- 10,046
- 33,288
- 244
Last edited:
e update broUPDATE 18
एक मंदिर जहा शिव जी की एक बड़ी सी सुंदर प्रतिमा थी उसी के नीचे 15 से 20 सीढ़ियां बनी थी जो सीधे शिव जी की प्रतिमा पर खत्म होती है उसी प्रतिमा के नीचे खड़ी सुमन और कविता हाथ जोड़ के उनका आशीर्वाद ले रही थी जबकि साहिल सीडीओ के नीचे खड़ा था वो दोनों के पास आके...
साहिल – (सुमन और कविता से) चले देर हो रही है मौसम बिगड़ रहा है बरसात होने को है...
सुमन – हा चलते है...
बोल के सुमन देखती है कि साहिल के पीछे एक आदमी आता है और अचानक से साहिल की पीठ पे चाकू घोप देता है जिस देख सुमन जोर से चिल्लाती है....
सुमन – (चिल्ला के) साहिल...
अचानक से नींद से जाग के चिल्लाने से बगल में सो रही कविता और निधि जाग जाते है दोनों देखते है सुमन नींद से डर और घबराहट से जागी हुई लंबी लंबी सास ले रही है तभी...
निधि – क्या हुआ भाभी क्या बात है आप डरी डरी सी क्यों हो...
कविता – क्या हुआ मा आप चिल्लाई क्यों...
सुमन – (अपने चारों तरफ देख जहा वो कमरे में है तब) मैने एक बहुत बुरा सपना देखा , मैने देखा किसी ने साहिल को पीठ पे चाकू मारा...
निधि – भाभी शायद आपने बुरा सपना देखा होगा साहिल तो अपने कमरे में सो रहा होगा....
सुमन बिना बात सुने तुरंत गैलरी से होते हुए साहिल के कमरे की तरफ जाती है उसके पीछे निधि और कविता भी जहा सुमन देखती है साहिल और कमल कमरे में सो रहे है तब...
कविता – मा देखो भईया सो रहे है आप घबराओ मत आपने बुरा सपना देखा होगा और कुछ नहीं...
सुमन – ऐसा लगा जैसे सपना ना हो सच हो वो सब...
निधि – कोई बात नहीं भाभी सपने देखते वक्त ऐसा लगता है अक्सर आप चलो आराम करो देखो कितने आराम से सो रहे है साहिल और कमल हमारी आवाज सुन कही उनकी नींद ना टूट जाए...
जिसके बाद तीनों चले जाते है कमरे में आराम करने कुछ देर बाद सुमन को नींद आ जाती है खेर आज का दिन है शादी का निधि की साथ ही धीरेन्द्र की हवेली में आखिरी दिन सभी मेहमानों का अगले दिन सभी वापस जाने वाले थे लेकिन फिलहाल हम आज की बात करते है आज की सुबह लगभग सभी जल्दी उठ गए क्योंकि शादी आज दिन की थी उठते ही सभी तैयारी में लग गए कल की तरह आज भी हवेली को सभी औरते बन ठन के तैयार होके हवेली के बाहर मंडप में आ गई जहां पर आज निधि शादी के लाल जोड़े में दुल्हन के रूप में मंडप में बैठी अपने होने वाले दूल्हे के साथ जहां बगल में निधि के ससुराल वाले साथ में निधि के पिता जी और साथ में भाई राघव और रागिनी बैठे थे जिसे धीरेन्द्र ने ही कहा था तभी रागिनी आई थी जबकि एक तरफ पंडित जी बैठ के मंत्र पढ़ रहे थे जबकि दूसरी तरफ आज साहिल सिर्फ कमल के साथ नहीं था क्योंकि आज उसके साथ शिवानी , रचना , सुरभि , पायल और शबनम साथ में बैठी एक दूसरे से हस के बाते कर रही थी सब जिसे दादी मुस्कुराते देख रही थी साथ में बाकी के परिवार वाले भी उन्हें देख के खुश थे इस बात से की आज साहिल सभी लड़कियों से बाते कर रहा है साथ में सुमन सुबह के सपने वाली बात को भूल कर साहिल इतना खुश देख उसे सबसे ज्यादा खुशी हो रही थी आज सुमन को लग रहा था कि जल्द ही ऐसा वक्त आयेगा जब साहिल इस तरह उसके साथ बाते करेगा हस के जबकि कविता , अवनी और खुशी ये देख थोड़ी हैरान थी कि आज साहिल उनकी बुआ की चारों बेटियों के साथ बैठ बाते कर रहा है हस के लेकिन उन्हें सुमन की तरह ये उम्मीद हो गई थी आगे के लिए जबकि दूसरी तरफ इन सब के बीच पूनम और सोनम अपनी मां रीना के साथ अकेले बैठी थी ऐसा नहीं था कि सोनम और पूनम से कोई बात नहीं कर रहा था लेकिन उस हादसे के बाद उनकी मां किसी से बात नहीं कर रही थी जिस वजह से अपनी मां को अकेला छोड़ना उन्हें अच्छा नहीं लगा सो अपनी मां के साथ बैठी थी अकेले जबकि इस तरफ सेमेंथा मुस्कुराते हुए साहिल के पास खड़ी देख रही थी साहिल को किस तरफ उसकी सभी बहनों ने उसे घेर के रखा है उसे कही जाने तक नहीं दे रही थी बेचारा साहिल को एक पल का मौका नहीं मिल पा रहा था सेमेंथा से बात करने का जिस वजह से सेमेंथा मुस्कुराते हुए साहिल को आज बहुत खुश देख रही थी वो चाहती तो साहिल सबसे अलग हो सकता था लेकिन सेमेंथा को साहिल को इस तरह से खुश देखे उसके मन को खुशी हो रही थी इन सब से अलग एक परिवार और भी था जिसकी 2 औरते धीरेन्द्र के परिवार के साथ मंडप के बगल में बैठी थी वो था लाला का परिवार की राधिका और उसकी बेटी सिमी जो सबसे बाते में लगी थी...
जबकि लाला उसका बेटा विजय एक तरफ अपने मुनीम के साथ खड़े थे शादी होते देखते हुए तभी उनके पीछे से कोई उनसे बात करता है....
आदमी – कैसे हो लाला...
लाला और विजय पीछे मूड के अपने सामने रनवीर को देख के...
लाला – अच्छा हूँ रनवीर तुम बताओ....
रनवीर – देख रहा हूँ कल से तुम दोनों बाप बेटे कल भी अलग खड़े थे सबसे और आज भी....
विजय – हम बस धीरेन्द्र दादा के खातिर उनकी बेटी की शादी में शरीक होने आए है रनवीर , आशीर्वाद देके चले जाएंगे...
रनवीर – (मुस्कुराते हुए) हम्ममम वो तो मै कल से देख रहा हूँ तुम दोनों की नजरों को की क्या करने आए हो यहां पर...
लाला – देखो रनवीर हम सिर्फ शादी में आय है बस इसके इलावा कुछ नहीं वैसे मै मिला था तुम्हारे बेटे से बिल्कुल तुमपे गया है वही अंदाज वही घमंड उसमें भी है जो तुममें है...
रनवीर – मै यहां किसी और की नहीं बल्कि तुम्हारी नजरों की बात करने आया हु लाला जरा सम्भल के लाला कही उस रात की तरह आगे कुछ ना हो....
विजय – रनवीर अगर हमारे यहां आने से तुम्हे दिक्कत हो रही है तो हम चले जाते है लेकिन मै फिर भी यही कहूंगा हम सिर्फ शादी में निधि को आशीर्वाद देने आए है बस....
रनवीर – अच्छा है अगर ऐसा हो क्योंकि तुम दोनों बाप बेटो की नजर मैने कल देख ली थी कैसे मेरे परिवार की लड़की और औरतों को देख रहे थे सोचा याद दिल दूं तुम दोनों को के इस बार तुम दोनों वो गलती मत करना जो (विजय से) तेरे बड़े भाई ने की थी (लाला से) और तेरे बड़े भाई और उसके दोनों बेटो ने की थी कही ऐसा न हो तेरा वंश ही ना बचे...
बोल के जाने लगा रनवीर तभी वापस आके...
रनवीर – (लाला से) अपने पोते को भी सम्भाल लेना लाला तेरी तरह उसकी नजरे भी कुछ ज्यादा ही तेज चल रही थी कल समझे चलता हूँ और हा आशीर्वाद देके जरूर जाना वर्ना धीरेन्द्र मामा को अच्छा नहीं लगेगा...
बोल के रनवीर निकल जाता है वहां से उसके जाते ही...
लाला – (विजय से) आनंद को जाके समझा दो विजय ऐसी वैसी कोई हरकत न करे मै नहीं चाहता कि रनवीर की नजर में आ जाए आनंद...
विजय – आनंद को मै समझा दूंगा पिता जी लेकिन रनवीर आज इतना क्यों उछल रहा है...
लाला – पहले रनवीर अकेला था आज उसका बेटा जो है साथ में इसीलिए हमे अपना घमंड दिखाने आया था , खेर तुम जाके पहले आनंद से बात कर लो बाकी रनवीर को बाद में देखेंगे पहले उसके सपोले फिर उसकी मां बेटी की कल खेर नहीं कल अपने भाई उसके बेटे और अपने बेटे का बदला लूंगा तब रनवीर को पता चलेगा हमसे टकराने का अंजाम क्या होता है...
इधर विजय अपने बेटे आनंद के पास जाता है जो अपने दोस्तों के साथ बात कर रहा था वहां आते ही...
विजय – (देखता है उसका बेटा आनंद रनवीर की परिवार की लड़कियों को देख अपने दोस्तो से बाते कर रहा था तब) आनंद तुझे समझाया था ना फिर भी तू अपने दोस्तो के साथ ये सब कर रहा है...
आनंद – (अचानक अपने बाप को सामने देख) नहीं पिता जी मै तो बस अपने दोस्तो से बाते कर रहा था...
विजय – अच्छे से जनता हूँ तू क्या बाते कर रहा है अपने दोस्तो से और किसके लिए , मै तुझे समझा दे रहा हूँ आनंद अगर गलती से भी तूने या तेरे दोस्तों में किसी ने भी कुछ भी ऐसी वैसी हरकत की तो याद रखना तेरे दादा और मै तुझे छोड़ेंगे नहीं समझा...
इन बातों के बीच राधिका आ जाती है आनंद के पास तब...
आनंद – मुझे समझ नहीं आता आप इतना घबरा क्यों रहे है भला हमें किसी से क्या डर कौन हमारा क्या बिगाड़ लेगा यहां अगर कुछ कर भी दिया तो...
विजय – (अपनी बीवी राधिका को पास में देख ज्यादा कुछ न बोलते हुए) जितना कहा वो समझ जा बस बाकी तुझे बता दिया मैने...
बोल के विजय चला जाता है जबकि...
राधिका – (अपने बेटे आनंद को उसके दोस्तों से अलग ले जाके) क्या बोल रहे थे वो तुझे...
आनंद – कुछ नहीं मा तुम परेशान मत हो तुम जाओ बाकी औरते के साथ बाते करो....
राधिका – और कर भी क्या सकती हूँ मै घर में जैसे तेरे दादा है वैसे पिता भी बस एक तू था जो कम से कम बात तो करता था पूछता था अपनी मां को लेकिन अब तू भी अपने बाप की तरह बन गया है जिसे अपना घर छोड़ के बाकी सबके लिए फुर्सत है...
आनंद – मा देखो तुम फिर से शुरू मत हो जाओ...
राधिका – तो क्या करू सिर्फ तेरे और सिमी के खातिर रुकी हूँ मै हवेली में वर्ना कब का छोड़ के चली जाती मै...
आनंद – तुम्हारी परेशानी क्या है मां जो हर बार तुम इस तरह से बाते करती हो ऊपर से पिता जी वो अलग सुना के चले गए बाते...
राधिका – तेरे पिता ने क्या कहा मुझे नहीं पता मुझे सिर्फ तेरी ही चिंता है बेटा जाने कहा खो गया मेरा वो बेटा जो हर वक्त अपनी मां का हाथ थामे रहता था मैने खाना खाया या नहीं खाया उसकी चिंता उसे लगी रहती थी जब तक मै नहीं खाती खाना तब मेरा बेटा छूता तक नहीं था खाने को और आज मा भूखी सो जाएं लेकिन बेटा पूछता तक नहीं अपनी मां को एक बार भी...
आनंद – दूर भी तुमने किया था मुझे मा मै नहीं हुआ था...
राधिका – दूर किया था इसीलिए ताकि अपने पैरों पर खड़ा हो सके सम्भल सके अपने आप को ताकि कल को मुझे कुछ हो गया कम से कम तू सम्भाल लेगा अपनी बहन को लेकिन अब लगता है कल को मुझे कुछ होगया जाने तेरी बहन का क्या होगा कब कौन उसे अपना शिकार बना ले....
आनंद – अब तुम ज्यादा सोच रही हो मां ऐसी बेकार की बाते मत कर तू....
राधिका – तो तू वापस आजा छोड़ दे ये सब , कुछ नहीं चाहिए मुझे तू मै सिमी हम कही और चले जाएंगे दूर यहां से एक कमरे में रहेगी लेकिन खुश रहूंगी मै तुम दोनों के साथ....
आनंद – आखिर बात क्या है क्यों ऐसी बाते करती हो बार बार परेशानी क्या है पिता जी और दादा जी से आपको...
राधिका कुछ बोलने को हुई तभी आनंद को उसके दोस्तों ने आवाज लगाई तब...
आनंद – (अपने दोस्तो को) आता हूँ (राधिका से) मै सब कुछ छोड़ दूंगा जहां कहेगी वहां चलूंगा लेकिन जब तक तुम बताती नहीं वो बात तब तक बिल्कुल भी नहीं....
बोल के आनंद चला जाता है अपने दोस्तो के पास और राधिका चली जाती है धीरेन्द्र के परिवार के पास बैठ जाती है मंडप के पास अपनी बेटी के साथ तब...
सिमी – क्या हुआ मां तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है फिर से आनंद से कोई बात हुई क्या....
राधिका – मैने सोच लिया है सिमी आज मै आनंद को सब बता दूंगी...
सिमी – और उसके बाद आपको लगता है आनंद चुप बैठेगा....
राधिका – अगर वो समझ गया बात तो शायद हम तीनों दूर चले जाएंगे यहां से बस बहुत हो गया अब मै और नहीं झेल सकती इन बाप बेटो के कमीने पन को....
सिमी – तो आप धीरेन्द्र दादा को बता दो सारी बात वो मदद करेंगे हमारी....
राधिका – हम्ममम शादी के बाद मै बात करूंगी धीरेंद्र जी से...
खेर निधि की शादी हो जाती है अब आता है विदाई का वक्त विदाई के वक्त धीरेन्द्र का पूरा परिवार एक साथ निधि को विदाई कर रहा था तब निधि सबसे मिल रही थी आंख में आंसू लिए एक एक करके सबसे गले लग रही थी फिर राघव की बेटी से गले लग के और जोर से रोने लगी थी जिसे सभी समझ रहे थे कि निधि घर से विदा होंने की वजह से रो रही है लेकिन असल में राघव की बेटी से गले लगते वक्त उसे दुख हो रहा था इस बात का की उसके जाने के बाद जाने घर में क्या होगा कैसे रह पाएगी उसकी छोटी सी भतीजी फिर बच्ची से अलग होके निधि की नजरे किसी को ढूंढने लगी जो सबसे पीछे खड़ा होके निधि को देख रहा था वो था साहिल जो निधि को घर से विदा होते देख न उसके चेहरे पर अजीब सी उदासी थी साहिल को देख निधि सबके बीच से होते हुए साहिल के पास जाके उसके गले लग के रोने लगी साहिल के गले लगते ही जाने क्यों लेकिन साहिल के आंख में अपने आप आसू आ गए तब...
निधि – (रोते हुए) मैने तुझसे कुछ नहीं मांगा साहिल आज तक , प्लीज आज मेरे ऊपर एक एहसान कर दे...
साहिल – आप जो बोलो वो करूंगा आपके लिए बस एहसान का नाम दो इसे...
निधि – साहिल प्लीज राघव भइया के लिए कुछ कर दे वर्ना मेरी प्रिंसेस का क्या होगा मुझे डर लग रहा है उसके लिए मै नहीं चाहती कि तेरे जैसा उसके साथ कुछ हो साहिल प्लीज मेरे लिए इतना कर दे....
साहिल – बुआ आप रो मत कुछ नहीं होगा ऐसा , सब ठीक होगा मै हूँ ना अब बेफिक्र रहो बुआ...
निधि – मुझे बस तुझपे भरोसा है साहिल सम्भाल ले तू सब तेरे हाथ में है...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हा बुआ...
जिसके बाद साहिल खुद निधि को अपने साथ ले जाके कार में बैठता है सबके साथ हर किसी की आंख में आंसू थे निधि की विदाई के लिए धीरे धीरे कार आगे जाने लगती है हर कोई हाथ हिला के (Bye) करते है देखते देखते कार और आगे चली जाती है धीरे धीरे कार सबकी आंखों से ओझल हो जाती है तब हर कोई हवेली के अन्दर जाने लगते है साथ में लाला , विजय , राधिका , आनंद और सिमी भी सबसे विदा लेके जाने लगते है तभी....
राधिका – (धीरेन्द्र से चुपके से) बाबू जी मुझे आपकी मदद चाहिए....
धीरेन्द्र – हा राधिका बोलो क्या बात है....
फिर राधिका कुछ बोलती है जिसे सुन के....
धीरेन्द्र – ठीक है तुम बेफिक्र रहो राधिका जब तुम्हारी तैयारी हो जाय मुझे इकतलाह कर देना बाकी मै सम्भाल लूंगा....
जिसके बाद राधिका अपने परिवार के पास चली गई गाड़ी में बैठ के रस्ते में....
लाला – (अपने बेटे विजय से) कल की तैयारी कर देना विजय ऐसे सुनहरे मौके हाथ से जाना नहीं चाहिए...
विजय – (मुस्कुरा के) हा पिता जी सारी तैयारी मैने पहले से कर दी है बस कल का इंतजार है....
राधिका – (बात को न समझ के) किस बात की तैयारी करने की बात हो रही है...
विजय – तुम इस चक्कर में मत पड़ो राधिका मर्दों का काम मर्दों को शोभा देता है तुम सिर्फ चूल्हा पर ध्यान दो....
राधिका – इतने सालों से यही तो कर रही हूँ मै चूल्हा देखना और आपकी बाते सुनना...
विजय – (गुस्से में) ज्यादा जुबान मत चला समझी हद में रह के बात कर ज्यादा चू चे की तो घर के जगह कोठे में बैठा दूंगा तुझे...
विजय की बात सुन उसके बेटे आनंद को गुस्सा आ गया....
आनंद – (गुस्से में चिल्ला के) बस बहुत हो गया पिता जी अब एक शब्द नहीं मा है वो मेरी आपकी हिम्मत कैसे हुईं मेरी मां से इस तरह से बोलने की...
विजय – अरे बेटा तू क्यों इतना नाराज हो रहा है मैने तुझे क्या समझाया था कि औरतों को ज्यादा सिर पे चढ़ाना नहीं चाहिए अगर इनको अपनी उंगली पकड़ाओगे तो ये गर्दन पकड़ लेगी इसीलिए ऐसा बोला मैने...
आनंद – आपको क्या लगता है क्या नहीं वो आप समझो मेरी मां से इस तरीके से कोई बात करे मुझे पसंद नहीं है बस...
बोल के आनंद अपनी मां राधिका के हाथ पकड़ लेता है जिसे देख राधिका को दिल ही दिल में बहुत खुशी होती है साथ उसकी बड़ी बहन को भी भले आनंद जैसा था लेकिन अपनी मां और बहन से शुरू से बहुत प्यार करता था वजह ये थी कुछ साल पहले आनंद भोला भाला था और हर वक्त अपनी मां के पल्लू में बंधा रहता था , अपनी बड़ी बहन के साथ हंसता खेलता बाते करता था लेकिन बचपन से ही ज्यादा भोलापन को देख राधिका को लगा कि वो आनंद के साथ उसका हर वक्त रहने से आनंद अकेला कोई काम खुद नहीं करता है इसीलिए राधिका ने आनंद को थोड़ी ढिलाई दे दी ज्यादा तर काम के लिए आनंद को घर के बाहर अकेले भेजती थी ताकि आनंद का दिमाग खुले उसे घर के बाहर की दुनिया समझ में आए और राधिका की इस बात का फायदा विजय ने उठाया वो धीरे धीरे आनंद को अलग अलग तरीके के नए नए शौक देता रहा कुछ समय की दिक्कत के बाद आनंद भी अपने बाप विजय के रंग में रंगने लगा था लेकिन चाहे जैसा भी था अपनी मां और बहन से प्यार उतना ही करता था बस पहले की तरह दिखाता नहीं था लेकिन आज धीरेन्द्र की हवेली पर निधि के शादी के बीच जो हुआ उसके बाद आनंद का पहले से अपनी मां की बात को लेके उसी सोच में था जो उसे समझ नहीं आ रहा था लेकिन अभी जो हुआ उसके बाद आनंद का गुस्सा बढ़ गया जिस वजह से आनंद ने आज काफी समय के बाद मा के पक्ष में जो बोला उससे राधिका दिल फूला नहीं समा रहा था कुछ समय में लाला अपने परिवार के साथ घर आ गया घर में आते ही....
विजय – (अपने बेटे आनंद से) आनंद तुम कल कही मत जाना घर में रहना (मुस्कुरा के) तेरे लिए एक तोहफा लाने वाला हूँ कल....
आनंद – कौन सा तोहफा मै कुछ समझा नहीं....
विजय – वही जिसके लिए तू कल से बेचैन है समझा चल जा जो बोला वो करना...
अपने पिता की बात को ना समझ आनंद जाने लगा कमरे में तभी....
विजय – (राधिका से) सुन रस्ते में तो कुछ नहीं बोला मैने लेकिन आज के बाद अगर तूने जुबान लड़ाई मुझसे तो जो बोला है वही करूंगा मै....
राधिका अपने पति को बात सुन डरते हुए कमरे में चली गई अपनी बेटी सिमी के साथ...
जबकि इस तरफ धीरेन्द्र की हवेली में....
राघव – (धीरेन्द्र से) पिता जी मै चलता हूँ खेत में कुछ काम है मुझे...
धीरेन्द्र – वो सब ठीक है बेटा खाना खा के चले जाना तुम....
खाने की बात सुन रागिनी तुरंत रसोई में जाने लगती है राघव के लिए खाना लेने को तभी....
राघव – नहीं पिता जी मै खेत में सबके साथ खान खा लूंगा....
बोल के राघव जाने लगता है जबकि परिवार ज्यादा तर लोग कमरे जा चुके थे फ्रेश होने के लिए इस वक्त हवेली के हाल में दादी , धीरेन्द्र , साहिल , सुमन , राघव और रागिनी होते है जबकि राघव की ये बात सुन रागिनी के आंख में आंसू आ जाते है और राघव जैसे ही हवेली के बाहर जाता है तब पीछे से साहिल आके राघव का हाथ पकड़ रोक के....
साहिल – आखिर कब तक आप अपने आप को सजा देते रहोगे चाचा मानता हूँ रागिनी चाची ने जो किया गलत था लेकिन आपने ये भी सोचा चाचा कितने साल हो गए आपकी शादी को चाची से क्या इतने सालों में कभी आपको लगा कि चाची ने ऐसा कुछ किया हो आपके पीठ पीछे , नहीं ना तो फिर क्यों चाची के साथ खुद को सजा देना....
राघव – साहिल उसने जो तेरे साथ किया उसके लिए कैसे माफ कर दूं मै उसे....
साहिल – उन्होंने जो किया मेरे साथ किया उसके बाद भी मै यहां रुका हूँ ना चाचा तो बस अब आप सब भूल जाओ ये समझो ऐसा कुछ हुआ ही नहीं बस मेरे खातिर आपने बात करना छोड़ा चाची से तो आज मेरे खातिर उन्हें माफ कर दो आप...
राघव – लेकिन साहिल...
साहिल – (बीच में राघव की बात रोक के) अगर आप सच में मुझे अपना मानते हो तो प्लीज भूल जाओ सब आप....
राघव – ठीक है साहिल सिर्फ तेरे खातिर मै ये कर रहा हूँ....
साहिल – (मुस्कुरा के) तो अब खेत जाने का बहाना छोड़ो चाचा जाओ चाची के पास बात करो उनसे तरस रही है चाची आपसे बात करने के लिए....
साहिल की बात सुन राघव मुस्कुरा के रागिनी के पास जाने लगा जबकि जब राघव हवेली के बाहर जा रहा था तो उसके पीछे साहिल जाने लगा तभी सुमन भी पीछे आने लगी तब सुमन ने दोनों की सारी बाते सुन ली हवेली के दरवाजे के पीछे से जिसे सुन सुमन आंख में आंसू के साथ चेहरे पे मुस्कुराहट आ गई तब राघव के अंदर आते ही वो रसोई में जाने लगा तब साहिल भी हवेली के अन्दर आया तभी...
सुमन – (साहिल का हाथ पकड़ हल्का मुस्कुरा के) थैंक यूं...
साहिल – (अपना हाथ छुड़ा के) मैने जो किया सिर्फ उस छोटी बच्ची के लिए कही उसका बचपन भी मेरी तरह ना हो जाय बिन मा बाप के...
सुमन – (मुस्कुरा के) लेकिन अच्छा किया....
सुमन को मुस्कुराते हुए जवाब देते देख साहिल ने एक पल सुमन को देखा...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हम्ममम काश यही सोच आपकी भी होती....
बोल के साहिल निकल गया जबकि साहिल के इस जवाब से सुमन की मुस्कुराहट रुक सी गई तभी दादी सुमन के पास आके....
दादी – मैने कहा था ना उसकी नफरत का सामना करना आसान नहीं है...
सुमन – हा मा याद है मुझे और मैने भी आपसे कहा था सब कुछ हस्ते हुए सहन करूगी मै...
बोल के सुमन चली गई तभी...
रनवीर – (सुमन को बुलाते हुए) अरे सुमन सुनो तुमसे एक बात करनी है....
सुमन – (बिना रनवीर को देखे) हा बोलो...
रनवीर – (सुमन के इस अंदाज में बोलने से अजीब लगा जिसके बाद) यहां नहीं कमरे में आओ....
सुमन – अभी मेरे पास टाइम नहीं है जो बोलना है यही बोल दो...
रनवीर – क्या बात है सुमन आज तुम इस तरह से बात क्यों कर रही हो....
सुमन – कोई काम है तो वो बताओ बस....
रनवीर – अकेले में बात करनी है तुमसे....
सुमन – ठीक है फुर्सत मिलते ही बात करूंगी....
रनवीर – फुर्सत लेकिन अभी तुम खाली तो हो अब क्या काम बचा है....
सुमन – अभी मै थक गई हु आराम करके बाद में बात करती हु...
बोल के सुमन चली गई सीढ़ियों से कमरे की तरफ पीछे रनवीर अपनी ही सोच में रह गया उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सुमन उससे इस तरह से क्यों बात कर रही है जबकि इधर दादी सब कुछ देख के मुस्कुराने लगी अब इस तरफ देख लेते है जहां राघव रसोई में गए थे अपनी बीवी रागिनी के पास जहां रागिनी रसोई में काम करने में लगी हुई थी उसे पता तक नहीं था की उसके पीछे राघव खड़ा है तभी...
राघव – (रागिनी की कमर में हाथ रख उसे अपनी तरफ खींच के) बहुत बिजी हो तुम तो...
अचानक हुए इस हमले से रागिनी डर गई लेकिन जब राघव की आवाज सुनी उसने तब...
रागिनी – आप यहां....
राघव – क्यों मै यहां नहीं आ सकता हूँ क्या...
रागिनी – मैने ऐसा कब कहा....
राघव – (रागिनी को अपनी तरफ घुमा उसका माथा चूम के) जल्दी से खाना लगा दो बहुत भूख लगी है यार...
रागिनी – (हैरानी से राघव को देखते हुए अपने आप मू से) जी अभी लगाती हूँ....
राघव – हम्ममम जब खाली हो जाओ बता देना तुम्हारा सारा सामान अपने कमरे में रखने में मदद कर दूंगा....
रागिनी – (हैरानी से राघव को देख) जी मेरा सामान....
राघव – (मुस्कुरा के) हा तुम्हारा सामान और हा कल सब चले जाएंगे उसके बाद हम कही घूमने चलेंगे साथ में , चलोगी ना....
रागिनी –(आंख में आंसू लिए राघव के गले लग के) हम्ममम मुझे माफ कर दीजिए मै....
राघव – (रागिनी के मू पे उंगली रख) बस अब कुछ नहीं भूल जाओ जो हुआ एक बुरा सपना समझ के उसे ठीक है अब रोना मत चलो खाना लगाओ जल्दी से फिर तुम बताना कहा घूमने चलना है...
राघव की बात सुन रागिनी मुस्कुरा के हा में सिर हिल दिया जिसके बाद राघव बाहर चला गया जहा सबके साथ बैठ के खाना खाने लगे थोड़ी देर बाद सब अपने कमरे में चले गए आराम करने शादी से हर कोई खाली हो गया था ऊपर से थकावट जिस वजह से सब कमरे में आराम करने लगे शाम के वक्त हर कोई हॉल में बैठा एक दूसरे से बाते कर रहे थे तब....
रनवीर – (सुमन से) सुमन तुमसे एक जरूरी बात करनी है....
सुमन – बोलो....
रनवीर – मेरे साथ चलो....
सुमन – आपको जो बोलना है यही बोलो....
रनवीर – मुझे तुमसे अकेले में जरूरी बात करनी है सुमन....
सुमन – मुझे कहीं नहीं जाना जो बोलना है यही बोल दो....
रनवीर – (सुमन का हाथ जबरदस्ती पकड़ के) चलो मेरे साथ अभी....
सुमन – (अपना हाथ छुड़ा के) ये क्या तरीका है बात करने का मैने कहा ना जो बोलना है यही बोलो बस मै कही नहीं जाने वाली...
तब बीच में....
राजेश – (रनवीर से) क्या बात है रनवीर बात क्या है आखिर....
रनवीर – मुझे सुमन से जरूरी बात करनी है भईया इसीलिए बोल रहा हूँ अकेले बात करने को...
राजेश – देखो रनवीर तुम जानते हो ना आज शादी निपटी है और सब एक साथ बैठ के बाते कर रहे है तुम्हे जो भी बात करनी हो कल कर लेना तुम वैसे भी कल हम सब वापस चल रहे है अपने घर...
रनवीर – ठीक है भइया (सुमन से) कल वापसी में मेरे साथ चलना तुम हम रस्ते में बात करेंगे...
सुमन – कल की कल देखेंगे...
जबकि इस तरफ एक कमरे में सभी लड़किया बैठी थी एक साथ बाते कर रही थी तब....
खुशी – (सोनम और पूनम से) क्या बात है यार तुम दोनों इस तरह चुप क्यों बैठो हो पार्टी में भी किसी से बात नहीं कर रही थी और शादी में भी....
सोनम – तो तू बता क्या करे हम तुम सब खुद भी कौन सा बात करने आए हमसे बस उस कल के लड़के के आगे पीछे दुम हिलाते घूम रही हो जिसे कल से पहले सब कोई गालियां देते थे और आज....
अवनी – आपकी प्रॉब्लम क्या है दीदी किस लिए साहिल भाई के बारे में आप ऐसा बोल रहे हो....
पूनम – वाह अवनी बहुत बड़ी बाते करने लगी है तू भूल गई तुम और खुशी सबसे ज्यादा गाली देते थे साहिल को और अब ऐसे बोल रही हो जैसे सारी गलती हमारी है तुम सबने कुछ किया ही ना हो....
कविता – दीदी हम सब गलत फेमी का शिकार थे तब लेकिन अब नहीं....
सोनम – हा सही बोल रही है तू कविता और बोले भी क्यों नहीं आखिर तेरा सगा भाई जो है , तेरे उसी भाई कि वजह से ही हमें ये दिन देखने पड़ रहे है....
खुशी – दीदी आप एक बात भूल रही हो साहिल भाई का कुछ भी किया धरा नहीं था उसमें और ये बात हम सब जानते है किसका किया धारा था उसमें....
पूनम – हा सही बोल रही है तू और बोले भी क्यों ना कल तक जो हमारे साथ साहिल को खूब गाली देते थे आज उसी के लिए एक बात बर्दाश तक नहीं कर पा रहे हो क्यों...
अवनी – हा तो क्यों करे बर्दाश हम दीदी क्या किया है साहिल भाई ने आखिर , अगर बड़ी मां ने शुरू से सबको साहिल भाई के लिए भड़काया ना होता तो बुआ की चारों बेटियों के साथ आज साहिल भाई हमसे भी बात करते...
सोनम – हा बोलो तुम लोग भी मेरी मां के बारे में सबको अपना दिख रहा है मेरी मां तो दिख कहा रही है सबको अब....
पूनम – जाने दे सोनम जैसी भी है हमारी मां को हम सम्भाल लेगे जरूरत ही है किसी की हमे....
कविता – पूनम दीदी आप ऐसा क्यों बोल रहे हो हमारी भी बड़ी मां है वो कोई गैर नहीं हमें भी अच्छा नहीं लग रहा बड़ी मां के लिए लेकिन इसका मतलब ये नहीं हम बड़ी मां का साथ छोड़ दे और साहिल भी तो भाई है हमारा उसे कैसे छोड़ दे हम सोचो आप दीदी कितने साल उन्होंने बिन परिवार के बिताए है कैसे सहा होगा ये दुख उन्होंने जब मा बाप के होते हुए भी एक बच्चे को 12 साल अकेले रहना पड़े और इन 12 सालों में एक बार भी हममें में किसी ने भी उनके बारे में नहीं सोचा बस याद किया तो सिर्फ गालियों में ये भी नहीं सोचा कि हम उन्हें क्यों गालियां दे रहे है क्या गलती है उनकी और अगर सच में उन्होंने कुछ ऐसा किया होता तो क्या दादी इतने सालों तक क्यों साथ दे रही है साहिल भाई का जबकि पूरा परिवार खिलाफ था उनके...
पूनम – तो तू बता कविता क्या करे हम अपनी मां को ऐसी हालत में देख हमपे क्या बीत रही है....
अवनी – दीदी कल हम सब वापस जा रहे है घर पर देखना सब ठीक होगा जल्द ही आप परेशान मत हो बड़ी मां के लिए हम सब साथ है उनके...
सोनम – और साहिल का , क्या वो बात कर रहा है सबसे...
खुशी – नहीं दीदी लेकिन देखना एक दिन वो भी हमें माफ जरूर कर देंगे और बात भी करेंगे....
कविता – चलो चल के तैयारी करते है कल निकलना भी है घर वापस...
जिसके बाद सब निकल गए कमरे में अपनी पैकिंग करने के लिए रात के वक्त सब एक साथ खाना खा रहे थे तब...
रनवीर – (राजेश से) भईया कल मुझे जल्दी ऑफिस जाना है जरूरी काम है तो मै सुमन और कविता के साथ निकल जाऊंगा जल्द ही सुबह....
राजेश – हम्ममम ठीक है रनवीर वैसे भी हम सब कल दिन में निकलेंगे घर को....
सुमन – (राजेश से) भइया मै भी आप सब के साथ चलूंगी दिन में सुबह जल्दी चल के क्या फायदा होगा....
राजेश – हा ये भी सही है वैसे भी रनवीर को ऑफिस जाना है वो तो रात में आएगा घर सीधा....
रनवीर – (सुमन से) अरे तो क्या हुआ सुबह मै तुम्हे और कविता को घर छोड़ के निकल जाऊंगा ऑफिस तुम घर में आराम कर लेना....
सुमन – रहने दीजिए मै सबके साथ आराम से निकलूंगी घर को...
रनवीर – लेकिन सुमन....
राजेश – रहने दो रनवीर क्या फर्क पड़ता है वैसे भी तुम तो सिक्योरिटी के साथ जाओगे....
सुमन की बात पर रनवीर को जाने क्यों गुस्सा आने लगा लेकिन गुस्से को काबू करके...
रनवीर – ठीक है कुछ सिक्योरिटी वाले आप सबके साथ रहेंगे घर तक...
राजेश – चलो ठीक है वैसे भी हमें जरूरत नहीं लेकिन तुम कह रहे हो इसीलिए कोई बात नहीं...
इसी बीच में कमल बोला....
कमल – (दादी से) वो दादी मै कल साथ में नहीं चल सकता हूँ....
साहिल – (चौक के) क्यों ऐसा क्यों बोल रहा है तू....
दादी – (सब कुछ जान के अंजान बन के) क्यों क्या हुआ कमल....
कमल – वो असल में बात ये है कि आज दिन में मुझे स्कूल से कॉल आया था मेरे सर्टिफिकेट कुछ प्रॉब्लम उसके लिए स्कूल वाले ने बुलाया है मुझे वहां से सर्टिफिकेट सही करवा के मै वापस आ जाऊंगा जल्द ही....
साहिल – ये क्या बात हुई अब तू ये बात पहले नहीं बता सकता था मुझे....
कमल – वो यार शादी के चक्कर में मुझे ध्यान से उतर गया था बताना तुझे तू चिंता मत कर मै 1ने 2 दिन में आजाऊगा वापस....
साहिल – कोइ नहीं मै चलता हूँ तेरे साथ....
कमल – अरे नहीं यार तू परेशान मत हो मै मैनेज कर लूंगा...
साहिल – अबे तो वहां रहेगा कहा पे तू और मैनेज कैसे करेगा...
सुनीता – तुम परेशान मत हो साहिल मेरा घर भी सिटी में है कमल हमारे घर में रह लेगा वैसे भी 3 से 4 दिन बाद मै आ रही हूँ घर पर....
सुनीता की बात सुन साहिल गुस्से में कमल को देखने लगा तब...
कमल – गुस्सा मत हो यार जल्दी ही आ जाऊंगा मैं फिर साथ में एडमिशन लेगे कॉलेज में तब तक तू शहर घूम लेना फिर मुझे भी घूमा देना शहर ठीक है अब गुस्सा मत हो चल खाना खा ले...
इन दोनों की बातों के बीच सुमन , सुनीता , अमृता और दादी मुस्कुरा रहे थे थोड़ी देर में खाना होने के बाद सब कमरे में जाने लगे सोने के लिए तभी दादी ने साहिल को रोका...
दादी – साहिल वो कल हम चल रहे है घर मुझे ये कहना था कि देख एक गाड़ी में रनवीर तो सुबह जल्दी चला जाएगा अब 2 गाड़ी बचेगी तो तू ऐसा करना हम सब पहले निकल जाएंगे घर तू यही रुकना 2 से 3 घंटे में गाड़ी आ जाएगी वापस तो तू उसमें आ जाना सुमन और कविता के साथ 2 गाड़ी में इतने लोग नहीं आ पाएंगे तुझे कोई परेशानी तो नहीं होगी ना....
साहिल – नहीं दादी मुझे कोई परेशानी नहीं होगी...
दादी – (मुस्कुरा के) ठीक है चल जाके आराम कर ले....
दादी की बात मान के साहिल चला गया कमरे में जबकि सुमन दूसरी तरफ चुपके दादी की सारी बात सुन के मुस्कुरा रही थी लेकिन इस तरफ जब साहिल और दादी बात कर रहे थे उस बीच कविता अपने कमरे की गैलरी से होते हुए जल्दी से साहिल के कमरे में गई वहां जाके उसे कमल दिखा तब....
कमल – (कविता को देख) तुम यहां पर...
कविता – (जहां साहिल सोता था उस तरफ जाके एक कार्ड रखती है साथ में एक ब्रेसलेट) ये साहिल भाई के लिए प्लीज कमल कुछ कहना मत तुम....
कमल – ठीक है लेकिन तुम जानती हो ना क्या कर रही हो....
कविता – हम्ममम बस एक कोशिश...
जिसके बाद कविता निकल गई अपने कमरे की तरफ लेकिन कविता जब तक जाती तभी साहिल कमरे में आ गया और उसने कविता को गैलरी से जाते हुए देख लिया तब कमल को देख के....
साहिल – ये यहां क्या करने आई थीं....
कमल – पता नहीं मै तो बाथरूम गया था जैसे बाहर आया तो जाते हुए देख मैने कविता को....
तभी साहिल बेड की तरफ जाके देखता है वहां पर कार्ड और ब्रेसलेट रखा होता है कार्ड को खोल के देखता है जिसमें SORRY लिखा था और देने वाले का नाम साथ में सोने का ब्रेसलेट में जिसमें SORRY लिखा था उसे गुस्से में देख....
साहिल – (गुस्से में कार्ड को फाड़ते हुए) मादरचोद इसकी इतनी हिम्मत...
बोल के साहिल गैलरी से होते कविता के कमरे में जाता है जहां कविता , अवनी , खुशी आपस में बाते कर रही होती है तभी साहिल गुस्से में कमरे मे आके....
साहिल – (कविता की तरफ कार्ड को फेक के) क्या है ये , तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ये देने की , समझती क्या हो अपने आप को तुम किस बात की माफी मांग रही थी तुम....
साहिल के इस तरह से कमरे में आके गुस्से मो बोलने के कारण कविता , अवनी और खुशी साहिल के गुस्से को देख डर से पीछे हट गए थे...
कविता – (डरते हुए) मै बस मैं बस आपसे माफी मांगना चाहती....
साहिल – (गुस्से में) हा यही पूछ रहा हूँ मै किस बात की माफी मांग रही हो तुम बोलो....
अवनी – (डरते हुए बीच में) हमसे बहुत बड़ी गलती हुई भई....
साहिल – (गुस्से में बीच में चिल्ला के) SSSSHHHUUUUTTTTAAPPPP इसके आगे एक शब्द नहीं बोलना समझी तुम....
कविता – लेकिन आपने तो बुआ की बेटी को माफ कर दिया तो हमें....
साहिल – (गुस्से में) उनको अपने आप से कंपेयर मत करो उन्होंने तो कुछ नहीं किया जो तुम लोगो ने किया था मेरे साथ क्यों भूल गई क्या इतनी जल्दी तुम क्या किया था उस दिन अपने उन आवारा दोस्तो के साथ (खुशी और अवनी से) और तुम दोनों भी भूल गई क्या किया था तुम दोनों स्कूल में मेरे साथ अपने दोस्तो के सामने , भूल गई इतनी जल्दी सब कुछ , दात देनी पड़ेगी तुम तीनों की बड़ी हिम्मत है तुममें जो इतना कुछ करने के बाद माफी मांगने आ गए मेरे पास...
ये सारी आवाजें सुन सुमन बाथरूम से निकल के बाहर आती है सामने साहिल को देख के....
सुमन – क्या हुआ साहिल क्यों चिल्ला रहे हो....
तभी...
खुशी – इसमें हमारी गलती नहीं है उस वक्त घर वालो ने हमें जो बताया हम बस वही कर रहे थे हमें नहीं पता था सच के बारे में....
कविता – हमारा विश्वास कीजिए खुशी सच बोल रही है भई....
साहिल – अबे चुप इससे आगे एक शब्द नहीं समझी अच्छा किया तुमने बता दिया आज मुझे की ये सब तुम्हे तुम्हारे घर वालों ने सिखाया है वाह शुक्र है कि दादी ने सही वक्त पर मुझे उस घर से कही और भेज दिया और मैं चूतीया था जो हर वक्त बस ये सोचता था दूसरे बच्चों को उनके मा बाप के साथ खुश देखता था जब दादी मुझे बताती थी कि कैसे तुम सब पूरे परिवार के साथ हर साल नए नए शहर और विदेशों में घूम रहे हो हर बार यही सोचता था कि काश मैं भी साथ होता अपने परिवार के साथ काश जैसा वो सबको प्यार करते है काश मुझे भी करते मै भी साथ घूमता लेकिन नहीं आज मुझे खुशी है इस बात की अच्छा हुआ जो नहीं था तुम लोगो के साथ वर्ना मैं भी तुमलोगो की तरह बन जाता कसम से तुम तीनों भी अपने परिवार के लोगों की तरह गिरे हुए हो और सबसे ज्यादा तो तुम दोनों (कविता और अवनी) हो क्यों (अवनी से) मुझसे माफी मांगे के लिए ही तुम मेरे दोस्त कमल से प्यार का नाटक कर रही हो है ना तुम्हे क्या लगा मुझे समझ नहीं आएगा तुम्हारा ये नाटक और तुम (कविता) तो कलंक हो बहन के नाम पर , मै अच्छे से जानता हूँ तुमको , यही प्लान बनाया है ना फिर से ताकि अपने घर में मेरे साथ वही खेल खेल सको ताकि शर्म से कभी वापस ही ना आऊ तुम्हारे घर में लेकिन याद रखना तुम लोग एक बात मै सिर्फ दादी के लिए आ रहा हूँ उस घर में किसी और के लिए नहीं तो दूर रहना मुझसे इसी में भलाई होगी तुम सब की (सुमन से) अपनी बेटी और भतीजियों को समझा लो मिस सुमन अपना घिनौना खेल खेलना बंद कर दे मेरे साथ और अगर ज्यादा दिक्कत है मुझसे तो बोल देना दादी को मुझे घर में ना लेके आए...
बोल के गुस्से में साहिल निकल गया अपने कमरे को तरफ पीछे से कमल जो गैलरी में खड़ा सारी बाते सुन रहा था वो भी साहिल के पीछे चला गया कमरे में बेड में आते ही गुस्से में साहिल लंबी लंबी सांसे ले रहा था इधर सेमेंथा ये सब देख साहिल के पास जा रही थी कि तभी कमल ने साहिल के कंधे पर हाथ रखा कुछ बोलने जा रहा था तभी साहिल बेड में गिर गया जिसे देख कमल को समझते देर नहीं लगी कि साहिल को अटैक आया है इतना गुस्सा करने की वजह से जिस वजह से कमल को भी काफी गुस्सा आया वो तुरंत सुमन के कमरे की तरफ चला गया जबकि इस तरफ सेमेंथा फिर से साहिल की ये हालत देख उसकी आंख से आंसू निकल आया इधर कमल कमरे में आते ही....
कमल – (गुस्से में कविता से) आखिर क्या जरूरत थी तुम्हे ये सब करने की कविता (सुमन से) मैने कहा था आपको साहिल के बारे में फिर भी आपको भी समझ नहीं आई मेरी बात....
सुमन – आखिर बात क्या हुई कमल...
कमल – कविता की बेवकूफी की वजह से आज फिर से साहिल को अटैक आ गया है लेटा है कमरे में अभी...
सुमन – (चौक के) क्या मै देखती हु उसे...
कमल – (सुमन को रोक के) रहने दीजिए आप , जागते ही कही आप लोगो को सामने देख जाने क्या रिएक्शन होगा उसका बस आप समझा दीजिए इन्हें अच्छे से वर्ना मजबूरन मुझे दादी को मना करना पड़ेगा साहिल को घर ले जाने के लिए....
कविता – (कमल की बात सुन उसके पैर पकड़ के) ऐसा मत करना कमल मै वादा करती हु आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा मै ध्यान रखूंगी प्लीज तुम ऐसा मत करना कमल....
कमल – मेरे पैर पकड़ने से कुछ नहीं होगा कविता गलती तुमने की ऐसी है जिसे भूलना चाहे तो भूल नहीं सकता है कोई...
बोल के कमल चला गया कमरे में साहिल के पास जबकि कमल के जाते ही...
सुमन – (कविता , खुशी और अवनी से) हुआ क्या है यहाँ अभी और क्या किया तुम लोगो ने ऐसा जिस वजह से साहिल को गुस्से में फिर अटैक आ गया....
अवनी कुछ बोलने को हुई थी कि तभी सुमन बिना ध्यान दिए चली गई गैलरी से होते हुए साहिल के कमरे की तरफ जहां बेड में लेटा साहिल था और उसके बगल में कमल था जो साहिल का पैर पकड़ के बेड में रख रहा था तभी सुमन कमरे में आई आते ही उसने साहिल के जूते मौजे उतारे बगल में आके साहिल के पास बैठ गई तब....
कमल – (सुमन से) प्लीज आप चले जाओ यहां से कही होश में आते ही साहिल...
सुमन – (बीच में रोते हुए) नहीं कमल अब मै नहीं छोड़ सकती साहिल को किसी कीमत पर जो गलती एक बार हुईं उसे दोहराना नहीं चाहती हूँ , मै वादा करती हु मै कुछ नहीं होने दूंगी साहिल को...
जिसके बाद कमल कुछ बोल नहीं पाया 10 मिनिट बाद जैसे ही साहिल जागा तभी साहिल वही बोलने लगा अपने दादा के बारे में लेकिन इससे पहले साहिल कुछ समझ पाता तभी सुमन ने साहिल को गले से लगा लिया जबकि साहिल डर और घबराहट से अपने दादा के बारे में बोले जा रहा था लेकिन कुछ ही देर में साहिल भी गले लगा रहा सुमन के , इस बात से अंजान इस वक्त किसके गले लगा हुआ है जिसके बाद धीरे धीरे साहिल को नींद आ गई और साहिल गहरी नींद में सो गया तभी कमल ने साहिल को देख समझ गया कि उसे नींद आ गई है तब कमल ने साहिल को सुमन से अलग कर उसे बेड में अच्छे से लेटाता है तभी सुमन बगल में बैठ के साहिल के सिर को अपनी गोद में रख लेती है लेकिन साहिल का एक हाथ बेड में लटक रहा होता है उसे अपने हाथ से पकड़ जैसे ही बेड में रखने को हुई थी सुमन तभी साहिल ने नींद में ही सुमन का हाथ पकड़ लिया ये बात कमल से छुपी नहीं तब कमल एक हल्की सी मुस्कान के साथ बस...
कमल – (सुमन से) आप यही रुक जाओ बाद में चली जाना आप...
कमल की बात सुन सुमन हा में सिर हिला देती है और अपनी गोद में सो रहे साहिल को मुस्कुरा के देख उसके सिर पर हाथ फेरती रहती है जिसे कमल मुस्कुरा के देख रहा था लेकिन इस बीच सेमेंथा ये सब देख रही थी तभी उसने भी उसी वक्त साहिल के सिर पर हाथ रखा जब सुमन का हाथ वही था के तभी दोनों का हाथ एक जगह आने से ना जाने कैसा झटका लगा सेमेंथा और सुमन को एक साथ जबकि सेमेंथा ने ये देख लिया लेकिन उसे समझ नहीं आया ये सब जबकि सुमन को झटका लगने के बाद वो इधर उधर देखने लगी जैसे उसे लगा हो कि कमरे में और भी कोई है , इस बात से बेखबर गैलरी के बाहर खड़े ये नजारा अवनी , खुशी और कविता देख रही थी तभी कमल की नजर उनपे जाती है तो कमल उनके पास आके...
कमल – आराम करो आप सब साहिल ठीक है अभी , इस वक्त गहरी नींद में सो रहा है वो...
जिसके बाद तीनों चली जाती है कमरे में सोने....
.
.
.
जारी रहेगा![]()
Fantastic update awesome work bro bahut mast update thaUPDATE 18
एक मंदिर जहा शिव जी की एक बड़ी सी सुंदर प्रतिमा थी उसी के नीचे 15 से 20 सीढ़ियां बनी थी जो सीधे शिव जी की प्रतिमा पर खत्म होती है उसी प्रतिमा के नीचे खड़ी सुमन और कविता हाथ जोड़ के उनका आशीर्वाद ले रही थी जबकि साहिल सीडीओ के नीचे खड़ा था वो दोनों के पास आके...
साहिल – (सुमन और कविता से) चले देर हो रही है मौसम बिगड़ रहा है बरसात होने को है...
सुमन – हा चलते है...
बोल के सुमन देखती है कि साहिल के पीछे एक आदमी आता है और अचानक से साहिल की पीठ पे चाकू घोप देता है जिस देख सुमन जोर से चिल्लाती है....
सुमन – (चिल्ला के) साहिल...
अचानक से नींद से जाग के चिल्लाने से बगल में सो रही कविता और निधि जाग जाते है दोनों देखते है सुमन नींद से डर और घबराहट से जागी हुई लंबी लंबी सास ले रही है तभी...
निधि – क्या हुआ भाभी क्या बात है आप डरी डरी सी क्यों हो...
कविता – क्या हुआ मा आप चिल्लाई क्यों...
सुमन – (अपने चारों तरफ देख जहा वो कमरे में है तब) मैने एक बहुत बुरा सपना देखा , मैने देखा किसी ने साहिल को पीठ पे चाकू मारा...
निधि – भाभी शायद आपने बुरा सपना देखा होगा साहिल तो अपने कमरे में सो रहा होगा....
सुमन बिना बात सुने तुरंत गैलरी से होते हुए साहिल के कमरे की तरफ जाती है उसके पीछे निधि और कविता भी जहा सुमन देखती है साहिल और कमल कमरे में सो रहे है तब...
कविता – मा देखो भईया सो रहे है आप घबराओ मत आपने बुरा सपना देखा होगा और कुछ नहीं...
सुमन – ऐसा लगा जैसे सपना ना हो सच हो वो सब...
निधि – कोई बात नहीं भाभी सपने देखते वक्त ऐसा लगता है अक्सर आप चलो आराम करो देखो कितने आराम से सो रहे है साहिल और कमल हमारी आवाज सुन कही उनकी नींद ना टूट जाए...
जिसके बाद तीनों चले जाते है कमरे में आराम करने कुछ देर बाद सुमन को नींद आ जाती है खेर आज का दिन है शादी का निधि की साथ ही धीरेन्द्र की हवेली में आखिरी दिन सभी मेहमानों का अगले दिन सभी वापस जाने वाले थे लेकिन फिलहाल हम आज की बात करते है आज की सुबह लगभग सभी जल्दी उठ गए क्योंकि शादी आज दिन की थी उठते ही सभी तैयारी में लग गए कल की तरह आज भी हवेली को सभी औरते बन ठन के तैयार होके हवेली के बाहर मंडप में आ गई जहां पर आज निधि शादी के लाल जोड़े में दुल्हन के रूप में मंडप में बैठी अपने होने वाले दूल्हे के साथ जहां बगल में निधि के ससुराल वाले साथ में निधि के पिता जी और साथ में भाई राघव और रागिनी बैठे थे जिसे धीरेन्द्र ने ही कहा था तभी रागिनी आई थी जबकि एक तरफ पंडित जी बैठ के मंत्र पढ़ रहे थे जबकि दूसरी तरफ आज साहिल सिर्फ कमल के साथ नहीं था क्योंकि आज उसके साथ शिवानी , रचना , सुरभि , पायल और शबनम साथ में बैठी एक दूसरे से हस के बाते कर रही थी सब जिसे दादी मुस्कुराते देख रही थी साथ में बाकी के परिवार वाले भी उन्हें देख के खुश थे इस बात से की आज साहिल सभी लड़कियों से बाते कर रहा है साथ में सुमन सुबह के सपने वाली बात को भूल कर साहिल इतना खुश देख उसे सबसे ज्यादा खुशी हो रही थी आज सुमन को लग रहा था कि जल्द ही ऐसा वक्त आयेगा जब साहिल इस तरह उसके साथ बाते करेगा हस के जबकि कविता , अवनी और खुशी ये देख थोड़ी हैरान थी कि आज साहिल उनकी बुआ की चारों बेटियों के साथ बैठ बाते कर रहा है हस के लेकिन उन्हें सुमन की तरह ये उम्मीद हो गई थी आगे के लिए जबकि दूसरी तरफ इन सब के बीच पूनम और सोनम अपनी मां रीना के साथ अकेले बैठी थी ऐसा नहीं था कि सोनम और पूनम से कोई बात नहीं कर रहा था लेकिन उस हादसे के बाद उनकी मां किसी से बात नहीं कर रही थी जिस वजह से अपनी मां को अकेला छोड़ना उन्हें अच्छा नहीं लगा सो अपनी मां के साथ बैठी थी अकेले जबकि इस तरफ सेमेंथा मुस्कुराते हुए साहिल के पास खड़ी देख रही थी साहिल को किस तरफ उसकी सभी बहनों ने उसे घेर के रखा है उसे कही जाने तक नहीं दे रही थी बेचारा साहिल को एक पल का मौका नहीं मिल पा रहा था सेमेंथा से बात करने का जिस वजह से सेमेंथा मुस्कुराते हुए साहिल को आज बहुत खुश देख रही थी वो चाहती तो साहिल सबसे अलग हो सकता था लेकिन सेमेंथा को साहिल को इस तरह से खुश देखे उसके मन को खुशी हो रही थी इन सब से अलग एक परिवार और भी था जिसकी 2 औरते धीरेन्द्र के परिवार के साथ मंडप के बगल में बैठी थी वो था लाला का परिवार की राधिका और उसकी बेटी सिमी जो सबसे बाते में लगी थी...
जबकि लाला उसका बेटा विजय एक तरफ अपने मुनीम के साथ खड़े थे शादी होते देखते हुए तभी उनके पीछे से कोई उनसे बात करता है....
आदमी – कैसे हो लाला...
लाला और विजय पीछे मूड के अपने सामने रनवीर को देख के...
लाला – अच्छा हूँ रनवीर तुम बताओ....
रनवीर – देख रहा हूँ कल से तुम दोनों बाप बेटे कल भी अलग खड़े थे सबसे और आज भी....
विजय – हम बस धीरेन्द्र दादा के खातिर उनकी बेटी की शादी में शरीक होने आए है रनवीर , आशीर्वाद देके चले जाएंगे...
रनवीर – (मुस्कुराते हुए) हम्ममम वो तो मै कल से देख रहा हूँ तुम दोनों की नजरों को की क्या करने आए हो यहां पर...
लाला – देखो रनवीर हम सिर्फ शादी में आय है बस इसके इलावा कुछ नहीं वैसे मै मिला था तुम्हारे बेटे से बिल्कुल तुमपे गया है वही अंदाज वही घमंड उसमें भी है जो तुममें है...
रनवीर – मै यहां किसी और की नहीं बल्कि तुम्हारी नजरों की बात करने आया हु लाला जरा सम्भल के लाला कही उस रात की तरह आगे कुछ ना हो....
विजय – रनवीर अगर हमारे यहां आने से तुम्हे दिक्कत हो रही है तो हम चले जाते है लेकिन मै फिर भी यही कहूंगा हम सिर्फ शादी में निधि को आशीर्वाद देने आए है बस....
रनवीर – अच्छा है अगर ऐसा हो क्योंकि तुम दोनों बाप बेटो की नजर मैने कल देख ली थी कैसे मेरे परिवार की लड़की और औरतों को देख रहे थे सोचा याद दिल दूं तुम दोनों को के इस बार तुम दोनों वो गलती मत करना जो (विजय से) तेरे बड़े भाई ने की थी (लाला से) और तेरे बड़े भाई और उसके दोनों बेटो ने की थी कही ऐसा न हो तेरा वंश ही ना बचे...
बोल के जाने लगा रनवीर तभी वापस आके...
रनवीर – (लाला से) अपने पोते को भी सम्भाल लेना लाला तेरी तरह उसकी नजरे भी कुछ ज्यादा ही तेज चल रही थी कल समझे चलता हूँ और हा आशीर्वाद देके जरूर जाना वर्ना धीरेन्द्र मामा को अच्छा नहीं लगेगा...
बोल के रनवीर निकल जाता है वहां से उसके जाते ही...
लाला – (विजय से) आनंद को जाके समझा दो विजय ऐसी वैसी कोई हरकत न करे मै नहीं चाहता कि रनवीर की नजर में आ जाए आनंद...
विजय – आनंद को मै समझा दूंगा पिता जी लेकिन रनवीर आज इतना क्यों उछल रहा है...
लाला – पहले रनवीर अकेला था आज उसका बेटा जो है साथ में इसीलिए हमे अपना घमंड दिखाने आया था , खेर तुम जाके पहले आनंद से बात कर लो बाकी रनवीर को बाद में देखेंगे पहले उसके सपोले फिर उसकी मां बेटी की कल खेर नहीं कल अपने भाई उसके बेटे और अपने बेटे का बदला लूंगा तब रनवीर को पता चलेगा हमसे टकराने का अंजाम क्या होता है...
इधर विजय अपने बेटे आनंद के पास जाता है जो अपने दोस्तों के साथ बात कर रहा था वहां आते ही...
विजय – (देखता है उसका बेटा आनंद रनवीर की परिवार की लड़कियों को देख अपने दोस्तो से बाते कर रहा था तब) आनंद तुझे समझाया था ना फिर भी तू अपने दोस्तो के साथ ये सब कर रहा है...
आनंद – (अचानक अपने बाप को सामने देख) नहीं पिता जी मै तो बस अपने दोस्तो से बाते कर रहा था...
विजय – अच्छे से जनता हूँ तू क्या बाते कर रहा है अपने दोस्तो से और किसके लिए , मै तुझे समझा दे रहा हूँ आनंद अगर गलती से भी तूने या तेरे दोस्तों में किसी ने भी कुछ भी ऐसी वैसी हरकत की तो याद रखना तेरे दादा और मै तुझे छोड़ेंगे नहीं समझा...
इन बातों के बीच राधिका आ जाती है आनंद के पास तब...
आनंद – मुझे समझ नहीं आता आप इतना घबरा क्यों रहे है भला हमें किसी से क्या डर कौन हमारा क्या बिगाड़ लेगा यहां अगर कुछ कर भी दिया तो...
विजय – (अपनी बीवी राधिका को पास में देख ज्यादा कुछ न बोलते हुए) जितना कहा वो समझ जा बस बाकी तुझे बता दिया मैने...
बोल के विजय चला जाता है जबकि...
राधिका – (अपने बेटे आनंद को उसके दोस्तों से अलग ले जाके) क्या बोल रहे थे वो तुझे...
आनंद – कुछ नहीं मा तुम परेशान मत हो तुम जाओ बाकी औरते के साथ बाते करो....
राधिका – और कर भी क्या सकती हूँ मै घर में जैसे तेरे दादा है वैसे पिता भी बस एक तू था जो कम से कम बात तो करता था पूछता था अपनी मां को लेकिन अब तू भी अपने बाप की तरह बन गया है जिसे अपना घर छोड़ के बाकी सबके लिए फुर्सत है...
आनंद – मा देखो तुम फिर से शुरू मत हो जाओ...
राधिका – तो क्या करू सिर्फ तेरे और सिमी के खातिर रुकी हूँ मै हवेली में वर्ना कब का छोड़ के चली जाती मै...
आनंद – तुम्हारी परेशानी क्या है मां जो हर बार तुम इस तरह से बाते करती हो ऊपर से पिता जी वो अलग सुना के चले गए बाते...
राधिका – तेरे पिता ने क्या कहा मुझे नहीं पता मुझे सिर्फ तेरी ही चिंता है बेटा जाने कहा खो गया मेरा वो बेटा जो हर वक्त अपनी मां का हाथ थामे रहता था मैने खाना खाया या नहीं खाया उसकी चिंता उसे लगी रहती थी जब तक मै नहीं खाती खाना तब मेरा बेटा छूता तक नहीं था खाने को और आज मा भूखी सो जाएं लेकिन बेटा पूछता तक नहीं अपनी मां को एक बार भी...
आनंद – दूर भी तुमने किया था मुझे मा मै नहीं हुआ था...
राधिका – दूर किया था इसीलिए ताकि अपने पैरों पर खड़ा हो सके सम्भल सके अपने आप को ताकि कल को मुझे कुछ हो गया कम से कम तू सम्भाल लेगा अपनी बहन को लेकिन अब लगता है कल को मुझे कुछ होगया जाने तेरी बहन का क्या होगा कब कौन उसे अपना शिकार बना ले....
आनंद – अब तुम ज्यादा सोच रही हो मां ऐसी बेकार की बाते मत कर तू....
राधिका – तो तू वापस आजा छोड़ दे ये सब , कुछ नहीं चाहिए मुझे तू मै सिमी हम कही और चले जाएंगे दूर यहां से एक कमरे में रहेगी लेकिन खुश रहूंगी मै तुम दोनों के साथ....
आनंद – आखिर बात क्या है क्यों ऐसी बाते करती हो बार बार परेशानी क्या है पिता जी और दादा जी से आपको...
राधिका कुछ बोलने को हुई तभी आनंद को उसके दोस्तों ने आवाज लगाई तब...
आनंद – (अपने दोस्तो को) आता हूँ (राधिका से) मै सब कुछ छोड़ दूंगा जहां कहेगी वहां चलूंगा लेकिन जब तक तुम बताती नहीं वो बात तब तक बिल्कुल भी नहीं....
बोल के आनंद चला जाता है अपने दोस्तो के पास और राधिका चली जाती है धीरेन्द्र के परिवार के पास बैठ जाती है मंडप के पास अपनी बेटी के साथ तब...
सिमी – क्या हुआ मां तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है फिर से आनंद से कोई बात हुई क्या....
राधिका – मैने सोच लिया है सिमी आज मै आनंद को सब बता दूंगी...
सिमी – और उसके बाद आपको लगता है आनंद चुप बैठेगा....
राधिका – अगर वो समझ गया बात तो शायद हम तीनों दूर चले जाएंगे यहां से बस बहुत हो गया अब मै और नहीं झेल सकती इन बाप बेटो के कमीने पन को....
सिमी – तो आप धीरेन्द्र दादा को बता दो सारी बात वो मदद करेंगे हमारी....
राधिका – हम्ममम शादी के बाद मै बात करूंगी धीरेंद्र जी से...
खेर निधि की शादी हो जाती है अब आता है विदाई का वक्त विदाई के वक्त धीरेन्द्र का पूरा परिवार एक साथ निधि को विदाई कर रहा था तब निधि सबसे मिल रही थी आंख में आंसू लिए एक एक करके सबसे गले लग रही थी फिर राघव की बेटी से गले लग के और जोर से रोने लगी थी जिसे सभी समझ रहे थे कि निधि घर से विदा होंने की वजह से रो रही है लेकिन असल में राघव की बेटी से गले लगते वक्त उसे दुख हो रहा था इस बात का की उसके जाने के बाद जाने घर में क्या होगा कैसे रह पाएगी उसकी छोटी सी भतीजी फिर बच्ची से अलग होके निधि की नजरे किसी को ढूंढने लगी जो सबसे पीछे खड़ा होके निधि को देख रहा था वो था साहिल जो निधि को घर से विदा होते देख न उसके चेहरे पर अजीब सी उदासी थी साहिल को देख निधि सबके बीच से होते हुए साहिल के पास जाके उसके गले लग के रोने लगी साहिल के गले लगते ही जाने क्यों लेकिन साहिल के आंख में अपने आप आसू आ गए तब...
निधि – (रोते हुए) मैने तुझसे कुछ नहीं मांगा साहिल आज तक , प्लीज आज मेरे ऊपर एक एहसान कर दे...
साहिल – आप जो बोलो वो करूंगा आपके लिए बस एहसान का नाम दो इसे...
निधि – साहिल प्लीज राघव भइया के लिए कुछ कर दे वर्ना मेरी प्रिंसेस का क्या होगा मुझे डर लग रहा है उसके लिए मै नहीं चाहती कि तेरे जैसा उसके साथ कुछ हो साहिल प्लीज मेरे लिए इतना कर दे....
साहिल – बुआ आप रो मत कुछ नहीं होगा ऐसा , सब ठीक होगा मै हूँ ना अब बेफिक्र रहो बुआ...
निधि – मुझे बस तुझपे भरोसा है साहिल सम्भाल ले तू सब तेरे हाथ में है...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हा बुआ...
जिसके बाद साहिल खुद निधि को अपने साथ ले जाके कार में बैठता है सबके साथ हर किसी की आंख में आंसू थे निधि की विदाई के लिए धीरे धीरे कार आगे जाने लगती है हर कोई हाथ हिला के (Bye) करते है देखते देखते कार और आगे चली जाती है धीरे धीरे कार सबकी आंखों से ओझल हो जाती है तब हर कोई हवेली के अन्दर जाने लगते है साथ में लाला , विजय , राधिका , आनंद और सिमी भी सबसे विदा लेके जाने लगते है तभी....
राधिका – (धीरेन्द्र से चुपके से) बाबू जी मुझे आपकी मदद चाहिए....
धीरेन्द्र – हा राधिका बोलो क्या बात है....
फिर राधिका कुछ बोलती है जिसे सुन के....
धीरेन्द्र – ठीक है तुम बेफिक्र रहो राधिका जब तुम्हारी तैयारी हो जाय मुझे इकतलाह कर देना बाकी मै सम्भाल लूंगा....
जिसके बाद राधिका अपने परिवार के पास चली गई गाड़ी में बैठ के रस्ते में....
लाला – (अपने बेटे विजय से) कल की तैयारी कर देना विजय ऐसे सुनहरे मौके हाथ से जाना नहीं चाहिए...
विजय – (मुस्कुरा के) हा पिता जी सारी तैयारी मैने पहले से कर दी है बस कल का इंतजार है....
राधिका – (बात को न समझ के) किस बात की तैयारी करने की बात हो रही है...
विजय – तुम इस चक्कर में मत पड़ो राधिका मर्दों का काम मर्दों को शोभा देता है तुम सिर्फ चूल्हा पर ध्यान दो....
राधिका – इतने सालों से यही तो कर रही हूँ मै चूल्हा देखना और आपकी बाते सुनना...
विजय – (गुस्से में) ज्यादा जुबान मत चला समझी हद में रह के बात कर ज्यादा चू चे की तो घर के जगह कोठे में बैठा दूंगा तुझे...
विजय की बात सुन उसके बेटे आनंद को गुस्सा आ गया....
आनंद – (गुस्से में चिल्ला के) बस बहुत हो गया पिता जी अब एक शब्द नहीं मा है वो मेरी आपकी हिम्मत कैसे हुईं मेरी मां से इस तरह से बोलने की...
विजय – अरे बेटा तू क्यों इतना नाराज हो रहा है मैने तुझे क्या समझाया था कि औरतों को ज्यादा सिर पे चढ़ाना नहीं चाहिए अगर इनको अपनी उंगली पकड़ाओगे तो ये गर्दन पकड़ लेगी इसीलिए ऐसा बोला मैने...
आनंद – आपको क्या लगता है क्या नहीं वो आप समझो मेरी मां से इस तरीके से कोई बात करे मुझे पसंद नहीं है बस...
बोल के आनंद अपनी मां राधिका के हाथ पकड़ लेता है जिसे देख राधिका को दिल ही दिल में बहुत खुशी होती है साथ उसकी बड़ी बहन को भी भले आनंद जैसा था लेकिन अपनी मां और बहन से शुरू से बहुत प्यार करता था वजह ये थी कुछ साल पहले आनंद भोला भाला था और हर वक्त अपनी मां के पल्लू में बंधा रहता था , अपनी बड़ी बहन के साथ हंसता खेलता बाते करता था लेकिन बचपन से ही ज्यादा भोलापन को देख राधिका को लगा कि वो आनंद के साथ उसका हर वक्त रहने से आनंद अकेला कोई काम खुद नहीं करता है इसीलिए राधिका ने आनंद को थोड़ी ढिलाई दे दी ज्यादा तर काम के लिए आनंद को घर के बाहर अकेले भेजती थी ताकि आनंद का दिमाग खुले उसे घर के बाहर की दुनिया समझ में आए और राधिका की इस बात का फायदा विजय ने उठाया वो धीरे धीरे आनंद को अलग अलग तरीके के नए नए शौक देता रहा कुछ समय की दिक्कत के बाद आनंद भी अपने बाप विजय के रंग में रंगने लगा था लेकिन चाहे जैसा भी था अपनी मां और बहन से प्यार उतना ही करता था बस पहले की तरह दिखाता नहीं था लेकिन आज धीरेन्द्र की हवेली पर निधि के शादी के बीच जो हुआ उसके बाद आनंद का पहले से अपनी मां की बात को लेके उसी सोच में था जो उसे समझ नहीं आ रहा था लेकिन अभी जो हुआ उसके बाद आनंद का गुस्सा बढ़ गया जिस वजह से आनंद ने आज काफी समय के बाद मा के पक्ष में जो बोला उससे राधिका दिल फूला नहीं समा रहा था कुछ समय में लाला अपने परिवार के साथ घर आ गया घर में आते ही....
विजय – (अपने बेटे आनंद से) आनंद तुम कल कही मत जाना घर में रहना (मुस्कुरा के) तेरे लिए एक तोहफा लाने वाला हूँ कल....
आनंद – कौन सा तोहफा मै कुछ समझा नहीं....
विजय – वही जिसके लिए तू कल से बेचैन है समझा चल जा जो बोला वो करना...
अपने पिता की बात को ना समझ आनंद जाने लगा कमरे में तभी....
विजय – (राधिका से) सुन रस्ते में तो कुछ नहीं बोला मैने लेकिन आज के बाद अगर तूने जुबान लड़ाई मुझसे तो जो बोला है वही करूंगा मै....
राधिका अपने पति को बात सुन डरते हुए कमरे में चली गई अपनी बेटी सिमी के साथ...
जबकि इस तरफ धीरेन्द्र की हवेली में....
राघव – (धीरेन्द्र से) पिता जी मै चलता हूँ खेत में कुछ काम है मुझे...
धीरेन्द्र – वो सब ठीक है बेटा खाना खा के चले जाना तुम....
खाने की बात सुन रागिनी तुरंत रसोई में जाने लगती है राघव के लिए खाना लेने को तभी....
राघव – नहीं पिता जी मै खेत में सबके साथ खान खा लूंगा....
बोल के राघव जाने लगता है जबकि परिवार ज्यादा तर लोग कमरे जा चुके थे फ्रेश होने के लिए इस वक्त हवेली के हाल में दादी , धीरेन्द्र , साहिल , सुमन , राघव और रागिनी होते है जबकि राघव की ये बात सुन रागिनी के आंख में आंसू आ जाते है और राघव जैसे ही हवेली के बाहर जाता है तब पीछे से साहिल आके राघव का हाथ पकड़ रोक के....
साहिल – आखिर कब तक आप अपने आप को सजा देते रहोगे चाचा मानता हूँ रागिनी चाची ने जो किया गलत था लेकिन आपने ये भी सोचा चाचा कितने साल हो गए आपकी शादी को चाची से क्या इतने सालों में कभी आपको लगा कि चाची ने ऐसा कुछ किया हो आपके पीठ पीछे , नहीं ना तो फिर क्यों चाची के साथ खुद को सजा देना....
राघव – साहिल उसने जो तेरे साथ किया उसके लिए कैसे माफ कर दूं मै उसे....
साहिल – उन्होंने जो किया मेरे साथ किया उसके बाद भी मै यहां रुका हूँ ना चाचा तो बस अब आप सब भूल जाओ ये समझो ऐसा कुछ हुआ ही नहीं बस मेरे खातिर आपने बात करना छोड़ा चाची से तो आज मेरे खातिर उन्हें माफ कर दो आप...
राघव – लेकिन साहिल...
साहिल – (बीच में राघव की बात रोक के) अगर आप सच में मुझे अपना मानते हो तो प्लीज भूल जाओ सब आप....
राघव – ठीक है साहिल सिर्फ तेरे खातिर मै ये कर रहा हूँ....
साहिल – (मुस्कुरा के) तो अब खेत जाने का बहाना छोड़ो चाचा जाओ चाची के पास बात करो उनसे तरस रही है चाची आपसे बात करने के लिए....
साहिल की बात सुन राघव मुस्कुरा के रागिनी के पास जाने लगा जबकि जब राघव हवेली के बाहर जा रहा था तो उसके पीछे साहिल जाने लगा तभी सुमन भी पीछे आने लगी तब सुमन ने दोनों की सारी बाते सुन ली हवेली के दरवाजे के पीछे से जिसे सुन सुमन आंख में आंसू के साथ चेहरे पे मुस्कुराहट आ गई तब राघव के अंदर आते ही वो रसोई में जाने लगा तब साहिल भी हवेली के अन्दर आया तभी...
सुमन – (साहिल का हाथ पकड़ हल्का मुस्कुरा के) थैंक यूं...
साहिल – (अपना हाथ छुड़ा के) मैने जो किया सिर्फ उस छोटी बच्ची के लिए कही उसका बचपन भी मेरी तरह ना हो जाय बिन मा बाप के...
सुमन – (मुस्कुरा के) लेकिन अच्छा किया....
सुमन को मुस्कुराते हुए जवाब देते देख साहिल ने एक पल सुमन को देखा...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हम्ममम काश यही सोच आपकी भी होती....
बोल के साहिल निकल गया जबकि साहिल के इस जवाब से सुमन की मुस्कुराहट रुक सी गई तभी दादी सुमन के पास आके....
दादी – मैने कहा था ना उसकी नफरत का सामना करना आसान नहीं है...
सुमन – हा मा याद है मुझे और मैने भी आपसे कहा था सब कुछ हस्ते हुए सहन करूगी मै...
बोल के सुमन चली गई तभी...
रनवीर – (सुमन को बुलाते हुए) अरे सुमन सुनो तुमसे एक बात करनी है....
सुमन – (बिना रनवीर को देखे) हा बोलो...
रनवीर – (सुमन के इस अंदाज में बोलने से अजीब लगा जिसके बाद) यहां नहीं कमरे में आओ....
सुमन – अभी मेरे पास टाइम नहीं है जो बोलना है यही बोल दो...
रनवीर – क्या बात है सुमन आज तुम इस तरह से बात क्यों कर रही हो....
सुमन – कोई काम है तो वो बताओ बस....
रनवीर – अकेले में बात करनी है तुमसे....
सुमन – ठीक है फुर्सत मिलते ही बात करूंगी....
रनवीर – फुर्सत लेकिन अभी तुम खाली तो हो अब क्या काम बचा है....
सुमन – अभी मै थक गई हु आराम करके बाद में बात करती हु...
बोल के सुमन चली गई सीढ़ियों से कमरे की तरफ पीछे रनवीर अपनी ही सोच में रह गया उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सुमन उससे इस तरह से क्यों बात कर रही है जबकि इधर दादी सब कुछ देख के मुस्कुराने लगी अब इस तरफ देख लेते है जहां राघव रसोई में गए थे अपनी बीवी रागिनी के पास जहां रागिनी रसोई में काम करने में लगी हुई थी उसे पता तक नहीं था की उसके पीछे राघव खड़ा है तभी...
राघव – (रागिनी की कमर में हाथ रख उसे अपनी तरफ खींच के) बहुत बिजी हो तुम तो...
अचानक हुए इस हमले से रागिनी डर गई लेकिन जब राघव की आवाज सुनी उसने तब...
रागिनी – आप यहां....
राघव – क्यों मै यहां नहीं आ सकता हूँ क्या...
रागिनी – मैने ऐसा कब कहा....
राघव – (रागिनी को अपनी तरफ घुमा उसका माथा चूम के) जल्दी से खाना लगा दो बहुत भूख लगी है यार...
रागिनी – (हैरानी से राघव को देखते हुए अपने आप मू से) जी अभी लगाती हूँ....
राघव – हम्ममम जब खाली हो जाओ बता देना तुम्हारा सारा सामान अपने कमरे में रखने में मदद कर दूंगा....
रागिनी – (हैरानी से राघव को देख) जी मेरा सामान....
राघव – (मुस्कुरा के) हा तुम्हारा सामान और हा कल सब चले जाएंगे उसके बाद हम कही घूमने चलेंगे साथ में , चलोगी ना....
रागिनी –(आंख में आंसू लिए राघव के गले लग के) हम्ममम मुझे माफ कर दीजिए मै....
राघव – (रागिनी के मू पे उंगली रख) बस अब कुछ नहीं भूल जाओ जो हुआ एक बुरा सपना समझ के उसे ठीक है अब रोना मत चलो खाना लगाओ जल्दी से फिर तुम बताना कहा घूमने चलना है...
राघव की बात सुन रागिनी मुस्कुरा के हा में सिर हिल दिया जिसके बाद राघव बाहर चला गया जहा सबके साथ बैठ के खाना खाने लगे थोड़ी देर बाद सब अपने कमरे में चले गए आराम करने शादी से हर कोई खाली हो गया था ऊपर से थकावट जिस वजह से सब कमरे में आराम करने लगे शाम के वक्त हर कोई हॉल में बैठा एक दूसरे से बाते कर रहे थे तब....
रनवीर – (सुमन से) सुमन तुमसे एक जरूरी बात करनी है....
सुमन – बोलो....
रनवीर – मेरे साथ चलो....
सुमन – आपको जो बोलना है यही बोलो....
रनवीर – मुझे तुमसे अकेले में जरूरी बात करनी है सुमन....
सुमन – मुझे कहीं नहीं जाना जो बोलना है यही बोल दो....
रनवीर – (सुमन का हाथ जबरदस्ती पकड़ के) चलो मेरे साथ अभी....
सुमन – (अपना हाथ छुड़ा के) ये क्या तरीका है बात करने का मैने कहा ना जो बोलना है यही बोलो बस मै कही नहीं जाने वाली...
तब बीच में....
राजेश – (रनवीर से) क्या बात है रनवीर बात क्या है आखिर....
रनवीर – मुझे सुमन से जरूरी बात करनी है भईया इसीलिए बोल रहा हूँ अकेले बात करने को...
राजेश – देखो रनवीर तुम जानते हो ना आज शादी निपटी है और सब एक साथ बैठ के बाते कर रहे है तुम्हे जो भी बात करनी हो कल कर लेना तुम वैसे भी कल हम सब वापस चल रहे है अपने घर...
रनवीर – ठीक है भइया (सुमन से) कल वापसी में मेरे साथ चलना तुम हम रस्ते में बात करेंगे...
सुमन – कल की कल देखेंगे...
जबकि इस तरफ एक कमरे में सभी लड़किया बैठी थी एक साथ बाते कर रही थी तब....
खुशी – (सोनम और पूनम से) क्या बात है यार तुम दोनों इस तरह चुप क्यों बैठो हो पार्टी में भी किसी से बात नहीं कर रही थी और शादी में भी....
सोनम – तो तू बता क्या करे हम तुम सब खुद भी कौन सा बात करने आए हमसे बस उस कल के लड़के के आगे पीछे दुम हिलाते घूम रही हो जिसे कल से पहले सब कोई गालियां देते थे और आज....
अवनी – आपकी प्रॉब्लम क्या है दीदी किस लिए साहिल भाई के बारे में आप ऐसा बोल रहे हो....
पूनम – वाह अवनी बहुत बड़ी बाते करने लगी है तू भूल गई तुम और खुशी सबसे ज्यादा गाली देते थे साहिल को और अब ऐसे बोल रही हो जैसे सारी गलती हमारी है तुम सबने कुछ किया ही ना हो....
कविता – दीदी हम सब गलत फेमी का शिकार थे तब लेकिन अब नहीं....
सोनम – हा सही बोल रही है तू कविता और बोले भी क्यों नहीं आखिर तेरा सगा भाई जो है , तेरे उसी भाई कि वजह से ही हमें ये दिन देखने पड़ रहे है....
खुशी – दीदी आप एक बात भूल रही हो साहिल भाई का कुछ भी किया धरा नहीं था उसमें और ये बात हम सब जानते है किसका किया धारा था उसमें....
पूनम – हा सही बोल रही है तू और बोले भी क्यों ना कल तक जो हमारे साथ साहिल को खूब गाली देते थे आज उसी के लिए एक बात बर्दाश तक नहीं कर पा रहे हो क्यों...
अवनी – हा तो क्यों करे बर्दाश हम दीदी क्या किया है साहिल भाई ने आखिर , अगर बड़ी मां ने शुरू से सबको साहिल भाई के लिए भड़काया ना होता तो बुआ की चारों बेटियों के साथ आज साहिल भाई हमसे भी बात करते...
सोनम – हा बोलो तुम लोग भी मेरी मां के बारे में सबको अपना दिख रहा है मेरी मां तो दिख कहा रही है सबको अब....
पूनम – जाने दे सोनम जैसी भी है हमारी मां को हम सम्भाल लेगे जरूरत ही है किसी की हमे....
कविता – पूनम दीदी आप ऐसा क्यों बोल रहे हो हमारी भी बड़ी मां है वो कोई गैर नहीं हमें भी अच्छा नहीं लग रहा बड़ी मां के लिए लेकिन इसका मतलब ये नहीं हम बड़ी मां का साथ छोड़ दे और साहिल भी तो भाई है हमारा उसे कैसे छोड़ दे हम सोचो आप दीदी कितने साल उन्होंने बिन परिवार के बिताए है कैसे सहा होगा ये दुख उन्होंने जब मा बाप के होते हुए भी एक बच्चे को 12 साल अकेले रहना पड़े और इन 12 सालों में एक बार भी हममें में किसी ने भी उनके बारे में नहीं सोचा बस याद किया तो सिर्फ गालियों में ये भी नहीं सोचा कि हम उन्हें क्यों गालियां दे रहे है क्या गलती है उनकी और अगर सच में उन्होंने कुछ ऐसा किया होता तो क्या दादी इतने सालों तक क्यों साथ दे रही है साहिल भाई का जबकि पूरा परिवार खिलाफ था उनके...
पूनम – तो तू बता कविता क्या करे हम अपनी मां को ऐसी हालत में देख हमपे क्या बीत रही है....
अवनी – दीदी कल हम सब वापस जा रहे है घर पर देखना सब ठीक होगा जल्द ही आप परेशान मत हो बड़ी मां के लिए हम सब साथ है उनके...
सोनम – और साहिल का , क्या वो बात कर रहा है सबसे...
खुशी – नहीं दीदी लेकिन देखना एक दिन वो भी हमें माफ जरूर कर देंगे और बात भी करेंगे....
कविता – चलो चल के तैयारी करते है कल निकलना भी है घर वापस...
जिसके बाद सब निकल गए कमरे में अपनी पैकिंग करने के लिए रात के वक्त सब एक साथ खाना खा रहे थे तब...
रनवीर – (राजेश से) भईया कल मुझे जल्दी ऑफिस जाना है जरूरी काम है तो मै सुमन और कविता के साथ निकल जाऊंगा जल्द ही सुबह....
राजेश – हम्ममम ठीक है रनवीर वैसे भी हम सब कल दिन में निकलेंगे घर को....
सुमन – (राजेश से) भइया मै भी आप सब के साथ चलूंगी दिन में सुबह जल्दी चल के क्या फायदा होगा....
राजेश – हा ये भी सही है वैसे भी रनवीर को ऑफिस जाना है वो तो रात में आएगा घर सीधा....
रनवीर – (सुमन से) अरे तो क्या हुआ सुबह मै तुम्हे और कविता को घर छोड़ के निकल जाऊंगा ऑफिस तुम घर में आराम कर लेना....
सुमन – रहने दीजिए मै सबके साथ आराम से निकलूंगी घर को...
रनवीर – लेकिन सुमन....
राजेश – रहने दो रनवीर क्या फर्क पड़ता है वैसे भी तुम तो सिक्योरिटी के साथ जाओगे....
सुमन की बात पर रनवीर को जाने क्यों गुस्सा आने लगा लेकिन गुस्से को काबू करके...
रनवीर – ठीक है कुछ सिक्योरिटी वाले आप सबके साथ रहेंगे घर तक...
राजेश – चलो ठीक है वैसे भी हमें जरूरत नहीं लेकिन तुम कह रहे हो इसीलिए कोई बात नहीं...
इसी बीच में कमल बोला....
कमल – (दादी से) वो दादी मै कल साथ में नहीं चल सकता हूँ....
साहिल – (चौक के) क्यों ऐसा क्यों बोल रहा है तू....
दादी – (सब कुछ जान के अंजान बन के) क्यों क्या हुआ कमल....
कमल – वो असल में बात ये है कि आज दिन में मुझे स्कूल से कॉल आया था मेरे सर्टिफिकेट कुछ प्रॉब्लम उसके लिए स्कूल वाले ने बुलाया है मुझे वहां से सर्टिफिकेट सही करवा के मै वापस आ जाऊंगा जल्द ही....
साहिल – ये क्या बात हुई अब तू ये बात पहले नहीं बता सकता था मुझे....
कमल – वो यार शादी के चक्कर में मुझे ध्यान से उतर गया था बताना तुझे तू चिंता मत कर मै 1ने 2 दिन में आजाऊगा वापस....
साहिल – कोइ नहीं मै चलता हूँ तेरे साथ....
कमल – अरे नहीं यार तू परेशान मत हो मै मैनेज कर लूंगा...
साहिल – अबे तो वहां रहेगा कहा पे तू और मैनेज कैसे करेगा...
सुनीता – तुम परेशान मत हो साहिल मेरा घर भी सिटी में है कमल हमारे घर में रह लेगा वैसे भी 3 से 4 दिन बाद मै आ रही हूँ घर पर....
सुनीता की बात सुन साहिल गुस्से में कमल को देखने लगा तब...
कमल – गुस्सा मत हो यार जल्दी ही आ जाऊंगा मैं फिर साथ में एडमिशन लेगे कॉलेज में तब तक तू शहर घूम लेना फिर मुझे भी घूमा देना शहर ठीक है अब गुस्सा मत हो चल खाना खा ले...
इन दोनों की बातों के बीच सुमन , सुनीता , अमृता और दादी मुस्कुरा रहे थे थोड़ी देर में खाना होने के बाद सब कमरे में जाने लगे सोने के लिए तभी दादी ने साहिल को रोका...
दादी – साहिल वो कल हम चल रहे है घर मुझे ये कहना था कि देख एक गाड़ी में रनवीर तो सुबह जल्दी चला जाएगा अब 2 गाड़ी बचेगी तो तू ऐसा करना हम सब पहले निकल जाएंगे घर तू यही रुकना 2 से 3 घंटे में गाड़ी आ जाएगी वापस तो तू उसमें आ जाना सुमन और कविता के साथ 2 गाड़ी में इतने लोग नहीं आ पाएंगे तुझे कोई परेशानी तो नहीं होगी ना....
साहिल – नहीं दादी मुझे कोई परेशानी नहीं होगी...
दादी – (मुस्कुरा के) ठीक है चल जाके आराम कर ले....
दादी की बात मान के साहिल चला गया कमरे में जबकि सुमन दूसरी तरफ चुपके दादी की सारी बात सुन के मुस्कुरा रही थी लेकिन इस तरफ जब साहिल और दादी बात कर रहे थे उस बीच कविता अपने कमरे की गैलरी से होते हुए जल्दी से साहिल के कमरे में गई वहां जाके उसे कमल दिखा तब....
कमल – (कविता को देख) तुम यहां पर...
कविता – (जहां साहिल सोता था उस तरफ जाके एक कार्ड रखती है साथ में एक ब्रेसलेट) ये साहिल भाई के लिए प्लीज कमल कुछ कहना मत तुम....
कमल – ठीक है लेकिन तुम जानती हो ना क्या कर रही हो....
कविता – हम्ममम बस एक कोशिश...
जिसके बाद कविता निकल गई अपने कमरे की तरफ लेकिन कविता जब तक जाती तभी साहिल कमरे में आ गया और उसने कविता को गैलरी से जाते हुए देख लिया तब कमल को देख के....
साहिल – ये यहां क्या करने आई थीं....
कमल – पता नहीं मै तो बाथरूम गया था जैसे बाहर आया तो जाते हुए देख मैने कविता को....
तभी साहिल बेड की तरफ जाके देखता है वहां पर कार्ड और ब्रेसलेट रखा होता है कार्ड को खोल के देखता है जिसमें SORRY लिखा था और देने वाले का नाम साथ में सोने का ब्रेसलेट में जिसमें SORRY लिखा था उसे गुस्से में देख....
साहिल – (गुस्से में कार्ड को फाड़ते हुए) मादरचोद इसकी इतनी हिम्मत...
बोल के साहिल गैलरी से होते कविता के कमरे में जाता है जहां कविता , अवनी , खुशी आपस में बाते कर रही होती है तभी साहिल गुस्से में कमरे मे आके....
साहिल – (कविता की तरफ कार्ड को फेक के) क्या है ये , तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ये देने की , समझती क्या हो अपने आप को तुम किस बात की माफी मांग रही थी तुम....
साहिल के इस तरह से कमरे में आके गुस्से मो बोलने के कारण कविता , अवनी और खुशी साहिल के गुस्से को देख डर से पीछे हट गए थे...
कविता – (डरते हुए) मै बस मैं बस आपसे माफी मांगना चाहती....
साहिल – (गुस्से में) हा यही पूछ रहा हूँ मै किस बात की माफी मांग रही हो तुम बोलो....
अवनी – (डरते हुए बीच में) हमसे बहुत बड़ी गलती हुई भई....
साहिल – (गुस्से में बीच में चिल्ला के) SSSSHHHUUUUTTTTAAPPPP इसके आगे एक शब्द नहीं बोलना समझी तुम....
कविता – लेकिन आपने तो बुआ की बेटी को माफ कर दिया तो हमें....
साहिल – (गुस्से में) उनको अपने आप से कंपेयर मत करो उन्होंने तो कुछ नहीं किया जो तुम लोगो ने किया था मेरे साथ क्यों भूल गई क्या इतनी जल्दी तुम क्या किया था उस दिन अपने उन आवारा दोस्तो के साथ (खुशी और अवनी से) और तुम दोनों भी भूल गई क्या किया था तुम दोनों स्कूल में मेरे साथ अपने दोस्तो के सामने , भूल गई इतनी जल्दी सब कुछ , दात देनी पड़ेगी तुम तीनों की बड़ी हिम्मत है तुममें जो इतना कुछ करने के बाद माफी मांगने आ गए मेरे पास...
ये सारी आवाजें सुन सुमन बाथरूम से निकल के बाहर आती है सामने साहिल को देख के....
सुमन – क्या हुआ साहिल क्यों चिल्ला रहे हो....
तभी...
खुशी – इसमें हमारी गलती नहीं है उस वक्त घर वालो ने हमें जो बताया हम बस वही कर रहे थे हमें नहीं पता था सच के बारे में....
कविता – हमारा विश्वास कीजिए खुशी सच बोल रही है भई....
साहिल – अबे चुप इससे आगे एक शब्द नहीं समझी अच्छा किया तुमने बता दिया आज मुझे की ये सब तुम्हे तुम्हारे घर वालों ने सिखाया है वाह शुक्र है कि दादी ने सही वक्त पर मुझे उस घर से कही और भेज दिया और मैं चूतीया था जो हर वक्त बस ये सोचता था दूसरे बच्चों को उनके मा बाप के साथ खुश देखता था जब दादी मुझे बताती थी कि कैसे तुम सब पूरे परिवार के साथ हर साल नए नए शहर और विदेशों में घूम रहे हो हर बार यही सोचता था कि काश मैं भी साथ होता अपने परिवार के साथ काश जैसा वो सबको प्यार करते है काश मुझे भी करते मै भी साथ घूमता लेकिन नहीं आज मुझे खुशी है इस बात की अच्छा हुआ जो नहीं था तुम लोगो के साथ वर्ना मैं भी तुमलोगो की तरह बन जाता कसम से तुम तीनों भी अपने परिवार के लोगों की तरह गिरे हुए हो और सबसे ज्यादा तो तुम दोनों (कविता और अवनी) हो क्यों (अवनी से) मुझसे माफी मांगे के लिए ही तुम मेरे दोस्त कमल से प्यार का नाटक कर रही हो है ना तुम्हे क्या लगा मुझे समझ नहीं आएगा तुम्हारा ये नाटक और तुम (कविता) तो कलंक हो बहन के नाम पर , मै अच्छे से जानता हूँ तुमको , यही प्लान बनाया है ना फिर से ताकि अपने घर में मेरे साथ वही खेल खेल सको ताकि शर्म से कभी वापस ही ना आऊ तुम्हारे घर में लेकिन याद रखना तुम लोग एक बात मै सिर्फ दादी के लिए आ रहा हूँ उस घर में किसी और के लिए नहीं तो दूर रहना मुझसे इसी में भलाई होगी तुम सब की (सुमन से) अपनी बेटी और भतीजियों को समझा लो मिस सुमन अपना घिनौना खेल खेलना बंद कर दे मेरे साथ और अगर ज्यादा दिक्कत है मुझसे तो बोल देना दादी को मुझे घर में ना लेके आए...
बोल के गुस्से में साहिल निकल गया अपने कमरे को तरफ पीछे से कमल जो गैलरी में खड़ा सारी बाते सुन रहा था वो भी साहिल के पीछे चला गया कमरे में बेड में आते ही गुस्से में साहिल लंबी लंबी सांसे ले रहा था इधर सेमेंथा ये सब देख साहिल के पास जा रही थी कि तभी कमल ने साहिल के कंधे पर हाथ रखा कुछ बोलने जा रहा था तभी साहिल बेड में गिर गया जिसे देख कमल को समझते देर नहीं लगी कि साहिल को अटैक आया है इतना गुस्सा करने की वजह से जिस वजह से कमल को भी काफी गुस्सा आया वो तुरंत सुमन के कमरे की तरफ चला गया जबकि इस तरफ सेमेंथा फिर से साहिल की ये हालत देख उसकी आंख से आंसू निकल आया इधर कमल कमरे में आते ही....
कमल – (गुस्से में कविता से) आखिर क्या जरूरत थी तुम्हे ये सब करने की कविता (सुमन से) मैने कहा था आपको साहिल के बारे में फिर भी आपको भी समझ नहीं आई मेरी बात....
सुमन – आखिर बात क्या हुई कमल...
कमल – कविता की बेवकूफी की वजह से आज फिर से साहिल को अटैक आ गया है लेटा है कमरे में अभी...
सुमन – (चौक के) क्या मै देखती हु उसे...
कमल – (सुमन को रोक के) रहने दीजिए आप , जागते ही कही आप लोगो को सामने देख जाने क्या रिएक्शन होगा उसका बस आप समझा दीजिए इन्हें अच्छे से वर्ना मजबूरन मुझे दादी को मना करना पड़ेगा साहिल को घर ले जाने के लिए....
कविता – (कमल की बात सुन उसके पैर पकड़ के) ऐसा मत करना कमल मै वादा करती हु आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा मै ध्यान रखूंगी प्लीज तुम ऐसा मत करना कमल....
कमल – मेरे पैर पकड़ने से कुछ नहीं होगा कविता गलती तुमने की ऐसी है जिसे भूलना चाहे तो भूल नहीं सकता है कोई...
बोल के कमल चला गया कमरे में साहिल के पास जबकि कमल के जाते ही...
सुमन – (कविता , खुशी और अवनी से) हुआ क्या है यहाँ अभी और क्या किया तुम लोगो ने ऐसा जिस वजह से साहिल को गुस्से में फिर अटैक आ गया....
अवनी कुछ बोलने को हुई थी कि तभी सुमन बिना ध्यान दिए चली गई गैलरी से होते हुए साहिल के कमरे की तरफ जहां बेड में लेटा साहिल था और उसके बगल में कमल था जो साहिल का पैर पकड़ के बेड में रख रहा था तभी सुमन कमरे में आई आते ही उसने साहिल के जूते मौजे उतारे बगल में आके साहिल के पास बैठ गई तब....
कमल – (सुमन से) प्लीज आप चले जाओ यहां से कही होश में आते ही साहिल...
सुमन – (बीच में रोते हुए) नहीं कमल अब मै नहीं छोड़ सकती साहिल को किसी कीमत पर जो गलती एक बार हुईं उसे दोहराना नहीं चाहती हूँ , मै वादा करती हु मै कुछ नहीं होने दूंगी साहिल को...
जिसके बाद कमल कुछ बोल नहीं पाया 10 मिनिट बाद जैसे ही साहिल जागा तभी साहिल वही बोलने लगा अपने दादा के बारे में लेकिन इससे पहले साहिल कुछ समझ पाता तभी सुमन ने साहिल को गले से लगा लिया जबकि साहिल डर और घबराहट से अपने दादा के बारे में बोले जा रहा था लेकिन कुछ ही देर में साहिल भी गले लगा रहा सुमन के , इस बात से अंजान इस वक्त किसके गले लगा हुआ है जिसके बाद धीरे धीरे साहिल को नींद आ गई और साहिल गहरी नींद में सो गया तभी कमल ने साहिल को देख समझ गया कि उसे नींद आ गई है तब कमल ने साहिल को सुमन से अलग कर उसे बेड में अच्छे से लेटाता है तभी सुमन बगल में बैठ के साहिल के सिर को अपनी गोद में रख लेती है लेकिन साहिल का एक हाथ बेड में लटक रहा होता है उसे अपने हाथ से पकड़ जैसे ही बेड में रखने को हुई थी सुमन तभी साहिल ने नींद में ही सुमन का हाथ पकड़ लिया ये बात कमल से छुपी नहीं तब कमल एक हल्की सी मुस्कान के साथ बस...
कमल – (सुमन से) आप यही रुक जाओ बाद में चली जाना आप...
कमल की बात सुन सुमन हा में सिर हिला देती है और अपनी गोद में सो रहे साहिल को मुस्कुरा के देख उसके सिर पर हाथ फेरती रहती है जिसे कमल मुस्कुरा के देख रहा था लेकिन इस बीच सेमेंथा ये सब देख रही थी तभी उसने भी उसी वक्त साहिल के सिर पर हाथ रखा जब सुमन का हाथ वही था के तभी दोनों का हाथ एक जगह आने से ना जाने कैसा झटका लगा सेमेंथा और सुमन को एक साथ जबकि सेमेंथा ने ये देख लिया लेकिन उसे समझ नहीं आया ये सब जबकि सुमन को झटका लगने के बाद वो इधर उधर देखने लगी जैसे उसे लगा हो कि कमरे में और भी कोई है , इस बात से बेखबर गैलरी के बाहर खड़े ये नजारा अवनी , खुशी और कविता देख रही थी तभी कमल की नजर उनपे जाती है तो कमल उनके पास आके...
कमल – आराम करो आप सब साहिल ठीक है अभी , इस वक्त गहरी नींद में सो रहा है वो...
जिसके बाद तीनों चली जाती है कमरे में सोने....
.
.
.
जारी रहेगा![]()
Koi galti nahi hua hai aapse bhai bas aapko appreciate karne ke liye words kam pad jata hai mera ye Kahana hai bhaiKoi galti ho gye hai kya bhai
Mind blowingUPDATE 18
एक मंदिर जहा शिव जी की एक बड़ी सी सुंदर प्रतिमा थी उसी के नीचे 15 से 20 सीढ़ियां बनी थी जो सीधे शिव जी की प्रतिमा पर खत्म होती है उसी प्रतिमा के नीचे खड़ी सुमन और कविता हाथ जोड़ के उनका आशीर्वाद ले रही थी जबकि साहिल सीडीओ के नीचे खड़ा था वो दोनों के पास आके...
साहिल – (सुमन और कविता से) चले देर हो रही है मौसम बिगड़ रहा है बरसात होने को है...
सुमन – हा चलते है...
बोल के सुमन देखती है कि साहिल के पीछे एक आदमी आता है और अचानक से साहिल की पीठ पे चाकू घोप देता है जिस देख सुमन जोर से चिल्लाती है....
सुमन – (चिल्ला के) साहिल...
अचानक से नींद से जाग के चिल्लाने से बगल में सो रही कविता और निधि जाग जाते है दोनों देखते है सुमन नींद से डर और घबराहट से जागी हुई लंबी लंबी सास ले रही है तभी...
निधि – क्या हुआ भाभी क्या बात है आप डरी डरी सी क्यों हो...
कविता – क्या हुआ मा आप चिल्लाई क्यों...
सुमन – (अपने चारों तरफ देख जहा वो कमरे में है तब) मैने एक बहुत बुरा सपना देखा , मैने देखा किसी ने साहिल को पीठ पे चाकू मारा...
निधि – भाभी शायद आपने बुरा सपना देखा होगा साहिल तो अपने कमरे में सो रहा होगा....
सुमन बिना बात सुने तुरंत गैलरी से होते हुए साहिल के कमरे की तरफ जाती है उसके पीछे निधि और कविता भी जहा सुमन देखती है साहिल और कमल कमरे में सो रहे है तब...
कविता – मा देखो भईया सो रहे है आप घबराओ मत आपने बुरा सपना देखा होगा और कुछ नहीं...
सुमन – ऐसा लगा जैसे सपना ना हो सच हो वो सब...
निधि – कोई बात नहीं भाभी सपने देखते वक्त ऐसा लगता है अक्सर आप चलो आराम करो देखो कितने आराम से सो रहे है साहिल और कमल हमारी आवाज सुन कही उनकी नींद ना टूट जाए...
जिसके बाद तीनों चले जाते है कमरे में आराम करने कुछ देर बाद सुमन को नींद आ जाती है खेर आज का दिन है शादी का निधि की साथ ही धीरेन्द्र की हवेली में आखिरी दिन सभी मेहमानों का अगले दिन सभी वापस जाने वाले थे लेकिन फिलहाल हम आज की बात करते है आज की सुबह लगभग सभी जल्दी उठ गए क्योंकि शादी आज दिन की थी उठते ही सभी तैयारी में लग गए कल की तरह आज भी हवेली को सभी औरते बन ठन के तैयार होके हवेली के बाहर मंडप में आ गई जहां पर आज निधि शादी के लाल जोड़े में दुल्हन के रूप में मंडप में बैठी अपने होने वाले दूल्हे के साथ जहां बगल में निधि के ससुराल वाले साथ में निधि के पिता जी और साथ में भाई राघव और रागिनी बैठे थे जिसे धीरेन्द्र ने ही कहा था तभी रागिनी आई थी जबकि एक तरफ पंडित जी बैठ के मंत्र पढ़ रहे थे जबकि दूसरी तरफ आज साहिल सिर्फ कमल के साथ नहीं था क्योंकि आज उसके साथ शिवानी , रचना , सुरभि , पायल और शबनम साथ में बैठी एक दूसरे से हस के बाते कर रही थी सब जिसे दादी मुस्कुराते देख रही थी साथ में बाकी के परिवार वाले भी उन्हें देख के खुश थे इस बात से की आज साहिल सभी लड़कियों से बाते कर रहा है साथ में सुमन सुबह के सपने वाली बात को भूल कर साहिल इतना खुश देख उसे सबसे ज्यादा खुशी हो रही थी आज सुमन को लग रहा था कि जल्द ही ऐसा वक्त आयेगा जब साहिल इस तरह उसके साथ बाते करेगा हस के जबकि कविता , अवनी और खुशी ये देख थोड़ी हैरान थी कि आज साहिल उनकी बुआ की चारों बेटियों के साथ बैठ बाते कर रहा है हस के लेकिन उन्हें सुमन की तरह ये उम्मीद हो गई थी आगे के लिए जबकि दूसरी तरफ इन सब के बीच पूनम और सोनम अपनी मां रीना के साथ अकेले बैठी थी ऐसा नहीं था कि सोनम और पूनम से कोई बात नहीं कर रहा था लेकिन उस हादसे के बाद उनकी मां किसी से बात नहीं कर रही थी जिस वजह से अपनी मां को अकेला छोड़ना उन्हें अच्छा नहीं लगा सो अपनी मां के साथ बैठी थी अकेले जबकि इस तरफ सेमेंथा मुस्कुराते हुए साहिल के पास खड़ी देख रही थी साहिल को किस तरफ उसकी सभी बहनों ने उसे घेर के रखा है उसे कही जाने तक नहीं दे रही थी बेचारा साहिल को एक पल का मौका नहीं मिल पा रहा था सेमेंथा से बात करने का जिस वजह से सेमेंथा मुस्कुराते हुए साहिल को आज बहुत खुश देख रही थी वो चाहती तो साहिल सबसे अलग हो सकता था लेकिन सेमेंथा को साहिल को इस तरह से खुश देखे उसके मन को खुशी हो रही थी इन सब से अलग एक परिवार और भी था जिसकी 2 औरते धीरेन्द्र के परिवार के साथ मंडप के बगल में बैठी थी वो था लाला का परिवार की राधिका और उसकी बेटी सिमी जो सबसे बाते में लगी थी...
जबकि लाला उसका बेटा विजय एक तरफ अपने मुनीम के साथ खड़े थे शादी होते देखते हुए तभी उनके पीछे से कोई उनसे बात करता है....
आदमी – कैसे हो लाला...
लाला और विजय पीछे मूड के अपने सामने रनवीर को देख के...
लाला – अच्छा हूँ रनवीर तुम बताओ....
रनवीर – देख रहा हूँ कल से तुम दोनों बाप बेटे कल भी अलग खड़े थे सबसे और आज भी....
विजय – हम बस धीरेन्द्र दादा के खातिर उनकी बेटी की शादी में शरीक होने आए है रनवीर , आशीर्वाद देके चले जाएंगे...
रनवीर – (मुस्कुराते हुए) हम्ममम वो तो मै कल से देख रहा हूँ तुम दोनों की नजरों को की क्या करने आए हो यहां पर...
लाला – देखो रनवीर हम सिर्फ शादी में आय है बस इसके इलावा कुछ नहीं वैसे मै मिला था तुम्हारे बेटे से बिल्कुल तुमपे गया है वही अंदाज वही घमंड उसमें भी है जो तुममें है...
रनवीर – मै यहां किसी और की नहीं बल्कि तुम्हारी नजरों की बात करने आया हु लाला जरा सम्भल के लाला कही उस रात की तरह आगे कुछ ना हो....
विजय – रनवीर अगर हमारे यहां आने से तुम्हे दिक्कत हो रही है तो हम चले जाते है लेकिन मै फिर भी यही कहूंगा हम सिर्फ शादी में निधि को आशीर्वाद देने आए है बस....
रनवीर – अच्छा है अगर ऐसा हो क्योंकि तुम दोनों बाप बेटो की नजर मैने कल देख ली थी कैसे मेरे परिवार की लड़की और औरतों को देख रहे थे सोचा याद दिल दूं तुम दोनों को के इस बार तुम दोनों वो गलती मत करना जो (विजय से) तेरे बड़े भाई ने की थी (लाला से) और तेरे बड़े भाई और उसके दोनों बेटो ने की थी कही ऐसा न हो तेरा वंश ही ना बचे...
बोल के जाने लगा रनवीर तभी वापस आके...
रनवीर – (लाला से) अपने पोते को भी सम्भाल लेना लाला तेरी तरह उसकी नजरे भी कुछ ज्यादा ही तेज चल रही थी कल समझे चलता हूँ और हा आशीर्वाद देके जरूर जाना वर्ना धीरेन्द्र मामा को अच्छा नहीं लगेगा...
बोल के रनवीर निकल जाता है वहां से उसके जाते ही...
लाला – (विजय से) आनंद को जाके समझा दो विजय ऐसी वैसी कोई हरकत न करे मै नहीं चाहता कि रनवीर की नजर में आ जाए आनंद...
विजय – आनंद को मै समझा दूंगा पिता जी लेकिन रनवीर आज इतना क्यों उछल रहा है...
लाला – पहले रनवीर अकेला था आज उसका बेटा जो है साथ में इसीलिए हमे अपना घमंड दिखाने आया था , खेर तुम जाके पहले आनंद से बात कर लो बाकी रनवीर को बाद में देखेंगे पहले उसके सपोले फिर उसकी मां बेटी की कल खेर नहीं कल अपने भाई उसके बेटे और अपने बेटे का बदला लूंगा तब रनवीर को पता चलेगा हमसे टकराने का अंजाम क्या होता है...
इधर विजय अपने बेटे आनंद के पास जाता है जो अपने दोस्तों के साथ बात कर रहा था वहां आते ही...
विजय – (देखता है उसका बेटा आनंद रनवीर की परिवार की लड़कियों को देख अपने दोस्तो से बाते कर रहा था तब) आनंद तुझे समझाया था ना फिर भी तू अपने दोस्तो के साथ ये सब कर रहा है...
आनंद – (अचानक अपने बाप को सामने देख) नहीं पिता जी मै तो बस अपने दोस्तो से बाते कर रहा था...
विजय – अच्छे से जनता हूँ तू क्या बाते कर रहा है अपने दोस्तो से और किसके लिए , मै तुझे समझा दे रहा हूँ आनंद अगर गलती से भी तूने या तेरे दोस्तों में किसी ने भी कुछ भी ऐसी वैसी हरकत की तो याद रखना तेरे दादा और मै तुझे छोड़ेंगे नहीं समझा...
इन बातों के बीच राधिका आ जाती है आनंद के पास तब...
आनंद – मुझे समझ नहीं आता आप इतना घबरा क्यों रहे है भला हमें किसी से क्या डर कौन हमारा क्या बिगाड़ लेगा यहां अगर कुछ कर भी दिया तो...
विजय – (अपनी बीवी राधिका को पास में देख ज्यादा कुछ न बोलते हुए) जितना कहा वो समझ जा बस बाकी तुझे बता दिया मैने...
बोल के विजय चला जाता है जबकि...
राधिका – (अपने बेटे आनंद को उसके दोस्तों से अलग ले जाके) क्या बोल रहे थे वो तुझे...
आनंद – कुछ नहीं मा तुम परेशान मत हो तुम जाओ बाकी औरते के साथ बाते करो....
राधिका – और कर भी क्या सकती हूँ मै घर में जैसे तेरे दादा है वैसे पिता भी बस एक तू था जो कम से कम बात तो करता था पूछता था अपनी मां को लेकिन अब तू भी अपने बाप की तरह बन गया है जिसे अपना घर छोड़ के बाकी सबके लिए फुर्सत है...
आनंद – मा देखो तुम फिर से शुरू मत हो जाओ...
राधिका – तो क्या करू सिर्फ तेरे और सिमी के खातिर रुकी हूँ मै हवेली में वर्ना कब का छोड़ के चली जाती मै...
आनंद – तुम्हारी परेशानी क्या है मां जो हर बार तुम इस तरह से बाते करती हो ऊपर से पिता जी वो अलग सुना के चले गए बाते...
राधिका – तेरे पिता ने क्या कहा मुझे नहीं पता मुझे सिर्फ तेरी ही चिंता है बेटा जाने कहा खो गया मेरा वो बेटा जो हर वक्त अपनी मां का हाथ थामे रहता था मैने खाना खाया या नहीं खाया उसकी चिंता उसे लगी रहती थी जब तक मै नहीं खाती खाना तब मेरा बेटा छूता तक नहीं था खाने को और आज मा भूखी सो जाएं लेकिन बेटा पूछता तक नहीं अपनी मां को एक बार भी...
आनंद – दूर भी तुमने किया था मुझे मा मै नहीं हुआ था...
राधिका – दूर किया था इसीलिए ताकि अपने पैरों पर खड़ा हो सके सम्भल सके अपने आप को ताकि कल को मुझे कुछ हो गया कम से कम तू सम्भाल लेगा अपनी बहन को लेकिन अब लगता है कल को मुझे कुछ होगया जाने तेरी बहन का क्या होगा कब कौन उसे अपना शिकार बना ले....
आनंद – अब तुम ज्यादा सोच रही हो मां ऐसी बेकार की बाते मत कर तू....
राधिका – तो तू वापस आजा छोड़ दे ये सब , कुछ नहीं चाहिए मुझे तू मै सिमी हम कही और चले जाएंगे दूर यहां से एक कमरे में रहेगी लेकिन खुश रहूंगी मै तुम दोनों के साथ....
आनंद – आखिर बात क्या है क्यों ऐसी बाते करती हो बार बार परेशानी क्या है पिता जी और दादा जी से आपको...
राधिका कुछ बोलने को हुई तभी आनंद को उसके दोस्तों ने आवाज लगाई तब...
आनंद – (अपने दोस्तो को) आता हूँ (राधिका से) मै सब कुछ छोड़ दूंगा जहां कहेगी वहां चलूंगा लेकिन जब तक तुम बताती नहीं वो बात तब तक बिल्कुल भी नहीं....
बोल के आनंद चला जाता है अपने दोस्तो के पास और राधिका चली जाती है धीरेन्द्र के परिवार के पास बैठ जाती है मंडप के पास अपनी बेटी के साथ तब...
सिमी – क्या हुआ मां तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है फिर से आनंद से कोई बात हुई क्या....
राधिका – मैने सोच लिया है सिमी आज मै आनंद को सब बता दूंगी...
सिमी – और उसके बाद आपको लगता है आनंद चुप बैठेगा....
राधिका – अगर वो समझ गया बात तो शायद हम तीनों दूर चले जाएंगे यहां से बस बहुत हो गया अब मै और नहीं झेल सकती इन बाप बेटो के कमीने पन को....
सिमी – तो आप धीरेन्द्र दादा को बता दो सारी बात वो मदद करेंगे हमारी....
राधिका – हम्ममम शादी के बाद मै बात करूंगी धीरेंद्र जी से...
खेर निधि की शादी हो जाती है अब आता है विदाई का वक्त विदाई के वक्त धीरेन्द्र का पूरा परिवार एक साथ निधि को विदाई कर रहा था तब निधि सबसे मिल रही थी आंख में आंसू लिए एक एक करके सबसे गले लग रही थी फिर राघव की बेटी से गले लग के और जोर से रोने लगी थी जिसे सभी समझ रहे थे कि निधि घर से विदा होंने की वजह से रो रही है लेकिन असल में राघव की बेटी से गले लगते वक्त उसे दुख हो रहा था इस बात का की उसके जाने के बाद जाने घर में क्या होगा कैसे रह पाएगी उसकी छोटी सी भतीजी फिर बच्ची से अलग होके निधि की नजरे किसी को ढूंढने लगी जो सबसे पीछे खड़ा होके निधि को देख रहा था वो था साहिल जो निधि को घर से विदा होते देख न उसके चेहरे पर अजीब सी उदासी थी साहिल को देख निधि सबके बीच से होते हुए साहिल के पास जाके उसके गले लग के रोने लगी साहिल के गले लगते ही जाने क्यों लेकिन साहिल के आंख में अपने आप आसू आ गए तब...
निधि – (रोते हुए) मैने तुझसे कुछ नहीं मांगा साहिल आज तक , प्लीज आज मेरे ऊपर एक एहसान कर दे...
साहिल – आप जो बोलो वो करूंगा आपके लिए बस एहसान का नाम दो इसे...
निधि – साहिल प्लीज राघव भइया के लिए कुछ कर दे वर्ना मेरी प्रिंसेस का क्या होगा मुझे डर लग रहा है उसके लिए मै नहीं चाहती कि तेरे जैसा उसके साथ कुछ हो साहिल प्लीज मेरे लिए इतना कर दे....
साहिल – बुआ आप रो मत कुछ नहीं होगा ऐसा , सब ठीक होगा मै हूँ ना अब बेफिक्र रहो बुआ...
निधि – मुझे बस तुझपे भरोसा है साहिल सम्भाल ले तू सब तेरे हाथ में है...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हा बुआ...
जिसके बाद साहिल खुद निधि को अपने साथ ले जाके कार में बैठता है सबके साथ हर किसी की आंख में आंसू थे निधि की विदाई के लिए धीरे धीरे कार आगे जाने लगती है हर कोई हाथ हिला के (Bye) करते है देखते देखते कार और आगे चली जाती है धीरे धीरे कार सबकी आंखों से ओझल हो जाती है तब हर कोई हवेली के अन्दर जाने लगते है साथ में लाला , विजय , राधिका , आनंद और सिमी भी सबसे विदा लेके जाने लगते है तभी....
राधिका – (धीरेन्द्र से चुपके से) बाबू जी मुझे आपकी मदद चाहिए....
धीरेन्द्र – हा राधिका बोलो क्या बात है....
फिर राधिका कुछ बोलती है जिसे सुन के....
धीरेन्द्र – ठीक है तुम बेफिक्र रहो राधिका जब तुम्हारी तैयारी हो जाय मुझे इकतलाह कर देना बाकी मै सम्भाल लूंगा....
जिसके बाद राधिका अपने परिवार के पास चली गई गाड़ी में बैठ के रस्ते में....
लाला – (अपने बेटे विजय से) कल की तैयारी कर देना विजय ऐसे सुनहरे मौके हाथ से जाना नहीं चाहिए...
विजय – (मुस्कुरा के) हा पिता जी सारी तैयारी मैने पहले से कर दी है बस कल का इंतजार है....
राधिका – (बात को न समझ के) किस बात की तैयारी करने की बात हो रही है...
विजय – तुम इस चक्कर में मत पड़ो राधिका मर्दों का काम मर्दों को शोभा देता है तुम सिर्फ चूल्हा पर ध्यान दो....
राधिका – इतने सालों से यही तो कर रही हूँ मै चूल्हा देखना और आपकी बाते सुनना...
विजय – (गुस्से में) ज्यादा जुबान मत चला समझी हद में रह के बात कर ज्यादा चू चे की तो घर के जगह कोठे में बैठा दूंगा तुझे...
विजय की बात सुन उसके बेटे आनंद को गुस्सा आ गया....
आनंद – (गुस्से में चिल्ला के) बस बहुत हो गया पिता जी अब एक शब्द नहीं मा है वो मेरी आपकी हिम्मत कैसे हुईं मेरी मां से इस तरह से बोलने की...
विजय – अरे बेटा तू क्यों इतना नाराज हो रहा है मैने तुझे क्या समझाया था कि औरतों को ज्यादा सिर पे चढ़ाना नहीं चाहिए अगर इनको अपनी उंगली पकड़ाओगे तो ये गर्दन पकड़ लेगी इसीलिए ऐसा बोला मैने...
आनंद – आपको क्या लगता है क्या नहीं वो आप समझो मेरी मां से इस तरीके से कोई बात करे मुझे पसंद नहीं है बस...
बोल के आनंद अपनी मां राधिका के हाथ पकड़ लेता है जिसे देख राधिका को दिल ही दिल में बहुत खुशी होती है साथ उसकी बड़ी बहन को भी भले आनंद जैसा था लेकिन अपनी मां और बहन से शुरू से बहुत प्यार करता था वजह ये थी कुछ साल पहले आनंद भोला भाला था और हर वक्त अपनी मां के पल्लू में बंधा रहता था , अपनी बड़ी बहन के साथ हंसता खेलता बाते करता था लेकिन बचपन से ही ज्यादा भोलापन को देख राधिका को लगा कि वो आनंद के साथ उसका हर वक्त रहने से आनंद अकेला कोई काम खुद नहीं करता है इसीलिए राधिका ने आनंद को थोड़ी ढिलाई दे दी ज्यादा तर काम के लिए आनंद को घर के बाहर अकेले भेजती थी ताकि आनंद का दिमाग खुले उसे घर के बाहर की दुनिया समझ में आए और राधिका की इस बात का फायदा विजय ने उठाया वो धीरे धीरे आनंद को अलग अलग तरीके के नए नए शौक देता रहा कुछ समय की दिक्कत के बाद आनंद भी अपने बाप विजय के रंग में रंगने लगा था लेकिन चाहे जैसा भी था अपनी मां और बहन से प्यार उतना ही करता था बस पहले की तरह दिखाता नहीं था लेकिन आज धीरेन्द्र की हवेली पर निधि के शादी के बीच जो हुआ उसके बाद आनंद का पहले से अपनी मां की बात को लेके उसी सोच में था जो उसे समझ नहीं आ रहा था लेकिन अभी जो हुआ उसके बाद आनंद का गुस्सा बढ़ गया जिस वजह से आनंद ने आज काफी समय के बाद मा के पक्ष में जो बोला उससे राधिका दिल फूला नहीं समा रहा था कुछ समय में लाला अपने परिवार के साथ घर आ गया घर में आते ही....
विजय – (अपने बेटे आनंद से) आनंद तुम कल कही मत जाना घर में रहना (मुस्कुरा के) तेरे लिए एक तोहफा लाने वाला हूँ कल....
आनंद – कौन सा तोहफा मै कुछ समझा नहीं....
विजय – वही जिसके लिए तू कल से बेचैन है समझा चल जा जो बोला वो करना...
अपने पिता की बात को ना समझ आनंद जाने लगा कमरे में तभी....
विजय – (राधिका से) सुन रस्ते में तो कुछ नहीं बोला मैने लेकिन आज के बाद अगर तूने जुबान लड़ाई मुझसे तो जो बोला है वही करूंगा मै....
राधिका अपने पति को बात सुन डरते हुए कमरे में चली गई अपनी बेटी सिमी के साथ...
जबकि इस तरफ धीरेन्द्र की हवेली में....
राघव – (धीरेन्द्र से) पिता जी मै चलता हूँ खेत में कुछ काम है मुझे...
धीरेन्द्र – वो सब ठीक है बेटा खाना खा के चले जाना तुम....
खाने की बात सुन रागिनी तुरंत रसोई में जाने लगती है राघव के लिए खाना लेने को तभी....
राघव – नहीं पिता जी मै खेत में सबके साथ खान खा लूंगा....
बोल के राघव जाने लगता है जबकि परिवार ज्यादा तर लोग कमरे जा चुके थे फ्रेश होने के लिए इस वक्त हवेली के हाल में दादी , धीरेन्द्र , साहिल , सुमन , राघव और रागिनी होते है जबकि राघव की ये बात सुन रागिनी के आंख में आंसू आ जाते है और राघव जैसे ही हवेली के बाहर जाता है तब पीछे से साहिल आके राघव का हाथ पकड़ रोक के....
साहिल – आखिर कब तक आप अपने आप को सजा देते रहोगे चाचा मानता हूँ रागिनी चाची ने जो किया गलत था लेकिन आपने ये भी सोचा चाचा कितने साल हो गए आपकी शादी को चाची से क्या इतने सालों में कभी आपको लगा कि चाची ने ऐसा कुछ किया हो आपके पीठ पीछे , नहीं ना तो फिर क्यों चाची के साथ खुद को सजा देना....
राघव – साहिल उसने जो तेरे साथ किया उसके लिए कैसे माफ कर दूं मै उसे....
साहिल – उन्होंने जो किया मेरे साथ किया उसके बाद भी मै यहां रुका हूँ ना चाचा तो बस अब आप सब भूल जाओ ये समझो ऐसा कुछ हुआ ही नहीं बस मेरे खातिर आपने बात करना छोड़ा चाची से तो आज मेरे खातिर उन्हें माफ कर दो आप...
राघव – लेकिन साहिल...
साहिल – (बीच में राघव की बात रोक के) अगर आप सच में मुझे अपना मानते हो तो प्लीज भूल जाओ सब आप....
राघव – ठीक है साहिल सिर्फ तेरे खातिर मै ये कर रहा हूँ....
साहिल – (मुस्कुरा के) तो अब खेत जाने का बहाना छोड़ो चाचा जाओ चाची के पास बात करो उनसे तरस रही है चाची आपसे बात करने के लिए....
साहिल की बात सुन राघव मुस्कुरा के रागिनी के पास जाने लगा जबकि जब राघव हवेली के बाहर जा रहा था तो उसके पीछे साहिल जाने लगा तभी सुमन भी पीछे आने लगी तब सुमन ने दोनों की सारी बाते सुन ली हवेली के दरवाजे के पीछे से जिसे सुन सुमन आंख में आंसू के साथ चेहरे पे मुस्कुराहट आ गई तब राघव के अंदर आते ही वो रसोई में जाने लगा तब साहिल भी हवेली के अन्दर आया तभी...
सुमन – (साहिल का हाथ पकड़ हल्का मुस्कुरा के) थैंक यूं...
साहिल – (अपना हाथ छुड़ा के) मैने जो किया सिर्फ उस छोटी बच्ची के लिए कही उसका बचपन भी मेरी तरह ना हो जाय बिन मा बाप के...
सुमन – (मुस्कुरा के) लेकिन अच्छा किया....
सुमन को मुस्कुराते हुए जवाब देते देख साहिल ने एक पल सुमन को देखा...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हम्ममम काश यही सोच आपकी भी होती....
बोल के साहिल निकल गया जबकि साहिल के इस जवाब से सुमन की मुस्कुराहट रुक सी गई तभी दादी सुमन के पास आके....
दादी – मैने कहा था ना उसकी नफरत का सामना करना आसान नहीं है...
सुमन – हा मा याद है मुझे और मैने भी आपसे कहा था सब कुछ हस्ते हुए सहन करूगी मै...
बोल के सुमन चली गई तभी...
रनवीर – (सुमन को बुलाते हुए) अरे सुमन सुनो तुमसे एक बात करनी है....
सुमन – (बिना रनवीर को देखे) हा बोलो...
रनवीर – (सुमन के इस अंदाज में बोलने से अजीब लगा जिसके बाद) यहां नहीं कमरे में आओ....
सुमन – अभी मेरे पास टाइम नहीं है जो बोलना है यही बोल दो...
रनवीर – क्या बात है सुमन आज तुम इस तरह से बात क्यों कर रही हो....
सुमन – कोई काम है तो वो बताओ बस....
रनवीर – अकेले में बात करनी है तुमसे....
सुमन – ठीक है फुर्सत मिलते ही बात करूंगी....
रनवीर – फुर्सत लेकिन अभी तुम खाली तो हो अब क्या काम बचा है....
सुमन – अभी मै थक गई हु आराम करके बाद में बात करती हु...
बोल के सुमन चली गई सीढ़ियों से कमरे की तरफ पीछे रनवीर अपनी ही सोच में रह गया उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सुमन उससे इस तरह से क्यों बात कर रही है जबकि इधर दादी सब कुछ देख के मुस्कुराने लगी अब इस तरफ देख लेते है जहां राघव रसोई में गए थे अपनी बीवी रागिनी के पास जहां रागिनी रसोई में काम करने में लगी हुई थी उसे पता तक नहीं था की उसके पीछे राघव खड़ा है तभी...
राघव – (रागिनी की कमर में हाथ रख उसे अपनी तरफ खींच के) बहुत बिजी हो तुम तो...
अचानक हुए इस हमले से रागिनी डर गई लेकिन जब राघव की आवाज सुनी उसने तब...
रागिनी – आप यहां....
राघव – क्यों मै यहां नहीं आ सकता हूँ क्या...
रागिनी – मैने ऐसा कब कहा....
राघव – (रागिनी को अपनी तरफ घुमा उसका माथा चूम के) जल्दी से खाना लगा दो बहुत भूख लगी है यार...
रागिनी – (हैरानी से राघव को देखते हुए अपने आप मू से) जी अभी लगाती हूँ....
राघव – हम्ममम जब खाली हो जाओ बता देना तुम्हारा सारा सामान अपने कमरे में रखने में मदद कर दूंगा....
रागिनी – (हैरानी से राघव को देख) जी मेरा सामान....
राघव – (मुस्कुरा के) हा तुम्हारा सामान और हा कल सब चले जाएंगे उसके बाद हम कही घूमने चलेंगे साथ में , चलोगी ना....
रागिनी –(आंख में आंसू लिए राघव के गले लग के) हम्ममम मुझे माफ कर दीजिए मै....
राघव – (रागिनी के मू पे उंगली रख) बस अब कुछ नहीं भूल जाओ जो हुआ एक बुरा सपना समझ के उसे ठीक है अब रोना मत चलो खाना लगाओ जल्दी से फिर तुम बताना कहा घूमने चलना है...
राघव की बात सुन रागिनी मुस्कुरा के हा में सिर हिल दिया जिसके बाद राघव बाहर चला गया जहा सबके साथ बैठ के खाना खाने लगे थोड़ी देर बाद सब अपने कमरे में चले गए आराम करने शादी से हर कोई खाली हो गया था ऊपर से थकावट जिस वजह से सब कमरे में आराम करने लगे शाम के वक्त हर कोई हॉल में बैठा एक दूसरे से बाते कर रहे थे तब....
रनवीर – (सुमन से) सुमन तुमसे एक जरूरी बात करनी है....
सुमन – बोलो....
रनवीर – मेरे साथ चलो....
सुमन – आपको जो बोलना है यही बोलो....
रनवीर – मुझे तुमसे अकेले में जरूरी बात करनी है सुमन....
सुमन – मुझे कहीं नहीं जाना जो बोलना है यही बोल दो....
रनवीर – (सुमन का हाथ जबरदस्ती पकड़ के) चलो मेरे साथ अभी....
सुमन – (अपना हाथ छुड़ा के) ये क्या तरीका है बात करने का मैने कहा ना जो बोलना है यही बोलो बस मै कही नहीं जाने वाली...
तब बीच में....
राजेश – (रनवीर से) क्या बात है रनवीर बात क्या है आखिर....
रनवीर – मुझे सुमन से जरूरी बात करनी है भईया इसीलिए बोल रहा हूँ अकेले बात करने को...
राजेश – देखो रनवीर तुम जानते हो ना आज शादी निपटी है और सब एक साथ बैठ के बाते कर रहे है तुम्हे जो भी बात करनी हो कल कर लेना तुम वैसे भी कल हम सब वापस चल रहे है अपने घर...
रनवीर – ठीक है भइया (सुमन से) कल वापसी में मेरे साथ चलना तुम हम रस्ते में बात करेंगे...
सुमन – कल की कल देखेंगे...
जबकि इस तरफ एक कमरे में सभी लड़किया बैठी थी एक साथ बाते कर रही थी तब....
खुशी – (सोनम और पूनम से) क्या बात है यार तुम दोनों इस तरह चुप क्यों बैठो हो पार्टी में भी किसी से बात नहीं कर रही थी और शादी में भी....
सोनम – तो तू बता क्या करे हम तुम सब खुद भी कौन सा बात करने आए हमसे बस उस कल के लड़के के आगे पीछे दुम हिलाते घूम रही हो जिसे कल से पहले सब कोई गालियां देते थे और आज....
अवनी – आपकी प्रॉब्लम क्या है दीदी किस लिए साहिल भाई के बारे में आप ऐसा बोल रहे हो....
पूनम – वाह अवनी बहुत बड़ी बाते करने लगी है तू भूल गई तुम और खुशी सबसे ज्यादा गाली देते थे साहिल को और अब ऐसे बोल रही हो जैसे सारी गलती हमारी है तुम सबने कुछ किया ही ना हो....
कविता – दीदी हम सब गलत फेमी का शिकार थे तब लेकिन अब नहीं....
सोनम – हा सही बोल रही है तू कविता और बोले भी क्यों नहीं आखिर तेरा सगा भाई जो है , तेरे उसी भाई कि वजह से ही हमें ये दिन देखने पड़ रहे है....
खुशी – दीदी आप एक बात भूल रही हो साहिल भाई का कुछ भी किया धरा नहीं था उसमें और ये बात हम सब जानते है किसका किया धारा था उसमें....
पूनम – हा सही बोल रही है तू और बोले भी क्यों ना कल तक जो हमारे साथ साहिल को खूब गाली देते थे आज उसी के लिए एक बात बर्दाश तक नहीं कर पा रहे हो क्यों...
अवनी – हा तो क्यों करे बर्दाश हम दीदी क्या किया है साहिल भाई ने आखिर , अगर बड़ी मां ने शुरू से सबको साहिल भाई के लिए भड़काया ना होता तो बुआ की चारों बेटियों के साथ आज साहिल भाई हमसे भी बात करते...
सोनम – हा बोलो तुम लोग भी मेरी मां के बारे में सबको अपना दिख रहा है मेरी मां तो दिख कहा रही है सबको अब....
पूनम – जाने दे सोनम जैसी भी है हमारी मां को हम सम्भाल लेगे जरूरत ही है किसी की हमे....
कविता – पूनम दीदी आप ऐसा क्यों बोल रहे हो हमारी भी बड़ी मां है वो कोई गैर नहीं हमें भी अच्छा नहीं लग रहा बड़ी मां के लिए लेकिन इसका मतलब ये नहीं हम बड़ी मां का साथ छोड़ दे और साहिल भी तो भाई है हमारा उसे कैसे छोड़ दे हम सोचो आप दीदी कितने साल उन्होंने बिन परिवार के बिताए है कैसे सहा होगा ये दुख उन्होंने जब मा बाप के होते हुए भी एक बच्चे को 12 साल अकेले रहना पड़े और इन 12 सालों में एक बार भी हममें में किसी ने भी उनके बारे में नहीं सोचा बस याद किया तो सिर्फ गालियों में ये भी नहीं सोचा कि हम उन्हें क्यों गालियां दे रहे है क्या गलती है उनकी और अगर सच में उन्होंने कुछ ऐसा किया होता तो क्या दादी इतने सालों तक क्यों साथ दे रही है साहिल भाई का जबकि पूरा परिवार खिलाफ था उनके...
पूनम – तो तू बता कविता क्या करे हम अपनी मां को ऐसी हालत में देख हमपे क्या बीत रही है....
अवनी – दीदी कल हम सब वापस जा रहे है घर पर देखना सब ठीक होगा जल्द ही आप परेशान मत हो बड़ी मां के लिए हम सब साथ है उनके...
सोनम – और साहिल का , क्या वो बात कर रहा है सबसे...
खुशी – नहीं दीदी लेकिन देखना एक दिन वो भी हमें माफ जरूर कर देंगे और बात भी करेंगे....
कविता – चलो चल के तैयारी करते है कल निकलना भी है घर वापस...
जिसके बाद सब निकल गए कमरे में अपनी पैकिंग करने के लिए रात के वक्त सब एक साथ खाना खा रहे थे तब...
रनवीर – (राजेश से) भईया कल मुझे जल्दी ऑफिस जाना है जरूरी काम है तो मै सुमन और कविता के साथ निकल जाऊंगा जल्द ही सुबह....
राजेश – हम्ममम ठीक है रनवीर वैसे भी हम सब कल दिन में निकलेंगे घर को....
सुमन – (राजेश से) भइया मै भी आप सब के साथ चलूंगी दिन में सुबह जल्दी चल के क्या फायदा होगा....
राजेश – हा ये भी सही है वैसे भी रनवीर को ऑफिस जाना है वो तो रात में आएगा घर सीधा....
रनवीर – (सुमन से) अरे तो क्या हुआ सुबह मै तुम्हे और कविता को घर छोड़ के निकल जाऊंगा ऑफिस तुम घर में आराम कर लेना....
सुमन – रहने दीजिए मै सबके साथ आराम से निकलूंगी घर को...
रनवीर – लेकिन सुमन....
राजेश – रहने दो रनवीर क्या फर्क पड़ता है वैसे भी तुम तो सिक्योरिटी के साथ जाओगे....
सुमन की बात पर रनवीर को जाने क्यों गुस्सा आने लगा लेकिन गुस्से को काबू करके...
रनवीर – ठीक है कुछ सिक्योरिटी वाले आप सबके साथ रहेंगे घर तक...
राजेश – चलो ठीक है वैसे भी हमें जरूरत नहीं लेकिन तुम कह रहे हो इसीलिए कोई बात नहीं...
इसी बीच में कमल बोला....
कमल – (दादी से) वो दादी मै कल साथ में नहीं चल सकता हूँ....
साहिल – (चौक के) क्यों ऐसा क्यों बोल रहा है तू....
दादी – (सब कुछ जान के अंजान बन के) क्यों क्या हुआ कमल....
कमल – वो असल में बात ये है कि आज दिन में मुझे स्कूल से कॉल आया था मेरे सर्टिफिकेट कुछ प्रॉब्लम उसके लिए स्कूल वाले ने बुलाया है मुझे वहां से सर्टिफिकेट सही करवा के मै वापस आ जाऊंगा जल्द ही....
साहिल – ये क्या बात हुई अब तू ये बात पहले नहीं बता सकता था मुझे....
कमल – वो यार शादी के चक्कर में मुझे ध्यान से उतर गया था बताना तुझे तू चिंता मत कर मै 1ने 2 दिन में आजाऊगा वापस....
साहिल – कोइ नहीं मै चलता हूँ तेरे साथ....
कमल – अरे नहीं यार तू परेशान मत हो मै मैनेज कर लूंगा...
साहिल – अबे तो वहां रहेगा कहा पे तू और मैनेज कैसे करेगा...
सुनीता – तुम परेशान मत हो साहिल मेरा घर भी सिटी में है कमल हमारे घर में रह लेगा वैसे भी 3 से 4 दिन बाद मै आ रही हूँ घर पर....
सुनीता की बात सुन साहिल गुस्से में कमल को देखने लगा तब...
कमल – गुस्सा मत हो यार जल्दी ही आ जाऊंगा मैं फिर साथ में एडमिशन लेगे कॉलेज में तब तक तू शहर घूम लेना फिर मुझे भी घूमा देना शहर ठीक है अब गुस्सा मत हो चल खाना खा ले...
इन दोनों की बातों के बीच सुमन , सुनीता , अमृता और दादी मुस्कुरा रहे थे थोड़ी देर में खाना होने के बाद सब कमरे में जाने लगे सोने के लिए तभी दादी ने साहिल को रोका...
दादी – साहिल वो कल हम चल रहे है घर मुझे ये कहना था कि देख एक गाड़ी में रनवीर तो सुबह जल्दी चला जाएगा अब 2 गाड़ी बचेगी तो तू ऐसा करना हम सब पहले निकल जाएंगे घर तू यही रुकना 2 से 3 घंटे में गाड़ी आ जाएगी वापस तो तू उसमें आ जाना सुमन और कविता के साथ 2 गाड़ी में इतने लोग नहीं आ पाएंगे तुझे कोई परेशानी तो नहीं होगी ना....
साहिल – नहीं दादी मुझे कोई परेशानी नहीं होगी...
दादी – (मुस्कुरा के) ठीक है चल जाके आराम कर ले....
दादी की बात मान के साहिल चला गया कमरे में जबकि सुमन दूसरी तरफ चुपके दादी की सारी बात सुन के मुस्कुरा रही थी लेकिन इस तरफ जब साहिल और दादी बात कर रहे थे उस बीच कविता अपने कमरे की गैलरी से होते हुए जल्दी से साहिल के कमरे में गई वहां जाके उसे कमल दिखा तब....
कमल – (कविता को देख) तुम यहां पर...
कविता – (जहां साहिल सोता था उस तरफ जाके एक कार्ड रखती है साथ में एक ब्रेसलेट) ये साहिल भाई के लिए प्लीज कमल कुछ कहना मत तुम....
कमल – ठीक है लेकिन तुम जानती हो ना क्या कर रही हो....
कविता – हम्ममम बस एक कोशिश...
जिसके बाद कविता निकल गई अपने कमरे की तरफ लेकिन कविता जब तक जाती तभी साहिल कमरे में आ गया और उसने कविता को गैलरी से जाते हुए देख लिया तब कमल को देख के....
साहिल – ये यहां क्या करने आई थीं....
कमल – पता नहीं मै तो बाथरूम गया था जैसे बाहर आया तो जाते हुए देख मैने कविता को....
तभी साहिल बेड की तरफ जाके देखता है वहां पर कार्ड और ब्रेसलेट रखा होता है कार्ड को खोल के देखता है जिसमें SORRY लिखा था और देने वाले का नाम साथ में सोने का ब्रेसलेट में जिसमें SORRY लिखा था उसे गुस्से में देख....
साहिल – (गुस्से में कार्ड को फाड़ते हुए) मादरचोद इसकी इतनी हिम्मत...
बोल के साहिल गैलरी से होते कविता के कमरे में जाता है जहां कविता , अवनी , खुशी आपस में बाते कर रही होती है तभी साहिल गुस्से में कमरे मे आके....
साहिल – (कविता की तरफ कार्ड को फेक के) क्या है ये , तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ये देने की , समझती क्या हो अपने आप को तुम किस बात की माफी मांग रही थी तुम....
साहिल के इस तरह से कमरे में आके गुस्से मो बोलने के कारण कविता , अवनी और खुशी साहिल के गुस्से को देख डर से पीछे हट गए थे...
कविता – (डरते हुए) मै बस मैं बस आपसे माफी मांगना चाहती....
साहिल – (गुस्से में) हा यही पूछ रहा हूँ मै किस बात की माफी मांग रही हो तुम बोलो....
अवनी – (डरते हुए बीच में) हमसे बहुत बड़ी गलती हुई भई....
साहिल – (गुस्से में बीच में चिल्ला के) SSSSHHHUUUUTTTTAAPPPP इसके आगे एक शब्द नहीं बोलना समझी तुम....
कविता – लेकिन आपने तो बुआ की बेटी को माफ कर दिया तो हमें....
साहिल – (गुस्से में) उनको अपने आप से कंपेयर मत करो उन्होंने तो कुछ नहीं किया जो तुम लोगो ने किया था मेरे साथ क्यों भूल गई क्या इतनी जल्दी तुम क्या किया था उस दिन अपने उन आवारा दोस्तो के साथ (खुशी और अवनी से) और तुम दोनों भी भूल गई क्या किया था तुम दोनों स्कूल में मेरे साथ अपने दोस्तो के सामने , भूल गई इतनी जल्दी सब कुछ , दात देनी पड़ेगी तुम तीनों की बड़ी हिम्मत है तुममें जो इतना कुछ करने के बाद माफी मांगने आ गए मेरे पास...
ये सारी आवाजें सुन सुमन बाथरूम से निकल के बाहर आती है सामने साहिल को देख के....
सुमन – क्या हुआ साहिल क्यों चिल्ला रहे हो....
तभी...
खुशी – इसमें हमारी गलती नहीं है उस वक्त घर वालो ने हमें जो बताया हम बस वही कर रहे थे हमें नहीं पता था सच के बारे में....
कविता – हमारा विश्वास कीजिए खुशी सच बोल रही है भई....
साहिल – अबे चुप इससे आगे एक शब्द नहीं समझी अच्छा किया तुमने बता दिया आज मुझे की ये सब तुम्हे तुम्हारे घर वालों ने सिखाया है वाह शुक्र है कि दादी ने सही वक्त पर मुझे उस घर से कही और भेज दिया और मैं चूतीया था जो हर वक्त बस ये सोचता था दूसरे बच्चों को उनके मा बाप के साथ खुश देखता था जब दादी मुझे बताती थी कि कैसे तुम सब पूरे परिवार के साथ हर साल नए नए शहर और विदेशों में घूम रहे हो हर बार यही सोचता था कि काश मैं भी साथ होता अपने परिवार के साथ काश जैसा वो सबको प्यार करते है काश मुझे भी करते मै भी साथ घूमता लेकिन नहीं आज मुझे खुशी है इस बात की अच्छा हुआ जो नहीं था तुम लोगो के साथ वर्ना मैं भी तुमलोगो की तरह बन जाता कसम से तुम तीनों भी अपने परिवार के लोगों की तरह गिरे हुए हो और सबसे ज्यादा तो तुम दोनों (कविता और अवनी) हो क्यों (अवनी से) मुझसे माफी मांगे के लिए ही तुम मेरे दोस्त कमल से प्यार का नाटक कर रही हो है ना तुम्हे क्या लगा मुझे समझ नहीं आएगा तुम्हारा ये नाटक और तुम (कविता) तो कलंक हो बहन के नाम पर , मै अच्छे से जानता हूँ तुमको , यही प्लान बनाया है ना फिर से ताकि अपने घर में मेरे साथ वही खेल खेल सको ताकि शर्म से कभी वापस ही ना आऊ तुम्हारे घर में लेकिन याद रखना तुम लोग एक बात मै सिर्फ दादी के लिए आ रहा हूँ उस घर में किसी और के लिए नहीं तो दूर रहना मुझसे इसी में भलाई होगी तुम सब की (सुमन से) अपनी बेटी और भतीजियों को समझा लो मिस सुमन अपना घिनौना खेल खेलना बंद कर दे मेरे साथ और अगर ज्यादा दिक्कत है मुझसे तो बोल देना दादी को मुझे घर में ना लेके आए...
बोल के गुस्से में साहिल निकल गया अपने कमरे को तरफ पीछे से कमल जो गैलरी में खड़ा सारी बाते सुन रहा था वो भी साहिल के पीछे चला गया कमरे में बेड में आते ही गुस्से में साहिल लंबी लंबी सांसे ले रहा था इधर सेमेंथा ये सब देख साहिल के पास जा रही थी कि तभी कमल ने साहिल के कंधे पर हाथ रखा कुछ बोलने जा रहा था तभी साहिल बेड में गिर गया जिसे देख कमल को समझते देर नहीं लगी कि साहिल को अटैक आया है इतना गुस्सा करने की वजह से जिस वजह से कमल को भी काफी गुस्सा आया वो तुरंत सुमन के कमरे की तरफ चला गया जबकि इस तरफ सेमेंथा फिर से साहिल की ये हालत देख उसकी आंख से आंसू निकल आया इधर कमल कमरे में आते ही....
कमल – (गुस्से में कविता से) आखिर क्या जरूरत थी तुम्हे ये सब करने की कविता (सुमन से) मैने कहा था आपको साहिल के बारे में फिर भी आपको भी समझ नहीं आई मेरी बात....
सुमन – आखिर बात क्या हुई कमल...
कमल – कविता की बेवकूफी की वजह से आज फिर से साहिल को अटैक आ गया है लेटा है कमरे में अभी...
सुमन – (चौक के) क्या मै देखती हु उसे...
कमल – (सुमन को रोक के) रहने दीजिए आप , जागते ही कही आप लोगो को सामने देख जाने क्या रिएक्शन होगा उसका बस आप समझा दीजिए इन्हें अच्छे से वर्ना मजबूरन मुझे दादी को मना करना पड़ेगा साहिल को घर ले जाने के लिए....
कविता – (कमल की बात सुन उसके पैर पकड़ के) ऐसा मत करना कमल मै वादा करती हु आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा मै ध्यान रखूंगी प्लीज तुम ऐसा मत करना कमल....
कमल – मेरे पैर पकड़ने से कुछ नहीं होगा कविता गलती तुमने की ऐसी है जिसे भूलना चाहे तो भूल नहीं सकता है कोई...
बोल के कमल चला गया कमरे में साहिल के पास जबकि कमल के जाते ही...
सुमन – (कविता , खुशी और अवनी से) हुआ क्या है यहाँ अभी और क्या किया तुम लोगो ने ऐसा जिस वजह से साहिल को गुस्से में फिर अटैक आ गया....
अवनी कुछ बोलने को हुई थी कि तभी सुमन बिना ध्यान दिए चली गई गैलरी से होते हुए साहिल के कमरे की तरफ जहां बेड में लेटा साहिल था और उसके बगल में कमल था जो साहिल का पैर पकड़ के बेड में रख रहा था तभी सुमन कमरे में आई आते ही उसने साहिल के जूते मौजे उतारे बगल में आके साहिल के पास बैठ गई तब....
कमल – (सुमन से) प्लीज आप चले जाओ यहां से कही होश में आते ही साहिल...
सुमन – (बीच में रोते हुए) नहीं कमल अब मै नहीं छोड़ सकती साहिल को किसी कीमत पर जो गलती एक बार हुईं उसे दोहराना नहीं चाहती हूँ , मै वादा करती हु मै कुछ नहीं होने दूंगी साहिल को...
जिसके बाद कमल कुछ बोल नहीं पाया 10 मिनिट बाद जैसे ही साहिल जागा तभी साहिल वही बोलने लगा अपने दादा के बारे में लेकिन इससे पहले साहिल कुछ समझ पाता तभी सुमन ने साहिल को गले से लगा लिया जबकि साहिल डर और घबराहट से अपने दादा के बारे में बोले जा रहा था लेकिन कुछ ही देर में साहिल भी गले लगा रहा सुमन के , इस बात से अंजान इस वक्त किसके गले लगा हुआ है जिसके बाद धीरे धीरे साहिल को नींद आ गई और साहिल गहरी नींद में सो गया तभी कमल ने साहिल को देख समझ गया कि उसे नींद आ गई है तब कमल ने साहिल को सुमन से अलग कर उसे बेड में अच्छे से लेटाता है तभी सुमन बगल में बैठ के साहिल के सिर को अपनी गोद में रख लेती है लेकिन साहिल का एक हाथ बेड में लटक रहा होता है उसे अपने हाथ से पकड़ जैसे ही बेड में रखने को हुई थी सुमन तभी साहिल ने नींद में ही सुमन का हाथ पकड़ लिया ये बात कमल से छुपी नहीं तब कमल एक हल्की सी मुस्कान के साथ बस...
कमल – (सुमन से) आप यही रुक जाओ बाद में चली जाना आप...
कमल की बात सुन सुमन हा में सिर हिला देती है और अपनी गोद में सो रहे साहिल को मुस्कुरा के देख उसके सिर पर हाथ फेरती रहती है जिसे कमल मुस्कुरा के देख रहा था लेकिन इस बीच सेमेंथा ये सब देख रही थी तभी उसने भी उसी वक्त साहिल के सिर पर हाथ रखा जब सुमन का हाथ वही था के तभी दोनों का हाथ एक जगह आने से ना जाने कैसा झटका लगा सेमेंथा और सुमन को एक साथ जबकि सेमेंथा ने ये देख लिया लेकिन उसे समझ नहीं आया ये सब जबकि सुमन को झटका लगने के बाद वो इधर उधर देखने लगी जैसे उसे लगा हो कि कमरे में और भी कोई है , इस बात से बेखबर गैलरी के बाहर खड़े ये नजारा अवनी , खुशी और कविता देख रही थी तभी कमल की नजर उनपे जाती है तो कमल उनके पास आके...
कमल – आराम करो आप सब साहिल ठीक है अभी , इस वक्त गहरी नींद में सो रहा है वो...
जिसके बाद तीनों चली जाती है कमरे में सोने....
.
.
.
जारी रहेगा![]()
Bahot badhiya shaandar updateUPDATE 18
एक मंदिर जहा शिव जी की एक बड़ी सी सुंदर प्रतिमा थी उसी के नीचे 15 से 20 सीढ़ियां बनी थी जो सीधे शिव जी की प्रतिमा पर खत्म होती है उसी प्रतिमा के नीचे खड़ी सुमन और कविता हाथ जोड़ के उनका आशीर्वाद ले रही थी जबकि साहिल सीडीओ के नीचे खड़ा था वो दोनों के पास आके...
साहिल – (सुमन और कविता से) चले देर हो रही है मौसम बिगड़ रहा है बरसात होने को है...
सुमन – हा चलते है...
बोल के सुमन देखती है कि साहिल के पीछे एक आदमी आता है और अचानक से साहिल की पीठ पे चाकू घोप देता है जिस देख सुमन जोर से चिल्लाती है....
सुमन – (चिल्ला के) साहिल...
अचानक से नींद से जाग के चिल्लाने से बगल में सो रही कविता और निधि जाग जाते है दोनों देखते है सुमन नींद से डर और घबराहट से जागी हुई लंबी लंबी सास ले रही है तभी...
निधि – क्या हुआ भाभी क्या बात है आप डरी डरी सी क्यों हो...
कविता – क्या हुआ मा आप चिल्लाई क्यों...
सुमन – (अपने चारों तरफ देख जहा वो कमरे में है तब) मैने एक बहुत बुरा सपना देखा , मैने देखा किसी ने साहिल को पीठ पे चाकू मारा...
निधि – भाभी शायद आपने बुरा सपना देखा होगा साहिल तो अपने कमरे में सो रहा होगा....
सुमन बिना बात सुने तुरंत गैलरी से होते हुए साहिल के कमरे की तरफ जाती है उसके पीछे निधि और कविता भी जहा सुमन देखती है साहिल और कमल कमरे में सो रहे है तब...
कविता – मा देखो भईया सो रहे है आप घबराओ मत आपने बुरा सपना देखा होगा और कुछ नहीं...
सुमन – ऐसा लगा जैसे सपना ना हो सच हो वो सब...
निधि – कोई बात नहीं भाभी सपने देखते वक्त ऐसा लगता है अक्सर आप चलो आराम करो देखो कितने आराम से सो रहे है साहिल और कमल हमारी आवाज सुन कही उनकी नींद ना टूट जाए...
जिसके बाद तीनों चले जाते है कमरे में आराम करने कुछ देर बाद सुमन को नींद आ जाती है खेर आज का दिन है शादी का निधि की साथ ही धीरेन्द्र की हवेली में आखिरी दिन सभी मेहमानों का अगले दिन सभी वापस जाने वाले थे लेकिन फिलहाल हम आज की बात करते है आज की सुबह लगभग सभी जल्दी उठ गए क्योंकि शादी आज दिन की थी उठते ही सभी तैयारी में लग गए कल की तरह आज भी हवेली को सभी औरते बन ठन के तैयार होके हवेली के बाहर मंडप में आ गई जहां पर आज निधि शादी के लाल जोड़े में दुल्हन के रूप में मंडप में बैठी अपने होने वाले दूल्हे के साथ जहां बगल में निधि के ससुराल वाले साथ में निधि के पिता जी और साथ में भाई राघव और रागिनी बैठे थे जिसे धीरेन्द्र ने ही कहा था तभी रागिनी आई थी जबकि एक तरफ पंडित जी बैठ के मंत्र पढ़ रहे थे जबकि दूसरी तरफ आज साहिल सिर्फ कमल के साथ नहीं था क्योंकि आज उसके साथ शिवानी , रचना , सुरभि , पायल और शबनम साथ में बैठी एक दूसरे से हस के बाते कर रही थी सब जिसे दादी मुस्कुराते देख रही थी साथ में बाकी के परिवार वाले भी उन्हें देख के खुश थे इस बात से की आज साहिल सभी लड़कियों से बाते कर रहा है साथ में सुमन सुबह के सपने वाली बात को भूल कर साहिल इतना खुश देख उसे सबसे ज्यादा खुशी हो रही थी आज सुमन को लग रहा था कि जल्द ही ऐसा वक्त आयेगा जब साहिल इस तरह उसके साथ बाते करेगा हस के जबकि कविता , अवनी और खुशी ये देख थोड़ी हैरान थी कि आज साहिल उनकी बुआ की चारों बेटियों के साथ बैठ बाते कर रहा है हस के लेकिन उन्हें सुमन की तरह ये उम्मीद हो गई थी आगे के लिए जबकि दूसरी तरफ इन सब के बीच पूनम और सोनम अपनी मां रीना के साथ अकेले बैठी थी ऐसा नहीं था कि सोनम और पूनम से कोई बात नहीं कर रहा था लेकिन उस हादसे के बाद उनकी मां किसी से बात नहीं कर रही थी जिस वजह से अपनी मां को अकेला छोड़ना उन्हें अच्छा नहीं लगा सो अपनी मां के साथ बैठी थी अकेले जबकि इस तरफ सेमेंथा मुस्कुराते हुए साहिल के पास खड़ी देख रही थी साहिल को किस तरफ उसकी सभी बहनों ने उसे घेर के रखा है उसे कही जाने तक नहीं दे रही थी बेचारा साहिल को एक पल का मौका नहीं मिल पा रहा था सेमेंथा से बात करने का जिस वजह से सेमेंथा मुस्कुराते हुए साहिल को आज बहुत खुश देख रही थी वो चाहती तो साहिल सबसे अलग हो सकता था लेकिन सेमेंथा को साहिल को इस तरह से खुश देखे उसके मन को खुशी हो रही थी इन सब से अलग एक परिवार और भी था जिसकी 2 औरते धीरेन्द्र के परिवार के साथ मंडप के बगल में बैठी थी वो था लाला का परिवार की राधिका और उसकी बेटी सिमी जो सबसे बाते में लगी थी...
जबकि लाला उसका बेटा विजय एक तरफ अपने मुनीम के साथ खड़े थे शादी होते देखते हुए तभी उनके पीछे से कोई उनसे बात करता है....
आदमी – कैसे हो लाला...
लाला और विजय पीछे मूड के अपने सामने रनवीर को देख के...
लाला – अच्छा हूँ रनवीर तुम बताओ....
रनवीर – देख रहा हूँ कल से तुम दोनों बाप बेटे कल भी अलग खड़े थे सबसे और आज भी....
विजय – हम बस धीरेन्द्र दादा के खातिर उनकी बेटी की शादी में शरीक होने आए है रनवीर , आशीर्वाद देके चले जाएंगे...
रनवीर – (मुस्कुराते हुए) हम्ममम वो तो मै कल से देख रहा हूँ तुम दोनों की नजरों को की क्या करने आए हो यहां पर...
लाला – देखो रनवीर हम सिर्फ शादी में आय है बस इसके इलावा कुछ नहीं वैसे मै मिला था तुम्हारे बेटे से बिल्कुल तुमपे गया है वही अंदाज वही घमंड उसमें भी है जो तुममें है...
रनवीर – मै यहां किसी और की नहीं बल्कि तुम्हारी नजरों की बात करने आया हु लाला जरा सम्भल के लाला कही उस रात की तरह आगे कुछ ना हो....
विजय – रनवीर अगर हमारे यहां आने से तुम्हे दिक्कत हो रही है तो हम चले जाते है लेकिन मै फिर भी यही कहूंगा हम सिर्फ शादी में निधि को आशीर्वाद देने आए है बस....
रनवीर – अच्छा है अगर ऐसा हो क्योंकि तुम दोनों बाप बेटो की नजर मैने कल देख ली थी कैसे मेरे परिवार की लड़की और औरतों को देख रहे थे सोचा याद दिल दूं तुम दोनों को के इस बार तुम दोनों वो गलती मत करना जो (विजय से) तेरे बड़े भाई ने की थी (लाला से) और तेरे बड़े भाई और उसके दोनों बेटो ने की थी कही ऐसा न हो तेरा वंश ही ना बचे...
बोल के जाने लगा रनवीर तभी वापस आके...
रनवीर – (लाला से) अपने पोते को भी सम्भाल लेना लाला तेरी तरह उसकी नजरे भी कुछ ज्यादा ही तेज चल रही थी कल समझे चलता हूँ और हा आशीर्वाद देके जरूर जाना वर्ना धीरेन्द्र मामा को अच्छा नहीं लगेगा...
बोल के रनवीर निकल जाता है वहां से उसके जाते ही...
लाला – (विजय से) आनंद को जाके समझा दो विजय ऐसी वैसी कोई हरकत न करे मै नहीं चाहता कि रनवीर की नजर में आ जाए आनंद...
विजय – आनंद को मै समझा दूंगा पिता जी लेकिन रनवीर आज इतना क्यों उछल रहा है...
लाला – पहले रनवीर अकेला था आज उसका बेटा जो है साथ में इसीलिए हमे अपना घमंड दिखाने आया था , खेर तुम जाके पहले आनंद से बात कर लो बाकी रनवीर को बाद में देखेंगे पहले उसके सपोले फिर उसकी मां बेटी की कल खेर नहीं कल अपने भाई उसके बेटे और अपने बेटे का बदला लूंगा तब रनवीर को पता चलेगा हमसे टकराने का अंजाम क्या होता है...
इधर विजय अपने बेटे आनंद के पास जाता है जो अपने दोस्तों के साथ बात कर रहा था वहां आते ही...
विजय – (देखता है उसका बेटा आनंद रनवीर की परिवार की लड़कियों को देख अपने दोस्तो से बाते कर रहा था तब) आनंद तुझे समझाया था ना फिर भी तू अपने दोस्तो के साथ ये सब कर रहा है...
आनंद – (अचानक अपने बाप को सामने देख) नहीं पिता जी मै तो बस अपने दोस्तो से बाते कर रहा था...
विजय – अच्छे से जनता हूँ तू क्या बाते कर रहा है अपने दोस्तो से और किसके लिए , मै तुझे समझा दे रहा हूँ आनंद अगर गलती से भी तूने या तेरे दोस्तों में किसी ने भी कुछ भी ऐसी वैसी हरकत की तो याद रखना तेरे दादा और मै तुझे छोड़ेंगे नहीं समझा...
इन बातों के बीच राधिका आ जाती है आनंद के पास तब...
आनंद – मुझे समझ नहीं आता आप इतना घबरा क्यों रहे है भला हमें किसी से क्या डर कौन हमारा क्या बिगाड़ लेगा यहां अगर कुछ कर भी दिया तो...
विजय – (अपनी बीवी राधिका को पास में देख ज्यादा कुछ न बोलते हुए) जितना कहा वो समझ जा बस बाकी तुझे बता दिया मैने...
बोल के विजय चला जाता है जबकि...
राधिका – (अपने बेटे आनंद को उसके दोस्तों से अलग ले जाके) क्या बोल रहे थे वो तुझे...
आनंद – कुछ नहीं मा तुम परेशान मत हो तुम जाओ बाकी औरते के साथ बाते करो....
राधिका – और कर भी क्या सकती हूँ मै घर में जैसे तेरे दादा है वैसे पिता भी बस एक तू था जो कम से कम बात तो करता था पूछता था अपनी मां को लेकिन अब तू भी अपने बाप की तरह बन गया है जिसे अपना घर छोड़ के बाकी सबके लिए फुर्सत है...
आनंद – मा देखो तुम फिर से शुरू मत हो जाओ...
राधिका – तो क्या करू सिर्फ तेरे और सिमी के खातिर रुकी हूँ मै हवेली में वर्ना कब का छोड़ के चली जाती मै...
आनंद – तुम्हारी परेशानी क्या है मां जो हर बार तुम इस तरह से बाते करती हो ऊपर से पिता जी वो अलग सुना के चले गए बाते...
राधिका – तेरे पिता ने क्या कहा मुझे नहीं पता मुझे सिर्फ तेरी ही चिंता है बेटा जाने कहा खो गया मेरा वो बेटा जो हर वक्त अपनी मां का हाथ थामे रहता था मैने खाना खाया या नहीं खाया उसकी चिंता उसे लगी रहती थी जब तक मै नहीं खाती खाना तब मेरा बेटा छूता तक नहीं था खाने को और आज मा भूखी सो जाएं लेकिन बेटा पूछता तक नहीं अपनी मां को एक बार भी...
आनंद – दूर भी तुमने किया था मुझे मा मै नहीं हुआ था...
राधिका – दूर किया था इसीलिए ताकि अपने पैरों पर खड़ा हो सके सम्भल सके अपने आप को ताकि कल को मुझे कुछ हो गया कम से कम तू सम्भाल लेगा अपनी बहन को लेकिन अब लगता है कल को मुझे कुछ होगया जाने तेरी बहन का क्या होगा कब कौन उसे अपना शिकार बना ले....
आनंद – अब तुम ज्यादा सोच रही हो मां ऐसी बेकार की बाते मत कर तू....
राधिका – तो तू वापस आजा छोड़ दे ये सब , कुछ नहीं चाहिए मुझे तू मै सिमी हम कही और चले जाएंगे दूर यहां से एक कमरे में रहेगी लेकिन खुश रहूंगी मै तुम दोनों के साथ....
आनंद – आखिर बात क्या है क्यों ऐसी बाते करती हो बार बार परेशानी क्या है पिता जी और दादा जी से आपको...
राधिका कुछ बोलने को हुई तभी आनंद को उसके दोस्तों ने आवाज लगाई तब...
आनंद – (अपने दोस्तो को) आता हूँ (राधिका से) मै सब कुछ छोड़ दूंगा जहां कहेगी वहां चलूंगा लेकिन जब तक तुम बताती नहीं वो बात तब तक बिल्कुल भी नहीं....
बोल के आनंद चला जाता है अपने दोस्तो के पास और राधिका चली जाती है धीरेन्द्र के परिवार के पास बैठ जाती है मंडप के पास अपनी बेटी के साथ तब...
सिमी – क्या हुआ मां तुम्हारा चेहरा क्यों उतरा हुआ है फिर से आनंद से कोई बात हुई क्या....
राधिका – मैने सोच लिया है सिमी आज मै आनंद को सब बता दूंगी...
सिमी – और उसके बाद आपको लगता है आनंद चुप बैठेगा....
राधिका – अगर वो समझ गया बात तो शायद हम तीनों दूर चले जाएंगे यहां से बस बहुत हो गया अब मै और नहीं झेल सकती इन बाप बेटो के कमीने पन को....
सिमी – तो आप धीरेन्द्र दादा को बता दो सारी बात वो मदद करेंगे हमारी....
राधिका – हम्ममम शादी के बाद मै बात करूंगी धीरेंद्र जी से...
खेर निधि की शादी हो जाती है अब आता है विदाई का वक्त विदाई के वक्त धीरेन्द्र का पूरा परिवार एक साथ निधि को विदाई कर रहा था तब निधि सबसे मिल रही थी आंख में आंसू लिए एक एक करके सबसे गले लग रही थी फिर राघव की बेटी से गले लग के और जोर से रोने लगी थी जिसे सभी समझ रहे थे कि निधि घर से विदा होंने की वजह से रो रही है लेकिन असल में राघव की बेटी से गले लगते वक्त उसे दुख हो रहा था इस बात का की उसके जाने के बाद जाने घर में क्या होगा कैसे रह पाएगी उसकी छोटी सी भतीजी फिर बच्ची से अलग होके निधि की नजरे किसी को ढूंढने लगी जो सबसे पीछे खड़ा होके निधि को देख रहा था वो था साहिल जो निधि को घर से विदा होते देख न उसके चेहरे पर अजीब सी उदासी थी साहिल को देख निधि सबके बीच से होते हुए साहिल के पास जाके उसके गले लग के रोने लगी साहिल के गले लगते ही जाने क्यों लेकिन साहिल के आंख में अपने आप आसू आ गए तब...
निधि – (रोते हुए) मैने तुझसे कुछ नहीं मांगा साहिल आज तक , प्लीज आज मेरे ऊपर एक एहसान कर दे...
साहिल – आप जो बोलो वो करूंगा आपके लिए बस एहसान का नाम दो इसे...
निधि – साहिल प्लीज राघव भइया के लिए कुछ कर दे वर्ना मेरी प्रिंसेस का क्या होगा मुझे डर लग रहा है उसके लिए मै नहीं चाहती कि तेरे जैसा उसके साथ कुछ हो साहिल प्लीज मेरे लिए इतना कर दे....
साहिल – बुआ आप रो मत कुछ नहीं होगा ऐसा , सब ठीक होगा मै हूँ ना अब बेफिक्र रहो बुआ...
निधि – मुझे बस तुझपे भरोसा है साहिल सम्भाल ले तू सब तेरे हाथ में है...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हा बुआ...
जिसके बाद साहिल खुद निधि को अपने साथ ले जाके कार में बैठता है सबके साथ हर किसी की आंख में आंसू थे निधि की विदाई के लिए धीरे धीरे कार आगे जाने लगती है हर कोई हाथ हिला के (Bye) करते है देखते देखते कार और आगे चली जाती है धीरे धीरे कार सबकी आंखों से ओझल हो जाती है तब हर कोई हवेली के अन्दर जाने लगते है साथ में लाला , विजय , राधिका , आनंद और सिमी भी सबसे विदा लेके जाने लगते है तभी....
राधिका – (धीरेन्द्र से चुपके से) बाबू जी मुझे आपकी मदद चाहिए....
धीरेन्द्र – हा राधिका बोलो क्या बात है....
फिर राधिका कुछ बोलती है जिसे सुन के....
धीरेन्द्र – ठीक है तुम बेफिक्र रहो राधिका जब तुम्हारी तैयारी हो जाय मुझे इकतलाह कर देना बाकी मै सम्भाल लूंगा....
जिसके बाद राधिका अपने परिवार के पास चली गई गाड़ी में बैठ के रस्ते में....
लाला – (अपने बेटे विजय से) कल की तैयारी कर देना विजय ऐसे सुनहरे मौके हाथ से जाना नहीं चाहिए...
विजय – (मुस्कुरा के) हा पिता जी सारी तैयारी मैने पहले से कर दी है बस कल का इंतजार है....
राधिका – (बात को न समझ के) किस बात की तैयारी करने की बात हो रही है...
विजय – तुम इस चक्कर में मत पड़ो राधिका मर्दों का काम मर्दों को शोभा देता है तुम सिर्फ चूल्हा पर ध्यान दो....
राधिका – इतने सालों से यही तो कर रही हूँ मै चूल्हा देखना और आपकी बाते सुनना...
विजय – (गुस्से में) ज्यादा जुबान मत चला समझी हद में रह के बात कर ज्यादा चू चे की तो घर के जगह कोठे में बैठा दूंगा तुझे...
विजय की बात सुन उसके बेटे आनंद को गुस्सा आ गया....
आनंद – (गुस्से में चिल्ला के) बस बहुत हो गया पिता जी अब एक शब्द नहीं मा है वो मेरी आपकी हिम्मत कैसे हुईं मेरी मां से इस तरह से बोलने की...
विजय – अरे बेटा तू क्यों इतना नाराज हो रहा है मैने तुझे क्या समझाया था कि औरतों को ज्यादा सिर पे चढ़ाना नहीं चाहिए अगर इनको अपनी उंगली पकड़ाओगे तो ये गर्दन पकड़ लेगी इसीलिए ऐसा बोला मैने...
आनंद – आपको क्या लगता है क्या नहीं वो आप समझो मेरी मां से इस तरीके से कोई बात करे मुझे पसंद नहीं है बस...
बोल के आनंद अपनी मां राधिका के हाथ पकड़ लेता है जिसे देख राधिका को दिल ही दिल में बहुत खुशी होती है साथ उसकी बड़ी बहन को भी भले आनंद जैसा था लेकिन अपनी मां और बहन से शुरू से बहुत प्यार करता था वजह ये थी कुछ साल पहले आनंद भोला भाला था और हर वक्त अपनी मां के पल्लू में बंधा रहता था , अपनी बड़ी बहन के साथ हंसता खेलता बाते करता था लेकिन बचपन से ही ज्यादा भोलापन को देख राधिका को लगा कि वो आनंद के साथ उसका हर वक्त रहने से आनंद अकेला कोई काम खुद नहीं करता है इसीलिए राधिका ने आनंद को थोड़ी ढिलाई दे दी ज्यादा तर काम के लिए आनंद को घर के बाहर अकेले भेजती थी ताकि आनंद का दिमाग खुले उसे घर के बाहर की दुनिया समझ में आए और राधिका की इस बात का फायदा विजय ने उठाया वो धीरे धीरे आनंद को अलग अलग तरीके के नए नए शौक देता रहा कुछ समय की दिक्कत के बाद आनंद भी अपने बाप विजय के रंग में रंगने लगा था लेकिन चाहे जैसा भी था अपनी मां और बहन से प्यार उतना ही करता था बस पहले की तरह दिखाता नहीं था लेकिन आज धीरेन्द्र की हवेली पर निधि के शादी के बीच जो हुआ उसके बाद आनंद का पहले से अपनी मां की बात को लेके उसी सोच में था जो उसे समझ नहीं आ रहा था लेकिन अभी जो हुआ उसके बाद आनंद का गुस्सा बढ़ गया जिस वजह से आनंद ने आज काफी समय के बाद मा के पक्ष में जो बोला उससे राधिका दिल फूला नहीं समा रहा था कुछ समय में लाला अपने परिवार के साथ घर आ गया घर में आते ही....
विजय – (अपने बेटे आनंद से) आनंद तुम कल कही मत जाना घर में रहना (मुस्कुरा के) तेरे लिए एक तोहफा लाने वाला हूँ कल....
आनंद – कौन सा तोहफा मै कुछ समझा नहीं....
विजय – वही जिसके लिए तू कल से बेचैन है समझा चल जा जो बोला वो करना...
अपने पिता की बात को ना समझ आनंद जाने लगा कमरे में तभी....
विजय – (राधिका से) सुन रस्ते में तो कुछ नहीं बोला मैने लेकिन आज के बाद अगर तूने जुबान लड़ाई मुझसे तो जो बोला है वही करूंगा मै....
राधिका अपने पति को बात सुन डरते हुए कमरे में चली गई अपनी बेटी सिमी के साथ...
जबकि इस तरफ धीरेन्द्र की हवेली में....
राघव – (धीरेन्द्र से) पिता जी मै चलता हूँ खेत में कुछ काम है मुझे...
धीरेन्द्र – वो सब ठीक है बेटा खाना खा के चले जाना तुम....
खाने की बात सुन रागिनी तुरंत रसोई में जाने लगती है राघव के लिए खाना लेने को तभी....
राघव – नहीं पिता जी मै खेत में सबके साथ खान खा लूंगा....
बोल के राघव जाने लगता है जबकि परिवार ज्यादा तर लोग कमरे जा चुके थे फ्रेश होने के लिए इस वक्त हवेली के हाल में दादी , धीरेन्द्र , साहिल , सुमन , राघव और रागिनी होते है जबकि राघव की ये बात सुन रागिनी के आंख में आंसू आ जाते है और राघव जैसे ही हवेली के बाहर जाता है तब पीछे से साहिल आके राघव का हाथ पकड़ रोक के....
साहिल – आखिर कब तक आप अपने आप को सजा देते रहोगे चाचा मानता हूँ रागिनी चाची ने जो किया गलत था लेकिन आपने ये भी सोचा चाचा कितने साल हो गए आपकी शादी को चाची से क्या इतने सालों में कभी आपको लगा कि चाची ने ऐसा कुछ किया हो आपके पीठ पीछे , नहीं ना तो फिर क्यों चाची के साथ खुद को सजा देना....
राघव – साहिल उसने जो तेरे साथ किया उसके लिए कैसे माफ कर दूं मै उसे....
साहिल – उन्होंने जो किया मेरे साथ किया उसके बाद भी मै यहां रुका हूँ ना चाचा तो बस अब आप सब भूल जाओ ये समझो ऐसा कुछ हुआ ही नहीं बस मेरे खातिर आपने बात करना छोड़ा चाची से तो आज मेरे खातिर उन्हें माफ कर दो आप...
राघव – लेकिन साहिल...
साहिल – (बीच में राघव की बात रोक के) अगर आप सच में मुझे अपना मानते हो तो प्लीज भूल जाओ सब आप....
राघव – ठीक है साहिल सिर्फ तेरे खातिर मै ये कर रहा हूँ....
साहिल – (मुस्कुरा के) तो अब खेत जाने का बहाना छोड़ो चाचा जाओ चाची के पास बात करो उनसे तरस रही है चाची आपसे बात करने के लिए....
साहिल की बात सुन राघव मुस्कुरा के रागिनी के पास जाने लगा जबकि जब राघव हवेली के बाहर जा रहा था तो उसके पीछे साहिल जाने लगा तभी सुमन भी पीछे आने लगी तब सुमन ने दोनों की सारी बाते सुन ली हवेली के दरवाजे के पीछे से जिसे सुन सुमन आंख में आंसू के साथ चेहरे पे मुस्कुराहट आ गई तब राघव के अंदर आते ही वो रसोई में जाने लगा तब साहिल भी हवेली के अन्दर आया तभी...
सुमन – (साहिल का हाथ पकड़ हल्का मुस्कुरा के) थैंक यूं...
साहिल – (अपना हाथ छुड़ा के) मैने जो किया सिर्फ उस छोटी बच्ची के लिए कही उसका बचपन भी मेरी तरह ना हो जाय बिन मा बाप के...
सुमन – (मुस्कुरा के) लेकिन अच्छा किया....
सुमन को मुस्कुराते हुए जवाब देते देख साहिल ने एक पल सुमन को देखा...
साहिल – (हल्का मुस्कुरा के) हम्ममम काश यही सोच आपकी भी होती....
बोल के साहिल निकल गया जबकि साहिल के इस जवाब से सुमन की मुस्कुराहट रुक सी गई तभी दादी सुमन के पास आके....
दादी – मैने कहा था ना उसकी नफरत का सामना करना आसान नहीं है...
सुमन – हा मा याद है मुझे और मैने भी आपसे कहा था सब कुछ हस्ते हुए सहन करूगी मै...
बोल के सुमन चली गई तभी...
रनवीर – (सुमन को बुलाते हुए) अरे सुमन सुनो तुमसे एक बात करनी है....
सुमन – (बिना रनवीर को देखे) हा बोलो...
रनवीर – (सुमन के इस अंदाज में बोलने से अजीब लगा जिसके बाद) यहां नहीं कमरे में आओ....
सुमन – अभी मेरे पास टाइम नहीं है जो बोलना है यही बोल दो...
रनवीर – क्या बात है सुमन आज तुम इस तरह से बात क्यों कर रही हो....
सुमन – कोई काम है तो वो बताओ बस....
रनवीर – अकेले में बात करनी है तुमसे....
सुमन – ठीक है फुर्सत मिलते ही बात करूंगी....
रनवीर – फुर्सत लेकिन अभी तुम खाली तो हो अब क्या काम बचा है....
सुमन – अभी मै थक गई हु आराम करके बाद में बात करती हु...
बोल के सुमन चली गई सीढ़ियों से कमरे की तरफ पीछे रनवीर अपनी ही सोच में रह गया उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सुमन उससे इस तरह से क्यों बात कर रही है जबकि इधर दादी सब कुछ देख के मुस्कुराने लगी अब इस तरफ देख लेते है जहां राघव रसोई में गए थे अपनी बीवी रागिनी के पास जहां रागिनी रसोई में काम करने में लगी हुई थी उसे पता तक नहीं था की उसके पीछे राघव खड़ा है तभी...
राघव – (रागिनी की कमर में हाथ रख उसे अपनी तरफ खींच के) बहुत बिजी हो तुम तो...
अचानक हुए इस हमले से रागिनी डर गई लेकिन जब राघव की आवाज सुनी उसने तब...
रागिनी – आप यहां....
राघव – क्यों मै यहां नहीं आ सकता हूँ क्या...
रागिनी – मैने ऐसा कब कहा....
राघव – (रागिनी को अपनी तरफ घुमा उसका माथा चूम के) जल्दी से खाना लगा दो बहुत भूख लगी है यार...
रागिनी – (हैरानी से राघव को देखते हुए अपने आप मू से) जी अभी लगाती हूँ....
राघव – हम्ममम जब खाली हो जाओ बता देना तुम्हारा सारा सामान अपने कमरे में रखने में मदद कर दूंगा....
रागिनी – (हैरानी से राघव को देख) जी मेरा सामान....
राघव – (मुस्कुरा के) हा तुम्हारा सामान और हा कल सब चले जाएंगे उसके बाद हम कही घूमने चलेंगे साथ में , चलोगी ना....
रागिनी –(आंख में आंसू लिए राघव के गले लग के) हम्ममम मुझे माफ कर दीजिए मै....
राघव – (रागिनी के मू पे उंगली रख) बस अब कुछ नहीं भूल जाओ जो हुआ एक बुरा सपना समझ के उसे ठीक है अब रोना मत चलो खाना लगाओ जल्दी से फिर तुम बताना कहा घूमने चलना है...
राघव की बात सुन रागिनी मुस्कुरा के हा में सिर हिल दिया जिसके बाद राघव बाहर चला गया जहा सबके साथ बैठ के खाना खाने लगे थोड़ी देर बाद सब अपने कमरे में चले गए आराम करने शादी से हर कोई खाली हो गया था ऊपर से थकावट जिस वजह से सब कमरे में आराम करने लगे शाम के वक्त हर कोई हॉल में बैठा एक दूसरे से बाते कर रहे थे तब....
रनवीर – (सुमन से) सुमन तुमसे एक जरूरी बात करनी है....
सुमन – बोलो....
रनवीर – मेरे साथ चलो....
सुमन – आपको जो बोलना है यही बोलो....
रनवीर – मुझे तुमसे अकेले में जरूरी बात करनी है सुमन....
सुमन – मुझे कहीं नहीं जाना जो बोलना है यही बोल दो....
रनवीर – (सुमन का हाथ जबरदस्ती पकड़ के) चलो मेरे साथ अभी....
सुमन – (अपना हाथ छुड़ा के) ये क्या तरीका है बात करने का मैने कहा ना जो बोलना है यही बोलो बस मै कही नहीं जाने वाली...
तब बीच में....
राजेश – (रनवीर से) क्या बात है रनवीर बात क्या है आखिर....
रनवीर – मुझे सुमन से जरूरी बात करनी है भईया इसीलिए बोल रहा हूँ अकेले बात करने को...
राजेश – देखो रनवीर तुम जानते हो ना आज शादी निपटी है और सब एक साथ बैठ के बाते कर रहे है तुम्हे जो भी बात करनी हो कल कर लेना तुम वैसे भी कल हम सब वापस चल रहे है अपने घर...
रनवीर – ठीक है भइया (सुमन से) कल वापसी में मेरे साथ चलना तुम हम रस्ते में बात करेंगे...
सुमन – कल की कल देखेंगे...
जबकि इस तरफ एक कमरे में सभी लड़किया बैठी थी एक साथ बाते कर रही थी तब....
खुशी – (सोनम और पूनम से) क्या बात है यार तुम दोनों इस तरह चुप क्यों बैठो हो पार्टी में भी किसी से बात नहीं कर रही थी और शादी में भी....
सोनम – तो तू बता क्या करे हम तुम सब खुद भी कौन सा बात करने आए हमसे बस उस कल के लड़के के आगे पीछे दुम हिलाते घूम रही हो जिसे कल से पहले सब कोई गालियां देते थे और आज....
अवनी – आपकी प्रॉब्लम क्या है दीदी किस लिए साहिल भाई के बारे में आप ऐसा बोल रहे हो....
पूनम – वाह अवनी बहुत बड़ी बाते करने लगी है तू भूल गई तुम और खुशी सबसे ज्यादा गाली देते थे साहिल को और अब ऐसे बोल रही हो जैसे सारी गलती हमारी है तुम सबने कुछ किया ही ना हो....
कविता – दीदी हम सब गलत फेमी का शिकार थे तब लेकिन अब नहीं....
सोनम – हा सही बोल रही है तू कविता और बोले भी क्यों नहीं आखिर तेरा सगा भाई जो है , तेरे उसी भाई कि वजह से ही हमें ये दिन देखने पड़ रहे है....
खुशी – दीदी आप एक बात भूल रही हो साहिल भाई का कुछ भी किया धरा नहीं था उसमें और ये बात हम सब जानते है किसका किया धारा था उसमें....
पूनम – हा सही बोल रही है तू और बोले भी क्यों ना कल तक जो हमारे साथ साहिल को खूब गाली देते थे आज उसी के लिए एक बात बर्दाश तक नहीं कर पा रहे हो क्यों...
अवनी – हा तो क्यों करे बर्दाश हम दीदी क्या किया है साहिल भाई ने आखिर , अगर बड़ी मां ने शुरू से सबको साहिल भाई के लिए भड़काया ना होता तो बुआ की चारों बेटियों के साथ आज साहिल भाई हमसे भी बात करते...
सोनम – हा बोलो तुम लोग भी मेरी मां के बारे में सबको अपना दिख रहा है मेरी मां तो दिख कहा रही है सबको अब....
पूनम – जाने दे सोनम जैसी भी है हमारी मां को हम सम्भाल लेगे जरूरत ही है किसी की हमे....
कविता – पूनम दीदी आप ऐसा क्यों बोल रहे हो हमारी भी बड़ी मां है वो कोई गैर नहीं हमें भी अच्छा नहीं लग रहा बड़ी मां के लिए लेकिन इसका मतलब ये नहीं हम बड़ी मां का साथ छोड़ दे और साहिल भी तो भाई है हमारा उसे कैसे छोड़ दे हम सोचो आप दीदी कितने साल उन्होंने बिन परिवार के बिताए है कैसे सहा होगा ये दुख उन्होंने जब मा बाप के होते हुए भी एक बच्चे को 12 साल अकेले रहना पड़े और इन 12 सालों में एक बार भी हममें में किसी ने भी उनके बारे में नहीं सोचा बस याद किया तो सिर्फ गालियों में ये भी नहीं सोचा कि हम उन्हें क्यों गालियां दे रहे है क्या गलती है उनकी और अगर सच में उन्होंने कुछ ऐसा किया होता तो क्या दादी इतने सालों तक क्यों साथ दे रही है साहिल भाई का जबकि पूरा परिवार खिलाफ था उनके...
पूनम – तो तू बता कविता क्या करे हम अपनी मां को ऐसी हालत में देख हमपे क्या बीत रही है....
अवनी – दीदी कल हम सब वापस जा रहे है घर पर देखना सब ठीक होगा जल्द ही आप परेशान मत हो बड़ी मां के लिए हम सब साथ है उनके...
सोनम – और साहिल का , क्या वो बात कर रहा है सबसे...
खुशी – नहीं दीदी लेकिन देखना एक दिन वो भी हमें माफ जरूर कर देंगे और बात भी करेंगे....
कविता – चलो चल के तैयारी करते है कल निकलना भी है घर वापस...
जिसके बाद सब निकल गए कमरे में अपनी पैकिंग करने के लिए रात के वक्त सब एक साथ खाना खा रहे थे तब...
रनवीर – (राजेश से) भईया कल मुझे जल्दी ऑफिस जाना है जरूरी काम है तो मै सुमन और कविता के साथ निकल जाऊंगा जल्द ही सुबह....
राजेश – हम्ममम ठीक है रनवीर वैसे भी हम सब कल दिन में निकलेंगे घर को....
सुमन – (राजेश से) भइया मै भी आप सब के साथ चलूंगी दिन में सुबह जल्दी चल के क्या फायदा होगा....
राजेश – हा ये भी सही है वैसे भी रनवीर को ऑफिस जाना है वो तो रात में आएगा घर सीधा....
रनवीर – (सुमन से) अरे तो क्या हुआ सुबह मै तुम्हे और कविता को घर छोड़ के निकल जाऊंगा ऑफिस तुम घर में आराम कर लेना....
सुमन – रहने दीजिए मै सबके साथ आराम से निकलूंगी घर को...
रनवीर – लेकिन सुमन....
राजेश – रहने दो रनवीर क्या फर्क पड़ता है वैसे भी तुम तो सिक्योरिटी के साथ जाओगे....
सुमन की बात पर रनवीर को जाने क्यों गुस्सा आने लगा लेकिन गुस्से को काबू करके...
रनवीर – ठीक है कुछ सिक्योरिटी वाले आप सबके साथ रहेंगे घर तक...
राजेश – चलो ठीक है वैसे भी हमें जरूरत नहीं लेकिन तुम कह रहे हो इसीलिए कोई बात नहीं...
इसी बीच में कमल बोला....
कमल – (दादी से) वो दादी मै कल साथ में नहीं चल सकता हूँ....
साहिल – (चौक के) क्यों ऐसा क्यों बोल रहा है तू....
दादी – (सब कुछ जान के अंजान बन के) क्यों क्या हुआ कमल....
कमल – वो असल में बात ये है कि आज दिन में मुझे स्कूल से कॉल आया था मेरे सर्टिफिकेट कुछ प्रॉब्लम उसके लिए स्कूल वाले ने बुलाया है मुझे वहां से सर्टिफिकेट सही करवा के मै वापस आ जाऊंगा जल्द ही....
साहिल – ये क्या बात हुई अब तू ये बात पहले नहीं बता सकता था मुझे....
कमल – वो यार शादी के चक्कर में मुझे ध्यान से उतर गया था बताना तुझे तू चिंता मत कर मै 1ने 2 दिन में आजाऊगा वापस....
साहिल – कोइ नहीं मै चलता हूँ तेरे साथ....
कमल – अरे नहीं यार तू परेशान मत हो मै मैनेज कर लूंगा...
साहिल – अबे तो वहां रहेगा कहा पे तू और मैनेज कैसे करेगा...
सुनीता – तुम परेशान मत हो साहिल मेरा घर भी सिटी में है कमल हमारे घर में रह लेगा वैसे भी 3 से 4 दिन बाद मै आ रही हूँ घर पर....
सुनीता की बात सुन साहिल गुस्से में कमल को देखने लगा तब...
कमल – गुस्सा मत हो यार जल्दी ही आ जाऊंगा मैं फिर साथ में एडमिशन लेगे कॉलेज में तब तक तू शहर घूम लेना फिर मुझे भी घूमा देना शहर ठीक है अब गुस्सा मत हो चल खाना खा ले...
इन दोनों की बातों के बीच सुमन , सुनीता , अमृता और दादी मुस्कुरा रहे थे थोड़ी देर में खाना होने के बाद सब कमरे में जाने लगे सोने के लिए तभी दादी ने साहिल को रोका...
दादी – साहिल वो कल हम चल रहे है घर मुझे ये कहना था कि देख एक गाड़ी में रनवीर तो सुबह जल्दी चला जाएगा अब 2 गाड़ी बचेगी तो तू ऐसा करना हम सब पहले निकल जाएंगे घर तू यही रुकना 2 से 3 घंटे में गाड़ी आ जाएगी वापस तो तू उसमें आ जाना सुमन और कविता के साथ 2 गाड़ी में इतने लोग नहीं आ पाएंगे तुझे कोई परेशानी तो नहीं होगी ना....
साहिल – नहीं दादी मुझे कोई परेशानी नहीं होगी...
दादी – (मुस्कुरा के) ठीक है चल जाके आराम कर ले....
दादी की बात मान के साहिल चला गया कमरे में जबकि सुमन दूसरी तरफ चुपके दादी की सारी बात सुन के मुस्कुरा रही थी लेकिन इस तरफ जब साहिल और दादी बात कर रहे थे उस बीच कविता अपने कमरे की गैलरी से होते हुए जल्दी से साहिल के कमरे में गई वहां जाके उसे कमल दिखा तब....
कमल – (कविता को देख) तुम यहां पर...
कविता – (जहां साहिल सोता था उस तरफ जाके एक कार्ड रखती है साथ में एक ब्रेसलेट) ये साहिल भाई के लिए प्लीज कमल कुछ कहना मत तुम....
कमल – ठीक है लेकिन तुम जानती हो ना क्या कर रही हो....
कविता – हम्ममम बस एक कोशिश...
जिसके बाद कविता निकल गई अपने कमरे की तरफ लेकिन कविता जब तक जाती तभी साहिल कमरे में आ गया और उसने कविता को गैलरी से जाते हुए देख लिया तब कमल को देख के....
साहिल – ये यहां क्या करने आई थीं....
कमल – पता नहीं मै तो बाथरूम गया था जैसे बाहर आया तो जाते हुए देख मैने कविता को....
तभी साहिल बेड की तरफ जाके देखता है वहां पर कार्ड और ब्रेसलेट रखा होता है कार्ड को खोल के देखता है जिसमें SORRY लिखा था और देने वाले का नाम साथ में सोने का ब्रेसलेट में जिसमें SORRY लिखा था उसे गुस्से में देख....
साहिल – (गुस्से में कार्ड को फाड़ते हुए) मादरचोद इसकी इतनी हिम्मत...
बोल के साहिल गैलरी से होते कविता के कमरे में जाता है जहां कविता , अवनी , खुशी आपस में बाते कर रही होती है तभी साहिल गुस्से में कमरे मे आके....
साहिल – (कविता की तरफ कार्ड को फेक के) क्या है ये , तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ये देने की , समझती क्या हो अपने आप को तुम किस बात की माफी मांग रही थी तुम....
साहिल के इस तरह से कमरे में आके गुस्से मो बोलने के कारण कविता , अवनी और खुशी साहिल के गुस्से को देख डर से पीछे हट गए थे...
कविता – (डरते हुए) मै बस मैं बस आपसे माफी मांगना चाहती....
साहिल – (गुस्से में) हा यही पूछ रहा हूँ मै किस बात की माफी मांग रही हो तुम बोलो....
अवनी – (डरते हुए बीच में) हमसे बहुत बड़ी गलती हुई भई....
साहिल – (गुस्से में बीच में चिल्ला के) SSSSHHHUUUUTTTTAAPPPP इसके आगे एक शब्द नहीं बोलना समझी तुम....
कविता – लेकिन आपने तो बुआ की बेटी को माफ कर दिया तो हमें....
साहिल – (गुस्से में) उनको अपने आप से कंपेयर मत करो उन्होंने तो कुछ नहीं किया जो तुम लोगो ने किया था मेरे साथ क्यों भूल गई क्या इतनी जल्दी तुम क्या किया था उस दिन अपने उन आवारा दोस्तो के साथ (खुशी और अवनी से) और तुम दोनों भी भूल गई क्या किया था तुम दोनों स्कूल में मेरे साथ अपने दोस्तो के सामने , भूल गई इतनी जल्दी सब कुछ , दात देनी पड़ेगी तुम तीनों की बड़ी हिम्मत है तुममें जो इतना कुछ करने के बाद माफी मांगने आ गए मेरे पास...
ये सारी आवाजें सुन सुमन बाथरूम से निकल के बाहर आती है सामने साहिल को देख के....
सुमन – क्या हुआ साहिल क्यों चिल्ला रहे हो....
तभी...
खुशी – इसमें हमारी गलती नहीं है उस वक्त घर वालो ने हमें जो बताया हम बस वही कर रहे थे हमें नहीं पता था सच के बारे में....
कविता – हमारा विश्वास कीजिए खुशी सच बोल रही है भई....
साहिल – अबे चुप इससे आगे एक शब्द नहीं समझी अच्छा किया तुमने बता दिया आज मुझे की ये सब तुम्हे तुम्हारे घर वालों ने सिखाया है वाह शुक्र है कि दादी ने सही वक्त पर मुझे उस घर से कही और भेज दिया और मैं चूतीया था जो हर वक्त बस ये सोचता था दूसरे बच्चों को उनके मा बाप के साथ खुश देखता था जब दादी मुझे बताती थी कि कैसे तुम सब पूरे परिवार के साथ हर साल नए नए शहर और विदेशों में घूम रहे हो हर बार यही सोचता था कि काश मैं भी साथ होता अपने परिवार के साथ काश जैसा वो सबको प्यार करते है काश मुझे भी करते मै भी साथ घूमता लेकिन नहीं आज मुझे खुशी है इस बात की अच्छा हुआ जो नहीं था तुम लोगो के साथ वर्ना मैं भी तुमलोगो की तरह बन जाता कसम से तुम तीनों भी अपने परिवार के लोगों की तरह गिरे हुए हो और सबसे ज्यादा तो तुम दोनों (कविता और अवनी) हो क्यों (अवनी से) मुझसे माफी मांगे के लिए ही तुम मेरे दोस्त कमल से प्यार का नाटक कर रही हो है ना तुम्हे क्या लगा मुझे समझ नहीं आएगा तुम्हारा ये नाटक और तुम (कविता) तो कलंक हो बहन के नाम पर , मै अच्छे से जानता हूँ तुमको , यही प्लान बनाया है ना फिर से ताकि अपने घर में मेरे साथ वही खेल खेल सको ताकि शर्म से कभी वापस ही ना आऊ तुम्हारे घर में लेकिन याद रखना तुम लोग एक बात मै सिर्फ दादी के लिए आ रहा हूँ उस घर में किसी और के लिए नहीं तो दूर रहना मुझसे इसी में भलाई होगी तुम सब की (सुमन से) अपनी बेटी और भतीजियों को समझा लो मिस सुमन अपना घिनौना खेल खेलना बंद कर दे मेरे साथ और अगर ज्यादा दिक्कत है मुझसे तो बोल देना दादी को मुझे घर में ना लेके आए...
बोल के गुस्से में साहिल निकल गया अपने कमरे को तरफ पीछे से कमल जो गैलरी में खड़ा सारी बाते सुन रहा था वो भी साहिल के पीछे चला गया कमरे में बेड में आते ही गुस्से में साहिल लंबी लंबी सांसे ले रहा था इधर सेमेंथा ये सब देख साहिल के पास जा रही थी कि तभी कमल ने साहिल के कंधे पर हाथ रखा कुछ बोलने जा रहा था तभी साहिल बेड में गिर गया जिसे देख कमल को समझते देर नहीं लगी कि साहिल को अटैक आया है इतना गुस्सा करने की वजह से जिस वजह से कमल को भी काफी गुस्सा आया वो तुरंत सुमन के कमरे की तरफ चला गया जबकि इस तरफ सेमेंथा फिर से साहिल की ये हालत देख उसकी आंख से आंसू निकल आया इधर कमल कमरे में आते ही....
कमल – (गुस्से में कविता से) आखिर क्या जरूरत थी तुम्हे ये सब करने की कविता (सुमन से) मैने कहा था आपको साहिल के बारे में फिर भी आपको भी समझ नहीं आई मेरी बात....
सुमन – आखिर बात क्या हुई कमल...
कमल – कविता की बेवकूफी की वजह से आज फिर से साहिल को अटैक आ गया है लेटा है कमरे में अभी...
सुमन – (चौक के) क्या मै देखती हु उसे...
कमल – (सुमन को रोक के) रहने दीजिए आप , जागते ही कही आप लोगो को सामने देख जाने क्या रिएक्शन होगा उसका बस आप समझा दीजिए इन्हें अच्छे से वर्ना मजबूरन मुझे दादी को मना करना पड़ेगा साहिल को घर ले जाने के लिए....
कविता – (कमल की बात सुन उसके पैर पकड़ के) ऐसा मत करना कमल मै वादा करती हु आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा मै ध्यान रखूंगी प्लीज तुम ऐसा मत करना कमल....
कमल – मेरे पैर पकड़ने से कुछ नहीं होगा कविता गलती तुमने की ऐसी है जिसे भूलना चाहे तो भूल नहीं सकता है कोई...
बोल के कमल चला गया कमरे में साहिल के पास जबकि कमल के जाते ही...
सुमन – (कविता , खुशी और अवनी से) हुआ क्या है यहाँ अभी और क्या किया तुम लोगो ने ऐसा जिस वजह से साहिल को गुस्से में फिर अटैक आ गया....
अवनी कुछ बोलने को हुई थी कि तभी सुमन बिना ध्यान दिए चली गई गैलरी से होते हुए साहिल के कमरे की तरफ जहां बेड में लेटा साहिल था और उसके बगल में कमल था जो साहिल का पैर पकड़ के बेड में रख रहा था तभी सुमन कमरे में आई आते ही उसने साहिल के जूते मौजे उतारे बगल में आके साहिल के पास बैठ गई तब....
कमल – (सुमन से) प्लीज आप चले जाओ यहां से कही होश में आते ही साहिल...
सुमन – (बीच में रोते हुए) नहीं कमल अब मै नहीं छोड़ सकती साहिल को किसी कीमत पर जो गलती एक बार हुईं उसे दोहराना नहीं चाहती हूँ , मै वादा करती हु मै कुछ नहीं होने दूंगी साहिल को...
जिसके बाद कमल कुछ बोल नहीं पाया 10 मिनिट बाद जैसे ही साहिल जागा तभी साहिल वही बोलने लगा अपने दादा के बारे में लेकिन इससे पहले साहिल कुछ समझ पाता तभी सुमन ने साहिल को गले से लगा लिया जबकि साहिल डर और घबराहट से अपने दादा के बारे में बोले जा रहा था लेकिन कुछ ही देर में साहिल भी गले लगा रहा सुमन के , इस बात से अंजान इस वक्त किसके गले लगा हुआ है जिसके बाद धीरे धीरे साहिल को नींद आ गई और साहिल गहरी नींद में सो गया तभी कमल ने साहिल को देख समझ गया कि उसे नींद आ गई है तब कमल ने साहिल को सुमन से अलग कर उसे बेड में अच्छे से लेटाता है तभी सुमन बगल में बैठ के साहिल के सिर को अपनी गोद में रख लेती है लेकिन साहिल का एक हाथ बेड में लटक रहा होता है उसे अपने हाथ से पकड़ जैसे ही बेड में रखने को हुई थी सुमन तभी साहिल ने नींद में ही सुमन का हाथ पकड़ लिया ये बात कमल से छुपी नहीं तब कमल एक हल्की सी मुस्कान के साथ बस...
कमल – (सुमन से) आप यही रुक जाओ बाद में चली जाना आप...
कमल की बात सुन सुमन हा में सिर हिला देती है और अपनी गोद में सो रहे साहिल को मुस्कुरा के देख उसके सिर पर हाथ फेरती रहती है जिसे कमल मुस्कुरा के देख रहा था लेकिन इस बीच सेमेंथा ये सब देख रही थी तभी उसने भी उसी वक्त साहिल के सिर पर हाथ रखा जब सुमन का हाथ वही था के तभी दोनों का हाथ एक जगह आने से ना जाने कैसा झटका लगा सेमेंथा और सुमन को एक साथ जबकि सेमेंथा ने ये देख लिया लेकिन उसे समझ नहीं आया ये सब जबकि सुमन को झटका लगने के बाद वो इधर उधर देखने लगी जैसे उसे लगा हो कि कमरे में और भी कोई है , इस बात से बेखबर गैलरी के बाहर खड़े ये नजारा अवनी , खुशी और कविता देख रही थी तभी कमल की नजर उनपे जाती है तो कमल उनके पास आके...
कमल – आराम करो आप सब साहिल ठीक है अभी , इस वक्त गहरी नींद में सो रहा है वो...
जिसके बाद तीनों चली जाती है कमरे में सोने....
.
.
.
जारी रहेगा![]()