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अपडेट नंबर 26 आ गया है आप सभी रीडर उसको पढ़ें और अपना विचार जरूर रखें धन्यवाद
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Nice updateभाग १७
राजनाथ शाम को घर वापस आता है तब तक आरती रात का खाना बना कर रेडी कर चुकी थी फिर वह राजनाथ और दादी को खाना खाने के लिए बुलाती है फिर वह दोनों खाना खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं।
उसके बाद आरती भी खाना खाती है और वह खाना खाने के बाद हर रोज की तरह दूध गर्म करती है फिर दो गिलास में दूध लेकर राजनाथ के कमरे में जाती है एक अपनी और एक उसकी फिर वह राजनाथ को दूध पीने के लिए कहती है फिर दोनों अपना-अपना दूध का गिलास लेकर पीने लगते हैं फिर दूध पीने के बाद राजनाथ बेड पर लेट जाता है और आरती फिर उसकी मालिश करने लगती है। मालिश करते-करते उसके दिमाग में यही चल रहा था कि बाबूजी ने वह तस्वीर देखी कि नहीं अभी तक तो उन्होंने कुछ बताया नहीं अगर बताएंगे नहीं तो हमको कैसे मालूम पड़ेगा कि उन्होंने वह तस्वीर देखी कि नहीं।
उधर राजनाथ यह सोचकर चुपचाप था की जब आरती मुझसे पूछेगी उस तस्वीर के बारे में तब बताऊंगा और वह आरती को मालिश करते हुए उसकी बदन को ऊपर से नीचे तक बड़े गौर से देख रहा था और कल्पना यानी इमेजिनेशन कर रहा था कि जब आरती बिना कपड़े के बिल्कुल नंगी होकर मेरे सामने आएगी तो कैसी दिखेगी यही सब सोचकर राजनाथ अपने आप में खोया हुआ था और उधर आरती चुपचाप मालिश किया जा रही थी।
फिर कुछ देर बीतने के बाद आरती सोचती है कि लगता है बाबूजी कुछ नहीं बोलेंगे मुझे ही कुछ करना पड़ेगा तभी वह बोलती है बाबूजी आज तो आप बहुत खुश होंगे।
तो राजनाथ उसकी बात सुनकर बोलता है क्यों किस बात के लिए खुश होऊंगा।
इसलिए कि जो आप देखना चाहते थे वह आपको आज देखने के लिए मिल गया ।
मैं समझा नहीं क्या देखने के लिए मिल गया।
वही जो आप कल कह रहे थे कि एक चीज की फिटिंग दिखाई दूसरे की नहीं दिखाई आज तो आपने दोनों की फिटिंग देख ली तो क्या खुशी नहीं हुई
राजनाथ फिर भी अनजान बनते हुए कहता है क्या तुम पैंटी की फिटिंग की बात कर रही हो कहाँ तुमने तो उसकी फिटिंग दिखाई ही नहीं है तो कहाँ से देखूंगा और जब देखा ही नहीं हूं तो फिर खुशी किस बात की होगी कल तो तुमने कहा कि तुम्हारी मर्जी होगी तो दिखाओगी नहीं होगी तो नहीं दिखाओगी देखता हूँ कब तुम्हारी मर्जी होती है कि नहीं होती है।
आरती तो क्या आपने अभी तक नहीं देखी है।
राजनाथ कहाँ से देखूंगा।
आरती वहीं से जहां से आपने ब्रा की फीटिंग देखी थी। क्या वहीं पर दूसरे वाली की तस्वीर नहीं है।
राजनाथ वह तो मैने मोबाइल में देखी थी उसमें तो एक ही चीज की तस्वीर थी दूसरी वाली की कहाँ थी।
आरती वह तो आपने कल देखी थी क्या आज आपने मोबाइल खोल कर देखी।
राजनाथ नहीं आज तो मैंने तस्वीर वाली फाइल खोलकर नहीं देखी।
आरती नहीं देखी है तो पहले देख लीजिए उसके बाद बात करिए।
राजनाथ अच्छा ऐसी बात है तो अभी देख लेता हूँ फिर वह मोबाइल चालू करके उसकी तस्वीर को देखने लगता है उसने तो वह तस्वीर पहले ही देख ली थी लेकिन उसको दिखाने के लिए उसके सामने वह तस्वीर खोलकर देख रहा था ताकि आरती को लगे कि वह पहली बार उसके सामने वह तस्वीर देख रहा है।
तभी आरती पूछती है क्यों क्या हुआ तस्वीर है कि नहीं उसमें ।
तो राजनाथ कहता है कि हाँ तस्वीर तो है लेकिन तुमने मुझे बताया ही नहीं तो कैसे मालूम पड़ता कि तुमने इसके अंदर तस्वीर खींच कर रखी है।
आरती जब मैं सुबह आपसे मोबाइल मांग कर ली थी तो आपको समझ में नहीं आया कि मैने मोबाइल मांग कर क्यों रखी है।
राजनाथ मुझे कैसे समझ में आएगा कि तुम फोटो खींचने के लिए मोबाइल मांग रही हो मैं समझा कि किसी से बात करना होगा इसलिए तुमने मोबाइल मांग कर ली हो।
आरती अछा अब वह सब छोड़िए और अब यह बताइए की फिटिंग कैसी है और मैं कैसी लग रही हूं।
राजनाथ एकदम लाजवाब और परफेक्ट फिटिंग है और तुम तो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लग रही हो एकदम अप्सरा की तरह जो किसी भी पुरुष को अपने बस में कर सकती है।
यह बात सुनते ही आरती शर्मा के अपनी नज़रें नीचे कर लेती है और फिर धीरे से बोलती है क्या मैं इतनी खूबसूरत लग रही हूँ।
मैं अपनी शब्दों में बयां नहीं कर सकता तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो किसी आम इंसान की तो छोड़ो तुम उसको भी अपने बस में कर सकती हो जो सेक्स और वासना की मोह माया त्याग सन्यासी बन चुका है वह भी अगर तुमको इस रूप में देखेगा तो सब कुछ छोड़कर तुम्हारे पास दौड़ा आएगा।
आरती अच्छा ऐसी क्या खास चीज नजर आ गई इस तस्वीर को देखकर की आप मेरी इतनी तारीफ कर रहे हैं
राजनाथ कोई एक या दो चीज अच्छी रहती तो गिन के बताता ना तुम्हारे अंदर वह सारी अच्छाइयां और खूबियां हैं जो एक औरत में एक मर्द को पूरी तरह से संतुष्ट करने के लिए चाहिए वह शारी खूबियां है तेरे अंदर और यह बात मैं दावे के साथ कह रहा हूं क्योंकि मैं एक मर्द हूँ और मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि एक मर्द को एक औरत में सबसे ज्यादा अच्छी क्या लगती है।
राजनाथ की यह बात सुनकर आरती अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी और उसे शर्म भी आ रही थी।
फिर वह बोलती है कि मैं आपकी बेटी हूं इसलिए आप मेरी झूठ-मुठ की तारीफ कर रहे हैं।
अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊं कि मैं झूठ नहीं सच बोल रहा हूँ अगर मैं दूसरे को यह तस्वीर दिखा कर पूछता तो वह भी तुम्हारे सामने यही बात बोलता लेकिन मैं यह तस्वीर किसी को दिखा नहीं सकता।
तो आरती मुस्कुराते यह कहती है क्यों अगर दिखाना है किसी को तो दिखा दीजिए।
तो राजनाथ कहता है मैं इतना बेवकूफ हूँ जो किसी को दिखा दूंगा।
तो फिर आरती कहती है क्यों क्या होगा अगर दिखा देंगे तो।
तो राजनाथ कहता है कि मैं ऐसे ही किसी को अपनी बेटी की बदन की खूबसूरती की मजे लेने के लिए दे दूंगा और वह मेरी बेटी की बदन की खूबसूरती के मजे ले और मैं देखता रहूंगा ऐसी अनमोल चीज देखने के लिए बहुत बड़ी किस्मत चाहिए और मैं ऐसे ही किसी को मजे लेने के लिए दे दूंगा।
तो फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है अच्छा तो सिर्फ आप अपनी बेटी की खूबसूरती के मजे लेंगे किसी और को नहीं लेने देंगे।
तो राजनाथ गुस्सा होते हुए कहता हैं तू फिर मेरे ऊपर आ गई मैंने कब कहा कि सिर्फ मैं तुम्हारी खूबसूरती देखूंगा और किसी और को नहीं देखने दूंगा वो तो तुम कह रही थी कि दूसरे को दिखाने के लिए तो मैं वही समझा रहा था कि मेरे घर की इज्जत को कोई बाहर वाला कैसे देख सकता है तो तुम उल्टा मेरे ही ऊपर दोस्त डाल देती हो कि मैं देखना चाहता हूं।
तो आरती बात को संभालते हुए कहती है अरे बाबूजी मैं भी तो वही कह रही हूं कि हमारी इज्जत को कोई बाहर वाला क्यों देखेगा अगर आप मेरी तस्वीर या मुझे देखते हैं किसी हालत में हो तो हमारे घर की बात है गहरी ही में रहेगी इसलिए यह सब तस्वीर में आपको दिखा रही हूं क्योंकि मुझे पता है कि मेरे बाबूजी मेरी इज्जत को कभी दाग नहीं लगने देंगे।
राजनाथ अभी भी झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहता है कि अब तुम मेरे सामने बात बना रही हो।
तभी आरती को लगता है कि बाबूजी और ज्यादा गुस्सा हो जाएं उससे पहले मैं यहां से चली जाती हूं फिर वह कहती है बाबूजी आपका मालिश हो गया अब मैं जा रही हूं आप सो जाइए और वह चली जाती है सोने के लिए।
आरती के जाने के बाद राजनाथ अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था जो आज उसको अपनी बेटी की बदन की खूबसूरती की तारीफ करके जो मजा और आनंद प्राप्त हुआ था और हो रहा था उसको यह सब सो कर अलग ही एहसास हो रहा था।
उधर आरती भी अपने बाप के मुंह से अपनी इतनी तारीफ सुनकर वह अलग ही दुनिया में खोई हुई थी और यह सब सोचते सोचते दोनों बाप बेटी सो जाते हैं फिर दूसरे दिन सुबह उठकर सब अपने-अपने काम में लग जाते हैं सुबह नाश्ता पानी करके राजनाथ कुछ काम के लिए बाहर जाने लगता है तो आरती से कह देता है कि मैं दोपहर में लौटूंगा फिर आरती भी घर का सब काम खत्म करके आराम करने लगती है फिर वह आराम करने के बाद उठती है तो देखी है 12:00 बज रहा है तो फिर वह नहाने के लिए चली जाती है फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी घर वापस आता है तो बाहर का गेट लगा हुआ था तो आरती को आवाज ना देकर वह खुद ही गेट को खोल लेता है फिर वह घर के अंदर आता है तो आरती कहीं दिखाई नहीं देती और दादी भी घर में नहीं थी फिर वह पैर हांथ धोने के लिए वॉशरूम में जाता है और जैसे ही वॉशरूम के दरवाजे पर पहुंचता है तो अंदर का नजारा देखकर वह चौंक जाता है क्योंकि आरती वॉशरूम के अंदर पूरी तरह से नंगी होकर नहा रही थी और उस वक्त उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था क्योंकि उसे वक्त घर में कोई नहीं था इस वजह से वह बेफिक्र होकर नहा रही थी उसको जरा भी यह एहसास नहीं था कि आज उसका बाप उसको इस हालत में देख लेगा क्योंकि वॉशरूम में दरवाजा नहीं था इस वजह से राजनाथ सीधे जाकर दरवाजे पर खड़ा हो गया था और आरती खड़ी होकर अपने सर पर पानी डाल रही थी आंख बंद कर के और उसका मुंह दरवाजे के तरफ था इस वजह से उसका जो सारा अनमोल खजाना था वह राजनाथ को साफ-साफ दिख रहा था राजनाथ को जो उस तस्वीर में पैंटी और ब्रा की वजह से नहीं दिखता आज वह सब कुछ देख रहा था और उसकी नजर सीधे उसकी काले-काले झांट वाली चूत पर जाकर टिक गई उसकी बुर पर इतने घने बाल थे कि उसकी बुर बिल्कुल भी दिखाई नहीं दे रहा था।
फिर आरती ने जैसे ही पानी डालने के बाद अपनी आंख खोली तो सामने अपने बाप को देखकर वह हड़बड़ा गई और अपने दोनों हाथ से अपने दूध को छुपाते हुए दूसरी तरफ मुड़ गई और राजनाथ भी हड़बड़ा गया और वह भी पीछे मुड़कर सॉरी बोलकर वहां से निकल के साइड में आ गया और माफी मांगने लगा और कहने लगा मुझे माफ कर दो बेटा मुझे पता नहीं था कि तुम नहा रही हो इसलिए मैं पैर हाथ धोने के लिए आया था इसलिए मुझसे गलती हो गई मुझे माफ कर दो।
फिर आरती को भी लगने लगा कि बाबूजी ने जान बुझ कर ऐसा नहीं किया है फिर वह कहती है बाबूजी मैं जानती हूं की आप जानबूझकर ऐसा नहीं कर सकते इसलिए आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है बस आप थोड़ी देर रुकिए मेरा नहाना हो गया है मैं कपड़े पहन कर बाहर आती हूं फिर आप अपना पैर हाथ धो लेना।
तो फिर राजनाथ कहता है कोई बात नहीं बेटा मैं घर में जाकर बैठता हूँ तुम आराम से नहा कर आना कोई जल्दी नहीं है फिर वो वहाँ से चला जाता है।
फिर आरती अपने कपड़े पहने लगती है और वह सोचती है कि यह मेरे साथ आज क्या हो गया बाबूजी ने आज मुझे पूरी तरह से नंगा देख लिय वो क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में अब मैं कैसे जाऊंगी उनके सामने।
उधर राजनाथ के मन मे उथल-पुथल मचा हुआ था और वह भी यही सोच रहा था की आरती मेरे बारे में क्या सोच रही होगी कहीं उसको ऐसा तो नहीं लग रहा होगा कि मैने यह सब जानबूझकर तो नहीं किया।
फिर आरती नहा के घर में जाती है तो देखती है राजनाथ बाहर बरामदे में नहीं है तो वह सोचती है कि शायद अपने कमरे में होंगे फिर उसके कमरे की तरफ जाती है और दरवाजे के पास जाकर धीरे से आवाज देती है बाबूजी मेरा नहाना हो गया अब जाकर अपना पैर हांथ धो लीजिए।
अंदर से राजनाथ आवाज देता है हाँ बेटा आ रहा हूं। और वह पर हांथ धोने के लिए चला जाता है।
अब आगे की कहानी अगले भाग में।
Wow
एकदम सही