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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

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Lovely Anand

Love is life
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144
आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

LovetoFuck1

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भाग 96

सोनू के मन में सिर्फ एक ही चिंता थी कि अब जब वह सुगना के सामने आएगा तो वह उससे कैसा व्यवहार करें कि क्या उसने उसे ट्रेन में हुई घटना के लिए माफ कर दिया होगा?

सोनू के पास सिर्फ और सिर्फ प्रश्न थे उसे सुगना का सामना करना ही था। उसने अपने इष्ट से सब कुछ सामान्य और अनुकूल रहने की कामना की और अपना सामान बांध कर बनारस विस्तृत सुगना के घर आ गया..सामन पैक करते वक्त उसे रहीम और फातिमा की चूदाई गाथा की वह फटी किताब भी दिखाई पड़ गई और सोनू मुस्कुराने लगा.. उसने न जाने क्या सोच कर उस अधूरी किताब को भी रख लिया…

अगली सुबह सोनू अपना ढेर सारा सामान आटो में लाद कर सुगना के घर के सामने खड़ा था..


उसका कलेजा धक धक कर रहा था..

अब आगे…

दरवाजा सुगना ने ही खोला…सुगना के चेहरे पर स्वागत करने वाली मुस्कान थी एक पल के लिए वह यह बात भूल गई थी कि सामने खड़ा सोनू वही सोनू है जिसने अपने तने हुए लंड को उसके नितंबों से रगड़ते हुए एक कुत्सित स्खलन को अंजाम दिया था… सुगना ने उस घटना को नजरअंदाज कर अपनी डेहरी पर खड़े सोनू का स्वागत किया और बोला..

"अरे तोर ट्रेन तो जल्दी आ गईल आज"

अंदर आने के पश्चात सोनू ने सुगना के चरण छुए परंतु सुगना को अपने आलिंगन में लेने की हिम्मत न जुटा पाया… शायद सुगना भी सतर्क थी..


मन में जब पाप उत्पन्न हो जाता है तो प्रतिक्रिया स्वाभाविक रूप से बदल जाती है।

यही हाल सोनू का था…

सुगना का व्यवहार क्यों बदला यह कहना कठिन था शायद इसमें कुछ अंश उस ट्रेन में हुई घटना का था और उसके मन के किसी कोने में उपज रहे पाप का भी..

इसके उलट सोनी खुलकर अपने भाई सोनू के गले लग गई सोनू और सोनी का यह मिलन पूरी तरह वासना विहीन था यद्यपि सोनू ने सोनी को अपने दोस्त विकास के साथ अपने पूरे यौवन और कामुकता के साथ संभोग करते देखा था… परंतु न जाने क्यों उसने उस रिश्ते को स्वीकार कर लिया था।


सोनी उसे अपनी छोटी बहन ही दिखाई देती थी जिसके बारे में उसके मन में गलत ख्याल शायद ही कभी आते हों… वर्तमान में सोनू के दिलो-दिमाग सब पर सुगना छाई हुई थी…और एक तरह से राज कर रही थी।

जिस प्रकार पूर्णिमा का चांद आकाश में छाए छुटपुट सितारों की रोशनी धूमिल कर देता है उसी प्रकार सुगना इस समय सोनू की वासना पर एकाधिकार जमाए हुए थी …सोनू के लिए जैसे बाकी युवतियां गौड़ हो चुकी थीं।

थोड़ी ही देर में सोनू लाली और सुगना के बच्चों में घुलमिल कर बच्चों की तरह खेलने लगा। एक प्रतिष्ठित और युवा एसडीएम अपनी उम्र को आधा कर बच्चों के साथ वैसे ही खेल रहा था जैसे वह खुद एक बच्चा हो…. सुगना बार-बार उसके इस स्वरूप को देखती और मन ही मन उसे क्षमा कर देती….

आखिरकार सुगना ने सोनू से कहा

"ए सोनू जो जल्दी नहा ले हम खाना लगा दे तानी.."

पता नहीं सोनू के मन में कहां से हिम्मत आई उसने अकस्मात ही कहा

"ठीक बा हम जा तानी आंगन में नहाए तनी पानी चला दिहे "

सोनू ने जो कहा था वह सुगना को उस दिन की याद दिला गया जब वह लाली के कहने पर हैंडपंप चलाने गई थी और सोनू ने उसे लाली समझकर उसके सामने ही अपने तने हुए लंड पर साबुन लगा रहा था… सुगना के जेहन में वह दृश्य पूरी तरह घूम गया…वैसे भी वह पिछले दो-तीन दिनों से न जाने कितनी बार उसके उस तने हुए लंड के बारे में सोच चुकी थी…. उसने बचते हुए कहा..

"ते जो नहाए लाली पानी चला दी."

शायद सोनू ने बिना सोचे समझे वह बात कही थी परंतु सुगना अब फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी..

अब तक के हुए घटनाक्रमों में लाली एक बात तो जान गई थी कि सुगना की कामुक काया सोनू को आकर्षक लगती थी। सुगना भी उसे और सोनू को लेकर कई मजाक किया करती थी परंतु जब कभी सोनू का नाम उसके साथ जोड़कर लाली मजाक करती तो वह एक हद के बाद उसे रोक देती देती…

बातों ही बातों में सुगना ने उसे उसे उसके और सोनू के बीच हुए संभोग को देखे जाने की घटना घटना बता दी थी ….लाली के लिए सुगना को समझ पाना कठिन हो रहा था वह कभी तो हंसते खिलखिलाते लाली से सोनू के बारे में ढेरों बातें करती जिसमें कभी कभी कामुक अंश भी होते परंतु कभी-कभी न जाने क्यों सोनू को लेकर छोटी सी बात पर नाराज हो जाती।


लाली ने कई बार ऐसा महसूस किया था कि संभोग के दौरान सुगना का नाम लेने पर सोनू और भी उत्तेजित हुआ करता था तथा सुगना के बारे में और बातें करना चाहता था।

यह लाली पर ही निर्भर करता था कि वह वासना और कामुकता से भरी हुई बातों में सुगना को कितना खींचे और कितना छोड़े…पर सोनू इस पर कोई आपत्ति नहीं जताता था।

लाली ने आज सोनू को खुश करने की ठान ली..

घर में दिनभर घर में चहल पहल रही … सोनू की तीनों बहनें सोनू का जी भर कर ख्याल रख रही थी…

शाम जब सुगना और लाली सब्जी भाजी लेने बाजार गईं सोनू घर में अकेला था…. वह सुगना के कमरे में किताब का दूसरा हिस्सा खोजने लगा रहीम और फातिमा की अधूरी कहानी को पूरा पढ़ने की उसकी तमन्ना जाग उठी थी।

सोनू ने सुगना के कमरे का कोना-कोना छान मारा और आखिरकार वह आधी किताब उसके हाथ आ गई..

सोनू ने उस किताब के पन्नों के बिछड़े हुए भाग को आपस में पूरी तन्मयता और मेहनत से जोड़ा और किताब को मन लगाकर पढ़ने लगा …जैसे-जैसे रहीम और फातिमा की कहानी आगे बढ़ती गई न जाने कब कहानी में रहीम सोनू बन गया और सुगना फातिमा ….कहानी को पढ़ते समय सोनू के जेहन में सिर्फ और सिर्फ सुगना की तस्वीर घूम रही थी..

सोनू का लंड तो जैसे सुगना का नाम लेते ही उछल कर खड़ा हो जाता था सोनू ने उसे थपकी या देकर शांत करने की कोशिश की …. जिस तरह अभी तक सोनू ने अपना धैर्य कायम किया हुआ था उसी प्रकार सोनू के लंड को भी अभी धैर्य रखना था…

आखिर सोनू ने हिम्मत जुटाई और उस किताब को सुगना के शृंगारदान के पास रख दिया…उसे पता था सुगना रात को सोने से पहले श्रृंगारदान खोलकर अपने चेहरे पर क्रीम लगती थी.. वह उस किताब को देखेगी जरूर ….. सोनू ने किताब के अपने वाले हिस्से पर कुछ कलाकारी भी की थी वह भी उस दौरान जब वह लखनऊ में अकेले था…. एक बार के लिए सोनू का मन हुआ कि वह उसके द्वारा की गई कलाकारी को मिटा दे परंतु शायद यह इतना आसान न था…

सोनू ने सब कुछ नियति के हवाले छोड़ दिया

आखिरकार आखिरकार रात हुई जिसका इंतजार सबसे ज्यादा लाली को था…

रात के 10:00 बज चुके थे सारे बच्चे अपने दिनभर की थकावट को दूर करने निद्रा देवी के आगोश में आ चुके थे। बच्चे घर की शान होते हैं और जब वह सो जाते हैं तो ऐसा लगता है जैसे घर में सन्नाटा पसर गया हो।।

परंतु युवा प्रेमियों को यह सन्नाटा बेहद सुहाना लगता है सोनू और लाली आज रंगरलिया मनाने के लिए पूरी तरह तैयार थे। परंतु लाली आज दूसरे ही मूड में थी..

वो सोनू के कमरे में बैठी उससे बातें कर रही थी ..

तभी सोनू ने लाली को अपने पास खींच लिया और उसके गालों को चुमते हुए उसकी चूंची सहलाने लगा सोनू का हाथ धीरे-धीरे लाली की नाइटी में प्रवेश करता गया तभी लाली ने कहा..

अरे सोनू थोड़ा सब्र कर ले सुगना के सूत जाए दे…

"अब बर्दाश्त नईखे होत… देखा तब से खड़ा बा सोनू ने अपनी लूंगी हटाकर अपने खड़े ल** को लाली की निगाहों के ठीक सामने ला दिया..

सोनू का लंड दिन पर दिन और युवा होता जा रहा था.. ऐसा लग रहा था लाली की बुर ने उसे मालिश कर और बलवान बना दिया था.

लाली ने सुगना की लूंगी खींचकर खूंटी पर टांग दी और उसके लंड को अपने हाथों में लेकर उसके आकार में और इजाफा करने लगी तभी रसोई से सुगना की आवाज आई…

"ए लाली सोनू के दूध ले जो"

लाली ने सोनू से 5 मिनट का समय मांगा और सोनू ने अपने नंगे बदन पर लिहाफ डाल लिया… लाली बलखाती हुई कमरे से चली गई…परंतु जाते जाते उसने कमरे की बत्तियां बुझा दी…कमरे में चल रही टीवी से पर्याप्त रोशनी आ रही थी और सोनू बिस्तर के सिरहाने अपनी पीठ टिकाए टीवी देख रहा था और मन ही मन आज लाली के साथ जी भर कर रंगरलिया मनाने की तैयारी कर रहा था।

सोनू अपने हाथों से अपने लंड को सहलाते हुए लाली का इंतजार कर रहा था…. परंतु यह क्या कमरे में दूध लिए सुगना आ चुकी थी… सोनू के होश फाख्ता हो गए पतली रजाई के नीचे सोनू पूरी तरह नग्न था.. यह तो ऊपर वाले का शुक्र था कि उसने अपनी बनियान न उतारी थी अन्यथा सुगना उसकी नग्न अवस्था को तुरंत ही पकड़ लेती… सुगना सोनू के बिल्कुल करीब आ चुकी थी सोनू ने अपने दोनों घुटनों को उठाकर अपने खड़े लंड को रजाई के नीचे छुपा लिया

सोनू ने अपना दाहिना हाथ अपने लंड पर से हटाया और हाथ बढ़ाकर सुगना के हाथों से दूध ले लिया..

सुगना से नजरें मिला पाने की सोनू की हिम्मत न थी.. परंतु वह सुगना की भरी भरी चूचियों को अवश्य देख रहा था। दोनों दुग्ध कलश उसकी आंखों के ठीक सामने थे परंतु उसकी अप्सरा उसे ग्लास में दूध पकड़ा रही थी.. सुगना जैसे ही जाने के लिए पलटी लाली आ चुकी थी..

लाली नेआते ही कहा…

"रसोई के सब काम हो गईल अब बैठ सोनू अपन पहला पोस्टिंग के बात बतावता"

सुगना भली-भांति यह बात जानती थी की सोनू और लाली अब से कुछ देर बाद घनघोर चूदाई करने वाले थे इसकी पूर्व तैयारियां लाली आज सुबह से ही कर रही थी.. वह दाल भात में मूसर चंद नहीं बनना चाहती थी परंतु लाली में उसे हाथ पकड़ कर बिस्तर पर बैठा दिया और सोनू से कहा..


अरे बीच में खिसक अपना दीदी के बैठे थे सोनू पलंग के ठीक बीच में बैठ गया और सुगना अनमने मन से बिस्तर पर बैठ गई… उसके दोनों पैर अब भी बिस्तर के नीचे लटक रहे थे। लाली सुगना के करीब आई और बोली..

"अरे पैरवा ऊपर कर ले आज बहुत ठंडा बा ए सोनू अपना दीदी के रजाई ओढ़ा दे"

सोनू खुद असहज महसूस कर रहा था उसे लाली का यह व्यवहार कतई समझ ना आ रहा था वह पूरी तरह लाली को चोदने के मूड में था.. परंतु लाली ऐसा क्यों कर रही थी यह उसकी समझ के परे था…

अंततः सुगना ने अपने दोनों पैर ऊपर कर लिए और सोनू ने अनमने ढंग से रजाई का कुछ हिस्सा सुगना के पैरों पर डाल दिया परंतु उससे सुरक्षित दूरी बनाते हुए अलग हो गया रजाई के अंदर सोनू पूरी तरह नग्न था और यही उसकी असहजता का मुख्य कारण भी था।

सोनू का लंड अपना तनाव खो रहा था। उसे अब लाली पर गुस्सा आ रहा परंतु सुगना साथ हो और सोनू उसे खुद से दूर करें यह संभव न था।


उसने बातें शुरू कर दी… लाली अब सोनू के दूसरे तरफ आकर बैठ चुकी थी और उसने भी रजाई में अपने पैर डाल लिए थे…सोनू अपनी दोनों बहनों के बीच बिस्तर के सिरहाने अपनी पीठ टिकाए अपने अनुभव को साझा कर रहा था…

सुगना और लाली दोनों पूरी उत्सुकता और तन्मयता से सोनू के अनुभवों को सुन रही थी और समझने का प्रयास कर रहीं थी। अचानक लाली की हथेलियों ने सोनू के लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया सोनू को यह अटपटा भी लगा और आनंददायक भी ।

उसने कोई प्रतिक्रिया न दी और उसी तरह अपनी बहन सुगना से बातें करता रहा… लाली के साथ अब अपनी कार्यकुशलता दिखाने लगे सोनू के लंड का सुपाड़ा आगे पीछे हो रहा था.. सुपाड़े के ऊपर सूख चुकी लंड की लार एक बार फिर छलकने लगी।


कुछ ही पलों में लंड एक बार फिर पूरी तरह तन चुका था। सुगना लाली की हरकतों से अनजान अपने भाई के प्रशासनिक अनुभव को सुन रही थी कमरे में …वासना अपना रंग दिखाने लगी थी….

अचानक सुगना का ध्यान लाली की हरकतों पर चला गया सोनू की जांघों के बीच हिलती हुई रजाई ने उसके मन में शक पैदा कर दिया। निश्चित ही लाली सोनू के लंड को छू रही थी। सुगना असहज होने लगी सोनू अपनी उत्तेजना को काबू में रखते हुए सुगना से बातें किया जा रहा था परंतु लाली की उंगलियों और हथेलियों के जादू को अपने लंड पर बखूबी महसूस कर रहा था।

एक पल के लिए उसके मन में आया कि वह अपने ठीक बगल में बैठी सुगना जांघों पर हाथ रख दे परंतु…सोनू अभी इतनी हिम्मत न जुटा पाया सुगना ने अचानक बिस्तर से उठते हुए कहा

"तोहान लोग टीवी देख हम जा तानी सूते "

सुगना कमरे से निकल गई परंतु वह कमरे से ज्यादा दूर ना जा पाईं…उसे सोनू की आवाज सुनाई पड़ी..

"दीदी तू काहे हिलावत रहलु हा सुगना दीदी देख लिहित तब"

"अइसन कह तारा जैसे उ जानत नईखे" लाली ने हल्का गुस्सा दिखाते ही बोला..

"अरे सुगना दीदी जानत बीया ऊ ठीक बा लेकिन हाईसन हालत में देख लीहित तब" सोनू ने लिहाफ हटा दिया और अपने खूंटे से जैसे तने हुए लंड को हाथ में लेते हुए बोला"

अब तक सोनू के मुंह से अपना नाम सुनकर सुगना खिड़की पर आ चुकी थी उसमें अंदर झांका लिहाफ हटा हुआ था और सोनू अपना खूबसूरत लंड अपने हाथों में लिए लाली को दिखा रहा था..

"ज्यादा सयान मत बन…. हैंड पंप पर अपना बहिनी के आपन हथियार देखावले रहला तब …ना लाज लागत रहे"

लाली अपने बालों को बांधते हुए बोली… ऐसा लग रहा था जैसे लाली प्रेम युद्ध के लिए स्वयं को तैयार कर रही हो…

सोनू की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई तो क्या सुगना दीदी ने लाली से सब कुछ बता दिया था क्या ट्रेन की घटना भी…

सोनू ने झेपते हुए कहा..

"हम जानत रहनी की पानी चलावे तू अइबू एहि से सुगना दीदी रहती तब थोड़ी ना करतीं"


सुगना मन ही मन खुश हो गई… शायद उसका भाई सोनू इतना भी बदमाश ना था कि वह अपनी बड़ी बहन को अपना लंड खोल कर दिखा रहा हो…

"चल मान लेनी लेकिन सांच कह.. इ सुगना खातिर तनेला की ना?….लाली ने सोनू की दुखती रग को छेड़ दिया…

"लाली दीदी तू ई का बोला तारू"

"देख अभिये से उछलता …..नामे लेला प " लाली ने सोनू के उछलते हुए लंड को सहलाते हुए बोला….

सुगना के बारे में बातें कर सोनू बेहद उत्तेजित हो गया। वह बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और उसमें एक ही झटके में लाली की नाइटी उतार के लाली को पूरी तरह नंगा कर सामने चल रही टीवी के प्रकाश में उसका दूधिया बदन चमकने लगा सुगना बाहर लॉबी में खड़े खिड़की से अंदर झांक रही थी.


सोनू ने लाली को पीछे से पकड़ कर दबोच लिया.. लाली की पीठ सोनू के नंगे सीने से सटी हुई थी सोनू के मजबूत हाथ लाली की नाभि और कमर पर लिपटे हुए थे. सोनू लाली को ऊपर उठा रहा था..और लाली खिलखिला कर हंस रही थी लाली के दोनों पर हवा में थे और सोनू का खूंटे जैसा तना हुआ लंड नितंबों के बीच जगह ढूंढ रहा था…

"आराम से सोनू चोट लग जायी"

परंतु सोनू सुनने के मूड में न था.. सुगना आज अपनी आंखों से वही दृश्य देख रही थी जो स्वयं उसके साथ बनारस महोत्सव में घटा था उस दिन भी सोनू ने ठीक इसी प्रकार उसे उठा लिया था और उसने भी अपने नितंबों के बीच सोनू के तने हुए लंड को महसूस किया था यद्यपि उस दिन सोनू ने अपने कपड़े पहने हुए थे फिर भी सोनू के मजबूत लंड का तनाव छपने लायक न था।

सुगना की आंखें एक बार फिर जड़ हो गई.. कदम फिर रुक गए और सांसे तेज होने लगी सोनू ने लाली को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा कर उसकी जांघों के बीच आ गया परंतु आज सोनू किसी और मूड में था..

ई बतावा लाली दीदी सुगना दीदी तोहरा से सब बात करेले का?

"कौन बात?"

"इहे कुल"

"अरे साफ-साफ बोल ना कौन बात?"

"सोनू ने लाली की चूचियों को मसलते हुए कहा"

"इहे कुल..अब बुझाइल "

"हां ऊ हमार सहेली ह त करी ना"

"वो दिन का सुगना दीदी साच में देख ले ले रहे"

"हां देखले रहे और कह तो रहे"

"का कहत रहे?"

"कि हमार भाई अब मर्द बन गईल बा.".

"अवरू का कहत रहे"

"खाली बकबक करब की कामों होई…"

"बतावाना? दीदी का कहत रहे…

"काश सोनू हमर भाई न होखित"

सुगना लाली की बात सुनकर आश्चर्यचकित रह गई उसने ऐसा कुछ न कहा था…. जब भी यह वाक्यांश शब्दों के रूप में आए थे लाली के मुख से ही आए थे। उसे लाली पर गुस्सा आया..पर अभी वह कुछ कहने की स्थिति में न थी।

"तू पागल हउ सुगना दीदी अइसन कभी ना बोली…"

"अरे वाह हम तहर दीदी ना हई "

"सुगना दीदी और तहरा में बहुत अंतर बा ऊ ई कुल के चक्कर में ना रहेली"

"हाई देखतार नू…. एकर कोई जात धर्म रिश्ता नाता ना होला…"लाली ने सोनू को अपनी जांघों के बीच अपनी फूली हुई बुर को दिखाते हुए कहा।

"एकर साथी एके ह…".इतना कहकर लाली ने सोनू के लंड को अपनी हथेलियों में पकड़ लिया…लंड पर रिस आयी लार लाली की हथेलियों में लग गई..

लाली ने मुस्कुराते हुए कहा..

"देख बुझाता इहो आपन सुगना दीदी खातिर लार टपकावता…"

सोनू का लाल फूला हुआ सुपाड़ा लाली की हथेली में था…ऐसा लग रहा था जैसे लाली उसे खुद को छोड़ किसी और को चाहने का दंड दे रही हो पर लंड आज सुगना की चाहत लिए तैयार था…

सोनू उत्तेजना से कपने लगा…लाली ने उसे बेहद उत्तेजित कर दिया था..

और एक बार फिर लाली चुदने लगी….सुगना ने आज लाली का नया रूप देखा था…शायद उसे लाली से यह उम्मीद न थी…

सुगना से और बर्दाश्त न हुआ….वह अपने कमरे में आ गई…

सुगना ने खुद को संतुलित किया और गंदे गंदे ख्यालों को दरकिनार कर वह अपने श्रृंगारदान को खोल कर अपनी क्रीम लगाने लगी तभी उसका ध्यान उस जिंदगी किताब तक चला गया जिसको सोनू अपनी बड़ी बहन सुगना के लिए छोड़ आया था किताब के दोनों हिस्सों को एक साथ देख कर सुगना चौक उठी आखिर यह किसने किया हे भगवान…

शेष अगले भाग में…
Hamesha ki trah shandaar updati bhai.
 

Kalpana singh

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Nice n erotic update....
Ohhh sugna , sp

भाग 96

सोनू के मन में सिर्फ एक ही चिंता थी कि अब जब वह सुगना के सामने आएगा तो वह उससे कैसा व्यवहार करें कि क्या उसने उसे ट्रेन में हुई घटना के लिए माफ कर दिया होगा?

सोनू के पास सिर्फ और सिर्फ प्रश्न थे उसे सुगना का सामना करना ही था। उसने अपने इष्ट से सब कुछ सामान्य और अनुकूल रहने की कामना की और अपना सामान बांध कर बनारस विस्तृत सुगना के घर आ गया..सामन पैक करते वक्त उसे रहीम और फातिमा की चूदाई गाथा की वह फटी किताब भी दिखाई पड़ गई और सोनू मुस्कुराने लगा.. उसने न जाने क्या सोच कर उस अधूरी किताब को भी रख लिया…

अगली सुबह सोनू अपना ढेर सारा सामान आटो में लाद कर सुगना के घर के सामने खड़ा था..


उसका कलेजा धक धक कर रहा था..

अब आगे…

दरवाजा सुगना ने ही खोला…सुगना के चेहरे पर स्वागत करने वाली मुस्कान थी एक पल के लिए वह यह बात भूल गई थी कि सामने खड़ा सोनू वही सोनू है जिसने अपने तने हुए लंड को उसके नितंबों से रगड़ते हुए एक कुत्सित स्खलन को अंजाम दिया था… सुगना ने उस घटना को नजरअंदाज कर अपनी डेहरी पर खड़े सोनू का स्वागत किया और बोला..

"अरे तोर ट्रेन तो जल्दी आ गईल आज"

अंदर आने के पश्चात सोनू ने सुगना के चरण छुए परंतु सुगना को अपने आलिंगन में लेने की हिम्मत न जुटा पाया… शायद सुगना भी सतर्क थी..


मन में जब पाप उत्पन्न हो जाता है तो प्रतिक्रिया स्वाभाविक रूप से बदल जाती है।

यही हाल सोनू का था…

सुगना का व्यवहार क्यों बदला यह कहना कठिन था शायद इसमें कुछ अंश उस ट्रेन में हुई घटना का था और उसके मन के किसी कोने में उपज रहे पाप का भी..

इसके उलट सोनी खुलकर अपने भाई सोनू के गले लग गई सोनू और सोनी का यह मिलन पूरी तरह वासना विहीन था यद्यपि सोनू ने सोनी को अपने दोस्त विकास के साथ अपने पूरे यौवन और कामुकता के साथ संभोग करते देखा था… परंतु न जाने क्यों उसने उस रिश्ते को स्वीकार कर लिया था।


सोनी उसे अपनी छोटी बहन ही दिखाई देती थी जिसके बारे में उसके मन में गलत ख्याल शायद ही कभी आते हों… वर्तमान में सोनू के दिलो-दिमाग सब पर सुगना छाई हुई थी…और एक तरह से राज कर रही थी।

जिस प्रकार पूर्णिमा का चांद आकाश में छाए छुटपुट सितारों की रोशनी धूमिल कर देता है उसी प्रकार सुगना इस समय सोनू की वासना पर एकाधिकार जमाए हुए थी …सोनू के लिए जैसे बाकी युवतियां गौड़ हो चुकी थीं।

थोड़ी ही देर में सोनू लाली और सुगना के बच्चों में घुलमिल कर बच्चों की तरह खेलने लगा। एक प्रतिष्ठित और युवा एसडीएम अपनी उम्र को आधा कर बच्चों के साथ वैसे ही खेल रहा था जैसे वह खुद एक बच्चा हो…. सुगना बार-बार उसके इस स्वरूप को देखती और मन ही मन उसे क्षमा कर देती….

आखिरकार सुगना ने सोनू से कहा

"ए सोनू जो जल्दी नहा ले हम खाना लगा दे तानी.."

पता नहीं सोनू के मन में कहां से हिम्मत आई उसने अकस्मात ही कहा

"ठीक बा हम जा तानी आंगन में नहाए तनी पानी चला दिहे "

सोनू ने जो कहा था वह सुगना को उस दिन की याद दिला गया जब वह लाली के कहने पर हैंडपंप चलाने गई थी और सोनू ने उसे लाली समझकर उसके सामने ही अपने तने हुए लंड पर साबुन लगा रहा था… सुगना के जेहन में वह दृश्य पूरी तरह घूम गया…वैसे भी वह पिछले दो-तीन दिनों से न जाने कितनी बार उसके उस तने हुए लंड के बारे में सोच चुकी थी…. उसने बचते हुए कहा..

"ते जो नहाए लाली पानी चला दी."

शायद सोनू ने बिना सोचे समझे वह बात कही थी परंतु सुगना अब फूंक-फूंक कर कदम रख रही थी..

अब तक के हुए घटनाक्रमों में लाली एक बात तो जान गई थी कि सुगना की कामुक काया सोनू को आकर्षक लगती थी। सुगना भी उसे और सोनू को लेकर कई मजाक किया करती थी परंतु जब कभी सोनू का नाम उसके साथ जोड़कर लाली मजाक करती तो वह एक हद के बाद उसे रोक देती देती…

बातों ही बातों में सुगना ने उसे उसे उसके और सोनू के बीच हुए संभोग को देखे जाने की घटना घटना बता दी थी ….लाली के लिए सुगना को समझ पाना कठिन हो रहा था वह कभी तो हंसते खिलखिलाते लाली से सोनू के बारे में ढेरों बातें करती जिसमें कभी कभी कामुक अंश भी होते परंतु कभी-कभी न जाने क्यों सोनू को लेकर छोटी सी बात पर नाराज हो जाती।


लाली ने कई बार ऐसा महसूस किया था कि संभोग के दौरान सुगना का नाम लेने पर सोनू और भी उत्तेजित हुआ करता था तथा सुगना के बारे में और बातें करना चाहता था।

यह लाली पर ही निर्भर करता था कि वह वासना और कामुकता से भरी हुई बातों में सुगना को कितना खींचे और कितना छोड़े…पर सोनू इस पर कोई आपत्ति नहीं जताता था।

लाली ने आज सोनू को खुश करने की ठान ली..

घर में दिनभर घर में चहल पहल रही … सोनू की तीनों बहनें सोनू का जी भर कर ख्याल रख रही थी…

शाम जब सुगना और लाली सब्जी भाजी लेने बाजार गईं सोनू घर में अकेला था…. वह सुगना के कमरे में किताब का दूसरा हिस्सा खोजने लगा रहीम और फातिमा की अधूरी कहानी को पूरा पढ़ने की उसकी तमन्ना जाग उठी थी।

सोनू ने सुगना के कमरे का कोना-कोना छान मारा और आखिरकार वह आधी किताब उसके हाथ आ गई..

सोनू ने उस किताब के पन्नों के बिछड़े हुए भाग को आपस में पूरी तन्मयता और मेहनत से जोड़ा और किताब को मन लगाकर पढ़ने लगा …जैसे-जैसे रहीम और फातिमा की कहानी आगे बढ़ती गई न जाने कब कहानी में रहीम सोनू बन गया और सुगना फातिमा ….कहानी को पढ़ते समय सोनू के जेहन में सिर्फ और सिर्फ सुगना की तस्वीर घूम रही थी..

सोनू का लंड तो जैसे सुगना का नाम लेते ही उछल कर खड़ा हो जाता था सोनू ने उसे थपकी या देकर शांत करने की कोशिश की …. जिस तरह अभी तक सोनू ने अपना धैर्य कायम किया हुआ था उसी प्रकार सोनू के लंड को भी अभी धैर्य रखना था…

आखिर सोनू ने हिम्मत जुटाई और उस किताब को सुगना के शृंगारदान के पास रख दिया…उसे पता था सुगना रात को सोने से पहले श्रृंगारदान खोलकर अपने चेहरे पर क्रीम लगती थी.. वह उस किताब को देखेगी जरूर ….. सोनू ने किताब के अपने वाले हिस्से पर कुछ कलाकारी भी की थी वह भी उस दौरान जब वह लखनऊ में अकेले था…. एक बार के लिए सोनू का मन हुआ कि वह उसके द्वारा की गई कलाकारी को मिटा दे परंतु शायद यह इतना आसान न था…

सोनू ने सब कुछ नियति के हवाले छोड़ दिया

आखिरकार आखिरकार रात हुई जिसका इंतजार सबसे ज्यादा लाली को था…

रात के 10:00 बज चुके थे सारे बच्चे अपने दिनभर की थकावट को दूर करने निद्रा देवी के आगोश में आ चुके थे। बच्चे घर की शान होते हैं और जब वह सो जाते हैं तो ऐसा लगता है जैसे घर में सन्नाटा पसर गया हो।।

परंतु युवा प्रेमियों को यह सन्नाटा बेहद सुहाना लगता है सोनू और लाली आज रंगरलिया मनाने के लिए पूरी तरह तैयार थे। परंतु लाली आज दूसरे ही मूड में थी..

वो सोनू के कमरे में बैठी उससे बातें कर रही थी ..

तभी सोनू ने लाली को अपने पास खींच लिया और उसके गालों को चुमते हुए उसकी चूंची सहलाने लगा सोनू का हाथ धीरे-धीरे लाली की नाइटी में प्रवेश करता गया तभी लाली ने कहा..

अरे सोनू थोड़ा सब्र कर ले सुगना के सूत जाए दे…

"अब बर्दाश्त नईखे होत… देखा तब से खड़ा बा सोनू ने अपनी लूंगी हटाकर अपने खड़े ल** को लाली की निगाहों के ठीक सामने ला दिया..

सोनू का लंड दिन पर दिन और युवा होता जा रहा था.. ऐसा लग रहा था लाली की बुर ने उसे मालिश कर और बलवान बना दिया था.

लाली ने सुगना की लूंगी खींचकर खूंटी पर टांग दी और उसके लंड को अपने हाथों में लेकर उसके आकार में और इजाफा करने लगी तभी रसोई से सुगना की आवाज आई…

"ए लाली सोनू के दूध ले जो"

लाली ने सोनू से 5 मिनट का समय मांगा और सोनू ने अपने नंगे बदन पर लिहाफ डाल लिया… लाली बलखाती हुई कमरे से चली गई…परंतु जाते जाते उसने कमरे की बत्तियां बुझा दी…कमरे में चल रही टीवी से पर्याप्त रोशनी आ रही थी और सोनू बिस्तर के सिरहाने अपनी पीठ टिकाए टीवी देख रहा था और मन ही मन आज लाली के साथ जी भर कर रंगरलिया मनाने की तैयारी कर रहा था।

सोनू अपने हाथों से अपने लंड को सहलाते हुए लाली का इंतजार कर रहा था…. परंतु यह क्या कमरे में दूध लिए सुगना आ चुकी थी… सोनू के होश फाख्ता हो गए पतली रजाई के नीचे सोनू पूरी तरह नग्न था.. यह तो ऊपर वाले का शुक्र था कि उसने अपनी बनियान न उतारी थी अन्यथा सुगना उसकी नग्न अवस्था को तुरंत ही पकड़ लेती… सुगना सोनू के बिल्कुल करीब आ चुकी थी सोनू ने अपने दोनों घुटनों को उठाकर अपने खड़े लंड को रजाई के नीचे छुपा लिया

सोनू ने अपना दाहिना हाथ अपने लंड पर से हटाया और हाथ बढ़ाकर सुगना के हाथों से दूध ले लिया..

सुगना से नजरें मिला पाने की सोनू की हिम्मत न थी.. परंतु वह सुगना की भरी भरी चूचियों को अवश्य देख रहा था। दोनों दुग्ध कलश उसकी आंखों के ठीक सामने थे परंतु उसकी अप्सरा उसे ग्लास में दूध पकड़ा रही थी.. सुगना जैसे ही जाने के लिए पलटी लाली आ चुकी थी..

लाली नेआते ही कहा…

"रसोई के सब काम हो गईल अब बैठ सोनू अपन पहला पोस्टिंग के बात बतावता"

सुगना भली-भांति यह बात जानती थी की सोनू और लाली अब से कुछ देर बाद घनघोर चूदाई करने वाले थे इसकी पूर्व तैयारियां लाली आज सुबह से ही कर रही थी.. वह दाल भात में मूसर चंद नहीं बनना चाहती थी परंतु लाली में उसे हाथ पकड़ कर बिस्तर पर बैठा दिया और सोनू से कहा..


अरे बीच में खिसक अपना दीदी के बैठे थे सोनू पलंग के ठीक बीच में बैठ गया और सुगना अनमने मन से बिस्तर पर बैठ गई… उसके दोनों पैर अब भी बिस्तर के नीचे लटक रहे थे। लाली सुगना के करीब आई और बोली..

"अरे पैरवा ऊपर कर ले आज बहुत ठंडा बा ए सोनू अपना दीदी के रजाई ओढ़ा दे"

सोनू खुद असहज महसूस कर रहा था उसे लाली का यह व्यवहार कतई समझ ना आ रहा था वह पूरी तरह लाली को चोदने के मूड में था.. परंतु लाली ऐसा क्यों कर रही थी यह उसकी समझ के परे था…

अंततः सुगना ने अपने दोनों पैर ऊपर कर लिए और सोनू ने अनमने ढंग से रजाई का कुछ हिस्सा सुगना के पैरों पर डाल दिया परंतु उससे सुरक्षित दूरी बनाते हुए अलग हो गया रजाई के अंदर सोनू पूरी तरह नग्न था और यही उसकी असहजता का मुख्य कारण भी था।

सोनू का लंड अपना तनाव खो रहा था। उसे अब लाली पर गुस्सा आ रहा परंतु सुगना साथ हो और सोनू उसे खुद से दूर करें यह संभव न था।


उसने बातें शुरू कर दी… लाली अब सोनू के दूसरे तरफ आकर बैठ चुकी थी और उसने भी रजाई में अपने पैर डाल लिए थे…सोनू अपनी दोनों बहनों के बीच बिस्तर के सिरहाने अपनी पीठ टिकाए अपने अनुभव को साझा कर रहा था…

सुगना और लाली दोनों पूरी उत्सुकता और तन्मयता से सोनू के अनुभवों को सुन रही थी और समझने का प्रयास कर रहीं थी। अचानक लाली की हथेलियों ने सोनू के लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया सोनू को यह अटपटा भी लगा और आनंददायक भी ।

उसने कोई प्रतिक्रिया न दी और उसी तरह अपनी बहन सुगना से बातें करता रहा… लाली के साथ अब अपनी कार्यकुशलता दिखाने लगे सोनू के लंड का सुपाड़ा आगे पीछे हो रहा था.. सुपाड़े के ऊपर सूख चुकी लंड की लार एक बार फिर छलकने लगी।


कुछ ही पलों में लंड एक बार फिर पूरी तरह तन चुका था। सुगना लाली की हरकतों से अनजान अपने भाई के प्रशासनिक अनुभव को सुन रही थी कमरे में …वासना अपना रंग दिखाने लगी थी….

अचानक सुगना का ध्यान लाली की हरकतों पर चला गया सोनू की जांघों के बीच हिलती हुई रजाई ने उसके मन में शक पैदा कर दिया। निश्चित ही लाली सोनू के लंड को छू रही थी। सुगना असहज होने लगी सोनू अपनी उत्तेजना को काबू में रखते हुए सुगना से बातें किया जा रहा था परंतु लाली की उंगलियों और हथेलियों के जादू को अपने लंड पर बखूबी महसूस कर रहा था।

एक पल के लिए उसके मन में आया कि वह अपने ठीक बगल में बैठी सुगना जांघों पर हाथ रख दे परंतु…सोनू अभी इतनी हिम्मत न जुटा पाया सुगना ने अचानक बिस्तर से उठते हुए कहा

"तोहान लोग टीवी देख हम जा तानी सूते "

सुगना कमरे से निकल गई परंतु वह कमरे से ज्यादा दूर ना जा पाईं…उसे सोनू की आवाज सुनाई पड़ी..

"दीदी तू काहे हिलावत रहलु हा सुगना दीदी देख लिहित तब"

"अइसन कह तारा जैसे उ जानत नईखे" लाली ने हल्का गुस्सा दिखाते ही बोला..

"अरे सुगना दीदी जानत बीया ऊ ठीक बा लेकिन हाईसन हालत में देख लीहित तब" सोनू ने लिहाफ हटा दिया और अपने खूंटे से जैसे तने हुए लंड को हाथ में लेते हुए बोला"

अब तक सोनू के मुंह से अपना नाम सुनकर सुगना खिड़की पर आ चुकी थी उसमें अंदर झांका लिहाफ हटा हुआ था और सोनू अपना खूबसूरत लंड अपने हाथों में लिए लाली को दिखा रहा था..

"ज्यादा सयान मत बन…. हैंड पंप पर अपना बहिनी के आपन हथियार देखावले रहला तब …ना लाज लागत रहे"

लाली अपने बालों को बांधते हुए बोली… ऐसा लग रहा था जैसे लाली प्रेम युद्ध के लिए स्वयं को तैयार कर रही हो…

सोनू की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई तो क्या सुगना दीदी ने लाली से सब कुछ बता दिया था क्या ट्रेन की घटना भी…

सोनू ने झेपते हुए कहा..

"हम जानत रहनी की पानी चलावे तू अइबू एहि से सुगना दीदी रहती तब थोड़ी ना करतीं"


सुगना मन ही मन खुश हो गई… शायद उसका भाई सोनू इतना भी बदमाश ना था कि वह अपनी बड़ी बहन को अपना लंड खोल कर दिखा रहा हो…

"चल मान लेनी लेकिन सांच कह.. इ सुगना खातिर तनेला की ना?….लाली ने सोनू की दुखती रग को छेड़ दिया…

"लाली दीदी तू ई का बोला तारू"

"देख अभिये से उछलता …..नामे लेला प " लाली ने सोनू के उछलते हुए लंड को सहलाते हुए बोला….

सुगना के बारे में बातें कर सोनू बेहद उत्तेजित हो गया। वह बिस्तर से उठ खड़ा हुआ और उसमें एक ही झटके में लाली की नाइटी उतार के लाली को पूरी तरह नंगा कर सामने चल रही टीवी के प्रकाश में उसका दूधिया बदन चमकने लगा सुगना बाहर लॉबी में खड़े खिड़की से अंदर झांक रही थी.


सोनू ने लाली को पीछे से पकड़ कर दबोच लिया.. लाली की पीठ सोनू के नंगे सीने से सटी हुई थी सोनू के मजबूत हाथ लाली की नाभि और कमर पर लिपटे हुए थे. सोनू लाली को ऊपर उठा रहा था..और लाली खिलखिला कर हंस रही थी लाली के दोनों पर हवा में थे और सोनू का खूंटे जैसा तना हुआ लंड नितंबों के बीच जगह ढूंढ रहा था…

"आराम से सोनू चोट लग जायी"

परंतु सोनू सुनने के मूड में न था.. सुगना आज अपनी आंखों से वही दृश्य देख रही थी जो स्वयं उसके साथ बनारस महोत्सव में घटा था उस दिन भी सोनू ने ठीक इसी प्रकार उसे उठा लिया था और उसने भी अपने नितंबों के बीच सोनू के तने हुए लंड को महसूस किया था यद्यपि उस दिन सोनू ने अपने कपड़े पहने हुए थे फिर भी सोनू के मजबूत लंड का तनाव छपने लायक न था।

सुगना की आंखें एक बार फिर जड़ हो गई.. कदम फिर रुक गए और सांसे तेज होने लगी सोनू ने लाली को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा कर उसकी जांघों के बीच आ गया परंतु आज सोनू किसी और मूड में था..

ई बतावा लाली दीदी सुगना दीदी तोहरा से सब बात करेले का?

"कौन बात?"

"इहे कुल"

"अरे साफ-साफ बोल ना कौन बात?"

"सोनू ने लाली की चूचियों को मसलते हुए कहा"

"इहे कुल..अब बुझाइल "

"हां ऊ हमार सहेली ह त करी ना"

"वो दिन का सुगना दीदी साच में देख ले ले रहे"

"हां देखले रहे और कह तो रहे"

"का कहत रहे?"

"कि हमार भाई अब मर्द बन गईल बा.".

"अवरू का कहत रहे"

"खाली बकबक करब की कामों होई…"

"बतावाना? दीदी का कहत रहे…

"काश सोनू हमर भाई न होखित"

सुगना लाली की बात सुनकर आश्चर्यचकित रह गई उसने ऐसा कुछ न कहा था…. जब भी यह वाक्यांश शब्दों के रूप में आए थे लाली के मुख से ही आए थे। उसे लाली पर गुस्सा आया..पर अभी वह कुछ कहने की स्थिति में न थी।

"तू पागल हउ सुगना दीदी अइसन कभी ना बोली…"

"अरे वाह हम तहर दीदी ना हई "

"सुगना दीदी और तहरा में बहुत अंतर बा ऊ ई कुल के चक्कर में ना रहेली"

"हाई देखतार नू…. एकर कोई जात धर्म रिश्ता नाता ना होला…"लाली ने सोनू को अपनी जांघों के बीच अपनी फूली हुई बुर को दिखाते हुए कहा।

"एकर साथी एके ह…".इतना कहकर लाली ने सोनू के लंड को अपनी हथेलियों में पकड़ लिया…लंड पर रिस आयी लार लाली की हथेलियों में लग गई..

लाली ने मुस्कुराते हुए कहा..

"देख बुझाता इहो आपन सुगना दीदी खातिर लार टपकावता…"

सोनू का लाल फूला हुआ सुपाड़ा लाली की हथेली में था…ऐसा लग रहा था जैसे लाली उसे खुद को छोड़ किसी और को चाहने का दंड दे रही हो पर लंड आज सुगना की चाहत लिए तैयार था…

सोनू उत्तेजना से कपने लगा…लाली ने उसे बेहद उत्तेजित कर दिया था..

और एक बार फिर लाली चुदने लगी….सुगना ने आज लाली का नया रूप देखा था…शायद उसे लाली से यह उम्मीद न थी…

सुगना से और बर्दाश्त न हुआ….वह अपने कमरे में आ गई…

सुगना ने खुद को संतुलित किया और गंदे गंदे ख्यालों को दरकिनार कर वह अपने श्रृंगारदान को खोल कर अपनी क्रीम लगाने लगी तभी उसका ध्यान उस जिंदगी किताब तक चला गया जिसको सोनू अपनी बड़ी बहन सुगना के लिए छोड़ आया था किताब के दोनों हिस्सों को एक साथ देख कर सुगना चौक उठी आखिर यह किसने किया हे भगवान…

शेष अगले भाग में…
 

Seema3284

❣️Desi long detailed roleplay ❤️❤️ shy queen
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Nice n erotic update....
Ohhh sugna , sp
शुक्रिया मेरी बात आज फिर से लाली और सोनू का मिलन के लिए
पर लाली वही खेल खेल सकती जो सोनू और राजेश के साथ हुआ था।।
काश मेरे साथ भी कोई ऐसा रोलप्लेयर हो जिसकी में लाली
उफ्फ
 
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