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Incest अपनी शादीशुदा बेटी को मां बनाया

2812rajesh2812

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Nice update
कहानी आपकी निश्चित ही बहुत शानदार ढंग से सुसर हुई है, बहुत ही मस्त इसमें कोई संदेह नही
लेकिन अपडेट का बहुत छोटा आकर ओर अपडेट आने की अनिश्चितता कहानी को ज्यादा दिनों तक आकर्षक नही रहने देंगें।
 

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भाग १८
आरती नहा के आने के बाद राजनाथ से कहती है कि मैं नहा कर आ गई हूँ आप जाकर अपना पैर हाथ धो लीजिए ।


उसके बाद राजनाथ पैर हांथ धोने के लिए वॉशरूम में जाता है और पर हांथ धोने लगता है तभी उसकी नजर आरती के खोले हुए कपड़े पर जाती है जो आरती ने नहाने से पहले जो कपड़े खोलकर रखे थे वह सब वहीं पड़ा हुआ था आरती ने जल्दबाजी में साइड करके रखना भूल गई और राजनाथ की नजर उसकी ब्रा और पैंटी पर गई जो ऊपर ही रखा हुआ था फिर वह उसको उठा कर देखने लगता है और उस पैंटी को देखते ही उसकी आंखँ के सामने उसकी बेटी की काले बालों वाली चूत नजर आने लगती है और वह अपने मन मे सोचता है कि मेरी बेटी की चूत इसी पैंटी के अंदर छुपी हुई रहती है उसको उलट पलट के देखने लगता है तो उसको उसमें खून की दाग नजर आती है शायद पीरियड के टाइम में जो ब्लड निकलता है वो उसमें गिर गया होगा उसको देखने के बाद फिर वहीं पर रख देता है और पैर हांथ धोकर वहां से आता है और सीधे अपने कमरे में जाकर बैठ जाता है इस वक्त वह आरती के सामने आने में झिझक क रहा था।

कुछ देर के बाद आरती उसको खाने के लिए बुलाने गई और कमरे के बाहर से ही बोली बाबूजी आईए खाना खा लीजिए।

तो राजनाथ अंदर से जवाब देता हाँ बेटा आ रहा हूँ।

फिर राजनाथ खाना खाने के लिए बरामदे में आकर बैठ जाता है फिर आरती किचन से खाना लेकर आती है उसको खाने के लिए देती है और देखकर कमरे के अंदर चली जाती है दोनों बाप बेटी एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे फिर राजनाथ खाना खाने के बाद अपने कमरे में चला जाता है फिर कुछ देर आराम करने के बाद वह फिर कहीं बाहर चला जाता है।

उसको जाने के बाद आप आरती बैठकर सोचने लगी कि आज उसके साथ क्या-क्या हुआ और यह सब सो कर उसको बहुत शर्म आ रही थी और यह सोच रही थी कि आज तक मुझे किसी ने इस हालत में नहीं देखा था मेरे पति के अलावा और मेरे बाबूजी ने मुझे उस हालत में आज देख लिया और यह सोचकर उसके शरीर में गण गनाहट होने लगी कि अगर मेरे बाबूजी की जगह कोई और होता तो आज तो मेरी इज्जत चली जाती यह तो अच्छा हुआ कि मेरे बाबूजी ने हीं मुझे देखा है वह थोड़े ही किसी बाहर वाले को बताने जाएगें कि उन्होंने मुझे नंगा देखा है और यह सोचकर उसको तसल्ली होती है और कहती है कि मुझे मेरे बाबूजी पर पूरा भरोसा है वह ऐसा कभी नहीं करेंगे।


फिर शाम होने लगती है तो फिर वह रात का खाना बनाने में लग जाती है फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी घर आ जाता है और वह सीधा अपने कमरे में जाकर सो जाता है।

खाना बनाने के बाद आरती दादी और राजनाथ को खाने के लिए बुलाती है।


फिर दोनों जाकर खाना खाते हैं और खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं।

फिर आरती भी अपना खाना खाने लगती है और खाते-खाते यह सोंच रही थी की आज बाबूजी को मालिश करने के लिए उनके सामने कैसे जाऊंगी खाना खाने के बाद कुछ देर वह बैठी रहती है और सोचती है कि जाऊं कि नहीं जाऊं उनकी मालिश करने के लिए फिर वह सोचती है कि आज नहीं तो कल उनके सामने तो जाना ही पड़ेगा।

उधर राजनाथ यह सोच रहा था कि आरती आज मालिश करने के लिए आएगी कि नहीं अगर आएगी तो मैं उसको क्या बोलूंगा।

फिर कुछ देर के बाद आरती उसके कमरे में आती है दूध का गिलास लेकर रखते हुए कहती है कि दूध पी लीजिए ठंडा हो जाएगा और फिर वह वापस चली जाती है और किचन में जाकर बैठकर सोचने लगती है और कहती है कि कुछ देर के बाद जाऊंगी मालिश करने के लिए तब तक वह दूध भी पी लेंगे।

अभी तक 10 मिनट बीत चुके थे और राजनाथ यह सोचकर अभी तक दूध नहीं पिया था की आरती फिर से आकर कहेगी तो पिएगा क्योंकि उसको आदत हो गई थी की आरती जबरदस्ती उसको खुशामद करके पिलाएगी।

तभी उधर से आरती कमरे के अंदर आती है और गिलास को जाकर देखती हैं तो उसमें दूध अभी भी वैसा ही रखा हुआ था तो वह राजनाथ से कहती की आपने अभी तक दूध क्यों नहीं पीया।

तो राजनाथ कुछ जवाब नहीं दिया वह चुपचाप सोया हुआ था।


तो आरती दूध का गिलास लेकर उसको देने के लिए जाती है और कहती है कि जल्दी से उठकर दूध पी लीजिए ठंडा हो गया पूरा।

तो राजनाथ उसकी तरफ देखा है करता है तुमने अपना दूध पिया।

तो आरती जवाब देती हां मैंने कब कब पी लिया आप जल्दी से पीजिए फिर वह दूध लेकर पीने लगता है और स्पीकर चुपचाप सो जाता है।

फिर आरती भी चुपचाप उसके पैर में मालिश करने लगती है दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे ।


तो कुछ देर के बाद राजनाथ उसको देखते हुए कहता है बेटा आरती क्या तू मुझसे नाराज है।

तो आरती कहती है नहीं तो मैं क्यों नाराज होउंगी।

तो राजनाथ कहता है कि नहीं मुझे लगा की शायद तुम मुझसे नाराज हो आज वाली बात को लेकर देखो बेटा आज जो कुछ भी हुआ वह अनजाने में और गलती से हुआ उसके लिए मैं तुमसे दोबारा माफी मांगता हूँ मुझे माफ कर दो।

तो फिर आरती कहती है कि आप मुझे बार-बार माफी क्यों मांग रहे हो मुझे पता है यह सब अनजाने में हूआ इसलिए आपको माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है।

तो राजनाथ कहता है कि मुझे लगा कि तुम मुझसे नाराज हो यह सोचकर कि मैं यह सब जानबूझकर किया इसलिए मेरा माफी मांगना जरूरी था।

तो आरती कहती है कि मुझे आप पर पूरा विश्वास है कि आप जानबूझकर ऐसा नहीं कर सकते इसलिए आप अपने मन मे कोई संकोच मत रखीए मैंने आपको माफ कर दिया है।

तो राजनाथ कहता है क्या तुमने मुझे सच में माफ कर दिया।

तो आरती रहती है हाँ हाँ मैंने आपको माफ कर दिया और कितनी बार कहूँ और अगर आपने मुझे उस हालत में देख भी लिया है तो क्या हो गया आप कोई बाहर वाला थोड़ी हैं जिसको देखने से मेरी इज्जत चली गई आपकी जगह पर कोई बाहर वाला होता तब मुझे डर होता कि मुझे किसी बाहर वाले ने नंगा देख लिया अब मेरा क्या होगा।

यह बात सुनते ही राजनाथ का मन खुशी से झूम उठा फिर वह मुस्कुराते हुए कहता हैं।
अच्छा मेरे देखने से तुमको कोई दिक्कत नहीं है।

तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है अब आप चुप रहेंगे कि मैं यहां से चली जाऊं।

तो राजनाथ कहता है अरे मैं कोई गलत थोड़ी बोल रहा हूँ जो तुम बोल रही हो वही तो मैं बोल रहा हूँ।

आरती- तो क्या आप दोबारा मुझे उसी तरह देखना चाहते हैं अगर देखना चाहेंगे तो दिखा दूंगी ।

तो राजनाथ कहता है यह तुम कैसी बात कर रही हो मैंने तुमसे कहा कि मैं देखना चाहता हूँ।

आरती- नहीं मैं यह नहीं कह रही हूँ कि आप देखना चाह रहे हैं मैं एक उदाहरण के तौर पर कह रही हूँ की अगर आपने मुझे नंगा देख भी लिय तो आप थोड़ी ही किसी बाहर वाले को बताएंगे कि आपने मुझे नंगा देख लिय जिससे मेरी इज्जत चली जाएगी।

तो राजनाथ कहता हैं कि हाँ यह बात तुम्हारी सही है यह की जो बात हमारे बीच होगी वह किसी बाहर वाले को पता नहीं चलेगा।

यह सब बात सुनकर राजनाथ की हिम्मत बढ़ने लगती है फिर कुछ देर के बाद वह कहता है आरती बेटा एक बात पूछूं बुरा तो नहीं मानोगी।

तो आरती कहती हां पूछिए क्या बात है।

राजनाथ-- नहीं अगर बुरा लगेगा तो नहीं पूछूंगा।

आरती- बोलिए तो सही क्या बात है नहीं बुरा मानूंगी।

तो राजनाथ धीरे से कहता है तुमने जंगल झाड़ क्यों बढा़ के रखा हुआ है।


आरती को यह बात समझ में नहीं आती तो वह पूछती है कौन सा जंगल झाड़।

राजनाथ-- फिर से मुस्कुराते हुए कहता है वही जो खेत के ऊपर बडा़-बडा़ झाड़ जो उगा हुआ हैं।

तो आरती को समझ में आने लगता है और वह सोचती है कहीं बाबूजी मेरी बूर के ऊपर बाल है उसकी बात तो नहीं कर रहें हैं।
यह बात समझते ही वो शर्मा जाती है और वह फिर अनजान बनते हुए पूछती है यह आप कौन सी झाड़ की बात कर रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा।

तो राजनाथ और थोड़ा खुलकर बोलता है अरे वही खेत जिसके ऊपर तुमने काला काला झाड़ बढा़ के रखा हुआ है ।


तो आरती कहती है अच्छा आप उस झाड़ की बात कर रहे हैं तो मैंने उसको थोड़ी बढ़ाया है वो तो अपने आप ही बढा़ है।

राजनाथ-- वह तो मुझे भी पता है कि वह अपने आप ही बढ़ता है लेकिन उसको साफ तो करना चाहिए।

आरती क्यों उसको रहने से कुछ दिक्कत है क्या ।

राजनाथ नहीं दिक्कत तो नहीं है लेकिन झाड़ साफ रहता है तो खेत की जुताई करने में अच्छा लगता है।


कोई खेत को जोतने वाला है ही नहीं है तो साफ किसके लिए करूंगी।

क्यों दामाद जुताई नहीं करते क्याi
 
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Umakant007

चरित्रं विचित्रं..
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भाग १८
आरती नहा के आने के बाद राजनाथ से कहती है कि मैं नहा कर आ गई हूँ आप जाकर अपना पैर हाथ धो लीजिए ।


उसके बाद राजनाथ पैर हांथ धोने के लिए वॉशरूम में जाता है और पर हांथ धोने लगता है तभी उसकी नजर आरती के खोले हुए कपड़े पर जाती है जो आरती ने नहाने से पहले जो कपड़े खोलकर रखे थे वह सब वहीं पड़ा हुआ था आरती ने जल्दबाजी में साइड करके रखना भूल गई और राजनाथ की नजर उसकी ब्रा और पैंटी पर गई जो ऊपर ही रखा हुआ था फिर वह उसको उठा कर देखने लगता है और उस पैंटी को देखते ही उसकी आंखँ के सामने उसकी बेटी की काले बालों वाली चूत नजर आने लगती है और वह अपने मन मे सोचता है कि मेरी बेटी की चूत इसी पैंटी के अंदर छुपी हुई रहती है उसको उलट पलट के देखने लगता है तो उसको उसमें खून की दाग नजर आती है शायद पीरियड के टाइम में जो ब्लड निकलता है वो उसमें गिर गया होगा उसको देखने के बाद फिर वहीं पर रख देता है और पैर हांथ धोकर वहां से आता है और सीधे अपने कमरे में जाकर बैठ जाता है इस वक्त वह आरती के सामने आने में झिझक क रहा था।

कुछ देर के बाद आरती उसको खाने के लिए बुलाने गई और कमरे के बाहर से ही बोली बाबूजी आईए खाना खा लीजिए।

तो राजनाथ अंदर से जवाब देता हाँ बेटा आ रहा हूँ।

फिर राजनाथ खाना खाने के लिए बरामदे में आकर बैठ जाता है फिर आरती किचन से खाना लेकर आती है उसको खाने के लिए देती है और देखकर कमरे के अंदर चली जाती है दोनों बाप बेटी एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे फिर राजनाथ खाना खाने के बाद अपने कमरे में चला जाता है फिर कुछ देर आराम करने के बाद वह फिर कहीं बाहर चला जाता है।

उसको जाने के बाद आप आरती बैठकर सोचने लगी कि आज उसके साथ क्या-क्या हुआ और यह सब सो कर उसको बहुत शर्म आ रही थी और यह सोच रही थी कि आज तक मुझे किसी ने इस हालत में नहीं देखा था मेरे पति के अलावा और मेरे बाबूजी ने मुझे उस हालत में आज देख लिया और यह सोचकर उसके शरीर में गण गनाहट होने लगी कि अगर मेरे बाबूजी की जगह कोई और होता तो आज तो मेरी इज्जत चली जाती यह तो अच्छा हुआ कि मेरे बाबूजी ने हीं मुझे देखा है वह थोड़े ही किसी बाहर वाले को बताने जाएगें कि उन्होंने मुझे नंगा देखा है और यह सोचकर उसको तसल्ली होती है और कहती है कि मुझे मेरे बाबूजी पर पूरा भरोसा है वह ऐसा कभी नहीं करेंगे।


फिर शाम होने लगती है तो फिर वह रात का खाना बनाने में लग जाती है फिर कुछ देर के बाद राजनाथ भी घर आ जाता है और वह सीधा अपने कमरे में जाकर सो जाता है।

खाना बनाने के बाद आरती दादी और राजनाथ को खाने के लिए बुलाती है।


फिर दोनों जाकर खाना खाते हैं और खाकर अपने-अपने कमरे में सोने के लिए चले जाते हैं।

फिर आरती भी अपना खाना खाने लगती है और खाते-खाते यह सोंच रही थी की आज बाबूजी को मालिश करने के लिए उनके सामने कैसे जाऊंगी खाना खाने के बाद कुछ देर वह बैठी रहती है और सोचती है कि जाऊं कि नहीं जाऊं उनकी मालिश करने के लिए फिर वह सोचती है कि आज नहीं तो कल उनके सामने तो जाना ही पड़ेगा।

उधर राजनाथ यह सोच रहा था कि आरती आज मालिश करने के लिए आएगी कि नहीं अगर आएगी तो मैं उसको क्या बोलूंगा।

फिर कुछ देर के बाद आरती उसके कमरे में आती है दूध का गिलास लेकर रखते हुए कहती है कि दूध पी लीजिए ठंडा हो जाएगा और फिर वह वापस चली जाती है और किचन में जाकर बैठकर सोचने लगती है और कहती है कि कुछ देर के बाद जाऊंगी मालिश करने के लिए तब तक वह दूध भी पी लेंगे।

अभी तक 10 मिनट बीत चुके थे और राजनाथ यह सोचकर अभी तक दूध नहीं पिया था की आरती फिर से आकर कहेगी तो पिएगा क्योंकि उसको आदत हो गई थी की आरती जबरदस्ती उसको खुशामद करके पिलाएगी।

तभी उधर से आरती कमरे के अंदर आती है और गिलास को जाकर देखती हैं तो उसमें दूध अभी भी वैसा ही रखा हुआ था तो वह राजनाथ से कहती की आपने अभी तक दूध क्यों नहीं पीया।

तो राजनाथ कुछ जवाब नहीं दिया वह चुपचाप सोया हुआ था।


तो आरती दूध का गिलास लेकर उसको देने के लिए जाती है और कहती है कि जल्दी से उठकर दूध पी लीजिए ठंडा हो गया पूरा।

तो राजनाथ उसकी तरफ देखा है करता है तुमने अपना दूध पिया।

तो आरती जवाब देती हां मैंने कब कब पी लिया आप जल्दी से पीजिए फिर वह दूध लेकर पीने लगता है और स्पीकर चुपचाप सो जाता है।

फिर आरती भी चुपचाप उसके पैर में मालिश करने लगती है दोनों एक दूसरे से कोई बात नहीं कर रहे थे ।


तो कुछ देर के बाद राजनाथ उसको देखते हुए कहता है बेटा आरती क्या तू मुझसे नाराज है।

तो आरती कहती है नहीं तो मैं क्यों नाराज होउंगी।

तो राजनाथ कहता है कि नहीं मुझे लगा की शायद तुम मुझसे नाराज हो आज वाली बात को लेकर देखो बेटा आज जो कुछ भी हुआ वह अनजाने में और गलती से हुआ उसके लिए मैं तुमसे दोबारा माफी मांगता हूँ मुझे माफ कर दो।

तो फिर आरती कहती है कि आप मुझे बार-बार माफी क्यों मांग रहे हो मुझे पता है यह सब अनजाने में हूआ इसलिए आपको माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है।

तो राजनाथ कहता है कि मुझे लगा कि तुम मुझसे नाराज हो यह सोचकर कि मैं यह सब जानबूझकर किया इसलिए मेरा माफी मांगना जरूरी था।

तो आरती कहती है कि मुझे आप पर पूरा विश्वास है कि आप जानबूझकर ऐसा नहीं कर सकते इसलिए आप अपने मन मे कोई संकोच मत रखीए मैंने आपको माफ कर दिया है।

तो राजनाथ कहता है क्या तुमने मुझे सच में माफ कर दिया।

तो आरती रहती है हाँ हाँ मैंने आपको माफ कर दिया और कितनी बार कहूँ और अगर आपने मुझे उस हालत में देख भी लिया है तो क्या हो गया आप कोई बाहर वाला थोड़ी हैं जिसको देखने से मेरी इज्जत चली गई आपकी जगह पर कोई बाहर वाला होता तब मुझे डर होता कि मुझे किसी बाहर वाले ने नंगा देख लिया अब मेरा क्या होगा।

यह बात सुनते ही राजनाथ का मन खुशी से झूम उठा फिर वह मुस्कुराते हुए कहता हैं।
अच्छा मेरे देखने से तुमको कोई दिक्कत नहीं है।

तो आरती मुस्कुराते हुए कहती है अब आप चुप रहेंगे कि मैं यहां से चली जाऊं।

तो राजनाथ कहता है अरे मैं कोई गलत थोड़ी बोल रहा हूँ जो तुम बोल रही हो वही तो मैं बोल रहा हूँ।

आरती- तो क्या आप दोबारा मुझे उसी तरह देखना चाहते हैं अगर देखना चाहेंगे तो दिखा दूंगी ।

तो राजनाथ कहता है यह तुम कैसी बात कर रही हो मैंने तुमसे कहा कि मैं देखना चाहता हूँ।

आरती- नहीं मैं यह नहीं कह रही हूँ कि आप देखना चाह रहे हैं मैं एक उदाहरण के तौर पर कह रही हूँ की अगर आपने मुझे नंगा देख भी लिय तो आप थोड़ी ही किसी बाहर वाले को बताएंगे कि आपने मुझे नंगा देख लिय जिससे मेरी इज्जत चली जाएगी।

तो राजनाथ कहता हैं कि हाँ यह बात तुम्हारी सही है यह की जो बात हमारे बीच होगी वह किसी बाहर वाले को पता नहीं चलेगा।

यह सब बात सुनकर राजनाथ की हिम्मत बढ़ने लगती है फिर कुछ देर के बाद वह कहता है आरती बेटा एक बात पूछूं बुरा तो नहीं मानोगी।

तो आरती कहती हां पूछिए क्या बात है।

राजनाथ-- नहीं अगर बुरा लगेगा तो नहीं पूछूंगा।

आरती- बोलिए तो सही क्या बात है नहीं बुरा मानूंगी।

तो राजनाथ धीरे से कहता है तुमने जंगल झाड़ क्यों बढा़ के रखा हुआ है।


आरती को यह बात समझ में नहीं आती तो वह पूछती है कौन सा जंगल झाड़।

राजनाथ-- फिर से मुस्कुराते हुए कहता है वही जो खेत के ऊपर बडा़-बडा़ झाड़ जो उगा हुआ हैं।

तो आरती को समझ में आने लगता है और वह सोचती है कहीं बाबूजी मेरी बूर के ऊपर बाल है उसकी बात तो नहीं कर रहें हैं।
यह बात समझते ही वो शर्मा जाती है और वह फिर अनजान बनते हुए पूछती है यह आप कौन सी झाड़ की बात कर रहे हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा।

तो राजनाथ और थोड़ा खुलकर बोलता है अरे वही खेत जिसके ऊपर तुमने काला काला झाड़ बढा़ के रखा हुआ है ।


तो आरती कहती है अच्छा आप उस झाड़ की बात कर रहे हैं तो मैंने उसको थोड़ी बढ़ाया है वो तो अपने आप ही बढा़ है।

राजनाथ-- वह तो मुझे भी पता है कि वह अपने आप ही बढ़ता है लेकिन उसको साफ तो करना चाहिए।

आरती क्यों उसको रहने से कुछ दिक्कत है क्या ।

राजनाथ नहीं दिक्कत तो नहीं है लेकिन झाड़ साफ रहता है तो खेत की जुताई करने में अच्छा लगता है।


कोई खेत को जोतने वाला है ही नहीं है तो साफ किसके लिए करूंगी।

क्यों दामाद जुताई नहीं करते क्याi
Waiting for next update... Must be update no 18 is incomplete...
 
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