- 62
- 703
- 84
अपडेट नंबर 25 आ गया है पेज नंबर 80 में आप सभी पाठक उसको पढ़ कर आनंद ले सकते हैं धन्यवाद।
Last edited:
Nice update!! Exciting, stunning and absolutely thrilling writings! Eagerly waiting for the next update with more hot and spicy descriptions!भाग २३
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती के जाने के बाद राजनाथ का मन बिल्कुल नहीं लग रहा था।
दिन तो किसी तरह इधर-उधर घूम के काट लेता था लेकिन रात में उसको आरती की बहुत याद आती थी।
राजनाथ आज दोपहर में खाना खाकर लेटे-लेटे सोच रहा था की आरती को गए हुए आज 15 दिन हो गए हैं ,और बहुत दिनों से फोन भी नहीं किया फोन करके हाल-चाल पूछ लेता हूँ, यह सोचकर आरती को फोन लगता है ।और उधर जैसे ही आरती के मोबाइल में राजनाथ का नंबर दीखता है तो आरती का मन एकदम से खिल उठता है और फट से फोन उठाती है, और बोलती है हेलो बाबू जी कैसे हो आप।
राजनाथ,- मैं ठीक हूँ बेटा तुम कैसी हो।
आरती- मैं भी ठीक हूँ बाबूजी आज बहुत दिनों के बाद फोन किया लगता है अपनी बेटी को भूल गए।
राजनाथ - नहीं बेटा ऐसा नहीं हो सकता मैं भला कभी अपनी बेटी को भूल सकता हूंँ ऐसा कभी नहीं होगा।
आरती - तो फिर इतने दिनों से फोन क्यों नहीं कर रहे थे।
राजनाथ - मै फोन इसलिए नहीं कर रहा था कि शायद तुम लोगों को दिक्कत होगी इसी वजह से नहीं कर रहा था ।
आरती- आपके फोन करने से हम लोग को भला क्या दिक्कत होगी।
राजनाथ - यही कहोगी कि आए हुए दो दिन भी नहीं हुआ और फोन पर फोन करना चालू कर दिया और दामाद जी भी सोचेंगे कि इतने महीने रखने के बाद भी पेट नहीं भरा और यहाँ आते के साथ फोन करना चालू कर दिया ।
आरती - वो ऐसा कुछ नहीं सोचेंगे यह आपका वह हम है और ये आपने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच लिया कि कि आपका फोन आने से मुझे दिक्कत होगी।
राजनाथ - अच्छा सॉरी बाबा मैं ऐसा अब नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में सच कहूं तो मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी दिन तो किसी तरह इधर-उधर काम में व्यस्त रहने की वजह से गुजर जाता है लेकिन रात में तुम्हारी बहुत याद आती है।
आरती - क्यों रात में क्यों याद आती है।
राजनाथ-- क्यों याद आती है तुम्हें नहीं पता तुम ही तो मेरा आदत बिगाड़ के गई हो ।
आरती - कौन सी आदत।
राजनाथ-- कौन सी आदत तुम्हें नहीं पता जब भी मैं रात को खाना खाने के बाद बेड पर सोने के लिए जाता हूँ तो मुझे लगता है कि अब मेरी बेटी आरती आएगी और मेरे हाथों और पैरों की मालिश अच्छे से करेगी तब जाकर मुझे सुकून की नींद आएगी और मैं आराम से सोऊंगा लेकिन तुम तो नहीं आती सिर्फ तुम्हारी याद आती है और तुम्हारी याद में करवटें बदलते हुए सो जाता हूँ
आरती- मुझे माफ कर दीजिए बाबूजी मेरी वजह से आपको इतनी तकलीफ हो रही है मैं बहुत जल्द आऊंगी और आपकी सेवा करूंगी बस कुछ दिन और इंतजार कर लीजिए।
राजनाथ- अरे बेटा यह सब छोड़ो ए तो मेरी जिंदगी का हिस्सा है ये बताओ की तुम जो काम के लिए गई हो वो तो अच्छे से हो रहा है ना।
आरती - कौन सा काम।
राजनाथ - अरे वही जिस काम के लिए तुम वहाँ गई हो मेरा मतलब है मुझे नाना बनाने वाला काम।
यह बात सुनते ही आरती शर्मा जाती है और कुछ बोलती नहीं है ।
राजनाथ - अरे कुछ बोल क्यों नहीं रही हो दवा तो अच्छे से खा रही हो ना और दामाद जी को भी खिला रही हो कि नहीं।
आरती- हाँ दवा तो खा रही हूं और उनको भी खिला रही हूंँ।
राजनाथ -- अरे जब दवा अच्छे से खा रही हो और उनको भी खिला रही तब तो कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए लगता है इस बार मैं नाना बन जाऊंगा आरती कुछ जवाब नहीं देती राजनाथ अरे बोल क्यों नहीं रही हो इस बार मै नाना बन जाऊंगा ना।
आरती- शरमाते हुए मैं कैसे बताऊंगी कि आप नाना बनेंगे कि नहीं बनेंगे।
राजनाथ - अरे तुम नहीं बताओगी तो और कौन बताएगा और कौन है जो मुझे नाना बनाएगा एक तुम ही तो मेरी इकलौती बेटी हो जो मुझे नाना बन सकती हो।
आरती - वह तो ठीक है लेकिन सिर्फ मेरे हाथ में आपके नाना बनाने का रहता तो मैं आपको कब का नाना बन चुकी होती लेकिन आप अपने दामाद से भी तो पूछिए कि वह आपके नाना बन पाएगा कि नहीं।
राजनाथ- नहीं मैं उससे सब नहीं पूछ सकता।
आरती - क्यों क्यों नहीं पूछ सकते।
राजनाथ - इसलिए नहीं पूछ सकता कि मैं उसका ससुर और वह मुझसे वैसे भी बहुत शरमाता रहता है तो इस बारे में वह मुझे क्या बताएगा ।
आरती - अच्छा अपने दामाद से यह सब नहीं पूछ सकते लेकिन अपनी बेटी से पूछ सकते हो।
राजनाथ- हाँ जो बात मैं तुमसे कर सकता हूँ उससे नहीं कर सकता अच्छा यह सब छोड़ो और यह बताओ कि दामाद जी अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
आरती - अब मैं आपको कैसे बताऊं कि काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं, वह तो एक महीना के बाद ही पता चलेगा जब उसका रिजल्ट आएगा तब आप भी जान जाएंगे की आपके दामाद ने काम अच्छे से किया है कि नहीं ।
राजनाथ-- वो तो तब पता चल ही जाएगा लेकिन अभी मैं तुमसे जानना चाह रहा हूँ कि तुमको क्या लग रहा है वह अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
तभी आरती के दिमाग में अपने आप को छेड़ने का आईडिया आता है और वह मुस्कुराते हुए बोलती है मैं आपको ऐसे तो नहीं बता सकती लेकिन मैं आपको एक वीडियो बनाकर भेज दूंगी आपके मोबाइल में तब आप खुद देख लेना कि आपका दामाद काम कैसे कर रहा है।
राजनाथ- छी छी यह तुम कैसी बातें कर रही है मैं तुमसे यह सब करने के लिए कहा है जो तुम ऐसी बातें कर रही हो।
आरती- अरे तो ईस में गलत क्या है आप ही तो जानना चाह रहे हैं और पूछ रहे हैं तो मुझे लगा कि अगर मैं आपको बोल कर बताऊंगी तो आप नहीं समझ पाएंगे तो मैंने सोचा की वीडियो बनाकर भेज दूंगी तो आप अच्छे से समझ जाएंगे।
राजनाथ- नहीं यह गलत है ।
आरती- क्या गलत है आप जो पूछ रहे हैं वह गलत है या मैं जो कह रही हूं वह गलत है ।
राजनाथ वीडियो बनाकर दिखाने वाली बात गलत है।
आरती- अच्छा आप उसके के बारे में पूछ रहे हैं वह गलत नहीं है और मैं उसका वीडियो बनाकर दिखा दूंगी वह गलत है।
राजनाथ- हाँ बिल्कुल गलत है ।
आरती -जरा मुझे बताएंगे कि कैसे गलत है।
राजनाथ - अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछता हूं यह बताओ कि खाना खाना और खाना देखना एक बात है या अलग-अलग बात है।
आरती - दोनों अलग-अलग अर्थ है ।
राजनाथ - तुम्हारी और मेरी बात में भी यही अंतर है मैं खाना देखने की बात कर रहा हूं तुम खाना खाने की बात कर रही हो ठीक है अगर तुम उसके बारे में बात नहीं करना चाह रही हो तो कोई बात नहीं लेकिन तुम अपना ख्याल रखना और अपना काम अच्छे से करो बस मुझे नाना बना दो और मुझे कुछ नहीं चाहिए दादी आ रही है अब मैं फोन रखता हूं फिर मैं बाद में फोन करूंगा।
फोन कटने के बाद आरती बैठकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी वीडियो वाली बात सोच कर की कैसे उसने बाबूजी के सामने यह बात बोल दी यह सब बात सच ही रही होती कि तभी उसके मन में ख्याल आता है कि क्या मैं ऐसा सच में कर सकती हूँ तो क्यों ना एक वीडियो बनाकर रख लेती हूं, बाद में फिर कभी अगर ऐसा मौका आया तो मैं बाबूजी को दिखा सकती हूँ, लेकिन मैं बनाऊंगी कैसे मेरे पास तो मोबाइल नहीं अगर इस मोबाइल से बनाऊंगी तो यह तो यहीं पर रह जाएगा तो फिर वहां कैसे लेकर जाऊंगी कुछ उपाय करना पड़ेगा। जब उसका पति घर आता है तो पति से कहती है कि उसे एक नया मोबाइल चाहिए और वह जिद्द करने लगती है और कहती है कि उसे एक मोबाइल चाहिए उसका पति उसकी बात मानकर उसको एक मोबाइल लेकर दे देता है।
और इसी तरह 15 दिन और गुजर जाते हैं और जिस आशा और विश्वास के साथ आरती अपने बाप का घर छोड़कर यहाँ आई थी वह आशा और विश्वास आज फिर एक बार टूट चुका था और आज उसका पीरियड फिर चालू हो गया था और उसकी माँ बनने का सपना एक बार फिर टूट चुका था और वह बहुत उदास हो गई और सोचने लगी कि क्या मुंह लेकर अपने बाबूजी के पास जाऊंगी और उनको क्या बताऊंगी।
इस बारे में अपने पति को बताती है और कहती है कि डॉक्टर ने जो दवा दिया वह तो काम नहीं किया फिर से उसके पास जाना पड़ेगा क्या आप मेरे साथ चलेंगे।
आरती का पति अशोक नहीं मैं वहाँ जाकर क्या करूंगा अगर फिर से जाना है तो तुम चली जाओ मैं नहीं जा पाऊंगा क्योंकि मेरा यहाँ काम है।
आरती जानती थी कि वह नहीं जाएगा वह तो सिर्फ इजाजत ले रही थी फिर वह अपना सामान पैक करके अपनी मायके जाने के लिए निकल जाती है और जैसे ही वहां पहुंचती है दरवाजा खटखटा आती है तो राजनाथ थी दरवाजा खुलता है जैसे ही आरती राजनाथ को देखते हैं उसे लिपटकर रोने लगती है।
राजनाथ अरे क्या हुआ मेरी बेटी को क्यों रो रही है यह बात बोलते हुए दोनों बाहों में भर लेता है और अपने सीने से लगा लेता है और इसी तरह कुछ देर दोनों बाप बेटी एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहते हैं तभी राजनाथ कहता है कि अब रोना बंद कर और मुझे बताओ कि हुआ क्या है। तभी आरती कहती है कि जिस काम के लिए मैं आपको छोड़कर गई वह काम नहीं हुआ मैं आपको नाना नहीं बना सकती।
राजनाथ अरे पगली इसमें रोने की क्या बात है नहीं हुआ कोई बात नहीं कोई दूसरा उपाय या दूसरा रास्ता ढूंढेंगे तू टेंशन मत ले कोई ना कोई रास्ता जरूर निकलेगा।
...........................
mst
भाग २३
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती के जाने के बाद राजनाथ का मन बिल्कुल नहीं लग रहा था।
दिन तो किसी तरह इधर-उधर घूम के काट लेता था लेकिन रात में उसको आरती की बहुत याद आती थी।
राजनाथ आज दोपहर में खाना खाकर लेटे-लेटे सोच रहा था की आरती को गए हुए आज 15 दिन हो गए हैं ,और बहुत दिनों से फोन भी नहीं किया फोन करके हाल-चाल पूछ लेता हूँ, यह सोचकर आरती को फोन लगता है ।और उधर जैसे ही आरती के मोबाइल में राजनाथ का नंबर दीखता है तो आरती का मन एकदम से खिल उठता है और फट से फोन उठाती है, और बोलती है हेलो बाबू जी कैसे हो आप।
राजनाथ,- मैं ठीक हूँ बेटा तुम कैसी हो।
आरती- मैं भी ठीक हूँ बाबूजी आज बहुत दिनों के बाद फोन किया लगता है अपनी बेटी को भूल गए।
राजनाथ - नहीं बेटा ऐसा नहीं हो सकता मैं भला कभी अपनी बेटी को भूल सकता हूंँ ऐसा कभी नहीं होगा।
आरती - तो फिर इतने दिनों से फोन क्यों नहीं कर रहे थे।
राजनाथ - मै फोन इसलिए नहीं कर रहा था कि शायद तुम लोगों को दिक्कत होगी इसी वजह से नहीं कर रहा था ।
आरती- आपके फोन करने से हम लोग को भला क्या दिक्कत होगी।
राजनाथ - यही कहोगी कि आए हुए दो दिन भी नहीं हुआ और फोन पर फोन करना चालू कर दिया और दामाद जी भी सोचेंगे कि इतने महीने रखने के बाद भी पेट नहीं भरा और यहाँ आते के साथ फोन करना चालू कर दिया ।
आरती - वो ऐसा कुछ नहीं सोचेंगे यह आपका वह हम है और ये आपने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच लिया कि कि आपका फोन आने से मुझे दिक्कत होगी।
राजनाथ - अच्छा सॉरी बाबा मैं ऐसा अब नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में सच कहूं तो मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी दिन तो किसी तरह इधर-उधर काम में व्यस्त रहने की वजह से गुजर जाता है लेकिन रात में तुम्हारी बहुत याद आती है।
आरती - क्यों रात में क्यों याद आती है।
राजनाथ-- क्यों याद आती है तुम्हें नहीं पता तुम ही तो मेरा आदत बिगाड़ के गई हो ।
आरती - कौन सी आदत।
राजनाथ-- कौन सी आदत तुम्हें नहीं पता जब भी मैं रात को खाना खाने के बाद बेड पर सोने के लिए जाता हूँ तो मुझे लगता है कि अब मेरी बेटी आरती आएगी और मेरे हाथों और पैरों की मालिश अच्छे से करेगी तब जाकर मुझे सुकून की नींद आएगी और मैं आराम से सोऊंगा लेकिन तुम तो नहीं आती सिर्फ तुम्हारी याद आती है और तुम्हारी याद में करवटें बदलते हुए सो जाता हूँ
आरती- मुझे माफ कर दीजिए बाबूजी मेरी वजह से आपको इतनी तकलीफ हो रही है मैं बहुत जल्द आऊंगी और आपकी सेवा करूंगी बस कुछ दिन और इंतजार कर लीजिए।
राजनाथ- अरे बेटा यह सब छोड़ो ए तो मेरी जिंदगी का हिस्सा है ये बताओ की तुम जो काम के लिए गई हो वो तो अच्छे से हो रहा है ना।
आरती - कौन सा काम।
राजनाथ - अरे वही जिस काम के लिए तुम वहाँ गई हो मेरा मतलब है मुझे नाना बनाने वाला काम।
यह बात सुनते ही आरती शर्मा जाती है और कुछ बोलती नहीं है ।
राजनाथ - अरे कुछ बोल क्यों नहीं रही हो दवा तो अच्छे से खा रही हो ना और दामाद जी को भी खिला रही हो कि नहीं।
आरती- हाँ दवा तो खा रही हूं और उनको भी खिला रही हूंँ।
राजनाथ -- अरे जब दवा अच्छे से खा रही हो और उनको भी खिला रही तब तो कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए लगता है इस बार मैं नाना बन जाऊंगा आरती कुछ जवाब नहीं देती राजनाथ अरे बोल क्यों नहीं रही हो इस बार मै नाना बन जाऊंगा ना।
आरती- शरमाते हुए मैं कैसे बताऊंगी कि आप नाना बनेंगे कि नहीं बनेंगे।
राजनाथ - अरे तुम नहीं बताओगी तो और कौन बताएगा और कौन है जो मुझे नाना बनाएगा एक तुम ही तो मेरी इकलौती बेटी हो जो मुझे नाना बन सकती हो।
आरती - वह तो ठीक है लेकिन सिर्फ मेरे हाथ में आपके नाना बनाने का रहता तो मैं आपको कब का नाना बन चुकी होती लेकिन आप अपने दामाद से भी तो पूछिए कि वह आपके नाना बन पाएगा कि नहीं।
राजनाथ- नहीं मैं उससे सब नहीं पूछ सकता।
आरती - क्यों क्यों नहीं पूछ सकते।
राजनाथ - इसलिए नहीं पूछ सकता कि मैं उसका ससुर और वह मुझसे वैसे भी बहुत शरमाता रहता है तो इस बारे में वह मुझे क्या बताएगा ।
आरती - अच्छा अपने दामाद से यह सब नहीं पूछ सकते लेकिन अपनी बेटी से पूछ सकते हो।
राजनाथ- हाँ जो बात मैं तुमसे कर सकता हूँ उससे नहीं कर सकता अच्छा यह सब छोड़ो और यह बताओ कि दामाद जी अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
आरती - अब मैं आपको कैसे बताऊं कि काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं, वह तो एक महीना के बाद ही पता चलेगा जब उसका रिजल्ट आएगा तब आप भी जान जाएंगे की आपके दामाद ने काम अच्छे से किया है कि नहीं ।
राजनाथ-- वो तो तब पता चल ही जाएगा लेकिन अभी मैं तुमसे जानना चाह रहा हूँ कि तुमको क्या लग रहा है वह अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
तभी आरती के दिमाग में अपने आप को छेड़ने का आईडिया आता है और वह मुस्कुराते हुए बोलती है मैं आपको ऐसे तो नहीं बता सकती लेकिन मैं आपको एक वीडियो बनाकर भेज दूंगी आपके मोबाइल में तब आप खुद देख लेना कि आपका दामाद काम कैसे कर रहा है।
राजनाथ- छी छी यह तुम कैसी बातें कर रही है मैं तुमसे यह सब करने के लिए कहा है जो तुम ऐसी बातें कर रही हो।
आरती- अरे तो ईस में गलत क्या है आप ही तो जानना चाह रहे हैं और पूछ रहे हैं तो मुझे लगा कि अगर मैं आपको बोल कर बताऊंगी तो आप नहीं समझ पाएंगे तो मैंने सोचा की वीडियो बनाकर भेज दूंगी तो आप अच्छे से समझ जाएंगे।
राजनाथ- नहीं यह गलत है ।
आरती- क्या गलत है आप जो पूछ रहे हैं वह गलत है या मैं जो कह रही हूं वह गलत है ।
राजनाथ वीडियो बनाकर दिखाने वाली बात गलत है।
आरती- अच्छा आप उसके के बारे में पूछ रहे हैं वह गलत नहीं है और मैं उसका वीडियो बनाकर दिखा दूंगी वह गलत है।
राजनाथ- हाँ बिल्कुल गलत है ।
आरती -जरा मुझे बताएंगे कि कैसे गलत है।
राजनाथ - अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछता हूं यह बताओ कि खाना खाना और खाना देखना एक बात है या अलग-अलग बात है।
आरती - दोनों अलग-अलग अर्थ है ।
राजनाथ - तुम्हारी और मेरी बात में भी यही अंतर है मैं खाना देखने की बात कर रहा हूं तुम खाना खाने की बात कर रही हो ठीक है अगर तुम उसके बारे में बात नहीं करना चाह रही हो तो कोई बात नहीं लेकिन तुम अपना ख्याल रखना और अपना काम अच्छे से करो बस मुझे नाना बना दो और मुझे कुछ नहीं चाहिए दादी आ रही है अब मैं फोन रखता हूं फिर मैं बाद में फोन करूंगा।
फोन कटने के बाद आरती बैठकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी वीडियो वाली बात सोच कर की कैसे उसने बाबूजी के सामने यह बात बोल दी यह सब बात सच ही रही होती कि तभी उसके मन में ख्याल आता है कि क्या मैं ऐसा सच में कर सकती हूँ तो क्यों ना एक वीडियो बनाकर रख लेती हूं, बाद में फिर कभी अगर ऐसा मौका आया तो मैं बाबूजी को दिखा सकती हूँ, लेकिन मैं बनाऊंगी कैसे मेरे पास तो मोबाइल नहीं अगर इस मोबाइल से बनाऊंगी तो यह तो यहीं पर रह जाएगा तो फिर वहां कैसे लेकर जाऊंगी कुछ उपाय करना पड़ेगा। जब उसका पति घर आता है तो पति से कहती है कि उसे एक नया मोबाइल चाहिए और वह जिद्द करने लगती है और कहती है कि उसे एक मोबाइल चाहिए उसका पति उसकी बात मानकर उसको एक मोबाइल लेकर दे देता है।
और इसी तरह 15 दिन और गुजर जाते हैं और जिस आशा और विश्वास के साथ आरती अपने बाप का घर छोड़कर यहाँ आई थी वह आशा और विश्वास आज फिर एक बार टूट चुका था और आज उसका पीरियड फिर चालू हो गया था और उसकी माँ बनने का सपना एक बार फिर टूट चुका था और वह बहुत उदास हो गई और सोचने लगी कि क्या मुंह लेकर अपने बाबूजी के पास जाऊंगी और उनको क्या बताऊंगी।
इस बारे में अपने पति को बताती है और कहती है कि डॉक्टर ने जो दवा दिया वह तो काम नहीं किया फिर से उसके पास जाना पड़ेगा क्या आप मेरे साथ चलेंगे।
आरती का पति अशोक नहीं मैं वहाँ जाकर क्या करूंगा अगर फिर से जाना है तो तुम चली जाओ मैं नहीं जा पाऊंगा क्योंकि मेरा यहाँ काम है।
आरती जानती थी कि वह नहीं जाएगा वह तो सिर्फ इजाजत ले रही थी फिर वह अपना सामान पैक करके अपनी मायके जाने के लिए निकल जाती है और जैसे ही वहां पहुंचती है दरवाजा खटखटा आती है तो राजनाथ थी दरवाजा खुलता है जैसे ही आरती राजनाथ को देखते हैं उसे लिपटकर रोने लगती है।
राजनाथ अरे क्या हुआ मेरी बेटी को क्यों रो रही है यह बात बोलते हुए दोनों बाहों में भर लेता है और अपने सीने से लगा लेता है और इसी तरह कुछ देर दोनों बाप बेटी एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहते हैं तभी राजनाथ कहता है कि अब रोना बंद कर और मुझे बताओ कि हुआ क्या है। तभी आरती कहती है कि जिस काम के लिए मैं आपको छोड़कर गई वह काम नहीं हुआ मैं आपको नाना नहीं बना सकती।
राजनाथ अरे पगली इसमें रोने की क्या बात है नहीं हुआ कोई बात नहीं कोई दूसरा उपाय या दूसरा रास्ता ढूंढेंगे तू टेंशन मत ले कोई ना कोई रास्ता जरूर निकलेगा।
...........................
mst
भाग २३
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती के जाने के बाद राजनाथ का मन बिल्कुल नहीं लग रहा था।
दिन तो किसी तरह इधर-उधर घूम के काट लेता था लेकिन रात में उसको आरती की बहुत याद आती थी।
राजनाथ आज दोपहर में खाना खाकर लेटे-लेटे सोच रहा था की आरती को गए हुए आज 15 दिन हो गए हैं ,और बहुत दिनों से फोन भी नहीं किया फोन करके हाल-चाल पूछ लेता हूँ, यह सोचकर आरती को फोन लगता है ।और उधर जैसे ही आरती के मोबाइल में राजनाथ का नंबर दीखता है तो आरती का मन एकदम से खिल उठता है और फट से फोन उठाती है, और बोलती है हेलो बाबू जी कैसे हो आप।
राजनाथ,- मैं ठीक हूँ बेटा तुम कैसी हो।
आरती- मैं भी ठीक हूँ बाबूजी आज बहुत दिनों के बाद फोन किया लगता है अपनी बेटी को भूल गए।
राजनाथ - नहीं बेटा ऐसा नहीं हो सकता मैं भला कभी अपनी बेटी को भूल सकता हूंँ ऐसा कभी नहीं होगा।
आरती - तो फिर इतने दिनों से फोन क्यों नहीं कर रहे थे।
राजनाथ - मै फोन इसलिए नहीं कर रहा था कि शायद तुम लोगों को दिक्कत होगी इसी वजह से नहीं कर रहा था ।
आरती- आपके फोन करने से हम लोग को भला क्या दिक्कत होगी।
राजनाथ - यही कहोगी कि आए हुए दो दिन भी नहीं हुआ और फोन पर फोन करना चालू कर दिया और दामाद जी भी सोचेंगे कि इतने महीने रखने के बाद भी पेट नहीं भरा और यहाँ आते के साथ फोन करना चालू कर दिया ।
आरती - वो ऐसा कुछ नहीं सोचेंगे यह आपका वह हम है और ये आपने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच लिया कि कि आपका फोन आने से मुझे दिक्कत होगी।
राजनाथ - अच्छा सॉरी बाबा मैं ऐसा अब नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में सच कहूं तो मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी दिन तो किसी तरह इधर-उधर काम में व्यस्त रहने की वजह से गुजर जाता है लेकिन रात में तुम्हारी बहुत याद आती है।
आरती - क्यों रात में क्यों याद आती है।
राजनाथ-- क्यों याद आती है तुम्हें नहीं पता तुम ही तो मेरा आदत बिगाड़ के गई हो ।
आरती - कौन सी आदत।
राजनाथ-- कौन सी आदत तुम्हें नहीं पता जब भी मैं रात को खाना खाने के बाद बेड पर सोने के लिए जाता हूँ तो मुझे लगता है कि अब मेरी बेटी आरती आएगी और मेरे हाथों और पैरों की मालिश अच्छे से करेगी तब जाकर मुझे सुकून की नींद आएगी और मैं आराम से सोऊंगा लेकिन तुम तो नहीं आती सिर्फ तुम्हारी याद आती है और तुम्हारी याद में करवटें बदलते हुए सो जाता हूँ
आरती- मुझे माफ कर दीजिए बाबूजी मेरी वजह से आपको इतनी तकलीफ हो रही है मैं बहुत जल्द आऊंगी और आपकी सेवा करूंगी बस कुछ दिन और इंतजार कर लीजिए।
राजनाथ- अरे बेटा यह सब छोड़ो ए तो मेरी जिंदगी का हिस्सा है ये बताओ की तुम जो काम के लिए गई हो वो तो अच्छे से हो रहा है ना।
आरती - कौन सा काम।
राजनाथ - अरे वही जिस काम के लिए तुम वहाँ गई हो मेरा मतलब है मुझे नाना बनाने वाला काम।
यह बात सुनते ही आरती शर्मा जाती है और कुछ बोलती नहीं है ।
राजनाथ - अरे कुछ बोल क्यों नहीं रही हो दवा तो अच्छे से खा रही हो ना और दामाद जी को भी खिला रही हो कि नहीं।
आरती- हाँ दवा तो खा रही हूं और उनको भी खिला रही हूंँ।
राजनाथ -- अरे जब दवा अच्छे से खा रही हो और उनको भी खिला रही तब तो कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए लगता है इस बार मैं नाना बन जाऊंगा आरती कुछ जवाब नहीं देती राजनाथ अरे बोल क्यों नहीं रही हो इस बार मै नाना बन जाऊंगा ना।
आरती- शरमाते हुए मैं कैसे बताऊंगी कि आप नाना बनेंगे कि नहीं बनेंगे।
राजनाथ - अरे तुम नहीं बताओगी तो और कौन बताएगा और कौन है जो मुझे नाना बनाएगा एक तुम ही तो मेरी इकलौती बेटी हो जो मुझे नाना बन सकती हो।
आरती - वह तो ठीक है लेकिन सिर्फ मेरे हाथ में आपके नाना बनाने का रहता तो मैं आपको कब का नाना बन चुकी होती लेकिन आप अपने दामाद से भी तो पूछिए कि वह आपके नाना बन पाएगा कि नहीं।
राजनाथ- नहीं मैं उससे सब नहीं पूछ सकता।
आरती - क्यों क्यों नहीं पूछ सकते।
राजनाथ - इसलिए नहीं पूछ सकता कि मैं उसका ससुर और वह मुझसे वैसे भी बहुत शरमाता रहता है तो इस बारे में वह मुझे क्या बताएगा ।
आरती - अच्छा अपने दामाद से यह सब नहीं पूछ सकते लेकिन अपनी बेटी से पूछ सकते हो।
राजनाथ- हाँ जो बात मैं तुमसे कर सकता हूँ उससे नहीं कर सकता अच्छा यह सब छोड़ो और यह बताओ कि दामाद जी अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
आरती - अब मैं आपको कैसे बताऊं कि काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं, वह तो एक महीना के बाद ही पता चलेगा जब उसका रिजल्ट आएगा तब आप भी जान जाएंगे की आपके दामाद ने काम अच्छे से किया है कि नहीं ।
राजनाथ-- वो तो तब पता चल ही जाएगा लेकिन अभी मैं तुमसे जानना चाह रहा हूँ कि तुमको क्या लग रहा है वह अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
तभी आरती के दिमाग में अपने आप को छेड़ने का आईडिया आता है और वह मुस्कुराते हुए बोलती है मैं आपको ऐसे तो नहीं बता सकती लेकिन मैं आपको एक वीडियो बनाकर भेज दूंगी आपके मोबाइल में तब आप खुद देख लेना कि आपका दामाद काम कैसे कर रहा है।
राजनाथ- छी छी यह तुम कैसी बातें कर रही है मैं तुमसे यह सब करने के लिए कहा है जो तुम ऐसी बातें कर रही हो।
आरती- अरे तो ईस में गलत क्या है आप ही तो जानना चाह रहे हैं और पूछ रहे हैं तो मुझे लगा कि अगर मैं आपको बोल कर बताऊंगी तो आप नहीं समझ पाएंगे तो मैंने सोचा की वीडियो बनाकर भेज दूंगी तो आप अच्छे से समझ जाएंगे।
राजनाथ- नहीं यह गलत है ।
आरती- क्या गलत है आप जो पूछ रहे हैं वह गलत है या मैं जो कह रही हूं वह गलत है ।
राजनाथ वीडियो बनाकर दिखाने वाली बात गलत है।
आरती- अच्छा आप उसके के बारे में पूछ रहे हैं वह गलत नहीं है और मैं उसका वीडियो बनाकर दिखा दूंगी वह गलत है।
राजनाथ- हाँ बिल्कुल गलत है ।
आरती -जरा मुझे बताएंगे कि कैसे गलत है।
राजनाथ - अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछता हूं यह बताओ कि खाना खाना और खाना देखना एक बात है या अलग-अलग बात है।
आरती - दोनों अलग-अलग अर्थ है ।
राजनाथ - तुम्हारी और मेरी बात में भी यही अंतर है मैं खाना देखने की बात कर रहा हूं तुम खाना खाने की बात कर रही हो ठीक है अगर तुम उसके बारे में बात नहीं करना चाह रही हो तो कोई बात नहीं लेकिन तुम अपना ख्याल रखना और अपना काम अच्छे से करो बस मुझे नाना बना दो और मुझे कुछ नहीं चाहिए दादी आ रही है अब मैं फोन रखता हूं फिर मैं बाद में फोन करूंगा।
फोन कटने के बाद आरती बैठकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी वीडियो वाली बात सोच कर की कैसे उसने बाबूजी के सामने यह बात बोल दी यह सब बात सच ही रही होती कि तभी उसके मन में ख्याल आता है कि क्या मैं ऐसा सच में कर सकती हूँ तो क्यों ना एक वीडियो बनाकर रख लेती हूं, बाद में फिर कभी अगर ऐसा मौका आया तो मैं बाबूजी को दिखा सकती हूँ, लेकिन मैं बनाऊंगी कैसे मेरे पास तो मोबाइल नहीं अगर इस मोबाइल से बनाऊंगी तो यह तो यहीं पर रह जाएगा तो फिर वहां कैसे लेकर जाऊंगी कुछ उपाय करना पड़ेगा। जब उसका पति घर आता है तो पति से कहती है कि उसे एक नया मोबाइल चाहिए और वह जिद्द करने लगती है और कहती है कि उसे एक मोबाइल चाहिए उसका पति उसकी बात मानकर उसको एक मोबाइल लेकर दे देता है।
और इसी तरह 15 दिन और गुजर जाते हैं और जिस आशा और विश्वास के साथ आरती अपने बाप का घर छोड़कर यहाँ आई थी वह आशा और विश्वास आज फिर एक बार टूट चुका था और आज उसका पीरियड फिर चालू हो गया था और उसकी माँ बनने का सपना एक बार फिर टूट चुका था और वह बहुत उदास हो गई और सोचने लगी कि क्या मुंह लेकर अपने बाबूजी के पास जाऊंगी और उनको क्या बताऊंगी।
इस बारे में अपने पति को बताती है और कहती है कि डॉक्टर ने जो दवा दिया वह तो काम नहीं किया फिर से उसके पास जाना पड़ेगा क्या आप मेरे साथ चलेंगे।
आरती का पति अशोक नहीं मैं वहाँ जाकर क्या करूंगा अगर फिर से जाना है तो तुम चली जाओ मैं नहीं जा पाऊंगा क्योंकि मेरा यहाँ काम है।
आरती जानती थी कि वह नहीं जाएगा वह तो सिर्फ इजाजत ले रही थी फिर वह अपना सामान पैक करके अपनी मायके जाने के लिए निकल जाती है और जैसे ही वहां पहुंचती है दरवाजा खटखटा आती है तो राजनाथ थी दरवाजा खुलता है जैसे ही आरती राजनाथ को देखते हैं उसे लिपटकर रोने लगती है।
राजनाथ अरे क्या हुआ मेरी बेटी को क्यों रो रही है यह बात बोलते हुए दोनों बाहों में भर लेता है और अपने सीने से लगा लेता है और इसी तरह कुछ देर दोनों बाप बेटी एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहते हैं तभी राजनाथ कहता है कि अब रोना बंद कर और मुझे बताओ कि हुआ क्या है। तभी आरती कहती है कि जिस काम के लिए मैं आपको छोड़कर गई वह काम नहीं हुआ मैं आपको नाना नहीं बना सकती।
राजनाथ अरे पगली इसमें रोने की क्या बात है नहीं हुआ कोई बात नहीं कोई दूसरा उपाय या दूसरा रास्ता ढूंढेंगे तू टेंशन मत ले कोई ना कोई रास्ता जरूर निकलेगा।
...........................
Bahut kamukta bhara update par thoda lamba update doभाग २३
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती के जाने के बाद राजनाथ का मन बिल्कुल नहीं लग रहा था।
दिन तो किसी तरह इधर-उधर घूम के काट लेता था लेकिन रात में उसको आरती की बहुत याद आती थी।
राजनाथ आज दोपहर में खाना खाकर लेटे-लेटे सोच रहा था की आरती को गए हुए आज 15 दिन हो गए हैं ,और बहुत दिनों से फोन भी नहीं किया फोन करके हाल-चाल पूछ लेता हूँ, यह सोचकर आरती को फोन लगता है ।और उधर जैसे ही आरती के मोबाइल में राजनाथ का नंबर दीखता है तो आरती का मन एकदम से खिल उठता है और फट से फोन उठाती है, और बोलती है हेलो बाबू जी कैसे हो आप।
राजनाथ,- मैं ठीक हूँ बेटा तुम कैसी हो।
आरती- मैं भी ठीक हूँ बाबूजी आज बहुत दिनों के बाद फोन किया लगता है अपनी बेटी को भूल गए।
राजनाथ - नहीं बेटा ऐसा नहीं हो सकता मैं भला कभी अपनी बेटी को भूल सकता हूंँ ऐसा कभी नहीं होगा।
आरती - तो फिर इतने दिनों से फोन क्यों नहीं कर रहे थे।
राजनाथ - मै फोन इसलिए नहीं कर रहा था कि शायद तुम लोगों को दिक्कत होगी इसी वजह से नहीं कर रहा था ।
आरती- आपके फोन करने से हम लोग को भला क्या दिक्कत होगी।
राजनाथ - यही कहोगी कि आए हुए दो दिन भी नहीं हुआ और फोन पर फोन करना चालू कर दिया और दामाद जी भी सोचेंगे कि इतने महीने रखने के बाद भी पेट नहीं भरा और यहाँ आते के साथ फोन करना चालू कर दिया ।
आरती - वो ऐसा कुछ नहीं सोचेंगे यह आपका वह हम है और ये आपने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच लिया कि कि आपका फोन आने से मुझे दिक्कत होगी।
राजनाथ - अच्छा सॉरी बाबा मैं ऐसा अब नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में सच कहूं तो मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी दिन तो किसी तरह इधर-उधर काम में व्यस्त रहने की वजह से गुजर जाता है लेकिन रात में तुम्हारी बहुत याद आती है।
आरती - क्यों रात में क्यों याद आती है।
राजनाथ-- क्यों याद आती है तुम्हें नहीं पता तुम ही तो मेरा आदत बिगाड़ के गई हो ।
आरती - कौन सी आदत।
राजनाथ-- कौन सी आदत तुम्हें नहीं पता जब भी मैं रात को खाना खाने के बाद बेड पर सोने के लिए जाता हूँ तो मुझे लगता है कि अब मेरी बेटी आरती आएगी और मेरे हाथों और पैरों की मालिश अच्छे से करेगी तब जाकर मुझे सुकून की नींद आएगी और मैं आराम से सोऊंगा लेकिन तुम तो नहीं आती सिर्फ तुम्हारी याद आती है और तुम्हारी याद में करवटें बदलते हुए सो जाता हूँ
आरती- मुझे माफ कर दीजिए बाबूजी मेरी वजह से आपको इतनी तकलीफ हो रही है मैं बहुत जल्द आऊंगी और आपकी सेवा करूंगी बस कुछ दिन और इंतजार कर लीजिए।
राजनाथ- अरे बेटा यह सब छोड़ो ए तो मेरी जिंदगी का हिस्सा है ये बताओ की तुम जो काम के लिए गई हो वो तो अच्छे से हो रहा है ना।
आरती - कौन सा काम।
राजनाथ - अरे वही जिस काम के लिए तुम वहाँ गई हो मेरा मतलब है मुझे नाना बनाने वाला काम।
यह बात सुनते ही आरती शर्मा जाती है और कुछ बोलती नहीं है ।
राजनाथ - अरे कुछ बोल क्यों नहीं रही हो दवा तो अच्छे से खा रही हो ना और दामाद जी को भी खिला रही हो कि नहीं।
आरती- हाँ दवा तो खा रही हूं और उनको भी खिला रही हूंँ।
राजनाथ -- अरे जब दवा अच्छे से खा रही हो और उनको भी खिला रही तब तो कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए लगता है इस बार मैं नाना बन जाऊंगा आरती कुछ जवाब नहीं देती राजनाथ अरे बोल क्यों नहीं रही हो इस बार मै नाना बन जाऊंगा ना।
आरती- शरमाते हुए मैं कैसे बताऊंगी कि आप नाना बनेंगे कि नहीं बनेंगे।
राजनाथ - अरे तुम नहीं बताओगी तो और कौन बताएगा और कौन है जो मुझे नाना बनाएगा एक तुम ही तो मेरी इकलौती बेटी हो जो मुझे नाना बन सकती हो।
आरती - वह तो ठीक है लेकिन सिर्फ मेरे हाथ में आपके नाना बनाने का रहता तो मैं आपको कब का नाना बन चुकी होती लेकिन आप अपने दामाद से भी तो पूछिए कि वह आपके नाना बन पाएगा कि नहीं।
राजनाथ- नहीं मैं उससे सब नहीं पूछ सकता।
आरती - क्यों क्यों नहीं पूछ सकते।
राजनाथ - इसलिए नहीं पूछ सकता कि मैं उसका ससुर और वह मुझसे वैसे भी बहुत शरमाता रहता है तो इस बारे में वह मुझे क्या बताएगा ।
आरती - अच्छा अपने दामाद से यह सब नहीं पूछ सकते लेकिन अपनी बेटी से पूछ सकते हो।
राजनाथ- हाँ जो बात मैं तुमसे कर सकता हूँ उससे नहीं कर सकता अच्छा यह सब छोड़ो और यह बताओ कि दामाद जी अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
आरती - अब मैं आपको कैसे बताऊं कि काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं, वह तो एक महीना के बाद ही पता चलेगा जब उसका रिजल्ट आएगा तब आप भी जान जाएंगे की आपके दामाद ने काम अच्छे से किया है कि नहीं ।
राजनाथ-- वो तो तब पता चल ही जाएगा लेकिन अभी मैं तुमसे जानना चाह रहा हूँ कि तुमको क्या लग रहा है वह अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
तभी आरती के दिमाग में अपने आप को छेड़ने का आईडिया आता है और वह मुस्कुराते हुए बोलती है मैं आपको ऐसे तो नहीं बता सकती लेकिन मैं आपको एक वीडियो बनाकर भेज दूंगी आपके मोबाइल में तब आप खुद देख लेना कि आपका दामाद काम कैसे कर रहा है।
राजनाथ- छी छी यह तुम कैसी बातें कर रही है मैं तुमसे यह सब करने के लिए कहा है जो तुम ऐसी बातें कर रही हो।
आरती- अरे तो ईस में गलत क्या है आप ही तो जानना चाह रहे हैं और पूछ रहे हैं तो मुझे लगा कि अगर मैं आपको बोल कर बताऊंगी तो आप नहीं समझ पाएंगे तो मैंने सोचा की वीडियो बनाकर भेज दूंगी तो आप अच्छे से समझ जाएंगे।
राजनाथ- नहीं यह गलत है ।
आरती- क्या गलत है आप जो पूछ रहे हैं वह गलत है या मैं जो कह रही हूं वह गलत है ।
राजनाथ वीडियो बनाकर दिखाने वाली बात गलत है।
आरती- अच्छा आप उसके के बारे में पूछ रहे हैं वह गलत नहीं है और मैं उसका वीडियो बनाकर दिखा दूंगी वह गलत है।
राजनाथ- हाँ बिल्कुल गलत है ।
आरती -जरा मुझे बताएंगे कि कैसे गलत है।
राजनाथ - अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछता हूं यह बताओ कि खाना खाना और खाना देखना एक बात है या अलग-अलग बात है।
आरती - दोनों अलग-अलग अर्थ है ।
राजनाथ - तुम्हारी और मेरी बात में भी यही अंतर है मैं खाना देखने की बात कर रहा हूं तुम खाना खाने की बात कर रही हो ठीक है अगर तुम उसके बारे में बात नहीं करना चाह रही हो तो कोई बात नहीं लेकिन तुम अपना ख्याल रखना और अपना काम अच्छे से करो बस मुझे नाना बना दो और मुझे कुछ नहीं चाहिए दादी आ रही है अब मैं फोन रखता हूं फिर मैं बाद में फोन करूंगा।
फोन कटने के बाद आरती बैठकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी वीडियो वाली बात सोच कर की कैसे उसने बाबूजी के सामने यह बात बोल दी यह सब बात सच ही रही होती कि तभी उसके मन में ख्याल आता है कि क्या मैं ऐसा सच में कर सकती हूँ तो क्यों ना एक वीडियो बनाकर रख लेती हूं, बाद में फिर कभी अगर ऐसा मौका आया तो मैं बाबूजी को दिखा सकती हूँ, लेकिन मैं बनाऊंगी कैसे मेरे पास तो मोबाइल नहीं अगर इस मोबाइल से बनाऊंगी तो यह तो यहीं पर रह जाएगा तो फिर वहां कैसे लेकर जाऊंगी कुछ उपाय करना पड़ेगा। जब उसका पति घर आता है तो पति से कहती है कि उसे एक नया मोबाइल चाहिए और वह जिद्द करने लगती है और कहती है कि उसे एक मोबाइल चाहिए उसका पति उसकी बात मानकर उसको एक मोबाइल लेकर दे देता है।
और इसी तरह 15 दिन और गुजर जाते हैं और जिस आशा और विश्वास के साथ आरती अपने बाप का घर छोड़कर यहाँ आई थी वह आशा और विश्वास आज फिर एक बार टूट चुका था और आज उसका पीरियड फिर चालू हो गया था और उसकी माँ बनने का सपना एक बार फिर टूट चुका था और वह बहुत उदास हो गई और सोचने लगी कि क्या मुंह लेकर अपने बाबूजी के पास जाऊंगी और उनको क्या बताऊंगी।
इस बारे में अपने पति को बताती है और कहती है कि डॉक्टर ने जो दवा दिया वह तो काम नहीं किया फिर से उसके पास जाना पड़ेगा क्या आप मेरे साथ चलेंगे।
आरती का पति अशोक नहीं मैं वहाँ जाकर क्या करूंगा अगर फिर से जाना है तो तुम चली जाओ मैं नहीं जा पाऊंगा क्योंकि मेरा यहाँ काम है।
आरती जानती थी कि वह नहीं जाएगा वह तो सिर्फ इजाजत ले रही थी फिर वह अपना सामान पैक करके अपनी मायके जाने के लिए निकल जाती है और जैसे ही वहां पहुंचती है दरवाजा खटखटा आती है तो राजनाथ थी दरवाजा खुलता है जैसे ही आरती राजनाथ को देखते हैं उसे लिपटकर रोने लगती है।
राजनाथ अरे क्या हुआ मेरी बेटी को क्यों रो रही है यह बात बोलते हुए दोनों बाहों में भर लेता है और अपने सीने से लगा लेता है और इसी तरह कुछ देर दोनों बाप बेटी एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहते हैं तभी राजनाथ कहता है कि अब रोना बंद कर और मुझे बताओ कि हुआ क्या है। तभी आरती कहती है कि जिस काम के लिए मैं आपको छोड़कर गई वह काम नहीं हुआ मैं आपको नाना नहीं बना सकती।
राजनाथ अरे पगली इसमें रोने की क्या बात है नहीं हुआ कोई बात नहीं कोई दूसरा उपाय या दूसरा रास्ता ढूंढेंगे तू टेंशन मत ले कोई ना कोई रास्ता जरूर निकलेगा।
...........................
Nice updateभाग २३
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती के जाने के बाद राजनाथ का मन बिल्कुल नहीं लग रहा था।
दिन तो किसी तरह इधर-उधर घूम के काट लेता था लेकिन रात में उसको आरती की बहुत याद आती थी।
राजनाथ आज दोपहर में खाना खाकर लेटे-लेटे सोच रहा था की आरती को गए हुए आज 15 दिन हो गए हैं ,और बहुत दिनों से फोन भी नहीं किया फोन करके हाल-चाल पूछ लेता हूँ, यह सोचकर आरती को फोन लगता है ।और उधर जैसे ही आरती के मोबाइल में राजनाथ का नंबर दीखता है तो आरती का मन एकदम से खिल उठता है और फट से फोन उठाती है, और बोलती है हेलो बाबू जी कैसे हो आप।
राजनाथ,- मैं ठीक हूँ बेटा तुम कैसी हो।
आरती- मैं भी ठीक हूँ बाबूजी आज बहुत दिनों के बाद फोन किया लगता है अपनी बेटी को भूल गए।
राजनाथ - नहीं बेटा ऐसा नहीं हो सकता मैं भला कभी अपनी बेटी को भूल सकता हूंँ ऐसा कभी नहीं होगा।
आरती - तो फिर इतने दिनों से फोन क्यों नहीं कर रहे थे।
राजनाथ - मै फोन इसलिए नहीं कर रहा था कि शायद तुम लोगों को दिक्कत होगी इसी वजह से नहीं कर रहा था ।
आरती- आपके फोन करने से हम लोग को भला क्या दिक्कत होगी।
राजनाथ - यही कहोगी कि आए हुए दो दिन भी नहीं हुआ और फोन पर फोन करना चालू कर दिया और दामाद जी भी सोचेंगे कि इतने महीने रखने के बाद भी पेट नहीं भरा और यहाँ आते के साथ फोन करना चालू कर दिया ।
आरती - वो ऐसा कुछ नहीं सोचेंगे यह आपका वह हम है और ये आपने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच लिया कि कि आपका फोन आने से मुझे दिक्कत होगी।
राजनाथ - अच्छा सॉरी बाबा मैं ऐसा अब नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में सच कहूं तो मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी दिन तो किसी तरह इधर-उधर काम में व्यस्त रहने की वजह से गुजर जाता है लेकिन रात में तुम्हारी बहुत याद आती है।
आरती - क्यों रात में क्यों याद आती है।
राजनाथ-- क्यों याद आती है तुम्हें नहीं पता तुम ही तो मेरा आदत बिगाड़ के गई हो ।
आरती - कौन सी आदत।
राजनाथ-- कौन सी आदत तुम्हें नहीं पता जब भी मैं रात को खाना खाने के बाद बेड पर सोने के लिए जाता हूँ तो मुझे लगता है कि अब मेरी बेटी आरती आएगी और मेरे हाथों और पैरों की मालिश अच्छे से करेगी तब जाकर मुझे सुकून की नींद आएगी और मैं आराम से सोऊंगा लेकिन तुम तो नहीं आती सिर्फ तुम्हारी याद आती है और तुम्हारी याद में करवटें बदलते हुए सो जाता हूँ
आरती- मुझे माफ कर दीजिए बाबूजी मेरी वजह से आपको इतनी तकलीफ हो रही है मैं बहुत जल्द आऊंगी और आपकी सेवा करूंगी बस कुछ दिन और इंतजार कर लीजिए।
राजनाथ- अरे बेटा यह सब छोड़ो ए तो मेरी जिंदगी का हिस्सा है ये बताओ की तुम जो काम के लिए गई हो वो तो अच्छे से हो रहा है ना।
आरती - कौन सा काम।
राजनाथ - अरे वही जिस काम के लिए तुम वहाँ गई हो मेरा मतलब है मुझे नाना बनाने वाला काम।
यह बात सुनते ही आरती शर्मा जाती है और कुछ बोलती नहीं है ।
राजनाथ - अरे कुछ बोल क्यों नहीं रही हो दवा तो अच्छे से खा रही हो ना और दामाद जी को भी खिला रही हो कि नहीं।
आरती- हाँ दवा तो खा रही हूं और उनको भी खिला रही हूंँ।
राजनाथ -- अरे जब दवा अच्छे से खा रही हो और उनको भी खिला रही तब तो कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए लगता है इस बार मैं नाना बन जाऊंगा आरती कुछ जवाब नहीं देती राजनाथ अरे बोल क्यों नहीं रही हो इस बार मै नाना बन जाऊंगा ना।
आरती- शरमाते हुए मैं कैसे बताऊंगी कि आप नाना बनेंगे कि नहीं बनेंगे।
राजनाथ - अरे तुम नहीं बताओगी तो और कौन बताएगा और कौन है जो मुझे नाना बनाएगा एक तुम ही तो मेरी इकलौती बेटी हो जो मुझे नाना बन सकती हो।
आरती - वह तो ठीक है लेकिन सिर्फ मेरे हाथ में आपके नाना बनाने का रहता तो मैं आपको कब का नाना बन चुकी होती लेकिन आप अपने दामाद से भी तो पूछिए कि वह आपके नाना बन पाएगा कि नहीं।
राजनाथ- नहीं मैं उससे सब नहीं पूछ सकता।
आरती - क्यों क्यों नहीं पूछ सकते।
राजनाथ - इसलिए नहीं पूछ सकता कि मैं उसका ससुर और वह मुझसे वैसे भी बहुत शरमाता रहता है तो इस बारे में वह मुझे क्या बताएगा ।
आरती - अच्छा अपने दामाद से यह सब नहीं पूछ सकते लेकिन अपनी बेटी से पूछ सकते हो।
राजनाथ- हाँ जो बात मैं तुमसे कर सकता हूँ उससे नहीं कर सकता अच्छा यह सब छोड़ो और यह बताओ कि दामाद जी अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
आरती - अब मैं आपको कैसे बताऊं कि काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं, वह तो एक महीना के बाद ही पता चलेगा जब उसका रिजल्ट आएगा तब आप भी जान जाएंगे की आपके दामाद ने काम अच्छे से किया है कि नहीं ।
राजनाथ-- वो तो तब पता चल ही जाएगा लेकिन अभी मैं तुमसे जानना चाह रहा हूँ कि तुमको क्या लग रहा है वह अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।
तभी आरती के दिमाग में अपने आप को छेड़ने का आईडिया आता है और वह मुस्कुराते हुए बोलती है मैं आपको ऐसे तो नहीं बता सकती लेकिन मैं आपको एक वीडियो बनाकर भेज दूंगी आपके मोबाइल में तब आप खुद देख लेना कि आपका दामाद काम कैसे कर रहा है।
राजनाथ- छी छी यह तुम कैसी बातें कर रही है मैं तुमसे यह सब करने के लिए कहा है जो तुम ऐसी बातें कर रही हो।
आरती- अरे तो ईस में गलत क्या है आप ही तो जानना चाह रहे हैं और पूछ रहे हैं तो मुझे लगा कि अगर मैं आपको बोल कर बताऊंगी तो आप नहीं समझ पाएंगे तो मैंने सोचा की वीडियो बनाकर भेज दूंगी तो आप अच्छे से समझ जाएंगे।
राजनाथ- नहीं यह गलत है ।
आरती- क्या गलत है आप जो पूछ रहे हैं वह गलत है या मैं जो कह रही हूं वह गलत है ।
राजनाथ वीडियो बनाकर दिखाने वाली बात गलत है।
आरती- अच्छा आप उसके के बारे में पूछ रहे हैं वह गलत नहीं है और मैं उसका वीडियो बनाकर दिखा दूंगी वह गलत है।
राजनाथ- हाँ बिल्कुल गलत है ।
आरती -जरा मुझे बताएंगे कि कैसे गलत है।
राजनाथ - अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछता हूं यह बताओ कि खाना खाना और खाना देखना एक बात है या अलग-अलग बात है।
आरती - दोनों अलग-अलग अर्थ है ।
राजनाथ - तुम्हारी और मेरी बात में भी यही अंतर है मैं खाना देखने की बात कर रहा हूं तुम खाना खाने की बात कर रही हो ठीक है अगर तुम उसके बारे में बात नहीं करना चाह रही हो तो कोई बात नहीं लेकिन तुम अपना ख्याल रखना और अपना काम अच्छे से करो बस मुझे नाना बना दो और मुझे कुछ नहीं चाहिए दादी आ रही है अब मैं फोन रखता हूं फिर मैं बाद में फोन करूंगा।
फोन कटने के बाद आरती बैठकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी वीडियो वाली बात सोच कर की कैसे उसने बाबूजी के सामने यह बात बोल दी यह सब बात सच ही रही होती कि तभी उसके मन में ख्याल आता है कि क्या मैं ऐसा सच में कर सकती हूँ तो क्यों ना एक वीडियो बनाकर रख लेती हूं, बाद में फिर कभी अगर ऐसा मौका आया तो मैं बाबूजी को दिखा सकती हूँ, लेकिन मैं बनाऊंगी कैसे मेरे पास तो मोबाइल नहीं अगर इस मोबाइल से बनाऊंगी तो यह तो यहीं पर रह जाएगा तो फिर वहां कैसे लेकर जाऊंगी कुछ उपाय करना पड़ेगा। जब उसका पति घर आता है तो पति से कहती है कि उसे एक नया मोबाइल चाहिए और वह जिद्द करने लगती है और कहती है कि उसे एक मोबाइल चाहिए उसका पति उसकी बात मानकर उसको एक मोबाइल लेकर दे देता है।
और इसी तरह 15 दिन और गुजर जाते हैं और जिस आशा और विश्वास के साथ आरती अपने बाप का घर छोड़कर यहाँ आई थी वह आशा और विश्वास आज फिर एक बार टूट चुका था और आज उसका पीरियड फिर चालू हो गया था और उसकी माँ बनने का सपना एक बार फिर टूट चुका था और वह बहुत उदास हो गई और सोचने लगी कि क्या मुंह लेकर अपने बाबूजी के पास जाऊंगी और उनको क्या बताऊंगी।
इस बारे में अपने पति को बताती है और कहती है कि डॉक्टर ने जो दवा दिया वह तो काम नहीं किया फिर से उसके पास जाना पड़ेगा क्या आप मेरे साथ चलेंगे।
आरती का पति अशोक नहीं मैं वहाँ जाकर क्या करूंगा अगर फिर से जाना है तो तुम चली जाओ मैं नहीं जा पाऊंगा क्योंकि मेरा यहाँ काम है।
आरती जानती थी कि वह नहीं जाएगा वह तो सिर्फ इजाजत ले रही थी फिर वह अपना सामान पैक करके अपनी मायके जाने के लिए निकल जाती है और जैसे ही वहां पहुंचती है दरवाजा खटखटा आती है तो राजनाथ थी दरवाजा खुलता है जैसे ही आरती राजनाथ को देखते हैं उसे लिपटकर रोने लगती है।
राजनाथ अरे क्या हुआ मेरी बेटी को क्यों रो रही है यह बात बोलते हुए दोनों बाहों में भर लेता है और अपने सीने से लगा लेता है और इसी तरह कुछ देर दोनों बाप बेटी एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहते हैं तभी राजनाथ कहता है कि अब रोना बंद कर और मुझे बताओ कि हुआ क्या है। तभी आरती कहती है कि जिस काम के लिए मैं आपको छोड़कर गई वह काम नहीं हुआ मैं आपको नाना नहीं बना सकती।
राजनाथ अरे पगली इसमें रोने की क्या बात है नहीं हुआ कोई बात नहीं कोई दूसरा उपाय या दूसरा रास्ता ढूंढेंगे तू टेंशन मत ले कोई ना कोई रास्ता जरूर निकलेगा।
...........................
Jabardast update diya hai agar ho sake to hafte me 2 update de de but family aur kaam pahle yaha se bahut se lekhak jada update dene ke dabaw ko jhel na sake aur yahi karna hai bahut si kahani adhuri padi hai aapna dhayan rakhiye UPDATE bhut hi mast haiअपडेट नंबर 23 आ गया है आप सभी पाठक उसे पढ़कर आनंद ले सकते हैं page number 72 मे धन्यवाद।
हम आप सब से एक आग्रह करना चाहते हैं आप सब कहानी पढ़ते हैं लेकिन कहानी कैसी लगी वह नहीं बताते हैं इसलिए हम आप सब से आग्रह करते हैं कि जो भी पाठक कहानी को पढ़ते हैं वह अपना विचार दो शब्द बोलकर जरूर रखें और जो पाठक ने अपनी आईडी नहीं बनाई है वह अपना आईडी बनाएं और अपना विचार जरूर रखें धन्यवाद।