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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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अपडेट नंबर 24 आ गया है आप सभी पाठक उसे पढ़कर आनंद ले सकते हैं page number 76 मे धन्यवाद।

हम आप सब से एक आग्रह करना चाहते हैं आप सब कहानी पढ़ते हैं लेकिन कहानी कैसी लगी वह नहीं बताते हैं इसलिए हम आप सब से आग्रह करते हैं कि जो भी पाठक कहानी को पढ़ते हैं वह अपना विचार दो शब्द बोलकर जरूर रखें और जो पाठक ने अपनी आईडी नहीं बनाई है वह अपना आईडी बनाएं और अपना विचार जरूर रखें धन्यवाद।
 
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dhalchandarun

Everything in the world will come to end one day.
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भाग 1
नमस्कार साथियों मेरा नाम राजनाथ है और मैं आज आपको अपनी जिंदगी की कहानी बताने जा रहा हूं।

इस कहानी के मुख्य किरदार हैं पहले किरदार मेरी मां है जिनकी उम्र इस वक्त 75 साल है।

और इस कहानी का दूसरा किरदार मैं हूं मेरा नाम राजनाथ है और मेरी उम्र 55 साल है।

और तीसरा किरदार मेरी पत्नी थी जिसका स्वर्गवास हो चुका है वह अब इस दुनिया में नहीं है।

और इस कहानी का चौंथा और सबसे अहम किरदार मेरी इकलौती बेटी जिसका नाम आरती है।
और उसकी शादी हो चुकी है और उसकी उम्र अभी 26 साल है।

और पांचवा किरदार है अशोक जो मेरा दामाद और मेरी बेटी का पति भी है और उसकी उम्र 30 साल है।

और कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी कुछ किरदार और भी आएंगे उनको आगे जाकर बताऊंगा।

अब आते हैं कहानी पर जैसे कि मैं आप लोगों को बताया कि मेरा नाम राजनाथ है और मैं एक गांव इलाके में रहता हूं और मैं उसे इलाके का सरपंच भी हूं इसलिए मेरा उसे एरिया में बहुत इज्जत और नाम भी है और मेरे घर में इस वक्त मैं और मेरी मां जो बूढी हो चुकी है और तीसरा मेरे घर का नौकर जिसका नाम रघु है जो कि मेरा दोस्त भी है।
और मेरा कोई बेटा नहीं है मेरा सिर्फ एक ही बेटी है आरती जिसकी शादी हो चुकी है और वह इस वक्त मेरे घर में आई हुई है क्योंकि उसके ससुराल में झगड़ा चल रहा है और झगड़ा का कारण यह है कि उसकी शादी को 6 साल हो चुके हैं और उसका कोई बच्चा नहीं है अभी तक इसलिए उसके साथ ससुर उसको ताना मारते रहते हैं और भला बुरा सुनाते रहते हैं कि इसमें कोई खराबी है इसलिए बच्चा नहीं हो रहा है।
तो आज मैं बाजार गया हुआ था घर का कुछ सामान लाने के लिए तो जैसे मैं बाजार से घर वापस आया

तो मेरी बेटी ने पूछा बाबूजी आप आ गए तो मैंने कहा हां बेटा आ गया बहुत प्यास लगी है जरा पानी लाना।

आरती- जी बाबू जी अभी लाई यह लीजिए पानी।

राजनाथ- बेटा दादी कहां गई बाबूजी दादी कहीं बाहर गई है घूमने के लिए अच्छा ठीक है बेटा आज गर्मी बहुत है मैं नहाने जा रहा हूं मेरा कपड़ा और साबुन लाकर देना तो।

आरती- जी बाबूजी तब तक आप नल के पास चलिए मैं आपके कपड़े लेकर आती हूं।
फिर मैं नल पर जाकर नहाने लगा और उसके बाद मेरी बेटी मेरे कपड़े लेकर आई और वह बोली पापा आप नहा कर आईए तब तक मैं खाना बनाती हूं
फिर मैंने कहा ठीक है बेटा तू जा जाकर खाना बना

फिर मैं जब नहा कर आया तब तक मेरी मां भी बाहर से आ चुकी थी और वह आंगन में बैठी हुई थी और वह मुझे देखकर बोली बेटा राजू तू आ गया वह मुझे राजनाथ नहीं बुलाती है वह मुझे राजू कह कर ही बुलाती है

फिर मैंने कहा मां मैं तो कब से आया हूं तू कहां गई थी।

फिर मेरी मां ने कहा बेटा मैं शंकर के घर गया हुआ था उसकी बेटी का बच्चा हुआ है ना उसे देखने के लिए।
फिर मैंने कहा कि शंकर की बेटी को जिसका अगले साल शादी हुआ था।

मेरी मां हां हां उसी का लड़का हुआ है।

आगे की कहानी अगले भाग में।
Mast bhai...
 
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dhalchandarun

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भाग 2
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा कि राजनाथ की मां आपने पड़ोसी के घर गई थी जिसका नाम शंकर है उसकी बेटी का बच्चा हुआ था उसको देखने के लिए

और जब वह वापस अपने घर आई तो उसके दिमाग में यही चल रहा था कि सभी के बच्चे हो रहे हैं लेकिन उसकी पोती आरती को बच्चा नहीं हो रहा है।

यही सब सोंचते हुए उसने अपने बेटे राजनाथ से बोली बेटा राजू कुछ सोचा है इसके बारे में कि सिर्फ अपने काम में ही लगा रहेगा या इसके बारे में भी कुछ सोचेगा।

राजनाथ-- किसके बारे में क्या सोचा है मां।

राजनाथ की मां अरे अपनी आरती के बारे में और किसके बारे में तुझे कुछ होश है उसकी शादी को इतना साल हो गया और अभी तक उसकी गोद नहीं भरा है उसको कहीं जाकर दिखाएगा या ऐसे ही छोड़ देगा उसको।

राजनाथ-- ठीक है मां मैं दामाद जी से बोलता हूं कहीं जाकर इलाज कराने के लिए और समधी जी से भी बोलता हूं कि वह भी दामाद जी से कहे की आरती को यहां से ले जाए और इलाज करवाए।

राजनाथ की मां अरे उनको क्या बोलेगा उनको इतनी फिक्र होती तो वह आरती को यहां लाकर नहीं छोड़ देते अब तक कहीं ना कहीं जाकर दिखाए होते उनको तो बस पोता और पोती से मतलब है।

इसलिए अब तुमको ही कुछ करना पड़ेगा अब तुम इसको अपने जाकर दिखाओ।

राजनाथ-- ठीक है मां मैं कोई अच्छा सा डॉक्टर पता लगाता हूं उसके बाद मै इसको ले जाकर दिखाऊंगा।

राजनाथ की मां अरे डॉक्टर के पास काहे के लिए लेकर जाएगा डॉक्टर कुछ नहीं करेगा वह खाली पैसा लूटेगा मैं जहां कहती हूं वहां इसको लेकर जाओ काली पहाड़ी के पीछे एक बाबा रहते हैं और वह इन सब का बहुत बढ़िया इलाज करते हैं इसलिए तुम भी आरती को वहीं लेकर जाओ।

राजनाथ-- नहीं मां ऐसी कोई बात नहीं आजकल बहुत सारे -अच्छे अच्छे डॉक्टर हैं जो बढ़िया से इलाज करते हैं इसलिए एक बार कोई अच्छी लेडिस डॉक्टर के पास चेकअप करवा कर देख लेता हूं कि वह कुछ बताता है कि नहीं बताता है तो ठीक है अगर नहीं बताया तो तुम जहां कह रही हो जो बाबा के पास फिर वही लेकर जाऊंगा।

राजनाथ की मां ठीक है जैसे तुम्हारी मर्जी अगर तुमको डॉक्टर के पास जाकर तसल्ली करना है तो जाकर देख ले।

और आरती यह सब बात दरवाजे के पीछे से खड़ी होकर सब सुन रही थी।
और वह लोग आंगन में बैठकर बातें कर रहे थे फिर उसकी दादी ने आवाज लगाई आरती आरती

उधर दरवाजे के पीछे से आरती ने आवाज दी जी दादी अभी आई फिर वह शरमाते हुए अपने बाबूजी और दादी के पास जाकर खड़ी हो गई और बोली हां दादी क्या हुआ फिर दादी ने कहा बेटा खाना बन गया

आरती हां दादी खाना बन गया अभी लेकर आती हूं फिर सभी लोगों ने खाना खाया और खाना खाने के बाद राजनाथ अपने कमरे में सोने चला गया और आरती और दादी दोनों एक ही कमरे में सोती थी तो आरती अपनी दादी की पैर दबा रही थी तो फिर उसकी दादी ने कहा तुम्हारा बाबूजी भी इधर-उधर घूमते फिरते थक जाता है उसको भी जाकर पैर हाथ थोड़ा दबा दे जब से तुम्हारी मां गई है उसे बेचारे को देखभाल करने वाला कोई नहीं है।

आरती अपनी दादी की बात सुनकर शर्मा रही थी और सोच रही थी कि कैसे वह अपने बापू के पैर जाकर दबा आएगी क्योंकि आज तक उसने कभी ऐसा नहीं किया था इसलिए उसे शर्म आ रही थी और वह चुपचाप अपनी दादी की पैर दबा रही थी तो फिर उसकी दादी ने कहा अरे मेरा पैर को छोड़ और जा अपने बाप का पैर थोड़ा दबा दे उसकी थकान मिट जाएगी।

फिर वह ना चाहते हुए भी अपने बाप के कमरे में जाने लगी और दरवाजे के पास जाकर उसने धीरे से आवाज दी बाबूजी सो गए क्या अंदर से उसके बाप ने आवाज दी के आरती जी बापू जी क्या बात है बेटा आओ अंदर आओ खुला है फिर वह अंदर गई तो उसके बाप ने पूछा क्या बात है कोई काम है क्या।

फिर आरती ने कहा कि जी आपका पैर दबा दूं क्या।

तो राजनाथ ने चैंकते हुए पूछा क्यों क्या हुआ मेरे पैर को।

तो फिर आरती ने कहा कि जि वो दादी कह रही थी कि आप थक गए होंगे इसलिए बोल रही थी जा जाकर पैर दबा दे।

फिर राजनाथ ने कहा कि क्या दादी ने ऐसा करने के लिए कहा तो फिर आरती ने कहा कि जी दादी ने हीं बोला है।

फिर राजनाथ ने बोला कि ठीक है जाओ जाकर तुम सो जाओ और दादी को बोल देना कि मैंने मना किया

फिर आरती ने कुछ देर सोचने के बाद बोली कि मैं वापस जाऊंगी फिर मुझे दादी डांटेगी और बोलेगी कि मैंने जो तुमको करने के लिए बोली वह बिना किए हुए वापस आ गई ।

फिर राजनाथ ने कहा कि क्या सच में तू मेरा पैर दबाना चाहती है।

तो आरती ने कहा कि जी हां

तो फिर राजनाथ ने कहा ठीक है हल्का-हल्का दबा दे फिर वह सीधा होकर लेट गया और आरती पलंग के साइड में झुक कर खड़ी हो गई और पैर दबाने लगी और राजनाथ को भी अपनी बेटी से पहली बार पैर दबाते हुए हैं बहुत ही आनंद आ रहा था और कुछ देर इसी तरह आनंद लेने के बाद उसने कहा कि बेटा अब हो गया अब रहने दे और तू जाकर आराम कर फिर आरती वहां से चली गई और वह दादी के पास जाकर सो गई और अपने बापू के बारे में सोचने लगी कि मेरे बाबूजी इस उम्र में भी कितने मजबूत है क्योंकि आरती का पति एक दुबला पतला और ढीला डाला इंसान है इसलिए जब आज उसे अपने बाप का पैर हाथ दबाने को मिला तो उसे समझ में आया कि एक
असली मर्द कैसा होता है। और यह सब सोचते सोचते उससे भी नींद आ गई।

आगे की कहानी अगले भाग में
Super
 
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dhalchandarun

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भाग 3

आरति सुबह उठकर अपने घर का काम करने लगी और राजनाथ भी सुबह उठकर कहीं घूमने के लिए चला गया फिर दोपहर को घर आया तो आरती ने पूछा बाबूजी आप आ गए खाना लगा दूं आपके लिए।

तो राजनाथ ने कहा हां बेटा खाना लगाओ तब तक मैं पैर हांथ धो कर आता हूं।

आरती ठीक है बाबूजी आप पैर हांथ धोकर आईए मैं खाना लगती हूं।

उसके बाद राजनाथ पैर हांथ धो कर आया और नीचे चटाई बिछाया हुआ था उसी पर बैठ गया फिर आरती ने थाली में खाना ला कर दिया और वह खाने लगा।

और आरती वही साइड में खड़ी होकर देख रही थी फिर राजनाथ ने खाना खाते-खाते उसने आरती से कहा बेटा आरती।

तो आरती ने कहा जी बाबूजी।

फिर राजनाथ ने कहा बेटा मैं एक डॉक्टर पता लगा कर आया हूँ जिस किसी को भी बच्चा नहीं होता उसका वह इलाज करता है इसलिए कल सुबह तुम जल्दी से तैयार हो जाना मैं तुमको लेकर जाऊंगा उसके पास।

फिर आरती ने पूछा बाबूजी कितना सुबह जाना है फिर हमको खाना भी तो बनाना पड़ेगा।

तो राजनाथ ने कहा हां तुम सुबह खाना-वाना बना लेना फिर उसके बाद नहा वहां के रेडी होना उसके बाद हम लोग 10:00 बजे के करीब यहां से निकलेंगे।

फिर आरती ने कहा ठीक है कल सुबह मैं जल्दी उठूंगी और घर का सभी काम खत्म करके खाना-वाना बनाकर फ्री हो जाऊंगी।

फिर राजनाथ ने पूछा दादी कहां है तो आरती ने कहा कि दादी खाना- खाकर अपने कमरे आराम कर रही है।

फिर राजनाथ ने आरती से पूछा कि तुमने खाना खाया तो आरती ने जवाब दिया कि नहीं आपको खाने के बाद खाऊंगी।

फिर राजनाथ ने कहा मेरा तो खाना हो गया अब तू जा जल्दी से खाना खा ले और तू मेरा इंतजार मत किया कर मेरा आने में कभी-कभी देर भी हो सकती है इसलिए तू अपने टाइम पर खाना खा लिया कर।

तो फिर आरती ने जवाब दिया कि मैं आपके खाए बगैर मै कैसे खा सकती हूँ।

तो फिर राजनाथ ने कहा क्यों क्यों नहीं खा सकती।
तो फिर आरती ने जवाब दिया कि आप भूखे रहेंगे और मैं खा लूंगी।

तो फिर राजा नाथ ने कहा कि यह तुम कौन से जमाने की बात कर रही है यह बहुत पहले हुआ करता था कि घर की औरतें भूखी रहती थी कि जब तक उसका मर्द नहीं खाएगा तब तक वह नहीं खायेगी और वैसे भी मैं तुम्हारा पति नहीं मैं तुम्हारा बाप हूँ तो तू मेरे लिए क्यों भूखी रहेगी।

तो फिर आरती में जवाब दिया क्या आप मेरे पति नहीं है तो क्या हुआ आप मेरे पिताजी तो हैं और वैसे भी एक लड़की की जिंदगी में उसका पति बाद में आता है पहले तो उसका पिता ही रहता है।

फिर राजनाथ ने मुस्कुराते का ठीक है ठीक है मैं तुमसे जीत नहीं सकता अब मेरा खाना हो गया और तू भी जाकर अब जल्दी से खा ले और मैं भी थोड़ा आराम कर लेता हूं।

फिर राजनाथ वहां से उठकर चला गया और फिर आरती ने भी खाना खाया और फिर इसी तरह पूरा दिन बीत गया।

फिर शाम को आरती ने खाना बनाया और सभी लोगों ने खाना खाया और खाना खाने के बाद राजनाथ अपने रूम में सोने चला गया फिर आरती ने भी अपना घर का काम थोड़ा बहुत था उसे खत्म कर के वह भी सोने गई तो उसने देखा की दादी सो चुकी है फिर वह भी सोने जा रही थी कि तभी उसको याद आया कि कल उसने अपने बापू का पैर दबाया था और वह सोचने लगी कीआज भी जाकर दबा दूँ क्या और मैं उनके पास जाऊंगी तो वह पूछेंगे की दादी ने भेजा है क्या तो मैं क्या जवाब दूंगी दादी तो चुकी है।


फिर कुछ देर सोचने के बाद अपने कमरे से निकल कर अपने बापू की कमरे की तरफ जाने लगी और दरवाजे के पास जाने के बाद उसने धीरे से आवाज लगाई बाबूजी बाबूजी सो गए क्या ।

अंदर राजनाथ भी यही सब सोच रहा था कि आज आरती पैर दबाने के लिए आएगी कि नहीं आएगी तभी उसके कान में आरती की आवाज पड़ी और उसने जवाब दिया की के आरती दरवाजा खुला है अंदर आजाओ फिर आरती अंदर आई तो फिर उसने पूछा कि क्या बात है कोई काम है क्या।

फिर आरती ने मजाकिया अंदाज में कहा क्यों कोई काम रहेगा तभी आ आऊंगी ऐसी नहीं आ सकती क्या।

तो फिर राजनाथ ने कहा की अरे नहीं बेटा मैंने ऐसा कब कहा कि तू ऐसे नहीं आ सकती मैंने तो इसलिए पूछा कि अभी सोने का टाइम हो चुका और तू यहां आई है तो कोई तो काम होगा।

तो फिर आरती ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि मेरा कुछ काम नहीं है आप थक गए होंगे इसलिए आपका पैर दबाने के लिए आई हूँ।

तो फिर राजनाथ ने भी मुस्कुराते हुए कहा अच्छा अच्छा तो आज दादी ने फिर तुमको यहाँ भेज दिया।

तो आरती ने जवाब दिया की मुझे दादी ने नहीं भेजा है मैं अपने से आई हूँ दादी सो चुकी हैं।

तो फिर राजनाथ ने कहा कि क्या दादी सो गई है तो फिर तुम यहां क्यों आई हो तुम भी सो जाति आराम से।

तो फिर आरती ने कहा हां मैं भी सोने जा रही थी फिर मुझे याद आया कि आप थक गए होंगे तो थोड़ा आपका पैर हांथ दबा दूंगी तो आपको आराम मिलेगा।

फिर राजनाथ ने कहा तू मेरा इस तरह से रोज-रोज पैर हाथ दबाओगी और फिर मुझे आदत लग जाएगा और तू यहां से चली जाएगी तो फिर मैं क्या करूंगा।

फिर आरती ने कहा कि आप फिकर मत कीजिए मैं यहां से कहीं नहीं जा रही हूं।

आगे की कहानी अगले भाग में।
Wonderful update
 

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भाग 4

आरती ने कहा कि आप फिकर मत कीजिए मैं यहां से कहीं नहीं जा रही हूं।

राजनाथ ने बोला क्यों तू अपने ससुराल नहीं जाएगी।

तो आरती ने जवाब दिया नहीं।

तो राजनाथ ने पूछा क्यों क्या हुआ क्यों नहीं जाएगी।

तो आरती ने जवाब दिया किस लिए जाऊंगी उन लोगों ने मेरे लिए क्या किया है जो मैं उनकी शक्ल देखने के लिए जाऊंगी।

तो राजनाथ ने कहा कि अरे उन लोगों ने कुछ नहीं किया तो क्या हुआ लेकिन दामाद जी के पास तो जाएगी ना।

तो आरती ने जवाब दिया कि आपके दामाद ने भी कौन सा बड़ा काम कर दिया है जो मैं उसके पास जाऊंगी और सब तो छोड़िए एक पति का फर्ज होता है वह भी ओ सही से नहीं नाभि सका ।

तो फिर राजनाथ ने कहा कि बेटा इतना गुस्सा नहीं करते मैं दामाद जी से बात करूंगा और उनको समझाऊंगा की ओ तुम्हारा ख्याल रखें और तुम्हारी जरूरत को पूरा करें।

तो आरती ने कहा कि आपके कहने और पूछने से कुछ होने वाला नहीं मुझे पता है कि वह क्या करेगा और क्या नहीं करेगा और क्या कर सकता है।
और अगर आपको मेरे यहां रहने से दिक्कत है
तो मैं चली जाऊं फिर कभी नहीं आऊंगी आपके घर।

राजनाथ उसकी बात सुनकर समझ गया कि यह अभी गुस्से में है तो वह बात को संभालते हुए उसने कहां की अरे बेटा तू तो गुस्सा हो गई मैं तो बस तुमको समझा रहा था फिर भी अगर तुमको वहां नहीं जाना है तो मत जा। और फिर यह कभी मत कहना कि मैं यहां नहीं रहूंगी या कभी नहीं आऊंगी तुम जानती हो कि मेरा तुम्हारे सिवा कोई नहीं है और अब मैं तुमसे कभी नहीं कहूंगा कि तुम यहां से जाओ जब तक तुम्हारी मर्जी नहीं होगी तब तक तुम यहां से कहीं मत जाना।

फिर उसने कुछ जवाब नहीं दिया चुपचाप पैर दबाने लगी।

उसके बाद राजनाथ ने भी कुछ नहीं बोला और वह चुपचाप उसको देख रहा था तभी उसकी नजर आरती की कमर पर गई जहां उसकी नाभि और पेट नजर आ रहा था ओ उसे देखते हुए मैं नहीं मन सोचने लगा कि इसकी कमर इतनी पतली है अगर इसके पेट में बच्चा रह गया तो यह उसको पैदा कैसे करेगी इसकी कमर इतनी पतली है तो इसकी ओ वाला रास्ता तो और भी पतला होगा मैंने तो सोचा था की शादी के बाद मोटी हो जाएगी लेकिन शादी के इतने साल भी इसकी बॉडी में कोई बदलाव नहीं आया सिर्फ इसकी खूबसूरती पहले से ज्यादा बढ़ गई और वैसे भी पतली दुबली लड़कियां ही खूबसूरत और सुंदर लगती है और मेरी बेटी भी इस मामले में किसी से कम नहीं है फिर कुछ देर के बाद उसने आरती से कहा बेटा अब हो गया और कितनी देर दबाएगी तू जा जाकर सो जा तुमको सुबह जल्दी उठना भी है इसलिए तो जा जाकर सो जा।

फिर आरती ने कुछ नहीं कहा और वह चुपचाप चली गई सोने के लिए जब वह सोने जा रही थी तो उसके मन में चल रहा था कि मुझे बाबूजी से ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी और वह सो गई फिर सुबह हुई तो उठकर अपने काम में लग गई ।

फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी उठ गया और वह कहीं बाहर जा रहा था घूमने के लिए तो उसने आरती से बोला बेटा में कुछ देर में आऊंगा तब तक तुम अपना काम खत्म करके रेडी होकर रहना उसके बाद हम लोग डॉक्टर के पास चलेंगे।

तो आरती ने जवाब दिया ठीक है आप भी जल्दी आइएगा तो राजनाथ में जवाब दिया हां हां मै टाइम पर आ जाऊंगा और वह चला गया।

फिर 10:00 दोनों बाप बेटी रेडी होकर अपने स्कूटर पर बैठकर डॉक्टर के पास जाने के लिए निकले फिर आधा घंटे के बाद दोनों डॉक्टर के पास पहुंच गए फिर पहुंचने के बाद हाल में बैठकर डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे।

तभी राजनाथ में आरती से बोल तुमको जो कुछ भी डॉक्टर पूछेगा साफ-साफ अच्छे से बताना।

तो आरती ने राजनाथ से पूछा कि आप अंदर नहीं जाएगा।

मैं अंदर जाकर क्या करूंगा वो तुमसे सवाल पूछेगा वह मुझे थोड़ी पूछेगा अगर दामाद जी यहां होते तो वह तुम्हारे साथ में जाते और वहां जाकर कुछ बताते भी मैं वहां जाऊंगा तो क्या बताऊंगा तभी अंदर से नर्स आई और उसने पूछा की आरती किसका नाम है आप अंदर आईए आपको मैडम बुला रही है फिर वह डरते डरते अंदर गई तो वहां एक लेडिस डॉक्टर बैठी थी उसने आरती को देखा और बोली लिए यहां बैठिए सामने दो कुर्सी लगी हुई थी उसी एक कुर्सी पर आरती बैठ गई फिर डॉक्टर ने पूछा किस लिए आई हैं बच्चे के लिए तो आरती ने जवाब दिया जी हां तो डॉक्टर ने पूछा अकेली आई हो क्या तो आरती ने जवाब दिया कि मैं अकेली नहीं हूं क्या डॉक्टर ने कहा अकेली नहीं है तो उनको यहां बुलाए।

फिर आरती वहां से उठकर बाहर गई है और उसने राजनाथ से कहा कि आपको भी अंदर बुला रहे।

तो राजनाथ ने पूछा कि हमको क्यों बुला रही।

तो आरती ने जवाब दिया हमको नहीं पता कि क्यों बुला रही हैं चलिए ना जल्दी।

फिर दोनों साथ में अंदर गया और जाकर दोनों सामने कुर्सी पर बैठ गए।

फिर डॉक्टर ने पूछा की शादी को कितने साल हो गए तो राजनाथ ने आरती की तरफ देखा तो कुछ बोल नहीं रही थी तो उसने जवाब दिया की जी 6 साल हो रहे हैं।

फिर से डॉक्टर ने पूछा कि 6 साल में कभी भी बच्चा नहीं रुक।

तो राजनाथ आरती की तरफ देखने लगा इशारा करने लगा कि बताओ तो आरती फिर भी कुछ नहीं बोल रही थी सभी राजनाथ कुछ बोलने जा रहा था कि डॉक्टर ने उसे रोक दिया और बोला कि आप मत बोलिए इनको बोलने दीजिए फिर डॉक्टर ने आरती से बोला कि मैं जो पूछ रही हूं उसका जवाब भी क्या बच्चा कभी रुका है कि नहीं रुक है।

तो आरती ने शर्माते हुए जवाब की जी नहीं रुक है।

फिर डॉक्टर ने पूछा कि आपका महीना टाइम पर आता है आगे पीछे होता है।

फिर आरती में जवाब दिया की जी टाइम पर आता है।

फिर डॉक्टर ने पूछा क्या आप दोनों कितने टाइम के बाद मिलते हैं मेरा मतलब है कितने देर के बाद सेक्स करते हैं यह सब बात सुनकर आरती को बहुत शर्म आ रही थी और वह कुछ बोल नहीं रही थी चुपचाप अपनी नज़रें नीचे करके बैठी हुई थी और वह सोच रही थी कि अपने बाप के सामने यह सब कैसे बताएं।

आगे की कहानी अगले भाग में।
Mast ja rahi hai story
 

dhalchandarun

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भाग 5

डॉक्टर ने आरती से पूछा कि आप कितने अंतराल के बाद सेक्स करते हो।

आरती अपने बाप के सामने यह सब बताने में शर्मा रही थी। तो फिर डॉक्टर ने अपना तरीका अपनाया और वह राजनाथ को वही बगल में एक रूम था उसमें जाकर बैठने के लिए बोला।

फिर राजनाथ वहां से उठकर बगल वाले रूम में जाकर बैठ गया फिर डॉक्टर ने आरती से बोला अब तुम्हारी बात यहां कोई नहीं सुनेगा इसलिए अब मैं जो भी तुमसे पूछ रहा हूं उसका सही-सही जवाब दो।

और एक बात आप लोग भी समझ गए होंगे कि डॉक्टर को अभी तक यह नहीं पता है की आरती और राजनाथ दोनों बाप बेटी है वह दोनों को पति पत्नी समझ रही है।

दूसरी तरफ आरती और राजनाथ को भी पता नहीं है कि डॉक्टर उन दोनों को पति-पत्नी समझ रही है।

तो डॉक्टर ने बोला कि डेली मिलते हो कि छोड़ छोड़कर मिलते हो। तो आरती ने जवाब दिया कि जी छोड़ छोड़ कर मिलते हैं।

तो डॉक्टर ने पूछा कितने दिन के बाद।

तो आरती ने जवाब दिया जी चार-पांच दिन के बाद कभी-कभी एक हफ्ता भी हो जाता है ।

तो फिर डॉक्टर ने पूछा कि चार-पांच दिन के बाद मिलते हो तो रात में एक ही बार मिलते की दोबारा भी मिलते हो।

तो आरती ने जवाब दिया की जी एक ही बार मिलते हैं।

तो फिर से डॉक्टर ने पूछा की कितनी देर तक मिलते हो मेरा मतलब है तुम्हारे पति का पानी कितना देर में छूटता है।

आरती को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे आरती कुछ बोलती इससे पहले डॉक्टर ने फिर से पूछा बताओ कितना देर चलता है 10 मिनट 15 मिनट 20 मिनट आधा घंटा बताओ तो तो आरती ने जवाब दिया कि जी 5 मिनट तक ही चलता है तो फिर डॉक्टर भी हैरान होते हुए बोली की क्या सिर्फ 5 मिनट ही चलता है ऐसे कैसे काम चलेगा हफ्ते में एक बार मिलोगे और सिर्फ 5 मिनट ही करोगे तो कैसे बच्चा रहेगा।

डॉक्टर ने फिर आरती से पूछा कि तुम्हारा पानी छूटता है कि नहीं। तो आरती ने जवाब दिया कि जी नहीं तो डॉक्टर ने कहा कि जब तुम्हारा पानी छूटेगा ही नहीं तो शुक्राणु गर्भ के अंदर कैसे जाएगा आरती कुछ बोल नहीं पाई और चुपचाप सुन रही थी तभी डॉक्टर ने फिर से पूछा कि तुम्हारा पति का वीर्य जो गिरता है वह गाढा़ रहता है कि पतला रहता है मेरा मतलब है घी के जैसा रहता है या उसे पतला रहता है।

तो आरती ने जवाब दिया की जी पतला रहता है तो डॉक्टर ने बोला कि पतला रहता है तो लिंग बाहर आते ही वह भी सब बाहर आ जाता होगा आता है कि नहीं तो आरती ने जवाब दिया कि जी सब बाहर आ जाता है।

इधर यह सब बात इन दोनों के बीच में हो रही थी और उधर राजनाथ कमरे में बैठकर यह सब बात सुन रहा था क्योंकि वह जिस रूम में बैठा था वहां एक स्पीकर लगा हुआ था जिससे उसको यह सब बात सुनाई दे रहा था क्योंकि जब किसी को एक दूसरे के सामने बात बताने में शर्म आती है तो यह तरीका वह लोग अपनाते हैं ताकि जब बाद में उससे पूछा जाए इस बारे में तो सही से बता सके उधर राजनाथ को यह सब बात सुनकर अजीब अजीब ख्याल आ रहे थे और दूसरी तरफ उसे मजा भी आ रहा था अपनी बेटी की सीक्रेट बातें सुनकर और वो यह भी समझ रहा था रहा था कि मुझे यहां आरती की बात सुनने के लिए बिठाया है लेकिन क्यों मैं तो उसका पति नहीं हूं तो मुझे क्यों सुना रहे हैं कहीं यह तो नहीं की डॉक्टर मुझे उसका पति समझ रही है अगर ऐसा है तो यह तो गलत है क्या आरती को यह बात पता है कि मैं उसकी बात सुन रहा हूं नहीं उसको कहां से पता होगा वह बेचारी तो वहां बैठी है।

राजनाथ को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अब वह मजबूर होकर अपनी बेटी की बातें सब सुन रहा था और अपने दामाद पर गुस्सा भी आ रहा था कि मेरा दामाद मेरी बेटी का पति इतना निकम्मा कमजोर कैसे हो सकता है।

डॉक्टर ने फिर आरती से पूछा कि पति पत्नी में लड़ाई झगड़ा होता है।

तो आरती ने जवाब दिया कि जी कभी-कभी होता है मारपीट भी करता है क्या जी नहीं मारपीट नहीं करते।

फिर डॉक्टर ने कहा कि तुमने अभी जो सारी बातें बताई क्या मैं वह सब बातें तुम्हारे पति से पूछ सकता हूं।

तो आरती अपने मन मे सोचने लगी कि मेरा पति तो यहां है नहीं तो ए किस से पूछेगी फिर उसने जवाब दिया कीजिए हां पूछ सकते हैं।

फिर डॉक्टर ने कहा अच्छा ठीक है अब तुम उस रूम में जाकर बैठो और अपने पति को यहां भेजो यह बात सुनते ही आरती एकदम से घबरा गई और सोचने लगी कि मेरा पति मेरे पति यहां कहां है वहां तुम मेरे बाबूजी बैठे हैं और वह घबराए हुए नजरों से डॉक्टर को देख रही थी जब डॉक्टर ने फिर से कहा रे बैठी हुई क्यों हो जाओ अपने हस्बैंड को यहां भेजो फिर उसने कहा कि मेरे हस्बैंड डॉक्टर ने कहा कि हां तुम्हारे हस्बैंड ने क्या दूसरे क्या जो उनको यहां जल्दी से भेजो।

फिर वह धीरे से उठकर घबराते हुए उस रूम में जाने लगी जहां उसके बाबूजी बैठे हुए थे।

उधर यह सब बात सुनकर राजनाथ को शौक लग गय था कि यह क्या हो गया अब मैं क्या करूंगा मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।

तभी आरती रूम के अंदर आई तो देखा कि उसके बाबूजी अकेले रूम में बैठे हुए हैं अचानक दोनों की नजरे मिली और दोनों सोच रहे हैं कि एक दूसरे से क्या बात बोले फिर आरती शरमाते हुए अपनी नज़रें झुका लिया और कुछ नहीं बोली फिर कुछ छन के बाद राजनाथ ने बोला की बेटी डॉक्टर ने क्या बोला।

तो आरती अपनी नज़रें झुकाए हुए बोली कि जी वो आपको बुला रही है यह बात तो राजनाथ को पता था क्योंकि वह सब सुन रहा था तो वह अनजान बनते हुए पूछा कि मुझे बुला रही है तो आरती ने जवाब दिया की जी आपको बुला रही है फिर उसने क्या अच्छा ठीक है मैं जाता हूं फिर वह डॉक्टर के पास चला गया।
इधर आरती हैरान होते हुए अपने आप से मन मे बात करते हुए सोच रही थी कि यह मेरे साथ क्या होगया यह डॉक्टर तो हम दोनों के बारे में उल्टा ही समझ बैठी अगर उसने बाबूजी से सारी बातें बता दी और बोल दिया कि यह सब बातें आपकी पत्नी बोल रही थी तो वह मेरे बारे में क्या सोचेंगे कि मेरी बेटी ने मुझे अपना पति बना लिया हे भगवान अब मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।

तभी राजनाथ डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर ने कहा कि आईए बैठीए यह आवाज जैसे ही आरती के कानों मे पहुंची तो वह चौंक गई है वह इधर-उधर देखने लगी कि यह आवाज कहां से आ रही है फिर डॉक्टर ने बोला कि अभी जो हम दोनों के बीच में बातें हो रही थी वह सब आपने सुना कि नहीं।

तो राजनाथ ने अनजान बनते हुए पूछा कि जी कौन सी बातें।

तो डॉक्टर ने जवाब दिया कि वही बातें जो आपकी पत्नी और मेरे बीच में हो रही थी।

इतना बात सुनते ही उधर आरती की पैरों के तले जमीन खिसक गई और वह हैरान परेशान हो गई कि यह मैंने क्या कर दिया अभी जो भी बातें मैंने डॉक्टर को बताई वह सब बातें बाबूजी ने सुन लिया हे भगवान क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में।

तो राजनाथ में डॉक्टर को जवाब दिया कि जी सुना है।

तो डॉक्टर ने पूछा कि क्या उसने सब सही बताई है या कुछ गलत बताई है तो राजनाथ अब मजबूरी में क्या जवाब देता तो उसने कहा की जी वह सब सही बताई है।

फिर डॉक्टर ने कहा की अच्छा ठीक है अभी हम कुछ जांच लिख दे रहे हैं वह आप दोनों को कराना पड़ेगा।

तो राजनाथ ने पूछा कि जी दोनों को कराना पड़ेगा।

जब डॉक्टर ने जवाब दिया कि हां आप दोनों को करना पड़ेगा आपकी पत्नी का बलड और पेशाब जांच करना पड़ेगा और आपका सीमन जांच करना पड़ेगा मेरा मतलब है आपका वीर्य अभी आप दोनों बाहर जाकर अपना सेंपल दे दीजिए और 2 दिन के बाद आइएगा फिर हम आप दोनों का रिपोर्ट देखकर दवा लिखेंगे आप मेरी बात समझे कि नहीं तो राजनाथ ने जवाब दिया कि जी समझ गए।

तो ठीक है अपनी पत्नी को लेकर जाइए और वहां नर्स को अपना सेंपल दे दीजिए।

फिर राजनाथ डरते डरते आरती के रूम में गया और वह मन ही मन सोच रहा है की आरती मेरे बारे में क्या सोच रही होगी जैसे ही वह अंदर गया तो आरती अपनी नज़रें नीचे करके चुपचाप बैठी हुई थी फिर वह कुछ देर खड़ा होकर आरती को देखा आरती भी अपने बाप से नजरे नहीं मिला पा रही थी।

उसने धीरे से कहा की आरती बेटा बाहर चलो फिर आरती धीरे से उठी और उसके पीछे-पीछे चलने लगी फिर दोनों जैसे ही हाल में बाहर आए तो वहां नर्स बैठी हुई थी तो राजनाथ ने उसको अपना रिपोर्ट देते हुए बोला कि की जांच करवाना है तो नर्स ने रिपोर्ट दिखाओ देखकर बोला कि अच्छा ठीक है आप यहां बैठिए और मैडम को मेरे साथ आने दीजिए फिर वह आरती को लेकर अंदर गई और वहां ब्लड का सैंपल लिया और लेने के बाद उसको एक छोटा सा प्लास्टिक का डीबी उसको दिया और बोली कि बाथरूम में जाकर इसमें अपना पेशाब लेकर आईए और आरती बाथरूम में गई और अपना पेशाब लेकर आई और नर्स को दे दिया फिर नर्स ने उसको एक और प्लास्टिक का डीबी दिया और बोली इसको अपने पति को जाकर दीजिए और बोलिए अपना वीर्य इसमें निकाल कर लाए फिर उसने बोला कि ऊपर में एक शोरूम खाली है वहीं पर उनको लेकर जाइए।

आरती ने वह डीबी लिया और लेकर धीरे-धीरे बाहर आने लगी और मन ही मन सोचने लगी की कैसे अपने बाप को जाकर बोलेगी की इसमें अपना वीर्य निकाल कर लाइए फिर धीरे-धीरे अपने बाप के पास पहुंची तो राजनाथ ने पूछा की हो गया।

तो आरती ने धीरे से जवाब दिया की जी मेरा हो गया नर्स ने जो डीबी आरती को दिया था उसको राजनाथ के तरफ बढा़ते हुए बोली कि यह आपके लिए दिया तो राजा नाथ ने पूछा कि मेरे लिए तो आरती ने कहा कि जी आपको इसमें लेकर आने के लिए बोली तो राजनाथ थोड़ा अनजान बनते हुए बोला की क्या लेकर आने के लिए बोली इसमें।

तो आरती और शर्माने लगी और धीरे से बोली की जिओ आपका वाला लेकर आने के लिए बोली राजनाथ फिर भी नहीं समझ रहा था उसने फिर से पूछा कि मेरा वाला क्या लेकर आने के लिए बोली।

तो आरती ने फिर से बोला कि जिओ अंदर में डॉक्टर नहीं बोल रही थी की आपका भी जांच होगा
यह बात सुनते ही राजनाथ में कहां की हां हां अभी मैं समझा और वह उठकर जाने लगा तो आरती ने कहा जी कहां जा रहे हैं राजनाथ ने कहा कि मैं लेकर आ रहा हूं तुम यहीं बैठो तो आरती ने कहा कि जिओ नर्स ने बोला कि ऊपर लेकर जाने के लिए।

तो राजनाथ ने पूछा कि ऊपर ऊपर कहां लेकर जाना तो आरती ने कहा कि जिओ नर्स बोल रही थी ऊपर में एक रूम खाली है वहीं आपको लेकर जाने के लिए बोली चलिए ना देखते हैं किधर है फिर दोनों बाप बेटी ऊपर जाने लगे जैसे ही दोनों ऊपर पहुंचे तो देखा कि सामने एक रूम है और उसके दरवाजे पर लिखा हुआ था कि यह रूम सिर्फ पति-पत्नी के लिए है।

तोतो राजनाथ ने बोला कि शायद यही रूम है अंदर चलकर देखते हैं जैसे ही दरवाजे को धकेला वह खुल गया।

फिर जब दोनों अंदर गए तो अंदर पूरा अंधेरा था दरवाजे के साइड में छूकर देखा तो वहां स्विच का बोर्ड लगा हुआ था फिर उसे दबाया तो लाइट जल गई और लाइट जलते ही पूरा रूम रोशनी से जग मांगा गया जब उन दोनों बाप बेटी की नजर कमरे की दीवार पर गई तो दोनों चौंक गए क्योंकि चारों तरफ दीवार में लड़कियों की फोटो लगी हुई थी उसमें से बहुत सारी लड़कियां नंगी भी थी फिर दोनों बाप बेटी झट से बाहर आ गए तो राजनाथ में आरती की तरफ देखा तो अपने नजरे नीचे करके शर्मा रही थी फिर राजनाथ में आरती से कहा कि तुम नीचे जाकर बैठो मैं लेकर आता हूं।

तो आरती ने कहा कि आप लेकर आई मैं यहीं खड़ी रहती हूं फिर वह रूम के अंदर चला गया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया रूम के अंदर एक बेड लगाया हुआ था उसी पर वह बैठ गया और दीवाल पर जो फोटो लगा हुआ था उन सब को देखने लगा और उन सब में जितना भी फोटो था सब दुबली पतली लड़कियों का फोटो था उनमें से बहुत सारी लड़कियां नंगी भी थी उनको देखकर उसके दिमाग में ख्याल आने लगा कि मेरी बेटी जब नंगी होती होगी तो इसी तरह दिखती होगी और उसके पजामे के अंदर जो उसका बड़ा सा हथियार जो अपनी बेटी का ख्याल रखते हुए अभी तक सोया हुआ था वो अचानक से जागने लगा और अब पुरी तरह से जा चुका था अब उसे ना अपनी बेटी का ख्याल था ना और किसी का अब तो वह सिर्फ अपनी मर्दानगी दिखाना चाह रहा था वह तो चाह रहा था कि उसे किसी के साथ लडने का मौका मिले और वह सब तोड़ फाड़ के रख दे वह अपनी बेटी का ख्याल करते हुए जैसे ही उसने अपना हाथ पैजामे के ऊपर से अपने लंड को सहलाया तो वो और ऊपर की तरफ उछलने लगा और जैसे कह रहा हो कि मुझे यहां से जल्दी बाहर निकालो जैसे ही उसने पैजामे का नाडा खोला वैसे ही सांप की तरह बाहर निकल कर फुफकारने लगा और ऐसा लग रह था कि कई महीना या सालों से भूखा हो फिर से उसने अपना हाथ उसके सुपाड़ा को ऊपर से सहलाया जैसे सपेरा अपने सांप की मुंडी को सहलाता है और वह सांप और फुफकारने लगता है इस तरह उसका लंड भी हाथ से छूते ही और झटका मारने लगता है फिर वह अपने लंड को मुट्ठी में कस के पकड़ कर धीरे-धीरे बोलने लगा कि काश दामाद की जगह मै होता आज और मेरी बेटी आज मेरे नीचे लेटी होती तो कितना मजा आता उसकी इतनी चुदाई करता की एक ही रात में उसकी बच्चेदानी में अपना बीज भर देता और 9 महीने के बाद वह मां बन जाती लेकिन मेरी किस्मत ऐसी कहां जो मुझे यह मौका मिलेगा अब तो मुझे जिंदगी भर हाथ से ही काम चलाना पड़ेगा और वह अपनी मुट्ठी में पकड़ कर अपने लंड को आगे पीछे करने लगा कुछ ही देर में उसका गाढा़ जमा हुआ माल उसके लंड से बाहर निकलने वाला था कि उसने झट से डिब्बे का ढक्कन खोलकर अपनी लंड को मुंह में लगाया जितना जमा हुआ माल था सब बाहर निकल गया।

आगे की कहानी अगले भाग में।
Superb story is building nicely.
 

dhalchandarun

Everything in the world will come to end one day.
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भाग 6

राजनाथ रूम के अंदर अपनी बेटी के बारे मे यह इमेजीन करते हुए कि वो बीना कपड़े की बिल्कुल इन्हीं लड़कियों की तरह दिखती होगी यह सब सोचते हुए वह अपने लंड से महिनो का जमा हुआ गाढा़ स्पर्म निकाल देता है जो एकदम घी की तरह जमा हुआ था उसके बाद उसने अपने लंड को कपड़े से पोछा जो अभी भी उसी तरह तन कर खड़ा था फिर उसने अपना पैजामा ऊपर चढ़ा के नाडा बांधा फिर वह अपना स्पर्म लेकर बाहर आने के लिए खड़ा हुआ तो उसको ख्याल आया कि उसकी बेटी तो रूम के बाहर बैठी हुई है बेटी का ख्याल आते ही अब उसको अंदर ही अंदर शर्म आने लगा कि अभी जो कुछ भी उसके बारे में सोच कर किया वह गलत था मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था खैर अब जो कुछ होना था वह हो चुका है आगे से मुझे ध्यान रखना पड़ेगा राजनाथ इधर यह सब सोच रहा था।

और उधर आरती बाहर बैठी यह सोच रही है कि बाबूजी को अंदर गए हुए 15 मिनट हो गए हैं और अभी तक बाहर नहीं आए हैं अंदर क्या कर रहे हैं तभी राजनाथ अंदर से दरवाजा खोल के धीरे से बाहर आता है वैसे ही दोनों बाप बेटी की नजरे एक दूसरे से मिलती है और दोनों शर्मा जाते हैं फिर राजनाथ ने आरती से कहा कि अभी तक बैठी हो मैंने तुमको नीचे जाकर बैठने के लिए बोला था।

तो आरती ने धीरे से जवाब दिया कि मैं नीचे जाकर अकेली क्या करती इसलिए मैं यही बैठी हुई थी।

फिर राजनाथ ने कहा कि ठीक है अब चलो फिर दोनों सीढी़ से उतरकर नीचे जाने लगे तो राजनाथ अपना स्पर्म हाथ में पकडे़ हुए आरती से पूछा कि इसको कहां देना है तो आरती ने जवाब दिया की नर्स को जाकर देना पड़ेगा फिर राजनाथ में इधर-उधर नजर दौड़ा कर देखा और बोला की नस कहां पर है।

तो आरती ने बोला कि वह शायद अंदर बैठी होगी आप इसको मुझे दीजिए मैं देख कर आती हूं।

तो राजनाथ अपना स्पर्म उसके हाथ में दे देता है।

फिर आरती उसको अपने हाथ में लेकर जाने लगती है और अंदर जाकर देखती हैं तो नर्स वहां पर नहीं थी तो वह वहीं पर खड़ी होकर इंतजार करने लगती है तभी उसको अपने हाथ में गरम-गरम महसूस होता है क्योंकि उसका बाप का वीर्य अभी भी हल्का-हल्का गर्म था तो वह उसे ऊपर उठा कर देखती है तो शर्मा जाती है और सोचती है कि बाबूजी ने इतना सारा वीर्य एक ही बार में निकाला है ।

तभी नर्स वहां पर आ जाती है पूछती है कि क्या बात है।

तो आरती स्पर्म का डब्बा उसको देते हुए कहती है कि यह लीजिए आपने जो मांगा था।

फिर नर्स उसको अपने हाथ में लेकर ऊपर उठा कर देखती है तो बोलती बोलती है कि इतना सारा यह एक बार का है कि दो-तीन बार का।

तो आरती जवाब देती है कि जी एक ही बार का है।

तो नर्स बोलती है कि मैंने आज तक किसी मर्द को इतना सारा स्पर्म एक ही बार में निकालते हुए नहीं देखी फिर वह बोलती है कि अगर औरत में कोई कमी नहीं होगी और वह औरत आपके पति के साथ सोएगी तो एक ही बार में आपका पति उसको प्रेग्नेंट कर देंगा।

यह बात सुनते ही आरती शर्मा जाती है और मन ही मन सोचती है कि मेरा पति काश मेरा पति ऐसा होता फिर वह वापस राजनाथ के पास आती है तो राजनाथ पूछता है कि दे दिया नर्स को तो आरती जवाब देती है कि जी हां दे दिया तो राजनाथ बोलता हैं कि ठीक है अब घर चलते हैं 2 दिन के बाद फिर आना पड़ेगा फिर दोनों बाप बेटी अपने स्कूटर पर बैठकर घर आने लगते हैं और आते हुए रास्ते में उन्होंने कोई बातचीत नहीं की फिर दोनों घर पहुंचते हैं तब तक शाम हो चुकी थी फिर आरती शाम का खाना बनाने में लग जाती है और राजनाथ नहाने के लिए चला जाता है फिर नहा के आता है तो उसकी मां पूछती है कि डॉक्टर के पास गया था तो क्या बताया उसने तो राजनाथ अपनी मां से बोलता है कि अभी कुछ नहीं बताया जांच करने के बाद बताएगा की क्या हुआ है फिर हम लोगों को 2 दिन के बाद बुलाया है फिर हम लोग जाएंगे तो दवा देगा।

तभी आरती उधर से आई और बोली कि बाबूजी खाना बन गय आप लोगों के लिए खाना लगा दूँ।

तो राजनाथ बोलता है हां बेटा खाना ले आओ भूख बड़ी जोर से लगी और थकान भी लग रही है आज जल्दी सो जाऊंगा।

फिर आरती खाना लेकर आती है और दोनों मां बेटा खाना खाते हैं और खाने के बाद सोने के लिए चले जाते हैं।

उसके बाद आरती भी खाना खाती है और बर्तन समेट कर दादी के रूम में जाती है सोने के लिए दादी अभी तक जाग रही थी तो वह दादी का पैर दबाने लगती है तो दादी बोलती है कि मेरा पैर मत दबाव जाओ जाकर अपने बाप का पैर हाथ दबा दे आज बोल रहा था कि उसको थकान महसूस हो रही है और सुन खाली दबाने से उसकी थकान नहीं जाएगी एक कटोरी में सरसों का तेल गर्म करके उससे उसकी मालिश करेगी तो उसका थकान मिट जाएगा जा जाकर उसकी मालिश कर दे।

फिर आरती अपने मन मे बातें करते हुए कहती है की थकान तो लगेगी उतना सारा माल जो निकला है यह सोचते ही शर्मा जाती हैं और सोचती है कि यह सब तो उन्होंने मेरे लिए ही किया है तो उनका थकान भी मुझे ही मिटाना पड़ेगा और वह एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर अपने आप की कमरे की तरफ जाने लगती है।

उधर राजनाथ आज हॉस्पिटल में क्या-क्या हुआ उसके बारे में सोच रहा होता है और यह सोचकर उसको गिल्टी भी फील होता है कि यह सब अपनी बेटी के बारे में नहीं सोचना चाहिए था दूसरी तरफ उसके मन में यह भी आता है कि आज जो कुछ भी हुआ वह मेरे बस में नहीं था तभी दरवाजे के बाहर आरती की आवाज सुनाई देती है और कहती है बाबूजी बाबूजी सो गए हैं क्या तभी राजनाथ को कुछ समझ में नहीं आता है क्या जवाब दे तो वह चुपचाप मटिया देता है और सोने का नाटक करने लगता है।

उधर आरती फिर से आवाज लगती है बाबूजी बाबूजी दरवाजा खोलिए तो उसको कुछ जवाब नहीं मिलता तो वह दरवाजा को हल्का सा धक्का देती है तो दरवाजा खुल जात तो वह सोचती है कि शायद बाबूजी सो गए हैं।

तो वह धीरे-धीरे अंदर आती है और बेड के पास जाकर आवाज देती है बाबूजी लेकिन राजनाथ कुछ नहीं है क्योंकि वह जानबूझकर सोने का नाटक कर रहा है तभी आरती एक बार फिर उसको उठाने की कोशिश करती है और एक हाथ से उसका पैर पकड़ कर हिलाती है तभी राजनाथ जागते हुए कहता है हां के तो आरती रहती है बाबूजी मैं हूं।

तो राजनाथ-- उसको देखते हुए कहता है बेटा तू यहां क्या कर रही है कुछ काम है क्या।

तो आरती बोलती है कि काम कुछ नहीं आपका पैर और हाथ दबाने के लिए आई हूं।

तो राजनाथ बोलता है अरे बेटा आज रहने दे मुझे नींद आ रही है और तू भी थक गई होगी जा तू भी जाकर सो जा।

तो आरती बोलती है कि ज्यादा देर नहीं लगाऊंगी बस थोड़ी देर में हो जाएगी।

फिर राजनाथ उसको देखते हुए पूछता है कि ए तुम्हारे हाथ में क्या है।

तो आरती जवाब देती है कि इसमें सरसों का तेल है।

तो राजनाथ फिर से पूछता है कि सरसों का तेल किस लिए।

तो आरती जवाब देती है कि आपका मालिश करने के लिए दादी बोल रही थी कि सरसों के तेल मालिश करने से थकान मिट जाती है।
तो राजनाथ बोलता है कि बेटा मुझे कोई थकान नहीं है तू जा जाकर सो जा तो आरती बोलता है कि बाबूजी आप क्यों जीद कर रहे हैं आप जानते हैं कि मैं आपका मालिश किए बगैर मैं यहां से नहीं जाऊंगी।

तो राजनाथ बोलते हैं कि ठीक है जो करना है जल्दी कर तो राजनाथ पजामा पहन के सोया हुआ था तो आरती आरती ने कहा बाबूजी पजामा उतरना पड़ेग नहीं तो मालिश कैसे करूंगी आपके पजामे में तेल लग जाएगा।
तो राजनाथ मुस्कुराते हुए उसको बोलता है कि तू मेरा थकान मिटाने आई है या थकान बढ़ाने आई तो आरती भी मुस्कुरा देती है और बोलती है कि आप जो भी समझ लीजिए फिर राजनाथ बेड से उठाते हुए बोलता है कि बाहर मेरा डोरी वाला हाफ पैंट रखा हुआ है उसको लेकर आओ।

फिर वह कमरे से बाहर जाती है और पैंट लेकर आती है और राजनाथ को देती है और कहती है यह लीजिए आपका पैंट जल्दी से चेंज कर लीजिए और बोलती है कि मुझे भी आज नींद आ रही है।

तो राजनाथ बोलता है कि इसीलिए तो बोल रहा हूं कि आज रहने दे और जा जाकर सो जा आज तू भी थक गई है।

तो आरती बोलती है कि मेरे से ज्यादा तो आज आप थके हुए हैं क्योंकि आज आपने मेरे से ज्यादा मेहनत की है।

तो राजनाथ बोलता है कि मैने क्या ज्यादा मेहनत की है।

तो आरती बोलती है कि क्या मेहनत की है आपको पता नहीं है।

तो राजनाथ बोलता हैं कि नहीं मुझे तो पता नहीं है की मैंने ऐसा क्या किया है।

तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है कि अच्छा आपको पता नहीं है तो ऊपर वाले कमरे में घुस कर 20 मिनट तक अंदर क्या कर रहे थे।

तो राजनाथ भी उसकी बात सुनकर मुस्कराने लगता है और बोलता हैं वो तो मैं अपना काम कर रहा था।

तो आरती मुस्कुराते हुए बोलती है कि जो काम आप कर रहे थे क्या वह काम बिना ताकत लगाए ही हो जाता है।

तो राजनाथ मुस्कुराते हुए सोचता हैं कि जब मेरी बेटी को यह सब बातें करने में शर्मा नहीं रही हैं तो फिर मैं इतना क्यों शर्मा रहा हूं फिर बोलता है कि तुम्हें कैसे पता कि उस काम को करने के लिए ताकत लगाना पड़ता है।

तो आरती ने जवाब दिया कि मैं कोई बच्ची नहीं हूं कि मुझे पता नहीं है कि उसमे ताकत लगता है कि नहीं लगता है और बिना ताकत लगाए ही उतना सारा फल मिल गया मेरा मतलब निकल गया।

तो राजनाथ बोलता है कि उतना सारा फल मतलब मैं समझा नहीं कि तुम क्या कहना चाह रही हो की उतना सारा फल।

तो आरती बोली और नहीं तो क्या मैं जब नर्स को देने गई तो बोल रही थी ।

तो राजनाथ ने पूछा क्या बोल रही थी।


तो आरती बोली नर्स बोल रही थी कि इतना सारा एक बार का है कि दो-तीन बार का है।

राजनाथ- फिर तुमने क्या कहा।

आरती- मैं बोली की जी एक ही बार का है।

राजनाथ-- मुस्कुराते हैं तुम्हें कैसे पता कि वह एक ही बार का है।

आरती- मुझे पता है क्योंकि उतनी देर में एक ही बार निकल सकता है।

राजनाथ-- अछा

आरती- और नहीं तो क्या

अब बाप बेटी और धीरे-धीरे खुल रहे थे फिर राजनाथ ने आरती से पूछा कि नर्स और क्या बोल रही थी।

तो आरती ने कहा कि और बोल रही थी लेकिन वह मैं आपको नहीं बता सकती।

फिर राजनाथ ने पूछा क्यों ऐसा क्या बोल रही थी कि मुझे नहीं बता सकती।

आरती- क्या आप सुनना चाहते हैं

राजनाथ-- हां अगर मेरे बारे में बोली है तो मैं नहीं सुनूंगा तो और कौन सुनेगा।

आरती शरमाते हुए ठीक है बताती हूं वह बोल रही थी कि जो मर्द एक बार में इतना सारा स्पर्म निकालेगा तो जो औरत एकदम ठीक रहेगी उसको तो एक बार में ही प्रेग्नेंट कर देगा यह बोलते ही आरती शर्मा गई और अपनी नज़रें नीचे कर ली यह देखते हुए राजनाथ में फिर उसको पूछा फिर तुम उसको क्या बोली तो आरती शरमाते हुए बोली कि मैं उसको क्या बोलती मैं कुछ नहीं बोली।

और मैं बोलती भी क्या कि मेरे पति का नहीं मेरे बाप का स्पर्म है इसलिए मैं कुछ नहीं बोली।



आगे की कहानी अगले भाग में।
Super brother...
 
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Ek number

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भाग १६

आरती राजनाथ से कहती है वह सब छोड़ी और यह बताइए की फिटिंग कैसी है।

तो राजनाथ कहता है की फिटिंग के बारे में तो मैं तुमको पहले ही बता दिया कि कैसी है।

आरती पहले जो आपने बताया वो तो किसी दूसरे के फिटिंग के बारे में बताएं उस टाइम आपको थोड़ी पता था कि यह तस्वीर मेरी है अब आपको मालूम हुआ कि यह तस्वीर मेरी है इसलिए अब आप फिर से बताइए की फिटिंग कैसी है।

राजनाथ अच्छा ऐसी बात है तो सुनो फिटिंग बहुत बढ़िया और लाजवाब है लेकिन उसका साइज थोड़ा छोटा है और बड़ा होना चाहिए।

आरती अभी तो आप कर रहे थे की फिटिंग लाजवाब है और फिर कह रहे हैं कि साइज छोटा है ए क्या बात हुई।

तो फिर राजनाथ मुस्कुराते हुए कहता है अरे मैं उसकी साइज की बात नहीं कर रहा हूं मैं दूसरे वाले की साइज की बात कर रहा हूं।

आरती आप कौन से दूसरे वाले की साइज की बात कर रहे हैं मैं कुछ समझी नहीं यहां तो सिर्फ ब्रा की साइज की बात हो रही।

राजनाथ मैं ब्रा की बात नहीं कर रहा मैं बात कर रहा हूं ब्रा के अंदर में जो रहता है मैं उसकी बात कर रहा हूं।

अब आरती समझ जाती है कि बाबूजी किसकी साइज की बात कर रहे हैं बाबूजी मेरे दूध की साइज की बात कर रहे हैं कर रहे हैं कि मेरे दूध का साइज छोटा है यह बात समझते ही आरती शर्मा जाती है और फिर अनजान बनते हुए कहती है ब्रा के अंदर में तो कुछ भी नहीं रहता मैंने तो उसमें और कुछ नहीं देखा था।

फिर राजनाथ अपना मोबाइल चालू करके उसमें ब्रा वाली तस्वीर निकाल के उसको देता है कहता है देख कर बताओ कि इसके अंदर में क्या है।

फिर आरती उस तस्वीर को देखती हैं और कुछ देर के बाद फिर से अनजान बनते हुए कहती है कहां है इसमें तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है ऊपर से कैसे दिखेगा उसको खोल कर देखना पड़ेगा ना के अंदर में क्या है।

तो फिर राजनाथ हल्का गुस्सा होते हुए कहता है अरे बेवकूफ लड़की तुमको इतना भी समझ में नहीं आ रहा है अब मैं तुमको कैसे समझाऊं तू रहने दे तुमको समझ में नहीं आएगा।

आरती- कैसे समझ में नहीं आएगा आप अच्छे से समझाइए तो सही थोड़ा खुलकर बताएंगे तभी तो समझ में आएगा।

राजनाथ-- समझदार के लिए इशारा ही काफी होता है मैं इससे ज्यादा खुलकर नहीं बता सकता अगर तुमको अभी समझ में नहीं आ रहा है तो मैं तुम्हें बाद में समझा दूंगा।


अब राजनाथ के दिमाग के दिमाग में भी अपनी जवान बेटी की जवानी देखकर असर करने लगा था अब उसका अरमान भी धीरे-धीरे जाग रहा था अपनी बेटी की जवानी का मजा लेने के लिए लेकिन उन दोनों के बीच आड़े आ रहा था उनका बाप बेटी का रिश्ता और यही सब सोंच कर राजनाथ हर बार अपने आप को आगे बढ़ने से रोक लेता था लेकिन आज ना चाहते हुए भी आगे बढ़ने की कोशिश करने लगता है और मन ही मन सोचता है कि अगर इसने मुझे ब्रा की फिटिंग दिखाई है तो क्या पैंटी की भी फिटिंग दिखा सकती है कोशिश करके देखता हूं अगर दिखा देगी तो तो फिर तो मजा ही आ जाएगा।

फिर वह आरती से कहता है कि तुमने इसकी फिटिंग तो दिखा दी लेकिन दूसरे वाले की फिटिंग तो नहीं दिखाई।

तो फिर आरती पूछती है कौन से दूसरे वाले की फिटिंग नहीं दिखाई ए
आप क्या बोल रहे हैं मैं कुछ समझी नहीं।

तो फिर राजनाथ कहता है की अरे मैं उसी के बारे में बोल रहा हूं जो मैंने तुमको इससे पहले ला कर दिया था।

तो आरती समझ जाती है कि बाबूजी पैंटी की बात कर रहे हैं और वह सोचती है कि इनको पैंटी की फिटिंग देखनी है लेकिन ए उसका नाम नहीं बोल पा रहे हैं मैं भी देखती हूं कब तक उसका नाम नहीं लेते।

फिर वह बोलती है बाबूजी आप किसके बारे में बात कर रहे हैं मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूँ और इससे पहले आपने मुझे क्या ला कर दिया था वो भी मुझे याद नहीं आ रहा अगर आपको याद है तो उसका नाम बता दीजिए ।
फिर राजनाथ ना चाह कर भी बोल ही देता है और कहता है क्या बेटा तू भी कमाल करती है 2 दिन पहले ला कर दिया और आज भूल गई मैं पैंटी के बारे में बोल रहा हूंँ।

तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है अच्छा तो आप पैंटी की भी फीटिंग देखना चाहते हैं।

तो राजनाथ बात को बदलते हुए कहता हैं अरे मैंने कब कहा कि मैं उसकी फिटिंग देखना चाहता हूँ वह तो मैं ऐसे ही बोल रहा था कि कि तुमने उसकी फिटिंग नहीं दिखाई तो आज तुमने ब्रा की फिटिंग क्यों दिखाई।


तो आरती कहती की अच्छा तो आप यह कहना चाह रहे हैं कि मैंने ब्रा की फिटिंग दिखाइए इसलिए आप पैंटी की भी फीटिंग देखना चाहते हैं।

राजनाथ-- अरे यार तुम मेरी बात का उल्टा ही मतलब निकालती हो वह तो मैंने ऐसे ही पूछ लिया था और तुम मेरे ही ऊपर डाल रही कि मैं देखना चाह रहा हूं मुझे नहीं देखनी है किसी की भी फिटिंग।

तो आरती को लगता है कि बाबूजी धीरे-धीरे गुस्सा हो रहे हैं तो फिर वह बोलती है अच्छा तो आपको पैंटी की फिटिंग नहीं देखनी है।

तो राजनाथ कहता है कि नहीं मुझे नहीं देखनी है किसी की फिटिंग वीटिंग।

तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है की आप गुस्सा क्यों हो रहे हैं।

तो राजनाथ कहता है गुस्सा नहीं होउंगा तो और क्या करूंगा तुम मेरे ऊपर इल्जाम लगा रही कि मैं तुमको ब्रा और पैंटी में देखना चाहता हूं।

आरती- अच्छा सॉरी बाबा मुझसे गलती होगी हमको ऐसा नहीं बोलना चाहिए मुझे माफ कर दीजिए आगे से ऐसा नहीं कहूंगी।

राजनाथ मुस्कुराते वह कहता है अच्छा-अच्छा ठीक है माफ किया अब यह सब नाटक बंद कर फिर दोनों एक दूसरे को देखते और हंसने लगते हैं।

फिर कुछ देर के बाद आरती मालिश करते-करते बोलती है अच्छा बाबूजी अगर मैं अपनी मर्जी से दिखाऊंगी तो क्या आप देखेंगे।

तो राजनाथ उसकी बात सुनकर एकक्षण के लिए चौक जाता है और पूछता है कि क्या चीज दिखाओगी।

तो आरती कहती है वही जिसकी फिटिंग आप कुछ देर पहले देखना चाह रहे थे।

तो फिर राजनाथ करता है कि हां अगर तुम अपनी मर्जी से दिखाओगी तो देख लूंगा।

तो आरती कहती है की ठीक है जब मेरी मर्जी होगी तो दिखाऊंगी नहीं होगी तो नहीं दिखाऊंगी इतना बोलकर फिर वह सोने के लिए चली जाती है।

आरती के जाने के बाद राजनाथ सोचने लगता है कि क्या आरती मुझे पैंटी वाली तस्वीर दिखाइएगी कि नहीं यह सब सोचते सोचते उसे नींद आ जाती है।

फिर दूसरे दिन सुबह आरती उठकर अपने काम में लग जाती है और राजनाथ भी उठकर कहीं बाहर घूमने के लिए चला जाता फिर वह 9:00 के करीब बाहर से आता है नाश्ता पानी करने के लिए नाश्ता करने के बाद वह फिर किसी काम से कहीं बाहर जाने लगता है तो आरती कहती है बाबूजी बाहर जा रहे हैं तो मोबाइल हमको देखकर जाईएगा कुछ काम है फिर राजनाथ उसको मोबाइल देकर के कहीं चला जाता है राजनाथ के जाते ही आरती गेट बंद करके नहाने के लिए चली जाती है फिर नहा के आने के बाद नाश्ता करती है नाश्ता करने के बाद फिर वह थोड़ा बहुत मेकअप करती है मेकअप करने के बाद अपना साड़ी ब्लाउज खोल के रख देती है और वह ब्रा और पैंटी पहन लेती है और पहनने के बाद मोबाइल से अपनी तस्वीर निकालने लगती है फिर अलग-अलग एंगल से कई तरह की तस्वीर निकालती है और निकालने के बाद सभी तस्वीर को मोबाइल में सेव करके रख देती है।

फिर दोपहर को राजनाथ घर आता है खाना खाने के लिए तो आरती मोबाइल उसको दे देती है खाना खाने के बाद मोबाइल लेकर राजनाथ अपने कमरे में चला जाता है। कमरे में जाने के बाद अपना मोबाइल चालू करके देखने लगता है और नंबर चेक करने लगता है कि किसके साथ बात करने के लिए मोबाइल रखी थी फिर वह देखता है कि उसने कहीं क किसी से बात नहीं की है तो फिर उसने मोबाइल क्यों रखी थी फिर उसके दिमाग में आता है कि कहीं आज भी कोई तस्वीर खींचने के लिए तो नहीं रखी थी फिर वह तस्वीर वाली फाइल खोलकर देखना लगता है तो देखते ही उसके होश उड़ जाते हैं क्योंकि जैसे ही वह फाइल खोलता है उसके सामने उसकी जवान बेटी ब्रा और पैंटी में खड़ी थी ऊपर से नीचे तक सिर्फ दो ही कपड़े थे उसके बदन पर वह भी सिर्फ नाम के फिर वह सभी तस्वीर को बार-बार इधर-उधर करके देखने लगता है फिर उसकी नजर एक जगह पर जाकर टिकी जाती है और वह जगह थी उसकी दोनों जांघों के बीच और ठीक उसकी कमर के नीचे वाली जगह जो सफेद पैंटी के अंदर में छिपा हुआ था जिसको देखकर यह लग रह था कि किसी ने उसके अंदर पांव रोटी छुपा के रख दी है जिसका मुंह ठीक उसके बीचो-बीच नजर आ रहा है बिल्कुल उसी तरह से आरती की फूली हुई चूत (बूर) नजर आ रही थी जब कोई लड़की पूरी तरह से जवान हो जाती है तब उसकी बदन का हर एक अंग खील के पूरी तरह से दिखने लगता है आज आरती के बदन का हर एक अंग उसी तरह से खील कर नजर आ रहा था उसकी बुर की आकर तो पैंटी के ऊपर से साफ-साफ दिख रहा था क्योंकि सफेद कलर की पैंटी थी इस वजह से पूरा क्लियर दिख रहा था उसकी बुर की दोनों होंठ बीच में हल्का सा गड्ढा जिसको देखकर राजनाथ की हालत और खराब हो रहा था और उसका लंड तो पजामे के अंदर में तूफान मचा के रखा था फिर उसने अपने पजामे का नारा खोल दिया और उसको बाहर निकाल दिया और बाहर आते ही वह पूरी तरह से अपने आकार में आ चुका था


और उसको देखकर ऐसा लग रह रहा था अगर इस वक्त उसको चींटी के बिल में भी घुसने के लिए कह दिया जाए तो वह उसमे भी तोड़ फाड़ के घुस जाएगा फिर राजनाथ उसको अपनी मुट्ठी में कस के पकड़ कर आगे पीछे करने लगा और राजनाथ को लगने लगा कि आज वह अपने आप को नहीं रोक पाएगा आज वह अपनी बेटी के नाम का मुठ मार के अपना बेस कीमती माल बाहर गिरा देगा लेकिन फिर उसने अपनी बेटी की तस्वीर देखी और उसकी चूत को देखा और फिर फिर उसने अपने आप से कहा कि नहीं मैं अपने इस अनमोल और कीमती चीज को ऐसे ही बाहर गिरा के बर्बाद नहीं होने दूंगा अगर मैं इसे गिराऊंगा तो अपनी बेटी की चूत में ही गिराऊंगा वरना नहीं गिराऊंगा फिर वह किसी तरह से अपने लंड को शांत कर देता है।

फिर कुछ देर आराम करने के बाद वह कहीं बाहर जाने के लिए निकलता है जैसे ही आंगन में जाता है तो आरती उधर बाथरूम की तरफ से आ रही थी तभी दोनों की नजरे एक दूसरे से मिलती है तो आरती शर्मा जाती है और राजनाथ उसको देखकर मुस्कुराने लगता है और आरती से कहता मैं कहीं बाहर जा रहा हूं शाम को वापस लौटूंगा।

राजनाथ के जाने के बाद आरती सोचने लगती है की बाबूजी ने वह तस्वीर देखी कि नहीं।


आगे की कहानी अगले भाग में।

Nice update
 
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rajeshsurya

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Waah kya baat hain yaar.agar beti ko bhi Baap apne u derwear ka fitting dikhayega photo mein tho?? Baap beti ek dusre ke har ek ang ko ek ek karke phone ke through dikhake rijhayenge ek dusre ko tho mast hoga
 
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