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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

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Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
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xxxbala

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मेरा विचार-
सुगना और सोनी की बातचीत

सुगना अपने कमरे में अपने साथ हुई घटना के बारे में सोचते हुए उदास बैठी थी। उसका चेहरा उतरा हुआ था। सोच रही थी कि यह क्या से क्या हो गया। ऐसा नहीं होना चाहिए था । हालांकि यह सच है कि अपने रात में ख्वाबों में वह इस चीज का कई बार आनंद ले चुकी थी लेकिन अपने सपनों को असली जामा पहनाने में उसका दिल हिचक रहा था। ऐसा सोच भी नहीं सकती थी कि उसके साथ इस प्रकार से जबरदस्ती हो सकती हैं । उसी समय लाली उसके कमरे में आई और उसने सुगना से उदास मन से और बड़े ही डरते हुए उसने सुगना से बोली- सुगना हमने के माफ कर देना। सुगना ने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा और पूछा तुम किस चीज की माफी मांग रही हो । लाली ने अपने द्वारा किए गए इस पाप को मन ही मन सोचते हुए सुगना के सवाल का जवाब सोचने लगी। वह समझ नहीं पा रही थी कि किस प्रकार से सुगना को इस बात को बताए। लेकिन वह उसकी सहेली थी और वह सुगना के सुख दुख की साथी भी थी। उसे पता था कि सोनू और सुगना के बीच में जो भी हुआ है उसे सुगना हजम नहीं कर पाएगी और उसे अपने जीवन में उतार नहीं पाएगी । इसलिए वह हिचक रही थी और मन में डर भी लग रहा था कि अपनी बात को बताने के बाद सुगना का रिएक्शन क्या होगा लेकिन अपनी सहेली को जिस आनंद से अनुभूति कराना चाहती थी उसके बाद भी सुगना की ऐसी हालत देख कर उसे बहुत बुरा लग रहा था। लेकिन फिर भी उसने सोचा कि सुगना को पहले की तरह हंसमुख और खेलते हुए देखना है तो उसे ही उससे बात करनी ही पड़ेगी । लाली ने सुगना की तरफ देखते हुए अपने मन को मजबूत करते हुए और सुगना की आंखों में देखते हुए कहा कि जो बात मैं तुम्हें बताने जा रही हूं उसे ध्यान से सुनना और समझने की कोशिश करना। सुगना हैरानी से उसकी ओर देखने लगी आखिर ऐसी कौन सी बात है जो उसे बताने वाली है ।अब लाली ने उससे नजरें चुराते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई ;देखो सुगना रात जो भी तुम्हारे और सोनू के बीच हुआ वह मैं जानती हूं ।यह सुनते ही सुगना आंखें फैल गयी वह तो समझ रही थी इस बात का हम दोनों के सिवा किसी को नहीं पता। उसने पूछा यह तुम क्या कर रही हो। लाली ने जवाब दिया हां सुगना मैं इस बात को और ज्यादा अपने तक नहीं रख सकती और तुम्हें इस प्रकार से दुखी नहीं देख सकती। आखिर तुम मेरी प्यारी सहेली हो ।सुगना सोचने लगी कि यह क्या कह रही है। लाली ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा जो भी उस रात तुम्हारे और सोनू के बीच हुआ वह मुझे पता है ।मैंने ही सोनू को तुम्हारे पास भेजा था ।उस रात सोनू मेरे पास आया लेकिन मेरी तबीयत उस समय सही नहीं थी। 3 दिन वाली जो बीमारी है हमें होती है वह मुझे शुरू हो गई थी ।लेकिन सोनू इतने दिन बाद आया था और उसे दिवाली का तोहफा भी चाहिए था। इसलिए मैंने उसे अपने से टालते हुए तुम्हारे पास भेज दिया। इतना सुनते ही सुगना का मन गुस्से से भर गया वह एक झटके से खड़ी हुई और एक जोर का तमाचा लाली के गाल पर मार दिया। और चीखते हुए बोली यह तूने क्या किया। तुम मेरी सबसे प्यारी सहेली हो और तुमने मेरे साथ ऐसा धोखा किया। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। तुमने मुझसे ऐसा पाप करवाया और साथ ही मेरे भाई को भी इसमें घसीट लिया। क्यों किया लाली तूने ऐसा क्यों किया। सुगना लाली को झंझोड़ते हुए चीखते हुए बोली। लाली की आंखों से आंसू बह रहे थे। वह सुगना से बोली मुझे माफ कर दो पता नहीं मुझे क्या हो गया था। लेकिन अब जो भी हो गया वह तो हो गया है ।सुगना बोली नहीं यह सब कुछ ठीक नहीं हुआ तुम मेरी प्यारी सहेली थी मैंने तुम पर कितना भरोसा किया था और तुमने मुझे धोखा दिया। चली जाओ मेरी नजरों से दूर हो जाओ तुम। फिर कभी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना- गुस्से में चीखते हुए लाली से कहा ।सुगना की बात सुनकर लाली हैरानी से उसका चेहरा देखने लगी ।उसने हैरान होते हुए सुगना से कहा यह तुम क्या कह रही हो क्या तुम मेरा चेहरा नहीं देखना चाहती। सुगना ने कहा हां नहीं देखना चाहती मैं तुम्हारा चेहरा ।जो कुछ तुमने किया है उसके बाद मैं तुम्हारा चेहरा नहीं देखना चाहती हूं ।और मैं मर जाना ही पसंद करूंगी। सुगना के मुंह से मरने की बात सुनकर लाली ने कहा खबरदार अगर तुमने मरने की बात की तो। तुम जानती हो तुम मेरी बहन से भी प्यारी मेरी सहेली हो और सोनू भी मुझे अपने भाई के ही तरह प्यारा है। तुम इस प्रकार से मरने की बात करोगी तो फिर मुझे भी तुम्हारे ही साथ मरना पड़ेगा। लाली के मरने की बात सुनकर सुगना थोड़ी शांत हुई। लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हुआ उसने पूछा तुम क्यों मरोगी तुम तो सोनू के साथ मजे ले ही रही हो ।लाली ने कहा और वही मजे में तुम्हें भी देना चाहती थी ।सुगना ने कहा लेकिन मुझे उसकी जरूरत नहीं है ।यह तुमने मेरे साथ जबरदस्ती किया है। लाली ने सुगना से कहा तुम झूठ बोल रही हो तुम्हे मुझसे भी ज्यादा इसकी जरूरत है और तुम जानती हो कि तुम भी सोनू से कितना प्यार करती हो और मैं भी सोनू से बहुत प्यार करती हूं ।सुगना ने कहा मैं जानती हूं कि तुम सोनू से किस प्रकार का प्यार करती हो। लाली ने उसकी बात समझते हुए कहा हां मुझे पता है कि तुम जानती हो और तुमने देखा भी है। लेकिन तुम मेरे दिल की भावनाओं को नहीं जानती कि मैं सोनू से ऐसा प्यार क्यों करती हूं। वह भी मुझे अपने भाई की तरह ही प्यारा है। सुगना ने लाली से कहा तुम बकवास कर रही हो अगर तुम्हें सोनू भाई की तरह ही प्यारा होता तो तुम इस प्रकार की हरकत उसके साथ नहीं करती। जिसे तुम प्यार का नाम दे रही हो। यह बात सुनकर लाली भड़क गई और उसने अपनी बात पर जोर देते हुए सुगना को कहा तुम्हें लगता है कि मैं सोनू से प्यार नहीं करती। तुम नहीं जानती कि यह सब जब शुरू हुआ तो कैसे शुरू हुआ। तुमने सिर्फ एक ही चीज देखी है जो हमारा मिलन था ।लेकिन यह सब कैसे शुरू हुआ क्यों हुआ यह तुम नहीं जानते। मानो आज लाली सब कुछ अपने दिल की बात सुनना को बता देना चाहती थी। सुगना ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए कहा तुम कहना क्या चाहती हो ।लाली ने गहरी सांस भरते हुए सुगना से कहा सब कुछ तो खैर मैं तुम्हें क्या बता पाऊंगी बस तुम इतना समझ लो कि सोनू उस समय उम्र कैसे पड़ाव पर था जिसमें अक्सर लड़के भटक जाते हैं। तुम्हें क्या लगता है वह मेरे घर आता था और मुझे देखता था तो क्या मुझे पता नहीं चलता था। तुम ही बताओ उस समय मुझे क्या करना चाहिए था ?क्या मैं सोनू को एक थप्पड़ मारकर उसे डांटते हुए हमेशा के लिए अपने घर आने से मना कर देती? उससे कहती कि तुम इस प्रकार से अपनी दीदी की सहेली को ऐसी गंदी नजरों से देखते हो खबरदार कभी मेरे घर मत आना ।तुम समझ सकती हो ऐसा कहने से उस पर क्या असर होता, वह हमेशा के लिए मेरे घर से मुझ से नाता तोड़ लेता। उसके गुस्सा होने से तुम भी मुझसे नाता तोड़ देती और आज जो हम इतने प्यार से सोनू के साथ और तुम्हारे साथ हम सब रहते हैं आज वह दिन कभी भी नहीं आता। सोनू भले ही मुझसे दूर हो जाता है लेकिन अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह जरूर कहीं न कहीं बाहर किसी और के साथ मुंह मारता। और तुम जानती हो कि अगर वह बाहर ही बाहर किसी के साथ इस प्रकार की हरकत करता तो अपनी पढ़ाई से भी दूर हो जाता और कभी भी आज का दिन तुम्हें देखने को नहीं मिलता ।ना वह अपनी पढ़ाई पर इस प्रकार से ध्यान दे पाता और ना ही मैं आज इतनी ऊंची पोस्ट पर होता। यह सब सिर्फ उस प्यार का नतीजा है जो मैंने उसे दिया है ।और रही बात इस चीज की कि मैंने उसके साथ ऐसा क्यों किया तो यह सच है कि मैं सोनू से बहुत प्यार करती हूं। और इसी प्यार को अगर और आगे मैंने बढ़ा दिया तो इसमें क्या गलत किया। आज तुम जानती हो मेरे पति मर चुके हैं लेकिन फिर भी मुझे उनकी कमी सोनू की वजह से महसूस नहीं होती। अगर आज सोनू नहीं होता मेरी जिंदगी में तो मेरी जिंदगी एक विधवा की तरह बीत रही होती। एक विधवा की तरह सफेद साड़ी पहनकर उदास बैठी रहती। तुम्हारे पति यहां पर नहीं है लेकिन फिर भी क्या तुम विधवाओं जैसी ही जिंदगी नहीं जी रही हो। जरूरी यह नहीं है सुगना कि हम किसके साथ क्या रिश्ता बनाया है, जरूरी यह है की हमारा सब का रिश्ता बहुत ही प्यार भरा है। और इसी रिश्ते के कारण हम एक दूसरे के कितने पास है सोनू इसी रिश्ते के कारण मेरे इतने पास है। और तुम भी यह बात जानती हो। तुम भी मेरे इतने पास हो ।मैं तुम्हें बहुत बार देख चुकी हूं इस प्रकार से अकेले जिंदगी बिताते हुए। मैं नहीं चाहती कि मैं अकेली ही सुख भोगती रहू और तुम इस आग में तड़पती रहो। मैं औरत होने के नाते अच्छी तरह समझ सकती हूं कि तुम्हारे जिस्म की जरूरतों को पूरा करने के लिए तुम्हारे पास कोई नहीं है ।और तुम्हें उस की कितनी आवश्यकता है। इसलिए मेरे पास एक ही रास्ता था कि जो सुख मैं ले रही हूं वह सब तुम भी दे सकूं हमारे रिश्ते अगर और ज्यादा प्यार भरे होते हैं तो इसमें दिक्कत ही क्या है ?तुम समझ सकती हो कि जब मैं इस प्यार को पा रही हूं तो फिर मैं यह कैसे सोच सकती हूं कि मेरी सहेली इस चीज के लिए तरसती रहे। माना कि मैंने बिना बताए धोखे से किया है लेकिन मैं बस यही चाहती थी की तुम्हारा और सोनू का प्यार और भी आगे बढ़ जाए। आज सोनू जिस पद पर पहुंचा है उस पद पर पहुंचने के बाद वह तुम्हारे लिए भौतिक चीजों को लाकर पूरा घर भर सकता है ।तुम्हें अच्छे से अच्छे कपड़े लाकर दे सकता है, गहने जेवर से तुम्हें लाद सकता है। लेकिन फिर भी तुम्हारे चेहरे पर जो तुम्हारे जिस्म की प्यास है वह हमेशा ही दिखाई देती रहेगी और तुम हमेशा ही उस चीज के लिए तड़पते रहोगी ।क्या यह सब होती चीजें पाकर तुम पूरी तरीके से खुश हो पाओगी ,नहीं ,तुम पूरी तरीके से खुश नहीं हो सकती। और अगर तुम पूरी तरीके से खुश नहीं होगी तो फिर सोनू चाहे तुम्हारे लिए कितना भी कर ले, तुम्हारे इस दर्द को जानते हुए वह भी हमेशा ही दुखी रहेगा। क्या तुम चाहती हो सोनू जो तुम्हें हमेशा ही खुश देखना चाहता है, वह तुमसे इतना प्यार भी करता है, वह हमेशा ही इस प्रकार से तुम्हें दुखी देखता रहे। वह कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन तुम्हारे इस दुख को वह दूर नहीं कर सकता था ।उसे दूर करने का सिर्फ यही रास्ता था कि तुम और सोनू अपने प्यार में और आगे बढ़ जाओ मेरी तरह। तुम्हारे ख्याल से यह गलत हो सकता है लेकिन मैंने तुम्हारी तड़प देखी है ,तुम्हारी प्यास देखी है। यह तुम्हारे लिए बहुत जरूरी था सुगना। तुम भले ही मुझे इसके लिए कुछ भी कहो लेकिन जो असली खुशी है वह तो सोनू ही दे सकता है ।नहीं तो तुम इसके लिए कहां जाओगी ।तुम्हारे पति इस समय तुम्हारे पास नहीं है और तुम भी जानती हो कि वह कभी तुम्हारे पास होंगे भी नहीं। बेहतर यही है तुम सोनू को अपना लो। इससे सोनू भी खुश रहेगा वह अपने जीवन में और तरक्की करेगा। और तुम भी खुश रहोगीऔर तुम्हें खुश देखकर सोनू और ज्यादा खुश हो जाएगा ।नहीं तो अगर तुम इस आग में जलती रही तो सोनू भी समझ सकता है कि उसने तुम्हारे साथ जो किया वो सही नहीं किया और इस हीन भावना से ग्रस्त होकर, तुम मानो या ना मानो अगर वह कोई गलत कदम भी उठा ले तो भी कुछ कहा नहीं जा सकता है। अब तुम्हारे हाथ में है। जो हो चुका है वह तो बदला नहीं जा सकता लेकिन अगर तुम हमारे सोनू को खुश देखना चाहती और बचाना चाहती हो उसकी जिंदगी, तो मेरी बातों को ठंडे दिमाग से सोचना । हम दोनों को सोनू को अपनाने में ही भलाई है ।इससे हमारे रिश्ते और ज्यादा मजबूत होंगे और हम सबके बीच में प्यार बढ़ेगा और तभी तुम्हें भी अपने जीवन की असली खुशी मिल पाएगी। तुम जानती हो सुगना जब एक लड़की की शादी हो जाती है तो उसके भाई के सर से उसकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। तुम्हारी शादी तो हो गई है लेकिन सोनू के सर से तुम्हारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है और ना ही सारी उम्र कभी खत्म होगी ।और जब सोनू को यह जिम्मेदारी निभानी ही है तो फिर क्यों ना वह पूरी तरीके से ही इस जिम्मेदारी को निभाए । सोनू ने जो भी कुछ किया है वह तुम्हारे प्यार में पड़ कर ही किया है। इसलिए उसके प्यार को स्वीकार करो और उसके जीवन को आगे बढ़ाने में उसकी मदद करो। इसी में हम सब की भलाई है वरना अगर तुम उसे माफ नहीं करोगी और उसे अपनाओगी नहीं तो वह इस पाप से दब कर मर जाएगा। तुम्हें उसे एहसास दिलाना ही होगा कि उसने कोई पाप नहीं किया ।तभी तुम पहले वाले सोनू को पा सकती हो।
 

Lovely Anand

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मेरा विचार-
सुगना और सोनी की बातचीत

सुगना अपने कमरे में अपने साथ हुई घटना के बारे में सोचते हुए उदास बैठी थी। उसका चेहरा उतरा हुआ था। सोच रही थी कि यह क्या से क्या हो गया। ऐसा नहीं होना चाहिए था । हालांकि यह सच है कि अपने रात में ख्वाबों में वह इस चीज का कई बार आनंद ले चुकी थी लेकिन अपने सपनों को असली जामा पहनाने में उसका दिल हिचक रहा था। ऐसा सोच भी नहीं सकती थी कि उसके साथ इस प्रकार से जबरदस्ती हो सकती हैं । उसी समय लाली उसके कमरे में आई और उसने सुगना से उदास मन से और बड़े ही डरते हुए उसने सुगना से बोली- सुगना हमने के माफ कर देना। सुगना ने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा और पूछा तुम किस चीज की माफी मांग रही हो । लाली ने अपने द्वारा किए गए इस पाप को मन ही मन सोचते हुए सुगना के सवाल का जवाब सोचने लगी। वह समझ नहीं पा रही थी कि किस प्रकार से सुगना को इस बात को बताए। लेकिन वह उसकी सहेली थी और वह सुगना के सुख दुख की साथी भी थी। उसे पता था कि सोनू और सुगना के बीच में जो भी हुआ है उसे सुगना हजम नहीं कर पाएगी और उसे अपने जीवन में उतार नहीं पाएगी । इसलिए वह हिचक रही थी और मन में डर भी लग रहा था कि अपनी बात को बताने के बाद सुगना का रिएक्शन क्या होगा लेकिन अपनी सहेली को जिस आनंद से अनुभूति कराना चाहती थी उसके बाद भी सुगना की ऐसी हालत देख कर उसे बहुत बुरा लग रहा था। लेकिन फिर भी उसने सोचा कि सुगना को पहले की तरह हंसमुख और खेलते हुए देखना है तो उसे ही उससे बात करनी ही पड़ेगी । लाली ने सुगना की तरफ देखते हुए अपने मन को मजबूत करते हुए और सुगना की आंखों में देखते हुए कहा कि जो बात मैं तुम्हें बताने जा रही हूं उसे ध्यान से सुनना और समझने की कोशिश करना। सुगना हैरानी से उसकी ओर देखने लगी आखिर ऐसी कौन सी बात है जो उसे बताने वाली है ।अब लाली ने उससे नजरें चुराते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई ;देखो सुगना रात जो भी तुम्हारे और सोनू के बीच हुआ वह मैं जानती हूं ।यह सुनते ही सुगना आंखें फैल गयी वह तो समझ रही थी इस बात का हम दोनों के सिवा किसी को नहीं पता। उसने पूछा यह तुम क्या कर रही हो। लाली ने जवाब दिया हां सुगना मैं इस बात को और ज्यादा अपने तक नहीं रख सकती और तुम्हें इस प्रकार से दुखी नहीं देख सकती। आखिर तुम मेरी प्यारी सहेली हो ।सुगना सोचने लगी कि यह क्या कह रही है। लाली ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा जो भी उस रात तुम्हारे और सोनू के बीच हुआ वह मुझे पता है ।मैंने ही सोनू को तुम्हारे पास भेजा था ।उस रात सोनू मेरे पास आया लेकिन मेरी तबीयत उस समय सही नहीं थी। 3 दिन वाली जो बीमारी है हमें होती है वह मुझे शुरू हो गई थी ।लेकिन सोनू इतने दिन बाद आया था और उसे दिवाली का तोहफा भी चाहिए था। इसलिए मैंने उसे अपने से टालते हुए तुम्हारे पास भेज दिया। इतना सुनते ही सुगना का मन गुस्से से भर गया वह एक झटके से खड़ी हुई और एक जोर का तमाचा लाली के गाल पर मार दिया। और चीखते हुए बोली यह तूने क्या किया। तुम मेरी सबसे प्यारी सहेली हो और तुमने मेरे साथ ऐसा धोखा किया। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। तुमने मुझसे ऐसा पाप करवाया और साथ ही मेरे भाई को भी इसमें घसीट लिया। क्यों किया लाली तूने ऐसा क्यों किया। सुगना लाली को झंझोड़ते हुए चीखते हुए बोली। लाली की आंखों से आंसू बह रहे थे। वह सुगना से बोली मुझे माफ कर दो पता नहीं मुझे क्या हो गया था। लेकिन अब जो भी हो गया वह तो हो गया है ।सुगना बोली नहीं यह सब कुछ ठीक नहीं हुआ तुम मेरी प्यारी सहेली थी मैंने तुम पर कितना भरोसा किया था और तुमने मुझे धोखा दिया। चली जाओ मेरी नजरों से दूर हो जाओ तुम। फिर कभी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना- गुस्से में चीखते हुए लाली से कहा ।सुगना की बात सुनकर लाली हैरानी से उसका चेहरा देखने लगी ।उसने हैरान होते हुए सुगना से कहा यह तुम क्या कह रही हो क्या तुम मेरा चेहरा नहीं देखना चाहती। सुगना ने कहा हां नहीं देखना चाहती मैं तुम्हारा चेहरा ।जो कुछ तुमने किया है उसके बाद मैं तुम्हारा चेहरा नहीं देखना चाहती हूं ।और मैं मर जाना ही पसंद करूंगी। सुगना के मुंह से मरने की बात सुनकर लाली ने कहा खबरदार अगर तुमने मरने की बात की तो। तुम जानती हो तुम मेरी बहन से भी प्यारी मेरी सहेली हो और सोनू भी मुझे अपने भाई के ही तरह प्यारा है। तुम इस प्रकार से मरने की बात करोगी तो फिर मुझे भी तुम्हारे ही साथ मरना पड़ेगा। लाली के मरने की बात सुनकर सुगना थोड़ी शांत हुई। लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हुआ उसने पूछा तुम क्यों मरोगी तुम तो सोनू के साथ मजे ले ही रही हो ।लाली ने कहा और वही मजे में तुम्हें भी देना चाहती थी ।सुगना ने कहा लेकिन मुझे उसकी जरूरत नहीं है ।यह तुमने मेरे साथ जबरदस्ती किया है। लाली ने सुगना से कहा तुम झूठ बोल रही हो तुम्हे मुझसे भी ज्यादा इसकी जरूरत है और तुम जानती हो कि तुम भी सोनू से कितना प्यार करती हो और मैं भी सोनू से बहुत प्यार करती हूं ।सुगना ने कहा मैं जानती हूं कि तुम सोनू से किस प्रकार का प्यार करती हो। लाली ने उसकी बात समझते हुए कहा हां मुझे पता है कि तुम जानती हो और तुमने देखा भी है। लेकिन तुम मेरे दिल की भावनाओं को नहीं जानती कि मैं सोनू से ऐसा प्यार क्यों करती हूं। वह भी मुझे अपने भाई की तरह ही प्यारा है। सुगना ने लाली से कहा तुम बकवास कर रही हो अगर तुम्हें सोनू भाई की तरह ही प्यारा होता तो तुम इस प्रकार की हरकत उसके साथ नहीं करती। जिसे तुम प्यार का नाम दे रही हो। यह बात सुनकर लाली भड़क गई और उसने अपनी बात पर जोर देते हुए सुगना को कहा तुम्हें लगता है कि मैं सोनू से प्यार नहीं करती। तुम नहीं जानती कि यह सब जब शुरू हुआ तो कैसे शुरू हुआ। तुमने सिर्फ एक ही चीज देखी है जो हमारा मिलन था ।लेकिन यह सब कैसे शुरू हुआ क्यों हुआ यह तुम नहीं जानते। मानो आज लाली सब कुछ अपने दिल की बात सुनना को बता देना चाहती थी। सुगना ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए कहा तुम कहना क्या चाहती हो ।लाली ने गहरी सांस भरते हुए सुगना से कहा सब कुछ तो खैर मैं तुम्हें क्या बता पाऊंगी बस तुम इतना समझ लो कि सोनू उस समय उम्र कैसे पड़ाव पर था जिसमें अक्सर लड़के भटक जाते हैं। तुम्हें क्या लगता है वह मेरे घर आता था और मुझे देखता था तो क्या मुझे पता नहीं चलता था। तुम ही बताओ उस समय मुझे क्या करना चाहिए था ?क्या मैं सोनू को एक थप्पड़ मारकर उसे डांटते हुए हमेशा के लिए अपने घर आने से मना कर देती? उससे कहती कि तुम इस प्रकार से अपनी दीदी की सहेली को ऐसी गंदी नजरों से देखते हो खबरदार कभी मेरे घर मत आना ।तुम समझ सकती हो ऐसा कहने से उस पर क्या असर होता, वह हमेशा के लिए मेरे घर से मुझ से नाता तोड़ लेता। उसके गुस्सा होने से तुम भी मुझसे नाता तोड़ देती और आज जो हम इतने प्यार से सोनू के साथ और तुम्हारे साथ हम सब रहते हैं आज वह दिन कभी भी नहीं आता। सोनू भले ही मुझसे दूर हो जाता है लेकिन अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह जरूर कहीं न कहीं बाहर किसी और के साथ मुंह मारता। और तुम जानती हो कि अगर वह बाहर ही बाहर किसी के साथ इस प्रकार की हरकत करता तो अपनी पढ़ाई से भी दूर हो जाता और कभी भी आज का दिन तुम्हें देखने को नहीं मिलता ।ना वह अपनी पढ़ाई पर इस प्रकार से ध्यान दे पाता और ना ही मैं आज इतनी ऊंची पोस्ट पर होता। यह सब सिर्फ उस प्यार का नतीजा है जो मैंने उसे दिया है ।और रही बात इस चीज की कि मैंने उसके साथ ऐसा क्यों किया तो यह सच है कि मैं सोनू से बहुत प्यार करती हूं। और इसी प्यार को अगर और आगे मैंने बढ़ा दिया तो इसमें क्या गलत किया। आज तुम जानती हो मेरे पति मर चुके हैं लेकिन फिर भी मुझे उनकी कमी सोनू की वजह से महसूस नहीं होती। अगर आज सोनू नहीं होता मेरी जिंदगी में तो मेरी जिंदगी एक विधवा की तरह बीत रही होती। एक विधवा की तरह सफेद साड़ी पहनकर उदास बैठी रहती। तुम्हारे पति यहां पर नहीं है लेकिन फिर भी क्या तुम विधवाओं जैसी ही जिंदगी नहीं जी रही हो। जरूरी यह नहीं है सुगना कि हम किसके साथ क्या रिश्ता बनाया है, जरूरी यह है की हमारा सब का रिश्ता बहुत ही प्यार भरा है। और इसी रिश्ते के कारण हम एक दूसरे के कितने पास है सोनू इसी रिश्ते के कारण मेरे इतने पास है। और तुम भी यह बात जानती हो। तुम भी मेरे इतने पास हो ।मैं तुम्हें बहुत बार देख चुकी हूं इस प्रकार से अकेले जिंदगी बिताते हुए। मैं नहीं चाहती कि मैं अकेली ही सुख भोगती रहू और तुम इस आग में तड़पती रहो। मैं औरत होने के नाते अच्छी तरह समझ सकती हूं कि तुम्हारे जिस्म की जरूरतों को पूरा करने के लिए तुम्हारे पास कोई नहीं है ।और तुम्हें उस की कितनी आवश्यकता है। इसलिए मेरे पास एक ही रास्ता था कि जो सुख मैं ले रही हूं वह सब तुम भी दे सकूं हमारे रिश्ते अगर और ज्यादा प्यार भरे होते हैं तो इसमें दिक्कत ही क्या है ?तुम समझ सकती हो कि जब मैं इस प्यार को पा रही हूं तो फिर मैं यह कैसे सोच सकती हूं कि मेरी सहेली इस चीज के लिए तरसती रहे। माना कि मैंने बिना बताए धोखे से किया है लेकिन मैं बस यही चाहती थी की तुम्हारा और सोनू का प्यार और भी आगे बढ़ जाए। आज सोनू जिस पद पर पहुंचा है उस पद पर पहुंचने के बाद वह तुम्हारे लिए भौतिक चीजों को लाकर पूरा घर भर सकता है ।तुम्हें अच्छे से अच्छे कपड़े लाकर दे सकता है, गहने जेवर से तुम्हें लाद सकता है। लेकिन फिर भी तुम्हारे चेहरे पर जो तुम्हारे जिस्म की प्यास है वह हमेशा ही दिखाई देती रहेगी और तुम हमेशा ही उस चीज के लिए तड़पते रहोगी ।क्या यह सब होती चीजें पाकर तुम पूरी तरीके से खुश हो पाओगी ,नहीं ,तुम पूरी तरीके से खुश नहीं हो सकती। और अगर तुम पूरी तरीके से खुश नहीं होगी तो फिर सोनू चाहे तुम्हारे लिए कितना भी कर ले, तुम्हारे इस दर्द को जानते हुए वह भी हमेशा ही दुखी रहेगा। क्या तुम चाहती हो सोनू जो तुम्हें हमेशा ही खुश देखना चाहता है, वह तुमसे इतना प्यार भी करता है, वह हमेशा ही इस प्रकार से तुम्हें दुखी देखता रहे। वह कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन तुम्हारे इस दुख को वह दूर नहीं कर सकता था ।उसे दूर करने का सिर्फ यही रास्ता था कि तुम और सोनू अपने प्यार में और आगे बढ़ जाओ मेरी तरह। तुम्हारे ख्याल से यह गलत हो सकता है लेकिन मैंने तुम्हारी तड़प देखी है ,तुम्हारी प्यास देखी है। यह तुम्हारे लिए बहुत जरूरी था सुगना। तुम भले ही मुझे इसके लिए कुछ भी कहो लेकिन जो असली खुशी है वह तो सोनू ही दे सकता है ।नहीं तो तुम इसके लिए कहां जाओगी ।तुम्हारे पति इस समय तुम्हारे पास नहीं है और तुम भी जानती हो कि वह कभी तुम्हारे पास होंगे भी नहीं। बेहतर यही है तुम सोनू को अपना लो। इससे सोनू भी खुश रहेगा वह अपने जीवन में और तरक्की करेगा। और तुम भी खुश रहोगीऔर तुम्हें खुश देखकर सोनू और ज्यादा खुश हो जाएगा ।नहीं तो अगर तुम इस आग में जलती रही तो सोनू भी समझ सकता है कि उसने तुम्हारे साथ जो किया वो सही नहीं किया और इस हीन भावना से ग्रस्त होकर, तुम मानो या ना मानो अगर वह कोई गलत कदम भी उठा ले तो भी कुछ कहा नहीं जा सकता है। अब तुम्हारे हाथ में है। जो हो चुका है वह तो बदला नहीं जा सकता लेकिन अगर तुम हमारे सोनू को खुश देखना चाहती और बचाना चाहती हो उसकी जिंदगी, तो मेरी बातों को ठंडे दिमाग से सोचना । हम दोनों को सोनू को अपनाने में ही भलाई है ।इससे हमारे रिश्ते और ज्यादा मजबूत होंगे और हम सबके बीच में प्यार बढ़ेगा और तभी तुम्हें भी अपने जीवन की असली खुशी मिल पाएगी। तुम जानती हो सुगना जब एक लड़की की शादी हो जाती है तो उसके भाई के सर से उसकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। तुम्हारी शादी तो हो गई है लेकिन सोनू के सर से तुम्हारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है और ना ही सारी उम्र कभी खत्म होगी ।और जब सोनू को यह जिम्मेदारी निभानी ही है तो फिर क्यों ना वह पूरी तरीके से ही इस जिम्मेदारी को निभाए । सोनू ने जो भी कुछ किया है वह तुम्हारे प्यार में पड़ कर ही किया है। इसलिए उसके प्यार को स्वीकार करो और उसके जीवन को आगे बढ़ाने में उसकी मदद करो। इसी में हम सब की भलाई है वरना अगर तुम उसे माफ नहीं करोगी और उसे अपनाओगी नहीं तो वह इस पाप से दब कर मर जाएगा। तुम्हें उसे एहसास दिलाना ही होगा कि उसने कोई पाप नहीं किया ।तभी तुम पहले वाले सोनू को पा सकती हो।
महोदय आपने सुगना और लाली के बीच हुई बातचीत भाव भंगिमा और उनकी अपनी अपनी भावनाओं का बेहतरीन उल्लेख किया है मुझे भी पढ़ कर आनंद आया..

सच एक सुगना है और सब की भावनाएं अलग अलग है यह कहानी भी अलग है हो सकता है आपके विचार और मेरे विचारों में थोड़ा अंतर हो परंतु हर विचार एक अहम भूमिका रखता है

सुगना से जुड़ने के लिए धन्यवाद
 

Kadak Londa Ravi

Roleplay Lover
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भाग १०४

सुगना की आंखों के सामने एक बार फिर वह दृश्य घूम गया जब सोनू ने अपने मजबूत हाथों से उसकी कलाइयों को सर के ऊपर ले जाकर दबा रखा था…


न जाने सुगना के मन में क्या आया वह उठी और सरयू सिंह से लिपट गई…आंखों से अश्रु धारा फूट पड़ी सरयू सिंह पूरी तरह सुगना के दुख में डूब गए। उन्हे उसके दुख का कारण तो न पता था परंतु सुगना के सर पर हाथ फेरते हुए उन्होंने सुगना से बारंबार कारण जानने की कोशिश की और आखिर सुगना ने अपने लब खोले..

अब आगे…

"बाबूजी लागा ता हमनी से कोई पाप भईल बा तब ही अतना गड़बड़ होता" सुगना सुबक रही थी.. कल रात जो हुआ था वह उसे सोच कर आहत थी….

उन्होंने सुगना के सर पर हाथ फेरते हुए कहा "जो कुछ होला ओहमें भगवान के इच्छा रहेला तू चिंता मत कर दुख के दिन जल्दी खत्म हो जाई…" पाप सुनकर सरयू सिंह के मन में उनके सुगना के साथ किए पाप की याद एक करेंट की भांति दौड़ गई

"मोनी के कुछ पता चलल"

"थाना में रिपोर्ट लिखा देले बानी… जल्दी पता चल जाए"

सुगना अपने परिवार पर आए इस संकट की वजह कल पूजा में हुई किसी अनजान गलती को मान रही थी वरना उसकी इतनी इज्जत करने वाला सोनू उसके साथ ऐसी हरकत करेगा यह असंभव था…और ऊपर से मोनी का इस तरह घर से गायब होना…

सुगना के दर्द अलग थे और सरयू सिंह के अलग…सरयू सिंह अब भी सुगना के हाथ में बंदे कपड़े को लेकर परेशान थे उन्होंने दोबारा पूछा " ई हाथ में चोट कैसे लग गएल"

एक बार के लिए सुगना की मन में आया कि वह सोनू की करतूत को सरयू सिंह से साझा कर दे परंतु उसे सरयू सिंह के गुस्से का अंदाजा था मामला दूर तक जा सकता था और उसके परिवार का भविष्य खतरे में पड़ सकता था सच जानने के बाद इतना तो निश्चित था की सोनू अब और इस परिवार का हिस्सा नहीं रह सकता था।

सुगना ने बात छुपा ली .. उसने अपनी कलाइयों में अचानक आए मोच को बता कर उस कपड़े की उपयोगिता साबित कर दी…

अब तक कजरी पास आ चुकी थी और आते ही मोनी के बारे में वह भी पूछताछ करने लगी सरयू सिंह ने अपने किए गए प्रयासों और थाने में तहरीर की बात बता कर सब को तसल्ली देने की कोशिश की परंतु मोनी का गायब होना किसी को पच न रहा था…. हर आदमी यही सोच रहा था कि आखिर रात में ऐसा क्या हो गया कि मोनी अचानक ही घर छोड़ कर गायब हो गई…

सुगना का चेहरा बदरंग हो चुका था।


तनाव वैसे भी सुंदरता हर लेता है …

कल रात के बाद एक तो सुगना की आंखों से नींद गायब थी ऊपर से मोनी के गायब होने का तनाव उसे बेचैन किए हुए था। सोनू द्वारा उसके मुंह पर लगातार हथेलियों से बनाया गया दबाव चेहरे पर हल्की सूजन पैदा कर गया था जो सुगना के लगातार रोने और दुख का प्रतीक बन गया था। आंसुओं का सारा श्रेय मोनी ले गई थी…अन्यथा सुगना को अपने चेहरे की दुर्दशा का कारण निश्चित ही बताना पड़ता…

सुगना की दाहिनी कलाई पर भी सोनू की मजबूत उंगलियों के निशान पड़ गए थे सुगना एक तो वैसे भी कोमल थी जिस प्रकार फूल की पंखुड़ियों पर जोर से दबाव देने से उस पर दाग पड़ जाता है उसी प्रकार सोनू की मजबूत उंगलियों ने सुगना की कलाई पर अपने दाग छोड़ दिए थे।


यदि वह उंगलियों के निशान किसी की निगाहों में आते तो तो सुगना को कोई और उत्तर ढूंढने में निश्चित ही असुविधा होती…अंततः उसने कलाइयों पर कपड़ा बांधकर उसे मोच का रूप दे दिया था।

सुगना अपने अंतर्द्वंद से झूल रही थी सोनू द्वारा की गई करतूत को वह किसी को भी नहीं बताना चाह रही थी और भीतर ही भीतर घुट रही थी …

लाली चाय का गिलास लेकर सुगना के पास आई …और बोली

,"सुगना ले तनी चाय पी ले …सुबह से तो कुछ खाईले पीयले नाइखे जॉन होला ओमें विधाता के इच्छा रहेला…"

लाली की बात सुनकर सुगना के दिमाग में एक बार फिर उसका सोनू के साथ किया गया पाप घूम गया आखिर विधाता ने उसे इस पाप में क्यों शरीक किया ? इतना तो सुगना भी जान रही थी कि उस पाप (मिलन) के उत्तरार्ध में उसने भी सोनू का साथ दिया था और वह इस बात के लिए ही खुद को गुनाहगार मान रही थी…

सुगना अभी भी अपनी गर्दन झुकाए और मुंह लटकाए खड़ी थी। सरयू सिंह ने एक बार फिर सुगना की ठुड्ढी पकड़ कर उसका चेहरा ऊपर उठाया और बोला

"सुगना बेटा चाय पी ला मोनी के हम जरूर खोज के ले आईब"

सुगना ने भी अब परिस्थितियों से लड़ने का मन बना लिया और मन ही मन फैसला कर लिया ।

उसने उसने लाली के हाथ से चाय का गिलास लिया और निगाहों ही निगाहों में लाली से अपने अब तक के व्यवहार बेरुखी भरे व्यवहार करने के लिए क्षमा मांग ली

दरअसल आज दिन भर से लाली ने कई बार सुगना से बात करने का प्रयास किया परंतु सुगना ने उससे कोई बात नहीं की ऐसा नहीं था की सुगना लाली से नाराज थी उसे तो इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि सोनू को उसके कमरे में भेजने वाली स्वयं लाली थी..

उधर सोनी बेचैन थी वह अब भी इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पा रही थी की अंदर कमरे में टॉर्च मारने वाला कौन था। मोनी का इस तरह से गायब हो जाना उसे और भी परेशान कर रहा था था। सुबह सुबह उसे एक और झटका लगा था वह अपनी सुंदर लाल पेंटी लेने जब सरयू सिंह की कोठरी में गई थी (जहा वो जमकर चुदी थी) पर वह पेंटी गायब थी।


विकास उसके लिए वह अमेरिका से लेकर आया था और कल ही संभोग के दौरान उसे अपने दांतों से पकड़ कर खींच कर उसके तन से जुदा किया था …अपने कमरे में विकास के खांसने का इंतजार करते करते उसकी बुर पहले ही पनिया कर पेंटी को अपने मदन रस से भीगो चुकी थी. पेंटी किसने ली होगी?

मोनी को गायब हुए 12 घंटे से ऊपर का वक्त बीत चुका था.. घर पर आए हुए अतिथि एक एक करके सरयू सिंह के घर से विदा हो रहे थे। कल जितना उत्साह था आज उतनी ही उदासी। रात ने दो दिनों के बीच इतना अंतर कर दिया था जिसे पाटने में न जाने कितना समय लगता।


शाम होते होते परिवार वालों के कष्ट भी कुछ कम होते गये। वैसे भी आज सरयू सिंह के परिवार को जो कष्ट मिला था वह पूर्णता यह मानसिक था। और इस परिवार में घर छोड़कर जाना कोई नई बात न थी हां यह अलग बात थी कि इस बार परिवार की किसी महिला ने घर छोड़ा था।

मानसिक कष्ट की सबसे बड़ी विशेषता है यदि आप उसके बारे में न सोचिए तो शायद आपको एहसाह भी नहीं होगा कि आपको कोई कष्ट है…

सबको सोनू का इंतजार था। यद्यपि सोनू ने सरयू सिंह से कल आने की बात की थी परंतु सभी आशावान थे कि सोनू आज रात ही वापस आ जाएगा ।

सभी यह बात जानते थे कि सोनू अपने परिवार के साथ रहना बेहद पसंद करता है और सुगना के बच्चों के बिना तो जैसे उसका मन ही नहीं लगता है। परंतु आज सुगना को सोनू का इंतजार न था। वह किस मुंह से उसके सामने आएगी? और सोनू का व्यवहार उसके प्रति क्या होगा? यह सोच सोच कर उसका मन बेचैन हो रहा था सुगना खुद को इस गुनाह का उतना ही जिम्मेदार मान रही थी जितना सोनू को…

सोनू का इंतजार करते-करते रात के 9:00 बज गए पर सोनू न आया। घर के लोगों ने सादा खाना खाया और एक बार फिर सभी अपने अपने बिस्तर पर अपने अपने तनाव से लड़ते अपने दर्द भूलने के लिए नींद का इंतजार करने लगे..

आज रात सरयू सिंह अपनी कोठरी में थे और रात्रि में रोज पिए जाने वाले दूध का इंतजार कर रहे थे तभी अंदर से कजरी की आवाज आई

"सोनी बेटा तनी अपना चाचा जी के दूध दे आवा…"


सोनी के मन में सरयू सिंह के प्रति कुछ अलग ही भाव पैदा हो रहे थे। कभी-कभी उसे लगता कि शायद सरयू चाचा ने अपने कमरे में आने के लिए टॉर्च चलाई होगी। जब वह बात सोचती उसके रोंगटे खड़े हो जाते वह सरयू सिंह के सामने जाने में कतरा रही थी। परंतु कजरी के दोबारा बोलने पर वह दूध का गिलास लिए सरयू सिंह के कमरे में आने लगी।

सोनी को अपनी तरफ आते देख कर सरयू सिंह की निगाहों ने सोनी की मादक काया की सुनहरी किताब को पढ़ना शुरू कर दिया उनके दिमाग में उसे लाल पेंटी मैं कैद सोनी की मादक कमर दिखाई पड़ने लगी। सोनी की पुष्ट जांघों और पतली कमर उस पेंटी के लिए सर्वथा उपयुक्त थी।


सोनी ने अपने दिल की धड़कनों पर काबू किया और करीब आकर अपने कांपते हुए हाथों को संतुलित कर सरयू सिंह को दूध का गिलास दिया और बिना कुछ बोले वापस जाने लगी… जाते समय उसके भरे भरे नितंब एक बार फिर सरयू सिंह की निगाहों के सामने थे उभरे हुए नितम्ब चीख चीख कर यह बता रहे थे की सोनी का दुर्ग भेदन हो चुका है… उन्हें अब यह पूरा विश्वास हो चला था कि निश्चित ही यह पेंटी सोनी की थी और निश्चित ही सोनी व्यभिचार में लिप्त थी.।

सरयू सिंह ने मन ही मन ठान लिया कि वह विकास और सोनी के बीच रिश्ते की सच्चाई को जल्द ही उजागर करेंगे वह भी रंगे हाथ पकड़ने के बाद।

सरयू सिंह दूध पीने लगे और मन ही मन सोनी के व्यभिचार को याद करने लगे उनकी वासना ने सोनी के वस्त्र हरण में कोई कमी न की और धीरे-धीरे सोनी उनके विचारों में नग्न होती गई… दूध का गिलास किनारे रख सरयू सिंह ने अपनी कोठरी को बंद कर और अपने कुर्ते में रखी उस लाल पेंटी को निकाल लिया।

वासना सरयू सिंह को घेर चुकी थी…आंखें वासना से लाल हो चुकी थी जिस तरह एक सांड बछिया को देखकर गरम हो जाता है सरयू सिंह भी उत्तेजित हो चुके थे… सरयू सिंह ने वह पेंटी उठाई कुछ देर उसे देखा और न जाने कब उनके हाथों ने उसे उनकी घ्राणेंद्रियों तक पहुंचा दिया। मदन रस की भीनी खुशबू सरयू सिंह के नथुनो से टकराई और सरयू सिंह मदहोश हो गए।

नीचे लंगोट का बंधन तोड़ उनका लंड एक बार फिर फंफनाकार खड़ा हो गया। यह खुशबू निश्चित ही कुछ अलग थी। युवा योनि की खुशबू सरयू सिंह बखूबी पहचानते थे। जैसे-जैसे सोनी की मदमस्त बुर की खुशबू उनने नथुनो से होती हुई दिमाग तक पहुंची योनि की खूबसूरत आकृति सरयू सिंह की निगाहों के सामने आती गई.. उस रस से डूबी हुई छोटी सी नदी में तैरने को सरयू सिंह का लंड आतुर हो उठा उद्दंड बालक की तरह वह उछलने लगा..

उनकी हथेलियों ने फिर एक बार फिर उनके तने हुए लंड को शांत करने की कोशिश की पर वह हठी बालक की तरह तना रहा।

कुछ ही देर में सरयू सिंह की हथेलियों ने उस उद्दंड बालक की गर्दन पर अपनी पकड़ बनाई और उसे आगे पीछे करने लगे… दिमाग में सोनी की काया घूम रही थी और उनके ख्याल उच्छृंखल हो रहे थे पाप पुण्य उचित अनुचित का भेद खत्म हो रहा था …

जैसे-जैसे हाथों की गति बढ़ती गई विचारों की गति उससे होड़ लगाने लगी जितना ही वह विचारों में सोनी के साथ नग्न और घृणित होते उनका लंड उतना ही तेज उछलता। सरयू सिंह के मन में सोनी के प्रति यह वासना एक अलग किस्म की थी जिसमें प्यार कतई न था।


वह सोनी को पूर्णतया व्यभिचारी मान चुके थे और उसे अपने घृणित विचारों में दंड देना चाह रहे थे और अपने मजबूत लंड से उसे कसकर चोदना चाह रहे थे.. आखिर जिस युवती ने विवाह बंधन में बंधे बिना किसी पर पुरुष से अपनी वासना शांत करने के लिए संभोग किया हो उनकी नजरों में वह सिर्फ और सिर्फ व्यभिचारी थी..…वासना का यह रूप विकृत हो रहा था..

नियति सरयू सिंह का यह रूप देख स्वयं विस्मित थी..

सरयू सिंह का लंड अब स्खलन को तैयार था। सरयू सिंह ने अपनी वासना को और बहकाया उनके लंड ने वीर्य धारा छोड़ दी…… सरयू सिंह निराले थे और उनके मन में जग रही या नहीं वासना भी निराली थी।

सरयू सिंह ने अपनी उत्तेजना में अपना वीर्य स्खलन कर अब जो रायता फैलाया था उसे साफ करने की बारी थी उन्होंने अपने सोनी की पैंटी से वीर्य को साफ करने की सोची पर फिर यह विचार त्याग दिया…सोनी की पैंटी की खुशबू आगे भी उनकी वासना को तृप्त करने की खुराक बन सकती थी और एक सबूत भी थी।

आइए सरयू सिंह को उनके हाल पर छोड़ देते हैं और आपको लिए चलते हैं मोनी के पास जो ट्रेन के जनरल डिब्बे में गुमसुम बैठे बाहर की तरफ देख रही थी… रात के अंधेरे में उसे बाहर कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था …वह जिस दिशा में जा रही थी वहां भी अभी तो सिर्फ और सिर्फ अंधेरा था परंतु मोनी को अपने ईश्वर पर विश्वास था वह जानती थी हर रात के बाद एक सुबह होती है… पिछली रात मोनी के लिए अनुकूल न थी…

सूर्योदय की रोशनी जैसे ही ने जैसे ही सरयू सिंह के आंगन को रोशन किया मोनी अपने कमरे से बाहर आ गई…

मोनी ने अपना सामान यथावत छोड़ दिया परंतु अपने झोले से वह पर्चा अवश्य निकाल लिया जो उसने बनारस महोत्सव के दौरान विद्यानंद के पंडाल से लेकर आई थी। मोनी ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि अब वह इस कलयुगी जीवन से दूर विद्यानंद के आश्रम में चली जाएगी और वहां जीवन को एक नए सिरे से शुरू करेगी सांसारिक रिश्तो में उसका विश्वास पहले ही कमजोर था और बीती रात उसकी आंखों ने जो देखा था वह भुला पाना कठिन था… ऐसे भाई बहनों के बीच रहने से अच्छा था कि वह विद्यानंद के आश्रम में महिलाओं और युवतियों के बीच रहती जहां विचारों और तन मन की पवित्रता कायम रहती …ट्रेन द्रुतगति से मोनी के लक्ष्य की तरफ बढ़ रही थी और मोनी की आंखें मुदने लगीं थी।

और अब आइए हम सबके प्रिय सोनू और विकास का हालचाल ले लेते हैं जो अपनी अपनी महबूबाओं को जी भर कर चोदने के बाद सुबह-सुबह सलेमपुर से लगभग भाग निकले थे… विकास परेशान था वह सोनी से बिना मिले वापस नहीं जाना चाहता था परंतु परंतु सोनू जिद पर अड़ा था ..

"यार बता तो क्या हुआ तू इतनी जल्दी बाजी में क्यों है?" विकास ने सोनू की बेचैनी देखकर पूछा

"यार मुझे सुबह सुबह ही बनारस पहुंचना है कुछ जरूरी काम है "

"क्या काम है?"

"मैं तुझे बता नहीं सकता यह मान ले कि यह शासकीय काम है"

"पर एक बार सुगना दीदी से मिल तो ले? वह क्या सोचेंगी "

सोनू को जैसे सांप सूंघ गया… वह सुगना से रूबरू कतई नहीं होना चाहता था जो गुनाह उसने किया था उसे बखूबी याद था और वह कुछ दिनों के लिए सुगना से दूर होना चाहता था… रात भर में उसने मन ही मन सोच लिया था कि सुगना दीदी की प्रतिक्रिया जानने के बाद ही वह उनके सामने आएगा और प्रतिक्रिया जानने का सबसे मुख्य स्रोत लाली थी जो न सिर्फ उन दोनों की हमराज थी अपितु वह भी इस खेल में शामिल थी…

जैसे-जैसे सोनू अपने गांव से दूर हो रहा था वैसे वैसे उसकी बेचैनी बढ़ रही थी। आज एक गुनाह करने के बाद वह अपने ही परिवार से दूर हो रहा था पर मन बैचेन था।


क्या सुगना दीदी उसे माफ करेगी? या वह यह बात घर में बता कर उसे इस परिवार से हमेशा के लिए अलग कर देगी? नहीं नहीं सुगना दीदी ऐसा नहीं कर सकती। वह तो उससे बहुत प्यार करती हैं।

सोनू अपने विचारों में कभी सुगना के एक पक्ष को देखता कभी दूसरे पक्ष को। जब उसे सुगना की स्खलित होती बुर् के कंपन याद आते सोनू और उसका लंड बेचैन हो जाता… अद्भुत स्खलन था वह। इतने दिनों से वह लाली को चोद रहा था और हर बार स्खलन का आनंद ले रहा परंतु बीती रात उसके लंड ने जो स्खलन का आनन्द महसूस किया था अद्भुत था।

जैसे उसका तन बदन सब कुछ निचूड़ कर सुगना की बुर की गहराइयों में समा जाना चाहता था। दिल दिमाग तन बदन सब पर सुगना का ही रंग था… सुगना की मांसल जांघों के स्पर्श को याद कर सोनू का लंड एक बार फिर खड़ा हो गया और सोनू ने मोटरसाइकल चला रहे विकास की कमर को पकड़ कर खुद को थोड़ा दूर किया वरना सोनू के खड़े लंड का अहसास निश्चित ही विकास को हो जाता।


दोनों दोस्त बनारस शहर पहुंच चुके थे। सोनू ने जौनपुर की ट्रेन पकड़ी और विकास अपने घर के लिए निकल पड़ा.

जिस व्यक्ति ने गुनाह किया हो उसका मन कभी शांत हो ही नहीं सकता और वह भी जब उसने यह कार्य पहली बार किया हो। सोनू सुगना से दूर जरूर हो गया था परंतु वह अपनी आत्मग्लानि और डर में अभी डूबा था। एक पल के लिए उसके दिमाग में आया कि कहीं सुगना दीदी ने पुलिस में रिपोर्ट तो नहीं लिखा दी?


यद्यपि ऐसा संभव न था। सोनू ने सुगना के चेहरे पर स्खलित होते समय जो आनंद देखा था वह बेहद मनमोहक था…. उसे स्खलन के दौरान अब भी सुगना द्वारा उसकी उंगलियों को चुभलाया जाना और अपने पैरो से उसे अपनी तरफ खींचना याद था। दीदी ऐसा नहीं करेगी…पर क्या सुगना दीदी उसे माफ कर देगी? …सुगना का प्रतिरोध उसे याद था..सोनू घबरा गया।

जब एक बार मन में डर आ गया तो आ गया ।

सोनू ने नई नई नौकरी ज्वाइन की थी वह भी एसडीएम जैसे प्रतिष्ठित पद की। यदि दीदी ने उसके खिलाफ पुलिस में तहरीर दे दी होगी तब तो वह हमेशा के लिए बर्बाद हो जाएगा।

सोनू घबरा गया और अपने एक पुलिसिया दोस्त से आज सलेमपुर थाने में लिखाई गई रिपोर्टों के बारे में जानने की कोशिश की.. सोनू के दोस्त ने सलेमपुर थाने में फोन कर पता किया परंतु वह ज्यादा जानकारी इकट्ठा न कर सका शायद उधर से अपूर्ण उत्तर ही प्राप्त हुआ था। उसने सोनू को बताया..

"कोई सरयू सिंह के परिवार से रिपोर्ट लिखाई गई है.. किसी लड़की के बारे में…"

सोनू सन्न रहा गया। उसकी आवाज उसकी हलक में बंद हो गई कुछ देर के लिए दोनों तरफ शांति रही.. सोनू के दोस्त ने पूछा

"क्या तू उनको जानता है?"

सोनू सकपका गया। उसके प्रश्न से सोनू ने ऐसा महसूस किया जैसे वह उससे इंटेरोगेशन कर रहा हो…सोनू ने खुद को संतुलित करते हुए कहा…

"क्या नाम है लड़की का?"

"यार मैंने यह तो नहीं पूछा दोबारा पूछ कर बताता हूं.."

जाने दे कल देखते है…

सोनू का यह दोस्त जौनपुर में आने के बाद ही बना था वह अभी सोनू और उसके परिवार के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता था उसने निर्विकार भाव से जो जानकारी सोनू ने मांगी थी उसे उपलब्ध करा दी थी परंतु उसकी जानकारी ने सोनू के मन में उथल-पुथल मचा दी थी..

सोनू अपने बिस्तर पर पड़ा अपने दोस्त द्वारा कही गई बातें को सोच रहा था उसे इस बात का इल्म भी न था कि मोनी घर छोड़कर जा चुकी है। तो क्या यह रिपोर्ट सरयू सिंह ने उसके बारे में लिखाई थी।


हे भगवान अब क्या होगा…सोनू सोनू के मन में तरह तरह के विचार आने लगे। कभी उससे लगता जैसे उसे नौकरी से निकाल दिया गया हो और उसे जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया हो। उसकी रूह कांप उठती वह जेल की सलाखों के पीछे से खड़ा सुगना को देखता जो अपने चेहरे पर नफरत का भाव लिए उसे घृणित निगाहों से देखती।

परंतु कभी-कभी उसे अपने सर को प्यार से सहलाती सुगना दिखाई पड़ती.. जो उससे बेहद प्यार करती थी। अंततः सोनू ने सुगना के सामने अपने गुनाह को कबूल करने का मन बना लिया और अगली सुबह तड़के वह जौनपुर से सलेमपुर के लिए निकल पड़ा…उसने तय कर लिया था कि वह सुगना दीदी के पैरों पर गिर पड़ेगा और यदि दीदी ने माफ न किया तो वह पुलिस के सामने सहर्ष गुनाह स्वीकार कर लेगा... आखिर जब सुगना ही नहीं तो जीवन का क्या? क्या सम्मान क्या अभिमान....

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सलेमपुर में आज की सुबह पिछली सुबह से कम तनाव भरी थी…सबको सोनू का इंतजार था सब अपनी अपनी दिनचर्या में लगे हुए थे….सुगना भी स्नान कर बाहर आ चुकी थी और अपनी कोठरी में अपने वस्त्र बदल रही थी हाथों पर सोनू की उंगलियों के निशान कुछ मद्धिम पड़े थे परंतु अब भी वह बरबस ही ध्यान खींचने वाले थे सुगना ने एक बार फिर अपनी कलाइयों पर कपड़ा लपेट लिया…


सुगना ने गर्दन झुका अपने सपाट पेट के नीचे अपनी छोटी सी करिश्माई बुर को देखना चाहा पर भरी-भरी चूचियां निगाहों के रास्ते का रोड़ा बन रही थी सुगना ने अपने दोनों हाथों से अपनी चुचियों को फैलाया और फिर अपनी छोटी सी बुर को देखा जो हल्का सा मुंह बाये सुगना को निहारा रही थी .. बुर के होंठ मुस्कुरा रहे थे जैसे उस सुखद मिलन के सुगना को धन्यवाद दे रहे हों…और सुगना एक बार फिर सोनू के बारे में सोचने लगी…

सुगना ने अपनी साड़ी पहनी बाल बनाएं गले में लटक रहा सोनू का दिया मंगलसूत्र चमक रहा था। सुगना के मन में आया कि वह इस मंगलसूत्र को निकाल दे जो उसके और सोनू के बीच हुए पाप का गवाह था परंतु सुगना अपने गले को सूना नहीं रखना चाहती थी..और वैसे भी उसका यह कृत्य सबका ध्यान खींचता।

सुगना ने अपने गोरे गोरे गालों पर जैसे ही क्रीम लगाई और अपनी आंखें खोली और सोनू को अपने पैरों पर गिरा हुआ पाया…

सोनू अपने घुटनों और पंजों के बल जमीन पर बैठा हुआ था और उसने सुगना के दाहिने पैर की पिंडली पकड़ रखी थी एक हाथ साड़ी के पीछे से और दूसरा सामने से। सर झुकाए और अपनी आवाज में दर्द लिए सोनू ने कहा

"दीदी हमरा के माफ कर द…"


सुगना का कलेजा धक-धक करने लगा..सोनू से बात करने का यह उचित समय कतई ना था…कोठरी का दरवाजा खुला हुआ था और कमरे में कोई भी आ सकता था। जिस तरह सोनू अपने गुनाह की क्षमा मांग रहा था उसे इस अवस्था में देखकर कोई भी इसका कारण जानना चाहता..

वही हुआ जिसका डर था..कजरी अंदर आ गई…सोनू अभी भी सुगना के पैरों पर लिपटा हुआ था…

सुगना ने बात संभालते हुए कहा..

"देखीं …काल बिना बतावले भाग गइले और आज माफी मांगत बाड़े…"

सोनू सुगना की बात सुनकर खुश हो गया जिस सफाई से सुगना ने यह बात कही थी सोनू जान चुका था कि सुगना ने यह बात किसी को नहीं बताई है..

परंतु पुलिस में लिखाई गई वह रिपोर्ट? सोनू के मन में प्रश्न उठा और उत्तर कजरी ने दे दिया..

"सोनू बाबू… मोनी पता नहीं कल से कहां चल गईल बीया?"

सोनू अभी एक झटके से उबरा ही था कि तभी उसे दूसरा झटका लग गया। मोनी उसकी अपनी बहन थी.. युवा मोनी का इस तरह गायब हो जाना सोनू की भी प्रतिष्ठा पर दाग लगने जैसा था……

सोनू ने विस्तार से कजरी से कल की घटनाओं की जानकारी ली…वह बात बात में सुगना से भी मोनी के बारे में पूछता परंतु परंतु सुगना अपना मुंह न खोल रही थी..वह सोनू से बातें करने में हिचकिचा रही थी और उससे आंखें तक न मिला रही थी..

कजरी के हटते ही एक बार फिर सोनू ने सुगना के पैर छूते हुए कहा

" दीदी माफ कर द.."

सुगना उठ गई और जाते-जाते बोली

"जा पहले मोनी के ढूंढ कर ले आव फिर माफी मांगीह"

सोनू को तो जैसे मुंह मांगी मुराद मिल गई हो सुगना के व्यवहार से उसने अंदाज लगा लिया की उसका और सुगना का रिश्ता पूरी तरह टूटा नहीं है..

वह सुगना का वो प्यार पा सकेगा या नहीं यह अलग बात थी.. परंतु उसे खोना सोनू को कतई गवारा न था.. सुगना अब उसकी (और उसके छोटू की) की जान थी.. अरमान थी और अब उसके बिना रहना सोनू के लिए नामुमकिन था…

अचानक घर के बाहर चीखने चिल्लाने की आवाज आने लगी……कुछ लोग एक व्यक्ति को पीट रहे थे वह दर्द से कराह रहा था मैंने कुछ नहीं किया…सोनू भी बाहर निकल कर आया…

शेष अगले भाग में...
Bahut badiya update h
Ab lg rha h ki sugna ko sach pta chalega tabhi unka rishta reh payga
 

xxxbala

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Oh..

Oh..

महोदय आपने सुगना और लाली के बीच हुई बातचीत भाव भंगिमा और उनकी अपनी अपनी भावनाओं का बेहतरीन उल्लेख किया है मुझे भी पढ़ कर आनंद आया..

सच एक सुगना है और सब की भावनाएं अलग अलग है यह कहानी भी अलग है हो सकता है आपके विचार और मेरे विचारों में थोड़ा अंतर हो परंतु हर विचार एक अहम भूमिका रखता है

सुगना से जुड़ने के लिए धन्यवाद
Bhai Maine to sirf maje ke liye likh diya ,,iska matlab kahani se jodne ka bilkul nahi h. Mai to bas baitha hua aise hi soch Raha tha fir laga ki post me dal du baki bhi apna maja le. Aap sirf apne hi vichar se likhe tabhi to hame maja aayega.
 

Lutgaya

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मेरा विचार-
सुगना और सोनी की बातचीत

सुगना अपने कमरे में अपने साथ हुई घटना के बारे में सोचते हुए उदास बैठी थी। उसका चेहरा उतरा हुआ था। सोच रही थी कि यह क्या से क्या हो गया। ऐसा नहीं होना चाहिए था । हालांकि यह सच है कि अपने रात में ख्वाबों में वह इस चीज का कई बार आनंद ले चुकी थी लेकिन अपने सपनों को असली जामा पहनाने में उसका दिल हिचक रहा था। ऐसा सोच भी नहीं सकती थी कि उसके साथ इस प्रकार से जबरदस्ती हो सकती हैं । उसी समय लाली उसके कमरे में आई और उसने सुगना से उदास मन से और बड़े ही डरते हुए उसने सुगना से बोली- सुगना हमने के माफ कर देना। सुगना ने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा और पूछा तुम किस चीज की माफी मांग रही हो । लाली ने अपने द्वारा किए गए इस पाप को मन ही मन सोचते हुए सुगना के सवाल का जवाब सोचने लगी। वह समझ नहीं पा रही थी कि किस प्रकार से सुगना को इस बात को बताए। लेकिन वह उसकी सहेली थी और वह सुगना के सुख दुख की साथी भी थी। उसे पता था कि सोनू और सुगना के बीच में जो भी हुआ है उसे सुगना हजम नहीं कर पाएगी और उसे अपने जीवन में उतार नहीं पाएगी । इसलिए वह हिचक रही थी और मन में डर भी लग रहा था कि अपनी बात को बताने के बाद सुगना का रिएक्शन क्या होगा लेकिन अपनी सहेली को जिस आनंद से अनुभूति कराना चाहती थी उसके बाद भी सुगना की ऐसी हालत देख कर उसे बहुत बुरा लग रहा था। लेकिन फिर भी उसने सोचा कि सुगना को पहले की तरह हंसमुख और खेलते हुए देखना है तो उसे ही उससे बात करनी ही पड़ेगी । लाली ने सुगना की तरफ देखते हुए अपने मन को मजबूत करते हुए और सुगना की आंखों में देखते हुए कहा कि जो बात मैं तुम्हें बताने जा रही हूं उसे ध्यान से सुनना और समझने की कोशिश करना। सुगना हैरानी से उसकी ओर देखने लगी आखिर ऐसी कौन सी बात है जो उसे बताने वाली है ।अब लाली ने उससे नजरें चुराते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई ;देखो सुगना रात जो भी तुम्हारे और सोनू के बीच हुआ वह मैं जानती हूं ।यह सुनते ही सुगना आंखें फैल गयी वह तो समझ रही थी इस बात का हम दोनों के सिवा किसी को नहीं पता। उसने पूछा यह तुम क्या कर रही हो। लाली ने जवाब दिया हां सुगना मैं इस बात को और ज्यादा अपने तक नहीं रख सकती और तुम्हें इस प्रकार से दुखी नहीं देख सकती। आखिर तुम मेरी प्यारी सहेली हो ।सुगना सोचने लगी कि यह क्या कह रही है। लाली ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा जो भी उस रात तुम्हारे और सोनू के बीच हुआ वह मुझे पता है ।मैंने ही सोनू को तुम्हारे पास भेजा था ।उस रात सोनू मेरे पास आया लेकिन मेरी तबीयत उस समय सही नहीं थी। 3 दिन वाली जो बीमारी है हमें होती है वह मुझे शुरू हो गई थी ।लेकिन सोनू इतने दिन बाद आया था और उसे दिवाली का तोहफा भी चाहिए था। इसलिए मैंने उसे अपने से टालते हुए तुम्हारे पास भेज दिया। इतना सुनते ही सुगना का मन गुस्से से भर गया वह एक झटके से खड़ी हुई और एक जोर का तमाचा लाली के गाल पर मार दिया। और चीखते हुए बोली यह तूने क्या किया। तुम मेरी सबसे प्यारी सहेली हो और तुमने मेरे साथ ऐसा धोखा किया। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। तुमने मुझसे ऐसा पाप करवाया और साथ ही मेरे भाई को भी इसमें घसीट लिया। क्यों किया लाली तूने ऐसा क्यों किया। सुगना लाली को झंझोड़ते हुए चीखते हुए बोली। लाली की आंखों से आंसू बह रहे थे। वह सुगना से बोली मुझे माफ कर दो पता नहीं मुझे क्या हो गया था। लेकिन अब जो भी हो गया वह तो हो गया है ।सुगना बोली नहीं यह सब कुछ ठीक नहीं हुआ तुम मेरी प्यारी सहेली थी मैंने तुम पर कितना भरोसा किया था और तुमने मुझे धोखा दिया। चली जाओ मेरी नजरों से दूर हो जाओ तुम। फिर कभी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना- गुस्से में चीखते हुए लाली से कहा ।सुगना की बात सुनकर लाली हैरानी से उसका चेहरा देखने लगी ।उसने हैरान होते हुए सुगना से कहा यह तुम क्या कह रही हो क्या तुम मेरा चेहरा नहीं देखना चाहती। सुगना ने कहा हां नहीं देखना चाहती मैं तुम्हारा चेहरा ।जो कुछ तुमने किया है उसके बाद मैं तुम्हारा चेहरा नहीं देखना चाहती हूं ।और मैं मर जाना ही पसंद करूंगी। सुगना के मुंह से मरने की बात सुनकर लाली ने कहा खबरदार अगर तुमने मरने की बात की तो। तुम जानती हो तुम मेरी बहन से भी प्यारी मेरी सहेली हो और सोनू भी मुझे अपने भाई के ही तरह प्यारा है। तुम इस प्रकार से मरने की बात करोगी तो फिर मुझे भी तुम्हारे ही साथ मरना पड़ेगा। लाली के मरने की बात सुनकर सुगना थोड़ी शांत हुई। लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हुआ उसने पूछा तुम क्यों मरोगी तुम तो सोनू के साथ मजे ले ही रही हो ।लाली ने कहा और वही मजे में तुम्हें भी देना चाहती थी ।सुगना ने कहा लेकिन मुझे उसकी जरूरत नहीं है ।यह तुमने मेरे साथ जबरदस्ती किया है। लाली ने सुगना से कहा तुम झूठ बोल रही हो तुम्हे मुझसे भी ज्यादा इसकी जरूरत है और तुम जानती हो कि तुम भी सोनू से कितना प्यार करती हो और मैं भी सोनू से बहुत प्यार करती हूं ।सुगना ने कहा मैं जानती हूं कि तुम सोनू से किस प्रकार का प्यार करती हो। लाली ने उसकी बात समझते हुए कहा हां मुझे पता है कि तुम जानती हो और तुमने देखा भी है। लेकिन तुम मेरे दिल की भावनाओं को नहीं जानती कि मैं सोनू से ऐसा प्यार क्यों करती हूं। वह भी मुझे अपने भाई की तरह ही प्यारा है। सुगना ने लाली से कहा तुम बकवास कर रही हो अगर तुम्हें सोनू भाई की तरह ही प्यारा होता तो तुम इस प्रकार की हरकत उसके साथ नहीं करती। जिसे तुम प्यार का नाम दे रही हो। यह बात सुनकर लाली भड़क गई और उसने अपनी बात पर जोर देते हुए सुगना को कहा तुम्हें लगता है कि मैं सोनू से प्यार नहीं करती। तुम नहीं जानती कि यह सब जब शुरू हुआ तो कैसे शुरू हुआ। तुमने सिर्फ एक ही चीज देखी है जो हमारा मिलन था ।लेकिन यह सब कैसे शुरू हुआ क्यों हुआ यह तुम नहीं जानते। मानो आज लाली सब कुछ अपने दिल की बात सुनना को बता देना चाहती थी। सुगना ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए कहा तुम कहना क्या चाहती हो ।लाली ने गहरी सांस भरते हुए सुगना से कहा सब कुछ तो खैर मैं तुम्हें क्या बता पाऊंगी बस तुम इतना समझ लो कि सोनू उस समय उम्र कैसे पड़ाव पर था जिसमें अक्सर लड़के भटक जाते हैं। तुम्हें क्या लगता है वह मेरे घर आता था और मुझे देखता था तो क्या मुझे पता नहीं चलता था। तुम ही बताओ उस समय मुझे क्या करना चाहिए था ?क्या मैं सोनू को एक थप्पड़ मारकर उसे डांटते हुए हमेशा के लिए अपने घर आने से मना कर देती? उससे कहती कि तुम इस प्रकार से अपनी दीदी की सहेली को ऐसी गंदी नजरों से देखते हो खबरदार कभी मेरे घर मत आना ।तुम समझ सकती हो ऐसा कहने से उस पर क्या असर होता, वह हमेशा के लिए मेरे घर से मुझ से नाता तोड़ लेता। उसके गुस्सा होने से तुम भी मुझसे नाता तोड़ देती और आज जो हम इतने प्यार से सोनू के साथ और तुम्हारे साथ हम सब रहते हैं आज वह दिन कभी भी नहीं आता। सोनू भले ही मुझसे दूर हो जाता है लेकिन अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह जरूर कहीं न कहीं बाहर किसी और के साथ मुंह मारता। और तुम जानती हो कि अगर वह बाहर ही बाहर किसी के साथ इस प्रकार की हरकत करता तो अपनी पढ़ाई से भी दूर हो जाता और कभी भी आज का दिन तुम्हें देखने को नहीं मिलता ।ना वह अपनी पढ़ाई पर इस प्रकार से ध्यान दे पाता और ना ही मैं आज इतनी ऊंची पोस्ट पर होता। यह सब सिर्फ उस प्यार का नतीजा है जो मैंने उसे दिया है ।और रही बात इस चीज की कि मैंने उसके साथ ऐसा क्यों किया तो यह सच है कि मैं सोनू से बहुत प्यार करती हूं। और इसी प्यार को अगर और आगे मैंने बढ़ा दिया तो इसमें क्या गलत किया। आज तुम जानती हो मेरे पति मर चुके हैं लेकिन फिर भी मुझे उनकी कमी सोनू की वजह से महसूस नहीं होती। अगर आज सोनू नहीं होता मेरी जिंदगी में तो मेरी जिंदगी एक विधवा की तरह बीत रही होती। एक विधवा की तरह सफेद साड़ी पहनकर उदास बैठी रहती। तुम्हारे पति यहां पर नहीं है लेकिन फिर भी क्या तुम विधवाओं जैसी ही जिंदगी नहीं जी रही हो। जरूरी यह नहीं है सुगना कि हम किसके साथ क्या रिश्ता बनाया है, जरूरी यह है की हमारा सब का रिश्ता बहुत ही प्यार भरा है। और इसी रिश्ते के कारण हम एक दूसरे के कितने पास है सोनू इसी रिश्ते के कारण मेरे इतने पास है। और तुम भी यह बात जानती हो। तुम भी मेरे इतने पास हो ।मैं तुम्हें बहुत बार देख चुकी हूं इस प्रकार से अकेले जिंदगी बिताते हुए। मैं नहीं चाहती कि मैं अकेली ही सुख भोगती रहू और तुम इस आग में तड़पती रहो। मैं औरत होने के नाते अच्छी तरह समझ सकती हूं कि तुम्हारे जिस्म की जरूरतों को पूरा करने के लिए तुम्हारे पास कोई नहीं है ।और तुम्हें उस की कितनी आवश्यकता है। इसलिए मेरे पास एक ही रास्ता था कि जो सुख मैं ले रही हूं वह सब तुम भी दे सकूं हमारे रिश्ते अगर और ज्यादा प्यार भरे होते हैं तो इसमें दिक्कत ही क्या है ?तुम समझ सकती हो कि जब मैं इस प्यार को पा रही हूं तो फिर मैं यह कैसे सोच सकती हूं कि मेरी सहेली इस चीज के लिए तरसती रहे। माना कि मैंने बिना बताए धोखे से किया है लेकिन मैं बस यही चाहती थी की तुम्हारा और सोनू का प्यार और भी आगे बढ़ जाए। आज सोनू जिस पद पर पहुंचा है उस पद पर पहुंचने के बाद वह तुम्हारे लिए भौतिक चीजों को लाकर पूरा घर भर सकता है ।तुम्हें अच्छे से अच्छे कपड़े लाकर दे सकता है, गहने जेवर से तुम्हें लाद सकता है। लेकिन फिर भी तुम्हारे चेहरे पर जो तुम्हारे जिस्म की प्यास है वह हमेशा ही दिखाई देती रहेगी और तुम हमेशा ही उस चीज के लिए तड़पते रहोगी ।क्या यह सब होती चीजें पाकर तुम पूरी तरीके से खुश हो पाओगी ,नहीं ,तुम पूरी तरीके से खुश नहीं हो सकती। और अगर तुम पूरी तरीके से खुश नहीं होगी तो फिर सोनू चाहे तुम्हारे लिए कितना भी कर ले, तुम्हारे इस दर्द को जानते हुए वह भी हमेशा ही दुखी रहेगा। क्या तुम चाहती हो सोनू जो तुम्हें हमेशा ही खुश देखना चाहता है, वह तुमसे इतना प्यार भी करता है, वह हमेशा ही इस प्रकार से तुम्हें दुखी देखता रहे। वह कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन तुम्हारे इस दुख को वह दूर नहीं कर सकता था ।उसे दूर करने का सिर्फ यही रास्ता था कि तुम और सोनू अपने प्यार में और आगे बढ़ जाओ मेरी तरह। तुम्हारे ख्याल से यह गलत हो सकता है लेकिन मैंने तुम्हारी तड़प देखी है ,तुम्हारी प्यास देखी है। यह तुम्हारे लिए बहुत जरूरी था सुगना। तुम भले ही मुझे इसके लिए कुछ भी कहो लेकिन जो असली खुशी है वह तो सोनू ही दे सकता है ।नहीं तो तुम इसके लिए कहां जाओगी ।तुम्हारे पति इस समय तुम्हारे पास नहीं है और तुम भी जानती हो कि वह कभी तुम्हारे पास होंगे भी नहीं। बेहतर यही है तुम सोनू को अपना लो। इससे सोनू भी खुश रहेगा वह अपने जीवन में और तरक्की करेगा। और तुम भी खुश रहोगीऔर तुम्हें खुश देखकर सोनू और ज्यादा खुश हो जाएगा ।नहीं तो अगर तुम इस आग में जलती रही तो सोनू भी समझ सकता है कि उसने तुम्हारे साथ जो किया वो सही नहीं किया और इस हीन भावना से ग्रस्त होकर, तुम मानो या ना मानो अगर वह कोई गलत कदम भी उठा ले तो भी कुछ कहा नहीं जा सकता है। अब तुम्हारे हाथ में है। जो हो चुका है वह तो बदला नहीं जा सकता लेकिन अगर तुम हमारे सोनू को खुश देखना चाहती और बचाना चाहती हो उसकी जिंदगी, तो मेरी बातों को ठंडे दिमाग से सोचना । हम दोनों को सोनू को अपनाने में ही भलाई है ।इससे हमारे रिश्ते और ज्यादा मजबूत होंगे और हम सबके बीच में प्यार बढ़ेगा और तभी तुम्हें भी अपने जीवन की असली खुशी मिल पाएगी। तुम जानती हो सुगना जब एक लड़की की शादी हो जाती है तो उसके भाई के सर से उसकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। तुम्हारी शादी तो हो गई है लेकिन सोनू के सर से तुम्हारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है और ना ही सारी उम्र कभी खत्म होगी ।और जब सोनू को यह जिम्मेदारी निभानी ही है तो फिर क्यों ना वह पूरी तरीके से ही इस जिम्मेदारी को निभाए । सोनू ने जो भी कुछ किया है वह तुम्हारे प्यार में पड़ कर ही किया है। इसलिए उसके प्यार को स्वीकार करो और उसके जीवन को आगे बढ़ाने में उसकी मदद करो। इसी में हम सब की भलाई है वरना अगर तुम उसे माफ नहीं करोगी और उसे अपनाओगी नहीं तो वह इस पाप से दब कर मर जाएगा। तुम्हें उसे एहसास दिलाना ही होगा कि उसने कोई पाप नहीं किया ।तभी तुम पहले वाले सोनू को पा सकती हो।
आप अच्छे लेखक है । कृप्या नई कहानी शुरु करें। हमें भी आन्नद मिलेगा
 

Gentlemanleo

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great writing. you almost feel everything happening around you. Very realistic explanation. Hoping to see similar thing in future. Waiting desperately for next update
101 वां भाग भेजने के लिए धन्यवाद , अब कृपया 102 भेज दे तो कहानी के अगले भाग पढ़ सकूं।
 
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मेरा विचार-
सुगना और सोनी की बातचीत

सुगना अपने कमरे में अपने साथ हुई घटना के बारे में सोचते हुए उदास बैठी थी। उसका चेहरा उतरा हुआ था। सोच रही थी कि यह क्या से क्या हो गया। ऐसा नहीं होना चाहिए था । हालांकि यह सच है कि अपने रात में ख्वाबों में वह इस चीज का कई बार आनंद ले चुकी थी लेकिन अपने सपनों को असली जामा पहनाने में उसका दिल हिचक रहा था। ऐसा सोच भी नहीं सकती थी कि उसके साथ इस प्रकार से जबरदस्ती हो सकती हैं । उसी समय लाली उसके कमरे में आई और उसने सुगना से उदास मन से और बड़े ही डरते हुए उसने सुगना से बोली- सुगना हमने के माफ कर देना। सुगना ने आश्चर्य से उसकी तरफ देखा और पूछा तुम किस चीज की माफी मांग रही हो । लाली ने अपने द्वारा किए गए इस पाप को मन ही मन सोचते हुए सुगना के सवाल का जवाब सोचने लगी। वह समझ नहीं पा रही थी कि किस प्रकार से सुगना को इस बात को बताए। लेकिन वह उसकी सहेली थी और वह सुगना के सुख दुख की साथी भी थी। उसे पता था कि सोनू और सुगना के बीच में जो भी हुआ है उसे सुगना हजम नहीं कर पाएगी और उसे अपने जीवन में उतार नहीं पाएगी । इसलिए वह हिचक रही थी और मन में डर भी लग रहा था कि अपनी बात को बताने के बाद सुगना का रिएक्शन क्या होगा लेकिन अपनी सहेली को जिस आनंद से अनुभूति कराना चाहती थी उसके बाद भी सुगना की ऐसी हालत देख कर उसे बहुत बुरा लग रहा था। लेकिन फिर भी उसने सोचा कि सुगना को पहले की तरह हंसमुख और खेलते हुए देखना है तो उसे ही उससे बात करनी ही पड़ेगी । लाली ने सुगना की तरफ देखते हुए अपने मन को मजबूत करते हुए और सुगना की आंखों में देखते हुए कहा कि जो बात मैं तुम्हें बताने जा रही हूं उसे ध्यान से सुनना और समझने की कोशिश करना। सुगना हैरानी से उसकी ओर देखने लगी आखिर ऐसी कौन सी बात है जो उसे बताने वाली है ।अब लाली ने उससे नजरें चुराते हुए अपनी बात आगे बढ़ाई ;देखो सुगना रात जो भी तुम्हारे और सोनू के बीच हुआ वह मैं जानती हूं ।यह सुनते ही सुगना आंखें फैल गयी वह तो समझ रही थी इस बात का हम दोनों के सिवा किसी को नहीं पता। उसने पूछा यह तुम क्या कर रही हो। लाली ने जवाब दिया हां सुगना मैं इस बात को और ज्यादा अपने तक नहीं रख सकती और तुम्हें इस प्रकार से दुखी नहीं देख सकती। आखिर तुम मेरी प्यारी सहेली हो ।सुगना सोचने लगी कि यह क्या कह रही है। लाली ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा जो भी उस रात तुम्हारे और सोनू के बीच हुआ वह मुझे पता है ।मैंने ही सोनू को तुम्हारे पास भेजा था ।उस रात सोनू मेरे पास आया लेकिन मेरी तबीयत उस समय सही नहीं थी। 3 दिन वाली जो बीमारी है हमें होती है वह मुझे शुरू हो गई थी ।लेकिन सोनू इतने दिन बाद आया था और उसे दिवाली का तोहफा भी चाहिए था। इसलिए मैंने उसे अपने से टालते हुए तुम्हारे पास भेज दिया। इतना सुनते ही सुगना का मन गुस्से से भर गया वह एक झटके से खड़ी हुई और एक जोर का तमाचा लाली के गाल पर मार दिया। और चीखते हुए बोली यह तूने क्या किया। तुम मेरी सबसे प्यारी सहेली हो और तुमने मेरे साथ ऐसा धोखा किया। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। तुमने मुझसे ऐसा पाप करवाया और साथ ही मेरे भाई को भी इसमें घसीट लिया। क्यों किया लाली तूने ऐसा क्यों किया। सुगना लाली को झंझोड़ते हुए चीखते हुए बोली। लाली की आंखों से आंसू बह रहे थे। वह सुगना से बोली मुझे माफ कर दो पता नहीं मुझे क्या हो गया था। लेकिन अब जो भी हो गया वह तो हो गया है ।सुगना बोली नहीं यह सब कुछ ठीक नहीं हुआ तुम मेरी प्यारी सहेली थी मैंने तुम पर कितना भरोसा किया था और तुमने मुझे धोखा दिया। चली जाओ मेरी नजरों से दूर हो जाओ तुम। फिर कभी मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना- गुस्से में चीखते हुए लाली से कहा ।सुगना की बात सुनकर लाली हैरानी से उसका चेहरा देखने लगी ।उसने हैरान होते हुए सुगना से कहा यह तुम क्या कह रही हो क्या तुम मेरा चेहरा नहीं देखना चाहती। सुगना ने कहा हां नहीं देखना चाहती मैं तुम्हारा चेहरा ।जो कुछ तुमने किया है उसके बाद मैं तुम्हारा चेहरा नहीं देखना चाहती हूं ।और मैं मर जाना ही पसंद करूंगी। सुगना के मुंह से मरने की बात सुनकर लाली ने कहा खबरदार अगर तुमने मरने की बात की तो। तुम जानती हो तुम मेरी बहन से भी प्यारी मेरी सहेली हो और सोनू भी मुझे अपने भाई के ही तरह प्यारा है। तुम इस प्रकार से मरने की बात करोगी तो फिर मुझे भी तुम्हारे ही साथ मरना पड़ेगा। लाली के मरने की बात सुनकर सुगना थोड़ी शांत हुई। लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हुआ उसने पूछा तुम क्यों मरोगी तुम तो सोनू के साथ मजे ले ही रही हो ।लाली ने कहा और वही मजे में तुम्हें भी देना चाहती थी ।सुगना ने कहा लेकिन मुझे उसकी जरूरत नहीं है ।यह तुमने मेरे साथ जबरदस्ती किया है। लाली ने सुगना से कहा तुम झूठ बोल रही हो तुम्हे मुझसे भी ज्यादा इसकी जरूरत है और तुम जानती हो कि तुम भी सोनू से कितना प्यार करती हो और मैं भी सोनू से बहुत प्यार करती हूं ।सुगना ने कहा मैं जानती हूं कि तुम सोनू से किस प्रकार का प्यार करती हो। लाली ने उसकी बात समझते हुए कहा हां मुझे पता है कि तुम जानती हो और तुमने देखा भी है। लेकिन तुम मेरे दिल की भावनाओं को नहीं जानती कि मैं सोनू से ऐसा प्यार क्यों करती हूं। वह भी मुझे अपने भाई की तरह ही प्यारा है। सुगना ने लाली से कहा तुम बकवास कर रही हो अगर तुम्हें सोनू भाई की तरह ही प्यारा होता तो तुम इस प्रकार की हरकत उसके साथ नहीं करती। जिसे तुम प्यार का नाम दे रही हो। यह बात सुनकर लाली भड़क गई और उसने अपनी बात पर जोर देते हुए सुगना को कहा तुम्हें लगता है कि मैं सोनू से प्यार नहीं करती। तुम नहीं जानती कि यह सब जब शुरू हुआ तो कैसे शुरू हुआ। तुमने सिर्फ एक ही चीज देखी है जो हमारा मिलन था ।लेकिन यह सब कैसे शुरू हुआ क्यों हुआ यह तुम नहीं जानते। मानो आज लाली सब कुछ अपने दिल की बात सुनना को बता देना चाहती थी। सुगना ने हैरानी से उसकी तरफ देखते हुए कहा तुम कहना क्या चाहती हो ।लाली ने गहरी सांस भरते हुए सुगना से कहा सब कुछ तो खैर मैं तुम्हें क्या बता पाऊंगी बस तुम इतना समझ लो कि सोनू उस समय उम्र कैसे पड़ाव पर था जिसमें अक्सर लड़के भटक जाते हैं। तुम्हें क्या लगता है वह मेरे घर आता था और मुझे देखता था तो क्या मुझे पता नहीं चलता था। तुम ही बताओ उस समय मुझे क्या करना चाहिए था ?क्या मैं सोनू को एक थप्पड़ मारकर उसे डांटते हुए हमेशा के लिए अपने घर आने से मना कर देती? उससे कहती कि तुम इस प्रकार से अपनी दीदी की सहेली को ऐसी गंदी नजरों से देखते हो खबरदार कभी मेरे घर मत आना ।तुम समझ सकती हो ऐसा कहने से उस पर क्या असर होता, वह हमेशा के लिए मेरे घर से मुझ से नाता तोड़ लेता। उसके गुस्सा होने से तुम भी मुझसे नाता तोड़ देती और आज जो हम इतने प्यार से सोनू के साथ और तुम्हारे साथ हम सब रहते हैं आज वह दिन कभी भी नहीं आता। सोनू भले ही मुझसे दूर हो जाता है लेकिन अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह जरूर कहीं न कहीं बाहर किसी और के साथ मुंह मारता। और तुम जानती हो कि अगर वह बाहर ही बाहर किसी के साथ इस प्रकार की हरकत करता तो अपनी पढ़ाई से भी दूर हो जाता और कभी भी आज का दिन तुम्हें देखने को नहीं मिलता ।ना वह अपनी पढ़ाई पर इस प्रकार से ध्यान दे पाता और ना ही मैं आज इतनी ऊंची पोस्ट पर होता। यह सब सिर्फ उस प्यार का नतीजा है जो मैंने उसे दिया है ।और रही बात इस चीज की कि मैंने उसके साथ ऐसा क्यों किया तो यह सच है कि मैं सोनू से बहुत प्यार करती हूं। और इसी प्यार को अगर और आगे मैंने बढ़ा दिया तो इसमें क्या गलत किया। आज तुम जानती हो मेरे पति मर चुके हैं लेकिन फिर भी मुझे उनकी कमी सोनू की वजह से महसूस नहीं होती। अगर आज सोनू नहीं होता मेरी जिंदगी में तो मेरी जिंदगी एक विधवा की तरह बीत रही होती। एक विधवा की तरह सफेद साड़ी पहनकर उदास बैठी रहती। तुम्हारे पति यहां पर नहीं है लेकिन फिर भी क्या तुम विधवाओं जैसी ही जिंदगी नहीं जी रही हो। जरूरी यह नहीं है सुगना कि हम किसके साथ क्या रिश्ता बनाया है, जरूरी यह है की हमारा सब का रिश्ता बहुत ही प्यार भरा है। और इसी रिश्ते के कारण हम एक दूसरे के कितने पास है सोनू इसी रिश्ते के कारण मेरे इतने पास है। और तुम भी यह बात जानती हो। तुम भी मेरे इतने पास हो ।मैं तुम्हें बहुत बार देख चुकी हूं इस प्रकार से अकेले जिंदगी बिताते हुए। मैं नहीं चाहती कि मैं अकेली ही सुख भोगती रहू और तुम इस आग में तड़पती रहो। मैं औरत होने के नाते अच्छी तरह समझ सकती हूं कि तुम्हारे जिस्म की जरूरतों को पूरा करने के लिए तुम्हारे पास कोई नहीं है ।और तुम्हें उस की कितनी आवश्यकता है। इसलिए मेरे पास एक ही रास्ता था कि जो सुख मैं ले रही हूं वह सब तुम भी दे सकूं हमारे रिश्ते अगर और ज्यादा प्यार भरे होते हैं तो इसमें दिक्कत ही क्या है ?तुम समझ सकती हो कि जब मैं इस प्यार को पा रही हूं तो फिर मैं यह कैसे सोच सकती हूं कि मेरी सहेली इस चीज के लिए तरसती रहे। माना कि मैंने बिना बताए धोखे से किया है लेकिन मैं बस यही चाहती थी की तुम्हारा और सोनू का प्यार और भी आगे बढ़ जाए। आज सोनू जिस पद पर पहुंचा है उस पद पर पहुंचने के बाद वह तुम्हारे लिए भौतिक चीजों को लाकर पूरा घर भर सकता है ।तुम्हें अच्छे से अच्छे कपड़े लाकर दे सकता है, गहने जेवर से तुम्हें लाद सकता है। लेकिन फिर भी तुम्हारे चेहरे पर जो तुम्हारे जिस्म की प्यास है वह हमेशा ही दिखाई देती रहेगी और तुम हमेशा ही उस चीज के लिए तड़पते रहोगी ।क्या यह सब होती चीजें पाकर तुम पूरी तरीके से खुश हो पाओगी ,नहीं ,तुम पूरी तरीके से खुश नहीं हो सकती। और अगर तुम पूरी तरीके से खुश नहीं होगी तो फिर सोनू चाहे तुम्हारे लिए कितना भी कर ले, तुम्हारे इस दर्द को जानते हुए वह भी हमेशा ही दुखी रहेगा। क्या तुम चाहती हो सोनू जो तुम्हें हमेशा ही खुश देखना चाहता है, वह तुमसे इतना प्यार भी करता है, वह हमेशा ही इस प्रकार से तुम्हें दुखी देखता रहे। वह कितनी भी कोशिश कर ले लेकिन तुम्हारे इस दुख को वह दूर नहीं कर सकता था ।उसे दूर करने का सिर्फ यही रास्ता था कि तुम और सोनू अपने प्यार में और आगे बढ़ जाओ मेरी तरह। तुम्हारे ख्याल से यह गलत हो सकता है लेकिन मैंने तुम्हारी तड़प देखी है ,तुम्हारी प्यास देखी है। यह तुम्हारे लिए बहुत जरूरी था सुगना। तुम भले ही मुझे इसके लिए कुछ भी कहो लेकिन जो असली खुशी है वह तो सोनू ही दे सकता है ।नहीं तो तुम इसके लिए कहां जाओगी ।तुम्हारे पति इस समय तुम्हारे पास नहीं है और तुम भी जानती हो कि वह कभी तुम्हारे पास होंगे भी नहीं। बेहतर यही है तुम सोनू को अपना लो। इससे सोनू भी खुश रहेगा वह अपने जीवन में और तरक्की करेगा। और तुम भी खुश रहोगीऔर तुम्हें खुश देखकर सोनू और ज्यादा खुश हो जाएगा ।नहीं तो अगर तुम इस आग में जलती रही तो सोनू भी समझ सकता है कि उसने तुम्हारे साथ जो किया वो सही नहीं किया और इस हीन भावना से ग्रस्त होकर, तुम मानो या ना मानो अगर वह कोई गलत कदम भी उठा ले तो भी कुछ कहा नहीं जा सकता है। अब तुम्हारे हाथ में है। जो हो चुका है वह तो बदला नहीं जा सकता लेकिन अगर तुम हमारे सोनू को खुश देखना चाहती और बचाना चाहती हो उसकी जिंदगी, तो मेरी बातों को ठंडे दिमाग से सोचना । हम दोनों को सोनू को अपनाने में ही भलाई है ।इससे हमारे रिश्ते और ज्यादा मजबूत होंगे और हम सबके बीच में प्यार बढ़ेगा और तभी तुम्हें भी अपने जीवन की असली खुशी मिल पाएगी। तुम जानती हो सुगना जब एक लड़की की शादी हो जाती है तो उसके भाई के सर से उसकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। तुम्हारी शादी तो हो गई है लेकिन सोनू के सर से तुम्हारी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है और ना ही सारी उम्र कभी खत्म होगी ।और जब सोनू को यह जिम्मेदारी निभानी ही है तो फिर क्यों ना वह पूरी तरीके से ही इस जिम्मेदारी को निभाए । सोनू ने जो भी कुछ किया है वह तुम्हारे प्यार में पड़ कर ही किया है। इसलिए उसके प्यार को स्वीकार करो और उसके जीवन को आगे बढ़ाने में उसकी मदद करो। इसी में हम सब की भलाई है वरना अगर तुम उसे माफ नहीं करोगी और उसे अपनाओगी नहीं तो वह इस पाप से दब कर मर जाएगा। तुम्हें उसे एहसास दिलाना ही होगा कि उसने कोई पाप नहीं किया ।तभी तुम पहले वाले सोनू को पा सकती हो।
Aise update ke liye साधुवाद धन्यवाद
 
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