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UPDATE 22
नई सुबह के साथ एक नए दिन की शुरुवात हुईं है आज साहिल के लिए उसके अपने घर में , सुबह की पहली किरन के साथ फ्रेश होके कमरे से बाहर निकला बिना सुनंदा को जगाए जो उसके अपने कमरे में सो रही थी तब साहिल कमरे से बाहर निकल अपने चारों तरफ देखने लगा घर को....
साहिल – (घर को देख मन में – कितना आलीशान घर है यार रात में सही से देखा नहीं मैने कितना चमकदार है घर की रौनक जैसे महल हो , सच में ऐसा लगता है दादा जी ने सपनो का महल बनाया हो)....
मन में बोलते हुए सीडीओ से नीचे आ गया साहिल चलते हुए आने लगा सरला (दादी) के कमरे में अन्दर देखते ही समझ गया दादी सो रही है ये देख चुप चाप वहां से हट गया और बाहर जाने लगा तभी घर के मेन गेट में आते ही उसकी नजर गई दीवार पर जहां एक सुराग बना हुआ था उसे देख आगे बढ़ा ही था तभी एक दम से पलट के देखने लगा साहिल उस जगह को गौर से देख जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहा हो के तभी उसके पीछे से कंधे पर किसी ने हाथ रखा अचानक से हुए इस बात से साहिल जाने क्यों घबरा के पलट के...
साहिल – (बिना देखे घबरा के) कौन है....
रीना – (साहिल को घबराया देख के) मै हूँ साहिल तुम इतना घबरा क्यों रहे हो...
साहिल – नहीं मैं मैं वो मै (दीवार को एक नजर देख के) मै बाहर जा रहा हूँ टहलने...
घबराहट में बोलते हुए साहिल निकल गया घर के बाहर उसके जाते ही....
रीना –(साहिल का इस तरह से घबराने को देख फिर दीवार में सुराग को देख के) शायद बीती यादें याद करने की कोशिश कर रहा था साहिल (दीवार को देख) इसे मिटना होगा जल्द ही....
गांव में जो हुआ उसके बाद ये पहली बार था जब रीना ने साहिल से नरमी से बात की शायद उस हादसे के बाद रीना को भी समझ आ गया था साहिल के हालात के बारे में जबकि साहिल जल्दी में निकल गया घर से बाहर आते ही बगीचा बना हुआ था उसकी सुन्दरता को देख साहिल उसमें खो गया और भूल गया की वो बाहर वॉक करने आया है और धीरे धीरे चलते हुए बगीचे में तरह तरह के फूलों को देखने लगा इस तरफ सुमन जाग गई थी जागते ही सबसे पहले साहिल के कमरे की तरफ गई अपने कमरे से जुड़े साहिल के कमरे का दरवाजा खोल देखा बेड में साहिल नहीं था तब बाथरूम में देखने गई लेकिन बाथरूम का दरवाजा खुला था तब....
सुमन – (मन में – इतनी सुबह साहिल कहा चला गया कही घर के बाहर नहीं नहीं ऐसा हालत में कैसे जा सकता है वो)...
मन में सोचते हुए तुरंत साहिल के कमरे से बाहर निकल गई नीचे हाल में आते ही जैसे ही बाहर जाने को हुई तभी....
रीना – (सुमन से) सुमन इतनी सुबह कहा जा रही हो तुम....
सुमन – आपसे मतलब कही भी जाऊं.....
रीना – (सुमन की बात के लहजे को समझते हुए) साहिल को देखने जा रही हो ना , वो बाहर गया है टहलने....
रीना की बात सुन सुमन आगे बढ़ी थी तभी....
रीना – (सुमन को रोकते हुए) सुनो सुमन एक जरूरी बात बतानी है तुम्हे....
सुमन – जल्दी बोलिए....
रीना – साहिल जब नीचे आया था बाहर जाने के लिए तब वो इस दीवार को देखने लगा जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहा हो , हो सके तो मां से बात करके इस दीवार से निशान मिटवा दो कही साहिल को फिर से अटैक न आए....
बोलके रीना चली गई लेकिन रीना की कही बात सुन सुमन को लगा वो सही बोल रही है फिर तुरंत बाहर गई आते ही उसने देखा साहिल जो बगीचे टहल रहा है उसे देख हल्का मुस्कुरा के दरवाजे की आड़ में देखती रही थोड़ी देर बाद साहिल वापस आने लगा उसे देख सुमन भी चुप चाप दरवाजे से हट गई , जैसी ही सुमन वापस जा रही थी अपने कमरे की तरफ तभी....
रनवीर – (सुमन को देख) अरे सुमन आज तुम इतनी जल्दी उठ गई कही जा रही हो क्या....
सुमन – नहीं बस रसोई तक आई थी कोई काम था आपको....
रनवीर –(मुस्कुरा के) अरे नहीं मै असल में काम से जा रहा हूँ शहर के बाहर मुझे लगा तुम्हे पता चल गया होगा शायद इसीलिए आई हो तुम...
इनकी बातों के बीच साहिल घर के अन्दर आ रहा था....
सुमन – दस सालों में जब गए तो बताया नहीं कभी तो अब बता के कैसे जाओगे....
रनवीर – (मुस्कुरा के) नाराज मत हो तुम , चलो अच्छा वैसे भी वापस आते ही हर साल की तरह सब घूमने जाएंगे सब इस बार मै भी चलूंगा साथ में खूब मजा करेंगे , तब तुम्हारी नाराजगी भी दूर कर दूंगा....
रनवीर को बात सुन सुमन गुस्से में पलट के कुछ बोलने जा रही थी तभी उसकी नजर साहिल पर पड़ी जो रनवीर के पीछे से आ रहा था सीढ़ियों की तरफ तब...
सुमन – (साहिल के पास आके) कहा गए थे तुम , तुम्हे पता है न चोट लगी है तुम्हे ऐसी हालत में बाहर क्यों गए , कम से कम मुझे बता देते (फिर रनवीर को देख के) अपना बिजनेस देखो जैसे पिछले दस सालों से करते आए हो घर में कौन क्या है कैसा है इसके बारे में सोचने को जरूरत नहीं है और रही घूमने की बात जब जाना होगा तब की तब देखेंगे...
बोल के साहिल का हाथ पकड़ के लेके जाने लगी सुमन सीडीओ से जबकि साहिल ठगा से रह गया था इस बात से अचानक से सुमन का हाथ पकड़ने से कुछ सोच समझ पता तब तक सुमन उसे कमरे में लेके जाने लगी थी इस तरफ रनवीर गुस्से में साहिल को देख के....
रनवीर – (गुस्से में मन में – ये कहा से आ गया बीच में हमारे कही सुमन इसी की वजह से तो नहीं आई नीचे शायद यही बात होगी तभी मैं सोचूं इतनी सुबह सुबह सुमन कैसे आई)...बोलते हुए रनवीर चला गया घर के बाहर इस तरफ साहिल के कमरे में...
साहिल – (सुमन के साथ कमरे में आते ही अपना हाथ छुड़ा के) में अपना ख्याल खुद रख सकता हु , रही बात बाहर जाने की मेरी आदत है रोज सुबह वॉक करने की....
सुमन – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है लेकिन बता देते और भी अच्छा होता इस हालत में अकेले जाना सही नहीं देखूं तो ज़्ख्म कैसा है....
बोल के सुमन पीछे से साहिल के जख्म को देखने के लिए उसकी टीशर्ट पकड़ने लगी तभी...
साहिल – (सुमन का हाथ झटक के) मै खुद का ख्याल रख सकता हूँ मिस सुमन अच्छा रहेगा अपना ये नाटक सिर्फ दादी के सामने दिखाया करो मुझे दिखाने की जरूरत नहीं है...
बोल के साहिल बॉथरूम में चला गया जबकि सुमन मायूस होके साहिल को देखती रही तब....
सुनंदा – (सुमन से) सुमन मेरी बात का बुरा मत मानना मुझे नहीं पता तुम्हारे और साहिल के बीच क्या बात को लेके नाराजगी हैं और अगर उसे नहीं पसंद तुम्हारा केयर करना तो क्यों ऐसा करती हो क्या उसकी बाते सुनना अच्छा लगता है तुम्हे....
सुमन – कुछ ज़ख्म ऐसे होते है सुनंदा जी जिसकी दवा शायद दुनिया के किसी डॉक्टर के पास नहीं होती हम सिर्फ कोशिश कर सकते है उन जख्मों पर प्यार की मरहम लगाने की.....
सुनंदा – ऐसी क्या बात है सुमन अगर मुझपे भरोसा हो तो बता सकती हो , हो सकता है शायद मैं कुछ मदद कर सकू , अगर तुम बताना चाहो तो , मै सिर्फ मदद करना चाहती हु तुम्हारी , कल से देख रही हूं तुम्हे और साहिल को इस तरह से बात करते हुए....
सुमन – जाने क्यों सुनंदा जी जब से आप मिले हो आपके साथ मुझे अपना पन सा लगने लगा है , सच कहूं तो सुनंदा जी आप पर पूरा भरोस है मुझे , मै सब कुछ बताऊंगी आपको...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ठीक है अभी कोई जल्दी नहीं है तुम अकेले में बताना बात मै पूरी कोशिश करूंगी मदद करने की....
सुनंदा की बात सुन सुमन हल्का मुस्कुर के चली गई अपने कमरे में उसके जन के बाद....
सेमेंथा – (सुनंदा से) मां एक बात बतानी है आपसे गांव में एक रात पहले साहिल को अटैक आया था उस वक्त सुमन आई कमरे में साहिल का सिर गोद में रख के बैठी उसके सिर पर हाथ फेर रही थी तब मैं भी यही कर रही थी कि अचानक से सुमन के हाथ मेरे हाथ से छू गया मां , और हम दोनों को एक झटका सा लगा , जबकि साहिल और आपके इलावा मुझे ना कोई देख सकता है ना सुन सकता है फिर ऐसा क्यों हुआ मां....
सुनंदा – (सेमेंथा की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) अब से जब भी सुमन साथ हो साहिल के तब तू दूर रहा कर....
सेमेंथा – (हैरान होके) मै कुछ समझी नहीं मां इस बात का इससे क्या ताल्लुख....
सुनंदा – वक्त आने पर पता चल जाएगा तुझे अभी के लिए तू वही कर जैसा मै बोलूं....
कुछ समय बाद लगभग सभी तैयार हो गए थे तब दादी आई साहिल के पास आते ही....
दादी – कैसा है तू....
साहिल – अभी ठीक हु दादी....
दादी – हम्ममम अच्छा सुन मैने कल पूजा रखवाई है घर में तेरे लिए....
साहिल – मेरे लिए दादी आप जानते हो मै नहीं मानता ये सब....
दादी – (मुस्कुरा के) मुझे तो मानता है न....
साहिल – हम्ममम....
दादी – बस मेरे लिए बैठना तू ठीक है....
साहिल – ठीक है....
तभी सुमन आती है लता के साथ साहिल के कमरे में आते ही ग्लास लेके साहिल को देते हुए....
सुमन – इसे पी लो....
साहिल – ये क्या है....
सुमन – ये काढ़ा है....
साहिल – मै नहीं पिता ये सब....
दादी – (बीच में) पी ले बेटा मैने बनाया है तेरे लिए गरम था ठंडा हो जाय तब लाने को बोला था मैने सुमन को....
साहिल –(बे मन से) ठीक है दादी...
हल्का सा पीते ही....
साहिल – (अजीब सा मू बना के) ये कैसा स्वाद है इसका दादी....
दादी – (मुस्कुरा के) चुप चाप पी ले नाटक मत कर ये ऐसा ही होता है इससे जल्दी ठीक होगा तू....
अब बेचारा साहिल क्या करता मजबूरन माननी पड़ी उसे बात अपनी दादी को पूरा काढ़ा पीने के बाद लता ग्लास लेके जाने लगी तभी....
साहिल – (लता को रोकते हुए) सुनिए एक काम है आपसे....
लता – जी साहिल बाबा बोलिए....
साहिल – पहले तो आप मुझे सिर्फ साहिल नाम से बुलाए और दूसरा ये बताए मेरे कमरे में कुछ सामान रखा हुआ था वो कहा है....
साहिल की बात सुन सुमन और दादी दोनों चौक जाते है जबकि लता एक नजर सुमन को देखती है फिर दादी को जिसे देख....
साहिल – क्या हुआ आपको पता नहीं मेरे कमरे में रखे सामना के बारे में....
लता – वो आपके जाने के बाद समान कबाड़ी वाले को दे दिया था....
लता की बात सुन एक पल साहिल एक तक सुमन को देखता है फिर हल्का मुस्कुरा के...
साहिल – सही है....
लता – (बीच में) लेकिन सारा समान नहीं कुछ अभी भी स्टोर रूम में रखा है...
लता की बात सुन साहिल तुरंत खड़ा होके कहा है स्टोर रूम ले चलो मुझे जल्दी से...
लता – आप परेशान मत हो मुझे बता दो मै लेके आती हूं...
साहिल – नहीं मुझे ले चलो मैं खुद देख लूंगा समान को...
बोल के साहिल जाने लगता है तब....
सुमन – (साहिल से) तुम आराम करो मै लेके आती हूं...
बिना सुमन की बात पर ध्यान दिए...
साहिल – (लता से) कहा है स्टोर रूम दिखाओ मुझे जल्दी से...
साहिल की बात सुन लता को कुछ समझ नहीं आता साथ ही दादी को की क्या बोले अब तब लता जाने लगती है साहिल के साथ नीच आते ही लगा एक तरफ जाती है जहा एक रूम बना हुआ था वहां आते ही लता बताती है साहिल को जहां समान रखा हुआ था वहां साहिल सारा समान देखता है जहा पर घर का काफी पुराना सामान रखा हुआ था उसे इधर उधर करता है तब उसे कुछ दिखता है जिसे देख साहिल के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है तब उसे उठा के स्टोर रूम से बाहर आता है जहां सुमन , दादी खड़े थे वो साहिल के हाथ में एक छोटा सा टेडी देखते है जिसे देख के...
साहिल – (दादी से) मिल गया दादी (टेडी दिखाते हुए) यही है मेरा पहला एक लौता दोस्त...
दादी –(टेडी को देख के) तू इसे ढूंढ रहा था...
साहिल – हा दादी....
दादी – बहुत गंदा पड़ा है इसे लता को दे दे वो सफ़ा करके दे देगी तुझे....
साहिल – नहीं दादी मै कर लूंगा खुद सफ़ा इसे...
बोल के साहिल अपने कमरे में जाता है उसके जाते ही....
सुमन – (दादी से) माफ करना मां जल्दी बाजी में मुझे याद ही नहीं रहा साहिल के पुराने सामन के बारे में....
दादी – इसमें तेरी गलती नहीं है सुमन याद तो मुझे भी नहीं था इस बारे में शुक्र है , खेर एक काम कर तू साहिल का नाश्ता लेके आजा कमरे में याद है न साहिल को पराठे पसंद है...
सुमन – हा मा मै अभी लाती हूं....
बोल के सुमन चली गई लता के साथ रसोई में जबकि साहिल अपने कमरे में आता है तब....
सुनंदा – (साहिल से) क्या लेने गए थे तुम....
साहिल – (टेडी देखते हुए) ये रहा वो....
सुनंदा – (टेडी को देख के) इसे ढूंढ रहे थे तुम ये तो बच्चों के लिए है...
साहिल – हा ये मुझे मेरे जन्मदिन में दिया था दादा जी ने , बहुत पुरानी यादें जुड़ी है मेरी इससे , मै इसे साफ करूंगा जल्दी ही....
साहिल की बात सुन पहले मुस्कुराती है फिर टेडी को गौर से देखती है जिसे देख उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो जाती है तब...
सुनंदा – साहिल ये टेडी के गले में लाल रुमाल कैसा है....
साहिल – (लाला रुमाल देख के) ये रुमाल मेरा नहीं है ये तो....
तभी कमरे में सुमन आती है नाश्ता लेके साहिल के लिए....
सुमन – (साहिल और सुनंदा से) नाश्ता कर लीजिए आप लोग....
सुमन की बात सुन साहिल और सुनंदा चुप हो जाते है तब नाश्ता करने लगते है जब नाश्ता हो जाता है तब....
सुमन – (साहिल से) दवा ले लो सुबह की फिर दोपहर में लेनी है तुम्हे....
साहिल – हा याद है मुझे आप जाय मै ले लूंगा....
साहिल की बात सुन सुमन आगे कुछ बोलने को होती है तभी सुनंदा पीछे से सुमन को इशारा करती है जिसे देख सुमन चली जाती है तब उसके जाते ही सुनंदा दावा खिलाती है साहिल को जबकि सुमन जैसे ही बाहर जाती है वो देखती है लता जूस लेके आ रही है साहिल के लिए उसे लता से लेके वापस भेज देती है और खुद जाती है साहिल को देने जैसे ही कमरे के दरवाजे तक आती है तभी सुमन को साहिल और सुनंदा की बाते सुन रुक जाती है दरवाजे पर रुक के सुनने लगती है बाते....
सुनंदा – साहिल क्या बात है तुम इतना उखड़ के क्यों बाते करते हो सुमन से जबकि अपनी दादी से इसका उल्टा करते हो उनसे तो प्यार से बात करते हो और हर बात मानते हो उनकी....
साहिल – क्योंकि वो मेरी दादी के साथ मेरी मां भी है बाकी किसी से कोई मतलब नहीं मेरा....
सुनंदा – ऐसी क्या बात है साहिल , अगर तुम बताना चाहो तो....
साहिल – रहने दीजिए आप उन बातों में मत उलझिए जिन बातों को याद करके तकलीफ मिले उसे याद न करूं वो ज्याद बेहतर समझता हूं मै....
सुनंदा – हम्ममम , अच्छा तुमने बताया नहीं कि टेडी के गले में लाल रुमाल के बारे में....
साहिल – (सुनंदा को देख) आप सच में जानना चाहती है ये बात....
सुनंदा – हा बताओ ना क्या बात है....
साहिल – टेडी के गले में रुमाल मेरा नहीं मिस सुमन का है और उसका रंग लाल नहीं सफेद था....
सुनंदा – तो लाला कैसे हो गया....
साहिल – ये भी मिस सुमन की मेहरबानी से हुआ है....
सुनंदा – क्या मतलब....
साहिल – एक दिन की बात है मुझे भूख लगी थी मै अपने कमरे से निकलने वाला था तभी सामने से सुमन को जाते देखा तब मैं उसे आवाज दी खाने के लिए कहा तब जानती हो उसने क्या किया....
सुनंदा – क्या किया सुमन ने....
साहिल – तब मिस सुमन ने गुस्से में मुझे चाटे मारे जोर जोर से तब उसकी हाथ की कांच की एक चुड़ी टूट गई थी उसी वक्त उसने वही हाथ मेरा गाल में मारा और चली गई कमरे से बाहर , जानती हो वो चाटा लगते ही मै जमीन में गिर के रोने लगा था क्योंकि उस चाटे की वजह से मेरा गाल छील गया उसमें से खून निकलने लगा था लेकिन मिस सुमन के जाने के बाद उसका वो रुमाल वही जमीन में गिर गया था अपना खून निकलते देख मैं वो रुमाल अपने गाल में रख लिया था जिस वजह से वो सफेद रुमाल लाल रंग का हो गया था लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कुछ देर बाद दादी आ गई आते ही उन्होंने मुझे देखा और खून रोका मुझे साफ किया दवा लगाई उस रात मैने अपने टेडी में वो रुमाल गले में बांध दिया था और उसी रात दादी मुझे घर से दूर ले आई बस यही बात है इस रुमाल की....
सुनंदा – सुमन ने ऐसा क्यों किया तुम्हारे साथ....
साहिल – (सुनंदा की बात सुन कुछ देर सुनंदा को देख फिर) जाने दीजिए मैं थोड़ा आराम करता हूँ जाने क्यों आंखे भारी हो रही है...
सुनंदा – हम्ममम ठीक है शायद दवा का असर होगा तुम आराम करो बाद में बात करते है....
जिसके बाद सुनंदा ने कुछ नहीं बोला और साहिल बेड में लेट गया और सुनंदा कमरे से बाहर गई जहां उसे सुमन दिखी जिसकी आंख में आंसू थे जिसे देख सुनंदा समझ गई को सुमन ने कमरे में हुई सारी बाते सुन ली तब...
सुनंदा – (सुमन से) दवा के असर से उसे नींद आ गई है बाद में जूस पीला देना उसे....
सुमन –(अपने आंसू पोछ के) मुझे आपको कुछ बताना है....
सुनंदा – हम्ममम तुम्हारे कमरे में चले....
सुमन – जी....
बोल के सुमन के कमरे में आ गए आते ही....
सुनंदा – अब बताओ क्या बात है....
सुमन – मै अपने परिवार के साथ गांव में रहती थी , घर में मां पिता मेरा बड़ा भाई उसकी बीवी , मै और मेरी छोटी बहन थे उस वक्त मैं स्कूल से घर और घर से स्कूल जाती थी सिर्फ उसके इलावा कभी कभी मां के साथ किसी गांव में जाती थी जैसे सब्जी लेने किसी के घर में शादी हो तब उसके इलावा कही नहीं स्कूल के आखिरी साल में मेरी मुलाक़ात रनवीर से हुई थी वो एक नॉर्मल मुलाक़ात थी हमारी लेकिन रनवीर ने कुछ और ही ठान ली थी करने की क्योंकि स्कूल के बाद जब मैं कॉलेज जाने लगी उसके साल भर बाद रनवीर के मां बाप मेरे घर रिश्ता लेके आए रनवीर का मेरे साथ , मेरे मां बाप जानते थे रनवीर के मां बाप को अच्छे से इसीलिए उन्होंने तुरंत हा कर दी रिश्ते की फिर शादी के बाद मै यहां आएगी फिर साल भर बाद जब साहिल हुआ तब घर में सब बहुत खुश हुए सबसे ज्याद रनवीर खुश था बाप बनने से वो तो जैसे साहिल को देख सब भूल जाते थे सिर्फ उसके साथ ही पूरा वक्त रहते थे यहां तक काम पे भी नहीं जाते थे घर में सबको बहुत अच्छा लगता था धीर धीरे बाबू जी के समझाने पर रनवीर जाने लगे ऑफिस लेकिन तब उन्होंने नियम बना लिया था शाम को किसी भी कीमत पर पांच बजे आ जाते घर उसके बाद साहिल और वो और को नहीं होता उनके फिर एक दिन की बात है मै और रनवीर जा रहे थे घूमने तब बाबू जी ने हमें कहा कि हमारे पंडित जी के यहां से होते आए क्योंकि बाबू जी ने पंडित जी को बोला था साहिल की कुंडली बनाने को उसे लेंने के लिए कहा तब हम घूमने के बाद पंडित जी से मिलने गए तब पंडित जी ने रनवीर को साहिल को कुंडली दी और कहा कि साहिल की कुंडली में दोष है उससे जितना दूर रहे घर के लोग सही रहेगा वर्ना हो सकता है जान का भी खतरा हो सकता है , ये बाते सुन रनवीर ने गुस्से में पंडित जी का गिरेबान पकड़ लिया उसे गालियां देने लगे और गुस्से में निकल आए वहां से और मुझे मना किया कि घर में इस बारे में किसी को कुछ ना बताए , लेकिन पंडित जी ने ये बात घर में बाबू जी को बता दी थी साथ में रनवीर को किया वो भी जिसके बाद बाबू जी ने रनवीर को अकेले में समझाया जिसके बाद बाबू जी ने पंडित जो से इसका निवारण पूछा तब पंडित ने वही बात कही जिस सुन बाबू जी उन्हें मना कर दिया कि अपने खून को अपने से अलग कभी नहीं करेंगे आगे जो होगा देखा जाएगा , फिर साल भर के बाद हम सब गांव गए थे धीरेन्द्र मामा के घर साहिल के जनम दिन मानने के लिए , क्योंकि इस बार के लिए धीरेन्द्र मामा ने बहुत जिद की थी बाबू जी से जिसे मान हम सब पूरे परिवार के साथ वहां गए वहां जानें के बाद धीरेन्द्र मामा के गांव के एक ठाकुर की गंदी नजर पड़ी थी मुझपे तब रनवीर ने सबको मार दिया और बचा लिया मुझे जिसके बाद हम वापस घर आ गए फिर कुछ दिन बाद मेरे घर वालो ने रनवीर से इजाजत मांगी ताकि मुझे साहिल के साथ कुछ दिन के लिए गांव भेजे जिसे मान के एक दिन रनवीर , मै और साहिल चले गए गांव अभी हम आधे रस्ते में आए थे तभी हमारी गाड़ी के सामने एक लड़की तेजी से भागते हुए आई जैसे उसका चेहरा देखा तुरंत उसे पहचान गए क्योंकि वो लड़की कोई और नहीं लता थी जो इस वक्त हमारे घर में है , लता मेरे चाचा की बेटी है एक लंबी बीमारी के कारण उसके मां बाप गुजर गए थे जिस वजह मेरे मा बाबू जी ने लता की जिम्मेदारी खुद लेली थी उस वक्त लता मेरे घर में रहा करती थी मा बाबू जी के साथ , जैसे ही लता को देख हमने तुरंत पूछा क्या बात है वो कहा भागे जा रही है तब उसने बताया कि गांव में जमीन के विवाद को लेके गांव के एक ठाकुर ने अपने आदमियों के साथ घर आए और आते ही घर वालो को मारना , घर का समान आतोड़ना फोड़ना शुरू कर दिया जिस देख से बाबू जी ने तुरंत लता को मदद लाने को भेजा था इसीलिए लता रस्ते में भागे जा रही थी मदद लाने के लिए ये बात सुन रनवीर ने तुरंत लता को गाड़ी में बैठा के मेरे घर की तरफ तेजी से आ गए लेकिन जैसे ही हम घर आए तो सब खत्म हो चुका था मेरे मां बाबू जी , भाई , उसकी बीवी की लाश पड़ी थी ये सब देख में पागल सी हो गई इन्हें गले लगा के रोने लगी थी लेकिन तभी रनवीर की नजर कुछ दूर मेरी छोटी बहन पर पड़ी उसे देखते ही रनवीर उसके पास गए तब वो अपनी आखिरी सास ले रही थी ये देख में तुरंत उसके पास गई उससे पूछा तब मेरी छोटी बहन ने बताया कि गांव के ठाकुर ने अपने आदमियों के साथ मिल के कैसे सबको मारा साथ में मेरी छोटी बहन और भाभी की इज्जत लूटी ये बाते सुन रनवीर गुस्से में पागल सा हो गया क्योंकि मेरे घर वाले और मेरी बहन रनवीर को बहुत मानते थे उनके इस प्यार को देख रनवीर को भी उनसे लगाव हो गया था तब रनवीर गुस्से में निकल गया ठाकुर की हवेली में वहां जाते रनवीर ने सबको मार डाला यहां तक उनकी बीवी और बेटी को भी नहीं छोड़ा रनवीर ने उसके बाद रनवीर जब वापस आया तो उसका पूरा शरीर खून से लत पत था , रनवीर ने आते ही एम्बुलेंस बुलाई और मेरे घर वालों का शरीर लेके हम शहर आ गए लता के साथ वहां आते ही सीधा घर में रुके , रस्ते में ही रनवीर ने घर में फोन करके सारी बात बता दी थी घर वालो को और मै अपने मां बाप भाई बहन भाभी की मौत के सदमे में थी तब मेरे ससुराल वालों ने संभाला मुझे कुछ देर बाद रनवीर ने विधि पूर्वक क्रिया कर्म किया मेरे घर वालो का इस बीच साहिल अपनी चाची (सुनैना) की गोद में था वही उसे सम्भल रही थी फिर अगले दिन सभी घर वाले एक साथ बैठे थे तब वो पहली बार था जब रनवीर ने जो बात बोली , उस दिन रनवीर ने सभी घर वालों के सामने बोल दिया कि साहिल मनहूस है उसी की वजह से ये सब हुआ है , ये बाते सुन बाबू जी रनवीर को चुप रहने को कहा लेकिन रनवीर नहीं माना , जो बाते रनवीर ने मुझे खुद मना की थी घर वालों को बताने से वो सारी बात रनवीर ने चिल्ला चिल्ला के सबको बता दी और उसी दिन से घर के कई लोगों ने ये बात मान ली जिसमें मेरी बड़ी जेठानी रीना पहले शामिल थी उसने ही इन सबकी शुरुवात की , उसी ने ही घर में सभी बच्चों को समझा बुझा के साहिल को गिराया उनकी नजरों में , मै अपने मां बाप के सदमे से निकल नहीं पाई थी और न ही किसी पर ध्यान दे पा रही थी न रनवीर पर और ना साहिल पर लेकिन सुनैना दीदी , लता , मां जी (सरला) और बाबू जी इन्होंने साहिल का ध्यान रखा उसी बीच में प्रेग्नेंट थी और साहिल तीन साल का हो गया था तब वो ज्याद तर अपने दादा दादी के साथ रहता था और रनवीर तो जैसे उस हादसे के बाद ज्याद तर ऑफिस में व्यस्त रहता था जबकि घर में कभी कभी साहिल बात करता था मेरे से लेकिन उसी वक्त रीना दीदी हर बार बीच में आ जाती थी और साहिल को खरी खोटी सुना के भगा देती थी जिस वजह से साहिल मेरे पास बहुत कम आता था यहां तक जब साहिल धीर धीरे बड़ा हुआ तब नेहा भी बड़ी हो रही थी तब रीना ने नेहा को भी नहीं छोड़ा उसे भी साहिल के खिलाफ भड़का दिया नेहा को मेरे सामने और अपने कमर में चली गई उसी वक्त मुझे जाने क्यों गुस्सा आया था रीना दीदी पर मैं तुरंत गई उनके कमरे में और तभी गोली चलने की आवाज आई जिसे सुन के हम सभी दौड़ के कमरे से बाहर आए तभी हम सब ने देखा बाबू जी जमीन में गिरे पड़े है उनके शरीर से खून बह रहा है तुरंत रनवीर ने बाबू जी को उठा के गाड़ी की तरफ भागे अस्पताल ले जाने के लिए साथ में हम सब जल्दी बाजी में सबके साथ मैने भी साहिल पर ध्यान नहीं दिया अस्पताल में आते ही डॉक्टर ने बाबू जी का इलाज करना शुरू किया तब तक रीना के पति राजेश भईया भी आ गए ऑफिस से सीधा अस्पताल काफी देर इलाज चलने के बाद डॉक्टर बाहर आए उन्होंने कहा कि बाबू जी के पास समय कम है और वो मां जी से मिलना चाहते है जैसे तैसे नर्स के साथ मां जी को अन्दर ले गई बाबू जी से मिलने थोड़ी देर बाद मां जी के जोर से चिल्लाने की आवाज आई तब सब अन्दर गए देखा तो बाबू जी जा चुके थे हम सब को छोड़ के उसके बाद उनके क्रिया कर्म के बाद अगले दिन रात के वक्त सब खाने पर सब बैठे थे तब रनवीर ने बोला कि साहिल ने मारा है बाबू जी को और जब राजेश भईया ने पूछा तब रनवीर ने बताया कि साहिल कमरे से रनवीर की बंदूक लेके आया था उसे मारने के लिए लेकिन बाबू जी बीच में आ गए और गोली उन्हें लग गई पूरी बात सुनने के बाद सबने यकीन कर लिया इस बात पर क्योंकि ये बात सही थी कि रनवीर हद से ज्यादा साहिल पर हाथ उठाता आया था शुरू से क्योंकि आए दिन साहिल कोई न कोई हरकत ऐसी करता था जबकि सच तो ये था साहिल कभी कोई हरकत नहीं करता था रनवीर की कही बातों को मान कर सभी लोग साहिल से मतलब नहीं रखते थे उसमें मै भी थी लेकिन बड़ों ने अपने साथ बच्चों में नफरत का बीज बोया था साहिल के लिए ये उसी का नतीजा था कि आए दिन गलती कोई और करता और सजा साहिल को मिलती थी और सजा देने का काम रनवीर करता था यही एक ऐसा कारण था जिसके बाद सब ने यकीन कर लिया कि साहिल ने ही मारा है बाबू जी को उसके बाद मां जी ने सभी से बोल दिया था कि साहिल से कोई बात नहीं करेगा वो उसे खुद सम्भाल लेगी , करीबन दो दिन बाद श्राद्ध शुरू हुए थे मुझे आज भी याद है वो रात जिस दिन श्राद्ध शुरू हुए थे उस रात को मै अपने कमरे में थी तब रनवीर देर से घर आए थे , आते ही उन्होंने मुझे कहा कल मेरे मा पिता जी , भाई , भाभी और मेरी छोटी बहन का श्राद्ध की पूजा रखी है मंदिर में , तो अगले दिन जल्दी से तैयार हो गई रनवीर के साथ मंदिर जाने के लिए , रनवीर किसी जरूरी काम से ऑफिस गए थे साथ में मुझे बोल के गए थे जल्दी आयेगे फिर साथ में जाएंगे मन्दिर , मै दिन में घर पर इन्तजार कर रही थी रनवीर के आने का , तब रीना ने पूछा मेरे तैयार होने का कारण , मैने उन्हें बता दिया जिसे सुन के रीना मुझसे बोली कि इससे अच्छा पंडित जी बात मान के उस मनहूस साहिल को दूर कर देते इस घर से तो शायद आज तेरे परिवार के लोग अपनी जिंदगी जी रहे होते और बाबू जी भी जिंदा होते , रीना की बात सुन वो रात फिर से याद आ गई जब मैने अपने मां बाप भाई भाभी और मेरी छोटी बहन को खोया था , वो यादें याद आते ही मै रोते हुए रीना के पास से निकल गई थी तभी बीच साहिल ने कमरे से निकली थी की तभी साहिल ने मुझे मा कह के पुकारा था , वो मुझसे खाना मांग रहा था और मैने बदले में गुस्से में उसे चाटे मारे जिस वजह से मेरे हाथ की चुड़ी टूट गई तभी साहिल गाल छील गया था , उसके बाद मै निकल गई वहां से क्योंकि रनवीर आ गया था उसके साथ मन्दिर जा रही थी तभी रस्ते में रनवीर ने मेरा हाथ देखा जिसमें खून निकल रहा था....
सुनंदा – साहिल का खून था ना वो....
सुमन – नहीं वो मेरा खून था वो कांच की चुड़ी टूट के मेरे हाथ की कलाई में लग गई थी (अपना हाथ दिखाते हुए) ये देखिए टाको के निशान , रनवीर मुझे डॉक्टर के पास ले गया था , तब डॉक्टर ने टाके लगाए मेरी कलाई में , जब हम घर वापस आए तब पता चला मां (सरला) जा चुकी थी साहिल को लेके उस दिन के बाद मां के इलावा कोई नहीं जानता था कि साहिल कहा पर है किस स्कूल में पढ़ता है....
सुनंदा – सुमन इतना सब कुछ हुआ लेकिन तुमने कभी कोई सवाल नहीं उठाया साहिल के लिए , कभी ये जानने की कोशिश नहीं की क्या साहिल ने ही मारा था तुम्हारे ससुर जी को...
सुमन – सुनंदा जी जब मेरा परिवार गुजरा उसके बाद से मै मानती हूँ अपने परिवार के सदमे की वजह से मै ध्यान नहीं दे पाती थी किसी भी चीज पर और उसी बीच नेहा मेरे गर्भ आ गई थी , तब रनवीर कई बार मुझे यही कहता रहता था कि साहिल से दूर रहो कही ऐसा न हो जो तुम्हारे परिवार के साथ हुआ वो यहां किसी और के साथ हो , और अब तुम अकेली नहीं हो एक नन्ही जान भी साथ है तुम्हारे , उस दिन के बाद एक अंजाना सा डर मुझे लगा रहता था , रह रह के मेरे परिवार का चेहरा याद आता था खास कर मेरी छोटी बहन का जिसे मैने अपने हाथों से पाला उसे खिलाया , घुमाया और फिर (बोलते हुए रोने लगी) उसने तड़प तड़प कर मेरी आंखों के सामने अपना दम तोड़ दिया...
बोल के रोने लगी थी सुमन कुछ देर में चुप होके...
सुमन – सुनंदा जी मै मानती हूँ परिवार के बाकी लोगों की तरह मैने भी गलती की है लेकिन किसी ने वो महसूस नहीं किया होगा जो मैने किया है महसूस अपनी ही छोटी बहन को जिसे मैने सालों से पाला खुद बड़ा किया उसी को अपनी आंखों के समाने दर्द में तड़प तड़प के दम तोड़ते हुए देखा , उस हादसे के बाद इस दर्द को मैं अक्सर महसूस करती आई हूं आज भी कभी कभी रात अपने सपने में अपनी बहन को दर्द में तड़पाता देख जाग जाती हूँ...
सुनंदा जो इतनी देर से सुमन की बात सुन रही थी उसकी दर्द को महसूस करने वाली बात सुन को उस पल सुनंदा की आंख में आंसू आ गए थे जब सुमन अपनी बहन की मौत के बारे में बता रही थी तब सुनंदा को भी वो पल याद आ गया जब उसका बेटा आरव के सीने में उसके भाई ने तलवार घोप दी थी वो पल याद आते ही सुनंदा को याद आ गया कैसे आरव उस वक्त दर्द में तड़प रहा था सुनंदा के सामने , इन बातों को याद करते हुए सुनंद के आंख बहने लगी थी कि तभी सुमन ने देख लिया सुनंदा के आंख में आंसू को तब....
सुमन – (सुनंद से) क्या हुआ सुनंदा जी आपके आंख में आंसू क्यों...
सुनंदा – (सुमन की बात सुन उसे देख के) तुमने अपनी बहन के बारे में बताया शायद इसीलिए मेरी आंख से आसू आ गए....
अपनी आंख से आंसू सफा करके...
सुनंदा – यहां तक तो समझ आ गई बात मुझे लेकिन इतना कुछ हुआ उसके बाद आज साहिल को घर में क्यों लाया गया....
सुमन – मैने कहा था मां से साहिल को घर लाने के लिए....
सुनंदा – ये जानते हुए भी कि घर में सभी नफरत करते है साहिल से क्योंकि उसने अपने दादा की हत्या की है....
सुमन – ऐसा कुछ नहीं किया मेरे साहिल ने....
सुनंदा – क्या मतलब है तुम्हारा....
सुनंदा की बात सुन सुमन चुप रही तब....
सुनंदा – बात क्या है सुमन तुम चुप क्यों हो गई....
सुमन – सुनंदा जी क्या आपकी जिंदगी में कोई ऐसा है जिसकी खुशी के लिए आप कुछ भी कर गुजर सकते हो....
सुनंदा – हा है कोई ऐसा लेकिन बात क्या है....
सुमन – आपको उसकी कसम जो बात मैं बताने जा रही हु उसे अपने तक रखियेगा.....
सुनंदा – ठीक है....
सुमन – साहिल ने अपने दादा को नहीं मारा उन्हें रनवीर ने मारा था किसी को शक न हो इसीलिए रनवीर ने अपनी बंदूक को साहिल के हाथ में थमा दिया जिससे लोगों को लगे कि साहिल ने मारा अपने दादा को...
जिसके बाद सुमन ने सारी बात बताई जो सरला ने बताई थी जिसे सुन के....
सुनंदा – मुझे यकीन है तुम्हारी बात पर सुमन और जान के कोई हैरानी नहीं हुई मुझे क्योंकि आज के जमाने में राज पाठ के लिए जब एक भाई अपने सगे भाई को मार सकता है तो यहां भी जरूर हो न हो ऐसा ही कोई बात जरूर होगी....
सुमन – कारण क्या है इस बात का ये तो मां को भी नहीं पता है लेकिन मैने उसी दिन से रनवीर से अपने सारे रिश्ते खत्म कर दिए अब वो जिए या मरे मुझे कोई मतलब नहीं , उसकी बातों में आके सभी घर वालो की तरह मेरी अकल पर भी पर्दा पड़ गया था लेकिन अब नहीं मै साहिल के लिए सबका साथ छोड़ सकती हु लेकिन साहिल को किसी कीमत पर नहीं छोड़ूंगी....
सुनंदा – तुम चिंता मत करो मै साथ दूंगी तुम्हारा , ये सुनंदा का वादा है देखना साहिल एक दिन अपनाएगा तुझे....
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जारी रहेगा![]()
Chaliye Achha h Suman ne Sunanda ko sara sach bta diyaUPDATE 22
नई सुबह के साथ एक नए दिन की शुरुवात हुईं है आज साहिल के लिए उसके अपने घर में , सुबह की पहली किरन के साथ फ्रेश होके कमरे से बाहर निकला बिना सुनंदा को जगाए जो उसके अपने कमरे में सो रही थी तब साहिल कमरे से बाहर निकल अपने चारों तरफ देखने लगा घर को....
साहिल – (घर को देख मन में – कितना आलीशान घर है यार रात में सही से देखा नहीं मैने कितना चमकदार है घर की रौनक जैसे महल हो , सच में ऐसा लगता है दादा जी ने सपनो का महल बनाया हो)....
मन में बोलते हुए सीडीओ से नीचे आ गया साहिल चलते हुए आने लगा सरला (दादी) के कमरे में अन्दर देखते ही समझ गया दादी सो रही है ये देख चुप चाप वहां से हट गया और बाहर जाने लगा तभी घर के मेन गेट में आते ही उसकी नजर गई दीवार पर जहां एक सुराग बना हुआ था उसे देख आगे बढ़ा ही था तभी एक दम से पलट के देखने लगा साहिल उस जगह को गौर से देख जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहा हो के तभी उसके पीछे से कंधे पर किसी ने हाथ रखा अचानक से हुए इस बात से साहिल जाने क्यों घबरा के पलट के...
साहिल – (बिना देखे घबरा के) कौन है....
रीना – (साहिल को घबराया देख के) मै हूँ साहिल तुम इतना घबरा क्यों रहे हो...
साहिल – नहीं मैं मैं वो मै (दीवार को एक नजर देख के) मै बाहर जा रहा हूँ टहलने...
घबराहट में बोलते हुए साहिल निकल गया घर के बाहर उसके जाते ही....
रीना –(साहिल का इस तरह से घबराने को देख फिर दीवार में सुराग को देख के) शायद बीती यादें याद करने की कोशिश कर रहा था साहिल (दीवार को देख) इसे मिटना होगा जल्द ही....
गांव में जो हुआ उसके बाद ये पहली बार था जब रीना ने साहिल से नरमी से बात की शायद उस हादसे के बाद रीना को भी समझ आ गया था साहिल के हालात के बारे में जबकि साहिल जल्दी में निकल गया घर से बाहर आते ही बगीचा बना हुआ था उसकी सुन्दरता को देख साहिल उसमें खो गया और भूल गया की वो बाहर वॉक करने आया है और धीरे धीरे चलते हुए बगीचे में तरह तरह के फूलों को देखने लगा इस तरफ सुमन जाग गई थी जागते ही सबसे पहले साहिल के कमरे की तरफ गई अपने कमरे से जुड़े साहिल के कमरे का दरवाजा खोल देखा बेड में साहिल नहीं था तब बाथरूम में देखने गई लेकिन बाथरूम का दरवाजा खुला था तब....
सुमन – (मन में – इतनी सुबह साहिल कहा चला गया कही घर के बाहर नहीं नहीं ऐसा हालत में कैसे जा सकता है वो)...
मन में सोचते हुए तुरंत साहिल के कमरे से बाहर निकल गई नीचे हाल में आते ही जैसे ही बाहर जाने को हुई तभी....
रीना – (सुमन से) सुमन इतनी सुबह कहा जा रही हो तुम....
सुमन – आपसे मतलब कही भी जाऊं.....
रीना – (सुमन की बात के लहजे को समझते हुए) साहिल को देखने जा रही हो ना , वो बाहर गया है टहलने....
रीना की बात सुन सुमन आगे बढ़ी थी तभी....
रीना – (सुमन को रोकते हुए) सुनो सुमन एक जरूरी बात बतानी है तुम्हे....
सुमन – जल्दी बोलिए....
रीना – साहिल जब नीचे आया था बाहर जाने के लिए तब वो इस दीवार को देखने लगा जैसे कुछ याद करने की कोशिश कर रहा हो , हो सके तो मां से बात करके इस दीवार से निशान मिटवा दो कही साहिल को फिर से अटैक न आए....
बोलके रीना चली गई लेकिन रीना की कही बात सुन सुमन को लगा वो सही बोल रही है फिर तुरंत बाहर गई आते ही उसने देखा साहिल जो बगीचे टहल रहा है उसे देख हल्का मुस्कुरा के दरवाजे की आड़ में देखती रही थोड़ी देर बाद साहिल वापस आने लगा उसे देख सुमन भी चुप चाप दरवाजे से हट गई , जैसी ही सुमन वापस जा रही थी अपने कमरे की तरफ तभी....
रनवीर – (सुमन को देख) अरे सुमन आज तुम इतनी जल्दी उठ गई कही जा रही हो क्या....
सुमन – नहीं बस रसोई तक आई थी कोई काम था आपको....
रनवीर –(मुस्कुरा के) अरे नहीं मै असल में काम से जा रहा हूँ शहर के बाहर मुझे लगा तुम्हे पता चल गया होगा शायद इसीलिए आई हो तुम...
इनकी बातों के बीच साहिल घर के अन्दर आ रहा था....
सुमन – दस सालों में जब गए तो बताया नहीं कभी तो अब बता के कैसे जाओगे....
रनवीर – (मुस्कुरा के) नाराज मत हो तुम , चलो अच्छा वैसे भी वापस आते ही हर साल की तरह सब घूमने जाएंगे सब इस बार मै भी चलूंगा साथ में खूब मजा करेंगे , तब तुम्हारी नाराजगी भी दूर कर दूंगा....
रनवीर को बात सुन सुमन गुस्से में पलट के कुछ बोलने जा रही थी तभी उसकी नजर साहिल पर पड़ी जो रनवीर के पीछे से आ रहा था सीढ़ियों की तरफ तब...
सुमन – (साहिल के पास आके) कहा गए थे तुम , तुम्हे पता है न चोट लगी है तुम्हे ऐसी हालत में बाहर क्यों गए , कम से कम मुझे बता देते (फिर रनवीर को देख के) अपना बिजनेस देखो जैसे पिछले दस सालों से करते आए हो घर में कौन क्या है कैसा है इसके बारे में सोचने को जरूरत नहीं है और रही घूमने की बात जब जाना होगा तब की तब देखेंगे...
बोल के साहिल का हाथ पकड़ के लेके जाने लगी सुमन सीडीओ से जबकि साहिल ठगा से रह गया था इस बात से अचानक से सुमन का हाथ पकड़ने से कुछ सोच समझ पता तब तक सुमन उसे कमरे में लेके जाने लगी थी इस तरफ रनवीर गुस्से में साहिल को देख के....
रनवीर – (गुस्से में मन में – ये कहा से आ गया बीच में हमारे कही सुमन इसी की वजह से तो नहीं आई नीचे शायद यही बात होगी तभी मैं सोचूं इतनी सुबह सुबह सुमन कैसे आई)...बोलते हुए रनवीर चला गया घर के बाहर इस तरफ साहिल के कमरे में...
साहिल – (सुमन के साथ कमरे में आते ही अपना हाथ छुड़ा के) में अपना ख्याल खुद रख सकता हु , रही बात बाहर जाने की मेरी आदत है रोज सुबह वॉक करने की....
सुमन – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है लेकिन बता देते और भी अच्छा होता इस हालत में अकेले जाना सही नहीं देखूं तो ज़्ख्म कैसा है....
बोल के सुमन पीछे से साहिल के जख्म को देखने के लिए उसकी टीशर्ट पकड़ने लगी तभी...
साहिल – (सुमन का हाथ झटक के) मै खुद का ख्याल रख सकता हूँ मिस सुमन अच्छा रहेगा अपना ये नाटक सिर्फ दादी के सामने दिखाया करो मुझे दिखाने की जरूरत नहीं है...
बोल के साहिल बॉथरूम में चला गया जबकि सुमन मायूस होके साहिल को देखती रही तब....
सुनंदा – (सुमन से) सुमन मेरी बात का बुरा मत मानना मुझे नहीं पता तुम्हारे और साहिल के बीच क्या बात को लेके नाराजगी हैं और अगर उसे नहीं पसंद तुम्हारा केयर करना तो क्यों ऐसा करती हो क्या उसकी बाते सुनना अच्छा लगता है तुम्हे....
सुमन – कुछ ज़ख्म ऐसे होते है सुनंदा जी जिसकी दवा शायद दुनिया के किसी डॉक्टर के पास नहीं होती हम सिर्फ कोशिश कर सकते है उन जख्मों पर प्यार की मरहम लगाने की.....
सुनंदा – ऐसी क्या बात है सुमन अगर मुझपे भरोसा हो तो बता सकती हो , हो सकता है शायद मैं कुछ मदद कर सकू , अगर तुम बताना चाहो तो , मै सिर्फ मदद करना चाहती हु तुम्हारी , कल से देख रही हूं तुम्हे और साहिल को इस तरह से बात करते हुए....
सुमन – जाने क्यों सुनंदा जी जब से आप मिले हो आपके साथ मुझे अपना पन सा लगने लगा है , सच कहूं तो सुनंदा जी आप पर पूरा भरोस है मुझे , मै सब कुछ बताऊंगी आपको...
सुनंदा – (मुस्कुरा के) ठीक है अभी कोई जल्दी नहीं है तुम अकेले में बताना बात मै पूरी कोशिश करूंगी मदद करने की....
सुनंदा की बात सुन सुमन हल्का मुस्कुर के चली गई अपने कमरे में उसके जन के बाद....
सेमेंथा – (सुनंदा से) मां एक बात बतानी है आपसे गांव में एक रात पहले साहिल को अटैक आया था उस वक्त सुमन आई कमरे में साहिल का सिर गोद में रख के बैठी उसके सिर पर हाथ फेर रही थी तब मैं भी यही कर रही थी कि अचानक से सुमन के हाथ मेरे हाथ से छू गया मां , और हम दोनों को एक झटका सा लगा , जबकि साहिल और आपके इलावा मुझे ना कोई देख सकता है ना सुन सकता है फिर ऐसा क्यों हुआ मां....
सुनंदा – (सेमेंथा की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) अब से जब भी सुमन साथ हो साहिल के तब तू दूर रहा कर....
सेमेंथा – (हैरान होके) मै कुछ समझी नहीं मां इस बात का इससे क्या ताल्लुख....
सुनंदा – वक्त आने पर पता चल जाएगा तुझे अभी के लिए तू वही कर जैसा मै बोलूं....
कुछ समय बाद लगभग सभी तैयार हो गए थे तब दादी आई साहिल के पास आते ही....
दादी – कैसा है तू....
साहिल – अभी ठीक हु दादी....
दादी – हम्ममम अच्छा सुन मैने कल पूजा रखवाई है घर में तेरे लिए....
साहिल – मेरे लिए दादी आप जानते हो मै नहीं मानता ये सब....
दादी – (मुस्कुरा के) मुझे तो मानता है न....
साहिल – हम्ममम....
दादी – बस मेरे लिए बैठना तू ठीक है....
साहिल – ठीक है....
तभी सुमन आती है लता के साथ साहिल के कमरे में आते ही ग्लास लेके साहिल को देते हुए....
सुमन – इसे पी लो....
साहिल – ये क्या है....
सुमन – ये काढ़ा है....
साहिल – मै नहीं पिता ये सब....
दादी – (बीच में) पी ले बेटा मैने बनाया है तेरे लिए गरम था ठंडा हो जाय तब लाने को बोला था मैने सुमन को....
साहिल –(बे मन से) ठीक है दादी...
हल्का सा पीते ही....
साहिल – (अजीब सा मू बना के) ये कैसा स्वाद है इसका दादी....
दादी – (मुस्कुरा के) चुप चाप पी ले नाटक मत कर ये ऐसा ही होता है इससे जल्दी ठीक होगा तू....
अब बेचारा साहिल क्या करता मजबूरन माननी पड़ी उसे बात अपनी दादी को पूरा काढ़ा पीने के बाद लता ग्लास लेके जाने लगी तभी....
साहिल – (लता को रोकते हुए) सुनिए एक काम है आपसे....
लता – जी साहिल बाबा बोलिए....
साहिल – पहले तो आप मुझे सिर्फ साहिल नाम से बुलाए और दूसरा ये बताए मेरे कमरे में कुछ सामान रखा हुआ था वो कहा है....
साहिल की बात सुन सुमन और दादी दोनों चौक जाते है जबकि लता एक नजर सुमन को देखती है फिर दादी को जिसे देख....
साहिल – क्या हुआ आपको पता नहीं मेरे कमरे में रखे सामना के बारे में....
लता – वो आपके जाने के बाद समान कबाड़ी वाले को दे दिया था....
लता की बात सुन एक पल साहिल एक तक सुमन को देखता है फिर हल्का मुस्कुरा के...
साहिल – सही है....
लता – (बीच में) लेकिन सारा समान नहीं कुछ अभी भी स्टोर रूम में रखा है...
लता की बात सुन साहिल तुरंत खड़ा होके कहा है स्टोर रूम ले चलो मुझे जल्दी से...
लता – आप परेशान मत हो मुझे बता दो मै लेके आती हूं...
साहिल – नहीं मुझे ले चलो मैं खुद देख लूंगा समान को...
बोल के साहिल जाने लगता है तब....
सुमन – (साहिल से) तुम आराम करो मै लेके आती हूं...
बिना सुमन की बात पर ध्यान दिए...
साहिल – (लता से) कहा है स्टोर रूम दिखाओ मुझे जल्दी से...
साहिल की बात सुन लता को कुछ समझ नहीं आता साथ ही दादी को की क्या बोले अब तब लता जाने लगती है साहिल के साथ नीच आते ही लगा एक तरफ जाती है जहा एक रूम बना हुआ था वहां आते ही लता बताती है साहिल को जहां समान रखा हुआ था वहां साहिल सारा समान देखता है जहा पर घर का काफी पुराना सामान रखा हुआ था उसे इधर उधर करता है तब उसे कुछ दिखता है जिसे देख साहिल के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है तब उसे उठा के स्टोर रूम से बाहर आता है जहां सुमन , दादी खड़े थे वो साहिल के हाथ में एक छोटा सा टेडी देखते है जिसे देख के...
साहिल – (दादी से) मिल गया दादी (टेडी दिखाते हुए) यही है मेरा पहला एक लौता दोस्त...
दादी –(टेडी को देख के) तू इसे ढूंढ रहा था...
साहिल – हा दादी....
दादी – बहुत गंदा पड़ा है इसे लता को दे दे वो सफ़ा करके दे देगी तुझे....
साहिल – नहीं दादी मै कर लूंगा खुद सफ़ा इसे...
बोल के साहिल अपने कमरे में जाता है उसके जाते ही....
सुमन – (दादी से) माफ करना मां जल्दी बाजी में मुझे याद ही नहीं रहा साहिल के पुराने सामन के बारे में....
दादी – इसमें तेरी गलती नहीं है सुमन याद तो मुझे भी नहीं था इस बारे में शुक्र है , खेर एक काम कर तू साहिल का नाश्ता लेके आजा कमरे में याद है न साहिल को पराठे पसंद है...
सुमन – हा मा मै अभी लाती हूं....
बोल के सुमन चली गई लता के साथ रसोई में जबकि साहिल अपने कमरे में आता है तब....
सुनंदा – (साहिल से) क्या लेने गए थे तुम....
साहिल – (टेडी देखते हुए) ये रहा वो....
सुनंदा – (टेडी को देख के) इसे ढूंढ रहे थे तुम ये तो बच्चों के लिए है...
साहिल – हा ये मुझे मेरे जन्मदिन में दिया था दादा जी ने , बहुत पुरानी यादें जुड़ी है मेरी इससे , मै इसे साफ करूंगा जल्दी ही....
साहिल की बात सुन पहले मुस्कुराती है फिर टेडी को गौर से देखती है जिसे देख उसके चेहरे की मुस्कान गायब हो जाती है तब...
सुनंदा – साहिल ये टेडी के गले में लाल रुमाल कैसा है....
साहिल – (लाला रुमाल देख के) ये रुमाल मेरा नहीं है ये तो....
तभी कमरे में सुमन आती है नाश्ता लेके साहिल के लिए....
सुमन – (साहिल और सुनंदा से) नाश्ता कर लीजिए आप लोग....
सुमन की बात सुन साहिल और सुनंदा चुप हो जाते है तब नाश्ता करने लगते है जब नाश्ता हो जाता है तब....
सुमन – (साहिल से) दवा ले लो सुबह की फिर दोपहर में लेनी है तुम्हे....
साहिल – हा याद है मुझे आप जाय मै ले लूंगा....
साहिल की बात सुन सुमन आगे कुछ बोलने को होती है तभी सुनंदा पीछे से सुमन को इशारा करती है जिसे देख सुमन चली जाती है तब उसके जाते ही सुनंदा दावा खिलाती है साहिल को जबकि सुमन जैसे ही बाहर जाती है वो देखती है लता जूस लेके आ रही है साहिल के लिए उसे लता से लेके वापस भेज देती है और खुद जाती है साहिल को देने जैसे ही कमरे के दरवाजे तक आती है तभी सुमन को साहिल और सुनंदा की बाते सुन रुक जाती है दरवाजे पर रुक के सुनने लगती है बाते....
सुनंदा – साहिल क्या बात है तुम इतना उखड़ के क्यों बाते करते हो सुमन से जबकि अपनी दादी से इसका उल्टा करते हो उनसे तो प्यार से बात करते हो और हर बात मानते हो उनकी....
साहिल – क्योंकि वो मेरी दादी के साथ मेरी मां भी है बाकी किसी से कोई मतलब नहीं मेरा....
सुनंदा – ऐसी क्या बात है साहिल , अगर तुम बताना चाहो तो....
साहिल – रहने दीजिए आप उन बातों में मत उलझिए जिन बातों को याद करके तकलीफ मिले उसे याद न करूं वो ज्याद बेहतर समझता हूं मै....
सुनंदा – हम्ममम , अच्छा तुमने बताया नहीं कि टेडी के गले में लाल रुमाल के बारे में....
साहिल – (सुनंदा को देख) आप सच में जानना चाहती है ये बात....
सुनंदा – हा बताओ ना क्या बात है....
साहिल – टेडी के गले में रुमाल मेरा नहीं मिस सुमन का है और उसका रंग लाल नहीं सफेद था....
सुनंदा – तो लाला कैसे हो गया....
साहिल – ये भी मिस सुमन की मेहरबानी से हुआ है....
सुनंदा – क्या मतलब....
साहिल – एक दिन की बात है मुझे भूख लगी थी मै अपने कमरे से निकलने वाला था तभी सामने से सुमन को जाते देखा तब मैं उसे आवाज दी खाने के लिए कहा तब जानती हो उसने क्या किया....
सुनंदा – क्या किया सुमन ने....
साहिल – तब मिस सुमन ने गुस्से में मुझे चाटे मारे जोर जोर से तब उसकी हाथ की कांच की एक चुड़ी टूट गई थी उसी वक्त उसने वही हाथ मेरा गाल में मारा और चली गई कमरे से बाहर , जानती हो वो चाटा लगते ही मै जमीन में गिर के रोने लगा था क्योंकि उस चाटे की वजह से मेरा गाल छील गया उसमें से खून निकलने लगा था लेकिन मिस सुमन के जाने के बाद उसका वो रुमाल वही जमीन में गिर गया था अपना खून निकलते देख मैं वो रुमाल अपने गाल में रख लिया था जिस वजह से वो सफेद रुमाल लाल रंग का हो गया था लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कुछ देर बाद दादी आ गई आते ही उन्होंने मुझे देखा और खून रोका मुझे साफ किया दवा लगाई उस रात मैने अपने टेडी में वो रुमाल गले में बांध दिया था और उसी रात दादी मुझे घर से दूर ले आई बस यही बात है इस रुमाल की....
सुनंदा – सुमन ने ऐसा क्यों किया तुम्हारे साथ....
साहिल – (सुनंदा की बात सुन कुछ देर सुनंदा को देख फिर) जाने दीजिए मैं थोड़ा आराम करता हूँ जाने क्यों आंखे भारी हो रही है...
सुनंदा – हम्ममम ठीक है शायद दवा का असर होगा तुम आराम करो बाद में बात करते है....
जिसके बाद सुनंदा ने कुछ नहीं बोला और साहिल बेड में लेट गया और सुनंदा कमरे से बाहर गई जहां उसे सुमन दिखी जिसकी आंख में आंसू थे जिसे देख सुनंदा समझ गई को सुमन ने कमरे में हुई सारी बाते सुन ली तब...
सुनंदा – (सुमन से) दवा के असर से उसे नींद आ गई है बाद में जूस पीला देना उसे....
सुमन –(अपने आंसू पोछ के) मुझे आपको कुछ बताना है....
सुनंदा – हम्ममम तुम्हारे कमरे में चले....
सुमन – जी....
बोल के सुमन के कमरे में आ गए आते ही....
सुनंदा – अब बताओ क्या बात है....
सुमन – मै अपने परिवार के साथ गांव में रहती थी , घर में मां पिता मेरा बड़ा भाई उसकी बीवी , मै और मेरी छोटी बहन थे उस वक्त मैं स्कूल से घर और घर से स्कूल जाती थी सिर्फ उसके इलावा कभी कभी मां के साथ किसी गांव में जाती थी जैसे सब्जी लेने किसी के घर में शादी हो तब उसके इलावा कही नहीं स्कूल के आखिरी साल में मेरी मुलाक़ात रनवीर से हुई थी वो एक नॉर्मल मुलाक़ात थी हमारी लेकिन रनवीर ने कुछ और ही ठान ली थी करने की क्योंकि स्कूल के बाद जब मैं कॉलेज जाने लगी उसके साल भर बाद रनवीर के मां बाप मेरे घर रिश्ता लेके आए रनवीर का मेरे साथ , मेरे मां बाप जानते थे रनवीर के मां बाप को अच्छे से इसीलिए उन्होंने तुरंत हा कर दी रिश्ते की फिर शादी के बाद मै यहां आएगी फिर साल भर बाद जब साहिल हुआ तब घर में सब बहुत खुश हुए सबसे ज्याद रनवीर खुश था बाप बनने से वो तो जैसे साहिल को देख सब भूल जाते थे सिर्फ उसके साथ ही पूरा वक्त रहते थे यहां तक काम पे भी नहीं जाते थे घर में सबको बहुत अच्छा लगता था धीर धीरे बाबू जी के समझाने पर रनवीर जाने लगे ऑफिस लेकिन तब उन्होंने नियम बना लिया था शाम को किसी भी कीमत पर पांच बजे आ जाते घर उसके बाद साहिल और वो और को नहीं होता उनके फिर एक दिन की बात है मै और रनवीर जा रहे थे घूमने तब बाबू जी ने हमें कहा कि हमारे पंडित जी के यहां से होते आए क्योंकि बाबू जी ने पंडित जी को बोला था साहिल की कुंडली बनाने को उसे लेंने के लिए कहा तब हम घूमने के बाद पंडित जी से मिलने गए तब पंडित जी ने रनवीर को साहिल को कुंडली दी और कहा कि साहिल की कुंडली में दोष है उससे जितना दूर रहे घर के लोग सही रहेगा वर्ना हो सकता है जान का भी खतरा हो सकता है , ये बाते सुन रनवीर ने गुस्से में पंडित जी का गिरेबान पकड़ लिया उसे गालियां देने लगे और गुस्से में निकल आए वहां से और मुझे मना किया कि घर में इस बारे में किसी को कुछ ना बताए , लेकिन पंडित जी ने ये बात घर में बाबू जी को बता दी थी साथ में रनवीर को किया वो भी जिसके बाद बाबू जी ने रनवीर को अकेले में समझाया जिसके बाद बाबू जी ने पंडित जो से इसका निवारण पूछा तब पंडित ने वही बात कही जिस सुन बाबू जी उन्हें मना कर दिया कि अपने खून को अपने से अलग कभी नहीं करेंगे आगे जो होगा देखा जाएगा , फिर साल भर के बाद हम सब गांव गए थे धीरेन्द्र मामा के घर साहिल के जनम दिन मानने के लिए , क्योंकि इस बार के लिए धीरेन्द्र मामा ने बहुत जिद की थी बाबू जी से जिसे मान हम सब पूरे परिवार के साथ वहां गए वहां जानें के बाद धीरेन्द्र मामा के गांव के एक ठाकुर की गंदी नजर पड़ी थी मुझपे तब रनवीर ने सबको मार दिया और बचा लिया मुझे जिसके बाद हम वापस घर आ गए फिर कुछ दिन बाद मेरे घर वालो ने रनवीर से इजाजत मांगी ताकि मुझे साहिल के साथ कुछ दिन के लिए गांव भेजे जिसे मान के एक दिन रनवीर , मै और साहिल चले गए गांव अभी हम आधे रस्ते में आए थे तभी हमारी गाड़ी के सामने एक लड़की तेजी से भागते हुए आई जैसे उसका चेहरा देखा तुरंत उसे पहचान गए क्योंकि वो लड़की कोई और नहीं लता थी जो इस वक्त हमारे घर में है , लता मेरे चाचा की बेटी है एक लंबी बीमारी के कारण उसके मां बाप गुजर गए थे जिस वजह मेरे मा बाबू जी ने लता की जिम्मेदारी खुद लेली थी उस वक्त लता मेरे घर में रहा करती थी मा बाबू जी के साथ , जैसे ही लता को देख हमने तुरंत पूछा क्या बात है वो कहा भागे जा रही है तब उसने बताया कि गांव में जमीन के विवाद को लेके गांव के एक ठाकुर ने अपने आदमियों के साथ घर आए और आते ही घर वालो को मारना , घर का समान आतोड़ना फोड़ना शुरू कर दिया जिस देख से बाबू जी ने तुरंत लता को मदद लाने को भेजा था इसीलिए लता रस्ते में भागे जा रही थी मदद लाने के लिए ये बात सुन रनवीर ने तुरंत लता को गाड़ी में बैठा के मेरे घर की तरफ तेजी से आ गए लेकिन जैसे ही हम घर आए तो सब खत्म हो चुका था मेरे मां बाबू जी , भाई , उसकी बीवी की लाश पड़ी थी ये सब देख में पागल सी हो गई इन्हें गले लगा के रोने लगी थी लेकिन तभी रनवीर की नजर कुछ दूर मेरी छोटी बहन पर पड़ी उसे देखते ही रनवीर उसके पास गए तब वो अपनी आखिरी सास ले रही थी ये देख में तुरंत उसके पास गई उससे पूछा तब मेरी छोटी बहन ने बताया कि गांव के ठाकुर ने अपने आदमियों के साथ मिल के कैसे सबको मारा साथ में मेरी छोटी बहन और भाभी की इज्जत लूटी ये बाते सुन रनवीर गुस्से में पागल सा हो गया क्योंकि मेरे घर वाले और मेरी बहन रनवीर को बहुत मानते थे उनके इस प्यार को देख रनवीर को भी उनसे लगाव हो गया था तब रनवीर गुस्से में निकल गया ठाकुर की हवेली में वहां जाते रनवीर ने सबको मार डाला यहां तक उनकी बीवी और बेटी को भी नहीं छोड़ा रनवीर ने उसके बाद रनवीर जब वापस आया तो उसका पूरा शरीर खून से लत पत था , रनवीर ने आते ही एम्बुलेंस बुलाई और मेरे घर वालों का शरीर लेके हम शहर आ गए लता के साथ वहां आते ही सीधा घर में रुके , रस्ते में ही रनवीर ने घर में फोन करके सारी बात बता दी थी घर वालो को और मै अपने मां बाप भाई बहन भाभी की मौत के सदमे में थी तब मेरे ससुराल वालों ने संभाला मुझे कुछ देर बाद रनवीर ने विधि पूर्वक क्रिया कर्म किया मेरे घर वालो का इस बीच साहिल अपनी चाची (सुनैना) की गोद में था वही उसे सम्भल रही थी फिर अगले दिन सभी घर वाले एक साथ बैठे थे तब वो पहली बार था जब रनवीर ने जो बात बोली , उस दिन रनवीर ने सभी घर वालों के सामने बोल दिया कि साहिल मनहूस है उसी की वजह से ये सब हुआ है , ये बाते सुन बाबू जी रनवीर को चुप रहने को कहा लेकिन रनवीर नहीं माना , जो बाते रनवीर ने मुझे खुद मना की थी घर वालों को बताने से वो सारी बात रनवीर ने चिल्ला चिल्ला के सबको बता दी और उसी दिन से घर के कई लोगों ने ये बात मान ली जिसमें मेरी बड़ी जेठानी रीना पहले शामिल थी उसने ही इन सबकी शुरुवात की , उसी ने ही घर में सभी बच्चों को समझा बुझा के साहिल को गिराया उनकी नजरों में , मै अपने मां बाप के सदमे से निकल नहीं पाई थी और न ही किसी पर ध्यान दे पा रही थी न रनवीर पर और ना साहिल पर लेकिन सुनैना दीदी , लता , मां जी (सरला) और बाबू जी इन्होंने साहिल का ध्यान रखा उसी बीच में प्रेग्नेंट थी और साहिल तीन साल का हो गया था तब वो ज्याद तर अपने दादा दादी के साथ रहता था और रनवीर तो जैसे उस हादसे के बाद ज्याद तर ऑफिस में व्यस्त रहता था जबकि घर में कभी कभी साहिल बात करता था मेरे से लेकिन उसी वक्त रीना दीदी हर बार बीच में आ जाती थी और साहिल को खरी खोटी सुना के भगा देती थी जिस वजह से साहिल मेरे पास बहुत कम आता था यहां तक जब साहिल धीर धीरे बड़ा हुआ तब नेहा भी बड़ी हो रही थी तब रीना ने नेहा को भी नहीं छोड़ा उसे भी साहिल के खिलाफ भड़का दिया नेहा को मेरे सामने और अपने कमर में चली गई उसी वक्त मुझे जाने क्यों गुस्सा आया था रीना दीदी पर मैं तुरंत गई उनके कमरे में और तभी गोली चलने की आवाज आई जिसे सुन के हम सभी दौड़ के कमरे से बाहर आए तभी हम सब ने देखा बाबू जी जमीन में गिरे पड़े है उनके शरीर से खून बह रहा है तुरंत रनवीर ने बाबू जी को उठा के गाड़ी की तरफ भागे अस्पताल ले जाने के लिए साथ में हम सब जल्दी बाजी में सबके साथ मैने भी साहिल पर ध्यान नहीं दिया अस्पताल में आते ही डॉक्टर ने बाबू जी का इलाज करना शुरू किया तब तक रीना के पति राजेश भईया भी आ गए ऑफिस से सीधा अस्पताल काफी देर इलाज चलने के बाद डॉक्टर बाहर आए उन्होंने कहा कि बाबू जी के पास समय कम है और वो मां जी से मिलना चाहते है जैसे तैसे नर्स के साथ मां जी को अन्दर ले गई बाबू जी से मिलने थोड़ी देर बाद मां जी के जोर से चिल्लाने की आवाज आई तब सब अन्दर गए देखा तो बाबू जी जा चुके थे हम सब को छोड़ के उसके बाद उनके क्रिया कर्म के बाद अगले दिन रात के वक्त सब खाने पर सब बैठे थे तब रनवीर ने बोला कि साहिल ने मारा है बाबू जी को और जब राजेश भईया ने पूछा तब रनवीर ने बताया कि साहिल कमरे से रनवीर की बंदूक लेके आया था उसे मारने के लिए लेकिन बाबू जी बीच में आ गए और गोली उन्हें लग गई पूरी बात सुनने के बाद सबने यकीन कर लिया इस बात पर क्योंकि ये बात सही थी कि रनवीर हद से ज्यादा साहिल पर हाथ उठाता आया था शुरू से क्योंकि आए दिन साहिल कोई न कोई हरकत ऐसी करता था जबकि सच तो ये था साहिल कभी कोई हरकत नहीं करता था रनवीर की कही बातों को मान कर सभी लोग साहिल से मतलब नहीं रखते थे उसमें मै भी थी लेकिन बड़ों ने अपने साथ बच्चों में नफरत का बीज बोया था साहिल के लिए ये उसी का नतीजा था कि आए दिन गलती कोई और करता और सजा साहिल को मिलती थी और सजा देने का काम रनवीर करता था यही एक ऐसा कारण था जिसके बाद सब ने यकीन कर लिया कि साहिल ने ही मारा है बाबू जी को उसके बाद मां जी ने सभी से बोल दिया था कि साहिल से कोई बात नहीं करेगा वो उसे खुद सम्भाल लेगी , करीबन दो दिन बाद श्राद्ध शुरू हुए थे मुझे आज भी याद है वो रात जिस दिन श्राद्ध शुरू हुए थे उस रात को मै अपने कमरे में थी तब रनवीर देर से घर आए थे , आते ही उन्होंने मुझे कहा कल मेरे मा पिता जी , भाई , भाभी और मेरी छोटी बहन का श्राद्ध की पूजा रखी है मंदिर में , तो अगले दिन जल्दी से तैयार हो गई रनवीर के साथ मंदिर जाने के लिए , रनवीर किसी जरूरी काम से ऑफिस गए थे साथ में मुझे बोल के गए थे जल्दी आयेगे फिर साथ में जाएंगे मन्दिर , मै दिन में घर पर इन्तजार कर रही थी रनवीर के आने का , तब रीना ने पूछा मेरे तैयार होने का कारण , मैने उन्हें बता दिया जिसे सुन के रीना मुझसे बोली कि इससे अच्छा पंडित जी बात मान के उस मनहूस साहिल को दूर कर देते इस घर से तो शायद आज तेरे परिवार के लोग अपनी जिंदगी जी रहे होते और बाबू जी भी जिंदा होते , रीना की बात सुन वो रात फिर से याद आ गई जब मैने अपने मां बाप भाई भाभी और मेरी छोटी बहन को खोया था , वो यादें याद आते ही मै रोते हुए रीना के पास से निकल गई थी तभी बीच साहिल ने कमरे से निकली थी की तभी साहिल ने मुझे मा कह के पुकारा था , वो मुझसे खाना मांग रहा था और मैने बदले में गुस्से में उसे चाटे मारे जिस वजह से मेरे हाथ की चुड़ी टूट गई तभी साहिल गाल छील गया था , उसके बाद मै निकल गई वहां से क्योंकि रनवीर आ गया था उसके साथ मन्दिर जा रही थी तभी रस्ते में रनवीर ने मेरा हाथ देखा जिसमें खून निकल रहा था....
सुनंदा – साहिल का खून था ना वो....
सुमन – नहीं वो मेरा खून था वो कांच की चुड़ी टूट के मेरे हाथ की कलाई में लग गई थी (अपना हाथ दिखाते हुए) ये देखिए टाको के निशान , रनवीर मुझे डॉक्टर के पास ले गया था , तब डॉक्टर ने टाके लगाए मेरी कलाई में , जब हम घर वापस आए तब पता चला मां (सरला) जा चुकी थी साहिल को लेके उस दिन के बाद मां के इलावा कोई नहीं जानता था कि साहिल कहा पर है किस स्कूल में पढ़ता है....
सुनंदा – सुमन इतना सब कुछ हुआ लेकिन तुमने कभी कोई सवाल नहीं उठाया साहिल के लिए , कभी ये जानने की कोशिश नहीं की क्या साहिल ने ही मारा था तुम्हारे ससुर जी को...
सुमन – सुनंदा जी जब मेरा परिवार गुजरा उसके बाद से मै मानती हूँ अपने परिवार के सदमे की वजह से मै ध्यान नहीं दे पाती थी किसी भी चीज पर और उसी बीच नेहा मेरे गर्भ आ गई थी , तब रनवीर कई बार मुझे यही कहता रहता था कि साहिल से दूर रहो कही ऐसा न हो जो तुम्हारे परिवार के साथ हुआ वो यहां किसी और के साथ हो , और अब तुम अकेली नहीं हो एक नन्ही जान भी साथ है तुम्हारे , उस दिन के बाद एक अंजाना सा डर मुझे लगा रहता था , रह रह के मेरे परिवार का चेहरा याद आता था खास कर मेरी छोटी बहन का जिसे मैने अपने हाथों से पाला उसे खिलाया , घुमाया और फिर (बोलते हुए रोने लगी) उसने तड़प तड़प कर मेरी आंखों के सामने अपना दम तोड़ दिया...
बोल के रोने लगी थी सुमन कुछ देर में चुप होके...
सुमन – सुनंदा जी मै मानती हूँ परिवार के बाकी लोगों की तरह मैने भी गलती की है लेकिन किसी ने वो महसूस नहीं किया होगा जो मैने किया है महसूस अपनी ही छोटी बहन को जिसे मैने सालों से पाला खुद बड़ा किया उसी को अपनी आंखों के समाने दर्द में तड़प तड़प के दम तोड़ते हुए देखा , उस हादसे के बाद इस दर्द को मैं अक्सर महसूस करती आई हूं आज भी कभी कभी रात अपने सपने में अपनी बहन को दर्द में तड़पाता देख जाग जाती हूँ...
सुनंदा जो इतनी देर से सुमन की बात सुन रही थी उसकी दर्द को महसूस करने वाली बात सुन को उस पल सुनंदा की आंख में आंसू आ गए थे जब सुमन अपनी बहन की मौत के बारे में बता रही थी तब सुनंदा को भी वो पल याद आ गया जब उसका बेटा आरव के सीने में उसके भाई ने तलवार घोप दी थी वो पल याद आते ही सुनंदा को याद आ गया कैसे आरव उस वक्त दर्द में तड़प रहा था सुनंदा के सामने , इन बातों को याद करते हुए सुनंद के आंख बहने लगी थी कि तभी सुमन ने देख लिया सुनंदा के आंख में आंसू को तब....
सुमन – (सुनंद से) क्या हुआ सुनंदा जी आपके आंख में आंसू क्यों...
सुनंदा – (सुमन की बात सुन उसे देख के) तुमने अपनी बहन के बारे में बताया शायद इसीलिए मेरी आंख से आसू आ गए....
अपनी आंख से आंसू सफा करके...
सुनंदा – यहां तक तो समझ आ गई बात मुझे लेकिन इतना कुछ हुआ उसके बाद आज साहिल को घर में क्यों लाया गया....
सुमन – मैने कहा था मां से साहिल को घर लाने के लिए....
सुनंदा – ये जानते हुए भी कि घर में सभी नफरत करते है साहिल से क्योंकि उसने अपने दादा की हत्या की है....
सुमन – ऐसा कुछ नहीं किया मेरे साहिल ने....
सुनंदा – क्या मतलब है तुम्हारा....
सुनंदा की बात सुन सुमन चुप रही तब....
सुनंदा – बात क्या है सुमन तुम चुप क्यों हो गई....
सुमन – सुनंदा जी क्या आपकी जिंदगी में कोई ऐसा है जिसकी खुशी के लिए आप कुछ भी कर गुजर सकते हो....
सुनंदा – हा है कोई ऐसा लेकिन बात क्या है....
सुमन – आपको उसकी कसम जो बात मैं बताने जा रही हु उसे अपने तक रखियेगा.....
सुनंदा – ठीक है....
सुमन – साहिल ने अपने दादा को नहीं मारा उन्हें रनवीर ने मारा था किसी को शक न हो इसीलिए रनवीर ने अपनी बंदूक को साहिल के हाथ में थमा दिया जिससे लोगों को लगे कि साहिल ने मारा अपने दादा को...
जिसके बाद सुमन ने सारी बात बताई जो सरला ने बताई थी जिसे सुन के....
सुनंदा – मुझे यकीन है तुम्हारी बात पर सुमन और जान के कोई हैरानी नहीं हुई मुझे क्योंकि आज के जमाने में राज पाठ के लिए जब एक भाई अपने सगे भाई को मार सकता है तो यहां भी जरूर हो न हो ऐसा ही कोई बात जरूर होगी....
सुमन – कारण क्या है इस बात का ये तो मां को भी नहीं पता है लेकिन मैने उसी दिन से रनवीर से अपने सारे रिश्ते खत्म कर दिए अब वो जिए या मरे मुझे कोई मतलब नहीं , उसकी बातों में आके सभी घर वालो की तरह मेरी अकल पर भी पर्दा पड़ गया था लेकिन अब नहीं मै साहिल के लिए सबका साथ छोड़ सकती हु लेकिन साहिल को किसी कीमत पर नहीं छोड़ूंगी....
सुनंदा – तुम चिंता मत करो मै साथ दूंगी तुम्हारा , ये सुनंदा का वादा है देखना साहिल एक दिन अपनाएगा तुझे....
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जारी रहेगा