bhai, bol to diya, next week, ek hi word likhte rehne se update jaldi nahi aa jayegaNext
मैं तो बस इमेजन ही कर रही थी की कैसे हुआ होगा वो सब
अब कमर मटकाने की बारी मेरी थी
मेरी पुस्सी और उसकी पुस्सी एक दूसरे से घिस कर एक अजीब सा नशा उत्पन कर रही थी
श्रुति ने आगे बोलना शुरू किया : “और पता है…उसने….वहां नीचे जाकर….मेरी पुस्सी को…..वहां …उसने …..सक्क भी किया….”
मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी..
मुझे तो लगा था की सीधा साधा सैक्स ही हुआ होगा
पर ये साली तो पूरे मज़े लेकर आई है
श्रुति : “और बाद में …मैने भी उसे सक्क किया…..”
मेरा मुँह सूख चूका था
ये सोचकर की उन्होने ओरल सैक्स किया था पहले
मैं : “के….केसा लगा था…वो सब करते हुए…आई मीन….मज़ा आया क्या “
श्रुति : “और नही तो क्या….पता है…जब नितिन ने मुझे वहां सक्क किया ना…यार….कसम से…मेरी पूरी बॉडी शिवर कर रही थी….ही वाज़ सकिंग मी लाईक ए आइस्क्रीम….पूरा अंदर तक अपनी जीभ से…मेरे नीचे के लिप्स को मुँह में लेकर….और वहां जो वो एक दाना होता है ना…”
मैंने बीच में टोका :”वो क्लिट…”
श्रुति : “हाँ वही….तूने ये सब किया नही, पर पता सब है तुझे भी कमिनी…आई नो, जब तू किसी के साथ सैक्स करेगी ना, सामने वाले की शामत आ जानी है कसम से…”
मैं अपनी तारीफ सुनकर मुस्कुरा दी
मैं : “वो सब छोड़, आगे क्या हुआ, जब तूने सक्क किया तो कैसा फील हुआ…मज़ा आया…”
श्रुति : “उसे तो मैने पहले भी सक्क किया हुआ है, कई बार….कार में भी….गार्डेन में भी…और एक बार मूवी हॉल में भी…”
ये बात तो उसने मुझे पहले भी बताई थी
पर तब मैने उसे ज़्यादा तवज्जो नही दी थी
पर आज पता नही क्यो मुझे एक – एक बात जाननी थी
श्रुति : “उसने जिस गहराई में जाकर मेरी पुस्सी को चूसा था, उसका बदला तो उतारना ही था, इसलिए जब नितिन उठकर मेरे चेहरे के करीब आया तो मैने भी उसका पेनिस अपने मुँह में लेकर उसे डीप थ्रोट सकिंग दी, पता है वो अपना सिर उपर करके बस किसी सियार की तरह चिल्ला रहा था, कुछ बोल ही नही पाया बेचारा, इतना ज़ोर से चूसा था मैने उसे…”
वाउ यार….ही इस सो लक्की
लक्की तो वैसे ये कुतिया श्रुति भी है
एक कड़क लॅंड को चूसने में कितना मज़ा आया होगा ये तो बस मैं इमेजीन ही कर सकती हूँ …
असली मज़ा तो इसने ही लिया है
श्रुति : “और लास्ट में …उसने जब उसने वो गीला पेनिस मेरे अंदर डाला ना….पूरी दुनिया घूम गयी मेरी आँखो के सामने “
मैं : “दर्द हुआ था क्या ? “
श्रुति : “हाँ, थोड़ा सा….बट मैने मैनेज कर लिया था…इट वाज़ ओके …ब्लीडिंग नही हुई क्योंकि तुझे तो पता ही है मैं फुटबॉल क्लब में थी स्कूल टाइम में , वहां खेलते वक़्त ही शायद वो झिल्ली फट गयी थी…पर ओवरॉल, सैक्स करके मज़ा बहुत आया…”
उनकी चुदाई के बारे में सोचते-2 मेरी भी आँखे बंद हो गयी
मेरी कमर की गति भी उसी स्पीड से तेज हो रही थी , जिस गति मे शायद श्रुति ने अपनी कमर मटकाय होगी उस रूम में चुदवाते हुए
और मेरे हाथ उसके नर्म मुलायम बूब्स पर कब अपनी पकड़ बनाने लगे, ये मुझे भी पता नही चला
अब मैं इमेजीन कर रही थी की कैसे नितिन ने अपने हाथ में पकड़ कर अपना लॅंड उसके अंदर डाला होगा
और कैसे वो कसमसाई होगी उसे अंदर लेते हुए
दर्द भी हुआ होगा
और मज़ा भी मिला होगा
ये सोचते-2 मेरी कमर और तेज़ी से हिलने लगी
अब श्रुति भी गर्म हो चुकी थी उस रगड़ाई से
वो रोकना तो चाहती थी पर शायद मज़ा उसे भी आ रहा था
मैने उसकी टी शर्ट को लगभग खींचते हुए कहा : “दिखा मुझे, लव बाइट्स भी है क्या तेरी बॉडी पर….”
उसका चेहरा देखने लायक था, जैसे पूछा रही हो की
है भी तो तुझे क्या लेना देना ?
और ऐसे क्यों कर रही है तू
लेस्बियन -2 खेलना है क्या
आज से पहले तो ऐसा कोई इंडिकेशन नही दिया तूने
यहाँ मैं एक बात और शेयर करना चाहती हूँ आपसे
श्रुति और मेरी दोस्ती स्कूल टाइम से ही है
जब हम दोनो टीनेजर्स थे, उसने कई बार मुझे किस्स करने की कोशिश की थी
वो देखना चाहती थी की किस्स करने में कैसा फील होता है
एक दो बार तो मैने भी कोई रिएक्शन नही दिया, चुपचाप किस्स करवा ली
पर एक दिन जब उसने किस्स करते हुए मेरे मुँह में जीभ डाली और मेरे बूब्स को छेड़ना शुरू किया तो मैने उसे बहुत डांटा था
मेरे दिमाग़ में था की ऐसे काम तो सिर्फ़ लेस्बियन करते है और वो हम थे नही
इसलिए उस दिन के बाद उसने ऐसी कोई कोशिश नही की थी
पर आज, वो सब मैं कर रही थी, उसके साथ
उसे तो शुरू से ही ये सब पसंद था
उसकी आँखो के सवाल आँखो मे ही रह गये
वो कुछ बोल नही पाई
बल्कि उसने मेरा साथ दिया उस टी शर्ट को उतारने में
कुछ ही देर में वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में थी
उसके निप्पल्स विसिबल थे
कारण था उसकी उत्तेजना
निप्पल्स तो मेरे भी विसिबल थे पर वो उन्हे अभी देख नही पा रही थी
मैने उसकी स्किन पर बाइट मार्क्स देखे….
ऐसा लगा जैसे नितिन ने उसे हर जगह पर बाइट और सक्क किया है…
कहीं गहरे निशान थे तो कहीं हल्के
पर निप्पल के करीब जाते-2 वो बढ़ते जा रहे थे…
मैने उसके दोनो ब्रा स्त्रेप्स को कंधे से नीचे गिरा दिया
एक पल के लिए तो उसकी भी आँखे चौड़ी हो गयी
पर वो कुछ नही बोली
अब वो मेरे सामने टॉपलेस होकर पड़ी थी
मैं हैरानी से उसके गोरे चिट्टे जिस्म और मोटे बूब्स को देखने लगी
वो बूब्स मुझे अपनी तरफ खींच रहे थे
उसकी आँखो में भी मौन स्वीकृति थी
मेरा सिर अपने आप उसके बूब्स पर झुकता चला गया
और मेरे लिप्स ने सीधा उसके तने हुए निप्पल को अपनी गिरफ़्त में लेकर चूसना शुरू कर दिया
“आआआआआआहह……… ओह…. मेरी ज़ाआाआआआन ……. उम्म्म्ममममम”
उसके हाथ मेरे सिर के पीछे आ लगे और वो मुझे अपनी छाती पर और ज़ोर से दबाने लगी
उसका फूला हुआ बूब मेरे पुर चेहरे को छुपा ले गया
मैं उसके पुर बूब्स को चूस भी रही थी और चाट भी रही थी
शायद मुझे आशा थी की नितिन ने जब अपनी जीभ से इसी जगह पर श्रुति को चाटा होगा तो उसका कुछ टैस्ट अभी तक उसकी स्किन पर होगा जो मैं अपनी जीभ से समेट लेना चाहती थी
वैसे एक बात तो है दोस्तों
एक लड़की को एक लड़की ही अच्छी तरह से चूम और चूस सकती है
क्योंकि वो जानती है की लड़कियो को किस अंदाज में चुसवाना और चटवाना पसंद है
ना कम ना ज़्यादा
लड़को का क्या है
वो तो भूखे भेड़िये की तरह टूट पड़ते है उनपे
उन्हे सिर्फ़ अपने मज़े से मतलब होता है
काश मैं ऐसी ट्यूशन शुरू कर पाती जिसमें मैं जवान लड़को को ये सब सिखाती की कैसे एक लड़की को खुश करना चाहिए
Bhut hi shandaar update... ladkiya jism se khelna sikh gyi... ab dekho kitne maje karti hai yeपर वो बाद की बात है
अभी तो श्रुति को स्वर्ग का वो मज़ा मिल रहा था जो शायद उसने आज तक महसूस नही किया था
“ओह माआय गॉड ……..सााली इतना मज़ा देती है तू…..काश पहले पता होता…….अब तक सो बार चुस्वा चुकी होती तुझसे…..”
उसके हाथ अब मेरे बूब्स को भी टटोल रहे थे
मैने भी आनन फानन में अपनी टी शर्ट और ब्रा निकाल फेंकी
अब हम दोनो टॉपलेस होकर अपनी मुर्गिया एक दूसरे से लड़ा रहे थे
कभी वो अपने पैने निप्पल्स से मेरे बूब्स को भेदती कभी मैं
कभी वो मेरा दूध पीती कभी मैं
करीब 10 मिनट तक उसने सेम तो सेम वही निशान मेरी बॉडी पर भी बना दिए जो उसके उपर थे
इसे कहते है पक्की वाली दोस्ती
अब बारी नीचे की थी
गोडाउन में जाने की
क्योंकि असली देसी घी तो वहीं से निकल रहा था दोनो का
पहल मैने की
मैने उसकी जीन्स को खींचा और उतार दिया
साथ में उसकी कच्छी भी निकल आई
मैने भी अपनी शॉर्ट्स उतारी , मैने पेंटी नही पहनी थी आज
दोनो के मिठाई के डब्बे खुलते ही उनकी महक पूरे कमरे में फैल गयी
श्रुति ने मुझे इशारा किया और मैने अपनी टांगे उसके चेहरे से घुमा कर अपनी पुस्सी उसके चेहरे पर रख दी
और खुद अपने लिप्स को लेजाकर सीधा उसकी बहती हुई नशीली चूत पर
और वहां का नज़ारा देखकर मैं हैरान रह गयी
वो एकदम लाल सुर्ख हुई पड़ी थी
शायद कल की पहली चुदाई का असर था और नितिन की चुसाई का भी
श्रुति : “सलोनी….ज़रा आराम से करना…अभी कल का दर्द गया नही है…”
मैने कहा : “फिकर ना कर मेरी जान, तेरी चूत को अपनी समझ कर ही चूसूंगी …. दर्द तेरे आशिक ने दिया है, दवा मैं दूँगी”
मेरे फिल्मी अंदाज पर वो हंस पड़ी पर अगले ही पल उसकी हँसी एक सिसकारी में बदल कर रह गयी
क्योंकि मैने उसकी पूरी की पूरी चूत अपने मुँह में एक ही बार में लेकर उसे सिर्फ़ होंठो से चूसना शुरू कर दिया था
“सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……अहह…….ओह यएसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स……ऐसे ही……”
और तभी वो एहसास जो उसे मिल रहा था , मुझे भी मिला
मेरी चूत को भी उसने अपने मुँह में लेकर जोर से चूस डाला
पर उसके चूसने में जंगलिपन ज़्यादा था
क्योंकि उसे पता था की मेरा ये पहली बार है, एकदम कुँवारी चूत है मेरी
कोई दर्द नही , कोई शिकन नही
उसके साथ वो कुछ भी कर सकती है
इसलिए वो बिना किसी रहम के अपने दांतो, जीभ और होंठो के प्रहार से मुझे अंदर तक भिगोने लगी
और सच कहूं दोस्तो, अपनी लाइफ की पहली चुसाई का एहसास पाकर मेरा पूरा शरीर हवा में उड़ रहा था
मुझे तो पता भी नही था की इतना मज़ा मिलेगा
वरना आज से 4 साल पहले जब उसने किस्स करने की शुरूवात करना चाही थी तो उसे आगे बढ़ने से मना नही करती
हम आज तक कितनी बार ऐसी चुसम चुसाई के मज़े ले चुके होते
और उस 69 के पोज़ में हम दोनो एक दूसरे की चूत की मलाई चूसने और चाटने में एक दूसरे की चूत में बुरी तरह से घुसते चले गये
पूरे कमरे में सिर्फ़ हम दोनो की चपर -2 की आवाज़ें और सिसकारियां तैर रही थी
कुछ ही देर में हम दोनो के शरीर उस मुकाम पर पहुँच गये जहाँ से झरने के गिरने जैसा एहसास होता है
और लगभग एक साथ ही हम दोनो का ऑर्गॅज़म आया
एक दूसरे के मुँह में
काफ़ी मस्त स्वाद था उसके जूस का
और शायद उसे भी मेरा जूस पसंद आया था क्योंकि उसने भी मेरे शेम्पेन के ग्लास को पूरा खाली करके छोड़ा
आख़िर तक चाट्ती रही वो उसे
फिर मैं उसकी तरफ सिर करके उसकी बाहों में लिपट गयी
और धीरे से उसके कान में फुसफुसाई
“थॅंक यू श्रुति….फॉर दिस “
वो मुस्कुराइ और बोली : “थेंक्स टू यू मेरी जान….इतना मज़ा तो मुझे नितिन ने भी नही दिया जितना तूने आज दे दिया है….थेंक यू एंड लव यू …”
इतना कहते हुए उसने अपने वो गीले होंठ मेरे होंठो पर रखे और उन्हे चूसने लगी
यार……
वो किस्स मैं कभी नही भूल सकती
मेरी ही चूत का रस उसके होंठो पर था
और साथ में उसके मुँह की मीठी लार भी
उन दोनो का किल्लर कॉंबिनेशन मुझे किसी और ही दुनिया में ले जा रहा था
और ये एहसास भी दिला रहा था की अब मुझे भी अपने इस जवान जिस्म को वो मज़े दिलवाने चाहिए जिसका ये हकदार है
पर कैसे मिलेंगे वो मज़े
ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा