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Bahut bahut hot updateUPDATE 026अतीत के पन्ने : 07
: नहीं होगा बेटा ये मुझे , देख चढ़ ही नहीं रहे मेरे कूल्हे पर ( नानी अम्मी की पैंटी अपने बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों पर चढ़ाते हुए बोली )
अम्मी की पैंटी के नानी के बड़े भड़कीले चूतड़ों को देख कर मै पागल होने लगा , मेरा लंड पहले ही नानी को नंगा देख कर बौराया हुआ था ।
: बस ऐसे ही रहने दो न नानी , सेक्सी लग रही हो हीही ( मै नानी की मोबाइल हाथ में लिए उनकी फोटो निकलते हुए बोला )
: धत्त क्या कर रहा है बदमाश फोटो नहीं ( नानी ने मुझे रोकना चाहा तो मै पीछे हो गया )
: उफ्फ नानी अम्मी की पैंटी में आपकी गाड़ कितनी बड़ी लग रही है , ऐसा लग रहा है जैसे अम्मी की गाड़ और फूल गई हो ( मै उनके रसीले चूतड़ सहलाते हुए बोला )
नानी मेरे हाथों का स्पर्श पाकर सिहर उठी और उनके ठंडे बदन में कंपकपी होने लगी : अह्ह्ह्ह बेटा उम्मम मत कर न
: ओह्ह्ह्ह नानी आज आपको देख कर लग रहा है जैसे अम्मी खड़ी हो मेरे आगे अह्ह्ह्ह्ह अम्मीइई उम्मम ( मै नानी को देख कर पेंट में अपना लंड मसल रहा था )
: सच में , देखा है क्या तूने अपनी अम्मी को ऐसे कपड़े में उम्मम ( नानी ने फोटो शूट के पोज दिए )
: देख तो रहा हु उफ्फ अपनी अम्मी को , उफ्फ थोड़ा गाड़ फैलाओ न अम्मी अह्ह्ह्ह ( मै नानी के बड़े भड़कीले चूतड़ों की तस्वीरें ले रहा था जिसकी दरारों में अम्मी की पैंटी फंसी हुई थी )
: उम्मम देख ले बेटा , कैसी तेरी अम्मी की गाड़
( नानी ने अपने गाड़ फैला कर मुझे दिखाए और मै भीतर से तड़प उठा )
: इधर आओ न अम्मी बताता हु ( मै अपना लंड बाहर निकाल कर नानी के गाड़ सहलाने लगा )
: अह्ह्ह्ह्ह शानू उम्मम बेटा अह्ह्ह्ह्ह आराम से नाखून लग जाएगा अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म
: उम्मम अम्मीई आपकी गाड़ को फाड़ डालूंगा उम्ममम
: और इसे अह्ह्ह्ह ( नानी ने ब्रा से अपने चूचे बाहर करते हुए बोली )
नानी के बड़े रसीले मम्में को अम्मी के ब्रा के बाहर झूलता देख मैं उनके निप्पल को मुंह में ले लिया
: अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म बेटा चूस ले अह्ह्ह्ह्ह कितना बड़ा है मेरे शानू का लंड आह्ह्ह्ह ( नानी मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर भींच रही थी और मै उनके दूध पी रहा था )
: अह्ह्ह्ह्ह अम्मी आपके दूध बहुत मुलायम है अह्ह्ह्ह्ह उम्मम ( मै नानी के चूचे मसलता हुआ बोला और नानी सुपाड़े को अंगूठे से रगड़ने लगी मेरा तो जैसे टपक ही जाएगा लंड ऐसा फील हुआ )
: उम्ममम अम्मीईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अम्मीईई ओह्ह्ह्ह कितनी मस्त चूस रही हो अह्ह्ह्ह्ह जी कर रहा है आपके मुंह में ही झड़ जाऊ आह्ह्ह्ह ( नानी नीचे बैठ कर मेरे लंड चूसने लगी और मै उनके सर को पकड़ कर अकड़ने लगा )
नानी बिना रुके लगातार चूसे जा रही थी और मेरा लंड अम्मी को सोच कर पूरा बौराया हुआ था मै नानी के मुंह में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह अम्मी ओह्ह्ह्ह्ह लेलो अह्ह्ह्ह्ह कबसे तड़प रहा है आपसे अपना लंड चुस्वाऊ उम्मम फ़क्ककक्क्क अम्मीईई आह्ह्ह्ह
नानी उठने लगी और मै वापस उनकी मोटी मोटी चूचियां को मुंह में भरते हुए उनके कूल्हे सहलाने लगा , मेरा लंड नानी के बुर के फाकों में ठोकर लगा रहा था मै सरक कर घुटने पर हो गया
उनके पेट और फिर बुर पर अपने चेहरे को लगाने
बंद आंखो से मै नानी के जिस्म में अपनी अम्मी को खोज रहा था , नानी के गुदाज चर्बीदार पेट पर मेरे चेहरे रंग रहे थे और मेरी कल्पनाओं के अम्मी की छवि उभर रही थी । मानो सच में अम्मी मेरे आगे थी
: अह्ह्ह्ह्ह मेरा बेटा अह्ह्ह्ह ले पी ले उम्ममम ( नानी अपने दोनों चूचे मेरे मुंह पर दबाने लगी और मै उनके गाड़ को सहलाते हुए पीने लगा )
फिर उन्हें घुमा दिया और उनके चूतड़ों को चूमने लगा
: अह्ह्ह्ह्ह मेरा बच्चा अह्ह्ह्ह उम्मम इतनी पसंद है तुझे अम्मी की गाड़ अह्ह्ह्ह खा जाएगा क्या ( नानी अपनी गाड़ मेरे मुंह पर ठेलते हुए बोली )
: अह्ह्ह्ह अम्मी आपकी गाड़ मुझे सबसे ज्यादा पसंद है इसकी खुशबू इसका छेद उम्ममम ( मैने उसके गाड़ को फैला कर सुराख पर जीभ फिराई तो नानी मचल उठी )
: अह्ह्ह्ह्ह बेटा चोदेगा नहीं अपनी अम्मी को अह्ह्ह्ह्ह मेरी बुर बह रही है पेल दे न आह्ह्ह्ह
मै और जोश में आ गया और नानी को सोफे पर घोड़ी बनाते हुए लंड को उनकी बुर में उतार दीया
: अह्ह्ह्ह बेटा उम्मम कितना तगड़ा हथियार है रे अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम
: अह्ह्ह्ह अम्मी आपकी बुर बहुत गर्म है उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् यूयू अमीआईई अह्ह्ह्ह
: हा बेटा चोद और तेज उम्मम तेरे लंड ने मेरी चूत चौड़ी कर दी है अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह और
: उफ्फ अम्मी आपकी गाड़ कितनी बड़ी है इसमें भी डालू क्या अह्ह्ह्ह ( मै नानी के गाड़ के दरारों में अपना अंगूठा सुराख में घुसाते हुए बोला )
: डाल लेना बेटा जैसे मेरी चूत फाड़ रहा है वैसे ही अम्मी की गाड़ भी फाड़ना अह्ह्ह्ह मजा यह अह्ह्ह्ह्ह और कसके चोद उम्मम अह्ह्ह्ह हा बेटा पेल मुझे चोद अपनी अम्मीई उम्मम
मै फचर फचर नानी को झुकाए हुए पेलता रहा और नानी सिसकारियां अम्मी की कल्पनाएं मुझे चरम पर के जा रही
: अह्ह्ह्ह शानू रुकना नहीं अह्ह्ह्ह और पेल उम्मम अह्ह्ह्ह्ह और तेज फाड़ दे अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम
: अम्मी चूत फट जाएगी तो अब्बू क्या कहेंगे ( मै अपना लंड सटासट उनकी रस छोड़ती चूत में पेलता हुआ बोला )
: बोल दूंगी अपने बेटे से चुदवा के आई हु अह्ह्ह्ह्ह उम्मम
: ओह गॉड सच में अम्मीईई ओह्ह्ह्ह सीईईई अब्बू को पता लगेगा कि मै अम्मी को चोदता हु तो वो क्या सोचेगा अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अमीईईई अह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा अह्ह्ह्ह
: भर दे बेटा अपनी अम्मी की बुर भर दे अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम कितना गर्म है अह्ह्ह्ह ( नानी मेरे लंड को निचोड़ने लगी चूत का छल्ला मेरे लंड पर कसके )
मै झड़ता रहा जबतक पूरी तरह से निचोड़ नहीं गया और सुस्त होकर वही सोफे पर पसर गया ।
कुछ देर में जब हमारे शरीर में जान आई तो नानी मुस्कुराने लगी
: बहुत बिगड़ गया है तू गंदा कही का ( नानी मुस्कुरा कर बोली )
लाज तो मुझे भी आ रही थी मगर नानी को अम्मी बना कर पेलने में बहुत आया । पहली बार ऐसा हुआ जब अम्मी के नाम पर मै इतना झड़ा था ।
: अब हस क्या रहा है कपड़े ला मेरे
: किसके ? आपके लाऊ या अम्मी के ? ( मै हस कर बोला तो नानी मुस्कुरा कर मुझे देखने लगी )
: मार खायेगा, मेरे कपड़े दे भाई ( नानी मुस्कुरा कर बोली )
इतने में नानी का मोबाइल रिंग हुआ अम्मी का फोन था ।
फोन पर ....
: हा अम्मी बस 10 मिनट लगेगा मै पहुंच जाऊंगी , आप लोग कब तक आओगे ( अम्मी की आवाज आई फोन पर )
अम्मी के सवाल पर नानी ने मुझे देख और मुस्कुराने लगी
: हम लोग भी निकल चुके है घंटे भर में आ जायेंगे बेटा ( नानी ने अपनी हसी रोकती हुई अम्मी से बोली )
: ठीक है मेरी बस तो 5 मिनट में पहुंच जाएगी , आप लोग आए ।
: ठीक है ( नानी ने जवाब दिया )
नानी ने फोन काट दिया और हम हसने लगे
: नानी मै जा रहा हूं अम्मी के लिए समोसे लाने , आप खाओगे
: देखो तो अम्मी के आते ही भूल गया , पूछ रहा है खाओगे ? जा मुझे नहीं खाना ( नानी थोड़ा रूठी तो मै उसके पास लिप्त कर )
: अरे मेरी प्यारी नानी , मेरी अम्मी भी तो आप ही हो न हीहीही
: धत्त बदमाश, भाग यहां से अब
मै खिलखिला कर कपड़े पहना और निकल गया पैसे लेकर ।
रास्ते में जाते हुए मुझे ना जाने क्या हुआ या फिर अम्मी के वापस आने की खुशी मै । समोसे लेकर बस स्टैंड की ओर निकल गया
वहा 5 मिनट तक इंतजार करने के बाद भी कोई बस नहीं दिखी तो लगा शायद अम्मी पहले ही उतर गई होंगी और मै वापस जाने लगा तो मुझे सुसु आ रही थी । मेरी नजर बस स्टैंड के सार्वजनिक शौचालय पर गई और की उधर हो लिया
मै मूत ही रहा था कि एक इनोवा कार बस स्टैंड के पास के बड़े से पीपल के पेड़ पास रुकी और उसमें एक खातून बुरखे में निकली
सेकंड नहीं लगा मुझे और मै समझ गया कि वो अम्मी ही है । लेकिन वो तो बस से आ रही थी फिर ये कार में कैसे ? मेरी दिल की धड़कने तेज होने लगी और मै वही रुका रहा कुछ देर मूतने के बाद भी और फिर अम्मी एक बार फिर कार में अपना सर देखकर झट से बाहर कर ली।
मै दूर से ही अम्मी के निकलने का वेट कर रहा था और अम्मी वहा से एक ई-रिक्शा करके निकल । मै उस गाड़ी के पीछे था और मै घूम कर आगे जाना चाहता था , मगर जब तक उस आदमी का चेहरा देख पाता वो गाड़ी निकल गई ।
मैने नंबर प्लेट देखा मगर कुछ समझ नहीं आया और मेरी नजर एकदम से कार के पीछे वाले ग्लास के एक कार्नर पर गई जिसपे एक रेड कलर का लोगो जैसा स्टिकर लगा था जो आम तौर पर डॉ या सर्जन की गाड़ियों पर होता है ।
अगले ही पल मेरा माथा ठनका कि कही वो अब्बू के दोस्त रहीम अंकल तो नहीं थे । मगर अम्मी भला उनके साथ क्यों आएंगी ।
चीजे समझ से परे हो रही थी , अम्मी के आते ही मेरे भीतर अलग ही तूफान खड़ा कर दिया था । उसपे से अम्मी अकेले आई थी । अब्बू का ना आना नानी को उदास करने वाला था ।
मै भी वहा से पैदल निकल गया घर के लिए, घर पहुंचा तो अम्मी हाल में बैठी हुई थी और नानी ने उन्हें पानी दिया था ।
मै जाकर अम्मी को नमस्ते किया
: शानू तूने बताया नहीं कि तुम लोग आ गए हो
: वो सरप्राईज देना था आपको ( मेरा मूड उखड़ा हुआ था अब )
: अच्छा जी और अम्मी आप भी इसके साथ रह कर झूठ बोलने लगी हां ( अम्मी ने नानी को देखा)
: अब तू उसे डांटना छोड़ , तू आ रही है इसीलिए वो बस अड्डे तक गया था तेरे लिए समोसे लेने ( नानी ने अम्मी को सुनाया )
नानी की बाते सुनते ही अम्मी को मानो सांप सूंघ गया तो
: शानू तु सच में बस अड्डे पर गया था ( अम्मी की आंखों में एक चिंता साफ झलक रही थी )
: हा वो मैने आपको देखा भी मगर आप रिक्शे में बैठ कर जा रही थी । ( मै झूठ बोला ताकि अम्मी परेशान न हो मगर उनका झूठ बोलना मुझे काफी खल रहा था )
अम्मी ने एक गहरी सास ली: अब खिलाएगा भी बहुत जोरो की भूख लगी , एक तो बस झटके खा खा कर मेरे कमर में दर्द हो रहा है
: जा बेटा प्लेट में निकाल कर ला ( नानी ने मुझे किचन में भेज दिया )
मेरे किचन में जाते ही अम्मी नानी से सवाल जवाब करने लगी ।
: ज्यादा परेशान तो नहीं किया न आपको ये वहा ( अम्मी का इशारा मेरी ओर था )
: क्या तू भी मेरे लाडले के पीछे पड़ी रहती है और उम्र है थोड़ी नादानी करेगा नहीं तो सीखेगा कैसे । न उसके दोस्त है और न कोई बड़ा भाई तुझे जरा भी फिक्र है उसके अकेलेपन की ( नानी ने अम्मी को धीमी आवाज में डांट लगाई )
: अम्मी आप उसके भोलेपन के बहकावे में मत आइए , वो बहुत चालाक है झांसा देने में ( अम्मी नानी को समझा रही थी )
इतने में मै प्लेट में समोसे लेकर हाल में आ गया और नानी ने अम्मी को चुप होने का इशारा किया ।
जान रहा था बातें मेरी पीठ पीछे होंगी जरूर और देर सवेर नानी मुझे सब कुछ बताएंगी ही । तो इसीलिए मै भी निश्चित होकर समोसे का मजा लेने लगा मगर मेरे दिमाग की उलझन थी कि खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी । आखिर अम्मी ने झूठ क्यों बोला होगा ।
बैशाख की दुपहरी चल रही थी तो नींद आना तय ही था अम्मी भी थकी थी तो वो भी आराम करने लगी और नानी मेरे साथ चली आई मेरे कमरे में ।
कुछ देर बाद ही नानी का मोबाइल बजा ,
फोन पर
: क्या हुआ फरीदा ? ( नानी ने जवाब दिया )
मगर मुझे अम्मी की आवाज नहीं सुनाई दे रही थी । क्योंकि वो करवट होकर लेता था और नानी मेरे पीछे बैठ कर बात कर रही थी ।
: हा वो सोया हुआ है , बोल ( नानी बोली )
कुछ देर कि चुप्पी और नानी ने चिढ़ कर जवाब दिया
: फरीदा तू भी कम जिद्दी नहीं है , ठीक है आ रही हु ( नानी ने फोन काट दिया )
मैने कोई रिएक्शन नहीं दिया जस का तस सोया रहा और जल्द ही मुझे नानी के बिस्तर से नीचे उतरने का आभास हुआ और फिर वो नीचे चली गई ।
मै झट से उठा और धीरे धीरे सीढ़िया उतरता हुआ अम्मी के कमरे के पास गया
नानी ने पहले ही मेरा पक्ष ले रखा था ।
: अम्मी उसकी हरकते गिनाने जाऊंगी तो रात बीत जाएगी ( अम्मी नानी से बोली )
: और तेरी मै गिनाऊं , मुझे नहीं पता क्या कि निगाह से पहले कैसे तू और तेरा शौहर मिलते थे छिप कर । कितनी बार अकरम को मैने पकड़ा था मेरे कमरे और गुलासखाने में झांकते हुए । ( नानी की बात पर अम्मी एकदम से सन्न हो गई )
: क्यों तेरी और अकरम की उम्र भी तब तो यही थी जो अभी शानू की है , बोल ? ( नानी अपनी बात आगे रखते हुए बोली अम्मी के पास कोई जवाब नहीं था ) ना उसका कोई भाई बहन है , ना कोई दोस्त है , तेरे लिए गांव से सारे रिश्ते नाते खत्म कर बड़े रुआब में उसका बाप यहां चला आया और तो और यहां इतनी सख्ती कि बाप के डर से बेचारा मुहल्ले के बच्चों तक से वो बातें नहीं करता । अब क्या चाहती है थोड़ी बहुत जो उसमें बचपना मासूमियत बची है वो भी खत्म हो जाए इससे अच्छा तू जान से मार दे उसे ।
: अम्मीईईई ( अम्मी छलकती आंखों से नानी को देख कर बोली ) क्या कह रही है आप ये ?
: ठीक ही कह रही हूं, ना जाने कितना मजबूत कलेजा है मेरे बच्चे जो इतनी बंदिशों के बाद भी नहीं टूटा और जानती है क्यों उसे बस अगर मेरे जीवन में किसी से प्यार की उम्मीद है तो बस तुझसे । कितना चाहता है वो तुझे , जान लुटाता है वो तुझ पर और तू है कि उसकी कदर नहीं है । ( नानी की बातों से अम्मी पूरी तरह फफक कर रो रही थी और उन्हें देख कर मेरे आसू छलक रहे थे । )
: अम्मी ऐसा नहीं है , मगर उसकी हरकते ही ऐसी है । भला कौन अपनी अम्मी को ऐसे नजरो से देखता है ( अम्मी ने नानी को अपनी सफाई दी )
: हा तो उसने अब तक प्यार का वही मतलब समझा है , दिन रात तेरे कमरे में जो देखता है सुनता है उसकी नजर में वही प्यार का तरीका है और फिर नया खून है बढ़ती उम्र है उसके भीतर भी इनसब के प्रति आकर्षण होना । उसका बाप इतना सख्त न होता तो कम से कम वो बाहर की दोस्त यार बनाता ।
: अम्मी आप ही बताओ क्या करु ( अम्मी सुबक कर नानी से बोली )
: देख जैसे एक समय पर मैने तेरा हाथ थामा था और तुझे सही गलत की सीख दी एक सहेली बनकर , तुझे भी एक दोस्त की तरह उसे समझाना होगा । ( नानी अम्मी को समझाते हुए बोली )
: अम्मी पर वो दोस्ती के लिए कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ चुका है , मै कितनी भी कोशिश कर लू उसको रोकने की समझाने की कितनी डांट लगाऊं मारु वो नहीं मानता ( अम्मी बेबस होकर बोली)
: अच्छा तुझे याद वो तेरी चच्चा का लड़का "कमल" ? कैसे बचपन में ही उसकी आदतें खराब हो गई उसको सिगरेट की लत लग गई थी । कभी कभी तो वो घर में ही पीने लगता था और जब उसके अब्बू ने उसको खूब पीटा तो क्या उसने आदत छोड़ दी नहीं न । वो घर वालो से पहचान वालो से छिप कर पीने लगा । इसका मतलब समझी तू ( नानी ने अम्मी को देख कर कहा ) इसका मतलब ये है कि बच्चे डर या लिहाज में बस अपनी गंदी आदतें बड़ों से छिपा लेते मगर उसे करना भी छोड़ते ।
अम्मी ने नानी की बात पर हूंकारी भरी .
: हो सकता है एक रोज वो तेरी मार गालियों से ये सब हरकते करना बंद कर दे , मगर उसके बंद कमरे का क्या ? कमरे का छोड़ आने वाले कुछ हफ्तों में जब उसका रिजल्ट आएगा और वो पढ़ाई के लिए बाहर चला जाएगा तो क्या ? तू होगी उसकी आदतें सुधारने के लिए वहां । वहां कौन रोकेगा कौन समझाएगा बोल ?
: पता भी मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है अम्मी ( अम्मी परेशान होकर नानी से बोली)
: इसीलिए कह रही हूं तू उसकी हरकते मत रोक , उसको सही गलत का फर्क समझा और ये सब तू तभी कर पाएगी जब तू उससे इनसब पर खुल कर बातें करेगी । मुझ पर भरोसा रख फरीदा ( नानी ने अम्मी का हाथ पकड़ कर उन्हें देखा )
: अम्मी आप ही समझाओ न उसे ( नानी को रिक्वेस्ट करते हुए बोली )
: देख मै चाहती तो लगभग 3 हफ्तों तक वो मेरे साथ मै समझा देती मगर उसे कही न कही जरूर लगता कि मैं भी उसकी इच्छाएं भावनाएं खत्म करना चाहती हु । उसका लगाव तुझसे है फरीदा , वो तेरा दीवाना है और मुझे यकीन है तू जब उससे दिल से बातें करेगी वो जरूर समझेगा )
अम्मी वापस से कुछ बोलना चाह रही थी मगर नानी ने उन्हें रोक दिया : अब कुछ नहीं , जो जैसा चल रहा है चलने दे और सुन रात में उससे मालिश करवा लेना कमर की ।
: क्या ? ( अम्मी शॉक्ड होकर )
: मै नहीं करने वाली तेरी मालिश मुझे ऐसे मत देख ( नानी मुस्कुरा कर बोली ) उसे थोड़ा समय दे झिझक कम होंगी तुम दोनों में । ठीक है
फिर मै समझ गया कि बातें खत्म हो गई थी तो रुकने का कोई फायदा नहीं और मै निकल गया ऊपर कमरे में ।
कुछ देर बाद नानी ऊपर आई और मेरे पास बैठ कर मेरे बाल सहलाने लगी तो मैं घूम कर करवट बदल कर उसके जांघों को पकड़ लिया
: आई लव यू नानी
: उठ गया क्या बेटा ( नानी मेरे सर को सहला रही थी )
: उम्मम आप सोई नहीं थी क्या ? ( मै कसमसा कर उसके गदराई जांघों पर अपना सर रगड़ता हुआ बोला )
: बस अभी उठी हु बेटा , चल तू भी उठ जा शाम हो रही है ( नानी ने साफ साफ झूठ बोला मुझसे , मगर क्यों समझ नहीं आया )
शायद उनकी बातें ठीक ही थी जो वो अम्मी को समझा कर आई थी , कही न कही उससे मुझे उम्मीद जगी थी कि शायद अब एक नई शुरुआत होगी मेरे और अम्मी के बीच में ।
जारी रहेगी