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Incest अलका : एक लम्बी कहानी

alkajaat

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----------------------अलका की कहानी-----------------


यह टुकड़ों में बंटी हुई एक लम्बी कहानी है, जो अंत में जाकर एक जगह मिल जायेगी... यह एक इन्सेस्ट-बाईसेक्स थीम की कहानी है, यानी इसमें आपको नोर्मल सेक्स के साथ घरेलू यानि की रिश्तों में सेक्स मिलेगा (जेसे भाई-बहन, माँ-बेटा, बाप-बेटी ) और साथ में समलेंगिक सेक्स भी मिलेगा, जो लोग इन्सेस्ट या घर में अपने रिश्तों में सेक्स करना पसंद नहीं करते है..

वो कृपया यह कहानी ना पढ़े.
 
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alkajaat

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इस कहानी की शुरुआत आज से 20-22 साल पहले होती है, हरियाणा के एक साधारण जाट-परिवार की एक खुबसूरत बेटी जो हमारी कहानी की हिरोइन है जिसका नाम है ≡अलका♥ इसकी उम्र मात्र 19 साल होती है, छरछरा बदन..गोरा रंग..बिल्लोरी आँखे..और खतरनाक ढंग से बड़ी-बड़ी और बहुत ही कसी हुई, (o)=(o)बेहद टाईट चुंचिया(BOOBS) अलका ने तो अभी जवानी में कदम रखा ही था, अलका ने 12th तक पढ़ाई की थी, फिर उसके घरवालों ने रेगुलर स्कुल छुडवाकर ओपन स्कुल में आगे की पढ़ाई शुरू करवा दी यानी वो अब घर से ही पढ़ती थी ***अलका के बारें में आपको आगे पूरा बताऊंगा*** तभी उसका रिश्ता एक बैंक मैनेजर से कर दिया जाता है, यह एक बड़ी सरकारी बैंक में काफी बड़ी पोस्ट पर अफसर है, इसका नाम ≡हीरालाल♥ है और उम्र 41 साल है, इसका परिवार एक दुर्घटना में खत्म हो चूका था, यह और इसकी एक बड़ी बहन ≡सोमा ही उस दुर्घटना में बची थी, 42 साल की सोमा♥ तलाकशुदा थी और अपने भाई हीरालाल के ही साथ रहती थी, सोमा के बच्चे नही थे, उसकी बच्चेदानी में कोई प्रोब्लम थी जिस वजह सी वो बच्चे नहीं पैदा कर सकती थी और इसी वजह से 6 साल पहले उसका तलाक हुआ था, उसका तलाक होते ही 8 महीने बाद एक दुर्घटना हुई जिसमें उनका सारा परिवार खत्म हो गया, उस दिन हीरालाल ड्यूटी पर गया हुआ था और सोमा घर का सामान लाने बाजार गयी थी पीछे उनके घर में गैस सिलेंडर फट जाता है जिसके धमाके में उनका घर ही उड़ जाता है जिसमे उनका पूरा परीवार मारा जाता है, उसके बाद हिरालाल अपना गाँव छोड़कर गुडगाँव में शिफ्ट हो जाता है और वही नया बंगला बना लेता है, दरअसल हीरालाल उस हादसे पर गैस कम्पनी पर केस कर देता है जिससे उसको बहुत बड़ा मुआवजा मिलता है, उसकी नोकरी भी काफी बड़ी थी, पैसे की कोई कमी नहीं थी, इसलिए भाई–बहन गुडगाँव में एक बंगला लेकर वहीं पर ही शिफ्ट हो जाते है.....

41 साल का हीरालाल दिखने में एक साधारण और सिम्पल इन्सान दिखता है, नोर्मल बोडी, क्लीनशेव्ड, शरीर पर हल्के हल्के बाल...लेकिन यह एक बहुत ही काइंया और चालाक इंसान था, स्वार्थ चालाकी और हरामजादगी उसकी रग-रग में भरी हुई थी, काम से निपटकर शराब पीना उसकी रोज की आदत थी, ठीक ऐसी ही उसकी बहन सोमा थी, सोमा हल्के सी सांवले रंग की थी लेकिन उसके नैन-नक्श बड़े ही कटीले थे, उसकी हाईट 5.8’ थी, स्कुल में वो कबड्डी चेम्पियन थी...इसलिए उसका शरीर बेहद ही गठीला था...38 साइज के boobs थे, हमेशा ही बनसंवर के रहती थी, अब यह योगा भी करने लगी थी, जिससे उसका चेहरा दमकने लगा था.. कुलमिलाकर शक्ल और शरीर से मलाइका अरोड़ा जेसी सेक्सी लगती है यह सोमा...और अंदर से इतनी ज्यादा सेक्सी और चालाक है की कोई पोर्नस्टार भी इसका मुकाबला नहीं कर पाती है...!!!

☻♥:- ♣♠
suhana-2

*--* अब हम इन दोनों भाई-बहन की पुरानी सेक्स-लाइफ का हाल जानते है...अब कहानी फ्लेशबेक में जायेगी....यह फ्लेशबेक काफी लम्बा है ताकि आप इनके बारें में पूरा जान लें ....*--*

सोमा और हीरालाल का परिवार गाँव का इज्जतदार परिवार था, सोमा के पिता गाँव में काफी वक्त सरपंच भी रहे थे, इसलिए गाँव में उनकी काफी इज्जत थी, गाँव में सिर्फ 12 तक का एक सरकारी स्कुल था, यह लड़के-लडकियों का एकसाथ का स्कुल था, जो काफी बड़ा था, जिसमे आसपास के कई गाँव के बच्चे पढने आते थे, यह बात जब की है तब सोमा 9th में थी, उस वक्त स्कुल में एक महिला हैडमास्टर थी,सोमा ऐसे तो पढ़ाई में तेज थी पर उसकी इंग्लिस और साइंस कमजोर थी, उसकी एक सहेली ने उसको पर्ची बनाकर नकल करना सिखाया और सोमा उसी तरह पर्ची बनाकर ले गयी, संयोग से उस दिन सोमा के एग्जाम वाले कमरे में ड्यूटी हेडमास्टर मैडम की ही लगी, सोमा के पीछे एक लड़की बैठी हुई थी,जिसकी सोमा से बनती नहीं थी..उसने देखा की सोमा नकल कर रही है तो उसने मैडम को कोई इशारा किया और मैडम ने सोमा को नकल करते पकड़ लिया..

सोमा को मैडम अपने ऑफिस ले गयी जहाँ उससे नकल की पर्ची पकड़ी गयी, अब सोमा की हालत खराब हो गयी और वो रोने लगी और मैडम के पैर पकडकर माफ़ी मांगने लगी, सोमा को पकड़ के लाने वाले 3 लोग थे, मैडम ने बाकि दोनों को बाहर जाने को कहा, उनके बाहर जाने के बाद अकेले में मैडम ने सोमा को बोला:- तुम्हारे पिता को जब तुम्हारी इस घटिया हरकत का पता लगेगा तो उनपर क्या गुजरेगी..??? वो तो पुरे गाँव में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे सोचो सोमा...?? अब तो सोमा और भी परेशान हो गयी और मैडम के पैर पकड़कर बोली= मैडम एक बार मुझको माफ़ कर दो आप, फिर में आप जो बोलो वो करूंगी, में आपकी गुलामी करुँगी मैडम प्लीज मुझको छोड़ दो प्लीज मैडम प्लीज....!!!! अब मैडम ने सोमा को बोला:- एक शर्त पर तुमको छोड़ दूंगी और नकल भी करने दूंगी, तुम मुझको लिखकर दो की तुम नकल करती पकड़ी गयी हो, तब में कुछ सोचूंगी... अब मरती क्या ना करती नासमझ सोमा ने मैडम के कहे अनुसार एक कागज पर लिख दिया और अपने साइन करके मैडम को कागज दे दिया, जिसको मैडम ने अपने बेग में रख लिया और फिर वो सोमा से बोली:-- सोमा अब फटाफट यहीं अपना पेपर जल्दी से पूरा करो ओर सोमा को वो मैडम सब खुद सवाल की नकल करवाने लगी..सोमा ने फटाफट पेपर पूरा कर दिया , पेपर पूरा होने के बाद सोमा अपने घर चली गई...जो स्कुल से थोड़ा सा ही दूर था.

अगले तीन दिन तक कुछ नहीं हुआ,सोमा तो लगभग भूल ही गयी थी की वो नकल करते पकड़ी गयी थी... चौथे दिन अचानक जब हाफछुट्टी में सोमा अपनी क्लास में बैठी हुई थी तो स्कुल का चपरासी आकर उसको बोलता है की सोमा को हैडमास्टर मैडम बुला रही है.. सोमा अचानक डर सी जाती है और उसको याद आता है की उसने हैडमास्टर को अपना नकल का कबूलनामा लिखित में दिया हुआ है...आज मैडम ने क्यों बुला लीया.. क्या बात हुई..??? यही सब सोचती हुई सोमा मैडम के ऑफिस की तरफ जाती है... मैडम ऑफिस में अकेली ही होती है... सोमा अंदर जाती है तो मैडम उसको अपने सामने बैठने का बोलती है, डरी , सहमी सी कमसिन मासूम बच्ची सोमा उसके सामने बैठ जाती है.. मैडम अपनी एक्सरे जेसी नजरों से सोमा का अच्छे से मुआयना करती है.. !!

मैडम :- कैसी हो सोमा तुम....???

सोमा = जी मैडम में ठीक हूँ !!

मैडम :- तुम तो भूल ही गयी मुझको सोमा, एग्जाम बाद मिली भी नहीं मुझसे एक बार भी..??

सोमा = जी वो वो ... आपका एहसान है मुझपर मैडम ..आपने मुझको बेइज्जत होने से बचा लिया उस दिन..!!

मैडम :- सोमा एहसान की क्या बात है, में बुरे वक्त में तुम्हारे काम आई, तुम कभी मेरे काम आ जाना ऐसे ही दुनीया चलती है बेटा...

सोमा = जी मैडम, में आप जो बोलोगी वेसे आपका काम आऊगी...

मैडम :- सोमा एक बात बताओ की तूम इतनी अच्छी और होशियार लड़की हो फिर तुमने नकल क्यों की ..???

सोमा = मैडम मेरी इंग्लिश और साइंस ज्यादा ठीक नहीं है, उसमें थोड़ी कमजोर हूँ, तभी यह सब किया ...!!

मैडम :- ह्म्म्म, यह बात है तो तुम मेरे पास आ जाया करो मैं तुमको स्कुल के बाद इंग्लिश सिखाया करूंगी, तुम्हारे घर के पास ही तो में रहती हूँ ना..

सोमा = लेकिन मैडम मेरे बापू ट्यूशन पढ़ने के लिए राजी नहीं होंगे ...

मैडम :- उनकी चिंता तुम मत करो उनको में मना लुंगी सोमा, ऐसे भी में अकेले ही रहती हूँ, मेरे बच्चे बाहर पढ़ते है और पति फौजी है जो साल में एक महीने ही आते है..

तुम्हारे बापू को ट्यूशन के लिए मनाना मुझपर छोड़ दो तुम ... तुमको में स्कुल की टोपर लड़की बनते हुए देखना चाहती हूँ सोमा ...

(मैडम के ऐसा कहने से सोमा के सपने जाग जाते है की वो स्कुल की टॉपर बनेगी और उसके परिवार का बड़ा नाम होगा)

सोमा = मैडम मुझको कोई दिक्क्क्त नहीं है, आप बापू को मना लीजिये बस...!!

मैडम :-लेकिन सोमा इसके लिये तुमको मेरा पूरा सहयोग करना होगा और मेरी हर बात माननी होगी मेरी...

सोमा = मैडम में आपकी हर बात मानूँगी, बापू की कसम खाकर कहती हूँ मैं..!!!

मैडम :- ठीक है सोमा, मैं सोचती हूँ की तूम्हारे बापू को कैसे मनाना है अब...यह कहकर मैडम अपनी डेस्क के ड्रोवर से एक बढ़िया चोकलेट निकालकर सोमा को देती है और सोमा के गाल पर चुटकी काट लेती है, सोमा चोकलेट पाकर खुश हो जाती है और मैडम के चुटकी काटने का कोई ध्यान नही देती है... फिर सोमा निकल जाती है...... ♠♠♠♠

≡≡ अब मैडम की थोड़ी सी जानकारी ≡≡

यह मैडम *रोजी* लगभग 43 साल की फिट बॉडी की औरत थी, जो एक क्रिश्चियन थी, इसने एक फौजी से लवमेरिज की हुई थी और एक इसाई मिशनरी से भी जुडी हुई थी, कम उम्र में ही यह माँ बन गयी थी इसलिए इसके बच्चे बड़े हो चुके थे..जो अपने ननिहाल के एक कोलेज में ही पढ़ते थे, इसका पति एक फौजी था जो साल में एक-डेढ़ महीने ही आता था, इस मैडम का नाम था रोजी.. इसका बहुत ही कम उम्र में बलात्कार हो गया था, जब यह बच्ची थी, उस बलात्कार के बाद इसकी मानसिकता बहुत ज्यादा बदल गयी और यह बहुत ज्यादा सेक्सी हो गयी, इतनी ज्यादा सेक्सी की एकसाथ 5/7 मर्दों को संतुष्ट कर देती थी, बचपन में ही यह सेक्स की इतनी ज्यादा आदि हो गयी की इसने अपने ही सगे चाचा से सेक्स कर लिया और अपने गांव के सारे आवारा लड़को को अपनी चूत का मजा दे दिया था, फिर जब यह 20 साल की हुई तो इसकी जिन्दगी में एक बन्दा आया जिसका मजबूत बदन और मोटा चिकना लंड इसको खूब भा गया और उससे सेक्स करते-करते यह प्रेग्नेट भी हो गयी, वो रोजी के पड़ोस के घर का ही लड़का था, जब रोजी के घरवालों को पता लगा तो रोजी और उस लड़के की शादी करवा दी, रोजी को शादी के कुछ समय बाद ही बच्चा हो गया और फिर इसके पति की फ़ौज में नौकरी लग गयी उधर रोजी एक इसाई मिशनरी से जुड़ गयी, मिशनरी में फोरेन की कुछ सीस्टर आई जिन्होंने रोजी को ☻लेस्बियन सेक्स☻ सिखा दीया, अब तो रोजी को मजा ही हाथ लग गया, वो इसाई मिशनरी में ज्यादा ध्यान देने लगी, उसी मिशनरी में एक फादर आया जिसके साथ रोजी ने खूब सेक्स किया तो उस फादर ने एक नेता को फोन करके रोजी की सरकारी नौकरी लगवा दी, अब रोजी स्कुल की कमसिन लड़कियों से ☻लेस्बियन सेक्स☻ और मजबूत बदन के मर्दों से सेक्स का मजा लेती थी.. इसी तरह यह रोजी का तबादला सोमा के गाँव में हो गया था, गाँव में उसने एक मकान किराये से ले लिया, साफ-सफाई और खाना बनाने उसी गाँव की ही एक मुस्लिम लड़की आती थी जिसका नाम फातिमा था, 25 साल की भरवां बदन की तलाकशुदा और बातूनी फातिमा हफ्ते भर में ही रोजी के साथ सेट हो गयी,वो अब रोजी के साथ ही रहने लगी, रोजी और फातिमा टीवी पर सेक्सी पोर्न फिल्म लगाकर उसी तरीके से लेस्बियन सेक्स करते और मजा लेते थे, लेकिन रोजी को कोई कमसीन लड़की चाहिए थी, इसी वजह से उसकी काफी दिनों से सोमा पर नजरे थी, लेकिन सोमा सिम्पल और नामसझ लड़की थी.... इसलिए अभी तक रोजी के हत्थे नहीं चढ़ी थी, रोजी अब सोमा को अपना शिकार बनाना चाहती थी........अब जाकर आज उसका दांव लगा था !!

☻♥:- ♣♠
 
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alkajaat

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सोमा का बाप साधारण इन्सान था, थोड़ा पढ़ा लिखा था..सोमा को बहुत प्यार करता था, और बेटियों को बेटों से कम नहीं समझता था, साथ ही उसका गाँव में अच्छा दबदबा भी था, रोजी सोचने लगी की केसे उसको पटाकर रोजी को बिस्तर पर लेजाकर जमकर रगड़ा जाये..?? तभी राज्य सरकार ने उस जिले में एक स्कूली कबड्डी टूर्नामेंट घोषित किया जो एक महीने बाद पास ही के शहर में होना था, सोमा कबड्डी की भी अच्छी खिलाड़ी थी,इसलिए रोजी ने उसका नाम एक टीम में डाल दिया जो सलेक्ट भी हो गया, लेकिन यह टूर्नामेंट शहर में होना था और पांच दिन चलना था... अब सोमा केसे जाये शहर.... फिर रोजी ने सोमा के बाप को स्कुल बुलवा लिया... सोमा का बाप बहुत ज्यादा हैरान था की स्कुल में उसको क्यों बुलाया है...कहीं सोमा ने कुछ गलत काम तो नहीं कर दिया... यह सब सोचता हुआ सोमा का बाप स्कुल पहुंचा और रोजी के ऑफिस में चला गया, जहाँ रोजी ने उसको कुर्सी पर बैठाया और उस टूर्नामेंट की जानकारी दी, लेकिन वो गाँव का देहाती अपनी कमसिन बेटी को 5 दिन अकेले शहर कैसे भेजे वो, तभी रोजी बोली:- आप चिंता मत करो सरपंच साहब में रोजी के साथ जाउंगी और फातिमा को भी साथ ही ले जाऊँगी ताकि सोमा को कोई दिक्कत न हो और फीर आप सोचो की सोमा टूर्नामेंट में अगर सोमा जीती तो कितना बड़ा नाम होगा आपके परिवार का और अखबार में भी सोमा का नाम और फोटो छपेगा.. यह सब सुनकर सोमा का बाप मान जाता है और हामी भर देता है ..रोजी अब सोमा को अपने शीशे में उतारने की स्कीम बनाने लगी....

☻♥:- ♣♠

स्कुल की छुट्टी होने के बाद सोमा जब स्कुल से निकली तो पीछे से रोजी ने उसको आवाज लगाई, सोमा ने पीछे देखा तो पीछे रोजी आती दिखाई दी वो रुक गयी, फिर दोंनो साथ-साथ पैदल अपने घर की तरफ चलने लगी स्कुल से उन दोनों के ही घर ज्यादा दूर नही थे...रोजी ने अपना एक हाथ सोमा के कंधे पर रख दिया और बोली:- सोमा बेटी आज मैंने तुम्हारे बापू को बुलाया था...फिर रोजी ने सब सोमा को बता दिया.. सोमा मन ही मन बहुत खुश हुई की इस बहाने से उसको शहर में घुमने का मौका मिलेगा , साथ ही उसको कबड्डी खेलने का बड़ा शौक भी था वो भी पूरा हो जायेगा.. इस तरह वो दोनों करीब आधा रास्ता तय कर चूका था, तभी सामने से सोमा के बापू आते दिखाई दिये, छोटा गाँव होने के कारण लोग पैदल ही आना-जाना करते थे, उन दोनों को देखकर वो उनके पास रुक गये और रोजी को नमस्कार किया, रोजी उनसे बोली :- सरपंच साहब मैंने सोमा को समझा दिया है टूर्नामेंट के बारें में, लेकिन उसके कुछ नियम वगेरह सोमा को समझाने होंगे, साथ ही इसकी थोड़ी सी इंग्लिश और साइंस भी कमजोर है वो भी में इसको सिखा दूंगी.. इसके लिए आप इसको रोज शाम स्कुल की छुट्टी के बाद एक घंटा मेरे घर भेज दीजिये तो में इसको अच्छे से सब कुछ सिखा दूंगी..

अब सोमा का बाप भला केसे मना करता उसकी बेटी को तो फायदा ही था न.. उसने कहा= पास में ही तो हमारा और आपका घर है आप जब चाहे सोमा को बुला लिया करो आखिर आपकी भी तो बेटी जैसी ही है सोमा... अब तो आजादी मिल चुकी थी दोनों को.. रोजी अब सोमा को भोगने का प्लान बनाने लगी.. और रोजी ने सोमा को शाम के 6 बजे अपने घर बुला लिया !!

☻♥:- ♣♠

आज रोजी बहुत ज्यादा खुश थी, बहुत दिन बाद कोई कमसिन लड़की मिली थी उसको, जिसके बदन को वो चूमना चाहती थी,चाटना चाहती थी, उसके मासूम बदन की खुशबु उसको रोमांचित कर रही थी, आज रोजी कुछ ज्यादा ही उतेजित हो गयी..इससे रोजी की योनी चुलबुलाने लगी और गीली हो गयी वो घर पहुंची तो घर पर फातिमा किचन में कुछ बना रही थी, फातिमा दरवाजा खोलकर अपने काम में लग गयी और उधर हमारी रोजी मैडम ने दरवाजा वापस ठीक से बंद किया, आपके लिए एक जानकारी रोजी शराब पीती थी, उसने फातिमा को भी शराब सिखा दी थी, फिर रोजी ने जल्द सी दो पैग बनाये, अपने कपड़े उतारे और नंगी ही रसोई में पैग अपने हाथ में लेकर फातिमा के पीछे खड़ी हो गयी और साइड में पैग रखकर रोजी ने अपने दोनों हाथो से फातिमा के पीछे जाकर उसके दोनों boob पकड़ कर जोर से मसलने लगी, फातिमा ने सिर्फ एक गाउन पहना हुआ था निचे कुछ नहीं पहना हुआ था, इस तरह जोर से मसलने से उसके मुंह से एक चीख सी निकल गयी...लेकिन रोजी ने उसके boobs नहीं छोड़े और मसलती रही, कुछ देर बाद अब फातिमा चीखना छोड़कर मस्ती भरी सिसकिया लेने लगी, तभी रोजी ने उसका गाउन उतार दिया अब फातिमा भी रोजी की तरह एकदम ही नंगी हो चुकी थी, फिर रोजी ने दोनों पैग उठाकर एक पैग को फातिमा के हाथ में पकड़ाया, फिर दोनों ने वो शराब का पैग पी लिया..पीते-पीते रोजी ने फातिमा को सोमा के बारें में बताया, फातिमा रोजी की खास राजदार थी, इसलिए रोजी ने सबकुछ उसको बता दिया...फातिमा भी बहुत दिन से चाहती थी की किसी नई लड़की से सेक्स करे, वो भी रोजी की बातें सुनकर और शराब पीने से गर्म हो चूकी थी.. दोनों रसोई में खड़ी-खड़ी ही शराब पी रही थी..फातिमा सालभर से रोजी के साथ थी इसलिए वो रोजी की हर चीज से अच्छे से वाकिफ थी.. पैग खाली करके रोजी ने फातिमा को चूमना शुरू कर दिया.. पहले से ही दोनों काफी गरम हो चुकी थी...इसलिए इस चुम्बन से दोनों की चूत गीली हो गई...फातिमा अपना पूरा सहयोग देने लगी रोजी को दोनों के boobs आपस में टकरा रहे थे.. कुलमिलाकर माहौल बहुत ज्यादा गरम हो चुका था.. यह घर पास ही के एक दुसरे गाँव के एक बड़े जमींदार का था जो नया ही बना हुआ था, जिसको रोजी ने किराये से लिया हुआ था,, उस घर में एक बड़ा सा बाथरूम बना हुआ था..फव्वारा भी लगा हुआ था..अब रोजी फातिमा को लेकर बाथरूम में आ गयी और दोनों फव्वारें के नीचे खड़ी होकर नहाने लगी..दोनों नहाने के साथ-साथ एक दूजे के बदन को सहला रही थी खेल रही थी, करीब बीस मिनिट मस्ती से नहाकर दोनों नंगी ही बाहर आई और एक तोलिये से फातिमा रोजी का बदन पोंछने लगी.. फिर रोजी ने फातिमा का बदन साफ़ किया.. इस वक्त वो मालकिन-नौकरानी नहीं बल्कि बहनें लग रही थी..

यह जिस वक्त की कहानी है उस वक्त इंटरनेट और मोबाईल इतना फैला हुआ नहीं था, उस वक्त टीवी-वीसीआर और मस्तराम की किताबों का ही जमाना था..वो भी कम ही लोगों को नसीब हुआ करता था, जिनको देखकर कंवारे लौंडे मुठ मारते थे और औरते अपनी चूत में बैंगन या केला डालकर अपनी हवस मिटाती थी.. लेकिन रोजी के पास एक रंगीन टीवी और वीसीआर था और बहुत सारी पोर्न फिल्मे भी थी..जो उसको इसाई मिशनरी का फादर लाकर देता था..रोजी का पति भी साथ में ही पोर्न देखा करता था, इसलिए रोजी आराम से यह सब घर पर रखा करती थी.. हालाँकि छोटा गाँव और अपनी सरकारी नौकरी की वजह से रोजी सेक्स करते वक्त में बहुत ज्यादा ख्याल रखती थी... की... किसी को उसकी यह असलियत पता न चल जाये.. इसलिए वो दुसरें मर्दों से सेक्स करने वो गांव से बाहर ही जाया करती थी, बाकी फातिमा तो थी ही ना उसकी डार्लिंग उसके साथ.. इस एक साल में उसने फातिमा को खूब बिगाड़ दिया था, फातिमा भी अब लेस्बियन सेक्स की मास्टर बन चुकी थी.... एक दूजे का शरीर पौंछकर रोजी ने एक-एक पैग और बना लिए तभी फातिमा उसके सामने घुटनों पर बैठ गयी और रोजी की साबुन से रगड़-रगड़ के साफ़ की गयी चिकनी चूत को चाटने लगी, फातिमा की लम्बी जीभ रोजी की चूत में किसी सांप की तरह ही अंदर बाहर हो रही थी, एक-एक पैग जो पहले दोनों ने पिया था उसका शुरुर अब साफ-साफ दोनों पर नजर आने लगा था, दोनों की सांसे तेज हो चुकी थी और दोनों ही ओरतें अब सेक्स और शराब के नशे में पागल सी हो चुकी थी, तभी रोजी ने अपने पैग से एक बड़ा सा घूंट भरा और अपने मुंह से धीमे-धीमे वो शराब अपने होठों से गिराने लगी, वो शराब हल्के-हल्के बहकर रोजी के बदन से होकर बहते हुए रोजी की चूत पर जाकर टपकने लगी.. जिसको फातिमा अपनी जीभ से चाटकर पिने लगी, अब फातिमा रोजी की चूत को बड़े ही वहशी तरीके से चाटने लगी,रोजी की चूत का दाना आम महिलाओं से थोड़ा सा बड़ा था..फातिमा उसको जीभ से चुभला रही थी..इससे फातिमा को रोजी के चूत के रस के साथ-साथ शराब का मजा भी आने लगा था, रोजी ने अब फातिमा को खड़ा किया और दोनों फिर खड़े-खड़े एक-दूजे को चूमने लगी, दोनों एकदूसरे का बदन सहला रही थी ... तभी अचानक से रोजी को याद आया की आज सोमा आने वाली है... कमसिन कसे बदन वाली जाटनी सोमा की याद आते ही रोजी की चूत गीली होने लगी, शाम के 05:30 हो चुके थे, मतलब अब सोमा के आने का टाइम हो चूका ही था... रोजी ने फातिमा को सोमा के बारें में बताने लगी...फातिमा सोमा के परिवार को अच्छे से जानती थी.. वो भी अब नई कमसीन चूत से सेक्स करना चाहती थी....रोजी की दिखाई हुई पोर्न फिल्मों के ही तरह वो भी 3some-सेक्स करना चाहती थी.. इसलिए वो एकदम ध्यान से रोजी की सारी स्कीम सुनने लगी ...


☻♥:- ♣♠
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उधर सोमा ने अपने घर पर स्कुल ड्रेस खोलकर एक सलवार-कुर्ती पहन ली थी, उसकी यह सलवार-कुर्ती गाँव के ही एक दर्जी शम्भु रेगर ने सीली थी जो बहुत ही बड़ा रण्डीबाज था और उसने यह ड्रेस जानबूझकर थोड़ी सी टाईट सीली थी, जिससे सोमा का कमसिन और गठीला बदन एकदम नुमायाँ हो रहा था, उसके संतरे जितने बड़े साइज के boobs जो बेहद टाईट थे, उसकी चुन्ची यानि निप्पल उस कुर्ती से साफ-साफ दिखती थी..चूँकि वो एक गाँव था, इसलिये इतनी छोटी उम्र में ब्रा नहीं पहनाइ जाती थी, कुर्ती हाफ-बाजु की थी, इससे उसकी मांसल शरीर भी दिखता था, सलवार में उसकी बड़ी और गोलमटोल गांड जो उसकी उम्र के हिसाब से बहुत ही बड़ी हो चुकी थी, मानो जेसे दो बड़े तरबूज उसकी सलवार में डाल दिये हो जेइसे... मेकअप अभी सोमा नहीं करती थी, लेकिन साफ़ चेहरा दमकता था उसका.. सोमा अभी तक कंवारी यानि वर्जिन थी लेकिन सेक्स से वो अनजान नहीं थी.. सोमा का एक छोटा चाचा शराबी था.. जिसकी बीबी यानि सोमा की चाची बहुत ही ज्यादा चुदक्कड औरत थी.. एक बार खेत में सोमा की चाची अपने एक मजदुर यार से घोड़ी बनकर चुदवा रही थी तब सोमा ने सब देख लिया था.. फिर सोमा की ही एक दूसरी बहन जो शादीशुदा थी उसने भी उसको चुदाई का थोड़ा-बहुत बताया था.. चूँकि सोमा का परिवार बड़ा और थोड़ा ताकतवर था इसलिए गाँव के लोग उनके घर की औरतों पर बुरी नजर डालते हुए डरते थे.. लेकिन सोमा की चाची किसी न किसी से चुदवा ही लेती थी... सोमा को यह भी पता था की चुदाई से बहुत ही ज्यादा मजा आता है लेकिन उसकी बहन ने उसको डरा दिया था की चुदाई करने से लड़किया पेट से हो जाती है.. इससे सोमा को चुदाई करवाने से डर लगता था... सोमा का पूरा परिवार एक साथ ही बड़े से घर में एक साथ रहता था... सोमा के दादा के 4 औलाद थी, दो लड़के यानि सोमा का बाप और शराबी चाचा और दो लड़कियां यानि सोमा के दो बुआ थी.. दोनों शादीशुदा थी...एक बुआ दिल्ली में रहती थी और उस बुआ का पति एक छोटा-मोटा नेता था... सोमा का शराबी चाचा खेत के काम सम्भालता था और उस चाचा के कोई औलाद अभी नहीं हुई थी...चाची एक छोटे शहर की थी.. जों बहुत ही चालाक और चुद्क्कड़ रण्डी थी.. उसकी चाची ने लाख डोरे डाले थे सोमा के बाप पर सोमा का बाप सीधा—साधा आदमी था.. इसलिए चाची को मन मसोज कर रहना पड़ा था... कुलमिलाकर..सोमा का घर ठीकठाक ही सेक्सी था... सोमा की माँ कम सुनती थी और एकदम ही भोलीभाली थी... सोमा का भाई हीरा भी अभी 10th में ही था, लेक्किन वो अपनी बुआ के पास दिल्ली में ही पढ़ता था... सोमा तैयार होकर अपने कमरे से बाहर निकल के अपने बापू से मैडम के घर जाने का पूछा तो बापू ने हामी भरी और बोला की:- सोमा मैडम का सब कहा मानना बेटी,हो सकता है की तुम कबड्डी में जीत आओ और हमारे खानदान का नाम रोशन हो जाये..ऐसा बोल के बापू ने प्यार से उसके सर पर हाथ फिराया और सोमा फिर अपने मैडम के घर की तरफ चली गयी..

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उधर फातिमा ने फिर अपना ढीला सा गाउन पहन लिया था जबकि मैडम ने एक लम्बी बुशर्ट पहन ली जो उसके घुटनों से भी निचे लटक रही थी, एक ब्रा भी पहन ली और अपनी टांगों को नंगा रहने दिया, हेयर-रिमूवर से सारे बाल हटाये हुए थे रोजी ने अपनी बोडी से.. उधर उन दोनों ने 2-2 पैग भी लगाये हुये थे..साथ ही दोनों हल्की चुहलबाजी भी कर रही थी..इससे उन दोनों ही की चूत पनिया सी गयी थी... दोनों सोमा के आने का टाइम होने से सेक्स भी नहीं कर पाई थी, इसलिये दोनों ही खूब गरम हो चुकी थी.. फातिमा ऐसे तो खैली-खाई औरत थी..वो अपने बचपन में ही शरीर और सेक्स के बहुत मजे ले चुकी थी, लेकिन लेस्बियन सेक्स उसने पहली बार रोजी से ही किया और उसी से सीखा था की किस तरह से दो औरते भी आपस में सेक्स करके मजा ले सकती थी.. नोकरानी होने और सेक्स में शिष्या होने की वजह से फातिमा रोजी को अपनी मालिक ही मानती थी और रोजी को अपना सब कुछ समझती थी.. रोजी भी उसके पैसे और दूसरी चीजों से खूब मदद किया करती थी, साथ ही दोनों एक दुसरे की हमराज भी थी... आज बादल आये हुए थे और उमस थी, इस वजह से थोड़ी गर्मी सी हो रखी थी... तभी दरवाजा बजा...फातिमा ने जाकर दरवाजा खोला सोमा आई थी तो फातिमा ने उसको अंदर बुलाकर दरवाजा अच्छे से बंद कर लिया... रोजी अपने बड़े बिस्तर पर अधलेटी सी पड़ी हुई थी...

इस उमस में पैदल चलकर आने की वजह से सोमा के चेहरे पर पसीना सा आ गया था... और गर्मी से उसकी सांसे थोड़ी तेज हो गयी थी, इससे सोमा की छाती जोर से धडकने लगी और उसके संतरे जितने बड़े बोबे अजीब अंदाज में हिल रहे थे... रोजी अपने शिकार को देखकर उसको बड़े ही गौर से निहारने लगी.. करीब 4-5 मिनिट तक रोजी ने सोमा का पूरा मुआयना किया... इससे सोमा हल्की सी घबरा गयी और निचे देखने लगी.. तभी फातिमा पानी लेकर आई तो रोजी का ध्यान उससे हटा, फिर रोजी ने सोमा को अपने पास बैठा लिया... सोमा रोजी की ड्रेस देखकर थोड़ी हैरान हुई क्यूंकि उस वक्त तक गांवों में ऐसी छोटी ड्रेस महिलाएं नहीं पहनती थी... लेकिन सोमा जानती थी की शहर की औरतें ऐसे ही कपड़े पहनती थी.. उस वक्त मोबाइल नहीं होते थे, लेकिन रोजी के घर में एक लेंडलाइन फोन जरुर लगा हुआ था....जिसपर कई बार गांववालों के भी जरूरी फोन आ जाया करते थे.. खैर ... सोमा मैडम के पास बिस्तर पर बैठ जाती है और फातिमा उसके हाथ में पानी का ग्लास दे देती है जिसको सोमा धीरे-धीरे पीने लगती है.. इस तरह पानी पीने से उसका सीना ऊपर-निचे होने लगता है और रोजी उसके सिने को गौर से देखती है... कमसिन सोमा का सीना देखकर रोजी मदमस्त होने लगती है.... सोमा रोजी के पैरो के पास बैठी हुई थी.. इससे रोजी की बुशर्ट के निचे बार-बार सोमा की नजरे जा रही थी.. क्यूंकि सोमा के बदन पर हल्के बालों के रोयें से थे और रोजी का बदन बिना बालों का था, इसलिए वो हैरान थी.. फिर रोजी उसके पास बैठ गयी... रोजी एकटक सोमा की आँखों में देखने लगी सोमा थोड़ा सा डर गयी और उसने अपनी नजरें नीची की तो रोजी ने उसकी ठोड़ी पकड़ के उसकी नजरे फिर अपनी तरफ की और बोली:- सोमा ऐसे डरोगी तो कबड्डी की चेम्पियन केसे बनोगी तुम भला ...? दूसरी बात तुम मुझको यहाँ अपना दोस्त समझो मैडम नहीं... वरना तुम मुझसे सीख नहीं पाओगी सोमा... तुमको में बहुत बड़ी खिलाड़ी बनाना चाहती हूँ.. ऐसा कहकर रोजी उसके गालों को सहलाने लगी और सोमा भी उसकी बातों को समझकर उसका कहा मानने लगी... फिर रोजी उसको कबड्डी के दांव सिखाने लगी और एक किताब निकालकर उसको खेल के सब नियम बताने लगी.. इस तरह सिखाने से सोमा अब अपनी मैडम रोजी से बहुत ज्यादा इम्प्रेस हो गयी थी.. क्यूंकि रोजी दो दिन से कबड्डी का सब नियम-कानून और दांव-पेंच सब पढ़कर ध्यान किये बैठी हुई थी.. की सोमा को केसे सांचे में फिट करना है.. साथ ही फातिमा को भी उसने सिखाया हुआ था... फिर रोजी ने फातिमा को बुलाया और फर्श पर एक बिस्तर लगाने को बोली.. फातिमा ने फर्श पर एक बड़ा सा बिस्तर लगा दिया.. जो किसी कबड्डी के अखाड़े जैसा ही हो गया.. अब रोजी ने फातिमा और सोमा को कबड्डी खेलने को कहा, फातिमा भी गाँव ही की थी इस वजह से वो भी कबड्डी खेलना जानती ही थी, तो सोमा और फातिमा उस बिस्तर से बने अखाड़े में आ गयी.. सोमा अपने कपड़ो में ही थी जबकि फातिमा ने चोगे जैसा एक गाउन पहना हुआ था.. जिसके अंदर फातिमा ने कुछ नहीं पहना हुआ था... फिर रोजी ने दोनों को बताया की केसे खेलना है और सोमा ने अपना दुपट्टा उतार कर रख दिया और फिर खेल स्टार्ट हो गया.. फातिमा उम्र में बड़ी जरुर थी सोमा से लेकिन सोमा फुर्तीली बहुत ज्यादा थी और वो दोनों खेलने लगी ऐसे ही एक दांव में सोमा ने फातिमा को पीछे से अपने दोनों हाथो से जकड़ लिया तो फातिमा के दोनों बोबे भी सोमा की जकड़ में आ गये जो सोमा से दुगुने बड़े और थोड़े ढीले थे...सोमा को अजीब सा महसूस होने लगा लेकिन उसने ध्यान न दिया..फिर फातिमा का दांव लगा तो उसने भी उसी तरह से सोमा को जकड़ लिया अब सोमा के संतरे जेसे बोबे फातिमा की जकड़ में थे और सोमा की पीठ पर फातिमा के बड़े-बड़े boobs लगे हुए थे.. इस तरह सोमा को फिर से अजीब सा महसूस होने लगा था, तभी रोजी ने दोनों को रोका इससे सोमा के बेचेन दिल को करार आया.. उधर इस रगड़ा-रगड़ी में फातिमा की पहले से पनियाई चूत गीली हो चुकी थी.. रोजी अब सोमा को खिलाड़ी को पैर से पकड़कर गिराने का सिखाने लगी..... और फिर सोमा को वही दांव लगाने का बोला तो सोमा ने फातिमा का पैर जकड़ा जिससे उलझकर फातिमा उस अखाड़े में ऐसी गिरी की फातिमा का पहना हुआ उसका गाउन पूरा ऊपर हो गया और सोमा का हाथ फातिमा की चिकनी चूत पर पड़ा इससे फातिमा की पनियाई चूत से निकला हुआ योनिरस सोमा के हाथ पर लग गया और फातिमा पेट तक नंगी हो गयी.... सोमा यह सब देखकर सनसना सी गयी वो शर्मा भी गयी थी लेकिन फातिमा वैसे ही पड़ी रही .. सोमा का हाथ पूरा ही गीला और चिपचिपा सा हो गया था मुसलमानी फातिमा की चूत का रस हलका गाढ़ा था और उसमें एक मदमस्त महक आ रही थी.. साथ ही फातिमा की जवान चूत जिसको दो दिन पहले ही रोजी ने अपने हाथ से बालसफा क्रीम लगाकर साफ़ किया था वो सोमा के सामने थी... सोमा ने अपनी चाची की चुदाई दूर से ही देखी थी इसलिए किसी जवान और चुदकर फ़ैल गई चूत को पहली बार ही देखा था.. एक चमड़ी का चना जेसा निकला हुआ था जो अक्सर ही शादीशुदा महिलायों के लम्बी चुदाई के बाद्द निकल जाता है....करीब 1/2 मिनिट तक फातिमा वैसे ही रही और सोमा भी वेसे ही उसकी टांगों को पकड़े रही फिर अचानक सोमा को रोजी ध्यान आया और उसने फातिमा को छोड़ दिया... फातिमा की चूत देखकर सोमा का दिल धड़कने सा लगा था.. रोजी यह सब ध्यान से देख रही थी.. सोमा का हाथ फातिमा के चूत के गरम गाढे वीर्य रस से गीला हो गया था... तभी रोजी बोली:- अरे फातिमा तुमको कल ही तो नई चड्डी लाकर दी थी पहनी क्यों नहीं तुमने और देखो तुम्हारी योनी के रस से सोमा का हाथ भी गीला हो गया.. तुम सोमा का हाथ पहले साफ करो और जाकर चड्डी पहन के आओ... फातिमा= अरे दीदी चड्डी नई होने की वजह से निचे की नर्म चमड़ी में खुजली आती है फिर पूरा दिन खूजाना पड़ता है दीदी... रोजी:- फिर जाओ बरमुडा पहन लो और बनियान पहन लो... फातिमा अंदर चली गयी और रोजी सोमा का हाथ एक कपड़े से साफ करने लगी.. रोजी:- सोमा इस मुसलमानी को बहुत खुजली आती है, लगता है की इसके कोई डंडा डालना ही होगा अब तो.. यह कहकर रोजी हंसने लगी...इस बात को सुनकर सोमा भी मुस्कुरा पड़ी... तभी फातिमा कपड़े बदल कर आ गयी.. उसने एक बरमुडा और जेंट्स बनियान जो बिना बाजु की और बहुत बड़े गले की थी पहनी हुई थी... सांवले रंग की फातिमा की चुन्चिया उस बनियान में बहुत ही बड़ी लग रही थी..और साफ साफ नजर भी आ रही थी सोमा की नजरें उनपर बार-बार जा रही थी, आज कमसिन उम्र की सोमा को पहली बार किसी ओरत की चुन्चिया भा रही थी.. छरछरे बदन पर बड़े boobs बहुत ही खुबसूरत लग रहे थे...तभी रोजी सोमा के पास आ गयी और उसको कबड्डी की कुछ टेक्निक सिखाने लगी..इस बहाने से रोजी अब जमकर सोमा के कमसिन बदन का मजा ले रही थी.. सोमा जो अभी जवानी में कदम रख ही रही थी उसको इस छेडछाड से मजा आ रहा था..लेकिन वो ध्यान से सब सीख भी रही थी... काफी देर रोजी ऐसे ही सोमा के बदन का मजा लेती रही.. इससे रोजी और सोमा इस उमस के मौसम में पसीने में भीग गयी.. करीब आधा घंटा तक यह सब चलता रहा.. सोमा के कमसिन बदन से खेलकर रोजी की हवस फिर से जागने लगी थी... फिर रोजी ने आज की कबड्डी कोचिंग खत्म करने का बोला.. सोमा की सलवार-कुर्ती काफी भारी कपड़े की थी इससे सोमा को पसीना ज्यादा आ रहा था.. फातिमा एक तौलिया लाई जिससे सोमा अपना बदन पोंछने लगी... फिर रोजी ने भी अपना बदन पोंछा.. फिर फातिमा चाय और पकोड़े ले आई..सोमा को वो पकोड़े बहुत ही टेस्टी लगे हालाँकि सोमा के घर में कोई कमी नहीं थी लेकिन उनके घर पर खाना बनाने वाला कोई एक्सपर्ट नही था... फिर चाय पीकर सोमा अपने घर निकल गयी.. घर के बाहर उसके बापू बैठे हुये थे जिनको सोमा ने आज की कोचिंग का बताया और रोजी की बड़ाई की, इससे सोमा के सीधे साधे सरपंच बापू उस छीनाल रोजी के बारें में अच्छा सोचने लगे...

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इधर सोमा के जाते ही रोजी फातिमा पर टूट पड़ी और उसको उसी फर्श पर बिछे बिस्तर पर पटक दिया और चूमने लगी.. दोनों ही बहुत ही बुरी तरह से गरम हो चुकी थी..दोनों ने जल्दी से एक-दूजे के कपड़े उतार फेंके और 69 की पोजीशन में आ गयी और एकदूजे की गरम चूत को बुरी तरह से चाटने लगी, दोनों ही की चूत एकदम सफाचट थी यानि झांटे साफ़ की हुई थी.. लपलपाती हुई जीभ से एक दूजे की हवस बुझा रही थी दोनों ही..आज रोजी कुछ नया करना चाहती थी..इसलिये वो फातिमा की चूत चाटते-चाटते अपनी अंगूलियों से फातिमा की गांड का कसा हुआ छेद छेड़ने लगी इससे फातिमा और भी ज्यादा उतेजित होकर रोजी की चूत चाटने लगी.. रोजी को फातिमा की गांड का छेद बहुत ज्यादा टाईट लग रहा था...वो अपनी एक अंगुली फातिमा की कसी हुई गांड के छेद में डाल देती है..अचानक अपनी गांड में अंगुली जाने से हुए हल्के दर्द से फातिमा उछल पड़ती..लेकिन तब तक रोजी उसकी गांड में अपनी अंगुली डालकर अंदर-बाहर करने लगती है फातिमा की गांड अभी तक बची हुई थी यानि की फातिमा ने अभी तक गांड में किसी का लंड नहीं लिया था..आज पहली बार उसकी गांड में ऐसे अंगुली डालने से उसको पहले हल्का सा दर्द हुआ..लेकिन थोड़ी देर में ही उसको मजा आने लगता है.. जबकि उसकी गांड में अंगुली डालने से रोजी को भी महसूस हो गया की इस मुसलमानी की गांड अभी तक कंवारी ही पड़ी हुई है...फिर रोजी ने फातिमा की गांड में थूक लगाया और अपनी अंगुली से उस मुसलमानी रांड की गांड मारने लगी... जल्द ही फातिमा का वीर्य निकल गया और उसके साथ-साथ ही रोजी का भी वीर्य निकल गया दोनों 69 की पोजीशन में ही कुछ देर सुस्ता कर खड़ी हुई और नंगे ही फातिमा रसोई में गयी और दोनों के लिए पैग बनाकर लाई...फिर दोनों रंडीयां बिस्तर पर बैठकर बातें करने लगी.. रोजी ने फातिमा से सोमा की घर की जानकारी पूछने लगी तो फातिमा ने सबकुछ बता दिया..फातिमा सोमा की चाची के बारें में जानती थी.. दरअसल फातिमा उस गाँव के एक बनिये जिसको पूरा गाँव लाला कहता था..उससे कई बार चुदवा चुकी थी.. वो 55 साल का बनिया था..उसका लंड साधारण ही था (6 इंच का) लेकिन उस लाला को चुदाई का जबर्दस्त चस्का था..दोपहर में उसकी दुकान पर कोई नही आता था, तब वो लाला किसी न किसी को फंसाकर चोद लेता था..दुकान के ऊपर ही लाला ने चुदाई के लिए एक कमरा भी बनवाया हुआ था.. उसी दुकान पर एक दिन फातिमा ने सोमा की चाची को दिन में जाकर चुद्वाते देखा था.. रोजी ध्यान से वो सब सुन रही थी...रोजी भी सामान उसी लाला से ही लाती थी.. लेकिन लाला ने रोजी को कभी सेक्स की नजर से नहीं देखा था..इसका कारण शायद यह था की लाला का लड़का और लड़की दोनों ही रोजी की स्कूल में ही पढ़ते थे....लाला का लड़का काफी शरारती था.. फिर सब कुछ सुनकर रोजी बोली:- फातिमा तुमने कभी अपनी गांड नहीं मरवाई क्या कभी ...?? फातिमा= दीदी एक बार मेरे पति ने मारने की ट्राई की लेकिन ऊसका छोटा और ढीला लंड मेरी गांड के छेद में जा ही नहीं पाया था इसलिये कभी नहीं मरवा पाई हूँ..लेकिन क्या इतना बड़ा लंड गांड में जाने से दर्द नहीं होता है दीदी...?? रोजी:- पहली बार थोड़ा दर्द होता है लेकिन बाद में बहुत ज्यादा मजा आता है फातिमा...तेरे साहब जब भी छुट्टी पर आते ही तब वो रोज मेरी गांड मारते है...अबकी जब वो आयेंगे तब हम तीनों मिलकर चुदाई करेंगे.. उनका काला लम्बा फौजी लंड बहुत ज्यादा मज्जा देता है..तुमको भी मजा आ जायेगा फातिमा... फातिमा खुश हो गयी और फिर वो दोनों रात का खाना बनाकर, फिर शराब पीकर खाना खाकर एक ही बिस्तर पर नंगी होकर आपस में लिपटकर सो गयी.... ☻♥:- ♣♠
 
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``````````` अब अगले दिन```````````

रोजी स्कूल आ गयी... दोपहर में अचानक स्कुल का टेलीफोन बजा.. फोन शिक्षाविभाग से था.. स्कुल में एक नया मास्टर भेजा गया था जो खेलकूद सिखायेगा यानि PTI रोजी ने फोन सुनकर रख दिया, मास्टर आते रहते थे..लेकिन इस गाँव में सुविधा न होने से टिकते नहीं थे.. क्यूंकि छोटा सा गाँव था और बिजली भी कम ही रहती थी...रोजी ही इस स्कुल में सबसे पुरानी मास्टर थी.. थोड़ी देर बाद नया मास्टर रोजी के रूम में आया... अभिवादन के बाद वो रोजी के सामने कुर्सी पर बैठ गया.. रोजी ने सरसरी नजरों से उसका मुआयना किया.. कम उम्र का नौजवान था वो उसने अपने कागजात रोजी को दिये तो रोजी ने उसका बायोडाटा पढ़ा..वो नोजवान दरअसल कुश्ती का खिलाड़ी था और खेल कोटे से मास्टर बना था.. नाम था **रवि कुमार..उम्र 26 साल थी उसकी..लम्बा कद और कसरती बदन का मालिक था रवि.. वो बेबाकी से रोजी से बातचीत कर रहा था..रोजी समझ गयी की रवि समझदार इंसान है...खैर परिचय होने के बाद रवि को रोजी ने स्कुल के बारें में बता दिया.. फिर रोजी ने उससे रहने का पूछा तो रवि बोला की उसका गाँव काफी दूर है इसलिए वो इसी गाँव में कोई किराये का मकान लेकर रह जायेगा..फिर रोजी ने रवि को बोला जब तक मकान नही मिलता है तब तक वो स्कूल में ही सो जाये और एक कमरा उसको दे दिया..शाम को रवि ने खाने का होटल पूछा तो रोजी ने बताया की थोड़ा सा दूर एक ढाबा है जहाँ वो रात का खाना खा लेगा दिन का खाना रोजी उसको अपने घर से ला देगी...रवि ने रोजी को धन्यवाद दिया.. फिर ज्यादा कुछ नहीं हुआ और छुट्टी के बाद रोजी घर चली गयी...

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घर आकर रोजी नहाकर एक मेक्सी पहन कर अपने बेड पर लेट गयी...फातिमा आकर उसका बदन दबाने लगी और मसाज जेसी करने लगी..रोजी सोचने लगी..की उसको काफी दिन हो गये थे किसी मर्द से सेक्स किये हुये, हालाँकि फातिमा से वो रोज ही सेक्स करती थी..लेकिन लेस्बियन सेक्स में लंड का मजा नहीं मिल पाता था...रोजी इस गाँव के किसी इन्सान से सेक्स करना नहीं चाहती थी चूँकि छोटा सा गाँव था और बात फैलने से बदनामी हो सकती थी इसलिए रोजी इसका बहुत ध्यान रखती थी..लेकिन आज अचानक उसको लंड लेने की इन्छा हो गयी थी.. गाँव से 20 किलोमीटर दूर ही एक शहर था.. जहाँ रोजी के 3 पुराने आशिक रहते थे..रोजी उनसे जाकर चुदवा लेती थी.. इस तरह लंड की याद आने से रोजी की चूत से पानी रिसने लगा और रोजी उतेजित सी हो गयी थी...रोजी को शहर गये महिना भर हो चूका था..मतलब लंड से चुदाये महिना हो चूका था..अब उसका शरीर किसी मर्द का लंड मांग रहा था..वो शहर जाने का प्लान बनाने लगी... फिर फातिमा को बोलकर वो किचन और घर के दुसरे सामान की लिस्ट बनाने लगी... लिस्ट बनाने के बाद रोजी ने फातिमा को चाय बनाने का बोला और फातिमा चाय बनाने लगी...तभी किसी ने दरवाजा ठकठकाया रोजी ने जाकर दरवाजा खोला तो बाहर सोमा आई थी..सोमा अंदर आई तो रोजी ने दरवाजा बंद कर लिया..गाँव में आवारा कुत्ते बहुत थे इसलिए रोजी हमेशा ही दरवाजा बंद ही रखती थी... आज सोमा ने एक फ्रोक जेसी ड्रेस पहनी हुई थी..जो थोड़ी सी पतले कपड़े से बनी हुई थी...उस फ्रोक के वी शेप गले से सोमा के दोनों संतरे दिख रहे थे..सोमा को देखकर रोजी को उतेजना सी आ गयी थी..सोमा ने शहर से लाये बढ़िया वाले बिस्किट और नमकीन निकाली और सोमा के साथ बैठकर खाने लगी.. सोमा ने पहली बार इतने बढ़िया बिस्किट खाये थे...उधर रोजी बड़े ही गौर से सोमा को निहार रही थी.. नजरों से ही उस कमसिन जाटनी का बलात्कार सा कर रही थी, तभी फातिमा चाय ले आई और वो भी साथ बैठकर ही चाय पीने लगी.. रोज दोपहर में फातिमा घर का सामान जेसे सब्जी,परचून वगेरह लाया करती थी, साथ ही गाँव की खबरें भी लाया करती थी... टीवी में सिर्फ दूरदर्शन या वीसीआर से फिल्मे ही चला सकते थे.. ऐसे रोजी के पास काफी सेक्सी किताबें भी थी..रोजी का पति बहुत शोकिन था इन सेक्सी किताबों का... फातिमा बोलने लगी वो लाला और गाँव की ही एक बदनाम लड़की सलमा की बात करने लगी (यह रोजी की ही स्कीम थी, ताकि ऐसी सेक्सी बातें सुनकर सोमा भी सेक्स के लिये तैयार हो जाये)== दीदी आज दोपहर में जब मैं लाला की दूकान गयी तो लाला के पास सलमा खड़ी हुई थी और लाला उसकी कमर सहला रहा था.. (सलमा 20 साल की हो गयी थी.. वो गाँव के बदचलन लोगों में काफी फेमस थी..सलमा बहुत चुदक्कड लड़की थी.. उसके बारें में सोमा ने भी सुना हुआ था की वो खराब लड़की है..सोमा भी फातिमा की बात को गौर से सुनने लगी...) लाला उसको लड्डू दिया और 20रूपये भी दिये दीदी जिसको लेकर सलमा चली गयी और लाला फिर मुझको सामान तौलने लगा..दीदी लाला ने मुझको भी लड्डू दिया खाने को और मेरा भी गाल सहलाया..यह लाला बहुत हरामी है दीदी..गाँव की सब शादीशुदा ओरतों को लाइन मारता रहता है साला बुढ्ढा.. में तो सामान तुलवाकर लाला का लड्डू खाकर आ गयी दीदी लेकिन सलमा को लाला ने जों 20रूपये दिये है वो पक्का ही अपना मुंह काला करवाकर ही गयी होगी दीदी..

रोजी:- हो सकता हो की लाला ने उसको किसी दुसरे काम के बदले पेसे दिये हो फातिमा..लाला मुझको तो शरीफ ही लगता है ...

फातिमा = दीदी इस लाला को में अच्छे से जानती हूँ, यह हरामी अपने बाप को भी फ्री में कुछ ना दे कमीना इन्सान..

रोजी:- फातिमा हो सकता हो की लाला का कोई काम किया हो सलमा ने जिसका मेहनताना दिया हो लाला ने...??

फातिमा = दीदी आप सलमा को नहीं जानती हो..वो दो साल पहले ही माला-डी गोली लेती थी..ताकि बच्चा न ठहरे उसके..!!

रोजी:- फिर तो तुम सही बोल रही हो फातिमा..वेसे अब उसकी उम्र भी शादी लायक हो चुकी है न...

फातिमा= अरे दीदी उस बिगडैल से कौन पागल शादी करेगा, दुसरे वो कमाकर अपना घर भी चलाती है इस तरह से... सुना है की गाँव के ठाकुर का छोरा दीवाना है उसका और दोपहर में रेलवे लाइन की घनी झाड़ियो में रोज रासलीला होती है इनदोनो की..!!

रोजी:- वो वाली झाड़िया तो सच में ही बहुत ही ज्यादा घनी है फातिमा...

फातिमा= अरे दीदी वो झाड़िया नहीं भूखे मर्दों का अड्डा है..एक बार 2 साल पहले में अपनी चाची के साथ उधर लेट्रिन जाने शाम पड़े चली गयी थी, तो 3 जनों ने हम दोनों को पकड़ लिया था दीदी..उन्होंने हम दोनों का ही मुंह दबोच लिया था और हमको चिल्लाने भी न दिया था, तीनो ही पहलवान जेसे बोडी के थे नीच लोग.. फिर जो हुआ दीदी वो याद करके आज भी डर जाती हूँ मैं तो...

रोजी:- तो क्या फिर उन्होंने तुम दोनों का रेप कर दिया था उस दिन फातिमा....?? (अब सोमा भी सब जानना चाहती थी, क्यूंकि उसकी चाची कई बार उन झाड़ियों की तरफ ही लेट्रिन को जाया करती थी, जबकि उसके घर लेट्रिन बना हुआ था)

फातिमा= दीदी मुझको तो एक जने ने पकड़ा हुआ था लेकिन चाची को दो जनों ने जकड़ा हुआ था, ये मेरी चाचा की दूसरी बीबी थी जो सिर्फ 27 साल की थी और उसके बड़े सीने को एक जना बुरी तरह से मसलने लगा जबकि दूसरा उसकी टांगे पकड़ के बैठ गया और चाची की सलवार उतारने लगा... हमारा मुंह उन्होंने अपनी हथेलियों से बंद किया हुआ था..उन्होने चाची की सलवार खोलकर फेंक दी...और फिर एक जने ने चाची की टांगे पकड़ कर चौड़ी की और अपना मुंह चाची की बुर पर लेजाकर जीभ से चाची की बुर को किसी कुते की तरह चाटने लगा था..उधर दीदी एक जना मेरी छातियाँ मसलने लगा वो आराम से मेरी छाती मसल रहा था...उसके इस तरह से मेरी छाती मसलने से मुझपर अजीब सी मस्ती छाने लगी दीदी.....

रोजी:- क्या मतलब..? वो तुम्हारा बलात्कार कर रहे थे और तुमको मजा आ रहा था...??

फातिमा= दीदी उन्होंने मेरा मुंह बंद किया हुआ था, मैं उनसे बचना चाहती थी पर उनकी जकड़ से निकलना नामुमकिन ही था...फिर एक जने ने हम दोनों को धमकी दी और बोला हम तुम्हारा मुंह खोल रहे है पर कोई भी अगर चीखी या चिल्लाई तो उसका गला दबा देंगे और उन्होंने हम दोनों का मुंह खोल दिया जिससे हमारा साँस लेना आसान हो गया...अब चाची ने उनसे मिन्नत की..वो बोली की उनको जो करना है वो लोग उससे कर ले लेकिन मुझको छोड़ दे... और उनका उस्ताद इसके लिए मान गया दीदी.. लेकिन वो मुझको छोड़ने को राजी नहीं हुआ और वो चाची को बोला की पहले हम तीनो को खुश करे तो हम दोनों को छोड़ देगा... दीदी..इसके लिए चाची मान गयी...और एक जने ने चाची को पुरा ही नंगा कर दिया..अब मेरे पास एक लड़का सा बैठा हुआ था दीदी और दो जने चाची को मसल रहे थे चूम रहे थे और एक जना बार-बार चाची की बुर में जीभ डाल रहा था...(सोमा बड़े ही गौर से यह सब सून रही थी) फिर एक जना चाची के मुंह के सामने खड़ा हो गया दीदी और अपना पाजामा उतार दिया शाम का धुंधलका हो चूका था लेकिन दीदी उसका काला और बड़ा ही लम्बा हथियार चाची के मुंह के सामने लहरा उठा वो काफी बड़ा था दीदी(अपने हाथ से फातिमा ने बताया की करीब 9-10 इंच का होगा उसका लंड, सोमा फातिमा की तरफ देख रही थी जबकि रोजी सोमा को देख रही थी) अब वो चाची को बोला की इसको चुसो..चाची मरती क्या न करती और चाची ने उसका बड़ा हथियार आगे से अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी..जबकि एक जजना चाची की बुर को चाट रहा था, मुझको यह बहुत ही अजीब लग रहा तह दीदी, क्यूंकि मेरे शौहर ने कभी भी यह गंदा काम मेरे साथ नहीं किया था की मेरे मुंह में दिया हो कभी अपना हथियार.. चाची अब उसका आधा हथियार अपने मुंह में आगे पीछे कर रही थी.. मेरे पास बैठा हुआ लड़का उनको देखकर मेरी चुन्चिया हल्के-हल्के दबाने लगा था..और मेरे कपड़ो के ऊपर से मेरी बुर मसलने लगा था...उधर अब जिसने चाची के मुंह में लंड दिया हुआ था वो अब साइड हो गया और चूत चाटने वाला आदमी चाची के मुंह के सामने खड़ा हो गया..(फातिमा अब खुलकर लंड-चूत बोल रही थी सोमा के सामने)फिर वो बड़े लंड वाला चाची की चूत में अपना लंड डालकर चाची को चोदने लगा और दूसरा आदमी अपना लंड चाची को चुसवा रहा था...तभी चाची बोली “अल्लाह के वास्ते अपना वीर्य मेरी चूत में मत निकलना’’ जिसको वो मान गया ..दीदी उनकी ऐसी खतरनाक सामूहिक चुदाई देखकर मेरी चूत भी पनिया गयी थी..उस वक्त मेरा तलाक हो चूका था..काफी दिनों से मेरी चुदाई नही हुई थी..आज चाची का बलात्कार होते देखकर मेरा मन भी मचलने लगा था दीदी... तभी मेरे पास वाला लड़का भी नंगा हो गया और अपना छोटा सा लंड निकाल के मेरे हाथ में दिया और बोला इसको हिलाओ न..तो में उसका लंड हिलाने लगी दीदी....(अब सोमा कसमसाने लगी थी जो रोजी देख रही थी) वो दोनों ही चाची के मुंह और चूत की चुदाई कर रहे थे और दीदी चाची अब दोनों को आराम से यह सब करने दे रही थी..क्यूंकि चाचा मेरे तो बूढ़े हो चुके थे और यह जवान लोंडे बड़े अच्छे से चाची को चोद रहे थे.. ऐसे ही 10 मिनिट चला तो अचानक वो चूत चोदने वाला खड़ा हो गया और अपना लंड बाहर निकालकर हिलाने लगा तभी उसके लंड सी वीर्य का फव्वारा छुटा जो चाची के पेट पर जा गिरा और वो साइड होकर हांपने लगा जेसे कोई पहाड़ चढ़कर आया हो तभी वो दूसरा वाला चाची के मुंह से लंड निकालकर चाची की चूत में अपना लंड डालकर चाची को चोदने लगा तो मेरे पास वाला लड़का भागकर चाची के पास गया और अपना लंड चाची के मुंह में देने लगा तो चाची चुद्वाते-चुद्वाते ही हंसने लगी और बोली ‘’साले अभी ठीक से पैदा भी न हुआ है और अम्मा की चुदाई करने आ गया है’’ और फिर चाची उसका छोटा सा लंड चूसने लगी.. इधर में अपने कपड़े सही करने लगी थी.. उधर वो दूसरा आदमी भी छोडकर निपट गया और उसने भी वीर्य बाहर ही निकाला दीदी... फिर वो लड़का चाची की चूत पर मुंह ले गया और चाटने लगा जबकि अभी-अभी ही उस चूत को दो जने अपने लंड से चोद चुके थे..2 मिनिट चूत चाटकर वो भी अपना लंड चाची की चूत में डालकर झटके मारने लगा और 5मिनिट में उसका वीर्य चाची की चूत में ही निकल गया...इससे चाची को गुस्सा आ गया और एक थप्पड़ उसको मार दी लेकिन उसके कोई फर्क नहीं पड़ा.. और फिर उन सबने अपने कपड़े पहने और दो 50-50रूपये के नोट चाची को देकर भाग गये...उनके जाने के बाद चाची ने भी अपने कपड़े पहने और हम दोनों घर की तरफ चली गयी..रास्ते में चाची ने मुझको अल्लाह की कसम दी और यह सब किसी को ना बताने को मना किया दीदी..और मुझको एक पचास का नोट भी दिया...घर की इज्जत का सवाल था इसलिए यह हमने किसी को भी न बताया दीदी....आप दोनों भी किसी को मत बताना और सोमा मेरी प्यारी बच्ची उन झाड़ियो की तरफ बिलकुल भी मत जाना तुम तो क्यूंकि आजकल तो वो झाड़िया दिन में भी उन हरामियों का ठिकाना बन गयी है उधर अब बाहर के भी लोग आने लगे है.. दीदी मैं तो फिर कभी उन झाड़ियों में नहीं गयी वापस.... ((इस कहानी को सुनकर सोमा की साँस भारी हो गयी थी, उसका सीना धडकने लगा था))अपने बलात्कार की कहानी सुनाकर फातिमा थोड़ा सा चुप हो जाती है...दो-चार लम्बी सांस लेकर फिर बोलती है... दीदी ऐसा कोई हादसा आपके साथ भी कभी हुआ है क्या .....?????

रोजी:- फातिमा हर औरत की जिन्दगी में ऐसे हादसे होते ही रहते है..क्यूंकि स्त्री-पुरुष के सम्बन्ध ऐसे ही होते है..कभी प्यार और कभी बलात्कार से स्त्री को नंगा करके अपना काम निकालता है यह पुरुष समाज... औरत को हमेशा ही मेरी जिन्दगी तो ऐसे हादसों से भरी हुई है मेरी बच्चियों.. मेरे साथ तो कई बार प्यार में धोखा हो चूका है और कई बार बलात्कार भी हो चूका है..क्या बतायुं तुम लोगों की मेरा केसे केसे फायदा उठाया है और मेरे शरीर से खेला गया है कुचला गया है.. लेकिन अब मैंने जीना सीख लिया है..इन हरामियो के साथ....!!! (तभी बाहर बरसात शुरू हो जाती है, फातिमा भाग कर खिड़किया बंद करती है..हल्का सा अँधेरा भी हो जाता है और बिजली भी चली जाती है... इससे रोजी सोमा के करीब खिसक जाती है)



20240727-125609
रोजी:- सोमा मुझको इस कड़कती बिजली से बहुत डर लगता है बेटा...!! तभी बिजली कड़कती है तो रोजी सोमा को अपनी बांहों में खिंच लेती है..सोमा इसको नोर्मल डर समझती है अपनी मैडम का बिजली से और वो भी लिपट जाती है अपनी मैडम सी..लेकिन यह सब रोजी का नाटक था..सोमा के शरीर से चिपकने का...रोजी ने एक परफ्यूम लगाया हुआ था जिसकी खुशबु सोमा को बहुत अच्छी लग रही थी.. अब दोनों के बूब्स आपस में रगड़ खा रहे थे.. सोमा के पास कठोर संतरे थे तो रोजी के पास मस्त पपीते थे जो आपस में एक दूजे से टकरा रहे थे...सोमा की सांसे यह सेक्सी कहानी सुनकर भारी हो चुकी थी..उसकी उभरती जवानी इस तरह की कहानिया सुनना चाहती थी.. आज इतनी लम्बी कहानी पहली बार सुनी थी..इस वजह से उसकी चूत गीली होने लगी थी..जिसको वो पेशाब की हाजत समझ बैठी और उसने मैडम को पेशाब करने का बोला..तो रोजी ने उसको बाथरूम बताया..लेकिन वहां बरसात और घर की सारी खिड़किया बंद होने से अँधेरा सा छाया हुआ था तो रोजी ने एक टोर्च निकाली और उसके साथ चल दी...गाँव में औरतों का इस तरह से साथ में लेट्रिन जाना या पेशाब करना चलता है इसलिए सोमा कुछ न बोली और वो बाथरूम में चली गयी आगे सोमा थी और पीछे टोर्च लिए रोजी..बाथरूम में पहुँच कर नाले के आगे सोमा ने अपनी फ्रोक ऊँची की और अंदर एक कच्छा जैसा पहना हुआ था उसने जिसका नाड़ा खोलने लगी लेकिन उस कच्छे का नाड़ा उलझ गया, इसलिये वो खुल नही पा रहा था तो उसको रोजी बोली लाओ सोमा में खोल देती हूँ इसको... तुम मुझको टोर्च दिखाओ..अब दोनों आमने-सामने थी और रोजी उसके कच्छे का नाड़ा खोलने लगी रोजी की 1मिनिट की कोशिश से ही सोमा के कच्छे का नाड़ा खुल गया...रोजी के नाड़ा खोलते ही सोमा का वो बिना इलास्टिक का कच्छा निचे गिर गया और सोमा की चूत टोर्च की रोशनी में चमकने लगी.. उस जाटनी की चूत एकदम कच्ची-कोरी होने की वजह से बहुत ही चिकनी थी और उस शानदार चूत पर हल्की-हल्की झांटे उगी हुई थी मानो वो सोमा की चूत की पहरेदार हो जेसे...सोमा की चूत में फातिमा की उस सेक्सी कहानी सुनने से एक गीलापन आ गया था जो उस टोर्च की रोशनी में चमक रहा था..रोजी अपनी स्टूडेंट की चूत देखकर अवाक् सी रह गयी...वो एकटक ही सोमा की चूत निहारने लगी थी...इससे सोमा शर्मा सी गयी और उसने अपनी चूत से टोर्च की रोशनी हटाली, इससे रोजी को एक झटका सा लगा और उसको होश आया..फिर उसने सोमा से टोर्च ले ली और सोमा के पीछे हो गयी, सोमा बैठकर मुतने लगी.. नाबालिग चूत होने की वजह से उसके पेशाब करने से कोई आवाज नहीं आ रही थी.. उसको थोड़ा सा पेशाब लगा जों दरअसल उस कहानी की उतेजना से चूत में आई चिकनाई थी... पेशाब करके सोमा ने अपने हाथ से अपनी चूत को पौंछा तो वीर्य की चिकनाहट उसके हाथ के लग गई.. यह उसका जीवन का पहना एक्सपीरियंस था की उसकी चूत से वीर्य की चिकनाहट निकली थी इससे सोमा थोड़ा सा घबरा सी गयी और अपनी चूत पौंछकर खड़ी हो गयी..और अपना कच्छा वापस पहनने लगी..इससे पीछे टोर्च लिए खड़ी रोजी को उस जाटनी की मोटी और गोलमटोल गांड साफ-साफ दिखाई देने लगी...इतनी मस्त गांड देखकर रोजी के मुंह में पानी आ गया..तभी सोमा अपना हाथ धोकर के बोली---मैडम मेरा हो गया है !! तो रोजी बोली की— ठीक है अब मुझको भी पेशाब करना है अब तुम टोर्च पकड़ो सोमा..ऐसा बोलकर सोमा को उसने टोर्च पकड़ा दी.. अब रोजी ने अपनी मेक्सी ऊपर की जिससे रोजी की चिकनी टांगे और बिना बालों का शरीर सोमा के सामने चमकने लगा.. अंदर रोजी ने एक काले रंग की फेंसी पेंटी पहनी हुई थी उसको निचे करके रोजी बैठ गयी और फिर एक हल्की सी सिटी की आवाज में सुसुसुसुसू करके रोजी मुतने लगी..इस आवाज को सुनकर सोमा रोमांचित हो गयी और सोचने लगी की उसका पेशाब साइलेंट आ रहा था जबकि मैडम का पेशाब इस तरह आवाज करके क्यों आ रहा है.. रोजी ने जानबुझकर उठते हुए सोमा को अपना पूरा पिछवाड़ा दिखाया.. टोर्च की रोशनी में सोमा को अपनी मैडम की गांड साफ़-साफ़ दिखाई दे गयी..एकदम साफ़ सुथरी बिना बालों की गांड की दरार में से सोमा को अपनी मैडम की गांड का छेद भी दिखाई दे गया जो लाल-लाल दिख रहा था..एक भी बाल नहीं था मैडम की गांड या बदन पर.. रोजी हर हफ्ते अपने बाल क्रीम से साफ़ करती थी...सोमा अपनी मैडम की चड्डी देखकर भी चकीत थी ऐसी फेंसी चड्डी उसने अभी तक नहीं देखी हुई थी.... उधर बरसात अब पुरे जोर से बरस रही थी.. फिर दोनों बाहर कमरे में आई और वापस बेड पर बैठ गयी..हल्का सा अँधेरा हो रखा था.. तभी फातिमा आ गयी, वो एक थाली में मूंगफली लेकर आई थी.. बरसात के मौसम में गरम मूंगफली देखकर सोमा मस्त हो गयी.. फिर तीनो ही मूंगफली छीलकर खाने लगे...

तभी फातिमा बोली = अब आपकी कोई कहानी बताओ न दीदी..इस बरसात और अँधेरे में तो कबड्डी की कोचिंग होने से रही...क्यों न हम सब आपस में बातें करके टाईमपास करते है दीदी.. बताओ न आपकी कोई कहानी .. आप तो शहर में भी बहुत रही हो.. लोगबाग़ कहते है की शहर की औरते बहुत ज्यादा मजा करती है कुछ बताओ न दीदी अपने किसी प्यार या बलात्कार के किस्से को..?? अब सोमा को भी इन सेक्सी किस्सों को सुनकर मजा आने लगा था..वो भी सुनना चाहती थी....

रोजी:- देखो फातिमा किस्से तो बहुत सारे है लेकिन बताने से डर लगता है की कहीं तुममे से किसी ने गाँव में किसी को बता दिया तो मेरी बहुत बदनामी हो जायेगी और लोग मुझको गंदी नजरो से देखेंगे... इसलिये रहने ही दो ना.. समझो तुम लोग..ऐसे किस्से बहुत ख़राब होते है पता लगने पर...

फातिमा= दीदी में अल्लाह की कसम खाकर बोलती हूँ की कभी किसी को भी नहीं बताउंगी आपका किस्सा आप सुनाओ तो सही.... और फातिमा ने सोमा की कमर में एक हल्की चुटकी काटकर कहा ... सोमा तुम बोलो न दीदी को की सुनाये.. तो सोमा ने भी कसम खाई की वो यह बात किसी को नहीं बतायेगी....

अब रोजी अपनी एक झूठी कहानी बताने लगी दरअसल रोजी और फातिमा का मकसद था की इस कमसिन लड़की को बहकाया जाये ऐसे सेक्सी किस्से सुनाकर :- यह जब की बात है तब में सोमा की ही तरह सिर्फ ** साल की ही थी..तब मेरी आती हुई जवानी थी और फातिमा में उस वक्त काफी खुबसुरत थी... तब मेरे एक चचेरे बड़े भाई की शादी थी...सारा परिवार इकठ्ठा हुआ था..कुछ रिश्तेदार बड़े शहर से भी आये हुए थे..उनमें एक मेरे मामाजी के बच्चे थे भाई-बहन दोनों मुझसे 2 और 4 साल बड़े थे, बहन का नाम था ‘’पिंकी’’ और भैया का नाम ‘’रोशन’’ था और उनसे मेरी अच्छी दोस्ती हो गयी थी..हम तीनो साथ ही खाते-पीते खेलते और सोया करते थे...हम लोग खूब मस्ती करते थे वो बड़े शहर से आये हुए थे तो नये-नये खेल और गेम्स खेला करते थे... शादी सम्पन्न हुई और भाभी को लेकर भैया घर आ गये उनका खूब स्वागत हुआ और फिर उनकी सुहागरात की तैयारी शुरू हुई... में उस वक्त नादान ही थी और सुहागरात के बारें में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी.. हम तीनों एक कमरे से साथ ही सोया करते थे...वो कमरा भैया-भाभी के सुहागरात वाले कमरे के करीब ही था और उन दोनों कमरों के बिच में एक बड़ा सा आंगन था.. बाकि सब लोग निचे या छत पर सो रहे थे.. हम बातें कर रहे थे की तभी रोशन बोला= पिंकी क्यों ना हम भैया-भाभी की सुहागरात को देखें की वो दोनों आज क्या-क्या करते है..? पिंकी झट से तैयार हो गयी लेकिन मैं बहुत डर रही थी तो पिंकी ने समझाया की, देख रोजी कल को तेरी भी शादी होगी तो तुम अपने पति के साथ क्या करोगी बोलो..??? चलो आज हम इनको देखकर सीखते है की क्या करते है..शादी के बाद सुहागरात में यह लोग..मेरा नन्हा सा दिल धड़क रहा था..डर भी लग रहा था की कोई आ गया तो क्या होगा..लेकिन साथ ही यह उत्सुकता भी थी की सुहागरात में क्या होता है आखिर... तो मैंने हामी भरली.. फिर रोशन भैया पेशाब करने के बहाने से सुहागरात वाले कमरे के आसपास देखने चले गये..पिंकी ने मुझको बताया की वो और रोशन पहले भी एक सुहागरात देख चुके थे और उनको बहुत मजा आया था....उस वक्त में समझ नही पा रही थी.. सोमा की सुहागरात देखने से भला क्या मजा आता होगा...?(यह कहकर रोजी सोमा से सटकर बैठ गयी, सोमा बहुत गौर से यह सब सुन रही थी, वो भी जानना चाहती थी की सुहागरात को क्या होता था) रोशन देखकर आया की सुहागरात वाले कमरे की दो खिड़किया खुली थी और उनपर एक झीना पर्दा लगा हुआ है जिससे थोड़ा बहुत दिख जायेगा और सुनाई तो सब दे जाएगा.. उस वक्त रात के 12बजने वाले थे..सब तरफ सुनसान विराना था..एकदम शांति छाई हुई थी...सांय सांय की आवाज करते हवा चल रही थी.. बाहर अँधेरा था.. हम उस कमरे की खिड़की के पास पहुंचे तो कमरे में रोशनी थी और हल्की आवाजे सुनाई देने लगी.. रोशन हमसे लम्बा था तो हम दोनों बहनें खिड़की के पास खड़ी होकर देखने लगी जबकि रोशन हम दोनों की कमर पकड़कर हमारे पीछे खड़ा हो गया.. अंदर भैया-भाभी बातें कर रहे थे.. हम अंधेरे में खड़े थे..इसलिए उनको हमारा दिखना सम्भव नहीं था...पर्दे में उनका हल्का-हल्का सीन दिख रहा था और अब उनकी बातचीत सुनाई देने लगी थी... उस पलंग पर भाभी भैया की गोद में बैठी हुई थी और भैया ने उनको बाँहों में जकड़ा हुआ था..भैया उनके पेट पर अपना एक हाथ फिरा रहे थे और बोल रहे थे... रानी अब रुका नहीं जाता है अब यह सब कपड़े उतारों ना और अपनी जवानी का रस पीने दो न मुझको...और फिर भैया ने उनके बोबे अपने दोनों हाथो से जोर से दबा दिये... भाभी चीखी... उईइ अम्मा आह कमीने इंसान इतना जोर से मत दबाओ दर्द होता है राजा मुझको, में आपकी बीबी हूँ ना की कोई वेश्या हूँ राजा आराम से करो ना... फिर भैया ने भाभी का ब्लाउज उतार दिया और ब्रा भी उतार दी और धीरे-धीरे अपने दोनों हाथो से भाभी के बड़े-बड़े बोबे मसलने लगे...ये देखकर मेरे रोंगटे खड़े होने लगे.. में तब-तक सेक्स के बारें में बिलकुल भी नहीं जानती थी सोमा..मेरे पैर जेसे जाम हो चुके थे, भैया के इसतरह बोबे मसलने से भाभी को पता नहीं क्या हो रहा था वो हल्के-हल्के सिसकिया लेने लगी थी और भैया को सहयोग भी करने लगी थी..इधर मेरे पीछे खड़े रोशन भैया जों पिंकी और मुझसे से चिपककर खड़े हुए थे..उन्होंने एकदम धीमे से हमारे कान में बोला की कोई भी कुछ बोलना मत अब असली मजा आने ही वाला है..और रोशन ने अपने हाथ हम दोनों के कन्धो पर रख दिये और मेरे पीछे बिल्कुल सटकर खड़ा हो गया,मेरा एक हाथ पिंकी के हाथ में था..तब रोशन भैया 20 साल के हो चुके थे फातिमा.. मतलब पुरे जवान हो चुके थे वो.. मुझे मेरे पीछे यानी गांड पर कुछ अजीब सा महसूस होने लगा था लेकिन मैंने अंदर ध्यान दिया.. अंदर अब भैया बोबे दबाना छोड़ कर भाभी का पेटीकोट उतार दिया जो भाभी ने अपनी टांगो से निकालकर पलंग से निचे फेंक दिया.. अंदर भाभी ने एक चड्डी पहनी हुई थी.. और वो वेइसे ही भैया की गोद में पड़ी हुई थी.. भैया उनके गाल चूमने लगे थे.. तभी भाभी बोली..आप भी तो अपने कपड़े उतारो न राजा.. और भैया पलंग से निचे आकर अपने कपड़े उतारने लगे.. किसी जवान मर्द को मैं आ पहली बार नंगा होता देख रही थी फातिमा.. मुझको एक अजीब सा नशा जैसा होने लगा था, मेरा मन और शरीर मेरे काबू में नहीं रहा था अब..और फिर अंदर देखने लगी भैया ने सभी कपड़े उतार दिये और अपना अंडरवियर उतारने लगे तो भाभी ने मना कर दिया और बोली राजाजी इसको तो मैं उतारूंगी और फिर भैया ने भाभी को सीधी लिटा दिया और खुद उसके ऊपर लेटकर उनको चूमने लगे इसबार वो भाभी के मुंह को अपना मुंह लगाकर चूमने लगे जिसको लिपलोक-किस कहते है.. उनको देख मेरा शरीर पता नहीं क्यों गरम होने लगा था...मेरे अंदर कोई आग सी भड़कने लगी थी सोमा..अजीब सी तपन मेरे शरीर को गरम करने लगी थी..मेरे पिछवाड़े में मुझको कुछ महसूस सा हो रहा था..लेकिन मेरा ध्यान अंदर ही था..जहाँ मेरे भैया भाभी के ऊपर चढ़े हुए थे और अब भैया भाभी के बोबे किसी बच्चे की तरह चूसने लगे थे बारी-बारी से दोनों बोबे ऐसे ही चूस रहे थे मानो वो भाभी का दूध पी रहे हो....तभी पिंकी ने मेरा हाथ थोड़ा कसकर पकड़ लिया..तो मैंने गौर किया की रोशन भैया ने अपने दोनों हाथ जो हम दोनों के कंघो पर रखे हुये है उस एक हाथ से वो अपनी सगी बहन पिंकी के एक बोबे को पकड़ कर मसल रहे है..ये देखकर मैं हैरान हो गयी...

फातिमा= दीदी एक बात बताओ क्या सगे भाई-बहन भी सेक्स करते है क्या आपस में....??

रोजी:- देखो फातिमा, किताबों और जमाने में इसको गलत समझा जाता है लेकिन चोरी छुपे सब लोग यह सब करते ही है.. शहरों में तो सेक्स की शुरुआत लगभग घर से ही होती है.. विदेशों में तो बाप-बेटी, माँ-बेटा और भाई-बहन आजकल खुलकर सेक्स करते है, कल ही अखबार में एक ऐसी ही कहानी आई हुई थी फातिमा... वैसे तुम मुसलमानों में तो भाई-बहिन में शादी भी तो होती है ना...???

फातिमा= दीदी हमारे मजहब में सगी अम्मी से जन्मे भाई-बहिन को छोड़कर सभी आपस में शादी कर सकते है....!!!

रोजी:- तभी तो तुम लोगो में ज्यादा सेक्स होता है.. सब भाई बहिन ही आपस में चुदाई करते रहते हो तुम सब... रोजी के ऐसा बोलने से फातिमा शर्मा जाती है और अपना मुंह हथेलियों से ढक लेती है तो रोजी हंसने लगती है और सोमा भी खिलखिला कर हंसती है.. हंसते-हंसते रोजी फिर से सोमा को अपनी बांहों में भर लेती है.. दोनों के चेहरे आपस में टकराते है और एक-दूजे की गरम सांसे महसूस होती है तो सोमा को अजीब सा महसूस होता है और रोजी को जैसे नशा सा आ जाता है.. बिजली अभी तक नहीं आई थी और तीनो ने सारी मूंगफली खाकर खत्म करदी थी... अब रोजी बेड पर अधलेटी सी थी और सोमा उसके पास चिपकी हुई थी और फातिमा उन दोनों के पैरो के पास बैठी हुई थी... बरसात अभी भी चालु ही थी... मौसम बहुत ज्यादा ठंडा और सेक्सी हो रहा था और इस तरह सेक्स कहानी सुनने से उन तीनो की चूत गीली होकर टपकने लगी थी.. लेकिन सोमा बेचारी ज्यादा कुछ नहीं जानती थी और यह दोनों रंडिया उस नादान को चोदने की फिराक में यह सब कहानियाँ कह रही थी..सोमा के बदन में भी अब सुरसुरी सी होने लगी थी और उसकी कच्छी गीली होने लगी थी..यह सबकुछ उस नादान के लिए एक नया अनुभव ही था... तभी फातिमा बोली दीदी आगे सुनाओ न क्या हुआ फिर...???

रोजी ने अपनी एक बाहं सोमा के गले में लपेट ली सोमा को खुद से चिपका लिया और बताने लगी :- तो रोशन भैया अपने एक हाथ से पिंकी के बोबे मसल रहे थे... उधर अंदर मेरे भैया भाभी को बुरी तरह अलग-अलग तरीके से चूम रहे थे उनके बोबे चूस रहे थे...कुलमिलाकर उसवक्त उधर का माहौल पूरा रंगीन और सेक्सी हो गया था फातिमा अब...मेरे दिल की धड़कने तेज हो चुकी थी और मेरा दिल जोर से धड़क रहा था.. उस वक्त मैंने एक सलवार-कुर्ती पहनी हुई थी..जबकी पिंकी ने एक लम्बा गाउन पहना हुआ था.. रोशन भैया ने पैजामा और टीशर्ट पहनी हुई थी...पिंकी का शरीर अब काम्पने सा लगा था... तभी अंदर भैया मेरी भाभी के पेट पर अपना मुंह ले आये और भाभी की नाभि में अपनी जीभ डालकर चाटने लगे इससे भाभी अब जोर-जोर से सिसकिया भरने लगी थी और अपने हाथो से भैया का सर पकड़कर उनके बालों को उलझाने लगी थी...तभी एक हल्की सिसकी पिंकी की सुनाई दी मुझको तो मैंने उसकी तरफ देखा तो रोशन ने अपना हाथ उस गाउन के गले में डाल लिया था और गाउन के अंदर हाथ डालकर वो अपनी सगी बहन के बोबे दबोचकर उनको मसल रहे थे..पिंकी के बोबे उस वक्त भी मुझसे काफी बड़े थे सोमा और मेरे तो तुमसे भी छोटे थे...पिंकी ने मेरा जो हाथ पकड़ा हुआ था वो अब अपने गाउन के ऊपर से ही अपनी चूत पर रगड़ने लगी वो..उसका शरीर मानो तपने लगा था अब तो...मेरे हाथ को गाउन के मोटे कपड़े से भी उसकी चूत की तपन महसूस हो रही थी..इतनी गरम हो चुकी थी वो...इधर मेरे पिछवाड़े में फिर से हलचल हुई तो मैंने सोचा की रोशन का हाथ होगा.. लेकिन उसके तो दोनों हाथ बिजी थे सोमा..एक हाथ से अपनी सगी जवान बहन की जवानी को दबोचे हुआ था और दूसरा हाथ मेरे कंधे पर रखा हुआ था जो अब मेरे छोटे बोबो को छूने लगा था.. बड़ा ही अजीब लग रहा था..दिमाग कहता था की रोजी यहाँ से भाग जाओ पर दिल कहता था की देख तो लो क्या क्या होता है अब आगे.. और दिल जीत गया... मेरे पिछवाड़े में अब हलचल बढ़ चुकी थी.. मुझको मजा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था उस वक्त... भैया अब भाभी की चड्डी उतारने लगे थे.. मैं अब अंदर गौर से देखने लगी...भैया ने उनकी चड्डी उतार के फेंक दी.. अब भाभी बिल्कुल मादरजात नंगी थी जबकि मेरे भैया सिर्फ अपने अंडरवियर में थे..सोमा भैया के अन्डरवियर में एक तम्बू सा बना हुआ था... तभी मेरे मन में एक ख्याल आया क्या भैया की तरह ही रोशन कके अंडरवियर में भी तम्बू बना है जो मेरे पिछवाड़े में हलचल मचा रहा है लेकिन मेरे सामने अभी सुहागरात चल रही थी मैं उसको देखना चाहती थी...पिंकी ने मेरा हाथ अपनी चूत पर रखा हुआ था और रोशन भैया बार-बार मेरा एक बूब्स टच कर रहे थे.. सोमा मेरी चड्डी अजीब तरीके से चिकनी हो चुकी थी.... ऐसा लगता था की मुझको पेशाब आ गया लेकिन मैंने अपनी सलवार में हाथ डालकर चेक किया तो वो पेशाब नहीं बल्कि चिकनाई थी यानी मेरा वीर्य था वो सोमा...जो सुहागरात को देखकर आई उतेजना से नीकला था.. (अब सोमा को भी समझ आया की उसके चिकना पेशाब क्यों आया था) फातिमा वो मेरी चूत से निकला पहला वीर्य था जो महक रहा था... तभी अंदर भाभी ने मेरे भैया का अन्डरवियर उतार दिया... उफ्फ तब मैंने पहली बार किसी मर्द का लंड देखा था सोमा... उफ्फ क्या नजारा था मेरे भैया का लंड भाभी के सामने बिल्कुल उनके चेहरे के एकदम सामने ही था... इससे पहले मैंने सिर्फ बच्चो की नुन्नी ही देखी हुई थी.. जबकी भैया का लंड बहुत ज्यादा बड़ा और मोटा था... भाभी ने उनका लंड अपने हाथों में पकड़कर चूम लिया और बोली.. वाह राजा जी आपका हथियार बड़ा हो जोरदार है लगता है की आज रात मेरी चूत का आप चोदकर भोसड़ा बना डालोगे और फिर भाभी ने भैया के लंड को अपने माथे से लगाया और उसको चूम लिया... यह सब देखकर मेरा शरीर गरम होने लगा था और दिल इतनी जोर से धड़कने लगा की जेसे फट ही जायेगा इधर अब रोशन मेरे एक बूब को कुर्ती के ऊपर से ही पकड़कर मसलने लगा इससे मुझको बहुत मजा आने लगा और अब मैं समझी की क्यों पिंकी अपने सगे भाई से ही इतनी देर से अपना बूब मसलवा रही थी..इससे बहुत ज्यादा मजा आता है सोमा.. यह कहकर रोजी रुकी.. तभी फातिमा बोली दीदी रुको अब मुझे बहुत जोर की पेशाब लग रही है पहले में पेशाब करके आती हूँ तब आगे की कहानी बताना आप.. यह बोलकर वो बाथरूम चली गयी.. सोमा यह बेहद सेक्सी कहानी सुनकर मस्ती में आ चुकी थी..उसका नादान दिल जोरों से धड़क रहा था...फातिमा के बाथरूम की तरफ जाते ही रोजी ने सोमा के एक boob को पकड़ के हल्के से दबाया, तो सोमा को भी उस मजे की अनुभूति हुई.. वो मस्त हो गयी.. फिर सोमा ने उसको धीरे से होठों पर चूमा तो वो नादान जाटनी छोरी मस्त होगई सोमा कुछ नहीं बोल रही थी ना की वो कोई विरोध कर रही थी..क्यूंकि उसको खुद को इसमें मजा आ रहा था.. रोजी ने फिर उसका दूसरा बूब्स भी दबाया इसबार थोड़ा कसकर दबाया था.. जिससे सोमा के मुंह से एक सिसकी निकल गयी...लेकिन वो कूछ नहीं बोली... रोजी ने पूछा:- दर्द हुआ क्या सोमा...?? सोमा ने सर हिलाकर मना किया तो रोजी ने उसको फिर किस किया और पूछा:- मजा आया क्या सोमा बोलो... सोमा शर्मा गयी.. उसको सच में ही मजा आ रहा था..उसकी कच्छी गीली हो चुकी थी और सांसे भारी...जिसको रोजी अच्छे से महसूस कर रही थी... तभी फातिमा आ गयी...वो दोनों चुप हो गये और सोमा ने अपना एक हाथ अब रोजी के सीने पर रख लिया.. रोजी ने फातिमा से पूछा की बहुत देर लगी तुमको पेशाब करके आने में....?? फातिमा= दीदी आपकी कहानी सुनने से मेरे अंदर से बहुत चिकनाई निकली, जिससे मेरी चड्डी पूरी गीली हो गयी उसको खोलकर आई हूँ... रोजी:- मतलब नंगी होकर आई हो...तुम!!!! फातिमा= दीदी तो फिर क्या हुआ, हम तीनो ही औरते है.. किससे डर है हमको.. अब आप या सोमा मिलकर तो मेरा बलात्कार कर नही सकती हो न... यह कहकर फातिमा हंसने लगी... उसकी इस बात से रोजी और सोमा भी हंसने लगी थी ..... रोजी:- सही है फातिमा.. हम ओरतों को भगवान ने लंड न देकर हमको मर्दों का गुलाम बना दिया है...अब आगे की कहानी सुनो तुम दोनों, अंदर भैया का लंड पकड़कर भाभी हिलाने लगी थी और बाहर अब रोशन ने मेरी कुर्ती के अंदर हाथ डाल दिया.. अंदर मैंने समीज पहनी हुई थी.. जिसमें आसानी से उसका हाथ चला गया.. उसके हाथ का मेरे अनछुयें बूब्स से टच होते ही मुझको एक करंट सा लगा.. बहुत ही प्यारा अहसास था वो सोमा.. मेरे बोबो को कोई मर्द आज पहली बार छु रहा था...वो मेरी जिन्दगी का यादगार पल था फातिमा..पहली बार मेरे बदन से कोई खेल रहा था..और अंदर अब भैया ने भाभी को लिटा दिया था और अपना मुसल जैसा लंड उनकी बिना बालों की साफ़ सुंदर चूत के अंदर डालने लगे..तो भाभी बोली आह आराम से राजा थोड़ा आराम से डालो और थोड़ा थूक लगाओ अपने मुसल को और फिर भैया ने अपने मुंह से अपने हाथ में थूका और अपने लंड पर अपना थूक मलकर भाभी की चूत में डाल दिया... भाभी चिल्लाई ‘’ओ री मेरी अम्मा ऊऊ आह मार डाला’’ लेकिन भैया नहीं रुके और उन्होंने भाभी का मुंह अपने हाथ से बंद किया और फिर उनकी चुदाई शुरू हो गयी...हमको अब सिर्फ भैया का शरीर दिख रहा था जो भाभी के ऊपर लेटकर उनकी चुदाई कर रहे थे.. हम सब एकटक ही अंदर देख रहे थे...सबकी सांसे तेज चल रही थी... तभी पिंकी ने रोशन को कोई इशारा किया जिसके बाद रोशन मुझको छोड़कर अपनी सगी बहन के पीछे चला गया.. उसके यूँ मेरे बूब्स छोड़कर जाने से मुझको बहुत बुरा लगा..उसके मसलने से मुझको बहुत मजा आ रहा था सोमा.. रोशन पिंकी के पीछे जाकर खड़ा हो गया और पिंकी ने अपना गाउन ऊँचा कर लिया.. फिर रोशन ऊसके पीछे सटकर खड़ा हो गया..वहां अँधेरा था इसलिए ज्यादा दिखाई नही दे रहा था..मैंने अंदर देखा तो अब भाभी घोड़ी बन गयी थी और उनका मूंह हमारी तरफ था और पीछे से भैया उनको चोद रहे थे..सोमा भाभी अब जोर जोर से सिसकिया ले रही थी..मुझको देखकर डर लगा की भैया का मोटा लंड सचमुच उनकी चूत तो नहीं फाड़ देगा की तभी भाभी बोलने लगी ‘’आह ओह राजाजी फाड़ दो आज मेरी चूत को, सीसीसी अहहाह आह..बना दो भोसड़ा राजा..तुम्हारा मोटा मूसल पूरा डाल दो आज मेरे अंदर,अपनी ताकत दिखाओ राजा मारो मेरी पुसी को ’’ अब भाभी खुद भैया को बोल रही थी उनकी चूत मारने का.. यह सब देखकर..सुनकर में शोक्ड थी उस वक्त...(तभी सोमा पहली बार बीच में बोली= मैडम यह पुसी क्या होती है...??) सोमा की फ्रोक के ऊपर से उसकी चूत को हाथ लगाकर बोली..यह बुर को अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम दिया गया है..गाँव में इसको बुर कहते है तो शहर में इसको चूत कहते है, पढ़े लिखे लोग इसको पुसी या वजाइना भी कहते है.. ऐसा कहते-कहते रोजी ने सोमा की चूत फ्रोक के ऊपर से ही सहला दी.. इससे सोमा को बड़ा ही मजा आया....फिर सोमा भाभी भैया को उकसा रही थी और भैया उसको चोद रहे थे.. तभी पिंकी ने फिर एक सिसकी ली तो मेरा ध्यान उनकी और गया मैंने अँधेरे में गौर से देखा..उफ्फ सोमा मेरी आँखे जेसे फट ही गयी थी उस वक्त वो नजारा देखकर दरअसल सोमा पिंकी ने अपना गाउन ऊपर उठाया हुआ था और उसकी चड्डी उतरी हुई उसके पैरों में फंसी हुई थी और रोशन का पैजामा भी वैसे ही उतरा हुआ था और रोशन पीछे से पिंकी की कमर को अपने दोनों हाथो से पकड़कर उसकी गांड में हल्के-हल्के झटके लगा रहा था...दोनों सगे भाई बहनों को इस तरह देखकर मेरी हालत खराब हो गयी...मेरे इस तरह उनकी तरफ देखने से उनको भी पता चल गया तो रोशन ने उसकी कमर से एक हाथ हटाया और मेरा मुंह पीछे से पकड़कर अपने पास ले गया और मुझको चूम लिया उसी वक्त पिंकी ने भी मुझको चूम लिया...इस तरह से हुए हमले और चूमने से मेरी चूत से पानी रिसने लगा.. सोमा मुझसे उनका कोई विरोध नहीं हो रहा था.. मैं वो सब करना चाहती थी..उस वक्त जीसको सारी दुनिया पाप कहती है..लेकिन वो सब उस वक्त मुझको सबसे अच्छा लग रहा था...अगर यह पाप था तो अब यह मैं रोज करूंगी.. सोमा मैंने मन ही मन फैसला कर लिया की अब मुझको यह सब करना ही था..और मैंने अपने आप को उन बहन-भाई के हवाले कर दिया...””अब सोमा थोड़ा कसमसाने लगी थी..चालाक रोजी समझ गयी की सोमा की कच्छी गीली हो गयी है, उसने फातिमा को एक तौलिया लाने को कहा..फातिमा लाने गयी तो रोजी ने सोमा को चूमा और पूछा की क्या उसकी कच्छी गीली हो गयी तो सोमा शर्मा गयी और सर हिलाकर हामी भरी तो रोजी ने ऊसको एक बार और चूम लिया तभी फातिमा आ गयी उसके हाथ में एक छोटा सा रुमाल जेसा टॉवल था..रोजी ने वो रुमाल लेकर सोमा को कहा= लो इसको फ्रोक के अंदर कच्छी में डालकर साफ़ करलो.. लेकिन सोमा को बहुत ज्यादा शरम आ रही थी तो फातिमा ने रोजी से वो रुमाल लिया और बेड पर खड़ी होकर अपना गाउन उनके सामने ही ऊँचा किया और उस रुमाल से अपनी चूत को साफ़ करके सोमा को पकड़ा दिया और बोली अरे सोमा अब तुम हमारी दोस्त हो जरा खुल जाओ ऐसे तुम्हारी कच्छी बहुत खराब हो जायेगी और तुम्हारी मां बेकार में कुछ उल्टा सोचेगी लो पौंछ लो तब सोमा ने वो रुमाल लिया और फ्रोक को ऊँचा करके रुमाल को कच्छी के अंदर डाल कर अच्छे से अपनी कंवारी चूत पौंछकर वो रुमाल फातिमा को दिया तो रोजी ने वो रूमाल ले लिया और सूंघने लगी...उसमे एक मादक खुसबू आ रही थी चिकनाई से रुमाल भरी हुई थी.. फिर फातिमा ने भी उसको सुंघा और जीभ से थोड़ा सा चाटा...सोमा को बहुत अजीब लगा की ऊसकी चूत से निकला पानी फातिमा चाट रही है..फातिमा ने फिर वो रुमाल रोजी को दी तो रोजी ने भी उसको चखा वाकई में शानदार टेस्ट था उस जाटनी की कंवारी चूत से निकले पानी का..यह देखकर सोमा को उल्टी सी आने लगी.. रोजी समझ गयी की सोमा को इस तरह से योनिरस चाटने से घिन आ रही है और ख्रराब लग रहा है.. तो वो बोलने लगी.. सोमा तुमको यह अजीब लग रहा है ना मेरी बच्ची...??

सोमा==मैडम यह रस तो मेरे पेशाब वाली जगह का है और आप दोनों इसको मुंह से चख रही हो...!!!

रोजी:- देखो तुमको पता है हम केसे पैदा होते है..सोमा हम सब इसी चूत से निकलते है..यह सबसे पवित्र और पाक जगह है..लंड चूत दोनों ही बहुत ज्यादा महत्व की चीज है सोमा और इसको चाटना या इसका रस मुंह में लेना बहुत ही अच्छी बात है..लोग तरसते है इस योनिरस को पीने के लिये...और जब कोई तुम्हारी चूत से मुंह लगाकर और अंदर जीभ डालकर इसका रस पियेगा तो मारे मजे के तुम पागल ही हो जाओगी.. आजकल कंवारी लड़किया तो लंड या चूत चूसकर ही ज्यादा मजा करती है..क्यूंकि लंड डलवाकर मजे लेने से प्रेग्नेट होने का बहुत बड़ा खतरा है न.. इसलिए मेरे पति तो मेरा सारा रस चूसकर चाट जाते है और अब उनके बिना मैं और फातिमा एक-दुसरे की चूत को चाटकर ही मस्ती करते है.. तभी सोमा को याद आया की एक बार कुछ दिन पहले उसकी एक शादीशुदा रिश्ते की बहन ने उसकी चाची को बताया था की उसका पति उसको मुंह में रोज लंड देता है...जो सोमा को सुनाई पड़ गया था, लेकिन विश्वास नही हुआ था..आज उसको यकीन हुआ की लंड या चूत को चाट भी सकते है... अब सोमा मुस्कराने लगी तो रोजी समझ गयी की लड़की फंस गई है अब..और रोजी ने अब सोमा को फातिमा के सामने ही किस किया..सोमा थोड़ा सा शरमाई तो फातिमा बोली=दीदी मुझको भी पप्पी दिजिये न और फातिमा उन दोनों के ही ऊपर चढ़ सी गयी और रोजी से एक लम्बी लिपलोक-किस करने लगी..दोनों एक दूजे के मुंह में अपनी जीभ घुमाकर किस कर रही थी..किस करते-करते ही फातिमा ने सोमा के संतरे जेसे बोबे सहलाना शुरू कर दिया और फिर फातिमा ने सोमा के गाल चूम लिए..सोमा थोड़ा सा शरमाई लेकिन उसको अच्छा लग रहा था यह सब...अब फातिमा भी उन्ही के साथ लेट गई और रोजी ने फिर से कहानी स्टार्ट की...पिंकी ने मेरा मुंह चूम लिया और रोशन ने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखा और धीमे से बोला इसको हिलाओ रोजी.. उसका लंड ठीकठाक था लेकिन भैया से काफी पतला लग रहा था..उसको हाथ में लेते ही मुझको जेसे कोई करंट सा लगा और पिंकी ने मेरा एक boob पकड़ लिया..फिर मैं रोशन का लंड अपने एक हाथ से हिलाने लगी वो गीला हो रखा था..तभी भाभी की एक चीख सुनाई दी..आहा ओह्ह...मम्मी..राजा प्लीज ऐसा मत करो तुम आज सुहागरात के दिन गांड में मत डालो प्लीज राजा प्लीज.. और भाभी पलंग से निचे आ गयी और खड़ी हो गयी.. तब भैया बोले की या तो गांड मरवाओ या मेरा लंड चुसो फिर.. अब भाभी मेरे भैया का लंड चूसने लगी...इधर यह देखकर पिंकी निचे बैठ गयी और रोशन की तरफ मुंह घुमाकर मेरे हाथ से उसका लंड छुड़ाकर चूसने लगी..उसके चूसने के हिसाब से वो पहली बार नहीं चूस रही थी..ऐसा लग रहा था की वो पहले भी लंड चूस चुकी है अपने सगे भैया का.. तभी अचानक रोशन ने उसका मुंह अपने हाथों से जकड़ लिया और धीरे से बोला मेरा निकलने वाला है पिंकी.. और फिर पिंकी ने उसका सारा वीर्य अपने मुंह में ले लिया और निगल गयी ...सोमा मेरी आज यह सब देखकर हालत खराब हो चुकी थी... मुझे पता नहीं क्यों वो सब बहुत ज्यादा अच्छा लगने लगा था.. तभी कमरे में भी भैया ने भाभी के चेहरे और शरीर पर अपना वीर्य गिरा दिया और दोनों उसी बिस्तर पर आपस में लिपटकर सोने लगे और कमरे की लाईट बंद करदी.. इससे एकदम घुप्प अँधेरा हो गया.. रोशन एकदम धीमे से बोला की चलो अपने रूम में चलते है.. और अंदाजे से ही हम सब आगे पीछे अपने रूम की तरफ चल दिये… अपने रूम में पहुंचकर हम बिस्तर पे लेट गये..रोशन बीच में सोया और पिंकी और मैं उसके आजू-बाजु तभी लाईट आ गयी.. मैंने वक्त देखा तो रात के एक बज रहे थे..फिर पिंकी ने डिम लाईट जला कर रूम को अंदर से बंद कर लिया और आकर लेट गयी..मेरी आँखों में नींद का कोई भी नामोनिशान नहीं था..सोमा उस वक्त मेरा दिमाग अजीब हो गया था..मेरा मन सिर्फ सेक्स की ही सोच रहा था और भैया भाभी की चुदाई के दृश्य मेरे दिमाग में किसी फिल्म की तरह घूम रहे थे..तभी पिंकी बोली ‘’ रोशन अब मेरा भी तो पानी निकालो भाई, अब मुझसे रहा नही जाता है यार..आओ ना प्लीज..भैया...मेरा दिल फिर जोरों से धड़कने लगा और रोशन उठकर बैठ गया और पिंकी का गाउन खोल दिया अंदर पिंकी ने एक ब्रा-पेंटी पहनी हुई थी और पिंकी ने अपनी पेंटी भी उतार दी..फिर रोशन भैया उसकी टांगो को खोलकर अपना मुंह उसकी बिना बालों की चूत पर ले गये..सोमा उस वक्त तक मैंने अपनी चूत के बाल कभी साफ़ नहीं किये थे..रोशन किसी कुते की तरह अपनी सगी छोटी बहन की चूत को सूपड़-सूपड़ के चाटने लगा था..मेरी चूत में अब अजीब सी खुजली होने लगी थी सोमा...मेरा मन चाहता था की कोई मेरी चूत भी चाटकर ऐसे ही मुझको मजा दे..मेरे अंदर एक आग सी लग चुकी थी...तभी पिंकी बोली “रोजी आओ तूम मेरे बूब्स दबाओ और चुसो न बहना आओ..और पिंकी ने अपनी ब्रा भी उतार फेंकी..उसके बूब्स मुझसे काफी बड़े थे और टाईट भी थे..मैंने अपने मुंह में उसका एक बूब्स ले लिया...और उसको चूसने लगी मुझको बहुत ही मजा आ रहा था, तभी पिंकी बोली ”रोजी असली मजा लेना है तो अपने कपड़े उतार दो..फिर देखो जन्नत का मजा आयेगा” सोमा उस वक्त पता नहीं कोनसा नशा छा गया था मुझपर की पिंकी के कहते ही मैंने अपनी कुर्ती और समीज उतार दी.. फिर पिंकी ने अपने दोनों हाथो से मेरे तुम्हारे ही जितने संतरे जितने बड़े बूब्स पकड़ लिए और मसलने लगी..मेरे पुरे शरीर में जेसे कोई चींटियाँ सी रेंगने लगी और अजीब सी खुमारी छाने लगी थी सोमा ..वो मेरी जिन्दगी का पहला-पहला सेक्स एक्सपीरियंस था, एक लड़की के लिए यह बहुत बड़ी यादगार होती है सोमा...मैंने उस दिन से पहले तक सुना था की सेक्स गंदी चीज है..लेकिन उस दिन मुझको सेक्स से ज्यादा कुछ भी बढ़िया नहीं लग रहा था.. उस दिन मैं बस सेक्स में डूबना चाहती थी चाहे नतीजा कुछ भी हो... मेरी चूत में मानो आग सी लगी हुई थी... मुझको सेक्स के शिवाय कोई चीज दिखाई नहीं दे रही थी सोमा..(यह कहते-कहते रोजी ने सोमा का एक हाथ अपने बूब्स पर रख लिया और अपने हाथ से सोमा का हाथ अपने बूब पर दबाया, सोमा को अपनी मैडम के बड़े बूब्स पर हाथ लगते ही मजा आ गया नर्म मुलायम बूब्स थे..जबकि सोमा के बूब्स अभी बहुत ज्यादा टाईट थे..सोमा धीरे-धीरे मैडम के बूब्स सहलाने लगी) पिंकी मेरे बूब्स अब जोर-जोर से मसलने लगी थी..मेरे मुंह से अपने आप ही मदमस्त करदेने वाली कामुक सिसकिया निकलने लगी थी...हमारा कमरा बंद था..इतनी रात को किसी के आने का भी डर नहीं था..अब पिंकी निचे लेटी हुई थी रोशन उसकी टांगो के बीच में मुंह डालकर उसकी चूत चाट रहा था..जबकि में उसके ऊपर अधलेटी थी और हम दोनों एक दूजे के बूब मसल रही थी...तभी रोशन ने मेरे पीछे से अपना हाथ मेरी गांड पर रख कर सहलाने लगा..इस तरह से वो दोनों भाई-बहन मुझपर हावी हो रहे थे..मैं उस मस्ती में पगला रही थी और हवस के नशे में अपना होश खो रही थी...

(इस सेक्सी कहानी को सुनकर फातिमा अब अपनी चूत खुजलाने लगी थी,सोमा मैडम के बूब्स को अब मसल रही थी..जबकि मैडम उसकी चूत सहला रही थी, इस कहानी से यह तीनों गरमा गयी थी)

तभी पिंकी बोली-रोशन और रोजी यार अब तुम लोग भी अपने सारे कपड़े उतार लो न ताकि हमलोग खुलकर मजा ले सके..और फिर पिंकी ने मुझको नंगा कर दिया...जबकि रोशन ने खुद ही अपने कपड़े उतार दिये.. मेरी आँखे अबतक डिमलाईट की अभ्यस्त हो चुकी थी और अब मुझको साफ दिखाई देने लगा था.. रोशन का लंड करीब 5 इंच का था.. भैया से छोटा और पतला भी था...पिंकी और रोशन दोनों के झांट बिल्कुल साफ़ थी सोमा जबकि उसवक्त मेरी झांटे तुम्हारी तरह ही मेरी चूत पर उगी हुई थी हालाँकि मेरी झांट ज्यादा घनी नही थी...फिर पिंकी ने मुझको सीधा लेटने को कहा तो मैं कमर के बल सीधे लेट गयी...फिर सोमा पिंकी मेरे पैर पकड़ कर उनके अंदर अपना मुंह घुसाकर अपनी पतली नुकीली जीभ को मेरी अनछुई कंवारी चूत में घुसाने लगी..गॉड कसम मुझको तारे से दिखने लगे मेरे माथे में जेसे लाखों घंटिया सी बजने लगी थी..सोमा जब कोई तुम्हारी चूत चाटेगा तब तुमको इस मजे का पता चलेगा..क्यूंकि यह मजा सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है..इसको शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता है..ना ही इसको बताया जा सकता है..तभी रोशन मेरे दोनों तरफ पैर करके मेरी पेट पर बैठ सा गया..उसका वजन उसके पैरो पर था,इसलिए मूझको कोई दिक्कत नहीं हुई..अब रोशन का लंड मेरे चेहरे के एकदम सामने था..उसके लंड से एक भीनी-भीनी महक आ रही थी,जो उसवक्त सबसे अच्छी महक थी मेरे लिये..फिर रोशन मेरे संतरे जेसे दोनों बूब्स के बीच में अपना लंड रख कर अपने दोनों हाथों से मेरे बूब्स को पकड़ कर उनके बीच अपना लंड दबाकर अपनी गांड हिलाने लगा..इससे उसका लंड मेरे बूब्स के बीच में आगे-पीछे होने लगा..उफ्फ्फ क्या मस्त अहसास था वो...फातिमा अब मुझसे रहा नहीं जाता है थोड़ा सा मेरी चूत में अपनी अंगुली डालकर हिलाओ न यार **(फातिमा ने यह सुनते ही रोजी की मेक्सी में हाथ डाला और उसकी चूत में अपनी दो अंगुली डालकर अंगुली से रोजी की चूत चोदने लगी,सोमा की धड़कने बढ़ गयी यह देखकर,रोजी ने उसको एक लम्बी किस की और अपने बूब जोर से मसलने को बोला और अपनी मेक्सी को थोड़ा ढीला किया और सोमा को अंदर हाथ डालकर बूब दबाने को कहा..और खुद सोमा का पेट और चूत सहलाने लगी..इससे सोमा की चूत में रस बहने लगा और वो फिर से कसमसाने लगी तो रोजी ने उसको रुमाल कच्छी में डालने का बोला..सोमा ने वही किया)**रोशन मेरे बूब्स को लंड से चोद रहा था और पिंकी मेरी चूत को जीभ से चाट रही थी...फिर रोशन ने मेरे बूब्स और अपने लंड पर थोड़ा थूका इससे उसका लंड मेरे बूब्स में आराम से फिसलने लगा था..अब उसके लंड से भी चिकनाई निकलना स्टार्ट हो गयी थी जिसकी महक आ रही थी मुझको..3/4 मिनिट ऐसा करके रोशन ने मुझको जोरदार किस किया और बोला “रोजी अब मुंह में लेकर चुसो न मेरा लंड प्यारी बहना” में तो बहुत देर से मन ही मन यही चाह रही थी मैंने अपना मुंह खोला और रोशन ने अपना लंड मेरे मुंह में डाल दिया.. हल्का नमकीन खट्टा सा स्वाद था उसके लंड का और उससे बहुत ही शानदार महक आ रही थी..हम तीनों में कोई ज्यादा बातचीत नहीं हो रही थी..क्यूंकि सबका मुंह बिजी था..सिर्फ रोशन का मुंह फ्री था उसवक्त.. अह़ा कमीनी फातिमा ऊऊऊऊऊ.. आराम से कर ना अंगुली.. अहा..आहा.. साली तीन मत डाल दो ही काफी है यार..**(चूँकि फातिमा मेक्सी में हाथ डालकर अंगुली कर रही थी तो सोमा को दिखाई नही दे रहा था लेकिन ऊपर से सब महसूस हो रहा था उसको भी)** रोशन मेरे पेट पर बैठा था और अपना लंड मुझसे चुसवा रहा था..तभी पिंकी ने अपनी जीभ को पूरा गोल करके मेरी कंवारी चूत में धकेला इससे मुझको हल्का सा दर्द हुआ और मेरा मुंह बंद हो गया..सोमा इससे रोशन के लंड पर मेरे दांत हल्के से गढ़ गये और रोशन उफ्फ करके खड़ा हो गया और कराहने लगा...पिंकी भी रुक गयी..तभी रोशन ने लाईट जलाई और अपना लंड चेक किया..हल्का निशान ही हुआ था सिर्फ चोट नहीं लगी थी..पिंकी और मुझको चैन आया..आखिर वो हमारा भाई जो था..लेकिन दर्द होने से ऊसका लंड बैठ गया था.. मतलब उसकी उतेजना खत्म हो गयी और वो सिकुड़कर लटक गया..अब उसका साइज भी छोटा हो गया और करीब आधा हो गया..यह सब मैं पहली बार देख रही थी सोमा...थोड़ा जोर से दबाओ न मेरे बूब्स अब में झड़ने ही वाली हूँ,फातिमा थोड़ा धीरे से करो ना...लेकिन फातिमा रुक गयी..रोजी बोली:-क्या हुआ फातिमा रुक क्यों गयी...?? फातिमा=दीदी पहले कहानी पूरी करो वरना आप झड़ने के बाद कुछ नहीं बताओगी.. आप कहानी पूरी करों में आज आपकी चूत को चाट कर आपको झाड़ दूंगी दीदी...**(सोमा भी कहानी पूरी सुनना चाहती थी,वो भी रुक गयी)**

रोजी:- फातिमा साली कुतिया कल बाज़ार से लम्बे वाले बैंगन ले आना उससे चुदुंगी तेरी अंगुली की जरूरत नहीं है मुझको कमीनी..ले कहानी सुन ले..लेकिन फिर मेरी चाटकर उसका रस पीना होगा तुमको यह याद रखना तुम लेकिन..आगे सुन..लाईट जलाने से अब मेरा नंगा बदन पिंकी गौर से देखने लगी थी और पिंकी ने फिर मुझको अपनी बाँहों में भर लिया और चूमने लगी और बोली “रोजी रोशन को वापस तैयार होने में कुछ टाइम लगेगा तब तक आओ हम एक-दूजे की चूत चाटलेते है और फिर हम 69 की पोजीशन में आ गये..**(सोमा ने पूछा की मैडम यह 69 पोजीशन क्या होती है तो रोजी ने उसको बताया,सोमा की शरम अब कम होने लगी थी)**इसबार पिंकी निचे थी और मैं ऊपर थी और मैंने अपना मुंह उसकी बिना बालों की चूत की तरफ किया तो उसकी चूत गीली थी..शायद अपने ही निकले रस से भीगी हुई थी वो.. उसकी चूत सफाचट होने से मुझको चाटने में मजा आ रहा था और पिंकी मेरी चूत चाटने के साथ में अपने हाथों से मेरी गांड को मसल रही थी और मेरी गांड के छेद को अपनी अंगुली से छेड़ रही थी..इससे मेरे शरीर में आनंद की लहरें सी उठ रही थी.. उसकी चूत का स्वाद रोशन के लंड से थोड़ा अलग था लेकिन था उतना ही मजेदार.. पिंकी किसी एक्सपर्ट की तरह वो सब कर रही थी.. जबकि मैं एकदम ही अनाड़ी थी उस वक्त इसी वजह से रोशन भैया के लंड पर मेरे दांत लग गये थे...करीब 5-7 मिनिट तक हम दोनों बहने 69 करती रही तो रोशन भी अब तैयार होकर हमारे पास आ गया और मेरी गांड के छेद में अपनी अंगुली से छेड़छाड़ करने लगा..इससे मेरी उतेजना मेरे काबू में नहीं रही थी और तभी पिंकी ने अपनी टांगो में मेरा मुंह भींच लिया और चिल्लाई “रोजी मेरा निकल रहा है पी जाओ यह रस..अहहाह उहुहुहूऊऊऊऊऊ..और पिंकी मेरे मुंह में ही झड़ने लगी उसके रस की एक फोहार सी मेरे मुंह में गिरी जिसका टेस्ट बहुत ही अच्छा और मजेदार था..सोमा मैं वो रस चटखारे लेकर निगल गयी...इस तरह पिंकी का काम हो गया था..वो मेरे निचे से उठकर बैठ गयी.. वो हांपने लगी थी..उसकी बड़ी छातियाँ बुरी तरह से ऊपर निचे हो रही थी..उसके बाल बिखरे हुए थे..वो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी इस रूप में..तभी रोशन मुझसे बोला “रोजी मेरी बहन की चूत का रस मुझको भी चखाओ न” और वो मेरा मुंह चूमने लगा और मुझसे मुंह खोलने का बोला..और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर गोल-गोल घुमाने लगा..हम दोनों का थूक एक दूजे के मुंह में जा रहा था..सोमा वो बहुत ज्यादा रोमांटीक चुम्बन था...मेरे मुंह में अभी पिंकी के चूतरस का स्वाद बाकि था..जिसको रोशन भैया अपनी जीभ से चूसकर निकाल रहे थे..3/4 मिनिट तक हम दोनों ऐसे ही करते रहे...सोमा पिंकी साइड में बैठकर हम दोनों को ही देख रही थी..उसकी सांसे अब भी तेज चल रही थी और उसके बूब्स हिल रहे थे..तभी रोशन बोला “तुमने चुदाई करवाई है क्या रोजी..मैंने उनको बताया की यह सब मैं पहली बार ही कर रही हूँ भैया.. वो कुछ नही बोले और मेरे बूब्स का निप्पल चूसने लगे..चूसने के साथ वो कभी-कभी अपने दांतों से मेरे निप्पल को काट भी रहे थे..अब मजे के मारे मेरी आँखे मुंदने लगी थी...रोशन भैया बारी-बारी से मेरे दोनों बूब्स के निप्पल वेइसे ही चूस रहे थे...कुछ देर बाद उन्होंने मुझको 69 में होने को कहा..इसबार भी मैं ही ऊपर थी..शायद छोटी होने की वजह से रोशन भैया ने मुझको ही ऊपर रखा और फिर मेरे मुंह में अपना लंड डालने से पहले वो बोले “रोजी इसबार प्लीज मेरे लंड को काटना मत,सिर्फ होंठो और जीभ से चुसो इसको और इसका पानी जब निकलेगा तो बोल दूंगा मैं तुमको” और फिर वो मेरी चूत में जीभ डालकर अंदर बाहर करने लगे और मेरे मुंह में अपना लंड डालकर अपनी गांड धीरे-धीरे हिलाकर मेरा मुंह चोदने लगे..बीच बीच में वो मेरी गांड का छेद भी कुरेद देते थे..सोमा अब मेरी चूत में जेसे लावा फूटने ही वाला था..और तभी मेरे जीवन का पहला स्लखन हुआ यानी में झड़ी.. मुझे ऐसा लगा की मेरी चूत से कोई बाढ़ निकल रही हो सोमा..लेकिन लगभग एक अंजुली भरकर मेरा चुतरस निकला जो पुरे का पूरा रोशन चाट गया..रोशन ने मेरे मुंह से अपना लंड निकाल लिया था..मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी..शरीर बिल्कुल ही कमजोर सा हो गया था..मैं बिस्तर पर गिर सी गयी और लम्बी सांसे भरने लगी..मेरी यह हालत देखकर पिंकी मूस्कराने लगी..तभी रोशन मेरे सामने आकर खड़ा हो गया और अपना लंड मेरे चेहरे की तरफ करके हिलाने लगा...तभी जल्दी से पिंकी भी मेरे पास आ गयी और अपना मुंह खोल लिया..मुझको भी मुंह खोलने का कहा.. तभी रोशन के लंड से एक सफेद रंग के गाढ़े वीर्य की पिचकारी निकली जो हम दोनों के चेहरे और मुंह के अंदर चली गयी..पिंकी मेरे चेहरे पर लगा वीर्य चाटने लगी और बोली “इसको चाट लो रोजी इससे तुम्हारे बूब्स बड़े होंगे और चेहरा साफ़ रहेगा” फिर हम दोनों ही एक दुसरे का चेहरा चाटने लगे ताकि रोशन के लंड से निकला वीर्य वेस्टेज ना हो जाये..इस दौरान रात के दो बज गये थे..हम सबने कपड़े पहने और जल्दी से सो गये...फिर रात भर कुछ नहीं हुआ..आगे की कहानी कल बताउंगी सोमा क्यूंकि बरसात रुक गयी है और तुमको वापस घर भी जाना है ना..ऐसा कहकर सोमा को रोजी चूमने लगी और फातिमा रोजी के बूब दबाने लगी...अब सोमा पूरा सहयोग करने लगी थी..सिर्फ दो ही दिन में एक कमसिन लड़की को पटा लिया उन्होंने.. फिर सोमा चली गयी.. इधर फातिमा और रोजी भी रोज ही की तरह लेस्बियन सेक्स करके, खा-पीकर सो गयी....

☻♥:- ♣♠
 
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अब अगले दिन रोजी स्कुल चली आई, आते हुए वो फातिमा को एक टिफिन पहुँचाने का बोलकर आई..स्कुल की ऑफिस खुलते ही रवि भी आ गया..वो नहा-धोकर रेडी होकर आया था..रोजी ने आज उसपर गौर किया तो वो कुलमिलाकर अच्छे से जंच रहा था..लेकिन रोजी अपने स्कुल के किसी कर्मचारी से सेक्स करने का सोच भी नहीं पा रही थी..वो अपने से दूर के लोगो या मर्दों से ही सेक्स करना पसंद किया करती थी..ताकि वो कभी बदनाम न हो...खैर रवि उसको पसंद आया था..लेकिन उसके असूल आड़े आ गये..खैर लंडो की भला क्या कमी थी उसको..उसने प्रार्थना के वक्त रवि का परिचय सारी स्कुल से करवाया..रवि को देखकर कुछ बड़ी उम्र की लड़किया काफी खुश थी..क्यूंकि इस स्कुल में सब बूढ़े मास्टर ही थे,जवान कोई नहीं था..और सब लड़किया रवि को ही ताड़ रही थी...फिर सब अपनी क्लासो में चले गये..रोजी ने लंच टाइम में रवि को अपने ऑफिस बुला लिया, ताकि वो अपना टिफिन ले जाये..उधर सोमा भी रवि को देखकर मन ही मन खुश हुई..आखिर रवि था जो इतना हेंडसम और उसका गठीला बदन,मांसल बाजू, सब कुछ आकर्षक ही था...

*--* अब हम लोग थोड़ा सा रवि के बारें में जान लेते है!!! *--*

रवि एक बड़े किसान का लड़का था, बचपन से ही बिगड़ गया..कम उम्र में ही सेक्स की जानकारी हो गयी..और सेक्स-मेनियाक बन गया..लेकिन खेल में रूचि थी उसकी और शरीर बनाने का जूनून भी था..इसलिए कुश्ती चेम्पियन बन गया..लेकिन उम्र के साथ-साथ उसमें सेक्स की लालसा बढ़ती रही..उसको कमसिन लड़को की गांड मारने का भी बहुत शौक था..इसी वजह से ही वो पुलिस में ना जाकर मास्टर बना था की लड़को के बीच में रह कर वो अपनी हवस पूरी कर सके.. बड़ी उम्र की गदराई ओरतें उसकी कमजोरी थी..औरतों की भी वो गांड मार ही लेता था..रवि बहुत चालाक था इस वजह से उसकी यह हवस कभी जगजाहिर नहीं हुई थी क्यूंकि वो कभी किसी का बलात्कार नहीं करता था..आराम से तसल्ली से शिकार को फासंकर उसको चोदता था..अपने रिश्तों में भी बहुत चुदाई कर चूका था, उसकी चाची से उसके बचपन से ही सबंध थे..महिलाओं को अपनी मुंहबोली बहन बनाकर उनको चोदना उसकी खास आदत थी..और जब कोई शिकार फंस जाता था तो रवि उसको किसी भी तरीके से अपना गुलाम बना लेता था..बाद में वो उसको अपना सेक्स-स्लेव यानी गुलाम बनाकर रखता था और उसके साथ बहुत ही गंदे-गंदे तरीकों से सेक्स करता था..लेकिन सबकुछ शिकार की रजामंदी से ही करता था..इसी वजह से आज तक कभी भी वो पकड़ा नहीं गया था,खानदानी और पढ़े-लिखे होने की वजह से उसका व्यवहार बहुत बढ़िया था और बातचीत के अच्छे तरीके से लोग उसको बहुत ज्यादा अच्छा समझते थे..जबकि वो बहुत बड़ा हरामी था..दुसरे पेसेवाले घर का होने से वो लोगों को पैसे से भी मदद करके या खर्च करके,गिफ्ट देकर अपना कर्जदार बना लेता था..कुलमिलाकर यह बहुत शातिर रंडीबाज और समलेंगिक था..या कहो की सेक्स-मैनियाक था.. नशा सिर्फ अफीम का करता था..जिससे उसकी सेक्स-पावर बढ़कर डबल हो जाया करती थी.....लेकिन वो बहुत ज्यादा सावधानी से यह सब करता था... लेकिन छोटी और कंवारी लड़कियों से वो बचता था..या फिर उनके साथ निरोध लगाकर ही बहुत ज्यादा सावधानी से सेक्स करता था..आज स्कुल के पहले दिन उसने सब से मिलकर अपने शिकार टटोलनें शुरू किये ताकि किसी की गांड मार सके..उसको रोजी पहली नजर में ही जम गयी थी..अब वो स्कीम बनाने लगा की इस स्कुल में क्या करना है आगे...

*---* *---* *--* *----*

दो दिन से रोजी सोमा की पढ़ाई का पूरा ख्याल रखने लगी थी,ताकि इस लड़की के घर से कोई शिकायत न मिले, सोमा भी पढने में ध्यान दे रही थी..साथ ही सेक्स के बारें में भी सोच रही थी...मैडम से मिलने के बाद उसका मन दूसरों में नहीं लगता था..गाँव में मैडम की बहुत इज्जत थी..क्यूंकि गाँव के लोगों को रोजी की कामपिपाशा के बारें में कोई खबर नहीं थी...इसी तरह लंच-टाइम हुआ..रोजी अपने ऑफिस में बैठी हुई थी और फातिमा रवि का टिफिन लेकर आ गयी..फातिमा रोजी से बातें करने लगी की तभी रवि ऑफिस में आ गया..तो रोजी ने उन दोनों का परिचय करवाया..फातिमा से आँख मिलते ही रवि भांप गया की यह मुसलमानी उसको बहुत मजा देगी,फातिमा की गांड देखकर रवि का लंड पेंट में सनसना कर अपना सर उठाने लगा..उधर फातिमा के मन में भी हलचल मच गयी उस गबरू जवान के गठीले बदन को को देखकर..आखिर उसको लेस्बियन सेक्स से पूरी तसल्ली नहीं मिलती है..वेसे भी किसी भी औरत को कभी भी बिना लंड लिए पूरा मजा नहीं आता है, लेस्बियन सेक्स तो एक उपाय मात्र है सेक्स की हवस पूरी करने का...फातिमा रवि से परिचय करके, उसको टिफिन देकर फातिमा चली गयी..फिर उस दिन स्कुल में कोई विशेष बात नहीं हुई और छुट्टी के बाद रोजी स्कुल से निकल कर अपने घर की तरफ चल दी..रास्ते में उसको याद आया,की काफी दिन से कुछ मीठा नहीं बना है घर में तो लाला की दुकान की तरफ चल दी,साथ ही लाला का हिसाब भी करना था उसको..शाम के 5 बज रहे थे...गाँव की गलियों में रोजी को कुछ लोग मिले जिन्होंने उसका अभिवादन किया और रोजी ने भी उनको नमस्कार किया..तभी रोजी को सोमा के बापू मिल गये..उन्होंने रोजी को रोककर पूछा “ मैडमजी आपको कोचिंग और ट्यूशन के महीने के कितने पैसे देने होंगे आप बता दीजिये तो मैं महीने भर का पेशगी भिजवा देता हूँ..लेकिन आप सोमा को ढंग से सिखा दीजिये ”... लेकिन रोजी ने उनको पैसे के लिए मना कर दिया और बोली:- आप कैसी बात करते हो सरपंच साहब, सोमा मेरी भी तो बेटी जैसी ही है न, दुसरे अगर वो कबड्डी में जीतेगी या कुछ अच्छा करेगी तो हमारे स्कुल का और मेरा भी तो नाम रोशन होगा न..आप दुबारा ऐसा मत बोलना..!!!! इस बात से सोमा का बाप बड़ा ही खुश हो गया और उसने रोजी को शुक्रिया कहा, तो रोजी बोली:- लेकिन कुछ और बातें है..सरपंच साहब.. देखिये एक तो सोमा को खेलने का अभ्यास करने के लिए थोड़ी सी अलग ड्रेस चाहिए..सलवार-कुर्ती या फ्रॉक में अब वो कैसे कबड्डी सीखेगी..दुसरे में थोड़ी सी सख्त मास्टर हूँ..तो कभी-कभी आपकी लड़की को डांट दूँ या एक-दो थप्पड़ मार दूँ तो आप शिकायत मत करना बस..बाकि सोमा समझदार है,तो ऐसा होगा नहीं...

सरपंच= देखिये मास्टरनीजी हम देहाती लोग है हमको ड्रेस का क्या मालूम चलेगा..आप शहर जाती रहती हो तो आप अबकी बार सोमा को अपने साथ शहर ले जाना, इस बहाने सोमा घूम भी आएगी और ड्रेस भी ले आएगी, सोमा की माँ तो एकदम भोली है आपको पता ही है न..इतना एहसान मुझपर और कीजिये आप...

रोजी:- अरे सरपंच साहब, इसमें एहसान की क्या बात, मैं तो अकेली आती-जाती हूँ, इस बहाने से मुझको भी एक साथी मिल जायेगा, आज शुक्रवार है मैं इसी रविवार को सुबह 10 बजे ट्रेन से शहर जाऊँगी और शाम को पांच बजे उसी ट्रेन से वापस आ जाउंगी...आप रविवार को सुबह सोमा को मेरे घर भेज देना....फिर सरपंच चला गया और रोजी लाला की दुकान की तरफ चल पड़ी....

*-----* लाला की दुकान *------*

गाँव की एकमात्र दुकान जिसमें सुई से लेकर मुसल तक सब मिलता था..लाला अकेले ही दुकान चलाता था..लाला की बीबी को दो बच्चें पैदा होने के बाद कोई दिक्कत हो गयी थी और उसको मोटापा आ गया..इससे लाला अपने शरीर की जरूरत पूरी करने दूसरी औरतो से मिलने लगा और फिर तो लाला एक बहुत बड़ा रंडीबाज बन गया था...लेकिन लाला किसी लड़की को कभी नहीं चोदता था वो सिर्फ गदराये बदन की भाभियाँ या शादीशुदा गांव की बेटियां ही चोदा करता था, कुछ जरुरतमन्द औरते सामान के बदले भी लाला को अपना जिस्म भोगने देती थी..क्यूंकि यह लाला भी थोड़ा मोटा था..इसलिए वो चोदता कम और चुसवाता और चाटता ज्यादा था..इससे भाभियाँ बहुत पट जाती थी उससे..इसका एक कारण था की गाँव के लोग आज भी लंड मुंह में लेना या चूत चाटना बुरा मानते है जबकि इसके बिना सेक्स का मजा ही अधुरा है दोस्तों.... रोजी लाला की दुकान पहुंची तो लाला अपने बेटे को डांट रहा था और रोजी के पहुंचते ही लाला ने अपने बेटे को एक थप्पड़ मार दी और डांटने लगा और गाली देने लगा..रोजी को दुकान में आते देख लाला रूक गया और रोजी को नमस्कार किया..फिर लाला रोजी को बताने लगा की उसका लड़का बहुत ज्यादा बिगड़ गया है और गाँव के आवारा लड़को के साथ घूमता है..और अभी वो सिनेमा देखने की जिद कर रहा था और पैसे मांग रहा था इसलिए उसको मारा उसने..रोजी ने लाला के लड़के की देखा..उसका नाम कपिल था..वो अपनी हैडमास्टर को देखकर थोड़ा डर गया..रोजी उससे बोली:- देखो कपिल ये ठीक बात नहीं है..अगर दुबारा तुम्हारे पिता ने शिकायत की तो में प्रार्थना के टाइम सारी स्कुल के सामने यह सब बता दूंगी..कपिल इस बात से बहुत ज्यादा डर गया ओर उसने रोजी के पैर पकड़ के माफ़ी मांगकर दुबारा ये सब न करने का वादा किया..इतने में लाला की बेटी भी आ गयी..उसका नाम माला था..वो थोड़ी ठिगनी थी लगभग 5फुट की लेकिन वो गोरी थी और उसकी गांड बहुत ज्यादा ही चौड़ी थी..जो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी, रोजी ने आज से पहले उसको स्कुल ड्रेस में ही देखा था,लेकिन आज वो एक घाघरा-चोली पहनी हुई थी, उसकी नाभि और पेट बहुत ही ज्यादा सेक्सी था, गांड तो कमाल ही थी उसकी..वैसे लाला का लड़का भी गौरा था और चिकना भी था..चेहरे पर बाल नहीं के बराबर थे..इस वजह से वो किसी लड़की जैसा ही लगता था...माला ने रोजी को प्रणाम किया और फिर वो भाई-बहन दोनों अपने घर चले गये..रोजी ने सूजी ली और पुराना बकाया चुकाया तो लाला बोला:- मास्टरनी साहिबा, आप बुरा मत मानना लेकिन आप मेरे बच्चो को मेरे घर आकर ट्यूशन पढ़ा दिया करो..फ़ीस आप जो बोलोगी में दे दूंगा आपको..लेकिन रोजी ने लाला को यह कहकर मना कर दिया की उसको इतना टाइम नहीं है की वो लाला के घर आये..न ही वो अभी फ्री है..लाला बेचारा उदास हो गया..लेकिन रोजी पैसों के लिए इस मगजमारी में नहीं उलझना चाहती थी..फिर वो घर की तरफ चली गयी..स्कुल रोजी हमेशा साड़ी पहनकर ही जाती थी..जिसमें वो थोड़ी ज्यादा उम्र की लगती थी..लेकिन जब वो दूसरी ड्रेस पहनती थी तो सेक्स की दुकान लगती थी...रोजी को माला भा गयी थी..लेकिन उसके पास अभी सोमा थी न...ऐसा हो सोचते हुए वो घर पहुंची.... *---* *---* *--* *----*
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oconee memorial hospital
 
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घर पहुंचकर रोजी ने हाथ-मूंह धोया, फिर आज उसने एक लम्बी स्कर्ट जो घाघरे जेसी थी लेकिन थोड़ी ऊँची थी..उसके ऊपर एक कुर्ती पहनी.. और बेड पर आकर अधलेटी हो गयी,फातिमा चाय लेकर आई और दोनों चाय पीते हुये बातें करने लगी..फातिमा ने आज एक मर्दों के पैजामे जेसा लोवर और शर्ट पहनी हुई थी ...

फातिमा= दीदी यह नया मास्टर तो बहुत ही कम उम्र का लगता है...गाँव में तो रौनक हो जायेगी..लड़किया लाइन लगाकर देखेगी इसको तो....

रोजी:- ह्म्म्म, लगता है फातिमा उसको देखकर तेरी चूत कुलबुलाने लगी है..स्कुल में भी तुम उसको ऐसे देख रही थी की कच्चा चबा लेगी..!!!!!

फातिमा= दीदी..एक बात बोलूं,लेकिन आप इसका बुरा मत मानना..हम चाहे आपस में कितना ही मजे करें..लेकिन किसी मजबूत मर्द के निचे आकर उसकी जोरदार चुदाई का जो मजा आता है वो दीदी हम दोनों जब दस बार खेलती है तब आता है..और मुझको बहुत दिन हो चुके है किसी मजबूत लंड का मजा लिए..आखिरी बार शहर में एक मेले में चुदवाया..वो भी खड़े-खड़े जल्दीबाजी में चुदवाया था..मजा भी पूरा नहीं आया था दीदी,अब उस बात को तीन महीने बीत चुके है..मेरी चूत को अब लंड की जरूरत है दीदी..जो मुझको रगड़-रगड़ के ऐसे चुदाई करें की मेरी आँख निकल जाये और गांड फट जाएँ..और यह कहकर फातिमा हंसने लगी..इसपर रोजी की भी हंसी छुट गयी...

रोजी:- इसमें बुरा मानने की क्या बात है फातिमा, यह तो हर औरत का सपना होता है..लेकिन किसी नसीब वाली को ही रोज ऐसी चुदाई मिलती है..बाकि तो बस तड़फती ही रहती है..देख ना मुझको ही देख ले तूं...आज मुझको भी महिना भर हो चूका है फातिमा किसी लंड को अपने मुंह और चूत में लिए...

फातिमा= दीदी..कोई ऐसा इंतजाम करो ना की महीने में एक बार तो जमकर लंड से चुदाई हो जाये..मेरी चूत बहुत बुरी तरह तड़फ रही है लंड लेने के लिए..जब आप मेरे पास नहीं होती हो तो मेरी इन्छा होती है की उन रेलवे वाली झाड़ियो में चली जाऊं और 3-4 जनों से अपना बलात्कार ही करवा लूँ..लेकिन ईज्जत जाने के डर से रुक जाती हूँ..दीदी आज रवि को देखकर मेरी इन्छा हो गयी की अब किसी लंड से चुदाई करवाई जाये...

रोजी:- देखो मैं तुमको रोकूंगी नहीं पर बिना निरोध मत चुदवा लेना किसी से और ख्याल रखना की गाँव में किसी से मत चुदवाना वरना तुम्हारे साथ-साथ मैं भी बदनाम हो जाऊँगी..बाकि मैं भी देखती हूँ की कुछ तूम्हारी चूत की खुजली का इलाज हो... फिर रोजी ने उसको सूजी का हलवा बनाने को बोला...क्यूंकि सोमा अब आने ही वाली थी..तो रोजी ने जल्दी से दो बड़े पैग बना लिये..यह थोड़ी बढ़िया शराब थी इसमें सेंट अलग आती थी और कम आती थी..साथ ही रोजी सरपंच और लाला से हुई बातचीत बताने लगी, जब रोजी ने लाला के बेटे का जिक्र छेड़ा तो फातिमा को कुछ याद आया और उसने रोजी को बताया.....

फातिमा= दीदी लाला का लड़का तो बहुत बिगड़ा हुआ है....उसके बारें में मैंने एक बात सुनी है..की वो गंडवा है..पहले वो शहर में पढ़ता था,वहीं वो गांड मरवाना सीख गया और अब वो शाम पड़े कई बार ढाबे पर जाता है..सुना है की वो वहां आते-जाते ट्रकवालों से गांड मरवाता है..दीदी क्या सच में गांड मरवाने से भी मजा आता है...????

रोजी :- तो क्या तुमने कभी अपनी गांड नहीं मरवाई फातिमा अभी तक ...?

फातिमा = अरे दीदी मैंने पहले भी आपको बताया था ना की एक बार मेरे शौहर ने अपना आधा लंड डाल दिया था, तो दर्द के मारे जान निकल गयी थी मेरी और दो दिन तक बैठ भी ना पाई और लेट्रिन भी न जा पाई थी, उसके बाद मैंने कभी किसी को अपनी गांड नहीं छूने दी थी दीदी..क्या आपने अपनी मरवाई है...???

रोजी :-अरे पागल गुदामैथुन या गांड मराना तो हर औरत का सुनहरा सपना होता है..लेकिन मर्दों को सही से गांड मारना आता नहीं है, इसलिए औरतें अपनी गांड में लंड लेने से डरती है फातिमा बाकि आजकल काफी औरतें खुलकर अपनी गांड मरवाती है..और तो और आजकल मर्द भी एक-दूजे की गांड मारने और मरवाने लगे है मेरी जान..तेरे जीजा तो बड़े ही शौक़ीन है गांड के...आने दे अबकी बार उनके लंड से तेरी गांड का उद्घाटन करवाऊंगी..ऐसा कहकर रोजी ने बड़े ही जोर से उसके बूब्स दबा दिये तो फातिमा ने भी उसके बूब्स दबा दिये...तभी गेट बजा, लेकिन सोमा के आने का तो टाइम नहीं हुआ था..तो कौन आया..रोजी ने एक दुप्पटा अपने सर पर डाला बाहर गयी तो डाकिया आया था, वो एक पार्सल लाया था..उसने ले लिया..फिर गेट बंद कर रसोई में आ गयी शराब का एक घूंट लिया और पार्सल देखने लगी..वो उसके इसाई मिशनरी से जुड़े एक फादर जोसेफ ने फोरेन से भेजा था..रोजी ने रसोई के चाकू से उसको खोल लिया...जोसेफ रोजी का बहुत पुराना दोस्त था, अबकी वो विदेश था..और उसको गिफ्ट भेजा था..पैकेट खोला तो..उसमें तीन पैकेट निकले.. एक में 6 सेक्सी चित्रों वाली किताबें थी..जो अलग अलग टाइप के सेक्स सीन से भरी हुई थी..

1. आदमी औरत का नोर्मल सेक्स

2.. औरत का औरत से लेस्बियन सेक्स

3... मर्द का मर्द से gay सेक्स या समलेंगिक सेक्स

4.... ओल्ड/यंग सेक्स..मतलब कम उम्र का बड़ी उम्र वाले से सेक्स

5..... सामूहिक सेक्स..बहुत सारे लोगो का एक साथ सेक्स

6...... INCEST परावारिक सेक्स मतलब परिवार का आपस में सेक्स करना

रोजी ने अभी उन किताबों को ऊपर से नाम देखकर छोड़ दिया और दूसरा पैकेट खोला..

उसमें तीन ड्रेस थी..

1. बड़े साइज की फोरेन की स्कुल ड्रेस स्कर्ट और एक छोटी शर्ट जो नाभि से ऊपर तक ही थी!!

2.. एक एकदम झीनी पारदर्शी नाईटी जिसमें सिर्फ चूत और बूब्स पर जाली लगी थी बाकी सारा पारदर्शी था!!

3...एक रबर जैसे काले कपड़े से बनी फुल ड्रेस जिसमे सिर्फ आंख,मुंह,बूब्स,चूत और गांड की जगह पर छेद थे..

उसको देखकर रोजी ने तीसरा पैकेट खोला..उसमें एक क्रीम थी और दो प्लास्टिक से बने लंड जेसे करीब 6/7 इंच

के खिलोने जिसमें एक पर दाने उभरे हुये थे(डॉटेड) और एक चिकना था...साथ ही एक लम्बा पत्र था...जो रोजी पढ़ने ही वाली थी की गेट बजा..

सोमा के आने का टाइम हो गया था..रोजी ने फातिमा को वो सब सामान अंदर अलमारी में रखने का बोल खुद गेट खोलने गयी..बाहर सोमा ही थी..उसको अंदर लेकर रोजी ने गेट बंद कर लिया...आज सोमा ने फिर सलवार-कमीज पहनी हुई थी...फातिमा वो सब सामान अलमारी में रख आई थी..सोमा को अंदर लेकर पहले रोजी ने उसको बाँहों में भरकर चूमा इससे सोमा को रोजी के मुंह से शराब की महक आई,लेकिन वो समझी की मैडम ने कोई परफ्यूम लगाया हुआ है...फिर रोजी ने उसको समझाया की पहले हम 40मिनिट खेल की प्रेक्टिस करेंगे फिर मस्ती ताकि तुम सीख सको और उसके बाद आज तुमको ऐसी चीज दिखाउंगी की तुम उम्रभर याद रखोगी..फिर वो तीनो कबड्डी की प्रेक्टिस करने लगे...वहां ज्यादा कुछ नही हुआ बस फातिमा ने सोमा कके बूब्स खूब मसले आज और 4-5 बार उसकी चूत पर हाथ भी फिराया..आज सोमा अपनी कच्छी में कोई कपड़ा लगाकर आई थी..फातिमा को लगा की उसको मासिक आया है लेकिन सोमा ने शरमाकर बताया की कल उसकी कच्छी पूरी तरह गीली हो गयी थी इसलिए आज वो कच्छी में कपड़ा डालकर आई है.. फिर वो पौन घंटा प्रेक्टिस करते रहे...फिर रोजी ने रोका सबको और वहीं बैठकर सुस्ताने लगे सोमा रोजी के पास ही बैठी हुई थी..फिर फातिमा ने धीरे से सोमा के बूब दबा दिये तो सोमा के मुंह से एक सिसकी निकली..

तो फातिमा बोली= अरे वाह सोमा,कल दीदी ने इतना सब किया तो चुपचाप करवा लिया और मैंने थोड़ा सा दबाया तो इतनी बड़ी सिसकी..ठीक है आइन्दा हाथ नहीं लगाउंगी तुमको...

सोमा—अरे नहीं नहीं फातिमा जीजी, वो आपने अचानक किया तब मेरे मुंह से निकल गयी...!!!!!!

फातिमा= मतलब मैं बोलकर करूं तो आराम से करवा लोगी न सोमा??

सोमा—जीजी..आपको केसे मना करूंगी मैं भला..

फातिमा = मतलब मुझको चाटने भी दोगी क्या..?? अब सोमा शर्मा गयी...जबकि वो मन ही मन चाहती थी की कोई उसकी कंवारी बुर को चाटले एक बार...

रोजी:- फ़ातिमा तुम भी, बेचारी कब से तरस रही है यह अपनी चटवाने को..और तुम सिर्फ पूछ ही रही हो..अभी तक..!!!!!

फिर अचानक से फातिमा उठी और बोली “उफ्फ्फ कितनी गर्मी हो गयी है सोमा के साथ इस कबड्डी की प्रेक्टिस से..फिर उसने यह कहते हुए अपनी शर्ट निकाल फेंकी...अब फातिमा का कातिल छरछरा सांवला मुसलमानी जिस्म, हब्शी लेस्बियन रोजी और नई कमसिन कली सोमा के सामने अधनंगा हो गया था....उसके 38 इंच के बूब्स एक मामूली सी ब्रा में कैद थे..जो बाहर आने को छटपटा रहे थे...उसके पेट पर नाभि बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी..वो उन दोनों के सामने खड़ी हो गयी..सोमा उसके बड़े बूब्स एकटक देखने लगी..फातिमा के आगे उसके बूब्स अभी बहुत छोटे थे,सोमा को जलन सी हो गयी उसके बड़े बूब्स देखकर...सभी पसीने में नहाई हुई सी थी..मानसून की वजह से थोड़ा ज्यादा चिपचिपा माहौल था..इससे फातिमा का शरीर चमक सा रहा था..फातिमा ने सोमा को इशारे से अपने पास बुलाया..तो किसी गुलाम की तरह सोमा भी खड़ी हो गयी और फिर फातिमा ने उसको अपनी बाँहों में भर लिया ओर उसको होंठो से होंठ जोड़कर एक लम्बा चुम्बन किया..फिर फातिमा अपने दोनों हाथ सोमा की पीठ से निचे ले गयी और उसकी मस्त गांड मसलने लगी..साथ ही उसके कान में धीरे से बोली= सोमा अपनी कमीज उतार दो न पसीने में भीग गयी है..और फिर उसने सोमा की कमीज उतार दी..अंदर उसने एक पतली समीज पहनी हुई थी जिसमें उसके बड़े ही कठोर और संतरे के साइज के बूब्स छुपे थे..सोमा की सांसे तेज चलने की वजह से उसके बूब्स हल्के-हल्के से हिल रहे थे मानो की इस मिलन की ख़ुशी से झूम रहे हो..इधर मंत्रमुग्ध सी सोमा ने अपना एक हाथ फातिमा की नंगी व चिकनी बांहों पर फेरा...फातिमा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो उसकी हिम्मत बढ़ी... उसने अपना एक हाथ फातिमा की हथेली में फंसाया तो फातिमा ने उसका हाथ अपनी चूत पर पैजामे से ऊपर रगड़ दिया,उनके इस खेल को देखकर रोजी हंसी तो सोमा शर्मा गयी और और अधनंगी फातिमा की पीठ से चिपक गयी...अब तो फातिमा के पैरों तले जमीन खिसक गई, जब उसको सोमा के कमसिन,कोमल जिस्म का एहसास हुआ...फातिमा ने आजतक रोजी से ही लेस्बियन रिश्ता बनाया हुआ था..किसी कमसीन लड़की के कोरे बदन से खेलने कका यह उसका पहला मौका था..अब फातिमा ने अपनी पीठ से चिपकी सोमा के दोनों हाथ पकड़ के अपने बूब्स पर रख दिये और धीरे से बोली= सोमा मेरे बोबे दबाओ ना ओर बताओ की दीदी के बूब्स मस्त है या मेरे मस्त है..फिर फातिमा अपने हाथों से सोमा का हाथ अपने बूब्स पर दबाने लगी..उन दोनों के इस खेल को देखकर हमारी लेस्बियन क्वीन रोजी के मन में भी कामीन्छा जाग उठी थी...आखिर सोमा की चूत का उद्घाटन उसी को ही तो करना था न..वो खड़ी होकर सोमा के पीछे गयी और उसकी समीज को ऊँचा करके सोमा की पसीने से भीगी हुई पीठ को अपनी जीभ से चाटने लगी..रोजी की जीभ का अपनी पीठ पर स्पर्श होते ही नवयौवना कमसिन कली सोमा को करंट सा लगा..उफ्फ..ओह्ह..ऊऊऊऊईईईईइमा..अब तो सोमा के मुंह से एक नहीं तीन-तीन सिसकियाँ निकल गयी...उधर रोजी को भी उसके बदन और पसीने के स्वाद में स्वर्ग नजर आ गया..आखिर नई कली के बदन में नशा तो होता ही है न...इस करंट के झटके से सोमा ने पागल होकर फातिमा के बड़े-बड़े बोबे जोर से मसल दिये..इस अचानक हमले से अब फातिमा के चीख सी निकल गयी..ओऊ ओ ऑ..और फातिमा घूम गयी..दोस्तों अब सोमा दोनों और से शिकारियों के कब्जें में आ चुकी थी..उसके पीछे पुरानी और खतरनाक शिकारी रोजी थी..जबकि सामने कम उम्र की फातिमा..ओर कच्ची-कंवारी हवस से भरी हुई सोमा आज खुद ही शिकार होना चाहती थी..उसने अपने आपको को अब उन दोनों शिकारियों के हवाले कर दिया..फातिमा ने सोमा की समीज की तनिया खिसककर उसको निचे खिसका दिया..अब सोमा की नंगी छातियाँ फातिमा की आँखों कके सामने थी..इससे सोमा को फिर शरम आई..आखिर आज पहली बार वो सेक्स के लिए नंगी हो रही थी..उसकी आंखे बंद हो गयी..रोजी ने पीछे से हाथ डालकर सोमा के दोनों संतरे अपने हाथों में पकड़ लिए..और बिल्कुल हल्के से उनको मसाज देने लगी और अपनी जीभ को सोमा की गर्दन पर फिराने लगी..दोस्तों लड़कियों की गर्दन उनका वीक पॉइंट होता है..इससे सोमा की उतेजना कई गुना बढ़ गयी थी..अब रोजी की गर्म सांसों का स्पर्श सोमा की गर्दन के पास हुआ… फिर लंबी सांस लेने की आवाज आई...ये क्या, सोमा की मास्टरनी अपनी शिष्या के जिस्म की खुशबू ले रही थी..उसने सोमा की गर्दन पर एक चुम्बन जड़ दिया...सोमा की वर्जिन चुत में आग पहले से लग रखी थी,रोजी ने ऐसा करके उसे और बढ़ा दिया...अब सोमा की चूत गीली हो गई..उधर फातिमा अपने हाथों को सोमा के बदन पर चलाते हुए और बांहों पर फेरते हुए ऊपर लायी...उसने सोमा की गर्दन पर हाथ फेरा...दूसरे ही पल सोमा को अपने स्तनों के ठीक ऊपर के भागों में सीने पर रोजी के हाथ महसूस हुए...सोमा की धड़कनें तेज हो गईं...फातिमा ने हाथ बढ़ाकर सोमा के दायें चुचे को कोमलता से सहलाया...वो सोमा के बदन को सूंघें जा रही थी, जैसे वो कोई फूल हो..तभी रोजी ने सोमा के कानों में कहा:- सोमा फातिमा की ब्रा उतार दो न, बेचारी के बोबों को आजाद करो तुम अपने हाथों से..सोमा ने किसी गुलाम की तरह अपनी मालकिन रोजी के कहेनुसार फातिमा की ब्रा के हुक को खोलकर उसके दोनों कबूतर आजाद कर दिये...रोजी की गर्म सांसों की आहट सोमा की गर्दन पर हो रही थी...धीरे धीरे उसके हाथ सोमा के नंगे पेट की तरफ सरकने लगे...सोमा की सांसें अब चारगुना तेज स्पीड से चलने लगीं, उस कमसिन कली का अब खुद पर काबू कर पाना मुश्किल नहीं नामूमकिन था...इसका आभास शायद उसे भी था...अब उसने अपने आपको हवस के सागर में खुला छोड़ दिया..अब रोजी बे-ख़ौफ़ अपनी शिष्या के जिस्म से खेल रही थी.....रोजी ने अब खेल को अपने हाथ में लेने का फैसला किया और अपने हाथो को सोमा की सलवार पर ले गयी और उसका नाड़ा खोलने लगी,आज गांठ सही लगी हुई थी इसलिए तुरंत खुल गया..फिर सलवार को उसने निचे खिसका दिया..सोमा के सलवार पर उसके हाथ पहुंचते ही सोमा चिहुंक उठी, जब उसने अपनी सलवार को खुला पाया तो वो कसमसा सी गयी..आज उसका सबसे कीमती खजाना उसका कोमार्य उसने अपनी मैडम के हाथो में सौंप दिया था, वहीं रोजी को जैसे किसी खजाने की चाभी मिल गयी हो...सोमा इस नशे में जकड़ गयी फिर रोजी के हाथ उसने अपनी इलास्टिक वाली लम्बी चड्डी(thong) के अन्दर जाते महसूस हुए...सोमा की चूत में अब आग और बढ़ती जा रही थी, अब काबू करना मुश्किल ही नहीं…न ही मुमकिन था...उधर फातिमा ने उसको अपने निप्पल चूसने का बोला,फातिमा की हाईट सोमा से थोड़ी ज्यादा थी इसलिए सोमा ने अपना मुंह झुकाकर उसके निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगी..अपनी माँ के अलावा आज पहली बार किसी ओर महिला के स्तन अपने मुंह में लिए थे सोमा ने..रोजी ने उसके कच्छी में हाथ डालकर उसकी चूत पर अपना हाथ रख दिया..दोतरफा हमले में फंसी हुई नादान बालिका अब बिल्कुल पगला ही गयी और बुरी तरह से सिसियाने लगी..रोजी एक हाथ से उसके कड़क बूब्स मसल रही थी तो दुसरे हाथ से कंवारी चूत सहला रही थी..उसकी कच्छी से कपड़ा वो कब का ही निकाल चुकी थी रोजी..तभी फातिमा ने अपने निप्पल उससे छुड़ाकर सोमा के सामने निचे बैठ गयी और फिर उसने एक झटके में सोमा की कच्छी निचे खींच ली...वाह...शानदार..गजब..फातिमा की आँखों के सामने अब मुगलों के अनमोल खजाने से भी कीमती सोमा की कंवारी चूत थी, जिसपर एकदम मुलायम सुनहरे से हल्के-हल्के रेशमी बाल थे..जो कभी काटे न होने की वजह से बेहद ही मुलायम थे...इतनी शानदार चूत थी की फातिमा की आँखे ही चुंधिया गयी उसको देखकर...तभी रोजी ने सोमा को कमर से पकड़कर अपनी तरफ घुमा लिया..अब सोमा की बिल्कुल नंगी जवानी अपनी मालकिन रोजी की आँखों के सामने थी..उसकी चूत को देखकर रोजी भी चकित हो गयी..उसने फिर देर न करते हुए सोमा को उसी बिस्तर पर सीधा लिटा दिया...सोमा ने मारे शरम के अपनी आँखों को अपनी हथेलियों से ढक लिया..आज उसका अपने जीवन का पहला सेक्स अनुभव था...रोजी ने उसकी टांगे थोड़ी फैलाई और अपनी नाक सोमा की चूत पर लेजाकर जोर से सुंघा...उफफ्फ्फ्फ़ क्या मस्त खुसबू आ रही थी सोमा की गरमाई हुई चूत से..फिर रोजी को अचानक कुछ याद आया और उसने फातिमा को रसोई से हलवा लाने को कहा..फातिमा हलवा लाने गयी तो रोजी ने सोमा को बोला “सोमा अपनी आँखों को खोलो शरमाओ मत और मजे लो आज अपने यौवन के” तभी फातिमा आ गयी वो एक कटोरी में हलवा लेकर आई थी...सोमा ने अब अपनी आँखों से हथेली हटा दी..फिर रोजी ने थोड़ा सा हलवा सोमा की चूत के मुंह पर रखा और फातिमा को बोली:- फातिमा अब अपने मुंह से यह हलवा खाओ तुम.. और यह सुनते ही फातिमा की भूखी कुतियाँ की तरह से वो अगले ही पल वह सोमा की चूत पर टूट पड़ी, फातिमा से अब रूका नहीं गया और वो अपने पूरे मन से वो उस कमसिन चूत पर रखे हलवे को ऐसे चाटने पागल होकर चाटने लगी जेसे भूखी कुतियाँ किसी कटोरी में पड़े दूध को चाटती है...इससे सोमा को आनंद की ऐसी अनभूति हुई जो अनमोल थी और उसकी चूत से रसधारा सी बहने लगी..हलवा खत्म होते ही रोजी ने फातिमा को रोका और फिर थोड़ा हलवा रखकर बड़े ही आराम से अपनी जीभ से धीरे-धीरे उस हलवे को चाट चाट कर खाने लगी इससे सोमा की चूत में बार-बार रोजी की जीभ टकरा रही थी..अब सोमा के मुंह से “उम्म्म्मनमन मनमन मममम... आह उम्म्ह… अहह…हय…याह…आह्ह.ओ मैया..उह्हह्हह्हह्हह्ह” जैसी आवाजे आने लगी..उधर रोजी अब अपने मुंह से जीभ निकालकर ”चपचप स्स्लर्पगु गुनऊँउ उउउउ स्लर्प लपलप लप्ल्प…सोमा की चूत चाटने लगी...आअह्हह क्या स्वाद है तेरी चूत का सोमा..जी करता है की अब रोज सुबह-शाम ये चूत ऐसे ही चाटती रहूँ मैं....स्लपचपचा पर्पगुगुन ऊँउउउ” सोमा अब अपनी गांड ऊपर तक उठा-उठा कर अपनी चूत रोजी से चटवा रही थी और रोजी किसी पागल की तरह ही उसकी चूत अपनी जीभ से चाट रही थी..पूरा कमरा अब रोजी के सूपड़-सूपड़ के चूत चाटने की आवाज से और सोमा की मादक सेक्सी सिसकियों से गूंज रहा था..सोमा बोल रही थी “उफ़्फ़ मैडम बस आप ऐसे ही चूसिये ना मेरी बूर को..आअह्ह..ओ मेरी प्यारी मैडम..आअह्ह जोर जोर से चुसो न इसको..आआहह उह…आअह…पुरे कमरें में सोमा की सिसकियाँ किसी म्यूजिक की तरह घूम रही थी..उसकी सिसकियो के रोजी और फ़ातिमा भी हवस के नशे में झुमने लगे और फातिमा ने सोमा के पास बैठकर उसके संतरों पर हाथ फिराया और फिर एक संतरे की निप्पल पर अपनी जीभ चलाने लगी..’’ऊऊउह..उम्म्मा..सीईईससीईई..उई..ऊऊऊऊऊ’’सोमा चिल्लाने सी लगी तो फातिमा ने अपने हाथ से उसका मुंह बंद किया और उसको धीरे बोलने का कहा क्यूंकि तेज आवाज बाहर जा सकती थी..सोमा ने उसका कहा मान लिया और अब वो थोड़ी धीमी आवाज में सिसकने लगी...सोमा की झांटों में हलवा और रोजी का थूक लगा हुआ था और उसकी चूत का रस भी अब टपकने लगा था..रोजी ने फिर अपनी जीभ चूत से निकाल कर उसकी चूत के ऊपर के दाने को पहले जीभ से छेड़ा और फिर दोनों फांकों को मुंह में भरकर चाटने लगी..उधर अब फातिमा ने अपनी जीभ सोमा के मुंह में डाल दी जिसको सोमा लोलीपोप की तरह से चूसने लगी..फातिमा में मुंह में हलवा लगा होने से सोमा को उसका थूक थोड़ा मीठा सा लग रहा था..अगर कोई हिंजड़ा भी अभी इस नजारे को देख ले तो उसको भी उतेजना आ जाये ऐसा सेक्सी नजारा था इस वक्त... सोमा को अब इस पोजिशन में चूत चटवाने में बेहद मजा आ रहा था,वह कमर को हिला-हिलाकर चूत चटवा रही थी,करीब 2-3 मिनट तक इसी तरह चाटने के बाद रोजी रुक गयी...इससे जेसे सोमा का शरीर अचानक लकवा मारा सा हो गया..रोजी ने फातिमा को भी हटा दिया और अपने कपड़े उतार कर फेंक दिये और खूद अब निचे लेट गयी..सोमा समझ गयी कि अब उसकी बारी है अपनी मैडम की चूत चाटने की..तो वो उस अखाड़े के बिस्तर पर बैठ गयी..तभी फातिमा ने लेटी हुई रोजी की चूत के मुंह में थोड़ा हलवा रख दिया और सोमा के सर के बाल पकड़कर बोली=चल कुतियाँ अब तुम चाटो दीदी की चूत को..वासना के नशे में चूर सोमा चूपचाप अपनी प्यारी मैडम की चूत पर झुक गयी और देखने लगी, तभी फातिमा ने रोजी की जांघों को फैला कर उसकी चूत पर सोमा के मुंह को अपने हाथ से धकेल दिया..सोमा ने देखा की..रोजी की चूत बाहर से सांवली सी है और थोड़ी फैली हुई सी है साथ ही दरार भी चौड़ी है..बाल साफ़ थे..चूत के ऊपर का दाना सोमा से काफी बड़ा था..चूत पनियाई हुई थी और ऊपर हलवा रखा हुआ था..एक बहुत ही प्यारी सी महक उसकी मैडम की चूत से आ रही थी..अब सोमा से रुका नहीं गया और उसने अपना मुंह अपनी माँ की उम्रवाली अपनी मैडम की चूत पर रख दिया..पहले हलवा उसके मुंह में आया..फिर सोमा की जीभ ने रोजी की चूत को छुआ गरम सा लगा और फिर सोमा ने हिम्मत करके अपनी जीभ को मैडम की चूत में डाला..एक नमकीन सा स्वाद आया और बहुत ज्यादा रूमानी सेक्सी एहसास हुआ हमारी कमसिन सोमा को तो फिर वो भी रोजी के ही तरीके से अपनी जीभ निकाल कर उसकी चूत चाटने लगी,रोजी अपनी कमर हिला-हिलाकर एक कमसिन लड़की से अपनी चूत चटवा रही थी..इसी तरह कुछ देर चूत चटवाने के बाद रोजी ने सोमा अपनी चूत से सोमा के मुंह को हटा लिया और नीचे खिसकने लगी अब एक तरीके से सोमा रोजी के ऊपर लेटी हुई थी...रोजी के थोड़ा नीचे खिसकने के बाद अपनी बड़ी सी चूचियों को हाथ से पकड़ कर सोमा के संतरों की निप्पल से रगड़ने लगी...अब सोमा अपनी आंखें बंद करके सेक्स के मजे ले रही थी..वह खुद भी एक हाथ से अपनी दूसरी चूत को मसल रही थी..फातिमा इस बीच रसोई में चली गयी थी..और दो पैग बनाकर वहीं ले आई..इधर कुछ देर चूचियों की निप्पल रगड़वाने के बाद सोमा थोड़ा नीचे झुकी और रोजी की एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगी और दूसरी चूची को हाथ से मसलने लगी..लड़की अब सीखने लगी थी...हमारी इनोसेंट गर्ल सोमा के मुंह से हल्की-हल्की आहह हहह…आआ आआह हहह… की सिसकारी निकलने लगी थी..उधर उनके पीछे फातिमा ने एक बड़ा घूंट शराब का अपने मूंह में भरा और जल्दी से लेटी हुई सोमा के मुंह पर जाकर अपना मुंह जोड़ दिया और रोजी ने उसके मुंह से वो शराब अपने मुंह में लेकर निगल ली..इस तरह वो तीनो आज एकदम खुलकर उन्मुक्त होकर अपनी कामवासना को शांत करने में लगी हुई थी....सोमा करीब 2 मिनट तक इसी तरह बारी-बारी सोमा की दोनों पपीते जेसी चूचियों को मुंह में भरकर चूसने के बाद थोड़ा सा थककर रुक गयी तो रोजी ने उसको खड़ा किया और उसको लिटा दिया और रोजी अब सोमा की कमर के पास जाकर घुटनों के बल बैठ गयी...फिर सोमा के एक पैर को पकड़ कर हवा में उपर उठाकर अपने कंधों पर रख लिया और अपनी दूसरी जांघ को घुटनों से मोड़कर उसकी कमर के अगल-बगल फैला दिया..सोमा मुझे हैरानी से देख रही थी, वह समझ नहीं पायी कि अब रोजी क्या करने जा रही थी..फातिमा भी हैरान थी...रोजी ने फिर अपनी चूत को सोमा की चूत से सटा दिया और कमर को हिलाते हुए चूत से चूत को आपस में रगड़ने लगी..फातिमा के लिए ये नया अनुभव था, उधर अब सोमा की आंखें बंद हो गयीं और मुंह से सिसकारियां लेते हुए वह भी हल्का-हल्का अपनी कमर को हिलाते हुए चूत रगड़ने में साथ देने लगी..के मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थीं..तो फातिमा ने भी अपने कपड़े उतार दिये और नंगी होकर सोमा के मुंह पर अपनी चूत रखकर बैठ गयी..अपना वजन उसने अपने घुटनों पर रखा हुआ था..सोमा के मुंह के ऊपर में अब फातिमा की चूत का दरवाजा था..सोमा ने तुरंत अपना मुंह खोलकर उसको चाटना शुरू कर दिया..कुछ देर तक इसी तरह दोनों अपनी कमर हिलाते हुए एकदूजे की चूत को रगड़ती रही और फातिमा सोमा से अपनी चूत चटवाती रही..करीब 4-5 मिनट बाद अचानक सोमा के मुंह से तेज सिसकारी निकली--आहह हहहह हहह… मैडमऊऊ ईई ईईई … आआ आआहह हहह..और वह अपनी कमर को तेजी से ऊपर की तरफ उछालते हुए हिलाने लगी अब रोजी समझ गयी कि उसकी कमसीन कंवारी चूत का पानी निकलने वाला है, तो अब वो भी तेजी से अपनी कमर को हिलाते हुए चूत को तेजी से रगड़ने लगी...उसकी भी हालत सोमा जैसी ही थी, उसकी चूत भी करीब-करीब पानी छोड़ने वाली थी..अब फातिमा की भी आँखें बंद थीं और वो तेजी से कमर अपनी हिलाते हुए चूत को सोमा के मुंह पर रगड़े जा रही थी, सोमा ककी जीभ उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थी,सोमा के माथे पर पसीने की बूंदें आ गयी थीं..और तभी सोमा के मुंह से तेज सिसकारी निकली--आआ आआह हह हहह … आआआ… ईईई ईईई..सीईईईईईई उह उह उह उह्हह्हह्हह्हह्ह और उसने अपने हाथों से फातिमा की कमर को कस कर पकड़ लिया और अपनी कमर को तेजी से रोजी की चूत पर झटका देने लगी, अब करीब 3-4 तेज झटके देते हुए सोमा की चूत ने पहली बार पानी छोड़ दिया..फातिमा की चूत का पानी भी बस निकलने ही वाला था....वो अभी भी तेजी से कमर हिलाते हुए सोमा चूत रगड़ रही थी और करीब 15-20 सेकेण्ड बाद ही कमर को तेज झटके देते हुए वो भी सोमा के मुंह में ही झड़ गयी...इससे सोमा के गले में उसका चूत रस चला गया और सोमा को अचानक जोर की खांसी आई..जिससे उसके मुंह में गया फातिमा के चुतरस और थूक निकला जो फातिमा के बदन पर फ़ैल गया..अब रोजी का भी माल छुट गया, उसकी चूत और सोमा की चूत का पानी मिक्स होकर उन दोनों की चूत के आसपास पास फैल गया था, रोजी थक गयी थी और सोमा के बगल में लुढ़क कर लेट गयी और आँख बंद कर अपनी सांसों को काबू में करने की कोशिश करने लगी...सोमा भी उसी तरह आंख बंद किये पड़ी थी और हाम्फ रही थी..लेकिन फातिमा ने सोमा की चूत पर लगा हुआ सोमा और रोजी का मिक्स हुआ यौनिरस चाटना शुरू कर दिया..सोमा के शरीर से मानो जैसे जान ही निकल चुकी थी..आखिर यह उसका पहला सेक्स था ना..कुछ देर तक उसी तरह रहने के बाद रोजी ने अपना पैग उठाया और धीरे धीरे पीने लगी..सोमा उसी की तरफ देख रही थी..उसको लगा की वो कोई शर्बत पी रही है...फिर उसको याद आया की मैडम ने उसको बोला था की आज प्रेक्टिस के बाद एक अनोखी चीज दिखायेगी तो उसने रोजी को याद दिलाया..रोजी ने उसको अपने बदन से चिपका लिया और एक लम्बी किस की इसबार सोमा को शराब की महक आ गयी..क्यूंकि सोमा का मामा रोज शराब पीता था..इसलिए उसको शराब की महक का पता था..उसको अजीब लगा की एक औरत भी शराब पीती है..लेकिन कुछ बोली नहीं,सोमा का दिमाग अब तेजी से विकसित हो रहा था...यह उसकी खासियत थी की वो बहुत जल्दी हर चीज सीख जाती थी...रोजी ने उसको कमरे में चलने का कहा, वहां जाकर फातिमा को टीवी चलाने का बोला और वीसीआर में एक कैसेट डाल दी...और सोमा को अपनी गोद में लेकर पलंग पर बैठ गयी,फातिमा को एक और पैग लाने को कहा...वो तीनों अभी नंगी ही थी..तभी रोजी की नजर घड़ी पर पड़ी बाहर अँधेरा हो गया था..उसने सबको जल्दी से कपड़े पहनने को कहा और खुद भी पहनने लगी,फातिमा को बोली यार बहुत ज्यादा लेट हो गयी है, तुम सोमा को छोड़कर आओ..सोमा तुमको वो सब कल दिखाउंगी आज लेट हो चुकी है, वरना तुम्हारे बापू बिगड़ेंगे..सोमा समझ गयी..फातिमा ने जल्दी से सोमा की चूत और चेहरा साफ़ किया और उसको कपड़े पहनाये, खुद भी पहने तभी रोजी ने एक बड़ी चोकलेट सोमा की दी और बोली इसको रास्ते में खा लेना और किसी को कुछ मत बताना..सोमा ने अपने बापू की कसम खाई..फिर फातिमा उसको घर छोड़ने चली गयी...

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*-----**----* अब थोड़ा रवि का आज का कार्यकलाप *----**----*

रवि शाम को 7 बजे स्कुल से अपना कमरा लॉक करके खाना खाने निकला..वो सरकारी स्कुल आबादी से हटकर थोड़ा सा सुनसान जगह पर बना हुआ था, स्कुल में ऐसे एक चपरासी रहता था..लेकिन वो बहुत बुढ्डा था और अभी बीमार था, इसलिए आता नहीं था..शाम पड़े वो जगह थोड़ी सुनसान ही रहती थी..आज यहाँ रवि का दूसरा दिन था..उसको कोई शिकार हाथ न लगा था..अब केसे किसी का शिकार करूं यही सोच रहा था रवि...वो ढाबे की तरफ पैदल ही जाने लगा..स्कुल से हाईवे ज्यादा दूर नहीं था मुश्किल से कोई एक किलोमीटर ही होगा वो ढाबा..रवि जल्दी इसलिये निकला था की इस बहाने गाँव की गलियाँ भी देख लेगा और वाकिंग भी हो जायेगी..वो रोजी के बारें में सोच रहा था..पता नहीं क्यों उसको रोजी बहुत ही ज्यादा सेक्सी लगी..हालाँकि रोजी ने ऐसा कुछ इशारा नहीं किया था,लेकिन रवि का दिल कह रहा था की वो कोई रहस्यमय औरत है..फिर फातिमा का सोचने लगा..लेकिन उसपर ज्यादा फोकस नहीं था उसका..लेकिन अगर रोजी किसी तरह सेट हो जाये तो इस स्कुल में उसके मजे हो जाये..इस स्कुल में ज्यादातर जवान लड़के-लड़किया आसपास के गाँव के थे,यह वो स्कुल रजिस्टर में देख चूका था..वो सब अपने-अपने गाँव चले जाते थे..रवि कोई भी नशा नहीं करता तथा बस कभी-कभी अफीम खा लेता था, सेक्स से पहले अफीम खाने से उसकी सेक्स क्षमता डबल हो जाती थी..वो अपने साथ निरोध और अफीम हमेशा ही रखता था..क्या पता कब कोई चूत या गांडू मिल जाये..रवि का लंड बीच में थोड़ा टेढ़ा था..जिससे चुदाई के टाइम वो फसं-फंस के अंदर-बाहर होता था..इससे चुदने वाली औरत या गांडू को एक अलग ओर अजीब मजा आता था..जिससे रवि से कोई भी चुदने वाला उसका मुरीद हो जाता था..लगभग केले जैसा ही टेढ़ा था रवि का लंड..दुसरे रवि को सेक्स में बहुत सारी टेक्निक आती थी..अलग-अलग अंदाज से वो जबर्दस्त चुदाई करता था..शाम का अँधेरा हो चूका था, रवि अपने कमरे से एक पॉकेट टोर्च जेब में डालकर लाता था..ताकि कोई सांप-बिच्छु न काट ले रात में...रवि ने देखा की ढाबे से थोड़ा सा पहले एक ट्रक साइड में लगा हुआ था..उसमे एक हल्की लाईट जल रही थी..रवि ने ज्यादा गौर नहीं किया..लेकिन जब वो उस ट्रक के पास से गुजरा तो रवि को एक हल्की सी सिसकी सुनाई दी..चालाक रवि तुरंत ही भांप गया की यह सिसकी तो सेक्स वाली सिसकी है..इसका मतलब ट्रक में कोई प्रोग्राम चल रहा है.. उसने अपनी टोर्च बुझा दी और ट्रक के पास अँधेरे में खड़े होकर कान लगाकर आवाज सुनने लगा..’’उहुहुहू अहा धीरे करो ना उस्ताद आपका बहुत बड़ा है यार..उह आह ओओ..आह आह..’’ फिर दूसरी आवाज आई...’’धीरे बोल हरामी,कोई सुन लेगा...’’ फिर वो पहली आवाज ‘’सरदारजी चिंता मत करो इधर कोई नहीं आता है..आई अम्मा उह्हह्हह्हह्हह्ह आज मार ही डालोगे आप मुझको तो..’’ सरदार:- तुम बहुत जोरदार हो मेरे साथ चलो न..रानी बनाकर रहना मेरी इस ट्रक में .. ‘’ना सरदारजी न..आप आते जाते मिल जाया करो बस..आहा लगता है आपका नीकल गया है सरदारजी...?? सरदार:- हाँ यार, मेरा निकल गया है..इतना मजा तो शहर के लौंडे भी नहीं दे पाते है जितना तुमने दिया है,तुमने ये सब केसे सिखा..?? ‘’यह सब कुछ अगली बार और बाद में बताऊंगा सरदारजी मुझको निकलने दीजिये अभी आप तो..’’ सरदार:-अपना नाम तो बताओ मेरी जान तुम..??? आगे उसका जवाब रवि को सुनाई नहीं दिया.. फिर सरदार की आवाज आई:- अच्छा नाम है तुम्हारा और उससे अच्छा काम किया है..यह रखो तुम 50 की जगह 100रूपये लो, अगली बार भी दूंगा तुमको यार..3 दिन बाद वापस आऊंगा शाम को यहीं आ जाना तुम और फिर चुम्मा-चाटी की आवाज आई.. तभी रवि ने देखा की उसकी साइड से ट्रक का गेट खुला है तो वो अँधेरे में दुबक गया..तभी सरदार निचे उतरा और दूसरी साइड का दरवाजा भी खुला और वहां से कोई निकलकर शाम के अँधेरे में जल्दी से चला गया..अब सरदार दूसरी तरफ गया और दरवाजा लोक करने लगा तो रवि ने उस साइड उस दुसरे इन्सान को देखा लेकिन वो अँधेरे में गायब हो चूका था..तो रवि अब ढाबे की तरफ पैदल जाने लगा...रवि की समझ में यह भी नहीं आया की सरदार किसको चोद रहा था अपने ट्रक में आखिर,आदमी था या औरत..क्यूंकि उसकी आवाज तो पतली सी थी लेकिन सरदार उसको यार क्यूँ कह रहा था..आखिर वो ढाबे पहुंच गया..ढाबे वाले ने उसका खाना लगाया ही था की वो सरदार भी उसी के बाजू में आकर बैठ गया और खाने का ऑर्डर दिया उसका खाना भी बनने लगा और रवि खाना खाने लगा साथ ही उस सरदार का भी मुआयना करने लगा, वो सरदार नोर्मल बोडी का ही था..45-50 साल का लग रहा था..तभी सरदार ने एक शराब का पव्वुआ निकला और एक गिलास में डालकर शराब पीने लगा..जल्दी से शराब पीने के बाद वो जल्दी-जल्दी खाना खाने लगा,दोनों ने ही साथ-साथ खाना खत्म किया..रवि पेमेंट देकर उसी रास्ते पर चलने लगा,अब अँधेरा बहुत ज्यादा हो गया था,रवि ने टोर्च जलाई तभी पीछे से उसी सरदार की आवाज आई ’’ओ बाउजी, रुक्को यार..मुझको भी उधर ही जाना है..तुम्हारे पास टोर्च है मुझको उधर ही जाना है साथ में चलते है’’ रवि रुक गया..सरदार आया तो दोनों उस टोर्च की रोशनी में चलने लगे..सरदार को नशा हो आया था,तभी रवि ने उससे पूछा-अरे सरदारजी इधर अँधेरे में कहाँ आपने ट्रक खड़ा किया..उधर ढाबे पर ही लगा देते गाड़ी को’’ सरदार बोला- बाउजी क्या बताउं आपको एक मस्त माल मील गया था, उसी को बजाने के चक्कर में गाड़ी इधर लगाई थी..और क्या गजब माल था, शहर के 100 लौंडो की बजाई होगी मैंने लेकिन इसके जैसे मजे कोई नहीं दे पाया मुझको बाउजी..साला इतना चिकना था की लड़किया भी फ़ैल है उसके सामने... रवि-मतलब लड़के की गांड मारी आपने..?? सरदार= बाउजी लड़का नहीं चीज था.. उफ्फ मेरा तो चूसकर ही ऐसा हाल किया उसने की उसकी गांड में डाला ही था की 2 मिनिट में ही निकल गया..लेकिन क्या टाईट और साफ़ गांड थी उसकी बाउजी,मस्त शानदार..सरदार अब नशे में आ चूका था..रवि:-लेकिन वो मिला कहाँ आपको..???? सरदार:- अरे बाउजी ऐसे लड़के ट्रकवालों को ढूंढते रहते है..उसने पचास मांगे मैंने सौ दिये उसको..इसी गाँव का लौंडा था..उफ्फ्फ कितना चिकना था..जी करता है साले को बीबी बना लूँ बाउजी..इतने में उसका ट्रक आ गया... रवि ने सरदार से उसका नाम पूछा तो सरदार बोला भूल गया, लेकिन 3 दिन बाद वो फिर आयेगा तब वो लड़का वापस मिलेगा..आप भी आ जाना बाउजी..फिर रवि उसको ट्रक तक छोड़के स्कुल चला गया... बबस इतना ही हुआ उस दिन......

*-----* अगले दिन , शनिवार *-----*

रोजी आज जल्दी उठ गयी, पास ही में फातिमा लेटी हुई थी, रोजी ने उसके पिछवाड़े पर एक जोरदार सी थप्पड़ मारी तो वो जाग गयी.. रोजी ने उसको सुबह वाला किस किया, फिर पहले तो थोड़ी देर दोनों इधर-उधर की बात करने लगी फिर रोजी ने मुस्कुराते हुए पूछा- तो कल रात मजा आया या नहीं फातिमा...?
फातिमा थोड़ा नखरा दिखाते हुए मुस्कुराकर बोली- हम्म्म्म … कुछ खास नहीं दीदी..कल आपने मुझको बिल्कुल भी नहीं मजा दिया बस उस सोमा का ही मजा लेती रही.. यह कहकर वह हंस दी..रोजी बोली:- पागल तुम तो मेरी जान हो न और रोजी उसपर सवार हो गयी..दोनों सुबह-सुबह शुरू हो गयी..करीब 25-30 मिनिट में ही दोनों झड़ गयी और दोनों ने एक दूजे का योनीरस पीकर सुबह की शुरुआत की..फिर फातिमा उठकर घर के काम करने लगी और रोजी कल का पत्र जो पार्सल के साथ आया था वो पढ़ने लगी... अब पत्र के मुख्य अंश निचे लिख रहा हूँ....

**----** जोसेफ का रोजी को विदेश से पत्र **-----**

रोजी, मेरी डार्लिंग..बहुत दिनों बाद तुमको खत लिखा है..कारण यह है की..मैं फ़िलहाल विदेश हूँ..मेरी जान तुमको कुछ गिफ्ट भिजवा रहा हूँ..इन गिफ्ट के मजे लेना और सबको देना...चुदाई का मजा खुलकर लेना...विदेश में तो आजकल डर्टी-सेक्स और incest सेक्स का बहुत चलन हो चूका है, मेरी वाइफ और मैं भी आजकल अपने बेटा और बेटी के साथ खुलकर सेक्स करते है..तुम भी अब अपने बच्चो से मजे लो,ये ड्रेस और किताबें लेटेस्ट है..किताबें देखकर और यह ड्रेस पहन के सेक्स करो,बाकि तुम भी तो बहुत ज्यादा ही समझदार हो..तुम अब उम्र के उस पड़ाव पर हो जब जवानी का ढलान शुरू होता है, अब से कुछ साल बाद सेक्स को तुम सिर्फ देख ही पाओगी, उससे पहले जितने हो सके उतने सेक्स के मजे लो.. यह नकली लंड तुम्हारे बहुत ही काम आयेंगे.. साथ की क्रीम अभी नई आई है जो गांड मरवाने के काम आती है..इस क्रीम को गांड मरवाने से पहले गांड के छेद में लगाओ तो दर्द बिल्कुल भी नहीं होता है और गांड मरवाने वाले को उतेजना भी आती है...लेकिन सेक्स में सावधानी रखना..निरोध लगाना..तीन महीने बाद मेरा पूरा परिवार इंडिया आएगा तब हम सब साथ में सेक्स करेंगे.. तब तक तुम अपने बच्चो और पति को पटाओ..फिर हम सब मिलकर सामूहिक सेक्स करेंगे.. साथ ही एक और बड़ी बात..रोजी जिसका तुम बुरा मत मानना लेकिन तुम्हारे काम की है.. इधर एक रीच फेमिली है..जो अगले महीने इंडिया जायेगी..उसमे सिर्फ पति,पत्नी और एक लड़का जिसकी ऊम्र 22 साल है वो तीन जने है..उनका इंडिया में 10 दिन रहने का प्रोग्राम है..इस दौरान वो इंडियन लेडी और बॉयज/गर्ल से सेक्स करना चाह्ते है, जिसकी वो बहुत बड़ी फ़ीस भी देंगे..मेरी जान यह तुम्हारे लिए मौका है..तुम लंड के मजे के साथ कमाई भी करलो और फिर उस पैसे से मजे करो..वो तीनो बाईसेक्सुल है..वो एक कारवां लेकर आयेंगे **कारवां-एक बड़ी सी गाड़ी होती है, जिसमें पीछे छोटा सा घर बना होता है..मतलब चलता फिरता घर..** यह मौका चूकना मत,तुमको पुरे 10 दिन उन्ही के साथ ही रहना है, यह तुम्हारी जिन्दगी का सबसे यादगार सेक्स-एडवेंचर-प्रोगाम होगा..उनको कम उम्र के गर्ल/बॉयज बहुत ज्यादा पसंद है..उनके साथ यह पति-पत्नी बहुत से रोलप्ले यानि अलग अलग तरीके से खेल खेलेंगे..तुमको बहुत ज्यादा मजा आयेगा रोजी.. उनके कारवां में 7-8 इन्सान आराम से रह सकते है..रोजी में गारंटी लेता हूँ की तुमको बहुत मजा आयेगा..अब तुम चाहो तो इसके लिए अपने बेटे और बेटी को पटा लो उनके आने में अभी काफी वक्त बाकी है..सेक्स के मजे के साथ साथ कमाई भी..बाकि उस पत्र में जोसेफ ने सेक्सी बातें लिखी हुई थी अपनी फेमिली की और रोजी की कुछ पुरानी बातें..



रोजी ने वो पत्र पढ़कर अपने अलमारी में लोकर में रख दिया..रोजी इसपर गम्भीरता से सोचने लगी, जोसेफ ने सही लिखा था..रोजी की जवानी अब ढलान पर ही थी,वो 43 साल की हो गयी थी, अभी से उसके बाल सफेद होने लगे थे..यही सब सोचते हुए वो नहाने चली गयी,फिर नहाकर तैयार होकर घर से निकलने ही वाली थी की अचानक उसको कुछ याद आया..फातिमा किचन में थी...जाकर उसको पीछे से अपनी बाहों में लिया और उससे बोली:- फातिमा तुम लंड लेना चाहती हो न...? लेकिन क्या तुम मेरे कहे से तुम किसी का लंड अपनी चूत में ले लोगी..?? फातिमा= दीदी..आप बोलो बस..मैं आपके कहने से इंसान ही नहीं किसी गधे या कुते का भी लंड ले लुंगी...!!! इस से रोजी को हंसी आ गयी, दोनों ही हंसने लगी..फिर रुककर फातिमा ने रोजी से पूछा=दीदी क्या मैं आपकी स्कुल के उस नये मास्टर से चुदवा लूँ ..बस एक बार..? रोजी ने कुछ पल सोचा और बोली:- जरुर, अगर तुम दोनों राजी हो तो क्यों नहीं...लेकिन मेरी कोई बात उसको मत बताना और इस घर में उससे चुदाई मत करवाना तुम...बस यह ख्याल रहे फातिमा...!! फिर रोजी स्कूल चली गयी...इधर फातिमा सोचने लगी..तीन दिन बाद उसका मासिक-धर्म यानि पीरियड शुरू हो जायेगा..आज दीदी ने सुबह-सुबह सेक्स करके उसकी कामाग्नि भड़का दी थी..अब उसकी चूत किसी लंड के लिए मचलने लगी थी....लेकिन तीन दिन में वो किसका लंड ले..?? रह-रह कर उसके सामने रवि का ही चेहरा आ रहा था..उसका लम्बा कद..कसरती बदन और साफ रंग..फिर फातिमा को याद आया की कल रविवार है और दीदी शहर जायेगी,कल पूरा दिन वो अकेली है और स्कुल बंद होने से रवि भी अकेला ही होगा..क्यों न आज उसको दाना डालकर कल उससे स्कुल में ही चुदाई की जाये...यह सब सोचकर वो रवि को पटाने की एक स्कीम सोचने लगी...लेकिन उसको क्या पता था की रवि उसका भी बाप है चुदाई और पटाई में.....

20240828-153104
 
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आज शनिवार था और आज स्कुल में ड्रेस पहनकर आना जरूरी नहीं था.. इसलिये स्टूडेंट्स अपनी मर्जी के कपड़े पहन के आते थे...आज दो टीचर भी छुट्टी पर थे..तो 12th क्लास के एक साइंस का पीरियड लेने रोजी ने रवि को भेज दिया..12 क्लास में ज्यादा स्टूडेंट्स नहीं थे सिर्फ 21 ही बच्चे थे, जो सब दुसरे गाँव से ही आते थे..12th में ज्यादातर बड़ी उम्र के ही स्टूडेंट्स थे..क्यूंकि गाँवो में बच्चो को लेट ही स्कुल भेजते है इसलिए 12में कुछ 18-20 साल के बच्चे भी थे...इन्हीं में दो लड़के-लड़की थे जिनका नैन-मटक्का कई दिन से चल रहा था.. लड़के का नाम जीतू था जबकि लड़की का नाम विनेश था, दोनों अलग-अलग गाँव के थे, लेकिन दूर रिश्तेदार थे..और एक ही बस में स्कुल आते-जाते थे..दोनों स्कुल में भी एक-दूजे को रिश्ते में भाई बहन ही बताते थे..गाँव में बहन-भाई का रिश्ता बहुत ही पाक समझा जाता है है इसलिए उनपर कोई ज्यादा ध्यान नही देता था..लेकिन यहाँ मामला बहुत ज्यादा संगीन और रंगीन था...लड़की उम्र में बड़ी थी, वो एक कबड्डी की खिलाड़ी भी थी...करीब 20 साल की..लड़का 18 का था..क्लास में टेबल और बेंच थी बैठने के लिये..जिसमें दो जने एक साथ बैठते थे..एक कोने की टेबल पर वो भाई-बहिन का जोड़ा बैठता था...लड़की हल्की सी हेल्थी थी..छाती 32 की और हाईट भी ठीक ही थी..जबकि लड़का स्लिम था और चेहरा साफ था...लड़की चश्मा लगाती थी..आज लड़का लाल रंग की शर्ट और पेंट पहने था..जबकि लड़की ने सलवार सूट..एक पीरियड खत्म हुआ और गैप आया तो लड़का टेबल के निचे से उसके टांगो और पेट पर सहलाने लगा..उधर लड़की भी कभी-कभी उसके लंड को पेंट के ऊपर से ही सहला रही थी..दोनों यह सब बहुत ध्यान से कर रहे थे..तभी साइंस का पीरियड शुरू हुआ, रवि आया और उसने क्लास को अपना परिचय फिर से दिया और फिर पढ़ाने लगा..रवि पढ़ाने के साथ क्लास पर भी पूरा गौर कर रहा था कि कौन क्या कर रहा है..उधर वो दोनों टेबल के नीचे से अपना प्रोग्राम कर रहे थे...लेकिन लड़की विनेश अब रवि को गौर से देख रही थी..रवि का सेक्सी बदन उसको आकर्षित कर रहा था,आखिर रवि था भी इतना ही स्मार्ट और सेक्सी..तभी अचानक रवि और विनेश की आँखे मिली, रवि ने आराम से उसकी आँखों में झाँका तो विनेश शरमा सी गयी और नजरे नीचे की और एकदम ठीक उसी वक्त पर अपने हाथ को जीतू ने उसकी चूत पर रखकर अंगुली से छेड़ सा दिया तो अचानक हुए इस हमले से विनेश थोड़ा सा चिहुंक सी गयी, उसने फिर जीतू के लंड को दबा दिया जिससे जीतू उछल सा गया..पढ़ाते हुए रवि इस लफड़े को बड़े ही गौर से देख रहा था..वो तुरंत ही समझ गया की पक्का ही इस दाल में कुछ तो काला है..अब वो लगातार उनको ही देखने लगा..उधर विनेश अपनी चूत से छेड़छाड़ होने के बाद उतेजित सी हो गयी और वो बार-बार रवि से आँखे मिलाने लगी..दरअसल विनेश की शादी हो चुकी थी, लेकिन गौना नहीं हुआ था..अपनी सहेलियों से चुदाई की कहानिया सुन-सुनकर उसने जीतू से टांका फिट किया लेकिन जीतू अभी चुन्ची दबाने या हाथ से उसकी चूत रगड़ने या फिर अपना लंड पकड़वाने से आगे बढ़ ही नहीं रहा था, जबकि विनेश अब अपनी चूत में लंड डलवाना चाहती थी...आज विनेश काफी मुड में आई हुई थी..उसके होंठ बार-बार सूख रहे थे इससे वो अपने होंठों पर जीभ फिरा रही थी, जो बड़ा की सेक्सी लग रहा था..रवि अब तक विनेश का मुआयना कर चूका था..लड़की कड़क थी और बालिग भी..रवि के मन में भी आ गया की हाथ आजमाया जाय तो वो घूम-घूमकर स्टूडेंट्स की टेबल पर जाकर सबके नोट्स चेक करने लगा.. विनेश अपने एक हाथ से अभी भी जीतू का लंड सहला ही रही थी..जीतू का छोटा सा लंड अपने फुल मुड में आकर अपनी पेंट में तनकर सांप की तरह हिल रहा था..तभी रवि उनकी तरफ आने लगा तो विनेश ने अपना हाथ उसके लंड से खिंच लिया..विनेश कौने में थी, जबकि जीतू दूसरी साइड..रवि आकर पहले जीतू के नोट्स चेक किये..उनमें काफी गलतियाँ थी तो रवि ने उनको बताया और जीतू को उन गलतियों को सुधारने का बोला..रवि समझ गया..लेकिन विनेश ने कुछ भी नोट्स बनाये ही नहीं थे..रवि के नोट मांगने से उसकी हालत खराब हो गयी..इधर रवि ने जीतू की पेंट में बना हुआ टेंट देख लिया..रवि समझ गया की यह दोनों खेल रहे थे..लेकिन लड़के का लंड का तनाव देखकर समझ गया की उसकी औकात नहीं है इस लड़की को बजाने की... तो पनिशमेंट में रवि ने विनेश को क्लास के बाहर खड़े होने का बोल दिया..हालाँकि तब तक रवि का काफी पीरियड हो भी चूका था..विनेश को बहुत बुरा लगा,लेकिन वो क्लास के बाहर चली गयी..7-8 मिनिट में ही रवि का पीरियड पूरा हुआ..रवि बाहर आया तो उसको विनेश दिखाई नहीं दी..तभी रवि को दिखा क्लास से थोड़ा दूर छत की सीढियों के कौंने में लगी हुई पीने की मटकी के पास में में विनेश खड़ी होकर पानी पी रही थी, रवि उसके पास गया..विनेश का मुंह उतरा हुआ था..रवि को अपनी तरफ आता देख विनेश सकपका गयी..तब तक क्लासों में नया पीरियड शुरू हो गया था और लोबी में सन्नाटा सा हो चूका था..रवि ने पास जाकर सीधा ही उसको धीरे से बोला---देखो लड़की तुमको पढ़ना है या नहीं लेकिन बेचारे उस लड़के को क्यों बिगाड़ती हो तुम, उसको तो ठीक से पढ़ने दो न, दुसरे मेरे स्कुल की क्लास में यह सब नहीं चलेगा, तुम दोनों को देखकर दुसरे बच्चे भी बिगड़ जायेंगे..यह सब सुनकर विनेश की हालत खराब हो गयी और उसने अपना सर निचे झुका लिया..वो रुआंसी हो गयी थी..आखिर यह बहुत बड़ी बेइज्जती की बात थी न.. लेकिन रवि ने उसकी ठुड्डी पकड़ के उसका चेहरा अपने सामने किया और उससे आँखे मिलाई...विनेश की आँख भर आई..फिर भी रवि बोला--दुबारा यह सब किया तो मुझको मजबूरन हैडमास्टर और तुम्हारे घरवालों को बताना होगा,अब रोना बंद करो तुम..!!!!! अब विनेश की गांड फट गयी..उसका बाप बहुत बेरहम था.. वो नौकरी करवाने को उसको पढ़ा रहा था..मन ही मन विनेश ने जल्दी से एक आइडिया सोचा और रवि के पैरों में झुककर सुबकने लगी..अब रवि डर गया..स्कुल चालू था और इधर पानी पीने कोई भी आ सकता था और लड़की को रोता और उसको के साथ देखकर कोई गलत समझ सकता था..तो रवि बोला:- रोवो मत मैं अभी किसी को नहीं बताऊंगा..और यहाँ से हटो कोई आया तो मजबूरन मुझको सब बताना होगा..आओ छत पर चलते है..विनेश मन गयी और दोनों छत पर चले गये.. छत पर पानी की टंकियां बनी हुई थी, जिनके पीछे विनेश को ले गया रवि..फिर उसका चेहरा अपने रुमाल से पोंछने लगा..और बोला:- देखो जो हुआ वो इस उम्र में अक्सर हो जाता है लेकिन तुम इतनी बड़ी और छोटा सा मरियल लड़का, तुमको क्या मजा दे पाता होगा वो भला और तुम इतनी बड़ी घोड़ी हो गयी हो की अगर घरवालों ने साल भर पहले तुम्हारा ब्याह किया होता तो अबतक 4-5 बच्चों की माँ बन गयी होती तुम..ऐसा सुनकर विनेश को हंसी सी आ गयी और मुस्कराने लगी..अब छत पर आकर रवि का भी मुड बनने लगा था..छत पर उसको चोद तो नहीं सकता था वो लेकिन मजा ले सकता था..अब विनेश भी समझ चुकी थी की अगर इस मास्टर को पटाया जाये तो शायद उसकी प्यास बुझ जाये..यही सोचकर अब विनेश ने मन ही मन एक फैसला किया, फिर रवि से बोली= सर..मैं बहक गयी थी..इसलिए वो सब हो गया, आइन्दा नहीं करूंगी प्लीज..इस बात को यही दबा दीजिये न, आप जो चाहो वो करलो मेरे साथ भले ही इसके बदले में लेकिन प्लीज इसबार छोड़ दो..!!! रवि—ह्म्म्म, वैसे तुमने कौनसा जादू किया था..उस लड़के पर जो उसकी पेंट में तम्बू बन गया था..बताओ न..?? विनेश समझ गयी की यह मास्टर भी उससे कुछ चाहता है इसलिए उससे बोली= सर, अब मैंने तो सिर्फ उसका नागराज सहलाया था..लेकिन उसका नागराज फनफनाने लगा तो आप ही बताओ न की मेरी क्या गलती है इसमें..? रवि समझ गया की उसका काम बन गया है अब.. तो वो बोला:- अरे तुम शुक्र मनाओ की उसका नागराज तुम्हारे बिल में नहीं घुसा वरना, तुम्हारी फटकर चौड़ी हो जाती.. !!! विनेश:- सर अब मुझको इतनी भी बच्ची न समझो,उसका नागराज बहुत दुबला सा और छोटा है..और आप्प मुझको घोड़ी बता चूके हो, तो आप ही बताओ की उस कुते का नागराज मेरे बिल में कैसे घुस सकता है भला..हाँ उसके लिए कोई आपसा घोड़ा चाहिए तब मेरे बिल का दरवाजा अच्छे से खोलकर नागराज अंदर जाये ! रवि समझ गया की लड़की बहुत चालाक है और खैली खाई हुई है,अब देर नहीं करना चाहिए..इसको यहाँ चोद तो नही सकता हूँ लेकिन बाकि सब तो किया ही जा सकता है न...यही सब सोचकर वो उसके गालों पर हाथ रखकर बोला--- सुनो लड़की..पहली मेरे जैसे घोड़े का नागराज तुम्हारे बिल में जाने के लिए यह सही जगह नहीं है, कोई भी आ सकता है छत पर..दुसरे मुझे नहीं लगता है की मेरे नागराज को तुम्हारा बिल झेल पायेगा..हो सकता हो की दर्द हो जाये..इसलिये उसके लिए स्कीम बनाकर ही कुछ हो सकता है..! विनेश= ह्म्म्म..मेरे बिल में पतली गाजर और दो अंगुलिया तो काफी बार गयी हुई है..बाकि आपका नागराज दिखाओ तो पता लगे न?? अब इस बातचीत के साथ रवि उस लड़की के कड़क बड़े बोबे कपड़ो के ऊपर से ही दबाने लगा था..विनेश मजे से उसके ताकत भरी हथेलियों से मजा ले रही थी.. रवि— लेकिन नागराज को दिखाने की फ़ीस लगेगी..बोलो दे पाओगी..?? विनेश= अच्छा मुझको बेवकूफ समझा है क्या आपने..? फ़ीस तो बिल दिखाने की लगती है सर..लेकिन मेरे गुरु हो आप इसलिये आपको फ़ीस भी दूंगी क्या फ़ीस लोगे बताओ आप बस!? अब रवि समझ गया की यह लड़की चालाक भी है और पूरी बदमाश भी है..ऐसी ही बिंदास और बदमाश लड़की को रवि पसंद करता था.. तो वो बोला—अभी तो ज्यादा नहीं लूँगा..बस मेरे नागराज को सहला दो और चाहो तो चूस लो अपने सुंदर मुंह में लेकर, मेरा नागराज अब तैयार है बोलो तो बाहर निकालूं..लेकिन काटना मत तुम बस..!! विनेश हंस पड़ी..हंसी तो फ़सी..फिर वो बोली= मैं अभी तक कंवारी हूँ कुछ होगा तो नहीं न चूसने से..विधा कसम मैंने आजतक चूसा नहीं है किसी का इससे पहले? रवि – पागल चूसने से नहीं बिल में लेने से कुछ होता है..और बिल के लिए भी मेरे पास बन्दोबस्त है और रवि ने अपनी जेब से निरोध निकालकर दिखाया उसको..अब विनेश समझ गयी की यह सर उसकी सारी चाहतें पूरी कर देगा..वो चूसने के लिए तैयार हो गयी तो फिर रवि ने उसको अपने सामने घुटनों के बल पर बैठाया और उसके मुंह के सामने अपनी चैन खोलकर अपना लंड निकालने लगा...लेकिन बेहद उतेजित होने से लिंग फूलकर एकदम बड़ा हो चूका था..एक दो बार ट्राई करने से बाहर नहीं आया तो फिर झल्लाकर रवि ने अपनी पेंट के बटनखोलकर पेंट और अंडरवियर निचे खिंचा..उफ्फ्फ्फ़..वाह..वाह..रवि के पेंट निचे करते ही विनेश की आँखे चोंधिया गयी, उसके सामने अब सचमुच ही एक नागराज था..करीब साढ़े साथ इंच का अजीब तरीके से बीच में से मुड़ा हुआ साफ सुथरा लंड विनेश के चेहरे के सामने था..रवि अपनी झांट ट्रिम करता था तो बिल्कूल ही छोटी झांटे थी उसकी और लंड का सुपाड़ा एकदम लाल रंग का था जो खुद के ही कामरस में भीगकर चमक रहा था..विनेश को एक मदमस्त करने वाली महक सी आई रवि के लंड से..उसके मुंह में पानी आ गया..दरअसल वो पहले भी दो बार लंड चूस चुकी थी...एक अपने जीजाजी के पिताजी का..दूसरा अपने ही गाँव के एक लड़के का..लेकिन जीजा के बूढ़े बाप का लंड मुरझाया हुआ था ओर गाँव के लड़के की झांटे बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी साथ ही उसके लंड पर अजीब सी सफेद पपड़ी सी जमा थी जो बदबू सी मार रही थी..लेकिन आज उसके सामने अपने सपनों में सोचे हुए लंड से भी शानदार लंड था..वो एकटक उसको देखने लगी तो रवि बोला—अब जल्दी करो न यह पीरियड अब बीस मिनिट का ही बचा है तब तक इसको शांत करदो न बच्ची..और रवि ने अपने दोनों हाथो से उसका सर पकड़ कर अपने लंड पर धकेला तो विनेश ने अपना मूंह खोल लिया और रवि का मस्त-मस्त लंड अपने मूंह में ले लिया..पहले उसने रवि का करीब एक इंच लंड ही मुंह में लिया..रवि का लंड आज करीब पांच दिन बाद किसी के मुंह में जा रहा था..इससे रवि को बहुत ही ज्यादा उतेजना हुई और उसके लंड से प्रिकम की 2-4 बूंद निकल कर विनेश के मुंह में चली गयी..रवि के वीर्य का स्वाद पाकर मानो विनेश जेसे निहाल ही हो गई..रवि को उसका लपलपाता हुआ मुंह और गरम जीभ का अपने लंड पर स्पर्श पाकर आनंद ही आ गया..उसने विनेश को पूरा लंड गले तक अंदर लेने का बोला और उसका सर पकड़ के अपना लंड ऐसे अंदर-बाहर करने लगा की जेसे वो उसके मूंह की चुदाई कर रहा हो...इससे विनेश की सांसे बंद होने लगी और उसको खांसी सी आ गयी, उसने लंड मुंह से बाहर निकाल दिया..सचमुच उसके लिए रवि का लंड बहुत बड़ा था..लेकिन बदमाश और चालू विनेश जानती थी की यह बड़ा लंड ही असली मजा देता है, तो फिर से अपना मुंह खोल दिया और आधे से ज्यादा लंड मुंह में लेकर चूसने लगी..साथ ही विनेश ने अपने दोनों हाथो से रवि की नंगी गांड पकड़ ली..रवि अपनी गांड को हिला-हिलाकर अपनी नई शिकार का मुंह चोदने लगा..उसके लंड की नसें फूलकर उभर आई थी और बीच में से टेढ़ा होने की वजह से विनेश को उसका लंड चूसकर एक अलग और अजीब मजा आ रहा था..आज उस छोरी की बरसों की मनोकामना पूरी हुई थी..एक असली मर्द का लंड उसके मुंह को चोद रहा था..गाँव की छोरी के मजे लग गये थे रवि का लंड चूसकर.. फिर तभी रवि ने उसको रोका और बोला:- वीर्य पियोगी या बाहर निकालूं बच्ची..??? विनेश एक बार जीजा के बाप का वीर्य पी चुकी थी..लेकिन उसने रवि को बोला=कुछ होगा तो नही ना इससे...??? रवि—पागल यह प्रोटीन का टोनिक है..जो तुम्हारा चेहरा दमका देगा..इसको पीकर तुम्हारे बूब और भी टाईट हो जायेंगे और ऐसा बोलकर रवि ने उसका लेफ्ट बूब जोर से दबा दिया जिससे विनेश को मीठा सा दर्द हुआ और वो हल्के से चिल्लाई..उई अम्मा... तो रवि बोला—बस इससे ही चीख निकल गई..फिर केसे तुम मेरा नागराज तुम अपने बिल में लोगी भला..! विनेश = वो भी लुंगी सर,अभी तो मुझको अप चूसने दीजिये और इसका रस पिला दीजिये न...और यह कहकर विनेश ने फिर रवि का नागराज अपने मुंह में लेकर चूसने लगी..ऐसे ही 4/5 मिनिट और चूसने से अब रवि का धेर्य जवाब देने लगा और पुरे पांच दिन का इकठ्ठा हुआ उस जवान मर्द का वीर्य निकलने को हुआ तो रवि ने विनेश को बताया की निकलने ही वाला है उसका तो विनेश ने चुसना छोड़ लंड बाहर निकाल अपने हाथ से हिलाने लगी और अपना मुंह किसी पोर्नस्टार की तरह खोलकर उसके वीर्य का इन्तजार करने लगी..आधे मिनिट में ही उस मर्द के गाढ़े सफेद वीर्य का एक फव्वारा सा निकल कर विनेश के मुंह में भर गया..आज रवि के लंड से काफी ज्यादा वीर्य निकला था..विनेश का मुंह भर गया और कुछ वीर्य उसके चेहरे और चश्मे पर भी लग गया था...विनेश उस स्वादिष्ट और ताकतवर वीर्य को निगल गयी और चटखारे लेने लगी..रवि ने उसको अपना लंड आगे करके बोला इसको चाटकर साफ़ करदो, जल्दी करो अब..और विनेश ने उसको अच्छे से चाटकर साफ़ करके चमका दिया..तो रवि ने जल्दी से अपनी पेंट ऊपर खींचकर बंद की और विनेश को अपने दोनों हाथो से पकड़ के खड़ा किया और बोला- अब तुम्हारा बिल चाट लेता हूँ..एक बार..ज्यादा टाइम नहीं है बस दो मिनिट चाट पाउँगा, फिर पीरियड खत्म हो जायेगा..विनेश ने अभी तक अपनी चूत कभी नहीं चटवाई थी..क्यूंकि उसको सब लंड चुसवाने वाले मादरचोद लोग ही मिले थे..उसने एक पल सोचा और तुरंत अपनी सलवार खोलकर चड्डी को रवि की तरह ही उतार कर खड़ी हो गयी..रवि उसकी चूत देखकर तुरंत समझ गया की यह लड़की कंवारी है अभी तक और वो तुरंत उसकी घुंघराली झांटो से घिरी हुई उसकी मस्तानी चूत पर अपना मुंह लगाकर, अपनी नरम-मुलायम जीभ को उसकी चूत पर चलाने लगा..इससे विनेश को मारे मजे के तारे से नजर आ गये..गरमाई हुई विनेश की हालत पहले ही खराब थी,आजतक उसकी चूत को पेन, अंगुली, बेंगन या गाजर ही नसीब हुई थी..लेकिन आज पहली बार किसी मर्द की जीभ उसकी कंवारी चूत को छु रही थी..उसने सुना हुआ था की चूत चटवाने से बहुत ज्यादा मजा आता है..उसने ट्राई भी की थी चुसवाने की पर कोई राजी नहीं हुआ..जीतू राजी था..लेकिन जगह नहीं मिली और आज चालू स्कुल में उसकी चूत में कोई दमदार जवान मर्द अपनी जीभ से उसकी पनियाई हुई चूत को मजे से चाट रहा था..इस बेहद रोमांचक मजे और आनंद से से उसका अपने पर काबू नही रहा और वो बिना बोलें ही सिर्फ एक मिनिट में ही झड़ने लगी और रवि ने उसका बुरा नहीं माना और वो उस कंवारी चूत से निकला हुआ..बेहद पाक और दुनिया का सबसे बेहतरीन ड्रिंक यानी कंवारी लड़की का वीर्य उसको रवि पूरा ही पी गया..रवि ने भी उसकी चूत को चाटकर ठीक वैसे ही साफ़ कर दिया जेसे उसने उसका लंड किया था..विनेश ने जल्दी से अपनी सलवार ऊपर खिंच के नाड़ा बाँधा और तभी रवि ने उसको अपनी बाहों में भर लिया और विनेश के सून्दर मुंह से अपना मुंह जोड़कर उसको जोरदार किस किया और फिर अपने रुमाल से विनेश का चेहरा अच्छे से साफ किया..साथ ही उसको छुट्टी के बाद रास्ते में मिलने का बोलकर..पहले रवि छत से नीचे आया और फटाफट चला गया..फिर दो मिनिट बाद विनेश नीचे उतरी,संयोग से किसी को कोई नहीं मिला न ही किसी ने देखा और तभी नये पीरियड की घंटी बजी..5मिनिट बाद विनेश अपनी क्लास में चली गयी..जीतू बहुत परेशान था..की विनेश कहाँ चली गई..विनेश को आते देख उसके दिल को सुकून मिला..अब भला उसको क्या मालूम की उसकी रिश्ते की बहन,उनके ही स्कुल मास्टर का लंड चूसकर आ रही है....फिर दोनों चुपचाप पढने लगे...

उधर फातिमा आज मन ही मन रवि से चुदने का फैसला कर चुकी थी..इसके लिए वो मल-मलके नहाई और रोजी का एक परफ्यूम लगाया, रोजी ने इन सब की आजादी दी हुई थी उसको...फिर रवि का टिफिन तैयार किया...थोड़ा सा हलवा बनाकर भी रखा उसमें...फिर एक लाल रंग का शरीर से चिपका हुआ सलवार-सूट जिसका गला बहुत ही बड़ा था, अगर दुपट्टा न पहनो तो आधा सीना दिखाई दे जाता था..वो पहन लिया..थोड़ा सा मेकअप भी कर लिया..स्कुल के लंच टाइम से ठीक 20-मिनिट पहले वो घर से निकल के स्कुल चल दी..आज वो मटक-मटककर चल रही थी..आज सुबह-सुबह के हुये लेस्बियन सेक्स ने उसके लंड से चुदने के अरमानों को और ज्यादा जगा दिया था..फातिमा ने सोच लिया की आज तो वो कुछ न कुछ कर के ही वापस घर आयेगी..

रोजी आज कल शहर जाने के बारें में सोच रही थी..कल सोमा उसके साथ रहेगी तो वो कैसे अपनी चूत को चुदवा पायेगी..आज शाम को ही उस कमसिन कन्या को दिमागी तौर पर इस तरह से तैयार करना होगा की कल उसके सामने किसी का लंड ले सकू, शहर में सोमा को घुमाना भी था, आखिर उस शानदार लड़की पर दिल जो था रोजी का..उसके आने के बाद अब फातिमा उसको फीकी लगने लगी थी..खैर..वो अब अपने ऑफिस में बैठकर मन ही मन कल के बारें में स्कीम बनाने लगी..चपरासी को चाय का बोला, लंच टाइम में अब सिर्फ 10 मिनिट ही बाकि थे..रोजी हमेशा सुबह खाना खाकर आती थी और शाम को जाकर हल्का नाश्ता करती थी..फिर दो पैग मारती थी..इससे उसकी बोडी मेंटेन रहती थी..आज उसने एक पीले रंग की प्लेन साड़ी पहनी हुई थी..नोर्मल लुक था..स्कुल में रोजी ज्यादा सज-संवर के नहीं आती थी..ब्लाउज थोड़ा सा टाईट था, इसलीये उसके बड़े मांसल बूब अंदर उस कैद में मचल से रहे थे और अंदर दोनों बूब्स के बीच में एक घाटी सी दिखने लगी थी...सोमा की चूत का स्वाद याद करके रोजी के मुंह में पानी आ गया..कितना मस्त टेस्ट था उस कमसिन छोकरी की चूत में..पक्का ही बड़ा होकर बहुत धमाल मचायेगी यह लड़की..तभी नॉक हुई रवि आया था..रोजी ने उसको अंदर बुला लिया और बैठने को कहा..क्लास का पूछने लगी..तभी चाय आ गयी और रोजी ने चपरासी को बोला की दो कप में डाल दो और दोनों चाय पीने लगे.. रोजी बोली= रवि देखो यहाँ ध्यान से पढ़ाना, यह ग्रामीण इलाका है और शहर की तरह खुला नहीं है..!! रवि= मैडम, मैं खुद भी गाँव का ही बन्दा हूँ, यहाँ की सब उंच-नीच में अच्छे से समझता हूँ..आप फ़िक्र ना करें..मेरी तरफ से आपको कभी कोई शिकायत नहीं मिलेगी..!! रोजी- बहुत अच्छी बात है रवि,आज 12th की क्लास कैसी रही तुम्हारी..?? फिर रवि उसको क्लास के बारें में बताने लगा..इसी बीच रोजी का साड़ी का आंचल थोड़ा सा खिसका और रोजी झुकी तो रोजी के बोबों के बीच बनी उस शानदार घाटी की गहराई तक का नजारा रवि को हो गया..उफ्फ्फ..अधेड़ उम्र की रोजी की वो कसी हुई चुन्चिया और गहराई , उनकी मांसलता देखकर रवि हैरान रह गया, रवि का लंड जो आज विनेश ने चूसकर हल्का किया था..अब इस नजारे से फिर से वो किसी भूखे सांप सा फनफनाने लगा..रवि की नजरें वही चिपक गयी..तभी रोजी सीधी हुई और उसकी नजर रवि की नजरों पर पड़ी..लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी..उसके बूब्स थे ही इतने सेक्सी, उल्टे रोजी को अच्छा लगा की रवि उसके यौवन की देखकर अपना मन खुश कर रहा है..रोजी को याद आया की फातिमा ने आज सुबह ही खुद को रवि से चुदवाने की इन्छा बताई थी..क्यों न फातिमा के लिये रवि को तैयार करदे वो इससे फातिमा की चूत की लंड के लिए कई दिनों से चल रही खुजली भी ठंडी हो जायेगी, यही सब सोचकर रवि से बोली:- देखो रवि तूम मुझसे काफी छोटे हो और तुम मुझको अच्छे खानदान के लड़के लगे इसलिए तुम मुझको मैडम की बजाय दीदी कहा करों..दुसरे कल रविवार है..कल थोड़ा ध्यान रखना आवारा लड़के और कुछ यहाँ की बेकार औरतें रविवार को दोपहर में स्कुल में आकर चोरी-चकारी और गलत काम करते है..तुम उनका ध्यान रखना..दुसरे कल मैं शहर जाऊँगी और मेरी साथी फातिमा कल अकेली है तो उसको बोल दूंगी..तुम थोड़ा मेरा ऑफिस ठीक करवा लेना उसके साथ रहकर..अकेली तो वो कल इस सुनसान ऑफिस में आयेगी नहीं न...! रवि ने फातिमा को लाइन देते हुए देखा था, साथ ही आज रोजी ने उसको खुला मौका भी दे दिया उसको चोदने का इससे अच्छा भला क्या होगा.. रवि बोला= मैंने जब आपको पहली बार देखा था तभी मन में ख्याल आया की में आपको दीदी बुलाऊं, लेकिन संकोच से नही बोला..अब से में आपको दीदी ही बुलाऊंगा..!! रोजी मन ही मन सोचने लगी की यह रवि कितना मादरचोद इंसान है..दो मिनिट पहले ही मेरे बूब्स ताड़ रहा था और अब मादरचोद मुझको दीदी बोल रहा है..पक्का ही यह कोई बड़ा बहिनचोद है साला कुता कहीं का..लगता है कल फातिमा की खैर नहीं है..उधर रवि सोच रहा था की क्यों न मस्त गांड वाली फातिमा को पटाकर..उसको साथ मिलाकर फिर इस सेक्सी दीदी को चोदने का कोई प्लान बनाया जाये..तभी दुल्हन जैसी बनी संवरी हुई फातिमा टिफिन लेकर आ गयी..रवि ने आज दिलखोल के उसको देखा..फातिमा गजब माल थी..उसकी गांड का तो वो कल ही दीवाना हो चूका था..फिर फातिमा को भी रोजी ने समझाया की कल दिन में आओ तो तुम और रवि मिलकर मेरा ऑफिस साफ़ कर देना ना..फिर अचानक रोजी उससे बोली की ‘’फातिमा तुम दो मिनिट रुको में बाथरूम जाकर आती हूँ’’ दरअसल रोजी उन दोनों को अकेले में मिलने का मौका दे रही थी..वो बाथरूम का बोलकर निकल गयी और ऑफिस में दोनों अकेले रह गये...फातिमा अब अपनी नजरें रवि से मिलाने लगी थी..रवि भी बराबर आँखे मिला रहा था..फिर रवि बोला= आप खाना बहुत अच्छा बनाती हो फातिमा जी..आपका एहसान है मुझ गरीब पर..इसके बदले आप जो चाहो मांग लेना मुझसे कभी भी..! फातिमा-हम्म्म..आप क्या दे सकते है मुझको साहब..???रवि= जो आप बोलो वो दे दूंगा..इतने टेस्टी खाने के बदले चाहे आप मेरी जान लो या तन,आपको मना नहीं करूंगा मैं फातिमा जी..! फातिमा— साहब आपकी जान का क्या करूंगी..लेकिन आपके तन की एक चीज जरुर ले लुंगी ..लेकिन आज नहीं कल लुंगी उसको, पर आपको कोई दिक्कत तो नहीं न होगी...?? रवि=अरे फातिमाजी आप कोई भी चीज ले लेना मेरे तन की आपको मना नहीं है और मैं सामने से दूंगा वो चीज आपको...!! फ़ातिमा अब खुलना चाहती थी रवि से ताकि कल सब प्रोग्राम जोरदार और मजेदार हो जाये...वहीं रवि भी आज खुलकर जवाब दे रहा था फातिमा को..खैर तभी रोजी आ गयी..फिर फातिमा वहां से निकल गयी.. रोजी ने रवि को बोला:-तुम फातिमा का ख्याल रखना रवि, यह बहुत भोली और बातूनी है..इसका थोड़ा सा ख्याल रखना....!!!!!!रवि ने हामी भरी और ऑफिस से टिफिन लेकर निकल गया..!!!!!

20240928-002029
 
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alkajaat

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फातिमा स्कुल से तो बाहर आ गयी.. लेकिन आज उसकी चूत बहुत ही खूंखार रूप से गरम हो चुकी थी..क्या करे वो बेचारी..उधर जब घर की तरफ गयी तो स्कुल से घर के रास्ते के बीच में सड़क पर एक गधा और गधी दोपहर में ही चुदाई में लगे हुए थे, गधा अपने डेढ़ फिट का पूरा लम्बा और काला लौड़ा डालकर उस गधी को चौद रहा था..भरी दोपहर में बड़ा ही खतरनाक नजारा था वो..फातिमा अब धीरे चलने लगी ताकि वो इस लम्बे मोटे और काले लंड से गधी की लाइव चुदाई को अच्छे से देख सके..इस खतरनाक लंड से चुदती हुई गधी बिल्कुल शांति से चुदवा रही थी..गधे का बड़ा लंड बुरी तरह से उसकी चूत से अंदर-बाहर हो रहा था..वो दोनों पता नहीं कितनी देर से चुदाई में लगे हुए थे..फातिमा के देखते-देखते ही उस गधे का वीर्य छुट गया..बहुत सारा वीर्य गधी की चूत में ही निकल गया जो अब बह-बहकर निकलने लगा..फातिमा इस खतरनाक चुदाई को देखकर और भी गरमा गयी थी..अब उसकी चूत बहुत ही भयानक तरीके से खुजाने लगी थी..अपनी चूत की खुजली का क्या इलाज करें अब वो यही सोच रही थी... तभी उसके दिमाग में एक आइडिया आया और वो लाला की दूकान की तरफ बढ़ गयी...दोपहर का वक्त था..गाँव की गलियां एकदम सुनसान थी..फातिमा लाला से दो बार पहले भी चुदवा चुकी थी.. लेकिन उस बात को काफी वक्त हो गया था..तब लाला ने सिर्फ 20रूपये में ही उसका बाजा बजा दिया था..लेकिन लाला के छोटे से लंड से फटाफट की चुदाई में ज्यादा मजा नहीं आया था, फातिमा को फिर लाला ने कई बार उसको बहलाया लेकीन फातिमा लाला से नहीं चुदी..लेकिन आज खुद ही वो लाला से चुदने के चक्कर में जा रही थी...सोचा कुछ तो मजा देगा हरामी लाला उसको..ऐसा सब सोचकर वो लाला की दूकान की तरफ जा रही थी..रास्ता एकदम सुनसान ही पड़ा हुआ था..चलते-चलते वो लाला की दुकान के पास की गली में पहुंच गयी..तभी उसने लाला की दुकान की तरफ जाते हुए दो हिंजड़ो को देखा..यह हिंजड़े अक्सर शहर से गांव में पैसे उगाहने और बधाई लेने आया करते थे..उन हिंजडो में एक गुरु और एक चेला था..गुरु करीब चालीस साल का था, जबकि चेला मुश्किल से ही 20 साल का ही होगा..गुरु काफी दिनों से गाँव में आता-जाता था जबकि उसका चेला नया ही था..गुरु देखने में ठीकठाक था,लेकिन यह नया चेला काफी सुंदर था..गुरु का शरीर थोड़ा सा भारी था,देखने में वो सोनाक्षी सिन्हा जैसा लगता था..बूब्स बिल्कुल सन्नी लियोनि जेसे ही बड़े थे..गांड करीना कपूर जैसी.. जबकि उसका चेला नया था..उसके बूब अभी विकसित नहीं हुए थे..एकदम छोटे ही थे..लेकिन गांड उसकी भी भारी ही थी..चेला गौरा था और चिकना भी..चेले का कद और बोडी बिल्कुल किसी स्कूली लड़की की तरह था और बहुत सेक्सी शक्ल थी उसकी...गुरु का नाम लैला था जबकि चेले का नाम मोना...फातिमा ने देखा की वो दोनों हिंजड़े लाला की दूकान में चले गये है.. फातिमा ने इधर-उधर देखा गली एकदम सुनसान थी..वो वहीं खड़ी हो गयी..फातिमा जानती थी की इस टाइम लाला की दूकान में ग्राहक कम और रंडिया ज्यादा आती है ..और आज वो इन हिंजड़ो को लाला की दुकान जाते देख हैरान थी..हालाँकि फातिमा ने सुना हुआ था की लोग इन हिंजड़ो से भी सेक्स करते है लेकिन लोग इन हिंजड़ो से सेक्स कैसे करते है यह फातिमा को नहीं पता था...फातिमा ने देखा की वो दोनों हिंजड़े लाला की दुकान में चले गये तो 2-4मिनिट के बाद्द फातिमा भी धीरे से लाला की दूकान में घुसी..लाला की दूकान चूँकि एक घर ही में बनी हुई थी..आगे एक गेट था फिर तीन अलग-अलग कमरों में परचून का सामान था, सबसे पहले कमरे में लाला की बैठक थी..और छत पर एक कमरा लाला का चुदाई के लिए रखा हुआ था..फातिमा इस दुकान को अच्छे से जानती थी..क्यूंकि वो लाला के पास हफ्ते भर अनाज की साफ सफाई का काम कर चुकी थी..तभी लाला ने उसको चोदा था..अब फातिमा लाला की बैठक में हो रही बातचीत को छुपकर सुन रही थी.. वो गुरु हिंजड़ा…लाला से बोल रहा था:- लालाजी आपको जो मजा मोना दे सकता है वो कोई लड़की नहीं दे पायेगी, यह लिख लो आप, दुसरे यह एकदम साफ सुथरा है, हमेशा निरोध लगाकर ही कुछ करता है..अब आपको हम दोनों मिलकर वो वाला मजा देंगे जो आप कभी भूल नहीं पाओगे लालाजी, बस आप हमारी मदद कर दीजिये..आपका मकान तीन महीने रहने हमको दे दीजिये न..हम दोनों तो आपको मजा देंगे ही साथ ही गाँव में घूम-घूमकर आपके लिए नई-नई भाभियाँ और ओरतें पटा देंगे..! लाला=हम्म्म..लेकिन लैला..यार मैंने कभी किसी हिंजड़े को चोदा नहीं है..और गांड बहुत ही कम मारी हुई है..यार केसे होगा..?? लैला- लालाजी वो आप हमपर छोड़ दीजिये..शहर में आजकल समझदार लोग लड़कियों से ज्यादा हम जैसे हिंजड़ो से सेक्स करना पसंद करने लगे है..और आपको ऐसा मजा मिलेगा की आप इस गाँव की भाभियों की चूत भूलकर रोज हमको बुलाओगे लालाजी..आप चाहो तो एक बार मौका देकर देखलो हम दोनो को..?? लाला= लेकिन लैला..यह तुम्हारा चेला ले तो लेगा न मेरा लंड..नोटंकी तो नहीं न करेगा..क्यूंकि पीछे गांड में बहुत लोग लेने में डरते है और चिल्लाते है..देखो मेरे पास अभी एक-डेढ़ घंटा है बस...?? लैला- अरे लालाजी एक मौका तो हमको फिर देखो इस लैला का कमाल..कैसे आपको खुश करती हूँ मैं... लाला= रुको तुम दोनों इन सीढियों से छत के कमरें में जाओ में बाहर बंद करके आता हूँ..फिर वो दोनों छत पर चले जाते है और लाला बाहर का गेट बंद करने को खड़ा होता है, ठीक तभी फातिमा अंदर घुस जाती है..लाला उसको देखकर चौंकता है..लेकिन वो समझता है की फातिमा कोई सामान लेने आई होगी..लेकिन आज फातिमा तो लाला का सामान लेने आई थी..फातिमा बैठक में गयी तो उसको लैला ने देख लिया और अब वो लाला और फातिमा की बातें सुनने लगा.. दरअसल लैला एक असली किन्नर यानि हिंजड़ा था..उसके सब कुछ लड़की जैसा ही था..लेकिन चूत की जगह उसके लंड था.. पुरे 7इंच का हब्सी लंड था लैला के..लैला को जितना मजा अपनी गांड मरवाने में आता था उतना ही मजा गांड और चूत मारने में भी आता था..और वो चुदवाने और चोदने में एक्सपर्ट भी थी..काफी दिन से लैला ने कोई चूत नहीं चोदी थी..इसलिए फातिमा को देख उसके लंड में करंट आ गया था... मन ही मन लैला फातिमा को चोदना ही शुरू कर चुकी थी ...

फातिमा लाला के सामने जाकर मुस्कराती है और बोलती है—कैसे हो लालाजी आप?? लाला= अरे आओ फातिमा, आज बहुत दिन बाद आई सामान लेने तुम?? फातिमा—हाँ लाला आज बहुत ज्यादा जरूरत है आपके सामान की मुझको इसलिए इस टाइम दोपहर में आई हूँ..किसी और को तो सामान लेने नहीं बुलाया हुआ है आपने लालाजी आज ??? यूँ खुलेआम फातिमा के यह सब बोलने से लाला सकपका गया, लेकिन आखिर वो भी तो बहुत बड़ा शिकारी था न.. लाला-तुम आ गयी हो न अब मेरा सामान तुम लेलो फातिमा आज तो ! फातिमा--- हाँजी लालाजी आज मैं उसी लिए आई हूँ, आपका सामान लेने...! अब लाला चौंक गया..ऊपर के कमरे में लैला और मोना थे और यह फातिमा भी आ गयी अब केसे होगा...? लेकिन फातिमा तो आज किसी कुतियाँ की तरह गरम हुई पड़ी थी उसको आज लंड लेना ही था...उधर लाला का लंड उसकी धोती में किसी खतरनाक सांप की तरह फुंकार रहा था जो उसकी धोती के बाहर से ही पता लग रहा था,

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जो उसकी धोती के बाहर से ही पता लग रहा था, अब लाला से रुका नहीं जा रहा था, आज उसने फैसला किया की फातिमा को भी साथ लेकर वो सामूहिक चूदाई करेगा, बहुत दिन हो गये थे उसको सामूहिक चूदाई किये हुए.... वो अब चार जने हो चुके थे....
 
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