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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

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Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
Smart-Select-20210324-171448-Chrome
भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

arushi_dayal

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अचानक इस अपडेट में बहुत कुछ था..
सोनी के लिए एक औपचारिक विवाह प्रस्ताव ने सरयू सिंह की योजना को कुछ समय के लिए बहा दिया लेकिन जैसा कि आपने कहा ..सोनी ने केवल भुसावल केले के आकार को महसूस किया है और वह पहले से ही इसके बारे में सोच रही है। उसकी चूत की आग उसे उस केले का स्वाद चखने पर मजबूर कर देगी
सुगना जानबूझकर लाली को सोनू से दूर रखने से ही सोनू की सुगना के लिए वासना बढ़ेगी और उम्मीद है कि वह जल्द ही सोनू को अपनी जांघों के बीच समायोजित कर लेगी।
रतन और माधवी के बीच एक नई केमिस्ट्री भी दिखी...एक कामुक सेक्स की उम्मीद करते हैं

मोनी के कौमार्य परीक्षण के उद्देश्य के बारे में निश्चित नहीं है ... क्या यह उसे विद्यानंद के बेडरूम में ले जाने के लिए है
 

Lovely Anand

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Lovely bhai aaj update aayega kya ?
Mitra पूरा नही पाया है...
Lovely bhai ji updates 101,102,109 nhi mila abhi tak waiting for sugna sonu milan episode
Sent
Nice update saryu Singh ko bhi Soni ki chakha do
Welcome after long interval
excellent turn.
Welcome and thanks
20220918-183358

Meri nazar se Sugna ....ek madmast, unnat chuchion aur yovan se bharpoor aur jiske har angh ko dekh kar aadmi apni sadbuddhi kho baithe
आपने सही सोचा है सुगना सचमुच ऐसी ही होगी
अचानक इस अपडेट में बहुत कुछ था..
सोनी के लिए एक औपचारिक विवाह प्रस्ताव ने सरयू सिंह की योजना को कुछ समय के लिए बहा दिया लेकिन जैसा कि आपने कहा ..सोनी ने केवल भुसावल केले के आकार को महसूस किया है और वह पहले से ही इसके बारे में सोच रही है। उसकी चूत की आग उसे उस केले का स्वाद चखने पर मजबूर कर देगी
सुगना जानबूझकर लाली को सोनू से दूर रखने से ही सोनू की सुगना के लिए वासना बढ़ेगी और उम्मीद है कि वह जल्द ही सोनू को अपनी जांघों के बीच समायोजित कर लेगी।
रतन और माधवी के बीच एक नई केमिस्ट्री भी दिखी...एक कामुक सेक्स की उम्मीद करते हैं

मोनी के कौमार्य परीक्षण के उद्देश्य के बारे में निश्चित नहीं है ... क्या यह उसे विद्यानंद के बेडरूम में ले जाने के लिए है
Sone ki Aag abhi sulag rahi hai waqt aane per vah aur failegi aur tab ek majbut land se prachur Matra mein Nikal Raha virya uski Agni bujha payega dekhiae vah Sahyog kab banta hai..
Aur मोनी उसका तो कहना ही क्या... कुंवारी मोनी को अभी जीवन के इस पहलू का एहसास होना बाकी है देखिए नियत क्या खेल खिलाती है।

उन चुनिंदा छुपे हुए पाठकों की भी प्रतिक्रियाओं का इंतजार है जो वक्त वक्त पर कहानी के पटल पर आकर अपना जुड़ाव प्रदर्शित करते हैं परंतु मौका देख कर फिर शांत होकर बैठ जाते हैं मझधार में यूं अकेले ना छोड़े साथ बनाए रखें
 
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yenjvoy

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Thanks .. सोनी ने यह तो एहसाह कर ही लिया कि सरयू सिंह की जांघों के बीच उभार कुछ ज्यादा ही था पर वास्तविक लंड की लंबाई और उसके असर का अंदाजा अभी उसे न था...समय आने पर सोनी की लालसा और बढ़ेगी तब सरयू सिंह का सपना का होगा...धीरज रखे और वर्तमान का आनन्द ले... भविष्य को उसके गर्भ में ही रहने दें .



Thanks to you dear i have sent the updeates to uou

Thanks

जिन पात्रों का विसर्जन इस कहानी में हुआ सब अपनी अपनी भूमिका निभाएंगे कुछ आज कुछ कर कुछ समय के साथ मोनी का भी नंबर आएगा...

Thanks

Mujhe bhi aap sabki प्रतिक्रियाओं की...प्रतीक्षा रहती है....लंबी चौड़ी....

होगा बराबर होगा

कोशिश पूरी करूंगा कि पाठकों को इस मिलन का भी आनंद आए

Kuchh pal ke liye I vasna anjam Tak pahunche jaruri nahin abhi use fal mein phool nahin dijiye tadap badhane dijiye

Thanks u.i have sent

Thanks u and welcome to story...
आपकी लेखनी और कल्पनाशक्ति दोनों बेजोड़ हैं. कथानक तो अपनी रफ्तार से चल रहा है. मधुर भविष्य की कामना है.
 

lambalaunda2020

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Lovely bhai ji update 101,102 padhe abhi aur poochiye mat itna Aanand aaya jitna aanand aapke naam mein hai aakhir sonu sugna ka milan ho hi gaya aur ab intejar hai hotel mein sonu - sugna ke milan ka jahan saryu and sugna mile thhe wahan sonu and sugna ka milan hoga ke nhi ,
And bhai ji update 109 aur send kar dijiye
Thanks bhai ji for such a masters piece story
 

Sanjay766

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साथियों इस पोस्ट के पहले जिन साथियों के कमेंट आ चुके थे उन्हें मैंने 102 वा अपडेट
भेज दिया है....


Fucking-G-ruff-tumblr-pffr6i0-Sm-Z1vz5sogo1-500


.आपकी प्रतिक्रिया कि हमेशा की तरह प्रतीक्षा रहेगी..कृपया पोल में भाग लें

जिन साथियों को पुराने 90 या 91 या 101 वा या 102 वां अपडेट चाहिए होगा तो कृपया उस अपडेट का नाम जरूर लिखें...


मेरे लिए याद रखना कठिन होगा कि किसे कौन सा अपडेट नहीं मिला है..

एक बार में एक ही अपडेट की डिमांड करिएगा..


डायरेक्ट मैसेज पर प्रतिक्रिया देने और अपडेट के लिए कहने की बजाय आप इसी कहानी के पटल पर अपने विचार रखें..


आपके सहयोग के लिए अग्रिम धन्यवाद...
हां एक बात और कृपया मुझे डायरेक्ट मैसेज पर रिप्लाई करने की बजाय इस कहानी के पटल पर आकर ही अपडेट की मांग करें या विचार रखें...
Bhai plz send updated 90 &91 And Also send
101& 102
 

Lovely Anand

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Lovely bhai ji update 101,102 padhe abhi aur poochiye mat itna Aanand aaya jitna aanand aapke naam mein hai aakhir sonu sugna ka milan ho hi gaya aur ab intejar hai hotel mein sonu - sugna ke milan ka jahan saryu and sugna mile thhe wahan sonu and sugna ka milan hoga ke nhi ,
And bhai ji update 109 aur send kar dijiye
Thanks bhai ji for such a masters piece story
Thanks for your feedback sent
Bhai plz send updated 90 &91 And Also send
101& 102
Sent
Great story
Thanks
Sugna ki chudai lambi honi chahiye
How manu updates....please post few इमेजिनेशन इन डायरेक्ट मैसेज सो that I can write it in my own way...

This is invitation to all.
 

विनय07

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अब ये बात खुल जानी चाहिए की सुगना सोनू की सगी बहन नही है और तब सुगना अपना जीवन सोनू और लाली के संग संझा कर पाएगी .…...बाकी लवली जी बताए आगे क्या लिखा है नियति ने
 

Lovely Anand

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भाग 113

यह महज संजोग था या नियति की चाल…उधर बनारस में रेडिएंट होटल के तीन कमरे सुगना और सरयू सिंह के परिवार के लिए सजाए जा रहे थे उनमें से एक वही कमरा था जिसमें सरयू सिंह ने बनारस महोत्सव के आखिरी दिन सुगना को जमकर चोदा था …. यह कमरा सुगना और उसके परिवार के लिए अहम होने वाला था…

अब आगे…

बनारस शहर का रेडिएंट होटल आज बेहद खूबसूरती से सजाया गया था। रिंग सेरोमनी का कार्यक्रम दिन में था अतः सजावट के लिए कृत्रिम रोशनी का सहारा न था फिर भी होटल स्टाफ ने रंग-बिरंगे कपड़ों और फूलों से होटल को बखूबी सजा दिया था।


सुगना, सोनी और लाली के साथ गाड़ी से उतर रही थी। तीनों बेहद खूबसूरत नजर आ रही थीं। कल शाम लाली ने जिद कर सोनी के साथ साथ सुगना के हाथों में भी मेहंदी लगवा दी थी। लाली तो विधवा थी सोनू के लिए सजने का उसका भी मन होता पर सामाजिक मर्यादाएं लाली को सजने धजने से रोक लेती।

सोनी आज अपने विशेष लिबास में अलग ही दिखाई पड़ रही थी.. परंतु सुगना सुगना थी। वह स्वाभाविक रूप से हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींचने में वह हमेशा सफल रहती। गोरी पतली पर मादक कमर पर लटका हुआ सुगना का लहंगा चलते समय उसकी पुष्ट जांघों को एक खूबसूरत आकार देता. उसका काम था उन्हें छुपाना पर वो उनकी खुबसूरती को और भी निखार देता। और जैसे ही सुगना आगे बढ़ जाती उसके भरे भरे नितंब मर्दों को वासना की आग में घी का काम करते और उनके लंड में लहू का एक तेज झोंका आता और उन्हें अपनी मर्दानगी का एहसास करा जाता।

होटल के वही दोनों वेटर जिन्होंने सुगना और सरयू सिंह को उस विषम परिस्थिति में देखा था… सोनी और सुगना का सामान लेकर ऊपर जा रहे थे। उन्हें सरयू सिंह और सुगना के बीच रिश्तो की तो जानकारी थी परंतु सरयू सिंह उस दिन बाथरूम में पूरी तरह नग्न क्यों थे? और अपनी बहु के कमरे में होते हुए बाथरूम में उनका लंड पूरी तरह खड़ा क्यों था? यह प्रश्न अब भी उनके दिमाग में घूमता था।


कभी-कभी उन्हें सरयू सिंह व्यभिचारी लगते परंतु सुगना…. उसे देख कर यह कहना पाना की वह अपने पिता की उम्र के सरयू सिंह से चुदवाती होगी यह बात यकीन योग्य न थी। आखिर यदि सुगना जैसी गदरायी माल युवा मर्दों को एक इशारा करती तो वो अपना तन मन धन उस पर न्योछावर करने खुशी खुशी प्रस्तुत हो जाते।

बहर हाल सुगना, लाली और सोनी के के साथ उसी कमरे में आ चुकी थी। कमरा ठीक वैसा ही था बस एक अंतर आया था। इसी कमरे से बगल वाले कमरे में जाने के लिए एक दरवाजा बना दिया था और इस कमरे को एक सूट रूम का आकार दे दिया गया था।

लाली और सोनी कमरे की खूबसूरती में खो गई थीं पर सुगना अपनी यादों में..बेहद तनाव भरा दिन था वो सुगना उस दिन तन मन दोनो से टूट गई थी।

लाली पति राजेश का वीर्य अपनी योनि में लिए वह होटल में आ गई थी और सुबह सुबह…सरयू सिंह से चुदवा रही थी…और सरयू सिंह की क्रोध से भरी वासना को अपनी शीतलता से शांत करने का प्रयास कर रही थी। पर जब सरयू सिंह में अपनी अनोखी इच्छा पूरी करने के लिए सुगना के उस दूसरे कोमल छेद में अपना मूसल डाला…..आह…

"अब तू कहा भुलाइल बाड़ू?

लाली ने सुगना को हिलाते हुए कहा। सुगना मुस्कुराने लगी। वैसे भी आज सोनी का दिन था सुगना और लाली सोनी को एक बार फिर तैयार करने में लग गई। लाली मौका देख कर सोनी को छेड़ने से बाझ न आती और उसकी चुचियों को सहलाते हुए उसके कान में कहती..

" अरे उनका विदेश जाए से पहिले एक बार चीखा दिहा" लाली को क्या पता था विकास सोनी के अंग प्रत्यंगों से बखूबी खेल चुका था और यही नहीं वह सोनी को मन भर चोद चुका था।

थोड़ी देर बाद सोनू घर परिवार के बाकी लोगों को लेकर रेडिएंट होटल आ चुका था। गांव वालों कि इतनी हैसियत न थी कि वह कभी भी रेडिएंट होटल में अपने कदम रख पाते। शायद उन्होंने जब कभी कोई स्वप्न देखा होगा तब भी शायद उन्होंने इतने खूबसूरत भवन की कल्पना न की होगी।

सभी आश्चर्यचकित होकर होटल की खूबसूरत दीवारों को देख रहे थे उनके लिए यह होटल ताज महल से कम न था। सब एक दूसरे की तरफ देखते फिर उनकी आंखें वापस खूबसूरती को निहारने में लग जाती।


आश्चर्य जब चरम पर होता है तो आवाज स्वत ही बंद हो जाती है। हमेशा चपर चपर बात करने वाले गांव वाले एकदम शांत थे और चुपचाप सधे कदमों से आगे चल रहे थे और आयोजन स्थल में पहुंच रहे थे।

इसी बीच सोनू ने रेडिएंट होटल से ही अपने जौनपुर के ऑफिस में फोन किया.. उसने कुछ शासकीय बातें की और अंत में उसने प्रश्न किया..

"बंगले की पुताई कहां तक पहुंची…"

"ठीक है कल मैं आ रहा हूं आज देर रात तक भी आदमी रोक कर काम पूरा करवा देना…और हा सर्किट हाउस में कमरे खाली रखना। सोनू का नया बंगला बेहद खूबसूरत था उसने बंगले के निरीक्षण के दौरान ही न जाने क्या-क्या ख्वाब देखे थे…. परंतु दीपावली की उस रात के पश्चात सुगना के व्यवहार और उसके गर्भवती होने से उसके सारे सपने एक पल में ही चकनाचूर हो गए थे।


परंतु एबॉर्शन के पश्चात सोनू द्वारा लिए गए निर्णय ने एक बार फिर सोनू की कल्पनाओं में पर लगा दिए थे सुगना का अपनत्व भरा प्यार उसे नई उम्मीदें रहा था। सोनू अपने ख्वाबों की दुनिया बनाता कभी ईट इधर से उधर रखता कभी उधर से इधर । कमरे को अपनी कल्पना में सुगना की पसंद से सजाता।

जौनपुर जिले का भाग्य विधाता स्वयं अपने एक छोटे से सपने को सच कर पाने में नाकाम हो रहा था। जिस युवक पर शहर भर की लड़कियां मरने को तैयार हो जाती वह अपनी दिव्य और निराली बहन सुगना के पीछे ही पड़ गया था जो अभी तक हाथ ना आ रही थी।


कुछ ही देर बाद सोनी और विकास की रिंग सेरेमनी का कार्यक्रम शुरू हो गया। भव्यता लक्ष्मी का प्रतीक है साज सज्जा और सौंदर्य बिना धन के संभव न था और विकास के पास धन की कोई कमी न थी। यह भव्य कार्यक्रम सुगना और उसके परिवार के लिए बिल्कुल नया था।

स्टेज पर सोनी के साथ खड़ी हुई सुगना सबका ध्यान खींच रही थी। विकास के परिवार वालों में कोई उसे सोनी की बहन बताता कोई सहेली। परंतु धीरे धीरे विकास के घर के सभी लोग सुगना के बारे में बखूबी जान गए। सजी धजी सुगना और सोनू …. जब जब साथ खड़े होते…नियति की आंखे उन पर टिक जाती।

कितनी खूबसूरत जोड़ी थी सोनू और सुगना की…काश दोनो विधाता की बनाई इस दुनिया में प्राकृतिक रूप में विचरण करते …बिना किसी कृत्रिम वस्त्रों के…पूर्ण नग्न पर बिना नग्नता के अहसास के … अपनी स्वाभाविक खूबसूरती के साथ…आह…..नियति मिलन की संभावनाओं तलाशने के लिए विधाता के लिखे भाग्य को पढ़ने की कोशिश की पर भविष्य अभी भी धुंधला ही था।

जैसे ही स्टेज का कार्यक्रम खत्म हुआ मेजबान और मेहमान पक्ष के लोग भोजन की तरफ टूट पड़े। न चाहते हुए भी कार्यक्रम में देरी हो चली थी। भूख लगना स्वाभाविक था और आगंतुकों में कईयों के आगमन का मुख्य उद्देश्य भी यही था। परंतु भूख सिर्फ पेट की नहीं होती यह बात लाली से ज्यादा और कोई नहीं जानता था… जो पिछले कई दिनों से सोनू से चुदने का इंतजार कर रही थी।

उधर सोनू भी लाली के नजदीक आने को आतुर था। इसका कारण यह नहीं कि वह लाली को चोद कर अपनी वासना शांत करना चाहता था अपितु वह सुगना को यह दिखाना चाहता था कि उसके जीवन में वासना और संभोग का स्थान अब भी अहम था।

सोनू को यह बात भली-भांति पता थी कि उसे अभी अगले कुछ दिनों तक वीर्य स्खलन नहीं करना है। जब भी मौका मिलता सोनू और लाली के बीच नयन मटका होने लगता।

वैसे तो यह सामान्य लगता परंतु सुगना लाली और सोनू पर नजर बनाए हुए थी और यही बात सोनू जान चुका था। उसे पता था की डॉक्टर की नसीहत मानते हुए सुगना दीदी उसे कभी लाली के नजदीक नहीं आने देगी। इसी बात का फायदा उठाकर वह व लाली के और करीब आता करीब आता तथा सुगना को छेड़ता और परेशान करता।

इसी बीच मौका देख कर सोनू ने लाली को होटल के कमरे की तरफ चलने का इशारा किया जिसे लाली ने बखूबी देख लिया इतनी भीड़ भाड़ में लाली का चुदवाने का मन न था उसने आनाकानी की परंतु सोनू के मासूम चेहरे पर आए आग्रह को वह टाल ना पाई और धीरे-धीरे अपनी बलखाती कमर लिए अपने कमरे की तरफ बढ़ चली और बार बार पीछे मुड़कर सुगना को देखता हुआ सोनू।

सुगना ने सोनू और लाली को हाल से बाहर निकलते हुए देख लिया। वह विकास की चचेरी बहनों के साथ बैठी बातें कर रही थी। अचानक महफिल से उठ जाना संभव न था परंतु सुगना के खूबसूरत चेहरे पर बेचैनी के भाव आ रहे थे।


असहजता मासूम लोगों के चेहरे पर स्पष्ट दिखाई पड़ती है सुगना एक सहज स्वभाव वाली युवती थी जो अंदर में था वही बाहर …परंतु जब से वह सोनू के माया जाल में फंसी थी.. उसके व्यवहार और विचारों में परिवर्तन आ चुका था सुगना भीतर ही भीतर उस महफिल में घुटने लगी….

सुगना को असहज देखकर विकास की बहनों ने कहा चलो

"सुगना दीदी को खाना खिलाते हैं तब से हम लोग इनका दिमाग खाए जा रहे हैं"

युवा तरुणियों का झुंड खाने की तरफ लपक पड़ा। परंतु सुगना उसे तो लाली और सोनू को रोकना था… उसने विकास की बहनों से विदा ली और तेज कदमों से लगभग भागती हुई रेडिएंट होटल के उसी कमरे में आ गई जिसकी चाबी अभी सोनू के पास थी।

सुगना ने बिना सोचे समझे दरवाजे पर दस्तक दे दी..

अंदर से लाली की आवाज आई

"के ह?"

"हम सुगना"

"और केहू बा?" लाली की आवाज आई…

" ना"

क्लिक क्लिक की आवाज हुई और लाली ने कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खोल दिया। सुगना अंदर आ चुकी थी।

लाली होटल का सफेद तोलिया अपनी खूबसूरत कमर पर लपेटे हुए थी जो उसकी खूबसूरत और मादक कमर तथा पुष्ट जांघों को ढकने में तो कामयाब रहा था परंतु उसे और खूबसूरत बना गया था।


"का भईल इतना बेचैन काहे बाड़े?" लाली ने आश्चर्य और झुंझलाहट भरे स्वर में पूछा

"सुगना की निगाहें सोनू को ढूंढ रही थी .."

अचानक बाथरूम में कोई कुछ खटपट हुई सुगना ने अंदाजा लगा लिया कि सोनू बाथरूम में था। मौका अच्छा था सुगना ने लाली को नसीहत देते हुए कहा..

"हम तोहरा और सोनू के बीच चलत नैन मटक्का देख लेले रहनी हां.. ए लाली अभी शादी ब्याह के घर बा.. अभी कुछ दिन सोनुआ से दूर रह … केहू के पता चल जाए पूरा इज्जत उतर जाई…

"हमरा के का बतावत बाड़े… अपन दुलरवा भाई के बताव .. दिवाली के बाद से और बेचैन हो गईल बाड़े बाप रे तानिको सबर नईखे "

दीपावली की बात बोल कर लाली ने जिस ओर इशारा किया था वह सुगना बखूबी समझ चुकी थी परंतु वह इस बारे में कोई बात नहीं करना चाहती थी उसने आदेशात्मक स्वर में कहा..

"सोनू के भी बता दीहे…अभी ते भी तीन चार दिन ओकरा से दूर ही रहिए… अगला हफ्ता ते सोनू संगे जौनपुर चल जाइहे ओहिजे मन भर अपन साध बुता लिए और ओकरो। लेकिन भगवान के खातिर ई हफ्ता छोड़ दे"

सुगना बात करते-करते धीरे-धीरे लाली के करीब आ चुकी थी और उसकी हथेलियां अपनी हथेली में लेकर अपनी आत्मीयता का प्रदर्शन कर रही थी…आदेश अब आग्रह में बदल चुका था।

दर असल सुगना ने जो प्रतिक्रिया दी थी वह अपने मन में चल रहे विचारों से प्रभावित था। सुगना पूर्वाग्रह से ग्रसित थी परंतु लाली स्वाभाविक तौर पर व्यवहार कर रही थी। जिस प्रकार आकर सुगना ने लाली और सोनू के स्वाभाविक मिलन में व्यवधान डाला था उसने लाली को थोड़ा रूष्ट कर दिया था जिसे सुगना जान चुकी थी और अब उसकी हथेलियों को सहला कर उसे शांत कर रही थी ।

अंदर बाथरूम में सुगना और लाली की बातें सुन रहा था और मुस्कुरा रहा था। सुगना उसके पुरुषत्व को बचाने की पुरजोर कोशिश कर रही थी। उसे यह बात तो समझ आ चुकी थी कि उसकी सूचना दीदी उसके पुरुषत्व को कायम रखने के लिए अगले हफ्ते भरपूर संभोग की व्यवस्था कर रही थी परंतु वह जो चाहता था वह अब भी उसकी पहुंच से दूर था।


सुगना की जांघों के बीच छुपी वह खूबसूरत और अद्भुत बुर 2 गज दूर थी पर उस दूरी को मिटाने न जाने कितने व्यवधान थे…कितनी अड़चनें थी …तुरंत सोनू को अपनी चाहत पर यकीन था..

लाली ने सुगना का चेहरा दूसरी तरफ किया और अपनी कमर में लपेटी हुई टॉवल हटा दी उसने झुककर अपना लहंगा लिया और बाथरूम में खड़े सोनू को अपनी फूली हुई बुर के दर्शन करा दिए । सोनू का मन तो सुगना में लगा था परंतु उसका लंड सिर्फ और सिर्फ बुर का दीवाना था लंड में फिर हरकत हुई और सोनू की हथेलियों ने उसे थाम लिया। हस्तमैथुन वर्जित था और सोनू यह बात बखूबी जानता था ..आखिर अपने पुरुषत्व को बचाना वह भी चाहता था।

लाली और सुगना परिवार वालों की भीड़ में शामिल हो गई और धीरे-धीरे रेडिएंट होटल में चल रहा रिंग सेरेमनी का कार्यक्रम संपन्न हो गया। विकास और सोनी रिश्ते में बंध चुके थे दोनों की जोड़ी खूबसूरत थी आर्थिक हैसियत बेमेल होने के बावजूद विकास के पिता और परिवार वालों की सहृदयता के कारण यह अंतर भी मिट चुका था।

सोनू अपने परिवार वालों के बीच गिरा हुआ अपने जौनपुर में एसडीएम बनने के अनुभवों को साझा कर रहा था। सभी सोनू की इस सफलता की कहानी सुन रहे थे। बातों ही बातों में सोनू ने अपने नए बंगले की सूचना भी अपने परिवार वालों को दे दी और कहा..

हमरा कल वापस जौनपुर जाए के बा हमरा संगे के चली घर द्वार के सामान खरीदे और हमार घर रहे लायक बनावे…

इससे पहले कोई कुछ बोलता सुगना तपाक से बोली ..

"मां के लेले जो"

सोनू उदास हो गया…

पदमा ने कहा

"बेटी हमरा यह सब न बुझाई चाहे तू चली जा चाहे लाली"

लाली का नाम सुनते ही सुगना सतर्क हो गई उसने तपाक से कहा..

"ठीक बा हम जाएब देखि एसडीएम साहब के बंगला कईसन मिलल बा"

सुगना ने स्वयं ही आगे बढ़कर सोनू के साथ जाने का प्रस्ताव रख दिया था. शायद इसके पीछे यह आशंका भी थी कि कहीं लाली सोनू के साथ न चली जाए और एकांत का फायदा उठाकर दोनों करीब आ जाए.

सुगना की मां पदमा ने सुगना की बात में हां में हां मिलाई और प्यार से बोली..

"सुगना बेटी लक्ष्मी ह जेकरा घर में जाई घर के खुशहाल बना दी। पहले एकरे के ले जो तोर घर हमेशा खुशहाल रही"

अचानक लाली स्वयं को अलग-थलग महसूस कर रही थी। परंतु वह चुप ही रही। नियत ने उसे विधवा बनाकर निश्चित ही गलत किया था परंतु विधाता ने जो उसके भाग्य में लिखा था उसे बदल पाना संभव न था।

पदमा की मां ने जो कहा था वह सच ही था सुगना जब से सरयू सिंह के घर में आई थी तमाम विपत्तियां आने के बावजूद घर की खुशहाली कायम थी।

सोनू ने सुगना को छेड़ते हुए कहा

" पर अब सबके छोड़े सलेमपुर हम ना जाईब हम बहुत थक गइल बानी आज मनभर सूतब"

सुगना नहीं चाहती थी कि आज रात भी सोनू यहां पर लाली के आसपास रहे वह कुछ बोलती इससे पहले सरयू सिंह बोल पड़े

"रहे द सोनू के आज हम भी वापस लौट जाएब और सब केहू के पहुंचा भी देब " वैसे भी सरयू सिंह जिस प्रयोजन से बनारस आए थे वह विफल हो चुका था उनका अब और यहां रहना उद्देश्य हीन था।

धीरे धीरे आए हुए मेहमान कम हो रहे थे जो अपने संसाधन से आए थे वह तो अब वापस लौट भी चुके थे शाम होते होते सरयू सिंह सलेमपुर और सीतापुर (पदमा के गांव)के रिश्तेदारों को लेकर वापस लौट गए।

सोनू ने अपनी मां पदमा को भी जौनपुर चलने का आमंत्रण दिया परंतु पद्मा ने घर पर कुछ आवश्यक कार्यों के बारे में के बारे में बता कर सोनू के आग्रह को भविष्य के लिए टाल दिया।

शाम होते होते सभी अपने अपने घरों को लौट गए आज ही विकास को दिल्ली के लिए निकलना था अगले दिन उसकी विदेश जाने की फ्लाइट थी अपने परिवार को वापस घर पहुंचाने के बाद सोनू विकास को छोड़ने रेलवे स्टेशन चला गया।

सोनू और विकास की दोस्ती आज रिश्तेदारी में बदल चुकी थी दोनों दोस्त गले लग कर एक दूसरे से अलग हुए वैसे भी विकास अपनी पढ़ाई पूरी कर दो 3 महीने में वापस आने वाला था।

विकास को छोड़कर सोनू वापस अपने घर आ रहा था रात हो चुकी थी…सोनू अब यह भली-भांति जान चुका था की सुगना दीदी उसे लाली के करीब कतई नहीं आने देंगी परंतु यदि लाली दी ने सुगना दीदी को चकमा देकर यदि उसके नजदीक आने की कोशिश की तो वह उनके प्रणय निवेदन को किस प्रकार ठुकरा पाएगा?

दिनभर की थकावट तीनों बहनों पर हावी थी सोनी तो थक कर चूर थी। मौका देख कर वह विकास के साथ अंतरंग भी हो चुकी थी और जाने से पहले अपने साजन को अपनी बुर् का स्वाद और सुख दोनों चखा चुकी थी।

आज बनारस के जाम ने सोनू का भी रास्ता रोका और स्टेशन से वापस घर पहुंचते पहुंचते देर हो गई। घर के सभी छोटे बच्चे और सोनी सो चुके थे। परंतु हमेशा की तरह उसका इंतजार करने वाली सुगना अपनी नींद भरी आंखों को खोलें सोनू का इंतजार कर रही थी। और उधर अपनी चूचियां ताने और जांघों के बीच लार टपका की बुर लिए बिस्तर पर लाली सोनू की राह देख रही थी।

दोनों बहने सोनू का ख्याल रख रही थी… सोनू ने खाना खाया और जब तक वह अपने हाथ धो कर वापस लौटता सुगना का फरमान आ गया…

"कल सुबह जौनपुर भी जाए के बा जाकर हमरा कमरा में आराम से सूत रह…. दिन भर भागा दौड़ी में थक गईल होखबे"

सुगना ने यह बात कही और स्वयं लाली के कमरे में दाखिल हो गई जो एक खूबसूरत और उत्तेजक नाइटी पहने बिस्तर पर करवट लिए सोनू का इंतजार कर रही थी।

लाली को सुगना का यह व्यवहार अटपटा लग रहा था । आज के पहले वह कभी भी उसे और सोनू को अलग न करते थी परंतु आज एक नहीं दो दो बार सुगना ने लाली और सोनू के मिलन में बाधा डाली थी और यह बात लाली को परेशान कर रही थी..अभी तो ना कोई रुकावट थी ना कोई और बहाना।


लाली एक बार फिर सुगना की वजह से सोनू के साथ संभोग कर पाने में विफल हो रही थी उसने अपना गुस्सा दिखाते हुए बोला..

"लागता दीपावली के दिन सोनूवा के साथ तोहरा पसंद आ गईल बा ऐही से हमारा पास ठेके नईखू देत" अचानक लाली ने ऐसी बात कहकर सुखना को स्तब्ध कर दिया। उसे लाली से ऐसी उम्मीद ना थी परंतु इस समय उसने इस विषय पर कोई वार्तालाप करना उचित न समझा। बिस्तर पर बैठी चुकी सुगना लाली के बगल में लेट गई और उसकी तनी हुई चुचियों को सहलाते हुए कहा…

"तीन-चार दिन अपन खजाना बचा के रख…फिर तोरा सोनुआ संगे जौनपुर जाए के बा…मन भर खेत जोतवा लिहे"

"अभी तो तू जात बाड़ू नू जब तोहरा से बाची तब नू"

लाली खुलकर सुगना को उकसा रही थी। परंतु सुगना सोनू की नसबंदी की बात लाली से खुलकर नहीं बता सकती थी। न जाने उसे अब भी क्यों उम्मीद थी कि सोनू समय आने पर विवाह अवश्य कर लेगा और विवाह में उसकी नसबंदी की बात निश्चित ही आड़े आ जाती। शायद इसीलिए उसने सोनू को भी इस बारे में कोई भी बात करने से रोक लिया था।

सुगना ने लाली को अपने आलिंगन में भर लिया और अपना एक पैर उसकी दोनों के जांघों के बीच घुसा कर अपने घुटनों से उसकी बुर को छूने की कोशिश की सच लाली की नंगी बुर पनियायी आई हुई थी।

सुगना लाली के चेहरे को अपने हाथों सहलाते हुए बोली हमरा के माफ कर दे…

दोनों सहेलियां एक बार फिर गुत्थागुथा हो गई…..

अगली सुबह सुगना और सोनू को जौनपुर जाना था…

सुगना, सोनू और जौनपुर का वह घर जिसे सुगना को स्वयं अपने हाथों से सजाना था…. नियति अपनी व्यूह रचना में लग गई…

अजब विडंबना थी। सोनू अपने इष्ट से सुगना को मांग रहा था और लाली सोनू को और सबकी प्यारी सुगना को और कुछ नहीं चाहिए था सिर्फ वह सोनू के पुरुषत्व को जीवंत रखना चाहती थी। यह बात वह भूल चुकी थी की डॉक्टर ने उसके स्वयं के जननांगों की उपयोगिता बनाए रखने के लिए उसे भी भरपूर संभोग करने की नसीहत दी थी परंतु सुगना का ध्यान उस ओर न जा रहा था परंतु कोई तो था जो सुगना के स्त्रीत्व की रक्षा करने के लिए उतना ही उतावला था जितना सुगना स्वयं…

शेष अगले भाग में…
 
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