• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

whether this story to be continued?

  • yes

    Votes: 35 100.0%
  • no

    Votes: 0 0.0%

  • Total voters
    35

Lovely Anand

Love is life
1,320
6,474
144
आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
Smart-Select-20210324-171448-Chrome
भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

Lovely Anand

Love is life
1,320
6,474
144
भेजिए जी सब्र नहीं हो रहा

Bahut hee jabardast update raha 109 gajab ghumav aaya hai khani main … adhbhut 👏🏻👏🏻👏🏻
Thanks
Ab 110 ki pratiksha thodi mushkil hone wali pathakon ke liye…


Sir 109 wali update bej dejeye

Update 109 bhejne ke liye sukriya
Ab to sonu aur sugna ka milan sambhav hone wala h kuchh update mein soni aur saryu singh ka bhi milan ho jaye to mza hi aa jaye
Thanks
Please send me update 109


Kahani jaise jaise aage chal rahi hai wsise aur behtreen hoti jaa rahi
Thanks
Pls send 109

Plzz send 109

Kindly send update 109 sir ji.

Not rec this time

अभी तक कोई मैसेज नहीं मिला है

Kya Lovely Anand bhai hum bhi readers hai aur review bhi dete rahte hai....par Sir Aap sirf selective logo ko update bhejte ho vo galat hai.
BAKI APKI STORY SIR JEE.....INTZAAR RAHEGA UPDATE KA

Read it last two update today
Story is going very good
Let's see what's happened to Sonu and sugna next

Plz send new update 109also

अपडेट - 109
जैसा कि मैंने पहले ही अनुमान लगाया था कि सुगना सोनू के फैसले से प्रभावित होगी, हुआ भी ठीक वैसा ही।
शायद बनारस वापस आकर अब सुगना सोनू के बारे में कुछ सही फैसला लें।
सोनी और विकास की पोल खुलने पर शायद सोनू बीच में आकर सोनी का बचाव करेगा।
बाकी नियति के हाथ में...................
अगले अपडेट के लिए प्रतीक्षारत
Shayad aap bhi kahani ko dhyaan se padhti hain...thanks
Nice update.
Send me update 109

Pls send me update 109

Please send 109 part of this story, Thanks,

प्रिय पाठको आप सभी को अपडेट 109 भेज दिया गया है शायद एक या दो पाठकों को यह अपडेट भेजने में में असफल रहा हूं इसका कारण शायद उन्होंने डायरेक्ट मैसेज भेजने को अपनी सेटिंग्स में डिसएबल किया हुआ है कृपया जिन्हें इस कारण से अपडेट नहीं मिला है वह अपनी सेटिंग को ठीक कर दोबारा अनुरोध कर सकते हैं.

मैंने बार-बार आप सब से अनुरोध किया है कि यदि आप इस कहानी के सक्रिय पाठक है तो हर एपिसोड के बाद चंद लाइने लिखकर लेखक से अपने जुड़ाव का परिचय देते रहे ताकि दो तरफा संवाद जारी रहे.

एक तरफा कहानी पोस्ट करना मुझे अटपटा सा लगता है ऐसा लगता है ऐसा लगता है जैसे जिन लोगों के लिए मैं अपना समय खर्च करता हूं शायद उन्हें इसकी जरूरत ही नहीं है.

खैर मेरी यह मांग सदा से रही है और आगे भी रहेगी और मैं संतुष्ट होने के बाद कहानी को इसी तरह आगे बढ़ाता रहूंगा जिन पाठकों में पटल पर आकर कहानी से जुड़ा दिखाया है उन्हें एक बार फिर दिल से धन्यवाद जुड़े रहे आनंद लेते रहें
 

Kammy sidhu

Member
257
515
108
भाग 108

कान पकड़कर सुगना से मिन्नते करता सोनू नियति को बेहद मासूम लग रहा था। सुगना को ऐसा लगा जैसे शायद सोनू और उसका यह मिलन एक संयोग था और उन दोनो के लिए एक सबक था। परंतु सोनू के मन में कुछ और ही चल रहा था नियति सोनू के दिमाग से खेल रही थी।

सुगना ने सोनू के सर पर हाथ रखते हुए कहा

"अब जा सुत रहा देर हो गइल बा काल सुबह अस्पताल जाए के भी बा"


सुगना और सोनू एक बार बिस्तर पर पड़े छत को निहार रहे थे…नियति सोनू और सुगना के मिलन की पटकथा लिख रही थी…


अब आगे…

अब से कुछ देर पहले माफी के लिए मिन्नतें कर रहे सोनू के सर पर हाथ फेर सुगना ने अपनी नाराजगी कम होने का संकेत दे दिया था। यह बात सुगना बखूबी जान रही थी कि उस पर आई इस आफत का कसूरवार सोनू था.. परंतु इसमें कुछ हद तक वह स्वयं भी शामिल थी।

डबल बेड के बिस्तर पर एक किनारे सुगना और दूसरे किनारे सोनू सो रहा था दोनों छोटे बच्चे सूरज और मधु बीच में सोए थे और गहरी नींद में जा चुके थे। सिरहाने पर अपना सर ऊंचा किए सुगना करवट लेकर लेटी हुई थी। सुगना का हाथ छोटी मधु के सीने पर था। सुगना का मासूम और प्यारा चेहरा नाइट लैंप की रोशनी में चमक रहा था।


सोनू उसे एकटक देखे जा रहा था। सुगना की आंखें बंद अवश्य थीं परंतु उसके मन में कल होने वाली संभावित घटनाओं को लेकर कई विचार आ रहे थे अचानक सुगना ने अपनी आंखें खोल दी और सोनू को अपनी तरफ देखते हुए पकड़ लिया।

"का देखत बाड़े? हमरा काल के सोच के डर लागत बा…"

सोनू अंदर ही अंदर बेहद दुखी हो गया। निश्चित ही सुगना कल एक अप्रत्याशित और अवांछित पीड़ा से गुजरने वाली थी। अपनी नौकरी लगने के बाद सोनू सुगना के सारे अरमान पूरे करना चाहता था उसे ढेरों खुशियां देना चाहता था…और सुगना की रजामंदी से उसे प्यार कर उसकी शारीरिक जरूरतें पूरी करना चाहता था और उसके कोमल बदन अपनी बाहों में भर अपनी सारी हसरतें पूरी करना चाहता था। परंतु वासना के आवेग में और लाली के उकसावे पर की गई उसकी एक गलती ने आज यह स्थिति पैदा कर दी थी।


सोनू कुछ ना बोला…अपनी बहन सुगना को होने वाले संभावित कष्ट के बारे में सोचकर वह रुवांसा हो गया। उसकी आंखें नम हो गई और उसने करवट लेकर अपनी नम आंखें सुगना से छुपाने का प्रयास किया परंतु सफल न हो पाया…

सुगना सोनू के अंतर्मन को पढ़ पा रही थी।सुगना के जीवन में वैसे भी संवेदनाओं का बेहद महत्व था। सोनू के दर्द को सुगना समझ पा रही थी अंदर ही अंदर पिघलती जा रही थी उसका सोनू के प्रति गुस्सा धीरे-धीरे खत्म हो रहा था।

अगली सुबह सुगना और सोनू अपने दोनों छोटे बच्चों के साथ डॉक्टर के केबिन के बाहर थे…

प्रतीक्षा हाल में बैठे सोनू और सुगना को देखकर हर कोई उन्हें एक नजर अवश्य देख रहा था आस पास बैठी महिलाएं आपस में खुसुर फुसुर कर रही थी.. ऐसी खूबसूरत जोड़ी…जैसे मां बाप वैसे ही ख़ूबसूरत बच्चे। जैसे सोनू और सुगना दोनों का सृजन ही एक दूसरे के लिए हुआ हो।

प्रतिभा सिंह…. नर्स ने पुकार लगाई। सोनू अपने ख्यालों में खोया हुआ था उसे यह बात खुद भी ध्यान न रही कि उसने अपॉइंटमेंट प्रतिभा सिंह के नाम से ली थी। सुगना को तो जैसे एहसास भी न था कि सोनू ने इस अबार्शन के लिए उसका नाम ही बदल दिया है।

प्रतिभा सिंह कौन है नर्स ने फिर आवाज़ लगाई। सोनू सतर्क हो गया वह उठा और सुगना को भी उठने का इशारा किया सुगना विस्मय भरी निगाहों से सोनू की तरफ देख रही थी परंतु सोनू ने अपने हाथ से इशारा कर उठाकर सुगना को धीरज रखने का संकेत दिया और अपने पीछे पीछे आने के लिए कहा कुछ ही देर में दोनों नर्स के पास थे।

सुगना का रजिस्ट्रेशन कार्ड बनाया जाने लगा नाम प्रतिभा सिंह…पति का नाम…

नर्स ने सोनू से पूछा अपना नाम बताइए..


संग्राम सिंह…

अपना परिचय पत्र लाए हैं..

सोनू ने एसडीएम जौनपुर का आईडी कार्ड नर्स के समक्ष रख दिया शासकीय आई कार्ड की उस दौरान बेहद अहमियत होती थी नर्स ने एक बार कार्ड को देखा फिर एक बार सोनू के मर्दाना चेहरे को। वह खड़ी तो न हुई पर उसने अपनी जगह पर ही हिलडुल कर सोनू को इज्जत देने की कोशिश अवश्य की और आवाज में अदब लाते हुए कहा

"सर आप मैडम को लेकर वहां बैठिए मैं तुरंत ही बुलाती हूं"

नर्स ने रजिस्ट्रेशन कार्ड सुगना के हाथ में थमा दिया सुगना बार-बार रजिस्ट्रेशन कार्ड पर लिखा हुआ अपना नया नाम पढ़ रही थी और पति की जगह संग्राम सिंह उर्फ सोनू का नाम देखकर न जाने उसके अंतर्मन में क्या क्या विचार आ रहे थे…

कुछ ही देर में सोनू और सुगना डॉक्टर के केबिन में थे डॉक्टर एक अधेड़ उम्र की महिला थी…


सुगना और सोनू को दोनों बच्चों के साथ देख कर वह यह यकीन ही नहीं कर पा रही थी कि सुगना दो बच्चों की मां है। उससे रहा न गया उसने सुगना से पूछा

"क्या यह दोनों आपके ही बच्चे हैं ?"

"ज …जी…" सुगना आज खुद को असहज महसूस कर रही थी। हमेशा आत्मविश्वास से लबरेज रहने वाली सुगना का व्यवहार उसके व्यक्तित्व से मेल नहीं खा रहा था।

विषम परिस्थितियां कई बार मनुष्य को तोड़ देती हैं.. सुगना अपने पाप के बोझ तले असामान्य थी और … घबराई हुई सी थी।

" लगता है आप दोनों की शादी काफी पहले हो गई थी"

सुगना को चुप देखकर डाक्टर ने खुद ही अपने प्रश्न का उत्तर देकर सुगना को सहज करने की कोशिश की..

डॉक्टर को सोनू और सुगना के यहां आने का प्रयोजन पता था… उसने देर न की। सुगना का ब्लड प्रेशर लेने और कुछ जरूरी सवालात करने के पश्चात उसने सुगना को केबिन के दूसरी तरफ बैठने के लिए कहा और फिर सोनू को अपने पास बुला कर उस से मुखातिब हुई…

डॉक्टर ने सोनू को अबॉर्शन पर होने वाले खर्च और प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी…डॉक्टर ने उसे इस प्रक्रिया के दर्द रहित होने का आश्वासन दिलाया।

सोनू ने खुश होते हुए कहा..

"डॉक्टर साहब आप पैसे की चिंता मत कीजिएगा बस सुगना दी….जी" को कोई कष्ट नहीं होना चाहिए।

स्वाभाविक रूप से सोनू के मुख से सुगना के नाम के साथ दीदी शब्द ही निकला जिसका आधा भाग तो उसके हलक से बाहर आया परंतु आधा सोनू ने निगल लिया और दी की जगह जी कर अपनी इज्जत बचा ली।

सुगना …? डाक्टर चौंकी

"वो …सुगना इनका निक नेम है…" सोनू ने मुस्कुराते हुए डाक्टर से कहा..पर अपने दांतों से अपनी जीभ को दबाकर जैसे उसे दंड देने की कोशिश की..

शायद सोनू खुशी में कुछ ज्यादा ही जोशीला हो गया था उसकी बातें सुगना ने सुन लीं। अपने प्रति सोनू के प्यार को जानकर सुगना प्रसन्न हो गई…डाक्टर ने आगे कहा

"हां एक बात और आप दोनों का परिवार पूरा हो चुका है मैं आपको यही सलाह दूंगी कि नसबंदी करा लीजिए"।

"किसकी.?" .सोनू ने आश्चर्य से पूछा..

"या तो अपनी या अपनी पत्नी की" डाक्टर ने मुस्कुराते हुए कहा…यदि फिर कभी आप दोनों से गलती हुई तो अगली बार एबॉर्शन कराना और भी भारी पड़ेगा…

"एक और मुसीबत" सोनू बुदबुदा रहा था..पर डाक्टर ने सोनू के मन की बात बढ़ ली।

अरे यह बिल्कुल छोटा सा ऑपरेशन है खासकर पुरुषों के लिए तो यह और भी आसान है महिलाओं के ऑपरेशन में तो थोड़ी सर्जरी करनी पड़ती है परंतु पुरुषों का ऑपरेशन तो कुछ ही देर में हो जाता है..

"ठीक है डॉक्टर मैं बाद में बताता हूं"

डॉक्टर ने नर्स को बुलाकर सोनू और सुगना को प्राइवेट रूम में ले जाने के लिए कहा और कुछ जरूरी हिदायतें दी। सुगना और सोनू अपने दोनों छोटे बच्चों के साथ हॉस्पिटल के प्राइवेट कक्ष में आ चुके थे।

हॉस्पिटल का वह कमरा होटल के कमरे के जैसे सुसज्जित था। दीवार पर रंगीन टीवी और ऐसो आराम की सारी चीजें उस कमरे में उपलब्ध थी। सोनू के एसडीएम बनने का असर स्पष्ट तौर पर दिखाई पड़ रहा था। हॉस्पिटल में लाइन लगाकर इलाज पाने वाली सुगना आज एक रानी की भांति हॉस्पिटल के आलीशान प्राइवेट कक्ष में बैठी थी। परंतु बाहरी आडंबर और तड़क भड़क उसके मन में चल रही हलचल को रोक पाने में नाकाम थे। सोनू उसके बगल में बैठ गया और फिर उसकी हथेली को अपने हाथ से सहला कर उसे तसल्ली देने की कोशिश कर रहा था..

सोनू ने आखरी बार सुगना से पूछा…

"इकरा के गिरावल जरूरी बा?"

सुगना सुबकने लगी…वह मजबूर थी…

"समाज में का मुंह देखाईब…लोग इकर बाप के नाम पूछी तब?" सुगना के चेहरे पर डर और परेशानी के भाव थे…

सोनू के पास कोई उत्तर न था वह चुप ही रहा तभी सुगना ने दूसरा प्रश्न किया

" ऊ डॉक्टर नसबंदी के बारे में का कहत रहली हा…ई का होला?

सोनू अपनी बहन सुगना से क्या बात करता .. उसे पता था कि सुगना का जीवन वीरान है जिस युवती को उसका पति छोड़ कर चला गया हो और जिसके जीवन में वासना का स्थान रिक्त हो उसे नसबंदी की क्या जरूरत थी…फिर भी उसने कहा…

"ऊ बच्चा ना हो एकरा खातिर छोटा सा आपरेशन होला…"

सुगना ने पूरा दिमाग लगाकर इस समझने की कोशिश की परंतु आधा ही समझ पाई। इससे पहले की वह अगला प्रश्न पूछती 2 - 3 नर्स कमरे में आई उन्होंने सुगना को हॉस्पिटल के वस्त्र पहनाए और उसे लेकर जाने लगी सोनू को एक पल के लिए ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई उसके कलेजे के टुकड़े को उससे दूर कर रहा हो..

सोनू सुगना को होने वाले संभावित कष्ट को सोचकर भाव विह्वल हो रहा था। छोटा सूरज भी अपनी मां को जाते देख दुखी था..

सुगना …सोनू के पीछे कुछ दूर खड़े सूरज के पास अपनी बाहें फैलाए हुए आ रही थी.. वह सूरज को शायद अपनी गोद में उठाना चाहती थी परंतु न जाने क्यों सोनू को कौन सा भ्रम हुआ सोनू की भुजाएं सुगना को अपने आलिंगन में लेने के लिए तड़प उठी..

परंतु मन का सोचा हमेशा सच हो या आवश्यक नहीं..

सुगना सोनू को छोड़ अपने पुत्र सूरज के पास पहुंचकर उसे गोद में उठा चुकी थी और उसके माथे तथा गाल को चुनने लगी..

परंतु सूरज विलक्षण बालक था उसने एक बार फिर सुगना के होठ चूम लिए…

पास खड़ी नर्सों को यह कुछ अटपटा अवश्य लगा परंतु सूरज की उम्र ऐसी न थी जिससे इस चुंबन का दूसरा अर्थ निकाला जा सकता था परंतु सोनू को यह नागवार गुजर रहा था। सोनू ने सूरज की यह हरकत कई बार देखी थी विशेषकर जब हुआ सोनी और सुगना के चुंबन लिया करता था। सोनू ने भी कई बार अपने तरीके से उसे समझाने की कोशिश की परंतु नतीजा सिफर ही रहा।

बहरहाल सुगना धीमे धीमे चलते हुए ऑपरेशन थिएटर की तरफ चल पड़ी और पीछे पीछे अपनी पुत्री मधु को अपनी गोद में लिए हुए सोनू .. छोटा सूरज अपने मामा सोनू की उंगली पकड़ा हुआ अपनी मां को ऑपरेशन थिएटर की तरफ जाते हुए देख रहा था उसे तो यह ईल्म भी न था कि उसने जिस का हाथ थामा हुआ था वही उसकी मां की इस दशा का कारण था..

आइए सुगना को उसके हाल पर छोड़ देते हैं और आपको लिए चलते हैं आप सबके प्रिय सरयू सिंह को जो युवा सोनी और विकास के बीच नजदीकियों को उजागर करने के लिए उतावले हो रहे थे कहते हैं जब आप अपने उद्देश्य के पीछे जी जान से लग जाए तो आप से उसकी दूरी लगातार कम होने लगती है।


सरयू सिंह ने दिनभर मेहनत की और विकास तथा सोनी के दिन भर के क्रियाकलापों के बारे में जानने की भरसक कोशिश की। उनकी मेहनत जाया न गई उन्हें कुछ पुख्ता सुराग मिल चुके थे और अगले दिन वह सोनी के नर्सिंग कॉलेज आ गए.. जिस तरह वह सोनी और विकास को रंगे हाथ पकड़ना चाह रहे थे शायद वह इतनी आसानी से संभव न था परंतु नियति उनके साथ थी…

नर्सिंग कॉलेज के बाहर बनी छोटी गुमटी में चाय की चुस्कियां ले रहे सरयू का ध्यान नर्सिंग कॉलेज के बाहर आने जाने वाली लड़कियों पर था …तभी पास बैठे एक और बुजुर्ग ने सरयू सिंह से पूछा..

"आपके बेटी भी एहिजा पढ़ेले का?"

सरयू सिंह का मिजाज गरम हो गया। उनका दिलो-दिमाग सोनी की गदराई जवानीको भोगने वाले विकास को रंगे हाथों पकड़ने को था परंतु उस व्यक्ति ने उम्र के स्वाभाविक अंतर को देखते हुए जो रिश्ता सोनी और सरयू सिंह में स्थापित कर दिया था वह सरयू सिंह को कतई मान्य न था। उन्होंने उस व्यक्ति की बातों पर कोई प्रतिक्रिया न दी और यथाशीघ्र अपनी चाय का गिलास खाली कर गुमटी वाले को पैसे देने लगे वैसे भी सोनी को रंगे हाथ पकड़ने के लिए वह पिछले कुछ घंटों से कभी एक गुमटी कभी दूसरी गुमटी पर घूम रहे थे.. और उनकी निगाहें उन गदराए नितंबों को ढूंढ रही थी जिन्होंने उनका सुख चैन छीन रखा था।

सरयू सिंह गुमटी से बाहर निकलने ही वाले थे तभी उन्हें विकास कॉलेज के गेट की तरफ आता दिखाई दिया सरयू सिंह ने खुद को एक बार फिर गुमटी के छज्जे की आड़ में कर लिया…ताकि वह विकास की नजरों में ना सके..

सरयू सिंह को वापस गुमटी में आते देख उस बुजुर्ग ने फिर कहा..

"आजकल के लफंगा लड़का लोग के देखा तानी अभी ई रईसजादा आईल बा अभी गेट से एगो लड़की आई और दोनों जाकर बसंती सिनेमा हाल में बैठ के सिनेमा देखिहे सो…"

गुमटी वाला भी चुप ना रहा उसने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा "अरे ओ सिनेमा हॉल में सब चुम्मा चाटी करे जाला सिनेमा के देखेला…"

सरयू सिंह बड़े ध्यान से उन दोनों की बातें सुन रहे थे.. उनकी बात सच ही थी जैसे ही मोटरसाइकिल नर्सिंग कॉलेज के गेट पर पहुंची… कुछ ही पलों बाद सोनी आकर मोटरसाइकिल पर बैठ गई और वह दोनों फटफटीया में बैठ बसंती हाल की तरफ बढ़ चले..

सरयू सिंह की मेहनत रंग लाई…कल की तफ्तीश और आज उनका इंतजार खात्मे पर था…


उधर सोनी और विकास बाहों में बाहें डाले बसंती टॉकीज की बालकनी में प्रवेश कर रहे थे। बाबी पिक्चर को लगे कई दिन बीत चुके थे और उसे देखने वाले इक्का-दुक्का ग्राहक ही बचे थे वह भी नीचे फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास में थे । बालकनी में कुछ लोग ही थे वह भी जोड़े में… अपनी अपनी बाबी के साथ..

सरयू सिंह को यह समझते देर न लगी की सोनी और विकास निश्चित ही बालकनी में होंगे.. आखिरकार सरयू सिंह ने भी बालकनी की टिकट खरीदी अपने चेहरे को गमछे से ढकने की कोशिश करते हुए धीरे-धीरे बालकनी जाने वाली सीढ़ियां चढ़ने लगे…

ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे सरयू सिंह की मेहनत सफल होने वाली थी…परंतु इस वक्त उन्हें अकेला छोड़ देते हैं और आपको लिए चलते वापस लखनऊ के हॉस्पिटल में जहां सुगना ऑपरेशन थिएटर से बाहर आ रही थी..

कष्ट और दुख खूबसूरत चेहरे की रौनक खींच लेते हैं सुगना का तेजस्वी चेहरा मुरझाया हुआ और बाल बिखरे हुए थे। वह अर्ध निंद्रा में थी…कभी-कभी अपनी आंखें खोलती और फिर बंद कर लेती …. शायद वह सूरज को ढूंढ रही थी। वार्ड ब्वाय उसके स्ट्रेचर को घसीटते हुए हुए उसके कमरे कमरे की तरफ आ रहे थे।

सोनू को वार्ड बॉय की तेजी और लापरवाही कतई पसंद ना आ रही थी। पर उनका क्या? उनका यह रोज का कार्य था…. उसी में हंसना उसी में खेलना उसी में मजाक और न जाने क्या-क्या…


सोनू एक बार फिर मधु को गोद में लिए और सूरज को अपनी उंगली पकड़ाए सुगना के पीछे तेजी से चल रहा था…मासूम सूरज की चाल और दौड़ जैसी हो चली थी। मां के बाहर आने से वह भी खुश था….

"मामा मां ठीक हो गईल" सूरज ने मासूम सा प्रश्न किया

और सोनू की आंखें एक बार फिर द्रवित हो गई।

सुगना की हालत देख कर सोनू एक बार फिर अपराध बोध से ग्रस्त हो गया निश्चित सुगना को मिले इस कष्ट का कारण वह स्वयं था। जैसे-जैसे वक्त बीता गया सुगना सामान्य होती गई और शाम होते होते सुगना ने अपना खोया हुआ तेज प्राप्त कर लिया बिस्तर के सिरहाने पर उठकर बैठते हुए उसने चाय पी और अपने गमों का उसी तरह परित्याग कर दिया जिस तरह वह अपने अनचाहे गर्भ को त्याग कर आई थी।

अगली सुबह सुगना पूरी तरह सामान्य हो चुकी थी अंदर उसकी योनि और गर्भाशय में गर्भपात का असर अवश्य था परंतु बाकी पूरा शरीर और दिलों दिमाग खुश था। वह खुद को सामान्य महसूस कर रही थी। बच्चों के साथ खेलना और कमरे में चहलकदमी करते हुए देख कर सोनू भी आज बेहद खुश था। आज सुगना को अस्पताल से छुट्टी मिलने वाली थी।

वह डॉक्टर से मिलकर उन्हें धन्यवाद देने गया और एक बार डॉक्टर में फिर उसे उस नसबंदी की बात की याद दिला दी जिसे पर नजर अंदाज कर रहा था।

सोनू किस मुंह से सुगना से कहता कि दीदी तुम नसबंदी करा लो और मेरे साथ खुलकर जीवन के आनंद लो। अब तक सोनू का सामान्य ज्ञान बढ़ चुका था उसे पता था कि पुरुष या महिला में से यदि कोई एक भी नसबंदी करा लेता है तो अनचाहे गर्भ की समस्या से हमेशा के लिए निदान मिल जाता है परंतु सुगना को नसबंदी के लिए कहना सर्वथा अनुचित था।


सोनू बेचैन हो गया उसका दिमाग एक ही दिशा में सोचने लगा सुगना उसके दिलो-दिमाग पर छा चुकी थी उसे और कुछ नहीं रहा था " या तो सुगना या कुछ नहीं" यह शब्द बार-बार उसके दिमाग में घूमने लगे और कुछ ही देर में सोनू अकेला ऑपरेशन थिएटर के सामने खड़ा था…

सुगना सोनू का इंतजार कर रही थी दोपहर का भोजन कमरे में आ चुका था सुगना को भूख भी लग रही थी वह कमरे से निकलकर कभी लॉबी में इधर देखती कभी उधर परंतु सोनू न जाने कहां चला गया था तभी उसे कुछ वार्ड बॉय एक स्ट्रेचर को खींचकर लाबी में आते हुए दिखाई पड़े धीरे-धीरे स्टेशन और सोना के बीच की दूरी कम हो रही थी और कुछ ही देर में हुआ स्ट्रेचर सुगना के बिल्कुल करीब आ गया स्ट्रेचर पर सोनू को लेटे हुए देखकर सुगना की सांसें फूलने लगीं

"अरे इसको क्या हुआ??" सुगना ने वार्ड बॉय से पूछा

अचानक आए कष्ट और दुख के समय आप अपने स्वाभाविक रूप में आ जाते हैं और यह भूल जाते हैं कि उस वक्त आप किस स्थिति और किस रोल में हैंl सुगना यहां सोनू की पत्नी के किरदार में थी परंतु सोनू को इस अवस्था में देखकर वह भूल गई और उसने जिस प्रकार सोनू को संबोधित किया था वह एक संभ्रांत पत्नी अपने पति को कतई नहीं कर सकती थी… और वह भी तब जब उसका पति एसडीम जैसे सम्मानित पद पर हो। वार्ड बॉय को थोड़ा अजीब सा लगा परंतु उसने कहा…

"साहब ने नसबंदी कराई है"

सुगना किंकर्तव्य विमुढ अवाक खड़ी हो गई…दिमाग घूमने लगा।

कुछ ही देर में उसी कमरे में एक और बेड लगाकर सोनू को उस पर लिटा दिया गया…

सुगना खाना पीना भूल कर…कभी सोनू कभी बाल सहलाती कभी उसकी चादर ठीक करती वह बेसब्री से शुरू के पलकें खोलने का इंतजार कर थी..

सुगना के दिमाग में ड्रम बज रहें थे.."नसबंदी?… पर क्यों?

वार्ड बॉय ने जो कहा था उसे सोच सोच कर सुगना परेशान हो रही थी उसके लिए यह यकीन करना कठिन हो रहा था कि एक युवा मर्द जिसका विवाह अगले कुछ महीनों में होने वाला था वह नसबंदी का ऑपरेशन करा कर हॉस्पिटल में लेटा हुआ था…

अभी तो उसे सोनू के लिए लड़की पसंद करना था और धूमधाम से उसका विवाह करना था। सुगना ने न जाने सोनू के लिए क्या-क्या सपने संजोए थे…क्या होगा यदि यह बात उसकी मां पदमा को पता चलेगी ? हे भगवान यह क्या हुआ? सोनू ने ऐसा क्यों किया?

सुगना के दिमाग में ढेरों प्रश्न जन्म लेने लगे कुछ के उत्तर उसके दिल ने देने की कोशिश की .. परंतु उन उत्तरों पर वह सोचना कतई नहीं चाहती थी। उसने दिल में उठ रहे विचारों को दफन करने की कोशिश परंतु शायद यह संभव न था। रह रह कर वह विचार अपना आकार बढ़ा रहे थे।


सुगना बदहवास होने लगी.. ऐसा लगा जैसे वह गश खाकर गिर पड़ेगी…

शेष अगले भाग में

Too much romantic update bro and next 109 update send me
 
Top