Office and Stressful life
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Take care of yourself and your family
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Wow bro mast update roj ek update diya kr bhai
Behtreen updateअपडेट २४
अगले दिन मैं सुबह 7 बजे उठकर अपने नियम अनुसार कसरत करके नहाने चला गया। अब मुझे बहुत हल्का महसूस हो रहा था मैं नहाकर धोती लपेटा और आंगन में चला गया। मैंने देखा कि पीहू दीदी चारपाई पर बैठी हुई है तो मैं उन्हें नजरंदाज करके अपने कमरे में चला गया तो पीछे पीछे पीहू दीदी भी मेरे कमरे में आ गई।
"क्या हुआ दीदी, अब क्या है?" मैं थोड़ा गुस्से में बोला
"भाई तू मां को सूरज के बारे में कुछ कहेगा तो नहीं" पीहू दीदी विनती करती हुई बोली
"मैंने वादा किया था कि कुछ नहीं कहूंगा लेकिन आपको मेरी कुछ बातें माननी पड़ेंगी"
"भाई मैं सब कुछ करूंगी अपने प्यार के लिए"
"तो सूरज को कॉल करके बता देना कि आप कुछ दिन के लिए अपने चाचा के घर जा रही हो और आप अब घर से बाहर नहीं जाओगी और न ही सूरज से फोन पर बात करोगी।"
"लेकिन भाई"
"आपको मुझ पर विश्वास है ना! तो फिर मेरी इतनी बात मान लीजिए"
"ठीक है भाई मुझे पता नहीं तू क्या सोच रहा है लेकिन मुझे तुझ पर खुद से भी ज्यादा भरोसा है"
इतना कहकर पीहू दीदी घर के पिछवाड़े में नहाने चली जाती हैं, और मैं कुछ सोचता हुआ खेत में चला आता हूं, खेत में मुझे कल्लू दिखाई देता है जिसकी मुझे तलाश थी, मैं कल्लू के पास चला जाता हूं।
"राम राम बाबूजी, आप इतनी सुबह यहां खेत में क्या कर रहे हैं?"
"अरे मैं तो ऐसे ही घूमने फिरने आया था, तुम इतनी सुबह हल चला रहे हो, बहुत मेहनत करते हो भाई"
"बाबूजी पापी पेट का सवाल है, जब मेहनत करेंगे तभी तो खाने के लिए मिलेगा"
"ये बात भी ठीक है लो ये रख लो" मैंने ५०० रुपए का नोट कल्लू की तरफ बढ़ा दिया।
"ये किसलिए बाबूजी?"
"अरे पूछो मत रख लो"
"नहीं बाबूजी"
"शरमाओ नहीं तुम्हारी मां के लिए हैं, साड़ी खरीद देना सभ्या चाची के लिए"
कल्लू ५०० का नोट मुझसे लेकर रख लेता है।
"बाबूजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद"
"५०० और दूंगा लेकिन उसके लिए एक छोटा सा काम करना पड़ेगा"
"बाबूजी आप हुकुम कीजिए"
"तुम्हे प्रधान जी के बेटे सूरज पर नजर रखनी पड़ेगी, सुबह से लेकर रात तक सूरज क्या करता है? कहां जाता है? सब कुछ पता करना पड़ेगा"
"नहीं बाबूजी प्रधान जी का बेटा नहीं बाकी गांव में किसी पर भी नजर रख लेंगे"
"१००० रुपए दूंगा"
"ठीक है बाबूजी आपके लिए कर रहा हूं।"
"और सुन मुझे पल–पल की खबर चाहिए, अभी से चालू हो जा"
फिर कल्लू हल रखकर वहां से चला जाता है, तभी मैं सभ्या चाची को सब्जियों के खेत में घूमते देखता हूं।
"सभ्या चाची इधर आना"
सभ्या चाची दौड़कर मेरे पास आने लगती है और उनकी चूचियां बहुत जोर जोर से ऊपर नीचे हिलती जाती हैं, सच कहूं तो मन कर रहा था कि यहीं सभ्या चाची को पटक के पेल दूं लेकिन मैं रागिनी काकी वाली गलती दोबारा नहीं दोहराना चाहता था।
"क्या हुआ बेटा तू इतनी सवेरे यहां किसलिए आया है?"
"चाची उस दिन हम दोनों के बीच शर्त लगी थी और मैं जीता था याद है की नहीं?"
"हां बेटा और मुझे ये भी याद है कि मुझे २४ घंटों के लिए तेरी सेवा करनी है लेकिन उस दिन के बाद तू पता नही कहां गायब हो गया"
"चाची मुझे कुछ काम आ गया था इसलिए याद नहीं रहा, आज फुरसत में हूं अब देखना कितनी मेहनत करवाता हूं।"
"मैं अपने बेटे की सेवा नहीं करूंगी तो कौन करेगा"
"आओ चाची पंपहाउस में बैठते हैं मेरे लिए चारपाई लगाओ और पानी लेकर आओ बहुत प्यास लगी है"
सभ्या चाची भागकर पंपहाउस में जाती है जिससे उनकी मोटी भरावदार गांड़ थिरकन करने लगती है, मेरा मन किया कि साली की गांड़ दबोचकर चूम लूं, मुझे खुद पर नियंत्रण ही नहीं हो रहा था मैंने सोचा कि सभ्या चाची को पंपहाउस में घुसते ही दबोच लेता हूं लेकिन ऐसा करता तो सब कुछ सत्यानाश हो जाता।
सभ्या चाची पंपहाउस के अंदर मेरे लिए चारपाई लगाती हैं और पानी लेने मटके के पास चली जाती हैं मैं सभ्या चाची के जिस्म के कटाव ताड़ते हुए चारपाई पर बैठता हूं।
"लो बेटा पानी" सभ्या चाची मुझे पानी का ग्लास देती हुई बोली
सभ्या चाची पानी देने के लिए झुकी हुई थी तो मैंने उनकी उंगलियों को स्पर्श करते हुए ग्लास का पानी उनकी साड़ी पर गिरा दिया और ऐसे दर्शाया जैसे की मुझसे गलती से गिरा हो।
"ओह चाची माफ कीजिए"
"ये क्या मेरी साड़ी गीली हो गई, अब मुझे अपने कमरे तक जाना पड़ेगा"
"कोई बात नहीं चाची साड़ी उतार कर बाहर डाल दीजिए कुछ देर में सूख जाएगी"
"ये तू क्या कह रहा है बेटा"
"चाची ठीक ही तो कह रहा हूं"
"कोई देखेगा तो क्या सोचेगा"
"चाची यहां कोई नहीं आएगा आप निश्चिंत हो जाओ"
"कल्लू देख लेगा तो गजब हो जाएगा"
"चाची कल्लू किसी काम से गया है शाम तक आएगा, और क्या कल्लू के जैसे मैं आपका बेटा नहीं हूं जो मुझसे इतना शर्मा रही हो"
"ऐसी कोई शर्म वाली बात नहीं है, चल ठीक है कर रही हूं" इतना कहकर सभ्या चाची ने अपनी साड़ी उतार कर बाहर झाड़ियों पर सुखाने के लिए डाल दी।
सभ्या चाची को ब्लाउज और पेटीकोट में देख मेरे लन्ड में हल्की हल्की अकड़न आने लगी क्योंकि उन्होंने ब्लाउज और पेटीकोट के अंदर कुछ नहीं पहना था और ब्लाउज और पेटीकोट का कपड़ा इतना पारदर्शी था कि उनकी बड़ी बड़ी चूचिया और उभारदार गांड़ कपड़े के बाहर छलक रहे थे और उनकी चने के दाने जैसी घुंडियां और उनका भूरा रंग नजर आ रहा था।
"चाची बड़ी खूबसूरत लग रही हो कसम से" मैं सभ्या चाची की बड़ी बड़ी चूचियों को घूरते हुए बोला
"चल झूठे मक्खन मत लगा" सभ्या चाची मुस्कुराती हुई बोली
"चाची सच में इस अवतार में तो आप कामदेवी से कम नही लग रही हो"
"बड़ा बदमाश हो गया है तू, अब बता क्या करना है।"
मैंने अपना मोबाइल चालू किया और उसमें एक गाना लगा दिया "बीड़ी जलाई ले जिगर से पिया"
"मेरी प्यारी चाची इस गाने पर नाचना शुरू कीजिए"
"क्या?"
"चाची शर्त मैं जीता था जो मैं कहूंगा आपको करना पड़ेगा"
सभ्या चाची थोड़ा गुस्से वाला मुंह बनाकर आंख दिखाने लगी लेकिन आखिर में उन्होंने नाचना शुरू किया और जैसे जैसे गाने की घुन पर उनकी गांड़ थिरकने लगी तो मेरे लन्ड में भी तनाव आना शुरू हो गया, सभ्या चाची की मोटी गांड़ आपस से टकरा रही थी जिससे एक कामुक ध्वनि बजने लगी थी और उनकी बड़ी बड़ी चूचियां भी ब्लाउज फाड़कर बाहर आने लगी थी।
तभी मैंने दूसरा गाना लगा दिया "टिप टिप बरसा पानी" सभ्या चाची ने नाचना चालू रखा और मैं कहां अपनी शरारत से बाज आने वाला था इसलिए मैंने पंपहाउस में लगी हुई छोटी सी टोटी को चालू कर दिया जिसमे एक पाइप लगा हुआ था और पाइप से सभ्या चाची के ऊपर पानी की बौछार मारने लगा तो उनकी ब्लाउज और पेटीकोट ऊपर से नीचे तक गीला होने लगा।
"आह्ह ये क्या कर रहा है तू" सभ्या चाची नाचती हुई रुक कर बोली
"उफ्फफ्फ चाची मजा आ गया हाहाहाहा" मैं मुस्कुराते हुए बोला
अब सभ्या चाची मादरजात नंगी नजर आ रही थी उनके ब्लाउज और पेटीकोट के पीछे छुपा अनमोल खजाना मेरी आंखों की गर्मी के साथ मेरे लन्ड की गर्मी को भी बढ़ा रहा था। सभ्या चाची का पूरा जिस्म गीला हो चुका था वह अपनी बड़ी बड़ी रसदार चुचियों को अपने दोनो हाथों से ढक कर उन्हें छुपाने की कोशिश कर रही थी।
"बेशरम ये क्या किया?" सभ्या चाची थोड़ा गुस्से में बोली
"चाची मैं थोड़ी मस्ती कर रहा था, आप इतना गुस्सा मत कीजिए, सब कुछ तय हुआ था कि २४ घंटों के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं और अभी तो १ घंटे भी नहीं हुए हैं, और अगर शर्त आप जीत जाती तो मुझे १ महीने तक गुलाम बनाती और अब ये गुस्सा मुझे मत दिखाओ नहीं तो देख लेना मैं आपसे कभी बात भी नहीं करूंगा इसलिए जो तय हुआ था निभाना पड़ेगा"
"ठीक है बेटा मैं आगे से गुस्सा नही करूंगी लेकिन तुम ऐसे मुझसे नाराज़ मत हो" सभ्या चाची मुझसे विनती करती हुई बोली
"चाची अब मेरी पीठ की तेल से मालिश कर दीजिए" कहकर मैंने धोती को छोड़कर अपने सारे कपड़े उतारे और पेट के बल चारपाई पर लेट गया
बहुत ही सुन्दर लाजवाब और रमणीय अपडेट हैअपडेट २४
अगले दिन मैं सुबह 7 बजे उठकर अपने नियम अनुसार कसरत करके नहाने चला गया। अब मुझे बहुत हल्का महसूस हो रहा था मैं नहाकर धोती लपेटा और आंगन में चला गया। मैंने देखा कि पीहू दीदी चारपाई पर बैठी हुई है तो मैं उन्हें नजरंदाज करके अपने कमरे में चला गया तो पीछे पीछे पीहू दीदी भी मेरे कमरे में आ गई।
"क्या हुआ दीदी, अब क्या है?" मैं थोड़ा गुस्से में बोला
"भाई तू मां को सूरज के बारे में कुछ कहेगा तो नहीं" पीहू दीदी विनती करती हुई बोली
"मैंने वादा किया था कि कुछ नहीं कहूंगा लेकिन आपको मेरी कुछ बातें माननी पड़ेंगी"
"भाई मैं सब कुछ करूंगी अपने प्यार के लिए"
"तो सूरज को कॉल करके बता देना कि आप कुछ दिन के लिए अपने चाचा के घर जा रही हो और आप अब घर से बाहर नहीं जाओगी और न ही सूरज से फोन पर बात करोगी।"
"लेकिन भाई"
"आपको मुझ पर विश्वास है ना! तो फिर मेरी इतनी बात मान लीजिए"
"ठीक है भाई मुझे पता नहीं तू क्या सोच रहा है लेकिन मुझे तुझ पर खुद से भी ज्यादा भरोसा है"
इतना कहकर पीहू दीदी घर के पिछवाड़े में नहाने चली जाती हैं, और मैं कुछ सोचता हुआ खेत में चला आता हूं, खेत में मुझे कल्लू दिखाई देता है जिसकी मुझे तलाश थी, मैं कल्लू के पास चला जाता हूं।
"राम राम बाबूजी, आप इतनी सुबह यहां खेत में क्या कर रहे हैं?"
"अरे मैं तो ऐसे ही घूमने फिरने आया था, तुम इतनी सुबह हल चला रहे हो, बहुत मेहनत करते हो भाई"
"बाबूजी पापी पेट का सवाल है, जब मेहनत करेंगे तभी तो खाने के लिए मिलेगा"
"ये बात भी ठीक है लो ये रख लो" मैंने ५०० रुपए का नोट कल्लू की तरफ बढ़ा दिया।
"ये किसलिए बाबूजी?"
"अरे पूछो मत रख लो"
"नहीं बाबूजी"
"शरमाओ नहीं तुम्हारी मां के लिए हैं, साड़ी खरीद देना सभ्या चाची के लिए"
कल्लू ५०० का नोट मुझसे लेकर रख लेता है।
"बाबूजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद"
"५०० और दूंगा लेकिन उसके लिए एक छोटा सा काम करना पड़ेगा"
"बाबूजी आप हुकुम कीजिए"
"तुम्हे प्रधान जी के बेटे सूरज पर नजर रखनी पड़ेगी, सुबह से लेकर रात तक सूरज क्या करता है? कहां जाता है? सब कुछ पता करना पड़ेगा"
"नहीं बाबूजी प्रधान जी का बेटा नहीं बाकी गांव में किसी पर भी नजर रख लेंगे"
"१००० रुपए दूंगा"
"ठीक है बाबूजी आपके लिए कर रहा हूं।"
"और सुन मुझे पल–पल की खबर चाहिए, अभी से चालू हो जा"
फिर कल्लू हल रखकर वहां से चला जाता है, तभी मैं सभ्या चाची को सब्जियों के खेत में घूमते देखता हूं।
"सभ्या चाची इधर आना"
सभ्या चाची दौड़कर मेरे पास आने लगती है और उनकी चूचियां बहुत जोर जोर से ऊपर नीचे हिलती जाती हैं, सच कहूं तो मन कर रहा था कि यहीं सभ्या चाची को पटक के पेल दूं लेकिन मैं रागिनी काकी वाली गलती दोबारा नहीं दोहराना चाहता था।
"क्या हुआ बेटा तू इतनी सवेरे यहां किसलिए आया है?"
"चाची उस दिन हम दोनों के बीच शर्त लगी थी और मैं जीता था याद है की नहीं?"
"हां बेटा और मुझे ये भी याद है कि मुझे २४ घंटों के लिए तेरी सेवा करनी है लेकिन उस दिन के बाद तू पता नही कहां गायब हो गया"
"चाची मुझे कुछ काम आ गया था इसलिए याद नहीं रहा, आज फुरसत में हूं अब देखना कितनी मेहनत करवाता हूं।"
"मैं अपने बेटे की सेवा नहीं करूंगी तो कौन करेगा"
"आओ चाची पंपहाउस में बैठते हैं मेरे लिए चारपाई लगाओ और पानी लेकर आओ बहुत प्यास लगी है"
सभ्या चाची भागकर पंपहाउस में जाती है जिससे उनकी मोटी भरावदार गांड़ थिरकन करने लगती है, मेरा मन किया कि साली की गांड़ दबोचकर चूम लूं, मुझे खुद पर नियंत्रण ही नहीं हो रहा था मैंने सोचा कि सभ्या चाची को पंपहाउस में घुसते ही दबोच लेता हूं लेकिन ऐसा करता तो सब कुछ सत्यानाश हो जाता।
सभ्या चाची पंपहाउस के अंदर मेरे लिए चारपाई लगाती हैं और पानी लेने मटके के पास चली जाती हैं मैं सभ्या चाची के जिस्म के कटाव ताड़ते हुए चारपाई पर बैठता हूं।
"लो बेटा पानी" सभ्या चाची मुझे पानी का ग्लास देती हुई बोली
सभ्या चाची पानी देने के लिए झुकी हुई थी तो मैंने उनकी उंगलियों को स्पर्श करते हुए ग्लास का पानी उनकी साड़ी पर गिरा दिया और ऐसे दर्शाया जैसे की मुझसे गलती से गिरा हो।
"ओह चाची माफ कीजिए"
"ये क्या मेरी साड़ी गीली हो गई, अब मुझे अपने कमरे तक जाना पड़ेगा"
"कोई बात नहीं चाची साड़ी उतार कर बाहर डाल दीजिए कुछ देर में सूख जाएगी"
"ये तू क्या कह रहा है बेटा"
"चाची ठीक ही तो कह रहा हूं"
"कोई देखेगा तो क्या सोचेगा"
"चाची यहां कोई नहीं आएगा आप निश्चिंत हो जाओ"
"कल्लू देख लेगा तो गजब हो जाएगा"
"चाची कल्लू किसी काम से गया है शाम तक आएगा, और क्या कल्लू के जैसे मैं आपका बेटा नहीं हूं जो मुझसे इतना शर्मा रही हो"
"ऐसी कोई शर्म वाली बात नहीं है, चल ठीक है कर रही हूं" इतना कहकर सभ्या चाची ने अपनी साड़ी उतार कर बाहर झाड़ियों पर सुखाने के लिए डाल दी।
सभ्या चाची को ब्लाउज और पेटीकोट में देख मेरे लन्ड में हल्की हल्की अकड़न आने लगी क्योंकि उन्होंने ब्लाउज और पेटीकोट के अंदर कुछ नहीं पहना था और ब्लाउज और पेटीकोट का कपड़ा इतना पारदर्शी था कि उनकी बड़ी बड़ी चूचिया और उभारदार गांड़ कपड़े के बाहर छलक रहे थे और उनकी चने के दाने जैसी घुंडियां और उनका भूरा रंग नजर आ रहा था।
"चाची बड़ी खूबसूरत लग रही हो कसम से" मैं सभ्या चाची की बड़ी बड़ी चूचियों को घूरते हुए बोला
"चल झूठे मक्खन मत लगा" सभ्या चाची मुस्कुराती हुई बोली
"चाची सच में इस अवतार में तो आप कामदेवी से कम नही लग रही हो"
"बड़ा बदमाश हो गया है तू, अब बता क्या करना है।"
मैंने अपना मोबाइल चालू किया और उसमें एक गाना लगा दिया "बीड़ी जलाई ले जिगर से पिया"
"मेरी प्यारी चाची इस गाने पर नाचना शुरू कीजिए"
"क्या?"
"चाची शर्त मैं जीता था जो मैं कहूंगा आपको करना पड़ेगा"
सभ्या चाची थोड़ा गुस्से वाला मुंह बनाकर आंख दिखाने लगी लेकिन आखिर में उन्होंने नाचना शुरू किया और जैसे जैसे गाने की घुन पर उनकी गांड़ थिरकने लगी तो मेरे लन्ड में भी तनाव आना शुरू हो गया, सभ्या चाची की मोटी गांड़ आपस से टकरा रही थी जिससे एक कामुक ध्वनि बजने लगी थी और उनकी बड़ी बड़ी चूचियां भी ब्लाउज फाड़कर बाहर आने लगी थी।
तभी मैंने दूसरा गाना लगा दिया "टिप टिप बरसा पानी" सभ्या चाची ने नाचना चालू रखा और मैं कहां अपनी शरारत से बाज आने वाला था इसलिए मैंने पंपहाउस में लगी हुई छोटी सी टोटी को चालू कर दिया जिसमे एक पाइप लगा हुआ था और पाइप से सभ्या चाची के ऊपर पानी की बौछार मारने लगा तो उनकी ब्लाउज और पेटीकोट ऊपर से नीचे तक गीला होने लगा।
"आह्ह ये क्या कर रहा है तू" सभ्या चाची नाचती हुई रुक कर बोली
"उफ्फफ्फ चाची मजा आ गया हाहाहाहा" मैं मुस्कुराते हुए बोला
अब सभ्या चाची मादरजात नंगी नजर आ रही थी उनके ब्लाउज और पेटीकोट के पीछे छुपा अनमोल खजाना मेरी आंखों की गर्मी के साथ मेरे लन्ड की गर्मी को भी बढ़ा रहा था। सभ्या चाची का पूरा जिस्म गीला हो चुका था वह अपनी बड़ी बड़ी रसदार चुचियों को अपने दोनो हाथों से ढक कर उन्हें छुपाने की कोशिश कर रही थी।
"बेशरम ये क्या किया?" सभ्या चाची थोड़ा गुस्से में बोली
"चाची मैं थोड़ी मस्ती कर रहा था, आप इतना गुस्सा मत कीजिए, सब कुछ तय हुआ था कि २४ घंटों के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं और अभी तो १ घंटे भी नहीं हुए हैं, और अगर शर्त आप जीत जाती तो मुझे १ महीने तक गुलाम बनाती और अब ये गुस्सा मुझे मत दिखाओ नहीं तो देख लेना मैं आपसे कभी बात भी नहीं करूंगा इसलिए जो तय हुआ था निभाना पड़ेगा"
"ठीक है बेटा मैं आगे से गुस्सा नही करूंगी लेकिन तुम ऐसे मुझसे नाराज़ मत हो" सभ्या चाची मुझसे विनती करती हुई बोली
"चाची अब मेरी पीठ की तेल से मालिश कर दीजिए" कहकर मैंने धोती को छोड़कर अपने सारे कपड़े उतारे और पेट के बल चारपाई पर लेट गया
Behtreen updateअपडेट २५
सभ्या चाची ने चारपाई के नीचे से सरसों के तेल की डिब्बी उठाई और मेरी पीठ पर तेल की बूंदे टपका के अपनी मोटी उभारदार गांड को मेरे कूल्हों पर टिका कर बैठ गई और नरम–नरम हथेलियों से मेरी पीठ की मालिश करने लगी, सभ्या चाची की मोटी गांड़ की गर्मी मैं अपने कूल्हों में महसूस कर पा रहा था, मेरा लन्ड लोहे जैसा सख्त हो गया था जो चारपाई में छेद करके नीचे लटक कर झूल रहा था, सभ्या चाची के मालिश करने का अंदाज गजब था ऐसा लग रहा था जैसे कोई मालिश वाली मसाज कर रही है।
"आह्ह्ह्ह चाची दर्द हो रहा है" मैं चिल्लाते हुए बोला
"क्या हुआ बेटा कहां दर्द हो रहा है" सभ्या चाची हैरान होती हुई बोली
"चाची मेरी लुल्ली चारपाई में अटक गई है आआआह्हह्ह्" मैं चारपाई के छेद से बाहर आ रहे अपने झूलते हुए लन्ड की तरफ इशारा करके एक नादान बच्चे के जैसे बोला
सभ्या चाची मेरी पीठ पर बैठे बैठे ही चारपाई के नीचे झुककर देखने लगी और जैसे ही उनकी नजरें मेरे लन्ड पर पड़ी तो वह झटके से चारपाई से उठकर खड़ी हो गई।
"हे भगवान ये क्या है इतना बड़ा सांप पालकर रखा है तू" सभ्या चाची मेरे लन्ड को घूरते हुए बोली
"चाची ये पता नहीं कैसे बड़ा हो जाता है और इसमें बहुत दर्द भी होता है" मैं नादान बच्चे की एक्टिंग करते हुए बोला और चारपाई के छेद में से अपना लन्ड बाहर करके पीठ के बल लेट गया
मेरा लन्ड धोती के बाहर ९० डिग्री का कोण बनाए अपना फन उठाकर खड़ा था और सभ्या चाची मेरे लन्ड को एकटक घूरे जा रही थी।
"बेटा मेरे पास तेरे इस दर्द का एक इलाज है लेकिन तू मुझसे वादा कर किसी को इस बारे में कहेगा नहीं"
सभ्या चाची को लगा कि मैं कोई नादान बच्चा हूं जो कुछ जानता नहीं है मैं समझ गया कि सभ्या चाची मेरे भोलेपन का फायदा उठाने की सोच रही है लेकिन इस बेचारी चाची को ये नहीं पता था कि ये खुद मेरे जाल में फस रही है।
"हां चाची आप कैसे भी करके बस मुझे इस दर्द से छुटकारा दिलाओ मैं वादा करता हूं किसी से कुछ नहीं कहूंगा"
तभी सभ्या चाची नीचे अपने घुटनों के बल बैठ गई और किसी चूदाई की प्यासी शेरनी के जैसे मेरे लन्ड को लपक कर अपनी दोनों हथेलियों में भरके कसकर जकड़ लिया।
अचानक तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी मुझे और सभ्या चाची को उम्मीद ही नहीं थी, हमें ताईजी की आवाज सुनाई दी।
मैंने पंपहाउस की खिड़की से देखा तो पता चला कि ताईजी मुझे ढूंढ रही हैं।
"मालकिन आ गई हे भगवान अब क्या होगा?"
"चाची आप अभी पंपहाउस के पिछवाड़े से निकल जाओ, ताईजी की चिंता मत कीजिए उन्हें मैं देखता हूं"
सभ्या चाची ने झाड़ियों से अपनी साड़ी उठाई और पंपहाउस के पिछवाड़े से निकल गई और मैं अपने कपड़े पहन के टूल बॉक्स में से कुछ औजार लेकर पंप के पास बैठ गया और एक्टिंग करने लगा जैसे मैं पंप को ठीक कर रहा हूं।
कुछ देर बाद ताईजी पंपहाउस के अंदर दाखिल होती हैं।
"ये क्या कर रहा है तू लल्ला"
"ताईजी ये पंप काम नहीं कर रहा था तो ठीक कर रहा हूं, स्विच ऑन कीजिए"
ताईजी ने स्विच ऑन किया तो पंप चालू हो गया, मुझे खुद पर बहुत हसी आ रही थी।
"ये सभ्या और कल्लू कहां है और तुझे यहां आने के लिए किसने कहा था, सुबह से बिना भोजन करे घूम रहा है तबियत खराब हो गई तो"
"तो मेरी जान किसलिए है" मैं ताईजी को खींचकर अपनी बाहों में भरते हुए बोला
"लल्ला कितना बेशर्म हो गया है तू" कहकर मुझे धक्का देकर पंपहाउस में बाहर निकल गई
मैं भी ताईजी के पीछे पंपहाउस के बाहर आ गया, आज तो किसी तरह बच गया नहीं तो ताईजी मेरी चमड़ी उधेड़ देती।
फिर कुछ देर बाद हम घर पर थे। ताईजी मेरे लिए रसोई में खाना लाने के लिए चली है और मैं कुर्सी लेकर आंगन में आ गया।
घर पर भीमा भईया और शीला भाभी के साथ पीहू दीदी आंगन में चटाई पर बैठकर टीवी देख रही थी, मुझे देखकर बड़ा अजीब लगा कि १० बज चुके हैं और आज भईया भाभी अभी तक घर पर बैठे हैं।
"अरे भईया आज दुकान नहीं जाना क्या?"
"नहीं भाई आज तुम्हारी भाभी के साथ पास के झील पर जा रहा हूं, वैसे आज तुम क्या कर रहे हो?"
"कुछ नहीं भईया पढ़ाई करूंगा"
फिर ताईजी मेरे लिए खाना लगा देती हैं मैं रसोई से खाना लेकर अपने कमरे में चला जाता हूं।