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" चारो तरफ से मुसीबत से घिरे हुए अनूप ने आख़िरकार बहुत सोच समझ कर फैसला लिया कि वो अब वो रूबी को तमीज सिखाने के लिए नीरज की हर संभव मदद लेगा। काश उसे पता होता कि जिस नीरज पर वो भरोसा कर रहा हैं दर असल वही उसकी सभी समस्याओं कर लिए जिम्मेदार हैं। अनूप ने नीरज को कॉल किया और बोला:"
" नमस्कार नीरज भाई, कैसे हैं आप ?
नीरज: ठीक हू अनूप, काम कब से शुरू कर रहे हो तुम ?
अनूप:" बस देखो आज एक सब कुछ अच्छे से देख कर कल से काम शुरू कर दूंगा।
नीरज:" बहुत अच्छा, अपनी तरफ से कोई कमी मत छोड़ना, सारा सामान एक दम अच्छी क्वॉलिटी का होना चाहिए।
अनूप:" आप उसकी फिक्र मत कीजिए, बस आपसे एक मदद चाहिए थी मुझे ?
नीरज:" हान बोलो अनूप ? क्या मदद चहिए ?
अनूप हल्का सा धीमी आवाज में बोला:" कुछ पैसे चाहिए थे ताकि टेंडर का काम शुरू हो सके।
अनूप जी बात सुनते ही नीरज के होंठो पर मुस्कान अा गई और समझ गया कि अब अनूप के साथ असली खेल खेलने का समय अा गया है इसलिए बोला:"
" भाई पैसे के लिए तो मैंने कभी तुम्हे मना ही नहीं किया हैं, बस तुम्हीं मेरा काम नहीं कर पाते हो यार !
अपने आखिरी शब्द नीरज ने थोड़े शिकायती लहजे में कहे थे तो अनूप अपने आप ही शर्मिंदा होकर धीमे से बोला:"
" भाई बस और शर्मिंदा मत करो मुझे, टेंडर खत्म होने के बाद सबसे पहले मैं रूबी के घमंड को तोड़ दूंगा। बस आप मुझे कुछ दिन की मोहलत और दे दो। हान अगर वो सके तो करीब 15 लाख रुपए भी ताकि काम शुरू कर सके।
नीरज:" ठीक हैं अनूप, मुझे तुझ पर पूरा यकीन है, अपना आदमी भेज देना, पैसा घर से मिल जाएगा आज ही।
अनूप की आंखे खुशी से चमक उठी और बोली:"
" नीरज भाई मै तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूल सकता, आपका ये एहसान मैं जान देकर भी चुकाऊंगा।
नीरज:" अनूप मुझे जान नहीं कुछ और चाहिए और क्या चाहिए ये तुम बहुत अच्छे से जानते हो। अच्छा ठीक हैं तुम आदमी भेजो और काम शुरू करो , मुझे कहीं जाना है।
अनूप:" जी नीरज भाई, मैं भेजता हू करीब 30 मिनट में आपके पास पहुंच जाएगा।
इतना कहकर अनूप ने फोन काट दिया और अपने एक खास आदमी को पैसे लेने के लिए भेज दिया। करीब एक घंटे बाद पैसा अा चुका था और अनूप अपने काम में लग गया।
प्रिया जैसे ही साहिल के घर से निकली तो सीधे नीरज के घर पहुंच गई। नीरज उसे देखते ही खुशी के साथ हैरान हुआ और बोला:"
:" प्रिया आओ कहां रह गई थी तुम? ना कोई फोन ना कॉल ? तुम यहां अाई थी मैंने तुम्हारे कपड़े देखे लेकिन फिर कहां चली गई थी तुम ?
प्रिया समझ गई कि नीरज जरुरत से कुछ ज्यादा ही तेज हैं और इसकी नजरो से कुछ भी छुपे रहना बहुत मुश्किल हैं इसलिए उसने सब कुछ सच बताने का फैसला किया ताकि कम से कम किसी एक के साथ तो ईमानदारी से खड़ी रह सके और बोली
" मैं जान बचाकर भाग आई थी लेकिन वो कमीना अनूप मुझे शाम को फिर से उठाकर ले गया। मैं फस गई है सर और अब उसने मुझे पैसे का लालच देकर आपके पास भेजा हैं और कमीने ने अपने बेटे से कहकर मेरी वीडियो भी बना ली हैं ताकि मैं उसके हिसाब से काम करती रहूं। लेकिन मैं जान दे दूंगी पर आपको धोखा नहीं से सकती।
नीरज के दिमाग में धमाका सा हुआ और बोला:"
" क्या तुम सच बोल रही हो ? क्या सच में अनूप ये अंदर इतनी हिम्मत हैं कि वो तुम्हे यहां से उठा कर ले गया ? तुम झूठ तो नहीं बोल रही हो ना कुछ ?
प्रिया नीरज की आंखो में देखते हुए बोली:" नहीं सर, मैं बिल्कुल सच बोल रही हूं, सच में अनूप ही यहां आया था और मुझे घर पर कोई नहीं था तो उसने धोखे से मुझे बेहोश किया और और गाड़ी में छुपाकर ले गया।
नीरज को प्रिया के उपर यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि वो अनूप को अच्छे से जानता था और उसके जैसा फत्तू आदमी ये काम कभी नहीं कर सकता इसलिए बोला:"
" अच्छा के बात बताओ प्रिया अनूप किस टाइम तुम्हे उठा कर ले गया ?
प्रिया:" यही करीब रात को 8: 30 के आस पास आया था वो।
नीरज की आंखे में चिंगारी सी उठी और वो सोच में पड़ गया कि आठ बजे ही तो वो दोनो साथ में निकले थे इसका मतलब अनूप जैसा दिख रहा है वैसा हैं नहीं, हो ना हो ये अनूप मेरे साथ जरूर कोई बड़ा खेल खेल रहा है। मुझे लग रहा था कि वो मेरे इशारों पर नाच रहा है जबकि आज समझ आया कि मैं उसके इशारे पर नाच रहा हूं। अब दिखाता हू इस कमीने को मैं चीज क्या हूं। नीरज प्रिया की तरफ देखते हुए बोला:"
" प्रिया तुमने अच्छा किया जो सब कुछ मुझे सच सच बता दिया, ध्यान रखना अगर तुमने कभी भी मुझे धोखा दिया तो तुम्हे जिंदा नहीं छोडूंगा।
प्रिया के पल के लिए सहम सी गई और बोली:"
" सर मैं हर तरह से आपके साथ हू, मर जाऊंगी मगर आपको धोखा नहीं दूंगी, आपके कितने एहसान हैं मुझ पर ये मैं अच्छे से जानती हूं। लेकिन सर कुछ भी करके मेरी वीडियो हासिल करनी होगी साहिल से ताकि मेरी ज़िन्दगी खराब ना हो।
नीरज:" वो तुम सब मुझ पर छोड़ दो, मैं तुम्हारा कुछ भी बुरा नहीं होने दूंगा। आओ चलो पहले खाना खाते हैं।
नीरज और प्रिया दोनो खाने की टेबल पर बैठ गए और साथ में खाना खाने लगे। खाना खाते हुए ही नीरज बोला:"
" अच्छा एक बात तो बताओ प्रिया डार्लिंग मुझे कि अनूप ने तुम्हे क्या पता करने के लिए यहां भेजा हैं ?
प्रिया:" वो ये जानना चाहता है कि आप क्यों उनके पीछे पड़े हुए हो और क्यों उसकी वाइफ को हासिल करना चाहते हो ?
नीरज की आंखे हल्की सी आश्चर्य से फैल गई और बोला:"
" क्या तुझे ठीक से याद है कि ये बात अनूप ने बोली ?
प्रिया:" नहीं मुझसे ये सब साहिल ने पूछा, अनूप ती बस मुझे उठा कर ले गया था और उसके बाद मुझे नहीं मिला घर पर।
नीरज:" ओके, इसका मतलब साफ है कि बाप बेटा दोनो मिले हुए हैं और अनूप जितना मैं सोच रहा था उससे कहीं ज्यादा तेज निकला।
प्रिया:" क्या हुआ सर ? आप क्या सोच रहे थे और अनूप क्या निकला ?
नीरज स्माइल के साथ प्रिया की तरफ देखते हुए बोला:"
" थोड़ा धीरज रखो, ऐसी भी क्या जल्दी हैं तुम्हे सब कुछ जान लेने की प्रिया !
प्रिया एक पल के लिए कांप उठी और फिर खुद को संभाल लिया और बोली:"
" मुझे कोई जल्दी नहीं है सर और मुझे तो जानने की भी कोई जरूरत नहीं है लेकिन आप पर्शब लग रहे थे तो सोचा शायद मै कुछ मदद कर सकू।
नीरज:" मदद तो मेरी अब सिर्फ तुम ही कर सकती है प्रिया, बस पहले फुर्ती से खाना खा लेते हैं।
ये बात नीरज ने प्रिया की चुचियों के उभार की तरफ देखते हुए कही तो प्रिया भी मुस्कुरा उठी और थोड़ी देर बाद ही दोनो बेड पर थे और कमरे में प्रिया की मस्ती भरी सिसकारियां गूंज रही थी। नीरज आज कोई कसर नहीं छोड़ रहा था और प्रिया उसे पूरा सहयोग दे रही थी। जल्दी ही दोनो झड़ गए और एक दूसरे से चिपक कर सो गए।
वहीं दूसरी तरफ रूबी अपने घर पहुंच गई और साहिल ने एक स्माइल के साथ अपनी मा का स्वागत किया तो रूबी भी स्माइल देते हुए बोली:"
" बेटा प्रिया ने कुछ बताया क्या ?
साहिल: मम्मी प्रिया ने कुछ नहीं बताया और मैंने उसे छोड़ दिया।
रूबी के चेहरे पर घोर हैरानी के भाव उभरे और बोली:"
" क्या क्या तुम सच बोल रहे हो साहिल ! तुम उसे कैसे छोड़ सकते हो बेटा ? ।
साहिल ने उसके बाद रूबी को सारी बाते बताई और बोला:".
" आप अब उसकी चिंता मत कीजिए, प्रिया वहीं करेगी जो मैं चाहूंगा मम्मी।
रूबी थोड़ी चिंतित होते हुए बोली:" बात तो चिंता की ही हैं बेटा, मान लो अगर उसने हमारा ही साथ दिया और वो फस गई तो हम शांता को क्या कहेगी क्योंकि कैसी भी हो वो उसकी सगी बेटी हैं और वर्षों के बाद मिली है।
साहिल:" ओह प्रिया शांता की बेटी नहीं हैं लेकिन सच ये भी है कि उसने बताया कि उसके मा बाप का भी उसे नहीं पता हैं।
रूबी:" इसका मतलब साफ है बेटा वो जरूर शांता की ही बेटी है, खैर अब जो भी होगा देखा जायेगा। सुन मुझे दिल्ली से कॉल अाया था और वो चाहते हैं कि मैं शनिवार और रविवार उनके सेन्टर में ट्रेनिंग दू, अच्छा पैसा और बंगला भी देने के लिए बोल रहे हैं।बताओ क्या करना चाहिए ?
साहिल हल्की सी मजाक करते हुए बोला:" क्या मम्मी आप अपने पति से पूछिए आपको क्या करना चाहिए ?
रूबी:" मैं नहीं जानती उसे, मेरे लिए तो वो कब जा मर चुका है और अब सब कुछ तुम्हीं हो समझे तुम।
साहिल हल्का सा हैरान होते हुए बोला:" ठीक हैं मम्मी, आपको मेरे हिसाब से तो जाना चाहिए लेकिन पहले ये नीरज वाला लफड़ा खत्म हो जाए तो ठीक रहेगा। कहीं ऐसा ना हो कि दिल्ली में भी मुश्किल आने लगे।
रूबी की साहिल की बात सही लगी और खाना लगाने लगी। जल्दी ही दोनो मा बेटे खाना खा चुके तो रूबी का मोबाइल बज उठा। रूबी ने देखा कि मॉडर्न जिम एंड योगा सेंटर के ड्राइवर का कॉल था।
संजीत:" मैडम मैं आपके लिए गाड़ी लेकर अा गया हूं। आप क्या प्लीज़ बाहर आएगी ?
रूबी:" बस अभी अाई आप अंदर अा जाए घर में। मैं अा रही हूं।
इतना कहकर रूबी ने फोन काट दिया और साहिल को अपने पीछे आने का इशारा करके बाहर की तरफ चल पड़ी। साहिल पूरी तरह से बिल्कुल हल्का भक्का रूबी के पीछे पीछे चल पडा जिसमे मन ने इस समय सैकड़ों सवाल उठ रहे थे कि आखिर ये हो क्या रहा है !!
रूबी और साहिल बाहर अा गए और तब तक संजीत गाड़ी लेकर घर के अंदर प्रवेश कर चुका था। रूबी को देखते ही उसने सिर झुका कर प्रणाम किया और बोला :"
" मैडम आशा जी ने आपके लिए ये गाड़ी गिफ्ट में दी है और आपके कहे अनुसार सारे डॉक्यूमेंट आपके बेटे साहिल के नाम पर बन गए हैं।
इतना कहकर संजीत ने गाड़ी में से एक फाइल निकाली और कार की चाबी के साथ साथ फाइल को रूबी की तरफ बढ़ा दिया तो रूबी स्माइल करते हुए बोली:"
" अरे भाई संजीत जी मुझे नहीं बल्कि आप गाड़ी के असली हकदार साहिल को ये ये चाभी और फाइल दीजिए।
संजीत ने एक स्माइल के साथ फाइल और चाभी को साहिल जी की तरफ बढ़ा दिया तो साहिल ने अंदर ही अंदर खुश होते हुए रूबी की तरफ देखा तो रूबी ने उसे प्यारी सी स्माइल करते हुए इशारे से चाभी लेने को कहा तो साहिल ने खुशी खुशी चाभी को हाथ में पकड़ लिया और संजीत की तरफ देखते हुए बोला:'
" धन्यवाद जी, क्या आप मेरा एक काम करेंगे प्लीज़ ?
संजीत:" जी जरूर साहब, कहिये आप किस काम अा सकता हूं ?
साहिल ने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और संजीत की तरफ बढ़ाते हुए बोला:"
" दर असल मैं ये चाभी अपनी मां के हाथ से लेना चाहता हूं और इस पल को यादगार बनाने के लिए आप एक फोटो लीजिए अच्छी सी।
इतना कहकर साहिल ने चाभी को अपनी मा ये हाथ में थमा दिया तो रूबी ने कैमरे की तरफ देखते हुए चाभी साहिल के हाथ में थमा दी और संजीत ने अपना काम करते हुए फोटो क्लिक कर दिया।
संजीत:" अच्छा मैडम मुझे इजाज़त दीजिए आप, मुझे जाना होगा ।
रूबी:" ऐसे कैसे चले जाओगे तुम ? खाना खाने के बाद ही जाना होगा ।
संजीत:" मैडम समझिये प्लीज आप नहीं तो मुझे लेट हो जायेगा, आप तो समझ सकती हैं मुझ पर कितना बोझ है अभी काम का।
रूबी ने फिर कुछ नहीं कहा और स्माइल करते हुए संजीत को जाने की इजाज़त दे दी। संजीत बिना देर किए बाहर चौक से बस पकड़कर दिल्ली की तरफ रवाना हो गया।
वहीं साहिल को तो जैसे आप मुंह मांगी मुराद मिल गई थी। उसने स्विफ्ट वापिस करी तो आज उसे होंडा सिटी कार मिल गई। वो खुशी के मारे रूबी के हाथ पकड़ा और कार का दरवाजा खोल कर अंदर घुस गया।
अंदर घुसते ही उसने रूबी के मुंह पर किस की बरसात सी कर दी और रूबी बस आंखे बंद करके स्माइल करे जा रही थी और साहिल दीवानों की तरह उसका मुंह चूमता जा रहा था।
रूबी:" बस कर बेटा उफ्फ साहिल, और कितना प्यार करेगा मुझे बेटा ?
साहिल उसके चेहरे को हाथ से थामकर चूमते हुए बोला:"
" ओह मम्मी, मैं बता नहीं सकता कि आज में कितना खुश हूं, सच में आप दुनिया की सबसे प्यारी मम्मी है।
इतना कहकर साहिल ने जोर से रूबी के गाल को चूम लिया और इससे पहले कि रूबी कछ बोलती साहिल गाड़ी को स्टार्ट करके शहर की तरफ घुमा चुका था।