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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

whether this story to be continued?

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Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

laatsahab

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Lovely ji aapka bahut bahut shukria post 120 bhejne ke liye. Aapki lekhnee ki tareef karne layak bhasha hamare pass nahi hai.
Aapka tahedil se shukriya hame niraash na karne ke liye. Aapke lekhnee ka jadoo isee tarah humsub ko deewana banaye rakhe.
 

Lovely Anand

Love is life
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To 120 bhej do

Bhai kahani bahut hee Sunder mod parhai ....kripa kar ke 120 episode bhejo

Waiting for your update number 122

Lovely ji aapka bahut bahut shukria post 120 bhejne ke liye. Aapki lekhnee ki tareef karne layak bhasha hamare pass nahi hai.
Aapka tahedil se shukriya hame niraash na karne ke liye. Aapke lekhnee ka jadoo isee tarah humsub ko deewana banaye rakhe.

Smooth Episode Like Silk. Nice One

१२० अपडेट के लिए Lovely Bhai ke charno me is nachiz ka अभिवादन
आप सभी पाठकों का धन्यवाद...

Latsahab जी बस साथ बनाए रखें...
 

Parallel lund

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महोदय आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर अच्छा लगा और आपने जो विषय उठाया उस पर एक बार फिर मुझे अपने विचार रखने पर विवश किया है...

इस फोरम पर कपोल कल्पित कहानियों द्वारा काल्पनिक फैन बनाना न तो मेरा उद्देश्य है नहीं मुझे इसकी कोई आवश्यकता। जिन व्यक्तियों के चेहरे हाव भाव और उनकी उपस्थिति में जीवन में कभी देख भी नहीं पाऊंगा ऐसे लोगों के लिए अपना समय और ऊर्जा व्यर्थ करने में कोई सार नहीं है। यह तो कहानी पर आप सब के विचार पढ़कर मुझे अच्छा लगता है है इसीलिए मैं प्रतिक्रिया पर बार-बार जोर देता हूं। मैं कभी नहीं कहता कि आप मेरी तारीफ करें मुझे आप सब की प्रशंसा और आलोचना से कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता है लेकिन आपकी अनुपस्थिति से जरूर पड़ता है। और हां जो पाठक कहानी के बारे में अपने विचार खुलकर रखते हैं वह मुझे बेहद पसंद आते जैसे आप की विस्तृत प्रतिक्रिया ने मुझे उत्तर देने पर बाध्य कर दिया।

कहानी के कुछ अंशों को मैंने प्राइवेट मैसेज में अवश्य भेजा है और आगे भी आवश्यकतानुसार भेजता रहूंगा। जो पाठक लेखक के अनुरोध के बावजूद कहानी पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया नहीं देते हैं मेरी नजरों में वह पाप कर रहे हैं यदि आपको कहानी अच्छी लग रही है तो भी बताएं और यदि कहीं लेखक अपने मार्ग से भटक रहा है तो भी उसे सूचित करना आपका धर्म है।

ताली दोनों हाथ से बजती है एक तरफा नहीं।

रही बात अपडेट देर से देने की तो इतना ध्यान रखिए इस फोरम पर आकर कहानी लिखना सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन का कार्य है जीविकोपार्जन का नहीं जिस दिन आप जैसे पाठक मेरी जीविकोपार्जन का खर्चा उठा लेंगे मैं दरबारी की तरह कहानियां सुनाता रहूंगा और आप सबका मनोरंजन करता रहूंगा।।


उम्मीद करता हूं आपको आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे।

जुड़े रहिए और जो मिल रहा उसका स्वाद लेते रहें प्रतिक्रिया देने के लिए एक बार फिर धन्यवाद
जीविकोपार्जन toh sarkar bhi nahi kara sak rahi hai kintu ye baat kehna chahunga ki agar aap mujhe bataye ki apke dwara likhi kahaniyan ko mai apne iksha anusar ka kitna yathasambhav de sakta hu paritosh apko !! Aur ye bhi bataye kaise ??!!
Ye Mat samjhiyega ki apko paritosh bhet kar apko taul raha hu lekin meri antrik kamuk iksha anusar mujhe apse bhavishya mein bhi jude Rehna hai !! Koi madhyam bataye...sabun ke bulbule jaisa gayab hona na mujhe ata hai aur na he mai aisa chatata hu !!
 
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