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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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अपडेट नंबर 23 आ गया है आप सभी पाठक उसे पढ़कर आनंद ले सकते हैं page number 72 मे धन्यवाद।

हम आप सब से एक आग्रह करना चाहते हैं आप सब कहानी पढ़ते हैं लेकिन कहानी कैसी लगी वह नहीं बताते हैं इसलिए हम आप सब से आग्रह करते हैं कि जो भी पाठक कहानी को पढ़ते हैं वह अपना विचार दो शब्द बोलकर जरूर रखें और जो पाठक ने अपनी आईडी नहीं बनाई है वह अपना आईडी बनाएं और अपना विचार जरूर रखें धन्यवाद।
 
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Bulbul_Rani

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भाग 1
नमस्कार साथियों मेरा नाम राजनाथ है और मैं आज आपको अपनी जिंदगी की कहानी बताने जा रहा हूं।

इस कहानी के मुख्य किरदार हैं पहले किरदार मेरी मां है जिनकी उम्र इस वक्त 75 साल है।

और इस कहानी का दूसरा किरदार मैं हूं मेरा नाम राजनाथ है और मेरी उम्र 55 साल है।

और तीसरा किरदार मेरी पत्नी थी जिसका स्वर्गवास हो चुका है वह अब इस दुनिया में नहीं है।

और इस कहानी का चौंथा और सबसे अहम किरदार मेरी इकलौती बेटी जिसका नाम आरती है।
और उसकी शादी हो चुकी है और उसकी उम्र अभी 26 साल है।

और पांचवा किरदार है अशोक जो मेरा दामाद और मेरी बेटी का पति भी है और उसकी उम्र 30 साल है।

और कहानी जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी कुछ किरदार और भी आएंगे उनको आगे जाकर बताऊंगा।

अब आते हैं कहानी पर जैसे कि मैं आप लोगों को बताया कि मेरा नाम राजनाथ है और मैं एक गांव इलाके में रहता हूं और मैं उसे इलाके का सरपंच भी हूं इसलिए मेरा उसे एरिया में बहुत इज्जत और नाम भी है और मेरे घर में इस वक्त मैं और मेरी मां जो बूढी हो चुकी है और तीसरा मेरे घर का नौकर जिसका नाम रघु है जो कि मेरा दोस्त भी है।
और मेरा कोई बेटा नहीं है मेरा सिर्फ एक ही बेटी है आरती जिसकी शादी हो चुकी है और वह इस वक्त मेरे घर में आई हुई है क्योंकि उसके ससुराल में झगड़ा चल रहा है और झगड़ा का कारण यह है कि उसकी शादी को 6 साल हो चुके हैं और उसका कोई बच्चा नहीं है अभी तक इसलिए उसके साथ ससुर उसको ताना मारते रहते हैं और भला बुरा सुनाते रहते हैं कि इसमें कोई खराबी है इसलिए बच्चा नहीं हो रहा है।
तो आज मैं बाजार गया हुआ था घर का कुछ सामान लाने के लिए तो जैसे मैं बाजार से घर वापस आया

तो मेरी बेटी ने पूछा बाबूजी आप आ गए तो मैंने कहा हां बेटा आ गया बहुत प्यास लगी है जरा पानी लाना।

आरती- जी बाबू जी अभी लाई यह लीजिए पानी।

राजनाथ- बेटा दादी कहां गई बाबूजी दादी कहीं बाहर गई है घूमने के लिए अच्छा ठीक है बेटा आज गर्मी बहुत है मैं नहाने जा रहा हूं मेरा कपड़ा और साबुन लाकर देना तो।

आरती- जी बाबूजी तब तक आप नल के पास चलिए मैं आपके कपड़े लेकर आती हूं।
फिर मैं नल पर जाकर नहाने लगा और उसके बाद मेरी बेटी मेरे कपड़े लेकर आई और वह बोली पापा आप नहा कर आईए तब तक मैं खाना बनाती हूं
फिर मैंने कहा ठीक है बेटा तू जा जाकर खाना बना

फिर मैं जब नहा कर आया तब तक मेरी मां भी बाहर से आ चुकी थी और वह आंगन में बैठी हुई थी और वह मुझे देखकर बोली बेटा राजू तू आ गया वह मुझे राजनाथ नहीं बुलाती है वह मुझे राजू कह कर ही बुलाती है

फिर मैंने कहा मां मैं तो कब से आया हूं तू कहां गई थी।

फिर मेरी मां ने कहा बेटा मैं शंकर के घर गया हुआ था उसकी बेटी का बच्चा हुआ है ना उसे देखने के लिए।
फिर मैंने कहा कि शंकर की बेटी को जिसका अगले साल शादी हुआ था।

मेरी मां हां हां उसी का लड़का हुआ है।

आगे की कहानी अगले भाग में।
Shuruwaat
Acchi hai.
 
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