड से उतर गई और रोटी हुई धीरे धीरे कमरे से बाहर जाने लगी तो रूबी का खून खौल उठा और वो गुस्से से बोली:"

" अनूप जिसे आज तुम नौकरानी कह रहे हो मत भूलो कि तुम उसकी ही गोद में खेलकर बड़े हुए हो।

अनूप अपनी आधी अधूरी मुंछो पर ताव देते हुए बोला:"

" जब बच्चा छोटा होता हैं तो एक कुत्ते का पिल्ला भी उसका मुंह चूमकर भाग जाता हैं इसका मतलब ये नहीं कि बड़ा होने पर हम उसे सिर पर बिठाए।

रूबी शांता ताई की तुलना कुत्ते के पिल्ले से किया जाने पर एकदम से आग बबूला हो गई और बोली:"

" बस अपनी जुबान को लगाम दे अनूप, अगर एक बुरा शब्द शांता ताई के बारे में और बोला तो मैं ये घर हमेशा हमेशा के लिए छोड़कर चली जाऊंगी।

अनूप की सिटी पित्ती घूम हो गई और जुबान को जैसे लकवा मार गया क्योंकि वो जानता था मरते वक़्त उसकी मा की ये अंतिम इच्छा थी कि जो भी लड़की इस घर में बहू बनकर आए ये घर उसके नाम कर दिया जाए क्योंकि वो अपने पति के ज़ुल्म सह चुकी थी और जानती थी कि उसकी नस्ल उससे भी ज्यादा कमीनी होगी।

अनूप के मुंह धीरे से खुला और इस बार उसके शब्दो में शहद जैसी मिठास थी

" रूबी मेरा मकसद शांता ताई को नीचा दिखाना नहीं था, मैं तो बस ये चाह रहा था कि तुम अपने स्टैंडर्ड का ध्यान रखो।

रूबी:" मैं कोई दूध पीती बच्ची नहीं हूं अनूप, सब समझती हूं, तुम पहले अपना खुद का स्टैंडर्ड देखो और फिर मुझसे स्टैंडर्ड की बात करना।

अनूप रूबी से ज्यादा बहस नहीं करना चाहता था इसलिए वो फाइल ढूंढने लगा जिसे लेने के लिए आज वो अचानक से अा गया था। आमतौर पर वो रात को 8 बजे तक ही आता था। अनूप ने अपनी अलमारी से फाइल निकाली और एक तेज नजर रूबी पर डालते हुए चला गया। थोड़ी देर बाद ही उसकी गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज आईं और रूबी सीमा को ढूंढने में लग गई। शांता ऊपर छत पर जाने वाली सीढ़ियों के पास बैठ कर रो रही थी। ये देखकर रूबी का दिल भर आया और वो बोली:"

" अरे ताई आप यहां बैठी हुई है और मैं आपको सारे घर में ढूंढ रही थी, अा चलो।

शांता ने आंसुओ से भीगा हुआ अपना चेहरा उपर उठाया और बोली:" बस कर बेटी, मैं गरीब और कमजोर कहां तुम्हारे पति के स्टैंडर्ड के बराबर हूं , पता नहीं भगवान बुढ़ापे में मेरी और कितनी बेइज्जती कराएगा।

रूबी:" बस कीजिए ताई, आप उनकी बातो को दिल से मत लगाए, उनका तो काम हैं उल्टी सीधी बात करना।

शांता:" बेटी मैं जानती हूं कि तुम ये सब सिर्फ मुझे तसल्ली देने के लिए कह रही हो।

रूबी शांता की बाते सुनकर आहत हुई लेकिन बोली:"

" ताई आपने तो आज पहली बार ये सब झेला हैं और मुझे देखो मैं तो रोज इससे ज्यादा बर्दाश्त करती हूं, बस करो ताई आओ चलो खाना खाते हैं।

शांता को एहसास हुआ कि रूबी सच बोल रही है क्योंकि वो सच में अनूप से सबसे ज्यादा परेशान हैं इसलिए उसका गुस्सा कुछ कम हुआ और बोली:"

" बेटी अगर अनूप की मा को मैंने अपनी आखिरी सांसें तक इस घर में रहने का वचन ना दिया होता तो मैं कब का ये घर छोड़कर चली गई होती।

रूबी:" बस करो ताई, अगर आपकी सगी बेटी होती तो क्या आप उसे भी छोड़कर चली जाती?

शांता की आंखो के आगे अपनी बेटी का मासूम सा चेहरा याद अा गया और उसे रूबी में उसकी बेटी नजर आईं और शांता भावुक होते हुए बोली:"

" जरूर चली जाती अगर वो भी मुझे तेरी तरह ताई कहकर बुलाती!!

आखिर कार आज शांता का दर्द शब्द बनकर उसकी जुबान पर आ गया और रूबी शांता की बात सुनकर तेजी से दौड़ती हुई उसके गले लग गई और बोली:"

" मा मुझे माफ़ कर दो, मा मैं आज तक आपके प्यार को नहीं समझ पाई, आज के बाद मैं आपको कभी ताई कहकर नहीं बुलाऊंगी।

शांता ने रूबी को अपने गले लगा लिया और बोली:"

" बस कर मेरी बच्ची तू तो वैसे ही इतना रोटी हैं और कितना रोएगी, चल अा जा दोनो खाना खाते हैं।

उसके बाद दोनो कमरे में चली गई और एक दूसरे को खाना खिलाने लगी।

रूबी:"मा आप आज शाम से आराम करना क्योंकि आज साहिल अा जाएगा और आप तो जानती ही हैं कि उसे मेरे हाथ से बना खाना कितना पसंद हैं

शांता:" ठीक है बेटी जैसे तुझे ठीक लगे, लेकिन बेटी ध्यान रखना कि कहीं साहिल भी अपने बाप पर ना चला जाए क्योंकि उसकी रगो में भी उसका ही खून हैं रूबी।

रूबी को शांता की बाते सुनकर एक पल के लिए चिंता हुई लेकिन अगले ही पल वो आत्म विश्वास के साथ बोली:"

" मा बेशक उसकी रगो में अनूप का खून हैं लेकिन उसने मेरा दूध भी तो पिया हैं और मुझे यकीन हैं कि मेरा दूध उसके खून पर जरूर भारी पड़ेगा।

शांता :" भगवान करे ऐसा ही हो बेटी, तेरा बेटा तुझ पर ही जाए।

शांता ने रूबी का खूबसूरत चेहरा अपने हाथों में भर लिया और उसका माथा चूम कर बोली:"

" अच्छा बेटी मैं चलती हूं अगर कोई जरूरत पड़े तो मुझे आवाज लगा देना मैं नीचे से अा जाऊंगी

रूबी :" ठीक हैं मा, आप आराम कीजिए।

शांता धीरे धीरे चलती हुई नीचे चली गई घर के सामने पड़ी हुई जगह में बने हुए सर्वेंट क्वार्टर में घुस गई।

अनूप का घर काफी अच्छा बना हुआ था और आस पास कॉलोनी में ऐसा घर नहीं था। बाहर एक बड़ा सा घास का मैदान जिसके एक तरफ से अंदर घर की तरह जाता हुआ रास्ता, रास्ते के दोनो ओर लगे हुए खुबसुरत फूल , घर के ठीक बाहर रखे हुए विदेशी गमले घर के अंदर की गरिमा को बाहर से ही बयान कर रहे थे।

एक बड़ा सा गेट जो 316 स्टेनलेस स्टील से बना हुआ, अंदर घुसते ही एक बड़ा सा हॉल जिसमे एक बेहतरीन डिजाइन का डबल बेड, सामने पड़े हुए सोफे और हॉल की खिड़कियों पर पड़े हुए सुंदर पर्दे मानो खींच खींच कर खुद ही अपनी उच्च गुणवत्ता की दास्तां कह रहे थे। हॉल में सामने लगी हुई एक 48 इंच की एलईडी, हॉल से जुड़े हुए अलग अलग तीन कमरे जो बहुत ही सुन्दर बने हुए थे। हॉल में उपर की तरफ जाती सीढ़ियां जो फर्स्ट फ्लोर पर जा रही थी। उपर बने हुए चार कमरे, जिनमें एक दोनो का बेडरूम और बीच में सुंदर सी गैलरी जिसके आखिर में अंतिम कमरा बना हुआ था जो साहिल के लिए था जिसके बाद बाथरूम बना हुआ था।

कमरों के सामने ही किचेन बना हुआ था। किचेन के पास से उपर सेकंड फ्लोर पर जाने के लिए सीढ़ियां और छत पर बना एक छोटा सा कमरा । छत के चारो तरफ ऊंची ऊंची दीवार।

कुल मिलाकर रहने के लिए जन्नत से कम नहीं लेकिन अनूप ने अपनी बेवकूफी की वजह से इसे किसी नरक में तब्दील कर दिया था
update
 

Baribrar

Member
240
291
63
ये कहानी बहुत ही शानदार ओर बेहतरीन कहानियों में से 1 है number one great
 
Top