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Adultery उल्टा सीधा

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पुष्पा ने भी छोटू को कमरे से जाते देखा तो सोचने लगी ये क्यों बाहर गया है? चाहे जिस लिए भी गया हो, पर आज मुझे कुछ भी गलत नहीं होने देना है, आज स्वयं पर पूरा नियंत्रण रखना है कल जो पाप हुआ उसका पश्चाताप करने का यही तरीका है।

अपडेट 13

पुष्पा ये ही सब सोच रही थी कि इतने में छोटू बापस आया और अंदर आकर उसने किवाड़ बंद कर दिए, कमरे में जलते हुए मिट्टी के तेल के दिए की रोशनी में एक नज़र अपनी दूसरी ओर करवट लेकर सोती हुई मां की ओर डाली और बिस्तर पर बैठते हुए स्वयं ही बिना बताए बोल पड़ा: मैं तो पेशाब भी के आया अब सोते हैं।
ये ही उसकी योजना थी कि पेशाब करने के बहाने से जाएगा आते हुए किवाड़ लगा देगा, और थोड़ा और चालाकी दिखाते हुए उसने ये बोल भी दिया, वो देखना चाह रहा था कि उसकी मां की क्या प्रतिक्रिया आएगी पर पुष्पा तो दूसरी ओर मुंह करके बिना हिले डुले सोने का नाटक भी करने लगी थी,
ये देख छोटू को थोड़ी हैरानी हुई वो सोचने लगा मां आज अलग तरीके से पेश आ रही हैं, कल इतना कुछ हुआ और आज पड़ते ही सो गईं, क्या करूं जगाऊं? या कुछ और करूं? समझ नहीं आ रहा,
इधर पुष्पा जो सोने का नाटक कर रही थी उसे धीरे धीरे बदन में एक बढ़ती हुई गर्मी का एहसास होने लगा, उसके बदन में उत्तेजना बढ़ने लगी, चुचियों की घुंडी तनने लगीं, चूत में नमी के साथ साथ एक अजीब सी खुजली का आभास होने लगा मानो बहुत से कीड़े उसकी गरम चूत में रेंग रहे हैं, उसका उत्तेजना और बदन की खुजली से बुरा हाल होने लगा, इधर छोटू मन ही मन अपनी मां के पीछे लेटा हुआ कुछ योजना बनाता फिर उसे खुद ही असफल बता देता, उसे समझ नहीं आ रहा था कैसे आगे बढ़े, कैसे अपनी मां के साथ वो सब करने की शुरुआत करे जो कल हुआ था, काफी गहन सोच के बाद उसने अपनी आंखें बंद की और सोने का नाटक करने लगा, ऐसे ही कुछ पल रहने के बाद उसने अपना हाथ उठाकर अपनी मां की कमर पर रख दिया और खुद वैसे ही सोने का नाटक करता रहा,
पुष्पा की कमर पर जैसे ही छोटू का हाथ पड़ा पुष्पा के पूरे बदन में बिजली दौड़ गई, उसका बदन जो पहले ही उत्तेजना से जल रहा था लगने लगा जैसे उसमें घी और डाल दिया हो, पुष्पा ने खुद को रोकना जितना आसान समझा था उतना हो नहीं रहा था और पुष्पा को समझ नहीं आ रहा था कि क्यों उसका बदन ऐसे तड़प रहा है पहले तो कभी इतनी बैचैनी नहीं हुई उसके अंदर जैसी अभी हो रही है। वो भी अपने बेटे के बगल में लेटने से, मैं इतनी नीच कैसे हो सकती हूं, जो ऐसा पाप हो रहा है मुझसे।
पुष्पा बेचारी स्वयं को दोष दे रही थी पर उसे क्या पता था जो उसके साथ हो रहा था उसका कारण वो नहीं बल्कि बाबा की पुड़िया थी जो कि एक साथ वो दो खुराक ले चुकी थी, भाग्य ने बेचारी के साथ अनोखा खेल खेला था, पहले तो जिस गिलास में सुधा पहले से ही दवाई मिला गई थी, उसी में एक बार और दवाई मिला दी थी, और फिर अपनी सोच में इतनी मगन हो गई थी कि ग्लास देते हुए ये ध्यान ही नहीं दिया कि दवाई वाला गिलास कौन सा है और बिना दवाई वाला कौन सा, बेचारी ने दवाई वाला वो भी दूनी खुराक वाला खुद पी लिया था और छोटू को बिन दवाई का पिलाया था, अब बाबा की उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाई और वो भी दो ख़ुराक़ कोई खा ले तो उसे कैसा महसूस होगा ये तो वो ही जानता है।
छोटू का हाथ उसकी कमर पर था और पुष्पा अपनी पूरी सहनशीलता लगा कर खुद को रोक रही थी पर उसकी परेशानी ये थी कि हर बढ़ते पल के साथ उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, वो जैसा चाह रही थी ठीक उसका उलट हो रहा था, ऊपर से छोटू का हाथ जो उसकी कमर पर रखा था वो उसकी परेशानी और बढ़ा रहा था, मानो हाथ में से ही एक गर्मी निकल रही थी जो उसके पूरे बदन में फैल रही थी, उसकी चूत हर बढ़ते पल के साथ गीली होती जा रही थी।
छोटू थोड़ी देर से लेटा हुआ सोने का नाटक कर रहा था उसे जब अपना हाथ मां की कमर पर रखने की उसकी मां की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो उसका आत्मविश्वास और बढ़ा और वो धीरे धीरे आगे की खिसकने लगा, और कुछ देर में खिसकते हुए अपनी मां से पीछे से सट गया,
छोटू के पीछे से चिपकते ही पुष्पा ने जो अब तक किसी तरह से अपनी उत्तेजना के वेग को जिस सहनशीलता के बांध से रोक रखा था वो चरमराने लगा, पुष्पा उत्तेजना से पागल होने लगी, और फिर छोटू ने नीचे से भी ज्यों ही खुद को अपनी मां से चिपकाया, और उसका खड़ा लंड पजामे के अंदर से ही पुष्पा के साड़ी में बंधे चूतड़ों से स्पर्श हुआ तो उस स्पर्श के आभास से ही पुष्पा की सहनशीलता का बांध टूट पड़ा, और उसके मुंह से एक बड़ी ही कामुक आह निकली जिसे सुनकर छोटू का लंड ठुमके मारने लगा।
पुष्पा के लिए अब स्वयं को रोकना असंभव हो गया, वो अपने बदन की गर्मी के सामने हार मान गई और खुद भी पीछे सरक कर छोटू से पूरी तरह अपने बदन को चिपका दिया उसकी पीठ छोटू के सीने से ऐसे सट गई कि बीच में हवा आने तक की जगह न हो,
अपनी मां की ऐसी प्रतिक्रिया पाकर छोटू तो मन ही मन खुशी से नाचने लगा वहीं उसका छोटू यानि उसका लंड भी उसकी मां के चूतड़ों के बीच ठुमके मारने लगा,
छोटू ने अब जोश में आते हुए अपने हाथ को मां की कमर से बढ़ाते हुए उसके पेट पर रख लिया और धीरे धीरे उसे मसलने लगा, पुष्पा उसके बदन से सटी हुई मचलने लगी, अपने बदन को अपने बेटे के बदन से रगड़ने लगी,
छोटू मां का पेट तो मसल रहा था पर अब भी उसके अंदर थोड़ी झिझक थी वो कोई भी गलती नहीं करना चाहता था और धीरे धीरे संयम से आगे बढ़ना चाह रहा था, वहीं पुष्पा के पास अभी किसी चीज की कमी थी वो थी संयम की, उसके लिए एक एक पल मुश्किल हो रहा था, और उसी कारण उसे वो सब करना पड़ रहा था जो वो कभी सोचना भी नहीं चाहती थी, अपने बदन के आगे हारते हुए उसे अपने संस्कारों का भार उसकी उत्तेजना के भार के आगे बहुत हल्का लगा।
इधर छोटू के लिए तो ये सब मनचाहे सपने जैसा था, उसने जैसा सोचा था वैसा ही हो रहा था, उसका हाथ उसकी मां के कोमल गदराए पेट को मसल रहा था, उसका लंड कपड़ों के ऊपर से ही सही पर उसकी मां के चूतड़ों की दरार में घिस रहा था, तभी उसे मां के हाथ कुछ हरकत करते हुए महसूस हुए, उसे पल भर को लगा कहीं मां उसे रोकने वाली तो नहीं पर ऐसा कुछ नहीं हुआ तो वो मां के पेट से खेलता रहा पर तभी उसके हाथ के ऊपर उसकी मां का हाथ आया तो उसने अपनी हरकत रोक दी, फिर मां ने उसका हाथ पकड़ा और उठाकर ऊपर की ओर ले गई तो पहले छोटू को समझ नहीं आया, पर फिर मां ने जब उसका हाथ रखा तो छोटू तो अंदर तक हिल गया, क्योंकि छोटू का हाथ सीधा उसकी मां की नंगी चूची पर पड़ा जिसका आभास होते ही छोटू का तो पूरा बदन कांप गया,
पुष्पा ने अपने बदन की बढ़ती खुजली मिटाने के लिए अपने बेटे के हाथ में अपने भारी और मोटी चूची को पकड़ा दिया, वैसे तो पिछली रात भी उसने अपनी मां की चूची को मसला था, पर फिर से उसे सब कुछ नया नया आनंद दे रहा था, छोटू ने अब स्वयं को संभाला और क्योंकि अपनी मां की चूचियों का मर्दन वो एक बार पहले ही पिछली रात को कर चुका था, उसने तुंरत ही अपना हाथ पड़ते ही मोटी मोटी चुचियों को दबाना शुरू कर दिया, उसे आभास हुआ कि जो मां के हाथ उसे हरकत करते हुए महसूस हो रहे थे तब उसकी मां अपना ब्लाउज खोल रही थी,
छोटू ने अपनी मां की चुचियों को दबाना शुरू किया तो पुष्पा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी।
पुष्पा: अह्ह लल्ला ओह उहम्म ह्म्म्म ऐसे ही।
छोटू अपनी मां की सिसकारी से और उत्तेजित होने लगा और अपना दूसरा हाथ भी उसने अपनी मां के नीचे से निकाला और अब दोनों हाथों से अपनी मां की चुचियों को मसलने लगा, पुष्पा तो और आनंद में आहें भरने लगी, तो छोटू का आनन्द और उत्तेजना अपनी मां की आहें सुनकर और बढ़ने लगा,
छोटू: अह्ह मां तुम्हारी चूचियां कितनी मोटी हैं, अह्ह बड़ी बड़ी मज़ा आ रहा है दबाने में,
पुष्पा: ह्म्म्म अह्ह दबाता रह बेटा अह्ह मुझे भी मजा आ रहा है।
छोटू तो ये सुनकर और जोश में आ गया और अपनी मां की चुचियों को आटे की तरह गूंथने लगा, साथ ही अपने लंड को पीछे से मां के चूतड़ों में भी घिस रहा था,
पुष्पा के साथ कुछ अलग ही हो रहा था जितना वो सोच रही थी उसकी उत्तेजना कम होगी वो हर बढ़ते पल के साथ बढ़ती जा रही थी, उसकी चूत में असहनीय खुजली बढ़ती जा रही थी, ऊपर से पीछे से घिसता हुआ बेटे का लंड आग में घी का काम कर रहा था, पुष्पा ने पिछली रात की तरह ही अपना हाथ पीछे की ओर किया ओर छोटू के लंड को पजामे के ऊपर से ही पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो जैसे ही उसका हाथ लंड पर पड़ा तो उसे हैरानी हुई और साथ ही बदन में सिहरन भी हुई क्योंकि उसके हाथ में बेटे का नंगा फुंकारता हुआ लंड आ गया, छोटू कब अपना पजामा उतार कर नीचे से बिलकुल नंगा हो गया था उसे खबर तक नहीं हुई थी, अपने बेटे की हरकत पर उसे मन ही मन खुशी हुई और वो उसके लंड को हाथ पीछे किए हुए ही मुठियाने लगी, वहीं छोटू आहें भरता हुआ अपनी मां की चुचियों को मसलने में लगा रहा।

छोटू के लिए भी अब उत्तेजना उसके संभालने से ज़्यादा हो रही थी और हो भी क्यों न अपने हाथों में अपनी सगी मां की चूचियां थी तो लंड पर मां का हाथ चल रहा था, इसी जोश में आकर छोटू ने अपनी मां को पकड़ कर सीधा लिटा दिया तो पुष्पा के लिए भी आसानी हुई क्योंकि हाथ पीछे कर के लंड पर चलाना उसके लिए भी थोड़ा असहज महसूस हो रहा था,
छोटू तेल की डिमरी की रोशनी में अपनी मां का सुंदर चेहरा देख रहा था साथ ही उसके चेहरे पर बदलते भावों को भी उससे और रुका नहीं गया तो उसने आगे चेहरा बढ़ाकर अपने होंठों को अपनी मां के होंठों से मिला दिया, और रसीले होंठों को चूमने लगा, पुष्पा की उत्तेजना तो इस कदर थी कि वो अब स्वयं को रोकना उसके लिए असंभव सा लग रहा था ऊपर से छोटू की हर हरकत उसे और उत्तेजित कर रही थी, छोटू के होंठ जैसे ही उससे मिले वो पागलों की तरह उसका साथ देते हुए उसके होंठों को चूसने लगी।
बहुत ही अदभुत दृश्य था मां बेटे के होंठ आपस में ऐसे मिले हुए थे जैसे दो प्रेमियों के मिलते हैं जो विरह के बाद मिले हों, हालांकि छोटू ने जीवन में पहली बार यदि किसी के होंठों को चूमा था तो वो उसकी मां के ही थे वो भी पिछली रात को ही पर अभी वो ऐसे चूस रहा था मानो न जाने कितना अनुभव हो, पर शायद ऐसे कामों के लिए कुछ सीखने की जरूरत नहीं पड़ती, जैसे बच्चे को खाना नहीं सिखाना पड़ता, जानवरों को शिकार नहीं सीखना पड़ता, मछली को तैरना नहीं सीखना पड़ता, वैसे भी छोटू ने तो न जाने कितनी बार सपने में सब कुछ किया था तो उसे सीखने की क्या आवश्यकता थी।
कभी मां के निचले होंठ को अपने होंठों के बीच दबा कर उसका रस चूसता तो कभी ऊपर वाले को, उसके हाथ लगातार चूचियों पर चल ही रहे थे, वहीं पुष्पा का हाथ भी लगातार उसके लंड पर चल रहा था, तभी पुष्पा ने कुछ ऐसा किया जो छोटू के लिए हैरान करने वाला था पुष्पा ने होंठों को खोलते हुए अपनी जीभ छोटू के मुंह में घुसा दी, तो छोटू एक पल को हैरान ज़रूर हुआ क्योंकि उसने ऐसा कुछ सोचा नहीं था पर अगले ही पल वो अपनी मां की जीभ से जीभ लड़ाते हुए उसे चूसने लगा, पुष्पा को ये उसके पति ने सिखाया था जो आज वो अपने बेटे के साथ कर रही थी, छोटू को ये खेल बहुत भाया तो वो भी अपनी जीभ अपने मां के होंठों के बीच घुसा कर उसके मुंह को अंदर तक चाटने लगा, पुष्पा भी बेटे की जीभ को कुल्फी की तरह अंदर तक लेकर चाटने लगी, उसे अपने हाथ में छोटू का लंड फड़कता हुआ महसूस हो रहा था जिससे पता चल रहा था कि जो हो रहा था वो छोटू को कितना भा रहा था, काफी देर बाद दोनों मां बेटे के होंठ अलग हुए तो दोनों बुरी तरह हाफ रहे थे, पर हांफते हुए भी संयम न तो छोटू में था और न ही पुष्पा में, पुष्पा की हालत तो वैसे ही खराब हो रही थी उसका बदन गर्मी में जल रहा था।
होंठों के अलग होते ही छोटू ने अपना मुंह अपनी मां की मोटी चूचियों में घुसा दिया और एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा, चूची के मुंह में भरते ही पुष्पा तो बिलकुल मचलने लगी, उसका सीना ऊपर की ओर तन गया जिससे अधिक से अधिक चूची छोटू के मुंह में चली जाए, साथ ही उसने छोटू के सिर को अपने हाथों से पकड़ लिया और उसे अपने सीने में दबाने लगी जैसे हर औरत के बदन में कोई न कोई संवेदनशील अंग होता है वैसे ही पुष्पा की चूचियां थी और उन चूचियों को छोड़कर छोटू ने अपनी मां को उस मोड पर ला दिया था जहां से उसका लौटना लगभग असम्भव था, छोटू तो पागलों की तरह अपनी मां की चूचियां चूसने लगा जिन चूचियों को उसने बचपन में चूस कर अपनी भूख मिटाई थी, अभी उन्हें चूस कर बदन की भूख मिटाने की कोशिश कर रहा था,
छोटू जितना पुष्पा के बदन के साथ खेल रहा था पुष्पा की उत्तेजना उतनी ही और बढ़ रही थी, हर एक पल के साथ उसका बदन जल रहा था, वो छोटू से चूचियों को चुसवाते हुए ही उठ कर बैठ गई पर छोटू ने उसकी चूचियों से अपना मुंह नहीं हटाया, और लगातार चूसता रहा।
पुष्पा ने सबसे पहले तो अपने खुले हुए ब्लाउज को अपनी बाहों से निकाला और अलग फेंक दिया और ऊपर से नंगी हो गई, अगले ही पल उसने छोटू की बनियान को भी पकड़ कर ऊपर किया तो छोटू ने पल भर के लिए अपनी मां की चूचियों को छोड़ा और अपनी बनियान उतारने में अपनी मां की मदद की, बनियान उतरते ही छोटू पूरा नंगा था और अपनी मां के बगल में बैठकर उसकी चूचियां चूस रहा था चूसते हुए उसकी नजर उसकी मां की आंखों से मिली तो, पुष्पा की आंखों में उसे हवस और एक अजीब तरह का पागलपन और बेचैनी दिखी, ऐसा उसने कभी अपनी मां को नहीं देखा था, अगले ही पल पुष्पा ने छोटू को धक्का देकर पीछे लिटा दिया, और ख़ुद उसके ऊपर बैठ गई, अपनी मां का ऐसा रूप देखकर तो छोटू को भी थोड़ी घबराहट होने लगी, पुष्पा ने छोटू के हाथ फिर से पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख दिए तो छोटू तुरंत उन्हें दबाने लगा, पुष्पा ने बिना सोचे फिर अपना हाथ अपनी कमर पर रखा और अपनी साड़ी को ढीला करने लगी, और कुछ पल बाद उसके हाथ में उसके पेटिकोट का नाडा था, नाडे को बड़ी आसानी से खींचने के बाद वो बिजली की गति से खड़ी हुई और अगले ही पल अपनी साड़ी और पेटीकोट को अपने बदन से अलग कर एक ओर फेंक दिया, ये देख छोटू की तो आंखें फटी की फटी रह गईं, उसकी मां उसके सामने पूरी नंगी खड़ी थी, सुंदर चेहरा, उसके नीचे मोटी मोटी चूचियां, उनके नीचे सुंदर सपाट पेट और बीच में गोल नाभी जो बेहद कामुक लग रही थी, नाभी के नीचे आते हुए देखा तो आंखे और खुली रह गईं, उसे यकीन नहीं हुआ कि वो अपने जन्मस्थान को इतनी पास से देख पा रहा है, इतनी सुंदर चूत देख कर उसकी नज़रें पर उस पर टिकी रह गईं,
पर ज़्यादा देर नहीं रह पाईं क्योंकि अगले ही पल पुष्पा बापिस नीचे होकर उसके ऊपर इसकी जांघों पर बैठ गई, और अपने हाथ में बेटे का लंड पकड़ लिया और उसे ऊपर नीचे कर मुठियाने लगी, पुष्पा की नजर भी छोटू के लंड पर बिल्कुल टिक गई थी, छोटू के लंड का टोपा उसके साथ आंख मिचौली कर रहा था, जैसे ही उसका हाथ ऊपर आता वो छुप जाता और नीचे जाता तो दिखाई दे जाता, पुष्पा बेटे के लंड को एक टक निहार रही थी पर उसके मन में पति की बात चल रही थी, उसे याद है कुछ महीने पहले ही उसके पति शहर से एक किताब के कुछ पन्ने लेकर आए थे जिसमें चुदाई के कई चित्र छपे हुए थे और उन्हें दिखा दिखा कर पति उससे भी वैसे ही करने को कह रहे थे, जिसमें एक में एक औरत मर्द का लंड मुंह में भरे हुए थी, और चूस रही थी, उसे दिखाकर छोटू के पापा ने बहुत ज़िद की थी कि वो भी उनका लंड अपने मुंह में लेकर चूसे पर पुष्पा ने साफ मना कर दिया था कि पेशाब की गंदी चीज को मुंह से नहीं लगाएगी, उसके और पति के बीच इस बात पर काफी कहासुनी भी हुई थी, और अंत में अगले दिन पुष्पा राजी तो हुई पर सिर्फ टोपे को अपने होंठों में भर कर दो तीन बार आगे पीछे करने की, और उसने बस उतना ही किया था, क्योंकि उसे वो सब बहुत अजीब लगा था साथ ही एक घिन जैसी आ रही थी पर आज अपने बेटे के लंड को देखकर उसके मन में यही आने लगा कि इसका अनुभव कैसा होगा,उसका खुद का मन करने लगा कि वो एक बार अनुभव करके देखे, और जैसे अपने आप ही उसका चेहरा आगे को झुकता गया और फिर जैसे ही उसका चेहरा लंड के पास पहुंचा तो उसने एक गहरी सांस ली और छोटू के लंड की सौंधी गंध को अपने अंदर लिया तो बाकी का काम उस गंध ने कर दिया और अगले ही पल छोटू के मुंह से एक आह निकली और उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं सामने का दृश्य देख कर,
उसके सामने उसकी टांगों के बीच बैठी हुई उसकी पूरी तरह से नंगी मां आगे को झुकी हुई थी और उसके मुंह के बीच उसका लंड था, छोटू ने तो कभी ऐसा कुछ सोचा भी नहीं था उसने ऐसा सिर्फ चित्रों में देखा था उसने कल्पना भी नहीं की थी कि उसकी मां या गांव की औरतों को ऐसा कुछ जान भी होगा, पर अपने मां के मुंह की गर्मी अपने लंड पर महसूस कर उसे एक अनोखा एहसास हो रहा था,
अनोखा अनुभव तो पुष्पा के लिए भी था, बेटे का लंड मुंह में भरकर , उसका स्वाद पुष्पा को बहुत अलग लग रहा था आज तक जैसा उसने कभी अनुभव नहीं किया था पर उसका मन उसे छोड़ने का भी नहीं कर रहा था, और फिर उसने आंखें बंद कर के गहरी सांस ली और फिर वही करने लगी जो उस समय उसे सही लग रहा था, वो छोटू के लंड पर अपना मुंह ऊपर नीचे करने लगी, उसके थूक से छोटू का लंड पूरा गीला हो चुका था पर पुष्पा तो जैसे नशे में थी जितना वो बेटे के लंड को चूस रही थी उतना ही उसकी भूख और बढ़ रही थी कुछ ही देर में छोटू का पूरा लंड जड़ तक उसके मुंह में समाया हुआ था, गले से उग्ग उग्ग की आवाज़ आ रही थी पर पुष्पा पर कोई असर नहीं था वो कभी पूरे लंड को अपने मुंह में भर लेती तो कभी निकाल कर ऊपर से नीचे तक जीभ से चाटती,
छोटू का नीचे लेटे लेटें बुरा हाल था और इस बार जैसे ही पुष्पा ने उसके लंड को ऊपर से नीचे चाट कर मुंह में भरा छोटू का बदन अकड़ने लगा और छोटू के लंड ने पिचकारी छोड़दी, एक के बाद एक धार छोटू के लंड से निकलने लगी जो कि उसकी मां के मुंह को भरने लगी, पुष्पा ने जब अपने मुंह में बेटे का रस भरता महसूस हुआ तो उसे बदन में और सिहरन हुई क्योंकि कभी और मौका होता तो शायद उसे घिन से उल्टी हो जाती पर अभी तो उसे वो रस मलाई जैसा लग रहा था जिसे वो तुरंत गटकने लगी, छोटू के लंड ने आज तक इतनी मलाई नहीं छोड़ी होगी जितनी आज छोड़ रहा था पर आज से पहले उसकी मां ने उसका लंड भी कहां चूसा था, झड़ने के बाद छोटू बुरी तरह हाँफ़ रहा था आज तक उसने ऐसा स्खलन महसूस नहीं किया था, वहीं उसके लंड से एक एक बूंद निचोड़ लेने के बाद पुष्पा ने बेटे के लंड को छोड़ा।
छोटू ने हांफते हुए अपनी मां के चेहरे को देखा जो कि उसके थूक पसीने से सना हुआ था, होंठों पर हल्का सा लगा उसका रस उसे और कामुक बना रहा था, पर अभी भी उसे पुष्पा की आंखों में वही भूख वही बेचैनी दिख रही थी, पुष्पा के हाथ में छोटू का लंड था, और उसकी खुशी के लिए अभी भी झड़ने के बाद भी ज्यों का त्यों खड़ा हुआ था और हो भी क्यों न, जिसकी मां नंगी उसके सामने बैठी हो उसका लंड चूसकर उसका लंड कैसे बैठ सकता है, पुष्पा ने छोटू का लंड पकड़ा और उसकी आंखों में देखती हुई सीधी हुई और थोड़ा आगे की ओर खिसकी पर छोटू के लंड पर उसका हाथ लगातार बना रहा साथ ही उसकी आंखें भी छोटू की आंखें से मिली रहीं,
छोटू अपनी मां का ये रूप देख हैरान था, ऐसी प्यास और ऐसा पागलपन देख कर। कहां उसकी मां कितनी संस्कारी थी, और कहां अभी उसके ऊपर नंगी बैठी हुई उसकी आंखों में देख रही थी,
एक पल के लिए पुष्पा उसका लंड पकड़े पकड़े ही ऊपर हुई पर दोनों की आंखें पल भर के लिए भी एक दूसरे से अलग नहीं हुईं, और फिर दोनों के मुंह से ही एक आह्ह्हह निकली और जहां छोटू की आंखें खुली रह गईं वहीं पुष्पा की बंद हो गईं, क्योंकि पुष्पा ने छोटू का लंड अपनी चूत के मुहाने पर रखा और फिर न तो स्वयं को सोचने का समय दिया और न ही छोटू को और तुंरत ही नीचे हो गई, छोटू का लंड अपनी मां की चूत में समा गया, वहीं पुष्पा की खुजलाती चूत को बेटे का लंड पाकर आराम मिला तो उसकी आँखें आनंद से बंद हो गईं।
छोटू को तो यकीन नहीं हो रहा था कि उसका लंड उसकी मां की चूत में है, उस चूत में जिससे कई साल पहले वो इस दुनिया में आया था और आज बापिस उसी चूत में जड़ तक समाया हुआ है ये सोच कर और सामने का दृश्य देखकर छोटू के बदन में झुरझुरी दौड़ गई, उसका लंड उसकी मां की चूत में समाया हुआ था,उसने सोचा नहीं था कि उसकी पहली चुदाई उसकी मां के साथ होगी, पर अपनी मां जैसे बदन वाली औरत को पाकर छोटू के तो भाग्य खुल गए थे, उसकी उत्तेजना की तो अभी कोई सीमा ही नहीं थी, छोटू की कमर अपने आप ही हिलने लगी और वो नीचे से धक्के लगाने लगा,
पुष्पा तो आंखें बंद किए हुए इस आभास को अपने मन में समा रही थी, पर जैसे ही छोटू की कमर उसे चलती हुई महसूस हुई वो भी अपने चूतड़ों को अपने बेटे के लंड पर धीरे धीरे उछालने लगी, मां बेटे सारी दुनिया से बेखबर होकर चुदाई का आनंद लेने लगे, पुष्पा की चूत में जो असहनीय खुजली हो रही थी उसमें छोटू का लंड बेहद आराम दे रहा था और छोटू तो जैसे जन्नत में था, अपनी मां की कमर थामे नीचे से लगातार अपनी मां की चूत में दनादन धक्के लगा रहा था, वहीं पुष्पा भी अपने चूतड़ों को घूमा घुमा कर अपने बेटे के लंड पर पटक रही थी, छोटू एक बार पहले ही झड़ भी चुका था इसलिए इस बार समय भी ले रहा था, पुष्पा धीरे धीरे अपने चरम की ओर बढ़ रही थी, इसी बीच वो झुककर छोटू के होंठों को चूसने लगी छोटू भी अपनी मां का पूरा साथ दे रहा था, चुदाई में भी और चुसाई में भी, साथ ही नीचे से सटा सट धक्के लगा कर अपनी मां को चोद भी रहा था, होंठों के अलग होते ही पुष्पा ने और आगे होकर अपनी चूचियों को उसके मुंह में दे दिया, जिन्हें चूसते हुए वो लगातार चोदने लगा।
पुष्पा: अह्ह्ह्ह अह्ह अह्ह्ह लल्ला अह्ह्ह्ह ओह लल्लाअह, चूस ले अपनी मां की चूचियां, अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह दैय्या, चोद अपनी मां की प्यासी चूत को अह्ह्ह्ह, और तेज मार अपने लंड की चोट मेरी चूत में अह्ह्ह्ह,
पुष्पा उत्तेजना में बड़बड़ाने लगी जो सुनकर छोटू और जोश में आते हुए उसे चोदने लगा,
छोटू: अह्ह हां मां आह अह्ह आज तुम्हारी मस्त चूत खूब चोदूंगा अह्ह मां,
पुष्पा: अह्ह्ह्ह चोद लल्ला अह्ह आज दिखा दे मेरे दूध में कितनी ताकत है,
छोटू: अह्ह हां मा ओह लो ओह देखो अपने दूध की ताकत,अह्ह।
छोटू अपनी मां की चूत में और तेजी धक्के लगाते हुए बोला।
पुष्पा: अह्ह चोद लल्ला ऐसे ही अपनी रंडी मां को।
अपने लिए रंडी शब्द का प्रयोग करना पुष्पा को भारी पड़ा और वो अपने चरम पर पहुंच कर थरथराने लगी, यही हाल छोटू का हुआ जब उसने अपनी मां के मुंह से रंडी सुना तो उसकी उत्तेजना भी सीमा से बाहर निकल गई,
पुष्पा का बदन थरथराने लगा उसकी कमर झटके खाने लगी, इधर छोटू के लंड ने भी एक बार और अपनी पिचकारी मारनी शुरू कर दी और अपनी धार से अपनी मां की चूत में अपना रस भरने लगा, पर पुष्पा का स्खलन इतना तेज वेग के साथ था कि उसका पूरा बदन अकड़ गया, उसकी आँखें ऊपर की ओर चढ़ गईं और उसकी कमर बुरी तरह झटके खाने लगी जिनसे छोटू का लंड भी उसकी चूत से निकल गया, छोटू के लंड से निकलती रस की धार उसके पेट पर गिरने लगी।


पर छोटू का ध्यान तो अपनी मां के ऊपर था जो कि बुरी तरह से कांप रहीं थी, एक पल को तो छोटू को घबराहट होने लगी कि कहीं उसकी मां को कुछ हो तो नहीं गया, की तभी पुष्पा की चूत से एक तेज धार निकली जो कि सीधा छोटू के पेट और सीने से होते हुए उसके चेहरे पर पड़ी, छोटू को पहले तो समझ नहीं आया ये क्या हुआ अचानक की फिर तभी फिर से पुष्पा की कमर ने झटका मारा और एक और धार उसकी चूत से निकली और उसके मुंह पर लगी, छोटू को जैसे ही समझ आया कि ये उसकी मां का मूत है, तो वो समझ नहीं पा रहा था कि इस पर क्या प्रतिक्रिया दे, उधर पुष्पा की चूत से धार के बाद धार निकल रही थी और उसके बदन को भिगो रही थी, धीरे धीरे धार हल्की होने लगी छोटू अपनी मां के मूत में पूरी तरह से भीग चुका था और साथ ही बिस्तर भी,
छोटू ने अपनी मां के मूत की धार को हल्का होते देखा तो न जाने उसे क्या हुआ बिजली की फुर्ती से उठकर उसने अपना मुंह अपनी मां की चूत पर टिका दिया और उसके मूत को अपने मुंह में भरने लगा दो तीन धार उसके मुंह में मारने के बाद पुष्पा का मूत रुक गया, पुष्पा तो धार जैसे ही बंद हुई बिल्कुल बेजान पेड़ की तरह धम्म से बिस्तर पर गिर गई, और बुरी तरह हांफने लगी उसकी आँखें बंद थी,
इधर छोटू अपने मुंह में अपनी मां का मूत लिए बैठा था उसे समझ नहीं आ रहा था कि पहले तो उसने अपनी मां का मूत मुंह में लिया क्यों, वहीं अब वो क्या करे, उसका मन कर रहा था कि वो अपनी मां के मूत को गटक जाए, पर जो आज तक दुनिया के बारे में उसने जाना था उससे तो यही पता चलता था कि मूत बेहद गंदी चीज है इसे मुंह में लेना तो दूर इसे करके हम हाथ धोते हैं तो कुछ और करने का तो सवाल ही नहीं उठता,
उसे समझ नहीं आ रहा था समाज की सुने या मन की,
फिर मन में खयाल आया कि समाज के अनुसार तो जो अभी हुआ वो भी महापाप है क्या उसे मज़ा नहीं आया ये सब करने में, उसे अपनी उलझन का जवाब मिल गया और वो बड़े चाव से अपनी मां के मूत को गटक गया,
अपनी मां के मूत में नहाकर साथ ही उसे पीकर छोटू को एक अलग ही एहसास एक अलग ही उत्तेजना हो रही थी मानो मूत में नहाकर वो तरो ताज़ा हो गया हो, उसे पीकर उसके अंदर एक नई शक्ति आ गई थी, उसके बदन में एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा था, और उसी ऊर्जा का परिणाम था कि दूसरी बार झड़ने के बाद भी छोटू का लंड कड़क होकर खड़ा था।
पुष्पा तो मानो ऐसे स्खलन से बेहोश सी हो गई थी उसे लग रहा था उसके प्राण उसके बदन से निकल गए हैं और वो बादलों के बीच बिल्कुल नंगी उड़ रही है, तभी बादलों के बीच में दूर से उसे कुछ चमकता हुआ अपनी ओर आते हुए दिखा, चमकती हुई चीज जब पास आई तो देखा कि एक बेहद सुंदर सा सुनहरा लंड है जो हवा में उसके आस पास घूम रहा है, वो लंड को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाती है पर लंड उसके हाथ में आता ही नहीं कभी इधर भाग जाता है तो कभी उधर और जब पुष्पा उसे पकड़ने का प्रयास बंद कर देती है तो लंड स्वयं ही उसके पास आता है और उसके चक्कर लगाने लगता है, और फिर चक्कर लगाते हुए उसकी टांगों के बीच आ जाता है और फिर उसकी चूत में घुस जाता है, उस सुंदर लंड के चूत में घुसते ही पुष्पा के पूरे बदन में आनंद की तरंगें उठने लगती हैं, उसे बेहद मज़ा आने लगता है, लंड धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगता है, पुष्पा बादलों के बीच उड़ती हुई उस सुनहरे लंड से चुदाई के मजे ले रही है, तभी अचानक उसे अपनी कमर पर कुछ महसूस होता है वो देखती है दो सुनहरे हाथ उसकी कमर पर हैं और उसे पकड़ कर एक ओर खींच रहे हैं उसे समझ नहीं आता वो हाथ उसे कहां ले जाना चाहते हैं, वो हाथ लगातार उसे खींच रहे होते हैं तभी अचानक से उसके नीचे जो बादल था वो गायब हो जाता है और वो नीचे गिरने लगती है नीचे गिरते हुए वो अपनी कमर पर रखे हाथों को पकड़ लेती है ताकि वो उसे गिरने से बचा लें पर हाथ भी उसके साथ नीचे गिरने लगते हैं और कुछ ही पलों में वो धरती से टकराने वाली होती है कि तभी उसकी आँखें खुल जाती हैं और वो देखती है कि उसका बेटा छोटू उसकी टांगों के बीच है उसकी कमर पकड़ कर उसे चोद रहा है पुष्पा को समझ आ गया वो सपना देख रही थी, पर लंड जो मज़ा सपने में दे रहा था वैसा ही अभी भी दे रहा था,
अपने बेटे को चोदते देख न जाने क्यों उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने उसे अपने पास आने का इशारा किया, छोटू अपनी मां के नंगे बदन पर झुक गया और अपना चेहरा अपनी मां के चेहरे के पास किया तो पुष्पा ने अपने हाथ से उसका चेहरा पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठो से मिला दिए और बड़ी कामुकता से चूसने लगी, छोटू भी अपनी मां का पूरा साथ देने लगा, पुष्पा को छोटू के होंठों से इस बार एक अजीब सा ही स्वाद आ रहा था जो उसे नहीं पता किसका था पर पुष्पा को बहुत अलग सा एहसास दे रहा था, कुछ ही पलों में दोनों की जीभ भी एक दूसरे के मुंह में कुश्ती कर रहीं थी, और इसी बीच अचानक पुष्पा का ध्यान एक गंध पर गया तो उसने अपने होंठों को बेटे के होंठों से हटाया और बोली: लल्ला अह्ह्ह ये गंध कैसी है पेशाब जैसी।
तो इस पर छोटू ने उसकी चूत में धक्के लगाते हुए उसके गाल को चूमते हुए कहा, तुम्हारे ही मूत की गंध है मां, अभी झड़ते हुए तुमने ही तो अपने मूत से मुझे नहला दिया था,
पुष्पा ये सुन कर हैरान रह गई कि उसने अपने ही बेटे के ऊपर मूत दिया था, कोई और परिस्थित होती तो पुष्पा शर्म और ग्लानि से मर जाती ये सुन कर पर अभी तो ये सुनकर वो फिर से उत्तेजित होने लगी, अपने ही बेटे के ऊपर मूतने के खयाल से पुष्पा का बदन मचलने लगा, ये काम सुनने में जितना गंदा और घिनौना लग रहा था उतना ही उसे उत्तेजित कर रहा था, तभी छोटू ने बड़े गर्व से कुछ और कहा जिससे पुष्पा का रोम रोम मचल उठा।
छोटू: मां मैने तो तुम्हारा मूत पिया भी, बड़ा मज़ेदार था।
ये सुनकर तो पुष्पा की आंखें चौड़ी हो गईं, छोटू का लंड लगातार उसकी चूत से अंदर बाहर हो रहा था उसे न जाने क्या हुआ की पुष्पा ने फिर से अपने होंठ अपने बेटे के होंठों से मिला दिए और उसे बड़ी आक्रामकता से चूसने लगी, अपनी ही पेशाब का हल्का सा स्वाद और गंध जो बेटे के मुंह से आ रहा था वो उसे और उत्तेजित कर रहा था, वो नीचे से कमर उठा उठा कर छोटू की थाप से थाप मिलाने लगी साथ ही उसकी जीभ छोटू के मुंह में घुसी हुई थी और अटखेलियां कर रही थी, होंठों और जीभ को छोड़ने के बाद पुष्पा छोटू के चेहरे और गर्दन और जहां जहां चाट सकती थी उस हिस्से को जीभ से चाटने लगी, उसे समझ नहीं आ रहा था उसे क्या हो रहा है उसे जहां घिन आनी चाहिए थी वहीं वो स्वयं को रोक नहीं पा रही थी उसे अच्छा लग रहा था अपने बेटे के मूत से भीगे बदन को चाटना,
छोटू पहले भी दो बार झड़ चुका था तो इस बार बड़े संयम और आराम से अपनी मां को चोद रहा था, कभी उसको चूमते हुए चोदता तो कभी उसकी चूचियों को चूसते हुए तो कभी सिर्फ उसके चेहरे के भावों को देख कर चोदता रहता काफी देर की चुदाई के बाद पुष्पा एक बार फिर से झड़ी और उसके थोड़ी देर बाद छोटू के लंड में भी उसे रस भरता हुआ महसूस हुआ, तो झड़ने से पहले ही उसने अपना लंड अपनी मां की चूत से निकाल लिया और अपने लंड की पिचकारी अपनी मां के बदन पर छोड़ने लगा, पुष्पा का पेट और चूचियां उसने अपने रस से सना दीं।
मां बेटा दोनों झड़ चुके थे और दोनों बुरी तरह से हाँफ रहे थे, पुष्पा ने हांफते हुए अपना हाथ अपने पेट पर रखा तो उसकी उंगलियां छोटू के रस में लग गईं, उसने अपनी उंगलियों से उसके रस को अपने पेट पर मलना शुरू कर दिया, और दूसरे हाथ से चूचियों पर पड़े रस को चूचियों पर मलने लगी, कुछ ही पलों में सारा रस उसकी चूचियों और पेट पर चमक रहा था, छोटू उसके बगल में लेट गया, दोनों मां बेटे एक दूसरे से चिपक कर लेटे थे दोनों के नंगे बदन एक दूसरे को आनंद और गर्मी दे रहे थे, छोटू के बदन से आती हुई पेशाब की गंध दोनों के ही मन को बहका रही थी कमरे में खामोशी थी पुष्पा की चूत इतना चुदने के बाद भी धीरे धीरे फिर से प्यासी होने लगी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो रहा है इतना तो एक रात में जीवन में वो नहीं चुदी थी पर उसकी उत्तेजना कम ही नहीं हो रही थी, छोटू तो अपनी मां से चिपक कर आंखें मूंद कर लेटा हुआ था, पुष्पा की उत्तेजना फिर से बढ़ने लगी तो उससे नहीं रूका गया और वो उठ कर बैठ गई, बैठ कर सबसे पहले छोटू के लंड पर नज़र डाली जो कि न तो पूरी तरह खड़ा था और न ही पूरी तरह सोया हुआ था, पुष्पा ने उसे पकड़ लिया और हाथ से मुठियाने लगी, कुछ पल मुठियाने के बाद पुष्पा ने झुक कर अपने बेटे के लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी, छोटू को जब लंड पर गरम आभास हुआ तो उसने आंख खोल कर देखा और अपनी मां को लंड चूसता देख मुस्कुराने लगा, पुष्पा के कुछ देर लंड चूसने से ही छोटू का लंड एक बार फिर से तन कर खड़ा हो गया, पुष्पा ने एक बार फिर से अपने बेटे के लंड के ऊपर आकर उसे अपनी चूत में भर लिया, और उछलने लगी, कुछ देर बाद छोटू उसकी चूचियां मसलते हुए बोला: मां मैं तुम्हें कुतिया की तरह चोदूं?

पुष्पा: उहम्म अपनी मां को अपनी कुतिया बनाएगा,
पुष्पा ने मुस्कुराते हुए पूछा तो छोटू के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई और बोला: हां मां मज़ा आएगा,
पुष्पा अपने बेटे की इच्छा पूरी करने के लिए तुरंत ही उसके आगे अपने हाथों और घुटनों पर झुक गई, पुष्पा के मोटे चूतड़ छोटू के सामने आ गए और उसके झुकने से फैल गए, छोटू ने चूतड़ों के बीच की दरार को देखा जिसमें गीली चूत और उसके ऊपर छोटा सा भूरा गांड का छेद दिखा जो छोटू को बहुत प्यारा लगा और वो उसे ध्यान से देखने लगा,
पुष्पा: अब बस देखता ही रहेगा या अपनी कुतिया पर चढ़ेगा भी,
छोटू ने जब ये सुना तो तुरंत सीधा हुआ और अपना लंड अपनी मां की चूत में घुसा दिया और उसकी कमर पकड़कर दमदार धक्के लगाने लगा, इस तरह से चुदाई में दोनों को ही एक अलग मज़ा आ रहा था जहां पुष्पा को बेटे का लंड सीधा अपनी बच्चेदानी पर ठोकर मारता हुआ महसूस हो रहा था वहीं छोटू को भी अपनी मां की चूत में धक्के लगाने में आसानी हो रही थी, इसी बीच उसकी आँखें फिर से अपनी मां के गांड के छेद पर आकर रुक गई कुछ देर उसकी सुंदरता देखने के बाद वो स्वयं को रोक नहीं पाया और अपना एक हाथ अपनी मां की कमर से हटाकर चूतड़ों के बीच ले आया और फिर उंगलियों से उसे छेड़ने लगा, पुष्पा को अपनी गांड के छेद पर जब बेटे की उंगलियों का आभास हुआ तो उसे अजीब सी सिहरन हुई।

पुष्पा: अह्ह लल्ला वहां नहीं अह्ह।
छोटू: नाम तुम्हारा ये छेद बहुत सुंदर है।
पुष्पा को अपने बेटे से अपनी गांड की तारीफ सुनना अच्छा तो लगा, पर फिर भी वो अपनी बात को दबाते हुए बोली: छी वो गंदा है लल्लाअह्ह्ह्ह वहां हाथ नहीं लगाते,
पुष्पा ऊपर से भले ही ये सब बोल रही थी पर मन ही मन उसे एक अलग उत्तेजना हो रही थी,
छोटू: कितना प्यारा तो है मां तुम्हें न जाने क्यों गंदा लगता है,
छोटू ने एक उंगली से उसे कुरेदते हुए कहा,
पुष्पा: अच्छाह ठीक है पर तू अभी जो कर रहा है उस पर ध्यान दे।
पुष्पा ने ये कहा तो छोटू ने वापिस उसकी चूत में तेजी से धक्के लगाना शुरू कर दिया। इस बार की चुदाई काफी लंबी चली क्योंकि छोटू पहले ही तीन बार पानी छोड़ चुका था, वहीं इसका फायदा पुष्पा को हुआ जो कि एक बार और झड़ गई तब जाकर छोटू ने उसके चूतड़ों पर अपना रस निकाला और फिर थक कर बगल में लेट गया, थक तो पुष्पा भी बुरी तरह गई थी, आज जितनी चुदाई उसकी कभी नहीं हुई थी, वो भी छोटू के बगल में थक कर लेट गई, दोनों मां बेटे को कब नींद लग गई पता ही नहीं चला।

जारी रहेगी।
Amazing, Detailing was Marvelous

Great Writing Bhai 👍
 

Dharmendra Kumar Patel

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अपडेट दो भाई बहुत दिनों से आपके अपडेट की प्रतीक्षा है
 

rajesh852603

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अध्याय 1

बात 1960 के दशक की है, पूरा देश आजादी के दूसरे दशक में संभलने की कोशिश कर रहा था, देश में गरीबी से बुरा हाल था, राजनीतिक उथल पुथल जारी थी, पड़ोसी देशों से खतरे का डर था, ऐसे सब खतरों को झेलते हुए देश संघर्ष कर रहा था। वहीं देश के एक राज्य के एक कोने के ज़िले में बसा हुआ था एक छोटा सा गांव बरहपुर, जिसके होने ना होने का शायद ही सरकार में कोई दस्तावेज़ भी हो, एक ओर पर्वत एक ओर नदी और एक ओर घने जंगल से घिरा हुआ ये गांव प्रकृति की सुंदरता का नमूना था, जिस पर अभी समाज के मच्छरों की नजर नहीं पड़ी थी जो कि प्रकृति का ख़ून चूस चूस कर अपने लालच की तोंद को भरते रहते थे। किसी सरकारी रिकॉर्ड में नाम न होना एक तरह से गांव के लिए अच्छा ही था, बरहपुर नदी के किनारे ही बसा हुआ था,
यहां के लोगों का मुख्य काम खेती और पशुपालन था, यहां के लोग अन्न के साथ सब्जियों की खेती ज़्यादा करते थे जिन्हें वो नदी के रास्ते शहर में जाकर बेचते थे, जिनके भैंस या गाय ज़्यादा थी वो दूध दही घी भी शहर में बेचकर आते थे, जिससे इनकी आमदनी होती थी, घर सारे कच्चे ही थे, लोग भोले भी हैं और चालू भी जैसा हर जगह होता है, अच्छाई और बुराई, सही और गलत, प्रेम और हवस ये गांव सब से भरपूर है खैर आप लोग गांव के बारे में समझ गए होंगे तो अब शुरू करते हैं और गांव के हाल जानते हैं।
लल्लू- अरे जल्दी बिछा यार अब रहा नहीं जा रहा,
छोटू - बिछा तो रहे हैं उधर का कोना तो पकड़ ना।
भूरा - ये साला ऐसा ही है, कोई काम नही करना चाहता।
लल्लू - कर तो रहा हूं तुम दोनो ना तुंरत गांड़ जैसा मुंह बनाने लगते हो,
लल्लू ने भी अपनी ओर से चादर को पकड़ते हुए कहा, और जल्दी ही तीनों ने चादर बिछा दी और तुरंत उस पर चढ़ कर बैठ गए, अभी तीनों ही गांव से सटे जंगल के कोने पर ही एक पेड़ के नीचे अपने प्रतिदिन के ठिकाने पर थे,
छोटू- चल बिछ गई अब बताओ आज कौन किसे किसे पेलेगा,
छोटू अपने पुराने से पजामे के ऊपर से ही अपने सांप का गला घौंटते हुए बोला।
भूरा- भैया आज मेरी तो नज़र मुन्नी चाची की गांड पर है आज उनकी गांड मारे बिना नहीं छोड़ूंगा।
लल्लू- अरे वाह साले, तो आज मैं भी तगड़ा माल चोदूंगा,
छोटू - किसे?
लल्लू - पंडितायन को, अःह्ह्ह क्या मोटी मोटी दूध की थैलियां हैं यार। तेरा मन आज किस पर आ रहा है बे,
छोटू - आज मेरा मन तो सुबह से ही दुकान वाली पंखुड़ी चाची पर आया है, सुबह दुकान में जबसे झुकते हुए उनके पतीले देखे हैं यार लोड़ा बैठने का नाम ही नहीं ले रहा,
भूरा - अह्ह् साले कड़क माल चुना है, मज़ा आ जायेगा।
लल्लू - तो अब शुरू करते हैं यार अब रुका नहीं जा रहा।
लल्लू ने अपना पजामा नीचे खिसकाते हुए अपना कड़क लंड बाहर निकालकर हिलाते हुए कहा,
लल्लू के साथ ही भूरा और छोटू ने भी अपने अपने लंड बाहर निकाल लिए और दोनों ने अपनी अपनी मुठियां अपने अपने हथियार पर कस लीं और गोलियां चलानी शुरू कर दीं, तीनों का ये प्रतिदिन का काम था तीनों मिलकर एक साथ गांव की औरतों को चोदने की कल्पना करते हुए अपने अपने लंड मुठियाते थे, इस खेल की शुरुआत लल्लू से हूई थी जो कि पहले अकेले आकर जंगल में मुठ मारता था, कुछ ही दिनों में पर छोटू और भूरा ने उसे पकड़ लिया तो शुरुआती झिझक के बाद ये दोनों भी खेल में शामिल हो गए, क्योंकि दोनों को ही मजा आने लगा, पहले तो तीनों एक बाद बार जो सिनेमा में हीरोइन देखी थी उसे सोच सोच कर मुठियाते थे, फ़िर धीरे धीरे आपसी सहमति से उनके गांव की औरतें ही उनके पानी गिराने का कारण बनने लगी, और बनें भी क्यों न एक से बढ़कर एक भरे हुए बदन की औरत थी उनके गांव में, अब ये ही उनका खेल भी था मनोरंजन भी और हवस मिटाने का तरीका भी। आज भी उसी खेल का एक और भाग चल रहा था जिसमें सबसे पहले अपनी दौड़ खत्म की भूरा ने जो मुन्नी चाची की गांड को ख्यालों में चोदते हुए झड़ने लगा, उसके लंड से रस की पिचकारी निकल कर घास को भिगाने लगी, अगर घास गर्भ धारण कर सकती तो जल्दी ही भूरी घास उगने लगती वहां, क्योंकि भूरा ने इतना रस को गिराया था, भूरा झड़ने के बाद पीछे होकर लंबी सांसे भरकर आराम लेने लगा, उसके बाद लल्लू और छोटू भी पीछे नहीं थे और जल्दी ही दोनों के लंड पिचकारी छोड़ रहे थे, और अपने अपने सामने की घास को तर कर रहे थे। झड़ने के बाद और थोड़ा सा आराम करने के बाद तीनों गांव की ओर निकल गए।

तीनों ही एक ही उमर के थे, तीनों अभी किशोर थे जिनके अंदर जवानी पूरी तरह से रंग दिखा रही थी, आइए अब आपका परिचय करा दिया जाए। लल्लू तीनों में थोड़ा लम्बा था और कुछ महीने बढ़ा भी, इसलिए तीनों का मुखिया चाहे अनचाहे ये ही बन जाता था, लल्लू के परिवार में कुल मिलाकर पांच लोग ही थे उसकी मां लता, बाप मगन उसकी बड़ी बहन नंदिनी और चौथा वो खुद और पांचवें उसके दादा कुंवर पाल।

भूरा के घर में भी कुछ ऐसा ही हाल था उसके पिताजी राजकुमार, मां रत्ना, उसकी एक बड़ी बहन थी रानी जिसका विवाह हो चुका था फिर एक बड़ा भाई राजू उसके दादा प्यारेलाल और अंत में वो उसका असली नाम रजत था, पर शायद ही कभी कोई उसका नाम भूरा के अलावा लेता हो।

अंत में था छोटू जो कि अपने थोड़े छोटे कद के कारण इस नाम से प्रसिद्ध हुआ था उसका असली नाम पवन था , उसके घर में उसकी मां पुष्पा और बाप सुभाष थे साथ ही उसके चाचा संजय चाची सुधा और उनका एक बेटा राजेश और बेटी नीलम भी रहते थे, साथ ही उसके दादा सोमपाल और दादी फुलवा रहती थी,

ये था इनका एक छोटा सा परिचय बाकी जैसे जैसे आप सबसे मिलते जायेंगे उनके बारे में जानते जाएंगे।
Shandar likha h bhai so hot n sexy
 

pappu pelu

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Next post lg rha 2025 me ayega kya bhai
 
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Deepaksoni

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Yrr bhai ji ab to update de do 2week ho gye h update aye hue kha busy chal rahe ho aap
 
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