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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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अपडेट नंबर 25 आ गया है पेज नंबर 80 में आप सभी पाठक उसको पढ़ कर आनंद ले सकते हैं धन्यवाद।
 
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भाग २५
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती अपने बाप राजनाथ की मालिश करने के बाद वह अपने कमरे में चली गई सोने के लिए।


इधर राजनाथ आज बहुत खुश था और उसका खुश होने का कारण थी उसकी बेटी ।

वही बेटी जो बीवी की तरह उसका हर चीज का ख्याल रखती है।

बीवी जैसी बेटी को अपने पास पाकर उसे बहुत खुशी हो रही थी और आज एक महीने के बाद उसके पास वह वापस आ ई हुई है।

और वह इसी खुशी में अपना हांथ अपने लूंगी के अंदर में डाल कर अपने लंड को सहलाने लगता है और उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगता है और देखते ही देखते कुछ ही देर में पूरा जोश में आ जाता है।


और सांप की तरह फूफकारने लगता है लेकिन राजनाथ ने अपने लंड को खड़ा तो कर दिया था लेकिन उसको शांत कैसे करेगा इसके आगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

उसको शांत करने का दो ही तरीका पहला तरीका है एक अपनी बेटी का नाम लेते हुए मुळ मार कर अपना बीज बाहर गिरा दे ।

लेकिन वह ऐसा नहीं करेगा क्योंकि वह , अपने अनमोल बीज को बाहर गिरा कर बर्बाद नहीं करना चाहता है ,


और दूसरा तरीका यह है कि उसको किसी चूत के अंदर डालकर उसको अच्छे से चुदाई करें और उसके अंदर अपना बीज गिरा दे लेकिन इस वक्त उसके लिए ऐसा करना संभव नहीं है ।

क्योंकि उसको चुदाई करने के लिए उसको चूत चाहिए और वह चूत उसकी बेटी का है लेकिन वह उसके साथ ऐसा कर नहीं सकता, क्योंकि वह उसकी बेटी है।


इसमें उसका दो मन है एक मन कहता है कि वह अपनी बेटी के साथ सेक्स करें और दूसरा मन कहता है कि नहीं यह गलत है ऐसा नहीं करना चाहिए और इसी कस्म कस में वह आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

लेकिन उसका उसकी बेटी के साथ जो छेड़छाड़ और हंसी मजाक चल रहा है उसको इसमें भी बहुत आनंद आ रहा है और ऐसा आनंद वह आगे भी लेते रहना चाहता है ।

इन्हीं हसीन ख्यालों को अपने आँखों में बसाए हुए उसे नींद आ जाती है।

फिर वह दूसरे दिन सुबह सो कर उठा और उठकर बाहर घूमने फिरने के लिए निकल गया फिर घूम फिर के वापस आया और नाश्ता पानी करके अपने काम के लिए निकल गया।

फिर वह दोपहर में वापस खाना खाने के लिए घर आता है तो आरती उसको खाने के लिए कहती है ।

और फिर उसको खाना देने के लिए जाती है तो जैसे ही वह राजनाथ के करीब पहुंचती है तो राजनाथ के नाक में एक बहुत ही सुंदर खुशबू उसके नाक में चली जाती है।


और वह खुशबू थी आरती की जो अभी कुछ देर पहले ही नहा धोकर आई थी।

उसकी खुशबू इतनी मनमोक थी कि राजनाथ ने उसको सुंघा तो उसको अलग ही दुनिया अलग ही सुख का एहसास होने लगा फिर उसने खाना खाया और खाकर वहीं बरामदे में चौकी के ऊपर बैठकर आराम करने लगाता है।

तो कुछ देर के बाद में देखता है की आरती कमरे से निकल कर उसके तरफ आ रही है तो वह उसको ऊपर से नीचे तक उसकी खूबसूरत बदन को देखने लगता है।


तो आरती उसको देखते हुए समझ जाती है कि राजनाथ उसको देख रहा है तो वह उसके पास आते हुए पूछती है कि ऐसे क्यों देख रहे हैं आप हमको ।

राजनाथ यही देख रहा हूं कि तू एक महीने अपने ससुराल का खाना खाकर आई हो तो कुछ मोटी हुई हो कि नहीं यही देख रहा था।

आरती तो आपने क्या देखा मोटी हुई हूँ कि नहीं।

राजनाथ इस तरह से कुछ पता नहीं चल रहा है मेरा मतलब है साड़ी में ढका हुआ है इस वजह से पता नहीं चल रहा है।


आरती मुस्कुराते हुए कहती है तो कैसे पता चलेगा क्या साड़ी उतारने से पता चलेगा।

तो राजनाथ मन ही मन मुस्कुराता है कहता है कहता है कि हाँ साड़ी उतारने के बाद तो अच्छी तरह से पता चलेगा।

आरती फिर से मुस्कुराते हुए कहती है कि सिर्फ साड़ी उतारने से हो जाएगा या कुछ और भी उतारना पड़ेगा।

राजनाथ यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम क्या-क्या उतरोगी।

आरती थोड़ा इठलाते लाते हूए कहती है यह क्या बात हुई देखना आपको है तो आप ही बताएंगे ना की क्या-क्या उतारना पड़ेग।


दोनों बाप बेटी के बीच में यह सब बात चल ही रहा था कि तभी दादी गेट के बाहर से आवाज देने लगती है गेट खोलने के लिए दादी की आवाज सुनकर दोनों बाप बेटी हड़बड़ा जाते हैं।

फिर आरती गेट खोलने के लिए चली जाती है और राजनाथ वहीं लेट कर आराम करने लगता है

दादी अंदर आते हुआ आरती से पूछती है राजू आया कि नहीं तो आरती जवाब देती हाँ बाबूजी आए हुए हैं और वह खाना खाकर आराम कर रहे हैं।

तो वह राजनाथ के पास जाती है औ आवाज देती है राजू राजू सो गया क्या।

राजनाथ नहीं माँ जाग रहा हूँ बोलो क्या बोलो क्या बोलना चाहती हो।

दादी बोलना क्या हम लोग कल ही बाबा के पास जाएंगे कल का दिन अच्छा है।

राजनाथ ठीक है माँ कल ही जाना चाहती हो तो चली जाना।

फिर दोनों दादी और पोती बाबा के पास जाने के लिए निकल जाती है 3 घंटे की यात्रा के बाद वहाँ पहुंचती हैं तो देखती है कि वहां काफी भीड़ है।


पहले हीं से वहाँ काफी लोग आए हुए थे। इतनी भीड़ देखकर आरती को कुछ समझ में नहीं आता है की यहाँ क्या हो रहा है क्या यह सभी लोग यहाँ इलाज कराने के लिए आई है कुछ और करने के लिए ।

उनमें से कुछ औरतों के गोद में बच्चे भी थे तो उसने एक दो से पूछा तो उन्होंने बताया कि उनका भी बहुत सालों से बच्चा नहीं हो रहा था तो उन्होंने यहाँ पर जाकर इलाज कराया तो उनका बच्चा हुआ इसलिए वह बच्चे को लेकर यहाँ बाबा को दिखाने के लिए आई हुई हैं।


फिर उसकी दादी उसको वहीं बैठने के लिए बोलकर वह अंदर बाबा के पास चली गई अंदर गई तो बाबा ने उसको एक दो बार गौर से देखा तो वह उसको पहचान गए और बोले अरे माँ जी आप बहुत दिनों के बाद कैसी हो आप और कैसे आना हुआ ।

दादी बस बाबा जी हम बहुत अच्छे हैं और हम आप ही के पास कुछ काम से आए हैं ।


बाबा आप अकेली आई हो या आपके साथ में और कोई है।

दादी मेरे साथ में मेरी पोती है हम उसी को आपके पास लेकर आए हैं।

बाबा अच्छा-अच्छा ठीक है आप दोनों बाहर कुछ देर प्रतीक्षा कीजिए मैं फिर आप लोगों को बुलाता हूँ ।

दादी जी ठीक है और वह बाहर आ गई कुछ देर इंतजार करने के बाद बाबा ने उन दोनों को अंदर बुलाया फिर बाबा ने आरती को अपने पास बिठाकर उसका हाथ पकड़ा और अपनी आँखें बंद कर के कुछ मंत्र पढ़ने लगे।


कुछ देर मंत्र पढ़ने के बाद बाबा ने अपनी आँख खोली और दादी की तरफ देखते हुए बोले कि इसको बाद में अच्छे से देखना पड़ेगा इसलिए आज रात आप दोनों को यहीं रुकना होगा यह सब भीड़ खत्म होने के बाद मैं इसको शाम को अच्छे से देखूंगा इसलिए आप लोग अभी यहीं पर खाना-वाना खाकर आराम कीजिए ।

दादी बोलती अच्छा बाबा ठीक है आप जैसा बोलेंगे वैसा ही करेंगे।


फिर शाम को बाबा आरती को अपने कमरे में बुलाते हैं और कहते हैं कि तुम माँ तो बन सकती हो लेकिन इसमे एक बहुत बड़ी समस्या है जिस वजह से तुम माँ नहीं बन पा रही हो और वह समस्या है तुम्हारी मायके की यानी तुम्हारे पिताजी के घर की समस्या है जिस वजह से तुम माँ नहीं बन पा रही हो ।

आरती बाबा को आश्चर्य से देखते हुए कहती है की बाबा मेरे बाबूजी के घर में ऐसी क्या समस्या है जिस वजह से मैं माँ नही बन पा रही हूँ थोड़ा हमको साफ-साफ बताइए।


बाबा तुम्हारे पिताजी कितने भाई हैं ।

आरती मेरे बाबूजी अकेले हैं उनका और कोई भाई नहीं है ।

बाबा और तुम्हारे पिताजी के कितने बेटे हैं।


आरती जी उनका कोई बेटा नहीं है सिर्फ मैं उनकी एक बेटी हूँ और कोई नहीं है ।

बाबा बस यही समस्या है कि तुम्हारे पिताजी का कोई बेटा नहीं है ।

आरती मतलब।


बाबा मतलब यह कि उनका उनके बाद उनके। बस वंश को आगे बढा़ने वाला कोई नहीं है और जब तक उनके वंश को आगे बढ़ने वाला कोई नहीं आएगा तब तक तुम माँ नही बन पाओगी मेरा मतलब है जब तक उनका कोई बेटा नहीं होगा तब तक तुम माँ नहीं बन पाओगी।

आरती बाबा यह आप क्या कह रहे हैं क्या मेरे बाबूजी को फिर से शादी करना पड़ेगा।

बाबा शादी करना तो बहुत आसान काम है वह अभी शादी करके आसानी से एक बेटे का बाप बन सकता है लेकिन इसमें भी एक समस्या है।

आरती इसमें क्या समस्या है।

बाबा इसमें समस्या यह है कि अगर तुम्हारा बाप दोबारा शादी करता है तो उसकी मृत्यु हो सकती है अगर वह दोबारा शादी करेगा करेगा और जैसे ही बेटे का बाप बनेगा वैसे ही उसकी मृत्यु हो जाएगी क्या तुम अपने आप की मृत्यु का कारण बनना चाहोगी।

आरती बाबा यह आप क्या कर रहे हैं मैं कभी भी ऐसा नहीं करूंगी आरती यह बात सुनकर उदास हो जाती है और कुछ देर चुप रहने के बाद कहती है बाबा जी इसका मतलब अब मैं कभी माँ नही बना पाऊंगी।

बाबा तुम माँ अभी भी बन सकती हो इसके लिए तुमको बहुत हिम्मत करनी पड़ेगी।

आरती बाबा क्या करना पड़ेगा हमको।

बाबा सिर्फ तुमको नहीं तुम दोनों को एक दूसरे की मदद करनी पड़ेगी तुम उसकी मदद करोगी और वह तुम्हारा मदद करेगा तुम उसके जरिए से माँ बनोगी और वह तुम्हारे जरिए से बाप बनेगा।


आरती बाबा यह आप क्या कह रहे हैं मैं कुछ समझी नहीं।

बाबा मेरा कहने का मतलब यह है कि जो काम तुम माँ बनने के लिए अपने पति के साथ करती हो वही काम तुमको अपने पिताजी के साथ करना पड़ेगा पड़ेगा मेरा मतलब है कि तुम दोनों को आपस में संबंध बनाना पड़ेगा।

आरती बाबा की बात को समझ जाती है और आश्चर्य चकित भी होती है कि बाबा यह क्या कह रहे हैं और हैरानी से बाबा की ओर देखते हुए कहती है बाबा यह आप क्या कह रहे हैं।

बाबा मैं वही कह रहा हूँ जो तुम समझ रही है।

आरती लेकिन बाबा यह कैसे हो सकता है मैं उनके साथ ऐसा कैसे कर सकती हूँ मैं उनकी बेटी हूँ और वह मेरे बाबूजी हैं।

बाबा मुझे पता है कि तुम उनकी बेटी हो और वह तुम्हारे पिताजी है लेकिन इसके अलावा तुम्हारे पास और कोई रास्ता नहीं है अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो ऐसा तुम दोनों को करना ही पड़ेगा जब तक तुम दोनों का दोस् नहीं कटेगा तब तक तुम माँ नही बन पाओगी।

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अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती अपने बाप राजनाथ की मालिश करने के बाद वह अपने कमरे में चली गई सोने के लिए।


इधर राजनाथ आज बहुत खुश था और उसका खुश होने का कारण थी उसकी बेटी ।

वही बेटी जो बीवी की तरह उसका हर चीज का ख्याल रखती है।

बीवी जैसी बेटी को अपने पास पाकर उसे बहुत खुशी हो रही थी और आज एक महीने के बाद उसके पास वह वापस आ ई हुई है।

और वह इसी खुशी में अपना हांथ अपने लूंगी के अंदर में डाल कर अपने लंड को सहलाने लगता है और उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगता है और देखते ही देखते कुछ ही देर में पूरा जोश में आ जाता है।


और सांप की तरह फूफकारने लगता है लेकिन राजनाथ ने अपने लंड को खड़ा तो कर दिया था लेकिन उसको शांत कैसे करेगा इसके आगे उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

उसको शांत करने का दो ही तरीका पहला तरीका है एक अपनी बेटी का नाम लेते हुए मुळ मार कर अपना बीज बाहर गिरा दे ।

लेकिन वह ऐसा नहीं करेगा क्योंकि वह , अपने अनमोल बीज को बाहर गिरा कर बर्बाद नहीं करना चाहता है ,


और दूसरा तरीका यह है कि उसको किसी चूत के अंदर डालकर उसको अच्छे से चुदाई करें और उसके अंदर अपना बीज गिरा दे लेकिन इस वक्त उसके लिए ऐसा करना संभव नहीं है ।

क्योंकि उसको चुदाई करने के लिए उसको चूत चाहिए और वह चूत उसकी बेटी का है लेकिन वह उसके साथ ऐसा कर नहीं सकता, क्योंकि वह उसकी बेटी है।


इसमें उसका दो मन है एक मन कहता है कि वह अपनी बेटी के साथ सेक्स करें और दूसरा मन कहता है कि नहीं यह गलत है ऐसा नहीं करना चाहिए और इसी कस्म कस में वह आगे नहीं बढ़ पा रहा है।

लेकिन उसका उसकी बेटी के साथ जो छेड़छाड़ और हंसी मजाक चल रहा है उसको इसमें भी बहुत आनंद आ रहा है और ऐसा आनंद वह आगे भी लेते रहना चाहता है ।

इन्हीं हसीन ख्यालों को अपने आँखों में बसाए हुए उसे नींद आ जाती है।

फिर वह दूसरे दिन सुबह सो कर उठा और उठकर बाहर घूमने फिरने के लिए निकल गया फिर घूम फिर के वापस आया और नाश्ता पानी करके अपने काम के लिए निकल गया।

फिर वह दोपहर में वापस खाना खाने के लिए घर आता है तो आरती उसको खाने के लिए कहती है ।

और फिर उसको खाना देने के लिए जाती है तो जैसे ही वह राजनाथ के करीब पहुंचती है तो राजनाथ के नाक में एक बहुत ही सुंदर खुशबू उसके नाक में चली जाती है।


और वह खुशबू थी आरती की जो अभी कुछ देर पहले ही नहा धोकर आई थी।

उसकी खुशबू इतनी मनमोक थी कि राजनाथ ने उसको सुंघा तो उसको अलग ही दुनिया अलग ही सुख का एहसास होने लगा फिर उसने खाना खाया और खाकर वहीं बरामदे में चौकी के ऊपर बैठकर आराम करने लगाता है।

तो कुछ देर के बाद में देखता है की आरती कमरे से निकल कर उसके तरफ आ रही है तो वह उसको ऊपर से नीचे तक उसकी खूबसूरत बदन को देखने लगता है।


तो आरती उसको देखते हुए समझ जाती है कि राजनाथ उसको देख रहा है तो वह उसके पास आते हुए पूछती है कि ऐसे क्यों देख रहे हैं आप हमको ।

राजनाथ यही देख रहा हूं कि तू एक महीने अपने ससुराल का खाना खाकर आई हो तो कुछ मोटी हुई हो कि नहीं यही देख रहा था।

आरती तो आपने क्या देखा मोटी हुई हूँ कि नहीं।

राजनाथ इस तरह से कुछ पता नहीं चल रहा है मेरा मतलब है साड़ी में ढका हुआ है इस वजह से पता नहीं चल रहा है।


आरती मुस्कुराते हुए कहती है तो कैसे पता चलेगा क्या साड़ी उतारने से पता चलेगा।

तो राजनाथ मन ही मन मुस्कुराता है कहता है कहता है कि हाँ साड़ी उतारने के बाद तो अच्छी तरह से पता चलेगा।

आरती फिर से मुस्कुराते हुए कहती है कि सिर्फ साड़ी उतारने से हो जाएगा या कुछ और भी उतारना पड़ेगा।

राजनाथ यह तुम्हारे ऊपर है कि तुम क्या-क्या उतरोगी।

आरती थोड़ा इठलाते लाते हूए कहती है यह क्या बात हुई देखना आपको है तो आप ही बताएंगे ना की क्या-क्या उतारना पड़ेग।


दोनों बाप बेटी के बीच में यह सब बात चल ही रहा था कि तभी दादी गेट के बाहर से आवाज देने लगती है गेट खोलने के लिए दादी की आवाज सुनकर दोनों बाप बेटी हड़बड़ा जाते हैं।

फिर आरती गेट खोलने के लिए चली जाती है और राजनाथ वहीं लेट कर आराम करने लगता है

दादी अंदर आते हुआ आरती से पूछती है राजू आया कि नहीं तो आरती जवाब देती हाँ बाबूजी आए हुए हैं और वह खाना खाकर आराम कर रहे हैं।

तो वह राजनाथ के पास जाती है औ आवाज देती है राजू राजू सो गया क्या।

राजनाथ नहीं माँ जाग रहा हूँ बोलो क्या बोलो क्या बोलना चाहती हो।

दादी बोलना क्या हम लोग कल ही बाबा के पास जाएंगे कल का दिन अच्छा है।

राजनाथ ठीक है माँ कल ही जाना चाहती हो तो चली जाना।

फिर दोनों दादी और पोती बाबा के पास जाने के लिए निकल जाती है 3 घंटे की यात्रा के बाद वहाँ पहुंचती हैं तो देखती है कि वहां काफी भीड़ है।


पहले हीं से वहाँ काफी लोग आए हुए थे। इतनी भीड़ देखकर आरती को कुछ समझ में नहीं आता है की यहाँ क्या हो रहा है क्या यह सभी लोग यहाँ इलाज कराने के लिए आई है कुछ और करने के लिए ।

उनमें से कुछ औरतों के गोद में बच्चे भी थे तो उसने एक दो से पूछा तो उन्होंने बताया कि उनका भी बहुत सालों से बच्चा नहीं हो रहा था तो उन्होंने यहाँ पर जाकर इलाज कराया तो उनका बच्चा हुआ इसलिए वह बच्चे को लेकर यहाँ बाबा को दिखाने के लिए आई हुई हैं।


फिर उसकी दादी उसको वहीं बैठने के लिए बोलकर वह अंदर बाबा के पास चली गई अंदर गई तो बाबा ने उसको एक दो बार गौर से देखा तो वह उसको पहचान गए और बोले अरे माँ जी आप बहुत दिनों के बाद कैसी हो आप और कैसे आना हुआ ।

दादी बस बाबा जी हम बहुत अच्छे हैं और हम आप ही के पास कुछ काम से आए हैं ।


बाबा आप अकेली आई हो या आपके साथ में और कोई है।

दादी मेरे साथ में मेरी पोती है हम उसी को आपके पास लेकर आए हैं।

बाबा अच्छा-अच्छा ठीक है आप दोनों बाहर कुछ देर प्रतीक्षा कीजिए मैं फिर आप लोगों को बुलाता हूँ ।

दादी जी ठीक है और वह बाहर आ गई कुछ देर इंतजार करने के बाद बाबा ने उन दोनों को अंदर बुलाया फिर बाबा ने आरती को अपने पास बिठाकर उसका हाथ पकड़ा और अपनी आँखें बंद कर के कुछ मंत्र पढ़ने लगे।


कुछ देर मंत्र पढ़ने के बाद बाबा ने अपनी आँख खोली और दादी की तरफ देखते हुए बोले कि इसको बाद में अच्छे से देखना पड़ेगा इसलिए आज रात आप दोनों को यहीं रुकना होगा यह सब भीड़ खत्म होने के बाद मैं इसको शाम को अच्छे से देखूंगा इसलिए आप लोग अभी यहीं पर खाना-वाना खाकर आराम कीजिए ।

दादी बोलती अच्छा बाबा ठीक है आप जैसा बोलेंगे वैसा ही करेंगे।


फिर शाम को बाबा आरती को अपने कमरे में बुलाते हैं और कहते हैं कि तुम माँ तो बन सकती हो लेकिन इसमे एक बहुत बड़ी समस्या है जिस वजह से तुम माँ नहीं बन पा रही हो और वह समस्या है तुम्हारी मायके की यानी तुम्हारे पिताजी के घर की समस्या है जिस वजह से तुम माँ नहीं बन पा रही हो ।

आरती बाबा को आश्चर्य से देखते हुए कहती है की बाबा मेरे बाबूजी के घर में ऐसी क्या समस्या है जिस वजह से मैं माँ नही बन पा रही हूँ थोड़ा हमको साफ-साफ बताइए।


बाबा तुम्हारे पिताजी कितने भाई हैं ।

आरती मेरे बाबूजी अकेले हैं उनका और कोई भाई नहीं है ।

बाबा और तुम्हारे पिताजी के कितने बेटे हैं।


आरती जी उनका कोई बेटा नहीं है सिर्फ मैं उनकी एक बेटी हूँ और कोई नहीं है ।

बाबा बस यही समस्या है कि तुम्हारे पिताजी का कोई बेटा नहीं है ।

आरती मतलब।


बाबा मतलब यह कि उनका उनके बाद उनके। बस वंश को आगे बढा़ने वाला कोई नहीं है और जब तक उनके वंश को आगे बढ़ने वाला कोई नहीं आएगा तब तक तुम माँ नही बन पाओगी मेरा मतलब है जब तक उनका कोई बेटा नहीं होगा तब तक तुम माँ नहीं बन पाओगी।

आरती बाबा यह आप क्या कह रहे हैं क्या मेरे बाबूजी को फिर से शादी करना पड़ेगा।

बाबा शादी करना तो बहुत आसान काम है वह अभी शादी करके आसानी से एक बेटे का बाप बन सकता है लेकिन इसमें भी एक समस्या है।

आरती इसमें क्या समस्या है।

बाबा इसमें समस्या यह है कि अगर तुम्हारा बाप दोबारा शादी करता है तो उसकी मृत्यु हो सकती है अगर वह दोबारा शादी करेगा करेगा और जैसे ही बेटे का बाप बनेगा वैसे ही उसकी मृत्यु हो जाएगी क्या तुम अपने आप की मृत्यु का कारण बनना चाहोगी।

आरती बाबा यह आप क्या कर रहे हैं मैं कभी भी ऐसा नहीं करूंगी आरती यह बात सुनकर उदास हो जाती है और कुछ देर चुप रहने के बाद कहती है बाबा जी इसका मतलब अब मैं कभी माँ नही बना पाऊंगी।

बाबा तुम माँ अभी भी बन सकती हो इसके लिए तुमको बहुत हिम्मत करनी पड़ेगी।

आरती बाबा क्या करना पड़ेगा हमको।

बाबा सिर्फ तुमको नहीं तुम दोनों को एक दूसरे की मदद करनी पड़ेगी तुम उसकी मदद करोगी और वह तुम्हारा मदद करेगा तुम उसके जरिए से माँ बनोगी और वह तुम्हारे जरिए से बाप बनेगा।


आरती बाबा यह आप क्या कह रहे हैं मैं कुछ समझी नहीं।

बाबा मेरा कहने का मतलब यह है कि जो काम तुम माँ बनने के लिए अपने पति के साथ करती हो वही काम तुमको अपने पिताजी के साथ करना पड़ेगा पड़ेगा मेरा मतलब है कि तुम दोनों को आपस में संबंध बनाना पड़ेगा।

आरती बाबा की बात को समझ जाती है और आश्चर्य चकित भी होती है कि बाबा यह क्या कह रहे हैं और हैरानी से बाबा की ओर देखते हुए कहती है बाबा यह आप क्या कह रहे हैं।

बाबा मैं वही कह रहा हूँ जो तुम समझ रही है।

आरती लेकिन बाबा यह कैसे हो सकता है मैं उनके साथ ऐसा कैसे कर सकती हूँ मैं उनकी बेटी हूँ और वह मेरे बाबूजी हैं।

बाबा मुझे पता है कि तुम उनकी बेटी हो और वह तुम्हारे पिताजी है लेकिन इसके अलावा तुम्हारे पास और कोई रास्ता नहीं है अगर तुम माँ बनना चाहती हो तो ऐसा तुम दोनों को करना ही पड़ेगा जब तक तुम दोनों का दोस् नहीं कटेगा तब तक तुम माँ नही बन पाओगी।

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Update 2024 me diya tha aur comment 2025 me kar rahahoo iske liye mafi cahata hoo ( Update bahut sahi hai kahani aage le jane ke liye ) keep it up
 
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