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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

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अपडेट नंबर 26 आ गया है आप सभी रीडर उसको पढ़ें और अपना विचार जरूर रखें धन्यवाद
 
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Bulbul_Rani

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भाग २३
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती के जाने के बाद राजनाथ का मन बिल्कुल नहीं लग रहा था।

दिन तो किसी तरह इधर-उधर घूम के काट लेता था लेकिन रात में उसको आरती की बहुत याद आती थी।

राजनाथ आज दोपहर में खाना खाकर लेटे-लेटे सोच रहा था की आरती को गए हुए आज 15 दिन हो गए हैं ,और बहुत दिनों से फोन भी नहीं किया फोन करके हाल-चाल पूछ लेता हूँ, यह सोचकर आरती को फोन लगता है ।और उधर जैसे ही आरती के मोबाइल में राजनाथ का नंबर दीखता है तो आरती का मन एकदम से खिल उठता है और फट से फोन उठाती है, और बोलती है हेलो बाबू जी कैसे हो आप।

राजनाथ,- मैं ठीक हूँ बेटा तुम कैसी हो।

आरती- मैं भी ठीक हूँ बाबूजी आज बहुत दिनों के बाद फोन किया लगता है अपनी बेटी को भूल गए।

राजनाथ - नहीं बेटा ऐसा नहीं हो सकता मैं भला कभी अपनी बेटी को भूल सकता हूंँ ऐसा कभी नहीं होगा।

आरती - तो फिर इतने दिनों से फोन क्यों नहीं कर रहे थे।

राजनाथ - मै फोन इसलिए नहीं कर रहा था कि शायद तुम लोगों को दिक्कत होगी इसी वजह से नहीं कर रहा था ।

आरती- आपके फोन करने से हम लोग को भला क्या दिक्कत होगी।

राजनाथ - यही कहोगी कि आए हुए दो दिन भी नहीं हुआ और फोन पर फोन करना चालू कर दिया और दामाद जी भी सोचेंगे कि इतने महीने रखने के बाद भी पेट नहीं भरा और यहाँ आते के साथ फोन करना चालू कर दिया ।

आरती - वो ऐसा कुछ नहीं सोचेंगे यह आपका वह हम है और ये आपने मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच लिया कि कि आपका फोन आने से मुझे दिक्कत होगी।

राजनाथ - अच्छा सॉरी बाबा मैं ऐसा अब नहीं सोचूंगा तुम्हारे बारे में सच कहूं तो मुझे तुम्हारी बहुत याद आती थी दिन तो किसी तरह इधर-उधर काम में व्यस्त रहने की वजह से गुजर जाता है लेकिन रात में तुम्हारी बहुत याद आती है।

आरती - क्यों रात में क्यों याद आती है।

राजनाथ-- क्यों याद आती है तुम्हें नहीं पता तुम ही तो मेरा आदत बिगाड़ के गई हो ।

आरती - कौन सी आदत।

राजनाथ-- कौन सी आदत तुम्हें नहीं पता जब भी मैं रात को खाना खाने के बाद बेड पर सोने के लिए जाता हूँ तो मुझे लगता है कि अब मेरी बेटी आरती आएगी और मेरे हाथों और पैरों की मालिश अच्छे से करेगी तब जाकर मुझे सुकून की नींद आएगी और मैं आराम से सोऊंगा लेकिन तुम तो नहीं आती सिर्फ तुम्हारी याद आती है और तुम्हारी याद में करवटें बदलते हुए सो जाता हूँ

आरती- मुझे माफ कर दीजिए बाबूजी मेरी वजह से आपको इतनी तकलीफ हो रही है मैं बहुत जल्द आऊंगी और आपकी सेवा करूंगी बस कुछ दिन और इंतजार कर लीजिए।

राजनाथ- अरे बेटा यह सब छोड़ो ए तो मेरी जिंदगी का हिस्सा है ये बताओ की तुम जो काम के लिए गई हो वो तो अच्छे से हो रहा है ना।

आरती - कौन सा काम।

राजनाथ - अरे वही जिस काम के लिए तुम वहाँ गई हो मेरा मतलब है मुझे नाना बनाने वाला काम।

यह बात सुनते ही आरती शर्मा जाती है और कुछ बोलती नहीं है ।

राजनाथ - अरे कुछ बोल क्यों नहीं रही हो दवा तो अच्छे से खा रही हो ना और दामाद जी को भी खिला रही हो कि नहीं।

आरती- हाँ दवा तो खा रही हूं और उनको भी खिला रही हूंँ।

राजनाथ -- अरे जब दवा अच्छे से खा रही हो और उनको भी खिला रही तब तो कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए लगता है इस बार मैं नाना बन जाऊंगा आरती कुछ जवाब नहीं देती राजनाथ अरे बोल क्यों नहीं रही हो इस बार मै नाना बन जाऊंगा ना।

आरती- शरमाते हुए मैं कैसे बताऊंगी कि आप नाना बनेंगे कि नहीं बनेंगे।

राजनाथ - अरे तुम नहीं बताओगी तो और कौन बताएगा और कौन है जो मुझे नाना बनाएगा एक तुम ही तो मेरी इकलौती बेटी हो जो मुझे नाना बन सकती हो।

आरती - वह तो ठीक है लेकिन सिर्फ मेरे हाथ में आपके नाना बनाने का रहता तो मैं आपको कब का नाना बन चुकी होती लेकिन आप अपने दामाद से भी तो पूछिए कि वह आपके नाना बन पाएगा कि नहीं।

राजनाथ- नहीं मैं उससे सब नहीं पूछ सकता।

आरती - क्यों क्यों नहीं पूछ सकते।

राजनाथ - इसलिए नहीं पूछ सकता कि मैं उसका ससुर और वह मुझसे वैसे भी बहुत शरमाता रहता है तो इस बारे में वह मुझे क्या बताएगा ।

आरती - अच्छा अपने दामाद से यह सब नहीं पूछ सकते लेकिन अपनी बेटी से पूछ सकते हो।

राजनाथ- हाँ जो बात मैं तुमसे कर सकता हूँ उससे नहीं कर सकता अच्छा यह सब छोड़ो और यह बताओ कि दामाद जी अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।

आरती - अब मैं आपको कैसे बताऊं कि काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं, वह तो एक महीना के बाद ही पता चलेगा जब उसका रिजल्ट आएगा तब आप भी जान जाएंगे की आपके दामाद ने काम अच्छे से किया है कि नहीं ।

राजनाथ-- वो तो तब पता चल ही जाएगा लेकिन अभी मैं तुमसे जानना चाह रहा हूँ कि तुमको क्या लग रहा है वह अपना काम अच्छे से कर रहा है कि नहीं ।

तभी आरती के दिमाग में अपने आप को छेड़ने का आईडिया आता है और वह मुस्कुराते हुए बोलती है मैं आपको ऐसे तो नहीं बता सकती लेकिन मैं आपको एक वीडियो बनाकर भेज दूंगी आपके मोबाइल में तब आप खुद देख लेना कि आपका दामाद काम कैसे कर रहा है।

राजनाथ- छी छी यह तुम कैसी बातें कर रही है मैं तुमसे यह सब करने के लिए कहा है जो तुम ऐसी बातें कर रही हो।

आरती- अरे तो ईस में गलत क्या है आप ही तो जानना चाह रहे हैं और पूछ रहे हैं तो मुझे लगा कि अगर मैं आपको बोल कर बताऊंगी तो आप नहीं समझ पाएंगे तो मैंने सोचा की वीडियो बनाकर भेज दूंगी तो आप अच्छे से समझ जाएंगे।

राजनाथ- नहीं यह गलत है ।

आरती- क्या गलत है आप जो पूछ रहे हैं वह गलत है या मैं जो कह रही हूं वह गलत है ।

राजनाथ वीडियो बनाकर दिखाने वाली बात गलत है।

आरती- अच्छा आप उसके के बारे में पूछ रहे हैं वह गलत नहीं है और मैं उसका वीडियो बनाकर दिखा दूंगी वह गलत है।

राजनाथ- हाँ बिल्कुल गलत है ।

आरती -जरा मुझे बताएंगे कि कैसे गलत है।

राजनाथ - अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछता हूं यह बताओ कि खाना खाना और खाना देखना एक बात है या अलग-अलग बात है।

आरती - दोनों अलग-अलग अर्थ है ।

राजनाथ - तुम्हारी और मेरी बात में भी यही अंतर है मैं खाना देखने की बात कर रहा हूं तुम खाना खाने की बात कर रही हो ठीक है अगर तुम उसके बारे में बात नहीं करना चाह रही हो तो कोई बात नहीं लेकिन तुम अपना ख्याल रखना और अपना काम अच्छे से करो बस मुझे नाना बना दो और मुझे कुछ नहीं चाहिए दादी आ रही है अब मैं फोन रखता हूं फिर मैं बाद में फोन करूंगा।

फोन कटने के बाद आरती बैठकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी वीडियो वाली बात सोच कर की कैसे उसने बाबूजी के सामने यह बात बोल दी यह सब बात सच ही रही होती कि तभी उसके मन में ख्याल आता है कि क्या मैं ऐसा सच में कर सकती हूँ तो क्यों ना एक वीडियो बनाकर रख लेती हूं, बाद में फिर कभी अगर ऐसा मौका आया तो मैं बाबूजी को दिखा सकती हूँ, लेकिन मैं बनाऊंगी कैसे मेरे पास तो मोबाइल नहीं अगर इस मोबाइल से बनाऊंगी तो यह तो यहीं पर रह जाएगा तो फिर वहां कैसे लेकर जाऊंगी कुछ उपाय करना पड़ेगा। जब उसका पति घर आता है तो पति से कहती है कि उसे एक नया मोबाइल चाहिए और वह जिद्द करने लगती है और कहती है कि उसे एक मोबाइल चाहिए उसका पति उसकी बात मानकर उसको एक मोबाइल लेकर दे देता है।

और इसी तरह 15 दिन और गुजर जाते हैं और जिस आशा और विश्वास के साथ आरती अपने बाप का घर छोड़कर यहाँ आई थी वह आशा और विश्वास आज फिर एक बार टूट चुका था और आज उसका पीरियड फिर चालू हो गया था और उसकी माँ बनने का सपना एक बार फिर टूट चुका था और वह बहुत उदास हो गई और सोचने लगी कि क्या मुंह लेकर अपने बाबूजी के पास जाऊंगी और उनको क्या बताऊंगी।
इस बारे में अपने पति को बताती है और कहती है कि डॉक्टर ने जो दवा दिया वह तो काम नहीं किया फिर से उसके पास जाना पड़ेगा क्या आप मेरे साथ चलेंगे।

आरती का पति अशोक नहीं मैं वहाँ जाकर क्या करूंगा अगर फिर से जाना है तो तुम चली जाओ मैं नहीं जा पाऊंगा क्योंकि मेरा यहाँ काम है।

आरती जानती थी कि वह नहीं जाएगा वह तो सिर्फ इजाजत ले रही थी फिर वह अपना सामान पैक करके अपनी मायके जाने के लिए निकल जाती है और जैसे ही वहां पहुंचती है दरवाजा खटखटा आती है तो राजनाथ थी दरवाजा खुलता है जैसे ही आरती राजनाथ को देखते हैं उसे लिपटकर रोने लगती है।

राजनाथ अरे क्या हुआ मेरी बेटी को क्यों रो रही है यह बात बोलते हुए दोनों बाहों में भर लेता है और अपने सीने से लगा लेता है और इसी तरह कुछ देर दोनों बाप बेटी एक दूसरे से लिपटे हुए खड़े रहते हैं तभी राजनाथ कहता है कि अब रोना बंद कर और मुझे बताओ कि हुआ क्या है। तभी आरती कहती है कि जिस काम के लिए मैं आपको छोड़कर गई वह काम नहीं हुआ मैं आपको नाना नहीं बना सकती।

राजनाथ अरे पगली इसमें रोने की क्या बात है नहीं हुआ कोई बात नहीं कोई दूसरा उपाय या दूसरा रास्ता ढूंढेंगे तू टेंशन मत ले कोई ना कोई रास्ता जरूर निकलेगा।

...........................
Nice
 
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amitdlover

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राजनाथ : अरे पगली इसमें रोने की क्या बात है नहीं हुआ कोई बात नहीं कोई दूसरा उपाय या दूसरा रास्ता ढूंढेंगे तू टेंशन मत ले कोई ना कोई रास्ता जरूर निकलेगा।

bas isi dusre raste ke intejaar me hi to hain hum :akshay:
 
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भाग २४
अभी तक आप लोगों ने पढ़ा की आरती जिस काम के लिए ससुराल गई थी वह काम नहीं हो पाया और अब वह वापस मायके आ गई है और अपने बाप राजनाथ के गले लगा कर रोने लगती है, फिर राजनाथ उसको समझा बुझा कर चुप कराता है तो आरती अपने आप को संभालते हुए कहती है कि शायद मेरी किस्मत में ही नहीं लिखा है मेरा माँ बना।

राजनाथ - ऐसा कुछ नहीं है तु गलत मत सोच तू जरूर माँ बनेगी।

आरती - क्या आपको अभी भी लग रहा है कि मैं मन बना पाऊँगी ।

राजनाथ - क्यों नहीं मुझे पूरा यकीन और विश्वास है कि तू जरूर माँ बनेगी।


आरती - यह तो आप मेरा मन बहलाने के लिए कह रहे हैं मुझे तो अब और कोई रास्ता नहीं दिख रहा जिससे मैं माँ बना पाऊंगी जो भी एक रास्ता था डॉक्टर वाला वह अभी काम नहीं आया।

राजनाथ - तू फिकर मत कर ऊपर वाला एक रास्ता बंद करता है तो और कई रास्ते बनाकर रखता है और तुम्हारे लिए भी कोई ना कोई रास्ता जरूर बना रखा होगा , और मुझे अभी एक रास्ता दिख रहा है।

आरती - कौन सा रास्ता ।

राजनाथ - तुम्हें याद है तुम्हारी दादी किसी बाबा का नाम बता रही थी और कह रही थी की वह बहुत बड़े और जाने-माने बाबा है , जिन औरतों का बच्चा नहीं होता वह उनका इलाज करते हैं , और कह रही थी कि जिन औरतों को बहुत सालों से बच्चा नहीं हो रहा था वहाँ पर इलाज कराने के बाद उनका बच्चा हुआ।


आरती- हाँ दादी उस दिन बोल तो रही थी लेकिन क्या आपको लगता है कि वहाँ जाने से कोई फायदा होगा।

राजनाथ - मुझे यह तो नहीं पता कि वहाँ जाने से काम होगा कि नहीं लेकिन एक बार जाकर देखना चाहिए शायद काम बन जाए आज ही मैं माँ से बात करता हूँ क्या कहती है फिर वहां जाने के बारे में सोचेंगे।

दोनों बाप बेटी बात कर ही रहे होते हैं कि तभी दादी बाहर से आ जाती है और। आरती को देखते ही कहती है अरे आरती बेटा तू आ गई कैसी है तू।


आरती - मैं ठीक हूँ दादी आप कैसी हो मैं भी ठीक हूँ बेटा और दामाद जी कैसे हैं।

आरती - वह भी ठीक हैं।

दादी - जब से तू यहाँ से गई पूरा घर सूना सूना लग रहा था। और तुम्हारी बाप की तो ऐसी हालत हो गई थी कि ना ठीक से काम कर थ और ना ही ठीक से खाना खाता था जब भी मैं इसको खाना खाने के लिए देती थी तो एक दो निवाला खाता था और पूरा खाना छोड़ देता था।

आरती - क्या आप सच कह रही हो बाबूजी खाना नहीं खा रहे थे।

दादी - और नहीं तो क्या मैं झूठ बोल रही हूँ तो सामने बैठा है पूछ लो उसी से ।

आरती राजनाथ से कुछ पूछती उससे पहले राजनाथ बोलता है अरे माँ तुम यह सब बात क्या लेकर बैठ गई मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।


दादी - क्या बात करनी है।

राजनाथ - बात-बहुत जरूरी है लेकिन अभी नहीं शाम को वापस आऊंगा तब बात करूंगा अभी मैं कहीं जा रहा हूँ इतना बोलकर वह चला जाता है।

उसको जाते ही दादी कहती हैं बेचारा राजू पता नहीं इसका क्या होगा।

तो आरती दादी के बात सुनकर कहती है।क्यों बाबूजी को क्या होगा।


दादी - क्या होगा यह तो मैं नहीं जानती लेकिन इस बार जब तुम यहाँ से गई तो वह कुछ ज्यादा ही उदास रहने लग गया था। इससे पहले मैं उसको कभी इतना उदास रहते हुए नहीं देखी थी, जब तुम्हारी शादी हुई थी और तुम यहाँ से गई थी उस वक्त इतना उदास नहीं रहता था इस बार तुम जबसे यहां रहने आई हो तब से उसको तुमसे कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया है, शायद अब उसको अकेलापन महसूस होने लगा है क्योंकि तुम्हारे अलावा उसका और है ही कौन, एक तुम्हारी माँ थी वह भी नहीं रही ,अब मैं भी कितना दिन रहूंगी, और तू भी चली जाएगी वह बेचारा अकेला रह जाएगा।

दादी- की बात सुनकर आरती सोचने लगती है की दादी सही कह रही है मेरे अलावा और उनका है ही कौन मैं भी चली जाऊंगी यहाँ से तो उनका ख्याल कौन रखेगा कोई बेटा बहू भी नहीं है जो उनका ख्याल रखेगा दादी आप फिकर मत कीजिए मैं उनको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी।

दादी - बेटा तुम्हारे कहने से क्या होगा तुम ससुराल तो जाओगी आखिर तुमको एक दिन यहाँ से तो जाना ही पड़ेगा।

आरती - मैं नहीं जाऊंगी ।

दादी -हाँ नहीं जाएगी तुम्हारे कहने से होगा अच्छा यह सब बातें छोड़ उधर घर का सारा काम पड़ा है जा जल्दी से वह सब खत्म कर और शाम होने वाली है खाना भी जल्दी से बना लो राजू ने दोपहर में खाना नहीं खाया है उसे भूख लगी होगी ।


फिर आरती घर का काम करने के लिए चली जाती है घर का सारा काम खत्म करने के बाद खाना बनाने में लग जाती और शाम का खाना जल्दी बना लेती हैं राजनाथ भी शाम को घर जल्दी आ जाता है फिर आरती राजनाथ के पास जाती है और कहती है कि खाना खाएंगे कि आज भी भूखे रहेंगे।

राजनाथ - क्यों आज क्यों भूखा रहूंगा।

आरती- एक बीवी अपने पति पर जिस तरह से गुस्सा दिखाती है उसी तरह से गुस्सा होते हुए कहती है आपको भूखा रहने की आदत जो पड़ गई मेरे जाने के बाद ज्यादा हीरो बन रहे थे अभी खाना खा लीजिए उसके बाद में आपसे बात करूंगी इतना बोलकर वह दादी को बुलाने के लिए चली जाती है।

उसके जाने के बाद राजनाथ सोचता है कि इसको क्या हो गया यह क्यों गुस्सा हो रही है माँ ने इसको मेरी खाने वाली बात बता दी इस वजह से शायद गुस्सा हो रही है मेरे ऊपर।


आरती- फिर दोनों मांँ बेटे को खाना देती है और दोनों खाना खाने लगते हैं तभी राजनाथ अपनी माँ से कहता है माँ तुम उस दिन किसी बाबा के बारे में बता रही थी कौन है वह बाबा और कहाँ रहते हैं क्या नाम है उनका।

माँ - नाम क्या यह तो मुझे ठीक से नहीं पता लेकिन उनको पहाड़ी वाले बाबा कहते हैं क्योंकि वह जिस जगह पर रहते हैं उस जगह का नाम काली पहाड़ी है और वह ऐसे वैसे बाबा नहीं है वह बहुत बड़े बाबा हैं वह कोई और बीमारी का इलाज नहीं करते हैं वह सिर्फ उसी का इलाज करते हैं और जो भी उनके पास इलाज के लिए जाता है उसको वह पहले ही देख कर बता देंगे किसका होगा कि नहीं होगा जिसको बच्चा होने का रहेगा उसका इलाज करेंगे और जिसका नहीं होने के रहेगा वह मना कर देंगे मैं तो तुमको कब से कह रही हूँ की आरती को एक बार ले जाकर उनके पास दिखाओ लेकिन तुम मेरी बात सुनता ही कहाँ है। राजनाथ मैं भी यही सोच रहा था इस बार वही जाकर दिखाने के लिए लेकिन वह जगह है कहाँ पर।

माँ - वह जगह यहाँ से थोड़ी दूर है वहां जाने के लिए तीन-चार घंटे लगते हैं गाड़ी से और वह बाबा जी जगह पर रहते हैं वहाँ अगल-बगल में और कोई गांव नहीं है वहाँ चारों तरफ जंगल ही जंगल है और उधर सब सवारी वाली गाड़ी सही जाते हैं और बाबा जी जगह पर रहते हैं वहाँ जाने के लिए थोड़े दूर चलकर भी जाना पड़ता है।


राजनाथ - इधर से तो हम लोग गाड़ी से चले जाएंगे लेकिन उधर जो चलकर जाना पड़ेगा वहाँ हम लोग कैसे जाएंगे।

माँ - तुम दोनों को जाने में दिक्कत होगी इसलिए मैं एक काम करती हूं मैं ही इसको लेकर चली जाती हूं फिर बाद में जाने का होगा तो तुम इसके साथ चले जाना फिर तो इसको रास्ता मालूम ही रहेगा और बाबा के साथ मेरी जान पहचान भी है उनको मालूम होगा कि ये मेरी पोती है तो और अच्छे से इलाज करेंगे।

राजनाथ - तुम ठीक कर रही हो माँ तुम्ही इसके साथ चली जाना जब जाने का होगा मुझे बता देना।

यह सब बात करते करते दोनों का खाना भी हो गया खाना खाने के बाद राजनाथ उठकर अपने कमरे में सोने के लिए चला गया।

फिर आरती ने भी खाना खाया और बाकी जो काम था खत्म करके फिर एक कटोरी में तेल गर्म करती है और लेकर राजनाथ के कमरे में जाती है तो देखी है राजनाथ आंख बंद करके सोया हुआ तो आरती समझ जाती है क्या सोने का नाटक कर रहे हैं तो उसके बेड के करीब जाती है और कहती है क्या बात है आज बहुत जल्दी नींद आ गई और दिन तो नींद ही नहीं आती थी रात भर यह सब नाटक छोड़िए मुझे पता है आप जाग रहे हैं मुझे आपसे बात करनी है उठीए जल्दी राजनाथ मुस्कुराते हुए अपनी आंखें खोलता है और कहता है क्या हुआ क्या बात करनी है मेरी बेटी को।


आरती - मुझे यह बताइए कि मेरे जाने के बाद आप खाना क्यों नहीं खा रहे थे ।

राजनाथ - अरे किसने तुझे बोला कि मैं खाना नहीं खा रहा था मैं खाना नहीं खाता तो क्या मैं जिंदा रह पाता।


आरती - अच्छे से खाना और जिंदा रहने के लिए खाना दोनों में बहुत अंतर है और आप जिंदा रहने के लिए खाना खा रहे थे मैं आपसे पूछ रही हूँ कि आप अच्छे से खाना क्यों नहीं खा रहे थे।

राजनाथ - अरे तुम्हें किसने बताया कि मैं अच्छे से खाना नहीं खा रहा था।

आरती - और दादी जो बोल रही थी क्या झूठ बोल रही थी।

राजनाथ - तुम भी दादी की बात पकड़ कर बैठी हो तुम्हें पता है की उसको बढ़ा चढ़ा कर बोलने की आदत है भूख जितना रहेगा उतना ही तो खाऊंगा की उससे ज्यादा खाऊंगा।

आरती - वही तो मैं पूछ रही हूं कि मेरे जाने के बाद आपको भी भूख क्यों नहीं लग रही थी मैं यहां रहती हूं तो आपको तो बहुत भूख लगती है।

राजनाथ - सोचता है कि अब माफी मांग लेने में ही भलाई है ऐसे यह नहीं छोड़ेगी और कहता है अच्छा सॉरी बाबा मुझसे गलती हो गई अब से ऐसा नहीं होगा अब कभी भी भूखा नहीं रहूंगा भूख नहीं भी रहेगी रहेगी तब भी खा लूंगा लेकिन आज मुझे माफ कर दे।

आरती - पक्का आज के बाद कभी भूखा नहीं रहेंगे।

राजनाथ - पक्का मेरी माँ पक्का आज के बाद कभी भूखा नहीं रहूंगा।


आरती - तो ठीक है आज माफ कर देता हूँ ।

अब मालिश करवाएंगे कि नहीं करवाएंगे!


राजनाथ - नेकी और पूछ पूछ मालिश के लिए तो एक महीने से तड़प रहा हूं आज रात भर मालिश करेगी तो रात भर करवाऊंगा !

आरती अच्छा जो एक महीने का बाकी है वह आज ही पूरा करवा लेंगे क्या और आज मैं सोंगी भी नहीं

राजनाथ - और नहीं तो क्या मैं एक महीने से जाग रहा हूँ तो क्या तुम मेरे लिए एक रात नहीं जाग सकती।

आरती - एक रात क्या मैं आपके लिए कई रात जाग सकती हूँ आप कह कर तो देखिए फिर वह मालिश करने लगती है।

आरती- की बात सुनकर राजनाथ का मन गदगद हो जाता है और सोचता है कितना प्यार करती है मेरी बेटी मुझे फिर वह आरती को ऊपर से नीचे तक देखने लगता है तभी उसकी नजर उसकी पतली कमर और पेट पर जाता है जिसको देखकर उसके मन में ख्याल आता है कि काश इसको कोई मेरे जैसा मर्द मिलता जो इसकी जवान खूबसूरत बदन को मसल मसल के मजे लेता और इसकी सटा हुआ पेट है उसको फूला देता और एक मेरा दामाद है जिनको इतनी खूबसूरत बीवी मिली है और वह कुछ कर नहीं पा रहा है यह सब सोंचते हुए और मालिश करते हुए आधा घंटा बीत जाता है तो राजनाथ कहता है कि बेटा बहुत देर हो गई अब छोड़ दे जा जाकर सो जा।

तो आरती कहती है क्यों क्या हुआ अभी तो आधा ही घंटा हुआ है अभी तो पूरी रात बाकी है।

राजनाथ - अरे बेटा वह तो मैं मजाक में बोला था जितनी देर तक तुमने मालिश किया उतना मेरे लिए काफी है अब तू भी थक गई होगी जा जाकर आराम कर और सो जा और करने का होगा तो कल दोपहर में कर लेना।

आरती - अच्छा ठीक है जा रही हूं लेकिन कल दोपहर में जल्दी आजा आ जाना।

राजनाथ - अच्छा ठीक है आ जाऊंगा।

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