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Adultery इंसाफ कौन करेगा!!

Iliyaz

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शहनाज अपनी फटी हुई आंखो से राजा को देख रही थी क्योंकि उसे राजा से बिलकुल भी उम्मीद भी नही थी कि राजा ऐसा कुछ भी कर सकता हैं और राजा किसी मासूम बच्चे की तरह शहनाज से बोला:"

" बताए ना मैडम खेलेंगी आप कालिया भाई के साथ भी वही कल वाला मस्ती वाला खेल!!

शहनाज के मुंह से एक शब्द नही निकला और शर्म के मारे उसका मुंह झुक गया तो कालिया उस पर दबाव बनाते हुए बोला:"

" खेलेंगी क्यों नही, भला मुझमें कौन सा कांटे लगे हैं ?

राजा खुश होते हुए:" ठीक कहते हो कालिया भाई, वैसे भी हमारी शहनाज मैडम बेहद अच्छी हैं किसी का दिल नही तोड़ती हैं!!

शहनाज ने हिम्मत करके अपना चेहरा ऊपर उठाया और बोली:"

" कालिया तुम्हारी अंदर कैसे हुई अंदर आने की? तुझे गार्ड ने अंदर कैसे आने दिया ? चुप चाप चले जाओ यहां से !

कालिया थोड़ा सा हंसते हुए बोला:" कालिया कभी भी कहीं भी जा सकता है मेरी भोली बन्नो! असली खेल तो मैं खेलूंगा तेरे साथ राजा तो बेचारा अभी बच्चा हैं छोटा!!

शहनाज:" देखो फालतू बात मत करो, तुम्हारी भलाई इसी में हैं कि चुप चाप वापिस चले जाओ! मेरी एक आवाज पर गार्ड तुम्हारी हड्डी पसली एक कर देंगे!!

कालिया:" बंद कर अपनी बकवास! तू शायद नही जानती कि मेरे एक इशारे पर तू सारे स्कूल और अशोक नगर में बदनाम हो जायेगी! नौकरी जायेगी वो अलग से!

शहनाज के माथे पर पसीना छलक पड़ा और घबराते हुए बोली:" नही कालिया नही, तुम ऐसा नहीं कर सकते!

कालिया शहनाज के डरते ही अपनी आवाज बुलंद करते हुए बोला:" मैं कुछ भी कर सकता हूं इसलिए अगर अपनी भलाई चाहती हो तो मेरी बात मानो तुम्हें वो मजा दूंगा कि जिंदगी भर मुझे नही भूल पाओगी!

इतना कहकर कालिया ने आगे बढ़कर उसका हाथ कसकर मसल दिया तो शहनाज दर्द से कराह उठी और बोली:"

" मुझे छोड़ दो कालिया! मैं एक नेक और शरीफ औरत हु!

कालिया जोर से हंसा और उस पर तंज कसते हुए बोला:"

" शरीफ और तू!! देख ली तेरी शराफत भी! ज्यादा नखरे करेगी तो अंजाम बुरा होगा तेरा!

शहनाज:" देखो अभी राजा भी यहीं हैं और मैं इस सबके लिए अभी तैयार नहीं हु! मुझे थोड़ा सा समय दो तुम!

कालिया:" साली अपने आपको ज्यादा होशियार समझती हैं क्या? राजा से क्या शर्माना? तेरा आशिक है ये तो ! बच्चा हैं तो ये भी थोड़ा कुछ सीख लेगा मुझे देखकर!

इतना कहकर कालिया आगे बढ़ा और शहनाज के कंधे पर अपना हाथ रख दिया तो शहनाज कांप उठी और डर के मारे थोड़ा पीछे सरक गई और दोनो हाथों को जोड़ते हुए बोली:"

" अल्लाह के लिए मुझे छोड़ दो कालिया, मेरी जिंदगी बर्बाद मत करो!

कालिया ने उसका एक हाथ पकड़ा और उसकी कमर की तरफ खींच कर मोड़ दिया तो शहनाज दर्द से सिमटी हुई उसकी छाती से आ लगी। दर्द के कारण उसकी आंखो से आंसू छलक पड़े और इससे पहले कि कालिया कुछ करता एक जोरदार आवाज हुई और कालिया दर्द से कराह कर नीचे गिर पड़ा क्योंकि राजा ने पीछे से उसके सिर पर अपनी पानी की बॉटल से जबरदस्त प्रहार किया था और बोला:"

" कालिया भाई ये गलत बात हैं! मेरी शहनाज मैडम के साथ कोई नही गलत या जबरदस्ती करी तो पापा को बोल दूंगा समझे तुम!

राजा की बात सुनकर दर्द से कराह रहे कालिया के चेहरे का रंग उड़ चला क्योंकि राजा के बाप विकास यादव से उसकी गांड़ फटती थी और कालिया खड़े होते हुए बोला:"

" मुझसे गलती हो गई राजा! मुझे माफ कर दो! मैं चलता हूं!

इतना कहकर कालिया खड़ा हुआ और हाथ जोड़कर बाहर चला गया तो शहनाज ने सुकून की सांस ली और राजा की तरफ देखते हुए बोली:"

" ये क्या कर दिया तुमने राजा? मुझे कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा!!

राजा मासूम सा चेहरा लिए हुए बोला:" मैने क्या गलत किया भला? खेल हो तो आपको उसके साथ नही खेलना तो उसे मान जाना चाहिए था! इसमें मेरी नही बल्कि कालिया की गलती है!

शहनाज को समझ नही आया कि ये सच में इतना भोला है या बनने की कोशिश कर रहा है! शहनाज थोड़ी देर तक उसका चेहरा ध्यान से देखती रही और बोली:"

" लेकिन कुछ खेल सबके साथ नही खेले जाते तुम्हे ये बात समझनी चाहिए थी ना! मेरी जान तो अब मुश्किल में फंस गई न, अब कालिया मुझे जीने नही देगा!



राजा:" आप चिंता मत करो, मैं पापा को बोल दूंगा तो वो फिर कुछ नही कर पायेगा!

शहनाज का दिल एक बार फिर से धड़का उठा कि पता नही राजा अपने बाप के सामने क्या बोले और बोली:"

" क्या बताओगे तुम अपने पापा को? मुझे भी तो बताओ जरा!

राजा:" यही कि कालिया भी मैडम के साथ जबरदस्ती खेलना चाहता है जबकि मैडम सिर्फ मेरे साथ मस्ती वाला खेले खेलना चाहती हैं!

राजा की बात सुनकर अब शहनाज का चेहरा देखने लायक था और उसे समझ में आ गया था कि वो सच में बड़ी मुश्किल में फंस गई हैं क्योंकि राजा पर उसे अब कोई भरोसा नहीं रह गया था! शहनाज उसके सामने हाथ जोड़ते हुए बोली:"

" अच्छा तुम कुछ मत करो! मैं खुद निपट लूंगी अपने आप कालिया से!

राजा:" अरे मैडम आप नही जानती हो कि वो कितना खतरनाक आदमी हैं! मुझे आपकी मदद करनी ही पड़ेगी!

शहनाज समझ गई कि राजा को ऐसे समझ नही आयेगा तो उसने दूसरा तरीका सोचा और बोली:"

" अच्छा एक बात बताओ तुम मुझसे कितना प्यार करते हो?

राजा:" बहुत ज्यादा, सबसे ज्यादा

शहनाज ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और बोली:"

"ठीक हैं फिर प्रोमिस करो कि ये खेल वाली बात तुम किसी को नही बताओगे!

राजा ने प्रोमिस किया तो शहनाज ने उसका गाल चूम लिया तो राजा ने उसे बांहों में भर लिया और बोला:"

" चलो न मैडम फिर से वही मस्ती वाला खेल खेलते हैं!

शहनाज:" नही आज नही, तुम अब घर जाओ, मेरी आज तबियत ठीक नहीं है! बाद करती में कभी खेलते हैं!

राजा चला गया और शहनाज सोच में पड़ गई कि ये उससे बहुत बड़ी गलती हो गई है और अब उसे आगे दिक्कत आने वाली हैं ! सबसे पहले तो उसे कुछ भी करके कालिया का मुंह बंद करना पड़ेगा! वही कालिया से ज्यादा खतरा तो उसे अब राजा से लग रहा था क्योंकि राजा कहीं भी कुछ भी बोल सकता था!

धीरे धीरे शाम होती चली गई और शहनाज ने खाना बनाया और खाने के बाद थोड़ा घूमने के लिए निकल गई और पार्क में पहुंची तो देखा कि राजा अपने बाप विकास यादव के साथ पहले सी ही घूम रहा था और शहनाज को देखते ही विकास खुशी से भर उठा और बोला:"

" आज बड़ी लेट आई आप! मैं तो बस जाने ही वाला था बेटे को लेकर अब!

शहनाज का दिल जोर से धड़क उठा क्योंकि उसे डर था कि कहीं राजा ने अपने बाप को कुछ बता तो नही दिया लेकिन विकास के चेहरे के भाव से ऐसा कुछ नही लगा तो शहनाज फीकी सी स्माइल करते हुए बोली:"

"बस थोड़ा घर के काम थे तो उनमें लगी हुई थी!

विकास:" अरे घर के काम करने से आपकी खूबसूरती कम हो जाएगी! आप कहे तो नौकरानी रख दू आपके लिए!

शहनाज उसकी बात सुनकर शर्मा गई और बोली:"

" आप भी कुछ भी बोल देते हैं! मैं इतनी भी खूबसूरत नही हैं!

राजा:" अरे नही मैडम! पापा सच ही तो कह रहे हैं आप सच में बेहद खूबसूरत हैं और अंदर से तो आप और भी ज्यादा खूबसूरत हैं!!

राजा की बात सुनकर शहनाज का दिल जोर से धड़क उठा और पसीने छूट गए कि राजा पता नही और क्या बोल देगा तो विकास हल्का सा हंसते हुए राजा से बोला:" चल भाग यहां से और दौड़ लगा उधर!

अपने बाप की डांट सुनकर वो भाग गया और विकास बोला:"

" सच में आपकी खूबसूरत का जवाब नही! मर्द तो क्या बच्चे भी दीवाने हो गए आपके !

शहनाज बुरी तरह से झेंप गई और नजरे नीची करते हुए बोली:"

" मुझे शर्म आती हैं! आप ऐसे बाते मत कीजिए!

विकास:" शर्म तो औरतों का गहना होती हैं और आप जब शर्माती हैं तो और ज्यादा खूबसूरत लगती हैं!

शहनाज:" कुछ तो शर्म कीजिए खुदा के लिए! इस उम्र मे इतनी बेशम्री भी ठीक नहीं है!

विकास:"उम्र का क्या हैं और अभी कौन सा मैं बूढ़ा हो गया हू, फिर आपको देख कर तो मुर्दा भी तड़प उठे मैं तो फिर भी जिंदा इंसान हु!

शहनाज इस बार बुरी तरह से झेंप सी गई और थोड़ा चहलकदमी करते हुए बोली:"

" अच्छा मैं अब चलती हु, काफी देर भी हो गई है!

विकास:" अरे इतनी भी जल्दी क्या है आपको जाने की?


शहनाज:"नही दरअसल वो ठाकुर साहब भी घर पर नही हैं तो देर रात तक बाहर रहना ठीक नहीं!

विकास:" एक काम कीजिए मैं आपको छोड़ देता हूं अगर आपको जाना ही हैं तो आपके घर तक!

शहनाज:" नही फिर कभी, मैं आज अकेले ही चली जाऊंगी!

विकास:" ठीक हैं जैसी आपकी मर्जी, लेकिन आप वो मनहूस हवेली छोड़कर मेरे घर पर रहने के लिए आ जाओ!

शहनाज:" अच्छा चलो मैं देखती हु! कल ठाकुर साहब आ जायेंगे तो उनसे बात करके फिर आपको बताती हूं!

ठाकुर का नाम सुनकर विकास ने बुरा सा मुंह बनाया और शहनाज वापिस हवेली की तरफ चल पड़ी! आज स्याह काली रात थी लेकिन शहर की सड़को पर जलती हुई बिजली शहनाज को हौसला दिए हुए थी! धीरे धीरे शहनाज आगे बढ़ रही थी और तभी बिजली अचानक से गुल हो गई और चारो और घुप अंधेरा हो गया था और अब शहनाज का दिल किसी अनजाने डर की आशंका से भर उठा क्योंकि उसने स्वाभिमान के चलते विकास के हवेली तक छोड़ने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था ! शहनाज ने अपना मोबाइल निकाला और उसकी टॉर्च जलाकर कर धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी लेकिन अब उसे कुछ समझ नही आ रहा था और तभी सड़क पर उसे आवारा कुत्तों के भौंकने की आवाजे जोर जोर से सुनाई तो शहनाज डर के मारे एक तरफ सड़क के किनारे पर खड़ी हो गई और कुत्तों के भौंकने और लड़ने की आवाजे तेज और तेज होती चली गई! ऐसा महसूस हो रहा था मानो कुछ आवारा कुत्ता अशोक नगर में घुस आए थे और सड़क के सारे कुत्ते मिलकर उस पर हमला कर रहे थे! काफी देर तक कुत्तों के भौंकने की आवाजे आती रही और शहनाज ने मोबाइल देखा तो करीब 10:30 का समय हो गया था! शहनाज की हालत तब खराब हो गई जब उसके मोबाइल की बैटरी खत्म हुई और मोबाइल पूरी तरह से बंद हो गया!

शहनाज अब पूरी तरह से डर गई थी और थोड़ी देर के बाद जैसे ही कुत्तों के उल्टी दिशा में तेजी से दौड़ने की आवाजे आई तो शहनाज के राहत की सांस ली और कुछ मिनट इंतजार करने के बाद वो हवेली की तरफ बढ़ चली और डरते कदमों से उस गली के एक छोर पर पहुंच गई जहां रोशनी का नामो निशान दूर दूर तक नही था और यही दो दिन पहले किसी ने उसकी चुचियों को दबाया था! शहनाज की सांसे तेज हो गई और डर के मारे उसका चेहरा पीला पड़ा हुआ था क्योंकि आज तो राजा ने कालिया को सब बता दिया था और वो जानती थी कि कालिया उसे छोड़ने वाला नही हैं! शहनाज ने सोचा कि वो गली से न जाकर सड़क के दूसरे छोर से आयेंगी और थोड़ा टाइम ज्यादा लगेगा तो कोई बात नहीं लेकिन तभी कुत्तों की उसी दिशा से आती आवाज सुनकर उसके कदम अपने आप गली में पड़ गए और शहनाज गली में घुस गई और तेज तेज कदमों से चल पड़ी मानो लगभग दौड़ ही रही थी !

जैसे ही गली के बीच के करीब पहुंची किसी ने उसे एक झटके के साथ अपनी बांहों में कस लिया और शहनाज की डर के मारे चींख निकल पड़ी लेकिन पहले से ही सावधान उस आदमी ने उसका मुंह बंद कर दिया और एक झटके के साथ उसका सिर पीछे की तरफ मोड़ दिया तो शहनाज की रहा सहा विरोध भी खत्म हो गया और डरते हुए बोली:"

" आह छोड़ दो मुझे! घर जाने दो ये सब गलत हैं! कौन हो तुम !

आदमी ने कुछ नही बोला और थोड़ी देर शहनाज को ऐसे ही पकड़ कर रखा और फिर अपने एक हाथ की उसकी चूची पर रख दिया तो शहनाज उसका हाथ हटाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली:"

" मत करो ये सब! क्यों मुझे बर्बाद करना चाहते हो तुम!

हैरानी की सबसे बड़ी बात ये थी कि अजनबी कल की तरह कुछ नही बोल रहा था बस आज उसके हाथो की पकड़ कल के मुकाबले बेहद सख्त थी और उसने देखते ही देखते शहनाज की गर्दन को छोड़ा और उसके दोनो हाथो को पकड़ा और मोड़कर कमर की तरफ कर दिया जिससे शहनाज का बचाव उसकी चूचियों पर से हट गया और उसने उसकी चूची के जोर से मसल दिया तो शहनाज दर्द से कराह उठी

" आह क्यों मेरे पीछे पड़े हुए हो तुम? क्या बिगाड़ा है मैने तुम्हारा!!

आदमी ने कुछ नहीं बोला और देखते ही देखते उसके हाथ शहनाज के सूट में घुस गए और उसकी ब्रा में घुसकर उसकी नंगी चुचियों को पकड़ लिया तो शहनाज तड़प उठी और आदमी ने उसकी चुचियों को मसलना शुरू कर दिया तो शहनाज के मुंह से दर्द भरी सिसकियां निकलने लगी और वो छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी! एक बात शहनाज को महसूस हुई कि आदमी की हथेली बेहद चौड़ी और मजबूत थी और उसकी मोटी ताजी गोल मटोल चूची को पूरी अपने हथेली में भरा हुआ था और शहनाज के लिए मुश्किल तब हुई जब आदमी का खड़ा लंड उसे अपनी गांड़ पर महसूस हुआ और उसके मुंह से आह निकल पड़ी! उस आदमी ने उसकी चुचियों को छोड़ा तो शहनाज ने राहत की सांस ली और कुछ पल शहनाज आराम से खड़ी रही और आदमी ने उसकी सलवार का नाडा एक झटके से खोल दिया और शहनाज चाह कर कुछ नही कर सकी और आदमी के हाथ पेंटी के साथ उसकी सलवार को नीचे कर दिए और अब शहनाज पूरी तरह से कसमसा उठी और बोली

" मत करो मेरे साथ ये सब! मेरी जिदंगी खराब मत करो!

आदमी ने बिना कोई जवाब दिए उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया और जोर जोर से किसी जंगली की तरह मसलने लगा और शहनाज के मुंह से न चाहते हुए भी मस्ती भरी आह निकल पड़ी और आदमी समझ गया कि शहनाज को अब मजा आ रहा है तो उसने एक उंगली को उसकी चूत में घुसा दिया और शहनाज दर्द से तड़प उठी क्योंकि उसकी चूत अभी पूरी तरह से गीली नही हुई थी और उसे तेज दर्द का एहसास हुआ था!

आदमी ने धीरे से अपने पेंट को नीचे किया और उसका नंगा लंड जैसे ही शहनाज की नंगी गांड़ से छुआ तो शहनाज समझ गई कि आज उसका बचना मुश्किल हैं और उसे दिमाग से काम लेना होगा और धीरे धीरे उसने अपने शरीर को ढीला छोड़ और आदमी की पकड़ भी शहनाज की मर्जी जानकर ढीली हो गई और शहनाज ने खुद ही आगे होते हुए उसके लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया तो उसे एहसास हुआ कि ये बेहद मोटा और लंबा लंड था ! शहनाज ने धीरे से उस पर हाथ फिराया तो उसे यकीन हो गया कि ये करीब सात इंच लम्बा और 2.5 इंच मोटा था और शहनाज ने उसे सहलाना शुरू कर दिया और आदमी ने खुश होते हुए उसकी चूत में अपनी पूरी उंगली घुसा डाली और अंदर बाहर करने लगा तो शहनाज मस्ती से उसकी उंगली पर अपनी चूत रगड़ती हुई उसके लंड को जोर जोर से सहलाने लगी और देखते ही देखते आदमी के मुंह से मस्ती भरी सिसकियां निकलने लगी और उसने जोरदार झटके के साथ जोर से शहनाज की चूत में उंगली को पूरा घुसा दिया और अपने लंड की पिचकारी उसके हाथ में मार दी और शहनाज से चिपक गया!

शहनाज तो मानो इसी मौके की तलाश में थी और एक झटके से हाथ अलग हुई और तेजी से दौड़ती हुई हवेली में पहुंच गई और राहत की सांस ली!!

अगले दिन सुबह शहनाज स्कूल के लिए गई थी रास्ते में कालिया और उसका गैंग खड़ा हुआ था और कालिया बोला:"

" ओए रघु तूने कभी मस्ती वाला खेल खेला हैं क्या? हमारी नई मैडम बड़े अच्छे से खेलती हैं!

रघु:" लेकिन क्या फायदा बच्चों के साथ कौन सा मजा आता होगा भला उस खेल का !

शहनाज समझ गई कि उसका काम खराब हो गया है और अब उसका यहां जीना बेहद मुश्किल होने वाला हैं तो वो बिना कुछ कहे आगे बढ़ गई!! स्कूल जाकर उसने बच्चो को पढ़ाया और शाम के समय जैसे ही वापिस घर जाने लगी लेकिन उसने जान बूझकर इस बार राजा को अपने साथ लिया था ताकि उसकी हिम्मत बनी रहे! एक बार फिर से कालिया गैंग सड़क पर खड़ा हुआ उसका इंतजार ही कर रहा था और कालिया उसे देखते ही बोला:"

" और मैडम आज का क्या प्लान हैं ? आऊ क्या खेलने के लिए !

शहनाज ने उसे घूरकर देखा और आगे बढ़ गई तो कालिया उसके साथ ही पीछे पीछे चलने लगा और बोला:"

" साली नखरे तो ऐसे दिखा रही हैं मानो दुनिया की सबसे शरीफ यही हैं बस!

शहनाज एक पल के लिए रुकी और बोली:" तमीज से बात करो, नही तो पुलिस में रिपोर्ट कर दूंगी तेरी !

कालिया ने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ा और बोला:"

" किसी गलतफहमी में मत रहना, यहां का पुलिस स्टेशन अपना हैं, तुम कहो तो तुझे थाने में ही रगड़ कर दिखाऊं क्या !

राजा को गुस्सा आ गया और बोला:" ओ कालिया हाथ छोड़ मेरी मैडम का, वरना पापा को बोलकर तेरी हड्डी पसली तुड़वा दूंगा!

कालिया:" चुप साले! तेरा बाप हमारे ही टुकड़ों पर पलता है! उसे हमने ही यहां थाने का इंचार्ज बनाया हैं! थाना भी हम हैं और पुलिस भी!

राजा

इतना कहकर उसका शहनाज का हाथ मरोड़ दिया तो शहनाज दर्द से कराह उठी राजा गुस्से से आगे बढ़ा तो कालिया ने उसके मुंह पर थप्पड़ मारा तो उसके मुंह से खून निकल आया और शहनाज ने गुस्से से दूसरे हाथ से कालिया के मुंह पर थप्पड़ मार दिया और मानो थोड़ी देर के लिए बिल्कुल शांति! कालिया के साथ साथ उसके सारे गुंडे शहनाज की तरफ देख रहे थे और शहनाज बिना कुछ कहे आगे बढ़ गई और राजा का हाथ पकड़ कर हवेली में घुस गई! कालिया अपनी आंखो में बदले की आग लिए हुए अपने गुंडो के साथ वापिस आ गया!

शहनाज जानती थी कि उसके लिए अब दिक्कत और ज्यादा बढ़ जायेगी! राजा अपने बाप को फोन करने की जिद करने लगा तो शहनाज ने उसे समझा दिया वो खुद बात करेगी! उसने विकास का नंबर मिलाया और बोली

" राजा बोल रहा था कि आज मैं उसके साथ आपके घर आऊ! आप जब शाम को वापिस आए तो मुझे अपने साथ लेकर जाना!

विकास:" मैं भी तो आपसे कबसे कह रहा था! कोई बात नही मैं आ जाऊंगा!

शहनाज जानती थी कि अब ठाकुर साहब के आने तक उसे अगर कोई कालिया से बचा सकता था तो वो विकास यादव ही था! राजा बोला:"

" मैडम आपने पापा से झूठ क्यों बोला! मैंने तो आपसे नही कहा!


शहनाज उसका गाल चूमते हुए बोली:" तो तुम मुझे अपने घर नही बुलाना चाहते क्या ?

राजा:" आओ ना जब आपका मन करे! मेरे घर मेरी मैडम का घर !

इतना कहकर राजा शहनाज के गले लग गया और बोला:"

" आओ ना मैडम मस्ती वाला खेल खेलते हैं आज फिर से!

शहनाज:" अभी रुको, यहां दिक्कत हैं! शाम को तुम्हारे घर पर ही खेलते हैं!


धीरे धीरे शाम हुई और शहनाज राजा के साथ विकास की गाड़ी में उसके घर पहुंच गई! विकास आज बेहद खुश था क्योंकि उसकी बीवी कल ही एक हफ्ते के लिए अपने मायके गई हुई और वो आराम से शहनाज के साथ मस्ती कर सकता था!

विकास ने नौकरानी को चाय के लिए कहा और हॉल में बैठकर बाते करने लगा:"

" मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि आप जैसी खुबसूरती हसीना सच में मेरे घर आई हैं!

शहनाज शर्मा गई और बोली:"

" ऐसा मत कहो! जब देखो आप मेरी तारीफ करते रहते हो! मुझे शर्म आती हैं बहुत!

विकास:" शहनाज सच में तुम तो सिर से लेकर पैर तक पूरी तारीफ के लायक हो!

शहनाज:" मैं एक टीचर हु! मुझसे ऐसी बाते मत करो ना आप! कुछ तो शर्म करो!

विकास:" मै तो कबसे आपका छात्र बनने के लिए तड़प रहा हूं! मुझे कुछ पढ़ा दीजिए ना !

तभी नौकरानी चाय रखकर चली गई और राजा भी आ गया तो सभी लोग चाय पीने लगे!

राजा:" पापा तो एक गुंडा हैं कालिया, वो मैडम को बहुत छेड़ता है!

शहनाज:" अरे नही नही! ऐसी कोई बात नहीं है! बच्चा हैं इसकी बाते पर ध्यान मत दीजिए आप!

विकास:" मैं जानता हूं कालिया को! आप उससे मत डरिए! आज के बाद वो आपकी तरफ नही देखेगा!

राजा:" मैने उसे मना किया था उसने मुझे थप्पड़ मारा पापा! उसे आप छोड़ना मत! उसने आज मैडम का हाथ भी मरोड़ दिया!

विकास:" मेरे होते हुए तुम पर इतना जुल्म हो गया और मुझे बताया भी नही! क्या मुझ पर यकीन नही है आपको ?

शहनाज:" वो मैं नही चाहती थी कि मेरी वजह से कोई हंगामा हो बस इसलिए !

विकास:" जाओ राजा तुम अपना गेम खेलो! मुझे मैडम से बात करनी है!

राजा चला गया तो विकास शहनाज से बोला:"

" आइए ना अंदर बेडरूम में बैठकर बाते करते हैं!

शहनाज ने एक बार विकास की तरफ देखा और खड़ी होती हुई बोली:"

" रहने दीजिए ना! यहीं ठीक लग रहा है मुझे!

विकास ने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ लिया और अंदर की तरफ चलते हुए बोला:"

" घर आई हो और बेडरूम नही देखोगी ये क्या बात हुई भला!

शहनाज कुछ नहीं बोली और उसके साथ चल दी! बेडरूम सच मे बेहद खूबसूरत था और शहनाज का हाथ पकड़े पकड़े विकास बेड पर बैठ गया और बोला:"

" इतनी गर्मी में भी आपने ने बुर्के को पहना हुआ हैं! उतार दीजिए ना इसे!


शहनाज उसकी तरफ देखते हुए स्माइल करके बोली:"

" नही रहने दीजिए ना! मुझे शर्म आयेगी फिर बहुत ज्यादा!

विकास उसका हाथ सहलाते हुए बोला:" इसमें शर्म की क्या बात भला! फिर मैं तो आपका अपना ही हु! क्या आप मुझे गैर मानती हैं क्या?

शहनाज:" नही मैने ऐसा तो नहीं कहा! अच्छा ठीक हैं !

इतना कहकर शहनाज ने धीरे से अपना बुर्का उतार दिया और एक बेहद डीप कट सूट में उसकी आधे से ज्यादा नंगी चूचियां विकास के सामने आ गई!!


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विकास की नजरे शहनाज की चुचियों पर टिक गई और बोला:

" आप तो सच में बेहद खूबसूरत हो शहनाज! राजा ठीक कह रहा था कि आप अंदर से और ज्यादा खूबसूरत हो!

शहनाज ने शर्म के मारे अपना चेहरा हाथो में छुपा लिया और बोली:"

" राजा तो बच्चा हैं कुछ भी बोल देता है!

विकास खड़ा हुआ और दरवाजे के पहुंच कर बोला:"

" दरवाजा बंद कर दू शहनाज?

शहनाज ने तिरछी नजरों से उसे देखा और बोली:"

" वो क्यों भला?

विकास:" ताकि मेरे अलावा कोई भी तुम्हे बिना बुर्के के न देख सके!

विकास ने दरवाजा बंद किया और उसके पास पहुंच गया तो शहनाज की सांसे तेज हो गई और विकास ने दोनो हाथों को उसके कंधो पर रखा और उसे शीशे के सामने करते हुए बोला:"

" आप खुद ही देख लीजिए कि आप कितनी खूबसूरत हैं!

शहनाज ने आंखे खोली तो अपने आप को शीशे में देख कर शरमा गई और फिर से आंखो को बंद लिया और ऐसे ही खड़ी रही बस उसकी सांसे अब बहुत तेज हो गई थी और उसकी तेज सांसों के साथ उसकी उछलती हुई चूचियां देखकर विकास धीरे से उसके कान में बोला:"

" थोड़ा सांस तो धीरे से लीजिए! क्यों मुझ कर इतना जुल्म कर रही हो आप!

शहनाज ने जान बूझकर अपनी चुचियों को और जोर से उभारा और आंखे बंद किए हुए ही मस्ती से बोली:"

" अपने आप ही तेज हो गई है तो इसमें मेरी भला क्या गलती! मैं क्यों आप पर जुल्म करने लगी!

विकास ने धीरे से उसके गाल को एक हाथ से छुआ तो शहनाज कांप उठी और विकास उसके कान से अपनी जीभ छूते हुए फिर से लगभग सिसक उठा:"

" आंखे खोल कर दीजिए तो पता चलेगा कि हम पर क्या जुल्म हो रहा है! खोलिए ना अपनी आंखे एक बार !

शहनाज ने धीरे से अपने हाथो को अपनी आंखो से हटाया और अपनी चुचियों को देखा और जैसे ही उसने उपर नजरे उठाई तो उसकी आंखे विकास से टकराई और शहनाज ने उससे कुछ पल के लिए आंखे मिलाई और फिर से नीचे झुका दी विकास ने हिम्मत करते हुए अपनी उंगलियों से उसके होठों को रगड़ दिया तो शहनाज के मुंह से आह निकल पड़ी और विकास ने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसकी गर्दन को चूसना शुरु कर दिया तो शहनाज उससे छूटने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली:"

" आह ये क्या कर रहे हो आप! मुझे जाने दीजिए! ये गुनाह है!

विकास ने दोनो हाथों को उसकी चुचियों पर रख दिया और हथेली में भर कर मसलते हुए बोला:"

" अह्ह्ह्हह मुझे मत रोको मेरी जान ! कबसे तुम्हारे लिए तड़प रहा हूं!

इतना कहकर उसने शहनाज की गर्दन पर अपने दांत गडा दिए तो शहनाज दर्द से कराह उठी

" अह्ह्ह्ह्ह क्या करते हो! थोड़ा प्यार से!

बस शहनाज की इस सिसकी ने विकास को सब समझा दिया और उसने शहनाज के सूट में हाथ डाल कर ब्रा में हाथ घुसाते हुए उसकी चुचियों को पकड़ लिया और चौड़ी हथेली में शहनाज की गोल मटोल नंगी चूचियां पूरी तरह से समा गई और शहनाज के दिमाग में धमाका सा हुआ और पलटकर विकास के होंठो को चूसने लगीं! विकास भी मस्ती से पागल सा हो गया और उसके होठों को चूसते हुए उसे बेड पर पटक सा दिया और शहनाज ने अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी तो विकास के मजे की कोई सीमा नहीं रही और मजे से उसकी जीभ चूसने लगा! एक लंबे किस के बाद दोनो के होंठ अलग हुए तो शहनाज अपनी चुचियों को उसकी छाती से रगड़ते हुए उसके कान में बोली:

" रात गली में तुमने ही मुझे पकड़ा था न! बहुत तड़पाया है तुमने मुझे!

विकास जोर दिया से उसकी चूचियां मसलते हुए बोला "

" आह्ह्ह्ह्ह मेरी जान ! तुझे कैसे पता चला?

शहनाज ने उचक कर फिर से उसके होंठो को चूम लिया और अपनी चुचियों को उभारते हुए बोली:"

" ये रात भी ऐसे ही पूरी आपके हाथो में आ गई थी मानो आपके हाथो के लिए ही बनी है!!

विकास उसकी बात सुनकर जोश में आ गया और सूट सहित उसकी ब्रा को उतार दिया तो शहनाज शर्म से पानी पानी हो गई और अपनी दोनो चुचियों को अपनी हथेलियों में धक लिया और बोली:"

" अह्ह रहने दीजिए ना! ये ठीक नहीं है!

विकास ने जबरदस्ती उसके हाथो को हटाया और उसकी एक चूची को हाथ में भरते हुए दूसरी को मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा तो शहनाज मस्ती से सिसकती हुई बोली:"

" आह आह्हग्हग बहुत अच्छा लग रहा है! ऐसे ही कीजिए! कालिया मुझे बहुत परेशान करता है! उसका कुछ कीजिए ना आप!

विकास ने शहनाज की सिसकियां सुनते ही मस्ती में आकर उसके चूची पर दांत गडा दिए और बोला:"

" अह्ह्ह्ह्हह मेरी जॉन! उसकी गांड़ फाड़ दूंगा साले की आज ही!

इतना कहकर वो जोर जोर से उसकी चूचियां चूसने लगा और शहनाज मस्ती से सिसक उठी! उसने अपने दोनों हाथों को उसके सिर पर टिका दिया और अपनी चुचियों पर उसका मुंह दबाने लगी! शहनाज पर आज पूरी मस्ती छा गई थी और उसकी चूत पूरी तरह से भीग गई थी! शहनाज नीचे से अपनी चूत उठा उठा कर उसके लंड के उभार पर रगड़ने लगी तो विकास ने देर न करते हुए उसकी सलवार का नाडा खोल कर पेंटी सहित नीचे सरका दिया और उसकी नंगी गीली भीगी हुई चूत में उंगली घुसा दी तो चूत गीली होने के कारण आराम से उंगली अंदर सरक गई और शहनाज ने एक बार फिर से सिसकते हुए उसके होंठो को चूम लिया और विकास तेजी से उंगली उसकी कसी हुई चूत में अंदर बाहर करते हुए बोला:"

" आह्ह्ह्ह्ह् शहनाज तेरी चूत पूरी कसी हुई है! बता ना तेरी चूत किसके लिए है!

शहनाज मस्ती से मचलती हुई सिसकी:" आह्ह्ह्ह् तेरे लिए हैं मेरी जान लेकिन कालिया इसमें अपना घुसाना चाहता है!!

विकास ने अपनी पेंट को खोला और नंगा होते हुए अपने लंड को सीधे उसकी चूत के छेद पर टिका दिया और बोला:"

" आह्ह्ह्ह्ह इसमें सिर्फ विकास लंड घुसेगा!! कालिया का लंड काट दूंगा!!

चूत पर पहली बार मर्द का तगड़ा लंड महसूस करते ही शहनाज डर के मारे कांप उठी और विकास की आंखो मे देखते हुए बोली:"

" आह्ह्ह्ह आराम से करना!!

विकास ने उसकी चुचियों को अपनी हथेलियों में भरते हुए लंड का धक्का लगाया और मोटा सुपाड़ा चूत के अंदर! चूत के टाइट कसे हुए होंठो ने लंड के सुपाड़े को कैद सा कर लिया और शहनाज दर्द से तड़प कर उसके गले लग गई और विकास ने शहनाज का मुंह चूम लिया और बोला:"

" अह्ह्ह्ह्ह क्या चीज निकली तुम! तुम सिर्फ मेरी हो और तेरी चूत भी!!

इतना कहकर उसने जोर से धक्का लगाया और आधा लंड अंदर, शहनाज दर्द से कराह उठी और विकास ने फिर से जोरदार धक्का लगाया और पूरा लंड जड़ तक अन्दर घुस गया और शहनाज दर्द से कराहती, मचलती हुई तड़पती हुई उससे लिपट सी गई और विकास ने उसकी चुचियों को मसलते हुए अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा तो लंड मानो अंदर फंस सा गया था और विकास ने जोर लगाते हुए उसे बाहर खींचा और खुशी में फिर से शहनाज का मुंह चूम लिया और जोरदार धक्का लगाते हुए फिर से लंड को एक ही धक्के में जड़ तक घुसा दिया और शहनाज एक बार फिर से दर्द से कराहती हुई उससे लिपट गई और विकास ने धक्के लगाने शुरु कर दिए और धीरे धीरे शहनाज की चूत थोड़ी सी खुली और लंड पहले के मुकाबले थोड़ा आराम से अंदर बाहर होने लगा लेकिन अभी भी शहनाज की कसी हुई चूत उसे आसानी से नही आने जाने दे रही थी और शहनाज को अब दर्द के साथ साथ मजा भी आने लगा तो उसने अपने दोनों हाथो को उसके गले में लपेट लिया और उसकी आंखो में देखने लगी तो विकास ने जोश में आकर तेज तेज धक्के लगाने शुरु कर दिए और शहनाज जोर से मस्ती भरी सिसकियां लेने लगी

" अअह्ह्ह मर जाऊंगी!! अह्ह्ह् विकास थोड़ा प्यार से करो!

लेकिन विकास उसकी चूचियां मसलते हुए तेज तेज धक्के लगाने लगा और शहनाज की आंखो मस्ती से बंद हो गई और हर धक्के पर उसका पूरा शरीर हिल रहा था!!


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विकास शहनाज की कसी हुई चूत की गर्मी के आगे ज्यादा ना टिक सका और जोर जोर से धक्के लगाने लगा तो शहनाज मस्ती से उससे जोर से लिपट गई और विकास ने एक जोरदार धक्के के साथ अपने लंड को पूरा उसकी चूत में घुसा दिया और इसके साथ ही शहनाज की चूत से भी पानी का झरना छूट पड़ा और विकास उसकी चूचियो पर गिर पड़ा! दोनो प्यार से एक दूसरे को चूम रहे थे और सहला रहे थे ! विकास उसकी चूची पर जीभ फेरते हुए बोला:"

" शहनाज तुम मेरी जान हो! आज के बाद तुम अशोक नगर की रानी बनकर रहोगी!!

शहनाज ने उसका मुंह चूम लिया और उसे अपने ऊपर से हटने का इशारा किया तो उसके हटते ही शहनाज उठी और उसकी चूत से निकला खून देखकर विकास खुशी से पागल हो गया था और अब यकीन हुआ कि इतनी टाइट क्यों लग रही थी उसे शहनाज की चूत! जिस तरह से इतनी जल्दी शहनाज ने समर्पण किया था वो तो शहनाज को चालू औरत समझ रहा था लेकिन अब उसे शहनाज बहुत प्यारी लग रही थी और फिर से उसे बांहों में भर कर चूम लिया! शहनाज ने अपने कपड़े पहन लिए और बोली:"

" अब मुझे जाना होगा!


इतना कहकर शहनाज ने उसके होंठो को चूम लिया और बाहर जाने लगी तो एक बार फिर से पलटी और उसके गले लगी और उसके मुंह को फिर से चूम कर बोली:"

" और हां आज रात मुझे गली में मत पकड़ना समझे! गली से ज्यादा मजा बेड पर आता है!!

विकास ने आगे उसे फिर से अपनी बाहों में भर लिया और शहनाज एक अदा के साथ उसकी पकड़ से बाहर निकल गई और बोली:"

" अच्छा मैं अब चलती हु!

विकास:" अच्छा रुकिए ! मैं आपको हवेली तक छोड़ देता हूं अपनी गाड़ी से!

शहनाज:" नही रहने दीजिए, बेवजह लोग शक करेंगे और ये अच्छी बात नहीं होगी!

इतना कहकर शहनाज उसके घर से निकल गई और ऑटो करके हवेली पहुंच गई! ठाकुर साहब आज वापिस आ गए थे और शहनाज से मिलकर बेहद खुश हुए और बोले:"

" यहां पर कोई दिक्कत तो नही हो रही हैं न आपको !

शहनाज:" नही ठाकुर साहब, मैं अच्छे से अपना काम कर पा रही हूं! कोई दिक्कत हो तो आपको बोल दूंगी!

ठाकुर:" बेझिझक कहिए! आप मेरे बेटी की तरह है! बस इतना ध्यान रखिए कि अशोक नगर अच्छा एरिया नही हैं! कभी भी कोई भी दिक्कत हो तो हवेली पूरी तरह से सुरक्षित हैं! वैसे तो यहां पर चेयरमैन का राज हैं और उसकी ही गुंडा गर्दी चलती हैं लेकिन आज भी हवेली का अपना रसूख हैं!


शहनाज:" जी आप बेफिक्र रहिए! मैं आपकी बात ध्यान रखूंगी!

धीरे धीरे रात होने और शहनाज ने ठाकुर साहब के साथ खाना खाया और घूमने के किए निकल गई!!शहनाज पार्क में जा पहुंची लेकिन आज ना तो राजा ही पार्क आया और न ही विकास! थोड़ी देर घूमने के बाद वो वापिस हवेली की तरफ जाने लगी और अंधेरा काफी फैल गया था! शहनाज इस बात से आज बेफिक्र थी कम से कम आज उस पर गली में तो कोई हमला नही होगा क्योंकि विकास अब उसे गली में तो नही पकड़ेगा! शहनाज को लगता था कि गली में उसे रोज कलियां पकड़ता था लेकिन सच्चाई जानकर उसे हैरानी हुई और इतना तो समझ गई थी कि यहां अशोक नगर मे कोई भी शरीफ आदमी नही हैं!

शहनाज चलती हुई गली में घुस गई और रोज की तरह आज भी गली में अंधेरा था तो एक पल के लिए शहनाज का दिल धड़क उठा लेकिन यकीन के साथ आगे बढ़ गई और उसकी गलती का एहसास उसे तब हुआ जब किसी ने उसे पकड़ लिया! शहनाज एक बार फिर से डर गई और बोली:"

" कौन हो तुम? क्या चाहते हो मुझसे ?

कालिया:" साली मुझे नही पहचानती, दिन तो मुझे थप्पड़ मारा था ना तुमने, अब तेरी अक्ल ठिकाने लगा दूंगा!

शहनाज समझ गई कि ये कालिया है और वो डरते हुए बोली:" देखो ये गलत बात है, दिन में तुमने भी तो मुझे और राजा को मारा था!

कालिया ने उसके गले में हाथ डाल कर उसे पूरी तरह से कस लिया और बोला:"

" वो साली सब तेरी वजह से हुआ, मेरे साथ खेल लेती तो कौन सा मर जाती तू!

शहनाज:" देखो मुझसे गलती हो गई! मैं बहक गई थी कसम खाती हु आगे से ऐसा नही होगा! मैं राजा के साथ कुछ नही करूंगी बल्कि उसे ट्यूशन भी नही पढ़ाऊंगी! मुझे जाने दो अब खुदा के लिए !

कालिया ने उसकी एक चूची को मसल दिया और बोला:"

" जो तेरा मन करे तो कर साली,लेकिन जब तू मुझसे चुदेगी नही तेरी अकड़ ठीक नही होगी! और फिर तूने तो मुझे आज थप्पड़ भी मारा! मेरी क्या इज्जत रह जाएगी अगर तुझे छोड़ दिया तो बिना कुछ किए?

शहनाज समझ गई कि वो गलत फंस गई है और बोली:"

" देखो कालिया, यहां कोई भी आ जायेगा, तुम एक काम करो रात को हवेली में आना!

कालिया:" झूठ बोलती हैं साली, पागल समझती हैं मुझे!

शहनाज:" नही नही ऐसा मत कहो, लेकिन ध्यान रखना ये बात किसी को पता नही चलनी चाहिए नही तो मैं किसी को मुंह दिखाने के लायक नही रहूंगी!

कालिया:" देख ले अगर कोई चालाकी हुई तो सोच लेना कल के सूरज नही देख पाएगी तू!

शहनाज:" नही मैं झूठ नही बोलती, सच में धोखा नही दूंगी!

कालिया ने उसे छोड़ दिया और बोला:" ठीक हैं मैं रात को 12 बजे के आस पास आऊंगा! आज तुझे रण्डी की तरह चोद डालूंगा तब तुझे एहसास होगा एक मर्द की ताकत का और फिर तुझे इतने लंड मिलेंगे कि तुझे अशोक नगर की रानी बना दूंगा!

शहनाज:" लेकिन तुम रात को हवेली में घुस कैसे पाओगे ? ठाकुर साहब के आदमी तुम्हे अंदर नही आने देंगे!

कालिया:" तुम मेरी ताकत को नही जानती अभी, ठाकुर के आधे आदमी तो मेरे इशारे पर काम करते हैं! कुछ समझी!

शहनाज:" मैं सब समझ गई कि अगर मुझे अशोक नगर में रहना तो तुम्हारी बनकर रहना होगा!

कालिया:" बहुत समझदार हो तुम! जाओ अब और रात के लिए तैयार रहना!

शहनाज उसे अपनी जान बचाकर हवेली में आ गई और थोड़ी देर ठाकुर साहब से बात करने के बाद अपने कमरे में चली गई! थोड़ी देर बाद वो ऐसे ही बालकनी में घुमती रही और जैसे जैसे रात हो रही थी उसकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी क्योंकि कालिया आज उसे छोड़ने वाला नही था और वो किसी भी कीमत पर कालिया जैसे घटिया और नीच आदमी के नीचे नही लेटना चाहती थी!

तभी उसे गेट पर कुछ हलचल हुई और वो समझ गई कि कालिया अंदर आने की कोशिश कर रहा है! थोड़ी देर के लिए हवेली की लाइट बंद हुई और चारो तरफ घूप अंधेरा! मौके का फायदा उठाकर कालिया अंदर घुस ही रहा था कि एक पहरेदार ने उसे देख लिया और बोला:"

" अरे कौन हैं वहां! भाग जाओ नही तो गोली मार दूंगा!

कालिया थोड़ा साइड हुआ और फिर तेजी से अंधेरे का फायदा उठाकर उस पहरेदार के पास पहुंचा और उसका मुंह पकड़कर उसे जमीन पर गिरा दिया और मारने लगा! थोड़ी ही देर में वो बेहोश हो गया तो कालिया ने उसे उठाकर बाथरूम में डाल दिया और कालिया अंदर की तरफ बढ़ गया! शहनाज को अब कुछ समझ नही आया तो उसने विकास को फोन लगाया और बोली:"

" कालिया से मुझे बचाओ! वो मुझे मार देना चाहता हैं मेरी इज्जत लूटना चाहता हैं! वो हवेली मे घुस आया हैं!

विकास:" तुम डरो मत मैं आता हु, तब तक खुद को बचाओ!

कालिया अंदर घुस आया तो शहनाज ने अपने आपको एक साइड में करके छुपा लिया लेकिन तभी हवेली की लाइट जल गई और कालिया ने उसे देख लिया और बोला:"

" क्या बात हैं मेरी रानी, बड़ी चमक रही हो आज! तुम्हारा यार आ रहा हैं क्या मिलने के लिए ?

शहनाज कुछ नही बोली और अदा के साथ स्माइल करके दूसरी तरफ बढ़ गई और कालिया उसके ठीक पीछे पीछे! एक गार्ड जिसका मन मनोज था उसे बाथरूम लगी तो वो बाथरूम गया और गार्ड को देखकर समझ गया कि जरूर हवेली में कुछ गलत हो रहा हैं! मनोज ठाकुर का सबसे वफादार आदमी था और उसने अपनी बंदूक निकाली और दबे पांव आगे बढ़ गया!

शहनाज अब छत पर पहुंच गई थी और कालिया उसके पीछे पीछे! तभी कालिया को अपने पीछे किसी के आने का एहसास हुआ और मनोज को देखते ही उसकी हालत खराब हो गई और मनोज ने उस पर हमला कर दिया! दोनो की लड़ाई शुरू हो गई और शहनाज आराम से खड़ी हुई सब देख रही थी और कालिया के जासूस गार्ड भी उपर आ गए और उन्होंने मनोज पर हमला कर दिया! अब हवेली मे मार पीट की आवाजे गूंज रही थी और कालिया को खतरे में सोचकर उसके बाहर खड़े हुए साथियों ने हवेली पर हमला कर दिया और गोलियों की आवाज आने लगी! तभी पुलिस सायरन की आवाजे गूंज उठी और देखते ही देखते कुछ पुलिस वाले हवेली के अंदर घुसते चले गए! शहनाज ने अपनी रक्षा के लिए खुद को छत पर बने बाथरूम में बंद कर लिया और वही से सब देखने लगी! पुलिस के आने से ठाकुर के आदमी समझ गए कि अब कालिया साफ बच जायेगा क्योंकि पुलिस उसके इशारों पर ही काम करती थी!

लेकिन हुआ कुछ उल्टा और विकास ने आते ही गुंडों को मारना शुरू कर दिया और कालिया की उसने अच्छे अच्छे से खबर ली! विकास के आने से शहनाज भी बाहर आ गई और अशोक नगर में पहली बार सब देखने लगी , किसी पुलिस वाले ने कालिया पर हाथ उठाया था तो उसने गुस्से से विकास को थप्पड़ मार दिया तो विकास शहनाज के सामने अपनी बे इज़्जती होते देखकर बौखला सा गया और उसने उसने कालिया को वही गिरा दिया और मारने लगा!

कालिया ने गुस्से से उसका चेहरा अपने दोनो हाथो से पकड़कर उसे नीचे गिरा दिया और उसे मरते हुए बोला:"

" साले खुद को बहुत बड़ा पुलिस वाला समझता हैं! रुक आज तेरी गांड़ फाड़ता हु!

बस अब विकास से और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और एक झटके से कालिया को वही पटक दिया और दोनो गुत्थम गुत्था होने लगे और तभी कालिया ने एक सरिया उठा कर जैसे ही विकास पर वार करना चाहा तो विकास तेजी से बच गया और उसने पीछे से एक लात कालिया को मार दी और कालिया संभल नहीं पाया और छत से नीचे गिर पड़ा! कालिया सिर के बल नीचे गिरा और मर गया!

ठाकुर साहब भी आ गए थे और देखते ही देखते कई थानों की पुलिस वहां पहुंच गई और साथ ही साथ मीडिया भी!

ठाकुर साहब:" कालिया ने अपने गुंडों के साथ हवेली पर हमला किया और पुलिस और हमारे सुरक्षा गार्ड की जवानी कार्यवाही में वो मारा गया!

अशोक नगर में काफी सालों के बाद ऐसा हुआ था कि चेयरमैन विजय कुमार के आदमी पर किसी ने न सिर्फ हाथ उठाया था बल्कि उसे मौत के घाट भी उतार दिया था! विकास जानता था कि उससे जोश मे बहुत बड़ी गलती हो गई है जिसका नतीजा उसकी मौत भी हो सकता था!

कालिया चेयरमैन का दांया हाथ था और वही सब उसके गैर कानूनी धंधे देखता था! एक बात तो तय थी कि अब अशोक नगर मे कयामत आने से कोई नही रोक सकता था!!
Wow super hot update bro and waiting for next
 
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शहनाज ने राजा के साथ जिस्मानी सम्बन्ध बनाकर " आ बैल मुझे मार " वाली सिचुएशन पैदा कर दी । इसका खामियाजा उसे विकास यादव के साथ अनैच्छिक सेक्सुअल सम्बन्ध बनाकर करना पड़ा और एक क्रिमिनल को अपनी जान गंवा कर चुकाना पड़ा ।
लेकिन क्या शहनाज और शमा एक ही शख्सियत के दो नाम है ? क्या शमा ही शहनाज है ?
बहुत बढ़िया लिख रहे है आप यूनिक स्टार भाई। आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 

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शहनाज ने राजा के साथ जिस्मानी सम्बन्ध बनाकर " आ बैल मुझे मार " वाली सिचुएशन पैदा कर दी । इसका खामियाजा उसे विकास यादव के साथ अनैच्छिक सेक्सुअल सम्बन्ध बनाकर करना पड़ा और एक क्रिमिनल को अपनी जान गंवा कर चुकाना पड़ा ।
लेकिन क्या शहनाज और शमा एक ही शख्सियत के दो नाम है ? क्या शमा ही शहनाज है ?
बहुत बढ़िया लिख रहे है आप यूनिक स्टार भाई। आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।

धन्यवाद आपका भाई! शहनाज और शमा एक ही है या नही ये तो वक्त ही बताएगा! अपराधी का अंत एक दिन निश्चित होता हैं! अभी काफी सारे रहस्य से पर्दा उठना बाकी हैं! निश्चित रूप से शहनाज इस कहानी की सबसे अनूठी किरदार हैं जिसका रहस्य अंत मे ही सबके सामने आएगा!!
 
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शमा इतना तो जान गई थी कि अब उसका आगे काम आसन नही होने वाला हैं और मानव उसका पीछे नही छोड़ने वाला और वो ये भी अच्छी तरह से जानती थी कि अब तक मानव इसकी सारी जानकारी हासिल कर चुका होगा!

लेकिन बाकी उसके पांच दुश्मनों के नाम सिर्फ वो ही जानती थी और उसके अलावा कोई नहीं! इसलिए वो मानव की तरफ से निश्चित थी कि मानव ज्यादा से ज्यादा उसके पीछे आदमी लगा सकता हैं लेकिन उसके अगले दो शिकार मेजर शैतान सिंह और मेजर संदीप को सुरक्षा नही दे पाएगा! ये वो दोनो नाम थे जिन्होंने उसके भाई के खिलाफ गवाही दी थी!

अब शमा के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि कैसे इनका शिकार किया जाए!

वही दूसरी तरफ बॉस जिसका असली नाम अभी तक किसी को नही पता था उसके आदमी मेजर शैतान और मेजर संदीप दोनो से मिलकर उन्हें शमा से सावधान रहने की बात बता चुके थे और कुछ आदमी तो शमा के पीछे भी लगे हुए थे जिन्हे वो पुलिस का आदमी समझ रही थी जबकि असल में वो बॉस के आदमी थे और ये बात अभी तक आलम पठान नही समझ पाया था कि ये कौन हैं जो शमा का पीछा कर रहे हैं और जैसे ही उसने ये जानकारी मानव को दी थी तो मानव ने पुलिस फोर्स के साथ पहुंच कर दोनो आदमियों को पकड़ लिया और इनसे पूछ ताछ करी लेकिन न जाने किस मिट्टी के बने हुए थे कि मुंह नही खोला और एक ही बात कही कि हम किसी का पीछा नही कर रहे थे!

मेजर शैतान सिंह के बेटे की सगाई मेजर संदीप की बेटी से होना तय हुई थी और इसमें शहर की सभी नामचीन हस्तियां शामिल होने वाली थी! सगाई से ठीक एक हफ्ता पहले शमा दिल्ली चली गई और वही रह रही थी!

सगाई की सारी जिम्मेदारी मेजर सोमनाथ मंडल के हाथ में थी जो कि एक बेहद ईमानदार और साफ छवि वाले इंसान थे! हालाकि वो जानते थे कि मेजर शैतान और संदीप दोनो एक नबर के हरामी और घटिया इंसान थे लेकिन एक ही बटालियन में होने के कारण आना जाना था! उत्सव
हॉल के चारो और बेहद कड़ी सुरक्षा थी और बिना तलाशी के कोई अंदर नही घुस सकता था और हर एक जगह मेटल डिटेक्टर लगे हुए ताकि कोई हथियार अंदर न ले जा सके! सबकी आईडी चेक होने के बाद ही अंदर जाने दिया जा रहा था!


सगाई होने के बाद नाच गाने का प्रोग्राम था और नचाने के लिए एक से बढ़कर एक नर्तकी मंगाई गई थी! पार्टी और रात दोनो अपने पूरे शबाब पर थी और धीरे धीरे जैसे जैसे रात होती जा रही थी नशा बढ़ता ही जा रहा था!

पीने पिलाने का दौर चल पड़ा और मेजर संदीप ने एक लड़की को बुलाया:"

" ओए हीरोइन जरा इधर आओ!

लड़की बेहद खूबसूरत थी जिसके सिर के सारे बाल लाल रंग से रंगे हुए थे! वो अदा के साथ चलती हुई और बोली:"

" जी हुक्म कीजिए मालिक!

नशे से झूमता हुआ संदीप उसे सेक्सी नजरो से देख कर बोला:"

" जाओ मेरे लिए एक स्कॉच का पैग लेकर आओ! अरे ओ शैतान जरा इधर तो आ!

लड़की पैग लेने के लिए चली गई तो संदीप बोला:"

" ओए शैतान देख न इस लाल बाल वाली को क्या माल हैं, इसकी आंखे बिलकुल नीली नशीली हैं भाई!

शैतान:" साले तुझे लड़की दिखी नही और सुहागरात के सपने देखने लगता हैं!

संदीप:" हाय कसम से ये मिल जाएं तो मजा आ जाय जीवन का!!


इतने में वो लड़की एक ट्रे में पैग लेकर आई और बोली:"

" लीजिए आपके लिए स्कॉच!

संदीप के साथ साथ शैतान सिंह ने भी पैग लिया और लड़की वापिस चली गई! दोनो उसकी मटकती हुई गांड़ देखकर पागल हो गए थे और संदीप बोला

" ओए सगाई के बाद सोमनाथ को बोलना इसे फिर से बुलाए! उसके बाद दोनो इसके साध मस्ती मस्ती करेंगे!

धीरे धीरे दोनो बैठ गए और बाते करने लगे! एक एक करके सब मेहमान चले गए और रात के दो बजे पार्टी पूरी तरह से खत्म हो गई और सब लोग सोने के लिए चले गए!

सुबह के अभी तीन भी नही बजे थे कि उत्सव हॉल के बाहर भीड़ लगी हुई थी और पुलिस की तीन से चार गाडियां खड़ी हुई थी! खुद कमिश्नर सत्यपाल सिंह भी आए हुए थे! संदीप और शैतान दोनो की लाशे बेड पर पड़ी हुई थी जिनके मुंह से झाग निकल रहा था! मीडिया की काफी भीड़ आई हुई थी और सोफिया त्यागी आज कुछ ज्यादा ही शोर मचा रही थी और चिल्ला चिल्ला कर कह रही थी:"

" सारे लखनऊ को खून से रंगा जा रहा है और पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी हुई है! आखिर कब तक मुजरिम ऐसे ही खून करता रहेगा?

सत्य प्रकाश:" पुलिस अपना काम कर रही है और जल्दी ही मुजरिम हमारी पकड़ में होगा जिसे फांसी की सजा होगी!

सोफिया:" पुलिस सिर्फ बयानबाजी कर रही है!! क्या आपके हाथ कोई गवाह या सुबूत लगा है??

सत्य प्रकाश ने मानव की तरफ देखा तो मानव आगे आकर बोला:"

" मुझे लगता कि ये सारे कत्ल एक ही आदमी के लिए हुए है जो बेहद शातिर हैं! लेकिन वो कान खोलकर सुन ले कि वो अब पुलिस से बच नही सकता!

सोफिया त्यागी:" अच्छा तो हम भी बताओ कैसे पकड़ोगे कातिल को ? क्या प्लान हैं पुलिस का?

मानव गुस्से से झुंझला उठा और बोला:" जाओ अपना काम करो और पुलिस को अपना काम करने दो आप!!

सोफिया:" मैं तो अपना काम कर ही रही हु लेकिन पुलिस अपना काम ठीक से नही कर रही है!

मानव से अब बर्दाश्त नही हुआ और उसने सोफिया के हाथ से माइक छीनकर जमीन पर फेंक दिया और गुस्से सा अंदर चला गया! सोफिया बोलती जा रही थी कि देखिए किस तरह पुलिस काम कर रही है! मुजरिम को पकड़ने के बजाय हम मीडिया वालो पर अपना गुस्सा दिखा रही हैं और मेरा माइक भी तोड़ दिया ! अगर इंस्पेक्टर मानव ने अगले 24 घंटे के अंदर मुझे नया माइक नही दिया तो मैं इनके खिलाफ पुलिस केस करूंगी!!


इसके बाद गुस्सा मे हो पैर पटकती भी वहां से चली गई! मानव ने सबकी पार्टी की फोटो निकाली लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा! फिर उसने देखा कि संदीप एक लाल बाल लड़की से काफी हंस हंस कर बात कर रहा था तो मानव ने उसे ध्यान से देखा लेकिन समझ नही पाया कि कौन हैं! लड़की की लंबाई ने उसके दिमाग में खतरे की घंटी बजा दी और उसने कंप्यूटर पर लड़की के बालो को काले रंग से रंग दिया तो उसकी आंखे हैरानी से फैलती चली गई! बस एक चीज उसे हैरत में डाल रही थी और वो थी लड़की की नीली आंखे! खैर इतना तो मानव समझ ही गया था कि ये खून भी शमा ने ही किए हैं तो उसने सबसे पहले आलम को फोन किया जो पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में ही था और शमा के पीछे लगा हुआ था!

मानव:" आलम यहां दो कत्ल हुए हैं और वो दोनो शमा ने किए हैं! मेजर संदीप और मेजर शैतान सिंह को जहर देकर मार डाला गया हैं! शमा कहां हैं?

आलम ने एक खिड़की से एक नजर शमा को देखा जो होटल में अपने बेड पर बैठी हुई काफी पी रही थी और बोला:"

" शमा तो अपने बेड पर बैठी हुई काफी पी रही है!

मानव गुस्से सा चिल्ला उठा:"

" क्या बकवास कर रहे हो तुम? वो वहां कैसे हो सकती हैं ?

आलम: मैं सच बोल रहा हूं, आप खुद देख लीजिए!

इतना कहकर उसने मोबाइल के कैमरे को अंदर की तरफ घुमा और देखा कि शमा सच मे अपने बेड पर बैठी हुई काफी पी रही थी और उसके होंठो पर मुस्कान फैली हुई थी! मानव को कुछ समझ नही आ रहा था एक लड़की दोनो जगह दो घंटे के बाद कैसे हो सकती हैं जबकि लखनऊ से दिल्ली जाने में कम से कम 5 से 6 घंटे का समय लगता हैं!

मानव ने कुछ सोचा और बोला:"

" एक काम करो तुम मुझे शमा के कमरे में लगे हुए कैमरे की कल से अब तक की वीडियो दो!

थोड़ी देर बाद ही आलम ने उसे वीडियो भेज दी और मानव को कुछ खास नही मिल रहा था! करीब रात के आठ शमा टॉवेल लेकर नहाने के लिए गई और आधे घंटे बाद वापिस आ गई! मानव ने ध्यान से देखा कि उसके बाल फैले हुए थे जिस कारण ठीक से उसका चेहरा नजर नही आ रहा था! उसने कैमरे की तरफ पीठ किए हुए अपने कपड़े बदले और फिर खुले बालों के साथ ही बेड पर लेट गई और चादर ओढ़ कर सो गई!

मानव के दिमाग ने झटका सा खाया और वो समझ गया कि नहाने के लिए जरूर शमा गई हैं लेकिन जो बाथरूम से वापिस आई हैं वो शमा नही हो सकती! न तो उसका चेहरा ही दिखा और सबसे बड़ी बात उसने खाना तक नही खाया और फिर रात को नींद से जागकर बाथरूम गई और सबसे बड़ी बात जब वो बाथरूम से आई तो उसका चेहरा अच्छे से दिखा और निश्चित रूप से ये शमा ही थी! शमा के नहाने से लेकर बाथरूम से आने तक के बीच ही ये दोनो खून हुए थे और इसी बीच शमा का चेहरा पूरी तरह से नही दिखा था!



मानव ने दिल्ली एयरपोर्ट फोन किया और लखनऊ आने वाले सभी यात्रियों की लिस्ट और वीडियोग्राफी मांगी लेकिन उसे कहीं भी शमा नजर नही आई! अब मानव को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता हैं और उसने आलम को फिर से फोन किया:"

" आलम कितने पैसे दिए हैं शमा ने तुझे?

आलम:" सर ये आप कैसी बात कर रहे हों? मैं ऐसा सपने में भी नही सोच सकता!

मानव" बकवास बंद करो और सच सच बोलो मुझे नही तो अंजाम बहुत बुरा होगा!

आलम: सर आप गलत सोच रहे हो, मैं मर सकता हु लेकिन झुक नही सकता! आप जैसे चाहे मेरी जांच करा लीजिए!

मानव ने आगे बात नही करी और फोन काट दिया और शमा के मोबाइल के अंतिम कुछ दिनों की कॉल्स डिटेल्स निकाली लेकिन कुछ भी खास हाथ नही लगा! मानव को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे!! वो आराम से आंखे बंद करके गहरी सोच में डूब गया!

करीब आधे घंटे के बाद उसने सोफिया को फोन किया और बोला:"

" सोफिया मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी केस के बारे में!

सोफिया:" वो तो सब ठीक हैं लेकिन मैं अभी बाहर हु और शाम को मिलती हु! मेरे लिए एक नया माइक लेकर आना तुम!

मानव दिन भर केस के बारे में सोचता रहा लेकिन उसे कुछ खास हाथ नही लगा और धीरे धीरे शाम हो गई तो सोफिया का मेसेज आया कि मैं सिटी मॉल में इंतजार कर रही हूं! आना हो तो मेरे लिए नया माइक लेकर आना!

मानव मुस्कुरा उठा और उसने दुकान से एक दर्जन माइक खरीदे और सिटी मॉल पहुंच गया जहां सोफिया पहले से ही आई हुई थी और काफी खूबसूरत लग रही थी!!

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मानव को देखते ही उसने स्माइल दी और खड़ी होती हुई बोली:"

" कहो क्यों बुलाया है? कुछ जानकारी मिली क्या कातिल की?

मानव:" अभी तक तो नही, मुझे तुमसे एक मदद चाहिए!

सोफिया ने उसे देखा और स्माइल करते हुए बोली:"

" नया माइक लेकर आए हो क्या मेरे लिए ?

मानव ने एक पैकेट टेबल पर रखा और उसे खोल दिया और बोला:"

" लो देखो लो एक नही बल्कि एक दर्जन माइक लेकर आया हूं बस तो मदद करेगी न मेरी!

सोफिया हंसते हुए बोली:"

" जरूर करूंगी, लेकिन क्या मदद चाहते हो मुझसे ?

मानव ने ध्यान से उसका चेहरा देखा और बोला:"

" वैसे एक बात कहूं जब तक हंसती हो ना तो बेहद खूबसूरत लगती हो!

सोफिया अपनी तारीफ सुनकर अंदर ही अंदर खुश हुई और बोली:"

" यही बताने के लिए तो नही बुलाया होगा मुझे यहां!

मानव:" अजी मेरी कहां इतनी हिम्मत कि आपकों होटल मे मिलने के लिए बुला सकू! मैंने तो आपको पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा था! लेकिन आपने ही मुझे यहां बुला लिया!

सोफिया:" वो हमारी एक मीटिंग थी यहां और अभी मुझे थोड़ी देर बाद कानपुर जाना है तो बस इसलिए यहीं बुला लिया!

मानव: सच कहूं तो मैं तो यहां आते हुए इसलिए भी डर रहा था कि कहीं तुम फ़ोटो न छाप दो कल मेरी कि कत्ल पर कत्ल होने के बाद मैं होटल में घूम रहा हूं!

सोफिया हंस पड़ी और बोली:

" अच्छा क्या सच में आप इतना डरने लगे हैं मुझसे ?

मानव:" और नही तो क्या ? उस दिन आपने पुलिस स्टेशन में एक दोस्त की तरह बात करी और आज सुबह मेरी इज़्ज़त का ड्रामा निकाल दिया!

सोफिया:" वो मेरा काम है, पब्लिक का गुस्सा और उनकी मांगे आप तक रखना! आप डरिए मत मैं आपकी फोटो नही छापने वाली!

मानव:" मैं आपकी ये मेहरबानी जिंदगी भर नही भूल पाऊंगा! समझ नहीं आ रहा कि किन शब्दों में आपका शुक्रिया करू!

सोफिया:" सिर्फ बाते करने के लिए बुलाया था या कुछ बताओगे भी मुझे ?

मानव:" अच्छा आप इस साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही है!

सोफिया:" एक बात तो पक्की हैं कि आप बड़े ही तेज इंसान हो! लेकिन ध्यान रखना सोफिया इतनी आसानी से हाथ आने वाली चीज नही हैं! क्या लोगे चाय या कॉफी?

मानव ने कॉफी के लिए कहा और थोड़ी देर बाद दोनो काफी पी रहे थे और मानव ने उसे शमा वाली सारी कहानी बताई और मदद मांगी तो सोफिया को मानो यकीन नहीं हो रहा था और बोली:"

" तुम्हारे हिसाब से सब कत्ल करने एक मासूम लडकी हैं!!

मानव:" मासूम नही हैं वो! 50 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुकी है और डीएसपी के पद पर थी जब उसके भाई ने आत्महत्या या मर्डर जो भी हुआ!

सोफिया:"ओह इसका मतलब कानूनी दांव पेंच वो सब जानती हैं और कानून की कमजोरी की फायदा उठा रही हैं!

मानव: हो तो ऐसा ही रहा हैं इसलिए इस केस को दूसरे तरीके से सुलझाना पड़ेगा! इसलिए तुम्हारी मदद मांग रहा हु!

सोफिया ने थोड़ी देर सोचा और बोली:" मदद तो मैं कर दूंगी लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा?

मानव:" तुम्हारे लिए तो जान भी हाजिर है बस हुक्म करो!

सोफिया उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:"

" तुम सब लड़कियों से ऐसे ही फ्लर्ट करते हो?

मानव: बस आपकी खूबसूरती के आगे बहक जाते हैं नही तो लड़कियों को देखकर वो आवाज नही निकलती मेरी!

सोफिया:" आपकी हरकते देखकर तो ऐसा नही लगता मुझे ??

मानव:" क्यों मुझ बेचारे पर इल्ज़ाम लगा रही हो?

सोफिया:" बेचारे और तुम? कुछ तो शर्म किया करो बोलते हुए!

मानव: अजी बस आपको देखकर ही थोड़ी मस्ती सुझती हैं नही तो मेरी मिशाल देता हैं जमाना!!

सोफिया को भी उसकी बातो मे मजा आ रहा था क्योंकि वो भी एक जवान लड़की थी और काफी खुले मिजाज की भी इसलिए उसे ये सब बाते अच्छी लग रही थी और बोली:"

" मेरे नही शमा के पीछे पड़ो!! कामयाब हुए तो तरक्की मिलेगी!

मानव:" शमा से तो भगवान बचाए, वो चाकू से मारती है और आप अपनी अदाओं से!

सोफिया:" तुम्हारी बातो से तो लगता हैं कि तुम्हे रोमांटिक हीरो होना चाहिए था न कि पुलिस इंस्पेक्टर!

मानव:" और तुम्हे मेरी हीरोइन! कसम से क्या खूब जोड़ी होती हमारी!

सोफिया ने उसकी आंखों में आंखे डाली और बोली:"

" अच्छा तो मैं अब चलती हु!

मानव उसकी तरफ देखकर उदास होने की एक्टिंग करते हुए बोला:" अभी ना जाओ छोड़कर ये दिल अभी भरा नहीं!

सोफिया अपनी सीट से खड़ी हुई तो मानव भी उठ गया और सोफिया बोली:

" ठीक है कल से मैं शमा के करीब जाने की कोशिश करती हू!! अब मुझे जाना होगा!

सोफिया ने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाया और मानव ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसका हाथ दबाते हुए बोला:"

" वैसे आपका हाथ बेहद नर्म कोमल और चिकना हैं! बिलकुल फूलो की तरह!

सोफिया उसके हाथ की कठोरता महसूस करते हुए बोली:"

" और आपका एक दम सख्त बिलकुल पत्थर!

मानव ने उसकी आंखो में देखा और उसकी उंगलियों को अपनी उंगलियों में फांसते हुए बोला:"

" पत्थर के बीच पीसकर ही फूलो से रस निकलता हैं!

सोफिया उसकी बात का मतलब समझ कर बुरी तरह से शर्मा गई और एक झटके से अपना हाथ छुड़ाया और बाहर जाने लगी तो मानव उसे आवाज देते हुए बोला:"

" अब कब मिलोगी?

सोफिया पलटी और स्माइल करते हुए बोली:"

" शमा से मिलने के बाद!!

मानव:" जल्दी मिलन मन नही लगेगा तुम्हारे बिना!

सोफिया हंसते हुए बोली:" जाओ काम करो अपना!

इतना कहकर सोफिया निकल गई और मानव भी वापिस पुलिस स्टेशन आ गया और लाश की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट का इंतजार करने लगा!! उसने आलम को भी वापिस आने के लिए बोल दिया क्योंकि अब उसका दिल्ली रहने का कोई फायदा नही था!

विकास चेयरमैन विजय की कोठी पर बैठा हुआ था और उसका मुंह पीला पड़ा हुआ था मानो उसे मौत की सजा मिलने वाली थी! विजय ने अपने रास्ते में आने वाले किसी भी आदमी की नही छोड़ा था यहां तक कि अपने बाप को भी नही! शहनाज को आज विजय की कोठी पर लाया गया था क्योंकि कालिया के गुर्गे विजय को बता चुके थे कि कालिया शहनाज के पीछे पड़ा हुआ था उसके चक्कर में ही हवेली में घुसा था!! ये बात चेयरमैन भी अच्छे से जानता था कि कालिया चोरी करने के लिए घुस ही नही सकता बल्कि खूबसूरत औरते उसकी कमजोरी थी और जरूर वो शहनाज के ही पीछे गया होगा! विजय ने जान बूझकर शहनाज को वही पास के रूम में रखा था ताकि वो देख सके कि अशोक नगर में उसकी क्या ताकत है!

विजय कमरे में आया और कुर्सी पर बैठ गया और सिगरेट में कश लगाते हुए बोला:"

" विकास तुम अच्छे से जानते हो कि कालिया मेरा दांया हाथ था! उसकी मौत के बाद अब तुम्हारी मौत भी तय हैं!

विकास को काटो तो खून नहीं और वो विजय के पैरो में गिर पड़ा और माफी मांगते हुए बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए! मैंने जान बूझकर नही किया! मुझे नही पता था कि वो छत से गिर जायेगा!

विजय:" तू वहां क्या लेने गया था?

विकास जानता था कि झूठ बोलने से कोई फायदा नही हैं इसलिए बोला:"मुझे वहां शहनाज ने फोन करके बुलाया था!

विजय:" अच्छा ये शहनाज कौन हैं और तुम उसे कैसे जानते हो?

विजय:" नई सरकारी टीचर हैं और ठाकुर साहब से यहां रहती है, मेरा बेटा राजा उसके पास ट्यूशन पढ़ने जाता हैं! इसलिए उसके पास मेरा नंबर था!

विजय:" जब तुम और कालिया लड़ रहे थे तो शहनाज कहां थी?

विकास: वो वही थी!

विजय जोर से हंसा और बोला:"

" ओह अब सारी बात समझ में आई मुझे! इसका मतलब तुम उसे दिखाने के लिए मर्द बन गए और कालिया पर हाथ उठा दिया और उसे मार भी दिया!

विकास:" साहब कालिया ने मुझे सारे पुलिस वालो के सामने मारा और गालियां भी दी! बस मैं बर्दाश्त न कर सका !

विजय ने सिगरेट में एक जोरदार कस लगाया और धुआं उसके मुंह पर छोड़ते हुए बोला:"

" बेटा तुम अपने बाप से बात कर रहे हों इसलिए ज्यादा तेज बनने की कोशिश मत करो!

विकास:" मुझे माफ कर दीजिए! आपको आज के बाद शिकायत का को मौका नही दूंगा!

विजय:" तुम्हारा क्या करना है हम बाद में देखते हैं! अभी तुम जाओ !!

विकास ने राहत के सांस ली कि कम से कम अभी के लिए तो वो बच गया है! विकास ने विजय के पैर छुए और बाहर निकल गया! शहनाज कमरे में बैठी हुई सब कुछ सुन रही थी और उसे अंदाजा हो गया था कि विजय कितना ताकतवर आदमी हैं!

थोड़ी देर की बाद शहनाज को किसी के कदमों की आहट मिली मानो कोई जान बूझकर जमीन को अपने पैरो से रौंद रहा था तो वो सावधान हो गई और सीधी होकर बैठ गई!!

कमरे में एक करीब छह फीट का काला मोटा आदमी आया और शहनाज को देखकर मन ही मन उसकी खूबसूरती की तारीफ किए बिना न रह सका और बोला:"

" कैसी हैं आप मैडम? मेरा नाम विजय हैं और अशोक नागर का चेयरमैन हु!

शहनाज ने एक नजर उसकी तरफ देखा कि बिलकुल स्याह काला आदमी, बिलकुल किसी जंगली भैंसे की तरह काला और मोटा लेकिन बेहद ताकतवर जान पड़ता था! शहनाज ने हल्की सी नजर उस पर डाली और दोनो हाथों को जोड़ते हुए हल्की सी मुस्कुराई और बोली:"

" जी नमस्ते चेयरमैन साहब!! मैं अच्छी हु! आप कैसे हैं ?

विजय ने दोनो हाथ जोड़कर उसका अभिवादन किया और बोला:"

" पता चला कि रात कालिया नाम के एक गुंडे ने हवेली पर हमला किया! आपको और ठाकुर साहब को कुछ हुआ तो नही ?

शहनाज:" जी हमला तो हुआ था लेकिन किस्मत अच्छी थी कि हम सब लोग बच गए! आपकी सरकार में पुलिस अच्छा काम कर रही है!

विजय ने ध्यान से फिर से उसका चेहरा देखा और बोला:"

" ये तो आपका बड़प्पन हैं! अगर पुलिस अच्छा काम कर रही होती तो हमला ही नही होता! खैर छोड़िए ये बात आपको यहां अशोक नगर में और कोई दिक्कत तो नही है?

शहनाज:" जी अभी तक तो नही, और आप आपके होते हुए भला मुझे क्या दिक्कत होगी!

विजय उसके चेहरे से उसे पढ़ने की कोशिश कर रहा था जिस कारण वो उसका चेहरा ध्यान से देख रहा था और सच में शहनाज के खूबसूरत चेहरे की कशिश उसे अपनी और आकर्षित कर रही थी! शहनाज की खूबसूरत बड़ी बड़ी काली आखें, चौड़ा सपाट गोरा माथा और कमानीदार बनी हुई भौंहे, चांद सा सुंदर सा गोल मटोल चेहरा और खूबसूरत गाल के साथ साथ दो नाजुक रसभरे लाल सुर्ख पतले पतले मुलायम होंठ उसके काले रंग के हिजाब में बेहद खूबसूरत लग रहे थे! सच में शहनाज की खूबसूरती के आगे चेयरमैन का मन डोलने लगा और बोला:"

" हम आपको कोई दिक्कत होने भी नही देंगे! आखिर आप एक टीचर हैं और हमारे अशोक नगर के बच्चो का भविष्य आपके हाथ में हैं तो आपका ध्यान रखना हमारी जिम्मेदारी हैं! वैसे आपके परिवार में कौन कौन हैं ?

शहनाज:" जी मेरा इस दुनिया में कोई नही हैं! किसी ने मुझे पैदा करके फेंक दिया था कचरे के ढेर में! बस अनाथ आश्रम में पली बढ़ी हुई और इलाहाबाद का शारदा आश्रम ही मेरा घर हैं!

विजय:" ओह, कितने बेदर्द लोग हैं जमाने में! चलिए कोई बात नही आज के बाद खुद को कभी अकेला मत समझिए आप!

शहनाज:" जी बेहद शुक्रिया आपका! आपकी बातो से लगता हैं कि अच्छे लोग अभी जिंदा हैं दुनिया में!

विजय:" अच्छा शहनाज जी मुझे पता चला है कि कालिया आपको परेशान करता था मेरा मतलब हैं कि आते जाते आप पर छींटा कशी करता था

शहनाज:" ये तो मर्द की फितरत होती हैं कि औरत को अकेली देखते ही उस पर डोरे डालने की कोशिश करता है फिर कालिया भी तो आखिर एक मर्द ही था!

विजय:" वाह मानना पड़ेगा आपको, आपने क्या बेहतरीन शब्दो में मेरी बात का जवाब दिया है! वैसे सब मर्द एक जैसे नहीं होते हैं और कुछ मेरे जैसे भी होते हैं! मुझे देखो अब तक शादी ही नही करी मैने!

शहनाज:" ये बिलकुल दुनिया में हर चीज का अपवाद हैं! वैसे आपने शादी क्यों नहीं करी अभी तक?

विजय:" बस कभी मन नही किया तो कभी समय नही मिला और वैसे भी मुझ जैसे काले कलूटे से भला कौन शादी करेगी!

शहनाज ने एक भरपूर नजर उसके चेहरे पर डाली और मजबूत आवाज में बोली:"

" ये तो आप औरत पर सीधा सीधा इल्जाम लगा रहे हैं कि काले से कोई औरत शादी नही करती! औरत सिर्फ दिल देखती है रंग रूप या रूपया पैसा नही!

विजय:" हान हो सकता है कि कोई ऐसी भी हो जिसे सिर्फ़ प्यार से मतलब हो रंग या रूप से नही ! खैर छोड़िए जब तक आप अशोक नगर में हैं मुझे कभी भी मिलने आ सकती हैं और कोई भी दिक्कत हो तो सीधे बोला देना क्योंकि आज के बाद आप हमारी मेहमान हुई!

शहनाज अपने होंठो पर मुस्कान लाती हुई बोली:"

" जी बेहद शुक्रिया आपका! बस एक गुजारिश थी आपसे कि स्कूल के पीछे जो जमीन पड़ी हुई हैं उसमें बच्चो के लिए एक मैदान बन जाए और क्लास में एसी लगवा देंगे तो अच्छा रहेगा!

विजय:" आप निश्चित रहे! कल तक सभी कमरों में एसी लग जायेगी और कल से ही मैदान बनने की परिक्रिया भी शुरू हो जायेगी! और हुक्म हो मेरे लिए तो बताए आप!

शहनाज:" जी बस अभी के लिए इतना काफी हैं! अच्छा मैं अब जाने की इजाजत चाहूंगी आपसे!

विजय:" हान जरूर! मुझे भी एक मीटिंग में जाना था! वैसे कल हमारे एक शॉपिंग माल का उद्घाटन हैं तो आप जरूर आए मुझे आपके आने से अच्छा लगेगा!!

शहनाज:" जी मैं अपनी तरफ से कोशिश करूंगी!

उसके बाद शहनाज हवेली पर आ गई और ठाकुर साहब उसके लिए काफी परेशान थे जबसे उन्हें पता चला था कि शहनाज को विजय ने अपनी कोठी पर बुलाया हैं! उसके आते ही ठाकुर बोले:"

" बेटी मेरा तो दिल घबरा रहा था जबसे तुम गई थी! विजय अच्छा आदमी नही हैं!

शहनाज:" आप उन्होंने स्कूल के हर कमरे में एसी और पीछे की जमीन में बच्चो के लिए मैदान बनाने का वादा किया है!

ठाकुर ने हैरानी से उसे देखा और बोले:" यकीन नही होता वो तो एक नंबर का लालची और रिश्वत खोर इंसान हैं!

शहनाज:" आप यकीन कीजिए! ऐसे लोगो से कैसे काम लेना हैं मैं अच्छे से जानती हु!

ठाकुर:" बेटी वो बात तो ठीक हैं लेकिन ऐसे लोगो का कोई भरोसा नहीं, तुम दूर ही रहना उससे!

शहनाज:" जी आप मेरी चिंता मत करिए! वैसे मुझे भूख लगी हैं खाना खाए जाएं क्या?

उसके बाद शहनाज और ठाकुर ने खाना खाया और शहनाज आज घूमने के लिए नही गई और नींद के आगोश मे चली गई! उधर कल ही विजय ने अपने आदमी को शहनाज की सारी जानकारी निकालने का काम दिया था और उसने बताया था कि शहनाज सच बोल रही है कि वो एक अनाथ बच्ची हैं आई इलाहाबाद में ही पली बढ़ी है! शारदा आश्रम की कई औरतों और गार्ड ने उसकी तस्वीर की पहचान करी हैं! साथ ही शहर के सेंट पीटर्सबर्ग कॉलेज से उसने बी एड करी और वो बी एड की टॉपर्स थी जिसकी फोटो आप ये देखिए!

विजय ने फोटो देखी और अखबार की कटिंग भी जिसने शहनाज कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ खड़ी हुई थी और ये फोटो करीब तीन साल पहली थी! विजय ने ये सब देखा और अपने आदमी को जाने का इशारा किया तो वो आदमी चला गया और अब विजय को यकीन हो गया कि शहनाज झूठ नही बोल रही थी! हुआ जरूर ये होगा कि कालिया उसके पीछे ही हवेली गया होगा और विकास के हाथो मारा गया! विजय ने अपने एक खास आदमी को बुलाया और उसे स्कूल में एसी लगाने का हुक्म दिया और अगले दिन सुबह जब शहनाज स्कूल पहुंची तो उसकी उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि सारे स्कूल में एसी लगी हुई थी और बच्चों के साथ साथ सारा स्टाफ खुशी से झूम रहा था! करीब 10 बजे के आस पास विजय साहब आए और प्रिंसिपल ने उन्हे फूलो का एक बुके देकर सम्मानित किया और बोले:"

" आप सच में देवता इंसान हैं जो आपने ऐसा सोचा! गर्मी में पढ़ना काफी मुश्किल होता था और बच्चो के लिए मैदान बहुत जरूरी था! अब देखना आप अशोक नगर के बच्चे कैसे अशोक नगर का नाम रोशन करेंगे!

विजय ने फूलो का बुके किया और शहनाज को स्टेज पर आने का इशारा किया तो डरती हुई वो स्टेज पर पहुंच गई और विजय ने फूलो का बुके शहनाज को दिया और बोले:"

" इस बुके और तारीफ का असली हकदार मैं नही बल्कि शहनाज जी हैं! दर असल ये कल मुझसे मिलने आई और इन्होने ही मुझे ये सुझाव दिया! सभी एक बार जोरदार इनके लिए जोरदार तालियां बजाए!

सभी लोग तालियां बजा रहे थे सारा स्कूल स्टाफ शहनाज को तारीफ की नजरो से देख रहा था और शहनाज बेहद खुश थी और बोली:"

" मैंने तो सिर्फ सलाह दी आपको लेकिन आपने अपनी मेहनत की कमाई बच्चो के लिए खर्च करके साबित कर दिया कि जनता ने आपको बिलकुल सही चुना हैं अशोक नगर के भविष्य के लिए!

विजय बेहद खुश हुआ क्योंकि एक तरह से शहनाज ने उसके लिए चुनावी पृष्टभूमि बना थी और वो आराम से आगामी चुनाव जीत सकता था! विजय खुशी खुशी बोला:"

" अशोक नगर के सभी स्कूलों की देख भाल आज से शहनाज जी करेंगी!

शहनाज ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे एकदम से इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिल जायेगी और बोली:"

" आपका बेहद शुक्रिया जो आपने मुझे इस काबिल समझा लेकिन मैं अपने आपको अभी इस लायक नही समझती!

विजय:" सच तो ये है कि इस पद की सच्ची और योग्य जिम्मेदार आप ही हैं! आपको हर हाल में आज से ये जिम्मेदारी लेनी हो होगी क्योंकि ये अशोक नगर के चेयरमैन का हुक्म हैं!

शहनाज ने आखिरकार स्वीकृति में गर्दन हिला दी और उसके थोड़ी देर विजय वहां से निकल गए !!
 
Last edited:

Neha tyagi

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Ek baar Sundar kahani, likhte raho maja aayega aage
 
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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बढ़िया अपडेट भाई, मुझे लगता है शाहनाज की कहानी फ्लैश बैक में चल रही है, जहां वो under cover बन कर अशोक नगर गई है, और चेयरमैन का वर्चस्व खत्म करती है।

और बाकी कहानी प्रेजेंट में है।
 
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मुझे तो ऐसा नही लगता कि शहनाज और शमा दोनो एक ही सिक्के के दो पहलू हैं,कहां तो नाजुक सी कली और कहां ये खूंखार शमा|

शमा को और दो और लोगो को मारना है, सबसे कमजोर मानव को दिखाया गया है जिससे कुछ हो ही नहीं रहा है|
 

parkas

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शमा इतना तो जान गई थी कि अब उसका आगे काम आसन नही होने वाला हैं और मानव उसका पीछे नही छोड़ने वाला और वो ये भी अच्छी तरह से जानती थी कि अब तक मानव इसकी सारी जानकारी हासिल कर चुका होगा!

लेकिन बाकी उसके पांच दुश्मनों के नाम सिर्फ वो ही जानती थी और उसके अलावा कोई नहीं! इसलिए वो मानव की तरफ से निश्चित थी कि मानव ज्यादा से ज्यादा उसके पीछे आदमी लगा सकता हैं लेकिन उसके अगले दो शिकार मेजर शैतान सिंह और मेजर संदीप को सुरक्षा नही दे पाएगा! ये वो दोनो नाम थे जिन्होंने उसके भाई के खिलाफ गवाही दी थी!

अब शमा के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि कैसे इनका शिकार किया जाए!

वही दूसरी तरफ बॉस जिसका असली नाम अभी तक किसी को नही पता था उसके आदमी मेजर शैतान और मेजर संदीप दोनो से मिलकर उन्हें शमा से सावधान रहने की बात बता चुके थे और कुछ आदमी तो शमा के पीछे भी लगे हुए थे जिन्हे वो पुलिस का आदमी समझ रही थी जबकि असल में वो बॉस के आदमी थे और ये बात अभी तक आलम पठान नही समझ पाया था कि ये कौन हैं जो शमा का पीछा कर रहे हैं और जैसे ही उसने ये जानकारी मानव को दी थी तो मानव ने पुलिस फोर्स के साथ पहुंच कर दोनो आदमियों को पकड़ लिया और इनसे पूछ ताछ करी लेकिन न जाने किस मिट्टी के बने हुए थे कि मुंह नही खोला और एक ही बात कही कि हम किसी का पीछा नही कर रहे थे!

मेजर शैतान सिंह के बेटे की सगाई मेजर संदीप की बेटी से होना तय हुई थी और इसमें शहर की सभी नामचीन हस्तियां शामिल होने वाली थी! सगाई से ठीक एक हफ्ता पहले शमा दिल्ली चली गई और वही रह रही थी!

सगाई की सारी जिम्मेदारी मेजर सोमनाथ मंडल के हाथ में थी जो कि एक बेहद ईमानदार और साफ छवि वाले इंसान थे! हालाकि वो जानते थे कि मेजर शैतान और संदीप दोनो एक नबर के हरामी और घटिया इंसान थे लेकिन एक ही बटालियन में होने के कारण आना जाना था! उत्सव
हॉल के चारो और बेहद कड़ी सुरक्षा थी और बिना तलाशी के कोई अंदर नही घुस सकता था और हर एक जगह मेटल डिटेक्टर लगे हुए ताकि कोई हथियार अंदर न ले जा सके! सबकी आईडी चेक होने के बाद ही अंदर जाने दिया जा रहा था!


सगाई होने के बाद नाच गाने का प्रोग्राम था और नचाने के लिए एक से बढ़कर एक नर्तकी मंगाई गई थी! पार्टी और रात दोनो अपने पूरे शबाब पर थी और धीरे धीरे जैसे जैसे रात होती जा रही थी नशा बढ़ता ही जा रहा था!

पीने पिलाने का दौर चल पड़ा और मेजर संदीप ने एक लड़की को बुलाया:"

" ओए हीरोइन जरा इधर आओ!

लड़की बेहद खूबसूरत थी जिसके सिर के सारे बाल लाल रंग से रंगे हुए थे! वो अदा के साथ चलती हुई और बोली:"

" जी हुक्म कीजिए मालिक!

नशे से झूमता हुआ संदीप उसे सेक्सी नजरो से देख कर बोला:"

" जाओ मेरे लिए एक स्कॉच का पैग लेकर आओ! अरे ओ शैतान जरा इधर तो आ!

लड़की पैग लेने के लिए चली गई तो संदीप बोला:"

" ओए शैतान देख न इस लाल बाल वाली को क्या माल हैं, इसकी आंखे बिलकुल नीली नशीली हैं भाई!

शैतान:" साले तुझे लड़की दिखी नही और सुहागरात के सपने देखने लगता हैं!

संदीप:" हाय कसम से ये मिल जाएं तो मजा आ जाय जीवन का!!


इतने में वो लड़की एक ट्रे में पैग लेकर आई और बोली:"

" लीजिए आपके लिए स्कॉच!

संदीप के साथ साथ शैतान सिंह ने भी पैग लिया और लड़की वापिस चली गई! दोनो उसकी मटकती हुई गांड़ देखकर पागल हो गए थे और संदीप बोला

" ओए सगाई के बाद सोमनाथ को बोलना इसे फिर से बुलाए! उसके बाद दोनो इसके साध मस्ती मस्ती करेंगे!

धीरे धीरे दोनो बैठ गए और बाते करने लगे! एक एक करके सब मेहमान चले गए और रात के दो बजे पार्टी पूरी तरह से खत्म हो गई और सब लोग सोने के लिए चले गए!

सुबह के अभी तीन भी नही बजे थे कि उत्सव हॉल के बाहर भीड़ लगी हुई थी और पुलिस की तीन से चार गाडियां खड़ी हुई थी! खुद कमिश्नर सत्यपाल सिंह भी आए हुए थे! संदीप और शैतान दोनो की लाशे बेड पर पड़ी हुई थी जिनके मुंह से झाग निकल रहा था! मीडिया की काफी भीड़ आई हुई थी और सोफिया त्यागी आज कुछ ज्यादा ही शोर मचा रही थी और चिल्ला चिल्ला कर कह रही थी:"

" सारे लखनऊ को खून से रंगा जा रहा है और पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी हुई है! आखिर कब तक मुजरिम ऐसे ही खून करता रहेगा?

सत्य प्रकाश:" पुलिस अपना काम कर रही है और जल्दी ही मुजरिम हमारी पकड़ में होगा जिसे फांसी की सजा होगी!

सोफिया:" पुलिस सिर्फ बयानबाजी कर रही है!! क्या आपके हाथ कोई गवाह या सुबूत लगा है??

सत्य प्रकाश ने मानव की तरफ देखा तो मानव आगे आकर बोला:"

" मुझे लगता कि ये सारे कत्ल एक ही आदमी के लिए हुए है जो बेहद शातिर हैं! लेकिन वो कान खोलकर सुन ले कि वो अब पुलिस से बच नही सकता!

सोफिया त्यागी:" अच्छा तो हम भी बताओ कैसे पकड़ोगे कातिल को ? क्या प्लान हैं पुलिस का?

मानव गुस्से से झुंझला उठा और बोला:" जाओ अपना काम करो और पुलिस को अपना काम करने दो आप!!

सोफिया:" मैं तो अपना काम कर ही रही हु लेकिन पुलिस अपना काम ठीक से नही कर रही है!

मानव से अब बर्दाश्त नही हुआ और उसने सोफिया के हाथ से माइक छीनकर जमीन पर फेंक दिया और गुस्से सा अंदर चला गया! सोफिया बोलती जा रही थी कि देखिए किस तरह पुलिस काम कर रही है! मुजरिम को पकड़ने के बजाय हम मीडिया वालो पर अपना गुस्सा दिखा रही हैं और मेरा माइक भी तोड़ दिया ! अगर इंस्पेक्टर मानव ने अगले 24 घंटे के अंदर मुझे नया माइक नही दिया तो मैं इनके खिलाफ पुलिस केस करूंगी!!


इसके बाद गुस्सा मे हो पैर पटकती भी वहां से चली गई! मानव ने सबकी पार्टी की फोटो निकाली लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा! फिर उसने देखा कि संदीप एक लाल बाल लड़की से काफी हंस हंस कर बात कर रहा था तो मानव ने उसे ध्यान से देखा लेकिन समझ नही पाया कि कौन हैं! लड़की की लंबाई ने उसके दिमाग में खतरे की घंटी बजा दी और उसने कंप्यूटर पर लड़की के बालो को काले रंग से रंग दिया तो उसकी आंखे हैरानी से फैलती चली गई! बस एक चीज उसे हैरत में डाल रही थी और वो थी लड़की की नीली आंखे! खैर इतना तो मानव समझ ही गया था कि ये खून भी शमा ने ही किए हैं तो उसने सबसे पहले आलम को फोन किया जो पिछले एक हफ्ते से दिल्ली में ही था और शमा के पीछे लगा हुआ था!

मानव:" आलम यहां दो कत्ल हुए हैं और वो दोनो शमा ने किए हैं! मेजर संदीप और मेजर शैतान सिंह को जहर देकर मार डाला गया हैं! शमा कहां हैं?

आलम ने एक खिड़की से एक नजर शमा को देखा जो होटल में अपने बेड पर बैठी हुई काफी पी रही थी और बोला:"

" शमा तो अपने बेड पर बैठी हुई काफी पी रही है!

मानव गुस्से सा चिल्ला उठा:"

" क्या बकवास कर रहे हो तुम? वो वहां कैसे हो सकती हैं ?

आलम: मैं सच बोल रहा हूं, आप खुद देख लीजिए!

इतना कहकर उसने मोबाइल के कैमरे को अंदर की तरफ घुमा और देखा कि शमा सच मे अपने बेड पर बैठी हुई काफी पी रही थी और उसके होंठो पर मुस्कान फैली हुई थी! मानव को कुछ समझ नही आ रहा था एक लड़की दोनो जगह दो घंटे के बाद कैसे हो सकती हैं जबकि लखनऊ से दिल्ली जाने में कम से कम 5 से 6 घंटे का समय लगता हैं!

मानव ने कुछ सोचा और बोला:"

" एक काम करो तुम मुझे शमा के कमरे में लगे हुए कैमरे की कल से अब तक की वीडियो दो!

थोड़ी देर बाद ही आलम ने उसे वीडियो भेज दी और मानव को कुछ खास नही मिल रहा था! करीब रात के आठ शमा टॉवेल लेकर नहाने के लिए गई और आधे घंटे बाद वापिस आ गई! मानव ने ध्यान से देखा कि उसके बाल फैले हुए थे जिस कारण ठीक से उसका चेहरा नजर नही आ रहा था! उसने कैमरे की तरफ पीठ किए हुए अपने कपड़े बदले और फिर खुले बालों के साथ ही बेड पर लेट गई और चादर ओढ़ कर सो गई!

मानव के दिमाग ने झटका सा खाया और वो समझ गया कि नहाने के लिए जरूर शमा गई हैं लेकिन जो बाथरूम से वापिस आई हैं वो शमा नही हो सकती! न तो उसका चेहरा ही दिखा और सबसे बड़ी बात उसने खाना तक नही खाया और फिर रात को नींद से जागकर बाथरूम गई और सबसे बड़ी बात जब वो बाथरूम से आई तो उसका चेहरा अच्छे से दिखा और निश्चित रूप से ये शमा ही थी! शमा के नहाने से लेकर बाथरूम से आने तक के बीच ही ये दोनो खून हुए थे और इसी बीच शमा का चेहरा पूरी तरह से नही दिखा था!



मानव ने दिल्ली एयरपोर्ट फोन किया और लखनऊ आने वाले सभी यात्रियों की लिस्ट और वीडियोग्राफी मांगी लेकिन उसे कहीं भी शमा नजर नही आई! अब मानव को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता हैं और उसने आलम को फिर से फोन किया:"

" आलम कितने पैसे दिए हैं शमा ने तुझे?

आलम:" सर ये आप कैसी बात कर रहे हों? मैं ऐसा सपने में भी नही सोच सकता!

मानव" बकवास बंद करो और सच सच बोलो मुझे नही तो अंजाम बहुत बुरा होगा!

आलम: सर आप गलत सोच रहे हो, मैं मर सकता हु लेकिन झुक नही सकता! आप जैसे चाहे मेरी जांच करा लीजिए!

मानव ने आगे बात नही करी और फोन काट दिया और शमा के मोबाइल के अंतिम कुछ दिनों की कॉल्स डिटेल्स निकाली लेकिन कुछ भी खास हाथ नही लगा! मानव को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे!! वो आराम से आंखे बंद करके गहरी सोच में डूब गया!

करीब आधे घंटे के बाद उसने सोफिया को फोन किया और बोला:"

" सोफिया मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी थी केस के बारे में!

सोफिया:" वो तो सब ठीक हैं लेकिन मैं अभी बाहर हु और शाम को मिलती हु! मेरे लिए एक नया माइक लेकर आना तुम!

मानव दिन भर केस के बारे में सोचता रहा लेकिन उसे कुछ खास हाथ नही लगा और धीरे धीरे शाम हो गई तो सोफिया का मेसेज आया कि मैं सिटी मॉल में इंतजार कर रही हूं! आना हो तो मेरे लिए नया माइक लेकर आना!

मानव मुस्कुरा उठा और उसने दुकान से एक दर्जन माइक खरीदे और सिटी मॉल पहुंच गया जहां सोफिया पहले से ही आई हुई थी और काफी खूबसूरत लग रही थी!!

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मानव को देखते ही उसने स्माइल दी और खड़ी होती हुई बोली:"

" कहो क्यों बुलाया है? कुछ जानकारी मिली क्या कातिल की?

मानव:" अभी तक तो नही, मुझे तुमसे एक मदद चाहिए!

सोफिया ने उसे देखा और स्माइल करते हुए बोली:"

" नया माइक लेकर आए हो क्या मेरे लिए ?

मानव ने एक पैकेट टेबल पर रखा और उसे खोल दिया और बोला:"

" लो देखो लो एक नही बल्कि एक दर्जन माइक लेकर आया हूं बस तो मदद करेगी न मेरी!

सोफिया हंसते हुए बोली:"

" जरूर करूंगी, लेकिन क्या मदद चाहते हो मुझसे ?

मानव ने ध्यान से उसका चेहरा देखा और बोला:"

" वैसे एक बात कहूं जब तक हंसती हो ना तो बेहद खूबसूरत लगती हो!

सोफिया अपनी तारीफ सुनकर अंदर ही अंदर खुश हुई और बोली:"

" यही बताने के लिए तो नही बुलाया होगा मुझे यहां!

मानव:" अजी मेरी कहां इतनी हिम्मत कि आपकों होटल मे मिलने के लिए बुला सकू! मैंने तो आपको पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा था! लेकिन आपने ही मुझे यहां बुला लिया!

सोफिया:" वो हमारी एक मीटिंग थी यहां और अभी मुझे थोड़ी देर बाद कानपुर जाना है तो बस इसलिए यहीं बुला लिया!

मानव: सच कहूं तो मैं तो यहां आते हुए इसलिए भी डर रहा था कि कहीं तुम फ़ोटो न छाप दो कल मेरी कि कत्ल पर कत्ल होने के बाद मैं होटल में घूम रहा हूं!

सोफिया हंस पड़ी और बोली:

" अच्छा क्या सच में आप इतना डरने लगे हैं मुझसे ?

मानव:" और नही तो क्या ? उस दिन आपने पुलिस स्टेशन में एक दोस्त की तरह बात करी और आज सुबह मेरी इज़्ज़त का ड्रामा निकाल दिया!

सोफिया:" वो मेरा काम है, पब्लिक का गुस्सा और उनकी मांगे आप तक रखना! आप डरिए मत मैं आपकी फोटो नही छापने वाली!

मानव:" मैं आपकी ये मेहरबानी जिंदगी भर नही भूल पाऊंगा! समझ नहीं आ रहा कि किन शब्दों में आपका शुक्रिया करू!

सोफिया:" सिर्फ बाते करने के लिए बुलाया था या कुछ बताओगे भी मुझे ?

मानव:" अच्छा आप इस साड़ी में बेहद खूबसूरत लग रही है!

सोफिया:" एक बात तो पक्की हैं कि आप बड़े ही तेज इंसान हो! लेकिन ध्यान रखना सोफिया इतनी आसानी से हाथ आने वाली चीज नही हैं! क्या लोगे चाय या कॉफी?

मानव ने कॉफी के लिए कहा और थोड़ी देर बाद दोनो काफी पी रहे थे और मानव ने उसे शमा वाली सारी कहानी बताई और मदद मांगी तो सोफिया को मानो यकीन नहीं हो रहा था और बोली:"

" तुम्हारे हिसाब से सब कत्ल करने एक मासूम लडकी हैं!!

मानव:" मासूम नही हैं वो! 50 से ज्यादा एनकाउंटर कर चुकी है और डीएसपी के पद पर थी जब उसके भाई ने आत्महत्या या मर्डर जो भी हुआ!

सोफिया:"ओह इसका मतलब कानूनी दांव पेंच वो सब जानती हैं और कानून की कमजोरी की फायदा उठा रही हैं!

मानव: हो तो ऐसा ही रहा हैं इसलिए इस केस को दूसरे तरीके से सुलझाना पड़ेगा! इसलिए तुम्हारी मदद मांग रहा हु!

सोफिया ने थोड़ी देर सोचा और बोली:" मदद तो मैं कर दूंगी लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा?

मानव:" तुम्हारे लिए तो जान भी हाजिर है बस हुक्म करो!

सोफिया उसकी बात सुनकर हंस पड़ी और बोली:"

" तुम सब लड़कियों से ऐसे ही फ्लर्ट करते हो?

मानव: बस आपकी खूबसूरती के आगे बहक जाते हैं नही तो लड़कियों को देखकर वो आवाज नही निकलती मेरी!

सोफिया:" आपकी हरकते देखकर तो ऐसा नही लगता मुझे ??

मानव:" क्यों मुझ बेचारे पर इल्ज़ाम लगा रही हो?

सोफिया:" बेचारे और तुम? कुछ तो शर्म किया करो बोलते हुए!

मानव: अजी बस आपको देखकर ही थोड़ी मस्ती सुझती हैं नही तो मेरी मिशाल देता हैं जमाना!!

सोफिया को भी उसकी बातो मे मजा आ रहा था क्योंकि वो भी एक जवान लड़की थी और काफी खुले मिजाज की भी इसलिए उसे ये सब बाते अच्छी लग रही थी और बोली:"

" मेरे नही शमा के पीछे पड़ो!! कामयाब हुए तो तरक्की मिलेगी!

मानव:" शमा से तो भगवान बचाए, वो चाकू से मारती है और आप अपनी अदाओं से!

सोफिया:" तुम्हारी बातो से तो लगता हैं कि तुम्हे रोमांटिक हीरो होना चाहिए था न कि पुलिस इंस्पेक्टर!

मानव:" और तुम्हे मेरी हीरोइन! कसम से क्या खूब जोड़ी होती हमारी!

सोफिया ने उसकी आंखों में आंखे डाली और बोली:"

" अच्छा तो मैं अब चलती हु!

मानव उसकी तरफ देखकर उदास होने की एक्टिंग करते हुए बोला:" अभी ना जाओ छोड़कर ये दिल अभी भरा नहीं!

सोफिया अपनी सीट से खड़ी हुई तो मानव भी उठ गया और सोफिया बोली:

" ठीक है कल से मैं शमा के करीब जाने की कोशिश करती हू!! अब मुझे जाना होगा!

सोफिया ने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाया और मानव ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसका हाथ दबाते हुए बोला:"

" वैसे आपका हाथ बेहद नर्म कोमल और चिकना हैं! बिलकुल फूलो की तरह!

सोफिया उसके हाथ की कठोरता महसूस करते हुए बोली:"

" और आपका एक दम सख्त बिलकुल पत्थर!

मानव ने उसकी आंखो में देखा और उसकी उंगलियों को अपनी उंगलियों में फांसते हुए बोला:"

" पत्थर के बीच पीसकर ही फूलो से रस निकलता हैं!

सोफिया उसकी बात का मतलब समझ कर बुरी तरह से शर्मा गई और एक झटके से अपना हाथ छुड़ाया और बाहर जाने लगी तो मानव उसे आवाज देते हुए बोला:"

" अब कब मिलोगी?

सोफिया पलटी और स्माइल करते हुए बोली:"

" शमा से मिलने के बाद!!

मानव:" जल्दी मिलन मन नही लगेगा तुम्हारे बिना!

सोफिया हंसते हुए बोली:" जाओ काम करो अपना!

इतना कहकर सोफिया निकल गई और मानव भी वापिस पुलिस स्टेशन आ गया और लाश की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट का इंतजार करने लगा!! उसने आलम को भी वापिस आने के लिए बोल दिया क्योंकि अब उसका दिल्ली रहने का कोई फायदा नही था!

विकास चेयरमैन विजय की कोठी पर बैठा हुआ था और उसका मुंह पीला पड़ा हुआ था मानो उसे मौत की सजा मिलने वाली थी! विजय ने अपने रास्ते में आने वाले किसी भी आदमी की नही छोड़ा था यहां तक कि अपने बाप को भी नही! शहनाज को आज विजय की कोठी पर लाया गया था क्योंकि कालिया के गुर्गे विजय को बता चुके थे कि कालिया शहनाज के पीछे पड़ा हुआ था उसके चक्कर में ही हवेली में घुसा था!! ये बात चेयरमैन भी अच्छे से जानता था कि कालिया चोरी करने के लिए घुस ही नही सकता बल्कि खूबसूरत औरते उसकी कमजोरी थी और जरूर वो शहनाज के ही पीछे गया होगा! विजय ने जान बूझकर शहनाज को वही पास के रूम में रखा था ताकि वो देख सके कि अशोक नगर में उसकी क्या ताकत है!

विजय कमरे में आया और कुर्सी पर बैठ गया और सिगरेट में कश लगाते हुए बोला:"

" विकास तुम अच्छे से जानते हो कि कालिया मेरा दांया हाथ था! उसकी मौत के बाद अब तुम्हारी मौत भी तय हैं!

विकास को काटो तो खून नहीं और वो विजय के पैरो में गिर पड़ा और माफी मांगते हुए बोला:"

" मुझे माफ कर दीजिए! मैंने जान बूझकर नही किया! मुझे नही पता था कि वो छत से गिर जायेगा!

विजय:" तू वहां क्या लेने गया था?

विकास जानता था कि झूठ बोलने से कोई फायदा नही हैं इसलिए बोला:"मुझे वहां शहनाज ने फोन करके बुलाया था!

विजय:" अच्छा ये शहनाज कौन हैं और तुम उसे कैसे जानते हो?

विजय:" नई सरकारी टीचर हैं और ठाकुर साहब से यहां रहती है, मेरा बेटा राजा उसके पास ट्यूशन पढ़ने जाता हैं! इसलिए उसके पास मेरा नंबर था!

विजय:" जब तुम और कालिया लड़ रहे थे तो शहनाज कहां थी?

विकास: वो वही थी!

विजय जोर से हंसा और बोला:"

" ओह अब सारी बात समझ में आई मुझे! इसका मतलब तुम उसे दिखाने के लिए मर्द बन गए और कालिया पर हाथ उठा दिया और उसे मार भी दिया!

विकास:" साहब कालिया ने मुझे सारे पुलिस वालो के सामने मारा और गालियां भी दी! बस मैं बर्दाश्त न कर सका !

विजय ने सिगरेट में एक जोरदार कस लगाया और धुआं उसके मुंह पर छोड़ते हुए बोला:"

" बेटा तुम अपने बाप से बात कर रहे हों इसलिए ज्यादा तेज बनने की कोशिश मत करो!

विकास:" मुझे माफ कर दीजिए! आपको आज के बाद शिकायत का को मौका नही दूंगा!

विजय:" तुम्हारा क्या करना है हम बाद में देखते हैं! अभी तुम जाओ !!

विकास ने राहत के सांस ली कि कम से कम अभी के लिए तो वो बच गया है! विकास ने विजय के पैर छुए और बाहर निकल गया! शहनाज कमरे में बैठी हुई सब कुछ सुन रही थी और उसे अंदाजा हो गया था कि विजय कितना ताकतवर आदमी हैं!

थोड़ी देर की बाद शहनाज को किसी के कदमों की आहट मिली मानो कोई जान बूझकर जमीन को अपने पैरो से रौंद रहा था तो वो सावधान हो गई और सीधी होकर बैठ गई!!

कमरे में एक करीब छह फीट का काला मोटा आदमी आया और शहनाज को देखकर मन ही मन उसकी खूबसूरती की तारीफ किए बिना न रह सका और बोला:"

" कैसी हैं आप मैडम? मेरा नाम विजय हैं और अशोक नागर का चेयरमैन हु!

शहनाज ने एक नजर उसकी तरफ देखा कि बिलकुल स्याह काला आदमी, बिलकुल किसी जंगली भैंसे की तरह काला और मोटा लेकिन बेहद ताकतवर जान पड़ता था! शहनाज ने हल्की सी नजर उस पर डाली और दोनो हाथों को जोड़ते हुए हल्की सी मुस्कुराई और बोली:"

" जी नमस्ते चेयरमैन साहब!! मैं अच्छी हु! आप कैसे हैं ?

विजय ने दोनो हाथ जोड़कर उसका अभिवादन किया और बोला:"

" पता चला कि रात कालिया नाम के एक गुंडे ने हवेली पर हमला किया! आपको और ठाकुर साहब को कुछ हुआ तो नही ?

शहनाज:" जी हमला तो हुआ था लेकिन किस्मत अच्छी थी कि हम सब लोग बच गए! आपकी सरकार में पुलिस अच्छा काम कर रही है!

विजय ने ध्यान से फिर से उसका चेहरा देखा और बोला:"

" ये तो आपका बड़प्पन हैं! अगर पुलिस अच्छा काम कर रही होती तो हमला ही नही होता! खैर छोड़िए ये बात आपको यहां अशोक नगर में और कोई दिक्कत तो नही है?

शहनाज:" जी अभी तक तो नही, और आप आपके होते हुए भला मुझे क्या दिक्कत होगी!

विजय उसके चेहरे से उसे पढ़ने की कोशिश कर रहा था जिस कारण वो उसका चेहरा ध्यान से देख रहा था और सच में शहनाज के खूबसूरत चेहरे की कशिश उसे अपनी और आकर्षित कर रही थी! शहनाज की खूबसूरत बड़ी बड़ी काली आखें, चौड़ा सपाट गोरा माथा और कमानीदार बनी हुई भौंहे, चांद सा सुंदर सा गोल मटोल चेहरा और खूबसूरत गाल के साथ साथ दो नाजुक रसभरे लाल सुर्ख पतले पतले मुलायम होंठ उसके काले रंग के हिजाब में बेहद खूबसूरत लग रहे थे! सच में शहनाज की खूबसूरती के आगे चेयरमैन का मन डोलने लगा और बोला:"

" हम आपको कोई दिक्कत होने भी नही देंगे! आखिर आप एक टीचर हैं और हमारे अशोक नगर के बच्चो का भविष्य आपके हाथ में हैं तो आपका ध्यान रखना हमारी जिम्मेदारी हैं! वैसे आपके परिवार में कौन कौन हैं ?

शहनाज:" जी मेरा इस दुनिया में कोई नही हैं! किसी ने मुझे पैदा करके फेंक दिया था कचरे के ढेर में! बस अनाथ आश्रम में पली बढ़ी हुई और इलाहाबाद का शारदा आश्रम ही मेरा घर हैं!

विजय:" ओह, कितने बेदर्द लोग हैं जमाने में! चलिए कोई बात नही आज के बाद खुद को कभी अकेला मत समझिए आप!

शहनाज:" जी बेहद शुक्रिया आपका! आपकी बातो से लगता हैं कि अच्छे लोग अभी जिंदा हैं दुनिया में!

विजय:" अच्छा शहनाज जी मुझे पता चला है कि कालिया आपको परेशान करता था मेरा मतलब हैं कि आते जाते आप पर छींटा कशी करता था

शहनाज:" ये तो मर्द की फितरत होती हैं कि औरत को अकेली देखते ही उस पर डोरे डालने की कोशिश करता है फिर कालिया भी तो आखिर एक मर्द ही था!

विजय:" वाह मानना पड़ेगा आपको, आपने क्या बेहतरीन शब्दो में मेरी बात का जवाब दिया है! वैसे सब मर्द एक जैसे नहीं होते हैं और कुछ मेरे जैसे भी होते हैं! मुझे देखो अब तक शादी ही नही करी मैने!

शहनाज:" ये बिलकुल दुनिया में हर चीज का अपवाद हैं! वैसे आपने शादी क्यों नहीं करी अभी तक?

विजय:" बस कभी मन नही किया तो कभी समय नही मिला और वैसे भी मुझ जैसे काले कलूटे से भला कौन शादी करेगी!

शहनाज ने एक भरपूर नजर उसके चेहरे पर डाली और मजबूत आवाज में बोली:"

" ये तो आप औरत पर सीधा सीधा इल्जाम लगा रहे हैं कि काले से कोई औरत शादी नही करती! औरत सिर्फ दिल देखती है रंग रूप या रूपया पैसा नही!

विजय:" हान हो सकता है कि कोई ऐसी भी हो जिसे सिर्फ़ प्यार से मतलब हो रंग या रूप से नही ! खैर छोड़िए जब तक आप अशोक नगर में हैं मुझे कभी भी मिलने आ सकती हैं और कोई भी दिक्कत हो तो सीधे बोला देना क्योंकि आज के बाद आप हमारी मेहमान हुई!

शहनाज अपने होंठो पर मुस्कान लाती हुई बोली:"

" जी बेहद शुक्रिया आपका! बस एक गुजारिश थी आपसे कि स्कूल के पीछे जो जमीन पड़ी हुई हैं उसमें बच्चो के लिए एक मैदान बन जाए और क्लास में एसी लगवा देंगे तो अच्छा रहेगा!

विजय:" आप निश्चित रहे! कल तक सभी कमरों में एसी लग जायेगी और कल से ही मैदान बनने की परिक्रिया भी शुरू हो जायेगी! और हुक्म हो मेरे लिए तो बताए आप!

शहनाज:" जी बस अभी के लिए इतना काफी हैं! अच्छा मैं अब जाने की इजाजत चाहूंगी आपसे!

विजय:" हान जरूर! मुझे भी एक मीटिंग में जाना था! वैसे कल हमारे एक शॉपिंग माल का उद्घाटन हैं तो आप जरूर आए मुझे आपके आने से अच्छा लगेगा!!

शहनाज:" जी मैं अपनी तरफ से कोशिश करूंगी!

उसके बाद शहनाज हवेली पर आ गई और ठाकुर साहब उसके लिए काफी परेशान थे जबसे उन्हें पता चला था कि शहनाज को विजय ने अपनी कोठी पर बुलाया हैं! उसके आते ही ठाकुर बोले:"

" बेटी मेरा तो दिल घबरा रहा था जबसे तुम गई थी! विजय अच्छा आदमी नही हैं!

शहनाज:" आप उन्होंने स्कूल के हर कमरे में एसी और पीछे की जमीन में बच्चो के लिए मैदान बनाने का वादा किया है!

ठाकुर ने हैरानी से उसे देखा और बोले:" यकीन नही होता वो तो एक नंबर का लालची और रिश्वत खोर इंसान हैं!

शहनाज:" आप यकीन कीजिए! ऐसे लोगो से कैसे काम लेना हैं मैं अच्छे से जानती हु!

ठाकुर:" बेटी वो बात तो ठीक हैं लेकिन ऐसे लोगो का कोई भरोसा नहीं, तुम दूर ही रहना उससे!

शहनाज:" जी आप मेरी चिंता मत करिए! वैसे मुझे भूख लगी हैं खाना खाए जाएं क्या?

उसके बाद शहनाज और ठाकुर ने खाना खाया और शहनाज आज घूमने के लिए नही गई और नींद के आगोश मे चली गई! उधर कल ही विजय ने अपने आदमी को शहनाज की सारी जानकारी निकालने का काम दिया था और उसने बताया था कि शहनाज सच बोल रही है कि वो एक अनाथ बच्ची हैं आई इलाहाबाद में ही पली बढ़ी है! शारदा आश्रम की कई औरतों और गार्ड ने उसकी तस्वीर की पहचान करी हैं! साथ ही शहर के सेंट पीटर्सबर्ग कॉलेज से उसने बी एड करी और वो बी एड की टॉपर्स थी जिसकी फोटो आप ये देखिए!

विजय ने फोटो देखी और अखबार की कटिंग भी जिसने शहनाज कॉलेज के प्रिंसिपल के साथ खड़ी हुई थी और ये फोटो करीब तीन साल पहली थी! विजय ने ये सब देखा और अपने आदमी को जाने का इशारा किया तो वो आदमी चला गया और अब विजय को यकीन हो गया कि शहनाज झूठ नही बोल रही थी! हुआ जरूर ये होगा कि कालिया उसके पीछे ही हवेली गया होगा और विकास के हाथो मारा गया! विजय ने अपने एक खास आदमी को बुलाया और उसे स्कूल में एसी लगाने का हुक्म दिया और अगले दिन सुबह जब शहनाज स्कूल पहुंची तो उसकी उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि सारे स्कूल में एसी लगी हुई थी और बच्चों के साथ साथ सारा स्टाफ खुशी से झूम रहा था! करीब 10 बजे के आस पास विजय साहब आए और प्रिंसिपल ने उन्हे फूलो का एक बुके देकर सम्मानित किया और बोले:"

" आप सच में देवता इंसान हैं जो आपने ऐसा सोचा! गर्मी में पढ़ना काफी मुश्किल होता था और बच्चो के लिए मैदान बहुत जरूरी था! अब देखना आप अशोक नगर के बच्चे कैसे अशोक नगर का नाम रोशन करेंगे!

विजय ने फूलो का बुके किया और शहनाज को स्टेज पर आने का इशारा किया तो डरती हुई वो स्टेज पर पहुंच गई और विजय ने फूलो का बुके शहनाज को दिया और बोले:"

" इस बुके और तारीफ का असली हकदार मैं नही बल्कि शहनाज जी हैं! दर असल ये कल मुझसे मिलने आई और इन्होने ही मुझे ये सुझाव दिया! सभी एक बार जोरदार इनके लिए जोरदार तालियां बजाए!

सभी लोग तालियां बजा रहे थे सारा स्कूल स्टाफ शहनाज को तारीफ की नजरो से देख रहा था और शहनाज बेहद खुश थी और बोली:"

" मैंने तो सिर्फ सलाह दी आपको लेकिन आपने अपनी मेहनत की कमाई बच्चो के लिए खर्च करके साबित कर दिया कि जनता ने आपको बिलकुल सही चुना हैं अशोक नगर के भविष्य के लिए!

विजय बेहद खुश हुआ क्योंकि एक तरह से शहनाज ने उसके लिए चुनावी पृष्टभूमि बना थी और वो आराम से आगामी चुनाव जीत सकता था! विजय खुशी खुशी बोला:"

" अशोक नगर के सभी स्कूलों की देख भाल आज से शहनाज जी करेंगी!

शहनाज ने सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे एकदम से इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिल जायेगी और बोली:"

" आपका बेहद शुक्रिया जो आपने मुझे इस काबिल समझा लेकिन मैं अपने आपको अभी इस लायक नही समझती!

विजय:" सच तो ये है कि इस पद की सच्ची और योग्य जिम्मेदार आप ही हैं! आपको हर हाल में आज से ये जिम्मेदारी लेनी हो होगी क्योंकि ये अशोक नगर के चेयरमैन का हुक्म हैं!

शहनाज ने आखिरकार स्वीकृति में गर्दन हिला दी और उसके थोड़ी देर विजय वहां से निकल गए !!
Bahut hi badhiya update diya hai Unique star bhai....
Nice and excellent update.....
 

Dharmendra Kumar Patel

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बहुत ही लाजवाब शानदार अपडेट
 
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Ahb3007

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Suspense aur thriller to accha per main leads ke bich kuch garmagarm romance bhi dhikaye
 
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