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पापा प्रमोद सिंह उम्र 49 साल पिता जी एक किसान है ।हमारे पास बहुत जमीन तो नही है पर इतना तो है कि हम सभी लोग आराम से अपना गुजारा कर सके।
माँ रजनी देवी उम्र 46 साल साइज 38 32 40 रंग गोरा अपनी बड़ी बड़ी चुचिया और गांड का दीवाना तो पूरा गांव है
कुछ इस तरह की दिखती है माँ
बड़ी बहन कोमल उम्र 22 साल साइज 34 28 32 दीदी की चुचिया बड़ी और गांड छोटी है ।इन्होंने इण्टर तक पढ़ाई की है उसके बाद घर पर ही रह कर मा के साथ घर का काम करती है।
छोटी दीदी पायल उम्र 20 साल साइज 34 28 36 है ।यह भी इण्टर तक पढ़ कर अब घर मे ही रहती है ।
मैं राज सिंह उम्र 19 साल मैंने 10 तक पढ़ाई की और 2 बार फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ दिया और पापा के साथ खेतो में काम करने लगा ।बचपन से कुश्ती का शौक था गांव के अखाड़े में सुबह शाम जम कर कसरत करता और फिर दिन भर खेतो में बैलो की तरह खटता था जिसकी वजह मेरा शरीर गठीला और लम्बा चौड़ा हो गया था ।मुझे देख कर कोई यह नही बोलता था कि मैं अभी 19 साल का हु ।गांव की ना जाने कितनी लड़कियों और ओरतो को चोदा है यह तो मैं खुद भी नही जानता हूं।
चाचा का परिवार
चाचा मोहनलाल सिंह उम्र 46 साल अभी हम सभी लोग एक मे ही है तो यह भी पापा के साथ खेतो में ही काम करते है और यह भी अखाड़े में कुश्ती करते है ।इनको आज तक मेरे सिवा और कोई नही हरा सका है ।
चाची पुष्पा उम्र44 साल साइज 38 32 36 यह भी एक घरेलू महिला है और घर के कामों में हाथ बटाती है ।
माँ रजनी देवी उम्र 46 साल साइज 38 32 40 रंग गोरा अपनी बड़ी बड़ी चुचिया और गांड का दीवाना तो पूरा गांव है
कुछ इस तरह की दिखती है माँ
बड़ी बहन कोमल उम्र 22 साल साइज 34 28 32 दीदी की चुचिया बड़ी और गांड छोटी है ।इन्होंने इण्टर तक पढ़ाई की है उसके बाद घर पर ही रह कर मा के साथ घर का काम करती है।
छोटी दीदी पायल उम्र 20 साल साइज 34 28 36 है ।यह भी इण्टर तक पढ़ कर अब घर मे ही रहती है ।
मैं राज सिंह उम्र 19 साल मैंने 10 तक पढ़ाई की और 2 बार फेल होने के बाद पढ़ाई छोड़ दिया और पापा के साथ खेतो में काम करने लगा ।बचपन से कुश्ती का शौक था गांव के अखाड़े में सुबह शाम जम कर कसरत करता और फिर दिन भर खेतो में बैलो की तरह खटता था जिसकी वजह मेरा शरीर गठीला और लम्बा चौड़ा हो गया था ।मुझे देख कर कोई यह नही बोलता था कि मैं अभी 19 साल का हु ।गांव की ना जाने कितनी लड़कियों और ओरतो को चोदा है यह तो मैं खुद भी नही जानता हूं।
चाचा का परिवार
चाचा मोहनलाल सिंह उम्र 46 साल अभी हम सभी लोग एक मे ही है तो यह भी पापा के साथ खेतो में ही काम करते है और यह भी अखाड़े में कुश्ती करते है ।इनको आज तक मेरे सिवा और कोई नही हरा सका है ।
चाची पुष्पा उम्र44 साल साइज 38 32 36 यह भी एक घरेलू महिला है और घर के कामों में हाथ बटाती है ।
इनकी एक बेटी और एक बेटा है
बेटा राजन सिंह उम्र 24 साल घर मे हम सब भाई बहन में सबसे बड़े है ।जब यह गांव में थे तो यह भी पहलवानी करने जाया करते थे पर घर की माली हालत को देखते हुए यह अपने दोस्त के साथ बाहर चले गए काम करने के लिये जंहा पर यह एक कम्पनी में काम करते है
भाभी रुचि सिंह उम्र 21 साल साइज 34 28 36 बहुत ही खूबसूरत और पढ़ी लिखी है ।
बेटा राजन सिंह उम्र 24 साल घर मे हम सब भाई बहन में सबसे बड़े है ।जब यह गांव में थे तो यह भी पहलवानी करने जाया करते थे पर घर की माली हालत को देखते हुए यह अपने दोस्त के साथ बाहर चले गए काम करने के लिये जंहा पर यह एक कम्पनी में काम करते है
भाभी रुचि सिंह उम्र 21 साल साइज 34 28 36 बहुत ही खूबसूरत और पढ़ी लिखी है ।
बेटी राधिका सिंह उम्र 21 साइज 32 26 30 यह भी इण्टर करके घर पर ही है।
अब आते है कहानी पर
आज सुबह जब मैं सो कर उठा तो देखा कि दिन निकल आया है तो मैं जाकर माँ से बोला
मैं
माँ मैने तुझे कल ही रात में बोला था कि सुबह जल्दी उठा देना फिर क्यों नही उठाया तुमने अब पापा मुझे डांटेंगे। आज तो अखाड़े पर भी नही जा सका इसलिए तुझे मैं बोला था कि मैं वंहा नही जाऊंगा आने में देर हो जाएगी लेकिन तू मेरी बात को मानती ही कंहा पर है ।तुझे तो बस अपना काम दिखता है बाकि कोई कुछ भी कहे वह तो तुझे दिखता ही नही है ।
माँ मेरी बातों को सुनकर चूल्हे से उठते हुए बोली
माँ
तू हर बात के लिए दूसरों को दोष क्यों देता है मैंने तुझे वंहा भेजा था अगर तुझे इतना ही जरूरी काम था तो कुछ देर में लौट आना चाहिए था पर नही तुझे तो वंहा पर उस समय तो ख्याल आया नही अब आ कर मुझपर चिल्ला रहा है और वैसे भी सुबह से तुझे बहु और पायल दोनो को जगाने के लिए भेजा था लेकिन तू उनके उठाने पर उठा नही तो हमने भी छोड़ दिया और अब जा जल्दी से फ्रेश होकर आ अब भी कोई देर नही हुई है समय से खेतों पर पहुच ही जायेगा ।वैसे तेरे बापू और चाचा बोल कर गए है कि आज कुछ ज्यादा काम नही है तो अगर तू चाहे तो आखाड़े चले जाना बाद में खेतों पर आ जाना ।
माँ कि बात सुनकर मेरी हालत पतली हो गयी क्यूंकि रात में जब मैं सोया था तो केवल बरमूडा पर ही सोया था । रात में सोते वक्त मैं अंडरवियर तो पहनता ही नही हु और सुबह सुबह बाबूराव अपना फन पूरे गुस्से में उठाये खड़े थे ।इसका मतलब भाभी और दीदी ने मुझे उस हालत में देख लिया । तब मैंने चोरी से उन दोनों लोग की तरफ देखा तो जो चोरी से मुझे देखे जा रही थी और हस रही थी तो मैं चुप चाप वंहा से निकल लिया।
इसके बाद मैं फ्रेश होकर जब घर आया तो पता चला कि माँ पापा और चाचा के लिए नाश्ता लेकर खेतो को चली गयी और चाची खाना बना रही थी मुझे देख कर चाची बोली
चाची
जा उधर खाट पर बैठ जा मैं तेरे लिए नाश्ता भेजती हु और उसके बाद अखाड़े चले जाना ।दीदी बोल कर गयी है वह वंहा पर जा रही है तू आराम से आना।
इसके बाद चाची भाभी से दूध और चना भेज दिया जो कि अखाड़े जाने से पहले मैं यही खाता हूं । वह मेरे पास लेकर आई और मुझे देते हुए बोली
भाभी
लो देवर जी जल्दी से नास्ता कर लो।वैसे सब ठीक तो है ना अगर कोई दिक्कत हो तो बता देना मैं हेल्प कर दूंगी । वैसे आज बहुत देर तक सोते रहे है लगता है रात में कही किसी के खेत मे ज्यादा मेहनत किया है क्या आपने।
मैं उनकी बात सुनकर हस्ते हुए बोला
मैं
अब क्या करूँ भाभी रात में देर से सोया तो नीद नही खुली और वैसे मदद की जरूरत तो है पर डरता हूँ कि कही आप नाराज ना हो जाए और क्या करूँ घर के खेतों में खेती करने को मिलती नही है तो बाहर ही खेती कर लेता हूं।
भाभी
घर की खेती में हल से जोतने के लिए पूछना नही पड़ता है वह तो बाहर वालो को पूछना पड़ता है खेती करनी है तो कभी कभी बिना पूछे हल लगा देना चाहिए क्या पता कहि बात बन जाये ।वैसे खेत सामने से तो आकर नही बोलेगा कि खेती करो वह तो उस खेत मालिक या घर वालो को समय के हिसाब से खेती करनी पड़ती है वरना घर के खेतों पर दूसरे का कब्जा हो जाता है
मैं उनकी बात सुनकर चौक गया क्यूंकि आज से पहले उन्होंने कभी इस तरह से बात नही की थी तब मैं उनकी तरफ देखा तो वह यह बोल कर हस रही थी फिर चाची की आवाज आई वह भाभी को बुला रही थी तो वह जाने के लिए मुड़ी फिर अचानक मेरी तरफ देखती हुई बोली
भाभी
वैसे कुछ कहे देवर जी हल बहुत तगड़ा है और अब चलता कैसा है यह तो ट्राय करने पर ही पता चलेगा ना ।
अब आते है कहानी पर
आज सुबह जब मैं सो कर उठा तो देखा कि दिन निकल आया है तो मैं जाकर माँ से बोला
मैं
माँ मैने तुझे कल ही रात में बोला था कि सुबह जल्दी उठा देना फिर क्यों नही उठाया तुमने अब पापा मुझे डांटेंगे। आज तो अखाड़े पर भी नही जा सका इसलिए तुझे मैं बोला था कि मैं वंहा नही जाऊंगा आने में देर हो जाएगी लेकिन तू मेरी बात को मानती ही कंहा पर है ।तुझे तो बस अपना काम दिखता है बाकि कोई कुछ भी कहे वह तो तुझे दिखता ही नही है ।
माँ मेरी बातों को सुनकर चूल्हे से उठते हुए बोली
माँ
तू हर बात के लिए दूसरों को दोष क्यों देता है मैंने तुझे वंहा भेजा था अगर तुझे इतना ही जरूरी काम था तो कुछ देर में लौट आना चाहिए था पर नही तुझे तो वंहा पर उस समय तो ख्याल आया नही अब आ कर मुझपर चिल्ला रहा है और वैसे भी सुबह से तुझे बहु और पायल दोनो को जगाने के लिए भेजा था लेकिन तू उनके उठाने पर उठा नही तो हमने भी छोड़ दिया और अब जा जल्दी से फ्रेश होकर आ अब भी कोई देर नही हुई है समय से खेतों पर पहुच ही जायेगा ।वैसे तेरे बापू और चाचा बोल कर गए है कि आज कुछ ज्यादा काम नही है तो अगर तू चाहे तो आखाड़े चले जाना बाद में खेतों पर आ जाना ।
माँ कि बात सुनकर मेरी हालत पतली हो गयी क्यूंकि रात में जब मैं सोया था तो केवल बरमूडा पर ही सोया था । रात में सोते वक्त मैं अंडरवियर तो पहनता ही नही हु और सुबह सुबह बाबूराव अपना फन पूरे गुस्से में उठाये खड़े थे ।इसका मतलब भाभी और दीदी ने मुझे उस हालत में देख लिया । तब मैंने चोरी से उन दोनों लोग की तरफ देखा तो जो चोरी से मुझे देखे जा रही थी और हस रही थी तो मैं चुप चाप वंहा से निकल लिया।
इसके बाद मैं फ्रेश होकर जब घर आया तो पता चला कि माँ पापा और चाचा के लिए नाश्ता लेकर खेतो को चली गयी और चाची खाना बना रही थी मुझे देख कर चाची बोली
चाची
जा उधर खाट पर बैठ जा मैं तेरे लिए नाश्ता भेजती हु और उसके बाद अखाड़े चले जाना ।दीदी बोल कर गयी है वह वंहा पर जा रही है तू आराम से आना।
इसके बाद चाची भाभी से दूध और चना भेज दिया जो कि अखाड़े जाने से पहले मैं यही खाता हूं । वह मेरे पास लेकर आई और मुझे देते हुए बोली
भाभी
लो देवर जी जल्दी से नास्ता कर लो।वैसे सब ठीक तो है ना अगर कोई दिक्कत हो तो बता देना मैं हेल्प कर दूंगी । वैसे आज बहुत देर तक सोते रहे है लगता है रात में कही किसी के खेत मे ज्यादा मेहनत किया है क्या आपने।
मैं उनकी बात सुनकर हस्ते हुए बोला
मैं
अब क्या करूँ भाभी रात में देर से सोया तो नीद नही खुली और वैसे मदद की जरूरत तो है पर डरता हूँ कि कही आप नाराज ना हो जाए और क्या करूँ घर के खेतों में खेती करने को मिलती नही है तो बाहर ही खेती कर लेता हूं।
भाभी
घर की खेती में हल से जोतने के लिए पूछना नही पड़ता है वह तो बाहर वालो को पूछना पड़ता है खेती करनी है तो कभी कभी बिना पूछे हल लगा देना चाहिए क्या पता कहि बात बन जाये ।वैसे खेत सामने से तो आकर नही बोलेगा कि खेती करो वह तो उस खेत मालिक या घर वालो को समय के हिसाब से खेती करनी पड़ती है वरना घर के खेतों पर दूसरे का कब्जा हो जाता है
मैं उनकी बात सुनकर चौक गया क्यूंकि आज से पहले उन्होंने कभी इस तरह से बात नही की थी तब मैं उनकी तरफ देखा तो वह यह बोल कर हस रही थी फिर चाची की आवाज आई वह भाभी को बुला रही थी तो वह जाने के लिए मुड़ी फिर अचानक मेरी तरफ देखती हुई बोली
भाभी
वैसे कुछ कहे देवर जी हल बहुत तगड़ा है और अब चलता कैसा है यह तो ट्राय करने पर ही पता चलेगा ना ।
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