हेलो दोस्तो स्वागत है मेरी पहली गर्मा गर्म कहानी में
जहां बाप बेटी का अति अति अति उत्तेजित कामुक सवांद ओर जोशीली चुदाई के बारे अवगत कराया जाएगा।
कैसे एक हसीन सहजादी अपने बिग ब्लैक कॉक बापू की सहारा बनी और किस तरह का मादक जीवन उन्होंने बिताया
यही सब कहानी में बताया गया।
कहानी में दो करैक्टर हैं राधा बिटिया ओर दूसरे हरपाल बापू
राधा बिटिया
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राधा :- यानी मैं एक 22 साल की सभी यौवन गुणों से परिपूर्ण हसीना जिसका सीना ऊपर को उठा हुआ और गांण्ड बाहर को निकली हुई।
चुत की फांके एक इंच मोटी puffy टाइप चुत जिससे गर्म गर्म कामुक महक उठती रहती हैं। चुत लम्बी है जो अंदाजे से गहरी भी होगी। वो तो जब पता चलेगा जब कोई मेरी गर्म चुत की लंबाई नापेगा, जब गर्म होती है तो अपना बेस्ट ओर्गास्म देती हैं। गांण्ड का छेद डार्क ब्राउन देखते ही जीभ अंदर ठेल दो ऐसी।
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मैं खुद अपनी गांण्ड पर उंगली घुमा घुमा कर सूंघती हूँ. उसको अच्छी तरह साबुन से धोकर रखती हूं। अहहहहहह उसकी सिलवटे उसमे चार चांद लगा देती हैं।
23 की उम्र तक पहुंचते पहुंचते मेरा बदन आग का शोला बन चुका था हर एक अंग में मादकता कूट कूट कर भर चुकी थी। मेरी माँ का देहांत आज से 2 साल पहले कैंसर से हो गया था। मैं अकेली बापू के साथ एक कमरे के मकान में रहती हूं।
कमरे से हटके एक छपरा (लकड़ी का बना हुआ कच्चा मकान) बना हुआ था जिसमे बापू सोते थे।
बापू:- हरपाल 46 साल के गबरू आदमी, खेत मे काम करके शरीर को फौलाद बनाया हुआ है। स्वभाव से बहुत सीधे सच्चे आदमी जिसकी तारीफ गाँव भर में थी। खेतीबाडी का काम करते है। बापू गाँव के सरपंच के खेतों को मजदूरों के साथ संभालते हैं, एक तरह से सरपंच ने खेतो का सारा काम बापू को दे रखा है जिनमे बापू मजदूरों के साथ फसल उगाते ओर निकालते।
काजल:- सरपंच की बेटी जो मेरी सहेली थी। वो मेरी खूबसूरती और भोले चंचल स्वभाव से खुश रहती तो उसने मुझे दोस्त बना लिया। मैं फ्री टाइम उसके पास चली जाती और उसकी ओर उसके बॉयफ्रेंड की गर्म गर्म किस्से सुनकर आ जाती।
वो रोज कोई ना कोई गर्म किस्सा बताती की आज उसने ऐसा किया वहां जाकर ये किया। वो पास के शहर में कॉलेज जाती थी। जहां उसने बॉयफ्रेंड बना रखा था।
काजल की रंडिपने की बातें सुन सुनकर कर मेने अपनी चुत से इतना पानी निकाला की चुत भी बोलती है "बहना तू कोई तगड़ा लन्ड ढूंढ ले"
काजल मुझे रोज गर्म कर देती ओर में घर आकर खूब चुत से खेलती ओर आग को ओर ज्यादा भड़का देती।
यही सब चल रहा था जिंदगी मे, एक रात में पेशाब करने कमरे से बाहर आई कि बापू के छपरे से कराहने की आवाज आने लगी।
में घबराई हुई बापू के छपरे के पास पहुंची और अंदर निगाहे डाली (छपरे में कोई दरवाजा नही था) तो अंदर एक बल्ब की रोशनी में बापू अपना हाथ तेज़ तेज़ हिला रहे थे। मेने गोर से देखा था तो बापू ने अपने काले नाग को पकड़ा हुआ था और उसे तोड़ मरोड़कर जहर उगलने को उकसा रहे थे। एक अच्छा मोटा तगड़ा लन्ड जो काला था बापू के हाथ मे था। अहह में घबरा गई की इतना मोटा बार रे.. यूं तो काजल से सुन रखा था कि लन्ड ऐसा होता है ये ये काम आता इतना बड़ा है उसके बॉयफ्रेड का। उसने बॉयफ्रेंड का लन्ड भी दिखाया जो बापू से आधा ही था।
मेरे बापू सच में जवान जवान लौंडों को मात देते हुए एक काला अजगर पाले बैठे थे
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आह्दह..पदमा..जब से तू गयी है जिंदगी अधूरी सी हो गईईईईई है देखो ना कैसे ये परेशान करता है पदमा...कहाँ चली गयी तुम मुझे छोड़कर
बापू के ये रूप देखकर में हैरान रह गयी कि बापू कितने अकेले महसूस कर रहे हैं वो बार बार अपने लन्ड को घिस रहे थे जो देखने मे बहुत बड़ा था। काला सा मोटा सा कोई 8-9 इंच का तो होगा अंदाजे से। बापू ने आंखे बंद कर रखी थी और जोर जोर से लोडा मुठियाते रहे।
पदमा अब कैसे करूँ इसका तुम्हारे बिना ये दिन रात खड़ा रहता है, कब तक बर्दास्त करू अब ऐसे ही दिन गुजारने हैं।
मैं तड़प रहा हूँ पदमा अहहहहहह तुम्हें मिस करता हूँ
बापू कराहते हुए सिसक रहे थे। शायद बापू रुआंसे हो गए उनकी आवाज में दर्द साफ झलक रहा था। एक बेटी होने के नाते मुझसे बर्दास्त नही हुआ मैं बापू को जान से ज्यादा प्यार करती थी बचपन से ही मैं बापू की लाडली रहूं हूँ मेरे बदले बापू माँ से भी लड़ जाया करते थे। दूसरी वजह ये थी कि वो मेरी बहुत फिक्र करते थे दिन भर खेतों में मजदूरी करते थक जाते होंगे पर बिटिया की शादी कराने की फिक्र में लगे रहते होंगे इन्ही सब चीजों की वजह से बापू से मेरा लगाव अटूट था।
मैं बापू को मस्ती में डूबा देख मुस्कुरा पड़ी और मन मे "सॉरी बापू खलल डालने के लिए"
मैं चुपके से बापू की खटिया के पास पहुंच गईईईईई।
ओह्ह ऊपर वाले इतना बड़ा लन्ड बापू तो कोई जानवर ही है भला मेरे भोले भाले बापू पर इतना बड़ा काला लन्ड जंचता है क्या। लन्ड पर एक दो मोटी मोटी नशे आलू जैसा
टोपा.ओर दो बॉल्स जिनमे वीर्या कूट कूट कर भरा था
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सच मे मेरे एक हाथ मे तो ना आये, कोई मोटा डंडा जैसा लन्ड
"बापू क्या हुआ है आपको" मेरी आवाज सुनकर बापू ने आंखे खोली ओर जल्दबाजी में अपना लन्ड लुंगी से छिपाया ओर उठकर बैठ गए।
बापू पसीने से तरबतर हुए पड़े थे जैसे 1500 मीटर की दौड़ मार कर आये हो
"बिटिया कुछ भी नही हुआ है तुम कैसे आ गयी"
बापू मेने कराहने की आवाज सुनी तो आ गयिईईई बताओ बापू क्या हुआ है तुम्हे कुछ हुआ तो नही ?
मेने सब देखा था पर मैं बापू को अहसास नही कराना चाहती थी के मैं उसका रंगारंग प्रोग्राम देख चुकी हूँ।
बापू:- बिटिया कुछ नही वो बस दर्द हो रहा था पैरों में, बापू ने झूंट बोलते हुए कहा ओर लम्बी लम्बी साँसों को संभालने लगे
बापू आप दर्द में हैं मुझे जगा देते मैं मालिश कर देती पैरों की
बिटिया बस थोड़ा सा है अपने आप कम हो जाएगा तुम जाकर सो जाओ।
बापू मैं अभी आई और रसोई से सरसो का तेल गर्म करके कटोरी में लिया और बापू के पास पलंग पर बैठ गयी
बापू में मालिश कर देती हूं
बापू:-बिटिया इतनी परेशानी क्यों उठा रही हो मैं ठीक हूँ
मैं:- बापू तुम ठीक नही हो कैसे कराह रहे थे जैसे कितना दर्द है
चलो अब सीधे लेट जाओ मैं तेल की मालिश कर देती हूं तब आराम मिलेगा बापू।
बापू थोड़ा उलझन में थे जो उसकी लुंगी में छिपी मोटी लम्बी चीज की वजह से था।
बापू मना करते रहे पर आखिरकार वो माने ओर सीधा लेट गए मैं भी पैरों समेत पलंग पर चढ़ गई और बापू के पैरों में बैठ गयी।
बापू लुंगी थोड़ा ऊपर चढा लो ताकि आसानी रहे और लुंगी खराब ना हो।
बापू ने लुंगी को घुटने तक कर लिया और दोनों हाथों से लुंगी में छिपी चीज को ढक लिया। मैं मन ही मन मे मुस्कुरा रही थी "मेरे लाडले बापू मेने देख लिया है तुम्हारा अजगर क्यों उसको सांस नही लेने दे रहे"
मेने पैरों पर तेल गिराया ओर बारी बारी से पैरों की मसाज करने लगी उसके तलवे पर अच्छी तरह मसाज करने लगी.
बापू आंखे बंद करके अपने आप को कोष रहे थे कि आज जवान बिटिया ने पकड़
लिया
इसी तरह करती हुई में घुटनो तक पहुंच गई बापू ने शर्म की वजह से आंखे बंद कर रखी थी और लन्ड हाथों से लुंगी में छिपाया हुआ था। मेरिई जिज्ञासा बढ़ने लगी कि लन्ड आखिर होता कैसा है। हम ठहरे ठेठ देहाती बस सुना था कि ऐसे होता है वैसे होता पर कभी रियल में देखने को नही मिला। बस काजल ने फ़ोटो में दिखाया था। आज अच्छा मौका था तो बापू से बोली___
बापू ये हाथों में क्या छिपाया है आपने
बिटिया कुछ नही बस हो गयी मालिश अब जाओ तुम सो जाओ
बापू बताओ ना क्या छिपाया हुआ है आपने हाथों के नीचे
बिटिया तुम बस करो अब क्यों मुझे शर्मसार कर रही हो
बापू मेने सब देख लिया है आप किस चीज के लिए मचल रहे थे बापू मुझसे नही देखा गया आपका दर्द, मैं सब कुछ करने को तैयार हूं पर अपने बापू को ऐसे तड़पता हुआ नही देख सकती
बिटिया अब तुम्हे पता लग ही गया है तो क्या छिपाना, मुझे कभी कभी बहुत याद आती है तुम्हारी माँ की
बापू याद तो मुझे भी आती है पर में तो नही कराहती जैसे आप कराह रहे थे मैं बापू को छेड़ते हुए बोली
बिटिया तुम सब समझ जाओगी जब तुम्हारी शादी होगी क्यों मर्द को औरत की जरूरत होती है।
बापू फिर जिसको आप हिला रहे थे उससे क्या होता है याद करने को तो वैसे भी याद कर लेते हैं
बिटिया तुम समझ नही रही हो मैं बाप हूं तुम्हारा कैसे बताऊ तुम्हे
बापू अब मुझे ही नही बताओगे तो किसे बताओगे, एक मैं ही सहारा हूँ आपका।
बिटिया मुझे ज्यादा गर्मी लग रही थी तो उसको दूर कर रहा था अब बस।
ओह्ह बापू तो मालिश कर देती हूं ना उसकी फिर ठंडक आएगी ना उसमे।
ओह्ह बिटिया तुम कैसे अपने बाप को ठंडक पहुंचा सकती हो तुम मेरी सगी बिटिया हो।
ऐसी बिटिया का क्या फायदा जो बाप को तड़पते हुए देखे, मुझसे बर्दास्त नही होता आपका थोड़ा सा भी दर्द ये समझ लो बापू
आप ही मेरे सब कुछ हो मे आपके जो भी काम आ सकती हूं वो करूंगी चाहे हमारा कुछ भी रिश्ता हो बापू
बिटिया मुझे फख्र है तुम पर अब जाओ काफी रात हो गयी है
बापू जब तक आपका दर्द नही खत्म करूंगी में कहीं नही जाने वाली
बिटिया तुम समझ नही रही वहां कैसे तुम देख सकती हो, मुझे बहुत शर्म आ रही है कि बेटी ने आज देख लिया अहह भगवान
बापू मुझे देखने दो ना फिर मालिश करके चली जाऊंगी, आपको भी नींद अच्छी आएगी। आप आंखे बंद करो तब नही आएगी शर्म।
तुम बहुत ज़िद्दी हो बिटिया मानोगी नही लो जल्दी से मालिश करो
ओर जाओ। बाप ने हाथ हटा लिए उसकी लुंगी में एक बड़ा सा उभार था जो मुझे हेरत में डाल रहा था।
मेने लुंगी की गांठ खोली ओर उसको साइड किया तो मेरे सामने बापू का काला लौड़ा फुंकारते हुए खड़ा था।
ओह्हहह बापू ये क्या इतना बड़ा, इंसान हो क्या हो बापू
तौबाह देखो तो कितना अकड़ा हुआ है
अभी इसकी अकड़ ठिकाने लगाती हूँ, मेरे बापू को परेशान करता है अब तू देख तेरी कैसे इज्जत उतारती हूँ।
अहहहहहह बिटिया ऐसी बातें मत करो ये ओर ज्यादा अकड़ जाएगा।
बापू मैं आपकी लाडली गुडिया हूँ ना मुझे हैंडल करने दो आप बस लेटे रहो।
मेने बापू के लन्ड देखकर हैरान थी कि बापू का इतना बड़ा सच मे बड़ा लम्बा मोटा था ।
मैंने हाथों में तेल लिया और बापू के टोपे पर गिरा दिया
ओर हाथ से लन्ड को पकड़ लिया और सिरे से दबाती हुई हुई जड़ तक पहुंच गई।
अहहहह बिटिया क्या कर रही हो तुम
बापू में आपके मोटे लौड़े को नाप रही हूं कितना बड़ा है ये तो बापू माँ पता नही कैसे लेती होगी। बापू क्या सबका ऐसा ही होता है।
बिटिया मुझे नही पता अहह तुम पागल कर दोगी मुझे।
बापू बताओ ना कैसे किया इतना मोटा लम्बा कहीं तेल की मालिश तो नही करते इसकी।
अहह बिटिया मालिश नही इसको तो जड़ी बूटियों से बड़ा किया है, एक बाबा से लाया था मैं 2-3 महीने जड़ी बूटियां खाई तब हुआ है ऐसा।
बापू माँ कैसे झेलती होगी इसको, बापू माँ पर तो आप रात भर चढ़े रहते होंगे है ना।
बिटिया ये गर्म बातें मत करो मैं बहक जाऊंगा बिटिया।
तो बापू बहक जाओ ना मैं थोड़ी मना कर रही हूं निकाल दो अपने अंदर की भड़ास को बापू
मैं बापू के लन्ड को मुठियाती हुई बापू के बगल में लेट गयी
अहह बापू बताओ ना कैसे लग रहा है अपनी राधा के हाथों से मुठियाना
बिटिया मजा तो आ रहा है पर मुझे शर्म भी आ रही है तुम मेरी बिटिया हो।
बापू शर्म करते रह जाओगे ओर तड़पते रहना।
बापू अब से जब भी ये परेशान करे मुझे बताना इसको ठंडा कर दूंगी ठीक है बापू।
बापू माँ की याद आती है या माँ की चुत की
बिटिया इतना बेशर्म नही समझा था मेने तुम्हे तुम तो बड़ी तेज़ निकली।
बापू मेरी भी उम्र हो चली है ना शादी की मुझे भी तो सीखना हैं अपने पति के साथ
कैसे रहना है