अपडेट 3
दोनो बहोत खुश थे।
G:- ज्योति मजा आया ना आज? वैसे एक बात बताओ तुम्हे ये सब कैसे पता की ऐसे भी चुदाई होती है।
J:- तुम्हें क्या लगा की मुझे कुछ नही पता रहता.... वैसे ये बात मेरी दोस्त है रश्मि उसने बताई थी....
G:- हम्म्म बडी चालू है तुम्हारी दोस्त तो... कुछ भी हो हम न ऐसेही चुदाई किया करेंगे.... तुम्हे भी लगेगा की किसी दूसरे मर्द से चूदवा रही हो.. मजा आयेगा...
J:- ठीक है जान.... दोनो ने किस किया और सोने लगे।
ज्योति ने बड़े सफाई से झूठ बोल दिया.... और वो सोने के लिए अपनी आंखे बंद करने लगी और खयालों में २० साल पीछे जाने लगी।
दरअसल ज्योति बहोत ही चुद्दाकड औरत थी शादी से पहले ही वो बहोत चुदवा चुकी थी। और ये सब तब सुरु हुआ जब वो 10th में थी।
ज्योति ने जब जवानी में कदम रखा था तब जवानी उसपे कुछ जादा ही मेहरबान थी। उमर के हिसाब से उसकी चूचियां उसकी गांड़ का उभार अपनी उम्र की लड़कियों से कुछ जादा ही बड़ा था। सब लोग उसकी उभरती जवानी देख अपना लन्ड मसलने पे मजबूर हो जाते थे। बाहर लड़के बूढ़े टीचर सब उसको याद करके मूठ मारते थे।
यहां तक कि उसके रिश्तेदार और घरवाले भी खुद को उसकी चूचियां और गांड को देखने से रोक नही पाते थे।
खासकर के उसके मामा....
उसके मामा तब 3o साल के थे। आर्मी में थे। पर स्वभाव से बहोत ही ठरकी टाइप के इंसान थे। वो अब तक अपनी घर की औरते यानी भाभी चाची चाची की लड़कियों पे हाथ साफ कर चुका था।
लड़की यानी बस चूत यही उसे समझ आता था।
ये बात तब की है जब वो छुट्टियों में अपनी बहन से यानी ज्योति की मा से मिलने आए थे। और कुछ ही दिनों में उनकी शादी होनेवाली थी।
करीब करीब 2 साल बाद वो ज्योति को देख रहे थे।
उसकी जवानी देख के उनके लंड में भी हलचल होने लगी थी।
जब वो आए ज्योति दौड़ के उनके गले गई और वही से उसके मामा की नियत उसपे खराब हो गई..क्योंकि उसकी टाइट चूचियां उसकी छाती पे दबी तभी उसके लंड में तनाव आ गया।
उसने गौर से ज्योति को देखा "उफ्फ ज्योति पे तो जवानी बहोत मेहरबान हुई है इसकी चूचियां और गांड तो मस्त उभर गई है लगता है लंड का मजा लेने लगी है उफफफफ्फ फिर तो इसे मेरे लंड का भी स्वाद चखना पड़ेगा"
मामा बहोत ही ठरकी इंसान था उसे चुदाई के अलावा कुछ सूझता नहीं था।
फौज में जाने से पहले वो बहोत सी औरते और लडकिया चोद चुका था यहां तक की अपनी चाची और उसकी की लडकिया को भी पेल चुका था।
और अब उसकी नीयत ज्योति पे खराब होने लगी थी।
थोड़ी देर इधर उधर की बाते होने लगी लेकिन बार बार उसकी नजर ज्योति पे जा रही थी। ज्योति को समझ आ गया था की मामा उसे किस नजर से देख रहे थे। क्यो की उसे अब आदत हो गई थी सब की बाहर दूसरे मर्द उसे aisehi घूरते थे। तब उसे गुस्सा आता था पर मामा का ऐसा घूरना उसे अजीब सी फीलिंग de raha था।
""मामाजी मुझे ऐसे क्यू घूर रहे?? हम्मम्म बिल्कुल वैसी ही नजर जैसी चौक में खड़े लडके और मेरे टीचर और बाकी लोगो की होती है...""
ज्योति को खुद की खूबसूरती पे गर्व महसूस होने लगा।
थोड़ी देर बाद वो सब घूमने गए...बाहर भी मामा उसके करीब ही जादा रह रहा था। उसे चांस मिलते ही छु रहा था। कभी कमर कभी गांड को सहला दे रहा था। ज्योति को ये एहसास अच्छा लग रहा था।
उसकी चूत गीली हो रही थी।
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वो भी जादा से जादा मामा के आसपास रही। और मामा को छूने का मौका देती रही। मामा तो पहले से हरामी था वो भी जमके मजे लूट रहा था।
और जब वो घर लौटे और लिफ्ट में घुसे मामा उसके पीछे खड़ा था.. उसने देखा जींस में फसी ज्योति की गांड़ एकदम मस्त लग रही थी
उससे कंट्रोल नही हुआ और उसने धीरे से दोनो फाको के बीच अपनी उंगली फिराई ज्योति को एकदम से करंट जैसा लगा उसकी चूत में मीठी सी लहर दौड़ गई।
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ज्योति की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं हुआ तो धीरे उसने अपना टाइट लोड़ा ज्योति की गांड़ से सटा दिया ज्योति को ये सब bahot पसंद आ रहा था। मामा का टाइट लोड़ा उसकी गांड़ के बीच उसे महसूस हो रहा था।
""आअह्ह्ह उफ्फ कितना मस्त लग रहा है उम्मम्म मामा का लंड तो एकदम टाइट हो चुका है.....अच्छा है सब साथ है वरना मामा तो मुझे यही पे चोद देते ufff""
मामा:- आह्ह्ह क्या गांड है uffffff काश ये लिफ्ट ऐसेही ही चलती रहे और मैं ज्योति की गांड़ ऐसेही मजे लेते रहूं।
अंदर हलचल बहोत बढ़ गई थी।पर ये सब बस कुछ मिनटों के लिए ही था पर ज्योति की चूत पूरी गीली हो चुकी थी। और मामा का भी बुरा हाल था।
लिफ्ट रुकी और सब उनके फ्लैट में चले गए।
रात को ज्योति के मम्मी पापा उनके रूम में सोए थे और मामा ज्योति के भाई के रूम में।
ज्योति की अलग रूम थी।
(अभी उनका बहोत बड़ा बंगला है पर तभी ३bhk था)
रात को ज्योति को नींद नहीं आ रही थी बार बार उसे मामा का छुना उनके लंड का अहसास याद आ रहा था। वो बेचैन हो के चूत सहला रही थी।
"""Aa ahhhhh मामाजी उफ्फ कैसी आग लगा दी आपने उफ् मेरी चूत तो बस पानी ही छोड़े जा रही है कबसे उम्मन येस्सस्स ""
तभी उसे door पे आहट सुनाई दी उसे लगा की मम्मी होगी... अक्सर उसकी मम्मी उसके रूम में आती थी और दरवाजा अंदर से बंद करना मना था उनके घर में। ज्योति को लगा मम्मी डाटेगी क्यों नहीं सोई इसलिए उसने झट से आंखे बंद कर ली।
लेकिन वो उसकी मम्मी नही थी उसके मामा थे।
वो धीरे धीरे रूम में आए नाइट बल्ब की रोशनी में ज्योति को देखने लगे।
ज्योति ने थोड़ी आंखे खोल के देखी उसका दिल एक पल के लिए रुक सा गया...उसकी धड़कने तेज दौड़ने लगी..."उफ्फ मामाजी यहां क्या करने आए है... पुछु उनसे?? नहीं देखती हु वो क्या करने आए है? तभी सबके साथ होते हुए भी मेरी चूचियां गांड मसल रहे थे और अब तो अकेली हु पता नही क्या क्या करेंगे??
वो वैसी शांत लेटी रही।
मामा धीरे धीरे आगे बढ़ा दर तो मन में था ही पर दिनभर से उसकी छेड़छाड़ को ज्योति ने रिएक्ट nhi किया था। उसके मन में था की ज्योति को भी शायद मज़ा आ रहा है तो थोड़ी हिम्मत करके वो ज्योति के पास आया था। और उसे कल वापस भी जाना था फिर उसे मौका मिले ना मिले...
वो धीरे से ज्योति के पास साइड में बैठ गया और उसके बदन को निहारने लगा।
M:- उफ्फ क्या माल बन गई है ज्योति उफफफ्फफ
धीरे से कहा पर रात के सन्नाटे में ज्योति ने सुन लिया...
J:- omg मामा कैसी बाते कर रहे है एकदम वो चौक वाले गंदे लड़के बोलते है वैसी...उसकी धड़कने तेज चल रही थी।
मामा ने ज्योति का चेहरा देखा....वो छत की और मुंह करके सो रही थी.... सांसे जोर जोर से ले रही थी उसकी वजह से उसकी चूचियां उपर नीचे हो रही थी उसे देख मामा का लंड सलामी देने लगा।
M:- वह्ह्ह्ह क्या मस्त चूचियां बन गई है उफफ्फ अभी से ऐसी है साली जब चुदेगी तब तो और मस्त हो जायेगी।
मामा ने धीरे धीरे उसे आवाज लगाई लेकिन ज्योति सोने का नाटक करके लेटी रही....मामा की हिम्मत बढ़ी....उसने धीरे से अपना हाथ ज्योति के चुचियों पे रखा....और धीरे से दबाया....
वो ज्योति के चेहरे की और देख रहे थे ताकि कुछ रिएक्शन हो तो वो झट से हाथ हटाया जा सके...पर ज्योति तो सोने का नाटक कर रही थी मामा का मर्दाना हाथ उसकी चूचियों पे महसूस कर रही थी। पहली बार कोई मर्द उसे छु रहा था ऐसे....उसने ब्रा नही पहनी थी मामा के हाथो और उसकी चुचियों के बीच बस उसके टॉप का पतला कपड़ा ही था।
M:- उफ्फ इसने तो ब्रा नही पहनी है....आआह्ह्हह्ह ज्योति मेरी सेक्सी भांजी क्या मस्त चूचियां है तेरी....और मामा ने धीरे से निप्पल को छुआ.... उफफफ्फ ज्योति कितने मस्त है छोटे निपल्स उम्म्मम्म
एक हाथ से अपना ९ इंची लंड सहलाते हुए दूसरे हाथ से ज्योति की कमसिन चूचियां बहोत सावधानी से धीरे धीरे सहला रहा था।
ज्योति का हाल भी बहोत बुरा था। उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे??
जो मामा कर रहे है करने दे या रोक दे??
क्यू की मजा उसे भी आ रहा था।
मामा ने धीरे धीरे अब उसका टॉप ऊपर किया वो नजारा देख के मामा पागल सा हो गया।
गोरी गोरी टाइट चूचियां और पिंक निप्पल देख के मामा का लंड और जादा फुफकारने लगा। उसने ज्योति को देखा उसे लगा की वो आराम से सो रही है। उसने धीरे से उसकी नंगी चूची के ऊपर हाथ रखा....
मामा:- ohhhhhh बेहंचोद क्या मस्त फील है उफफफ
ज्योति की चूचियां पहली बार नंगी किसी ने छुई थी। उसकी चूत में वासना की लहर दौड़ रही थी। चूत में कामरस का मानो सैलाब सा आ गया था। उससे सहन नही हुआ और नींद में ही पलट गई और ऐसा दिखाया की उसने नींद में करवट बदली। मामा की डर के मारे गांड फट गई और झट से बेड के नीचे बैठ गया।
थोड़ी देर ऐसेही निकल गया। ज्योति सोचने लगी मामा चला गया क्या? लगा तो नहीं ....थोड़ी देर और वेट करने के बाद मामा ने बेड पे देखा चुपके से.... ज्योति की गांड़ उसकी तरफ थी। उसे लिफ्ट वाला सीन याद गया और फिर से उसका लन्ड मचलने लगा। वो धीरे से उठा और ज्योति की गांड़ को देखते हुए लंड को पजामे से बाहर निकाला और धीरे से ज्योति की गांड़ की तरफ हाथ बढ़ाया और सहलाने लगा...."आआह्ह्हह्ह क्या मस्त कमसिन गांड है उफ्फ"
ज्योति को यही चाहिए था अब ज्योति मन ही मन सोच रही थी "आह्ह्ह्ह येस्सस्स मज़ा आ रहा है इस खेल में अब मैं बस चुपचाप लेटी रहूंगी कुछ हरकत नही करूंगी "
मामा ज्योति की गांड़ सहलाते हुए लंड हिला रहा था। पजामे का पतला कपड़ा के अलावा अंदर से ज्योति नंगी ही थी। बीच की उंगली मामा ने दरार में घुमाई और थोड़ा नीचे चूत की तरफ बढ़ाई उसे गीला गीला लगा...."ओह्ह्ह यार इसकी चूत तो गीली हो रही है कही जाग तो नहीं रही?? नहीं यार इतना देर से इसके जिस्म से खेल रहा हु शायद उसकी वजह से हुआ हो"
मामा ने उसे कमर से धीरे से सीधा लिटाया...ज्योति भी आराम से सीधी लेट गई.... मामा ने धीरे से पजामे के ऊपर से चूत को सहलाया "aaahhhhhhhh यार कितनी गीली हो रही उम्मम्म" और उसका गीलापन उंगलियों से चाटने लगा "उम्मम्म कितना टेस्टी पानी है मेरी कुंवारी कमसिन भांजी का उफफफ "
ज्योति को ये सब बहोत अच्छा लग रहा था....वो चाहती थी मामा उसकी चूत को और सहलाए....
मामा ने एक हाथ से चूत को सहलाना suru रखा और दूसरे हाथ से ज्योति का नन्हा सा कोमल हाथ अपने लंड पे रखवाया "उफ्फ येस्सस्स्स ज्योति मेरी जान अअह्ह्ह्ह क्या मजा आ रहा है "
ज्योति का हाथ जैसे मामा के लंड को छुआ ज्योति को लगा जैसे किसी गरम रॉड पे उसका हाथ पड़ गया हो "omg कितना गरम और लंबा मोटा है लंड मामा का उफफफ्फफ अगर ये मेरी छोटी सी चूत में जायेगा तो फट जायेगी मेरी चूत "
ज्योति अंदर से डर गई थी।
मामा काफी उत्तेजित हो चुका था। उससे अब कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। वो ज्योति का हाथ को पकड़ कर धीरे धीरे मुठ मरवा रहा था।
मामा ने धीरे से ज्योति का पजामा नीचे किया और देखा"उफ्फ क्या चिकनी बिना बालों वाली चूत है उम्मम्म्म""
उसने एक पैर को थोड़ा फैलाया और ज्योति की गरम गीली चूत को छुआ....ज्योति पागल हुए जा रही थी लेकिन वो सोने का नाटक करती रही।
धीरे से मामा ना ज्योति के चूत की फाकों को अलग किया और अपनी बीच की उंगली घुमाई... "अअह्ह्ह्ह क्या चूत है सsssssssssssssss "
मामा बहोट उत्तेजित हो गया था।
और अगले ही पल उसके सब्र का बांध टूट गया और वो अपना पानी छोड़ने लगा...पहली पिचकारी उड़ के सीधा ज्योति के मुंह पे गिरी और बाकी कुछ बेड पे और ज्योति के हाथ पे।
पूरा झड़ने के बाद मामा जल्दी जल्दी वहा से निकल गया।
ज्योति कुछ देर वैसेही लेटी रही। जब तस्सली हुई की मामा अब वापस नही आयेगा वो उठी उसने देखा उसके चेहरे पे और हाथ पे मामा के लंड का पानी है उसे सूंघा...उसकी महक उसे अच्छी लगी....और उसने पोर्न में देखा था की कैसे लड़किया लडको के लंड का पानी चाटती है...उसका भी मन हुआ और वो धीरे से जुबान बाहर निकली और चाटा...."उम्मम्म अब समझी की लडकिया
इतने चाव से लंड पानी क्यो चाटती है bahot टेस्टी है..."
उसने थोड़ा सा हाथ में लिया और पजामे के अंदर हाथ डाल के चूत पे मामा का पानी रगड़ने लगी।
"आह्ह्ह्ह येस्सस्स उफ्फ मामाजी क्या मस्त मजा दिया आपने आज उम्मम्म"
और ऐसेही चूत को रगड़ती रही और झड़ गई।
उसके जिंदगी का पहला लंड जिसे उसने छुआ था वो उसके मामा का था। और यही से उसकी जिंदगी पलट गई।
क्यों की जो आग मामा ने लगाई थी उसे तो बुझानी थी पर मामा तो चला गया दूसरे दिन और बाद में कभी चांस भी नही आया।
लेकिन ज्योति की वासना को हवा दे गया था और उसी चक्कर में ज्योति शादी से पहले अपनी चूत की आग ३ लंड से बुझती थी।
और इसी चक्कर में वो बहोत पिल्स खाती थी और यही वजह थी की अब वो मां नही बन पा रही थी।
(वो कौन थे कैसे हुआ ये सब आगे आप जान जाओगे)
ये सब याद करके ज्योति नींद की आगोश में चली गई।
उसके बाद अक्सर गौरव और ज्योति ऐसेही नए मर्दों के नाम से चुदाई करने लगे।
सुरु में जो जोश था अब वो कम होने लगा था...लगभग 1 महीना बीत चुका था....गौरव को अब इसमें मजा नही आता था जादा पर अब ये सोचे बिना उसका लन्ड खड़ा भी नही हो पाता था.....
ज्योति भी समझने लगी थी पर गौरव ने ये जो किया था उससे उसकी प्यास और बढ़ा दी थी....अंदर वासना की आग लगा दी थी।