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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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अपडेट नंबर 24 आ गया है आप सभी पाठक उसे पढ़कर आनंद ले सकते हैं page number 76 मे धन्यवाद।

हम आप सब से एक आग्रह करना चाहते हैं आप सब कहानी पढ़ते हैं लेकिन कहानी कैसी लगी वह नहीं बताते हैं इसलिए हम आप सब से आग्रह करते हैं कि जो भी पाठक कहानी को पढ़ते हैं वह अपना विचार दो शब्द बोलकर जरूर रखें और जो पाठक ने अपनी आईडी नहीं बनाई है वह अपना आईडी बनाएं और अपना विचार जरूर रखें धन्यवाद।
 
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भाग २१
नमस्कार सभी पाठकों को आप सभी लोगों ने धैर्य के साथ इंतजार किया उसके लिए आप सभी को धन्यवाद।

तो आईए कहानी को आगे बढ़ते हैं अभी तक आप लोगों ने पढ़ा कि राजनाथ दोपहर में आरती से कहता है ब्रा और पैंटी पहन कर दिखाने के लिए , ,जबकि आरती रात में ही ब्रा और पैंटी पहन कर दिखा चुकी थी, लेकिन राजनाथ फिर से मजे लेने के लिए उसे दिन में पहन कर दिखाने के लिए बोल रहा है , यह कहकर कि वह रात में अच्छे से देख नहीं पाया इसलिए वह अभी देखना चाहता है ।

आरती _उसकी बात सुनकर मना नहीं करती लेकिन कहती है की दादी बाहर गई हुई है अगर वह आ गई तो।

राजनाथ_ आ जाएगी तो क्या होगा गेट अंदर से बंद कर देंगे आएगी तो बाहर से आवाज देगी तब खोल देंगे ।

आरती_ मुस्कुराते हुए अच्छा तो दादी बाहर खड़ी रहेगी और आप अंदर में अपनी बेटी की ब्रा और पैंटी की फिटिंग देखेंगे।राजनाथ अरे कपड़े के ही फिटिंग तो देखूंगा और कुछ तो नहीं देखूंगा इसमें गलत क्या है ।

आरती - फिर से मुस्कुराते हैं अरे मैं कहाँ कह रही हूँ कि यह गलत है मैं तो बस आप आपका तारीफ कर रही हूँ।

राजनाथ- मेरी तारीफ छोड़ो और अब जल्दी से दिखा दो आरती हाँ हाँ दिखा दूँगी पहले गेट तो बंद करके आईए।

राजनाथ - उठकर जाता है और गेट बंद करके जल्दी से वापस आ जाता है आकर बरामदे में चौकी पड़ा हुआ था उसी पर बैठ जाता है और वही साइड में आरती खड़ी हुई थी , राजनाथ थोड़ी देर चुप रहने के बाद आरती से कहता है कि अब क्यों चुपचाप खड़ी हो अब तो गेट बंद हो गया है तो किसका इंतजार कर रही हो अब तो दिखा दो।

आरती - भी आज कुछ अलग मूड में थी तो वह भी राजनाथ को और छेड़ना चाहती थी इसलिए वह कहती है कि हाँ हाँ तो देख लीजिए मैं कहाँ मना कर रही हूँ , तो राजनाथ कहता अरे देखूंगा तब जब तुम दिखाओगी मेरा मतलब है ऊपर के कपड़े उतारोगी तभी तो देखूंगा ऐसे कैसे देखूंगा , तभी आरती थोड़ा इठलाते हुए कहती है मैं नहीं उतारूंगी आप खुद उतार लीजिए ।

राजनाथ यह क्या बात हुई अभी तुम खुद दिखाने के लिए तैयार हुई थी और अब तुम बहाने बना रही हो ।

आरती मैं बहाना नहीं बना रही हूँ और यह कोई बहाना नहीं है अगर आपको फल खाना है तो थोडी बहुत तो मेहनत करनी ही पड़ेगी।

राजनाथ - अरे इसमें फल खाने की बात कहाँ से आ गई मैं फल खाने की बात थोड़ी कह रहा हूँ मैं तो सिर्फ फल दिखाने के लिए कह रहा हूँ बलकि फल भी दिखाने के लिए नहीं कह रहा फल के ऊपर जो कवर लगा हुआ है उसको दिखाने के लिए कह रहा हूँ।

आरती - आप जिसको देखाने की बात कह रहे हैं वह भी कोई मामूली चीज नहीं है उसको भी देखने के लिए सब तड़पते हैं और आपको इतनी आसानी से देखने को मिल रहा है फिर भी आप थोड़ी सी मेहनत नहीं करना चाहते इसलिए आज आपको थोड़ी सी मेहनत तो करनी ही पड़ेगी।

राजनाथ - मन में सोंचते हुए ए अब ऐसे नहीं मानेगी तो कहता है ठीक है लेकिन तुमको मेरी एक बात माननी पड़ेगी बोलो मानोगी कि नहीं।

आरती- बोलिए क्या बात है ।

राजनाथ- बात यह है कि इस बार तुम खुद ही खोल कर दिखा दो और अगर इसके बाद फिर कभी मुझे देखना होगा तो मैं खुद मेहनत कर लूँगा मेरा मतलब है मैं खुद तुम कहोगी तो मैं खुद खोल कर देख लूँगा।

राजनाथ- की बात सुनकर आरती मन ही मन कहती है कि मुझे पता था कि इतना आसानी से नहीं मानेंगे फिर वह कहती है ठीक है सिर्फ इस बार अगली बार के लिए अपनी बात याद रखीएगा।

राजनाथ- हाँ हाँ पक्का याद रखूँगा।

आरती- ठीक है अपनी आँखें बंद कीजिए।

राजनाथ- आँख क्यों बंद करनी है।

आरती -बंद कीजिए ना मुझे शर्म आ रही है।

राजनाथ- इसमें शर्माने की क्या बात है अच्छा ठीक है बंद कर लेता हूँ।

आरती- अपने कपड़े खोलने लगती है तभी उसका ब्लाउज का हूँक फंस जाता है तो थोड़ा टाइम लगता है तो राजनाथ पूछता है हो गया कितना टाइम लगाती हो।

आरती- थोड़ा सबर कीजिए यह आपका गंजी और पैजामा नहीं है कि फट से खोलकर निकाल दिया साड़ी और ब्लाउज है इसमें हूँक लगा हुआ रहता है इसको खोलने में टाइम लगता है अगर आपको जल्दी है तो आकर खुद ही खोल दीजिए राजनाथ अच्छा ठीक है तुम आराम से खोलो मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था , तभी आरती कहती है हो गया है अब आप अपनी आँखें खोल लीजिए , राजनाथ क्या हो गया जैसे हो वह अपनी आँखें खोलता है और अपनी जवान बेटी को ब्रा और पैंटी में देखा है तो उसका मन एकदम उछलने लगता है और उसका मन करने लगता है कि वह अपनी बेटी को बाहों में भर ले और उसे बिस्तर पर ले जाकर उसके जिस्म के साथ खूब खेल , लेकिन वह जानता था कि वह ऐसा नहीं कर सकता इसलिए वह अपनी इच्छा को अपने मन में दबाते हुए वह सिर्फ अपनी आँखों से ही देखकर मजा लेने लगता है , और उसकी नजर उसके ब्रा में से निकले हुए आधे दूध को देखने लगता है और धीरे-धीरे उसकी नजर छाती पर से नाभि पर नाभि से फिर नीचे उसकी पैंटी पर जाता है और जैसे ही उसकी नजर उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी फुली हुई चूत पर जाता है तो उसका लँड पजामे के अंदर में उछलने की कोशिश करता है लेकिन वह उछल नहीं पता , क्योंकि वह लंगोट में कसा हुआ था इस वजह से वह उछल नहीं पा रहा था। राजनाथ अपनी बेटी को इस रूप में देखकर वह अपने पुराने दिनों में खो गया था , जब मेरी बीवी शादी होकर आई थी तब बिल्कुल इसी तरह दिख रही थी लेकिन समय-समय की बात है उस वक्त में जो चाह रहा था वह कर पा रहा था लेकिन आज मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा हूँ , तभी आरती धीरे से कहती है कैसी लगी फिटिंग सही है कि नहीं राजनाथ उसकी बात को सुन नहीं पता , आरती फिर से कहती है बाबूजी बताइए ना फिटिंग कैसी है राजनाथ थोड़ा चौंकते हुए हाँ हाँ फिटिंग बहुत अच्छी है और तुम इसमें बहुत अच्छी लग रही हो राजनाथ कुछ सेकेंड बाद फिटिंग तो अच्छी है लेकिन थोड़ी टाइट लग रही है।

आरती- टाइट लग रही है क्या चीज टाइट लग रही है ब्रा या पैंटी।

राजनाथ- मुस्कुराते हुए ब्रा और पैंटी भी टाइट लग रही है और वो दोनों भी टाइट लग रही है।

आरती- क्या मतलब मैं समझी नहीं आपकी बात ब्रा और पैंटी भी टाइट लग रही है और वह दोनों भी टाइट लग रही है वह दोनों क्या है।

राजनाथ- वही दोनों जो ब्रा और पैंटी के अंदर में है मैं उन दोनों की बात कर रहा हूँ ।

आरती- राजनाथ की डबल मीनिंग वाली बात को समझ जाती है लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए कहती है यह आप क्या कर रहे हैं मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूँँ ब्रा और पैंटी के अंदर में क्या कुछ-कुछ भी तो नहीं है।

राजनाथ- अगर तुम ठीक से सोचोगी तो तुम्हें समझ में आएगा लेकिन कोई बात नहीं अगर तुमको समझ में नहीं आ रहा है तो फिर कभी बाद में समझ लेना लेकिन तुम्हारे ऊपर yah कपड़े बहुत अच्छे लग रहे हैं ।

आरती- आपने कहा कि वह दोनों भी टाइट है तो आपको कैसे पता कि वो दोनों भी टाइट है नाहीं अपने उसे छुआ है नाहीं ठीक से देखा है फिर आप कैसे कह सकते हैं की ढीला है कि टाइट है।

राजनाथ - इतना तजुर्बा तो है कि आम को देखकर बता सकता हूँ कि वह पका हुआ है कि कच्चा है ।

आरती - ठीक है मैं आपकी यह बात मान लेती हूँ की आपको इतने साल का तजुर्बा है और आप दूर से देख कर बता सकते हैं कि कच्चा है या पक्का लेकिन आप उसे आम के बारे में कैसे बता सकते हैं जो अंदर में छुपा हुआ है मेरा मतलब है नीचे वाले के बारे में वह तो आपको दिखाई नहीं दे रहा है तो आप उसके बारे में यह बात कैसे कह सकते हैं।

राजनाथ- मुस्कुराते हुए मैं इसलिए कह सकता हूं कि जो ऊपर वाले को ढीला नहीं कर पाया है वह नीचे वाले को क्या ढीला करेगा इसलिए मेरा तजुर्बा कहता है कि नीचे वाला भी टाइट ही होगा।

आरती- मुस्कुराते हुए अच्छा तो आप अंदाजे में तीर चला रहे हैं आप पूरा यकीन के साथ यह बात नहीं कह सकते ।

राजनाथ- नहीं मैं यकीन के साथ तो नहीं कह सकता लेकिन मेरा जो तजुर्बा कहता है वह मैंने तुमको बताया अब तुम ही बता सकती हो कि मेरा बात सही है या गलत ।

आरती- मैं कैसे बता सकती हूँ।

राजनाथ -तुम नहीं बताओगी तो और कौन बताएगा वह तुम्हारा चीज है तो तुम ही बताओगे ना और अगर तुम नहीं बता सकती तो फिर जो उसको देखेगा वही बता सकता है।

आरती - अच्छा कौन देखेगा उसको।

राजनाथ - मैं कैसे बता सकता हूँ तभी राजनाथ की माँ
बाहर से गेट खोलने की आवाज देती है , आरती उसकी बात सुनकर घबरा जाती और कहती है दादी आ गई अब क्या होगा, राजनाथ क्या होगा कुछ नहीं तुम अपने कपड़े लेकर कमरे में जाकर पहनो तब तक मैं गेट खोलता हूँ और उसे बता दूँगा की आरती घर में कुछ काम कर रही है।

आरती- अपने कपड़े लेकर कमरे के अंदर में जाने लगती है तो राजनाथ उसको जाते हुए देख रहा है और मन में सोच रहा है कि कुछ देर और इसी तरह मेरे साथ में रहती तो और अच्छा होता है लेकिन माँ को भी अभी आना था कुछ देर बाद आती तो क्या बिगड़ जाता फिर वह उठकर गेट खोलने के लिए चला जाता है जैसे ही गेट खोलता है तो उसकी माँ पूछती है की आरती कहाँ गई , राजनाथ कहीं नहीं घर में है कुछ काम कर रही होगी इसलिए मुझे बोली खोलने के लिए तो मैं आकर खोल दिया, फिर कुछ देर में आरती अपने कपड़े पहन कर बाहर आती है तो दादी पूछती है क्या काम कर रही थी जो गेट खोल नहीं खोल सकती और अपने बापू को भेज दिया गेट खोलने के लिए आरती कुछ नहीं दादी कपड़े चेंज कर रहे थे इसलिए मैं नहीं जा पाई तभि राजनाथ की तरफ देखती है तो राजनाथ उसको देखकर हल्का-हल्का मुस्कुरा रहा था तो आरती उसको देखकर शर्मा के अपनी नज़रें नीचे कर लेती है, तभी दादी कहती है कि मुझे भूख लगी है जा मेरा खाना लेकर आओ फिर दादी को खाना देती है फिर इसी तरह शाम गुजरती है फिर रात में खाना-वाना खाने के बाद जब राज नाथ को मालिश करने के लिए जाती है तो कहती है कि आज मैं ज्यादा देर तक मालिश नहीं कर पाऊंगी क्योंकि मेरे कमर मे और कमर नीचे दर्द कर रहा है ।

राजनाथ- क्यों क्या हुआ।

आरती - कुछ नहीं लगता है आने वाला है।

राजनाथ- क्या आने वाला है।

आरती- वही जो हर महीने आता है महीना पीरियड जब भी आने वाला रहता है तो इसी तरह दर्द करता है ।

राजनाथ - तो फिर दर्द का दवा क्यों नहीं खाती।

आरती - दर्द का दवा खाने से क्या होगा थोड़ा बहुत तो दर्द करेगा ही yah तो सभी औरतों के साथ होता है ।

राजनाथ- फिर तो तुमको तो अब जाना पड़ेगा।

आरती- कहाँ जाना पड़ेगा।

राजनाथ- ससुराल जाना पड़ेगा और कहाँ जाना पड़ेगा डॉक्टर के पास से जो दवा लेकर आई है उसको तो चालू करना पड़ेगा ना।

आरती -मैं नहीं जाने वाली हूँ जब तक लेने के लिए नहीं आएगा तब तक मैं नहीं जाऊंगी मैं इतनी गिरी भी नहीं हूं कि खुद चली जाऊंगी ।

राजनाथ - ठीक है मैं दामाद जी को फोन करके आने के लिए कहता हूँ , फिर आरती मालिश करके सोने के लिए चली जाती है और फिर सुबह होने से पहले ही उसका पीरियड चालू हो जाता है , सुबह नाश्ता करने के टाइम राजनाथ आरती से पूछता है कि पीरियड चालू हो गया , तो आरती कहती है कि हाँ चालू हो गया है।

नाश्ता करने के बाद राजनाथ अपने दामाद को फोन लगाता है और डॉक्टर वाली बात सब उसको बताता है और उसको आकर आरती को ले जाने के लिए कहता है फिर उसका दामाद दूसरे दिन आरती को लेने के लिए आ जाता है , आरती को जाने का मन नहीं था लेकिन वह मजबूरी में उसको जाना पड़ता है , जाने से पहले राजनाथ उसको दवा कैसे खाना है क्या करना है सब उसको समझा देता है।..........

(अगला अपडेट पेज नंबर 67 में मिलेगा)
 
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नमस्कार सभी पाठकों को आप सभी लोगों ने धैर्य के साथ इंतजार किया उसके लिए आप सभी को धन्यवाद।

तो आईए कहानी को आगे बढ़ते हैं अभी तक आप लोगों ने पढ़ा कि राजनाथ दोपहर में आरती से कहता है ब्रा और पैंटी पहन कर दिखाने के लिए , ,जबकि आरती रात में ही ब्रा और पैंटी पहन कर दिखा चुकी थी, लेकिन राजनाथ फिर से मजे लेने के लिए उसे दिन में पहन कर दिखाने के लिए बोल रहा है , यह कहकर कि वह रात में अच्छे से देख नहीं पाया इसलिए वह अभी देखना चाहता है ।

आरती _उसकी बात सुनकर मना नहीं करती लेकिन कहती है की दादी बाहर गई हुई है अगर वह आ गई तो।

राजनाथ_ आ जाएगी तो क्या होगा गेट अंदर से बंद कर देंगे आएगी तो बाहर से आवाज देगी तब खोल देंगे ।

आरती_ मुस्कुराते हुए अच्छा तो दादी बाहर खड़ी रहेगी और आप अंदर में अपनी बेटी की ब्रा और पैंटी की फिटिंग देखेंगे।राजनाथ अरे कपड़े के ही फिटिंग तो देखूंगा और कुछ तो नहीं देखूंगा इसमें गलत क्या है ।

आरती - फिर से मुस्कुराते हैं अरे मैं कहाँ कह रही हूँ कि यह गलत है मैं तो बस आप आपका तारीफ कर रही हूँ।

राजनाथ- मेरी तारीफ छोड़ो और अब जल्दी से दिखा दो आरती हाँ हाँ दिखा दूँगी पहले गेट तो बंद करके आईए।

राजनाथ - उठकर जाता है और गेट बंद करके जल्दी से वापस आ जाता है आकर बरामदे में चौकी पड़ा हुआ था उसी पर बैठ जाता है और वही साइड में आरती खड़ी हुई थी , राजनाथ थोड़ी देर चुप रहने के बाद आरती से कहता है कि अब क्यों चुपचाप खड़ी हो अब तो गेट बंद हो गया है तो किसका इंतजार कर रही हो अब तो दिखा दो।

आरती - भी आज कुछ अलग मूड में थी तो वह भी राजनाथ को और छेड़ना चाहती थी इसलिए वह कहती है कि हाँ हाँ तो देख लीजिए मैं कहाँ मना कर रही हूँ , तो राजनाथ कहता अरे देखूंगा तब जब तुम दिखाओगी मेरा मतलब है ऊपर के कपड़े उतारोगी तभी तो देखूंगा ऐसे कैसे देखूंगा , तभी आरती थोड़ा इठलाते हुए कहती है मैं नहीं उतारूंगी आप खुद उतार लीजिए ।

राजनाथ यह क्या बात हुई अभी तुम खुद दिखाने के लिए तैयार हुई थी और अब तुम बहाने बना रही हो ।

आरती मैं बहाना नहीं बना रही हूँ और यह कोई बहाना नहीं है अगर आपको फल खाना है तो थोडी बहुत तो मेहनत करनी ही पड़ेगी।

राजनाथ - अरे इसमें फल खाने की बात कहाँ से आ गई मैं फल खाने की बात थोड़ी कह रहा हूँ मैं तो सिर्फ फल दिखाने के लिए कह रहा हूँ बलकि फल भी दिखाने के लिए नहीं कह रहा फल के ऊपर जो कवर लगा हुआ है उसको दिखाने के लिए कह रहा हूँ।

आरती - आप जिसको देखाने की बात कह रहे हैं वह भी कोई मामूली चीज नहीं है उसको भी देखने के लिए सब तड़पते हैं और आपको इतनी आसानी से देखने को मिल रहा है फिर भी आप थोड़ी सी मेहनत नहीं करना चाहते इसलिए आज आपको थोड़ी सी मेहनत तो करनी ही पड़ेगी।

राजनाथ - मन में सोंचते हुए ए अब ऐसे नहीं मानेगी तो कहता है ठीक है लेकिन तुमको मेरी एक बात माननी पड़ेगी बोलो मानोगी कि नहीं।

आरती- बोलिए क्या बात है ।

राजनाथ- बात यह है कि इस बार तुम खुद ही खोल कर दिखा दो और अगर इसके बाद फिर कभी मुझे देखना होगा तो मैं खुद मेहनत कर लूँगा मेरा मतलब है मैं खुद तुम कहोगी तो मैं खुद खोल कर देख लूँगा।

राजनाथ- की बात सुनकर आरती मन ही मन कहती है कि मुझे पता था कि इतना आसानी से नहीं मानेंगे फिर वह कहती है ठीक है सिर्फ इस बार अगली बार के लिए अपनी बात याद रखीएगा।

राजनाथ- हाँ हाँ पक्का याद रखूँगा।

आरती- ठीक है अपनी आँखें बंद कीजिए।

राजनाथ- आँख क्यों बंद करनी है।

आरती -बंद कीजिए ना मुझे शर्म आ रही है।

राजनाथ- इसमें शर्माने की क्या बात है अच्छा ठीक है बंद कर लेता हूँ।

आरती- अपने कपड़े खोलने लगती है तभी उसका ब्लाउज का हूँक फंस जाता है तो थोड़ा टाइम लगता है तो राजनाथ पूछता है हो गया कितना टाइम लगाती हो।

आरती- थोड़ा सबर कीजिए यह आपका गंजी और पैजामा नहीं है कि फट से खोलकर निकाल दिया साड़ी और ब्लाउज है इसमें हूँक लगा हुआ रहता है इसको खोलने में टाइम लगता है अगर आपको जल्दी है तो आकर खुद ही खोल दीजिए राजनाथ अच्छा ठीक है तुम आराम से खोलो मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था , तभी आरती कहती है हो गया है अब आप अपनी आँखें खोल लीजिए , राजनाथ क्या हो गया जैसे हो वह अपनी आँखें खोलता है और अपनी जवान बेटी को ब्रा और पैंटी में देखा है तो उसका मन एकदम उछलने लगता है और उसका मन करने लगता है कि वह अपनी बेटी को बाहों में भर ले और उसे बिस्तर पर ले जाकर उसके जिस्म के साथ खूब खेल , लेकिन वह जानता था कि वह ऐसा नहीं कर सकता इसलिए वह अपनी इच्छा को अपने मन में दबाते हुए वह सिर्फ अपनी आँखों से ही देखकर मजा लेने लगता है , और उसकी नजर उसके ब्रा में से निकले हुए आधे दूध को देखने लगता है और धीरे-धीरे उसकी नजर छाती पर से नाभि पर नाभि से फिर नीचे उसकी पैंटी पर जाता है और जैसे ही उसकी नजर उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी फुली हुई चूत पर जाता है तो उसका लँड पजामे के अंदर में उछलने की कोशिश करता है लेकिन वह उछल नहीं पता , क्योंकि वह लंगोट में कसा हुआ था इस वजह से वह उछल नहीं पा रहा था। राजनाथ अपनी बेटी को इस रूप में देखकर वह अपने पुराने दिनों में खो गया था , जब मेरी बीवी शादी होकर आई थी तब बिल्कुल इसी तरह दिख रही थी लेकिन समय-समय की बात है उस वक्त में जो चाह रहा था वह कर पा रहा था लेकिन आज मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा हूँ , तभी आरती धीरे से कहती है कैसी लगी फिटिंग सही है कि नहीं राजनाथ उसकी बात को सुन नहीं पता , आरती फिर से कहती है बाबूजी बताइए ना फिटिंग कैसी है राजनाथ थोड़ा चौंकते हुए हाँ हाँ फिटिंग बहुत अच्छी है और तुम इसमें बहुत अच्छी लग रही हो राजनाथ कुछ सेकेंड बाद फिटिंग तो अच्छी है लेकिन थोड़ी टाइट लग रही है।

आरती- टाइट लग रही है क्या चीज टाइट लग रही है ब्रा या पैंटी।

राजनाथ- मुस्कुराते हुए ब्रा और पैंटी भी टाइट लग रही है और वो दोनों भी टाइट लग रही है।

आरती- क्या मतलब मैं समझी नहीं आपकी बात ब्रा और पैंटी भी टाइट लग रही है और वह दोनों भी टाइट लग रही है वह दोनों क्या है।

राजनाथ- वही दोनों जो ब्रा और पैंटी के अंदर में है मैं उन दोनों की बात कर रहा हूँ ।

आरती- राजनाथ की डबल मीनिंग वाली बात को समझ जाती है लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए कहती है यह आप क्या कर रहे हैं मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूँँ ब्रा और पैंटी के अंदर में क्या कुछ-कुछ भी तो नहीं है।

राजनाथ- अगर तुम ठीक से सोचोगी तो तुम्हें समझ में आएगा लेकिन कोई बात नहीं अगर तुमको समझ में नहीं आ रहा है तो फिर कभी बाद में समझ लेना लेकिन तुम्हारे ऊपर yah कपड़े बहुत अच्छे लग रहे हैं ।

आरती- आपने कहा कि वह दोनों भी टाइट है तो आपको कैसे पता कि वो दोनों भी टाइट है नाहीं अपने उसे छुआ है नाहीं ठीक से देखा है फिर आप कैसे कह सकते हैं की ढीला है कि टाइट है।

राजनाथ - इतना तजुर्बा तो है कि आम को देखकर बता सकता हूँ कि वह पका हुआ है कि कच्चा है ।

आरती - ठीक है मैं आपकी यह बात मान लेती हूँ की आपको इतने साल का तजुर्बा है और आप दूर से देख कर बता सकते हैं कि कच्चा है या पक्का लेकिन आप उसे आम के बारे में कैसे बता सकते हैं जो अंदर में छुपा हुआ है मेरा मतलब है नीचे वाले के बारे में वह तो आपको दिखाई नहीं दे रहा है तो आप उसके बारे में यह बात कैसे कह सकते हैं।

राजनाथ- मुस्कुराते हुए मैं इसलिए कह सकता हूं कि जो ऊपर वाले को ढीला नहीं कर पाया है वह नीचे वाले को क्या ढीला करेगा इसलिए मेरा तजुर्बा कहता है कि नीचे वाला भी टाइट ही होगा।

आरती- मुस्कुराते हुए अच्छा तो आप अंदाजे में तीर चला रहे हैं आप पूरा यकीन के साथ यह बात नहीं कह सकते ।

राजनाथ- नहीं मैं यकीन के साथ तो नहीं कह सकता लेकिन मेरा जो तजुर्बा कहता है वह मैंने तुमको बताया अब तुम ही बता सकती हो कि मेरा बात सही है या गलत ।

आरती- मैं कैसे बता सकती हूँ।

राजनाथ -तुम नहीं बताओगी तो और कौन बताएगा वह तुम्हारा चीज है तो तुम ही बताओगे ना और अगर तुम नहीं बता सकती तो फिर जो उसको देखेगा वही बता सकता है।

आरती - अच्छा कौन देखेगा उसको।

राजनाथ - मैं कैसे बता सकता हूँ तभी राजनाथ की माँ
बाहर से गेट खोलने की आवाज देती है , आरती उसकी बात सुनकर घबरा जाती और कहती है दादी आ गई अब क्या होगा, राजनाथ क्या होगा कुछ नहीं तुम अपने कपड़े लेकर कमरे में जाकर पहनो तब तक मैं गेट खोलता हूँ और उसे बता दूँगा की आरती घर में कुछ काम कर रही है।

आरती- अपने कपड़े लेकर कमरे के अंदर में जाने लगती है तो राजनाथ उसको जाते हुए देख रहा है और मन में सोच रहा है कि कुछ देर और इसी तरह मेरे साथ में रहती तो और अच्छा होता है लेकिन माँ को भी अभी आना था कुछ देर बाद आती तो क्या बिगड़ जाता फिर वह उठकर गेट खोलने के लिए चला जाता है जैसे ही गेट खोलता है तो उसकी माँ पूछती है की आरती कहाँ गई , राजनाथ कहीं नहीं घर में है कुछ काम कर रही होगी इसलिए मुझे बोली खोलने के लिए तो मैं आकर खोल दिया, फिर कुछ देर में आरती अपने कपड़े पहन कर बाहर आती है तो दादी पूछती है क्या काम कर रही थी जो गेट खोल नहीं खोल सकती और अपने बापू को भेज दिया गेट खोलने के लिए आरती कुछ नहीं दादी कपड़े चेंज कर रहे थे इसलिए मैं नहीं जा पाई तभि राजनाथ की तरफ देखती है तो राजनाथ उसको देखकर हल्का-हल्का मुस्कुरा रहा था तो आरती उसको देखकर शर्मा के अपनी नज़रें नीचे कर लेती है, तभी दादी कहती है कि मुझे भूख लगी है जा मेरा खाना लेकर आओ फिर दादी को खाना देती है फिर इसी तरह शाम गुजरती है फिर रात में खाना-वाना खाने के बाद जब राज नाथ को मालिश करने के लिए जाती है तो कहती है कि आज मैं ज्यादा देर तक मालिश नहीं कर पाऊंगी क्योंकि मेरे कमर मे और कमर नीचे दर्द कर रहा है ।

राजनाथ- क्यों क्या हुआ।

आरती - कुछ नहीं लगता है आने वाला है।

राजनाथ- क्या आने वाला है।

आरती- वही जो हर महीने आता है महीना पीरियड जब भी आने वाला रहता है तो इसी तरह दर्द करता है ।

राजनाथ - तो फिर दर्द का दवा क्यों नहीं खाती।

आरती - दर्द का दवा खाने से क्या होगा थोड़ा बहुत तो दर्द करेगा ही yah तो सभी औरतों के साथ होता है ।

राजनाथ- फिर तो तुमको तो अब जाना पड़ेगा।

आरती- कहाँ जाना पड़ेगा।

राजनाथ- ससुराल जाना पड़ेगा और कहाँ जाना पड़ेगा डॉक्टर के पास से जो दवा लेकर आई है उसको तो चालू करना पड़ेगा ना।

आरती -मैं नहीं जाने वाली हूँ जब तक लेने के लिए नहीं आएगा तब तक मैं नहीं जाऊंगी मैं इतनी गिरी भी नहीं हूं कि खुद चली जाऊंगी ।

राजनाथ - ठीक है मैं दामाद जी को फोन करके आने के लिए कहता हूँ , फिर आरती मालिश करके सोने के लिए चली जाती है और फिर सुबह होने से पहले ही उसका पीरियड चालू हो जाता है , सुबह नाश्ता करने के टाइम राजनाथ आरती से पूछता है कि पीरियड चालू हो गया , तो आरती कहती है कि हाँ चालू हो गया है।

नाश्ता करने के बाद राजनाथ अपने दामाद को फोन लगाता है और डॉक्टर वाली बात सब उसको बताता है और उसको आकर आरती को ले जाने के लिए कहता है फिर उसका दामाद दूसरे दिन आरती को लेने के लिए आ जाता है , आरती को जाने का मन नहीं था लेकिन वह मजबूरी में उसको जाना पड़ता है , जाने से पहले राजनाथ उसको दवा कैसे खाना है क्या करना है सब उसको समझा देता है।..........
Jabardast
Der aaye magar durust aaye
 
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