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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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भाग २०
राजनाथ आरती से पूछता है उस ब्रा और पेंटी के बारे में जो आज ही उसने आरती को एक दर्जन खरीद कर दिया था उसी की साइज के बारे में की पहन कर देखा कि नहीं।

आरती जवाब देती है कि नहीं पहनकर तो नहीं देखा और पहन कर देखने की क्या जरूरत है साइज देखकर लिया है तो ठीक ही होगा।

राजनाथ फिर भी एक बार पहन कर देख लेना चाहिए कहीं अगर बड़ा छोटा हो गया तो फिर बाद में दिक्कत होगा।

आरती ठीक है आप कह रहे हैं तो पहन कर देख लूंगी फिर आरती मुस्कुराते हुए कहती है क्या आप आप भी ब्रा और पैंटी की फिटिंग देखेंगे।

राजनाथ नहीं मै क्यों देखुंगा तुम खुद पहन कर देख लो की फिटिंग सही है कि नहीं।


आरती क्यों आप नहीं देखेंगे उसकी फिटिंग।

राजनाथ नहीं मैं क्यों देखूंगा तुम्हारे कपड़े हैं तुम खुद पहन कर देख सकती हो की फिटिंग सही है कि नहीं तो फिर मैं क्यों देखुंगा।


आरती तो फिर आपने इससे पहले वाली ब्रा और पैंटी की फिटिंग क्यों देखी थी।

राजनाथ वह तो मैंने पहली बार तुम्हारे लिए लाया था तो मुझे तुम्हारी साइज के बारे में पता नहीं था इसलिए मैने पूछा था की फिटिंग सही है कि नहीं मैंने तुमको दिखाने के लिए नहीं कहा था वो तो तुमने खुद अपनी मर्जी से दिखाई थी इसलिए मैंने देखा था।


आरती अच्छा तो मैं अपनी मर्जी से दिखाऊंगी तो आप देखेंगे।

राजनाथ नहीं मैं नहीं देखूंगा क्योंकि देखने की जरूरत नहीं।

आरती ठीक है नहीं देखना चाहते हैं तो मत देखिए अब आपका मालिश हो गया अब मैं जा रही हूँ सोने के लिए


फिर वह चली जाती है सोने के लिए उसके जाने के बाद राजनाथ सोचने लगता है है कि क्या मैने सही किया उसको मना करके या मुझे हाँ बोल देना चाहिए उधर आरती अपने बेड पर सोते हुए सोचने लगती है कि क्या बाबूजी सच में देखना नहीं चाहते या सिर्फ ऊपरी मन से मुझे दिखाने के लिए ऐसा कह रहे हैं क्योंकि मैं उनकी बेटी हूँ इसलिए या फिर वो मुझे देखना चाह रहे हो लेकिन बाप बेटी के रिश्ते की वजह से वो पीछे हट रहे हैं नहीं तो दुनिया में ऐसा इंसान या मर्द नहीं होगा कि वो इतना शरीफ हो कि उसके सामने एक जवान और खूबसूरत लड़की आकर उसको अपनी बदन की खूबसूरती दिखाएं और उसे देखने से मना कर दे।

आरती अपने आप को अपनी बदन की खूबसूरती दिखाने के लिए तैयार थी लेकिन राजनाथ अभी भी झिझक रहा था वह आगे बढ़ने से लेकिन आरती धीरे-धीरे अपने बाप के प्रति आकर्षित हो रही थी और वह मन ही मन चाह रही थी कि राजनाथ उसकी बदन की खूबसूरती को देखें और उसकी तारीफ करें और ऐसी सोच उसके दिल और दिमाग में आने का एक ही कारण था कि जो प्यार और दुलार उसके पति से मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा था और दूसरी वजह यह थी कि वह राजनाथ के घर में अकेली और उसके साथ रह रही यहां उन दोनों को कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं था दादी थी लेकिन वह इतना समझ नहीं पाती थी इन दोनों बाप बेटी के बीच में क्या चल रहा है और उसका ज्यादा वक्त इधर-उधर घूमने में ही बीत जाता है इस वजह से दोनों बाप बेटी को उससे कोई ज्यादा फर्क भी नहीं पड़ रहा था और जब एक जवान मर्द और एक जवान औरत दोनों एक ही साथ एक ही घर में लंबे समय तक रहते हैं तो स्वाभाविक तौर पर दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो ही जाएंगे चाहे उन दोनों के बीच कोई भी रिश्ता हो जैसे-जैसे दोनों एक दूसरे के करीब आते जाएंगे वैसे-वैसे दोनों के दिल और दिमाग पर जिस्म की भूख हावी होने लगे लगेगा और यह भूख इतना बढ़ जाएगा कि दोनों को एक दूसरे की जिस्म की भूख मिटाना ही पड़ेगा।

और आज आरती और राजनाथ के साथ यही हो रहा है कि ना चाहते हुए भी दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो रहे हैं इसी वजह से राजनाथ जब अपनी बेटी को और उसकी बदन को देखा है तो उसके मन में भी आता है कि वह बाप बेटी के रिश्ते की दीवार को गिरा दे लेकिन वह अपने आप को यह सोचकर रोक लेता है कि दुनिया और समाज वाले क्या सोचेंगे और फिर वह मेरी बेटी है मैं अपनी बेटी के साथ ऐसा नहीं कर सकता।

लेकिन दूसरी तरफ आरती को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की दुनिया और समाज वाले मेरे बारे में क्या सोचेंगे और नहीं उसको इस रिश्ते से कोई फर्क पड़ रहा था कि वह दोनों बाप बेटी है।

और इसी तरह दोनों बाप बेटी अपने अपने ख्यालों में खोए हुए दोनों को नींद आ जाती है फिर सुबह उठकर सब अपने-अपने काम में लग जाते हैं राजनाथ सुबह नाश्ता पानी करके कहीं बाहर चला जाता है अपने काम से इधर आरती अपना खाना-वाना बनाने में लग जाती है खाना बनाने के बाद वह नहाने धोने में लग जाती है नहाने के बाद और अपना नाश्ता करती है और नाश्ता करके फिर कुछ देर आराम करने लगती है तब तक दोपहर हो जाता है और फिर राजनाथ भी घर आ जाता है और फिर आरती उसको खाना खाने के लिए कहती है और फिर उसको खाना लाकर देती है।

फिर राजनाथ चुपचाप खाना खाने लगता है खाते-खाते पूछता है की दादी कहां गई है तो आरती जवाब देती कि पता नहीं सुबह नाश्ता करके निकली हुई है किसी के घर में बैठी हुई होगी।

राजनाथ तुमने खाना खाया कि नहीं।

आरती आपने खाना खाया नहीं मैं ही पहले खा लूंगी सुबह नाश्ता किया है आपके खाने के बाद खा लूंगी।

राजनाथ खाना खाने के बाद वही बरामदे में चौकी के ऊपर लेट कर आराम करने लगता है आरती राजनाथ को लेते हुए देखकर उसके दिमाग में ख्याल आता है की दादी अभी घर में नहीं है और सिर्फ हम दोनों ही बाप बेटी हैं तो क्यों ना इस पल का थोड़ा बहुत फायदा उठा लिया जाए यह सोचकर वो राजनाथ के पास जाती है और कहती है बाबूजी सो गए क्या तो राजनाथ अपनी आंख बंद कर लेटा हुआ था तो आंख खोल कर आरती को देखते हुए कहता है नहीं क्यों क्या हुआ।

आरती नहीं मैं पूछ रही थी कि आपका पैर दबा दूं क्या मैं सोच रही थी की आप आप बाहर से आए हैं तो थक गए होंगे इसलिए दबा देती हूं।

राजनाथ उसकी आंखों में देखते हुए कहता है क्या बात है आज मेरे ऊपर बड़ा प्यार आ रहा है क्या बात हो गई आज।

आरती कुछ नहीं क्या बात होगी आप मेरे बाबूजी हैं आपके ऊपर प्यार नहीं आएगा तो किसके ऊपर आएगा आप मेरे लिए इतना सब कुछ करते हैं तो क्या मैं आपका पैर भी नहीं दबा सकती।


राजनाथ वह तो ठीक है लेकिन मुझे तो अभी थकान महसूस नहीं हो रही है अगर फिर भी तो दबाना चाह रही है तो दबा दो लेकिन दादी आ गई तो फिर क्या होगा।

आरती तो क्या होगा मैं बोल दूंगी की पैर ही तो दबा रही हूं और कुछ थोड़ी कर रही हूं।

राजनाथ वो तुमको नहीं वह मुझे चार बात सुनाएगी और रहेगी कि ऐसा क्या कमाई करता है कि रात में भी पैर दबवाता और दिन में भी दबवा रहा है इसलिए जा और देख कर आवो कि बाहर वाला गेट बंद है कि नहीं फिर आरती संगे संग जाती है बाहर वाला गेट बंद करके आ जाती है और कहती है कि मैं गेट बंद कर दिया अब आपको कोई दिक्कत तो नहीं होगी ना।

राजनाथ नहीं अब मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी अब तुम जितना पैर दबाना चाहती है दबा सकती हो और मुस्कुरा देता है और आरती भी मुस्कुराने लगती है और फिर वह झुक कर उसकी तरफ मुंह करके उसका पैर दबाने लगती है तो उसके बाल जो थे वह बार-बार नीचे सामने की तरफ गिर जा रहे थे क्योंकि आज वह नहाई हुई थी तो उसने अपने बाल को अभी तक बांधी नहीं थी इस वजह से उसका बाल बार-बार नीचे गिर जा रहा था और उसके बाल से शैंपू और उसकी बदन की खुशबू की मिश्रण जो था वो सीधा राजनाथ के नाक में घुस रहा था और वह जैसे ही उसको सूंघता है और वह सब कुछ भूल कर अलग ही दुनिया में खोने लगता है तभी आरती अपने बाल को लपेटकर पीछे मुड़कर बांध लेती है सभी राजनाथ उसकी तरफ देखा है तो देख कर चौंक जाता क्योंकि जब वह झूक कर उसका पैर दबा रही होती है तो उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके दोनों छाती यानी उसके दोनों दूध उसको साफ-साफ नजर आ रहा था उसका ब्लाउज का गला बड़ा था इस वजह से उसका पूरा का पूरा दूध लटका हुआ नजर आ रहा था सिर्फ उसका काला भाग और निप्पल जो होता है वही नजर नहीं आ रहा था बाकि पूरा नजर आ रहा था उसको देखते ही राजनाथ का लंड टाइट होने लगता है वो तो वह तो अच्छा था कि उसने आज लंगोट बांध रखा था नहीं तो आज वो अपनी बेटी के सामने अपने लंड को खड़ा होने से नहीं रोक पाता राजनाथ को जैसे ही यह ख्याल आया कि उसने लंगोट बांध रखा है तो वह रिलैक्स हो गया की आरती को मेरे बारे में नहीं पता चलेगा कि मैं उसके बारे में क्या सोच रहा हूं अब वह और अच्छे से अपनी बेटी के

बदन को छुप छुप कर देखने लगा और लंगोट के अंदर उसका लंड सीधा होने के लिए बेचैन हो रहा था लेकिन वह बेचारा सीधा खड़ा नहीं हो पा रहा था।

तभी आरती देख लेती है कि बाबूजी छुप छुप के मेरे दूध को देख रहे हैं और वह दूसरी तरफ मुंह करके मुस्कुराने लगती है और यह देखकर उसे भी अच्छा लगने लगता है इधर बाप बेटी का यह सब चल ही रहा था कि तभी गेट के बाहर से दादी की आवाज आती है और वह कहती है गेट खोलने के लिए और दोनों बाप बेटी उसकी आवाज सुनकर हड़बड़ा जाते हैं।

राजनाथ कहता है कि अभी गेट नहीं लगा हुआ हो तो वो मुझे देखते ही चार बात सुना देती जा और जल्दी से गेट खोल दे नहीं तो गुस्सा होगी फिर आरती मुस्कुराते हुए गेट खोलने के लिए चली जाती है और राजनाथ चुपचाप आँख बंद करके सो जाता है और आरती गेट खोलते ही दादी से कहती है दादी कहाँ थी इतनी देर कब से इंतजार कर रही हूँ चलो जल्दी से खाना खा लो मैं भी अभी तक नहीं खाई हूँ फिर दोनों दादी और पोती खाना खाने लगती है और राजनाथ कुछ देर आराम करने के बाद वह भी कहीं निकल जाता है घूमने के लिए।

आरती खाना खाने के बाद कुछ देर आराम करने के लिए वह अपने कमरे में जाकर सो जाती है तभी उसकी याद आता है कि बाबूजी ने ब्रा और पैंटी पहन कर देखने के लिए कहा था फिर वह बेड से उठती है और अलमारी के पास जाकर अलमारी खोल के उसमें से एक पीस ब्रा और पैंटी निकालती है पहनने के लिए फिर साड़ी और ब्लाउज खोलकर ब्रा और पैंटी पहन कर देखती है तो फिटिंग बिल्कुल सही था फिर वह सोचती है कि बाबूजी ने तो देखने के लिए मना किया फिर उनको बताऊंगी कैसे मोबाइल भी नहीं है कि उसमें तस्वीर निकाल कर उनको दिखा देती फिर शाम को जब राजनाथ घर आता है और खाना-वाना खाने के बाद सोने के लिए चला जाता है फिर आरती भी कुछ देर के बाद खाना खाकर उसकी मालिश करने के लिए जाती है और जाकर चुपचाप मालिश करने लगती है फिर कुछ देर इसी तरह बीत जाता है और दोनों बाप बेटी एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे आरती सोच रही थी कि इनको बताऊँ कि नहीं ब्रा और पैंटी के बारे में।

राजनाथ भी अपने मन मे यही सोच रहा था कि पूछूं कि नहीं पूछूं कुछ देर के बाद खामोशी तोड़ते हुए पूछ ही लेता है और आरती से कहता है कि पहन के देखा कि नहीं ।

आरती अनजान बनते हुए कहती है आप क्या पहनने के बारे में पूछ रहे हैं।

राजनाथ अरे ब्रा और पेंटी के बारे में पूछ रहा हूँ पहन कर देखी कि नहीं।

आरती अच्छा आप क्यों पूछ रहे हैं आपने तो कल ही मना कर दिया था कि आप नहीं देखेंगे तो फिर पूछ क्यों रहे अगर आप जानना चाहते हैं फिटिंग के बारे में तो मैं नहीं बताऊंगी अगर आप जानना चाहते हैं तो खुद आपको अपनी आँखों से देखना पड़ेगा अगर आप नहीं देखना चाहते तो मत देखिए मैं क्या कर सकती हूँ।

राजनाथ हार मानते हुए कहता है अच्छा बाबा मैं हार मान गया मैं तुमसे बहस नहीं कर सकता अब तुम जो कहोगी मैं वही करूंगा अब यह बताओ कि कब दिखाओगीअपनी ब्रा और पैंटी की फीटिंग।

आरती कब क्या दिखाऊंगी अभी देख लीजिए।

राजनाथ अभी कहां से दिखाओगी क्या मोबाइल में तस्वीर खींचकर रखी है जो अभी दिखाओगी।

आरती मोबाइल की जरूरत नहीं है मैं खुद आपके सामने खड़ी हूं तो मोबाइल की क्या जरूरत है।
राजनाथ को समझ में नहीं आता है कि यह क्या बोल रही है तो वह कहता है कि मैं कुछ समझ नहीं तुम क्या कह रही हो।

आरती मैं यह कह रही हूँ कि जब मैं खुद आपके सामने ब्रा और पैंटी पहनकर खड़ी हूं तो मोबाइल की क्या जरूरत है खुद अपनी आंखों से देख लीजिए।

यह बात सुनते ही राजनाथ चौक जाता है और चौंकते हुए कहता है ए तुम क्या कह रही हो ए कैसे हो सकता है।


आरती क्यों नहीं हो सकता मोबाइल में देख सकते हो तो ऐसे क्यों नहीं देख सकते और ऐसे देखने से तो और अच्छे से नजर आएगा।

राजनाथ वह तो ठीक है लेकिन मैं तुमको इस हालत में नहीं देख सकत यह गलत है।

आरती अच्छा ब्रा और पैंटी में देखना गलत है लेकिन पूरा नंगा देखना गलत नहीं है।

राजनाथ मैंने तुम्हें कब नंगा देखा है जो तुम कह रही हो की नंगा देखने में कोई गलत नहीं है।

आरती अच्छा नहाते वक्त आपने मुझे वॉशरूम में नंगा नहीं देखा है।

 राजनाथ वह तो मैं गलती से देखा था जानबूझकर थोड़ी देखा थ।

आरती जानबूझकर देखा है या गलती से देखा देखा तो है ना फिर ब्रा और पैंटी में देखना क्या गलत है।

राजनाथ लेकिन।

आरती लेकिन वेकिन छोड़िए देखना है तो बोलिए नहीं तो मैं जा रही हूँ सोने के लिए।

राजनाथ ठीक है अगर तुम नहीं मान रही हो और दिखाना ही चाह रही हो तो दिखा ही दो ।

आरती में क्या दिखाऊंगी आप खुद देख लीजिए।

राजनाथ नहीं अगर तुम खुद दिखाओगी तो दिखाओ नहीं तो फिर मैं भी नहीं देखूंगा।

आरती ठीक है मैं ही दिखा देती हूँ लेकिन आप अपनी आंख बंद कीजिए मैं जब तक ना कहूं खोलने के लिए राजनाथ अपनी आंख बंद कर लेता है और आरती अपनी साड़ी और ब्लाउज खोलने लगती है और खोलकर अलग कर देती है पूरी तरह ब्रा और पैंटी में खड़ी हो जाती है और फिर धीरे से कहती है कि आप अपनी आंख खोल लीजिए राजनाथ जैसे ही अपनी आंख खोलता है और सामने अपनी बेटी को ब्रा और पैंटी में देखकर दंग रह जाता है और उसको लगता है कि एक कुंवारी लड़की अभी-अभी जवान हो रही है वह उसके सामने खड़ी है इसको देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे इसको अभी किसी ने छुआ भी नहीं है राजनाथ उसकी बॉडी को ऊपर से नीचे तक निहारते हुए देख रहा था और आरती चुपचाप अपनी नज़रें झुका कर खड़ी हुई थी शर्म के मारे और वह कुछ बोल भी नहीं पा रही थी कुछ देर इसी तरह खड़ी रहने के बाद आरती धीरे से कहती है की बाबूजी अब मैं साड़ी पहन लूं तो राजनाथ कहता हैं हां हां पहन लो फिर वह साड़ी और ब्लाउज पहनकर फिर वहां से निकल के अपने कमरे में चली जाती है।

उसको जाने के बाद राजनाथ एकदम बेचैन हो जाता है उसका लंड पजामे के अंदर में उछल रहा था और राजनाथ को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें उधर आरती अपने कमरे में जाकर बेड पर लेट कर सोचने लगती है और कहती है कि मैं यह सब अपने बाबूजी के सामने कैसे किया अरे यह सोचकर उसका शरीर शर्म के मारे सिहर जाता है फिर दूसरे दिन सुबह होती है सुबह के बाद दोपहर होती है और दोपहर में राजनाथ कहीं बाहर से आता है तो आरती उसको खाना खाने के लिए देती है जैसे ही आरती किचन से खाना लेकर आ रही होती है तो राजनाथ उसको देख रहा होता है जैसे ही वह खाना देने के लिए झुकती है तो राजनाथ को उसकी दोनों दूध नजर आ जाता है राजनाथ उसको देखकर मुस्कराने लगता है तो आरती भी समझ जाती है कि बाबूजी क्यों मुस्कुरा रहे हैं अभी मुस्कुराते हुए वहां से चली जाती है फिर वह खाना खाते हो आरती से पूछता है दादी घर में नहीं है क्या तो आरती जवाब देती नहीं वह कहीं गई हुई घूमने के लिए राजनाथ खाना खाने के बाद फिर आराम करने लगता है तो आरती उसके पास जाती है और मुस्कुराते हुए पूछती है कि पैर दबा दूं क्या तो राजनाथ भी मुस्कुराते हुए कहता है अब तुम दबाने के लिए आई हो तो दबा दो पूछने की क्या जरूरत।


आरती पैर दबाने लगती है तो राजनाथ कहता है कि कल रात को तुमने जो दिखाया वह ठीक से नहीं देख पाया।

आरती क्यों क्यों नहीं देख पाए अच्छे से तो दिखाया था फिर भी बोल रहे हैं कि नहीं देख पाए।

राजनाथ वो रात का टाइम था ना इस वजह से ठीक से नजर नहीं आ रहा था।

आरती मतलब आप कहना क्या चाह रहे।

राजनाथ मेरा मतलब है कि अगर अभी दिखाओगी तो अच्छे से और क्लियर दिखेगा अगर तुम दिखाना चाहोगी तो अगर नहीं दिखाना चाहती है तो कोई बात नहीं


आरती मुस्कुराते हुए अच्छा पहले देखना नहीं चाहते थे और अब अच्छे से देखना है अगर दादी आ गई तो।

 राजनाथ दादी आएगी तो क्या होगा गेट तो अंदर से बंद रहेगा ।

तो जाइए देख लीजिए कि गेट अंदर से बंद है कि नहीं राजनाथ झट से उठता है और गेट बंद करके आता है और कहता है कि बंद है अब कोई दिक्कत नहीं होगा और वह चौकी पर बैठकर आरती को देखने लगता है और आरती चुपचाप खड़ी थी तो राजनाथ उसको कहता है कि अब क्या सोच रही है अब तो दिखा दो।

आरती धीरे से कहती है मैं नहीं दिखाऊंगी आप खुद देख लीजिए।

राजनाथ ऊपर का कपड़ा उतरोगी तभी तो देखूंगा मेरा मतलब है साड़ी और ब्लाउज खोलोगी तभी तो देखूंगा।

आरती मैं नहीं खोलूंगी आप खुद खोल लीजिए।

राजनाथ यह क्या बात है रात में तो तुमने अपने से खुद खोल कर दिखाया था और अभी मुझे खुलने के लिए कह रही हो।

आरती इसलिए की रात में मैंने आपको दिखाया था और अभी आप देखना चाह रहे हैं इसलिए आपको ही को खोलना पड़ेगा।
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हम
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