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Erotica एक अंतहीन सफर

andypndy

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प्रस्तावना

आपका दोस्त andy वापस आ गया है.
माफ़ी चाहूंगा की जिंदगी के अच्छे बुरे फ़ासलो मे उलझा रहा.
लेकिन क्या करू की xforum जिंदगी है.
तो चलिए शुरू करते है एक अंतहीन सफर....
कहानी है एक हसीन औरत सबीना शेख की जिसे आप साबी भी कह सकते है.
कहानी इसी की जिंदगी पर आधारित है.
एक घरेलु औरत जो सिर्फ घर, पति, बच्चों तक सिमित थी अचानक एक वाकये ने उसकी जिंदगी मे भूचाल मचा दिया.
उसने अपने जिस्म, अपनी चढ़ती जवानी का मालतब सीखा जिससे वो अनजान थी.
एक औरत बंद किताब की तरह होती है, कब कौनसा चैप्टर आपके सामने आ जायेगा आपको खुद पता नहीं,
चलिए चलते है एक अंतहीन सफर पर.
कहानी है सबीना शेख के "एक अंतहीन सफर की "

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andypndy

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अपडेट -1
एक अंतहीन सफर


"जल्दी करो यार वैसे ही तुम्हारी वजह से लेट हो गए है "
साबी लगभग एयरपोर्ट से बाहर भागती हुई चली जा रही थी.
"अरे क्या कर रही हो बेग़म इतनी भी क्या जल्दी है, मिल जाएगी बस " आरिफ भी पीछे पीछे लगभग भाग ही रहा था.
"ये औरते भी ना, ना जाने किस बात की जल्दी रहती है "
साबी और आरिफ काफ़ी समय बाद आज भारत लौटे थे, कारण था आरिफ की बहन की शादी.
आरिफ का पुस्तेनी घर पुणे मे स्थित था, जबकि वो खुद अपनी बीवी साबी और 2 बच्चों के साथ गल्फ कंट्री मे जीवन व्यतीत कर रहा था.
साबी आगे आगे भागे जा रही थी ना जाने क्या उत्सुकता थी उसे,फिर बहुत सालो बाद भारत लौटने अपने पुशतेनी घर को देखने की चाहत.
शाम ढालने को आई थी,
दोनों ही एयरपोर्ट के बाहर खड़े अपनी टेक्सी का वेट कर रहे थे.
"ससससररर..... चीरररररर...... साब आपकी टेक्सी"
अचानक से एक टेक्सी सामने चर्चारती सी रुकी.
आगे सीट पे एक जवान सा चुलबुला लड़का बैठा दाँत चियार रहा था.
"अरे भाई कितनी लेट....15 मिनिट हो गए हमें आये " आरिफ शायद हलके गुस्से मे था या फिर बड़े साहब होने का रोब हो.
"अरे छोडो जल्दी चलो आप तो " साबी ने कोई ध्यान नहीं दिया.
"तुम अंदर ही बैठे रहोगे या समन अंदर रखोगे " साबी ने उस ड्राइवर से कहाँ.
हेहेहेहे..... मैडम.... वो मैडम अभी रखता हूँ " साबी की आवाज़ से जैसे वो होश मे आया हो

साबी ने नोटिस किया वो ड्राइवर उसे ही घूर रहा था.
अब घूरता भी क्यों ना साबी कि काया ही ऐसी थी.
जिंदगी का पड़ाव 40वे दशक मे चल रहा था, 2 बच्चों की माँ थी लेकिन कोई देखने से ऐसा बोल दे तो शर्त मे सब हार जाऊ.
साबी का पति खुले दिल और विचार का था, और साबी भी कपड़ो को ले कर कोई रोक टोक नहीं थी.साबी अपने मत मुताबिक कपडे ही पहनती थी. कभी सलवार कभी गाउन तो कभी जीन्स भी चलती थी.
वैसे कपड़ा कोई भी पहने ताराशे अंगों को छुपा पाना उसके लिए भी मुश्किल था, इसलिए वो जानती थी ड्राइवर क्या घूर रहा है.
ऐसी नजरों का सामना वो हर वक़्त करती थी.
चलती तो आगे देखने वालो की नजर चेहरे से होती हुई सुडोल वजनदार स्तन पर जा अटकती, नजरें फिसलती तो पतली कमर मे अटक जाती..
पीछे से देखने वाले शायद ज्यादा खुसनसीब होते, एक अद्भुत नजारा सामने होता था, दो मोटे मोटे सुडोल आकर के गोलाकार अंग एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते रहते थे.
साबी चलती तो उसकी गांड थर थर एक कंपन्न पैदा कर देती थी.
मदमस्त जिस्म की मालकिन थी साबी.
खुद को फिट रखना, योगा, मॉर्निंग वाक जैसे उसका जूनून था.
खेर वो ड्राइवर इसी रस का, इसी जिस्म का आनंद ले रहा था.
आज भी टाइट फुल गाउन मे साबी अपनी खूबसूरत जिस्म से समा बांध रही थी.
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"अरे बाहर तो निकल सारी कामचोरी आज ही करेगा क्या " आरिफ झाललाया.
"ज्ज्ज्ज्बजज..... जज.... जी साब आया " वो लड़का ऐसे हड़बड़या जैसे सही मे चोरी कर रहा हो.
काम चोरी तो नहीं लेकिन कामुक जिस्म की चोरी जरूर कर रहा था.
आनन फ़नान मे ही सब सेट हो गया, टेक्सी सड़क पे दौड़ पड़ी...
साबी आरिफ पीछे बैठे किसी चर्चा मे मग्न थे, आगे बैठा ड्राइवर आगे कम कांच मे ज्यादा देख रहा था, जहा साबी की झलक थी, उसके मदमस्त गुलाबी होंठो से झाकते सफ़ेद मोती जैसे दाँत उसकी मुस्कुराहत मे चार चाँद लगा रहे थे.

अचानक से साबी की नजर भी सामने पड़ गई, दोनों की नजर उस कांच पर मिल गई.
साबी ने नजरें झुका ली ना जाने क्यों?
लड़कियों का 6th सेन्स होता है जब कोई उन्हें देखता है तो मालूम पड़ जाता है.
और ये मालूम पड़ने के बाद नजरें भी बार बार मिल जाती है.
साबी थोड़ा अजीब फील कर रही थी, "तुम आगे देख के चलाओ और जल्दी पंहुचाओ थोड़ा, " साबी ऐसी ही थी ज्यादा तावज्जो नहीं देती थी किसी को.
"अरे बेग़म सब्र करो पहुंच जायेंगे, जब से चली हो ना जाने क्या जल्दी है " आरिफ ने साबी को समझाते हुए कहाँ.
"साहब सब औरतों को जल्दी ही होती है " आगे बैठा ड्राइवर ने समर्थन किया.
"तुम चुप कर के कार चलाओ आया बड़ा, अभी बच्चा सा है आया बड़ा औरतों पे नसीहत देने वाला " इस बार साबी खूब चिढ़ के बोली.
छोटू ड्राइवर की घिघी बंध गई, टेक्सी मे सन्नाटा था बस आरिफ मंद मंद मुस्कुरा उठा.
 

Ajju Landwalia

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अपडेट -1
एक अंतहीन सफर


"जल्दी करो यार वैसे ही तुम्हारी वजह से लेट हो गए है "
साबी लगभग एयरपोर्ट से बाहर भागती हुई चली जा रही थी.
"अरे क्या कर रही हो बेग़म इतनी भी क्या जल्दी है, मिल जाएगी बस " आरिफ भी पीछे पीछे लगभग भाग ही रहा था.
"ये औरते भी ना, ना जाने किस बात की जल्दी रहती है "
साबी और आरिफ काफ़ी समय बाद आज भारत लौटे थे, कारण था आरिफ की बहन की शादी.
आरिफ का पुस्तेनी घर पुणे मे स्थित था, जबकि वो खुद अपनी बीवी साबी और 2 बच्चों के साथ गल्फ कंट्री मे जीवन व्यतीत कर रहा था.
साबी आगे आगे भागे जा रही थी ना जाने क्या उत्सुकता थी उसे,फिर बहुत सालो बाद भारत लौटने अपने पुशतेनी घर को देखने की चाहत.
शाम ढालने को आई थी,
दोनों ही एयरपोर्ट के बाहर खड़े अपनी टेक्सी का वेट कर रहे थे.
"ससससररर..... चीरररररर...... साब आपकी टेक्सी"
अचानक से एक टेक्सी सामने चर्चारती सी रुकी.
आगे सीट पे एक जवान सा चुलबुला लड़का बैठा दाँत चियार रहा था.
"अरे भाई कितनी लेट....15 मिनिट हो गए हमें आये " आरिफ शायद हलके गुस्से मे था या फिर बड़े साहब होने का रोब हो.
"अरे छोडो जल्दी चलो आप तो " साबी ने कोई ध्यान नहीं दिया.
"तुम अंदर ही बैठे रहोगे या समन अंदर रखोगे " साबी ने उस ड्राइवर से कहाँ.
हेहेहेहे..... मैडम.... वो मैडम अभी रखता हूँ " साबी की आवाज़ से जैसे वो होश मे आया हो

साबी ने नोटिस किया वो ड्राइवर उसे ही घूर रहा था.
अब घूरता भी क्यों ना साबी कि काया ही ऐसी थी.
जिंदगी का पड़ाव 40वे दशक मे चल रहा था, 2 बच्चों की माँ थी लेकिन कोई देखने से ऐसा बोल दे तो शर्त मे सब हार जाऊ.
साबी का पति खुले दिल और विचार का था, और साबी भी कपड़ो को ले कर कोई रोक टोक नहीं थी.साबी अपने मत मुताबिक कपडे ही पहनती थी. कभी सलवार कभी गाउन तो कभी जीन्स भी चलती थी.
वैसे कपड़ा कोई भी पहने ताराशे अंगों को छुपा पाना उसके लिए भी मुश्किल था, इसलिए वो जानती थी ड्राइवर क्या घूर रहा है.
ऐसी नजरों का सामना वो हर वक़्त करती थी.
चलती तो आगे देखने वालो की नजर चेहरे से होती हुई सुडोल वजनदार स्तन पर जा अटकती, नजरें फिसलती तो पतली कमर मे अटक जाती..
पीछे से देखने वाले शायद ज्यादा खुसनसीब होते, एक अद्भुत नजारा सामने होता था, दो मोटे मोटे सुडोल आकर के गोलाकार अंग एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते रहते थे.
साबी चलती तो उसकी गांड थर थर एक कंपन्न पैदा कर देती थी.
मदमस्त जिस्म की मालकिन थी साबी.
खुद को फिट रखना, योगा, मॉर्निंग वाक जैसे उसका जूनून था.
खेर वो ड्राइवर इसी रस का, इसी जिस्म का आनंद ले रहा था.
आज भी टाइट फुल गाउन मे साबी अपनी खूबसूरत जिस्म से समा बांध रही थी.
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"अरे बाहर तो निकल सारी कामचोरी आज ही करेगा क्या " आरिफ झाललाया.
"ज्ज्ज्ज्बजज..... जज.... जी साब आया " वो लड़का ऐसे हड़बड़या जैसे सही मे चोरी कर रहा हो.
काम चोरी तो नहीं लेकिन कामुक जिस्म की चोरी जरूर कर रहा था.
आनन फ़नान मे ही सब सेट हो गया, टेक्सी सड़क पे दौड़ पड़ी...
साबी आरिफ पीछे बैठे किसी चर्चा मे मग्न थे, आगे बैठा ड्राइवर आगे कम कांच मे ज्यादा देख रहा था, जहा साबी की झलक थी, उसके मदमस्त गुलाबी होंठो से झाकते सफ़ेद मोती जैसे दाँत उसकी मुस्कुराहत मे चार चाँद लगा रहे थे.

अचानक से साबी की नजर भी सामने पड़ गई, दोनों की नजर उस कांच पर मिल गई.
साबी ने नजरें झुका ली ना जाने क्यों?
लड़कियों का 6th सेन्स होता है जब कोई उन्हें देखता है तो मालूम पड़ जाता है.
और ये मालूम पड़ने के बाद नजरें भी बार बार मिल जाती है.
साबी थोड़ा अजीब फील कर रही थी, "तुम आगे देख के चलाओ और जल्दी पंहुचाओ थोड़ा, " साबी ऐसी ही थी ज्यादा तावज्जो नहीं देती थी किसी को.
"अरे बेग़म सब्र करो पहुंच जायेंगे, जब से चली हो ना जाने क्या जल्दी है " आरिफ ने साबी को समझाते हुए कहाँ.
"साहब सब औरतों को जल्दी ही होती है " आगे बैठा ड्राइवर ने समर्थन किया.
"तुम चुप कर के कार चलाओ आया बड़ा, अभी बच्चा सा है आया बड़ा औरतों पे नसीहत देने वाला " इस बार साबी खूब चिढ़ के बोली.
छोटू ड्राइवर की घिघी बंध गई, टेक्सी मे सन्नाटा था बस आरिफ मंद मंद मुस्कुरा उठा.

Sabse pehle to ek nayi kahani shuru karne ke liye hardik shubhkamnaye andypndy Bhai,

Story ki shuruwat to badhi achchi lagi.......aage dekhte he sabi ki jawani kya kya jalwe dikhati he

Keep posting Bro
 
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Sabi

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आपका दोस्त andy वापस आ गया है.
माफ़ी चाहूंगा की जिंदगी के अच्छे बुरे फ़ासलो मे उलझा रहा.
लेकिन क्या करू की xforum जिंदगी है.
तो चलिए शुरू करते है एक अंतहीन सफर....
कहानी है एक हसीन औरत सबीना शेख की जिसे आप साबी भी कह सकते है.
कहानी इसी की जिंदगी पर आधारित है.
एक घरेलु औरत जो सिर्फ घर, पति, बच्चों तक सिमित थी अचानक एक वाकये ने उसकी जिंदगी मे भूचाल मचा दिया.
उसने अपने जिस्म, अपनी चढ़ती जवानी का मालतब सीखा जिससे वो अनजान थी.
एक औरत बंद किताब की तरह होती है, कब कौनसा चैप्टर आपके सामने आ जायेगा आपको खुद पता नहीं,
चलिए चलते है एक अंतहीन सफर पर.
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एक अंतहीन सफर


"जल्दी करो यार वैसे ही तुम्हारी वजह से लेट हो गए है "
साबी लगभग एयरपोर्ट से बाहर भागती हुई चली जा रही थी.
"अरे क्या कर रही हो बेग़म इतनी भी क्या जल्दी है, मिल जाएगी बस " आरिफ भी पीछे पीछे लगभग भाग ही रहा था.
"ये औरते भी ना, ना जाने किस बात की जल्दी रहती है "
साबी और आरिफ काफ़ी समय बाद आज भारत लौटे थे, कारण था आरिफ की बहन की शादी.
आरिफ का पुस्तेनी घर पुणे मे स्थित था, जबकि वो खुद अपनी बीवी साबी और 2 बच्चों के साथ गल्फ कंट्री मे जीवन व्यतीत कर रहा था.
साबी आगे आगे भागे जा रही थी ना जाने क्या उत्सुकता थी उसे,फिर बहुत सालो बाद भारत लौटने अपने पुशतेनी घर को देखने की चाहत.
शाम ढालने को आई थी,
दोनों ही एयरपोर्ट के बाहर खड़े अपनी टेक्सी का वेट कर रहे थे.
"ससससररर..... चीरररररर...... साब आपकी टेक्सी"
अचानक से एक टेक्सी सामने चर्चारती सी रुकी.
आगे सीट पे एक जवान सा चुलबुला लड़का बैठा दाँत चियार रहा था.
"अरे भाई कितनी लेट....15 मिनिट हो गए हमें आये " आरिफ शायद हलके गुस्से मे था या फिर बड़े साहब होने का रोब हो.
"अरे छोडो जल्दी चलो आप तो " साबी ने कोई ध्यान नहीं दिया.
"तुम अंदर ही बैठे रहोगे या समन अंदर रखोगे " साबी ने उस ड्राइवर से कहाँ.
हेहेहेहे..... मैडम.... वो मैडम अभी रखता हूँ " साबी की आवाज़ से जैसे वो होश मे आया हो

साबी ने नोटिस किया वो ड्राइवर उसे ही घूर रहा था.
अब घूरता भी क्यों ना साबी कि काया ही ऐसी थी.
जिंदगी का पड़ाव 40वे दशक मे चल रहा था, 2 बच्चों की माँ थी लेकिन कोई देखने से ऐसा बोल दे तो शर्त मे सब हार जाऊ.
साबी का पति खुले दिल और विचार का था, और साबी भी कपड़ो को ले कर कोई रोक टोक नहीं थी.साबी अपने मत मुताबिक कपडे ही पहनती थी. कभी सलवार कभी गाउन तो कभी जीन्स भी चलती थी.
वैसे कपड़ा कोई भी पहने ताराशे अंगों को छुपा पाना उसके लिए भी मुश्किल था, इसलिए वो जानती थी ड्राइवर क्या घूर रहा है.
ऐसी नजरों का सामना वो हर वक़्त करती थी.
चलती तो आगे देखने वालो की नजर चेहरे से होती हुई सुडोल वजनदार स्तन पर जा अटकती, नजरें फिसलती तो पतली कमर मे अटक जाती..
पीछे से देखने वाले शायद ज्यादा खुसनसीब होते, एक अद्भुत नजारा सामने होता था, दो मोटे मोटे सुडोल आकर के गोलाकार अंग एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते रहते थे.
साबी चलती तो उसकी गांड थर थर एक कंपन्न पैदा कर देती थी.
मदमस्त जिस्म की मालकिन थी साबी.
खुद को फिट रखना, योगा, मॉर्निंग वाक जैसे उसका जूनून था.
खेर वो ड्राइवर इसी रस का, इसी जिस्म का आनंद ले रहा था.
आज भी टाइट फुल गाउन मे साबी अपनी खूबसूरत जिस्म से समा बांध रही थी.
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"अरे बाहर तो निकल सारी कामचोरी आज ही करेगा क्या " आरिफ झाललाया.
"ज्ज्ज्ज्बजज..... जज.... जी साब आया " वो लड़का ऐसे हड़बड़या जैसे सही मे चोरी कर रहा हो.
काम चोरी तो नहीं लेकिन कामुक जिस्म की चोरी जरूर कर रहा था.
आनन फ़नान मे ही सब सेट हो गया, टेक्सी सड़क पे दौड़ पड़ी...
साबी आरिफ पीछे बैठे किसी चर्चा मे मग्न थे, आगे बैठा ड्राइवर आगे कम कांच मे ज्यादा देख रहा था, जहा साबी की झलक थी, उसके मदमस्त गुलाबी होंठो से झाकते सफ़ेद मोती जैसे दाँत उसकी मुस्कुराहत मे चार चाँद लगा रहे थे.

अचानक से साबी की नजर भी सामने पड़ गई, दोनों की नजर उस कांच पर मिल गई.
साबी ने नजरें झुका ली ना जाने क्यों?
लड़कियों का 6th सेन्स होता है जब कोई उन्हें देखता है तो मालूम पड़ जाता है.
और ये मालूम पड़ने के बाद नजरें भी बार बार मिल जाती है.
साबी थोड़ा अजीब फील कर रही थी, "तुम आगे देख के चलाओ और जल्दी पंहुचाओ थोड़ा, " साबी ऐसी ही थी ज्यादा तावज्जो नहीं देती थी किसी को.
"अरे बेग़म सब्र करो पहुंच जायेंगे, जब से चली हो ना जाने क्या जल्दी है " आरिफ ने साबी को समझाते हुए कहाँ.
"साहब सब औरतों को जल्दी ही होती है " आगे बैठा ड्राइवर ने समर्थन किया.
"तुम चुप कर के कार चलाओ आया बड़ा, अभी बच्चा सा है आया बड़ा औरतों पे नसीहत देने वाला " इस बार साबी खूब चिढ़ के बोली.
छोटू ड्राइवर की घिघी बंध गई, टेक्सी मे सन्नाटा था बस आरिफ मंद मंद मुस्कुरा उठा.
Wow wonderful start of the story. Hope to read a sexy and erotic narration.
 
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