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Incest अम्मी vs मेरी फैंटेसी दुनिया

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कहानी पर पाठकों की जितनी ट्रैफिक है उसके अनुपात में बहुत ही कम फीडबैक मिल रहा है ।
अगर कहानी पसंद नहीं आ रही है तो कृपया वो भी कमेंट करके बताए ।

इन दिनों मै बहुत दुविधा में हू । कहानी आगे लिखूं या छोड़ दूं।
 
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Super Update Bhai 20
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अतीत के पन्ने : 01


: कहां था ? कबसे फोन लगा रही थी , उठा क्यों नहीं रहा था ? अब क्या मुझसे भी नाराज है ।
: नहीं ऐसी बात नहीं है , वो मै बाइक चला रहा था ।
: याद नहीं आती क्या तुझे मेरी अब उम्मम
: नानीई ,,,,,, क्यों फोन किया बताओ न ( मै उखड़ कर फोन पर नानी से पूछा )
: कुछ नहीं बस ऐसे ही हाल चाल लेने के लिए और क्या , याद आ रही थी तेरी ( नानी बोली )
: अच्छा इतने साल बाद याद आई मेरी उम्मम , नौकरी लगी थी तब भी एक बार फोन नहीं किया आपने और आज याद आई आपको मेरी ( मै लगभग रुआस होकर बोला )
: तू तो सब जानता है न बेटा , मै क्यों नहीं बात कर सकती थी तुझसे ( नानी अपनी मजबूरी बता रही थी )
: अच्छा तो आज कैसे कर ली फोन , किसने हक दे दिया आपको ... बोलो ( मै भरी आंखों से उनसे सुबक कर सवाल किया )
: उसी ने , जिसने ये हक छीना था मुझसे ( नानी बोल कर चुप हो गई )
: अ..अम्मी ने आपको फोन करने को कहा ( मेरा कलेजा भीतर से छलनी होने लगा )
: हम्ममम... तू जानता है वो तुझे कितना चाहती है फिर भी तू ऐसे चला आया । कितना लड़ी तेरे लिए तेरे अब्बू से फिर भी ....( नानी के सवाल तीर की तरह चुभ रहे थे )
: और अगर अब उसने मुझे अपने कसम से आजाद कर तुझसे बात करने के लिए , तेरा हाल लेने के लिए कहा होगा तो सोच वो कितनी तकलीफ में होगी , फिकर है तुझे कुछ ? क्या हो गया है तुझे ? कहा खोया हुआ है तू ... भूल गया अपनी अम्मी के प्यार को ..?

मेरा कलेजा रो रहा था और आंखे बह रही थी , बाल नोच कर बेहाल हुआ जा रहा था । नानी की बातें नीम सी कड़वी थी मगर पानी सी साफ भी ।
अगर आज इतने सालों बाद अम्मी ने नानी को अपने वचन से आजाद कर दिया तो जरूर बहुत दर्द में ही होगी वो , जरूर उन्हें मेरे किए बर्ताव का गहरा असर हुआ होगा , और मै उन्हें ऐसे ही छोड़ आया सिर्फ अपने अहम में कि अगर उन्हें परवाह होगी तो वो करेंगी मेरी खोज खबर।

रोना ही आ रहा था मुझे और कर भी क्या सकता था हफ़्तों से जो दर्द लेकर मै घर से वापस आया आज एक एक बाते कलेजे में हजारों छेद कर रही थी ।


*******************************


नानी


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भरा ग़दराया बदन
बड़े बड़े भड़कीले चूतड, इतने बड़े कि अब तो इन्हें अपने नाप की पैंटी नहीं मिल पाती है आसानी से ।


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मोटे मोटे पपीते जैसे चूचे उम्र के साथ लटक जरूर गए है लेकिन भरपूर मुलायम और गोरे । गहरे गले के सूट में इनकी चूचों की घाटियों को देखते ही बंदा झड़ जाए । 44 DD पूरे गोल और भरे भरे मोटे थन जैसे चूचे, दोनो तरफ की आधी आधी बाजू भी सामने से ढक जाती है ।

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मोटापे ने शरीर के हर हिस्से में चर्बी बढ़ा दी और गुदाज चर्बीदार पेट भी सलवार में लटका रहता है ।
चलने पर आगे और पीछे जो उछाल मिलता है देख कर हलक सूखने लग जाए ।

निकल पड़ा था मै उनके साथ उनके घर के लिए एक बड़ा सा ढोलक बैग लेकर आगे आगे नानी चल रही थी , ढीले बुरखे में भी उनकी मोटी मोटी भड़कीली गाड़ की थिरकन देखकर मुझे अम्मी की याद आ रही थी ।
ना जाने कितनी बार मैने उन्हें पीछे से देखकर अपना लंड सहलाया होगा
मगर नानी के चूतड़ कुछ ज्यादा ही उभरे थे जांघें लगभग अम्मी की डेढ़ गुनी मोटी और बदन भी अम्मी से ज्यादा भारी था ।


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: बेटा जल्दी कर बस निकल जाएगी आजा ( नानी ने मुझे आवाज दी)
और मै उनके साथ तेजी चलता हुआ आगे बढ़ गया

छुट्टियों के दिन चल रहे थे और शादियों का सीजन भी
बड़ी भीड़ थी बस में , किसी तरह नानी ने एक सीट दी और खुद मेरे पास खड़ी हो गई।
: नानी आप बैठो न ( मैने उन्हें बिठाना चाहा )
एक तो उनके चौड़े कूल्हे और दूसरे बगल वाली सीट पर गैर मर्द नानी चाह कर भी बैठ नहीं पाती ये उनके चेहरे के भाव से साफ पता चल रहा था ।
: नहीं बेटा बैठ अभी आगे खाली हो जाएगी ( नानी खड़ी होकर सिट पकड़ कर मेरे पास ही थी )
बस चल रही थी और झटके हचके मिल ही रहे थे
रह रह कर मेरा सर नानी के गुदाज चर्बीदार पेट पर लग रहा था ।
उनके मुलायम कपड़े जब मेरे गाल को छूते तो बहुत ही गुदगुदाहट सी होती बदन में
बस बार बार हचके और ब्रेक खा रही थी और नानी को दिक्कत हो रही थी ,
मैने उनकी एक टांग को अपने दोनों जांघों में फसा लिया ताकि वो गिरे नहीं
: पागल है तू ( वो हस कर बोली ) मै गिरूंगी नहीं बेटा टेंशन न ले
: ऐसे रहो आप ( मै भी मुस्कुरा कर बोला )

उन्हें अपने करीब करके जकड़े रहना अच्छा लग रहा था , उनकी गदराई जांघों का स्पर्श मुझे भीतर से गुदगुदा रहा था । कुछ पल के लिए सही अम्मी का ख्याल जहन से उतर गया था ।
तभी वो बगल वाले अंकल खड़े हो गए नानी और मेरी जद्दोजेहद देखकर

: चाची आप बैठ जाइए , मुझे 10 मिनट बाद उतरना ही है
मै खड़ा हुआ और वो अंकल निकल आए बाहर
नानी मेरे आगे से अंदर गई अह्ह्ह्ह्ह कितनी गुदाज और गुलगुली गाड़ थी उनकी , अपनी जांघों पर थोड़ा सा ही उसका स्पर्श मिला।
नानी अंदर गई
ये दो सीट वाली लेन थी और नानी के बहुत चाहने पर भी इतनी जगह नहीं हो रही थी कि मैं बैठ पाऊं
: बेटा तू मेरी गोदी में आजा ( नानी ने कहा )
: नानी मै कैसे ? ( मै हंसता हुआ बोला )
: अरे आ ना , सफर लंबा है थक जाएगा आजा ( अपनी जांघें दिखाती हुई वो बोली )
ना चाहते हुए भी थोड़ा झिझक से मुझे नानी की जांघ पर बैठना पड़ा
दोनों पाटो के बीच मुझे मेरे गाड़ में ही गुदगुदी हो रही थी, कितनी मुलायम और चब्बी सी नानी । पीठ पर उनके मुलायम चूचों की ताल मिल रही थी और नीचे से मेरे चूतड़ों पर जांघों की उछाल ।
लंड पेंट ने हरकत करने लगा था और धीरे धीरे मन नानी के लिए गंदा होने लगा ।
नानी का एक हाथ मेरे पेट था जो मेरी बाह के नीचे से मुझे हाथ घुसा कर पकड़े हुए थी अपने दाएं चूचे से सटाए हुए
नानी के लिए मै अभी बच्चा ही था मगर मै तो मेरे उमड़ते जज्बात को समझ रहा था और मेरा लंड भी ।
तभी बस रुकी और लोग चढ़ने उतरने लगे
और इसी बीच एक मोटी गदराई महिला अपना ट्राली बैग ठेलती और बच्चों को संभालती हमारी ओर आने लगी
कुर्ती और लेगिंग्स में उसकी गदराई मोटी जांघें बहुत कामुक दिख रही थी मोटे गदराये कूल्हे उसके कुर्ती को पीछे से टांग रखा था , नीचे चूतड़ के मटके बगल से झांक रहे थे और लेगिंग्स चूतड़ पर इतनी कसी थी कि पैंटी की लास्टिक उभर आई थी ।

नजर पड़ते ही मै सिहर उठा , अकसर गदराई हुस्न वाली महिलाओं को देखते ही मन में अम्मी की छवि उभर आती
मेरी नजर नहीं हट रही थी और वो अब हमारे सीट के पास खड़ी थी
उसके जिस्म से आती भीनी खुशबू बहुत ही ज्यादा आकर्षक लग रही थी , गुदाज चर्बीदार मोटी चूचियां सिफान दुपट्टे से ढकी हुई हल्की फुल्की उछलती हुई मुलायम सूती कुर्ती में और भी मुलायम लग रही थी ।

: शानू !! ठीक है न बेटा
: जी नानी ( मै नजर हटा कर बोला )
: नानी और कितना दूर है अभी
: बस अब पहुंचने वाले है बेटा ( नानी ने कहा )
: तो मै खड़ा हो जाउ फिर ( अजीब लग रहा था सामने एक महिला और उसके बच्चे खड़े थे और मै जवान नानी के गोदी में )
उसपे से लंड भी सेट करना था
मै खड़ा होकर उस महिला के बच्चे को बिठा दिया
वो महिला मुस्कुरा कर मुझे देखने लगी , छोटी कद की मोटी गदराई चूतड़ों को नजरंदाज करना मुश्किल मालूम पड़ रहा था ।
लंड तो अब और अकड़ने लगा ।
मै उससे सट कर खड़ा था और मेरा लंड पेंट में तम्बू बनाए हुआ था
हल्का सा ब्रेक और मै उसके जांघों से सट गया ।

आह्ह्ह्ह कितनी मुलायम थी जांघें उसकी इंच भर सुपाड़ा धंस गया था और मैने भी बेशर्मी दिखाने ने कसर नहीं छोड़ी , वैसे ही सट कर खड़ा रहा । उसके करीब होने से लंड में सुरसुरी हो रही थी और जींस ने खूब टाइट हो रहा था ।
कुछ देर बाद ही हम बस से उतर गए
नानी का गांव यहां से कुछ ही दूर था ।
पैदल जा सकते थे ।

मै सालों बाद आया था नानी के गांव में, पहले से बहुत कुछ बदल चुका था । सड़के पक्की हो गई थी और मकान अब ज्यादातर पक्के बनने लगे थे ।
नानी का घर भी पक्का ही था लेकिन एक मंजिला ही

खूब बड़ा सा आंगन जिसमें गेट लगा हुआ था । बरामदे और कमरे और पीछे की तरफ एक दम खुला हातेदार जगह , ऊंची दिवारी की गई थी ।
एक ओर नल था खुले में , जहां कपड़े बाल्टी बरतन दिख रहे थे और दूसरी ओर एक पतरे वाले कोने में चूल्हा बनाया हुआ था ।
हालांकि घर में भी किचन था मगर गांव वाले लोग चार पैसे बचाने में ज्यादा फोकस्ड होते है ।
नानी मुझे अपने कमरे में ले गई ।
बड़ा कमरा , सरियों वाली खिड़की जिसमें दरवाजे के जगह पर्दे लगे थे । डबलचौकी पर मोटे गदे , एक ओर पुरानी गोदरेज की आलमारी और 4 संदूक ।
दिवाल पर लटकी कुछ नई पुरानी तस्वीरें और कुछ पुराने समय के लकड़ी के खूंटे । एक जगह के खूंटे गायब थे , मानो हुलसा कर जबरन वहां से निकाला गया था । उसको देखते ही मेरा गंदा हरामी मन मुस्कुरा उठा , कही नानी ने तो नहीं उखाड़ लिया अपने लिए ।
क्योंकि नाना को गुजरे सालों हो गए थे और नानी अब यहां अकेली ही रहती थी ।
मामू अपने परिवार के साथ जहां ड्यूटी करते थे वही रहते थे , बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर , बस साल में छुट्टियां और त्योहारों पर आते ।
नानी की स्थिति देखकर मुझे भीतर से बड़ी ग्लानि हो रही थी कि क्यों वो यहां अकेले रहती है । इतनी भी क्या बेबसी इतना बड़ा घर और अकेले जीवन ।

: बाकी सब कहा है नानी ( कमरे में
: कहा रहेंगे , अपना अपना जी खा रहे है जिसको जहां सुविधा लग रही है ( नानी पंखा चालू कर बिस्तर पर बैठती हुई बोली )
: तो आप अकेले रहते करते हो क्या सब ?
: हा क्यों तुझे नहीं पता
: नहीं ...( बड़े उदास लहजे में कहा मैने ) आप हमारे साथ आ जाते न रहने के लिए
: बेटी के ससुराल में कितने दिन रहूंगी बेटा , अब जितने भी दिन रह गए हो यही रूखसत होऊंगी ( नानी की बातें तीर की तरह चुभ रही थी जैसे उन्हें कितना दर्द हो इस अकेलेपन का )
: नानी प्लीज ऐसा मत कहो न ( मै उनसे लिप्त गया )
: अरे ... बच्चा मेरा रो क्यों रहा है , इतनी जल्दी भी नहीं जाने वाली जब तक कि तेरी शादी और बच्चे न हो जाए और तेरे बच्चों की शादी न हो जाए हाहाहाहाहा ( नानी खिलखिलाई तो मै भी हस दिया उनके गुदाज मुलायम चूचों में )
: अच्छा वो बस छोड़ ये बता क्या खायेगा
: कुछ भी जो आप बना दो मेरी प्यारी नानी ( मैने उनके गाल चूम कर कहा )
: धत्त बदमाश ( नानी एकदम से लाज से गुलाबी होने लगी और अपने गिले गाल पोछने लगी )
: हम्मम पोछा क्यों , फिर से ले लूंगा ( मैने आंखे महीन करके थोड़ा सा बचपना दिखाया )
: अब मार खायेगा तू बदमाश , सही कह रही थी तेरी अम्मी बहुत बिगड़ गया है तू ( चल अब रसोई में )

मै हसने लगा और नानी मेरे आगे चलने लगी , बड़े बड़े भड़कीले चूतड कपड़ो में गजब का लचक लिए हिल रहे थे । ना चाहते हुए भी ललचा जाए इंसान
हम पीछे की ओर रसोई के पास आ गए
नानी एक छोटे स्टूल पर बैठ गई और मै भी वही बगल में एक चारपाई पर बैठ गया


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छोटे से स्टूल पर नानी के बड़े मोटे मोटे चूतड़ बाहर की ओर लटके हुए थे
एकदम गोल और भड़कीले शेप में , सलवार गाड़ से एकदम चुस्त थी , कच्ची की लास्टिक हल्की सी मालूम हो रही थी ।
नानी सब्जियां काट रही थी और उनके लोहे के हंसूले से सब्जी काटने के तरीके को देखकर अम्मी की याद । ठीक ऐसे ही वो भी सब्जिया काटती थी । वो भी चाकू का प्रयोग नहीं करती थी ।

मै बड़े गौर से देख रहा था ।
: क्या हुआ शानू उम्मम उदास क्यों है ( नानी ने सवाल किया मुझे देखकर )
: नहीं तो ( मै जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर नानी को सब्जी का छौंका लगाते देख कर बोला )
: अम्मी की याद आ रही है न उम्मम ( मानो रग रग से वाकिफ हो अम्मी , जैसे मेरे चेहरे पर ही लिखा हो जो मेरे जहन में चल रहा था । )
: जी .. ( मेरी आंखे डबडबा गई )
: अरे फिकर न कर वो भी तुझसे बहुत दिन दूर नहीं रह पाएगी , देखना दो रोज के भाग आएगी यहां ( नानी हस कर बोली और में भी फफक कर मुस्कुरा दिया )
: अरे पागल रो क्यों रहा है ( नानी स्टूल पर घूम कर मेरे ओर होकर अपने मुलायम सूट का किनारा उठा कर मेरे चेहरे को पोछने लगी )
नानी का पेट एकदम से उघाड हो गया और चर्बीदार गोरी गोरी गहरी नाभि पर सलवार के नाडे की गांठ बांधी थी , जी ललचा सा गया । उसपे से नानी का स्पर्श कितना मुलायम और चब्बी था एकदम सॉफ्ट दिल खुश
हो जाता था।
तभी गेट पर किसी की आवाज आई ।
: कोई बुला रहा है नानी बाहर शायद ( मै उनसे अलग होकर बोला )
: हम्म्म सांझ हो गई है न तो गुलनार आई होगी , जा खोल दे गेट जा ( नानी खुश होकर बोली )
: गुलनार ? कौन ? ( ख्याली शख्स के बारे में सोचते हुए मै बोला )
: अरे बगल वाला ही है घर तो है उसका , जल्दी जा खोल दे ।
मै भाग गया और गेट खोला ।
सामने एक गोरी चित्ती मोटे नारियल जैसे चूचे और पतली कमर , कुर्ती लेगी में बिना दुपट्टे के खड़ी थी । कुर्ती उसकी पूरे गले की थी जिससे चूचियों का उभार पूरा शेप लिए हुए था एकदम टाइट ।


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: दादी है क्या ? ( एकदम से वो चहक कर बोली)
: हा आओ ( मै तो फिदा ही हो गया उसके रूप पर )
वो मेरे आगे से किसी तितली के जैसे गुजरी हसी की मुनमुनाहट लिए ।
कुर्ती में उसके चूतड़ के उभार खूब थिरक रहे थे ।
वो चहक कर अन्दर चली गई मै दरवाजा लगा कर अंदर आया तो वो मेरे बारे में ही खोज खबर ले रही थी और मुझे भी उसके बारे में जिज्ञासा हो रही थी ।
: ये मेरा नवासा है ( नानी हस कर बोली )
: नवासा क्या होता है दादी ( वो अजीब सा मुंह बना कर बोली )
: अरे ये मेरी फरीदा का लड़का है
: अच्छा ( वो मेरी ओर देख कर बोली और ऊपर से नीचे तक मुझे स्कैन किया )
: आज क्या किस्सा लेकर आई है तू हा ( नानी हस कर बोली )
: अरे दादी पूछो ही मत , आज स्कूल में लास्ट परीक्षा थी , हमने खूब मस्ती की और सब एक दूसरे के शर्ट पर न वो साइन कर रहे थे अपना नाम लिख रहे थे , फिर कलर और ठप्पा हीहीही
: पगलैट है पूरी तू , खराब कर लिया होगा ड्रेस पूरा , तेरे अब्बू जानेंगे तो खैर नहीं ( नानी थोड़ी नाराज हुई )
: अरे दादी , वैसे भी ये मेरी 10वी थी और अगले साल से नया स्कूल रहेगा तो नया ड्रेस हीहीहीही
: अच्छा तो ये बता है , बहुत चालाक है तू ( नानी मुस्कुराई )
उन दोनों की बातों में तो मानो जैसे मै वहां था ही नहीं वो बाते कर रही थी और मै उसको हंसता खिलखिलाता देख रहा था ।
रह रह मेरी नजर उसके कड़क टाइट जोबन पर जा रहे थी , इतनी कम उम्र की लड़की और इतने बड़े बड़े रसीले आम उफ्फ लोवर में टेंट बनने लगा ।

कुछ देर बाद वो चली गई और मै दरवाजा लगा कर वापस आया ।
खाना बन गया था ।

: बहुत बोलती है ना ( नानी सवाल कर रही थी )
: हम्म्म थोड़ा सा , लेकिन ठीक है ( मै मुस्कुराया )
: क्यों पसंद आ गई क्या , बोल तो कर दूं निगाह की बातें इसके अब्बू से उम्मम ( नानी ने मुझे छेड़ा )
: क्या ? ( मै शरमाया और हंसा )
: देख रही थी , जबसे आई थी तेरी नजर ही नहीं हट रही थी उससे ( नानी रोटियां कपड़े में लपेटते हुए बोली )
: क्या नानी , वो इतना बोल रही थी कि किसी की भी नजर पड़ जाए ( मैने सफाई दी )
: हा लेकिन किसी की नजर और तेरी नजर में फर्क है , तू बहुत बदमाश है ( नानी ने मुस्कुरा कर कहा और खाना लेकर उठ गई )
: मतलब ( मै कंफ्यूज हुआ )
: अब मार खायेगा , जैसे तुझे पता नहीं मै किस बारे में बात कर रही हूं। फरीदा ने बहुत कुछ बताया मुझे तेरी हरकतों के बारे में ( नानी कमरे की ओर चलते हुए बोली और में उनके पीछे उनके थिरकते चूतड़ निहार रहा था )
अम्मी का नाम आते ही मेरी हलक सूखने लगी , मतलब नानी से मेरी शिकायत हो चुकी है । लेकिन क्या बताया होगा अम्मी , मोबाईल वाली बात , या फिर मालिश वाली बात या फिर अभी पैंटी चुराने वाली बात कौन सी । अजीब सी बेचैनी बढ़ा दी नानी ने मेरी
: जा हाथ धूल ले और खाना खाने आजा ( नानी ने फरमाया )
मै नल से हाथ धूल कर आ गया और खाने बैठ गया ।

: नानी अम्मी ने क्या कहा आपसे ( बड़े संकोच के बाद मै बोल पाया )
: अरे तेरे बारे में जानने के लिए किसी से कुछ सुनने की जरूरत है , तेरी आँखें और (नानी रुक गई) सब बता देती है कितना बिगड़ा है तू ।
: मतलब मैने क्या किया ?
: खाना खा नहीं तो मार खायेगा अब ( नानी ने डांट लगाई)
: मुझे नहीं खाना कुछ पहले बताओ , ना आप बताते हो कुछ और अम्मी वो मुझसे बात किए बिना ही बस चली गई छोड़ कर मुझे । ( मै रुआस होने लगा )
: अरे देखो तो नौटंकी को , बताऊं बस में कहा देख रहा था और उस औरत के पीछे क्यों खड़ा हो गया था । ( नानी का इशारा बस में उस महिला की ओर था जिसके पीछे खड़े होकर मै अपना लंड उसकी जांघों के कोच रहा था )
मै एकदम से चुप हो गया कि यहां भी मै पकड़ा ही गया ।
: और अभी जब गुलनार आई थी तो कैसे उसके सीने को घूर रहा था और तेरा पजामा कसने लगा था ,मार खायेगा अब तू चल खाना खा । ( नानी बोलते बोलते भड़क गई )
मेरे पास कोई जवाब नहीं था और मै चुपचाप बैठ गया और खाने लगा ।
खाने के बाद बिस्तर मै बैठा रहा काफी समय तक एकदम गुपचुप ।
ना मोबाइल था और ना बोलने के लिए कुछ । नानी ने शर्मिंदा कर दिया था पहले ही या फिर यू कहो इनसब के लिए कही न कही मै और मेरे भीतर उमड़ती जवानी का खुमार था ।

नानी बिस्तर झुक कर लगा रही थी और उनकी काटन सलवार से उनकी पैंटी भी झांक रही थी ,


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लंड फिर से मुझे उकसा रहा था मगर मन पर जो नानी ने झाड़ लगाई थी वो अभी भी हावी था ।

: चल आजा सो जा
मै बिना बोले चुपचाप लेट गया ।
कुछ देर में बत्ती बुझ गई और नानी भी आ गई बिस्तर में ।

कुछ देर कि चुप्पी के बाद मै कुछ सोचा और करवट होकर एकदम से नानी से चिपक गया ,मेरे हाथ उनके गुदाज मोटी चूचियो पर थे
: सॉरी नानी , प्लीज माफ कर दो
: हीहीही हट बदमाश , गर्मी हो रही है छोड़ न ( नानी खिलखिलाई और मेरे हाथ हटाने लगी )
: नहीं पहले बताओ आप गुस्सा नहीं हो ( मै अब उनके ऊपर पैर फेक दिया और कसके उसके करीब आ गया )
: या खुदा , मर जाऊंगी रे दब कर उफ्फफ
: नहीं पहले बोलो न
: ना दादा नहीं हु गुस्सा पैर उठा भाई पेट पर से अह्ह्ह्ह्ह या अल्लाह मुआ देगा तू किसी दिन अह्ह्ह्ह्ह ( नानी गहरी सास ले रही थी और उनकी फूलती चूचियां मुझे मेरी बाजू पर महसूस हो रही थी )
: थैंक यू नानी उम्मम्मआह ( मैने उसके कान के पास गाल पर एक लंबी चुम्मी ली )
: अह्ह्ह्ह शानू फिर से गिला गिला कर दिया ( नानी हाथ से पोछने लगी )
: पोछा तो फिर से लूंगा हीहीहीही ( मै खिलखिलाया )
: तू सच में बहुत बिगड़ गया है अब सीधा सीधा सो जा , रात हो गई है ।
: ओके गुड नाइट नानी ( मै चहका)
: पागल ( वो हस्ते हुए बोली )

कुछ देर बाद एकदम शांति हो गई मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी ।
दिमाग में बस यही चल रहा था कि अम्मी अब्बू अब खुल कर मस्ती कर रहे होंगे वहां और चुदाई भी ।
लंड अम्मी की याद आते ही अकड़ने लगा और मैने हौले से उसकी बाहर निकाल कर सहलाने लगा ।

अम्मी की यादें ताजा हो रही थी , मै कल्पनाओं में अम्मी के बारे सोचने लगा , कैसे पुराने दिनों में अम्मी के साथ मस्ती करता था । उनकी चुदाई और मादक भरी सिसकिया मुझे झड़ा देती थी ।
अभी भी लग रहा था कि उनकी सिसकिया मेरे कानो में भुनभुना रही थी और लंड अकड़ने लगा

तभी कमरे की दिवाल से धप्प सा आवाज आया मानो पीछे से कोई कुछ ठोक रहा हो और महीन सी सिसकिया भी उठी
धीरे धीरे वो आवाज साफ होने लगी तो समझ आया कि वो सिसकिया जो मेरे कान में बज रही थी वो असल में कही से आ रही थी , शायद कमरे के दिवाल की दूसरी ओर से ।
लगातार दिवाल से धप्प की आवाज और सिसकी तेज हो रही थी
: नानी आप जाग रहे हो ?
: सो जा बेटा ये रोज का है ( नानी ने उखड़ कर जवाब दिया ) ये दिलावर आज फिर पीकर आया होगा हराम का जना, सो जा बेटा तू कान मूंद ले )
: दिलावर कौन ? ( सहज सा सवाल उठ मेरे जहन में )
: अरे गुलनार का बाप ( नानी को खीझ हुई )
समझ गया कि उनका मूड उखड़ा है और वो इनसब पर बातें नहीं करना चाहती है इसीलिए में चुप रहा ।

कुछ देर बाद वो आवाजे आने बंद हो गई और मै भी सो गया । इस सवाल के साथ इतनी कामुक सिसकी से अगर मेरा लंड बेहाल हो गया था तो क्या जरा सा भी नानी की चूत गीली नहीं हुई होगी ।



जारी रहेगी
आप सभी के प्यार भरे समीक्षाओं का इंतजार रहेगा
पढ़ कर दो शब्द जरूर लिखें
Super Update Bhai ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏 Keep It Up❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ waiting for next update ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏❤️❤️❤️
 
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: कहां था ? कबसे फोन लगा रही थी , उठा क्यों नहीं रहा था ? अब क्या मुझसे भी नाराज है ।
: नहीं ऐसी बात नहीं है , वो मै बाइक चला रहा था ।
: याद नहीं आती क्या तुझे मेरी अब उम्मम
: नानीई ,,,,,, क्यों फोन किया बताओ न ( मै उखड़ कर फोन पर नानी से पूछा )
: कुछ नहीं बस ऐसे ही हाल चाल लेने के लिए और क्या , याद आ रही थी तेरी ( नानी बोली )
: अच्छा इतने साल बाद याद आई मेरी उम्मम , नौकरी लगी थी तब भी एक बार फोन नहीं किया आपने और आज याद आई आपको मेरी ( मै लगभग रुआस होकर बोला )
: तू तो सब जानता है न बेटा , मै क्यों नहीं बात कर सकती थी तुझसे ( नानी अपनी मजबूरी बता रही थी )
: अच्छा तो आज कैसे कर ली फोन , किसने हक दे दिया आपको ... बोलो ( मै भरी आंखों से उनसे सुबक कर सवाल किया )
: उसी ने , जिसने ये हक छीना था मुझसे ( नानी बोल कर चुप हो गई )
: अ..अम्मी ने आपको फोन करने को कहा ( मेरा कलेजा भीतर से छलनी होने लगा )
: हम्ममम... तू जानता है वो तुझे कितना चाहती है फिर भी तू ऐसे चला आया । कितना लड़ी तेरे लिए तेरे अब्बू से फिर भी ....( नानी के सवाल तीर की तरह चुभ रहे थे )
: और अगर अब उसने मुझे अपने कसम से आजाद कर तुझसे बात करने के लिए , तेरा हाल लेने के लिए कहा होगा तो सोच वो कितनी तकलीफ में होगी , फिकर है तुझे कुछ ? क्या हो गया है तुझे ? कहा खोया हुआ है तू ... भूल गया अपनी अम्मी के प्यार को ..?

मेरा कलेजा रो रहा था और आंखे बह रही थी , बाल नोच कर बेहाल हुआ जा रहा था । नानी की बातें नीम सी कड़वी थी मगर पानी सी साफ भी ।
अगर आज इतने सालों बाद अम्मी ने नानी को अपने वचन से आजाद कर दिया तो जरूर बहुत दर्द में ही होगी वो , जरूर उन्हें मेरे किए बर्ताव का गहरा असर हुआ होगा , और मै उन्हें ऐसे ही छोड़ आया सिर्फ अपने अहम में कि अगर उन्हें परवाह होगी तो वो करेंगी मेरी खोज खबर।

रोना ही आ रहा था मुझे और कर भी क्या सकता था हफ़्तों से जो दर्द लेकर मै घर से वापस आया आज एक एक बाते कलेजे में हजारों छेद कर रही थी ।


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नानी


Ge2tp0-IWYAAVoi-R
भरा ग़दराया बदन
बड़े बड़े भड़कीले चूतड, इतने बड़े कि अब तो इन्हें अपने नाप की पैंटी नहीं मिल पाती है आसानी से ।


images-21
मोटे मोटे पपीते जैसे चूचे उम्र के साथ लटक जरूर गए है लेकिन भरपूर मुलायम और गोरे । गहरे गले के सूट में इनकी चूचों की घाटियों को देखते ही बंदा झड़ जाए । 44 DD पूरे गोल और भरे भरे मोटे थन जैसे चूचे, दोनो तरफ की आधी आधी बाजू भी सामने से ढक जाती है ।

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मोटापे ने शरीर के हर हिस्से में चर्बी बढ़ा दी और गुदाज चर्बीदार पेट भी सलवार में लटका रहता है ।
चलने पर आगे और पीछे जो उछाल मिलता है देख कर हलक सूखने लग जाए ।

निकल पड़ा था मै उनके साथ उनके घर के लिए एक बड़ा सा ढोलक बैग लेकर आगे आगे नानी चल रही थी , ढीले बुरखे में भी उनकी मोटी मोटी भड़कीली गाड़ की थिरकन देखकर मुझे अम्मी की याद आ रही थी ।
ना जाने कितनी बार मैने उन्हें पीछे से देखकर अपना लंड सहलाया होगा
मगर नानी के चूतड़ कुछ ज्यादा ही उभरे थे जांघें लगभग अम्मी की डेढ़ गुनी मोटी और बदन भी अम्मी से ज्यादा भारी था ।


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: बेटा जल्दी कर बस निकल जाएगी आजा ( नानी ने मुझे आवाज दी)
और मै उनके साथ तेजी चलता हुआ आगे बढ़ गया

छुट्टियों के दिन चल रहे थे और शादियों का सीजन भी
बड़ी भीड़ थी बस में , किसी तरह नानी ने एक सीट दी और खुद मेरे पास खड़ी हो गई।
: नानी आप बैठो न ( मैने उन्हें बिठाना चाहा )
एक तो उनके चौड़े कूल्हे और दूसरे बगल वाली सीट पर गैर मर्द नानी चाह कर भी बैठ नहीं पाती ये उनके चेहरे के भाव से साफ पता चल रहा था ।
: नहीं बेटा बैठ अभी आगे खाली हो जाएगी ( नानी खड़ी होकर सिट पकड़ कर मेरे पास ही थी )
बस चल रही थी और झटके हचके मिल ही रहे थे
रह रह कर मेरा सर नानी के गुदाज चर्बीदार पेट पर लग रहा था ।
उनके मुलायम कपड़े जब मेरे गाल को छूते तो बहुत ही गुदगुदाहट सी होती बदन में
बस बार बार हचके और ब्रेक खा रही थी और नानी को दिक्कत हो रही थी ,
मैने उनकी एक टांग को अपने दोनों जांघों में फसा लिया ताकि वो गिरे नहीं
: पागल है तू ( वो हस कर बोली ) मै गिरूंगी नहीं बेटा टेंशन न ले
: ऐसे रहो आप ( मै भी मुस्कुरा कर बोला )

उन्हें अपने करीब करके जकड़े रहना अच्छा लग रहा था , उनकी गदराई जांघों का स्पर्श मुझे भीतर से गुदगुदा रहा था । कुछ पल के लिए सही अम्मी का ख्याल जहन से उतर गया था ।
तभी वो बगल वाले अंकल खड़े हो गए नानी और मेरी जद्दोजेहद देखकर

: चाची आप बैठ जाइए , मुझे 10 मिनट बाद उतरना ही है
मै खड़ा हुआ और वो अंकल निकल आए बाहर
नानी मेरे आगे से अंदर गई अह्ह्ह्ह्ह कितनी गुदाज और गुलगुली गाड़ थी उनकी , अपनी जांघों पर थोड़ा सा ही उसका स्पर्श मिला।
नानी अंदर गई
ये दो सीट वाली लेन थी और नानी के बहुत चाहने पर भी इतनी जगह नहीं हो रही थी कि मैं बैठ पाऊं
: बेटा तू मेरी गोदी में आजा ( नानी ने कहा )
: नानी मै कैसे ? ( मै हंसता हुआ बोला )
: अरे आ ना , सफर लंबा है थक जाएगा आजा ( अपनी जांघें दिखाती हुई वो बोली )
ना चाहते हुए भी थोड़ा झिझक से मुझे नानी की जांघ पर बैठना पड़ा
दोनों पाटो के बीच मुझे मेरे गाड़ में ही गुदगुदी हो रही थी, कितनी मुलायम और चब्बी सी नानी । पीठ पर उनके मुलायम चूचों की ताल मिल रही थी और नीचे से मेरे चूतड़ों पर जांघों की उछाल ।
लंड पेंट ने हरकत करने लगा था और धीरे धीरे मन नानी के लिए गंदा होने लगा ।
नानी का एक हाथ मेरे पेट था जो मेरी बाह के नीचे से मुझे हाथ घुसा कर पकड़े हुए थी अपने दाएं चूचे से सटाए हुए
नानी के लिए मै अभी बच्चा ही था मगर मै तो मेरे उमड़ते जज्बात को समझ रहा था और मेरा लंड भी ।
तभी बस रुकी और लोग चढ़ने उतरने लगे
और इसी बीच एक मोटी गदराई महिला अपना ट्राली बैग ठेलती और बच्चों को संभालती हमारी ओर आने लगी
कुर्ती और लेगिंग्स में उसकी गदराई मोटी जांघें बहुत कामुक दिख रही थी मोटे गदराये कूल्हे उसके कुर्ती को पीछे से टांग रखा था , नीचे चूतड़ के मटके बगल से झांक रहे थे और लेगिंग्स चूतड़ पर इतनी कसी थी कि पैंटी की लास्टिक उभर आई थी ।

नजर पड़ते ही मै सिहर उठा , अकसर गदराई हुस्न वाली महिलाओं को देखते ही मन में अम्मी की छवि उभर आती
मेरी नजर नहीं हट रही थी और वो अब हमारे सीट के पास खड़ी थी
उसके जिस्म से आती भीनी खुशबू बहुत ही ज्यादा आकर्षक लग रही थी , गुदाज चर्बीदार मोटी चूचियां सिफान दुपट्टे से ढकी हुई हल्की फुल्की उछलती हुई मुलायम सूती कुर्ती में और भी मुलायम लग रही थी ।

: शानू !! ठीक है न बेटा
: जी नानी ( मै नजर हटा कर बोला )
: नानी और कितना दूर है अभी
: बस अब पहुंचने वाले है बेटा ( नानी ने कहा )
: तो मै खड़ा हो जाउ फिर ( अजीब लग रहा था सामने एक महिला और उसके बच्चे खड़े थे और मै जवान नानी के गोदी में )
उसपे से लंड भी सेट करना था
मै खड़ा होकर उस महिला के बच्चे को बिठा दिया
वो महिला मुस्कुरा कर मुझे देखने लगी , छोटी कद की मोटी गदराई चूतड़ों को नजरंदाज करना मुश्किल मालूम पड़ रहा था ।
लंड तो अब और अकड़ने लगा ।
मै उससे सट कर खड़ा था और मेरा लंड पेंट में तम्बू बनाए हुआ था
हल्का सा ब्रेक और मै उसके जांघों से सट गया ।

आह्ह्ह्ह कितनी मुलायम थी जांघें उसकी इंच भर सुपाड़ा धंस गया था और मैने भी बेशर्मी दिखाने ने कसर नहीं छोड़ी , वैसे ही सट कर खड़ा रहा । उसके करीब होने से लंड में सुरसुरी हो रही थी और जींस ने खूब टाइट हो रहा था ।
कुछ देर बाद ही हम बस से उतर गए
नानी का गांव यहां से कुछ ही दूर था ।
पैदल जा सकते थे ।

मै सालों बाद आया था नानी के गांव में, पहले से बहुत कुछ बदल चुका था । सड़के पक्की हो गई थी और मकान अब ज्यादातर पक्के बनने लगे थे ।
नानी का घर भी पक्का ही था लेकिन एक मंजिला ही

खूब बड़ा सा आंगन जिसमें गेट लगा हुआ था । बरामदे और कमरे और पीछे की तरफ एक दम खुला हातेदार जगह , ऊंची दिवारी की गई थी ।
एक ओर नल था खुले में , जहां कपड़े बाल्टी बरतन दिख रहे थे और दूसरी ओर एक पतरे वाले कोने में चूल्हा बनाया हुआ था ।
हालांकि घर में भी किचन था मगर गांव वाले लोग चार पैसे बचाने में ज्यादा फोकस्ड होते है ।
नानी मुझे अपने कमरे में ले गई ।
बड़ा कमरा , सरियों वाली खिड़की जिसमें दरवाजे के जगह पर्दे लगे थे । डबलचौकी पर मोटे गदे , एक ओर पुरानी गोदरेज की आलमारी और 4 संदूक ।
दिवाल पर लटकी कुछ नई पुरानी तस्वीरें और कुछ पुराने समय के लकड़ी के खूंटे । एक जगह के खूंटे गायब थे , मानो हुलसा कर जबरन वहां से निकाला गया था । उसको देखते ही मेरा गंदा हरामी मन मुस्कुरा उठा , कही नानी ने तो नहीं उखाड़ लिया अपने लिए ।
क्योंकि नाना को गुजरे सालों हो गए थे और नानी अब यहां अकेली ही रहती थी ।
मामू अपने परिवार के साथ जहां ड्यूटी करते थे वही रहते थे , बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर , बस साल में छुट्टियां और त्योहारों पर आते ।
नानी की स्थिति देखकर मुझे भीतर से बड़ी ग्लानि हो रही थी कि क्यों वो यहां अकेले रहती है । इतनी भी क्या बेबसी इतना बड़ा घर और अकेले जीवन ।

: बाकी सब कहा है नानी ( कमरे में
: कहा रहेंगे , अपना अपना जी खा रहे है जिसको जहां सुविधा लग रही है ( नानी पंखा चालू कर बिस्तर पर बैठती हुई बोली )
: तो आप अकेले रहते करते हो क्या सब ?
: हा क्यों तुझे नहीं पता
: नहीं ...( बड़े उदास लहजे में कहा मैने ) आप हमारे साथ आ जाते न रहने के लिए
: बेटी के ससुराल में कितने दिन रहूंगी बेटा , अब जितने भी दिन रह गए हो यही रूखसत होऊंगी ( नानी की बातें तीर की तरह चुभ रही थी जैसे उन्हें कितना दर्द हो इस अकेलेपन का )
: नानी प्लीज ऐसा मत कहो न ( मै उनसे लिप्त गया )
: अरे ... बच्चा मेरा रो क्यों रहा है , इतनी जल्दी भी नहीं जाने वाली जब तक कि तेरी शादी और बच्चे न हो जाए और तेरे बच्चों की शादी न हो जाए हाहाहाहाहा ( नानी खिलखिलाई तो मै भी हस दिया उनके गुदाज मुलायम चूचों में )
: अच्छा वो बस छोड़ ये बता क्या खायेगा
: कुछ भी जो आप बना दो मेरी प्यारी नानी ( मैने उनके गाल चूम कर कहा )
: धत्त बदमाश ( नानी एकदम से लाज से गुलाबी होने लगी और अपने गिले गाल पोछने लगी )
: हम्मम पोछा क्यों , फिर से ले लूंगा ( मैने आंखे महीन करके थोड़ा सा बचपना दिखाया )
: अब मार खायेगा तू बदमाश , सही कह रही थी तेरी अम्मी बहुत बिगड़ गया है तू ( चल अब रसोई में )

मै हसने लगा और नानी मेरे आगे चलने लगी , बड़े बड़े भड़कीले चूतड कपड़ो में गजब का लचक लिए हिल रहे थे । ना चाहते हुए भी ललचा जाए इंसान
हम पीछे की ओर रसोई के पास आ गए
नानी एक छोटे स्टूल पर बैठ गई और मै भी वही बगल में एक चारपाई पर बैठ गया


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छोटे से स्टूल पर नानी के बड़े मोटे मोटे चूतड़ बाहर की ओर लटके हुए थे
एकदम गोल और भड़कीले शेप में , सलवार गाड़ से एकदम चुस्त थी , कच्ची की लास्टिक हल्की सी मालूम हो रही थी ।
नानी सब्जियां काट रही थी और उनके लोहे के हंसूले से सब्जी काटने के तरीके को देखकर अम्मी की याद । ठीक ऐसे ही वो भी सब्जिया काटती थी । वो भी चाकू का प्रयोग नहीं करती थी ।

मै बड़े गौर से देख रहा था ।
: क्या हुआ शानू उम्मम उदास क्यों है ( नानी ने सवाल किया मुझे देखकर )
: नहीं तो ( मै जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर नानी को सब्जी का छौंका लगाते देख कर बोला )
: अम्मी की याद आ रही है न उम्मम ( मानो रग रग से वाकिफ हो अम्मी , जैसे मेरे चेहरे पर ही लिखा हो जो मेरे जहन में चल रहा था । )
: जी .. ( मेरी आंखे डबडबा गई )
: अरे फिकर न कर वो भी तुझसे बहुत दिन दूर नहीं रह पाएगी , देखना दो रोज के भाग आएगी यहां ( नानी हस कर बोली और में भी फफक कर मुस्कुरा दिया )
: अरे पागल रो क्यों रहा है ( नानी स्टूल पर घूम कर मेरे ओर होकर अपने मुलायम सूट का किनारा उठा कर मेरे चेहरे को पोछने लगी )
नानी का पेट एकदम से उघाड हो गया और चर्बीदार गोरी गोरी गहरी नाभि पर सलवार के नाडे की गांठ बांधी थी , जी ललचा सा गया । उसपे से नानी का स्पर्श कितना मुलायम और चब्बी था एकदम सॉफ्ट दिल खुश
हो जाता था।
तभी गेट पर किसी की आवाज आई ।
: कोई बुला रहा है नानी बाहर शायद ( मै उनसे अलग होकर बोला )
: हम्म्म सांझ हो गई है न तो गुलनार आई होगी , जा खोल दे गेट जा ( नानी खुश होकर बोली )
: गुलनार ? कौन ? ( ख्याली शख्स के बारे में सोचते हुए मै बोला )
: अरे बगल वाला ही है घर तो है उसका , जल्दी जा खोल दे ।
मै भाग गया और गेट खोला ।
सामने एक गोरी चित्ती मोटे नारियल जैसे चूचे और पतली कमर , कुर्ती लेगी में बिना दुपट्टे के खड़ी थी । कुर्ती उसकी पूरे गले की थी जिससे चूचियों का उभार पूरा शेप लिए हुए था एकदम टाइट ।


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: दादी है क्या ? ( एकदम से वो चहक कर बोली)
: हा आओ ( मै तो फिदा ही हो गया उसके रूप पर )
वो मेरे आगे से किसी तितली के जैसे गुजरी हसी की मुनमुनाहट लिए ।
कुर्ती में उसके चूतड़ के उभार खूब थिरक रहे थे ।
वो चहक कर अन्दर चली गई मै दरवाजा लगा कर अंदर आया तो वो मेरे बारे में ही खोज खबर ले रही थी और मुझे भी उसके बारे में जिज्ञासा हो रही थी ।
: ये मेरा नवासा है ( नानी हस कर बोली )
: नवासा क्या होता है दादी ( वो अजीब सा मुंह बना कर बोली )
: अरे ये मेरी फरीदा का लड़का है
: अच्छा ( वो मेरी ओर देख कर बोली और ऊपर से नीचे तक मुझे स्कैन किया )
: आज क्या किस्सा लेकर आई है तू हा ( नानी हस कर बोली )
: अरे दादी पूछो ही मत , आज स्कूल में लास्ट परीक्षा थी , हमने खूब मस्ती की और सब एक दूसरे के शर्ट पर न वो साइन कर रहे थे अपना नाम लिख रहे थे , फिर कलर और ठप्पा हीहीही
: पगलैट है पूरी तू , खराब कर लिया होगा ड्रेस पूरा , तेरे अब्बू जानेंगे तो खैर नहीं ( नानी थोड़ी नाराज हुई )
: अरे दादी , वैसे भी ये मेरी 10वी थी और अगले साल से नया स्कूल रहेगा तो नया ड्रेस हीहीहीही
: अच्छा तो ये बता है , बहुत चालाक है तू ( नानी मुस्कुराई )
उन दोनों की बातों में तो मानो जैसे मै वहां था ही नहीं वो बाते कर रही थी और मै उसको हंसता खिलखिलाता देख रहा था ।
रह रह मेरी नजर उसके कड़क टाइट जोबन पर जा रहे थी , इतनी कम उम्र की लड़की और इतने बड़े बड़े रसीले आम उफ्फ लोवर में टेंट बनने लगा ।

कुछ देर बाद वो चली गई और मै दरवाजा लगा कर वापस आया ।
खाना बन गया था ।

: बहुत बोलती है ना ( नानी सवाल कर रही थी )
: हम्म्म थोड़ा सा , लेकिन ठीक है ( मै मुस्कुराया )
: क्यों पसंद आ गई क्या , बोल तो कर दूं निगाह की बातें इसके अब्बू से उम्मम ( नानी ने मुझे छेड़ा )
: क्या ? ( मै शरमाया और हंसा )
: देख रही थी , जबसे आई थी तेरी नजर ही नहीं हट रही थी उससे ( नानी रोटियां कपड़े में लपेटते हुए बोली )
: क्या नानी , वो इतना बोल रही थी कि किसी की भी नजर पड़ जाए ( मैने सफाई दी )
: हा लेकिन किसी की नजर और तेरी नजर में फर्क है , तू बहुत बदमाश है ( नानी ने मुस्कुरा कर कहा और खाना लेकर उठ गई )
: मतलब ( मै कंफ्यूज हुआ )
: अब मार खायेगा , जैसे तुझे पता नहीं मै किस बारे में बात कर रही हूं। फरीदा ने बहुत कुछ बताया मुझे तेरी हरकतों के बारे में ( नानी कमरे की ओर चलते हुए बोली और में उनके पीछे उनके थिरकते चूतड़ निहार रहा था )
अम्मी का नाम आते ही मेरी हलक सूखने लगी , मतलब नानी से मेरी शिकायत हो चुकी है । लेकिन क्या बताया होगा अम्मी , मोबाईल वाली बात , या फिर मालिश वाली बात या फिर अभी पैंटी चुराने वाली बात कौन सी । अजीब सी बेचैनी बढ़ा दी नानी ने मेरी
: जा हाथ धूल ले और खाना खाने आजा ( नानी ने फरमाया )
मै नल से हाथ धूल कर आ गया और खाने बैठ गया ।

: नानी अम्मी ने क्या कहा आपसे ( बड़े संकोच के बाद मै बोल पाया )
: अरे तेरे बारे में जानने के लिए किसी से कुछ सुनने की जरूरत है , तेरी आँखें और (नानी रुक गई) सब बता देती है कितना बिगड़ा है तू ।
: मतलब मैने क्या किया ?
: खाना खा नहीं तो मार खायेगा अब ( नानी ने डांट लगाई)
: मुझे नहीं खाना कुछ पहले बताओ , ना आप बताते हो कुछ और अम्मी वो मुझसे बात किए बिना ही बस चली गई छोड़ कर मुझे । ( मै रुआस होने लगा )
: अरे देखो तो नौटंकी को , बताऊं बस में कहा देख रहा था और उस औरत के पीछे क्यों खड़ा हो गया था । ( नानी का इशारा बस में उस महिला की ओर था जिसके पीछे खड़े होकर मै अपना लंड उसकी जांघों के कोच रहा था )
मै एकदम से चुप हो गया कि यहां भी मै पकड़ा ही गया ।
: और अभी जब गुलनार आई थी तो कैसे उसके सीने को घूर रहा था और तेरा पजामा कसने लगा था ,मार खायेगा अब तू चल खाना खा । ( नानी बोलते बोलते भड़क गई )
मेरे पास कोई जवाब नहीं था और मै चुपचाप बैठ गया और खाने लगा ।
खाने के बाद बिस्तर मै बैठा रहा काफी समय तक एकदम गुपचुप ।
ना मोबाइल था और ना बोलने के लिए कुछ । नानी ने शर्मिंदा कर दिया था पहले ही या फिर यू कहो इनसब के लिए कही न कही मै और मेरे भीतर उमड़ती जवानी का खुमार था ।

नानी बिस्तर झुक कर लगा रही थी और उनकी काटन सलवार से उनकी पैंटी भी झांक रही थी ,


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लंड फिर से मुझे उकसा रहा था मगर मन पर जो नानी ने झाड़ लगाई थी वो अभी भी हावी था ।

: चल आजा सो जा
मै बिना बोले चुपचाप लेट गया ।
कुछ देर में बत्ती बुझ गई और नानी भी आ गई बिस्तर में ।

कुछ देर कि चुप्पी के बाद मै कुछ सोचा और करवट होकर एकदम से नानी से चिपक गया ,मेरे हाथ उनके गुदाज मोटी चूचियो पर थे
: सॉरी नानी , प्लीज माफ कर दो
: हीहीही हट बदमाश , गर्मी हो रही है छोड़ न ( नानी खिलखिलाई और मेरे हाथ हटाने लगी )
: नहीं पहले बताओ आप गुस्सा नहीं हो ( मै अब उनके ऊपर पैर फेक दिया और कसके उसके करीब आ गया )
: या खुदा , मर जाऊंगी रे दब कर उफ्फफ
: नहीं पहले बोलो न
: ना दादा नहीं हु गुस्सा पैर उठा भाई पेट पर से अह्ह्ह्ह्ह या अल्लाह मुआ देगा तू किसी दिन अह्ह्ह्ह्ह ( नानी गहरी सास ले रही थी और उनकी फूलती चूचियां मुझे मेरी बाजू पर महसूस हो रही थी )
: थैंक यू नानी उम्मम्मआह ( मैने उसके कान के पास गाल पर एक लंबी चुम्मी ली )
: अह्ह्ह्ह शानू फिर से गिला गिला कर दिया ( नानी हाथ से पोछने लगी )
: पोछा तो फिर से लूंगा हीहीहीही ( मै खिलखिलाया )
: तू सच में बहुत बिगड़ गया है अब सीधा सीधा सो जा , रात हो गई है ।
: ओके गुड नाइट नानी ( मै चहका)
: पागल ( वो हस्ते हुए बोली )

कुछ देर बाद एकदम शांति हो गई मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी ।
दिमाग में बस यही चल रहा था कि अम्मी अब्बू अब खुल कर मस्ती कर रहे होंगे वहां और चुदाई भी ।
लंड अम्मी की याद आते ही अकड़ने लगा और मैने हौले से उसकी बाहर निकाल कर सहलाने लगा ।

अम्मी की यादें ताजा हो रही थी , मै कल्पनाओं में अम्मी के बारे सोचने लगा , कैसे पुराने दिनों में अम्मी के साथ मस्ती करता था । उनकी चुदाई और मादक भरी सिसकिया मुझे झड़ा देती थी ।
अभी भी लग रहा था कि उनकी सिसकिया मेरे कानो में भुनभुना रही थी और लंड अकड़ने लगा

तभी कमरे की दिवाल से धप्प सा आवाज आया मानो पीछे से कोई कुछ ठोक रहा हो और महीन सी सिसकिया भी उठी
धीरे धीरे वो आवाज साफ होने लगी तो समझ आया कि वो सिसकिया जो मेरे कान में बज रही थी वो असल में कही से आ रही थी , शायद कमरे के दिवाल की दूसरी ओर से ।
लगातार दिवाल से धप्प की आवाज और सिसकी तेज हो रही थी
: नानी आप जाग रहे हो ?
: सो जा बेटा ये रोज का है ( नानी ने उखड़ कर जवाब दिया ) ये दिलावर आज फिर पीकर आया होगा हराम का जना, सो जा बेटा तू कान मूंद ले )
: दिलावर कौन ? ( सहज सा सवाल उठ मेरे जहन में )
: अरे गुलनार का बाप ( नानी को खीझ हुई )
समझ गया कि उनका मूड उखड़ा है और वो इनसब पर बातें नहीं करना चाहती है इसीलिए में चुप रहा ।

कुछ देर बाद वो आवाजे आने बंद हो गई और मै भी सो गया । इस सवाल के साथ इतनी कामुक सिसकी से अगर मेरा लंड बेहाल हो गया था तो क्या जरा सा भी नानी की चूत गीली नहीं हुई होगी ।



जारी रहेगी
आप सभी के प्यार भरे समीक्षाओं का इंतजार रहेगा
पढ़ कर दो शब्द जरूर लिखें
Absolutely exciting and erotic story! Really fantastic and enticing writings! Please keep writing.
 
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Brustlove

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बहुत ख़ूब शानदार अपडेट था भाई हमने पहले ही कहा था की अम्मी दूर हुई तो क्या हुआ नानी का साथ तो मिल रहा है लगता हैं कि शानू अपनी नानी के मज़े जल्दी ही उठाए गा देखते है क्या होता है अगले अध्याय में प्रतीक्षा रहेगी आपकी ......#
 
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Pankaj khatri

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UPDATE 020

अतीत के पन्ने : 01


: कहां था ? कबसे फोन लगा रही थी , उठा क्यों नहीं रहा था ? अब क्या मुझसे भी नाराज है ।
: नहीं ऐसी बात नहीं है , वो मै बाइक चला रहा था ।
: याद नहीं आती क्या तुझे मेरी अब उम्मम
: नानीई ,,,,,, क्यों फोन किया बताओ न ( मै उखड़ कर फोन पर नानी से पूछा )
: कुछ नहीं बस ऐसे ही हाल चाल लेने के लिए और क्या , याद आ रही थी तेरी ( नानी बोली )
: अच्छा इतने साल बाद याद आई मेरी उम्मम , नौकरी लगी थी तब भी एक बार फोन नहीं किया आपने और आज याद आई आपको मेरी ( मै लगभग रुआस होकर बोला )
: तू तो सब जानता है न बेटा , मै क्यों नहीं बात कर सकती थी तुझसे ( नानी अपनी मजबूरी बता रही थी )
: अच्छा तो आज कैसे कर ली फोन , किसने हक दे दिया आपको ... बोलो ( मै भरी आंखों से उनसे सुबक कर सवाल किया )
: उसी ने , जिसने ये हक छीना था मुझसे ( नानी बोल कर चुप हो गई )
: अ..अम्मी ने आपको फोन करने को कहा ( मेरा कलेजा भीतर से छलनी होने लगा )
: हम्ममम... तू जानता है वो तुझे कितना चाहती है फिर भी तू ऐसे चला आया । कितना लड़ी तेरे लिए तेरे अब्बू से फिर भी ....( नानी के सवाल तीर की तरह चुभ रहे थे )
: और अगर अब उसने मुझे अपने कसम से आजाद कर तुझसे बात करने के लिए , तेरा हाल लेने के लिए कहा होगा तो सोच वो कितनी तकलीफ में होगी , फिकर है तुझे कुछ ? क्या हो गया है तुझे ? कहा खोया हुआ है तू ... भूल गया अपनी अम्मी के प्यार को ..?

मेरा कलेजा रो रहा था और आंखे बह रही थी , बाल नोच कर बेहाल हुआ जा रहा था । नानी की बातें नीम सी कड़वी थी मगर पानी सी साफ भी ।
अगर आज इतने सालों बाद अम्मी ने नानी को अपने वचन से आजाद कर दिया तो जरूर बहुत दर्द में ही होगी वो , जरूर उन्हें मेरे किए बर्ताव का गहरा असर हुआ होगा , और मै उन्हें ऐसे ही छोड़ आया सिर्फ अपने अहम में कि अगर उन्हें परवाह होगी तो वो करेंगी मेरी खोज खबर।

रोना ही आ रहा था मुझे और कर भी क्या सकता था हफ़्तों से जो दर्द लेकर मै घर से वापस आया आज एक एक बाते कलेजे में हजारों छेद कर रही थी ।


*******************************


नानी


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भरा ग़दराया बदन
बड़े बड़े भड़कीले चूतड, इतने बड़े कि अब तो इन्हें अपने नाप की पैंटी नहीं मिल पाती है आसानी से ।


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मोटे मोटे पपीते जैसे चूचे उम्र के साथ लटक जरूर गए है लेकिन भरपूर मुलायम और गोरे । गहरे गले के सूट में इनकी चूचों की घाटियों को देखते ही बंदा झड़ जाए । 44 DD पूरे गोल और भरे भरे मोटे थन जैसे चूचे, दोनो तरफ की आधी आधी बाजू भी सामने से ढक जाती है ।

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मोटापे ने शरीर के हर हिस्से में चर्बी बढ़ा दी और गुदाज चर्बीदार पेट भी सलवार में लटका रहता है ।
चलने पर आगे और पीछे जो उछाल मिलता है देख कर हलक सूखने लग जाए ।

निकल पड़ा था मै उनके साथ उनके घर के लिए एक बड़ा सा ढोलक बैग लेकर आगे आगे नानी चल रही थी , ढीले बुरखे में भी उनकी मोटी मोटी भड़कीली गाड़ की थिरकन देखकर मुझे अम्मी की याद आ रही थी ।
ना जाने कितनी बार मैने उन्हें पीछे से देखकर अपना लंड सहलाया होगा
मगर नानी के चूतड़ कुछ ज्यादा ही उभरे थे जांघें लगभग अम्मी की डेढ़ गुनी मोटी और बदन भी अम्मी से ज्यादा भारी था ।


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: बेटा जल्दी कर बस निकल जाएगी आजा ( नानी ने मुझे आवाज दी)
और मै उनके साथ तेजी चलता हुआ आगे बढ़ गया

छुट्टियों के दिन चल रहे थे और शादियों का सीजन भी
बड़ी भीड़ थी बस में , किसी तरह नानी ने एक सीट दी और खुद मेरे पास खड़ी हो गई।
: नानी आप बैठो न ( मैने उन्हें बिठाना चाहा )
एक तो उनके चौड़े कूल्हे और दूसरे बगल वाली सीट पर गैर मर्द नानी चाह कर भी बैठ नहीं पाती ये उनके चेहरे के भाव से साफ पता चल रहा था ।
: नहीं बेटा बैठ अभी आगे खाली हो जाएगी ( नानी खड़ी होकर सिट पकड़ कर मेरे पास ही थी )
बस चल रही थी और झटके हचके मिल ही रहे थे
रह रह कर मेरा सर नानी के गुदाज चर्बीदार पेट पर लग रहा था ।
उनके मुलायम कपड़े जब मेरे गाल को छूते तो बहुत ही गुदगुदाहट सी होती बदन में
बस बार बार हचके और ब्रेक खा रही थी और नानी को दिक्कत हो रही थी ,
मैने उनकी एक टांग को अपने दोनों जांघों में फसा लिया ताकि वो गिरे नहीं
: पागल है तू ( वो हस कर बोली ) मै गिरूंगी नहीं बेटा टेंशन न ले
: ऐसे रहो आप ( मै भी मुस्कुरा कर बोला )

उन्हें अपने करीब करके जकड़े रहना अच्छा लग रहा था , उनकी गदराई जांघों का स्पर्श मुझे भीतर से गुदगुदा रहा था । कुछ पल के लिए सही अम्मी का ख्याल जहन से उतर गया था ।
तभी वो बगल वाले अंकल खड़े हो गए नानी और मेरी जद्दोजेहद देखकर

: चाची आप बैठ जाइए , मुझे 10 मिनट बाद उतरना ही है
मै खड़ा हुआ और वो अंकल निकल आए बाहर
नानी मेरे आगे से अंदर गई अह्ह्ह्ह्ह कितनी गुदाज और गुलगुली गाड़ थी उनकी , अपनी जांघों पर थोड़ा सा ही उसका स्पर्श मिला।
नानी अंदर गई
ये दो सीट वाली लेन थी और नानी के बहुत चाहने पर भी इतनी जगह नहीं हो रही थी कि मैं बैठ पाऊं
: बेटा तू मेरी गोदी में आजा ( नानी ने कहा )
: नानी मै कैसे ? ( मै हंसता हुआ बोला )
: अरे आ ना , सफर लंबा है थक जाएगा आजा ( अपनी जांघें दिखाती हुई वो बोली )
ना चाहते हुए भी थोड़ा झिझक से मुझे नानी की जांघ पर बैठना पड़ा
दोनों पाटो के बीच मुझे मेरे गाड़ में ही गुदगुदी हो रही थी, कितनी मुलायम और चब्बी सी नानी । पीठ पर उनके मुलायम चूचों की ताल मिल रही थी और नीचे से मेरे चूतड़ों पर जांघों की उछाल ।
लंड पेंट ने हरकत करने लगा था और धीरे धीरे मन नानी के लिए गंदा होने लगा ।
नानी का एक हाथ मेरे पेट था जो मेरी बाह के नीचे से मुझे हाथ घुसा कर पकड़े हुए थी अपने दाएं चूचे से सटाए हुए
नानी के लिए मै अभी बच्चा ही था मगर मै तो मेरे उमड़ते जज्बात को समझ रहा था और मेरा लंड भी ।
तभी बस रुकी और लोग चढ़ने उतरने लगे
और इसी बीच एक मोटी गदराई महिला अपना ट्राली बैग ठेलती और बच्चों को संभालती हमारी ओर आने लगी
कुर्ती और लेगिंग्स में उसकी गदराई मोटी जांघें बहुत कामुक दिख रही थी मोटे गदराये कूल्हे उसके कुर्ती को पीछे से टांग रखा था , नीचे चूतड़ के मटके बगल से झांक रहे थे और लेगिंग्स चूतड़ पर इतनी कसी थी कि पैंटी की लास्टिक उभर आई थी ।

नजर पड़ते ही मै सिहर उठा , अकसर गदराई हुस्न वाली महिलाओं को देखते ही मन में अम्मी की छवि उभर आती
मेरी नजर नहीं हट रही थी और वो अब हमारे सीट के पास खड़ी थी
उसके जिस्म से आती भीनी खुशबू बहुत ही ज्यादा आकर्षक लग रही थी , गुदाज चर्बीदार मोटी चूचियां सिफान दुपट्टे से ढकी हुई हल्की फुल्की उछलती हुई मुलायम सूती कुर्ती में और भी मुलायम लग रही थी ।

: शानू !! ठीक है न बेटा
: जी नानी ( मै नजर हटा कर बोला )
: नानी और कितना दूर है अभी
: बस अब पहुंचने वाले है बेटा ( नानी ने कहा )
: तो मै खड़ा हो जाउ फिर ( अजीब लग रहा था सामने एक महिला और उसके बच्चे खड़े थे और मै जवान नानी के गोदी में )
उसपे से लंड भी सेट करना था
मै खड़ा होकर उस महिला के बच्चे को बिठा दिया
वो महिला मुस्कुरा कर मुझे देखने लगी , छोटी कद की मोटी गदराई चूतड़ों को नजरंदाज करना मुश्किल मालूम पड़ रहा था ।
लंड तो अब और अकड़ने लगा ।
मै उससे सट कर खड़ा था और मेरा लंड पेंट में तम्बू बनाए हुआ था
हल्का सा ब्रेक और मै उसके जांघों से सट गया ।

आह्ह्ह्ह कितनी मुलायम थी जांघें उसकी इंच भर सुपाड़ा धंस गया था और मैने भी बेशर्मी दिखाने ने कसर नहीं छोड़ी , वैसे ही सट कर खड़ा रहा । उसके करीब होने से लंड में सुरसुरी हो रही थी और जींस ने खूब टाइट हो रहा था ।
कुछ देर बाद ही हम बस से उतर गए
नानी का गांव यहां से कुछ ही दूर था ।
पैदल जा सकते थे ।

मै सालों बाद आया था नानी के गांव में, पहले से बहुत कुछ बदल चुका था । सड़के पक्की हो गई थी और मकान अब ज्यादातर पक्के बनने लगे थे ।
नानी का घर भी पक्का ही था लेकिन एक मंजिला ही

खूब बड़ा सा आंगन जिसमें गेट लगा हुआ था । बरामदे और कमरे और पीछे की तरफ एक दम खुला हातेदार जगह , ऊंची दिवारी की गई थी ।
एक ओर नल था खुले में , जहां कपड़े बाल्टी बरतन दिख रहे थे और दूसरी ओर एक पतरे वाले कोने में चूल्हा बनाया हुआ था ।
हालांकि घर में भी किचन था मगर गांव वाले लोग चार पैसे बचाने में ज्यादा फोकस्ड होते है ।
नानी मुझे अपने कमरे में ले गई ।
बड़ा कमरा , सरियों वाली खिड़की जिसमें दरवाजे के जगह पर्दे लगे थे । डबलचौकी पर मोटे गदे , एक ओर पुरानी गोदरेज की आलमारी और 4 संदूक ।
दिवाल पर लटकी कुछ नई पुरानी तस्वीरें और कुछ पुराने समय के लकड़ी के खूंटे । एक जगह के खूंटे गायब थे , मानो हुलसा कर जबरन वहां से निकाला गया था । उसको देखते ही मेरा गंदा हरामी मन मुस्कुरा उठा , कही नानी ने तो नहीं उखाड़ लिया अपने लिए ।
क्योंकि नाना को गुजरे सालों हो गए थे और नानी अब यहां अकेली ही रहती थी ।
मामू अपने परिवार के साथ जहां ड्यूटी करते थे वही रहते थे , बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर , बस साल में छुट्टियां और त्योहारों पर आते ।
नानी की स्थिति देखकर मुझे भीतर से बड़ी ग्लानि हो रही थी कि क्यों वो यहां अकेले रहती है । इतनी भी क्या बेबसी इतना बड़ा घर और अकेले जीवन ।

: बाकी सब कहा है नानी ( कमरे में
: कहा रहेंगे , अपना अपना जी खा रहे है जिसको जहां सुविधा लग रही है ( नानी पंखा चालू कर बिस्तर पर बैठती हुई बोली )
: तो आप अकेले रहते करते हो क्या सब ?
: हा क्यों तुझे नहीं पता
: नहीं ...( बड़े उदास लहजे में कहा मैने ) आप हमारे साथ आ जाते न रहने के लिए
: बेटी के ससुराल में कितने दिन रहूंगी बेटा , अब जितने भी दिन रह गए हो यही रूखसत होऊंगी ( नानी की बातें तीर की तरह चुभ रही थी जैसे उन्हें कितना दर्द हो इस अकेलेपन का )
: नानी प्लीज ऐसा मत कहो न ( मै उनसे लिप्त गया )
: अरे ... बच्चा मेरा रो क्यों रहा है , इतनी जल्दी भी नहीं जाने वाली जब तक कि तेरी शादी और बच्चे न हो जाए और तेरे बच्चों की शादी न हो जाए हाहाहाहाहा ( नानी खिलखिलाई तो मै भी हस दिया उनके गुदाज मुलायम चूचों में )
: अच्छा वो बस छोड़ ये बता क्या खायेगा
: कुछ भी जो आप बना दो मेरी प्यारी नानी ( मैने उनके गाल चूम कर कहा )
: धत्त बदमाश ( नानी एकदम से लाज से गुलाबी होने लगी और अपने गिले गाल पोछने लगी )
: हम्मम पोछा क्यों , फिर से ले लूंगा ( मैने आंखे महीन करके थोड़ा सा बचपना दिखाया )
: अब मार खायेगा तू बदमाश , सही कह रही थी तेरी अम्मी बहुत बिगड़ गया है तू ( चल अब रसोई में )

मै हसने लगा और नानी मेरे आगे चलने लगी , बड़े बड़े भड़कीले चूतड कपड़ो में गजब का लचक लिए हिल रहे थे । ना चाहते हुए भी ललचा जाए इंसान
हम पीछे की ओर रसोई के पास आ गए
नानी एक छोटे स्टूल पर बैठ गई और मै भी वही बगल में एक चारपाई पर बैठ गया


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छोटे से स्टूल पर नानी के बड़े मोटे मोटे चूतड़ बाहर की ओर लटके हुए थे
एकदम गोल और भड़कीले शेप में , सलवार गाड़ से एकदम चुस्त थी , कच्ची की लास्टिक हल्की सी मालूम हो रही थी ।
नानी सब्जियां काट रही थी और उनके लोहे के हंसूले से सब्जी काटने के तरीके को देखकर अम्मी की याद । ठीक ऐसे ही वो भी सब्जिया काटती थी । वो भी चाकू का प्रयोग नहीं करती थी ।

मै बड़े गौर से देख रहा था ।
: क्या हुआ शानू उम्मम उदास क्यों है ( नानी ने सवाल किया मुझे देखकर )
: नहीं तो ( मै जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर नानी को सब्जी का छौंका लगाते देख कर बोला )
: अम्मी की याद आ रही है न उम्मम ( मानो रग रग से वाकिफ हो अम्मी , जैसे मेरे चेहरे पर ही लिखा हो जो मेरे जहन में चल रहा था । )
: जी .. ( मेरी आंखे डबडबा गई )
: अरे फिकर न कर वो भी तुझसे बहुत दिन दूर नहीं रह पाएगी , देखना दो रोज के भाग आएगी यहां ( नानी हस कर बोली और में भी फफक कर मुस्कुरा दिया )
: अरे पागल रो क्यों रहा है ( नानी स्टूल पर घूम कर मेरे ओर होकर अपने मुलायम सूट का किनारा उठा कर मेरे चेहरे को पोछने लगी )
नानी का पेट एकदम से उघाड हो गया और चर्बीदार गोरी गोरी गहरी नाभि पर सलवार के नाडे की गांठ बांधी थी , जी ललचा सा गया । उसपे से नानी का स्पर्श कितना मुलायम और चब्बी था एकदम सॉफ्ट दिल खुश
हो जाता था।
तभी गेट पर किसी की आवाज आई ।
: कोई बुला रहा है नानी बाहर शायद ( मै उनसे अलग होकर बोला )
: हम्म्म सांझ हो गई है न तो गुलनार आई होगी , जा खोल दे गेट जा ( नानी खुश होकर बोली )
: गुलनार ? कौन ? ( ख्याली शख्स के बारे में सोचते हुए मै बोला )
: अरे बगल वाला ही है घर तो है उसका , जल्दी जा खोल दे ।
मै भाग गया और गेट खोला ।
सामने एक गोरी चित्ती मोटे नारियल जैसे चूचे और पतली कमर , कुर्ती लेगी में बिना दुपट्टे के खड़ी थी । कुर्ती उसकी पूरे गले की थी जिससे चूचियों का उभार पूरा शेप लिए हुए था एकदम टाइट ।


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: दादी है क्या ? ( एकदम से वो चहक कर बोली)
: हा आओ ( मै तो फिदा ही हो गया उसके रूप पर )
वो मेरे आगे से किसी तितली के जैसे गुजरी हसी की मुनमुनाहट लिए ।
कुर्ती में उसके चूतड़ के उभार खूब थिरक रहे थे ।
वो चहक कर अन्दर चली गई मै दरवाजा लगा कर अंदर आया तो वो मेरे बारे में ही खोज खबर ले रही थी और मुझे भी उसके बारे में जिज्ञासा हो रही थी ।
: ये मेरा नवासा है ( नानी हस कर बोली )
: नवासा क्या होता है दादी ( वो अजीब सा मुंह बना कर बोली )
: अरे ये मेरी फरीदा का लड़का है
: अच्छा ( वो मेरी ओर देख कर बोली और ऊपर से नीचे तक मुझे स्कैन किया )
: आज क्या किस्सा लेकर आई है तू हा ( नानी हस कर बोली )
: अरे दादी पूछो ही मत , आज स्कूल में लास्ट परीक्षा थी , हमने खूब मस्ती की और सब एक दूसरे के शर्ट पर न वो साइन कर रहे थे अपना नाम लिख रहे थे , फिर कलर और ठप्पा हीहीही
: पगलैट है पूरी तू , खराब कर लिया होगा ड्रेस पूरा , तेरे अब्बू जानेंगे तो खैर नहीं ( नानी थोड़ी नाराज हुई )
: अरे दादी , वैसे भी ये मेरी 10वी थी और अगले साल से नया स्कूल रहेगा तो नया ड्रेस हीहीहीही
: अच्छा तो ये बता है , बहुत चालाक है तू ( नानी मुस्कुराई )
उन दोनों की बातों में तो मानो जैसे मै वहां था ही नहीं वो बाते कर रही थी और मै उसको हंसता खिलखिलाता देख रहा था ।
रह रह मेरी नजर उसके कड़क टाइट जोबन पर जा रहे थी , इतनी कम उम्र की लड़की और इतने बड़े बड़े रसीले आम उफ्फ लोवर में टेंट बनने लगा ।

कुछ देर बाद वो चली गई और मै दरवाजा लगा कर वापस आया ।
खाना बन गया था ।

: बहुत बोलती है ना ( नानी सवाल कर रही थी )
: हम्म्म थोड़ा सा , लेकिन ठीक है ( मै मुस्कुराया )
: क्यों पसंद आ गई क्या , बोल तो कर दूं निगाह की बातें इसके अब्बू से उम्मम ( नानी ने मुझे छेड़ा )
: क्या ? ( मै शरमाया और हंसा )
: देख रही थी , जबसे आई थी तेरी नजर ही नहीं हट रही थी उससे ( नानी रोटियां कपड़े में लपेटते हुए बोली )
: क्या नानी , वो इतना बोल रही थी कि किसी की भी नजर पड़ जाए ( मैने सफाई दी )
: हा लेकिन किसी की नजर और तेरी नजर में फर्क है , तू बहुत बदमाश है ( नानी ने मुस्कुरा कर कहा और खाना लेकर उठ गई )
: मतलब ( मै कंफ्यूज हुआ )
: अब मार खायेगा , जैसे तुझे पता नहीं मै किस बारे में बात कर रही हूं। फरीदा ने बहुत कुछ बताया मुझे तेरी हरकतों के बारे में ( नानी कमरे की ओर चलते हुए बोली और में उनके पीछे उनके थिरकते चूतड़ निहार रहा था )
अम्मी का नाम आते ही मेरी हलक सूखने लगी , मतलब नानी से मेरी शिकायत हो चुकी है । लेकिन क्या बताया होगा अम्मी , मोबाईल वाली बात , या फिर मालिश वाली बात या फिर अभी पैंटी चुराने वाली बात कौन सी । अजीब सी बेचैनी बढ़ा दी नानी ने मेरी
: जा हाथ धूल ले और खाना खाने आजा ( नानी ने फरमाया )
मै नल से हाथ धूल कर आ गया और खाने बैठ गया ।

: नानी अम्मी ने क्या कहा आपसे ( बड़े संकोच के बाद मै बोल पाया )
: अरे तेरे बारे में जानने के लिए किसी से कुछ सुनने की जरूरत है , तेरी आँखें और (नानी रुक गई) सब बता देती है कितना बिगड़ा है तू ।
: मतलब मैने क्या किया ?
: खाना खा नहीं तो मार खायेगा अब ( नानी ने डांट लगाई)
: मुझे नहीं खाना कुछ पहले बताओ , ना आप बताते हो कुछ और अम्मी वो मुझसे बात किए बिना ही बस चली गई छोड़ कर मुझे । ( मै रुआस होने लगा )
: अरे देखो तो नौटंकी को , बताऊं बस में कहा देख रहा था और उस औरत के पीछे क्यों खड़ा हो गया था । ( नानी का इशारा बस में उस महिला की ओर था जिसके पीछे खड़े होकर मै अपना लंड उसकी जांघों के कोच रहा था )
मै एकदम से चुप हो गया कि यहां भी मै पकड़ा ही गया ।
: और अभी जब गुलनार आई थी तो कैसे उसके सीने को घूर रहा था और तेरा पजामा कसने लगा था ,मार खायेगा अब तू चल खाना खा । ( नानी बोलते बोलते भड़क गई )
मेरे पास कोई जवाब नहीं था और मै चुपचाप बैठ गया और खाने लगा ।
खाने के बाद बिस्तर मै बैठा रहा काफी समय तक एकदम गुपचुप ।
ना मोबाइल था और ना बोलने के लिए कुछ । नानी ने शर्मिंदा कर दिया था पहले ही या फिर यू कहो इनसब के लिए कही न कही मै और मेरे भीतर उमड़ती जवानी का खुमार था ।

नानी बिस्तर झुक कर लगा रही थी और उनकी काटन सलवार से उनकी पैंटी भी झांक रही थी ,


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लंड फिर से मुझे उकसा रहा था मगर मन पर जो नानी ने झाड़ लगाई थी वो अभी भी हावी था ।

: चल आजा सो जा
मै बिना बोले चुपचाप लेट गया ।
कुछ देर में बत्ती बुझ गई और नानी भी आ गई बिस्तर में ।

कुछ देर कि चुप्पी के बाद मै कुछ सोचा और करवट होकर एकदम से नानी से चिपक गया ,मेरे हाथ उनके गुदाज मोटी चूचियो पर थे
: सॉरी नानी , प्लीज माफ कर दो
: हीहीही हट बदमाश , गर्मी हो रही है छोड़ न ( नानी खिलखिलाई और मेरे हाथ हटाने लगी )
: नहीं पहले बताओ आप गुस्सा नहीं हो ( मै अब उनके ऊपर पैर फेक दिया और कसके उसके करीब आ गया )
: या खुदा , मर जाऊंगी रे दब कर उफ्फफ
: नहीं पहले बोलो न
: ना दादा नहीं हु गुस्सा पैर उठा भाई पेट पर से अह्ह्ह्ह्ह या अल्लाह मुआ देगा तू किसी दिन अह्ह्ह्ह्ह ( नानी गहरी सास ले रही थी और उनकी फूलती चूचियां मुझे मेरी बाजू पर महसूस हो रही थी )
: थैंक यू नानी उम्मम्मआह ( मैने उसके कान के पास गाल पर एक लंबी चुम्मी ली )
: अह्ह्ह्ह शानू फिर से गिला गिला कर दिया ( नानी हाथ से पोछने लगी )
: पोछा तो फिर से लूंगा हीहीहीही ( मै खिलखिलाया )
: तू सच में बहुत बिगड़ गया है अब सीधा सीधा सो जा , रात हो गई है ।
: ओके गुड नाइट नानी ( मै चहका)
: पागल ( वो हस्ते हुए बोली )

कुछ देर बाद एकदम शांति हो गई मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी ।
दिमाग में बस यही चल रहा था कि अम्मी अब्बू अब खुल कर मस्ती कर रहे होंगे वहां और चुदाई भी ।
लंड अम्मी की याद आते ही अकड़ने लगा और मैने हौले से उसकी बाहर निकाल कर सहलाने लगा ।

अम्मी की यादें ताजा हो रही थी , मै कल्पनाओं में अम्मी के बारे सोचने लगा , कैसे पुराने दिनों में अम्मी के साथ मस्ती करता था । उनकी चुदाई और मादक भरी सिसकिया मुझे झड़ा देती थी ।
अभी भी लग रहा था कि उनकी सिसकिया मेरे कानो में भुनभुना रही थी और लंड अकड़ने लगा

तभी कमरे की दिवाल से धप्प सा आवाज आया मानो पीछे से कोई कुछ ठोक रहा हो और महीन सी सिसकिया भी उठी
धीरे धीरे वो आवाज साफ होने लगी तो समझ आया कि वो सिसकिया जो मेरे कान में बज रही थी वो असल में कही से आ रही थी , शायद कमरे के दिवाल की दूसरी ओर से ।
लगातार दिवाल से धप्प की आवाज और सिसकी तेज हो रही थी
: नानी आप जाग रहे हो ?
: सो जा बेटा ये रोज का है ( नानी ने उखड़ कर जवाब दिया ) ये दिलावर आज फिर पीकर आया होगा हराम का जना, सो जा बेटा तू कान मूंद ले )
: दिलावर कौन ? ( सहज सा सवाल उठ मेरे जहन में )
: अरे गुलनार का बाप ( नानी को खीझ हुई )
समझ गया कि उनका मूड उखड़ा है और वो इनसब पर बातें नहीं करना चाहती है इसीलिए में चुप रहा ।

कुछ देर बाद वो आवाजे आने बंद हो गई और मै भी सो गया । इस सवाल के साथ इतनी कामुक सिसकी से अगर मेरा लंड बेहाल हो गया था तो क्या जरा सा भी नानी की चूत गीली नहीं हुई होगी ।



जारी रहेगी
आप सभी के प्यार भरे समीक्षाओं का इंतजार रहेगा
पढ़ कर दो शब्द जरूर लिखें
Bhai mujhe to ek mega update ki aas thi😒 tumne to yaar ... bas kya hi kahu app lekhak ✍️to aahla darje 👌ke ho Lakin yaar update bahut chote dete ho jabtak khada hota hai update khatm ho jata hai
Aapse hath jodkar vinti 🙏hai apne bhakto par krpa kre aur 21 22 23 update jaldi se eksath de 💝💝💝💝💝💝💝💝
 
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ajaydas241

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UPDATE 020

अतीत के पन्ने : 01


: कहां था ? कबसे फोन लगा रही थी , उठा क्यों नहीं रहा था ? अब क्या मुझसे भी नाराज है ।
: नहीं ऐसी बात नहीं है , वो मै बाइक चला रहा था ।
: याद नहीं आती क्या तुझे मेरी अब उम्मम
: नानीई ,,,,,, क्यों फोन किया बताओ न ( मै उखड़ कर फोन पर नानी से पूछा )
: कुछ नहीं बस ऐसे ही हाल चाल लेने के लिए और क्या , याद आ रही थी तेरी ( नानी बोली )
: अच्छा इतने साल बाद याद आई मेरी उम्मम , नौकरी लगी थी तब भी एक बार फोन नहीं किया आपने और आज याद आई आपको मेरी ( मै लगभग रुआस होकर बोला )
: तू तो सब जानता है न बेटा , मै क्यों नहीं बात कर सकती थी तुझसे ( नानी अपनी मजबूरी बता रही थी )
: अच्छा तो आज कैसे कर ली फोन , किसने हक दे दिया आपको ... बोलो ( मै भरी आंखों से उनसे सुबक कर सवाल किया )
: उसी ने , जिसने ये हक छीना था मुझसे ( नानी बोल कर चुप हो गई )
: अ..अम्मी ने आपको फोन करने को कहा ( मेरा कलेजा भीतर से छलनी होने लगा )
: हम्ममम... तू जानता है वो तुझे कितना चाहती है फिर भी तू ऐसे चला आया । कितना लड़ी तेरे लिए तेरे अब्बू से फिर भी ....( नानी के सवाल तीर की तरह चुभ रहे थे )
: और अगर अब उसने मुझे अपने कसम से आजाद कर तुझसे बात करने के लिए , तेरा हाल लेने के लिए कहा होगा तो सोच वो कितनी तकलीफ में होगी , फिकर है तुझे कुछ ? क्या हो गया है तुझे ? कहा खोया हुआ है तू ... भूल गया अपनी अम्मी के प्यार को ..?

मेरा कलेजा रो रहा था और आंखे बह रही थी , बाल नोच कर बेहाल हुआ जा रहा था । नानी की बातें नीम सी कड़वी थी मगर पानी सी साफ भी ।
अगर आज इतने सालों बाद अम्मी ने नानी को अपने वचन से आजाद कर दिया तो जरूर बहुत दर्द में ही होगी वो , जरूर उन्हें मेरे किए बर्ताव का गहरा असर हुआ होगा , और मै उन्हें ऐसे ही छोड़ आया सिर्फ अपने अहम में कि अगर उन्हें परवाह होगी तो वो करेंगी मेरी खोज खबर।

रोना ही आ रहा था मुझे और कर भी क्या सकता था हफ़्तों से जो दर्द लेकर मै घर से वापस आया आज एक एक बाते कलेजे में हजारों छेद कर रही थी ।


*******************************


नानी


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भरा ग़दराया बदन
बड़े बड़े भड़कीले चूतड, इतने बड़े कि अब तो इन्हें अपने नाप की पैंटी नहीं मिल पाती है आसानी से ।


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मोटे मोटे पपीते जैसे चूचे उम्र के साथ लटक जरूर गए है लेकिन भरपूर मुलायम और गोरे । गहरे गले के सूट में इनकी चूचों की घाटियों को देखते ही बंदा झड़ जाए । 44 DD पूरे गोल और भरे भरे मोटे थन जैसे चूचे, दोनो तरफ की आधी आधी बाजू भी सामने से ढक जाती है ।

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मोटापे ने शरीर के हर हिस्से में चर्बी बढ़ा दी और गुदाज चर्बीदार पेट भी सलवार में लटका रहता है ।
चलने पर आगे और पीछे जो उछाल मिलता है देख कर हलक सूखने लग जाए ।

निकल पड़ा था मै उनके साथ उनके घर के लिए एक बड़ा सा ढोलक बैग लेकर आगे आगे नानी चल रही थी , ढीले बुरखे में भी उनकी मोटी मोटी भड़कीली गाड़ की थिरकन देखकर मुझे अम्मी की याद आ रही थी ।
ना जाने कितनी बार मैने उन्हें पीछे से देखकर अपना लंड सहलाया होगा
मगर नानी के चूतड़ कुछ ज्यादा ही उभरे थे जांघें लगभग अम्मी की डेढ़ गुनी मोटी और बदन भी अम्मी से ज्यादा भारी था ।


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: बेटा जल्दी कर बस निकल जाएगी आजा ( नानी ने मुझे आवाज दी)
और मै उनके साथ तेजी चलता हुआ आगे बढ़ गया

छुट्टियों के दिन चल रहे थे और शादियों का सीजन भी
बड़ी भीड़ थी बस में , किसी तरह नानी ने एक सीट दी और खुद मेरे पास खड़ी हो गई।
: नानी आप बैठो न ( मैने उन्हें बिठाना चाहा )
एक तो उनके चौड़े कूल्हे और दूसरे बगल वाली सीट पर गैर मर्द नानी चाह कर भी बैठ नहीं पाती ये उनके चेहरे के भाव से साफ पता चल रहा था ।
: नहीं बेटा बैठ अभी आगे खाली हो जाएगी ( नानी खड़ी होकर सिट पकड़ कर मेरे पास ही थी )
बस चल रही थी और झटके हचके मिल ही रहे थे
रह रह कर मेरा सर नानी के गुदाज चर्बीदार पेट पर लग रहा था ।
उनके मुलायम कपड़े जब मेरे गाल को छूते तो बहुत ही गुदगुदाहट सी होती बदन में
बस बार बार हचके और ब्रेक खा रही थी और नानी को दिक्कत हो रही थी ,
मैने उनकी एक टांग को अपने दोनों जांघों में फसा लिया ताकि वो गिरे नहीं
: पागल है तू ( वो हस कर बोली ) मै गिरूंगी नहीं बेटा टेंशन न ले
: ऐसे रहो आप ( मै भी मुस्कुरा कर बोला )

उन्हें अपने करीब करके जकड़े रहना अच्छा लग रहा था , उनकी गदराई जांघों का स्पर्श मुझे भीतर से गुदगुदा रहा था । कुछ पल के लिए सही अम्मी का ख्याल जहन से उतर गया था ।
तभी वो बगल वाले अंकल खड़े हो गए नानी और मेरी जद्दोजेहद देखकर

: चाची आप बैठ जाइए , मुझे 10 मिनट बाद उतरना ही है
मै खड़ा हुआ और वो अंकल निकल आए बाहर
नानी मेरे आगे से अंदर गई अह्ह्ह्ह्ह कितनी गुदाज और गुलगुली गाड़ थी उनकी , अपनी जांघों पर थोड़ा सा ही उसका स्पर्श मिला।
नानी अंदर गई
ये दो सीट वाली लेन थी और नानी के बहुत चाहने पर भी इतनी जगह नहीं हो रही थी कि मैं बैठ पाऊं
: बेटा तू मेरी गोदी में आजा ( नानी ने कहा )
: नानी मै कैसे ? ( मै हंसता हुआ बोला )
: अरे आ ना , सफर लंबा है थक जाएगा आजा ( अपनी जांघें दिखाती हुई वो बोली )
ना चाहते हुए भी थोड़ा झिझक से मुझे नानी की जांघ पर बैठना पड़ा
दोनों पाटो के बीच मुझे मेरे गाड़ में ही गुदगुदी हो रही थी, कितनी मुलायम और चब्बी सी नानी । पीठ पर उनके मुलायम चूचों की ताल मिल रही थी और नीचे से मेरे चूतड़ों पर जांघों की उछाल ।
लंड पेंट ने हरकत करने लगा था और धीरे धीरे मन नानी के लिए गंदा होने लगा ।
नानी का एक हाथ मेरे पेट था जो मेरी बाह के नीचे से मुझे हाथ घुसा कर पकड़े हुए थी अपने दाएं चूचे से सटाए हुए
नानी के लिए मै अभी बच्चा ही था मगर मै तो मेरे उमड़ते जज्बात को समझ रहा था और मेरा लंड भी ।
तभी बस रुकी और लोग चढ़ने उतरने लगे
और इसी बीच एक मोटी गदराई महिला अपना ट्राली बैग ठेलती और बच्चों को संभालती हमारी ओर आने लगी
कुर्ती और लेगिंग्स में उसकी गदराई मोटी जांघें बहुत कामुक दिख रही थी मोटे गदराये कूल्हे उसके कुर्ती को पीछे से टांग रखा था , नीचे चूतड़ के मटके बगल से झांक रहे थे और लेगिंग्स चूतड़ पर इतनी कसी थी कि पैंटी की लास्टिक उभर आई थी ।

नजर पड़ते ही मै सिहर उठा , अकसर गदराई हुस्न वाली महिलाओं को देखते ही मन में अम्मी की छवि उभर आती
मेरी नजर नहीं हट रही थी और वो अब हमारे सीट के पास खड़ी थी
उसके जिस्म से आती भीनी खुशबू बहुत ही ज्यादा आकर्षक लग रही थी , गुदाज चर्बीदार मोटी चूचियां सिफान दुपट्टे से ढकी हुई हल्की फुल्की उछलती हुई मुलायम सूती कुर्ती में और भी मुलायम लग रही थी ।

: शानू !! ठीक है न बेटा
: जी नानी ( मै नजर हटा कर बोला )
: नानी और कितना दूर है अभी
: बस अब पहुंचने वाले है बेटा ( नानी ने कहा )
: तो मै खड़ा हो जाउ फिर ( अजीब लग रहा था सामने एक महिला और उसके बच्चे खड़े थे और मै जवान नानी के गोदी में )
उसपे से लंड भी सेट करना था
मै खड़ा होकर उस महिला के बच्चे को बिठा दिया
वो महिला मुस्कुरा कर मुझे देखने लगी , छोटी कद की मोटी गदराई चूतड़ों को नजरंदाज करना मुश्किल मालूम पड़ रहा था ।
लंड तो अब और अकड़ने लगा ।
मै उससे सट कर खड़ा था और मेरा लंड पेंट में तम्बू बनाए हुआ था
हल्का सा ब्रेक और मै उसके जांघों से सट गया ।

आह्ह्ह्ह कितनी मुलायम थी जांघें उसकी इंच भर सुपाड़ा धंस गया था और मैने भी बेशर्मी दिखाने ने कसर नहीं छोड़ी , वैसे ही सट कर खड़ा रहा । उसके करीब होने से लंड में सुरसुरी हो रही थी और जींस ने खूब टाइट हो रहा था ।
कुछ देर बाद ही हम बस से उतर गए
नानी का गांव यहां से कुछ ही दूर था ।
पैदल जा सकते थे ।

मै सालों बाद आया था नानी के गांव में, पहले से बहुत कुछ बदल चुका था । सड़के पक्की हो गई थी और मकान अब ज्यादातर पक्के बनने लगे थे ।
नानी का घर भी पक्का ही था लेकिन एक मंजिला ही

खूब बड़ा सा आंगन जिसमें गेट लगा हुआ था । बरामदे और कमरे और पीछे की तरफ एक दम खुला हातेदार जगह , ऊंची दिवारी की गई थी ।
एक ओर नल था खुले में , जहां कपड़े बाल्टी बरतन दिख रहे थे और दूसरी ओर एक पतरे वाले कोने में चूल्हा बनाया हुआ था ।
हालांकि घर में भी किचन था मगर गांव वाले लोग चार पैसे बचाने में ज्यादा फोकस्ड होते है ।
नानी मुझे अपने कमरे में ले गई ।
बड़ा कमरा , सरियों वाली खिड़की जिसमें दरवाजे के जगह पर्दे लगे थे । डबलचौकी पर मोटे गदे , एक ओर पुरानी गोदरेज की आलमारी और 4 संदूक ।
दिवाल पर लटकी कुछ नई पुरानी तस्वीरें और कुछ पुराने समय के लकड़ी के खूंटे । एक जगह के खूंटे गायब थे , मानो हुलसा कर जबरन वहां से निकाला गया था । उसको देखते ही मेरा गंदा हरामी मन मुस्कुरा उठा , कही नानी ने तो नहीं उखाड़ लिया अपने लिए ।
क्योंकि नाना को गुजरे सालों हो गए थे और नानी अब यहां अकेली ही रहती थी ।
मामू अपने परिवार के साथ जहां ड्यूटी करते थे वही रहते थे , बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर , बस साल में छुट्टियां और त्योहारों पर आते ।
नानी की स्थिति देखकर मुझे भीतर से बड़ी ग्लानि हो रही थी कि क्यों वो यहां अकेले रहती है । इतनी भी क्या बेबसी इतना बड़ा घर और अकेले जीवन ।

: बाकी सब कहा है नानी ( कमरे में
: कहा रहेंगे , अपना अपना जी खा रहे है जिसको जहां सुविधा लग रही है ( नानी पंखा चालू कर बिस्तर पर बैठती हुई बोली )
: तो आप अकेले रहते करते हो क्या सब ?
: हा क्यों तुझे नहीं पता
: नहीं ...( बड़े उदास लहजे में कहा मैने ) आप हमारे साथ आ जाते न रहने के लिए
: बेटी के ससुराल में कितने दिन रहूंगी बेटा , अब जितने भी दिन रह गए हो यही रूखसत होऊंगी ( नानी की बातें तीर की तरह चुभ रही थी जैसे उन्हें कितना दर्द हो इस अकेलेपन का )
: नानी प्लीज ऐसा मत कहो न ( मै उनसे लिप्त गया )
: अरे ... बच्चा मेरा रो क्यों रहा है , इतनी जल्दी भी नहीं जाने वाली जब तक कि तेरी शादी और बच्चे न हो जाए और तेरे बच्चों की शादी न हो जाए हाहाहाहाहा ( नानी खिलखिलाई तो मै भी हस दिया उनके गुदाज मुलायम चूचों में )
: अच्छा वो बस छोड़ ये बता क्या खायेगा
: कुछ भी जो आप बना दो मेरी प्यारी नानी ( मैने उनके गाल चूम कर कहा )
: धत्त बदमाश ( नानी एकदम से लाज से गुलाबी होने लगी और अपने गिले गाल पोछने लगी )
: हम्मम पोछा क्यों , फिर से ले लूंगा ( मैने आंखे महीन करके थोड़ा सा बचपना दिखाया )
: अब मार खायेगा तू बदमाश , सही कह रही थी तेरी अम्मी बहुत बिगड़ गया है तू ( चल अब रसोई में )

मै हसने लगा और नानी मेरे आगे चलने लगी , बड़े बड़े भड़कीले चूतड कपड़ो में गजब का लचक लिए हिल रहे थे । ना चाहते हुए भी ललचा जाए इंसान
हम पीछे की ओर रसोई के पास आ गए
नानी एक छोटे स्टूल पर बैठ गई और मै भी वही बगल में एक चारपाई पर बैठ गया


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छोटे से स्टूल पर नानी के बड़े मोटे मोटे चूतड़ बाहर की ओर लटके हुए थे
एकदम गोल और भड़कीले शेप में , सलवार गाड़ से एकदम चुस्त थी , कच्ची की लास्टिक हल्की सी मालूम हो रही थी ।
नानी सब्जियां काट रही थी और उनके लोहे के हंसूले से सब्जी काटने के तरीके को देखकर अम्मी की याद । ठीक ऐसे ही वो भी सब्जिया काटती थी । वो भी चाकू का प्रयोग नहीं करती थी ।

मै बड़े गौर से देख रहा था ।
: क्या हुआ शानू उम्मम उदास क्यों है ( नानी ने सवाल किया मुझे देखकर )
: नहीं तो ( मै जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर नानी को सब्जी का छौंका लगाते देख कर बोला )
: अम्मी की याद आ रही है न उम्मम ( मानो रग रग से वाकिफ हो अम्मी , जैसे मेरे चेहरे पर ही लिखा हो जो मेरे जहन में चल रहा था । )
: जी .. ( मेरी आंखे डबडबा गई )
: अरे फिकर न कर वो भी तुझसे बहुत दिन दूर नहीं रह पाएगी , देखना दो रोज के भाग आएगी यहां ( नानी हस कर बोली और में भी फफक कर मुस्कुरा दिया )
: अरे पागल रो क्यों रहा है ( नानी स्टूल पर घूम कर मेरे ओर होकर अपने मुलायम सूट का किनारा उठा कर मेरे चेहरे को पोछने लगी )
नानी का पेट एकदम से उघाड हो गया और चर्बीदार गोरी गोरी गहरी नाभि पर सलवार के नाडे की गांठ बांधी थी , जी ललचा सा गया । उसपे से नानी का स्पर्श कितना मुलायम और चब्बी था एकदम सॉफ्ट दिल खुश
हो जाता था।
तभी गेट पर किसी की आवाज आई ।
: कोई बुला रहा है नानी बाहर शायद ( मै उनसे अलग होकर बोला )
: हम्म्म सांझ हो गई है न तो गुलनार आई होगी , जा खोल दे गेट जा ( नानी खुश होकर बोली )
: गुलनार ? कौन ? ( ख्याली शख्स के बारे में सोचते हुए मै बोला )
: अरे बगल वाला ही है घर तो है उसका , जल्दी जा खोल दे ।
मै भाग गया और गेट खोला ।
सामने एक गोरी चित्ती मोटे नारियल जैसे चूचे और पतली कमर , कुर्ती लेगी में बिना दुपट्टे के खड़ी थी । कुर्ती उसकी पूरे गले की थी जिससे चूचियों का उभार पूरा शेप लिए हुए था एकदम टाइट ।


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: दादी है क्या ? ( एकदम से वो चहक कर बोली)
: हा आओ ( मै तो फिदा ही हो गया उसके रूप पर )
वो मेरे आगे से किसी तितली के जैसे गुजरी हसी की मुनमुनाहट लिए ।
कुर्ती में उसके चूतड़ के उभार खूब थिरक रहे थे ।
वो चहक कर अन्दर चली गई मै दरवाजा लगा कर अंदर आया तो वो मेरे बारे में ही खोज खबर ले रही थी और मुझे भी उसके बारे में जिज्ञासा हो रही थी ।
: ये मेरा नवासा है ( नानी हस कर बोली )
: नवासा क्या होता है दादी ( वो अजीब सा मुंह बना कर बोली )
: अरे ये मेरी फरीदा का लड़का है
: अच्छा ( वो मेरी ओर देख कर बोली और ऊपर से नीचे तक मुझे स्कैन किया )
: आज क्या किस्सा लेकर आई है तू हा ( नानी हस कर बोली )
: अरे दादी पूछो ही मत , आज स्कूल में लास्ट परीक्षा थी , हमने खूब मस्ती की और सब एक दूसरे के शर्ट पर न वो साइन कर रहे थे अपना नाम लिख रहे थे , फिर कलर और ठप्पा हीहीही
: पगलैट है पूरी तू , खराब कर लिया होगा ड्रेस पूरा , तेरे अब्बू जानेंगे तो खैर नहीं ( नानी थोड़ी नाराज हुई )
: अरे दादी , वैसे भी ये मेरी 10वी थी और अगले साल से नया स्कूल रहेगा तो नया ड्रेस हीहीहीही
: अच्छा तो ये बता है , बहुत चालाक है तू ( नानी मुस्कुराई )
उन दोनों की बातों में तो मानो जैसे मै वहां था ही नहीं वो बाते कर रही थी और मै उसको हंसता खिलखिलाता देख रहा था ।
रह रह मेरी नजर उसके कड़क टाइट जोबन पर जा रहे थी , इतनी कम उम्र की लड़की और इतने बड़े बड़े रसीले आम उफ्फ लोवर में टेंट बनने लगा ।

कुछ देर बाद वो चली गई और मै दरवाजा लगा कर वापस आया ।
खाना बन गया था ।

: बहुत बोलती है ना ( नानी सवाल कर रही थी )
: हम्म्म थोड़ा सा , लेकिन ठीक है ( मै मुस्कुराया )
: क्यों पसंद आ गई क्या , बोल तो कर दूं निगाह की बातें इसके अब्बू से उम्मम ( नानी ने मुझे छेड़ा )
: क्या ? ( मै शरमाया और हंसा )
: देख रही थी , जबसे आई थी तेरी नजर ही नहीं हट रही थी उससे ( नानी रोटियां कपड़े में लपेटते हुए बोली )
: क्या नानी , वो इतना बोल रही थी कि किसी की भी नजर पड़ जाए ( मैने सफाई दी )
: हा लेकिन किसी की नजर और तेरी नजर में फर्क है , तू बहुत बदमाश है ( नानी ने मुस्कुरा कर कहा और खाना लेकर उठ गई )
: मतलब ( मै कंफ्यूज हुआ )
: अब मार खायेगा , जैसे तुझे पता नहीं मै किस बारे में बात कर रही हूं। फरीदा ने बहुत कुछ बताया मुझे तेरी हरकतों के बारे में ( नानी कमरे की ओर चलते हुए बोली और में उनके पीछे उनके थिरकते चूतड़ निहार रहा था )
अम्मी का नाम आते ही मेरी हलक सूखने लगी , मतलब नानी से मेरी शिकायत हो चुकी है । लेकिन क्या बताया होगा अम्मी , मोबाईल वाली बात , या फिर मालिश वाली बात या फिर अभी पैंटी चुराने वाली बात कौन सी । अजीब सी बेचैनी बढ़ा दी नानी ने मेरी
: जा हाथ धूल ले और खाना खाने आजा ( नानी ने फरमाया )
मै नल से हाथ धूल कर आ गया और खाने बैठ गया ।

: नानी अम्मी ने क्या कहा आपसे ( बड़े संकोच के बाद मै बोल पाया )
: अरे तेरे बारे में जानने के लिए किसी से कुछ सुनने की जरूरत है , तेरी आँखें और (नानी रुक गई) सब बता देती है कितना बिगड़ा है तू ।
: मतलब मैने क्या किया ?
: खाना खा नहीं तो मार खायेगा अब ( नानी ने डांट लगाई)
: मुझे नहीं खाना कुछ पहले बताओ , ना आप बताते हो कुछ और अम्मी वो मुझसे बात किए बिना ही बस चली गई छोड़ कर मुझे । ( मै रुआस होने लगा )
: अरे देखो तो नौटंकी को , बताऊं बस में कहा देख रहा था और उस औरत के पीछे क्यों खड़ा हो गया था । ( नानी का इशारा बस में उस महिला की ओर था जिसके पीछे खड़े होकर मै अपना लंड उसकी जांघों के कोच रहा था )
मै एकदम से चुप हो गया कि यहां भी मै पकड़ा ही गया ।
: और अभी जब गुलनार आई थी तो कैसे उसके सीने को घूर रहा था और तेरा पजामा कसने लगा था ,मार खायेगा अब तू चल खाना खा । ( नानी बोलते बोलते भड़क गई )
मेरे पास कोई जवाब नहीं था और मै चुपचाप बैठ गया और खाने लगा ।
खाने के बाद बिस्तर मै बैठा रहा काफी समय तक एकदम गुपचुप ।
ना मोबाइल था और ना बोलने के लिए कुछ । नानी ने शर्मिंदा कर दिया था पहले ही या फिर यू कहो इनसब के लिए कही न कही मै और मेरे भीतर उमड़ती जवानी का खुमार था ।

नानी बिस्तर झुक कर लगा रही थी और उनकी काटन सलवार से उनकी पैंटी भी झांक रही थी ,


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लंड फिर से मुझे उकसा रहा था मगर मन पर जो नानी ने झाड़ लगाई थी वो अभी भी हावी था ।

: चल आजा सो जा
मै बिना बोले चुपचाप लेट गया ।
कुछ देर में बत्ती बुझ गई और नानी भी आ गई बिस्तर में ।

कुछ देर कि चुप्पी के बाद मै कुछ सोचा और करवट होकर एकदम से नानी से चिपक गया ,मेरे हाथ उनके गुदाज मोटी चूचियो पर थे
: सॉरी नानी , प्लीज माफ कर दो
: हीहीही हट बदमाश , गर्मी हो रही है छोड़ न ( नानी खिलखिलाई और मेरे हाथ हटाने लगी )
: नहीं पहले बताओ आप गुस्सा नहीं हो ( मै अब उनके ऊपर पैर फेक दिया और कसके उसके करीब आ गया )
: या खुदा , मर जाऊंगी रे दब कर उफ्फफ
: नहीं पहले बोलो न
: ना दादा नहीं हु गुस्सा पैर उठा भाई पेट पर से अह्ह्ह्ह्ह या अल्लाह मुआ देगा तू किसी दिन अह्ह्ह्ह्ह ( नानी गहरी सास ले रही थी और उनकी फूलती चूचियां मुझे मेरी बाजू पर महसूस हो रही थी )
: थैंक यू नानी उम्मम्मआह ( मैने उसके कान के पास गाल पर एक लंबी चुम्मी ली )
: अह्ह्ह्ह शानू फिर से गिला गिला कर दिया ( नानी हाथ से पोछने लगी )
: पोछा तो फिर से लूंगा हीहीहीही ( मै खिलखिलाया )
: तू सच में बहुत बिगड़ गया है अब सीधा सीधा सो जा , रात हो गई है ।
: ओके गुड नाइट नानी ( मै चहका)
: पागल ( वो हस्ते हुए बोली )

कुछ देर बाद एकदम शांति हो गई मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी ।
दिमाग में बस यही चल रहा था कि अम्मी अब्बू अब खुल कर मस्ती कर रहे होंगे वहां और चुदाई भी ।
लंड अम्मी की याद आते ही अकड़ने लगा और मैने हौले से उसकी बाहर निकाल कर सहलाने लगा ।

अम्मी की यादें ताजा हो रही थी , मै कल्पनाओं में अम्मी के बारे सोचने लगा , कैसे पुराने दिनों में अम्मी के साथ मस्ती करता था । उनकी चुदाई और मादक भरी सिसकिया मुझे झड़ा देती थी ।
अभी भी लग रहा था कि उनकी सिसकिया मेरे कानो में भुनभुना रही थी और लंड अकड़ने लगा

तभी कमरे की दिवाल से धप्प सा आवाज आया मानो पीछे से कोई कुछ ठोक रहा हो और महीन सी सिसकिया भी उठी
धीरे धीरे वो आवाज साफ होने लगी तो समझ आया कि वो सिसकिया जो मेरे कान में बज रही थी वो असल में कही से आ रही थी , शायद कमरे के दिवाल की दूसरी ओर से ।
लगातार दिवाल से धप्प की आवाज और सिसकी तेज हो रही थी
: नानी आप जाग रहे हो ?
: सो जा बेटा ये रोज का है ( नानी ने उखड़ कर जवाब दिया ) ये दिलावर आज फिर पीकर आया होगा हराम का जना, सो जा बेटा तू कान मूंद ले )
: दिलावर कौन ? ( सहज सा सवाल उठ मेरे जहन में )
: अरे गुलनार का बाप ( नानी को खीझ हुई )
समझ गया कि उनका मूड उखड़ा है और वो इनसब पर बातें नहीं करना चाहती है इसीलिए में चुप रहा ।

कुछ देर बाद वो आवाजे आने बंद हो गई और मै भी सो गया । इस सवाल के साथ इतनी कामुक सिसकी से अगर मेरा लंड बेहाल हो गया था तो क्या जरा सा भी नानी की चूत गीली नहीं हुई होगी ।



जारी रहेगी
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Shaandar super hot mast Kamuk Update ❤️💋
 
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अम्मा ( फरीदा ) ने ठेंगा क्या दिखाई , शानू साहब अम्मा के अम्मा पर वशीकरण मंत्र सिद्ध करने लगे । वैसे जिस तरह अम्मा उनके लिए दूर की दिल्ली थी उसी तरह नानी भी दूर की मुम्बई है । और इस का कारण निस्संदेह उनका कम उम्र का होना था । शानू की सभी हरकतें उन्हे एक ताजा ताजा हुए युवक की सेक्सुअल आकर्षण लगती होगी ।
लेकिन इस अपडेट से जाहिर हो रहा है कि अम्मा नामक बर्फ ने पिघलना शुरू कर दिया है । कई वर्षों बाद उन्होने आखिरकार नानी के मार्फत शानू का हालचाल जो पता करने की कोशिश करी ।
इस अम्मा प्रेम के चक्कर मे शबनम मैडम की शबनम बरसने से रह गई । खैर बकरे की अम्मा कब तक बचेगी , शानू से हलाल होना ही होना है ।

एक और कमसिन कली गुलनार की एन्ट्री शानू साहब के जीवन मे हुई । देखते है यह कली कब पूर्ण पुष्प बनकर अपनी सुगंध से शानू का जीवन जगमग जगमग करती है !

बेहतरीन और शानदार अपडेट भाई ।
 
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अतीत के पन्ने : 01


: कहां था ? कबसे फोन लगा रही थी , उठा क्यों नहीं रहा था ? अब क्या मुझसे भी नाराज है ।
: नहीं ऐसी बात नहीं है , वो मै बाइक चला रहा था ।
: याद नहीं आती क्या तुझे मेरी अब उम्मम
: नानीई ,,,,,, क्यों फोन किया बताओ न ( मै उखड़ कर फोन पर नानी से पूछा )
: कुछ नहीं बस ऐसे ही हाल चाल लेने के लिए और क्या , याद आ रही थी तेरी ( नानी बोली )
: अच्छा इतने साल बाद याद आई मेरी उम्मम , नौकरी लगी थी तब भी एक बार फोन नहीं किया आपने और आज याद आई आपको मेरी ( मै लगभग रुआस होकर बोला )
: तू तो सब जानता है न बेटा , मै क्यों नहीं बात कर सकती थी तुझसे ( नानी अपनी मजबूरी बता रही थी )
: अच्छा तो आज कैसे कर ली फोन , किसने हक दे दिया आपको ... बोलो ( मै भरी आंखों से उनसे सुबक कर सवाल किया )
: उसी ने , जिसने ये हक छीना था मुझसे ( नानी बोल कर चुप हो गई )
: अ..अम्मी ने आपको फोन करने को कहा ( मेरा कलेजा भीतर से छलनी होने लगा )
: हम्ममम... तू जानता है वो तुझे कितना चाहती है फिर भी तू ऐसे चला आया । कितना लड़ी तेरे लिए तेरे अब्बू से फिर भी ....( नानी के सवाल तीर की तरह चुभ रहे थे )
: और अगर अब उसने मुझे अपने कसम से आजाद कर तुझसे बात करने के लिए , तेरा हाल लेने के लिए कहा होगा तो सोच वो कितनी तकलीफ में होगी , फिकर है तुझे कुछ ? क्या हो गया है तुझे ? कहा खोया हुआ है तू ... भूल गया अपनी अम्मी के प्यार को ..?

मेरा कलेजा रो रहा था और आंखे बह रही थी , बाल नोच कर बेहाल हुआ जा रहा था । नानी की बातें नीम सी कड़वी थी मगर पानी सी साफ भी ।
अगर आज इतने सालों बाद अम्मी ने नानी को अपने वचन से आजाद कर दिया तो जरूर बहुत दर्द में ही होगी वो , जरूर उन्हें मेरे किए बर्ताव का गहरा असर हुआ होगा , और मै उन्हें ऐसे ही छोड़ आया सिर्फ अपने अहम में कि अगर उन्हें परवाह होगी तो वो करेंगी मेरी खोज खबर।

रोना ही आ रहा था मुझे और कर भी क्या सकता था हफ़्तों से जो दर्द लेकर मै घर से वापस आया आज एक एक बाते कलेजे में हजारों छेद कर रही थी ।


*******************************


नानी


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भरा ग़दराया बदन
बड़े बड़े भड़कीले चूतड, इतने बड़े कि अब तो इन्हें अपने नाप की पैंटी नहीं मिल पाती है आसानी से ।


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मोटे मोटे पपीते जैसे चूचे उम्र के साथ लटक जरूर गए है लेकिन भरपूर मुलायम और गोरे । गहरे गले के सूट में इनकी चूचों की घाटियों को देखते ही बंदा झड़ जाए । 44 DD पूरे गोल और भरे भरे मोटे थन जैसे चूचे, दोनो तरफ की आधी आधी बाजू भी सामने से ढक जाती है ।

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मोटापे ने शरीर के हर हिस्से में चर्बी बढ़ा दी और गुदाज चर्बीदार पेट भी सलवार में लटका रहता है ।
चलने पर आगे और पीछे जो उछाल मिलता है देख कर हलक सूखने लग जाए ।

निकल पड़ा था मै उनके साथ उनके घर के लिए एक बड़ा सा ढोलक बैग लेकर आगे आगे नानी चल रही थी , ढीले बुरखे में भी उनकी मोटी मोटी भड़कीली गाड़ की थिरकन देखकर मुझे अम्मी की याद आ रही थी ।
ना जाने कितनी बार मैने उन्हें पीछे से देखकर अपना लंड सहलाया होगा
मगर नानी के चूतड़ कुछ ज्यादा ही उभरे थे जांघें लगभग अम्मी की डेढ़ गुनी मोटी और बदन भी अम्मी से ज्यादा भारी था ।


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: बेटा जल्दी कर बस निकल जाएगी आजा ( नानी ने मुझे आवाज दी)
और मै उनके साथ तेजी चलता हुआ आगे बढ़ गया

छुट्टियों के दिन चल रहे थे और शादियों का सीजन भी
बड़ी भीड़ थी बस में , किसी तरह नानी ने एक सीट दी और खुद मेरे पास खड़ी हो गई।
: नानी आप बैठो न ( मैने उन्हें बिठाना चाहा )
एक तो उनके चौड़े कूल्हे और दूसरे बगल वाली सीट पर गैर मर्द नानी चाह कर भी बैठ नहीं पाती ये उनके चेहरे के भाव से साफ पता चल रहा था ।
: नहीं बेटा बैठ अभी आगे खाली हो जाएगी ( नानी खड़ी होकर सिट पकड़ कर मेरे पास ही थी )
बस चल रही थी और झटके हचके मिल ही रहे थे
रह रह कर मेरा सर नानी के गुदाज चर्बीदार पेट पर लग रहा था ।
उनके मुलायम कपड़े जब मेरे गाल को छूते तो बहुत ही गुदगुदाहट सी होती बदन में
बस बार बार हचके और ब्रेक खा रही थी और नानी को दिक्कत हो रही थी ,
मैने उनकी एक टांग को अपने दोनों जांघों में फसा लिया ताकि वो गिरे नहीं
: पागल है तू ( वो हस कर बोली ) मै गिरूंगी नहीं बेटा टेंशन न ले
: ऐसे रहो आप ( मै भी मुस्कुरा कर बोला )

उन्हें अपने करीब करके जकड़े रहना अच्छा लग रहा था , उनकी गदराई जांघों का स्पर्श मुझे भीतर से गुदगुदा रहा था । कुछ पल के लिए सही अम्मी का ख्याल जहन से उतर गया था ।
तभी वो बगल वाले अंकल खड़े हो गए नानी और मेरी जद्दोजेहद देखकर

: चाची आप बैठ जाइए , मुझे 10 मिनट बाद उतरना ही है
मै खड़ा हुआ और वो अंकल निकल आए बाहर
नानी मेरे आगे से अंदर गई अह्ह्ह्ह्ह कितनी गुदाज और गुलगुली गाड़ थी उनकी , अपनी जांघों पर थोड़ा सा ही उसका स्पर्श मिला।
नानी अंदर गई
ये दो सीट वाली लेन थी और नानी के बहुत चाहने पर भी इतनी जगह नहीं हो रही थी कि मैं बैठ पाऊं
: बेटा तू मेरी गोदी में आजा ( नानी ने कहा )
: नानी मै कैसे ? ( मै हंसता हुआ बोला )
: अरे आ ना , सफर लंबा है थक जाएगा आजा ( अपनी जांघें दिखाती हुई वो बोली )
ना चाहते हुए भी थोड़ा झिझक से मुझे नानी की जांघ पर बैठना पड़ा
दोनों पाटो के बीच मुझे मेरे गाड़ में ही गुदगुदी हो रही थी, कितनी मुलायम और चब्बी सी नानी । पीठ पर उनके मुलायम चूचों की ताल मिल रही थी और नीचे से मेरे चूतड़ों पर जांघों की उछाल ।
लंड पेंट ने हरकत करने लगा था और धीरे धीरे मन नानी के लिए गंदा होने लगा ।
नानी का एक हाथ मेरे पेट था जो मेरी बाह के नीचे से मुझे हाथ घुसा कर पकड़े हुए थी अपने दाएं चूचे से सटाए हुए
नानी के लिए मै अभी बच्चा ही था मगर मै तो मेरे उमड़ते जज्बात को समझ रहा था और मेरा लंड भी ।
तभी बस रुकी और लोग चढ़ने उतरने लगे
और इसी बीच एक मोटी गदराई महिला अपना ट्राली बैग ठेलती और बच्चों को संभालती हमारी ओर आने लगी
कुर्ती और लेगिंग्स में उसकी गदराई मोटी जांघें बहुत कामुक दिख रही थी मोटे गदराये कूल्हे उसके कुर्ती को पीछे से टांग रखा था , नीचे चूतड़ के मटके बगल से झांक रहे थे और लेगिंग्स चूतड़ पर इतनी कसी थी कि पैंटी की लास्टिक उभर आई थी ।

नजर पड़ते ही मै सिहर उठा , अकसर गदराई हुस्न वाली महिलाओं को देखते ही मन में अम्मी की छवि उभर आती
मेरी नजर नहीं हट रही थी और वो अब हमारे सीट के पास खड़ी थी
उसके जिस्म से आती भीनी खुशबू बहुत ही ज्यादा आकर्षक लग रही थी , गुदाज चर्बीदार मोटी चूचियां सिफान दुपट्टे से ढकी हुई हल्की फुल्की उछलती हुई मुलायम सूती कुर्ती में और भी मुलायम लग रही थी ।

: शानू !! ठीक है न बेटा
: जी नानी ( मै नजर हटा कर बोला )
: नानी और कितना दूर है अभी
: बस अब पहुंचने वाले है बेटा ( नानी ने कहा )
: तो मै खड़ा हो जाउ फिर ( अजीब लग रहा था सामने एक महिला और उसके बच्चे खड़े थे और मै जवान नानी के गोदी में )
उसपे से लंड भी सेट करना था
मै खड़ा होकर उस महिला के बच्चे को बिठा दिया
वो महिला मुस्कुरा कर मुझे देखने लगी , छोटी कद की मोटी गदराई चूतड़ों को नजरंदाज करना मुश्किल मालूम पड़ रहा था ।
लंड तो अब और अकड़ने लगा ।
मै उससे सट कर खड़ा था और मेरा लंड पेंट में तम्बू बनाए हुआ था
हल्का सा ब्रेक और मै उसके जांघों से सट गया ।

आह्ह्ह्ह कितनी मुलायम थी जांघें उसकी इंच भर सुपाड़ा धंस गया था और मैने भी बेशर्मी दिखाने ने कसर नहीं छोड़ी , वैसे ही सट कर खड़ा रहा । उसके करीब होने से लंड में सुरसुरी हो रही थी और जींस ने खूब टाइट हो रहा था ।
कुछ देर बाद ही हम बस से उतर गए
नानी का गांव यहां से कुछ ही दूर था ।
पैदल जा सकते थे ।

मै सालों बाद आया था नानी के गांव में, पहले से बहुत कुछ बदल चुका था । सड़के पक्की हो गई थी और मकान अब ज्यादातर पक्के बनने लगे थे ।
नानी का घर भी पक्का ही था लेकिन एक मंजिला ही

खूब बड़ा सा आंगन जिसमें गेट लगा हुआ था । बरामदे और कमरे और पीछे की तरफ एक दम खुला हातेदार जगह , ऊंची दिवारी की गई थी ।
एक ओर नल था खुले में , जहां कपड़े बाल्टी बरतन दिख रहे थे और दूसरी ओर एक पतरे वाले कोने में चूल्हा बनाया हुआ था ।
हालांकि घर में भी किचन था मगर गांव वाले लोग चार पैसे बचाने में ज्यादा फोकस्ड होते है ।
नानी मुझे अपने कमरे में ले गई ।
बड़ा कमरा , सरियों वाली खिड़की जिसमें दरवाजे के जगह पर्दे लगे थे । डबलचौकी पर मोटे गदे , एक ओर पुरानी गोदरेज की आलमारी और 4 संदूक ।
दिवाल पर लटकी कुछ नई पुरानी तस्वीरें और कुछ पुराने समय के लकड़ी के खूंटे । एक जगह के खूंटे गायब थे , मानो हुलसा कर जबरन वहां से निकाला गया था । उसको देखते ही मेरा गंदा हरामी मन मुस्कुरा उठा , कही नानी ने तो नहीं उखाड़ लिया अपने लिए ।
क्योंकि नाना को गुजरे सालों हो गए थे और नानी अब यहां अकेली ही रहती थी ।
मामू अपने परिवार के साथ जहां ड्यूटी करते थे वही रहते थे , बच्चों की पढ़ाई का हवाला देकर , बस साल में छुट्टियां और त्योहारों पर आते ।
नानी की स्थिति देखकर मुझे भीतर से बड़ी ग्लानि हो रही थी कि क्यों वो यहां अकेले रहती है । इतनी भी क्या बेबसी इतना बड़ा घर और अकेले जीवन ।

: बाकी सब कहा है नानी ( कमरे में
: कहा रहेंगे , अपना अपना जी खा रहे है जिसको जहां सुविधा लग रही है ( नानी पंखा चालू कर बिस्तर पर बैठती हुई बोली )
: तो आप अकेले रहते करते हो क्या सब ?
: हा क्यों तुझे नहीं पता
: नहीं ...( बड़े उदास लहजे में कहा मैने ) आप हमारे साथ आ जाते न रहने के लिए
: बेटी के ससुराल में कितने दिन रहूंगी बेटा , अब जितने भी दिन रह गए हो यही रूखसत होऊंगी ( नानी की बातें तीर की तरह चुभ रही थी जैसे उन्हें कितना दर्द हो इस अकेलेपन का )
: नानी प्लीज ऐसा मत कहो न ( मै उनसे लिप्त गया )
: अरे ... बच्चा मेरा रो क्यों रहा है , इतनी जल्दी भी नहीं जाने वाली जब तक कि तेरी शादी और बच्चे न हो जाए और तेरे बच्चों की शादी न हो जाए हाहाहाहाहा ( नानी खिलखिलाई तो मै भी हस दिया उनके गुदाज मुलायम चूचों में )
: अच्छा वो बस छोड़ ये बता क्या खायेगा
: कुछ भी जो आप बना दो मेरी प्यारी नानी ( मैने उनके गाल चूम कर कहा )
: धत्त बदमाश ( नानी एकदम से लाज से गुलाबी होने लगी और अपने गिले गाल पोछने लगी )
: हम्मम पोछा क्यों , फिर से ले लूंगा ( मैने आंखे महीन करके थोड़ा सा बचपना दिखाया )
: अब मार खायेगा तू बदमाश , सही कह रही थी तेरी अम्मी बहुत बिगड़ गया है तू ( चल अब रसोई में )

मै हसने लगा और नानी मेरे आगे चलने लगी , बड़े बड़े भड़कीले चूतड कपड़ो में गजब का लचक लिए हिल रहे थे । ना चाहते हुए भी ललचा जाए इंसान
हम पीछे की ओर रसोई के पास आ गए
नानी एक छोटे स्टूल पर बैठ गई और मै भी वही बगल में एक चारपाई पर बैठ गया


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छोटे से स्टूल पर नानी के बड़े मोटे मोटे चूतड़ बाहर की ओर लटके हुए थे
एकदम गोल और भड़कीले शेप में , सलवार गाड़ से एकदम चुस्त थी , कच्ची की लास्टिक हल्की सी मालूम हो रही थी ।
नानी सब्जियां काट रही थी और उनके लोहे के हंसूले से सब्जी काटने के तरीके को देखकर अम्मी की याद । ठीक ऐसे ही वो भी सब्जिया काटती थी । वो भी चाकू का प्रयोग नहीं करती थी ।

मै बड़े गौर से देख रहा था ।
: क्या हुआ शानू उम्मम उदास क्यों है ( नानी ने सवाल किया मुझे देखकर )
: नहीं तो ( मै जबरन होठों पर मुस्कुराहट लाकर नानी को सब्जी का छौंका लगाते देख कर बोला )
: अम्मी की याद आ रही है न उम्मम ( मानो रग रग से वाकिफ हो अम्मी , जैसे मेरे चेहरे पर ही लिखा हो जो मेरे जहन में चल रहा था । )
: जी .. ( मेरी आंखे डबडबा गई )
: अरे फिकर न कर वो भी तुझसे बहुत दिन दूर नहीं रह पाएगी , देखना दो रोज के भाग आएगी यहां ( नानी हस कर बोली और में भी फफक कर मुस्कुरा दिया )
: अरे पागल रो क्यों रहा है ( नानी स्टूल पर घूम कर मेरे ओर होकर अपने मुलायम सूट का किनारा उठा कर मेरे चेहरे को पोछने लगी )
नानी का पेट एकदम से उघाड हो गया और चर्बीदार गोरी गोरी गहरी नाभि पर सलवार के नाडे की गांठ बांधी थी , जी ललचा सा गया । उसपे से नानी का स्पर्श कितना मुलायम और चब्बी था एकदम सॉफ्ट दिल खुश
हो जाता था।
तभी गेट पर किसी की आवाज आई ।
: कोई बुला रहा है नानी बाहर शायद ( मै उनसे अलग होकर बोला )
: हम्म्म सांझ हो गई है न तो गुलनार आई होगी , जा खोल दे गेट जा ( नानी खुश होकर बोली )
: गुलनार ? कौन ? ( ख्याली शख्स के बारे में सोचते हुए मै बोला )
: अरे बगल वाला ही है घर तो है उसका , जल्दी जा खोल दे ।
मै भाग गया और गेट खोला ।
सामने एक गोरी चित्ती मोटे नारियल जैसे चूचे और पतली कमर , कुर्ती लेगी में बिना दुपट्टे के खड़ी थी । कुर्ती उसकी पूरे गले की थी जिससे चूचियों का उभार पूरा शेप लिए हुए था एकदम टाइट ।


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: दादी है क्या ? ( एकदम से वो चहक कर बोली)
: हा आओ ( मै तो फिदा ही हो गया उसके रूप पर )
वो मेरे आगे से किसी तितली के जैसे गुजरी हसी की मुनमुनाहट लिए ।
कुर्ती में उसके चूतड़ के उभार खूब थिरक रहे थे ।
वो चहक कर अन्दर चली गई मै दरवाजा लगा कर अंदर आया तो वो मेरे बारे में ही खोज खबर ले रही थी और मुझे भी उसके बारे में जिज्ञासा हो रही थी ।
: ये मेरा नवासा है ( नानी हस कर बोली )
: नवासा क्या होता है दादी ( वो अजीब सा मुंह बना कर बोली )
: अरे ये मेरी फरीदा का लड़का है
: अच्छा ( वो मेरी ओर देख कर बोली और ऊपर से नीचे तक मुझे स्कैन किया )
: आज क्या किस्सा लेकर आई है तू हा ( नानी हस कर बोली )
: अरे दादी पूछो ही मत , आज स्कूल में लास्ट परीक्षा थी , हमने खूब मस्ती की और सब एक दूसरे के शर्ट पर न वो साइन कर रहे थे अपना नाम लिख रहे थे , फिर कलर और ठप्पा हीहीही
: पगलैट है पूरी तू , खराब कर लिया होगा ड्रेस पूरा , तेरे अब्बू जानेंगे तो खैर नहीं ( नानी थोड़ी नाराज हुई )
: अरे दादी , वैसे भी ये मेरी 10वी थी और अगले साल से नया स्कूल रहेगा तो नया ड्रेस हीहीहीही
: अच्छा तो ये बता है , बहुत चालाक है तू ( नानी मुस्कुराई )
उन दोनों की बातों में तो मानो जैसे मै वहां था ही नहीं वो बाते कर रही थी और मै उसको हंसता खिलखिलाता देख रहा था ।
रह रह मेरी नजर उसके कड़क टाइट जोबन पर जा रहे थी , इतनी कम उम्र की लड़की और इतने बड़े बड़े रसीले आम उफ्फ लोवर में टेंट बनने लगा ।

कुछ देर बाद वो चली गई और मै दरवाजा लगा कर वापस आया ।
खाना बन गया था ।

: बहुत बोलती है ना ( नानी सवाल कर रही थी )
: हम्म्म थोड़ा सा , लेकिन ठीक है ( मै मुस्कुराया )
: क्यों पसंद आ गई क्या , बोल तो कर दूं निगाह की बातें इसके अब्बू से उम्मम ( नानी ने मुझे छेड़ा )
: क्या ? ( मै शरमाया और हंसा )
: देख रही थी , जबसे आई थी तेरी नजर ही नहीं हट रही थी उससे ( नानी रोटियां कपड़े में लपेटते हुए बोली )
: क्या नानी , वो इतना बोल रही थी कि किसी की भी नजर पड़ जाए ( मैने सफाई दी )
: हा लेकिन किसी की नजर और तेरी नजर में फर्क है , तू बहुत बदमाश है ( नानी ने मुस्कुरा कर कहा और खाना लेकर उठ गई )
: मतलब ( मै कंफ्यूज हुआ )
: अब मार खायेगा , जैसे तुझे पता नहीं मै किस बारे में बात कर रही हूं। फरीदा ने बहुत कुछ बताया मुझे तेरी हरकतों के बारे में ( नानी कमरे की ओर चलते हुए बोली और में उनके पीछे उनके थिरकते चूतड़ निहार रहा था )
अम्मी का नाम आते ही मेरी हलक सूखने लगी , मतलब नानी से मेरी शिकायत हो चुकी है । लेकिन क्या बताया होगा अम्मी , मोबाईल वाली बात , या फिर मालिश वाली बात या फिर अभी पैंटी चुराने वाली बात कौन सी । अजीब सी बेचैनी बढ़ा दी नानी ने मेरी
: जा हाथ धूल ले और खाना खाने आजा ( नानी ने फरमाया )
मै नल से हाथ धूल कर आ गया और खाने बैठ गया ।

: नानी अम्मी ने क्या कहा आपसे ( बड़े संकोच के बाद मै बोल पाया )
: अरे तेरे बारे में जानने के लिए किसी से कुछ सुनने की जरूरत है , तेरी आँखें और (नानी रुक गई) सब बता देती है कितना बिगड़ा है तू ।
: मतलब मैने क्या किया ?
: खाना खा नहीं तो मार खायेगा अब ( नानी ने डांट लगाई)
: मुझे नहीं खाना कुछ पहले बताओ , ना आप बताते हो कुछ और अम्मी वो मुझसे बात किए बिना ही बस चली गई छोड़ कर मुझे । ( मै रुआस होने लगा )
: अरे देखो तो नौटंकी को , बताऊं बस में कहा देख रहा था और उस औरत के पीछे क्यों खड़ा हो गया था । ( नानी का इशारा बस में उस महिला की ओर था जिसके पीछे खड़े होकर मै अपना लंड उसकी जांघों के कोच रहा था )
मै एकदम से चुप हो गया कि यहां भी मै पकड़ा ही गया ।
: और अभी जब गुलनार आई थी तो कैसे उसके सीने को घूर रहा था और तेरा पजामा कसने लगा था ,मार खायेगा अब तू चल खाना खा । ( नानी बोलते बोलते भड़क गई )
मेरे पास कोई जवाब नहीं था और मै चुपचाप बैठ गया और खाने लगा ।
खाने के बाद बिस्तर मै बैठा रहा काफी समय तक एकदम गुपचुप ।
ना मोबाइल था और ना बोलने के लिए कुछ । नानी ने शर्मिंदा कर दिया था पहले ही या फिर यू कहो इनसब के लिए कही न कही मै और मेरे भीतर उमड़ती जवानी का खुमार था ।

नानी बिस्तर झुक कर लगा रही थी और उनकी काटन सलवार से उनकी पैंटी भी झांक रही थी ,


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लंड फिर से मुझे उकसा रहा था मगर मन पर जो नानी ने झाड़ लगाई थी वो अभी भी हावी था ।

: चल आजा सो जा
मै बिना बोले चुपचाप लेट गया ।
कुछ देर में बत्ती बुझ गई और नानी भी आ गई बिस्तर में ।

कुछ देर कि चुप्पी के बाद मै कुछ सोचा और करवट होकर एकदम से नानी से चिपक गया ,मेरे हाथ उनके गुदाज मोटी चूचियो पर थे
: सॉरी नानी , प्लीज माफ कर दो
: हीहीही हट बदमाश , गर्मी हो रही है छोड़ न ( नानी खिलखिलाई और मेरे हाथ हटाने लगी )
: नहीं पहले बताओ आप गुस्सा नहीं हो ( मै अब उनके ऊपर पैर फेक दिया और कसके उसके करीब आ गया )
: या खुदा , मर जाऊंगी रे दब कर उफ्फफ
: नहीं पहले बोलो न
: ना दादा नहीं हु गुस्सा पैर उठा भाई पेट पर से अह्ह्ह्ह्ह या अल्लाह मुआ देगा तू किसी दिन अह्ह्ह्ह्ह ( नानी गहरी सास ले रही थी और उनकी फूलती चूचियां मुझे मेरी बाजू पर महसूस हो रही थी )
: थैंक यू नानी उम्मम्मआह ( मैने उसके कान के पास गाल पर एक लंबी चुम्मी ली )
: अह्ह्ह्ह शानू फिर से गिला गिला कर दिया ( नानी हाथ से पोछने लगी )
: पोछा तो फिर से लूंगा हीहीहीही ( मै खिलखिलाया )
: तू सच में बहुत बिगड़ गया है अब सीधा सीधा सो जा , रात हो गई है ।
: ओके गुड नाइट नानी ( मै चहका)
: पागल ( वो हस्ते हुए बोली )

कुछ देर बाद एकदम शांति हो गई मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी ।
दिमाग में बस यही चल रहा था कि अम्मी अब्बू अब खुल कर मस्ती कर रहे होंगे वहां और चुदाई भी ।
लंड अम्मी की याद आते ही अकड़ने लगा और मैने हौले से उसकी बाहर निकाल कर सहलाने लगा ।

अम्मी की यादें ताजा हो रही थी , मै कल्पनाओं में अम्मी के बारे सोचने लगा , कैसे पुराने दिनों में अम्मी के साथ मस्ती करता था । उनकी चुदाई और मादक भरी सिसकिया मुझे झड़ा देती थी ।
अभी भी लग रहा था कि उनकी सिसकिया मेरे कानो में भुनभुना रही थी और लंड अकड़ने लगा

तभी कमरे की दिवाल से धप्प सा आवाज आया मानो पीछे से कोई कुछ ठोक रहा हो और महीन सी सिसकिया भी उठी
धीरे धीरे वो आवाज साफ होने लगी तो समझ आया कि वो सिसकिया जो मेरे कान में बज रही थी वो असल में कही से आ रही थी , शायद कमरे के दिवाल की दूसरी ओर से ।
लगातार दिवाल से धप्प की आवाज और सिसकी तेज हो रही थी
: नानी आप जाग रहे हो ?
: सो जा बेटा ये रोज का है ( नानी ने उखड़ कर जवाब दिया ) ये दिलावर आज फिर पीकर आया होगा हराम का जना, सो जा बेटा तू कान मूंद ले )
: दिलावर कौन ? ( सहज सा सवाल उठ मेरे जहन में )
: अरे गुलनार का बाप ( नानी को खीझ हुई )
समझ गया कि उनका मूड उखड़ा है और वो इनसब पर बातें नहीं करना चाहती है इसीलिए में चुप रहा ।

कुछ देर बाद वो आवाजे आने बंद हो गई और मै भी सो गया । इस सवाल के साथ इतनी कामुक सिसकी से अगर मेरा लंड बेहाल हो गया था तो क्या जरा सा भी नानी की चूत गीली नहीं हुई होगी ।



जारी रहेगी
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