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हर अपडेट को पढ़कर रेटिंग के जरिये बताएं कैसा लगा
बिल्कुल रियल रेटिंग देना
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बिल्कुल रियल रेटिंग देना
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Bhot hi behtareen update. 8/10.हेलो दोस्तो स्वागत है मेरी पहली गर्मा गर्म कहानी में
जहां बाप बेटी का अति अति अति उत्तेजित कामुक सवांद ओर जोशीली चुदाई के बारे अवगत कराया जाएगा।
कैसे एक हसीन सहजादी अपने बिग ब्लैक कॉक बापू की सहारा बनी और किस तरह का मादक जीवन उन्होंने बिताया
यही सब कहानी में बताया गया।
कहानी में दो करैक्टर हैं राधा बिटिया ओर दूसरे हरपाल बापू
राधा बिटिया
राधा :- यानी मैं एक 22 साल की सभी यौवन गुणों से परिपूर्ण हसीना जिसका सीना ऊपर को उठा हुआ और गांण्ड बाहर को निकली हुई।
चुत की फांके एक इंच मोटी puffy टाइप चुत जिससे गर्म गर्म कामुक महक उठती रहती हैं। चुत लम्बी है जो अंदाजे से गहरी भी होगी। वो तो जब पता चलेगा जब कोई मेरी गर्म चुत की लंबाई नापेगा, जब गर्म होती है तो अपना बेस्ट ओर्गास्म देती हैं। गांण्ड का छेद डार्क ब्राउन देखते ही जीभ अंदर ठेल दो ऐसी।
मैं खुद अपनी गांण्ड पर उंगली घुमा घुमा कर सूंघती हूँ. उसको अच्छी तरह साबुन से धोकर रखती हूं। अहहहहहह उसकी सिलवटे उसमे चार चांद लगा देती हैं।
23 की उम्र तक पहुंचते पहुंचते मेरा बदन आग का शोला बन चुका था हर एक अंग में मादकता कूट कूट कर भर चुकी थी। मेरी माँ का देहांत आज से 2 साल पहले कैंसर से हो गया था। मैं अकेली बापू के साथ एक कमरे के मकान में रहती हूं।
कमरे से हटके एक छपरा (लकड़ी का बना हुआ कच्चा मकान) बना हुआ था जिसमे बापू सोते थे।
बापू:- हरपाल 46 साल के गबरू आदमी, खेत मे काम करके शरीर को फौलाद बनाया हुआ है। स्वभाव से बहुत सीधे सच्चे आदमी जिसकी तारीफ गाँव भर में थी। खेतीबाडी का काम करते है। बापू गाँव के सरपंच के खेतों को मजदूरों के साथ संभालते हैं, एक तरह से सरपंच ने खेतो का सारा काम बापू को दे रखा है जिनमे बापू मजदूरों के साथ फसल उगाते ओर निकालते।
काजल:- सरपंच की बेटी जो मेरी सहेली थी। वो मेरी खूबसूरती और भोले चंचल स्वभाव से खुश रहती तो उसने मुझे दोस्त बना लिया। मैं फ्री टाइम उसके पास चली जाती और उसकी ओर उसके बॉयफ्रेंड की गर्म गर्म किस्से सुनकर आ जाती।
वो रोज कोई ना कोई गर्म किस्सा बताती की आज उसने ऐसा किया वहां जाकर ये किया। वो पास के शहर में कॉलेज जाती थी। जहां उसने बॉयफ्रेंड बना रखा था।
काजल की रंडिपने की बातें सुन सुनकर कर मेने अपनी चुत से इतना पानी निकाला की चुत भी बोलती है "बहना तू कोई तगड़ा लन्ड ढूंढ ले"
काजल मुझे रोज गर्म कर देती ओर में घर आकर खूब चुत से खेलती ओर आग को ओर ज्यादा भड़का देती।
यही सब चल रहा था जिंदगी मे, एक रात में पेशाब करने कमरे से बाहर आई कि बापू के छपरे से कराहने की आवाज आने लगी।
में घबराई हुई बापू के छपरे के पास पहुंची और अंदर निगाहे डाली (छपरे में कोई दरवाजा नही था) तो अंदर एक बल्ब की रोशनी में बापू अपना हाथ तेज़ तेज़ हिला रहे थे। मेने गोर से देखा था तो बापू ने अपने काले नाग को पकड़ा हुआ था और उसे तोड़ मरोड़कर जहर उगलने को उकसा रहे थे। एक अच्छा मोटा तगड़ा लन्ड जो काला था बापू के हाथ मे था। अहह में घबरा गई की इतना मोटा बार रे.. यूं तो काजल से सुन रखा था कि लन्ड ऐसा होता है ये ये काम आता इतना बड़ा है उसके बॉयफ्रेड का। उसने बॉयफ्रेंड का लन्ड भी दिखाया जो बापू से आधा ही था।
मेरे बापू सच में जवान जवान लौंडों को मात देते हुए एक काला अजगर पाले बैठे थे
आह्दह..पदमा..जब से तू गयी है जिंदगी अधूरी सी हो गईईईईई है देखो ना कैसे ये परेशान करता है पदमा...कहाँ चली गयी तुम मुझे छोड़कर
बापू के ये रूप देखकर में हैरान रह गयी कि बापू कितने अकेले महसूस कर रहे हैं वो बार बार अपने लन्ड को घिस रहे थे जो देखने मे बहुत बड़ा था। काला सा मोटा सा कोई 8-9 इंच का तो होगा अंदाजे से। बापू ने आंखे बंद कर रखी थी और जोर जोर से लोडा मुठियाते रहे।
पदमा अब कैसे करूँ इसका तुम्हारे बिना ये दिन रात खड़ा रहता है, कब तक बर्दास्त करू अब ऐसे ही दिन गुजारने हैं।
मैं तड़प रहा हूँ पदमा अहहहहहह तुम्हें मिस करता हूँ
बापू कराहते हुए सिसक रहे थे। शायद बापू रुआंसे हो गए उनकी आवाज में दर्द साफ झलक रहा था। एक बेटी होने के नाते मुझसे बर्दास्त नही हुआ मैं बापू को जान से ज्यादा प्यार करती थी बचपन से ही मैं बापू की लाडली रहूं हूँ मेरे बदले बापू माँ से भी लड़ जाया करते थे। दूसरी वजह ये थी कि वो मेरी बहुत फिक्र करते थे दिन भर खेतों में मजदूरी करते थक जाते होंगे पर बिटिया की शादी कराने की फिक्र में लगे रहते होंगे इन्ही सब चीजों की वजह से बापू से मेरा लगाव अटूट था।
मैं बापू को मस्ती में डूबा देख मुस्कुरा पड़ी और मन मे "सॉरी बापू खलल डालने के लिए"
मैं चुपके से बापू की खटिया के पास पहुंच गईईईईई।
ओह्ह ऊपर वाले इतना बड़ा लन्ड बापू तो कोई जानवर ही है भला मेरे भोले भाले बापू पर इतना बड़ा काला लन्ड जंचता है क्या। लन्ड पर एक दो मोटी मोटी नशे आलू जैसा टोपा.ओर दो बॉल्स जिनमे वीर्या कूट कूट कर भरा था
सच मे मेरे एक हाथ मे तो ना आये, कोई मोटा डंडा जैसा लन्ड
"बापू क्या हुआ है आपको" मेरी आवाज सुनकर बापू ने आंखे खोली ओर जल्दबाजी में अपना लन्ड लुंगी से छिपाया ओर उठकर बैठ गए।
बापू पसीने से तरबतर हुए पड़े थे जैसे 1500 मीटर की दौड़ मार कर आये हो
"बिटिया कुछ भी नही हुआ है तुम कैसे आ गयी"
बापू मेने कराहने की आवाज सुनी तो आ गयिईईई बताओ बापू क्या हुआ है तुम्हे कुछ हुआ तो नही ?
मेने सब देखा था पर मैं बापू को अहसास नही कराना चाहती थी के मैं उसका रंगारंग प्रोग्राम देख चुकी हूँ।
बापू:- बिटिया कुछ नही वो बस दर्द हो रहा था पैरों में, बापू ने झूंट बोलते हुए कहा ओर लम्बी लम्बी साँसों को संभालने लगे
बापू आप दर्द में हैं मुझे जगा देते मैं मालिश कर देती पैरों की
बिटिया बस थोड़ा सा है अपने आप कम हो जाएगा तुम जाकर सो जाओ।
बापू मैं अभी आई और रसोई से सरसो का तेल गर्म करके कटोरी में लिया और बापू के पास पलंग पर बैठ गयी
बापू में मालिश कर देती हूं
बापू:-बिटिया इतनी परेशानी क्यों उठा रही हो मैं ठीक हूँ
मैं:- बापू तुम ठीक नही हो कैसे कराह रहे थे जैसे कितना दर्द है
चलो अब सीधे लेट जाओ मैं तेल की मालिश कर देती हूं तब आराम मिलेगा बापू।
बापू थोड़ा उलझन में थे जो उसकी लुंगी में छिपी मोटी लम्बी चीज की वजह से था।
बापू मना करते रहे पर आखिरकार वो माने ओर सीधा लेट गए मैं भी पैरों समेत पलंग पर चढ़ गई और बापू के पैरों में बैठ गयी।
बापू लुंगी थोड़ा ऊपर चढा लो ताकि आसानी रहे और लुंगी खराब ना हो।
बापू ने लुंगी को घुटने तक कर लिया और दोनों हाथों से लुंगी में छिपी चीज को ढक लिया। मैं मन ही मन मे मुस्कुरा रही थी "मेरे लाडले बापू मेने देख लिया है तुम्हारा अजगर क्यों उसको सांस नही लेने दे रहे"
मेने पैरों पर तेल गिराया ओर बारी बारी से पैरों की मसाज करने लगी उसके तलवे पर अच्छी तरह मसाज करने लगी.
बापू आंखे बंद करके अपने आप को कोष रहे थे कि आज जवान बिटिया ने पकड़ लिया
इसी तरह करती हुई में घुटनो तक पहुंच गई बापू ने शर्म की वजह से आंखे बंद कर रखी थी और लन्ड हाथों से लुंगी में छिपाया हुआ था। मेरिई जिज्ञासा बढ़ने लगी कि लन्ड आखिर होता कैसा है। हम ठहरे ठेठ देहाती बस सुना था कि ऐसे होता है वैसे होता पर कभी रियल में देखने को नही मिला। बस काजल ने फ़ोटो में दिखाया था। आज अच्छा मौका था तो बापू से बोली___
बापू ये हाथों में क्या छिपाया है आपने
बिटिया कुछ नही बस हो गयी मालिश अब जाओ तुम सो जाओ
बापू बताओ ना क्या छिपाया हुआ है आपने हाथों के नीचे
बिटिया तुम बस करो अब क्यों मुझे शर्मसार कर रही हो
बापू मेने सब देख लिया है आप किस चीज के लिए मचल रहे थे बापू मुझसे नही देखा गया आपका दर्द, मैं सब कुछ करने को तैयार हूं पर अपने बापू को ऐसे तड़पता हुआ नही देख सकती
बिटिया अब तुम्हे पता लग ही गया है तो क्या छिपाना, मुझे कभी कभी बहुत याद आती है तुम्हारी माँ की
बापू याद तो मुझे भी आती है पर में तो नही कराहती जैसे आप कराह रहे थे मैं बापू को छेड़ते हुए बोली
बिटिया तुम सब समझ जाओगी जब तुम्हारी शादी होगी क्यों मर्द को औरत की जरूरत होती है।
बापू फिर जिसको आप हिला रहे थे उससे क्या होता है याद करने को तो वैसे भी याद कर लेते हैं
बिटिया तुम समझ नही रही हो मैं बाप हूं तुम्हारा कैसे बताऊ तुम्हे
बापू अब मुझे ही नही बताओगे तो किसे बताओगे, एक मैं ही सहारा हूँ आपका।
बिटिया मुझे ज्यादा गर्मी लग रही थी तो उसको दूर कर रहा था अब बस।
ओह्ह बापू तो मालिश कर देती हूं ना उसकी फिर ठंडक आएगी ना उसमे।
ओह्ह बिटिया तुम कैसे अपने बाप को ठंडक पहुंचा सकती हो तुम मेरी सगी बिटिया हो।
ऐसी बिटिया का क्या फायदा जो बाप को तड़पते हुए देखे, मुझसे बर्दास्त नही होता आपका थोड़ा सा भी दर्द ये समझ लो बापू
आप ही मेरे सब कुछ हो मे आपके जो भी काम आ सकती हूं वो करूंगी चाहे हमारा कुछ भी रिश्ता हो बापू
बिटिया मुझे फख्र है तुम पर अब जाओ काफी रात हो गयी है
बापू जब तक आपका दर्द नही खत्म करूंगी में कहीं नही जाने वाली
बिटिया तुम समझ नही रही वहां कैसे तुम देख सकती हो, मुझे बहुत शर्म आ रही है कि बेटी ने आज देख लिया अहह भगवान
बापू मुझे देखने दो ना फिर मालिश करके चली जाऊंगी, आपको भी नींद अच्छी आएगी। आप आंखे बंद करो तब नही आएगी शर्म।
तुम बहुत ज़िद्दी हो बिटिया मानोगी नही लो जल्दी से मालिश करो
ओर जाओ। बाप ने हाथ हटा लिए उसकी लुंगी में एक बड़ा सा उभार था जो मुझे हेरत में डाल रहा था।
मेने लुंगी की गांठ खोली ओर उसको साइड किया तो मेरे सामने बापू का काला लौड़ा फुंकारते हुए खड़ा था।
ओह्हहह बापू ये क्या इतना बड़ा, इंसान हो क्या हो बापू
तौबाह देखो तो कितना अकड़ा हुआ है
अभी इसकी अकड़ ठिकाने लगाती हूँ, मेरे बापू को परेशान करता है अब तू देख तेरी कैसे इज्जत उतारती हूँ।
अहहहहहह बिटिया ऐसी बातें मत करो ये ओर ज्यादा अकड़ जाएगा।
बापू मैं आपकी लाडली गुडिया हूँ ना मुझे हैंडल करने दो आप बस लेटे रहो।
मेने बापू के लन्ड देखकर हैरान थी कि बापू का इतना बड़ा सच मे बड़ा लम्बा मोटा था ।
मैंने हाथों में तेल लिया और बापू के टोपे पर गिरा दिया
ओर हाथ से लन्ड को पकड़ लिया और सिरे से दबाती हुई हुई जड़ तक पहुंच गई।
अहहहह बिटिया क्या कर रही हो तुम
बापू में आपके मोटे लौड़े को नाप रही हूं कितना बड़ा है ये तो बापू माँ पता नही कैसे लेती होगी। बापू क्या सबका ऐसा ही होता है।
बिटिया मुझे नही पता अहह तुम पागल कर दोगी मुझे।
बापू बताओ ना कैसे किया इतना मोटा लम्बा कहीं तेल की मालिश तो नही करते इसकी।
अहह बिटिया मालिश नही इसको तो जड़ी बूटियों से बड़ा किया है, एक बाबा से लाया था मैं 2-3 महीने जड़ी बूटियां खाई तब हुआ है ऐसा।
बापू माँ कैसे झेलती होगी इसको, बापू माँ पर तो आप रात भर चढ़े रहते होंगे है ना।
बिटिया ये गर्म बातें मत करो मैं बहक जाऊंगा बिटिया।
तो बापू बहक जाओ ना मैं थोड़ी मना कर रही हूं निकाल दो अपने अंदर की भड़ास को बापू
मैं बापू के लन्ड को मुठियाती हुई बापू के बगल में लेट गयी
अहह बापू बताओ ना कैसे लग रहा है अपनी राधा के हाथों से मुठियाना
बिटिया मजा तो आ रहा है पर मुझे शर्म भी आ रही है तुम मेरी बिटिया हो।
बापू शर्म करते रह जाओगे ओर तड़पते रहना।
बापू अब से जब भी ये परेशान करे मुझे बताना इसको ठंडा कर दूंगी ठीक है बापू।
बापू माँ की याद आती है या माँ की चुत की
बिटिया इतना बेशर्म नही समझा था मेने तुम्हे तुम तो बड़ी तेज़ निकली।
बापू मेरी भी उम्र हो चली है ना शादी की मुझे भी तो सीखना हैं अपने पति के साथ कैसे रहना है
Gajab ka update diya bhai
एक अच्छी नींद लेकर में सुबह उठी और
बैठ कर रात की घटना को सोचने लगी। काजल की बातें सुन सुनकर रात पता नही मेने केसी केसी हरकते की पर मजा भी आया। सगे रिश्ते का मजा या बापू का मोटा लोडा या फिर दोनों।
मेरी भी फैंटेसी थी जिसके साथ भी करूंगी अपने तरीके से करूंगी ओर देखो मिला भी तो कोंन अपने सगे भोले बापू
अब उनको मनाना है फिर जाकर में अपनी जवानी का लुफ्त उठा पाऊंगी। वैसे बापू का लोडा है तो मनमोहक काला सा मोटा सा डंडा। मैं खड़ी हुई और हाथ मुँह धोकर चाय पानी तैयार करने लगी।
चाय बनाकर मेंने उसे कप में किया और शैतानी हंसी के साथ अपनी एक चुची को बाहर निकाला और ब्राउन निप्पल को चाय से कुछ इंच ऊपर करके ऐसे बीहैव करने लगी जैसी मैं अपनी चुची का दूध उसमे डाल रही हूं
चाय लेकर में बापू के छपरे में आ गईई तो बापू सुकून की नींद सोए हुए थे जैसे कितनी गहरी नींद में हो।
हो भी क्यों ना एक कमसिन मादक कली की चुत का पानी और लाडली के हाथों से मुठ मरवाना सौभाग्य की बात होती है।
"बापू उठो सुबह हो गयी"
आवाज सुनकर बापू खड़े हो गए और मेरी तरफ देखकर आंखे झुका ली।
"लो चाय पी लो बापू" मेने चाय का कप बापू को दिया और पैरों की साइड बैठ गयी।
"केसी नींद आई बापू को बताओ तो जरा "
बापू:- बिटिया रात जो भी हुआ उसमे हम दोनों की गलती थी।
ना मैं वो काम करता और ना तुम मालिश करने की बात कहती।
मैं:- बापू क्या तुम ऐसे ही तड़पते रहते, कोई तो चाहिए ना जो तुम्हारी फीलिंग समझ सके। मैं बस तुम्हे खुश देखना चाहती हूं चाहे कुछ भी करना पड़े। अब आपका ख्याल मुझे ही रखना है।
वैसे बापू मैं ख्याल अच्छा रख लेती हूं ना।
मैं मुस्कुराते हुए बोली।
बापू:- बापू शर्माते हुए हां मेरी नटखट बच्ची।
मैं:- ओह्ह मेरे बापू तुम कितने अच्छे हो, प्यारे से गोलू मोलू से बापू। सिर्फ मेरे बापू हो आप
बापू:- हहहहहहहहहह पूरी पागल हो तुम। अब जाओ घर के काम कर लो। मैं भी चाय पीकर जंगल जाऊंगा खेतों पर।
मेने रसोई में जाकर खाना बनाया और बापू भी नहाकर आ गए।
उन्हें खाना देकर हम घर के काम करने लगी।
"बिटिया में जा रहा हूँ खेतों पर दोपहर को आऊंगा आराम करने
बापू खेतों पर चले गए और मैने घर का काम निबटाया ओर खुद भी नहाने के लिए गुसलखाने में घुस गई।
गुसलखाने में नहाने ओर संडास करने दोनों की सुविधा थी।
सारे कपड़े निकाल कर में संडास करने बैठ गयी और बापू को याद करने लगी। कैसे बापू ने मेरी गांण्ड की महक लगी उंगली चाटी थी।
याद करने लगी कि रात से बापू खुश है अब उनमें जोश का एक नया संचार पैदा हो गया है।
ओर में भी तो यही चाहती हूं कि बापू खुश रहें।
में संडास करके रगड़ रगड़ कर नहाकर बाहर निकल आई।
दोपहर को बापू आये और छपरे में बैठ गए
"बिटिया पानी लाना एक ग्लास"
मैं बापू को पानी लेकर छपरे में गईई ओर पानी दिया।
पानी पीकर बापू पलंग पर लेटकर आराम करने लगे।
मैं गिलास रखकर वापिस छपरे में गईई ओर बापू को बोली।
"बापू चलो एक साइड हो जाओ में भी लेटूंगी आपके बगल में
बापू:- ओह्ह बिटिया तुम फिर बदमाशी करोगी, जाओ अपने कमरे में लेट जाओ
मैं:- बापू मैं कुछ नही करूंगी बस आपसे बातें करूंगी इधर उधर की सच मे।
बापू:- ठीक है आ जाओ।
मैं बापू के बराबर लेट गयी और करवट लेकर बापू की तरफ देखकर
"बापू आज तो आपने खूब दिल से काम किया होगा खेतों में
तरोताजा होकर काम करने में अपना ही मजा है।
वैसे बापू खेतों पर कोई औरत भी होती है क्या मजदूरों में
बापू:- हाँ होती है क्या बात है फिर बिटिया
"बात तो बहुत बड़ी है बापू, कहीं आप उनपर लट्टू तो नही हो
कल को पता चले बापू तो आशिक़ बने फिरते हैं
बापू:- नही बिटिया अब कहाँ ये काम करने की उम्र, मैं बस मालिक के काम की फिक्र में रहता हूँ।
मैं:- उम्र को क्या हुआ है, मेरे बापू किसी जवान लौंडों से कम है क्या। आप खूब हट्टे कट्टे हो किसी भी काम को करने की ताकत रखते हैं। और फिर रात जो हुआ उससे तो नही लगता आप अब बूढ़े हो गए हो बापू
बापू:- तुम बड़ी बातूनी हो, तुमसे कोई नही जीत सकता।
मैं:- सिर्फ एक इंसान को छोड़कर जो है मेरे बापू। उसके सामने तो मैं भी कमजोर पड़ जाती हूँ
बापू:- वो कैसे बिटिया
मैं बापू के कान में धीरे से "आपने देखा ने रात को कैसे पानी पानी हो गयी थी।
बापू:- तुम मानोगी नही रात का भुत उतरा नही तुम्हारा बिटिया।
मैं:- बापू एक बात पुछु आपसे बुरा ना मानो तो।
हाँ पूछो बेटी।
"बापू आप भोले भाले बापू हो, पर आपका हथियार देख लग रहा है कि आपने कुछ किया है इसका मतलब कोई चीज लगाई हो ताकि ये बड़ा हो जाये।
सच बताना बापू क्या राज है इतने मोटे तगड़े लन्ड का।
बापू:- मेने कुछ नही लगाया तुम फिर चालू हो गयी। बाज नही आओगी ना अपनी हरकत से
मैं मुँह बनाकर खड़ी हो गयी और चुप चाप जाने लगी।
मैं कमरे में आ गयी और रूठने का नाटक करने लगी तभी बापू भी मेरे कमरे में आ गए
"तुम कैसे आ गयी बिटिया वहां से, नाराज हो बापू से
मेने कोई जवाब नही दिया और दूसरी तरफ देखने लगी।
"ओह्ह देखो तो कैसे मुँह बनाया हुआ है चलो बता देता हूँ पहले छपरे में तो चलो बिटिया
अहहहह ये सुन कर तो मेरी चुत उबल गयी मानो बापू कह रहे हो छपरे में चलो वहीं ठुकाई करेंगे।
"अब मान भी जाओ बिटिया मुझे तुम्हारा चहेरा लटका हुआ अच्छा नही लग रहा।
मैं:- मुझे नही जाना कहीं भी मैं ही पगली थी जो बापू से अपना मन हल्का करने के लिए हंसी मजाक कर लेती हूं।
आज माँ जिंदा होती तो मैं अपनी दिल की बातें उनसे शेयर कर लेती। सॉरी बापू अब से मैं आपको परेशान नही करूंगी।
मेने अच्छी तरह रूठने का निर्णय लिया ताकि बापू को समझ सकू ओर आगे का रास्ता मालूम कर सकू।
एक दृढ़ निश्चय के साथ मे उठी और बाहर चली गयी और घर के काम करने में बिजी हो गयी
बापू भी बाहर आंगन में बैठ गए और मुझे इधर उधर काम करते देखते रहे।
मैं बापू को अपनी हुस्न का जलवा दिखाने लगी कभी झुक कर अपनी गांण्ड बाहर निकाल कर बापू की तरफ कर देती तो कभी
इस तरह झुक जाती।
मुझे पता था मेरा बापू मेरी गांण्ड की गोलाई जरूर देख रहा होगा और गर्म हो रहा होगा जो मैं चाहती थी।
कोई आधा घण्टा अपना मादक परफॉर्मेंस दिखा कर बापू गर्म करके मेने खेतों पर जाने को मजबूर कर दिया।
ओर यही सिससिला 2 दिन तक चला।
मैं काम के सिलसिले से बात करती बाकी कोई ऐसी हरकत ना कि जिससे बापू को लगे कि मैं अब गुस्सा नही हूँ।
तीसरे दिन की रात में सोने की तैयारी कर रही थी और आंखे बंद करके लेटी हुई थी
तभी मुझे आभास हुआ कि किसी ने दरवाजा खोला है
मैं समझ गयी कि आ गए बापू अपना काला बड़ा लौड़ा उठाके
मैं चुपचाप लेटी रही और बापू मेरे पास आये और मुझे देखने लगे
मुझे सोता देख उसने मुझे आवाज दी "बिटिया ओ बिटिया सो गई क्या"
मैं कुछ नही बोली तो बापू ने मुझे कंधे से पकड़ कर हिलाया ओर मैं जाग कर खड़ी हो गयी।
"क्या हुआ बापू"
बापू:- सो गई थी क्या बिटिया ?
"हॉं बापू बस नींद आ गयी बताओ क्या काम है
बापू:- बेटी काम तो कुछ नही है बस तुम कई दिन से नाराज हो तो मन नही लग रहा।
मैं:- बापू नाराज नही हूँ मैं बस अपने काम से काम रख रही हूं
बापू:- बेटी मैंने गलत डांट दिया सॉरी बिटिया ओर कान पकड़कर
माफ नही करोगी अपने बापू को
मेरी बिटिया माफ कर दो अब से नही डाटूंगा तुम्हे मेरी बच्ची
बापू मनाते रहे कान पकड़ पर मैने भी ज्यादा नखरे ना दिखाकर ठीक है बापू मैं नाराज नही हूँ।
बापू:- तो चलो ना छपरे में
(मन मे- अहहह बाबू बस यही मत बोला करो चुत रिसने लगती है छपरे में क्या करोगे लेजाकर बापू)
मैं:- छपरे में क्यों जाना है बापू
"बेटी आज फिर से पैरों में दर्द है मालिश कर देती तो नींद आ जाती आज काफी थक गया हूं
मैं:- बापू तेल रसोई में है आप लगा लेना मेरा आज मन नही है
बापू:- बेटी मुझसे नही होगा तुम कर दोगी तो बहुत अच्छा लगेगा बिटिया।
मैं:- बापू छपरे में चल तो दूंगी पर ऐसे नही सच बताओ पैरों की मालिश करनी है या उसकी
बापू:- पैरों की ही करनी है।
मैं:- सोच लो बापू फिर बाद में मत कहना किसी दूसरी चीज की मालिश भी कर दो।
बापू कुछ देर सोचकर अहह उसकी भी कर देना।
हाँ अब आया ना सच बाहर। बापू मैं मालिश कर तो दु पर में उल्टी सीधी बातें करूंगी तो आपको अच्छा नही लगेगा इसलिये बेहतर होगा आप खुद ही मालिश करके सो जाएं।
बापू:- तुम कंट्रोल करना बिटिया
मैं:- बापू उस टाइम कंट्रोल नही होता मैं भी जवान हूँ मेरिई भी फीलिंग है।
बापू:- ठीक है बिटिया चलो अब
मैं:- कहां
बापू:- मालिश करने
मैं:- मेरे भोले बापू ऐसे बोलो "चल राधा बिटिया अपने बापू के काले मोटे बड़े लौड़े की मालिश करने"
बापू:- बदमाश लड़की अभी से शुरू हो गयी मैं जा रहा हूँ आ जाना तुम तेल लेकर
ज़बर्दस्त कहानी वैसा ही अपडेट
एक अच्छी नींद लेकर में सुबह उठी और
बैठ कर रात की घटना को सोचने लगी। काजल की बातें सुन सुनकर रात पता नही मेने केसी केसी हरकते की पर मजा भी आया। सगे रिश्ते का मजा या बापू का मोटा लोडा या फिर दोनों।
मेरी भी फैंटेसी थी जिसके साथ भी करूंगी अपने तरीके से करूंगी ओर देखो मिला भी तो कोंन अपने सगे भोले बापू
अब उनको मनाना है फिर जाकर में अपनी जवानी का लुफ्त उठा पाऊंगी। वैसे बापू का लोडा है तो मनमोहक काला सा मोटा सा डंडा। मैं खड़ी हुई और हाथ मुँह धोकर चाय पानी तैयार करने लगी।
चाय बनाकर मेंने उसे कप में किया और शैतानी हंसी के साथ अपनी एक चुची को बाहर निकाला और ब्राउन निप्पल को चाय से कुछ इंच ऊपर करके ऐसे बीहैव करने लगी जैसी मैं अपनी चुची का दूध उसमे डाल रही हूं
चाय लेकर में बापू के छपरे में आ गईई तो बापू सुकून की नींद सोए हुए थे जैसे कितनी गहरी नींद में हो।
हो भी क्यों ना एक कमसिन मादक कली की चुत का पानी और लाडली के हाथों से मुठ मरवाना सौभाग्य की बात होती है।
"बापू उठो सुबह हो गयी"
आवाज सुनकर बापू खड़े हो गए और मेरी तरफ देखकर आंखे झुका ली।
"लो चाय पी लो बापू" मेने चाय का कप बापू को दिया और पैरों की साइड बैठ गयी।
"केसी नींद आई बापू को बताओ तो जरा "
बापू:- बिटिया रात जो भी हुआ उसमे हम दोनों की गलती थी।
ना मैं वो काम करता और ना तुम मालिश करने की बात कहती।
मैं:- बापू क्या तुम ऐसे ही तड़पते रहते, कोई तो चाहिए ना जो तुम्हारी फीलिंग समझ सके। मैं बस तुम्हे खुश देखना चाहती हूं चाहे कुछ भी करना पड़े। अब आपका ख्याल मुझे ही रखना है।
वैसे बापू मैं ख्याल अच्छा रख लेती हूं ना।
मैं मुस्कुराते हुए बोली।
बापू:- बापू शर्माते हुए हां मेरी नटखट बच्ची।
मैं:- ओह्ह मेरे बापू तुम कितने अच्छे हो, प्यारे से गोलू मोलू से बापू। सिर्फ मेरे बापू हो आप
बापू:- हहहहहहहहहह पूरी पागल हो तुम। अब जाओ घर के काम कर लो। मैं भी चाय पीकर जंगल जाऊंगा खेतों पर।
मेने रसोई में जाकर खाना बनाया और बापू भी नहाकर आ गए।
उन्हें खाना देकर हम घर के काम करने लगी।
"बिटिया में जा रहा हूँ खेतों पर दोपहर को आऊंगा आराम करने
बापू खेतों पर चले गए और मैने घर का काम निबटाया ओर खुद भी नहाने के लिए गुसलखाने में घुस गई।
गुसलखाने में नहाने ओर संडास करने दोनों की सुविधा थी।
सारे कपड़े निकाल कर में संडास करने बैठ गयी और बापू को याद करने लगी। कैसे बापू ने मेरी गांण्ड की महक लगी उंगली चाटी थी।
याद करने लगी कि रात से बापू खुश है अब उनमें जोश का एक नया संचार पैदा हो गया है।
ओर में भी तो यही चाहती हूं कि बापू खुश रहें।
में संडास करके रगड़ रगड़ कर नहाकर बाहर निकल आई।
दोपहर को बापू आये और छपरे में बैठ गए
"बिटिया पानी लाना एक ग्लास"
मैं बापू को पानी लेकर छपरे में गईई ओर पानी दिया।
पानी पीकर बापू पलंग पर लेटकर आराम करने लगे।
मैं गिलास रखकर वापिस छपरे में गईई ओर बापू को बोली।
"बापू चलो एक साइड हो जाओ में भी लेटूंगी आपके बगल में
बापू:- ओह्ह बिटिया तुम फिर बदमाशी करोगी, जाओ अपने कमरे में लेट जाओ
मैं:- बापू मैं कुछ नही करूंगी बस आपसे बातें करूंगी इधर उधर की सच मे।
बापू:- ठीक है आ जाओ।
मैं बापू के बराबर लेट गयी और करवट लेकर बापू की तरफ देखकर
"बापू आज तो आपने खूब दिल से काम किया होगा खेतों में
तरोताजा होकर काम करने में अपना ही मजा है।
वैसे बापू खेतों पर कोई औरत भी होती है क्या मजदूरों में
बापू:- हाँ होती है क्या बात है फिर बिटिया
"बात तो बहुत बड़ी है बापू, कहीं आप उनपर लट्टू तो नही हो
कल को पता चले बापू तो आशिक़ बने फिरते हैं
बापू:- नही बिटिया अब कहाँ ये काम करने की उम्र, मैं बस मालिक के काम की फिक्र में रहता हूँ।
मैं:- उम्र को क्या हुआ है, मेरे बापू किसी जवान लौंडों से कम है क्या। आप खूब हट्टे कट्टे हो किसी भी काम को करने की ताकत रखते हैं। और फिर रात जो हुआ उससे तो नही लगता आप अब बूढ़े हो गए हो बापू
बापू:- तुम बड़ी बातूनी हो, तुमसे कोई नही जीत सकता।
मैं:- सिर्फ एक इंसान को छोड़कर जो है मेरे बापू। उसके सामने तो मैं भी कमजोर पड़ जाती हूँ
बापू:- वो कैसे बिटिया
मैं बापू के कान में धीरे से "आपने देखा ने रात को कैसे पानी पानी हो गयी थी।
बापू:- तुम मानोगी नही रात का भुत उतरा नही तुम्हारा बिटिया।
मैं:- बापू एक बात पुछु आपसे बुरा ना मानो तो।
हाँ पूछो बेटी।
"बापू आप भोले भाले बापू हो, पर आपका हथियार देख लग रहा है कि आपने कुछ किया है इसका मतलब कोई चीज लगाई हो ताकि ये बड़ा हो जाये।
सच बताना बापू क्या राज है इतने मोटे तगड़े लन्ड का।
बापू:- मेने कुछ नही लगाया तुम फिर चालू हो गयी। बाज नही आओगी ना अपनी हरकत से
मैं मुँह बनाकर खड़ी हो गयी और चुप चाप जाने लगी।
मैं कमरे में आ गयी और रूठने का नाटक करने लगी तभी बापू भी मेरे कमरे में आ गए
"तुम कैसे आ गयी बिटिया वहां से, नाराज हो बापू से
मेने कोई जवाब नही दिया और दूसरी तरफ देखने लगी।
"ओह्ह देखो तो कैसे मुँह बनाया हुआ है चलो बता देता हूँ पहले छपरे में तो चलो बिटिया
अहहहह ये सुन कर तो मेरी चुत उबल गयी मानो बापू कह रहे हो छपरे में चलो वहीं ठुकाई करेंगे।
"अब मान भी जाओ बिटिया मुझे तुम्हारा चहेरा लटका हुआ अच्छा नही लग रहा।
मैं:- मुझे नही जाना कहीं भी मैं ही पगली थी जो बापू से अपना मन हल्का करने के लिए हंसी मजाक कर लेती हूं।
आज माँ जिंदा होती तो मैं अपनी दिल की बातें उनसे शेयर कर लेती। सॉरी बापू अब से मैं आपको परेशान नही करूंगी।
मेने अच्छी तरह रूठने का निर्णय लिया ताकि बापू को समझ सकू ओर आगे का रास्ता मालूम कर सकू।
एक दृढ़ निश्चय के साथ मे उठी और बाहर चली गयी और घर के काम करने में बिजी हो गयी
बापू भी बाहर आंगन में बैठ गए और मुझे इधर उधर काम करते देखते रहे।
मैं बापू को अपनी हुस्न का जलवा दिखाने लगी कभी झुक कर अपनी गांण्ड बाहर निकाल कर बापू की तरफ कर देती तो कभी
इस तरह झुक जाती।
मुझे पता था मेरा बापू मेरी गांण्ड की गोलाई जरूर देख रहा होगा और गर्म हो रहा होगा जो मैं चाहती थी।
कोई आधा घण्टा अपना मादक परफॉर्मेंस दिखा कर बापू गर्म करके मेने खेतों पर जाने को मजबूर कर दिया।
ओर यही सिससिला 2 दिन तक चला।
मैं काम के सिलसिले से बात करती बाकी कोई ऐसी हरकत ना कि जिससे बापू को लगे कि मैं अब गुस्सा नही हूँ।
तीसरे दिन की रात में सोने की तैयारी कर रही थी और आंखे बंद करके लेटी हुई थी
तभी मुझे आभास हुआ कि किसी ने दरवाजा खोला है
मैं समझ गयी कि आ गए बापू अपना काला बड़ा लौड़ा उठाके
मैं चुपचाप लेटी रही और बापू मेरे पास आये और मुझे देखने लगे
मुझे सोता देख उसने मुझे आवाज दी "बिटिया ओ बिटिया सो गई क्या"
मैं कुछ नही बोली तो बापू ने मुझे कंधे से पकड़ कर हिलाया ओर मैं जाग कर खड़ी हो गयी।
"क्या हुआ बापू"
बापू:- सो गई थी क्या बिटिया ?
"हॉं बापू बस नींद आ गयी बताओ क्या काम है
बापू:- बेटी काम तो कुछ नही है बस तुम कई दिन से नाराज हो तो मन नही लग रहा।
मैं:- बापू नाराज नही हूँ मैं बस अपने काम से काम रख रही हूं
बापू:- बेटी मैंने गलत डांट दिया सॉरी बिटिया ओर कान पकड़कर
माफ नही करोगी अपने बापू को
मेरी बिटिया माफ कर दो अब से नही डाटूंगा तुम्हे मेरी बच्ची
बापू मनाते रहे कान पकड़ पर मैने भी ज्यादा नखरे ना दिखाकर ठीक है बापू मैं नाराज नही हूँ।
बापू:- तो चलो ना छपरे में
(मन मे- अहहह बाबू बस यही मत बोला करो चुत रिसने लगती है छपरे में क्या करोगे लेजाकर बापू)
मैं:- छपरे में क्यों जाना है बापू
"बेटी आज फिर से पैरों में दर्द है मालिश कर देती तो नींद आ जाती आज काफी थक गया हूं
मैं:- बापू तेल रसोई में है आप लगा लेना मेरा आज मन नही है
बापू:- बेटी मुझसे नही होगा तुम कर दोगी तो बहुत अच्छा लगेगा बिटिया।
मैं:- बापू छपरे में चल तो दूंगी पर ऐसे नही सच बताओ पैरों की मालिश करनी है या उसकी
बापू:- पैरों की ही करनी है।
मैं:- सोच लो बापू फिर बाद में मत कहना किसी दूसरी चीज की मालिश भी कर दो।
बापू कुछ देर सोचकर अहह उसकी भी कर देना।
हाँ अब आया ना सच बाहर। बापू मैं मालिश कर तो दु पर में उल्टी सीधी बातें करूंगी तो आपको अच्छा नही लगेगा इसलिये बेहतर होगा आप खुद ही मालिश करके सो जाएं।
बापू:- तुम कंट्रोल करना बिटिया
मैं:- बापू उस टाइम कंट्रोल नही होता मैं भी जवान हूँ मेरिई भी फीलिंग है।
बापू:- ठीक है बिटिया चलो अब
मैं:- कहां
बापू:- मालिश करने
मैं:- मेरे भोले बापू ऐसे बोलो "चल राधा बिटिया अपने बापू के काले मोटे बड़े लौड़े की मालिश करने"
बापू:- बदमाश लड़की अभी से शुरू हो गयी मैं जा रहा हूँ आ जाना तुम तेल लेकर