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आखिर मां को क्यों चोदना चाहिए

Ravi Raj

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Agar maa raji hay to, jarur se chodna chahiye.. mujhe lagta hay teenage boys se maa ko apne beteko sabkuch sikhana chahiye sex k bare me sab kuch, or practical v karke dikhana chahiye.. aysa hoga to shadi k bad kisi ko v koi v problem nahi hoga
राज़ी कैसे किया जाए
कोई जुगाड है राज़ी करने का, जिससे भरपूर मजा मिल सके
 

Eternallover012

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hello
 

rohnny4545

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चोदना चाहता हूं , कैसे चोदूं , आप कोई आइडिया बताईए
Rat ko mummy k pas sote ho ?

1699462951-picsay
 
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Reactions: Raj incest lover

rohnny4545

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राज़ी कैसे किया जाए
कोई जुगाड है राज़ी करने का, जिससे भरपूर मजा मिल सके
Mummy k sath thoda frNk bNo

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direct foto
 

Raj incest lover

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आपने बिलकुल सही कहा पर यहाँ कुछ और विचार है।सबसे पहले तो हर माँ के पास चूत , गांड और मुँह है जिसमे लण्ड जाता है और वह चूचियां हैं जिसको हमने सिर्फ दूध पिलाने का काम समझा पर बाद में पता लगा की वह भी चुदाई का साधन है।जिसने जिसने अपनी माँ को नंगा देखा या फिर माँ की चुदाई देखी है , उसने हमेशा अपने जन्म स्थान (यानि चूत ) को सराहा है , धन्य है यह चूत जिसने मुझे जन्मा है। अब लण्ड तो हमारे पास भी है और जिस चूत की हम पूजा करते है (यानी ख्वाब में उसको चाटते हुए मुठ मरते है ) उसको अगर मौका मिले तो क्यों नहीं उस चूत को मजा दे जिसने उसे जन्मा।दोस्तों, मेरे विचार इस मामले में बहुत ही साधारण है कि चूत बनी है चुदने के लिए और लण्ड बना है चोदने के लिए।
Mo
Ye sach hai ki maa wo aurat hoti hai jiski taraf aap pahli bar aakarrshit hote ho. Uska jism chhu pate ho . usko hug kar pate ho aur hug karte samay uske boobs feel kar paate ho. Har ladke ko first sexual feeling maa ke sath hi aati hai. Iske baad maa par depend karta hai ki wo bete ko kis had tak aage badne deti hai. Adhiktar maa maryada ki seema langhne nahin deti, par jo maa agge badhne par rok nahi lagati wo fir apne bete se swarg ka sukh deti hai aur leti hai.
Bilkul or jab maa ki bur me bete ka lund ghusta ha to easa sukh dono maa beta ko milta ha ki uska varnan kerna muskil ha or maa bete ke lund se jitna bhi chudwa lee dono ka maan hi nhi bharta
 

$Chaudhary@

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हर घर में व्यभिचार पनपता है। औरत और मर्द दोनों का रिश्ता ही ऐसा है कि, दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते जाते हैं। विज्ञान इसे अपनी भाषा में हार्मोन्स का रिसाव कहता है। टेस्टोस्टेरोन एवं एस्ट्रोजन का खेल। जब इनका रिसाव होता है तो दोनों मर्द और अविरत एक दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं,अब साधारण भाषा में इसे प्रेम कहते हैं। एक दूजे के प्रति इसी आकर्षण से दोनों करीब आकर शारीरिक संबंध बनाते अर्थात साधारण भाषा में चुदाई करते हैं या बूर में लण्ड घुसाकर मज़े करते हैं। ये संसार का स्वाभाविक नियम है, जिससे शायद ही कोई भी शिक्षित व्यक्ति आस्वीकार कर सके। परंतु जब यही चीज़ घर के अंदर होने लगे तो उसे यही लोग व्यभिचार कहने लगते हैं। समाज में इससे बहुत बदनामी होती है जिसके डर से लोग इन चीजों को बाहर आने आने नही देते। जो इसमें संलिप्त हो जाते हैं वो इसे गोपनीय रखने की चेष्टा करते हैं। ये बात हर कोई जानता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, किन्तु विज्ञान ने हमें जानवर की श्रेणी में ही रखा है। जानवरों में प्रजनन की प्रक्रिया के लिए संभोग/ समागम/ चुदाई की जाती है। ये शरीर की आवश्यकता है, और प्रकृति के लिए नए प्राणी का मार्ग भी है। केवल मनुष्य एक ऐसा प्राणी है, जो मज़े के लिए चुदाई करता है। अन्य बाकी जीव केवल एक खास मौसम में प्रकृति के नियमों का पालन करते हैं। आदमी की जरूरत होने पर वो भी स्त्री को संसर्ग/ चुदाई के लिए ढूंढता है। पहले घरों में बेटीयों बहनों की शादी जल्दी हो जाती थी, तो उन्हें समय से चुदाई सुख मिलता था। बूर में लंड घुसवाके वो भी मस्त हो जाती थी और उन्हें खूब बच्चे भी होते थे। आजकल बेटीयों, बहनों की शादी में काफी विलंब हो जाता है। इस कारण बेटों और भाइयों की शादी भी देर से हो रही है। ज़माने की भाग दौड़ में लोग इनकी शारीरिक जरूरतों को अनदेखा कर रहे हैं। जिस कारण फलस्वरूप ये एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो कर चुदाई में लिप्त हो जाते हैं। बहनें अपने भाइयों के सामने बूर खोलके लेट जाती हैं और भाइयों का कड़ा लंड लेकर मस्ती से चुदवाती हैं। बाहर का बॉयफ्रेंड तो बस उन्होंने खर्चों के लिए बना रखा है। वो बस ऊपर से मज़े लेते हैं, असली मज़ा तो घर के भाई, देवर, ससुर, बेटा देता है। इससे घर की बात अंदर ही रहती है, और बदनामी का डर भी नहीं। ना जाने कितनी बहनें आजकल रात भाइयों के बिस्तर में बिताती है और कितनीं भाभियाँ खुद ही देवर को अपने कमरे में बुलाकर चुदाई का आनंद ले रही हैं। जिनके पति बाहर हैं, उन बेचारी स्त्रियों का क्या दोष, बूर में लंड की जरूरत तो बनी ही रहती हैं। ऐसे में उनकी मदद घर के देवर, जेठ, ससुर, भाई, बाप ही करते हैं। बेटियां भी अपने विधुर बाप के साथ संभोग की क्रीड़ा में सम्मिलित होती जा रही है। नौजवान बेटीयाँ अपनी रिसती हुई बूर में बाहर के लण्ड के बदले घर का अनुभवी लंड लेना ज़्यादा पसंद कर रही हैं। बाप भी जवान बेटी की गंदी हरकतों को घर में ही सहमति दे देते हैं। इन पापा की परियों के लिए तो बाप ही सर्वोपरि होता है। सुहागरात के दिन पवित्र होने का नाटक करती हैं, पर सच्चाई कुछ और ही होती हैं। असल में ये घर की औरतें भी नहाते और मूतने के समय खूब अंग प्रदर्शन करती हैं, और अपने अंदर के तूफान को शांत करने के लिए, लण्डों को रिझाती हैं।

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इस पोस्ट में और भी लिखना चाहता हूँ पर समय नही है। आगे भी लिखूंगा और आपलोगों से भी चाहूंगा कि इसमें जोड़ते चले।
 
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