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अध्याय 12
मधुर मिलन
फ़्लैशबैक भाग -5
हां भईया क्या चाहिए?
बेड सोफा ड्रेसिंग अलमीरा सब अवेलेबल है अपने पास.. वो भी रीज़नबल रेट पर..
फर्नीचर की दूकान पर एक सावले से दुबले पतले आदमी ने चाय की चुस्की लेटे हुए अंशुल से कहा तो अंशुल ने जवाब दिया - एक बेड चाहिए.. (अंशुल बाजार में आया था)
हां हां... भाईसाब आइये ना... चलिए... इस तरफ.. हमारे यहां हर तरह के बेड है छोटे से बड़े तक हर क्वालिटी और कीमत के.. आप पसंद कीजिये..
आदमी ने दूकान की पहली मंज़िल पर अंशुल को लेजाकर कतार में लगे बेड्स दिखाते हुए कहा..
अंशुल ने एक डबल बेड पसंद किया तो आदमी ने कहा - जी भाईसाब बहुत अच्छी पसंद है आपकी..
अंशुल - क्या रेट है?
आदमी - भाईसाब आपसे क्या छुपाना.. दुनिया को तो महंगा देते है पर आपको चन्दन भईया ने भेजा है तो आपके लिए सिर्फ 25 हज़ार.. आप अच्छे से देख लीजिये.. लाइफटाइम तक कहीं नहीं जाएगा.. फुल गारंटी है हमारी... हम तो बनाकर बैचते है.. आप चाहो तो नया बनवा के भी दे सकते है..
नहीं नहीं यही ठीक है.... अच्छा एक गद्दा भी चाहिए इस पर.. अंशुल ने कहा तो आदमी ने अंशुल को गद्दे दिखाते हुए कहा - देखिये भाईसाब... जिस भी क्वालिटी का चाहिए मिल जाएगा.. बेसिक से लेकर हाईफाई सब मिलेगा..
अंशुल ने एक गद्दा पसंद किया तो आदमी ने कहा - ये बेस्ट क्वालिटी है ज़रा महँगा मिलेगा भाईसाब... ऐसे गद्दे होटल्स में इस्तेमाल होते है.. Oyo वगैरह में... आप तो जानते होंगे..
अंशुल - क्या रेट है इसका?
आदमी - जी आप लेना चाहते है तो आपके लिए 20 हज़ार लग जाएगा..
ठीक है मैं ई-पेमेंट कर देता हूँ आप रिक्शा बुलाकर दोनों आइटम्स भिजवा दीजिये..
आदमी - जी भाईसाब...
मधुर मिलन
फ़्लैशबैक भाग -5
हां भईया क्या चाहिए?
बेड सोफा ड्रेसिंग अलमीरा सब अवेलेबल है अपने पास.. वो भी रीज़नबल रेट पर..
फर्नीचर की दूकान पर एक सावले से दुबले पतले आदमी ने चाय की चुस्की लेटे हुए अंशुल से कहा तो अंशुल ने जवाब दिया - एक बेड चाहिए.. (अंशुल बाजार में आया था)
हां हां... भाईसाब आइये ना... चलिए... इस तरफ.. हमारे यहां हर तरह के बेड है छोटे से बड़े तक हर क्वालिटी और कीमत के.. आप पसंद कीजिये..
आदमी ने दूकान की पहली मंज़िल पर अंशुल को लेजाकर कतार में लगे बेड्स दिखाते हुए कहा..
अंशुल ने एक डबल बेड पसंद किया तो आदमी ने कहा - जी भाईसाब बहुत अच्छी पसंद है आपकी..
अंशुल - क्या रेट है?
आदमी - भाईसाब आपसे क्या छुपाना.. दुनिया को तो महंगा देते है पर आपको चन्दन भईया ने भेजा है तो आपके लिए सिर्फ 25 हज़ार.. आप अच्छे से देख लीजिये.. लाइफटाइम तक कहीं नहीं जाएगा.. फुल गारंटी है हमारी... हम तो बनाकर बैचते है.. आप चाहो तो नया बनवा के भी दे सकते है..
नहीं नहीं यही ठीक है.... अच्छा एक गद्दा भी चाहिए इस पर.. अंशुल ने कहा तो आदमी ने अंशुल को गद्दे दिखाते हुए कहा - देखिये भाईसाब... जिस भी क्वालिटी का चाहिए मिल जाएगा.. बेसिक से लेकर हाईफाई सब मिलेगा..
अंशुल ने एक गद्दा पसंद किया तो आदमी ने कहा - ये बेस्ट क्वालिटी है ज़रा महँगा मिलेगा भाईसाब... ऐसे गद्दे होटल्स में इस्तेमाल होते है.. Oyo वगैरह में... आप तो जानते होंगे..
अंशुल - क्या रेट है इसका?
आदमी - जी आप लेना चाहते है तो आपके लिए 20 हज़ार लग जाएगा..
ठीक है मैं ई-पेमेंट कर देता हूँ आप रिक्शा बुलाकर दोनों आइटम्स भिजवा दीजिये..
आदमी - जी भाईसाब...
ये क्या आशु.... पदमा ने घर के बाहर रिक्सा देखकर अंशुल से हैरानी भरे स्वर में पूछा तो अंशुल पदमा को घर के अन्दर एक कोने में लेजाकर चूमते हुए बोला - रात को बिस्तर चुभ रहा था ना आपको.... इसलिए सोचा एक अच्छा वाला खरीद लेटा हूँ..
पदमा हैरानी से अंशुल की आँखों में देखती ही रह गई और अंशुल ने अपने रूम का पुराना सिंगल बेड छत वाले रूम में शिफ्ट कर के नया वाला अपने रूम में स्टडी टेबल के ठीक सामने लगवा लिया और एक एयर कंडीशंर भी रूम में लगवा लिया...
ये गद्दा तो पूरा नीचे हो गया.. पदमा ने बेड पर बैठते हुए कहा..
उठोगी तो वापस ऊपर हो जाएगा.. अंशुल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया..
इससे तो बिलकुल सर्दी वाली हवा आ रही है.. पदमा ने AC की तरफ देखते हुए कहा तो अंशुल पदमा को चूमकर बोला.. इतनी गर्मी में आप घर का काम करते करते पसीने पसीने हो जाती हो ना.. मुझे अच्छा नहीं लगता..
अच्छा अच्छा.. अब छोडो.. मैं धन्नो के यहा जा रही हूँ.. आते आते शाम हो जायेगी..
अंशुल ने पदमा का हाथ पकड़कर... ठीक है. पर एक चुम्मा तो बनता है..
नहीं तुम ना बहुत बदमाश हो.. सिर्फ चुम्मे पर नहीं रुकते..
माँ पक्का सिर्फ चुम्मा...
ठीक है...
अंशुल बिस्तर पर पदमा को चूमते हुए लिटा लेटा और फिर धीरे धीरे उसके होंठो का रस पीते हुए कब उसकी साडी ऊपर करके चुत चाटने लग जाता है पदमा को भी पता नहीं चलता पदमा के झड़ने पर ही पदमा अंशुल की बाहों से निकलती है...
अंशुल पदमा के जाने के बाद किताबो में खो जाता है और उसे किताबो से फुर्सत मिलते मिलते शाम हो जाती है..
अंशुल नहा कर फ्रेश होता है देखता है की फ़ोन पर मस्तु का कॉल आ रहा था.. अंशुल ने फ़ोन उठाते हुए कान से लगा लिया..
केसन हाल बा.. मस्तु ने कहा..
ठीक है... तू केसा है?
हम भी यहां ठीक है.. और बताओ मकसद कहा तक पूरा हुआ?
अरे अभी कहा यार.. अभी तो अधूरा है... कोशिश कर रहा हूँ.. लगता है जल्दी पूरा हो जाएगा.. तू बता चमेली आंटी कैसी है?
भाई वीडियो कॉल कर अभी दिखाता हूँ कैसी है..
अच्छा.. ऐसा क्या हो रहा है वहा?
तू कॉल कर ना..
अच्छा रुक...
अंशुल मस्तु को वीडियो कॉल करता है तो देखता है की मस्तु की माँ चमेली नंगी मस्तु के लंड पर बैठी हुई आगे पीछे हो रही है....
देख ले भाई तेरी चमेली आंटी.. अपने बेटे की कैसे सेवा कर रही है.. अंशुल की आँख खुली की खुली रह गई..
मस्तु के हाथ से फ़ोन लेकर चमेली अंशुल से बात करती हुई बोली - कैसे हो तुम आशु बेटा?
मैं ठीक हूँ आंटी.. मस्तु ज्यादा परेशान तो नहीं करता तुमको?
बेटा.. अब तुमको सब पता चल ही चूका है तो तुमसे क्या छिपाना.. जब भी आती हूँ पीछा ही नहीं छोड़ता..
अब तुम खूबसूरत ही इतनी हो आंटी, मस्तु की जगह अगर मैं तुम्हरा बेटा होता तो मैं भी तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ता..
तुम भी तो मेरे बेटे ही हो.. जब भी मन हो आ जाना अपनी चमेली आंटी के पास.. मनसुख (मस्तु) को बुरा नहीं लगेगा...
अगर ऐसी बाते है तो इंतजार करना आंटी.. इस बार जब मुलाक़ात होगी तो यादगार होगी..
मस्तु चमेली से फ़ोन लेटा हुआ.. अबे भाई तू भी कहा मेरी माँ की चुत में घुस गया.. अपनी माँ के हाल बता? चुत पर फेविकोल लगा कर रखती है क्या तेरी माँ? अब तक लोडा क्यू नहीं डाला अंदर तूने?
क्या बताऊ यार मस्तु... बस चुत ही नहीं देती बाकी सब देती है..
मुंह में लेती है? मस्तु ने पूछा
दिन में तीन बार... अंशुल ने सिगरेट जलाते हुए कहा..
तो भाई फिर देर किस बात की है एक बार जबरदस्ती पटक के पेल दे माँ को उसके बाद देखना कैसे घाघरा उठाके तेरे आगे पीछे घूमती है....
चमेली ने मस्तु से फ़ोन लेते हुए कहा - ना आशु.. जोर जबरदस्ती नहीं करना.. औरत के मन को कोई नहीं समझ सका है.. थोड़ा इंतजार करो.. उसके मन को टटोल.. अगर तुमको सब करने को मिल रहा है तब बुर भी आसानी से मिल जायेगी.. तुम बस अपनी माँ के मन की बात बाहर निकालो.. कोई तो वजह होगी.. हमें तो लगता है जरुर समाज और रिश्ता उसके मन की आखिरी फांस बना हुआ है.. तुम उसे समझाओ.. कहीं बाहर ले जाओ.. वो जरुर तुम्हे अपना लेगी..
अंशुल - शायद तुम सही कह रही हो आंटी.. यही कारण होगा मम्मी मुझसे अब तक खुदको बचा रही है.. अच्छा स्पीकर बंद करके बाते करो आंटी कुछ पर्सनल बात करनी है आपसे...
मस्तु - क्या पर्सनल भाई?
अंशुल - अबे तू चुप रह ना भोस्डिके.... आंटी करो ना तुम...
चमेली फ़ोन का स्पीकर ऑफ कर देती है और फ़ोन कान पर लगा लेटी है.. हां बेटा... बोलो... मैंने फ़ोन का स्पीकर बंद कर दिया..
अंशुल - मस्तु से बड़ा लंड है मेरे पास आंटी.. चोद चोद के तुम्हारी चुत का छेद ढीला कर दूंगा.. देखना..
चमेली हसते हुए - अच्छा अच्छा ठीक है बेटा.. पहले आ तो जा..
जल्दी आऊंगा... कहते हुए अंशुल ने फ़ोन काट दिया.. और बालचंद और पदमा के आने से पहले ही बाइक लेकर बाहर चला गया.. बाजार से अंशुल कुछ खरीदना चाहता था और वहीं लेने वो बाजार आया था..
बालचंद और पदमा साथ में ही घर में दाखिल हुए और अपने अपने काम में लग गए पदमा खाना बनाने लगी तो बालचंद टीवी देखते हुए सोफे पर बैठ गया....
चाचा ओ चाचा...
कौन है?
मैं चंदन..
क्या हुआ चन्दन? आज शाम ढले कैसे आना हुआ?
अरे चाचा.. वो अभी अभी मोहन आया था बता रहा था मुखिया जी की चौखट पर बैठक लगने वाली है.. मगरू के लड़के मंगल ने कुए पर रजनी भाभी के साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की है.. कह रहा था कोतवाली में भी मामला जाएगा... मुखिया जी ने गाँव वालो को बैठक में आने के लिए कहा है.. मैं जा रहा था सोचा आप चलना चाहो तो साथ में ले चलू...
मंगल? अरे पर वो तो अभी बच्चा है...
काहेका बच्चा चाचा.. 18 तो पिछले महीने ही पार कर गया.. लगता है जवानी फूटी है जो ऐसा काम करने चला था..
ठीक है चन्दन मैं छतरी ले लेटा हूँ.. फिर चलते है..
बालचंद और चन्दन दोनों मुखिया के घर बैठक में हिस्सा लेने चल दिए...
पदमा हैरानी से अंशुल की आँखों में देखती ही रह गई और अंशुल ने अपने रूम का पुराना सिंगल बेड छत वाले रूम में शिफ्ट कर के नया वाला अपने रूम में स्टडी टेबल के ठीक सामने लगवा लिया और एक एयर कंडीशंर भी रूम में लगवा लिया...
ये गद्दा तो पूरा नीचे हो गया.. पदमा ने बेड पर बैठते हुए कहा..
उठोगी तो वापस ऊपर हो जाएगा.. अंशुल ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया..
इससे तो बिलकुल सर्दी वाली हवा आ रही है.. पदमा ने AC की तरफ देखते हुए कहा तो अंशुल पदमा को चूमकर बोला.. इतनी गर्मी में आप घर का काम करते करते पसीने पसीने हो जाती हो ना.. मुझे अच्छा नहीं लगता..
अच्छा अच्छा.. अब छोडो.. मैं धन्नो के यहा जा रही हूँ.. आते आते शाम हो जायेगी..
अंशुल ने पदमा का हाथ पकड़कर... ठीक है. पर एक चुम्मा तो बनता है..
नहीं तुम ना बहुत बदमाश हो.. सिर्फ चुम्मे पर नहीं रुकते..
माँ पक्का सिर्फ चुम्मा...
ठीक है...
अंशुल बिस्तर पर पदमा को चूमते हुए लिटा लेटा और फिर धीरे धीरे उसके होंठो का रस पीते हुए कब उसकी साडी ऊपर करके चुत चाटने लग जाता है पदमा को भी पता नहीं चलता पदमा के झड़ने पर ही पदमा अंशुल की बाहों से निकलती है...
अंशुल पदमा के जाने के बाद किताबो में खो जाता है और उसे किताबो से फुर्सत मिलते मिलते शाम हो जाती है..
अंशुल नहा कर फ्रेश होता है देखता है की फ़ोन पर मस्तु का कॉल आ रहा था.. अंशुल ने फ़ोन उठाते हुए कान से लगा लिया..
केसन हाल बा.. मस्तु ने कहा..
ठीक है... तू केसा है?
हम भी यहां ठीक है.. और बताओ मकसद कहा तक पूरा हुआ?
अरे अभी कहा यार.. अभी तो अधूरा है... कोशिश कर रहा हूँ.. लगता है जल्दी पूरा हो जाएगा.. तू बता चमेली आंटी कैसी है?
भाई वीडियो कॉल कर अभी दिखाता हूँ कैसी है..
अच्छा.. ऐसा क्या हो रहा है वहा?
तू कॉल कर ना..
अच्छा रुक...
अंशुल मस्तु को वीडियो कॉल करता है तो देखता है की मस्तु की माँ चमेली नंगी मस्तु के लंड पर बैठी हुई आगे पीछे हो रही है....
देख ले भाई तेरी चमेली आंटी.. अपने बेटे की कैसे सेवा कर रही है.. अंशुल की आँख खुली की खुली रह गई..
मस्तु के हाथ से फ़ोन लेकर चमेली अंशुल से बात करती हुई बोली - कैसे हो तुम आशु बेटा?
मैं ठीक हूँ आंटी.. मस्तु ज्यादा परेशान तो नहीं करता तुमको?
बेटा.. अब तुमको सब पता चल ही चूका है तो तुमसे क्या छिपाना.. जब भी आती हूँ पीछा ही नहीं छोड़ता..
अब तुम खूबसूरत ही इतनी हो आंटी, मस्तु की जगह अगर मैं तुम्हरा बेटा होता तो मैं भी तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ता..
तुम भी तो मेरे बेटे ही हो.. जब भी मन हो आ जाना अपनी चमेली आंटी के पास.. मनसुख (मस्तु) को बुरा नहीं लगेगा...
अगर ऐसी बाते है तो इंतजार करना आंटी.. इस बार जब मुलाक़ात होगी तो यादगार होगी..
मस्तु चमेली से फ़ोन लेटा हुआ.. अबे भाई तू भी कहा मेरी माँ की चुत में घुस गया.. अपनी माँ के हाल बता? चुत पर फेविकोल लगा कर रखती है क्या तेरी माँ? अब तक लोडा क्यू नहीं डाला अंदर तूने?
क्या बताऊ यार मस्तु... बस चुत ही नहीं देती बाकी सब देती है..
मुंह में लेती है? मस्तु ने पूछा
दिन में तीन बार... अंशुल ने सिगरेट जलाते हुए कहा..
तो भाई फिर देर किस बात की है एक बार जबरदस्ती पटक के पेल दे माँ को उसके बाद देखना कैसे घाघरा उठाके तेरे आगे पीछे घूमती है....
चमेली ने मस्तु से फ़ोन लेते हुए कहा - ना आशु.. जोर जबरदस्ती नहीं करना.. औरत के मन को कोई नहीं समझ सका है.. थोड़ा इंतजार करो.. उसके मन को टटोल.. अगर तुमको सब करने को मिल रहा है तब बुर भी आसानी से मिल जायेगी.. तुम बस अपनी माँ के मन की बात बाहर निकालो.. कोई तो वजह होगी.. हमें तो लगता है जरुर समाज और रिश्ता उसके मन की आखिरी फांस बना हुआ है.. तुम उसे समझाओ.. कहीं बाहर ले जाओ.. वो जरुर तुम्हे अपना लेगी..
अंशुल - शायद तुम सही कह रही हो आंटी.. यही कारण होगा मम्मी मुझसे अब तक खुदको बचा रही है.. अच्छा स्पीकर बंद करके बाते करो आंटी कुछ पर्सनल बात करनी है आपसे...
मस्तु - क्या पर्सनल भाई?
अंशुल - अबे तू चुप रह ना भोस्डिके.... आंटी करो ना तुम...
चमेली फ़ोन का स्पीकर ऑफ कर देती है और फ़ोन कान पर लगा लेटी है.. हां बेटा... बोलो... मैंने फ़ोन का स्पीकर बंद कर दिया..
अंशुल - मस्तु से बड़ा लंड है मेरे पास आंटी.. चोद चोद के तुम्हारी चुत का छेद ढीला कर दूंगा.. देखना..
चमेली हसते हुए - अच्छा अच्छा ठीक है बेटा.. पहले आ तो जा..
जल्दी आऊंगा... कहते हुए अंशुल ने फ़ोन काट दिया.. और बालचंद और पदमा के आने से पहले ही बाइक लेकर बाहर चला गया.. बाजार से अंशुल कुछ खरीदना चाहता था और वहीं लेने वो बाजार आया था..
बालचंद और पदमा साथ में ही घर में दाखिल हुए और अपने अपने काम में लग गए पदमा खाना बनाने लगी तो बालचंद टीवी देखते हुए सोफे पर बैठ गया....
चाचा ओ चाचा...
कौन है?
मैं चंदन..
क्या हुआ चन्दन? आज शाम ढले कैसे आना हुआ?
अरे चाचा.. वो अभी अभी मोहन आया था बता रहा था मुखिया जी की चौखट पर बैठक लगने वाली है.. मगरू के लड़के मंगल ने कुए पर रजनी भाभी के साथ जोर जबरदस्ती करने की कोशिश की है.. कह रहा था कोतवाली में भी मामला जाएगा... मुखिया जी ने गाँव वालो को बैठक में आने के लिए कहा है.. मैं जा रहा था सोचा आप चलना चाहो तो साथ में ले चलू...
मंगल? अरे पर वो तो अभी बच्चा है...
काहेका बच्चा चाचा.. 18 तो पिछले महीने ही पार कर गया.. लगता है जवानी फूटी है जो ऐसा काम करने चला था..
ठीक है चन्दन मैं छतरी ले लेटा हूँ.. फिर चलते है..
बालचंद और चन्दन दोनों मुखिया के घर बैठक में हिस्सा लेने चल दिए...
बालचंद के जाने के बाद ही अंशुल घर आया और पदमा को घर में अकेला देख हैरानी से बोला - भालू कहा गया?
मुखिया के घर बैठक में गया है.. पदमा ने रोटी बेलते हुए जवाब दिया..
अंशुल पदमा के करीब जाकर गैस बंद करके उसे पीछे से पकड़ते हुए कहता है.. रोटी बाद में बना लेना पदमा देवी.. पहले अपनी औलाद की भूख तो मिटा दो..
तुम भी ना कभी भी कुछ भी करने लगते हो.. ज्यादा बिगड़ गए हो.. ऐसा करोगे तो फिर देख लेना.. कहते हुए पदमा अपने बाल रबर से बाँधती हुई नीचे बैठ जाती है और अंशुल को ब्लोजॉब देने लगती है..
अंशुल पदमा के सर पर हाथ फेरता हुआ लोडा चुसाई का स्वाद लेते हुए कहता है.. क्या करू माँ.. आप हो ही इतनी हसीन.. जब भी आपको देखता हूँ मन करता है बाहों में भर लू और जी भरके प्यार करू...
अंशुल थोड़ी देर में ही पदमा का मुंह वीर्य से भर देता है और अपना लंड जीन्स में अंदर डालकर चैन बंद कर लेटा है पदमा भी वीर्यपान करके बिना हाथ मुंह धोये वापस रोटी पकाने लग जाती है..
माँ....
अब क्या चाहिए? वापस नीचे बैठु?
नहीं....
तो?
अंशुल अपने जीन्स के अंदर से एक शीशी निकालकर पदमा के ब्लाउज में घुसाता हुआ पदमा के बोबे दबाकर कहता है..
इसमें से एक चुटकी भालू को खाने या पानी में मिलाकर दे देना.. और उसके सोते ही ऊपर आ जाना..
तू पागल हो गया है.. मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाली..
अगर आप ऊपर नहीं आई तो मैं नीचे आ जाऊंगा..
जहाँ आना जाना जाओ मैं नहीं आने वाली... कहते हुए पदमा खाना बनाने में लग गई..
अंशुल पदमा की बाते अनसुनी करके ऊपर चला गया और करीब आधे घंटे बाद बालचंद वापस आ गया..
पदमा ने बालचंद को खाना दे दिया मगर सीसी हाथ में लिए अजीब असमंजस में खड़ी रही जब बालचंद ने पानी माँगा तो पाता नहीं कहा से पदमा को ये ख्याल आया और उसने पानी के गिलास में चुटकी भर दवाई मिला दी.. जिसे बालचंद पीकर अगले 10-15 मिनट बाद ही बिस्तर पर गहरी नींद में कराटे भरने लगा..
पदमा को अपनी हरकत पर हैरात हुए मगर वो ज्यादा परेशान नहीं थी उसने काम समेटा और अंशुल के रूम में अपना और अंशुल का खाना लेकर चली गई.
दोनों ने बिना बाते किये ही एक दूसरे को देखते हुए खाना खाया और फिर पदमा झूठे बर्तन लेकर नीचे आ गई..
रात के ग्यारह बज चुके थे अंशुल पदमा का इंतजार कर रहा था उसे दिल ही दिल में यक़ीन था की पदमा बालचंद के सोने के बाद जरुर उसके पास आएगी मगर अब तक वो बस इंतज़ार करता रहा था.. पदमा के मन की दशा भी अजीब थी वो अंशुल के पास जाना चाहती थी मगर जैसे कोई उसे ऐसा करने से रोक रहा था वो खर्राटे लेटे हुए बालचंद के बगल में ही लेट गई और अंशुल के बारे में सोचने लगी.. वो कितनी खुश होती है जब अंशुल उसके आस पास होता है उसके इर्द गिर्द चक्कर लगता है उसे प्यार से परेशान करता है उसे अंशुल के साथ काम क्रीड़ा करने में भी कितना आनंद आता है वो खुद अपनी चुत अंशुल के देना चाहती है मगर उसके मन में फंसी हुई सामाजिक और रिस्तो की गाँठ उसे ऐसा करने से आखिरी मोके पर रोक देती है और वो अंशुल के साथ एक नहीं हो पाती.. पदमा को कभी अंशुल पर तरस आता है तो कभी प्यार आता है.. वो इस तरह आपने बेटे को परेशान नहीं करना चाहती प्यार का इज़हार तो दोनों पहले ही कर चुके है फिर क्यू ये अडचन पदमा और अंशुल के मिलन बाधा बन रही है? पदमा ये सब सोच रही थी की उसे अपने जांघो के बीच कुछ अटपटा सा होता हुआ महसूस हुआ उसने अँधेरे ने नीचे देखा तो अंशुल का प्यारा सा चेहरा उसे बाहर से अंदर आती हुई हलकी सी रौशनी में दिखाई दिया.. अंशुल ने पदमा की साडी कमर तक उठा दी थो और चड्डी के ऊपर से पदमा की रसीली चुत का रस पिने लगा था पदमा डर के मारे बूत बनकर लेटी हुई थी बगल में उसका पति था तो नीचे उसका बेटा अंशुल.. पदमा की चड्डी उतर चुकी थी और अब अंशुल सीधा अपनी माँ के बुर से उसका यौवन रस पी रहा था पदमा लाख कोशिश के बाद भी अपनी सिस्कारिया दबाने में असमर्थ थी उसके मुंह से आह्ह.. उफ्फ्फ.. उम्म्म्म... जैसी मादक सिस्कारिया निकल रही थी पदमा के हाथ अपने आप अंशुल के सर पर आ गए थे जो उसका सर अपनी बुर पर दबाये जा रहे थे मानो कह रहे हो अंशुल और प्यार से.. जब पदमा झड़ गयी तो अंशुल उसकी चुत चाटकर साफ करता हुआ सीधा उसके ऊपर आ गया और पदमा के होंठो को अपने होठो में भर कर चूमने लगा..
पदमा डर और रोमांच के मारे पानी बिन मछली की तरह झटपटाने लगी और अंशुल को आँखों से इशारे करने लगी मानो कह रही हो.. आशु तुम यहां से जाओ.. भालू कभी भी उठ सकता है.. मगर अंशुल पदमा के ऊपर से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था उसे पाता था की पदमा ने बालचंद को दवाई खिला दी है और अब वो सुबह से पहले नहीं उठने वाला..
6x6 के बिस्तर पर एक तरफ बालचंद खराटे मारते हुए सो रहा था तो दूसरी तरह अंशुल आधी नंगी हो चुकी अपनी माँ पदमा के ऊपर चढ़ा हुआ था..
डर लग रहा है?
आशु जाओ ना.. मुझे डर लग रहा है.. पदमा ने धीमी और दबी हुई आवाज में कहा..
कहा था ना जान... आप ऊपर नहीं आओगी तो मैं नीचे आ जाऊंगा..
ठीक ऊपर चलते है.. तुम्हरे पापा ने देख लिया तो आफत आ जायेगी..
तुमने दवाई खिला दी थी ना?
आशु चलो ना मुझे डर लग रहा है..
दवा खिलाई थी या नहीं?
हां पानी डाल कर दी थी चुटकीभर.. पर तुम प्लीज चलो यहां से... मुझे बहुत डर लग रहा है..
किस बात का डर पदमा? आपका पति सुबह तक नहीं उठने वाला.. समझी? अगर अभी इसी बिस्तर पर मैं आपको पटक पटक के चोद दूँ तो भी ये बहन का लोडा आँख नहीं खोलेगा..
अंशुल.. तूम बहुत बेशर्म हो चुके हो..
अब अपनी सगी माँ से प्यार शर्म लिहाज़ के साथ तो नहीं हो सकता.. अंशुल ने हसते हुए कहा और फिर से पदमा को चूमने लगा.. इस बार पदमा ने कोई विरोध नहीं किया और अंशुल को चुम्बन में पूरा साथ देने लगी..
माँ....
हां...
दूदू पिलाओ ना..
पदमा ने अपने ब्लाउज के बटन खोलकर बाया बोबा बाहर निकाल लिया और उसके गुलाबी दाने को हल्का सा सहलते हुए अंशुल के मुंह की तरफ कर दिया जिसे अंशुल ने अपने मुंह में भर लिया और जीभ फिराते हुए दांतो से हल्का सा काट काट काट कर चूसने लगा.. पदमा के चहरे पर मुस्कान थी उसके मन से बालचंद के जागने का डर भी अब कम हो चूका था वो अंशुल के सर को सहलाते हुए उसे अपनी चूची चुसवा रही थी..
आह्ह... अंशुल... आराम से ना.. बेटा... आराम से.. काटो मत ना आशु.. आह्ह... उफ्फ्फ... हाय मईया... आह्ह.. आशु... लल्ला.... माँ को दर्द होता है बेटा... आह्ह...
पदमा की आँखों में मादकता झलक रही थी और वो बड़े लाड प्यार से अपने बेटे को अपनी छाती के उभार से खेलने और मनभर उनको छेड़ने की स्वीकृति दे चुकी थी.. अंशुल आज भी पदमा को वैसा ही लग रहा था जैसा बचपन में लगता था प्यारा सा भोलाभाला मासूम और हल्का सा शैतान..
आशु....
हम्म्म...
चलो ना ऊपर चलते है..
मुझे तो यही मज़ा आ रहा है पदमा.. देखो बालचंद कैसे सो रहा है.. भालू कहीं का...
अपनी माँ की बात नहीं मानोगे तुम?
अच्छा ठीक है..
अंशुल पदमा को अपनी गोद में उठा लेता है और बालचंद की तरफ देखकर पदमा से कहता है.. इस मादरचोद की जगह मैं होता ना तो कसम से.. आपको घर में हमेशा नंगा ही रखता और चोद चोद के मिया खलीफा बना देता..
मुखिया के घर बैठक में गया है.. पदमा ने रोटी बेलते हुए जवाब दिया..
अंशुल पदमा के करीब जाकर गैस बंद करके उसे पीछे से पकड़ते हुए कहता है.. रोटी बाद में बना लेना पदमा देवी.. पहले अपनी औलाद की भूख तो मिटा दो..
तुम भी ना कभी भी कुछ भी करने लगते हो.. ज्यादा बिगड़ गए हो.. ऐसा करोगे तो फिर देख लेना.. कहते हुए पदमा अपने बाल रबर से बाँधती हुई नीचे बैठ जाती है और अंशुल को ब्लोजॉब देने लगती है..
अंशुल पदमा के सर पर हाथ फेरता हुआ लोडा चुसाई का स्वाद लेते हुए कहता है.. क्या करू माँ.. आप हो ही इतनी हसीन.. जब भी आपको देखता हूँ मन करता है बाहों में भर लू और जी भरके प्यार करू...
अंशुल थोड़ी देर में ही पदमा का मुंह वीर्य से भर देता है और अपना लंड जीन्स में अंदर डालकर चैन बंद कर लेटा है पदमा भी वीर्यपान करके बिना हाथ मुंह धोये वापस रोटी पकाने लग जाती है..
माँ....
अब क्या चाहिए? वापस नीचे बैठु?
नहीं....
तो?
अंशुल अपने जीन्स के अंदर से एक शीशी निकालकर पदमा के ब्लाउज में घुसाता हुआ पदमा के बोबे दबाकर कहता है..
इसमें से एक चुटकी भालू को खाने या पानी में मिलाकर दे देना.. और उसके सोते ही ऊपर आ जाना..
तू पागल हो गया है.. मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाली..
अगर आप ऊपर नहीं आई तो मैं नीचे आ जाऊंगा..
जहाँ आना जाना जाओ मैं नहीं आने वाली... कहते हुए पदमा खाना बनाने में लग गई..
अंशुल पदमा की बाते अनसुनी करके ऊपर चला गया और करीब आधे घंटे बाद बालचंद वापस आ गया..
पदमा ने बालचंद को खाना दे दिया मगर सीसी हाथ में लिए अजीब असमंजस में खड़ी रही जब बालचंद ने पानी माँगा तो पाता नहीं कहा से पदमा को ये ख्याल आया और उसने पानी के गिलास में चुटकी भर दवाई मिला दी.. जिसे बालचंद पीकर अगले 10-15 मिनट बाद ही बिस्तर पर गहरी नींद में कराटे भरने लगा..
पदमा को अपनी हरकत पर हैरात हुए मगर वो ज्यादा परेशान नहीं थी उसने काम समेटा और अंशुल के रूम में अपना और अंशुल का खाना लेकर चली गई.
दोनों ने बिना बाते किये ही एक दूसरे को देखते हुए खाना खाया और फिर पदमा झूठे बर्तन लेकर नीचे आ गई..
रात के ग्यारह बज चुके थे अंशुल पदमा का इंतजार कर रहा था उसे दिल ही दिल में यक़ीन था की पदमा बालचंद के सोने के बाद जरुर उसके पास आएगी मगर अब तक वो बस इंतज़ार करता रहा था.. पदमा के मन की दशा भी अजीब थी वो अंशुल के पास जाना चाहती थी मगर जैसे कोई उसे ऐसा करने से रोक रहा था वो खर्राटे लेटे हुए बालचंद के बगल में ही लेट गई और अंशुल के बारे में सोचने लगी.. वो कितनी खुश होती है जब अंशुल उसके आस पास होता है उसके इर्द गिर्द चक्कर लगता है उसे प्यार से परेशान करता है उसे अंशुल के साथ काम क्रीड़ा करने में भी कितना आनंद आता है वो खुद अपनी चुत अंशुल के देना चाहती है मगर उसके मन में फंसी हुई सामाजिक और रिस्तो की गाँठ उसे ऐसा करने से आखिरी मोके पर रोक देती है और वो अंशुल के साथ एक नहीं हो पाती.. पदमा को कभी अंशुल पर तरस आता है तो कभी प्यार आता है.. वो इस तरह आपने बेटे को परेशान नहीं करना चाहती प्यार का इज़हार तो दोनों पहले ही कर चुके है फिर क्यू ये अडचन पदमा और अंशुल के मिलन बाधा बन रही है? पदमा ये सब सोच रही थी की उसे अपने जांघो के बीच कुछ अटपटा सा होता हुआ महसूस हुआ उसने अँधेरे ने नीचे देखा तो अंशुल का प्यारा सा चेहरा उसे बाहर से अंदर आती हुई हलकी सी रौशनी में दिखाई दिया.. अंशुल ने पदमा की साडी कमर तक उठा दी थो और चड्डी के ऊपर से पदमा की रसीली चुत का रस पिने लगा था पदमा डर के मारे बूत बनकर लेटी हुई थी बगल में उसका पति था तो नीचे उसका बेटा अंशुल.. पदमा की चड्डी उतर चुकी थी और अब अंशुल सीधा अपनी माँ के बुर से उसका यौवन रस पी रहा था पदमा लाख कोशिश के बाद भी अपनी सिस्कारिया दबाने में असमर्थ थी उसके मुंह से आह्ह.. उफ्फ्फ.. उम्म्म्म... जैसी मादक सिस्कारिया निकल रही थी पदमा के हाथ अपने आप अंशुल के सर पर आ गए थे जो उसका सर अपनी बुर पर दबाये जा रहे थे मानो कह रहे हो अंशुल और प्यार से.. जब पदमा झड़ गयी तो अंशुल उसकी चुत चाटकर साफ करता हुआ सीधा उसके ऊपर आ गया और पदमा के होंठो को अपने होठो में भर कर चूमने लगा..
पदमा डर और रोमांच के मारे पानी बिन मछली की तरह झटपटाने लगी और अंशुल को आँखों से इशारे करने लगी मानो कह रही हो.. आशु तुम यहां से जाओ.. भालू कभी भी उठ सकता है.. मगर अंशुल पदमा के ऊपर से हटने का नाम ही नहीं ले रहा था उसे पाता था की पदमा ने बालचंद को दवाई खिला दी है और अब वो सुबह से पहले नहीं उठने वाला..
6x6 के बिस्तर पर एक तरफ बालचंद खराटे मारते हुए सो रहा था तो दूसरी तरह अंशुल आधी नंगी हो चुकी अपनी माँ पदमा के ऊपर चढ़ा हुआ था..
डर लग रहा है?
आशु जाओ ना.. मुझे डर लग रहा है.. पदमा ने धीमी और दबी हुई आवाज में कहा..
कहा था ना जान... आप ऊपर नहीं आओगी तो मैं नीचे आ जाऊंगा..
ठीक ऊपर चलते है.. तुम्हरे पापा ने देख लिया तो आफत आ जायेगी..
तुमने दवाई खिला दी थी ना?
आशु चलो ना मुझे डर लग रहा है..
दवा खिलाई थी या नहीं?
हां पानी डाल कर दी थी चुटकीभर.. पर तुम प्लीज चलो यहां से... मुझे बहुत डर लग रहा है..
किस बात का डर पदमा? आपका पति सुबह तक नहीं उठने वाला.. समझी? अगर अभी इसी बिस्तर पर मैं आपको पटक पटक के चोद दूँ तो भी ये बहन का लोडा आँख नहीं खोलेगा..
अंशुल.. तूम बहुत बेशर्म हो चुके हो..
अब अपनी सगी माँ से प्यार शर्म लिहाज़ के साथ तो नहीं हो सकता.. अंशुल ने हसते हुए कहा और फिर से पदमा को चूमने लगा.. इस बार पदमा ने कोई विरोध नहीं किया और अंशुल को चुम्बन में पूरा साथ देने लगी..
माँ....
हां...
दूदू पिलाओ ना..
पदमा ने अपने ब्लाउज के बटन खोलकर बाया बोबा बाहर निकाल लिया और उसके गुलाबी दाने को हल्का सा सहलते हुए अंशुल के मुंह की तरफ कर दिया जिसे अंशुल ने अपने मुंह में भर लिया और जीभ फिराते हुए दांतो से हल्का सा काट काट काट कर चूसने लगा.. पदमा के चहरे पर मुस्कान थी उसके मन से बालचंद के जागने का डर भी अब कम हो चूका था वो अंशुल के सर को सहलाते हुए उसे अपनी चूची चुसवा रही थी..
आह्ह... अंशुल... आराम से ना.. बेटा... आराम से.. काटो मत ना आशु.. आह्ह... उफ्फ्फ... हाय मईया... आह्ह.. आशु... लल्ला.... माँ को दर्द होता है बेटा... आह्ह...
पदमा की आँखों में मादकता झलक रही थी और वो बड़े लाड प्यार से अपने बेटे को अपनी छाती के उभार से खेलने और मनभर उनको छेड़ने की स्वीकृति दे चुकी थी.. अंशुल आज भी पदमा को वैसा ही लग रहा था जैसा बचपन में लगता था प्यारा सा भोलाभाला मासूम और हल्का सा शैतान..
आशु....
हम्म्म...
चलो ना ऊपर चलते है..
मुझे तो यही मज़ा आ रहा है पदमा.. देखो बालचंद कैसे सो रहा है.. भालू कहीं का...
अपनी माँ की बात नहीं मानोगे तुम?
अच्छा ठीक है..
अंशुल पदमा को अपनी गोद में उठा लेता है और बालचंद की तरफ देखकर पदमा से कहता है.. इस मादरचोद की जगह मैं होता ना तो कसम से.. आपको घर में हमेशा नंगा ही रखता और चोद चोद के मिया खलीफा बना देता..
मादरचोद तो तुम बनना चाहते हो.. पदमा ने मुस्कुराते हुए अंशुल से कहा और ऊपर चलने का इशारा किया तो अंशुल पदमा को गोद में लेकर कमरे से बाहर निकल गया और सीढ़ियों से होता हुआ अपने कमरे में आकर पदमा को गद्दे पर पटक दिया और AC ऑन करके दरवाजे को अंदर से बंद करता हुआ पदमा के पास आ गया और फिर से पदमा के बदन को छेड़ता हुआ पदमा से बतियाने लगा..
माँ फिर से बिस्तर में अपने बेटे के साथ नंगी होकर केसा लग रहा है?
जैसा तुझे अपनी माँ के साथ लग रहा है..
अच्छा? तो फिर में हां समझू या अब भी ना है?
तू क्या समझता है मुलायम गद्दे पर मुझे AC कि हवा में सुलाकर और मीठी मीठी बातें करके मेरा मन बदल देगा? मेरा जवाब अभी भी ना है..
कोई बात नहीं माँ.. आपके नीचे वाले होंठ ना सही ऊपर वाले होंठों से काम चला लूंगा..
सुबह से चार बार मुंह में ले चुकी हूँ.. पता नहीं इंसान हो या शैतान? थकते ही नहीं..
अब आप हसीन ही इतनी हो जब भी आपको देखता हूँ.. मन करता है..
क्या मन करता है?
सच में बता दूँ?
नहीं रहने दो.. पता नहीं क्या हरकत करोगे मेरे साथ..
आप तो शर्मा गई माँ...
मेरा जवान बेटा मुझे नंगी करके मेरे ऊपर चढ़ा हुआ है मुझे शर्म नहीं आएगी?
अच्छा.. तो पहले मुझे मेरी माँ कि शर्म उतारनी पड़ेगी..
अंशुल खड़ा होकर अलमीरा में छिपी हुई शराब कि बोतल निकाल लेता है और पानी के गिलास जो कि टेबल पानी के जग के साथ रखा हुआ था उसमे एक कड़क पेग बनाकर पदमा को खड़ा करता हुआ देता है.. लो ये शर्म उतारने कि दवाई है..
पदमा शराब चखते हुए.. छी बहुत कड़वी है..
दवाई तो कड़वी ही होती है.. चलो एक बार में पी जाओ फटाफट...
पदमा एक बार में अंशुल के हाथ से पूरा पेग पी जाती है.. उसे ऐसा लगता है कैसे किसी ने नीम का जूस पीला दिया हो..
अंशुल ने पेग कड़क और बहुत बड़ा बनाया था उसे मालूम था कि पदमा इस पग के बाद ही नशे में आ जायेगी.. पग ख़त्म होने के बाद अंशुल दूसरा पेग बनाकर बेड के सिरहाने रख देता है और पदमा के साथ वापस बिस्तर में आकर चुम्माचाटी शुरु कर देता है.. अंशुल अच्छे से जानता था कि पदमा को कब तक और कितना नशा होगा उसने चुम्बन तोड़ कर एक सिगरेट पदमा के गुलाबी होंठों पर लगा दी और लाइटर से जलाते हुए कहा..
माँ आप कश मारो मैं आपको आराम देता हूँ.. इतना कहकर अंशुल पदमा कि झांटो से हरी भरी गुलाबी चुत पर आ जाता है और चूसने लगता है.. शराब के बाद सिगरेट और ऊपर से अपने बेटे से चुत चूसाना, पदमा धीरे धीरे खुल रही थी उसने सिराहने रखा हुआ पेग भी पी लिया जो अंशुल ने अपने लिए बनाया था..
अब उसका नशा बढ़ने लगा था पदमा को झड़ने में देर नहीं लगी वो आधी सिगरेट ख़त्म होते ही झड़ गई और उसने सिगरेट नीचे फेंक कर अपने दोनों हाथो से अंशुल का सर अपनी चुत पर दबा लिया और काँपते हुए उसके मुंह को अपने चुत के पानी से भर दिया जिसे अंशुल ने बिना परहेज किये पी लिया और वापस पदमा कि चुत को चाटने लगा....
पदमा को जो अब सुख मिल रहा था वो कोई मामूली नहीं था पदमा को अंशुल ने आज वाक़ई तारे दिखा दिए थे पदमा का सर हल्का घूम रहा था और उसके बदन में सरसराहत सी मच रही थी पदमा कि हालत अंशुल अच्छे से समझ चूका था और उसने जब देखा कि पदमा दूसरा पेग भी पी चुकी है तो उसे समझ आ गया कि इस वक़्त पदमा से जो चाहे करवा सकता और अब उसकी चुत भी ले सकता है पदमा उसे रोकेगी नहीं..
ऐसे क्या देख रही हो इतनी प्यार से?
मैं अपने लल्ला को देख रही हूँ... पदमा ने नशीली आँखों से मुस्कुराते हुए कहा..
कितना प्यार करती हो अपने लल्ला से? अंशुल ने पदमा के बाल सवारते हुए पूछा..
इतना जितना कोई किसीसे नहीं करता..
सच?
मुच...
तो फिर अबतक मुझे आपने अपनी चुत क्यू नहीं दी?
मैं कब से त्यार हूँ देने के लिए.. अब तक समाज के झूठे बंधन ने रोक रखा था और मैं बस अपने बेटे का सब्र देखना चाहती हूँ..
अच्छा? तो ये भी बता दो पदमा रानी.... ये सब्र कब ख़त्म होगा?
ख़त्म हो गया.... पदमा ने अंशुल के लंड को अपनी चुत के छेद से सटा दिया और वापस अंशुल से कहा.. बना ले मुझे अपना आशु.... नशे में ही सही पदमा ने अंशुल के अपनी चुत में आने कि इज़ाज़त दे दी थी जिसपर अंशुल ने बिना देर किया पदमा की जांघ पकड़कर उसकी गीली चुत में अपना लंड बिना कोई वक़्त बर्बाद किये एक बार में ही आधे से ज्यादा घुसा दिया.. पदमा कि चुत सालों से नहीं चुदी थी मगर ऊँगली करने से इतनी जरुर खुली हुई थी कि अंशुल का विशालकाय लंड उसमे प्रवेश कर सके..
माँ फिर से बिस्तर में अपने बेटे के साथ नंगी होकर केसा लग रहा है?
जैसा तुझे अपनी माँ के साथ लग रहा है..
अच्छा? तो फिर में हां समझू या अब भी ना है?
तू क्या समझता है मुलायम गद्दे पर मुझे AC कि हवा में सुलाकर और मीठी मीठी बातें करके मेरा मन बदल देगा? मेरा जवाब अभी भी ना है..
कोई बात नहीं माँ.. आपके नीचे वाले होंठ ना सही ऊपर वाले होंठों से काम चला लूंगा..
सुबह से चार बार मुंह में ले चुकी हूँ.. पता नहीं इंसान हो या शैतान? थकते ही नहीं..
अब आप हसीन ही इतनी हो जब भी आपको देखता हूँ.. मन करता है..
क्या मन करता है?
सच में बता दूँ?
नहीं रहने दो.. पता नहीं क्या हरकत करोगे मेरे साथ..
आप तो शर्मा गई माँ...
मेरा जवान बेटा मुझे नंगी करके मेरे ऊपर चढ़ा हुआ है मुझे शर्म नहीं आएगी?
अच्छा.. तो पहले मुझे मेरी माँ कि शर्म उतारनी पड़ेगी..
अंशुल खड़ा होकर अलमीरा में छिपी हुई शराब कि बोतल निकाल लेता है और पानी के गिलास जो कि टेबल पानी के जग के साथ रखा हुआ था उसमे एक कड़क पेग बनाकर पदमा को खड़ा करता हुआ देता है.. लो ये शर्म उतारने कि दवाई है..
पदमा शराब चखते हुए.. छी बहुत कड़वी है..
दवाई तो कड़वी ही होती है.. चलो एक बार में पी जाओ फटाफट...
पदमा एक बार में अंशुल के हाथ से पूरा पेग पी जाती है.. उसे ऐसा लगता है कैसे किसी ने नीम का जूस पीला दिया हो..
अंशुल ने पेग कड़क और बहुत बड़ा बनाया था उसे मालूम था कि पदमा इस पग के बाद ही नशे में आ जायेगी.. पग ख़त्म होने के बाद अंशुल दूसरा पेग बनाकर बेड के सिरहाने रख देता है और पदमा के साथ वापस बिस्तर में आकर चुम्माचाटी शुरु कर देता है.. अंशुल अच्छे से जानता था कि पदमा को कब तक और कितना नशा होगा उसने चुम्बन तोड़ कर एक सिगरेट पदमा के गुलाबी होंठों पर लगा दी और लाइटर से जलाते हुए कहा..
माँ आप कश मारो मैं आपको आराम देता हूँ.. इतना कहकर अंशुल पदमा कि झांटो से हरी भरी गुलाबी चुत पर आ जाता है और चूसने लगता है.. शराब के बाद सिगरेट और ऊपर से अपने बेटे से चुत चूसाना, पदमा धीरे धीरे खुल रही थी उसने सिराहने रखा हुआ पेग भी पी लिया जो अंशुल ने अपने लिए बनाया था..
अब उसका नशा बढ़ने लगा था पदमा को झड़ने में देर नहीं लगी वो आधी सिगरेट ख़त्म होते ही झड़ गई और उसने सिगरेट नीचे फेंक कर अपने दोनों हाथो से अंशुल का सर अपनी चुत पर दबा लिया और काँपते हुए उसके मुंह को अपने चुत के पानी से भर दिया जिसे अंशुल ने बिना परहेज किये पी लिया और वापस पदमा कि चुत को चाटने लगा....
पदमा को जो अब सुख मिल रहा था वो कोई मामूली नहीं था पदमा को अंशुल ने आज वाक़ई तारे दिखा दिए थे पदमा का सर हल्का घूम रहा था और उसके बदन में सरसराहत सी मच रही थी पदमा कि हालत अंशुल अच्छे से समझ चूका था और उसने जब देखा कि पदमा दूसरा पेग भी पी चुकी है तो उसे समझ आ गया कि इस वक़्त पदमा से जो चाहे करवा सकता और अब उसकी चुत भी ले सकता है पदमा उसे रोकेगी नहीं..
ऐसे क्या देख रही हो इतनी प्यार से?
मैं अपने लल्ला को देख रही हूँ... पदमा ने नशीली आँखों से मुस्कुराते हुए कहा..
कितना प्यार करती हो अपने लल्ला से? अंशुल ने पदमा के बाल सवारते हुए पूछा..
इतना जितना कोई किसीसे नहीं करता..
सच?
मुच...
तो फिर अबतक मुझे आपने अपनी चुत क्यू नहीं दी?
मैं कब से त्यार हूँ देने के लिए.. अब तक समाज के झूठे बंधन ने रोक रखा था और मैं बस अपने बेटे का सब्र देखना चाहती हूँ..
अच्छा? तो ये भी बता दो पदमा रानी.... ये सब्र कब ख़त्म होगा?
ख़त्म हो गया.... पदमा ने अंशुल के लंड को अपनी चुत के छेद से सटा दिया और वापस अंशुल से कहा.. बना ले मुझे अपना आशु.... नशे में ही सही पदमा ने अंशुल के अपनी चुत में आने कि इज़ाज़त दे दी थी जिसपर अंशुल ने बिना देर किया पदमा की जांघ पकड़कर उसकी गीली चुत में अपना लंड बिना कोई वक़्त बर्बाद किये एक बार में ही आधे से ज्यादा घुसा दिया.. पदमा कि चुत सालों से नहीं चुदी थी मगर ऊँगली करने से इतनी जरुर खुली हुई थी कि अंशुल का विशालकाय लंड उसमे प्रवेश कर सके..
हाय मर गई मोरी मईया..... पदमा ने अंशुल का लंड चुत में लेते ही चिल्ला कर बोली.. आह्ह... हाय.. मईया... आहहह.....
अंशुल को अपनी माँ की बाते सुनकर और भी जोश आ गया और वो बिना किसी शर्म के एक और जोर का धक्का मारकर अपना लंड पदमा की चुत में पूरा अंदर तक घुसा के उसपर लेट गया.. पदमा की हालात किसी कुंवारी लड़की सी हो रही थी जो लगता था पहली बार चुदी है.. लोडा घुसने से जैसे पदमा का नशा भी हल्का हो गया था.. उसकी आँखे बंद हो गयी थी.. पदमा की आवाजे कमरे से बाहर जा रही थी मगर घर में उसकी आहे सुनने वाला था ही कौन? अंशुल को पदमा के चेहरे पर लंड के घुसने से पैदा हुए हावभाव देखने में सुकून मिल रहा था उसे यक़ीन नहीं हो रहा था वो आज अपनी माँ को ही चोदने जा रहा है..
कुछ देर बाद जब पदमा ने अपनी आँखे खोली तो अंशुल ने धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे करने का काम शुरू किया, पदमा ने अपने दोनों हाथों से अंशुल की पीठ को पकड़ लिया और अनजाने में नाख़ून से पीठ करोचना शुरू कर दिया था.
अंशुल को अपनी माँ की बाते सुनकर और भी जोश आ गया और वो बिना किसी शर्म के एक और जोर का धक्का मारकर अपना लंड पदमा की चुत में पूरा अंदर तक घुसा के उसपर लेट गया.. पदमा की हालात किसी कुंवारी लड़की सी हो रही थी जो लगता था पहली बार चुदी है.. लोडा घुसने से जैसे पदमा का नशा भी हल्का हो गया था.. उसकी आँखे बंद हो गयी थी.. पदमा की आवाजे कमरे से बाहर जा रही थी मगर घर में उसकी आहे सुनने वाला था ही कौन? अंशुल को पदमा के चेहरे पर लंड के घुसने से पैदा हुए हावभाव देखने में सुकून मिल रहा था उसे यक़ीन नहीं हो रहा था वो आज अपनी माँ को ही चोदने जा रहा है..
कुछ देर बाद जब पदमा ने अपनी आँखे खोली तो अंशुल ने धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे करने का काम शुरू किया, पदमा ने अपने दोनों हाथों से अंशुल की पीठ को पकड़ लिया और अनजाने में नाख़ून से पीठ करोचना शुरू कर दिया था.
हलके हलके झटको में ही पदमा जोर की सिस्कारिया भरने लगी जो अंशुल के कानो को किसी मधुर गीत की तरह सुनाई पड़ रही थी.. पदमा की आवाजे तेज़ हो रही थी जिसे दबाने के लिए अंशुल ने बगल में पड़े फ़ोन पर एक गाना प्ले कर दिया और संजोग से वो था..
तेरी उँगली पकड़ के चला
ममता के आँचल में पला
तेरी उँगली पकड़ के चला
ममता के आँचल में पला
माँ, ओ, मेरी माँ (तू मेरा लाडला)
माँ, ओ, मेरी माँ, मैं तेरा लाडला
पदमा ने हाथ बढ़ाकर गाना बदलना चाहा मगर अंशुल ने पदमा को गाना बंदलने से रोक दिया और चोदने की रफ़्तार बढ़ाता हुआ बोला - चलने दे माँ.. अच्छा गाना है..
बन के तेरा साया, मैं तुझको थाम लूँ
उठ के रब से पहले मैं तेरा नाम लूँ
आअह्ह्ह.... बेटा... थोड़ा आराम से.. अब पदमा को चुदाई का मज़ा और सजा दोनों मिलने लगे थे और वो हलके हो चुके नशे की हालात में अंशुल से चुदते हुए बाते करने लगी थी..
रखूँ तुझे पलकों तले, पूजा करूँ तेरी
तेरे सिवा तू ही बता क्या ज़िंदगी मेरी
मैं तो तेरे सपनों के रंग में ढला
तेरी उँगली पकड़ के चला
ममता के आँचल में पला
माँ, ओ, मेरी माँ (तू मेरा लाडला)
माँ, ओ, मेरी माँ, मैं तेरा लाडला
आह्ह.... आहहह.... आह्ह... अंशुल... आह्ह... बेटा... ये गाना बंद कर दे... आह्ह... आशु...
कोई दूसरा गाना चला दे बेटा... आहहहहह...
क्यू.. इस गाने में क्या खराबी है पदमा रानी...
आह्ह आह्ह.. बेटा.. थोड़ा.. धीरे से..
पदमा ने चुदते चुदते ही वापस हाथ फ़ोन की तरफ बढ़ा दिया और फ़ोन लेकर गाना बदलना चाहा लेकिन अंशुल ने पदमा से गुस्से में कहा - अगर गाना बदला दिया तो तेरी माँ चोद दूंगा.. बहन की लोड़ी, पदमा रंडी.. पदमा को अपने कानो पर यक़ीन ही नहीं हो रहा था की अंशुल आज उसे चोद भी रहा है और गालिया भी दे रहा है.. इससे पहले की पदमा अंशुल से कुछ कहती अंशुल ने पदमा की चुत से लंड निकाल लिया और पदमा को पलटकर अपने आगे घोड़ी बनाकर वापस लोडा पदमा की चुत में डाल दिया पदमा तो जैसे अंशुल के इशारो पर ही नाच रही थी.. अंशुल ने दो चार धक्के लगाए तो पदमा के मुंह वापस सिस्कारिया निकलना शुरू हो गई.. अंशुल ने एक बार बीच में रुककर एक बड़ी एडवांस सिगरेट जाला ली और कश लेते हुए पदमा को चोदने लगा.. गाना आगे बाजा..
तेरी उँगली पकड़ के चला
ममता के आँचल में पला
तेरी उँगली पकड़ के चला
ममता के आँचल में पला
माँ, ओ, मेरी माँ (तू मेरा लाडला)
माँ, ओ, मेरी माँ, मैं तेरा लाडला
पदमा ने हाथ बढ़ाकर गाना बदलना चाहा मगर अंशुल ने पदमा को गाना बंदलने से रोक दिया और चोदने की रफ़्तार बढ़ाता हुआ बोला - चलने दे माँ.. अच्छा गाना है..
बन के तेरा साया, मैं तुझको थाम लूँ
उठ के रब से पहले मैं तेरा नाम लूँ
आअह्ह्ह.... बेटा... थोड़ा आराम से.. अब पदमा को चुदाई का मज़ा और सजा दोनों मिलने लगे थे और वो हलके हो चुके नशे की हालात में अंशुल से चुदते हुए बाते करने लगी थी..
रखूँ तुझे पलकों तले, पूजा करूँ तेरी
तेरे सिवा तू ही बता क्या ज़िंदगी मेरी
मैं तो तेरे सपनों के रंग में ढला
तेरी उँगली पकड़ के चला
ममता के आँचल में पला
माँ, ओ, मेरी माँ (तू मेरा लाडला)
माँ, ओ, मेरी माँ, मैं तेरा लाडला
आह्ह.... आहहह.... आह्ह... अंशुल... आह्ह... बेटा... ये गाना बंद कर दे... आह्ह... आशु...
कोई दूसरा गाना चला दे बेटा... आहहहहह...
क्यू.. इस गाने में क्या खराबी है पदमा रानी...
आह्ह आह्ह.. बेटा.. थोड़ा.. धीरे से..
पदमा ने चुदते चुदते ही वापस हाथ फ़ोन की तरफ बढ़ा दिया और फ़ोन लेकर गाना बदलना चाहा लेकिन अंशुल ने पदमा से गुस्से में कहा - अगर गाना बदला दिया तो तेरी माँ चोद दूंगा.. बहन की लोड़ी, पदमा रंडी.. पदमा को अपने कानो पर यक़ीन ही नहीं हो रहा था की अंशुल आज उसे चोद भी रहा है और गालिया भी दे रहा है.. इससे पहले की पदमा अंशुल से कुछ कहती अंशुल ने पदमा की चुत से लंड निकाल लिया और पदमा को पलटकर अपने आगे घोड़ी बनाकर वापस लोडा पदमा की चुत में डाल दिया पदमा तो जैसे अंशुल के इशारो पर ही नाच रही थी.. अंशुल ने दो चार धक्के लगाए तो पदमा के मुंह वापस सिस्कारिया निकलना शुरू हो गई.. अंशुल ने एक बार बीच में रुककर एक बड़ी एडवांस सिगरेट जाला ली और कश लेते हुए पदमा को चोदने लगा.. गाना आगे बाजा..
बच के अपने घर से सुख जाएगा कहाँ?
बदलेगा नसीबा इक रोज़, मेरी माँ
आह्ह... बेटा.... आहहह.... आहहह.. आह्ह...
बच के अपने घर से सुख जाएगा कहाँ?
बदलेगा नसीबा इक रोज़, मेरी माँ
आह्ह... आह्ह... अह्ह्ह्ह... बेटा.. आह्ह..
तेरी ख़ुशी मेरी ख़ुशी, ग़म तेरा मेरा ग़म
तेरे लिए, तेरी क़सम, लूँगा मैं १०० जनम
तू नहीं तो दुनिया में कुछ नहीं मेरा
आह्ह... आह्ह.. आह्ह... आह... आहहह....
अंशुल अपनी माँ को घोड़ी बनाकर एक हाथ से उसके बाल लगाम की तरह खींचते हुए और दूसरे हाथ से सिगरेट के कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए चोद रहा था और पूरा कमरा लंड और चुत के पावन मेल की सुमधुर आवाज से गूंज रहा था वहीं फ़ोन पर भी हलकी आवाज में एक गाना चल रहा था जो अब ख़त्म होने वाला था..
तेरी उँगली पकड़ के चला
ममता के आँचल में पला
माँ, ओ, मेरी माँ (तू मेरा लाडला)
माँ, ओ, मेरी माँ, मैं तेरा लाडला
गाना ख़त्म हो चूका था मगर अंशुल ने अपनी माँ पदमा को उसी पोज़ में चोदना जारी रखा था पदमा को ये गाना सुनकर अपने बेटे से चुदते हुए बहुत शर्मिंदगी हो रही थी मगर अब वो कर भी क्या सकती थी अंशुल तो जैसे चाहे उसे अपने इशारो पर नचा रहा था पदमा जैसे उसके हाथ की कटपुतली बन चुकी थी..
सिगरेट ख़त्म होने के बाद कई गाने शुरू होकर ख़त्म हो चुके थे मगर अंशुल ने पदमा को उसी तरह से चोदना चालू रखा.. फिर एक गाना बजा..
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है, प्यारी प्यारी है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
यह जो दुनिया है, वन है कांटो का, तू फुलवारी है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ॥
इस बार पदमा को और भी ज्यादा शर्म आ रही थी दोनों माँ बेटे इस वक़्त चुदाई कर रहे थे और ऊपर से ऐसे गाने उनके बीच चल रहे चुदाई कार्यक्रम में हास्य रस भर रहे थे..
बदलेगा नसीबा इक रोज़, मेरी माँ
आह्ह... बेटा.... आहहह.... आहहह.. आह्ह...
बच के अपने घर से सुख जाएगा कहाँ?
बदलेगा नसीबा इक रोज़, मेरी माँ
आह्ह... आह्ह... अह्ह्ह्ह... बेटा.. आह्ह..
तेरी ख़ुशी मेरी ख़ुशी, ग़म तेरा मेरा ग़म
तेरे लिए, तेरी क़सम, लूँगा मैं १०० जनम
तू नहीं तो दुनिया में कुछ नहीं मेरा
आह्ह... आह्ह.. आह्ह... आह... आहहह....
अंशुल अपनी माँ को घोड़ी बनाकर एक हाथ से उसके बाल लगाम की तरह खींचते हुए और दूसरे हाथ से सिगरेट के कश लेकर धुआँ छोड़ते हुए चोद रहा था और पूरा कमरा लंड और चुत के पावन मेल की सुमधुर आवाज से गूंज रहा था वहीं फ़ोन पर भी हलकी आवाज में एक गाना चल रहा था जो अब ख़त्म होने वाला था..
तेरी उँगली पकड़ के चला
ममता के आँचल में पला
माँ, ओ, मेरी माँ (तू मेरा लाडला)
माँ, ओ, मेरी माँ, मैं तेरा लाडला
गाना ख़त्म हो चूका था मगर अंशुल ने अपनी माँ पदमा को उसी पोज़ में चोदना जारी रखा था पदमा को ये गाना सुनकर अपने बेटे से चुदते हुए बहुत शर्मिंदगी हो रही थी मगर अब वो कर भी क्या सकती थी अंशुल तो जैसे चाहे उसे अपने इशारो पर नचा रहा था पदमा जैसे उसके हाथ की कटपुतली बन चुकी थी..
सिगरेट ख़त्म होने के बाद कई गाने शुरू होकर ख़त्म हो चुके थे मगर अंशुल ने पदमा को उसी तरह से चोदना चालू रखा.. फिर एक गाना बजा..
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है, प्यारी प्यारी है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
यह जो दुनिया है, वन है कांटो का, तू फुलवारी है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ॥
इस बार पदमा को और भी ज्यादा शर्म आ रही थी दोनों माँ बेटे इस वक़्त चुदाई कर रहे थे और ऊपर से ऐसे गाने उनके बीच चल रहे चुदाई कार्यक्रम में हास्य रस भर रहे थे..
अंशुल अपनी माँ को आड़ा लिटाते हुए पीछे से उसकी एक टांग उठाकर अपना लंड पदमा की चुत में डाल कर झटके मारते हुए फ़ोन पर चल रहे गाने के साथ खुद भी गाने लगा और पदमा का बोबा पकड़ कर दबाने लगा....
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है, प्यारी प्यारी है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
यह जो दुनिया है, वन है कांटो का, तू फुलवारी है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ॥
पदमा के शर्म के मारे फ़ोन उठाकर गाना बंद कर दिया तो अंशुल पीछे से झटके मारता हुआ बोला - गाने से शर्मा रही है बहन की लोड़ी.. अपने बेटे से चुदने में नहीं शर्माती...
बेटा अगर तेरे जैसा मर्द हो तो चुदने में कैसी शर्म? इस बार पदमा ने भी जवाब दे ही दिया..
वाह.. मादरचोद.. लगता है शर्म खुल ही गई तेरी..
मादरचोद तो तू है लल्ला.. कैसे रगड़ के चोद रहा है मुझे.. आह्ह... लगता है एक ही रात में सकड़ी गली का हाईवे बना देगा..
तेरी जैसी खूबसूरत माँ दी है भगवान ने.. अगर नहीं चोदुँगा तो मुझे नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी पदमा..
चोदते चोदते तू कहीं हमारा रिश्ता मत भूल जाना बेटा...
कैसे भूल सकता हूँ माँ? 21 साल पहले तूने इसी चुत से तो निकाला था मुझे.. हमारी पहली चुदाई की याद तो रहनी चहिये ना माँ...
आह्ह... आशु... क्या याद बनानी है तुझे?
अंशुल फ़ोन उठाकर.. अभी बताता हूँ माँ.. अंशुल ने फ़ोन का केमेरा चालू करते हुए एक रील टाइप वीडियो बनाने का सोचा तो उसे meme याद आया और वो कैमरे की तरफ देखता हुआ बोला..
ये मैं हूँ... (कैमरे में अपना फेस दिखाकर) ये मेरी माँ पदमा देवी है...(कैमरे में पदमा का फेस दिखा कर) और ये मेरी माँ की चुदाई हो रही है... (कैमरे में चुदाई दिखाकर)...
अंशुल ने ऐसी तीन चार वीडियो बना ली और फिर पदमा को मिशनरी पोज़ में लेकर चोदने लगा.. पदमा कई बार झड़ चुकी थी मगर अंशुल का अभी तक नहीं निकला था आज कई बार पदमा से मिले ब्लोजॉब के कारण अंशुल को झड़ने में देरी हो रही थी..
तेरे लिए एक कविता लिखी है माँ... सुनाऊ...
आह्ह... सुना दे बेटा... अब मैं सच में तेरी हो गई हूँ..
अंशुल ने अपनी माँ को चोदते हुए फ़ोन में लिखी कविता पढ़ना शुरू किया..
तुझसे ही होती है सुबह, तुझसे ही होती शाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
माँ तेरे इन गुलाबी लबों को
मैं हरदम चूमना चाहता हूँ
तेरे होंठों की मदिरा पीकर
मैं हरदम झुमना चाहता हूँ
कितने सिल्की बाल है तेरे
गाल भी कितने लाल है
ऊपर से नीचे तक माँ तू
पूरी की पूरी माल है
सुराही सी है गर्दन तेरी
आँखे भी काली काली है
पतली सी है नाक माँ तेरी
होंठों पर वाह क्या लाली है
भगवान कसम माँ सच में तू, दारु का आखिरी जाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
ऊँचालीस की उम्र में भी माँ
तेरी छातीया नहीं झुकी
इनपर बहुत बार मुट्ठी मारी
फिर भी गिनती नहीं रुकी
हिलते हुए तेरे बोबे माँ
जंग भी करवा सकते है
तुझे चोदने के लिए गाँव वाले
तुझे अग़वा भी करवा सकते है
कमर की क्या तारीफ़ करू माँ
शिल्पा शेट्टी भी फ़ैल है
तेरी गांड ऐसे हिलती है
लगता है जैसे रेल है
लंड से लगा के रखूँगा माँ, तू मेरी जीत का इनाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
अब भी मुझको याद है वो जब
तू मुझको दूध पीलाती थी
ऊँगली डालके उसी समय तू
अपनी चुत भी सहलाती थी
बचपन से ही माँ तुझको मैं
अपना बनाना चाहता हूँ
तुझसे शादी करके तेरी
भूख मिटाना चाहता हूँ
मैं जानता हूँ माँ मेरा बाप तुझे
खुश नहीं रख पाता है
उस नामर्द पर माँ मुझको
गुस्सा भी बहुत आता है
मन करता है उसके सामने
तुझको रगड़ कर धर डालू
जो कुछ माँ वो नहीं कर सका
मैं तेरे साथ में कर डालू
फंसा के रखूँगा गांड में लंड माँ, जैसे लगता जाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
पूरी करूँगा तेरी हर ख्वाहिश
तेरे नखरे भी संभालूंगा
चुदने में अगर तू नाटक करेगी
तो गांड में लोडा डालूंगा
जब भी माँ तू चुत में अपनी
मेरा लोडा खायेगी
सच कहता हूँ माँ तू मुझसे
दुल्हन सी शर्माएगी
खेल खेल में पेलुँगा तो तुझे
लंड की लत लग जायेगी
उठाके अपना घाघरा माँ
तू खुद ही चुदने आएगी
तेरे मेरे प्यार पर माँ पूरा
ग्रन्थ लिखा जाएगा
हर माँ-बेटा चुदाई से पहले
हमारे प्यार की कसमे खायेगा
तुझे लंड पै रखने के सिवा माँ, दुनिया में क्या काम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
तेरी चुत से मम्मी जब मेरा
बच्चा बाहर आएगा
माँ बोले या दादी तुझे वो
सोचकर चकरा जाएगा
बिस्तर पर मेरे बच्चे को तू
जब अपना दूध पीलायेगी
उस वक़्त भी मम्मी चुत में तू
मेरे लंड के झटके खाएगी
सुसरे-जेठ की जैसे मुझसे
घुंघट में बतियायेगी
हर सुबह मेरे पैर को छूकर
मेरे लंड पर मुंह लगाएगी
मैं कहीं भी जाऊ पर माँ, तेरी चुत ही मेरा मुकाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
मेरे बच्चे को गोद में लेकर
जब तू ये समझायेगी
सोजा बेटा फिर तेरी मम्मी
तेरे भईया/बाप से चुदवाएगी
बच्चे के सोने के बाद मैं
माँ तेरे वस्त्र उतारूँगा
घोड़ी बनाके बिस्तर पै नंगा
तेरी ढंग से गांड मारूंगा
तेरी मादक सिसकारीयों से
जब बच्चा जग जायेगा
माँ गुस्से में तू बोलेगी
अब इसे कौन चुप कराएगा
मैं तुझको चोदना छोडके मम्मी
बच्चे को पहले सुलाऊंगा
उसके बाद में माँ तुझे मैं
फिर से घोड़ी बनाऊंगा
पूरा चुकाऊंगा मैं मम्मी, तेरी चुत का जो भी दाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
मैं जानता हूँ माँ बचपन से तूने
दुख-दर्द को ही झेला है
पर अब तू चिंता छोड़ दे माँ
मेरा लम्बा-मोटा केला है
माँ शर्माकर जब तू बोलेगी
जी बस करिये अब और नहीं
मै चोदता हुआ तुझे बोलूंगा
बच्चा जग जाएगा, ज्यादा शोर नहीं
ऐसे ही गुजरेंगे दिन
और रातें अपनी प्यार में
कभी कमी नहीं होगी माँ
मेरे लंड से तेरे दुलार में
हर मौसम तेरे साथ में नंगा, सोना मेरा काम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
अंशुल कविता ख़त्म करते करते झड़ गया और पदमा के ऊपर से हटकर एक तरफ पड़ गया.. पदमा मुस्कुराते हुए एक सिगरेट अपने गुलाबी होंठो पर लगाकर सुलगती हुई कश लेकर अंशुल के लंड के पास आ गई और उसके लंड पर से कंडोम उतार और कंडोम के गाँठ बांधकर एक तरफ रखती हुई बोली.. बहुत अच्छी कविता थी.. अंशुल के लंड को हाथ में पकड़ती हुई बोली.. आज के बाद इसपर मेरा हक़ है.. और फिर सिगरेट के कश लगाते हुए पदमा अंशुल का लंड मुंह में भर कर चुस्ती हुई साफ करने लगी.. पदमा के लोडा चूसने से अंशुल के लंड में फिर से हरकत होने लगी..
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है, प्यारी प्यारी है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
यह जो दुनिया है, वन है कांटो का, तू फुलवारी है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ॥
पदमा के शर्म के मारे फ़ोन उठाकर गाना बंद कर दिया तो अंशुल पीछे से झटके मारता हुआ बोला - गाने से शर्मा रही है बहन की लोड़ी.. अपने बेटे से चुदने में नहीं शर्माती...
बेटा अगर तेरे जैसा मर्द हो तो चुदने में कैसी शर्म? इस बार पदमा ने भी जवाब दे ही दिया..
वाह.. मादरचोद.. लगता है शर्म खुल ही गई तेरी..
मादरचोद तो तू है लल्ला.. कैसे रगड़ के चोद रहा है मुझे.. आह्ह... लगता है एक ही रात में सकड़ी गली का हाईवे बना देगा..
तेरी जैसी खूबसूरत माँ दी है भगवान ने.. अगर नहीं चोदुँगा तो मुझे नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी पदमा..
चोदते चोदते तू कहीं हमारा रिश्ता मत भूल जाना बेटा...
कैसे भूल सकता हूँ माँ? 21 साल पहले तूने इसी चुत से तो निकाला था मुझे.. हमारी पहली चुदाई की याद तो रहनी चहिये ना माँ...
आह्ह... आशु... क्या याद बनानी है तुझे?
अंशुल फ़ोन उठाकर.. अभी बताता हूँ माँ.. अंशुल ने फ़ोन का केमेरा चालू करते हुए एक रील टाइप वीडियो बनाने का सोचा तो उसे meme याद आया और वो कैमरे की तरफ देखता हुआ बोला..
ये मैं हूँ... (कैमरे में अपना फेस दिखाकर) ये मेरी माँ पदमा देवी है...(कैमरे में पदमा का फेस दिखा कर) और ये मेरी माँ की चुदाई हो रही है... (कैमरे में चुदाई दिखाकर)...
अंशुल ने ऐसी तीन चार वीडियो बना ली और फिर पदमा को मिशनरी पोज़ में लेकर चोदने लगा.. पदमा कई बार झड़ चुकी थी मगर अंशुल का अभी तक नहीं निकला था आज कई बार पदमा से मिले ब्लोजॉब के कारण अंशुल को झड़ने में देरी हो रही थी..
तेरे लिए एक कविता लिखी है माँ... सुनाऊ...
आह्ह... सुना दे बेटा... अब मैं सच में तेरी हो गई हूँ..
अंशुल ने अपनी माँ को चोदते हुए फ़ोन में लिखी कविता पढ़ना शुरू किया..
तुझसे ही होती है सुबह, तुझसे ही होती शाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
माँ तेरे इन गुलाबी लबों को
मैं हरदम चूमना चाहता हूँ
तेरे होंठों की मदिरा पीकर
मैं हरदम झुमना चाहता हूँ
कितने सिल्की बाल है तेरे
गाल भी कितने लाल है
ऊपर से नीचे तक माँ तू
पूरी की पूरी माल है
सुराही सी है गर्दन तेरी
आँखे भी काली काली है
पतली सी है नाक माँ तेरी
होंठों पर वाह क्या लाली है
भगवान कसम माँ सच में तू, दारु का आखिरी जाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
ऊँचालीस की उम्र में भी माँ
तेरी छातीया नहीं झुकी
इनपर बहुत बार मुट्ठी मारी
फिर भी गिनती नहीं रुकी
हिलते हुए तेरे बोबे माँ
जंग भी करवा सकते है
तुझे चोदने के लिए गाँव वाले
तुझे अग़वा भी करवा सकते है
कमर की क्या तारीफ़ करू माँ
शिल्पा शेट्टी भी फ़ैल है
तेरी गांड ऐसे हिलती है
लगता है जैसे रेल है
लंड से लगा के रखूँगा माँ, तू मेरी जीत का इनाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
अब भी मुझको याद है वो जब
तू मुझको दूध पीलाती थी
ऊँगली डालके उसी समय तू
अपनी चुत भी सहलाती थी
बचपन से ही माँ तुझको मैं
अपना बनाना चाहता हूँ
तुझसे शादी करके तेरी
भूख मिटाना चाहता हूँ
मैं जानता हूँ माँ मेरा बाप तुझे
खुश नहीं रख पाता है
उस नामर्द पर माँ मुझको
गुस्सा भी बहुत आता है
मन करता है उसके सामने
तुझको रगड़ कर धर डालू
जो कुछ माँ वो नहीं कर सका
मैं तेरे साथ में कर डालू
फंसा के रखूँगा गांड में लंड माँ, जैसे लगता जाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
पूरी करूँगा तेरी हर ख्वाहिश
तेरे नखरे भी संभालूंगा
चुदने में अगर तू नाटक करेगी
तो गांड में लोडा डालूंगा
जब भी माँ तू चुत में अपनी
मेरा लोडा खायेगी
सच कहता हूँ माँ तू मुझसे
दुल्हन सी शर्माएगी
खेल खेल में पेलुँगा तो तुझे
लंड की लत लग जायेगी
उठाके अपना घाघरा माँ
तू खुद ही चुदने आएगी
तेरे मेरे प्यार पर माँ पूरा
ग्रन्थ लिखा जाएगा
हर माँ-बेटा चुदाई से पहले
हमारे प्यार की कसमे खायेगा
तुझे लंड पै रखने के सिवा माँ, दुनिया में क्या काम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
तेरी चुत से मम्मी जब मेरा
बच्चा बाहर आएगा
माँ बोले या दादी तुझे वो
सोचकर चकरा जाएगा
बिस्तर पर मेरे बच्चे को तू
जब अपना दूध पीलायेगी
उस वक़्त भी मम्मी चुत में तू
मेरे लंड के झटके खाएगी
सुसरे-जेठ की जैसे मुझसे
घुंघट में बतियायेगी
हर सुबह मेरे पैर को छूकर
मेरे लंड पर मुंह लगाएगी
मैं कहीं भी जाऊ पर माँ, तेरी चुत ही मेरा मुकाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
मेरे बच्चे को गोद में लेकर
जब तू ये समझायेगी
सोजा बेटा फिर तेरी मम्मी
तेरे भईया/बाप से चुदवाएगी
बच्चे के सोने के बाद मैं
माँ तेरे वस्त्र उतारूँगा
घोड़ी बनाके बिस्तर पै नंगा
तेरी ढंग से गांड मारूंगा
तेरी मादक सिसकारीयों से
जब बच्चा जग जायेगा
माँ गुस्से में तू बोलेगी
अब इसे कौन चुप कराएगा
मैं तुझको चोदना छोडके मम्मी
बच्चे को पहले सुलाऊंगा
उसके बाद में माँ तुझे मैं
फिर से घोड़ी बनाऊंगा
पूरा चुकाऊंगा मैं मम्मी, तेरी चुत का जो भी दाम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
मैं जानता हूँ माँ बचपन से तूने
दुख-दर्द को ही झेला है
पर अब तू चिंता छोड़ दे माँ
मेरा लम्बा-मोटा केला है
माँ शर्माकर जब तू बोलेगी
जी बस करिये अब और नहीं
मै चोदता हुआ तुझे बोलूंगा
बच्चा जग जाएगा, ज्यादा शोर नहीं
ऐसे ही गुजरेंगे दिन
और रातें अपनी प्यार में
कभी कमी नहीं होगी माँ
मेरे लंड से तेरे दुलार में
हर मौसम तेरे साथ में नंगा, सोना मेरा काम है
जब बाहों में आती है माँ तू, मिलता बड़ा आराम है
अंशुल कविता ख़त्म करते करते झड़ गया और पदमा के ऊपर से हटकर एक तरफ पड़ गया.. पदमा मुस्कुराते हुए एक सिगरेट अपने गुलाबी होंठो पर लगाकर सुलगती हुई कश लेकर अंशुल के लंड के पास आ गई और उसके लंड पर से कंडोम उतार और कंडोम के गाँठ बांधकर एक तरफ रखती हुई बोली.. बहुत अच्छी कविता थी.. अंशुल के लंड को हाथ में पकड़ती हुई बोली.. आज के बाद इसपर मेरा हक़ है.. और फिर सिगरेट के कश लगाते हुए पदमा अंशुल का लंड मुंह में भर कर चुस्ती हुई साफ करने लगी.. पदमा के लोडा चूसने से अंशुल के लंड में फिर से हरकत होने लगी..
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ये क्या किया माँ.. तूने तो फिर से इसे खड़ा कर दिया..
तो क्या हुआ? तू फिर से चोद ले अपनी माँ को.. पदमा ने सिगरेट का धुआँ छोड़ते हुए कहा..
तो पहना दे अपने बेटे के लंड पर कंडोम पदमा देवी..
पदमा हसते हुए कंडोम के पैकेट से एक कंडोम निकालकर अंशुल के लंड पर पहना दिया और फिर एक एक पेग शराब पीकर दोनों वापस चुदाई के लिए त्यार हो गए..
अंशुल पीठ के बल लेटा हुआ था और इस बार पदमा उसके लंड पर बैठी थी पदमा ने सिगरेट का अगला कश लेकर सिगरेट अंशुल को दे दी और धीरे धीरे आहें भरती हुई अंशुल के लंड पर उछलने लगी...
अंशुल के सिगरेट के कश लेटा हुआ अपने लंड पर अपनी नंगी माँ को उछलते हुए देख रहा था और सोच रहा था की उसकी माँ अब भी कितनी खूबसूरत है.. दोनों माँ बेटे थे पर देखने से दोनों की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं लगता था अंशुल अपनी माँ में अपनी होने वाली दुल्हन देख रहा था और सोच रहा था की कैसे वो पदमा को अपने लंड की मालकिन बना सकता है..
पदमा लंड पर उछलते हुए जोर जोर से सिस्कारिया ले रही थी और उसके बोबे हवा में ऊपर नीचे ऐसे हिल रहे थे जैसे कोई रबर की गेंद हो..
अंशुल ने सिगरेट का कश लेकर सिगरेट बुझा दी और अपने लंड पर उछलती हुई अपनी माँ का हाथ पकड़ कर उसे अपनी ऊपर खींच लिया फिर बिस्तर से पदमा के साथ नीचे उतर कर उसे गोद में उठा लिया..
क्या हुआ बेटा? कहा जा रहा है? अरे.. बाहर कहा? आशु..... कहा ले जा रहा है?
अंशुल पदमा को गोद में उठाकर अपने कमरे से बाहर आ गया था और फिर नीचे आकर बालचंद के कमरे की तरफ बढ़ रहा था पदमा उसे रोक रही थी मगर अंशुल सुनने का नाम ही नहीं ले रहा था.. अंशुल दरवाजा धकेलते हुए अपनी माँ को नंगा अपनी गोद में लेकर बालचंद के कमरे में दाखिल हुआ और अभी तक खराटे भरते हुए बालचंद के बगल में पदमा को लेटा कर उसकी टांग चौड़ी करते हुए अपना लंड पदमा की चुत में घुसा दिया और बालचंद को देखते हुए पदमा को जोर जोर चोदने लगा जिससे पदमा ना चाहते हुए भी आहें भरने लगी सिस्कारिया लेने लगी..
देख साले नामर्द... कैसे तेरी बीवी को मैं नंगा करके तेरे ही बिस्तर पर, तेरे बगल में लेटा कर रंडी की जैसे चोद रहा हूँ.. देख कैसे तेरी बीवी अपने ही बेटे का लंड ले रही है.. देख बालचंद...
आशु चलो यहां से मुझे डर लग रहा है.. आअह्ह्ह..
चुप.. मदरचोद रांड.. चुदवाती रह चुपचाप.... ना ना बोलके कब से नखरे दिखा रही थी साली...
डर और रोमांच के बीच पदमा का झरना फिर से बह चला था.. देख बालचंद.. ऐसे चोदते है औरत को..
आह्ह... बेटा... चल यहां से... आह्ह...
अंशुल को जब लगा की वो झड़ने वाला है तो वो अपना लंड अपनी माँ की चुत से बाहर निकालने लगा लेकिन अंशुल और पदमा की झांटे आपस में उलझ गयी जिससे दोनों के अलग होने पर दोनों की झांट के कुछ बाल टूट गए और पदमा के मुंह से हलकी सी आवाज निकल गई.. अंशुल बिस्तर से खड़ा हो गया और पदमा को अपने सामने बैठा दिया पदमा ने इशारा समझते हुए लंड पर से कंडोम उतार दिया और लंड मुंह में लेकर चूसने लगी अंशुल पदमा के सर पर उसे पूचकारते हुए हाथ फेरने लगा और गहरी नींद में सोते हुए बालचंद को देखकर बोला..
देख बालचंद... जिस हसीन और समझदार लड़की की जिंदगी तूने शादी करके बंजर बनाई है.. मैं उसे हरा भरा और रंगीन बना दूंगा.. देख साले... कैसे पदमा मेरा लंड चूस रही है.. अब से घर के हर कोने में तेरी बीवी की चुदाई होगी बालचंद और तुझे पता भी नहीं लगेगा..
तो क्या हुआ? तू फिर से चोद ले अपनी माँ को.. पदमा ने सिगरेट का धुआँ छोड़ते हुए कहा..
तो पहना दे अपने बेटे के लंड पर कंडोम पदमा देवी..
पदमा हसते हुए कंडोम के पैकेट से एक कंडोम निकालकर अंशुल के लंड पर पहना दिया और फिर एक एक पेग शराब पीकर दोनों वापस चुदाई के लिए त्यार हो गए..
अंशुल पीठ के बल लेटा हुआ था और इस बार पदमा उसके लंड पर बैठी थी पदमा ने सिगरेट का अगला कश लेकर सिगरेट अंशुल को दे दी और धीरे धीरे आहें भरती हुई अंशुल के लंड पर उछलने लगी...
अंशुल के सिगरेट के कश लेटा हुआ अपने लंड पर अपनी नंगी माँ को उछलते हुए देख रहा था और सोच रहा था की उसकी माँ अब भी कितनी खूबसूरत है.. दोनों माँ बेटे थे पर देखने से दोनों की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं लगता था अंशुल अपनी माँ में अपनी होने वाली दुल्हन देख रहा था और सोच रहा था की कैसे वो पदमा को अपने लंड की मालकिन बना सकता है..
पदमा लंड पर उछलते हुए जोर जोर से सिस्कारिया ले रही थी और उसके बोबे हवा में ऊपर नीचे ऐसे हिल रहे थे जैसे कोई रबर की गेंद हो..
अंशुल ने सिगरेट का कश लेकर सिगरेट बुझा दी और अपने लंड पर उछलती हुई अपनी माँ का हाथ पकड़ कर उसे अपनी ऊपर खींच लिया फिर बिस्तर से पदमा के साथ नीचे उतर कर उसे गोद में उठा लिया..
क्या हुआ बेटा? कहा जा रहा है? अरे.. बाहर कहा? आशु..... कहा ले जा रहा है?
अंशुल पदमा को गोद में उठाकर अपने कमरे से बाहर आ गया था और फिर नीचे आकर बालचंद के कमरे की तरफ बढ़ रहा था पदमा उसे रोक रही थी मगर अंशुल सुनने का नाम ही नहीं ले रहा था.. अंशुल दरवाजा धकेलते हुए अपनी माँ को नंगा अपनी गोद में लेकर बालचंद के कमरे में दाखिल हुआ और अभी तक खराटे भरते हुए बालचंद के बगल में पदमा को लेटा कर उसकी टांग चौड़ी करते हुए अपना लंड पदमा की चुत में घुसा दिया और बालचंद को देखते हुए पदमा को जोर जोर चोदने लगा जिससे पदमा ना चाहते हुए भी आहें भरने लगी सिस्कारिया लेने लगी..
देख साले नामर्द... कैसे तेरी बीवी को मैं नंगा करके तेरे ही बिस्तर पर, तेरे बगल में लेटा कर रंडी की जैसे चोद रहा हूँ.. देख कैसे तेरी बीवी अपने ही बेटे का लंड ले रही है.. देख बालचंद...
आशु चलो यहां से मुझे डर लग रहा है.. आअह्ह्ह..
चुप.. मदरचोद रांड.. चुदवाती रह चुपचाप.... ना ना बोलके कब से नखरे दिखा रही थी साली...
डर और रोमांच के बीच पदमा का झरना फिर से बह चला था.. देख बालचंद.. ऐसे चोदते है औरत को..
आह्ह... बेटा... चल यहां से... आह्ह...
अंशुल को जब लगा की वो झड़ने वाला है तो वो अपना लंड अपनी माँ की चुत से बाहर निकालने लगा लेकिन अंशुल और पदमा की झांटे आपस में उलझ गयी जिससे दोनों के अलग होने पर दोनों की झांट के कुछ बाल टूट गए और पदमा के मुंह से हलकी सी आवाज निकल गई.. अंशुल बिस्तर से खड़ा हो गया और पदमा को अपने सामने बैठा दिया पदमा ने इशारा समझते हुए लंड पर से कंडोम उतार दिया और लंड मुंह में लेकर चूसने लगी अंशुल पदमा के सर पर उसे पूचकारते हुए हाथ फेरने लगा और गहरी नींद में सोते हुए बालचंद को देखकर बोला..
देख बालचंद... जिस हसीन और समझदार लड़की की जिंदगी तूने शादी करके बंजर बनाई है.. मैं उसे हरा भरा और रंगीन बना दूंगा.. देख साले... कैसे पदमा मेरा लंड चूस रही है.. अब से घर के हर कोने में तेरी बीवी की चुदाई होगी बालचंद और तुझे पता भी नहीं लगेगा..
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अंशुल ने लंड चुस्ती हुई पदमा के बाल पकड़कर उसे खड़ा कर लिया और उठा के उसकी चुत में वापस लंड डाल दिया और चोदने लगा..
आह्ह... बेटा... ई लव यू... आशु... आह्ह... बेटा...
अंशुल जब पदमा को उठाके चोदते चोदते वापस ले जाने लगा तो पदमा सोते हुए बालचंद के ऊपर थूककर बोली - हट नामर्द साला... आअह्ह्ह.. आशु..
अंशुल पदमा की चुत में झटके मारता मारता वापस अपने कमरे में लेकर आ गया और पदमा को नीचे उतारकर स्टडी टेबल पर झुका कर पीछे से उसकी चुत मारने लगा..
पदमा स्टडी टेबल पर रखी किताबें देखकर चुदते हुए बोली.. बेटा जब तू अफसर बन जाएगा तब अपनी माँ को तो नहीं भूल जाएगा ना..
तू कोई भूलने वाली चीज है माँ? तेरी बुर के लिए ही तो अफसर की पढ़ाई कर रहा हूँ.. जब बन जाऊंगा तब तेरे साथ ब्याह करके घर बसा लूंगा..
सच में लल्ला?
सच में माँ....
सुबह के पांच बज चुके थे मगर अब भी अंशुल अपनी माँ पदमा की चुत में ही घुसा हुआ था और अब पदमा को बालचंद के जागने और उसे कमरे में नहीं पाकर ढूंढ़ते हुए अंशुल के रूम में आ जाने का डर सत्ता रहा था..
छोड़ दे ना लल्ला... जाने दे... अब तो हां कर दी है.. जब भी मन हो तब कर लेना.. भालू जाग गया तो मुसीबत हो जायेगी..
बस ये आखिरी राउंड है मेरी जान.. फिर चली जाना.. पदमा की चुत गुलाबी से लाल हो चुकी थी और होंठ भी कुछ सूजे सूजे लग रहे थे पदमा की छाती पर अनेको lovebite की छाप छप चुकी थी और अंशुल का मन अब भी अपनी माँ पदमा से नहीं भरा था..
भालू जाग जाएगा बेटा..
नहीं जाएगा माँ.. दवाई खाकर सोया है वो..
सच कह रहा है ना तू आशु...
हां मेरी जान... कहते हुए अंशुल झड़ गया तो पदमा उसके लंड पर लगे कंडोम को उतार कर फिर से गाँठ लगा कर एक तरफ रख देती है और हल्का लंड चूसकर साफ कर देती है.. पदमा अपने कपडे पहनकर जैसे ही खड़ी होती है लड़खड़ाकर गिरने से बचते हुए संभलकर स्टडी टेबल के सामने रखी चेयर पकड़कर बैठ जाती है और अंशुल की तरफ देखती है मानो कुछ कहना चाहती हो....
अंशुल एक सिगरेट जलाकर कश लेटा हुआ पदमा को देखता है जो बड़ी अजीब नज़रो से अंशुल को देख रही होती है.. अंशुल सिगरेट के दो कस लगा कर सिगरेट पदमा को दे देता है और नंगा ही बाथरूम की तरफ चला जाता है.. पदमा भी सिगरेट के कश लेती हुई रातभर की हसीन यादो में खोकर मुस्कुराते हुए अंशुल की मर्दानगी का अहसास करने लगती है.. अंशुल बाथरूम से वापस आता है तो पदमा सिगरेट पीती हुई लड़खड़ाकर नीचे जाने लगती है..
क्या हुआ मैं छोड़ के आऊं? लड़खड़ाती हुई पदमा को देखकर अंशुल बोला तो पदमा हसते हुए सिगरेट का एक कश लेटी हुई बोली.. नहीं अंशुल बाबू... मैं चली जाउंगी.. तुम अब आराम करो.. आज बहुत मेहनत की है तुमने..
पदमा की बातों में रास था जो अंशुल समझ गया था..
पदमा ने सारे इस्तेमाल हुए कंडोम बाथरूम के ऊपर बाल्टी में पटक दिए और सिगरेट पीती हुई बाथरूम में घुस गई.. पदमा ने बाथरूम करने के बाद सबसे पहले अपनी चुत के इर्द गिर्द से झांटो का जंगल साफ किया और अपनी गुलाबी चुत को निखार दिया.. गुलाबी से लाल हो चुकी पदमा की चुत सूझकर थोड़ी फूल चुकी थी यही हालात पदमा के होंठों की भी थी..
पदमा बाथरूम से आने के बाद लंगड़ाते लंगड़ाते घर का काम करने लगी फिर नहाकर सबसे पहले सुबह की पूजा की.. और फिर खाना बनाने में जुट गई..
बालचंद आज दवाई के असर के कारण देर से जागा तो जल्दी जल्दी में नहा धोकर अपना खाने का डब्बा लेटे हुए फ़ौरन विभाग की और निकल गया.. पदमा भी थकान जे कारण सो गई थी उसकी नींद दोपहर ढलने के बाद खुली थी उसने अंशुल को देखा तो वो भी नींद में डूबा हुआ था.. पदमा के बदन को नींद से कुछ आराम मिला था उसकी चाल में लंगड़ापन आ गया था जो की सालों बाद चुदाई के कारण स्वाभाविक था पदमा को आज ये लंगड़ापन पसंद आ रहा था उसकी चाल उसे उसके नारीत्व के निखार का प्रमाण दे रही थी.. बदन को आज उसने बालचंद से पूरा ढक लिया था वरना बालचंद उसके बदन पर निशान देखकर आसानी से समझ जाता की कुछ ना कुछ गड़बड़ जरुर है और पदमा पर शक करने लगता मगर पदमा ने किसी को कोई मौका नहीं दिया और सब कुछ अच्छे से संभाल लिया..
आह्ह... बेटा... ई लव यू... आशु... आह्ह... बेटा...
अंशुल जब पदमा को उठाके चोदते चोदते वापस ले जाने लगा तो पदमा सोते हुए बालचंद के ऊपर थूककर बोली - हट नामर्द साला... आअह्ह्ह.. आशु..
अंशुल पदमा की चुत में झटके मारता मारता वापस अपने कमरे में लेकर आ गया और पदमा को नीचे उतारकर स्टडी टेबल पर झुका कर पीछे से उसकी चुत मारने लगा..
पदमा स्टडी टेबल पर रखी किताबें देखकर चुदते हुए बोली.. बेटा जब तू अफसर बन जाएगा तब अपनी माँ को तो नहीं भूल जाएगा ना..
तू कोई भूलने वाली चीज है माँ? तेरी बुर के लिए ही तो अफसर की पढ़ाई कर रहा हूँ.. जब बन जाऊंगा तब तेरे साथ ब्याह करके घर बसा लूंगा..
सच में लल्ला?
सच में माँ....
सुबह के पांच बज चुके थे मगर अब भी अंशुल अपनी माँ पदमा की चुत में ही घुसा हुआ था और अब पदमा को बालचंद के जागने और उसे कमरे में नहीं पाकर ढूंढ़ते हुए अंशुल के रूम में आ जाने का डर सत्ता रहा था..
छोड़ दे ना लल्ला... जाने दे... अब तो हां कर दी है.. जब भी मन हो तब कर लेना.. भालू जाग गया तो मुसीबत हो जायेगी..
बस ये आखिरी राउंड है मेरी जान.. फिर चली जाना.. पदमा की चुत गुलाबी से लाल हो चुकी थी और होंठ भी कुछ सूजे सूजे लग रहे थे पदमा की छाती पर अनेको lovebite की छाप छप चुकी थी और अंशुल का मन अब भी अपनी माँ पदमा से नहीं भरा था..
भालू जाग जाएगा बेटा..
नहीं जाएगा माँ.. दवाई खाकर सोया है वो..
सच कह रहा है ना तू आशु...
हां मेरी जान... कहते हुए अंशुल झड़ गया तो पदमा उसके लंड पर लगे कंडोम को उतार कर फिर से गाँठ लगा कर एक तरफ रख देती है और हल्का लंड चूसकर साफ कर देती है.. पदमा अपने कपडे पहनकर जैसे ही खड़ी होती है लड़खड़ाकर गिरने से बचते हुए संभलकर स्टडी टेबल के सामने रखी चेयर पकड़कर बैठ जाती है और अंशुल की तरफ देखती है मानो कुछ कहना चाहती हो....
अंशुल एक सिगरेट जलाकर कश लेटा हुआ पदमा को देखता है जो बड़ी अजीब नज़रो से अंशुल को देख रही होती है.. अंशुल सिगरेट के दो कस लगा कर सिगरेट पदमा को दे देता है और नंगा ही बाथरूम की तरफ चला जाता है.. पदमा भी सिगरेट के कश लेती हुई रातभर की हसीन यादो में खोकर मुस्कुराते हुए अंशुल की मर्दानगी का अहसास करने लगती है.. अंशुल बाथरूम से वापस आता है तो पदमा सिगरेट पीती हुई लड़खड़ाकर नीचे जाने लगती है..
क्या हुआ मैं छोड़ के आऊं? लड़खड़ाती हुई पदमा को देखकर अंशुल बोला तो पदमा हसते हुए सिगरेट का एक कश लेटी हुई बोली.. नहीं अंशुल बाबू... मैं चली जाउंगी.. तुम अब आराम करो.. आज बहुत मेहनत की है तुमने..
पदमा की बातों में रास था जो अंशुल समझ गया था..
पदमा ने सारे इस्तेमाल हुए कंडोम बाथरूम के ऊपर बाल्टी में पटक दिए और सिगरेट पीती हुई बाथरूम में घुस गई.. पदमा ने बाथरूम करने के बाद सबसे पहले अपनी चुत के इर्द गिर्द से झांटो का जंगल साफ किया और अपनी गुलाबी चुत को निखार दिया.. गुलाबी से लाल हो चुकी पदमा की चुत सूझकर थोड़ी फूल चुकी थी यही हालात पदमा के होंठों की भी थी..
पदमा बाथरूम से आने के बाद लंगड़ाते लंगड़ाते घर का काम करने लगी फिर नहाकर सबसे पहले सुबह की पूजा की.. और फिर खाना बनाने में जुट गई..
बालचंद आज दवाई के असर के कारण देर से जागा तो जल्दी जल्दी में नहा धोकर अपना खाने का डब्बा लेटे हुए फ़ौरन विभाग की और निकल गया.. पदमा भी थकान जे कारण सो गई थी उसकी नींद दोपहर ढलने के बाद खुली थी उसने अंशुल को देखा तो वो भी नींद में डूबा हुआ था.. पदमा के बदन को नींद से कुछ आराम मिला था उसकी चाल में लंगड़ापन आ गया था जो की सालों बाद चुदाई के कारण स्वाभाविक था पदमा को आज ये लंगड़ापन पसंद आ रहा था उसकी चाल उसे उसके नारीत्व के निखार का प्रमाण दे रही थी.. बदन को आज उसने बालचंद से पूरा ढक लिया था वरना बालचंद उसके बदन पर निशान देखकर आसानी से समझ जाता की कुछ ना कुछ गड़बड़ जरुर है और पदमा पर शक करने लगता मगर पदमा ने किसी को कोई मौका नहीं दिया और सब कुछ अच्छे से संभाल लिया..
अंशुल ने सुबह से ही पदमा से कोई बाते नहीं की थी वो दिनभर सोता रहा और शाम को जागने के बाद नहाकर खाना खाया और पढ़ने बैठ गया.. आज की रात अंशुल ने पदमा से बालचंद को दवा खिलाने की बात नहीं कही थी.. अंशुल ने कल रात पदमा से चुदाई के नशे में ना जाने क्या क्या कह डाला था जिसकी उसे अब ग्लानि हो रही थी.. लेकिन पदमा के मन की बात तो सिर्फ पदमा ही जानती थी उसने आज बिना सोचे विचारे बालचंद को खाने में दवा मिलाकर खिला दी और उसके सोने के बाद जल्दी से सारा काम ख़त्म करके वो लड़खड़ाती हुई चाल के साथ अंशुल के कमरे की और बढ़ गई.. और दरवाजे पर आकर नज़र नीची किये किसी बूत की तरह खड़ी हो गई अंशुल ने जब अपनी माँ को दरवाजे पर नीचे निगाह किये खड़े देखा तो वो चेयर पर से उठ गया और पदमा की कमर में हाथ डालकर उसे कमरे के अंदर खींच लिया और दरवाजा बंद करते हुए पदमा के साथ बिस्तर पर आ गया.. सुबह जब कमरे के दरवाजा खुला तो पदमा नंगी ही अपने हाथों में अपने सारे कपडे लेकर हाफ़्ती हुई लंगड़ाती हुई बाहर आई.. उसकी हालत घंटो चुदने के बाद किसी अबला सी हो गई थी जिसका तबला ज्यादा बजाने के कारण सुजा हुआ लगता है.. पदमा नीचे आकर हर रोज़ की तरह ही घर के काम करने में लग गई और यही से अंशुल और पदमा के बीच व्यभिचार की खुली शुरुआत हुई..
फ़्लैशबैक ख़त्म....
the end...