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" क्या हुआ ? "
" श्शश्श चुप रहो आप , गीली हू घर में थोड़ी न चली जाऊंगी "
" उम्मम दिखाओ न प्लीज "
सामने मेरी सोना वीडियो पर थी और वो किसी छुपी हुई जगह पर अपना मोबाइल सेट कर बार बार इधर उधर देख रही थी और मै भी इत्मीनान से बिस्तर पर आ गया , अंडरवियर के लंड रॉड हुआ जा रहा था और धड़कने बेचैन थी कि कही से कोई मुझे आवाज न दे दे ।
रह रह कर मै बार बार कमरे के खुले दरवाजे से बिस्तर पर बैठा बाहर झांकता और अंडरवियर में बने तंबू को मसल देता
" हीही आप क्यों नंगू पंगु हो बाबू "
उसकी बात सुनते ही मुझे खुद का ख्याल आया और वीडियो काल में मैने देखा कि मै पेट तक नंगा दिख रहा हूं अनजाने में ही मेरे मोबाइल के कैमरे का फोकस वहा तक गया था और थोड़ी शर्म सी आई मुझे
: अरे .. खुद शर्मा रहे है और मुझसे कह रहे है
: बक्क दिखाओ न प्लीज ( मैने रिरिक कर कहा बेचैन हाल में )
: उन्हूं पहले आप
पहली बार था कि मेरी सोना ने मुझे ऐसे देखने के लिए उत्साहित थी और मैने बिस्तर पर पैर फैला कर बैठे हुए मोबाइल ऊपर कर उसको खुद को दिखाने लगा , नंगा सिर्फ अंडरवियर में वो ही बड़े से तंबू के साथ
" सीईईई हाय मेरा सेक्सू बेबी हीही .. ओह वो क्या है ( उसने शरारत भरे लहजे में मेरे अंडरवियर में बने तंबू को इशारे से कह कर कहा )
उसका इतना कहना था कि मेरा लंड और फूलने लगा और मै मोबाइल को अपने लंड के सामने लेकर आया और जूम करके उसको अपने बड़े से लंड का साइज दिखाया
: छीईईई गंदे हो आप हटाओ न
: क्या हुआ
: कुछ नहीं ( वो थोड़ी शर्मा रही थी और मुस्कुरा भी )
: अब दिखाओ न ( मैने फिर से गुजारिश की ) प्लीज
उसने इधर उधर देखा और अपने नीचे होठ बाई तरफ से दबाते हुए बड़े हौले से अपनी गीली टीशर्ट को पूरी सतर्कता से और बड़ी शरारत से पकड़ कर उठाया और धीरे धीरे उसके गुलाबी दूध की झलक नीचे से मिलने लगी , आधे चूचों की गोलाई और दोनों के बीच की घाटी और एकदम से दोनों उछल कर बाहर
कड़क गुलाबी निप्पल पूरे तने हुए नुकीले, कबूतरों की तरह चोंच उठाए हुए और हौले से उसने अपने दोनों पंजों में भर लिया उन्हें
: उफ्फ सो सेक्सी बेबी ओह्ह्ह्ह
: धत्त क्या कर रहे हो ये ( उसका इशारा मेरे हिलते हाथों पर था )
मै खड़ा होकर अपने मोबाइल सामने करके दूसरे हाथ से अपना अंडरवियर खींच कर उफनाया नाग बाहर निकाला और उसकी आंखे बड़ी हो गई , उसकी बेताबी साफ झलक रही थी और मैने अपने सुपाड़े को उसकी खोल से बाहर निकाल कर सहलाने लगा
: ये क्या कर रहे हो आप जानू उम्मम
: आपको देख कर हिला रहा हूं मेरी सेक्सी जान आपके दूध बहुत सेक्सी है मन कर रहा है पी लू
वो एकदम से सिहर उठी
: धत्त नहीं ... आप बोले हो बस कलर लगाओगे न ( उसकी भीतर की गर्मी उसके अपने चूचे पर रेंगते हाथों में साफ झलक रही थी )
: हा जान दोनों पर लगाऊंगा और अपनी पिचकारी से उन्हें नहलाऊंगा
: धत्त गंदे हो आप , कैसा लगेगा मुझे घिन आएगी छीईईई ( उसने तो मेरे लंड को ही मेरी पिचकारी समझ लिया और उसकी कल्पनाओं के बारे में सोचते ही मेरा लंड और फूलने लगा )
: और कितना बड़ा होगा ये
: आप टच करोगे तो और ज्यादा होगा मेरी जान ओह्ह्ह्ह ( एकदम से उसने नजारे बंद कर दिए और टॉप नीचे कर दी )
: क्या हुआ ?
: बाद में बात करती हूं , बगल वाली चाची आई है होली खेलने हीहीही , आप ही इंजॉय करना ओके बेबी उम्माह , लव यू मेरा हॉटी हीही
वो जल्दी जल्दी किस और बाकी फॉर्मेलिटी करके काल कट करके निकल गई और रह गया मै अपने तने हुए लंड के साथ
उफ्फ क्या नायाब नजारे दिखाए थे उसने , वो कड़क मोटे मोटे तने हुए नुकीले निप्पल वाले चूचे और गुलाबी रबड़ी जैसा बदन सीईईई ओह्ह्ह कितना मस्त था ओह्ह्ह्ह
मै अपना लंड हाथ में पकड़े आंखे बंद कर सहला रहा था कि मुझे बाथरूम के दरवाजे खुलने की आहट हुई झट से मै अपना लंड अंडरवियर में डाल कर उसको सेट करने लगा और सामने से बबली दीदी तेजी से भागती हुई बाथरूम से आई सिर्फ एक तौलिया में
उनको ऐसे देखते ही मै सन्न हो गया और वो खिले हुए चेहरे से मुझे देखा
: अभी तक तू यही है ? कपड़े नहीं पहने तूने ( एकदम से उन्होंने मुझे स्कैन किया और उनकी नजर मेरे अंडरवियर में बने बड़े से तम्बू पर गई सोना ने जो नजारे दिखाए थे उसके बाद से लंड का साइज ऐसे बढ़ा था कि अंडरवियर की लास्टिक में भी गैप आ गया था ।
दीदी आंखे फाड़ कर मेरे लंड को सांस लेता हुआ देख रही थी अंडरवियर में
: अभी तक तू ऐसे ही और ये क्यों ऐसे है ? ( दीदी ने झट से कमरे का दरवाजा लगाया )
मै क्या जवाब देता कि कुछ देर पहले जो मै जन्नत की सैर पर था और गुलाबी पहाड़ियों को देख रहा था । समझ नहीं आ रहा था कि दीदी के सवालों का जवाब दूं या नहा कर आई दीदी के गिले बाल और तौलिए में लिपटे गहराई जवानी का दीदार करूं
: तू फिर से वही वीडियो देख रहा था न
: क्या ? नहीं यार
: फिर ऐसे क्यों ?
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूं उनसे और फिर ख्याल आया क्यों न इनको मम्मी और बुआ वाली बात कहूं और देखूं क्या रिएक्ट करती है
: बोल न ?
: इधर आओ ( मैने उनको इशारे से बुलाया )
: हा बोल ( वो भी धीरे से बोली , उनके भीगे बदन से साबुन की गंध बड़ी ही नशीली थी और मै तो सिहर ही उठा)
: अभी अभी मैने मम्मी और बुआ को बात करते सुना , पापा के बारे में
: क्या ?
: हीही ( मै हंसने लगा )
: क्या बोल न ( उन्होंने आंखे दिखाई )
फिर मैने सुबह की सारी घटना बताई पापा के कच्छे धुलने से लेकर मम्मी ने बुआ की कैसे खिंचाई की
: बक्क पागल है क्या ? मामू ऐसे नहीं है ! ( वो थोड़ी उलझी होकर बोली )
: पता नहीं , लेकिन उनकी बातों से पता नहीं क्यों ये बड़ा हो गया ?
: तुझे पता है न कैसे छोटा होता है , कर ले फिर ( दीदी ने शरारत भरी मुस्कुराहट से कहा और अपने बैग से कपड़े निकालने लगी )
हालांकि थोड़ी देर पहले मेरा मन कुछ और था लेकिन अब वासना ने मुझे घेर लिया था और हसरत ही उठने लगी मन में कि एक बार फिर दीदी के कोमल हाथों का स्पर्श मिल जाए तो क्या ही बुरा होगा । कह दिया मैने अपने दिल का फसाना उनसे
: दीदी आप कर दो न !! ( सांसे तेज हो गई और मै उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगा )
एकदम से वो मूड कर मुझे देखी और हसने लगी
: पागल है क्या ? भक्क ( उनका चेहरा शर्म से पूरा गुलाबी होने लगा था जैसे उन्होंने भी रात के उस अनुभव को ताज़ा कर लिया हो जब उन्होंने मेरे गर्म बड़े मोटे लंड को पकड़ा था )
: प्लीज न दीदी ( थोड़ी बेशर्मी दिखाते हुए मैने अपने लंड को बाहर निकाल दिया और उनके सामने हिलाने लगा )
: रोहन पागल मत बन ( वो हंसती हुई पीछे होने लगी और मै उनकी ओर बढ़ने लगा अपना लंड हाथ में थामे हुए )
: आप करोगी तो जल्दी हो जायेगा प्लीज न मै उनके एकदम पास आ गया , उनकी बेचैनी साफ साफ झलक रही थी , अंदर से वो भी ललचा रही थी लेकिन रात के अंधेरे और दिन के उजाले की झिझक भला कौन नहीं समझ सकता , उसपर से वासना से भरा मै था दीदी नहीं , लेकिन मेरे लंड की गर्मी से उनके जिस्म में सिहरन पैदा होने लगी थी ।
तौलिए में उनके मोटे मोटे चूचे कड़क हो गए थे निप्पल अंगूर के दाने जितने बड़े होकर उभर आए थे , जिस्म पर रोम रोम खड़ा हो गया था , चेहरे पर एक संकुचित भाव , करना भी है और नहीं भी
: नहीं रोहन , तू खुद से कर ले न
: बस दीदी एक लास्ट बार पक्का ( मैने उनकी कलाई पकड़ ली और उन्होंने जरा भी विरोध नहीं किया , एक बार भी अपनी कलाई ऐंठी नहीं मेरे पंजे से फिर मैने भी उनकी उंगलियों को अपने गर्म तपते लंड पर रख दिया )
: सीईईई मम्मीइई कितना गर्म है उफ्फफ
: ओह्ह्ह्ह दीदी आपके हाथ बहुत ठंडे है और सॉफ्ट है प्लीज करो न ( आंखे बंद कर मैने दीदी के मुलायम हथेलियों का स्पर्श पाकर सिहर उठा )
: श्शश्श चुप रह पागल, बगल के कमरे में कोई होगा तो आवाज जाएगी ( दीदी ऐसे फुसफुसा कर बोली जैसे उन्हें डर था कि कही हमारी बातें भी कोई सुन न ले जैसे पापा ने शायद मम्मी बुआ की सुनी थी रात में )
वो ख्याल आते ही लंड खुद से ही फैलने लगा दीदी के हाथ में और दीदी ने मुट्ठी से कस लिया मेरा लंड
: उम्ममम दीदी थोड़ा अच्छे से करो न ओह्ह्ह्ह ( मै हल्का सा कुंमुनाया और दीदी तेजी से हाथ चलाने लगी , उसने जिस्म की गर्मी अब मुझे महसूस होने लगी थी )
इधर हाथ हिल रहे थे उधर उनका तौलिया छाती पर से ढीला होकर खुलने लगा था
: अह्ह्ह्ह्ह अरे ये ... ( एकदम से तौलिया खुल कर उनके चूचों को नंगा करता हुआ कमर तक आ गया और उन्होंने उसे पकड़ना चाहा )
: रहने दो न दीदी जल्दी होगा ( मैने उनका तौलिया पकड़ खींच दिया )
दीदी अब सिर्फ एक पैंटी में थी पूरी नंगी उनकी दूधिया चूचों को मै निहार रहा था
: उम्मम गंदा है तू , मत देख न मुझे शर्म आ रही है
: देखो फूल रहा है इसे देख रहा हूं तो ( मैने अपने मोटे लंड को बड़ा होता हुआ महसूस करके बोला और शायद दीदी को अपनी मुठ्ठी भरती हुई महसूस हुई )
: पागल है तूं एक तो तेरा जल्दी आता नहीं और सीईईई
: दीदी
: हम्म्म बोल ( वो मेरे लंड को सहलाती हुईं बोली )
: आपके दूध बहुत सॉफ्ट है छू लूं प्लीज
: हम्ममम ( उन्होंने हुंकारी भर ली शायद वो समझ रही थी कि मुझे जल्दी कैसे झाड़ना है )
हाथ आगे बढ़ा कर मैने उनके नंगे रसीले मम्में पकड़ लिया और सहलाने लगा
: सीईईई आराम से रोहन उम्ममम अह्ह्ह्ह
: उफ्फ दीदी कितना सॉफ्ट है ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह हा ऐसे ही करो ( दीदी ने मेरे आड़ को टटोल कर लंड हिलाने लगी )
: चुप न पागल कोई सुन लेगा
दीदी ने एक बार फिर मम्मी बुआ की बातें ताजा कर दी और मेरे दिमाग में कुछ खुराफात उठने लगी
: दीदी ( मैने उनके सॉफ्ट चूचों के उभरे हुए निप्पल पर हथेली घुमा कर बोली )
: उम्ममम हा भाई बोल न
: क्या सच में पापा ने बुआ की सोच कर हिलाया होगा उम्ममम ( मै सिहर कर बोला )
: मुझे कैसे पता ? ( दीदी मेरे हथेली की कटोरी को अपने निप्पल पर रेंगता महसूस कर सिसक रही थी और तेजी से लंड को हिला रही थी
: मान लो अगर पापा ने बुआ को सोच कर हिलाया होगा तो क्या सोचा होगा उनके बारे में ? ( मैने कस कर अपने पंजे में उनकी रसीली छातियां मिज दी और वो सिसक पड़ी और कस लिया मेरे लंड को मुठ्ठी में )
: मै कैसे बताऊं क्या सोचा होगा ? वो तो अह्ह्ह्ह मामू जानेंगे न ( दीदी ने सिसक कर कहा )
: मै बताऊं
: हा बोल
: पापा जरूर बुआ की बड़ी सी गाड़ को सोच रहे होंगे
: क्या सच में ? ( दीदी एकदम से मदहोश होने लगी थी )
: हा देखा नहीं कितनी बड़ी है उनकी चौड़ी सी
: हम्म्म हो सकता है , मम्मी मोटी तो है ?
: दीदी , आपने कभी बुआ को फूफा से सेक्स करते देखा है ?
एकदम से मेरी बात सुनते ही दीदी ने बदन में हरकत हुई और उन्होंने कस लिया मेरा लंड
: प्लीज बताओ न दीदी , देखा है क्या ?
: हम्ममम देखा है , तो
: कुछ नहीं अह्ह्ह्ह्ह सीईईई आयेगा मेरा दीदी आगे आओ न
: आगे क्यों ?
: आपको होली खिला दूं मै आगे आओ न जल्दी प्लीज
: क्या निकालेगा ( वो तेजी से मेरा लंड हिलाते हुए बोली )
: आपके दूध पर , प्लीज न दीदी प्लीज
: तू पागल है , फिर नहाना पड़ेगा मुझे
: ओह्ह्ह दीदी जल्दी आओ आह सीई ओह्ह्ह जल्दी
एकदम से दीदी मेरे आगे आई और घुटने फोल्ड कर बैठ गई मैने अपने लंड को हिलाते हुए सुपाड़े का मुंह उनके रसीले गुलाबी चूचों पर घुमा दिया और फिर एक के बाद एक मोटी थक्केदार पिचकारियां छूटने लगी
अंत तक जबतक आखिरी बूंद निचोड़ नहीं लिया मैने दीदी के चूचे पर धार मरता रहा और दीदी की दोनों रसीली छातियां मेरे सफेद रंग से नहा चुकीं थी और निप्पल के टिप से रिस कर नीचे जाने लगी थी
दीदी हैरान थी मेरे इतने ज्यादा वीर्य अपने चूचे पर पाकर और हस कर मुझे देख रही थी और मै भी मुस्कुरा रहा था
: पागल ... ला वो तौलिया दे
: एक फोटो निकाल दूं आपकी ( मैने आंख मारी )
उन्होंने आंख दिखाई और मैने तौलिया दे दिया और वो अपने चूचे साफ करने लगी , मै हांफता हुआ बिस्तर पर बैठ गया ,अभी भी लंड की नसे टाइट थी और सुपाड़ा मुंह खोले सांस के रहा था
: बहुत गंदा है तू , हट अब मेरे कपड़े पर से
ओह मैने तो अपने चूतड़ उन्हें कपड़ो पर ही टिका दिए थे और हट कर मैने उन्हें कपड़े दिए
: नहाओगे नहीं
: भाग जा यहां से , पागल कही का ( दीदी थोड़ा गुस्सा दिखाना चाह रही थी लेकिन उनका चेहरा साफ साफ मुस्कुरा रहा था )
फिर मैं भी हंसते हुए कपड़े पहने और दीदी ने भी
हम लोग बाहर आए और मम्मी नाश्ता बना रही थी और वही बुआ बाथरूम से बाहर आती दिखी
ब्लाउज पेटीकोट में
हम दोनो ने उन्हें देखा , ब्लाउज में चूचे सेट नहीं थे और पेटीकोट भी कूल्हे पर अच्छे से कसी नहीं थी , साफ था कि बुआ ने जल्दी जल्दी में पहना था सब
फिर बुआ जब मम्मी के कमरे की ओर जाने लगी तो उन्हें मोटे चूतड़ों की थिरकन देख कर मैने और दीदी ने एक दूसरे के साथ
: पागल कही का , भाग यहां से
मै हंसता हुआ निकल गया मम्मी के पास किचन में
" होली हैएएएए "
मैने अपने ठंडे हाथों से पीछे से झूठ मूठ के ही मम्मी के गालों को छूते हुए कहा और खिलखिलाया
मम्मी तो जैसे डर ही गई
: रोहन क्या कर रहा है , खाने के गिरेगा हट अभी नहीं , ओहो .... अरे .... मसखरी कर रहा है ( उन्होंने अपने गाल छू कर चेक किया)
मै बस हंसता हुआ उन्हें देखने लगा ।
: हैप्पी होली मामी ( तबतक दीदी आई और पीछे से मम्मी के गालों को छू दी )
: हट अब तू भी झूठे झूठे मस्ती मत कर सुबह सुबह...
मम्मी बडबडा रही थी उन्हें लगा कि बबली दीदी ने उन्हें कलर नहीं लगाया लेकिन उन्होंने एक तरफ मम्मी के गाल पर अबीर लगा दिया था
मै और दीदी हस रहे थे । तभी पापा छत पर से सूरज दादा को जल अर्पित करके वापस आए थे
: अरे कुसुम चाय देना भाई
फिर मम्मी मुझे हटा कर चाय निकाली पापा के लिए और लेकर गई
सुबह सुबह नहाई हुई मम्मी , के खिले हुए गोरे गोरे गालों पर बबली दीदी ने अबीर से 3 उंगलियों की रेखा खींची थी जिससे उनकी खूबसूरती और निखर आई थी
मै और दीदी किचन में थे , दीदी पकोड़े नोच रही थी और मेरा ध्यान हाल में पापा और मम्मी पर था
जैसा मैने सोचा था पापा का ध्यान गया मम्मी पर
और जैसे ही मम्मी उनको चाय देकर सीधी हुई कि पापा ने उनकी कलाई पकड़ ली और मम्मी शर्म से लाल
: अरे !! छोड़िए क्या कर रहे है ? बच्चे है किचन में ( मम्मी ने झुके हुए आंखे दिखाई पापा को )
: तुमने तो कहा था कि इस होली सबसे पहले मुझसे रंग लगवाओगी फिर ये किसने ? ( पापा ने इशारे से कहा और मम्मी ने गाल छुए और हसने लगी )
: बबली ने लगा दिया ... कोई बात नहीं आपके लिए खास जगह बचा कर रखूंगी खुश
( मम्मी ने आंख मार कर अपने शरारती मुस्कुराहट से अपने छातियों से पल्लू सरका कर अपने कड़क जोबनो के दर्शन कराते हुए पापा को देखा और पापा असहज होने लगे वो किचन की ओर देखने को हुए और मै दीदी से बात करने लगा नजरे फेरते हुए )
फिर वापस देखा तो पापा वापस से शांत हो गए और मम्मी मुस्कुराती हुई अपनी साड़ी सही करती हुई किचन में आने लगी
: तूने सच में रंग लगा दिया था और तेरे मामा का मुंह बन गया
: क्यों ? ( बबली थोड़ा हस कर बोली और मेरी भी दिलचस्पी जगी)
: अरे पिछली होली पर उन्होंने मुझसे वादा लिया था कि इस होली पर पहले वो हो रंग लगाएंगे ( मम्मी हस कर बोली )
: ओह्ह्ह्ह सॉरी हा मामी , मुझे पता नहीं था
तब तक बुआ कपड़े पहन कर किचन में आने लगी और एकदम से मम्मी की नजर उनपर गई और वो कहा ये मौका छोड़ने वाली थी
: अरे कोई बात नहीं , अब तेरे मामा मुझे लगाए या तेरी मम्मी को बात तो एक ही है न क्यों दीदी ?
: अरे किस बारे में बात हो रही है ( बुआ ने उत्सुक होकर पूछा )
: अरे वो रोहन के पापा की बड़ी इच्छा थी कि इस होली पर मुझे सबसे पहले वही रंग लगाएंगे , लेकिन बबली ने पहले ही बाजी मार ली , तो आप ही लगवा लो उसमें क्या है ,, आओ
मम्मी ने बुआ की कलाई पकड़ ली और हाल की ओर जाने लगी और बुआ हंसने लगी शर्म से और अपनी कलाई छुड़ाने लगी
: अरे आओ न .... ( मम्मी ने उन्हें किचन से बाहर खींचा और पापा उठ कर बाहर जाने वाले थे ,शायद वो भी मम्मी की शरारत सुन चुके थे )
मम्मी ने लपक कर पापा का हाथ पकड़ लिया और पापा के गाल भी खिल उठे , वो भी हसने लगे थे: अरे कुसुम हाथ छोड़ ... कमलेश और बाकी लोग राह देख रहे है !! ( पापा ने अपने दोस्तों का बहाना दे दिया लेकिन मम्मी कहा सुनने वाली थी )
: अरे तो चले जाइयेगा , बस दीदी को थोड़ा गुलाल लगा दीजिए
मम्मी जिस तरह से पापा और बुआ को छेड़ रही थी दोनो ऐसे शर्मा और असहज रहे थे मानो शादी तय हो गई हो उनकी
मैने किचन में खड़े खड़े दीदी के कंधे से अपना कंधा लड़ा कर उन्हें उनकी ओर दिखाया
: क्या लगता है बुआ लगवाएगी रंग
: बक्क पागल है क्या ? वहा थोड़ी न लगवाएगी जहां मामी बोल रही थी
: मान लो अगर लगा ही दिया तो बस ऊपर ऊपर से
: धत्त , चुप रह न ( दीदी थोड़ा शर्मा रही थी और कुछ अजीब सी प्रतिक्रिया थी उनकी )
सच कहूं तो मेरा तो लंड सपने देखने लगा था कि काश बस एक बार पापा को बुआ के रसीले मोटे पपीते पर हाथ फेरते हुए देख लूं , उफ्फ एकदम से लोवर में लंड अकड़ गया मेरा
: अरे शर्मा क्या रहे है उठाइए न मूठा भर के ( मम्मी ने पापा के आगे एक अबीर की थैली फैला कर दूसरे हाथ से बुआ की कलाई पकड़े हुए थी )
पापा ने अंदर हाथ डाल पाव भर अबीर निकाला और बुआ की ओर देख कर मुस्कुराने लगे : दीदी !!!!
: लगा भाई , नहीं तो ये नहीं छोड़ेगी मुझे हाहाहाहाहा
पापा ने अबीर से बुआ के दोनों गालों पर भर भर के अबीर लगाए और जितना अबीर बुआ के गाल पर लगा नहीं उससे ज्यादा तो बुआ के ब्लाउज में जाने लगा
: उन्हूं विजय सब नीचे गिर रहा है
: अरे तो जाने दो , अभी हाथ से लगाएंगे वहां आपके भैया .. क्यों जी ( मम्मी ने पापा को आंख मारी और पापा शर्म से लाल )
: लो दीदी आप भी लगा दो , बड़ी इच्छा थी इनकी पिछले साल तो बड़ा उदास दे कि दीदी होली पर नहीं है
पापा बुआ तो बस चुप थे और मम्मी को बरदाश्त कर रहे थे और बुआ ने भी अबीर निकाल कर पापा को लगाया और बची हुई अबीर मम्मी के गालों पर मल दिया
: बस इतना ही ( मम्मी ने अपने हाथ अबीर से भरते हुए कहा और अगले ही पल बुआ के गर्दन और ब्लाउज के पास खुले छातियों पर मलने लगी ) अरे मौका मिले तो पकड़ कर रगड़ देना चाहिए ऐसे
बुआ एकदम से सन्न होकर पापा को देखी और मुस्कुरा कर : विजय अब जो तूने इसे छोड़ा तो समझ लेना
मम्मी ने पापा को देखा और भागी मेरे कमरे की ओर और पापा उनके पीछे
माहौल फूल होली ऑन मोड में आ गया था
मैने भी दीदी से अबीर की थैली झपट ली और दीदी तो जैसे मेरे नाजायज इरादे पहले ही भाप और मुझे आंखे दिखा कर मुस्कुराती हुई : नहीं रोहन
: सुना नहीं अभी मम्मी ने क्या कहा .. मौका मिले तो हीही
मैने तो खुल कर बबली दीदी को अपने जज्बात कर दिए और बबली खिलखिलाई और तेजी से जीने की ओर भागी : नहीं रोहन मुझे रंग नहीं खेलना तुझसे हीहीही
मै भी उनके पीछे भागा और सीधा छत पर बरामदे में एक कोने में दीदी रुक गई , मानो बड़ा सोच समझ कर उन्होंने जगह चुनी थी
: अरे आओ न बस थोड़ा सा लगाऊंगा और फिर ( होठ से बुदबुदा कर ) जीजू को फोटो भी भेजना है न आपको
दीदी मेरे इरादे साफ साफ समझ रही थी और हंसती हुई : हा तो अब क्या तू उनकी जगह लेगा , उनसे मिल कर मै लगवा लूंगी हीही देख पास मत आना ,, मारूंगी
: अरे लेकिन होली तो आज है न मैने पैकेट में हाथ डाल कर गुलाबी अबीर को भर लिया
दीदी थोड़ा हंसी और फिर से मेरे बाह के नीचे से झुक कर हाल वाले कमरे में जहां हम सोते थे
मै भी फुर्ती से उनके पीछे और दरवाजा पूरी ताकत से ठेल कर अंदर चला गया
: हीही देख यहां मस्ती नहीं , बिस्तर खराब हो जायेगा
: इसीलिए तो कह रहा हूं आराम से लगवा लो हीही
मै उनके ओर बढ़ रहा था और वो पीछे जा रही थी , फिर एकदम से हाल के कोने में , दोनो तरफ दीवाल और सामने मै !! इस बार बचने का कोई दाव नहीं था उनके पास
लेकिन उन्होंने दाव तलाश ही लिया घूम गई और अपने रसीले मम्में हाथों से छुपाने लगी , लंड मेरा कड़ा था और लोवर में बड़ा सा तंबू बन गया था
मैने दोनों हाथों में अबीर भर लिया और दीदी के दोनों हाथों के बीच जबरन अपने हाथ घुसाने लगा
दीदी खिलखिलाती , हंसती चिल्लाती रही और मै उनकी कसी हुई बाजू के नीचे टॉप के हाथ घुसा दिया और इस झपटी में मेरा लंड उनके लोवर के ऊपर से बार बार उनकी मुलायम चर्बीदार चूतड़ों पर रगड़ खा रहा था , मैने भी उनको पीछे से कस लिया पेट से पकड़ कर और घुमा दिया
: हीही रुक जा रोहन मारूंगी तुझे सच कह रही, बदमाश छोड़ मुझे
: बस थोड़ा सा न दीदी , जीजू तो फोटो पाकर भी खुश हो जाएंगे
: कमीना कही का , अह्ह्ह्ह्ह मम्मी आराम से रोहन उम्ममम
उनकी हल्की सी बाह ढीली हुई और मेरे दोनों पंजे अंदर टॉप में घुस गए और चप्प से मेरे अबीर पंजे उनके दोनों रसीले मम्में पर गाड़ दिए मैने भर भर कर अबीर से सराबोर ही कर दिया
: उफ्फ दीदी कितना सॉफ्ट है आपका दूध उम्ममम
: हटा न हाथ अब तो लगा दिया न कलर ( दीदी ने टॉप उठा कर कहा और देखने लगी कि कितना रंग लगाया है )
: ओह्ह्ह्ह गॉड कितनी गर्म है ये दीदी जीजू सच में बहुत लकी है
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई लेकिन तुझसे थोड़ा कम हट अब ... ( दीदी झटके से मुझसे अलग होकर अबीर की थैली झपट कर उठाते हुए बोली )
मेरा लंड दीदी की रसीली छातियां मिज कर एकदम फड़फड़ाने लगा था और बांस के जैसे टाइट होकर लोवर में खड़ा था , दीदी ने तो पहले ही उसे अपने चूतड़ों पर महसूस कर लिया था ।
: ये क्या फिर से ? ( दीदी के साफ साफ आंखों से मेरे लंड पर इशारा किया )
: हीही आपके दूध छूने से
: धत्त दिखा तो
मुझे लगा शायद एक और चांस मिल जाए और इस बार तो पक्का दीदी से चुसवा लूंगा
मैने झट से अंडरवियर सहित लोवर को नीचे खींच कर अपना बड़ा सा लंड बाहर निकाला
दीदी ने आंखे बड़ी कर देखा और एकदम से उनके चेहरे के हावभाव बदलने लगे , एकदम से उनकी स्माइल बड़ी होने लगी और वो चिल्लाई : होली हैएएएएएए हीही
फुर्ती से उन्होंने से मुट्ठी भर अबीर मेरे नंगे लंड पर फेंका और भाग गई खिलखिलाती हुई , मेरा लंड भी पूरा गुलाबी गुलाबी
कुछ पल लगे मुझे समझने में फिर मैने झट से अपना लोवर उठाया और तेजी से दीदी के पीछे भागा नीचे
नीचे बरामदे में आया तो दीदी ने मुझे रोक लिया
: श्शश्श रुक रुक... अंदर मत जाना ( दीदी दबी हुई आवाज में बोली )
: क्यों ? क्या हो रहा है अंदर ? ( मैने लपक कर झांका तो सन्न हो गया )
अंदर पापा ने बुआ को पीछे से पकड़ रखा था और बुआ कसमसा रही थी और सामने से मम्मी की आवाज आ रही थी लेकिन वो दिख नहीं रही थी , बस उनके साड़ी खुल कर जो फर्श थी उससे उनकी लोकेशन का पता चल पा रहा था ।
: कस के पकड़े रहिए रोहन के पापा, अगर छोड़ा न तो समझ लेना ( मम्मी ने पापा को कहा और पापा ने बुआ को और कस लिया अपने पास , बुआ की मोटी बड़ी चर्बीदार चूतड़ इस वक्त पापा की गोद में पूरी तरह चिपके हुए थे और मम्मी ने भर भर बुआ के ब्लाउज में अबीर भर : हा अब हुआ न किस्सा बराबर हाहाहाहा
: अरे पागल फट गई , हट कमिनी , बुआ ने मम्मी को धकेल कर कहा और अपने टूटे हुए ब्लाउज के हुक समेटने लगी
पापा के साथ साथ मै भी आंखे फाड़ कर बुआ के चटके हुए हुक से आधे से ज्यादा खुले ब्लाउज से झांकती हुई गुलाबी चूचों को देख रहे थे
और इधर जैसे ही पापा ने बुआ को छोड़ा था मेरी नजर सीधा उनके पजामे पर गई , बड़ा सा नुकीला तंबू कुर्ते को उठाए हुए
मैने बड़ी बड़ी आंखों से दीदी को देखा और दीदी ने सन्न आंखों से मुझे
कहने का मतलब था कि ये कैसी होली ? अभी तो सुबह के 10 भी नहीं बजे थे और ये हाल थे ? आगे क्या होगा ?
बुआ अपनी रंगीन चोली सहेजती हुई मम्मी के कमरे में चली गई , पापा अपना लंड सेट करते हुए दोस्तो के पास और मम्मी !!!! ध्यान ही नहीं गया
मम्मी का ब्लाउज तो पूरा का पूरा खुल चुका था .... सालों बाद मुझे आज वो दर्शन नसीब हुए थे जिसकी कल्पना भी कभी मैने नहीं की थी ।
मम्मी के रसीले और भूरे घेरे वाले खरबूजे जैसे गोल मटोल दुध....
" क्या हुआ ? "
" श्शश्श चुप रहो आप , गीली हू घर में थोड़ी न चली जाऊंगी "
" उम्मम दिखाओ न प्लीज "
सामने मेरी सोना वीडियो पर थी और वो किसी छुपी हुई जगह पर अपना मोबाइल सेट कर बार बार इधर उधर देख रही थी और मै भी इत्मीनान से बिस्तर पर आ गया , अंडरवियर के लंड रॉड हुआ जा रहा था और धड़कने बेचैन थी कि कही से कोई मुझे आवाज न दे दे ।
रह रह कर मै बार बार कमरे के खुले दरवाजे से बिस्तर पर बैठा बाहर झांकता और अंडरवियर में बने तंबू को मसल देता
" हीही आप क्यों नंगू पंगु हो बाबू "
उसकी बात सुनते ही मुझे खुद का ख्याल आया और वीडियो काल में मैने देखा कि मै पेट तक नंगा दिख रहा हूं अनजाने में ही मेरे मोबाइल के कैमरे का फोकस वहा तक गया था और थोड़ी शर्म सी आई मुझे
: अरे .. खुद शर्मा रहे है और मुझसे कह रहे है
: बक्क दिखाओ न प्लीज ( मैने रिरिक कर कहा बेचैन हाल में )
: उन्हूं पहले आप
पहली बार था कि मेरी सोना ने मुझे ऐसे देखने के लिए उत्साहित थी और मैने बिस्तर पर पैर फैला कर बैठे हुए मोबाइल ऊपर कर उसको खुद को दिखाने लगा , नंगा सिर्फ अंडरवियर में वो ही बड़े से तंबू के साथ
" सीईईई हाय मेरा सेक्सू बेबी हीही .. ओह वो क्या है ( उसने शरारत भरे लहजे में मेरे अंडरवियर में बने तंबू को इशारे से कह कर कहा )
उसका इतना कहना था कि मेरा लंड और फूलने लगा और मै मोबाइल को अपने लंड के सामने लेकर आया और जूम करके उसको अपने बड़े से लंड का साइज दिखाया
: छीईईई गंदे हो आप हटाओ न
: क्या हुआ
: कुछ नहीं ( वो थोड़ी शर्मा रही थी और मुस्कुरा भी )
: अब दिखाओ न ( मैने फिर से गुजारिश की ) प्लीज
उसने इधर उधर देखा और अपने नीचे होठ बाई तरफ से दबाते हुए बड़े हौले से अपनी गीली टीशर्ट को पूरी सतर्कता से और बड़ी शरारत से पकड़ कर उठाया और धीरे धीरे उसके गुलाबी दूध की झलक नीचे से मिलने लगी , आधे चूचों की गोलाई और दोनों के बीच की घाटी और एकदम से दोनों उछल कर बाहर
कड़क गुलाबी निप्पल पूरे तने हुए नुकीले, कबूतरों की तरह चोंच उठाए हुए और हौले से उसने अपने दोनों पंजों में भर लिया उन्हें
: उफ्फ सो सेक्सी बेबी ओह्ह्ह्ह
: धत्त क्या कर रहे हो ये ( उसका इशारा मेरे हिलते हाथों पर था )
मै खड़ा होकर अपने मोबाइल सामने करके दूसरे हाथ से अपना अंडरवियर खींच कर उफनाया नाग बाहर निकाला और उसकी आंखे बड़ी हो गई , उसकी बेताबी साफ झलक रही थी और मैने अपने सुपाड़े को उसकी खोल से बाहर निकाल कर सहलाने लगा
: ये क्या कर रहे हो आप जानू उम्मम
: आपको देख कर हिला रहा हूं मेरी सेक्सी जान आपके दूध बहुत सेक्सी है मन कर रहा है पी लू
वो एकदम से सिहर उठी
: धत्त नहीं ... आप बोले हो बस कलर लगाओगे न ( उसकी भीतर की गर्मी उसके अपने चूचे पर रेंगते हाथों में साफ झलक रही थी )
: हा जान दोनों पर लगाऊंगा और अपनी पिचकारी से उन्हें नहलाऊंगा
: धत्त गंदे हो आप , कैसा लगेगा मुझे घिन आएगी छीईईई ( उसने तो मेरे लंड को ही मेरी पिचकारी समझ लिया और उसकी कल्पनाओं के बारे में सोचते ही मेरा लंड और फूलने लगा )
: और कितना बड़ा होगा ये
: आप टच करोगे तो और ज्यादा होगा मेरी जान ओह्ह्ह्ह ( एकदम से उसने नजारे बंद कर दिए और टॉप नीचे कर दी )
: क्या हुआ ?
: बाद में बात करती हूं , बगल वाली चाची आई है होली खेलने हीहीही , आप ही इंजॉय करना ओके बेबी उम्माह , लव यू मेरा हॉटी हीही
वो जल्दी जल्दी किस और बाकी फॉर्मेलिटी करके काल कट करके निकल गई और रह गया मै अपने तने हुए लंड के साथ
उफ्फ क्या नायाब नजारे दिखाए थे उसने , वो कड़क मोटे मोटे तने हुए नुकीले निप्पल वाले चूचे और गुलाबी रबड़ी जैसा बदन सीईईई ओह्ह्ह कितना मस्त था ओह्ह्ह्ह
मै अपना लंड हाथ में पकड़े आंखे बंद कर सहला रहा था कि मुझे बाथरूम के दरवाजे खुलने की आहट हुई झट से मै अपना लंड अंडरवियर में डाल कर उसको सेट करने लगा और सामने से बबली दीदी तेजी से भागती हुई बाथरूम से आई सिर्फ एक तौलिया में
उनको ऐसे देखते ही मै सन्न हो गया और वो खिले हुए चेहरे से मुझे देखा
: अभी तक तू यही है ? कपड़े नहीं पहने तूने ( एकदम से उन्होंने मुझे स्कैन किया और उनकी नजर मेरे अंडरवियर में बने बड़े से तम्बू पर गई सोना ने जो नजारे दिखाए थे उसके बाद से लंड का साइज ऐसे बढ़ा था कि अंडरवियर की लास्टिक में भी गैप आ गया था ।
दीदी आंखे फाड़ कर मेरे लंड को सांस लेता हुआ देख रही थी अंडरवियर में
: अभी तक तू ऐसे ही और ये क्यों ऐसे है ? ( दीदी ने झट से कमरे का दरवाजा लगाया )
मै क्या जवाब देता कि कुछ देर पहले जो मै जन्नत की सैर पर था और गुलाबी पहाड़ियों को देख रहा था । समझ नहीं आ रहा था कि दीदी के सवालों का जवाब दूं या नहा कर आई दीदी के गिले बाल और तौलिए में लिपटे गहराई जवानी का दीदार करूं
: तू फिर से वही वीडियो देख रहा था न
: क्या ? नहीं यार
: फिर ऐसे क्यों ?
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूं उनसे और फिर ख्याल आया क्यों न इनको मम्मी और बुआ वाली बात कहूं और देखूं क्या रिएक्ट करती है
: बोल न ?
: इधर आओ ( मैने उनको इशारे से बुलाया )
: हा बोल ( वो भी धीरे से बोली , उनके भीगे बदन से साबुन की गंध बड़ी ही नशीली थी और मै तो सिहर ही उठा)
: अभी अभी मैने मम्मी और बुआ को बात करते सुना , पापा के बारे में
: क्या ?
: हीही ( मै हंसने लगा )
: क्या बोल न ( उन्होंने आंखे दिखाई )
फिर मैने सुबह की सारी घटना बताई पापा के कच्छे धुलने से लेकर मम्मी ने बुआ की कैसे खिंचाई की
: बक्क पागल है क्या ? मामू ऐसे नहीं है ! ( वो थोड़ी उलझी होकर बोली )
: पता नहीं , लेकिन उनकी बातों से पता नहीं क्यों ये बड़ा हो गया ?
: तुझे पता है न कैसे छोटा होता है , कर ले फिर ( दीदी ने शरारत भरी मुस्कुराहट से कहा और अपने बैग से कपड़े निकालने लगी )
हालांकि थोड़ी देर पहले मेरा मन कुछ और था लेकिन अब वासना ने मुझे घेर लिया था और हसरत ही उठने लगी मन में कि एक बार फिर दीदी के कोमल हाथों का स्पर्श मिल जाए तो क्या ही बुरा होगा । कह दिया मैने अपने दिल का फसाना उनसे
: दीदी आप कर दो न !! ( सांसे तेज हो गई और मै उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार करने लगा )
एकदम से वो मूड कर मुझे देखी और हसने लगी
: पागल है क्या ? भक्क ( उनका चेहरा शर्म से पूरा गुलाबी होने लगा था जैसे उन्होंने भी रात के उस अनुभव को ताज़ा कर लिया हो जब उन्होंने मेरे गर्म बड़े मोटे लंड को पकड़ा था )
: प्लीज न दीदी ( थोड़ी बेशर्मी दिखाते हुए मैने अपने लंड को बाहर निकाल दिया और उनके सामने हिलाने लगा )
: रोहन पागल मत बन ( वो हंसती हुई पीछे होने लगी और मै उनकी ओर बढ़ने लगा अपना लंड हाथ में थामे हुए )
: आप करोगी तो जल्दी हो जायेगा प्लीज न
मै उनके एकदम पास आ गया , उनकी बेचैनी साफ साफ झलक रही थी , अंदर से वो भी ललचा रही थी लेकिन रात के अंधेरे और दिन के उजाले की झिझक भला कौन नहीं समझ सकता , उसपर से वासना से भरा मै था दीदी नहीं , लेकिन मेरे लंड की गर्मी से उनके जिस्म में सिहरन पैदा होने लगी थी ।
तौलिए में उनके मोटे मोटे चूचे कड़क हो गए थे निप्पल अंगूर के दाने जितने बड़े होकर उभर आए थे , जिस्म पर रोम रोम खड़ा हो गया था , चेहरे पर एक संकुचित भाव , करना भी है और नहीं भी
: नहीं रोहन , तू खुद से कर ले न
: बस दीदी एक लास्ट बार पक्का ( मैने उनकी कलाई पकड़ ली और उन्होंने जरा भी विरोध नहीं किया , एक बार भी अपनी कलाई ऐंठी नहीं मेरे पंजे से फिर मैने भी उनकी उंगलियों को अपने गर्म तपते लंड पर रख दिया )
: सीईईई मम्मीइई कितना गर्म है उफ्फफ
: ओह्ह्ह्ह दीदी आपके हाथ बहुत ठंडे है और सॉफ्ट है प्लीज करो न ( आंखे बंद कर मैने दीदी के मुलायम हथेलियों का स्पर्श पाकर सिहर उठा )
: श्शश्श चुप रह पागल, बगल के कमरे में कोई होगा तो आवाज जाएगी ( दीदी ऐसे फुसफुसा कर बोली जैसे उन्हें डर था कि कही हमारी बातें भी कोई सुन न ले जैसे पापा ने शायद मम्मी बुआ की सुनी थी रात में )
वो ख्याल आते ही लंड खुद से ही फैलने लगा दीदी के हाथ में और दीदी ने मुट्ठी से कस लिया मेरा लंड
: उम्ममम दीदी थोड़ा अच्छे से करो न ओह्ह्ह्ह ( मै हल्का सा कुंमुनाया और दीदी तेजी से हाथ चलाने लगी , उसने जिस्म की गर्मी अब मुझे महसूस होने लगी थी )
इधर हाथ हिल रहे थे उधर उनका तौलिया छाती पर से ढीला होकर खुलने लगा था
: अह्ह्ह्ह्ह अरे ये ... ( एकदम से तौलिया खुल कर उनके चूचों को नंगा करता हुआ कमर तक आ गया और उन्होंने उसे पकड़ना चाहा )
: रहने दो न दीदी जल्दी होगा ( मैने उनका तौलिया पकड़ खींच दिया )
दीदी अब सिर्फ एक पैंटी में थी पूरी नंगी उनकी दूधिया चूचों को मै निहार रहा था
: उम्मम गंदा है तू , मत देख न मुझे शर्म आ रही है
: देखो फूल रहा है इसे देख रहा हूं तो ( मैने अपने मोटे लंड को बड़ा होता हुआ महसूस करके बोला और शायद दीदी को अपनी मुठ्ठी भरती हुई महसूस हुई )
: पागल है तूं एक तो तेरा जल्दी आता नहीं और सीईईई
: दीदी
: हम्म्म बोल ( वो मेरे लंड को सहलाती हुईं बोली )
: आपके दूध बहुत सॉफ्ट है छू लूं प्लीज
: हम्ममम ( उन्होंने हुंकारी भर ली शायद वो समझ रही थी कि मुझे जल्दी कैसे झाड़ना है )
हाथ आगे बढ़ा कर मैने उनके नंगे रसीले मम्में पकड़ लिया और सहलाने लगा
: सीईईई आराम से रोहन उम्ममम अह्ह्ह्ह
: उफ्फ दीदी कितना सॉफ्ट है ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह हा ऐसे ही करो ( दीदी ने मेरे आड़ को टटोल कर लंड हिलाने लगी )
: चुप न पागल कोई सुन लेगा
दीदी ने एक बार फिर मम्मी बुआ की बातें ताजा कर दी और मेरे दिमाग में कुछ खुराफात उठने लगी
: दीदी ( मैने उनके सॉफ्ट चूचों के उभरे हुए निप्पल पर हथेली घुमा कर बोली )
: उम्ममम हा भाई बोल न
: क्या सच में पापा ने बुआ की सोच कर हिलाया होगा उम्ममम ( मै सिहर कर बोला )
: मुझे कैसे पता ? ( दीदी मेरे हथेली की कटोरी को अपने निप्पल पर रेंगता महसूस कर सिसक रही थी और तेजी से लंड को हिला रही थी
: मान लो अगर पापा ने बुआ को सोच कर हिलाया होगा तो क्या सोचा होगा उनके बारे में ? ( मैने कस कर अपने पंजे में उनकी रसीली छातियां मिज दी और वो सिसक पड़ी और कस लिया मेरे लंड को मुठ्ठी में )
: मै कैसे बताऊं क्या सोचा होगा ? वो तो अह्ह्ह्ह मामू जानेंगे न ( दीदी ने सिसक कर कहा )
: मै बताऊं
: हा बोल
: पापा जरूर बुआ की बड़ी सी गाड़ को सोच रहे होंगे
: क्या सच में ? ( दीदी एकदम से मदहोश होने लगी थी )
: हा देखा नहीं कितनी बड़ी है उनकी चौड़ी सी
: हम्म्म हो सकता है , मम्मी मोटी तो है ?
: दीदी , आपने कभी बुआ को फूफा से सेक्स करते देखा है ?
एकदम से मेरी बात सुनते ही दीदी ने बदन में हरकत हुई और उन्होंने कस लिया मेरा लंड
: प्लीज बताओ न दीदी , देखा है क्या ?
: हम्ममम देखा है , तो
: कुछ नहीं अह्ह्ह्ह्ह सीईईई आयेगा मेरा दीदी आगे आओ न
: आगे क्यों ?
: आपको होली खिला दूं मै आगे आओ न जल्दी प्लीज
: क्या निकालेगा ( वो तेजी से मेरा लंड हिलाते हुए बोली )
: आपके दूध पर , प्लीज न दीदी प्लीज
: तू पागल है , फिर नहाना पड़ेगा मुझे
: ओह्ह्ह दीदी जल्दी आओ आह सीई ओह्ह्ह जल्दी
एकदम से दीदी मेरे आगे आई और घुटने फोल्ड कर बैठ गई मैने अपने लंड को हिलाते हुए सुपाड़े का मुंह उनके रसीले गुलाबी चूचों पर घुमा दिया और फिर एक के बाद एक मोटी थक्केदार पिचकारियां छूटने लगी
अंत तक जबतक आखिरी बूंद निचोड़ नहीं लिया मैने दीदी के चूचे पर धार मरता रहा और दीदी की दोनों रसीली छातियां मेरे सफेद रंग से नहा चुकीं थी और निप्पल के टिप से रिस कर नीचे जाने लगी थी
दीदी हैरान थी मेरे इतने ज्यादा वीर्य अपने चूचे पर पाकर और हस कर मुझे देख रही थी और मै भी मुस्कुरा रहा था
: पागल ... ला वो तौलिया दे
: एक फोटो निकाल दूं आपकी ( मैने आंख मारी )
उन्होंने आंख दिखाई और मैने तौलिया दे दिया और वो अपने चूचे साफ करने लगी , मै हांफता हुआ बिस्तर पर बैठ गया ,अभी भी लंड की नसे टाइट थी और सुपाड़ा मुंह खोले सांस के रहा था
: बहुत गंदा है तू , हट अब मेरे कपड़े पर से
ओह मैने तो अपने चूतड़ उन्हें कपड़ो पर ही टिका दिए थे और हट कर मैने उन्हें कपड़े दिए
: नहाओगे नहीं
: भाग जा यहां से , पागल कही का ( दीदी थोड़ा गुस्सा दिखाना चाह रही थी लेकिन उनका चेहरा साफ साफ मुस्कुरा रहा था )
फिर मैं भी हंसते हुए कपड़े पहने और दीदी ने भी
हम लोग बाहर आए और मम्मी नाश्ता बना रही थी और वही बुआ बाथरूम से बाहर आती दिखी
ब्लाउज पेटीकोट में
हम दोनो ने उन्हें देखा , ब्लाउज में चूचे सेट नहीं थे और पेटीकोट भी कूल्हे पर अच्छे से कसी नहीं थी , साफ था कि बुआ ने जल्दी जल्दी में पहना था सब
फिर बुआ जब मम्मी के कमरे की ओर जाने लगी तो उन्हें मोटे चूतड़ों की थिरकन देख कर मैने और दीदी ने एक दूसरे के साथ
: पागल कही का , भाग यहां से
मै हंसता हुआ निकल गया मम्मी के पास किचन में
" होली हैएएएए "
मैने अपने ठंडे हाथों से पीछे से झूठ मूठ के ही मम्मी के गालों को छूते हुए कहा और खिलखिलाया
मम्मी तो जैसे डर ही गई
: रोहन क्या कर रहा है , खाने के गिरेगा हट अभी नहीं , ओहो .... अरे .... मसखरी कर रहा है ( उन्होंने अपने गाल छू कर चेक किया)
मै बस हंसता हुआ उन्हें देखने लगा ।
: हैप्पी होली मामी ( तबतक दीदी आई और पीछे से मम्मी के गालों को छू दी )
: हट अब तू भी झूठे झूठे मस्ती मत कर सुबह सुबह...
मम्मी बडबडा रही थी उन्हें लगा कि बबली दीदी ने उन्हें कलर नहीं लगाया लेकिन उन्होंने एक तरफ मम्मी के गाल पर अबीर लगा दिया था
मै और दीदी हस रहे थे । तभी पापा छत पर से सूरज दादा को जल अर्पित करके वापस आए थे
: अरे कुसुम चाय देना भाई
फिर मम्मी मुझे हटा कर चाय निकाली पापा के लिए और लेकर गई
सुबह सुबह नहाई हुई मम्मी , के खिले हुए गोरे गोरे गालों पर बबली दीदी ने अबीर से 3 उंगलियों की रेखा खींची थी जिससे उनकी खूबसूरती और निखर आई थी
मै और दीदी किचन में थे , दीदी पकोड़े नोच रही थी और मेरा ध्यान हाल में पापा और मम्मी पर था
जैसा मैने सोचा था पापा का ध्यान गया मम्मी पर
और जैसे ही मम्मी उनको चाय देकर सीधी हुई कि पापा ने उनकी कलाई पकड़ ली और मम्मी शर्म से लाल
: अरे !! छोड़िए क्या कर रहे है ? बच्चे है किचन में ( मम्मी ने झुके हुए आंखे दिखाई पापा को )
: तुमने तो कहा था कि इस होली सबसे पहले मुझसे रंग लगवाओगी फिर ये किसने ? ( पापा ने इशारे से कहा और मम्मी ने गाल छुए और हसने लगी )
: बबली ने लगा दिया ... कोई बात नहीं आपके लिए खास जगह बचा कर रखूंगी खुश
( मम्मी ने आंख मार कर अपने शरारती मुस्कुराहट से अपने छातियों से पल्लू सरका कर अपने कड़क जोबनो के दर्शन कराते हुए पापा को देखा और पापा असहज होने लगे वो किचन की ओर देखने को हुए और मै दीदी से बात करने लगा नजरे फेरते हुए )
फिर वापस देखा तो पापा वापस से शांत हो गए और मम्मी मुस्कुराती हुई अपनी साड़ी सही करती हुई किचन में आने लगी
: तूने सच में रंग लगा दिया था और तेरे मामा का मुंह बन गया
: क्यों ? ( बबली थोड़ा हस कर बोली और मेरी भी दिलचस्पी जगी)
: अरे पिछली होली पर उन्होंने मुझसे वादा लिया था कि इस होली पर पहले वो हो रंग लगाएंगे ( मम्मी हस कर बोली )
: ओह्ह्ह्ह सॉरी हा मामी , मुझे पता नहीं था
तब तक बुआ कपड़े पहन कर किचन में आने लगी और एकदम से मम्मी की नजर उनपर गई और वो कहा ये मौका छोड़ने वाली थी
: अरे कोई बात नहीं , अब तेरे मामा मुझे लगाए या तेरी मम्मी को बात तो एक ही है न क्यों दीदी ?
: अरे किस बारे में बात हो रही है ( बुआ ने उत्सुक होकर पूछा )
: अरे वो रोहन के पापा की बड़ी इच्छा थी कि इस होली पर मुझे सबसे पहले वही रंग लगाएंगे , लेकिन बबली ने पहले ही बाजी मार ली , तो आप ही लगवा लो उसमें क्या है ,, आओ
मम्मी ने बुआ की कलाई पकड़ ली और हाल की ओर जाने लगी और बुआ हंसने लगी शर्म से और अपनी कलाई छुड़ाने लगी
: अरे आओ न .... ( मम्मी ने उन्हें किचन से बाहर खींचा और पापा उठ कर बाहर जाने वाले थे ,शायद वो भी मम्मी की शरारत सुन चुके थे )
मम्मी ने लपक कर पापा का हाथ पकड़ लिया और पापा के गाल भी खिल उठे , वो भी हसने लगे थे: अरे कुसुम हाथ छोड़ ... कमलेश और बाकी लोग राह देख रहे है !! ( पापा ने अपने दोस्तों का बहाना दे दिया लेकिन मम्मी कहा सुनने वाली थी )
: अरे तो चले जाइयेगा , बस दीदी को थोड़ा गुलाल लगा दीजिए
मम्मी जिस तरह से पापा और बुआ को छेड़ रही थी दोनो ऐसे शर्मा और असहज रहे थे मानो शादी तय हो गई हो उनकी
मैने किचन में खड़े खड़े दीदी के कंधे से अपना कंधा लड़ा कर उन्हें उनकी ओर दिखाया
: क्या लगता है बुआ लगवाएगी रंग
: बक्क पागल है क्या ? वहा थोड़ी न लगवाएगी जहां मामी बोल रही थी
: मान लो अगर लगा ही दिया तो बस ऊपर ऊपर से
: धत्त , चुप रह न ( दीदी थोड़ा शर्मा रही थी और कुछ अजीब सी प्रतिक्रिया थी उनकी )
सच कहूं तो मेरा तो लंड सपने देखने लगा था कि काश बस एक बार पापा को बुआ के रसीले मोटे पपीते पर हाथ फेरते हुए देख लूं , उफ्फ एकदम से लोवर में लंड अकड़ गया मेरा
: अरे शर्मा क्या रहे है उठाइए न मूठा भर के ( मम्मी ने पापा के आगे एक अबीर की थैली फैला कर दूसरे हाथ से बुआ की कलाई पकड़े हुए थी )
पापा ने अंदर हाथ डाल पाव भर अबीर निकाला और बुआ की ओर देख कर मुस्कुराने लगे : दीदी !!!!
: लगा भाई , नहीं तो ये नहीं छोड़ेगी मुझे हाहाहाहाहा
पापा ने अबीर से बुआ के दोनों गालों पर भर भर के अबीर लगाए और जितना अबीर बुआ के गाल पर लगा नहीं उससे ज्यादा तो बुआ के ब्लाउज में जाने लगा
: उन्हूं विजय सब नीचे गिर रहा है
: अरे तो जाने दो , अभी हाथ से लगाएंगे वहां आपके भैया .. क्यों जी ( मम्मी ने पापा को आंख मारी और पापा शर्म से लाल )
: लो दीदी आप भी लगा दो , बड़ी इच्छा थी इनकी पिछले साल तो बड़ा उदास दे कि दीदी होली पर नहीं है
पापा बुआ तो बस चुप थे और मम्मी को बरदाश्त कर रहे थे और बुआ ने भी अबीर निकाल कर पापा को लगाया और बची हुई अबीर मम्मी के गालों पर मल दिया
: बस इतना ही ( मम्मी ने अपने हाथ अबीर से भरते हुए कहा और अगले ही पल बुआ के गर्दन और ब्लाउज के पास खुले छातियों पर मलने लगी ) अरे मौका मिले तो पकड़ कर रगड़ देना चाहिए ऐसे
बुआ एकदम से सन्न होकर पापा को देखी और मुस्कुरा कर : विजय अब जो तूने इसे छोड़ा तो समझ लेना
मम्मी ने पापा को देखा और भागी मेरे कमरे की ओर और पापा उनके पीछे
माहौल फूल होली ऑन मोड में आ गया था
मैने भी दीदी से अबीर की थैली झपट ली और दीदी तो जैसे मेरे नाजायज इरादे पहले ही भाप और मुझे आंखे दिखा कर मुस्कुराती हुई : नहीं रोहन
: सुना नहीं अभी मम्मी ने क्या कहा .. मौका मिले तो हीही
मैने तो खुल कर बबली दीदी को अपने जज्बात कर दिए और बबली खिलखिलाई और तेजी से जीने की ओर भागी : नहीं रोहन मुझे रंग नहीं खेलना तुझसे हीहीही
मै भी उनके पीछे भागा और सीधा छत पर बरामदे में एक कोने में दीदी रुक गई , मानो बड़ा सोच समझ कर उन्होंने जगह चुनी थी
: अरे आओ न बस थोड़ा सा लगाऊंगा और फिर ( होठ से बुदबुदा कर ) जीजू को फोटो भी भेजना है न आपको
दीदी मेरे इरादे साफ साफ समझ रही थी और हंसती हुई : हा तो अब क्या तू उनकी जगह लेगा , उनसे मिल कर मै लगवा लूंगी हीही देख पास मत आना ,, मारूंगी
: अरे लेकिन होली तो आज है न मैने पैकेट में हाथ डाल कर गुलाबी अबीर को भर लिया
दीदी थोड़ा हंसी और फिर से मेरे बाह के नीचे से झुक कर हाल वाले कमरे में जहां हम सोते थे
मै भी फुर्ती से उनके पीछे और दरवाजा पूरी ताकत से ठेल कर अंदर चला गया
: हीही देख यहां मस्ती नहीं , बिस्तर खराब हो जायेगा
: इसीलिए तो कह रहा हूं आराम से लगवा लो हीही
मै उनके ओर बढ़ रहा था और वो पीछे जा रही थी , फिर एकदम से हाल के कोने में , दोनो तरफ दीवाल और सामने मै !! इस बार बचने का कोई दाव नहीं था उनके पास
लेकिन उन्होंने दाव तलाश ही लिया घूम गई और अपने रसीले मम्में हाथों से छुपाने लगी , लंड मेरा कड़ा था और लोवर में बड़ा सा तंबू बन गया था
मैने दोनों हाथों में अबीर भर लिया और दीदी के दोनों हाथों के बीच जबरन अपने हाथ घुसाने लगा
दीदी खिलखिलाती , हंसती चिल्लाती रही और मै उनकी कसी हुई बाजू के नीचे टॉप के हाथ घुसा दिया और इस झपटी में मेरा लंड उनके लोवर के ऊपर से बार बार उनकी मुलायम चर्बीदार चूतड़ों पर रगड़ खा रहा था , मैने भी उनको पीछे से कस लिया पेट से पकड़ कर और घुमा दिया
: हीही रुक जा रोहन मारूंगी तुझे सच कह रही, बदमाश छोड़ मुझे
: बस थोड़ा सा न दीदी , जीजू तो फोटो पाकर भी खुश हो जाएंगे
: कमीना कही का , अह्ह्ह्ह्ह मम्मी आराम से रोहन उम्ममम
उनकी हल्की सी बाह ढीली हुई और मेरे दोनों पंजे अंदर टॉप में घुस गए और चप्प से मेरे अबीर पंजे उनके दोनों रसीले मम्में पर गाड़ दिए मैने भर भर कर अबीर से सराबोर ही कर दिया
: उफ्फ दीदी कितना सॉफ्ट है आपका दूध उम्ममम
: हटा न हाथ अब तो लगा दिया न कलर ( दीदी ने टॉप उठा कर कहा और देखने लगी कि कितना रंग लगाया है )
: ओह्ह्ह्ह गॉड कितनी गर्म है ये दीदी जीजू सच में बहुत लकी है
: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई लेकिन तुझसे थोड़ा कम हट अब ... ( दीदी झटके से मुझसे अलग होकर अबीर की थैली झपट कर उठाते हुए बोली )
मेरा लंड दीदी की रसीली छातियां मिज कर एकदम फड़फड़ाने लगा था और बांस के जैसे टाइट होकर लोवर में खड़ा था , दीदी ने तो पहले ही उसे अपने चूतड़ों पर महसूस कर लिया था ।
: ये क्या फिर से ? ( दीदी के साफ साफ आंखों से मेरे लंड पर इशारा किया )
: हीही आपके दूध छूने से
: धत्त दिखा तो
मुझे लगा शायद एक और चांस मिल जाए और इस बार तो पक्का दीदी से चुसवा लूंगा
मैने झट से अंडरवियर सहित लोवर को नीचे खींच कर अपना बड़ा सा लंड बाहर निकाला
दीदी ने आंखे बड़ी कर देखा और एकदम से उनके चेहरे के हावभाव बदलने लगे , एकदम से उनकी स्माइल बड़ी होने लगी और वो चिल्लाई : होली हैएएएएएए हीही
फुर्ती से उन्होंने से मुट्ठी भर अबीर मेरे नंगे लंड पर फेंका और भाग गई खिलखिलाती हुई , मेरा लंड भी पूरा गुलाबी गुलाबी
कुछ पल लगे मुझे समझने में फिर मैने झट से अपना लोवर उठाया और तेजी से दीदी के पीछे भागा नीचे
नीचे बरामदे में आया तो दीदी ने मुझे रोक लिया
: श्शश्श रुक रुक... अंदर मत जाना ( दीदी दबी हुई आवाज में बोली )
: क्यों ? क्या हो रहा है अंदर ? ( मैने लपक कर झांका तो सन्न हो गया )
अंदर पापा ने बुआ को पीछे से पकड़ रखा था और बुआ कसमसा रही थी और सामने से मम्मी की आवाज आ रही थी लेकिन वो दिख नहीं रही थी , बस उनके साड़ी खुल कर जो फर्श थी उससे उनकी लोकेशन का पता चल पा रहा था ।
: कस के पकड़े रहिए रोहन के पापा, अगर छोड़ा न तो समझ लेना ( मम्मी ने पापा को कहा और पापा ने बुआ को और कस लिया अपने पास , बुआ की मोटी बड़ी चर्बीदार चूतड़ इस वक्त पापा की गोद में पूरी तरह चिपके हुए थे और मम्मी ने भर भर बुआ के ब्लाउज में अबीर भर : हा अब हुआ न किस्सा बराबर हाहाहाहा
: अरे पागल फट गई , हट कमिनी , बुआ ने मम्मी को धकेल कर कहा और अपने टूटे हुए ब्लाउज के हुक समेटने लगी
पापा के साथ साथ मै भी आंखे फाड़ कर बुआ के चटके हुए हुक से आधे से ज्यादा खुले ब्लाउज से झांकती हुई गुलाबी चूचों को देख रहे थे
और इधर जैसे ही पापा ने बुआ को छोड़ा था मेरी नजर सीधा उनके पजामे पर गई , बड़ा सा नुकीला तंबू कुर्ते को उठाए हुए
मैने बड़ी बड़ी आंखों से दीदी को देखा और दीदी ने सन्न आंखों से मुझे
कहने का मतलब था कि ये कैसी होली ? अभी तो सुबह के 10 भी नहीं बजे थे और ये हाल थे ? आगे क्या होगा ?
बुआ अपनी रंगीन चोली सहेजती हुई मम्मी के कमरे में चली गई , पापा अपना लंड सेट करते हुए दोस्तो के पास और मम्मी !!!! ध्यान ही नहीं गया
मम्मी का ब्लाउज तो पूरा का पूरा खुल चुका था .... सालों बाद मुझे आज वो दर्शन नसीब हुए थे जिसकी कल्पना भी कभी मैने नहीं की थी ।
मम्मी के रसीले और भूरे घेरे वाले खरबूजे जैसे गोल मटोल दुध....