Office and Stressful life
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Behtreen updateअपडेट १६
अब मैं राज के घर से अपनी साइकिल लेकर कोचिंग पहुंच गया था, जब कोचिंग की छुट्टी हुई तो मैंने राज को सब बता दिया जिससे वह भी थोड़ा बहुत नाराज था लेकिन फिर मैंने उससे कहा कि मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा पर इस बार मैं अपने तरीके से काम को अंजाम दूंगा।
कुछ देर बाद मैं घर पहुंच गया और बिना दाएं बाएं देखे अपने कमरे में घुस गया, उसके बाद मैं रात की घटना के बारे में सोचने लगा, सब कुछ एकदम अचानक से हो गया था, सोचा कुछ था और हुआ कुछ और ही था पर जो भी हुआ रास्ता कोई भी था मंजिल तो मिल ही गई थी लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये था कि मैं ताईजी का सामना कैसे करूं? उन्हें देखते ही मेरे आंड गले में अटक जा रहे थे, ताईजी के डर से मैं अपने कमरे के बाहर तक नहीं गया और बिना खाना खाए ही सोता रहा फिर शाम को उठा 7 बजे, मैं इतनी देर तक सोता रहा और ताईजी मुझे उठाने के लिए तक नहीं आई मतलब ताईजी सच में मुझसे बहुत गुस्सा थी।
मैं अपने कमरे से बाहर निकल के रसोई में गया, ताइजी वहां नहीं थी मैं ताईजी से डर रहा था लेकिन फिर भी मेरी आंखें उन्हें ढूंढ रही थीं फिर मैं ताईजी के कमरे में गया तो देखा कि ताईजी बिस्तर पर बैठी थी शायद कुछ सोच रही थी और मैं भी बहुत शर्मिंदा सा महसूस कर रहा था इसलिए उनके कमरे से बाहर आ गया और रसोईघर में फ्रिज से कुछ फल लेकर खाने लगा शायद ताईजी को पता चल गया था कि मैं रसोई में गया हूं इसलिए मेरे रसोई से बाहर निकलते ही ताईजी भी आ गई, मैं आंगन में चारपाई पर बैठकर फल खाने लगा , ताइजी रात का खाना तैयार कर रही थी क्योंकि काफी देर से वह रसोई में थी फिर सुबह की तरह मुझे जमीन पर बर्तन रखने की आवाज आई और मैं समझ गया कि ताईजी में मेरे लिए खाना लगा दिया है फिर मैंने भोजन किया और उसके बाद अपने कमरे में आकर पढ़ाई करने के लिए बैठ गया, रात के 10 बजे तक मैं पढ़ता रहा भीमा भईया और शीला भाभी भोजन करके सोने चले गए थे, पीहू दीदी टीवी देख रही थी कुछ देर में वह भी अपने कमरे में सोने चली गई।
कुछ देर बाद ताईजी रसोईघर से दूध का ग्लास लेकर मेरे कमरे में आई और बिस्तर पर रखकर जाने लगी, आज कुछ भी करके मुझे ताईजी के साथ सोना था इसलिए जब ताईजी पीछे मुड़कर जाने लगी तो मैंने चुपके से दूध का ग्लास बिस्तर पर गिरा दिया
"ये क्या ताईजी सारा दूध बिस्तर पर फैल गया" मैं अनजान बनकर आश्चर्यचकित होते हुए बोला
मैंने अपनी बुक्स और कॉपी को बैग में रखकर बिस्तर से उठा और चद्दर लपेटकर उन्हें थमा दिया, ताईजी ने कुछ कहा नहीं क्योंकि उन्हें लगा कि उन्होंने ही दूध का ग्लास ठीक से नहीं रखा होगा, इसके बाद ताईजी चद्दर लेकर गुसलखाने में धोने के लिए चली गई और मैं चुपचाप ताईजी के कमरे में जाकर उनके बिस्तर पर लेट गया।
कुछ देर बाद ताईजी अपने कमरे में आई उन्होंने पेटीकोट और ब्लाउज पहनी हुई थी और मैं धोती पहनकर लेटा हुआ था, ताईजी को लगा कि मैं सो गया हूं इसलिए उन्होंने मुझे उठाया नहीं और फिर ताईजी बिस्तर पर लेट गई।
हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही चुपचाप लेटे रहे, आज सुबह से मैंने और ताईजी ने एक दूसरे से बात तक नहीं की थी, ताईजी छत की तरफ देख रही थी और ऐसे ही आधा घंटा बीत गया और फिर ताइजी मेरी तरफ पीठ करके लेट गई, मुझे जानना था कि ताईजी के दिल में क्या चल रहा है कल अचानक जो कुछ भी हुआ था उससे ताईजी भी थोड़ा डर गई थी लेकिन मैंने सोच लिया था कि आज ताईजी ने ज्यादा नाटक किया तो उन्हें ब्लैकमेल करने के अलावा मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है।
मैंने हिम्मत करके ताईजी की पीठ पर हाथ रख दिया, जब ताईजी ने कोई रिस्पॉन्स नही दिया तो मैं हल्के से अपने हाथ को उनकी पीठ पर फेरने लगा और फिर ताईजी की मलाईदार कमर पर पकड़ बनाकर उन्हें पलटने की कोशिश करने लगा लेकिन ताईजी पलटने से कतरा रही थी। मैं भी कहां पीछे हटने वाला था इसलिए मैंने ताकत लगाकर ताईजी को पलट दिया, उनकी आंखें बंद थी पर मुझे पता था कि ताईजी जाग रही हैं।
मैंने ताईजी के पेट पर हाथ रखा और जैसे ही मैंने उनकी नाभी में उंगली घुसेड़ा तो ताईजी ने मेरा हाथ पकड़ कर झटक दिया, और फिर मैंने ताईजी के बड़े से थन पर हाथ रख दिया तो उनकी आंखें खुल गईं।
"लल्ला.... ये गलत है" ताईजी हिचकिचाते हुए बोली
"क्या ताईजी?"
"ये सब जो तुम कर रहे हो"
"क्या कर रहा हूं?"
"लल्ला अनजान मत बनो, मैं तुम्हारी ताई हूं और ये सब कुछ जो तुम कर रहे हो ये गलत है"
मेरा दिल किया कि साली से कहूं जब राण्ड की तरह हरिया और कल्लू से चुदाती है तो गलत नहीं होता क्या
"मैं तो वही कर रहा हूं जो मैं करना चाहता हूं" कहकर मैंने ताईजी की बड़ी बड़ी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसल दिया
"लल्ला होश में आओ पागल मत बनो"
"मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा ताईजी कि आप क्या कहना चाहती हो"
"लल्ला ये गलत है, ये पाप है।"
"अच्छा तो आप सच बोलिए कि कल जो हमारे बीच हुआ उसमें आपको मजा आया की नहीं?"
"पता नहीं"
"आप चिंता मत कीजिए बस सच बोलिए ताईजी"
"मुझे नहीं पता"
"प्लीज ताईजी आपको मेरी कसम है"
"लल्ला......"
"ताईजी बोलिए ना"
"हां मजा तो आया था लेकिन इसका ये मतलब नहीं है वो सही था, सब कुछ अनजाने में हुआ था वो बस एक गलती थी"
"ताईजी आपको अगर मजा आया तो उसमें गलती क्या है, और मान लो वो गलती थी तो मजेदार गलती थी जिसको दोबारा भी दोहराया जा सकता है"
"नहीं लल्ला ऐसा मत बोलो"
Bahut hi badiya updateअपडेट १७
मैंने ताईजी को पकड़ लिया और उनके होंठों को अपने होंठों में भरके चूसने लगा, ताईजी मुझे हटाने की झूठी कोशिश करने लगी लेकिन इसका कोई फायदा नही हुआ, मैं ताईजी के ऊपर चढ़ गया और उनके दोनों हाथों को कसकर बिस्तर से लगा दिया, फिर उनके होंठों को चूमने लगा। आज ताईजी कल की तरह विरोध नहीं कर रही थी बल्कि ऐसा लग रहा था कि वह झूठ में नाटक कर रही हैं, ताईजी अपने चेहरे को इधर उधर झटक कर मुझे उन्हें चूमने से रोक रही थी, तभी मैंने उनके होंठों अपने मुंह से आजाद कर दिया और उनके कान के नीचे के नरम हिस्से हो मुंह में भर लिया जिससे ताईजी को हल्की मस्ती चढ़ने लगी, मैं कान के उस नरम हिस्से को मुंह में भरके चूसने लगा और उनका हाथ छोड़कर ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को मसलने लगा।
फिर मैंने ताईजी के ब्लाउज के हुक को खोलना शुरू कर दिया, कुछ ही देर में ताईजी के बड़े बड़े थन आजाद हो गए और मैं उनके थन की घुंडियों को पकड़कर निचोड़ने लगा, ताईजी मुझे धक्का देकर हटाने की झूठी कोशिश कर रही थी और हल्के हल्के सिसकियां भी ले रही थी मतलब उन्हें भी मजा आ रहा था, ताईजी का दिल भी लन्ड लेने का उतना ही कर रहा था जितना मेरा उनकी चूत लेने का, अब मैं ताईजी के थन को अपने मुंह में भरके उन्हें चूसने लगा और हल्के हल्के से काटने लगा और मैं अपनी जीभ से उनकी घुंडियो पर लगातार कोड़े मार रहा था और दांत से दबाकर काट भी रहा था, ताईजी को मस्ती चढ़ती जा रही थी, करीब १०–१२ मिनट बाद ताईजी ने विरोध करना बिलकुल बंद कर दिया वैसे ताईजी को मस्ती तो पहले से ही चढ़ी हुई थी लेकिन ये कमिनी नाटक कर रही थी।
अब ताईजी ने अपने हाथ को मेरी पीठ पर रख दिया और अपनी उंगलियों से मेरी पीठ को सहलाने लगी, मैंने एक हाथ से अपनी धोती को खोल दिया और दूसरे हाथ से ताईजी के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया और अब हम मादरजात नंगे हो गए थे, मेरा लन्ड तो पहले से तनकर हथौड़ा बन चुका था और ताईजी की चूत भी रस बहा रही थी फिर मैंने अपने लन्ड को ताईजी की चूत से सटाया और हल्के से धक्का मारा जिससे मेरा आधा लन्ड ताईजी की चूत में घुसकर अटक गया और उसके बाद मैं हल्के हल्के धक्के मारने लगा और धीरे धीरे अपने लन्ड की रफ्तार बढ़ाता चला गया। मैं अपने मजबूत हाथों से ताईजी के बड़े बड़े थनों को दूहे जा रहा था और ताईजी अपनी चूत से मेरे लन्ड को निचोड़े जा रही थी और इसके साथ मेरी पीठ को अपनी उंगलियों से सहला रही थी, मैं और तेज हचक हचक के उत्तेजित होकर जोरदार तरीके से अपने लन्ड को ताईजी की चूत की गहराइयों में डुबा रहा था।
ताईजी की सिसकियां निकलने लगी थी लेकिन वह बहुत धीरे धीरे से ही आह्ह्ह्हह करके सिसकियां भर रही थी और अब ताईजी बहुत प्यार से सेक्स का मजा ले रही थी, तभी ताईजी ने मेरे सर को अपने हाथ में पकड़ लिया और खुद ही मेरे होंठों को अपने होंठों में भरकर चूसने लगी और करीब १०–१२ मिनट तक हम ऐसे ही चुम्माचाटी करते रहे और नीचे से मैं अपने लन्ड के दमदार धक्के उनकी चूत में ठोकता रहा, ताईजी ने मुझे कसकर जकड़ लिया और नीचे से अपनी गांड़ उछालकर मेरे लन्ड पर पटकने लगी, मैं समझ गया कि ताईजी का रस छूटने वाला है और फिर मैं पागलों की तरह ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा, कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरा भी वीर्य छूटने वाला था, ताईजी अचानक से झटके मारते हुए झड़ने लगी और मैं भी कपकपा कर झड़ने लगा और इस तरह मैंने अपना रस ताईजी की चूत में उढ़ेल दिया।
कुछ देर ऐसे ही मैं ताईजी के ऊपर पड़ा रहा और उसके बाद पलट के बिस्तर पर आ गया, ताईजी अपना ब्लाउज और पेटीकोट उठाकर घर के पिछवाड़े में चली गई और मैं ऐसे ही बिस्तर पर नंगा पड़ा रहा, कुछ देर बाद ताईजी ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर वापस से कमरे में आई और मुझे घूरते हुए बिस्तर पर लेट गई।
"कितनी बेरहमी से चोदता है तुझे तरस नही आता कि मैं तेरी ताई हूं कोई इतनी बेरहमी से चोदता है क्या"
"आपको मजा आया की नहीं"
"इतना मजा तो मुझे किसी के साथ नही आया जितना आज तेरे साथ आया है लल्ला"
"मतलब मेरे अलावा भी किसी और के साथ चुदवाई हो क्या ताईजी?"
"न नहीं तो मैंने ऐसा कब कहा" हिचकिचाते हुए
"झूठ मत बोलो ताईजी मैं किसी से नहीं कहूंगा"
"अरे लल्ला ऐसा कु कुछ न नहीं है"
"बताओ ना ताईजी किस–किस से चुद चुकी हो?"
"तू बेशर्म है क्या अब तू मुझसे ऐसे बात करेगा?"
"ताईजी मुझे सब पता है"
"क्क् क्या पता है लल्ला?"
"ताईजी मैं आपको हरिया और कल्लू के साथ देख चुका हूं"
"क्या????" चौंकते हुए
"मुझे सब कुछ पता चल गया है ताईजी"
"तुझे कैसे पता चला?"
फिर मैने ताईजी को सब कुछ शुरुआत से बता दिया।
"लेकिन मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि आप उन दो कौड़ी के मजदूर और नौकर के साथ चुद गई"
"ऐसा मत बोलो लल्ला, वह दोनों कोई मजदूर और नौकर नहीं है उनकी असलियत के बारे में तुम्हे कुछ नही पता है"
"क्या मतलब है मुझे समझ नहीं आ रहा"
"मैं तुम्हें उनकी असलियत बता दूंगी लेकिन तुम्हे मेरी कसम है कि उसके आगे तुम मुझसे कोई सवाल नही पूछोगे।"
"ठीक है ताईजी"
"तो सुनो हरिया तुम्हारे ताऊजी का सौतेला भाई है और उसकी पत्नी रेखा मेरी सगी बहन है और कल्लू की मां सभ्या तुम्हारे ताऊजी की दूसरी पत्नी है।"
ताईजी के मुंह से ऐसा सुनकर तो मेरे होश ही उड़ गए, ताऊजी मेरे बड़के दादा के बेटे थे और जहां तक मुझे पता था कि ताऊजी का कोई भी भाई या बहन नहीं था, मेरे मन में बहुत से सवाल थे जिनके जवाब मुझे चाहिए थे लेकिन मैं ताईजी की कसम से बंधा हुआ था और उनसे कुछ पूछ भी नहीं सकता था, कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई और मैं सो गया।
Mast update hai bhaiअपडेट १७
मैंने ताईजी को पकड़ लिया और उनके होंठों को अपने होंठों में भरके चूसने लगा, ताईजी मुझे हटाने की झूठी कोशिश करने लगी लेकिन इसका कोई फायदा नही हुआ, मैं ताईजी के ऊपर चढ़ गया और उनके दोनों हाथों को कसकर बिस्तर से लगा दिया, फिर उनके होंठों को चूमने लगा। आज ताईजी कल की तरह विरोध नहीं कर रही थी बल्कि ऐसा लग रहा था कि वह झूठ में नाटक कर रही हैं, ताईजी अपने चेहरे को इधर उधर झटक कर मुझे उन्हें चूमने से रोक रही थी, तभी मैंने उनके होंठों अपने मुंह से आजाद कर दिया और उनके कान के नीचे के नरम हिस्से हो मुंह में भर लिया जिससे ताईजी को हल्की मस्ती चढ़ने लगी, मैं कान के उस नरम हिस्से को मुंह में भरके चूसने लगा और उनका हाथ छोड़कर ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को मसलने लगा।
फिर मैंने ताईजी के ब्लाउज के हुक को खोलना शुरू कर दिया, कुछ ही देर में ताईजी के बड़े बड़े थन आजाद हो गए और मैं उनके थन की घुंडियों को पकड़कर निचोड़ने लगा, ताईजी मुझे धक्का देकर हटाने की झूठी कोशिश कर रही थी और हल्के हल्के सिसकियां भी ले रही थी मतलब उन्हें भी मजा आ रहा था, ताईजी का दिल भी लन्ड लेने का उतना ही कर रहा था जितना मेरा उनकी चूत लेने का, अब मैं ताईजी के थन को अपने मुंह में भरके उन्हें चूसने लगा और हल्के हल्के से काटने लगा और मैं अपनी जीभ से उनकी घुंडियो पर लगातार कोड़े मार रहा था और दांत से दबाकर काट भी रहा था, ताईजी को मस्ती चढ़ती जा रही थी, करीब १०–१२ मिनट बाद ताईजी ने विरोध करना बिलकुल बंद कर दिया वैसे ताईजी को मस्ती तो पहले से ही चढ़ी हुई थी लेकिन ये कमिनी नाटक कर रही थी।
अब ताईजी ने अपने हाथ को मेरी पीठ पर रख दिया और अपनी उंगलियों से मेरी पीठ को सहलाने लगी, मैंने एक हाथ से अपनी धोती को खोल दिया और दूसरे हाथ से ताईजी के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया और अब हम मादरजात नंगे हो गए थे, मेरा लन्ड तो पहले से तनकर हथौड़ा बन चुका था और ताईजी की चूत भी रस बहा रही थी फिर मैंने अपने लन्ड को ताईजी की चूत से सटाया और हल्के से धक्का मारा जिससे मेरा आधा लन्ड ताईजी की चूत में घुसकर अटक गया और उसके बाद मैं हल्के हल्के धक्के मारने लगा और धीरे धीरे अपने लन्ड की रफ्तार बढ़ाता चला गया। मैं अपने मजबूत हाथों से ताईजी के बड़े बड़े थनों को दूहे जा रहा था और ताईजी अपनी चूत से मेरे लन्ड को निचोड़े जा रही थी और इसके साथ मेरी पीठ को अपनी उंगलियों से सहला रही थी, मैं और तेज हचक हचक के उत्तेजित होकर जोरदार तरीके से अपने लन्ड को ताईजी की चूत की गहराइयों में डुबा रहा था।
ताईजी की सिसकियां निकलने लगी थी लेकिन वह बहुत धीरे धीरे से ही आह्ह्ह्हह करके सिसकियां भर रही थी और अब ताईजी बहुत प्यार से सेक्स का मजा ले रही थी, तभी ताईजी ने मेरे सर को अपने हाथ में पकड़ लिया और खुद ही मेरे होंठों को अपने होंठों में भरकर चूसने लगी और करीब १०–१२ मिनट तक हम ऐसे ही चुम्माचाटी करते रहे और नीचे से मैं अपने लन्ड के दमदार धक्के उनकी चूत में ठोकता रहा, ताईजी ने मुझे कसकर जकड़ लिया और नीचे से अपनी गांड़ उछालकर मेरे लन्ड पर पटकने लगी, मैं समझ गया कि ताईजी का रस छूटने वाला है और फिर मैं पागलों की तरह ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा, कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरा भी वीर्य छूटने वाला था, ताईजी अचानक से झटके मारते हुए झड़ने लगी और मैं भी कपकपा कर झड़ने लगा और इस तरह मैंने अपना रस ताईजी की चूत में उढ़ेल दिया।
कुछ देर ऐसे ही मैं ताईजी के ऊपर पड़ा रहा और उसके बाद पलट के बिस्तर पर आ गया, ताईजी अपना ब्लाउज और पेटीकोट उठाकर घर के पिछवाड़े में चली गई और मैं ऐसे ही बिस्तर पर नंगा पड़ा रहा, कुछ देर बाद ताईजी ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर वापस से कमरे में आई और मुझे घूरते हुए बिस्तर पर लेट गई।
"कितनी बेरहमी से चोदता है तुझे तरस नही आता कि मैं तेरी ताई हूं कोई इतनी बेरहमी से चोदता है क्या"
"आपको मजा आया की नहीं"
"इतना मजा तो मुझे किसी के साथ नही आया जितना आज तेरे साथ आया है लल्ला"
"मतलब मेरे अलावा भी किसी और के साथ चुदवाई हो क्या ताईजी?"
"न नहीं तो मैंने ऐसा कब कहा" हिचकिचाते हुए
"झूठ मत बोलो ताईजी मैं किसी से नहीं कहूंगा"
"अरे लल्ला ऐसा कु कुछ न नहीं है"
"बताओ ना ताईजी किस–किस से चुद चुकी हो?"
"तू बेशर्म है क्या अब तू मुझसे ऐसे बात करेगा?"
"ताईजी मुझे सब पता है"
"क्क् क्या पता है लल्ला?"
"ताईजी मैं आपको हरिया और कल्लू के साथ देख चुका हूं"
"क्या????" चौंकते हुए
"मुझे सब कुछ पता चल गया है ताईजी"
"तुझे कैसे पता चला?"
फिर मैने ताईजी को सब कुछ शुरुआत से बता दिया।
"लेकिन मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि आप उन दो कौड़ी के मजदूर और नौकर के साथ चुद गई"
"ऐसा मत बोलो लल्ला, वह दोनों कोई मजदूर और नौकर नहीं है उनकी असलियत के बारे में तुम्हे कुछ नही पता है"
"क्या मतलब है मुझे समझ नहीं आ रहा"
"मैं तुम्हें उनकी असलियत बता दूंगी लेकिन तुम्हे मेरी कसम है कि उसके आगे तुम मुझसे कोई सवाल नही पूछोगे।"
"ठीक है ताईजी"
"तो सुनो हरिया तुम्हारे ताऊजी का सौतेला भाई है और उसकी पत्नी रेखा मेरी सगी बहन है और कल्लू की मां सभ्या तुम्हारे ताऊजी की दूसरी पत्नी है।"
ताईजी के मुंह से ऐसा सुनकर तो मेरे होश ही उड़ गए, ताऊजी मेरे बड़के दादा के बेटे थे और जहां तक मुझे पता था कि ताऊजी का कोई भी भाई या बहन नहीं था, मेरे मन में बहुत से सवाल थे जिनके जवाब मुझे चाहिए थे लेकिन मैं ताईजी की कसम से बंधा हुआ था और उनसे कुछ पूछ भी नहीं सकता था, कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई और मैं सो गया।
nice update..!!अपडेट १७
मैंने ताईजी को पकड़ लिया और उनके होंठों को अपने होंठों में भरके चूसने लगा, ताईजी मुझे हटाने की झूठी कोशिश करने लगी लेकिन इसका कोई फायदा नही हुआ, मैं ताईजी के ऊपर चढ़ गया और उनके दोनों हाथों को कसकर बिस्तर से लगा दिया, फिर उनके होंठों को चूमने लगा। आज ताईजी कल की तरह विरोध नहीं कर रही थी बल्कि ऐसा लग रहा था कि वह झूठ में नाटक कर रही हैं, ताईजी अपने चेहरे को इधर उधर झटक कर मुझे उन्हें चूमने से रोक रही थी, तभी मैंने उनके होंठों अपने मुंह से आजाद कर दिया और उनके कान के नीचे के नरम हिस्से हो मुंह में भर लिया जिससे ताईजी को हल्की मस्ती चढ़ने लगी, मैं कान के उस नरम हिस्से को मुंह में भरके चूसने लगा और उनका हाथ छोड़कर ब्लाउज के ऊपर से ही उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को मसलने लगा।
फिर मैंने ताईजी के ब्लाउज के हुक को खोलना शुरू कर दिया, कुछ ही देर में ताईजी के बड़े बड़े थन आजाद हो गए और मैं उनके थन की घुंडियों को पकड़कर निचोड़ने लगा, ताईजी मुझे धक्का देकर हटाने की झूठी कोशिश कर रही थी और हल्के हल्के सिसकियां भी ले रही थी मतलब उन्हें भी मजा आ रहा था, ताईजी का दिल भी लन्ड लेने का उतना ही कर रहा था जितना मेरा उनकी चूत लेने का, अब मैं ताईजी के थन को अपने मुंह में भरके उन्हें चूसने लगा और हल्के हल्के से काटने लगा और मैं अपनी जीभ से उनकी घुंडियो पर लगातार कोड़े मार रहा था और दांत से दबाकर काट भी रहा था, ताईजी को मस्ती चढ़ती जा रही थी, करीब १०–१२ मिनट बाद ताईजी ने विरोध करना बिलकुल बंद कर दिया वैसे ताईजी को मस्ती तो पहले से ही चढ़ी हुई थी लेकिन ये कमिनी नाटक कर रही थी।
अब ताईजी ने अपने हाथ को मेरी पीठ पर रख दिया और अपनी उंगलियों से मेरी पीठ को सहलाने लगी, मैंने एक हाथ से अपनी धोती को खोल दिया और दूसरे हाथ से ताईजी के पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया और अब हम मादरजात नंगे हो गए थे, मेरा लन्ड तो पहले से तनकर हथौड़ा बन चुका था और ताईजी की चूत भी रस बहा रही थी फिर मैंने अपने लन्ड को ताईजी की चूत से सटाया और हल्के से धक्का मारा जिससे मेरा आधा लन्ड ताईजी की चूत में घुसकर अटक गया और उसके बाद मैं हल्के हल्के धक्के मारने लगा और धीरे धीरे अपने लन्ड की रफ्तार बढ़ाता चला गया। मैं अपने मजबूत हाथों से ताईजी के बड़े बड़े थनों को दूहे जा रहा था और ताईजी अपनी चूत से मेरे लन्ड को निचोड़े जा रही थी और इसके साथ मेरी पीठ को अपनी उंगलियों से सहला रही थी, मैं और तेज हचक हचक के उत्तेजित होकर जोरदार तरीके से अपने लन्ड को ताईजी की चूत की गहराइयों में डुबा रहा था।
ताईजी की सिसकियां निकलने लगी थी लेकिन वह बहुत धीरे धीरे से ही आह्ह्ह्हह करके सिसकियां भर रही थी और अब ताईजी बहुत प्यार से सेक्स का मजा ले रही थी, तभी ताईजी ने मेरे सर को अपने हाथ में पकड़ लिया और खुद ही मेरे होंठों को अपने होंठों में भरकर चूसने लगी और करीब १०–१२ मिनट तक हम ऐसे ही चुम्माचाटी करते रहे और नीचे से मैं अपने लन्ड के दमदार धक्के उनकी चूत में ठोकता रहा, ताईजी ने मुझे कसकर जकड़ लिया और नीचे से अपनी गांड़ उछालकर मेरे लन्ड पर पटकने लगी, मैं समझ गया कि ताईजी का रस छूटने वाला है और फिर मैं पागलों की तरह ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा, कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरा भी वीर्य छूटने वाला था, ताईजी अचानक से झटके मारते हुए झड़ने लगी और मैं भी कपकपा कर झड़ने लगा और इस तरह मैंने अपना रस ताईजी की चूत में उढ़ेल दिया।
कुछ देर ऐसे ही मैं ताईजी के ऊपर पड़ा रहा और उसके बाद पलट के बिस्तर पर आ गया, ताईजी अपना ब्लाउज और पेटीकोट उठाकर घर के पिछवाड़े में चली गई और मैं ऐसे ही बिस्तर पर नंगा पड़ा रहा, कुछ देर बाद ताईजी ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर वापस से कमरे में आई और मुझे घूरते हुए बिस्तर पर लेट गई।
"कितनी बेरहमी से चोदता है तुझे तरस नही आता कि मैं तेरी ताई हूं कोई इतनी बेरहमी से चोदता है क्या"
"आपको मजा आया की नहीं"
"इतना मजा तो मुझे किसी के साथ नही आया जितना मजा मुझे आज तेरे साथ आया है लल्ला"
"मतलब मेरे अलावा भी किसी और के साथ चुदवाई हो क्या ताईजी?"
"न नहीं तो मैंने ऐसा कब कहा" हिचकिचाते हुए
"झूठ मत बोलो ताईजी मैं किसी से नहीं कहूंगा"
"अरे लल्ला ऐसा कु कुछ न नहीं है"
"बताओ ना ताईजी किस–किस से चुद चुकी हो?"
"तू बेशर्म है क्या अब तू मुझसे ऐसे बात करेगा?"
"ताईजी मुझे सब पता है"
"क्क् क्या पता है लल्ला?"
"ताईजी मैं आपको हरिया और कल्लू के साथ देख चुका हूं"
"क्या????" चौंकते हुए
"मुझे सब कुछ पता चल गया है ताईजी"
"तुझे कैसे पता चला?"
फिर मैने ताईजी को सब कुछ शुरुआत से बता दिया।
"लेकिन मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि आप उन दो कौड़ी के मजदूर और नौकर के साथ चुद गई"
"ऐसा मत बोलो लल्ला, वह दोनों कोई मजदूर और नौकर नहीं है उनकी असलियत के बारे में तुम्हे कुछ नही पता है"
"क्या मतलब है मुझे समझ नहीं आ रहा"
"मैं तुम्हें उनकी असलियत बता दूंगी लेकिन तुम्हे मेरी कसम है कि उसके आगे तुम मुझसे कोई सवाल नही पूछोगे।"
"ठीक है ताईजी"
"तो सुनो हरिया तुम्हारे ताऊजी का सौतेला भाई है और उसकी पत्नी रेखा मेरी सगी बहन है और कल्लू की मां सभ्या तुम्हारे ताऊजी की दूसरी पत्नी है यानी की मेरी सौतन है।"
ताईजी के मुंह से ऐसा सुनकर तो मेरे होश ही उड़ गए, ताऊजी मेरे बड़के दादा के बेटे थे और जहां तक मुझे पता था कि ताऊजी का कोई भी भाई या बहन नहीं था, मेरे मन में बहुत से सवाल थे जिनके जवाब मुझे चाहिए थे लेकिन मैं ताईजी की कसम से बंधा हुआ था और उनसे कुछ पूछ भी नहीं सकता था, कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई और मैं सो गया।