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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

whether this story to be continued?

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Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
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Chutphar

Mahesh Kumar
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सर्वप्रथम सर्वप्रथम मैं उन पाठकों का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जो इस कहानी के लिए इस फोरम पर लॉगिन करके अपनी प्रतिक्रिया दी ...
उन पाठकों का भी शुक्रिया जो कभी पूर्व में पाठक रहे हैं परंतु किन्ही कारणों बश वह लगातार प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहे थे...पर अब वापस आ गए हैं।
मैं अपने नए और पुराने सभी पाठकों से एक बार फिर अनुरोध करता हूं की कहानी के हर अपडेट पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें । आपका लेखक आपके लिए तीन चार हजार शब्द लिखता है आप 100 200 शब्द लिखकर अपनी राय और सुझाव निश्चित ही भेज सकते हैं जिससे कहानी और भी परिमार्जित तथा भाव पूर्ण होती है.....

कहानी के जिस एपिसोड को पढ़ने में आप 10: 20 मिनट खर्च करते हैं उसके लिए दो-चार मिनट खर्च कर कमेंट भी कर ही सकते है...


कई पाठकों ने अपडेट 102 पर सवाल उठाया है परंतु हम सब को यह ध्यान रखना चाहिए की सुगना और सोनू के बीच जो हुआ वह बलात्कार कतई नहीं था एक स्त्री कभी इतनी भी विवश नहीं हो सकती कि वह अपने ही घर में अपने बंधु बंधुओं के बीच बलात्कार का शिकार हो जाए।
सुगना का वह उद्गार आपको याद होगा

सोनू... तनी धीरे से दुखाता...

यह वही मादक कराह है जिससे यह कहानी शुरू हुई है.. इस मादक कराह में तृप्ति है समर्पण है और बेहद प्यार छुपा है...

स्खलन प्यार की पूर्णता है...सुगना स्खलित हुई वह भी सोनू की उंगली को अपने मुंह में लिए हुए...यह ब्लातकार नहीं हो सकता।

यदि आप कहानी को ध्यान से पढ़ें तो सुगना की मनो स्थिति से बखूबी परिचित हो पाएंगे अन्यथा मेरा सोना ...मेरा बाबू करते हुए अपने भाई से चुदाना
एक सामान्य और कामुक प्रक्रिया है..जो इस फोरम पर कहानियों के रूप में उपलब्ध भी है...

सुगना और सोनू के बीच जो हुआ वह उस वक्त की अवस्था थी आने वाले समय में सुगना और सोनू करीब आएंगे या सुगना अपना प्रतिकार लेगी यह देखने वाली बात होगी विश्वास रखें और कहानी की गति और लय से अपना तालमेल बनाए रखें परंतु हां आपके कमेंट और विचार अवश्य रखें ताकि मैं कहानी में आवश्यक और उपयुक्त बदलाव कर सकूं वह भी कहानी के मूल को बिना छेड़छाड़ किए


इस पोस्ट से पहले जितने लोगों ने भी कहानी की अपडेट की मांग की है मैंने उन्हें प्लीज दिया है इतना ध्यान रखिए एक बार मेरे में एक ही अपडेट भेज पाऊंगा पढ़ने के बाद अब अगले अपडेट की मांग कर सकते हैं और मैं उसे निश्चित ही आपको भेज दूंगा साथ बनाए रखें..

सर जी, सगुना का चरित्र जैसा है वैसा ही रहने दिजिये, ये प्रतिकार लेना सही नही लगेगा, हम तो चाहते है वो बस अब मुक बनकर इस सम्बन्ध को स्वीकार कर ले, वो अपनी नारी लज्जा और शर्म को बनाये रहे और सोनु भी बस रात के अन्धेरे मे ही इस खेल को आगे बढाये...

कुछ भी हो पर अगले अपडेट का हमे बेसब्री से इन्तजार है की आगे क्या होगा..?
 
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DUSHMAN

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कहानी अपनी अति उत्तम अवस्था में है, इससे अधिक छेड़छाड़ करना या इसकी दिशा बदलने का प्रयास करना सही नहीं होगा. हमारा तो मन करता है कि प्रतिदिन एक अपडेट मिले लेकिन लेखक के लिए शायद यह मुमकिन ना हो. हां, इतना अवश्य कहूंगा कि ऐसी उच्च गुणवत्ता वाली कहानी कभी कभार ही पढ़ने को मिलती है. लेखक महोदय इसके लिए बधाई के पात्र हैं. अपडेट 103 की प्रतिक्षा में, साभार...
 
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