• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

whether this story to be continued?

  • yes

    Votes: 35 100.0%
  • no

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    35

Lovely Anand

Love is life
1,320
6,474
144
आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
Smart-Select-20210324-171448-Chrome
भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

Ajju Landwalia

Well-Known Member
3,263
12,768
159
Shandar update Lovely Bhai,

Sugna aur Sonu ke milan se upja ye pap jo ab Sugna ke ji janjaal ban chuka he..........

Moni ab Vidhyanand ke aashram me pahuch gayi he, lekin Ratan ab Madhuri ke prati aakrashit ho chuka aur use bhogna ki prabal ichcha bhi rakhta he....

Lali kaise ab Sonu ko abortion ke liye manayegi ye bhi dekhne wali bat he.........

Keep posting Bhai
 

Royal boy034

Member
231
669
93
भाग 106

सोनू पास पहुंचकर उसकी मदद करना चाह रहा था परंतु सुगना बदहवास थी उसने हाथ हिलाकर सोनू को रुकने का इशारा किया और बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू कर बाहर आई।


"दीदी मोनी मिल गईल" सोनू ने चहकते हुए बताया और उसके पैरो पर गिर पड़ा।

सुगना के चेहरे पर थोड़ा मुस्कान आई जिसे झुक चुका सोनू देख भी ना पाया…सुगना पीछे हटी वह एक बार फिर बाथरूम में घुस गई शायद अपनी उल्टीओ पर उसने जो क्षणिक नियंत्रण पाया था वह छूट चुका था..


सोनू ने सुगना को पीछे हटते देख सोनू डर गया क्या सुगना दीदी ने उसे अब भी माफ नहीं किया है?

अब आगे…..

सुगना एक बार फिर उल्टी करने की कोशिश कर रही थी सोनू एक बार फिर सुगना के पीछे आकर खड़ा हो गया और उसकी नंगी पीठ पर थपकीया दें कर उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था…. सुगना बार-बार पीछे मुड़कर सोनू की तरफ देखती उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह सोनू को मना करें या नहीं इतना तो सुगना भी समझ रही थी कि सोनू का यह प्यार पूर्णतया वासनाविहीन था।

कुछ देर की जद्दोजहद के बाद आखिरकार सुगना सामान्य हुई और अपने गीले चेहरे को पोछती हुई बाहर हाल में आ गई…

अब तक लाली भी बाजार से वापस आ चुकी थी। सोनू को देखकर वह खुश हो गई। उसने सोनू से पूछा

"मोनी मिलली सोनू" मोनी के बारे में जानने की अधीरता उसके चेहरे पर देखी जा सकती थी।


" हां दीदी विद्यानंद महाराज के आश्रम में भर्ती हो गईल बाड़ी …हम उनका से बात करें के कोशिश कइनी पर बुझाता ऊ घर के आदमी से मिले नईखी चाहत । बाकी देखे सुने में ठीक रहली और अपना टोली में मस्त रहली हा"

सोनू की बातें सुनना भी ध्यान लगाकर सुन रही थी सुगना ने कई दिनो बाद सोनू से प्रश्न किया …

"तोहरा से बात ना कईलास हा का"

"ना दीदी हम संदेशा भी भेजनी पर ऊ ना अइली हा"


सुगना एक तरफ तो मोनी के मिल जाने से खुश थी वहीं दूसरी तरफ मोनी को हमेशा के लिए खोने का दर्द वह महसूस कर पा रही थी। परंतु मोनी ने वैराग्य क्यों धारण किया? यह उसकी समझ से परे था।

न जाने इस परिवार को हुआ क्या था। एक के बाद एक लोग घर छोड़कर बैरागी बनते जा रहे थे। पहले सुगना का पति रतन और उसकी बहन मोनी ….उसके ससुर तो न जाने कब से वैराग्य धारण कर न जाने कहां घूम रहे थे। सुगना को एहसास भी न था कि विद्यानंद उसके अपने ससुर थे..

खैर जो होना था सो हुआ। सुगना ने अपनी खाने की प्लेट उठाई और वापस उसे रसोई में रखने चली गई। लाली ने सुगना से कहा

"सोनू के लिए भी नाश्ता निकाल दे"

लाली फिर सोनू की तरफ मुखातिब हुई और बेहद प्यार से बोली …

"जा सोनू बाबू मुंह हाथ धो ल " आज लाली के मुख से अपने लिए बाबू शब्द सुनकर सोनू को पुराने दिनों की याद आ गई जब लाली उसे इसी तरह प्यार करती थी…अचानक सोनू के लंड में तनाव आ गया यह प्यार ही तो उससे और उत्तेजित कर देता था।

शब्दों को कहने का भाव रिश्तो की आत्मीयता और परस्पर संबंधों को उजागर करता है बाबू ..सोना ..मोना ..यह सारे शब्द अलग-अलग स्थितियों में अलग-अलग भाव उत्पन्न करते हैं.. और आप अपनी अपनी भावना के अनुसार उसने वात्सल्य या वासना खोज लेते हैं

सोनू सुगना सोनू के लिए नाश्ता निकालने लगी परंतु जैसे ही सब्जी की गंध उसके नथुनों में पड़ी एक बार वह फिर उबकाई लेने लगी…सुगना भाग कर बाथरूम में आई…. इस बार सुगना के पीछे सोनू की बजाय लाली खड़ी थी

"अरे ई तोहरा अचानक का भइल पेट में कोनो दिक्कत बा का? " लाली ने पूछा

" ना ना असही आज मन ठीक नईखे लागत " सुगना ने बड़ी मुश्किल से ये कहकर बात छुपाने की कोशिश की…और अपने पंजों से लाली को इशारा कर और बात करने से रोकने की कोशिश की…इस स्थिति में किसी भी प्रश्न का जवाब दे पाना सुगना के लिए भारी पड़ रहा था वह अपनी उल्टी समस्या से कुछ ज्यादा ही परेशान थी।

बेवजह उबकाइयां आने का कारण कुछ और ही था। इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपते और सुगना और सोनू ने जो किया था उस अद्भुत मिलन ने सुगना के गर्भ में अपना अंश छोड़ दिया था सुगना के गर्भ में उस अपवित्र मिलन का पाप जन्म ले चुका था..

सुगना के शरीर में आ रहे बदलाव से सुगना बखूबी वाकिफ थी। आज सुबह-सुबह की उल्टी ने उसके मन में पल रहे संदेह को लगभग यकीन में बदल दिया। जब से उसकी माहवारी के दिन बढ़ गए थे तब से ही वह चिंतित थी और आज बेवजह की उबकाइयों ने उसके यकीन को पुख्ता कर दिया था।


हे भगवान तूने यह क्या किया? सुगना अपने हाथ जोड़े अपने इष्ट से अनुनय विनय करती और अपने किए के लिए क्षमा मांगती परंतु परंतु उसके गर्भ में पल रहा वह पाप अपना आकार बड़ा रहा था।

सुगना मन ही मन सोच रही थी निश्चित ही आज नहीं तो कल यह बात बाहर आएगी। वह क्या मुंह दिखाएगी? घर में सोनी और लाली उसके बारे में क्या सोचेंगे ? और तो और इस बच्चे के पिता के लिए वह किसका नाम बताएंगी? और जब यह बात घर से निकल कर बाहर जाएगी सलेमपुर सीतापुर और स्वयं बनारस में उसके जानने वाले…इतना ही सुगना सोचती उतना ही परेशान होते एक पल के लिए उसके मन में आया कि वह जल समाधि ले ले परंतु उसकी आंखों के सामने उसके जान से प्यारे सूरज और मधु का चेहरा घूम गया अपने बच्चों को बेवजह अनाथ करना सुगना के व्यक्तित्व से मेल नहीं खाता था उसने तरह तरह के विचार मन में लाए पर निष्कर्ष पर पहुंचने में असफल रही।

दोपहर बड़ी कशमकश में बीती और शाम होते होते एक बार फिर उल्टियो का दौर चल पड़ा। अब तक परिवार की छोटी डॉक्टरनी नर्स सोनी आ चुकी थी।

अपनी बहन सुगना को उबकाई लेते हुए देख वह भी परेशान हो गई। उसने सोनू को उठाया और बोला

"भैया जा कर हई दवाई ले ले आवा दीदी के उल्टी खातिर"


सोनू तो सुगना के लिए आसमान से तारे तोड़ कर ला सकता था दवाई क्या चीज थी। वह भागते हुए मेडिकल स्टोर की तरफ गया और जाकर दवाइयां ले आया। लाली और सुगना अगल-बगल बैठी थीं लाली सुगना की हथेलियों को पकड़कर सहला रही थी और उसे उबकाई की प्रवृति को भूलने के लिए प्रेरित कर रही थी।

सोनी कमरे में आई और सोनू उसके पीछे पीछे गिलास में पानी लिए खड़ा था…" दीदी ई दवा खा लाउल्टी ना आई… आज दिन में का खाइले रहलू की तहार पेट खराब हो गईल बा"

सुगना क्या बोलती …उसे जो हो रहा था वह वह उसके ऊपरी होठों के द्वारा नहीं अपितु निचले होठों द्वारा खाया गया था…और वह था सामने खड़े अपने छोटे भाई सोनू का मजबूत लंड. सुगना ने दवा न खाई बेवजह दवा खाने का कोई मतलब भी ना था।


सुगना दो बच्चों की मां पहले से थी उसे शरीर में आ रहे बदलाव के बारे में बखूबी जानकारी थी। सुगना ने बात बदलते हुए कहां

"ना दवाई की जरूरत नईखे …. असही ठीक हो जाई। सवेरे बांसी मटर खा ले ले रहनी ओहि से उल्टी उल्टी लागत बा"

सुगना ने एक संतोषजनक उत्तर खोज कर सोनी और सोनू को शांत कर दिया। वह दोनों लाख पढ़े होने के बावजूद स्त्री शरीर में आ रहे बदलावों से अनभिज्ञ थे। और सोनू वह तो न जाने कितनी बार लाली को चोद चुका था कभी उसकी बुर में वीर्य भरता कभी शरीर पर मलता और न जाने क्या-क्या करता उसे इस बात का एहसास न था कि एक बार गर्भ में छोड़ा गया वीर्य भी गर्भ धारण करा सकता था।

सोनू के अनाड़ीपन को लाली ने अपना कवच दे रखा था जब जब सोनू उसके अंदर अपना वीर्य स्खलन करता लाली तुरंत ही गर्भ निरोधक दवा खा लेती। और अपने खेत को तरोताजा बनाए रखती।

शाम हो चुकी थी..अब तक अब तक घर के सारे बच्चे सोनू के साथ बाहर जाने के लिए तैयार हो गए थे। मामा मामा.. कहते हुए वह सोनू से तरह-तरह की चीजें खिलाने की मांग करते। कुछ ही देर में सोनू अपने भांजे भांजियों के साथ नुक्कड़ पर चाट पकौड़ी खाने चल पड़ा सोनी भी सोनू के साथ गई छोटी मधु और सुगना पुत्र रघु दोनों को अपनी गोद की दरकार थी।

छोटी मधु अपने पिता सोनू की गोद में थी और सुगना तथा स्वर्गीय राजेश के वीर्य से उत्पन्न छोटा रघु सोनी की गोद में। सोनी ने रघु को कई दिनो बाद अपनी गोद में लिया था…

बच्चों - बच्चों में भी अलग आकर्षण होता है कुछ बच्चे कुछ विशेष व्यक्तियों को बेहद पसंद करते हैं और बड़े भी किसी विशेष बच्चे को कुछ ज्यादा ही प्यार करते हैं

सोनी के हिस्से का सारा प्यार सूरज ले गया था और बचा खुचा मधु… लाली के घर के बच्चों में से सामान्यतः उसकी बेटी रीमा ही सोनी के साथ सहजता से खेलती परंतु आज रघु उसकी गोद में था।


धीरे धीरे चलते हुए सोनी और सोनू सड़क पर आ गए बच्चे भी लाइन लगाकर चल रहे थे।

उस दौरान सड़कों पर आवागमन इतना ज्यादा न था पर फिर भी सोनू और सोनी सतर्क थे। सोनी के कहा "लाइन में रह लोग.. इने उने मत जा लोग"

अचानक सोनी का ध्यान भंग हुआ। उसकी गोद में बैठा रघु अपने हाथों से सोनी की चूचियां छू रहा था.. वह कभी उसकी कमीज के ऊपर से अपना हाथ डालकर उसकी नंगी चूचियां छूने का प्रयास करता और सोनी बार-बार उसके हाथों को हटाकर दूर कर देती। परंतु न जाने उस बालक को कौन सी प्रेरणा मिल रही थी (शायद अपने स्वर्गीय पिता राजेश से) वह बार-बार अपने हाथ सोनी की चूचियों में डाल देता और एक बार तो हद ही हो गई जब उसने अपनी मासूम उंगलियों से सोनी के निप्पलो को पकड़ लिया…। सोनी ने उसके गाल पर एक मीठी चपत लगाई और बोला

"बदमाशी करबा त नीचे उतार देब"

रघु ने कुछ देर के लिए तो हाथ हटा लिए पर उसे जो आनंद आ रहा था यह वही जानता था। थोड़ी ही देर में नुक्कड़ आ गया और बच्चे धमाचौकड़ी मनाते हुए अपनी सुगना मां / मौसी के गर्भवती होने का जश्न मनाने लगे और उस अनचाहे बच्चे का पिता अनजाने में ही उन्हें खिला पिला रहा था पार्टी दे रहा था। नियति मुस्कुरा रही थी।

उधर घर में सुगना एक बार फिर बाथरूम में थी। बाहर आते ही लाली ने सुगना के कंधे पकड़कर पूछा..

" ए सुगना हमरा डर लागता… कुछ बात बा का? हम तोहार सहेली हई हमरा से मत छुपाओ बता का भईल बा.."

सुगना से अब और बर्दाश्त ना हुआ… पिछले कई दिनों से उसने लाली से कोई बात ना की थी परंतु उसे पता था लाली और वह एक दूसरे से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकती थीं। लाली के बिना उसका जीवन अधूरा था और अब वह जिस मुसीबत में पड़ चुकी थी उससे निकालने में सिर्फ और सिर्फ लाली ही उसकी मदद कर सकती थी।

सुगना अपनी भावनाओं पर और काबू न रख पाई और लाली के गले लग कर फफक फफक कर रो पड़ी। लाली उसकी पीठ पर हाथ फेर रही थी …

सुगना ने अपने पेट में आए गर्भ के बारे में लाली को बता दिया। सुगना को पूरा विश्वास था कि यह उसके शरीर में आया बदलाव उसी कारण से है। फिर भी तस्दीक के लिए लाली पास के मेडिकल स्टोर पर गई और प्रेगनेंसी किट खरीद कर ले आई।

कुछ ही देर में यह स्पष्ट हो गया कि सुगना गर्भवती थी ।

लाली ने न तो उस गर्भस्थ शिशु के पिता का नाम पूछा न हीं सुगना से कोई और प्रश्न किया । लाली जानती थी कि सुगना किसी और से संबंध कभी बना ही नहीं सकती थी। यदि उस बच्चे का कोई पिता होगा तो वह निश्चित ही सोनू ही था। उस दीपावली की रात सुगना और सोनू के बीच जो हुआ था यह निश्चित ही उसका ही परिणाम था…. स्थिति पलट चुकी थी।

सुगना लाली से और बातें करना चाहती थी । उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि लाली ने बच्चे के पिता के बारे में जानने की कोई कोशिश न की थी? सुगना उत्तर अपने होंठो पर लिए लाली के प्रश्न का इंतजार कर रही थी पर लाली को जिस प्रश्न का उत्तर पता था उसे पूछ कर वह सुगना को और शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी।

दोनों सहेलियां परेशान थीं। एक दूसरे का हाथ थामें दोनों अपना दिमाग दौड़ा रही थी। लाली इस बच्चे के पिता के लिए कोई उचित नाम तलाश रही थी। परन्तु सुगना जैसी मर्यादित और सभ्य युवती का अनायास ही किसी मर्द से चुद जाना संभव न था।


आखिरकार सुगना ने मन ही मन प्रण किया और बोला

"हम अब अपना भीतर ई पाप के ना राखब हम इकरा के गिरा देब"

उस दौरान एबॉर्शन एक सामान्य प्रक्रिया न थी। एबॉर्शन के लिए कई सारे नियम कानून हुआ करते थे। सुगना ने जो फैसला लिया जो लाली को भी सर्वथा उचित लगा। बस लाली को एक बात का ही दुख था कि यह गर्भ सोनू और सुगना के मिलन से जन्मा था और उसमें सोनू का अंश था ।

परंतु जब सुगना ने फैसला ले लिया तो लाली उसके साथ हो गई। परंतु यह एबॉर्शन होगा कैसे? इसके लिए पिता और माता दोनों की सहमति आवश्यक है? हॉस्पिटल में जाने पर निश्चित ही इस गर्भ के पिता का नाम पूछा जाएगा और उनकी उपस्थिति पूछी जाएगी। हे भगवान! लाली ने सुगना से इस बारे में बात की। सुगना भी परेशान हो गई और आखिरकार लाली ने सुगना को सलाह दी..

" सुगना सोनू के साथ 1 सप्ताह खातिर बाहर चल जा ओहिजे इ कुल काम करा कर वापस आ जइहा। सोनू समझदार बा ऊ सब काम ठीक से करा ली एहीजा बनारस में ढेर दिक्कत होई। घर में सोनी भी बिया इकरा मालूम चली तो ठीक ना होई अभी कुवार लइकी बिया ओकरा पर गलत प्रभाव पड़ी। "

लाली को अभी सोनी की करतूतों का पता न था।

नियति मुस्कुरा रही थी….. लाली बकरी को कसाई के साथ भेजने की बात कर रही थी। जिस सुगना का उसके अपने ही भाई ने चोद चोद कर पेट फुला दिया था वह उस उसे उसके ही साथ अकेले जाने के लिए कह रही थी।

पर न जाने क्यों सुगना को यह बात रास आ गई । वैसे इसके अलावा और कोई चारा भी ना था। सोनू घर का अकेला मर्द था। पर यह प्रश्न अब भी कठिन था सोनू को यह बात कौन बताएगा? और सोनू को इस बात के लिए राजी कौन करेगा?

लाली सुगना की परेशानी समझ गई। उसने सुगना के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा

" तू परेशान मत होख… हम सोनू के सब समझा देब… अतना दिन राखी बंधले बाड़े मुसीबत में ऊ ना रक्षा करी त के करी" रक्षाबंधन का नाम सुनकर सुगना खो सी गई… सोनू और उसके बीच प्यार भरे दिन उसकी नजरों के सामने घूमने लगे कैसे वह मासूमियत आज वासना ने लील ली थी। सुगना को खोया हुआ देखकरपर लाली उसे आलिंगन में लेने के लिए आगे बढ़ी।

लाली और सुगना एक बार फिर गले लग गईं…चारों चूचियां एक बार फिर एक दूसरे को सपाट करने की कोशिश करने लगीं। लाली और सुगना में आत्मीयता एक बार फिर प्रगाढ़ हो गई थी। सुगना और लाली के बीच जो दूरियां बन गईं थी वह अचानक खत्म हो रही थीं।

दुख कई बार लोगो के मिलन का कारण बनता है आज लाली के गले लगकर सुगना खुश थी।

बाहर बच्चों की शोरगुल की आवाज आ रही थी। उनकी पलटन वापस आ चुकी थी। सुगना ने अपनी आंखों पर छलक आए आंसुओं को पोछा और शीशे के सामने खड़े हो अपने बाल सवारने लगी। सोनी और सोनू कमरे में आ गए। सोनू ने पूछा

"दीदी अब ठीक लागत बानू?" सुगना के दिमाग में फिर उस रात सोनू द्वारा कही गई यही बात घूमने लगी… कैसे सोनू उसे चोदते समय यह बात बड़े प्यार से पूछ रहा था…दीदी ठीक लागत बा नू"... उस चूदाई का परिणाम ही था कि आज सुगना परेशान थी…

सुगना ने बात को विराम देते हुए कहा

"हां अब ठीक बा चिंता मत कर लोग.."

सोनी ने सुगना के लटके हुए पैरों को पकड़ कर बिस्तर पर रखा और सिरहाने तकिया लगा कर बोली..

"दीदी आज तू आराम कर हम खाना बना दे तानी"

सोनू एक टक सुगना को देखे जा रहा था सुनना के चेहरे पर आया यह दर्द अलग था सोनू स्वयं को असहाय महसूस कर रहा था और मन ही मन सुगना के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहा था।

धीरे-धीरे कमरे से सभी एक-एक करके जाने लगे और सुबह अपनी पलकें मूंदे आने वाले दिनों के बारे में सोचने लगी वह कैसे सोनू के साथ अबॉर्शन कराने जाएगी?

आइए सुगना को उसके विचारों के साथ छोड़ देते हैं अपने ही भाई के साथ कुकृत्य कर गर्भधारण करना उसी के साथ गर्भ को गिराने के लिए जाना सच में एक दुरूह कार्य था।


उधर विद्यानंद के आश्रम में रतन मोनी को देखकर आश्चर्यचकित था। रतन मोनी को पहले से जानता था परंतु उसकी मोनी से ज्यादा बातचीत नहीं होती थी। विवाह के पश्चात वैसे भी रतन का गांव पर आना जाना दो-चार दिनों के लिए ही होता था। उस दौरान मोनी शायद ही कभी उससे मिलती।

परंतु पिछली बार सुगना को दिल से अपनाने के बाद जब वह पूजा में शरीक हुआ था उस दौरान मोनी और उसकी कई मुलाकाते हुई थी। मोनी स्वभाववश रिश्तेदारों से दूर ही रहती थी। उसने रतन से मुलाकात तो कई बार की परंतु कुछ देर की ही बातचीत में वह हट कर दूसरे कामों में लग जाया करती थी।

ऐसा नहीं था कि रतन मोनी से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करता उस दौरान तो वह सुगना का दिल जीतने में लगा हुआ था।

रतन को वैसे भी आश्रम बनाने का तोहफा दीपावली की रात मिल चुका था। रतन की निगरानी में बने उस विशेष आश्रम में भव्य उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया था जिसमें विद्यानंद स्वयं उपस्थित थे आश्रम में आने वाले लोग भारत देश के कई क्षेत्रों के अलावा देश विदेश से भी आए थे। आगंतुकों में अधिकतर विद्यानंद के अनुयाई ही थे बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश निषेध था।

विद्यानंद के आश्रम में संपन्नता की कोई कमी न थी और उनके अधिकतर अनुयाई धनाढ्य परिवारों से संबंध रखते थे और विदेश से आए लोगों का कहना ही क्या न जाने ऊपर वाले ने उनके हिस्से में कितनी संपत्ति आवंटित की थी जिससे वह जीवन का इतना लुत्फ ले पाते थे और कुछ तो सब कुछ छोड़ छाड़ कर विद्यानंद के आश्रम में शामिल हो गए थे कार्यक्रम आश्रम जैसा ही भव्य था और उस आश्रम के यजमान रतन और माधवी को बनाया गया था माधवी वहीं विदेशी कन्या थी जो विद्यानंद के इशारे पर रतन के साथ मिलकर इस आश्रम कि नियम और कानून बनाने में रतन की मदद कर रही थी।


रतन और मधावी ने दीपावली की रात उस अनूठे आश्रम के विशेष भवन में जाकर रतन के द्वारा बनाए गए विशेष कूपे का निरीक्षण किया। माधवी और रतन ने एक दूसरे के शरीर को जी भर कर महसूस किया रतन वैसे भी एक दमदार हथियार का स्वामी था और विदेशी बाला माधवी उतनी ही सुकुमार चूत की स्वामिनी थी…माधुरी की गोरी चूत में रतन का काला लंड घुसने को बेताब था परंतु उस कूपे में यह व्यवस्था न थी। नियति ने रतन और माधवी के लिए जो सोच रखा उसे घटित तो होना था पर वह दीपावली की रात ने उनका साथ न दिया।.

उधर बनारस में रात्रि के भोजन के पश्चात सब अपने-अपने स्थान पर सोने चले गए.. सुगना की आंखों में आज नींद फिर गायब थी वह अपने गर्भ में आए उस पाप के प्रतीक को मिटा देना चाहती थी परंतु कैसे? यह प्रश्न उसके लिए अभी भी यक्ष प्रश्न बना हुआ था ।

लाली ने जो सुझाव दिया वह वैसे तो देखने में आसान लग रहा था परंतु अपने ही भाई के साथ जाकर उसके ही द्वारा दिए गए गर्भ को गर्भपात कराना …..एक कठिन और अनूठा कार्य था।

सुगना की सहेली लाली सोनू के कमरे में एक बार फिर सोनू को खुश करने के लिए सज धज कर तैयार थी। सोनू भी आज सहज प्रतीत हो रहा था मोनी के मिल जाने के बाद सुगना के व्यवहार को देखकर उसे कुछ तसल्ली हुई थी परंतु लाली जो धमाका करने जा रही थी सोनू उससे कतई अनभिज्ञ था…

जैसे ही लाली करीब आए सोनू ने पीछे से आकर उसकी चूचियां अपनी हथेलियों में भर ली और बोला..

"दीदी इतना दिन से कहां भागल भागल फिरत बाडु "

"अब हमरा से का चाहीँ कूल प्यार त सुगना में भर देला" लाली ने बिना नजरे मिलाए सटीक प्रहार किया..

सोनू को कुछ समझ में न आया अब तक उसका खड़ा लंड लाली के नितंबों में धसने लगा था वह चुप ही रहा । लाली की पीठ और सोनू के सीने के बीच दूरियां कम हो रही थी परंतु लाली सोनू को छोड़ने वाली न थी। अपनी सहेली सुगना को उसकी समस्या से निजात दिलाना उसकी पहली प्राथमिकता थी लाली ने कहा…

शेष अगले भाग में …
बहुत हि रोमांचीत हुए जा रही है स्टोरी
 

Lovely Anand

Love is life
1,320
6,474
144
Bahut hi lawajab super updated
Thanks
Lovely Anand ji, please mujhe update 101 aur 102 send kijiye..
Jaroor...
Manoram aur saryu singh ke kirdaar ko bhi saath chalne dijiye Sir..
Good...let us see
Manorama..
Okkk
अब कहानी मे ऐसा हुवा कि सगुना का गर्भ ठहर गया है लेकिन यह गर्भ सोनु से हो गया यह बात लाली और सगुना पता है लेकिन यह बात अगर बात बाहर पता चली तो बहोत बुरि हो सकती है इसलिये यह बात जल्द जल्द सोनु को लाली बता दे और सगुना का गर्भपात कर के सगुना टेन्शन कम कर दे| अब वक्त आ गया है कि जो सच सोनु को मालुम है वो सगुना बता कर जो सगुना के मन जो गलत वीचर है वह सब कम हो जाये और सगुना का टेन्शन कम कर दे |
सच सुगना के लिए कठिन घड़ी है।
Nice update
Thanks
Extraordinary narration of nice and fab events though not that much congenial.
Thanks but why congenial
Very erotic and sexy update
Thanks
Anokha update 😍
Tks
बेहतरीन लिखा है। मेरी भी कहानी आगे बढ़ने लगी है देखते हैं आगे क्या होता है।
थैंक्स
Shandar update Lovely Bhai,

Sugna aur Sonu ke milan se upja ye pap jo ab Sugna ke ji janjaal ban chuka he..........

Moni ab Vidhyanand ke aashram me pahuch gayi he, lekin Ratan ab Madhuri ke prati aakrashit ho chuka aur use bhogna ki prabal ichcha bhi rakhta he....

Lali kaise ab Sonu ko abortion ke liye manayegi ye bhi dekhne wali bat he.........

Keep posting Bhai
Agala episod me ऐसा ही कुछ होने वाला है
101 se 104 tk wala send krdo
पहले तो आपके कहानी के पटल पर आने के धन्यवाद...

101 भेज दिया है
101 se 104 tk wala send krdo

As your story is a erotic master piece but episode 90-91-101-102 are missing how ???
90aur 91 bhej diya hai welcome to story
 
Top