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Wah kya baat hai...sahi kaha bhai paisa bhut badi cheeze hai sab kuch karwa deti hai agar uski hawas ho tohशबनम के नाम
अर्ज किया है .... मुलाअजा और गाड़ एक साथ फैलाइयेगा
फितरत उनकी भी नहीं थी बेवफाई करे वो
फितरत ... उनकी भी नहीं थी , कि बेवफाई करे वो
बस चंद कागजों की महक में हो बदहवास हो बैठे ।
Super update keep it up please complete this story soonUPDATE 015
बेचैन आहें....
: अह्ह्ह्ह्ह नहीं बिलकुल नहीं , दवा से नहीं हुआ आराम
: आप कब तक आयेंगे , मुझसे अस्पताल जाना नहीं हो पाएगा ( अम्मी बेजान सी आवाज में बोली )
: शानू की अम्मी यहां ऑडिट आई है मुख्यालय से तो 3-4 रोज से पहले आना मुश्किल है , तुम इंजेक्शन ले लो न
: क्या कह रहे है , मुझसे नहीं होगा किसी गैर मर्द के आगे अपने सलवार खोलु ( अम्मी उखड़ कर कराहती हुई बोली )
: अरे मेरी बेगम वो डॉक्टर है और इलाज करेगा नहीं तो तुम सही कैसे होगी और शानू तो रहेगा ही न पास में
: अच्छा ठीक है लेकिन..... ( अम्मी कुछ सोच कर चुप हो गई )
: क्या हुआ
: कुछ नहीं ठीक है आप डॉक्टर साहब को घर पर ही आने को बोल दो , मुझसे उनके यहां जाना नहीं हो पाएगा । ( अम्मी ने अपनी बात कह कर फोन काट दी )
बाहर किचन के पास खड़ा होकर मै अम्मी अब्बू की बातें सुन रहा था और फिर पानी गर्म करके उनके कमरे में ले गया
: शानू बेटा वो डॉक्टर साहब आ रहे है , तेरे अब्बू ने कहा है इंजेक्शन लेने को ( बड़ी चिंता से वो बोली )
: सही तो कह रहे है अब्बू , आप जल्दी से अच्छी हो जाओगी ( मै उनके पास बैठते हुए बोला )
: हा लेकिन... तुझे एक काम करना पड़ेगा ( अम्मी ने नजरे चुराते हुए बोली )
: क्या अम्मी बोलो न
: वो जब डॉक्टर साहब आए तो मेरी सलवार तू ही नीचे करना ( अम्मी झेप से आंखे बंद करते हुए बोली )
: म मै ? ( मै एकदम से चौका और धीरे धीरे मेरे भीतर की वासना मेरे लोवर में अपना सर उठाने लगी )
: हा बेटा , हमारे में गैर मर्द का स्पर्श हराम है और इसीलिए तो मैं इंजेक्शन से भागती हूं। वो तो तेरे अब्बू ने बहुत जिद की तो मैं तैयार हुई हु नहीं तो मैं .... ( अम्मी ने बेजान सी आवाज ने कहा और मानो कितना अजीब सा घिनौना सा महसूस हो रहा हो उन्हें )
: अम्मी वो डॉक्टर है और अब्बू ने बिल्कुल सही कहा आपको इंजेक्शन लेना चाहिए ( मैने उन्हें समझा तो दिया लेकिन मैं खुद उलझ गया था कि अम्मी ने मुझसे क्यों कहा कि मैं उनकी सलवार खोलु)
उससे बड़ी उलझन थी कि अम्मी ने ऐसा क्यों कहा कि उन्हें गैर मर्द का स्पर्श पसंद नहीं जबकि उस रोज डॉ रहीम से ही वो अपने स्तन चेक करवा कर आई थी । इस बात से कितनी कामोत्तेजीत थी कि अब्बू से खुल कर वो साझा कर रही थी उस रोज की बातें और आज वो एकदम से अलग ही बातें कर रही है मेरे सामने
ऐसे में फोन की घंटी बजी
सबनम का ही काल था , देखते ही समझ गया और उससे कैसे बात करना है ये भी ।
फोन पर
: आज मौसम बड़ा , हाय बेईमान है बड़ा ( मै काल उठाते हुए गुनगुनाया )
: हैलो हैलो , बड़े रोमांटिक मूड के हो यार क्या बात है
: तुम्हारा नाम , चेहरा और काल सामने आते ही मूड खुद ही रोमांटिक हो जाता है ( मै लगभग अंगड़ाई लेता हुआ बोला )
: धत्त पागल , अरे अलीना मैडम ने सुना तो खैर नहीं तुम्हारी समझे हीही ( वो खिलखिलाई )
: कौन बताएगा उन्हें , तुम उम्मम सोच लो दोस्ती से पहले वो तुम्हे तोड़ेगी हाहाहाहा ( मै हंसा )
: अरे ना बाबा ना , मुझे भी तोड़नी दोस्ती तुमसे ( वो बोली )
: तो और बताओ शादी कब तक कर रही हो
: शादी ?
: हा , उम्र और शरीर दोनो से बढ़ रही हो , कब करोगी ।
: कोई तुम सा मिले रहबर तो न बात बने ... उम्मम्म ( बड़े लुभावने अदा से वो बोली लेकिन उसकी हरकते अब मुझे चिढ़ सी पैदा करती थी जहन में )
: फिर तो तुम बुड्ढी मरोगी हीहीहीही , क्योंकि मेरे लाइफ का एक ही फंडा है ।
: अच्छा जी वो क्या ?
: कॉलर और मकसद दोनों घड़ी सर्फ से साफ करो
: मतलब ?
: अरे मतलब " पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो " हिहीहीही ( मै बोलते बोलते जोर से खिलखिलाया )
: धत्त गंदे कही के , तुम न ( वो खीझी मगर ना जाने किस मिट्टी की बनी थी , इनडायरेक्टली मैने उसे चोदने का प्रस्ताव दे दिया था मगर वो अपने लक्ष्य पर अडिग थी , मै समझ रहा था इसको कही भी कुछ भी रिकार्ड करने का मौका नहीं देना है । )
: वैसे क्या कर रही हो ( मैने बात बदली )
: नहा चुकी हूं और बाल बना रही हूं
: क्या ? बिना कपड़ो के !! ( मै उसको छेड़ा )
: अब रखो तुम , गंदे कही के । मै तुम्हे कितना भोला समझती थी और तुम , रखो मै निकल रही हु ऑफिस के लिए
: मै पिकअप कर लू क्या
: नहीं नहीं , मै बोला था न इस बारे में ऑफिस या मेरे घर किसी को पता न लगे ( वो एकदम से बेचैन होने लगी और मैं मन ही मन मुस्कुराया )
: ओके फिर ऑफिस में मिलते है , बाय
: ऑफिस में क्यों मिलना , हे रुको !! ( वो परेशान होकर बोली लेकिन मैने फोन काट दिया )
: बेटा तुमने सही जगह हाथ डाला है अब देखो ऑफिस में क्या करता हु ( मै फोन काट कर बड़बड़ाया )
मै ऑफिस के लिए निकल गया
संयोग की ही बात थी कि आज रेशमा मैम नहीं आई थी , और फिर एक दो स्टाफ गायब थे । ऐसे में उनसे जूनियर होने के नाते सारे काम मुझे ही देखने पड़ते थे ।
लड़कियों को अगर थोड़ा सा भरम करा दो कि आप उनपर लट्टू है तो वो आपको रिझाने सताने का कोई मौका नहीं छोड़ती । शबनम भी आज कम कहर नहीं ढा रही थी । लेगिंस में उसके मुलायम चूतड खूब थिरक रहे थे या कहो वो खुद उन्हें झटके देकर मेरे काउंटर के आगे पीछे हो रही थी ।
: आज तो तुम्हारी लग गई बच्चू, मैम आई नहीं है और ये लो पेडिंग फाइल्स ( शबनम ने फुसफुसा कर बोली मेरे करीब खड़ी होकर )
: क्या लगा कर चलती हो यार , बंदा तुम्हारी परफ्यूम से ही मदहोश हो जाए ( मैने बात बदलते हुए कहा )
: चुप पागल , मैने बोला था न यहां ऑफिस में कुछ नहीं ( वो दांत पिसती हुई , नजरे चुराती हुई बोली )
: अरे मुझसे रहा नही जा रहा है और तुम पाबंदियां लगा रही हो ( मैने उसकी ओर देखा वो अपने जुल्फे कानो में उलझाती हुई मुस्कुरा रही थी )
: छत पर मिले क्या , थोड़ देर में
: उम्हू ( उसने मेरे काउंटर फाइल के पेज पलटते हुए ना में सर हिलाया )
: 20 मिनट में , प्लीज ( मैने कलाई की घड़ी देखकर बोला )
: नहीइईई, तुम पागल हो क्या ( वो शब्दों को चबा चबा कर बोलती रही ताकि कोई और न सुने )
: तुम्हे देख कर आज कोई भी पागल हो जायेगा ( मैने उसके आगे आह भरी )
: ये फाइल फाइनल करो , सर ने बोला , पागल !! ( वो मुस्कुराती हुई निकल गई अपने मुलायम चूतड कुर्ती में हिलाते हुए )
मै भी उसको छेड़ कर खुश हो गया ।
कुछ ही देर में फाइल रेडी हो चुकी थी , मैने उसे अपने टेबल से ही उसको इशारा किया तो वो मोबाइल से text करने लगी
: Ho gayi ready file ?
: Files ready ho gayi , tum kab ready hogi ye btao ? Aao na upar ( मैने उसको रिप्लाई किया )
: kya kaam hai bolo ( वो अपनी आँखें महीन करती हुई घुरी )
: kuch baaten kahi nahi jaati yaar ( मैने उसको text करके उसकी ओर देखा जैसे ही उसने मैसेज पढ़ कर मेरी ओर देखा तो मैने आंख मार दी । वो पूरे गुस्से में लग रही थी )
मै समझ रहा था कि ये ऑफिस ही उसकी कमजोर कड़ी है और यहां वो अपने इमेज के लिए बहुत स्ट्रिक्ट होती है । मगर मुझे यही तो खेल करना था ।
: Thik hai tum jaao mai aati hu ( उसका रिप्लाई आया )
मै मुस्कुराते हुए अपने टेबल से उठा और उसके करीब से निकल कर जीने से ऊपर निकल गया ।
बाथरूम के दूसरी ओर दिवाल से लग कर मै खड़ा था
: हम्म्म बोलो
: अरे हाय आ गई तुम
: मैने तुम्हे बोला था न कि यहां ऑफिस में कुछ नहीं
: अरे यार तुम लड़कियां न बड़ी सेल्फिश हो , तुम्हे सिर्फ अपनी पड़ी
होती है , सामने वाले की फिकर ही नहीं रहती । ( मैने अपने जज्बात छलकाए थोड़े और वो मुस्कुराई )
: अच्छा ठीक है बाबा बोलो
: क्या बोलूं , जबसे दोस्ती हुई है कुछ बात ही आगे भी बढ़ी जैसे सब कुछ सूखा सूखा लग रहा हो । ( मै अपने लिप्स छूता हुआ बोला )
: मतलब ( वो अपनी भौहें चढ़ाते हुए बोली )
: हा यार इतनी सूखी दोस्ती मैने आज तक नहीं कि देखो कैसे मेरे होठ सूखे जा रहे है ( मैने उसके करीब गया तो वो पीछे हो गई )
: शानू यहां नहीं ( वो सहम कर आस पास देखने लगी )
: यहां वैसे भी है ही क्या , किसी रेस्तरां में चले , कॉफी पीने ( मैने एकदम से बात घुमा दी )
: क्या ? ( वो चौकी और हसी )
: हा यार दोस्त हो खाने पीने जा ही सकती हो , वैसे भी मै यहां अकेला रहता हु
: तो तुम यहां मुझे ये बताने के लिए बुलाए थे ( वो भड़के हुए स्वर ने मुझे घूरते हुए बोली )
: हा तो तुम क्या सोच कर आई थी ( मैं उसका चेहरा देख कर हंसा और उसके गुस्से से लाल गालों से भी हसी की पिचकारी छूट ही गई )
: धत्त तुम न गंदे ही नहीं कमीने भी हो , मै जा रही हूँ ( वो उखड़ कर जाने लगी
: शबनम रुको न ( मैने उसकी कलाई पकड़ ली )
: शानू प्लीज हाथ छोड़ो ( उसकी सास तेज हो गई उसके चेहरे पर बेचैनी साफ साफ दिख रही थी )
: शानू कोई देख लेगा , प्लीज यहां नहीं ( वो अपनी कलाई से मेरी उंगलियां खोलती हुई बोली )
: मैम के केबिन में शाम को
: क्या ? नहींईई!!
: कैबिन , शाम को ( मैने उसको अल्टीमेटम देते हुए निकल गया )
वो परेशान होकर कुछ देर बाद नीचे आई
उनका चेहरा उतरा हुआ था उनकी बेचैनी साफ साफ दिख रही थी ।
: अम्मी रहीम अंकल आ गए है
: बेटा उन्हें बाहर ही बिठा और मै लेट रही हू तू ... ( अम्मी बोलते बोलते रुक गई और इशारे करने लगी )
: जी अम्मी आप लेट जाइए , मै सलवार नीचे करके डॉ साहब को बुलाता हु ( मेरा लंड अभी से फौलादी हुआ जा रहा था , लोवर में टेंट बनने लगा था )
अम्मी अपने सलवार का नाडा लेटे हुए खोलकर करवट होकर लेट गई
मै भीतर से कांप रहा था , पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी और लंड फड़फड़ा रहा था
मैने अम्मी का सूट ऊपर कर सलवार में उंगली घुसा कर उनकी नंगी कमर को छुआ तो पूरे जिस्म के बिजली सी दौड़ गई मानो
अम्मी भी हल्की सी सिहर उठी और मैने सलवार खींच कर अम्मी के चौड़े कूल्हे से सरकाने लगा , थोड़ी मशक्कत हुई , मजा भी आ रहा था जब अम्मी के मुलायम चूतड का स्पर्श मिल रहा था
जल्द ही अम्मी की सफेद पैंटी दिखने लगी , बड़ी चौड़ी गाड़ के नीचे तक मैने अम्मी की सलवार खींच दी थी , पैंटी में भरी भरी गाड़ देख कर हलक सूखा जा रहा था, मुलायम सफेद पैंटी में गाड़ के उभार खूब चुस्त कसे हुए थे , मानो कितनी नरम और गुदाज हो
: बेटा कच्छी भी ... ( अम्मी करवट हुए ही गर्दन घुमा कर आवाज दी )
: जी अम्मी ( मै थूक गटक कर अम्मी की पैंटी में उंगली फसा कर उसे नीचे खींचने )
मेरा सुपाड़ा पूरा मुंह खोलने लगा, लंड की नसे झटके खाने लगी जैसे जैसे पैंटी के भारी भरकम चूतड से पैंटी सरक रही थी उनकी गोरी गोरी दूधिया गाड़ नंगी हो रही थी और दरारों की शुरुआत होते ही दिल की धड़कने तेज होने लगी
कसी हुई दरारें आपस में चिपके हुई मानो अम्मी ने उन्हें सख्त कर रखा हो , जीभ भर भर कर लार टपका रही थी और लंड भी लसिया रहा था ।
दोनों हाथों से खींच कर मैने अम्मी की गाड़ पूरी नंगी कर दी , जी तो कर रहा था कि पंजे में भर सहला दूं मगर डर था कही अम्मी नाराज न हो जाए और उसपे से डॉ रहीम भी बाहर बैठे थे ।
: अम्मी भेज दूं अंकल को ( मै खड़े होकर बोला )
: हम्म्म बेटा भेज दे और तू जरा बाहर ही खड़े रहना
: जी अम्मी
मै बाहर आया और डॉ साहब को बुलाया और उन्हें दरवाजे तक ले गया
दूर से ही अम्मी करवट लेते हुए दिखाई दी , सलवार जांघों में और चूतड़ों के दोनो बड़े बड़े गाल नंगे और विशाल ,
देख कर लंड दुहाई माग रहा था उसपे किसी गैर मर्द के सामने अम्मी की नंगी देखना भीतर से अजीब सी गुदगुदी बढ़ा रहा था और लंड खुद ही झूम रहा था ।
दरवाजे के पास खड़ा मै देख रहा था डॉ साहब अम्मी के पास खड़े हुए और उनका कुछ हाल लिया।
फिर हाथों से अम्मी के कूल्हे चेक किया , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , भींच कर मैने उसकी बौखलाहट को दबाने की कोशिश कर रहा था कि कैसे एक गैर मर्द मेरे आगे ही अम्मी के गाड़ छू रहा था और जिस वजह से अम्मी ने मुझसे अपनी सलवार खुलवाई वो बात की कोई अहमियत नहीं दिख रही थी
डॉ साहब से मेरे सामने ही अम्मी को इंजेक्शन दिया और देर तक अम्मी के गुलगुले चूतड़ में रुई दबा कर उसे हिलाते रहे , अम्मी की गाड़ को हिलाता देख लंड एकदम फड़फड़ा रहा । जैसे ही डॉ साहब ने अम्मी को अलविदा किया और वो बाहर आने को हुए वो भी अपना लंड पेंट के सेट करते हुए कमरे से निकले
अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता है अम्मी की बुरखे में थिरकती गाड़ देख कर , डॉ साहब ने तो जी भर कर सहलाया था
मै नजरे चुराता बाहर खड़ा रहा था
: शानू बेटा , भाभीजान को इंजेक्शन दे दिया है , ये मलहम और दवा लिख रहा हु बाजार से ले लेना
: जी अंकल और आपकी फीस
: उसकी फिक्र नहीं करो , अब्बू से मेरी बात हो गई है तुम्हारे ( वो मेरे बाल सहलाते हुए बोले )
: जी ठीक है , बैठिए पानी पीकर जाइए
: नहीं बेटा फिर कभी , भाभीजान का ख्याल रखना और ये दवाई भूलना मत
: जी अंकल , नमस्ते
: नमस्ते ( वो मुस्कुराते हुए निकल गए )
मै भी लपक कर अम्मी के पास गए , अम्मी अभी भी वो इंजेक्शन वाली जगह पर रुई से दबाए लेटी थी वैसे ही नंगी
: अम्मी
: अह गए क्या वो बेटा
: जी अम्मी
: अह्ह्ह्ह उन्हें चाय पानी का भी नहीं पूछ पाई
: मैने पूछा था अम्मी , वो बोले उन्हें कही जाना है इसीलिए फिर कभी आयेंगे
: अच्छा किया बेटा , अह्ह्ह्ह अब जरा ये सलवार चढ़ा दे अह्ह्ह्ह
: जी अम्मी ( मै न चाहते हुए भी अम्मी के सलवार और पैंटी को ऊपर किया )
: अम्मी डॉ साहब ने कुछ दवाएं और मलहम लिखा है , मै लेकर आता हु
: ठीक है बेटा , बैग से पैसे ले ले मेरे
मैने बैग से पैसे लिए और दरवाजा लगा कर निकल गया
अभी खोवामंडी से निकल कर मेन मार्केट में घुस रहा था कि मेरी नजर नगमा मामी पर गई
वो हड़बड़ी में अपने दुकान से मेरे मुहल्ले की निकल रही थी
मै समझ गया कि जरूर अम्मी ने ही फोन किया होगा ।
मै फैजान के मेडिकल स्टोर पर आया और अम्मी की दवाइयां लिया
फैजान की अम्मी ने भी अम्मी की खैरियत पूछी और मै दवाएं लेकर जल्द से जल्द निकल गया ।
इधर हाथ में अम्मी की दवाइयां थी तो उधर दिमाग अपने अलग घोड़े दौड़ा रहा था ।
अम्मी की सहेली घर पर जा रही है तो मुझे न पाकर दोनों कोई खेल न शुरू कर दें
दुगनी रफ्तार से मै भाग रहा था , आज कोई भी मौका छोड़ने के फ़िराख में नहीं था ।
घर पर आया तो चैनल आधा खुला था साफ था कि नगमा मामी आ चुकी थी , मैने भी बड़ी सतर्कता से घर में घुसा और हाल में कमरे के बाहर खड़ा हो गया
: अब मै क्या करती मुझे जो सही लगा किया मैने ( अम्मी बोली )
: तुझे लगता है उस रोज जब तू दिखाने गई थी तो शानू को पता होगा ( नगमा मामी ने सवाल किया )
: पता नहीं वही तो उलझन थी , लेकिन ये तो पक्का वो मेरे कमरे में ताक झांक काफी दिनों से कर रहा है और उसकी आदत नहीं सुधर रही है ( अम्मी चिढ़ कर बोली )
: और जिस रोज मै डॉ साहब के यहां से आई थी वीडियो काल पर शानू के अब्बू ने ... तू तो जान ही रही है उनकी आदत खुद डॉ बनकर सारी जांच करने लगे और मुझे डर था कही उसने कुछ सुना होगा तो इसीलिए मैने उससे कहा
अम्मी और मामी की बातें चल रही थी और मैं समझ रहा था कि अम्मी ने कैसे अपनी छवि मेरे सामने सही रखने के लिए अपना काम निकलवाया
: वैसे कहा है वो बदमाश ( मामी ने चहक कर पूछा )
: वो डॉ साहब ने मलहम और दवा लिखी थी , लेकर आता ही होगा । ( अम्मी की आवाज आई)
: इतना बहरूपिया लडका मैने देखा नहीं , मेरे सामने आते ही ऐसा शर्माता है कि पूछो मत , जरा सा छेड़ दु तो दुल्हन जैसे लाल हो जाएगा और यहां इस घर में उसके कारनामे ही अलग है ( मामी खिलखिलाकर बोली )
: अरे बहुत नौटंकीबाज है नगमा वो , मै तो तंग आ गई हु
: वैसे उस रोज सिर्फ मेरी ही तस्वीर देखी थी या तेरी भी
: पता नहीं , पूरी की पूरी चिप घुसा कर लैपटॉप में देख रहा था कमीना
: अरे तेरे इस तबेले जैसी गाड़ को देखकर कौन दीवाना नहीं होगा हीहीहीही ( मामी ने अम्मी की कमर पर चिंगोटी करते हुए उन्हें छेड़ा )
: धत्त कामिनी, छोड़ दर्द हो रहा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई भाग यहां से ( अम्मी दर्द में हसते हुए बोली)
: कोई बात नहीं अब आने दो नवाब साहब को शराफत झाड़ती हु उनकी
मै मुस्कुराने लगा और मेरा लंड भी मै वापस गया और चैनल खींच कर दुबारा घर में आहट करते हुए आया
तबतक दोनो सतर्क हो गई थी ।
: आ गया बेटा तू ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली)
: हा अम्मी , नमस्ते मामी ( मै नगमा मामी को देख कर बोला )
: नमस्ते बेटा
: अम्मी पानी ला रहा हु दवा खा लो और ये मलहम भी लगा लो
: हा खाती हु तू पहले अपनी मामी के लिए चाय बना
: जी अम्मी
मै किचन में आ गया और वहां फिर से उनकी बातें फुसफुसा कर होने लगी ।
तभी मामी उठी और कमरे का दरवाजा बंद कर दी और खिड़की पर भी पर्दे लगा दिए ।
मै परेशान होने लगा कि इस समय मै घर में हु तब भी ये लोग क्या करने जा रहे है ।
मेरी बेचैनी बढ़ रहे थी , मै रह रह बाहर झांकता और उसके आने का वेट करता
जैसे ही कोई ऑफिस का स्टाफ नज़र आता मै आलमारी में फाइल खोजने लगता , रेशमा मैम के केबिन में मुझे आने जाने की अनुमति थी और उनकी अलमारी की चाभी भी मेरे पास ही होती थी
कुछ हो देर में शबनम कमरे में आई
देखते ही धड़कने तेज
मैने इशारे से पास आने को कहा वो वही खड़ी खड़ी ना में सर हिला रही थी
: आओ न ( मै धीरे से फुसफुसाया )
क्योंकि जहां मै खड़ा था वहां आलमारी और दरवाजे की ओट थी और वो दरवाजे के दूसरी ओर खड़ी थी । मै उसे खींच भी नहीं सकता था
वो ना में सर हिला रही थी और बहुत परेशान थी , मगर उसकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी जो केबिन में आ गई
मै जान रहा था वो यहां तक आई है तो आगे भी मेरी ही चलने वाली है
आस पास देखकर मैने खुद से उसको पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो मेरी बाहों में
: क्यों भागती हो इतना दूर दूर (
दरवाजे की ओट में मै उसकी आंखों में देखता हुआ बोला )
: शानू छोड़ो कोई आ जाएगा ( वो फुसफुसाकर छटपटाने लगी और मै उसकी सारी शराफत वाली नौटंकी समझ रहा था )
: शीईईईई ( मैने उसके लिप्स पर उंगली रख दी और दूसरे हाथ से उसके कमर पर हाथ फेरने लगा )
उसकी सांसे चढ़ने लगी आँखें बंद होने लगी और मैने उसके होठों से उंगली हटा कर अपने लिप्स लगाए
तो उसने खुद ही अपने होठ खोल दिया और दो स्मूच के बाद मैने अपने पंजे ने भर कर उसका एक चूतड़ नोचा वो उचकी और मैंने अपना खड़ा लंड जो पेंट में तम्बू बनाए हुए था सीधा आगे उसकी जांघ में सटा कर चुभो दिया
कभी आगे तो कभी पीछे वो बचने लगी और उसके लिप्स मेरे लिप्स से कैद से मेरे सीने पर मुक्के चल रहे थे और मैने कस कर उसके लिप्स चूस कर उसको छोड़ दिया
एक तरह से मैने उसके साथ बदतमीजी ही की थी और यही मेरे प्लान का पहला स्टेप था , शबनम के भीतर एक चिंगारी भड़काने का ।
जारी रहेगी
Mast shaandar update bhaiUPDATE 015
बेचैन आहें....
: अह्ह्ह्ह्ह नहीं बिलकुल नहीं , दवा से नहीं हुआ आराम
: आप कब तक आयेंगे , मुझसे अस्पताल जाना नहीं हो पाएगा ( अम्मी बेजान सी आवाज में बोली )
: शानू की अम्मी यहां ऑडिट आई है मुख्यालय से तो 3-4 रोज से पहले आना मुश्किल है , तुम इंजेक्शन ले लो न
: क्या कह रहे है , मुझसे नहीं होगा किसी गैर मर्द के आगे अपने सलवार खोलु ( अम्मी उखड़ कर कराहती हुई बोली )
: अरे मेरी बेगम वो डॉक्टर है और इलाज करेगा नहीं तो तुम सही कैसे होगी और शानू तो रहेगा ही न पास में
: अच्छा ठीक है लेकिन..... ( अम्मी कुछ सोच कर चुप हो गई )
: क्या हुआ
: कुछ नहीं ठीक है आप डॉक्टर साहब को घर पर ही आने को बोल दो , मुझसे उनके यहां जाना नहीं हो पाएगा । ( अम्मी ने अपनी बात कह कर फोन काट दी )
बाहर किचन के पास खड़ा होकर मै अम्मी अब्बू की बातें सुन रहा था और फिर पानी गर्म करके उनके कमरे में ले गया
: शानू बेटा वो डॉक्टर साहब आ रहे है , तेरे अब्बू ने कहा है इंजेक्शन लेने को ( बड़ी चिंता से वो बोली )
: सही तो कह रहे है अब्बू , आप जल्दी से अच्छी हो जाओगी ( मै उनके पास बैठते हुए बोला )
: हा लेकिन... तुझे एक काम करना पड़ेगा ( अम्मी ने नजरे चुराते हुए बोली )
: क्या अम्मी बोलो न
: वो जब डॉक्टर साहब आए तो मेरी सलवार तू ही नीचे करना ( अम्मी झेप से आंखे बंद करते हुए बोली )
: म मै ? ( मै एकदम से चौका और धीरे धीरे मेरे भीतर की वासना मेरे लोवर में अपना सर उठाने लगी )
: हा बेटा , हमारे में गैर मर्द का स्पर्श हराम है और इसीलिए तो मैं इंजेक्शन से भागती हूं। वो तो तेरे अब्बू ने बहुत जिद की तो मैं तैयार हुई हु नहीं तो मैं .... ( अम्मी ने बेजान सी आवाज ने कहा और मानो कितना अजीब सा घिनौना सा महसूस हो रहा हो उन्हें )
: अम्मी वो डॉक्टर है और अब्बू ने बिल्कुल सही कहा आपको इंजेक्शन लेना चाहिए ( मैने उन्हें समझा तो दिया लेकिन मैं खुद उलझ गया था कि अम्मी ने मुझसे क्यों कहा कि मैं उनकी सलवार खोलु)
उससे बड़ी उलझन थी कि अम्मी ने ऐसा क्यों कहा कि उन्हें गैर मर्द का स्पर्श पसंद नहीं जबकि उस रोज डॉ रहीम से ही वो अपने स्तन चेक करवा कर आई थी । इस बात से कितनी कामोत्तेजीत थी कि अब्बू से खुल कर वो साझा कर रही थी उस रोज की बातें और आज वो एकदम से अलग ही बातें कर रही है मेरे सामने
ऐसे में फोन की घंटी बजी
सबनम का ही काल था , देखते ही समझ गया और उससे कैसे बात करना है ये भी ।
फोन पर
: आज मौसम बड़ा , हाय बेईमान है बड़ा ( मै काल उठाते हुए गुनगुनाया )
: हैलो हैलो , बड़े रोमांटिक मूड के हो यार क्या बात है
: तुम्हारा नाम , चेहरा और काल सामने आते ही मूड खुद ही रोमांटिक हो जाता है ( मै लगभग अंगड़ाई लेता हुआ बोला )
: धत्त पागल , अरे अलीना मैडम ने सुना तो खैर नहीं तुम्हारी समझे हीही ( वो खिलखिलाई )
: कौन बताएगा उन्हें , तुम उम्मम सोच लो दोस्ती से पहले वो तुम्हे तोड़ेगी हाहाहाहा ( मै हंसा )
: अरे ना बाबा ना , मुझे भी तोड़नी दोस्ती तुमसे ( वो बोली )
: तो और बताओ शादी कब तक कर रही हो
: शादी ?
: हा , उम्र और शरीर दोनो से बढ़ रही हो , कब करोगी ।
: कोई तुम सा मिले रहबर तो न बात बने ... उम्मम्म ( बड़े लुभावने अदा से वो बोली लेकिन उसकी हरकते अब मुझे चिढ़ सी पैदा करती थी जहन में )
: फिर तो तुम बुड्ढी मरोगी हीहीहीही , क्योंकि मेरे लाइफ का एक ही फंडा है ।
: अच्छा जी वो क्या ?
: कॉलर और मकसद दोनों घड़ी सर्फ से साफ करो
: मतलब ?
: अरे मतलब " पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो " हिहीहीही ( मै बोलते बोलते जोर से खिलखिलाया )
: धत्त गंदे कही के , तुम न ( वो खीझी मगर ना जाने किस मिट्टी की बनी थी , इनडायरेक्टली मैने उसे चोदने का प्रस्ताव दे दिया था मगर वो अपने लक्ष्य पर अडिग थी , मै समझ रहा था इसको कही भी कुछ भी रिकार्ड करने का मौका नहीं देना है । )
: वैसे क्या कर रही हो ( मैने बात बदली )
: नहा चुकी हूं और बाल बना रही हूं
: क्या ? बिना कपड़ो के !! ( मै उसको छेड़ा )
: अब रखो तुम , गंदे कही के । मै तुम्हे कितना भोला समझती थी और तुम , रखो मै निकल रही हु ऑफिस के लिए
: मै पिकअप कर लू क्या
: नहीं नहीं , मै बोला था न इस बारे में ऑफिस या मेरे घर किसी को पता न लगे ( वो एकदम से बेचैन होने लगी और मैं मन ही मन मुस्कुराया )
: ओके फिर ऑफिस में मिलते है , बाय
: ऑफिस में क्यों मिलना , हे रुको !! ( वो परेशान होकर बोली लेकिन मैने फोन काट दिया )
: बेटा तुमने सही जगह हाथ डाला है अब देखो ऑफिस में क्या करता हु ( मै फोन काट कर बड़बड़ाया )
मै ऑफिस के लिए निकल गया
संयोग की ही बात थी कि आज रेशमा मैम नहीं आई थी , और फिर एक दो स्टाफ गायब थे । ऐसे में उनसे जूनियर होने के नाते सारे काम मुझे ही देखने पड़ते थे ।
लड़कियों को अगर थोड़ा सा भरम करा दो कि आप उनपर लट्टू है तो वो आपको रिझाने सताने का कोई मौका नहीं छोड़ती । शबनम भी आज कम कहर नहीं ढा रही थी । लेगिंस में उसके मुलायम चूतड खूब थिरक रहे थे या कहो वो खुद उन्हें झटके देकर मेरे काउंटर के आगे पीछे हो रही थी ।
: आज तो तुम्हारी लग गई बच्चू, मैम आई नहीं है और ये लो पेडिंग फाइल्स ( शबनम ने फुसफुसा कर बोली मेरे करीब खड़ी होकर )
: क्या लगा कर चलती हो यार , बंदा तुम्हारी परफ्यूम से ही मदहोश हो जाए ( मैने बात बदलते हुए कहा )
: चुप पागल , मैने बोला था न यहां ऑफिस में कुछ नहीं ( वो दांत पिसती हुई , नजरे चुराती हुई बोली )
: अरे मुझसे रहा नही जा रहा है और तुम पाबंदियां लगा रही हो ( मैने उसकी ओर देखा वो अपने जुल्फे कानो में उलझाती हुई मुस्कुरा रही थी )
: छत पर मिले क्या , थोड़ देर में
: उम्हू ( उसने मेरे काउंटर फाइल के पेज पलटते हुए ना में सर हिलाया )
: 20 मिनट में , प्लीज ( मैने कलाई की घड़ी देखकर बोला )
: नहीइईई, तुम पागल हो क्या ( वो शब्दों को चबा चबा कर बोलती रही ताकि कोई और न सुने )
: तुम्हे देख कर आज कोई भी पागल हो जायेगा ( मैने उसके आगे आह भरी )
: ये फाइल फाइनल करो , सर ने बोला , पागल !! ( वो मुस्कुराती हुई निकल गई अपने मुलायम चूतड कुर्ती में हिलाते हुए )
मै भी उसको छेड़ कर खुश हो गया ।
कुछ ही देर में फाइल रेडी हो चुकी थी , मैने उसे अपने टेबल से ही उसको इशारा किया तो वो मोबाइल से text करने लगी
: Ho gayi ready file ?
: Files ready ho gayi , tum kab ready hogi ye btao ? Aao na upar ( मैने उसको रिप्लाई किया )
: kya kaam hai bolo ( वो अपनी आँखें महीन करती हुई घुरी )
: kuch baaten kahi nahi jaati yaar ( मैने उसको text करके उसकी ओर देखा जैसे ही उसने मैसेज पढ़ कर मेरी ओर देखा तो मैने आंख मार दी । वो पूरे गुस्से में लग रही थी )
मै समझ रहा था कि ये ऑफिस ही उसकी कमजोर कड़ी है और यहां वो अपने इमेज के लिए बहुत स्ट्रिक्ट होती है । मगर मुझे यही तो खेल करना था ।
: Thik hai tum jaao mai aati hu ( उसका रिप्लाई आया )
मै मुस्कुराते हुए अपने टेबल से उठा और उसके करीब से निकल कर जीने से ऊपर निकल गया ।
बाथरूम के दूसरी ओर दिवाल से लग कर मै खड़ा था
: हम्म्म बोलो
: अरे हाय आ गई तुम
: मैने तुम्हे बोला था न कि यहां ऑफिस में कुछ नहीं
: अरे यार तुम लड़कियां न बड़ी सेल्फिश हो , तुम्हे सिर्फ अपनी पड़ी
होती है , सामने वाले की फिकर ही नहीं रहती । ( मैने अपने जज्बात छलकाए थोड़े और वो मुस्कुराई )
: अच्छा ठीक है बाबा बोलो
: क्या बोलूं , जबसे दोस्ती हुई है कुछ बात ही आगे भी बढ़ी जैसे सब कुछ सूखा सूखा लग रहा हो । ( मै अपने लिप्स छूता हुआ बोला )
: मतलब ( वो अपनी भौहें चढ़ाते हुए बोली )
: हा यार इतनी सूखी दोस्ती मैने आज तक नहीं कि देखो कैसे मेरे होठ सूखे जा रहे है ( मैने उसके करीब गया तो वो पीछे हो गई )
: शानू यहां नहीं ( वो सहम कर आस पास देखने लगी )
: यहां वैसे भी है ही क्या , किसी रेस्तरां में चले , कॉफी पीने ( मैने एकदम से बात घुमा दी )
: क्या ? ( वो चौकी और हसी )
: हा यार दोस्त हो खाने पीने जा ही सकती हो , वैसे भी मै यहां अकेला रहता हु
: तो तुम यहां मुझे ये बताने के लिए बुलाए थे ( वो भड़के हुए स्वर ने मुझे घूरते हुए बोली )
: हा तो तुम क्या सोच कर आई थी ( मैं उसका चेहरा देख कर हंसा और उसके गुस्से से लाल गालों से भी हसी की पिचकारी छूट ही गई )
: धत्त तुम न गंदे ही नहीं कमीने भी हो , मै जा रही हूँ ( वो उखड़ कर जाने लगी
: शबनम रुको न ( मैने उसकी कलाई पकड़ ली )
: शानू प्लीज हाथ छोड़ो ( उसकी सास तेज हो गई उसके चेहरे पर बेचैनी साफ साफ दिख रही थी )
: शानू कोई देख लेगा , प्लीज यहां नहीं ( वो अपनी कलाई से मेरी उंगलियां खोलती हुई बोली )
: मैम के केबिन में शाम को
: क्या ? नहींईई!!
: कैबिन , शाम को ( मैने उसको अल्टीमेटम देते हुए निकल गया )
वो परेशान होकर कुछ देर बाद नीचे आई
उनका चेहरा उतरा हुआ था उनकी बेचैनी साफ साफ दिख रही थी ।
: अम्मी रहीम अंकल आ गए है
: बेटा उन्हें बाहर ही बिठा और मै लेट रही हू तू ... ( अम्मी बोलते बोलते रुक गई और इशारे करने लगी )
: जी अम्मी आप लेट जाइए , मै सलवार नीचे करके डॉ साहब को बुलाता हु ( मेरा लंड अभी से फौलादी हुआ जा रहा था , लोवर में टेंट बनने लगा था )
अम्मी अपने सलवार का नाडा लेटे हुए खोलकर करवट होकर लेट गई
मै भीतर से कांप रहा था , पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी और लंड फड़फड़ा रहा था
मैने अम्मी का सूट ऊपर कर सलवार में उंगली घुसा कर उनकी नंगी कमर को छुआ तो पूरे जिस्म के बिजली सी दौड़ गई मानो
अम्मी भी हल्की सी सिहर उठी और मैने सलवार खींच कर अम्मी के चौड़े कूल्हे से सरकाने लगा , थोड़ी मशक्कत हुई , मजा भी आ रहा था जब अम्मी के मुलायम चूतड का स्पर्श मिल रहा था
जल्द ही अम्मी की सफेद पैंटी दिखने लगी , बड़ी चौड़ी गाड़ के नीचे तक मैने अम्मी की सलवार खींच दी थी , पैंटी में भरी भरी गाड़ देख कर हलक सूखा जा रहा था, मुलायम सफेद पैंटी में गाड़ के उभार खूब चुस्त कसे हुए थे , मानो कितनी नरम और गुदाज हो
: बेटा कच्छी भी ... ( अम्मी करवट हुए ही गर्दन घुमा कर आवाज दी )
: जी अम्मी ( मै थूक गटक कर अम्मी की पैंटी में उंगली फसा कर उसे नीचे खींचने )
मेरा सुपाड़ा पूरा मुंह खोलने लगा, लंड की नसे झटके खाने लगी जैसे जैसे पैंटी के भारी भरकम चूतड से पैंटी सरक रही थी उनकी गोरी गोरी दूधिया गाड़ नंगी हो रही थी और दरारों की शुरुआत होते ही दिल की धड़कने तेज होने लगी
कसी हुई दरारें आपस में चिपके हुई मानो अम्मी ने उन्हें सख्त कर रखा हो , जीभ भर भर कर लार टपका रही थी और लंड भी लसिया रहा था ।
दोनों हाथों से खींच कर मैने अम्मी की गाड़ पूरी नंगी कर दी , जी तो कर रहा था कि पंजे में भर सहला दूं मगर डर था कही अम्मी नाराज न हो जाए और उसपे से डॉ रहीम भी बाहर बैठे थे ।
: अम्मी भेज दूं अंकल को ( मै खड़े होकर बोला )
: हम्म्म बेटा भेज दे और तू जरा बाहर ही खड़े रहना
: जी अम्मी
मै बाहर आया और डॉ साहब को बुलाया और उन्हें दरवाजे तक ले गया
दूर से ही अम्मी करवट लेते हुए दिखाई दी , सलवार जांघों में और चूतड़ों के दोनो बड़े बड़े गाल नंगे और विशाल ,
देख कर लंड दुहाई माग रहा था उसपे किसी गैर मर्द के सामने अम्मी की नंगी देखना भीतर से अजीब सी गुदगुदी बढ़ा रहा था और लंड खुद ही झूम रहा था ।
दरवाजे के पास खड़ा मै देख रहा था डॉ साहब अम्मी के पास खड़े हुए और उनका कुछ हाल लिया।
फिर हाथों से अम्मी के कूल्हे चेक किया , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा , भींच कर मैने उसकी बौखलाहट को दबाने की कोशिश कर रहा था कि कैसे एक गैर मर्द मेरे आगे ही अम्मी के गाड़ छू रहा था और जिस वजह से अम्मी ने मुझसे अपनी सलवार खुलवाई वो बात की कोई अहमियत नहीं दिख रही थी
डॉ साहब से मेरे सामने ही अम्मी को इंजेक्शन दिया और देर तक अम्मी के गुलगुले चूतड़ में रुई दबा कर उसे हिलाते रहे , अम्मी की गाड़ को हिलाता देख लंड एकदम फड़फड़ा रहा । जैसे ही डॉ साहब ने अम्मी को अलविदा किया और वो बाहर आने को हुए वो भी अपना लंड पेंट के सेट करते हुए कमरे से निकले
अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाता है अम्मी की बुरखे में थिरकती गाड़ देख कर , डॉ साहब ने तो जी भर कर सहलाया था
मै नजरे चुराता बाहर खड़ा रहा था
: शानू बेटा , भाभीजान को इंजेक्शन दे दिया है , ये मलहम और दवा लिख रहा हु बाजार से ले लेना
: जी अंकल और आपकी फीस
: उसकी फिक्र नहीं करो , अब्बू से मेरी बात हो गई है तुम्हारे ( वो मेरे बाल सहलाते हुए बोले )
: जी ठीक है , बैठिए पानी पीकर जाइए
: नहीं बेटा फिर कभी , भाभीजान का ख्याल रखना और ये दवाई भूलना मत
: जी अंकल , नमस्ते
: नमस्ते ( वो मुस्कुराते हुए निकल गए )
मै भी लपक कर अम्मी के पास गए , अम्मी अभी भी वो इंजेक्शन वाली जगह पर रुई से दबाए लेटी थी वैसे ही नंगी
: अम्मी
: अह गए क्या वो बेटा
: जी अम्मी
: अह्ह्ह्ह उन्हें चाय पानी का भी नहीं पूछ पाई
: मैने पूछा था अम्मी , वो बोले उन्हें कही जाना है इसीलिए फिर कभी आयेंगे
: अच्छा किया बेटा , अह्ह्ह्ह अब जरा ये सलवार चढ़ा दे अह्ह्ह्ह
: जी अम्मी ( मै न चाहते हुए भी अम्मी के सलवार और पैंटी को ऊपर किया )
: अम्मी डॉ साहब ने कुछ दवाएं और मलहम लिखा है , मै लेकर आता हु
: ठीक है बेटा , बैग से पैसे ले ले मेरे
मैने बैग से पैसे लिए और दरवाजा लगा कर निकल गया
अभी खोवामंडी से निकल कर मेन मार्केट में घुस रहा था कि मेरी नजर नगमा मामी पर गई
वो हड़बड़ी में अपने दुकान से मेरे मुहल्ले की निकल रही थी
मै समझ गया कि जरूर अम्मी ने ही फोन किया होगा ।
मै फैजान के मेडिकल स्टोर पर आया और अम्मी की दवाइयां लिया
फैजान की अम्मी ने भी अम्मी की खैरियत पूछी और मै दवाएं लेकर जल्द से जल्द निकल गया ।
इधर हाथ में अम्मी की दवाइयां थी तो उधर दिमाग अपने अलग घोड़े दौड़ा रहा था ।
अम्मी की सहेली घर पर जा रही है तो मुझे न पाकर दोनों कोई खेल न शुरू कर दें
दुगनी रफ्तार से मै भाग रहा था , आज कोई भी मौका छोड़ने के फ़िराख में नहीं था ।
घर पर आया तो चैनल आधा खुला था साफ था कि नगमा मामी आ चुकी थी , मैने भी बड़ी सतर्कता से घर में घुसा और हाल में कमरे के बाहर खड़ा हो गया
: अब मै क्या करती मुझे जो सही लगा किया मैने ( अम्मी बोली )
: तुझे लगता है उस रोज जब तू दिखाने गई थी तो शानू को पता होगा ( नगमा मामी ने सवाल किया )
: पता नहीं वही तो उलझन थी , लेकिन ये तो पक्का वो मेरे कमरे में ताक झांक काफी दिनों से कर रहा है और उसकी आदत नहीं सुधर रही है ( अम्मी चिढ़ कर बोली )
: और जिस रोज मै डॉ साहब के यहां से आई थी वीडियो काल पर शानू के अब्बू ने ... तू तो जान ही रही है उनकी आदत खुद डॉ बनकर सारी जांच करने लगे और मुझे डर था कही उसने कुछ सुना होगा तो इसीलिए मैने उससे कहा
अम्मी और मामी की बातें चल रही थी और मैं समझ रहा था कि अम्मी ने कैसे अपनी छवि मेरे सामने सही रखने के लिए अपना काम निकलवाया
: वैसे कहा है वो बदमाश ( मामी ने चहक कर पूछा )
: वो डॉ साहब ने मलहम और दवा लिखी थी , लेकर आता ही होगा । ( अम्मी की आवाज आई)
: इतना बहरूपिया लडका मैने देखा नहीं , मेरे सामने आते ही ऐसा शर्माता है कि पूछो मत , जरा सा छेड़ दु तो दुल्हन जैसे लाल हो जाएगा और यहां इस घर में उसके कारनामे ही अलग है ( मामी खिलखिलाकर बोली )
: अरे बहुत नौटंकीबाज है नगमा वो , मै तो तंग आ गई हु
: वैसे उस रोज सिर्फ मेरी ही तस्वीर देखी थी या तेरी भी
: पता नहीं , पूरी की पूरी चिप घुसा कर लैपटॉप में देख रहा था कमीना
: अरे तेरे इस तबेले जैसी गाड़ को देखकर कौन दीवाना नहीं होगा हीहीहीही ( मामी ने अम्मी की कमर पर चिंगोटी करते हुए उन्हें छेड़ा )
: धत्त कामिनी, छोड़ दर्द हो रहा है आह्ह्ह्ह अम्मीईई भाग यहां से ( अम्मी दर्द में हसते हुए बोली)
: कोई बात नहीं अब आने दो नवाब साहब को शराफत झाड़ती हु उनकी
मै मुस्कुराने लगा और मेरा लंड भी मै वापस गया और चैनल खींच कर दुबारा घर में आहट करते हुए आया
तबतक दोनो सतर्क हो गई थी ।
: आ गया बेटा तू ( अम्मी मुस्कुरा कर बोली)
: हा अम्मी , नमस्ते मामी ( मै नगमा मामी को देख कर बोला )
: नमस्ते बेटा
: अम्मी पानी ला रहा हु दवा खा लो और ये मलहम भी लगा लो
: हा खाती हु तू पहले अपनी मामी के लिए चाय बना
: जी अम्मी
मै किचन में आ गया और वहां फिर से उनकी बातें फुसफुसा कर होने लगी ।
तभी मामी उठी और कमरे का दरवाजा बंद कर दी और खिड़की पर भी पर्दे लगा दिए ।
मै परेशान होने लगा कि इस समय मै घर में हु तब भी ये लोग क्या करने जा रहे है ।
मेरी बेचैनी बढ़ रहे थी , मै रह रह बाहर झांकता और उसके आने का वेट करता
जैसे ही कोई ऑफिस का स्टाफ नज़र आता मै आलमारी में फाइल खोजने लगता , रेशमा मैम के केबिन में मुझे आने जाने की अनुमति थी और उनकी अलमारी की चाभी भी मेरे पास ही होती थी
कुछ हो देर में शबनम कमरे में आई
देखते ही धड़कने तेज
मैने इशारे से पास आने को कहा वो वही खड़ी खड़ी ना में सर हिला रही थी
: आओ न ( मै धीरे से फुसफुसाया )
क्योंकि जहां मै खड़ा था वहां आलमारी और दरवाजे की ओट थी और वो दरवाजे के दूसरी ओर खड़ी थी । मै उसे खींच भी नहीं सकता था
वो ना में सर हिला रही थी और बहुत परेशान थी , मगर उसकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी जो केबिन में आ गई
मै जान रहा था वो यहां तक आई है तो आगे भी मेरी ही चलने वाली है
आस पास देखकर मैने खुद से उसको पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो मेरी बाहों में
: क्यों भागती हो इतना दूर दूर (
दरवाजे की ओट में मै उसकी आंखों में देखता हुआ बोला )
: शानू छोड़ो कोई आ जाएगा ( वो फुसफुसाकर छटपटाने लगी और मै उसकी सारी शराफत वाली नौटंकी समझ रहा था )
: शीईईईई ( मैने उसके लिप्स पर उंगली रख दी और दूसरे हाथ से उसके कमर पर हाथ फेरने लगा )
उसकी सांसे चढ़ने लगी आँखें बंद होने लगी और मैने उसके होठों से उंगली हटा कर अपने लिप्स लगाए
तो उसने खुद ही अपने होठ खोल दिया और दो स्मूच के बाद मैने अपने पंजे ने भर कर उसका एक चूतड़ नोचा वो उचकी और मैंने अपना खड़ा लंड जो पेंट में तम्बू बनाए हुए था सीधा आगे उसकी जांघ में सटा कर चुभो दिया
कभी आगे तो कभी पीछे वो बचने लगी और उसके लिप्स मेरे लिप्स से कैद से मेरे सीने पर मुक्के चल रहे थे और मैने कस कर उसके लिप्स चूस कर उसको छोड़ दिया
एक तरह से मैने उसके साथ बदतमीजी ही की थी और यही मेरे प्लान का पहला स्टेप था , शबनम के भीतर एक चिंगारी भड़काने का ।
जारी रहेगी
Ese to bhai ye sabhi ko gila hi kr degi