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LOCATION....लाला की हवेली....
जिस दिन निधि की शादी थी उसी रात लाला की हवेली के एक कमरे में इस वक्त लाला उसका बेटा विजय और मुनीम बैठे आपस में बात कर रहे थे....
विजय – (लाला से) खबर मिली है कल पूरा परिवार वापस जा रहा है शहर अपने घर में...
लाला – (सोचते हुए) पूरा परिवार वापस जा रहा है एक साथ , लगता है इस बार भी किस्मत हमारे साथ नहीं है विजय , खेर जाने दो देखता हु कब तक बचते है वो हमसे....
विजय – लेकिन इसमें सोचना वाली क्या बात है पिता जी कल सबको एक साथ ठिकाने लगा देते है....
लाला – बेवकूफी वाली बाते मत करो विजय यही काम अगर करना होता तो बहुत पहले कर चुका होता मै लेकिन नहीं मुझे रनवीर को ऐसी चोट देनी है जिससे हर रोज तिल तिल कर के मारता रहे वो....
विजय – शहर से बुलाए लोग तैयार है उनका क्या करना है अब....
लाला – आज के लिए रहने दो उन्हें , कल उन्हें वापस भेज देना शहर....
ठीक उसी वक्त आनंद अपने कमरे में बैठा था तभी उसके कमरे में राधिका और सिमी आती है....
आनंद – (राधिका और सिमी को देख के) आप दोनों इस वक्त कोई काम था....
राधिका – तेरे से जरूरी बात करनी है....
आनंद – क्या बात है मां....
राधिका – तू जानना चाहता है ना कि क्यों इतनी नफरत है मुझे तेरे पिता और तेरे दादा से....
आनंद – (हैरान होके) हा लेकिन बात क्या है मां आज अचानक से तुम मुझे क्यों बता रही हो ये सब....
राधिका – क्योंकि मै नहीं चाहती को तू भी अपने पिता और दादा की तरह बन जाय जैसे तेरे चाचा और ताऊ, उनके दोनों बेटे थे....
आनन्द – मुझे सच सच बताओ मां आखिर बात क्या है किसने मारा था मेरे चाचा , ताऊ और उनके दोनों बेटो को किसने मारा था....
राधिका – (कुछ पल आनंद को गौर से देखती है) आज निधि की शादी में तू मिला होगा निधि के बाकी परिवार वालों से जो शहर में रहते है....
आनंद – हा देखा था मैने उनको....
राधिका – तू सुमन और रनवीर को जानता है...
आनंद – नहीं बस देखा जरूर था मैने शादी में उनको उनकी बेटी के साथ तब पिता जी और दादा जी दोनों उन्हीं को देख के कुछ बात कर रहे थे....
राधिका – (चौक के) क्या ये बात तूने मुझे पहले बताई क्यों नहीं....
आनंद – वो सब छोड़ो मां पहले मुझे पूरी बात बताओ....
राधिक – तो सुन ये बात आज से १८ साल पहले की है जब तू ८ साल का था उस वक्त रनवीर का पूरा परिवार गांव में आया था उनके बेटे के जन्मदिन के लिए तब उनका बेटा २ साल का था उस रात धीरेंद दादा ने गांव से थोड़ी दूर एक बड़ी पार्टी रखी थी उस वक्त तेरे ताऊ और उनके दोनों बेटे और हमारा पूरा परिवार भी शामिल था पार्टी में तब तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा इन चारों ने जैसे ही रनवीर की बीवी सुमन को देखा चारों की दिमाग खराब हो गया था वो बस किसी तरह सुमन के साथ अपनी हवस मिटाना चाहते थे उसी वक्त से उनकी नजर जम गई थी सुमन पर उसी रात वो चारों ने एक प्लान बनाया जिससे वो बना किसी को नजर में आए वो सुमन के साथ हवस मिटा सके लेकिन सबके होते ये संभव नहीं था तब पार्टी खत्म होने के बाद जब वापसी की बारी आई तो सभी वापस जाने लगे थे धीरेंद दादा की हवेली की तरफ तब तू मै तेरे पिता जी और तेरे दादा तो निकल गए थे लेकिन तेरे ताऊ तेरे चाचा और ताऊ के दोनों बेटे वही रुके थे तब तेरे ताऊ ने अपनी तबियत खराब होने का बहाना बताया जिसे देख पास में खड़ी सुमन और राघव ने उनको संभाला , चुकी सब जा चुके थे तब वहां पर रनवीर ,सुमन , राघव और तेरे ताऊ उनके दोनों बेटे और तेरे चाचा थे और सिर्फ एक गाड़ी थी जिसमें सब नहीं आ सकते थे तब रनवीर ने राघव को बोल तेरे ताऊ को उनके साथ भिजवा दिया रह गए रनवीर और तेरा चाचा वहा पर बाकी रनवीर ने सुमन को भेज दिया ताकि वो लोग तेरे ताऊ को हवेली में छोड़ कर वापस धीरेंद कि हवेली चले जाए लेकिन हुआ कुछ और तेरे ताऊ हवेली आने के बजाय रस्ते में उनका फार्म हाउस था वहां उन्होंने कार रोक के उसमें से बाहर निकले तभी तेरे ताऊ के पहले बेटे ने राघव के सिर पर पीछे से जोर दार वार किया जिससे वो बेहोश हो गया साथ ही ताऊ के दूसरे बेटे ने सुमन के पीछे से सुमन के मू पर रुमाल लगा दिया जिसमें उन्होंने बेहोशी की दवा डाली तो जिसे सुग के वो बेहोश हो गई जबकि इस तरफ तेरे चाचा ने अपने दोस्त की गाड़ी बुलाई तो उसने रनवीर को धीरेन्द्र की हवेली में छोड़ निकल गया तेरे ताऊ की तरफ कुछ समय इंतजार करने पर जब सुमन वापस नहीं आई तब रनवीर ने राघव को फोन किया जवाब ना आने सुमन को फोन किया लेकिन जवाब नहीं आया तब रनवीर को चिंता होने लगी तभी रनवीर निकल गया और आ गया सीधे यहां हमारी हवेली पर यहां पर जब उसे पता चला अभी तक कोई नहीं आया तभी रनवीर ने तेरे पिता से पूछा और निकल गए तेरे पिता के साथ तेरे पिता इस बात से अंजान थे कि उनका भाई और ताऊ क्या करने जा रहे थे वो सीधा आ गए तेरे ताऊ की फार्म हाउस के रस्ते पर तभी उनकी नजर गाड़ी पर पड़ी जबकि इस तरफ सुमन को बेहोश करने के बाद उसे फार्म हाउस में लेके चले गए कमरे में लेटा के बाहर आ गए तब पहले वो चारों शराब पी के खुशियां मना रहे थे और फिर कुछ देर के बाद तेरे ताऊ पहले गए उस कमरे में जहां सुमन थी लेकिन तभी फार्म हाउस के बाहर रनवीर आ गया था तेरे पिता के साथ अन्दर जाने को बढ़े ही थे तभी उनको राघव दिखा जो जमीन में बेहोश था उसे होश में लाके पूछा और जब रनवीर को पता चला तब उसे समझते देर नहीं लगी कि वो लोग क्यों यहां आए है सुमन को लेके , उसी वक्त रनवीर ने गुस्से में तेरे पिता को वही मार मार के बेहोश कर दिया और गुस्से में फार्म हाउस के अंदर चला गया , अन्दर जाते ही रनवीर ने देखा तेरे ताऊ को हंसते हुए कमरे में जाते हुए तभी रनवीर ने दीवार में लगी तलवार को निकाल गुस्से में उनके पीछे गया जबकि तेरा चाचा और तेरे ताऊ के दोनों बेटे शराब पी रहे थे उन्होंने रनवीर को देखा नहीं आते हुए तभी कमरे के अन्दर जाते ही रनवीर ने सुमन को बेहोश देखा और तेरे ताऊ को , जो सुमन के ऊपर चढ़ने जा रहा था तब गुस्से में रनवीर ने तेरे ताऊ का वो हाथ काट दिया जिससे वो सुमन को छूने जा रहा था तेरे ताऊ की दर्द भरी आवाज सुन तीनों उस कमरे की तरफ भागे जैसे ही तीनों कमरे में आए तेरे ताऊ को दर्द में तड़पते हुए देखा तब तीनों ने रनवीर को देखा और गुस्से में उसकी तरफ बढ़े ही थे कि तभी रनवीर ने तेरे ताऊ के सिर धड़ से अलग कर दिया था ये नजारा देख तीनों डर से वही रुक गए इस बीच सुमन को होश आ गया था तब सुमन ने सब कुछ अपनी आंखों से देखा जबकि ये सब जब हुआ तो वो तीनों तो रुक गए थे लेकिन रनवीर नहीं रुका गुस्से में आगे बढ़ा तीनों के पास उन्हें मारने के लिए तभी तीनों ने डर के रनवीर के पैर पकड़ के माफी मांगने लगे थे लेकिन असल में ये उनकी चाल थी और शायद रनवीर इस बात से अंजान नहीं था तभी तेरे चाचा ने रनवीर का पैर पकड़ उसे गिरा दिया लेकिन गिरने से पहले रनवीर ने तेरे चाचा के सीने पर तलवार से वार किया जिससे तेरा चाचा तड़पने लगा तब तेरे ताऊ के दोनों बेटो ने आगे बढ़ के रनवीर को मारने को कोशिश करने लगे लेकिन रनवीर ने अपने गुस्से की आग में तीनों को सिर धड़ से अलग कर मार डाला तेरे पिता फार्म हाउस के बाहर बेहोश पड़े थे तब रनवीर , सुमन के साथ बाहर आया और राघव को लेके गाड़ी में बैठा दिया साथ तेरे पिता को और आ गए यहां पर आते ही रनवीर ने तेरे दादा के गले में तलवार रख उन्हें सब बता दिया साथ में चेतावनी दी अगर फिर कभी उसकी बीवी या परिवार की तरफ आंख उठा के देखा तो उसका हश्र भी वैसा होगा जैसे बाकियों का हुआ है बोल के रनवीर निकल गया सुमन और राघव के साथ उसके जाते ही हवेली में मातम छा गया तेरी ताई इस सदमे को सहन नहीं कर पाई और चल बसी लेकिन गांव वाले को जाने कैसे ये बात पता चली तब गांव के लोगों ने ये बात पुलिस तक पहुंचाई तब पुलिस आई यहां पर उन्होंने जांच शुरू की तब फार्म हाउस में लगे कैमरे में सब कुछ रिकॉर्ड हुआ था जिसमें कैसे उनलोगों ने राघव को बेहोश किया कैसे हस्ते हुए सुमन को फार्म हाउस के अन्दर लाए कैसे रनवीर आया कैस सब हुआ सब कुछ , ये बात आगे बड़े इससे पहले तेरे दादा ने पुलिस को पैसे खिला के सारा मामला रफा दफा किया तब से तेरे पिता और दादा बदले की आग में जल रहे है इन सब के बीच मुझ तेरी चिंता होने लगी कही तेरे पिता तुझे भी वैसा ना बना दे इसीलिए मैं तुझे हर वक्त अपने साथ रखती थी....
बोल के राधिका चुप हो गई....
आनंद – तो इसीलिए तुम यहां से जाने की बाते करती रहती थी मुझसे....
राधिका – (हा में सिर हिला के) मै नहीं चाहती उन दोनों बाप बेटो की परछाई भी तुझ पर पड़े....
आनंद – लेकिन इस बात पर उनका क्या कसूर है मां वो तो....
बोल के चुप हो गया आनंद क्योंकि तब आनंद को निधि की शादी की याद आ गई कैसे उसके पीता और दादा रनवीर की बीवी और बेटी को देख रहे थे और हवेली आने के बाद उसके पिता ने उसे कहा कि कल उसका पसंद का तौहफा देगे ये बात सोचते ही आनन्द को समझ आ गया कि हो न हो उसके पिता और दादा रात में जो भी बात कर रहे थे उससे सुन के लगता है जैसे वो कुछ करने वाले हो कल , ये बाते आनंद के दिमाग में चलने लगी तब....
आनंद – (अपनी मां से) ठीक है मां मै तैयार हु तू जब बोलेगी जहां बोलेगी वहा चलेंगे हम....
अपने बेटे आनंद से ये बात सुन खुश होके बाकी सब भूल के....
राधिका – ठीक है बेटा मौका मिलते ही जब ये दोनों बाप बेटे नहीं होगे यहां तब हम निकल जायेगे यहां से बहुत दूर ताकि हमें कभी ढूंढ ना पाए....
आनंद – (मुस्कुर के) ठीक है मां....
राधिका – चल तू आराम कर अब हम भी जाते है आराम करने...
बोल के राधिका जाने लगी तभी....
सिमी – तुम जाओ मा मै अभी आती हु....
राधिका के जाने के बाद....
सिमी – (आनंद से) सच सच बता तू इतनी आसानी से कैसे मान गया बात , मां से बिना कुछ पूछे....
आनंद – (मुस्कुरा के) जैसा तुम सोच रही हो ऐसी कोई बात नहीं है दीदी....
सिमी – (आनंद का हाथ अपनी सिर में रख के) तो खा मेरी कसम....
आनंद – (अपना हाथ हटा के) मै कल्पना के बारे में सोच रहा था दीदी कितना वक्त हो गया उससे मिले....
सिमी – तेरी हरकत की वजह से दूर है तुझसे वर्ना उसे क्या पड़ी थी दूर होने की , तेरे से प्यार करती है वो आज भी....
आनंद – दीदी मै सोच रहा था हम कल्पना को भी अपने साथ ले चलेंगे वो भी तो अकेली है कौन है उसका इस दुनिया में है , हम सब एक साथ में रहेंगे...
कल्पना जो कि सिमी की सहेली है अक्सर सिमी के साथ कल्पना हवेली आती जाती रहती थी तभी आनंद को कल्पना पहली नजर में पास आ गई थी वो उससे प्यार करने लगा था इस बात का दोनों ने एक दोस्त से इजहार भी किया लेकिन इसी बीच विजय ने अपने बेटे आनंद को दौलत के साथ अय्याशी की राह में लाने लगा था जिस वजह से कल्पना , आनंद से दूर हो गई लेकिन प्यार करने से खुद को आज तक न रोक पाई..
सिमी – (मुस्करा के) तू सच बोल रहा है ना....
आनंद – हा दीदी आपकी कसम सच बोल रहा हूँ....
सिमी – मै आज ही कल्पना से बात करती हूं बहुत खुश होगी ये जान के....
आनंद – ठीक है दीदी आप बात कर लो मै कल करूंगा कल्पना से बात वैसे भी उसने मेरा नंबर ब्लॉक कर के रखा हुआ है...
बोल के हंसने लगा आनंद साथ में सिमी भी जिसके बाद सिमी चली गई उसके जाते ही आनंद ने किसी को कॉल किया....
आनंद – (कॉल पर) कैसे हो अमित....
आनंद का दोस्त अमित – मै बढ़िया हूँ तू बता....
आनंद – पैसे कमाना चाहेगा कुछ...
अमित – हा हा क्यों नहीं बता क्या करना होगा मुझे....
आनंद – आज धीरेन्द्र दादा की बेटी की शादी में शहर से आई लड़कियां याद है तुझे....
अमित – हा याद है फिर क्या करना है....
आनंद – उन पर नजर रखना है कर पाएगा ये काम....
अमित – अबे ये तो बहुत आसान सा काम है हो जाएगा तेरा काम लेकिन करना क्या चाहता है तू....
आनंद – सब बताऊंगा लेकिन पहले मेरा काम कर दे और याद रहे कुछ भी पता चले मुझे तुरंत बता देना...
अमित – हा हा तुरंत बताऊंगा भाई....
बोल के दोनों ने कॉल काट दिया जिसके बाद...
आनंद – (अपने मन में – आखिर क्या करने वाले है पिता जी और कौन सा तोहफा देने की बात बोली कही सच में इन दोनों का वही प्लान तो नहीं जो मैं सोच रहा हूँ नहीं अगर कुछ हुआ तो अमित बता देगा मुझे)...
सोचते हुए आनंद सो गया अगली सुबह हवेली के बाहर विजय जा रहा था अपनी कार से कही तभी उसने रास्ते में देखा रनवीर को रस्ते में अपनी कार से जाते हुए जिसे देख के....
विजय – रनवीर अकेला जा रहा है बॉडी गार्ड के साथ बाकी के लोग नहीं दिख रहे....
जिसके बाद उसने तुरंत अपने आदमी को कॉल मिलाया....
विजय – (कॉल पर अपने आदमी से) सुन एक काम कर चुपके से पता कर धीरेन्द्र की हवेली में आए मेहमान अभी निकले है कि नहीं और जो भी हो मुझे तुरंत बताना बात समझा...
सामने से आदमी – जी अभी पता करता हूँ...
जिसके बाद विजय अपनी कार को तेजी से ले जाने लगा १ घंटे बाद कुछ दूर कच्चे रस्ते में आते ही एक तरफ उसे कुछ लोग दिखाई दिए तब कार रोक उनके पास जाके....
आदमी – (विजय से) क्या बात है विजय साहेब आप ही ने बुलाया काम के लिए और अब जाने की बात बोलने आ गए आप....
विजय कुछ बोलने जा रहा था के तभी उसके मोबाइल पर किसी का कॉल आने लगा मोबाइल स्क्रीन में RJ नाम दिखा जिसे देख विजय ने तुरंत कॉल उठाया....
विजय – (कॉल पर) हेलो RJ सर कैसे है आप....
RJ – मै तो अच्छा हूँ तुम बताओ विजय बाबू आज दिन में कहा निकल आए हो तुम....
विजय – (हैरान होके) आपको कैसे पता चला कि मैं हवेली में नहीं हूँ...
RJ – (मुस्कुरा के) मै अपने दोस्तो और दुश्मनों की सारी खबर रखता हूँ विजय और तुम तो मेरे बिजनेस पार्टनर हो , खेर मैने तुम्हें एक अच्छी खबर देने के लिए कॉल किया है....
विजय – (हैरान होके) कौन सी अच्छी खबर RJ सर....
RJ – तुम जिसके इंतजार में हो वो आएंगे और उनके साथ कोई भी नहीं होगा अपने आदमी को बोलो ३ घंटे बाद शहर के रस्ते से एक गाड़ी आएगी धीरेन्द्र की हवेली पर तीन लोगों को लेने बाकी तुम से समझदार हो विजय....
विजय – (चौक के) RJ सर आपको इतनी अन्दर की जानकारी कैसे मिली....
RJ – तुम आम खाओ विजय पेड़ की चिंता छोड़ दो , अपना बदला लेने की तैयारी करो बस....
विजय – (मुस्कुरा के) शुक्रिया RJ सर आपने बहुत बड़ा एहसान किया है मुझपे....
RJ – (हस्त हुए) BEST OF LUCK...
बोल के काल काट दिया तब...
विजय – (अपने आदमियों से) सुनो अच्छी खबर है तुम लोगों के लिए....
आदमी – वो क्या है....
विजय – काम आज ही होगा , एक काम करो शहर के आने वाले रस्ते में कुछ घंटे बाद एक कार आएगी तीन लोगों को लेने तुम्हे उसके ड्राइवर की जगह लेनी होगी उसके बाद उन दोनों मां बेटी को लेके आना होगा मेरे फार्म हाउस पर....
आदमी – वो अकेले होगे और कोई नहीं होगा उनके साथ....
विजय – एक लड़का होगा निपटा देना उसे लेकिन उन दोनों मां बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए समझे , उनके साथ जो करना होगा वो मै करूंगा समझ में आ गई बात....
आदमी – समझ गया विजय बाबू आपका काम हो जाएगा....
विजय – ठीक है और एक बात गांव के रस्ते में कुछ मत करना उनको , किसी गांव वाले की नजर में आ गए तो दिक्कत हो जाएगी...
आदमी – तो फिर कैसे होगा काम यहां चारों तरफ खेत ही खेत है....
विजय – इसी रस्ते में आगे जाके एक कच्चा रास्ता जाता है मन्दिर की तरफ वहां जल्दी कोई नहीं आता है वही उन्हें ले जाके अपना काम करके आ जाना....
आदमी – ठीक है...
विजय – और हा काम होते ही मुझे कॉल कर देना , अब मैं चलता हूँ....
बोल के विजय चला गया अपनी कार से उसके जाते ही....
आदमी – (अपने साथियों से) एक काम करो कुछ लोग यही रस्ते में रहो जैसे ही मैं गाड़ी लेके यहां से निकलूंगा तुम लोग तुरंत बेरियर लगा देना ताकि लगे कि रोड बन रही है और बाकी तुम सब साधु का भेस बना के मंदिर की तरफ निकल जाओ जो देखेगा उसे यही लगेगा साधु मंदिर जा रहे है और मै जाके उनको लेके आऊगा मंदिर में....
बोल के वो आदमी निकल गया और कुछ घंटे बाद उस आदमी ने शहर से आ रही गाड़ी को रोक उसमें बैठे ड्राइवर को घायल कर उसे झाड़ियों में फेक के धीरेन्द्र की हवेली निकल गया उसके बाद आपको पता है क्या हुआ था.....
लेकिन इस बीच में जब ये हादसा हो गया था साहिल , सुमन और कविता के साथ तब लाला की हवेली में अमित आया हुआ था आनंद से मिलने....
आनंद – (अमित को हवेली में देख) अबे तू यहां पर क्या बात है....
अमित – वो तुमने कहा था नजर रखने को वही बताने आया हूं मै....
आनंद – हम्ममम बात क्या बता....
अमित – मैने नजर बनाए राखी थी धीरे धीरे वहां से सब निकल गए हवेली से लेकिन आखिर में एक कार आई थी उस हवेली में और उसमें कल शादी में जिस मां बेटी को हम लोग देख रहे थे वो उसमें चले गए उनके साथ वो लड़का भी था कल शादी में उसे भी देख था हमने लेकिन एक अजीब बात है यार....
आनंद – कौन सी अजीब बात....
अमित – यार जब वो कार आई हवेली में तब उसमें मैने ड्राइवर देखा था....
आनंद – अबे तो क्या कार हवा में उड़ के आएगी क्या....
अमित – वो बात नहीं है यार उस कार में जो ड्राइवर था उसे मैने तेरे पिता जी के साथ देखा था एक बार शहर में....
आनंद – (चौक के) क्या तू सच बोल रहा है ना....
अमित – हा यार मै भला क्यों झूठ बोलूंगा तेरे से उसी ड्राइवर के साथ तीनों निकल गए हवेली से....
आनंद – (सोच के) कितने देर हुई है उन्हें निकले....
अमित – काफी देर हो गई यार उनके जाने के कुछ देर मै वही रुक था अपने दोस्त से बाते कर रहा था लेकिन फिर मैने देखा एक गांव वाला आया हवेली में चला गया उसके थोड़ी देर बाद उस गांव वाले के साथ राघव चाचा निकल गए....
आनंद – ऐसा कौन सा काम होगा जो शादी के अगले दिन राघव चाचा निकले होगे , तुझे पता है किस रस्ते गए होगे वो....
अमित – पहले मुझे लगा वो भी शहर के रस्ते जा रहे होगे लेकिन फिर वो गांव के अस्पताल के रस्ते गए है....
अमित की बात सुन आनंद को कुछ समझ नहीं आ रहा था तब , आनंद को आज पहली बार इतना उलझा हुए देख अमित को अजीब लगा तब....
अमित – क्या बात है आनंद तू कौन सी गहरी सोच में डूबा हुआ है...
आनंद – नहीं कुछ नहीं (अपनी जेब से पैसे निकाल अमित को देते हुए) ये ले तू रख अच्छा काम किया तूने....
अमित जो आनंद का दोस्त था एक अच्छा दोस्त वैसे तो अमित इस गांव में रहता है लेकिन उसका इस दुनिया में कोई नहीं था लाला के घर में अमित के मां बाप काम किया करते थे लेकिन बीमारी से उनके गुजरने के बाद लाला और विजय ने कोई मतलब नहीं रखा अमित से तब आनंद की मां राधिका ने अमित को सहारा दिया जिस वजह से भले अमित अपने मां बाप के घर में रहता है साथ साथ आनंद के हर काम में उसका साथ देता है जिस वजह से आनंद की अच्छी दोस्ती हो गई अमित से खेर आगे बढ़ते है....
अमित – क्या बात है आनंद मै देख रहा हूँ तुझे जैसे कोई बात खाए जा रही है आखिर बात क्या है....
आनंद – ऐसी कोई बात नहीं है अमित....
अमित – तो तू इतना क्या सोच रहा है बता शायद मदद कर सकूं तेरी....
आनंद – (कल रात कैसे उसके दादा और पिता किसे देख रहे है सब बात के) बस यही सोच रहा हूँ यार कही कुछ गलत न कर दे....
अमित – बुरा मत मानना यार वैसे तेरे दादा और पिता का सच में कोई भरोसा नहीं दोनों कुछ भी उल्टा सीधा कर सकते है दोनों है ही ऐसे भाई....
अमित की बात सुन आनंद घूर के देखने लगा अमित को तब....
अमित – देख मैने बोला था ना बुरा ना मानना लेकिन तू सच में बुरा मान गया भाई....
आनंद – एक बात बता कल को मै चला गया यहां से तब तू क्या करेगा....
अमित – मै क्या यहां पर अपना लन्ड हिलाऊगा अकेले मै भी चलूंगा तेरे साथ वैसा भी तेरे और अम्मा (राधिका) के सिवा कौन है मेरा....
आनंद – ठीक है तैयार रह तू जब बोलूंगा तो चलना मेरे साथ लेकिन गलती से भी तू किसी को कुछ मत बताना समझा बात वर्ना तेरी मेरी दोस्ती खत्म....
अमित – पागल है क्या आज तक बताया है किसी को तेरी बात के बारे में जो अब करूंगा मै....
आनंद – ठीक है चल जरा चलते है अस्पताल में देखे किस लिए गए है दोनों....
बोल के दोनों अस्पताल की तरफ निकल गए कुछ देर में अस्पताल में आते ही दोनों ने देखा राघव को जो गांव वाले के साथ काल पर किसी से बात करते हुए अस्पताल के बाहर जा रहा है तभी दोनों चुप गए जबकि राघव और गांव वाला वहां से जने लगे तभी आनंद का ध्यान राघव की बात पर गया जो अपने पिता धीरेन्द्र से कर रहा था सारी बाते सुनते हुए आनंद भी राघव के पीछे पीछे अस्पताल के बाहर आ गया तब आनंद ने राघव को आखिरी बात सुनी मंदिर में जाने वाली बात साथ में ये भी की उस मंदिर में धीरेन्द्र और प्रताप के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता और जो जाएगा वो उस मंदिर के मायाजाल में फंस जाएगा ये बाते सुनते ही आनंद ने देखा राघव चला गया गांव वाले के साथ अस्पताल से उसके जाते ही...
आनंद – (अमित से) मुझे लगता है हमें भी जाना चाहिए वहां पर...
अमित – (चौक के) क्या बोले जा रहा है तू भाई , तू जनता नहीं वहां जो गया सही सलामत वापस नहीं आया है जाने क्या है उस जगह में जो जाता है पागल होके आता है और तू उधर जाने की बात कर रहा है....
आनंद – अबे तो क्या हुआ राघव चाचा भी जा रहे है ना उनके पीछे चले चलते है हम....
अमित – भाई मेरी बात मान दूर रह इस चक्कर से वैसे भी ये हमारा मामला नहीं है राघव चाचा जा रहे है ना वो देख लेगे सब तू हवेली चल देख शायद तू देख नहीं रहा है मौसम का हाल ऐसा लगता है बहुत भयानक तूफान आने वाला है....
आनंद – (अमित की बात सुन आसमान को देखते हुए) शायद राघव चाचा सच बोल रहे थे तूफान तो आ गया है....
अमित – हम्ममम चल भाई चलते है हम अम्मा राह देख रही होगी तेरा...
अस्पताल से निकल दोनों आ गए हवेली में आते ही...
विजय – (आनंद को देख) तुम हवेली के बाहर क्यों गए थे मैने मना किया था ना...
आनंद – सुबह से हवेली में बैठा बोर हो रहा था थोड़ा पास में टहल रहा था मै....
विजय – कम से कम बता के जाते बेटा हमें चित्त हो रही थी तेरी....
आनंद – (कुछ पल अपने पिता को गौर से देखने के बाद) आगे से ध्यान रखूंगा....
विजय – ठीक है जा जाके आराम कर...
आनंद – (अमित से) एक काम कर तू यही रुक जा तेज बारिश हो रही है भीग गया तो सर्दी लग जाएगी...
तभी आनंद ने अपनी मां राधिका को देखा जो कमरे में बैठी थी सिमी के साथ बात कर रही थी तभी आनंद कमरे में आके दरवाजा बंद कर राधिका के पास आ गया....
राधिका – (आनंद को इस तरह दरवाजा बंद करता देख) क्या बात है आनंद तू इस तरह ओर ये दरवाजा क्यों बंद किया....
आनंद – कुछ बात बतानी है मां तुझे....
राधिका – क्या बात है....
तब आनंद ने अपनी मां राधिक को सारी बात बता दी जिसे सुन....
राधिका – (गुस्से में) मै बोल रही थी न ये दोनों कभी नहीं सुधरने वाले है , जाने अब क्या होने वाला है समझ में नहीं आ रहा क्या करूं मै...
आनंद – मां क्यों न मै वहा चला जाऊ अमित के साथ देख के आता हु.....
राधिका – नहीं नहीं तू पागल है क्या जानता भी है क्या बोल रहा है तू उस मंदिर में बाबू जी (धीरेन्द्र) और बड़े बाबू जी (प्रताप सिंह) के परिवार के सिवा कोई नहीं जा सकता है और जो गया वो वहा के मायाजाल में फंस के पागल होके आता है....
आनंद – मुझे तो समझ नहीं आ रहा यही बात अमित भी कर रहा था जब उसके साथ मंदिर में चलने को बोला....
राधिका – मतलब तू मंदिर मे जाने वाला था....
आनंद – हा मां लेकिन अमित नहीं माना इसीलिए यहां आके तुझे सारी बात बता दी....
राधिका – देख आनंद चाहे कुछ भी हो जाए अनजाने में भी तू उस मंदिर के रस्ते पर कभी मत जाना मै नहीं जानती वहां ऐसा क्या है जिससे लोग पागल होके आते है लेकिन जो भी है वो सही नहीं है , तू वहां नहीं जाएगा बस...
आनंद – मां फिर कैसे पता चलेगा उनलोगों के बारे में वो सही है कि नहीं....
सिमी –(जो इतनी देर से बाते सुन रही थी) मां क्यों ना धीरेन्द्र दादा को हम सारी बात बता दे.....
राधिका – यही सही रहेगा सिमी वक्त रहते बाबू जी सम्भाल लेगे बात को मै अभी बात करती हु....
बोल के राधिका ने तुरंत धीरेन्द्र को कॉल मिलाया तब....
धीरेन्द्र – (कॉल पर) हा राधिका बिटिया कैसी हो तुम....
राधिका – प्रणाम बाबू जी , मै ठीक हु और आपसे कुछ जरूरी बात करनी है....
धीरेन्द्र – क्या बात है बिटिया सब ठीक है न....
राधिका – बाबू जी यहां सब ठीक है...
फिर आनंद ने को कुछ बात वो सारी बात बता के....
राधिका – बाबू जी कुछ गलत हो उससे पहले हालत संभाल लीजिए आप....
धीरेन्द्र – हम्ममम बिटिया जब राघव का कॉल आया था तभी हमें शक हो गया था खेर राघव के साथ गांव के कई लोग है साथ ही मैने भी कुछ पहलवानों को भेजा है वहा पर तुम फिक्र न करो बिटिया सब ठीक ही होगा , अच्छा जरा आनंद से मेरी बात करा दो....
राधिका – जी बाबू जी (आनंद को फोन देके) बात कर बाबू जी तेरे से बात करना चाहते है....
राधिक की बात सुन आनंद चौक गया क्योंकि आज से पहले कभी भी आनंद ने धीरेन्द्र से कभी फोन तो क्या सामने से कभी बात नहीं कि लेकिन आज अचानक उनसे बात करने से सोचना लगा था आनंद....
आनंद – (कॉल पर धीरेन्द्र से) प्रणाम दाद जी....
धीरेन्द्र – खुश रहो बेटा , देखो बेटा अब जो बात मै बोलने जा रहा हूँ तुमसे उसे ध्यान से सुनो तुम....
आनंद – हा दादा जी....
फिर धीरेंद कुछ बात बताने लगा जिसे सुन आनंद के चेहरे पर हैरानी की लकीरें दिख रही थी कुछ देर बाद....
धीरेन्द्र – मेरी बात याद रहेगी ना तुम्हे बेटा....
आनंद – हा दादा जी , मै तैयार हु....
धीरेन्द्र – हम्ममम ठीक है बेटा , बस तुम अपनी मां और बहन का ख्याल रखो , मै जल्दी ही तुम्हे कॉल करूंगा....
बोल के काल काट दिया दोनों ने तब....
राधिका – (आनंद से) क्या बात है बेटा क्या कहा बाबू जी ने....
आनंद – कुछ खास नहीं यही की अपनी मां बहन का ख्याल रखो और तैयारी हो जाय तो मुझे बता देना...
राधिका – किस चीज की तैयारी....
आनंद – अरे मां तुम्हीं तो बोल रही थी मौका मिलते ही निकल जायेगे हम यहां से....
राधिका – ओह अच्छा उस बात की तैयारी , ठीक है चल चल के खाना खाते है रात होने को आ गई है आराम भी कर ले तू...
रात का खाना खाने के बाद सब अपने कमरे में सोने चले गए थे इधर आनंद अपने कमरे में बेड में लेता था...
आनंद – (अपने मन में – बस एक बार धीरेन्द्र दादा ने कहा वो काम कर दूं उसके बाद यहां से निकल जाऊगा मां और बहन के साथ फिर कभी शकल भी नहीं देख पाएंगे हमारी ये दोनों (लाला और विजय)....
सोचते हुए सो गया आनंद...
(ये घटना कहानी में आगे के लिए जरूरी है इसीलिए थोड़ा डिटेल में लिखा है मैने चलिए अब आगे चलते है मंदिर में हादसे के बाद साहिल का क्या हुआ और हा ज्यादा सोचना मत होना कि राघव ने क्या किया उसके बाद इस बारे में क्यों नहीं बताया मैने क्योंकि उसके बारे में बीच में पता चल जाएगा आपको)....
अब साहिल की तरफ इस वक्त साहिल घायल अवस्था में कार में बैठा था उसका सिर सुमन की गोद में था जिसकी आंख में आंसू थे वो बार बार साहिल के सिर में हाथ फेर उसका नाम पुकार उसे जगाने में लगी थी आगे बैठी कविता का पूरा ध्यान भी पीछे साहिल पर था अपनी भीगी आंखों से साहिल को देख रही थी जबकि ड्राइविंग सीट में बैठी सुनंदा गाड़ी चला रही थी मंदिर से निकलते ही पलक झपकते ही सुनंदा गाड़ी को अस्पताल की तरफ ले आई जिसका पता सुमन और कवित को भी न चला दोनों इस बात से बेखबर थे कि साहिल ज़ख्मी होने के बाद भी उसके शरीर से खून नहीं निकल रहा था जिसे सुनंदा ने पहले से रोक रखा था अपनी शक्ति से , शहर के हॉस्पिटल के बाहर आते ही गाड़ी रोक के....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) हॉस्पिटल आ गया है जल्दी से साहिल को अन्दर ले चलते है...
सुनंदा की बात सुन जल्दी से सुमन और कविता गाड़ी से बाहर निकले तब....
सुनंदा – (सुमन और कविता से) आप दोनों जल्दी से कंपाउंडर को बुलाओ ताकि साहिल को अन्दर ले जा सके इलाज के लिए....
बात सुन दोनों ही जल्दी से हॉस्पिटल अन्दर जाके कंपाउंडर को बुलाने लगे थे जबकि इस तरफ सुनंदा , साहिल के पास आके...
सुनंदा – (मुस्कुरा के साहिल के सिर पे हाथ फेरने लगी) कितने बड़े हो गए हो तुम आरव चेहरे पे वही मासूमियत , बातों वो वही प्यार आज भी तू अपने से ज्यादा दिल में दूसरों की फिक्र करता है , लेकिन दिमाग में (हंसते हुए) एक नई शैतानी लेके आया तू , बस थोड़ी देर के बाद तू फिर से पहले की तरह अपनी हरकते शुरू करेगा , मुझे यकीन है आरव तू अपने काम में सफल जरूर होगा जिसके लिए तू यहां आया है....
इसी बीच सुमन और कविता आ गई आते ही साहिल को तुरंत स्ट्रेचर में लेटा के हॉस्पिटल अन्दर ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने एक कमरे में ले जाके साहिल की इलाज करने लगे थोड़ी देर बाद डॉक्टर कमरे से बाहर आया आते ही....
डॉक्टर – (सुमन से) पेशेंट के साथ आप है....
सुमन – जी डॉक्टर अब कैसा है साहिल....
डॉक्टर – वो ठीक है उसका शरीर काफी सक्त है , ज़ख्म गहरा नहीं है उसे मैने टाके लगा दिए है साथ पैन किलर की दवा दे रहा हूँ थोड़ी देर में उसे होश आ जाएगा आप चाहे तो उसे लेके जा सकते है और कुछ कपड़े हो तो दे दीजिए बदलने है उसके कपड़ो पर काफी खून लगा हुआ था उसे हटना पड़ा हमें....
सुनंदा – (बीच में आके) जी अभी लाते है (सुमन से) साहिल के कपड़े कहा है....
सुमन – वो गाड़ी में है...
सुनंदा – चलो लेके आते है (कविता से) तुम यही रुको हम अभी आते है....
बोल के दोनों बाहर जाने लगे तभी....
सुमन – (सुनंदा से) आपका बहुत बहुत शुक्रिया जो आपने हमारी इतनी मदद की....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) कोई बात नहीं ये मेरे फर्ज था....
सुमन – माफ कीजियेगा मै आपका नाम पूछना भूल गई....
सुनंदा – मेरा नाम सुनंदा है...
सुमन – जी मेरा नाम सुमन है और वो मेरी बेटी कविता है और...
सुनंदा – (बीच में) मै जानती हूं , आपको एक दूसरे का नाम लेते सुना था मैने....
सुमन – वैसे आप कही जा रहे थे....
सुनंदा – हा मै इस शहर में नौकरी के लिए आई हूँ **** कॉलेज में टीचर के लिए कल मेरा इंटरव्यू है....
सुमन – क्या सच में वो कॉलेज तो हमारा है....
सुनंदा – प्रताप सिंह आपके कौन है...
सुमन – वो मेरे ससुर जी है उन्हीं के नाम से कॉलेज है जिसमें आप पढ़ाने लिए आए हो....
सुनंदा – ओह , अच्छी बात है ये (गाड़ी से साहिल के कपड़े निकालने के बाद सुमन से) अब मुझे इजाजत दीजिए मैं चलती हूँ....
सुमन – लेकिन आप कहा जा रही है....
सुनंदा – आज की रात किसी होटल में गुजार लूंगी और कल किराए पर कोई कमरा देख वही रहूंगी....
सुमन – क्या आप अकेले हो....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा अभी तो अकेली हूँ....
सुमन – आपको कही जाने की जरूरत नहीं है आप हमारे साथ रहेगी हमारे घर में....
सुनंदा – लेकिन मै आपके घर में कैसे मै तो अंजान हु आपके लिए....
सुमन – किसने कहा आप अंजान हो हमारे लिए अगर अंजान होते तो आप ये सब नहीं करते जो आपने आज हमारे लिए किया है , बस अब और कोई सवाल नहीं आप हमारे साथ रहोगे आज से हमारे घर में....
बोल के दोनों हॉस्पिटल के अन्दर चले गए जहां नर्स को साहिल के कपड़े दिए जिसे बदल उन्होंने साहिल के पहले वाले कपड़े वापस दिए सुमन को कुछ देर बाद साहिल को होश आया तब डॉक्टर ने सबसे मिलने को बोला तीनों साहिल के पास जाके मिलने गए तब....
साहिल – (सुमन , कविता और सुनंदा को देख के) मै यहां कैसे (बोल के उठने को हुआ था तभी पीठ में दर्द हुआ उसे) अअह्ह्ह्ह....
सुमन – (साहिल के कंधे पे हाथ रख संभालते हुए) आराम से उठो डॉक्टर ने ज़ख्म में जोर देने से मना किया है...
साहिल – (हल्के दर्द में) क्या हुआ था वहां पर और हमलोग यहां कैसे आए.....
सुमन – तुम बेहोश हो गए थे उसके बाद तुमने सबको....
सुनंदा –(बीच में) वहां पर पुलिस आ गई थी जिसे देख सब भाग गए उसके बाद तुम्हे लेके यहां हॉस्पिटल में आ गए हम....
कविता – लेकिन वहां पर कोई कैसे....
सुनंदा – (बीच में कविता की बात काट उसके कंधे पे हाथ रख के) अब सब ठीक है कविता और साहिल भी मुझे लगता है अब हमें चलना चाहिए घर....
सुनंदा की बात सुन कविता चुप हो गई साथ ही सुमन भी क्योंकि उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि साहिल अंजान बन के ऐसी बाते क्यों कर रहा है जैसे उसने कुछ किया ही ना हो लेकिन हालत को देख सुमन ने आगे बोलना जरूरी नहीं समझा....
साहिल – (सुनंदा से) आप कौन है , क्या मैं आपको जनता हु....
सुनंदा – (मुस्कुरा के) हा शायद....
साहिल – कहा मिलें थे हम मुझे याद नहीं आ रहा कब मिला था मै आपसे....
सुनंदा – शायद स्कूल में देखा होगा मै टीचर हु स्कूल में पढ़ाती थी बच्चों को....
साहिल – ओह....
सुमन – हमें चलना चाहिए काफी देर हो गई है हमें , घर में परेशान हो रहे होगे सब....
साहिल – कितना वक्त हो रहा है अभी....
सुमन – अभी शाम के ७ बज रहे है....
साहिल – दादी परेशान हो रही होगी मेरे लिए चलो चलते है जल्दी से....
बोल के साहिल उठने लगा तब....
सुनंदा – आराम से उठो साहिल अभी कुछ दिन तुम्हे आराम करना है ताकि ज़ख्म जल्दी सही हो सके....
डॉक्टर – (साहिल से) मैडम सही बोल रही है कुछ दिन के लिए आपको टोटल बेड रेस्ट करना होगा और हा पीठ के बल बिल्कुल नहीं सोना वर्ना ज़ख्म भरेगा नहीं उल्टा खून बहेगा और पेन होगा अलग....
कविता – हम ध्यान रखेंगे इस बात का...
हॉस्पिटल की फीस जमा कर चारों निकल गए घर की तरफ रस्ते में साहिल और सुमन अभी भी पीछे बैठे थे एक साथ और आगे सुनंदा गाड़ी चला रही थी उसके साथ कविता बैठी थी अब थोड़ा साहिल की दादी के घर की तरफ ध्यान देते है आखिर वो इतनी जल्दी घर में क्यों आए और क्यों साहिल , सुमन और कविता को बाद में आने के लिए कहा...
लेकिन अभी नहीं यार थक गया हूँ अभी , अब अगले अपडेट में बाकी जानकारी मिलेगी सबको तब तक के लिए....
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जारी रहेगा![]()