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भाग 10
फिर राजनाथ पेशाब करने के बाद अपने लंड को अच्छी तरह से ऊपर नीचे करके डोलाया फिर अपने मुट्ठी में पकड़ के ऊपर से नीचे तक दो-तीन बार उसको सहलाया फिर वह अपनी पैंट उठाकर पहनने लगा ।
तो आरती समझ गई कि अब बाबूजी बाहर आएंगे और इधर ही से जाएंगे तो मुझे दूसरी तरफ जाकर छुपना पड़ेगा फिर वह बाथरूम के दूसरी तरफ जाकर छिप जाती है फिर राजनाथ पेशाब करने के बाद वह अपने कमरे में सोने के लिए चला जाता है।
राजनाथ के जाने के बाद आरती फिर बाथरूम के अंदर जाती है और जाकर उसे जगह को गौर से देखने लगती है और मन ही मन सोचती है और कहती है कि मेरे बाबूजी ने अभी यहीं खड़े होकर अपने मोटे लंड से मूत रहे थे और अब मैं भी उसी जगह पर मुतने जा रही हूं फिर वह सोचती है कि हम दोनों बाप बेटी का शरीर एक दूसरे से नहीं मिल सकता लेकिन आज हम दोनों का पेशाब जरूर एक दूसरे से मिलेगा यह सोचते हुए उसने अपनी साड़ी को ऊपर उठाकर मुतने के लिए बैठ गई और अपनी चूत से मोटी धार छोड़ते हुए , छर,छर करके मुतने लगी फिर पेशाब करने के बाद वह उठी और उठकर अपने कमरे में चली गई और वह सोने की कोशिश करने लगी लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने उसका बाप का लंड आ रहा था और वह सोच रही थी कि मेरे बाबूजी के पास इतना बड़ा लंड है और मैं एक छोटे-मोटे लंड के लिए तरस रही हूं लेकिन मुझे वह भी नहीं मिल रहा यह भी किस्मत किस्मत की बात है।
मेरा बाप मशीन गंज लेकर घूम रहा है और मैं उसकी बेटी एक छोटा सा पिस्तौल के लिए भी तरस रही है। यह सब सोंचते हुए उसे नींद आ जाती है।
फिर सुबह उठकर वह अपने काम में लग जाती है और राजनाथ भी सुबह उठकर और नाश्ता पानी करके वह अभी किसी काम से बाहर चला जाता है फिर कुछ देर के बाद आरती को उसकी गइया कि गगाने की आवाज आती है जो घर के पीछे बंधी हुई थी और वह रह, रह के बार-बार आवाज दे रही थी फिर आरती ने सोचा कि गइया बार-बार क्यों आवाज दे रही है तो उसने जाकर देखा तो वह गइया नहीं थी बल्कि बछिया थी यानी उस गइया की बड़ी बेटी जो अब जवान हो चुकी थी लेकिन अभी तक उसने कोई बच्चा नहीं दिया था वही बछिया रह-रह के आवाज कर रही थी तो आरती को समझ में नहीं आया कि यह क्यों बार-बार आवाज दे रही हैं। तो वह अपनी दादी को जाकर बोली दादी दादी वो जो अपनी बछिया है वह बार-बार गगा रही है।
तो दादी ने पूछा और कहा की बछिया गगा रही है क्यों क्या हुआ उसको काहे गगा रही है।
तो आरती बोली पता नहीं हमको तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है काहे गगा रही है अब आप ही चल कर देखो आपको कुछ समझ में आ जाए। फिर दादी बोली अच्छा ठीक है चल मेरे साथ में चल कर देखती हूं की क्या हुआ है उसे। फिर दोनों उसके पास जाती है और दादी बछिया को चारों तरफ घूम के देखने लगती है फिर भी उनको कुछ समझ नहीं आ रहा था तभी उनकी नजर बछिया की पूछ पर गई जो बछिया अपनी पूछ को बार-बार उठा रही थी फिर दादी उसके पीछे जाती है और उसके प्राइवेट पार्ट को यानी उसकी योनि को गौर से देखने लगती है तो वह समझ जाती है कि इसकी योनी फूल गई है और इसका रंग भी हल्का-हल्का बदल गया है और छूने से नरम भी लग रहा है।
फिर आरती पूछती है क्या हुआ दादी कुछ समझ में आया कि नहीं। तो फिर दादी बोलती है हां हमारी समझ में आ गया है और कहती है की बछिया गरमा गई है यानी गरम हो गई है और यह बच्चा देने के लायक हो गई है इसलिए यह बार-बार आवाज दे रही है। तो फिर आरती बोलती है कि अब क्या करना पड़ेगा।
तो दादी बोलती है कुछ नहीं इसको सांढ़ के पास लेकर जाना पड़ेगा, तो फिर आरती पूछती है कि सांढ़ के पास क्यों लेकर जाना पड़ेगा, तो फिर दादी बोलती है रे बेवकूफ सांढ़ के पास नहीं तो क्या गधे के पास लेकर जाएगी और सुन राजनाथ आएगा तो उसको बोल देना बछिया को सांढ़ के पास लेकर जाने के लिए।
तो फिर आरती बोलती है कि मैं नहीं कहूंगी आप ही उनको बोल देना। तो फिर दादी बोलती है कि ठीक है जब तुमको शर्म आ रहा है बताने में तो मैं ही उसको बोल दूंगी, वैसे वह गया कहां है। तो आरती बोलती है पता नहीं गए होंगे कहीं कुछ काम से।
आरती- फिर घर के काम लग जाती है फिर दोपहर को राजनाथ बाहर से आता है फिर खाना खाने के बाद आराम करने जा रहा था तो आरती उसको बछिया वाली बात बताती है और बोलती है बाबूजी और दादी बछिया को दिखाने के लिए बोल रही थी। तो राजनाथ पूछता है बछिया को कौन बछिया को, तो आरती बोलती है कि अपनी बछिया है उसको, तो राजनाथ बोलता है कि अपनी बछिया को क्या हुआ उसको और कहां दिखाने के लिए बोल रही थी। तो आरती धीरे से शरमाते हुए बोली की जी वो दादी उसको सांँढ़ के पास लेकर जाने के लिए बोली है।
तो राजनाथ उसको बोलता हैं कि यह तू क्या बोल रही है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
तो फिर आरती बोलती है कि आप खुद ही जाकर देख लीजिए ना उसको सुबह वो गगाय रही है।
तो फिर राजनाथ बोलता है कि ठीक है मैं जाकर देखता हूं फिर वह देखने के लिए घर के पीछे में जाता है जहां वह बंधी हुई थी फिर वह उसको गौर से चारों तरफ देखा है तो उसको भी समझ में आ जाता है कि यह गरमा गई है हीरो आरती के पास वापस आता है और बोलता है कि हां मैंने उसको देख लिया है वह अब गरमा गई है उसको साँढ़ को दिखाना पड़ेगा तो मैं उसको शाम में दिखा दूंगा, दिखा क्या दूंगा उसको यहीं पर ले आऊंगा वो तो इधर ही बस्ती में घूमता रहता है।
आरती समझ गई कि बाबूज किसकी बात कर रहे हैं वह उस काले साँढ़ की बात कर रहे हैं जो हमारे ही बस्ती का है जो आवारा घूमता रहता है इधर-उधर और उसका सिर्फ दो ही काम है इधर-उधर घूम कर खाना और दूसरा काम है हमारी बस्ती की जितनी भी गायें हैं उन सब को प्रेग्नेंट करना यानी की गाभिन करना।
फिर शाम के 4:00 के करीब राजनाथ उस साँढ़ को खोज के लाता है साँढ़ जैसे ही गेट के अंदर आता है तो इधर-उधर अपना मुंडी घूम के देखने लगत है वो अपनी भाषा में यही सोच रहा होगा कि मुझे यहां क्यों लाया गया है यहां तो कोई गाय भी नहीं है। राजनाथ फिर गेट को अंदर से बंद कर देता है ताकि निकल के भाग ना सके फिर राजनाथ सोचता है की बछिया को यही आंगन में लाकर बांधना पड़ेगा पीछे वहां जगह नहीं हो सकेगा फिर वह घर के पीछे से बछीया को लाने के लिए जाता है।
तभी आरती घर के अंदर से बाहर आती है तो वह साँढ़ को देखकर चौंक जाती है और उसकी भारी भरकम शरीर देखकर सोचने लगती है और कहती है कि हमारी बछिया तो इसके सामने एकदम बच्ची लगेगी वो तो इसका वजन भी नहीं रोक पाएगी जब यह उसके ऊपर चढ़ेगा तो वह तो इसके नीचे दब के मर जाएगी।
तभी राजनाथ बछिया को लेकर आता है और वही आंगन के दीवार के साइड में एक खूटा उसी में उसको बांध देता है । साँढ़ जैसे ही बछीया को देखा है तो वह दौड़कर उसके पास जाता है और जाते ही उसकी प्राइवेट पार्ट को सुनने लगता है यानी उसकी योनि, या चूत, बूर जो भी बोले अपनी मुंह और नाक से सूंघने लगा, और बछिया भी अपनी पूछ उठाकर आराम से उसको सुंघने दे रही थी और साँढ़ बार-बार उसको सूंघ रहा था शायद वह सूंघ कर यह जानने की कोशिश कर रहा था कि आज मैं जिसकी सील तोड़ने जा रहा हूं क्या वह पूरी तरह से तैयार है कि नहीं।
कुछ देर सूंघने के बाद उसको तसल्ली हो ही जाता है कि यह लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है फिर वह अपना लंबा हथियार निकलता है उसकी लंबाई करीब करीब 1 फीट से ज्यादा ही होगा। फिर वह चढ़ने की कोशिश करता है और चढ़ ही जाता है। लेकिन वह अंदर नहीं जा रहा था क्योंकि उसका निशाना सही से नहीं लग पा रहा था, और बछिया उसकी भारी वजन को बहुत मुश्किल से ही संभाल पा रही थी, जब साँढ़ का लिंग अंदर नहीं गया तो वह उतर गया। और उतर कर फिर सुंघने लगा और सुंघने के बाद एक बार फिर से चढ़ गया और इस बार निशाना सही जगह पर लगा और निशान लगते ही एक जोरदार झटका के साथ पूरा का पूरा अंदर कर दिया अंदर करते ही बछिया का पूरा शरीर सिकुड़ गया शायद इस वजह से की झटका ज्यादा जोर का था, झटका तो था ही एक वजह यह भी थी की आज पहली बार उसके पेट के अंदर में कोई इतना बड़ा सामान गया था इस वजह से वह संभाल नहीं पाई। कुछ देर इस तरह अपनी पीठ को ऊपर और अपनी पेट को अंदर सिकुडे़ हुए खड़ी रही साँढ़ ने जब उसके पेट के अंदर अपना बीज डालकर अपना सामान बाहर निकाला तो उसके साथ-साथ उसका लंड का पानी और बछिया की चूत का पानी दोनों का पानी एक साथ मिलकर उसकी चूत से निकल रहा था इधर साँढ़ अपना काम कर रहा था, और राजनाथ वहीं सामने बैठकर यह सब देख रहा था ,और उसके पीछे आरती घर के अंदर से छुप कर यह सब देख रही थी।
इधर साँढ़ अपना काम करते हुए आज वह एक और कुंवारी बछिया का सील तोड़ चुका था। और वह एक बार फिर से उसके अंदर अपना लंड घुसाने की तैयारी में था और देखते ही देखते वह फिर से चढ़ जाता है और इस बार भी उसने सही निशाना लगाया और एक जोरदार झटका मार देता है और शायद इस बार झटका कुछ ज्यादा तेज था इस वजह से बछीया उसको संभाल नहीं पाई और वह गिर गई तब तक साँढ़ अपना काम कर चुका था और अपना बीज एक बार फिर उसके बच्चेदानी में डाल चुका था।
और यह सब आरती घर के अंदर से छुप कर देख रही थी और यह सब देखकर उसके शरीर में सीहरन पैदा होने लगती है और वह साँढ़ को देखकर मन ही मन सोचती है कि काश मेरा भी पति ऐसा ही ताकतवर होता ।
आगे की कहानी अगले भाग में
भाग 12
फिर सुबह जब आरती सो कर उठी और उठकर आंगन मे आई तो उसने देखा की साँढ़ और बछिया दोनों एक ही जगह पर बैठे हुए हैं फिर आरती को देखने के बाद बछिया उठकर खड़ी हो गई तो आरती ने उसे बछिया को गौर से देखा तो उसको देखकर ऐसा लगा कि जब कोई लड़की की शादी होती है और शादी के बाद सुहागरात मानती है सुहागरात मनाने के बाद सुबह उसकी जो हालत होती है जैसे बिखरे हुए बाल पूरा मेकअप उतरा हुआ उसके होंठ के लिपस्टिक पूरे गाल में लेशराया आया हुआ बिल्कुल उसी तरह की हालत बछिया की लग रही थी।
साँढ़ ने कल शाम से लेकर आज सुबह तक उसके साथ जो किया था उसका निशान बछिया के पूरे शरीर में दिख रहा था साँढ़ के लंड का पानी का छींटा उसके शरीर में जो पड़ा था उससे उसका शरीर पूरा लट लट हो गया था और साँढ़ जो अभी तक बैठा हुआ था वह भी उठकर खड़ा हो गया और खड़ा होते ही उसने फिर से बछिया के पीछे गया और उसकी बुर को मुंह लगाकर सुंघने लगा और बछिया भी अपना पूछ उठाकर उसको अच्छी तरह से सुंघने दे रही थी जब आरती ने बछिया की बुर को देखा तो वह देखते ही चौंक गई क्योंकि बछिया की बुर बहुत ज्यादा फूल गई थी और उसे हल्का-हल्का पानी भी चू रहा था और साँढ़ उसको अपने मुंह से हल्का-हल्का रगड़ते हुए सुंघ
रहा था, तभी बछिया ने अपना पीछे का पैर दोनों हल्का फैलाया और थोड़ा नीचे झुक कर पेशाब करने लगी तभी साँढ़ ने अपना मुंह उसके नीचे लगाया और उसकी पेशाब को अपने मुंह और नाक में भरके और मुंह ऊपर करके सुंघने लगा, और यह सब देखकर आरती को भी अच्छा लग रह था।
फिर राजनाथ भी सो के उठ गया और उठकर के आंगन में आया तो उसको देखते ही आरती वहां से भाग गई और जाकर अपने काम में लग गई।
फिर राजनाथ बाथरूम में शौचालय करने के लिए चला गया फिर शौचालय से बाहर आने के बाद वह बाहर टहलने के लिए जा रहा था तो उसने सोचा कि सांड को भी साथ में ही लेकर चलता हूं उसको उधर ही छोड़ दूंगा, फिर वह हाथ में छड़ी लेकर साँढ़ को बाहर निकालने के लिए गया तो वह अभी भी जाने के लिए तैयार नहीं था तो जब राजनाथ ने उसके साथ जबरदस्ती की तब जाकर वह जाने के लिए तैयार हुआ और फिर बाहर चला गया।
फिर कुछ घंटे के बाद राजनाथ बाहर से घूम फिर क्या आया तो आरती घर में नाश्ता बना रही थी, फिर वह बाहर आई तो राजनाथ को देख कर बोली बाबूजी आप आ गए आप मुह हांथ धो लीजिए तब तक मैं नाश्ता रेडी करती हूं ।
फिर राजनाथ मुह हांथ धोने चला गया फिर वह मुह हांथ धो करके आया और आ के बरामदे में चौकी पर बैठ गया फिर कुछ देर बैठने के बाद उसने आरती को आवाज लगाई और बोला बेटा आरती मैने मुह हांथ धो लिया है अगर नाश्ता हो गया हो तो ले आओ।
तभी आरती ने अंदर से जवाब दीया जी बाबूजी अभी लेकर आती हूं।
जब तक आरती नाश्ता लेकर आती तभी राजनाथ की नजर आंगन में बंधी बछिया के ऊपर गई जो अभी भी वही बंधी हुई फिर उसने बछिया को गौर से देखने लगा और उसको देखकर मुस्कुराने लगा फिर उसने घर के अंदर रसोई जिधर था उधर देखने लगा तो उसने देखा की आरती नाश्ता लेकर आ रही तभी उसके मन में एक शरारत सूझी, और जैसे ही आरती उसके करीब आई नाश्ता देने के लिए तो राजनाथ ने बछिया की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला कि लगता है साँढ़ ने अपना काम बहुत अच्छे से किया है, मेरा मतलब है खेत की जुताई बहुत अच्छे से की है और लगता है कि खेत के हिसाब से उसमें बी कुछ ज्यादा ही डाल दिया है इसलिए बह के सब बाहर आ रहा है । यह बात बोलकर वह उसकी तरफ देखा है।
तो आरती अपना मुंह छुपा कर शरमाते हुए वहां से जाने लगती है और वह समझ जाती है कि बाबूजी क्या बोल रहे हैं।
और राजनाथ मुस्कुराते हुए उसको जाते हुए पीछे से देख रहा था और मुस्कुराने लगा और वह समझ गया की आरती को भी मेरी बात समझ में आ गई फिर वह नाश्ता करने लगा फिर नाश्ता करने के बाद कुछ देर आराम करने लगा।
फिर कुछ देर के बाद आरती उसके पास आई और बोलि बाबूजी आज आप बाजार जाएंगे क्या , तो राजनाथ उसकी तरफ देखते हुए बोला नहीं बेटा आज तो बाजार जाने का नहीं है क्यों क्या हुआ कुछ काम है क्या मेरा मतलब कुछ मंगवाने का है क्या।
तो आरती अपनी नज़रें नीचे करते हुए बोलत नहीं कुछ खास काम नहीं था मैं सोच रही थी की सायद आज आप बाजार जाएंगे इसलिए मैं पूछ रही थी।
तो राजनाथ समझ गया कि जरूर कुछ काम है तभी पूछ रही है तो राजनाथ ने फिर से उसको पूछा बेटा बताओ कुछ काम है क्या अगर कुछ मंगवाना है तो बोलो मैं जाकर ले आऊंगा।
तो आरती शरमाते हुए धीरे से बोलती है जी, जिओ, मे, मेरा पीरियड चालू हो गया है , और मेरे पास पीरियड में लेने के लिए पैड नहीं है इसलिए मैं आपसे पूछ रही थी ला देंगे क्या।
तो राजनाथ बोलता है की अरे इसमें पूछने वाली क्या बात तुम सीधे-सीधे हमको बोल सकती थी कि बाबूजी यह चीज लाना है ला दीजिए तो इसमें शर्माने की क्या बात है ठीक है मैं अभी जाकर के ला देता हूं , तो राजनाथ फिर से बोलता है कि और कुछ मंगवाना है क्या ।
तो आरती बोलती है कि जी एक चीज और मंगवाना है।
तो राजनाथ बोलता है कि हां बोल ना और क्या चीज मंगवाना है।
तो आरती फिर से शरमाते हुए बोलती है कि जी मेरा दो पीस पैंटी भी ला दीजिएगा।
तो राजनाथ बोलता है ठीक है ला दूंगा और कुछ ।
तो फिर आरती बोलती है की जी बस और कुछ नहीं।
फिर राजनाथ उठकर अपना कपड़ा पहना है तैयार होकर वह मार्केट चला गया लाने के लिए फिर वह मार्केट पहुंचकर एक मेडिसिन स्टोर पर गया लेने के लिए तो उसने देखा कि उसे दुकान पर कुछ ज्यादा ग्राहक थे तो उसको पैड मांगने में शर्म आ रही थी इसको यह सोचकर शर्म आ रही थी कि अगर मैंने पैड मांगा तो वह लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे कि बुढा इस उम्र में पैड किसके लिए खरीद रहा है लगता है नई-नई शादी की है । क्योंकि पहली बीवी तो इसकी जवान तो होगी नहीं जो उसके लिए खरीदेगा लगता है इसकी पहली बीवी मर गई होगी तो इसने दोबारा शादी की है ।
राजनाथ को यह सब सोंच कर बहुत शर्म आ रही थी और वह दुकानदार को कुछ बोल नहीं पा रहा था फिर कुछ देर खड़ा रहने के बाद उसने सोचा कि अभी रहने देता हूं पहले पैंटी जाकर खरीद लेता हूं उसके बाद आकर देखूंगा अगर भीड़ कम हुई तो लूंगा नहीं तो दूसरे दुकान में जाकर देखूंगा।
यह सोचकर वह वापस आया और फिर वह एक कपड़े के दुकान में गया जहां और कोई ग्राहक नहीं था फिर वह दुकान के अंदर गया और अंदर जाने के बाद कुछ सेकंड खड़ा रहा और अपनी नजर इधर-उधर दौड़ा कर देखने लगा कि कहीं पैंटी नजर आ रही है क्या।
तो फिर दुकानदार ने उसको देखकर पूछा जी भाई साहब बोलिए क्या लेना है आपको दुकानदार भी उसी की उम्र का था इसलिए राजनाथ ने भी कोई संकोच नहीं की और उसने बोला कि जी हमको लेडिस के लिए कपड़े चाहिए ।
तो दुकानदार ने पूछा जी बोलिए कौन से कपड़े चाहिए आपको ।
तो फिर राजनाथ ने बोला कि जी हमको दो पीस पैंटी चाहिए।
तो फिर दुकानदार ने पूछा की आपको कैसी पेटी चाहिए नार्मल में चाहिए या अच्छी क्वालिटी का चाहिए मेरा मतलब है कम दाम वाला चाहिए कि जयादा दाम वाला चाहिए।
तो फिर राजनाथ ने बोला कि जी नहीं अच्छा वाला दीजिए आप दाम की फिक्र मत कीजिए जितना भी दाम होगा हम देंगे।
तो दुकानदार ने बोला कि जी इसलिए पूछना पड़ता है कि बहुत से ग्राहक सस्ता वाला खोजते हैं हर ग्रहांक आपकी तरह समझदार नहीं होता कुछ लोग समझते हैं कि ज्यादा दाम वाला लेकर क्या फायदा अंदर में ही तो पहनना है उसको कौन देखने वाला लेकिन वह यह नहीं समझ पाते की कपड़ा अंदर का हो या बाहर का आप जितना अच्छा कपड़ा अपनी बीवी को पहनाएंगे उतना ही बीवी आपको ज्यादा प्यार करेगी और ज्यादा आपको खुश रहेगी लेकिन कुछ लोग यह बात नहीं समझ पाते।
फिर दुकानदार ने एक डब्बा निकाला जिसमें बहुत कलर की पैंटी थी।
दुकानदार ने बोला ऐ लीजिए जी कौन सा कलर का लेना है ले लीजिए।
फिर दुकानदार में पूछा कि अपने साइज तो बताया ही नहीं कितनी साइज की चाहिए आपको ।
यह बात सुनते ही राजनाथ चौक गया और सोचने लगा कि मैंने तो पैंटी की साइज पूछी ही नहीं अब मैं क्या करूंगा फिर उसने कहा कि जी मुझे साइज तो मालूम नहीं है।
तो फिर दुकानदार ने बोला कि आपने पहले तो खरीदा होगा ना आपको तो याद होनी चाहिए साइज क्या है अगर आपको अपनी बीवी का साइज का पता नहीं होगा तो क्या दूसरे को पता होगा।
अब राजनाथ भी सोंच में पड़ गया कि इसको क्या जवाब दूं कि मैं अपनी बीवी के लिए नहीं मैं अपनी बेटी के लिए खरीद रहा हूं फिर उसने अपनी बेटी आरती को याद करते हुए सोचने लगा कि उसको कितनी साइज की बन सकती है फिर उसने अंदाजा लगाया कि वो जितनी पतली दुबली है उस हिसाब से 32 से ज्यादा नहीं होगी उसकी साइज फिर उसने दुकानदार से बोला कि जी 32 का दे दीजिए 32 का उसको बनता है।
तो दुकानदार ने फिर से उसको पूछा और बोला कि आप सायज भूल तो नहीं रहे क्योंकि 32 बहुत छोटी साइज है क्योंकि 32 सायज तो लड़कियों के लिए होती है।
तो राजनाथ में बात को संभालते हुए बोला कि जियो बहुत पतली दुबली है आप टेंशन मत लीजिए आप 32 साइज की दे दीजिए।
तो दुकानदार ने पूछा कि कौन सा कलर का लेना है तो राजनाथ ने बोला कि की सफेद कलर की दे दीजिए फिर उसने दो सफेद कलर की पैंटी ली और फिर और वहां से निकल गया फिर वह एक दवा दुकान में गया जहां कोई और ग्राहक नहीं था तो उसने बोला की जि हमको एक पैकेट पैड दे दीजिए।
फिर दुकानदार ने उसको एक पैकेट पैड़ दिया और वह लेकर वहां से निकल गया फिर वहां से कुछ दूर और जाने के बाद वह एक फल दुकान में गया और वहां से उसने कुछ फल फ्रूट लिए और फिर वापस घर आने के लिए निकल गया।
इधर आरती यह सोच कर शर्मा रही थी कि आज मैंने बाबूजी को वह सब लाने के लिए बोल दिया वह मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे कि मेरी बेटी मुझे अपनी पैंटी और पैड खरीदने के लिए भेज दिया।
फिर कुछ देर के बाद राजनाथ घर आ गया और वह सब समान आरती को दे दिया।
फिर आरती वह सब सामान लेकर घर के अंदर चली गई फिर वह उसमें से एक पैंटी और पैड निकाल कर बाथरूम में चेंज करने के लिए जा रही थी तो राजनाथ उसको उधर जाते हुए देख कर समझ गया की आरती मेरा लाया हुआ पैंटी और पैड पहनने जा रही है यह सोचकर वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था तभी उसके पजामे के अंदर में सोया हुआ उसका लंड महाराज अपना मुंडी धीरे-धीरे उठाने लगा था राजनाथ यह सब सोच रहा था तब तक आरती बाथरूम में चली गई
राजनाथ उसको जाने के बाद उसने अपना हाथ पजामे के ऊपर से ही अपने लंड पर चलाने लगा और जैसे ही उसका हाथ उसके लंड को छुआ वह सन सना के खड़ा हो गया और झटका मारने लगा मानो कह रहा हो कि मुझे उस छोटे से बिल का दर्शन कराओ मुझे उसने घुसना है राजनाथ भी उसको कंट्रोल नहीं कर पा रहा था तो वह अपने कमरे में गया और अपना पजामे का नारा खोल दिया और अपने लंड को पूरी तरह से आजाद कर दिया उसके कमरे में पूरा अंधेरा था तो वह दरवाजे के पीछे खड़े हो कर आरती को देखने लगा की वह बाथरूम से कब बाहर आएगी और अब तक उसका लंड भी पूरे जोश में आ चुका था और वह अपना मूंडी बार-बार झटका मारते हुए ऊपर नीचे कर रहा था और राजनाथ भी रह रह के अपना हाथ से उसको सहला देता है जिससे वह और जोश में आ जाता है।
फिर राजनाथ के मन मे यह सवाल आने लगते हैं और वह सोचने लगता हैं कि क्या यह सब सही है जो मैं अपनी बेटी के बारे में सोच रहा हूँ नहीं मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए था और वह अपने आप को समझाने लगता है कि मैं अपनी बेटी के साथ यह सब नहीं कर सकता और यह सब सोचते ही उसका लंड भी धीरे-धीरे शांत होने लगता है और वह पूरी तरह से शांत हो जाता फिर वह अपने पैजामे को ऊपर उठाकर बांध लेता है जब तक आरती बाथरूम से बाहर आती उससे पहले राजनाथ घर से निकल कर कहीं बाहर घूमने के लिए चला जाता है।
आगे की कहानी अगले भाग।
Exactly real waala fun in seduction n slowly going. Once sex is done charm in a story also over. But most of readers want only sex that's because writer get force to write such stories only.Bhai great story .....slow seduction with more conversation...I like this type of stories....seduction ko lamba rakhna bhai...sex jaldi mat karwana....conversation ko erotic rakhna....story and writing skills jabardast hai....aur plz koi baharwala beti k maze na le..